01 जनवरी 2025: अडानी का टेंडर तमिलनाडु में रद्द, गोल्ड लोन के डिफॉल्ट 30% बढ़े, मणिपुर सीएम ने माफ़ी मांगी, बिहार में लाठियों के बाद 700 एफआईआर, पाकिस्तान में हुई हत्याओं में भारत का नाम
हिंदी भाषियों का क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज्यादा
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
‘हरकारा’ की तरफ से आप सबको नया साल मुबारक…

डल्लेवाल ने चिकित्सा सहायता लेने की शर्त रखी: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ पिछले कुछ दिनों से लगातार किसान नेता की ओर से चिकित्सा सहायता लेने से इनकार करने पर गहरी चिंता व्यक्त कर रही है. उसने पंजाब सरकार को 31 दिसंबर तक किसी भी तरह डल्लेवाल को चिकत्सा सेवा लेने के लिए तैयार करने का निर्देश दिया था. वहीं डल्लेवाल चिकित्सा सहायता इसलिए नहीं ले रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे विरोध प्रदर्शन कमजोर हो सकता है. मंगलवार 31 दिसंबर को पंजाब के महाधिवक्ता (एजी) गुरमिंदर सिंह ने शीर्ष अदालत को जानकारी दी कि यदि अगर केंद्र सरकार प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत का आमंत्रण स्वीकार कर ले तो किसान नेता चिकित्सा सहायता लेने को सहमत हो सकते हैं. डल्लेवाल फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे हैं.
साल के आखिरी दिन ‘नरसंहार पर आई’ माफी : मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने मणिपुर में पिछले साल से चल रहे हिंसक संघर्ष के लिए गुजरे साल के आखिरी दिन यानी कि 31 दिसंबर को लोगों से माफी मांगी. ‘द हिंदू’ की खबर है कि उन्होंने उन्होंने उम्मीद जताई कि 2025 में राज्य में सामान्य स्थिति बहाल हो सकेगी. इंफाल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा- "यह पूरा साल बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा. मैं उन सभी घटनाओं के लिए मणिपुर की जनता से माफी मांगता हूं, जो पिछले साल 3 मई से अब तक हुईं." मुख्यमंत्री ने इस बात पर गहरी चिंता जताई कि हिंसा के कारण कई लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा. उन्होंने कहा, "कई लोगों ने अपने घरों को छोड़ा. मुझे इसका गहरा दुख है. मैं इसके लिए क्षमा मांगता हूं." हालांकि, मुख्यमंत्री के इस माफीनामे को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच जातीय संघर्ष मई 2023 में भड़क उठा था, जिसने राज्य की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बुरी तरह प्रभावित किया. हिंसा के चलते सैकड़ों लोग बेघर हो गए और कई जानें गईं. इस संघर्ष ने महिलाओं और बच्चों का जीवन नारकीय बनाया.
तमिलनाडु ने अडानी ग्रुप से जुड़ा टेंडर रद्द किया
‘डेक्कन हेराल्ड’ में ईटीबी शिवप्रियन की रिपोर्ट है कि तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी (TANGEDCO) ने स्मार्ट बिजली मीटर की स्थापना के लिए अपना वैश्विक टेंडर रद्द कर दिया है, जिसमें अडानी समूह चार पैकेजों में से एक के लिए सबसे कम बोली लगाने वाले के रूप में उभरा था. तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में स्मार्ट मीटरों की खरीद के लिए जारी एक अंतरराष्ट्रीय निविदा को रद्द कर दिया है, जिसमें अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस लिमिटेड (AESL) सबसे कम बोलीदाता के रूप में उभरी थी. उत्तर प्रदेश में भी अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस लिमिटेड (AESL) सबसे कम बोलीदाता के रूप में उभरी, ठीक वैसे ही जैसे अन्य राज्यों में. उत्तर प्रदेश में तो किसानों ने लगातार इस मसले पर आंदोलन भी किए हैं और अब आगे लंबी लड़ाई की तैयारी है. तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन (Tangedco) ने इस निविदा के तहत आठ जिलों जिनमें चेन्नई, कांचीपुरम और चेंगलपट्टू जैसे बड़े जिले भी शामिल हैं, उनमें 82 लाख स्मार्ट मीटर लगाने की योजना बनाई थी. यह परियोजना केंद्र सरकार की 19,000 करोड़ रुपये की रिवैंप्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (RDSS) के तहत प्रस्तावित थी.
निविदा रद्द करने का निर्णय अरापोर इयाक्कम नामक संगठन द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद लिया गया, जिसमें निविदा प्रक्रिया में अनियमितताओं और अडानी समूह को अनुचित लाभ देने के आरोप शामिल थे. हालांकि, मसला उस शोर से जुड़ा लगता है जो अमेरिका से गुजरते साल के आखिर में उठा था. यह ध्यान देने योग्य है कि अडानी समूह के खिलाफ पहले भी तमिलनाडु में कोयला आयात घोटाले से संबंधित आरोप लगे हैं, जिनकी जांच राज्य सरकार द्वारा की जा रही है. हालांकि, तमिलनाडु सरकार ने स्पष्ट किया है कि अडानी समूह से संबंधित विवादों का राज्य सरकार से कोई संबंध नहीं है
सेबी की रहस्यमय चुप्पी: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने उन तारीखों का खुलासा करने से इनकार कर दिया है जब सेबी अध्यक्ष माधवी पुरी बुच ने अपनी और अपने परिवार की संपत्तियों का विवरण प्रस्तुत किया था. यह सवाल एक आरटीआई आवेदन के तहत किया गया था. कमोडोर लोकेश बत्रा ने आवेदन दायर किया था और कहा था कि वह केवल तारीखों का विवरण मांग रहे हैं, घोषणाओं का नहीं. सेबी ने कहा कि यह "गोपनीय व्यक्तिगत जानकारी" है. अमेरिका में एक शॉर्ट सेलर, हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा एक रिपोर्ट के बाद बुच पर हितों के टकराव का आरोप लगाया गया है.
अमेरिकी अख़बार में पाकिस्तान से शैडो वार में भारत द्वारा हत्या करवाने के आरोप
वाशिंगटन पोस्ट ने सोमवार को भारत की मालदीव में दखलंदाजी कर वहाँ के नये राष्ट्रपति को गिराने का प्रयास करने की खबर की है. मंगलवार को एक लम्बे रिपोर्ताज में इसी अख़बार ने बताया है कि कनाडा और अमेरिका में खालिस्तानी समर्थक नेताओं को अपने खुफिया एजेंटों के जरिये हत्या का प्रयास करने के थोड़ा पहले पाकिस्तान में कई लोगों को भारतीय गुप्तचर संस्था ने मरवाया है. पाकिस्तानी अधिकारी ये बातें अब उठा रहे हैं जब कनाडा और अमेरिका में भारतीय भूमिका को लेकर सवाल उठ रहे हैं. तीन हजार से ज्यादा शब्दों की इस रिपोर्ट में भारतीय और पाकिस्तानी अधिकारियों से बातचीत, पश्चिम के गुप्तचर अधिकारियों, एजेंसियों से बातचीत का प्रत्यक्ष और परोक्ष हवाला देते हुए अखबार ने पाकिस्तान में हुई हत्याओं, कश्मीर में हुई आतंकवादी घटनाओं का ब्यौरा भी दिया है.
बिहार अभ्यर्थियों पर पुलिस लाठीचार्ज के बाद प्रशांत किशोर समेत 700 लोगों पर एफआईआर
बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के ‘परीक्षा पत्र लीक’ के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों पर पुलिस ने इस कड़कड़ाती ठंड में लाठीचार्ज और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया था. अभ्यर्थी 70वीं संयुक्त प्रतियोगी प्रारंभिक परीक्षा की दोबारा परीक्षा की मांग को लेकर पटना में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जो जारी है. रविवार को विरोध मार्च के बाद ‘जन सुराज पार्टी’ के संस्थापक प्रशांत किशोर और 700 अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है. हालांकि कुछ आंदोलनकारियों का कहना है कि जब लाठीचार्ज हुआ और उन पर पुलिस पानी की बौछार कर रही थी, उससे पहले छात्रों को मंझधार में छोड़ प्रशांत किशोर वहां से खिसक लिए थे. 15-16 दिसंबर को, बीपीएससी ने एक केंद्र पर परीक्षा रद्द करने की घोषणा की. छात्रों का कहना है कि अगर पेपर लीक हुआ था तो सिर्फ एक सेंटर पर ही परीक्षा क्यों रद्द की जा रही है? यह एक तरह का सामान्यीकरण है... इसलिए छात्र दोबारा परीक्षा की मांग कर रहे हैं.
नितेश राणे: “केरल पाकिस्तान और राहुल–प्रियंका आतंकवादियों की मदद से जीते”
महाराष्ट्र के मत्स्य पालन मंत्री नितेश राणे ने एक रैली में केरल को ‘मिनी पाकिस्तान’ बताया. पुणे में जिले के पुरंदर तालुका में ‘शिव प्रताप दिवस’ के मौके पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे के बेटे नितेश राणे ने दावा किया कि केरल में कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की चुनावी सफलता ‘आतंकवादियों’ के समर्थन के कारण मिली है. उन्होंने कहा- ‘केरल छोटा पाकिस्तान है, इसलिए राहुल गांधी और उनकी बहन वहां से चुने जाते हैं. सभी आतंकवादी उन्हें वोट देते हैं. यह सच है, आप पूछ सकते हैं. वे आतंकवादियों को साथ लेकर सांसद बने हैं’. भाजपा नेता राणे ने कहा, ‘केरल भारत का एक हिस्सा है, लेकिन घटती हिंदू आबादी और धर्मांतरण ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है. अगर पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ वैसा ही व्यवहार किया जाता है जैसा भारत में हो रहा है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए’.
दिल्ली के इमामों ने दी विरोध प्रदर्शन की चेतावनी : अखिल भारतीय इमाम एसोसिएशन के प्रमुख मोहम्मद साजिद राशिद ने सोमवार को कहा कि पिछले 17 महीनों से इमामों को वेतन नहीं मिला है. इस सिलसिले में वे एलजी, सीएम समेत कई सरकारी अधिकारियों और नेताओं से कई-कई बार मिल चुके हैं, लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. हम पिछले छह महीनों से इस मुद्दे को उठा रहे हैं. अब इस सिलसिले में आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल से मिलकर अपनी बात रखेंगे. अगर इसके बाद भी वेतन नहीं मिला तो दिल्ली के इमाम तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे, जब तक कि उन्हें उनका बकाया नहीं मिल जाता. उधर पुरोहितों और ग्रंथियों का वेतन बढ़ाने के मसले पर आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी आपस में भिड़ ही रहे हैं.
गोल्ड लोन डिफॉल्ट 30% बढ़ा
अर्थव्यवस्था की लगातार बिगड़ती हालत के एक स्पष्ट लक्षण में, गोल्ड लोन डिफॉल्ट में सिर्फ तीन महीनों में 30% की बढ़ोतरी हुई है, जो जून 2024 तक बढ़कर 6,696 करोड़ रुपये हो गई है, जबकि मार्च में यह 5,149 करोड़ रुपये थी. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, वाणिज्यिक बैंकों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है, जहां गैर-निष्पादित स्वर्ण ऋणों में 62% की चौंकाने वाली वृद्धि हुई है, जबकि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में 24% की वृद्धि देखी गई. अर्थव्यवस्था में मंदी के कारण आय का स्तर गिर गया है, जिससे कर्ज में डूबे उधारकर्ता सोने जैसी परंपरागत रूप से स्थिर संपत्ति द्वारा समर्थित ऋणों को भी चुकाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. यह उछाल परिवारों की नाजुक वित्तीय स्थिति को उजागर करता है और बोझ को कम करने के लिए प्रणालीगत आर्थिक नीतियों की विफलता पर प्रकाश डालता है.
मोदी ने जिसका फीता काटा था, दो साल में जर्जर हुआ हाउसिंग प्रोजेक्ट
राजकोट में एक शोपीस हाउसिंग प्रोजेक्ट, जिसका उद्घाटन दो साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था, जर्जर हालत में है. इस लाइट हाउस प्रोजेक्ट को पीएम आवास योजना के तहत सब्सिडी वाले आवास प्रदान करना था. अब यह योजना खराब निर्माण और भ्रष्टाचार की शिकायतों से घिर गया है. इस योजना के तहत 118 करोड़ रुपये की लागत से 1144 मकान बनाए गए थे. दो साल में ही इनकी दीवारों में दरारें दिखने लगी है और पेंट उखड़ने लगे हैं. दिवारों में सीलन आ गई है.
राजस्थान : कांग्रेस शासन में बनाए गए जिलों को खत्म करने का विरोध
राजस्थान की भाजपा सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन के दौरान बनाए गए नौ नए जिलों को खत्म करने का फैसला लिया है. इसके बाद सोमवार से राजस्थान के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. प्रदर्शनकारियों ने उन कई जिलों में सड़कें अवरुद्ध कीं और धरना-प्रदर्शन किया, जिन्हें 28 दिसंबर को कैबिनेट ने समाप्त कर दिया था. इनमें अनूपगढ़, दूदू, गंगापुर सिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, केकड़ी, नीम का थाना, सांचौर और शाहपुरा जिले हैं. राजस्थान कांग्रेस प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि अगर खत्म किए गए जिलों को बहाल नहीं किया गया तो पार्टी 1 जनवरी से राज्य भर में विरोध प्रदर्शन करेगी.
2024 में भारतीय भाषाओं से अंग्रेजी में अनूदित किताबों को स्क्रोल ने संकलित किया है. और हिंदी साहित्य पर केंद्रित समालोचन ने हिंदी लेखकों की पसंदीदा किताबों की सूची को यहां पर.
'टैरिफ वॉर' के डर के बावजूद वैश्विक बाजार 2025 में बढ़ने की संभावना
‘द गार्डियन’ की खबर है कि वैश्विक स्टॉक मार्केट्स में 2025 में भी उछाल जारी रहेगा, खासकर अमेरिकी शेयरों में, बावजूद इसके कि मुद्रास्फीति की चिंताएं और डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा संभावित शुल्क युद्ध (टैरिफ वॉर) की आशंका बनी हुई है. वॉल स्ट्रीट विश्लेषकों का अनुमान है कि एसएंडपी 500 में 2025 के अंत तक लगभग 9% की बढ़त हो सकती है, जिससे अमेरिकी कंपनियों का इंडेक्स 6,500 अंकों तक पहुँच सकता है. यह इस साल के मुकाबले कम प्रभावी होगा, जिसमें एसएंडपी 500 ने 25% की वृद्धि के साथ 5,970 अंक तक की छलांग लगाई थी. देउत्शे बैंक के प्रमुख वैश्विक रणनीतिकार बिंकी चड्ढा ने 2025 के अंत तक एसएंडपी 500 के 7,000 अंकों तक पहुँचने का अनुमान व्यक्त किया है, जबकि गोल्डमैन सैक्स ने इसका अनुमान 6,500 अंक रखा है. UBS ने इसे थोड़ा कम, 6,400 अंकों तक रखा है और पहले हाफ में मामूली नुकसान की भविष्यवाणी की है, लेकिन जैसे-जैसे आय अनुमान अधिक यथार्थवादी होंगे, दूसरे हाफ में बेहतर परिणाम की उम्मीद है.
यूएस निवेश कंपनी टी रोव प्राइस के पोर्टफोलियो प्रबंधक जस्टिन व्हाइट का कहना है कि बाजारों में कुछ अनिश्चितता बनी हुई है, हालांकि अगस्त में हुई छोटी सी गिरावट के बाद बाजार जल्दी से ठीक हो गए थे. व्हाइट के अनुसार, "यूएस इक्विटी मार्केट में निकट भविष्य में धीरे-धीरे वृद्धि होने की संभावना है." लंदन में भी अगले साल स्टॉक्स में वृद्धि का अनुमान है, लेकिन 2024 की तरह यह वॉल स्ट्रीट की तुलना में धीमी होगी. गोल्डमैन सैक्स का अनुमान है कि FTSE 100 2025 के अंत तक 8,500 अंकों पर पहुंचेगा, जो वर्तमान स्तरों पर लगभग 400 अंकों का इज़ाफ़ा होगा और मई में 8,474 अंकों का रिकॉर्ड उच्चतम स्तर से थोड़ा ऊपर होगा.
गोल्डमैन सैक्स ने यूरोप के बाकी बाजारों को अपेक्षाकृत कमजोर बताया है, जिसमें स्टॉक्स 600 इंडेक्स के लिए "सकारात्मक लेकिन कम" लाभ का अनुमान है. एक डर यह है कि 2025 में ब्याज दरों में कटौती की संभावना उम्मीद से कम हो सकती है, खासकर अगर ट्रम्प की वापसी से व्यापार युद्ध फिर से शुरू होता है. आयातों पर लगाए गए कर मुद्रास्फीति को बढ़ा सकते हैं.
देउत्शे बैंक द्वारा हाल ही में किए गए एक वैश्विक वित्तीय सर्वेक्षण के अनुसार, व्यापार युद्ध को 2025 में बाजार की स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा माना गया है, इसके बाद टेक स्टॉक्स में गिरावट और मुद्रास्फीति का स्थायी बने रहने का डर है.
ब्याज दरों के संदर्भ में, अर्थशास्त्रियों का कहना है कि 2025 में यूएस फेडरल रिजर्व और यूरोपीय सेंट्रल बैंक के बीच नीति में अंतर होगा. दिसंबर में फेड की आखिरी बैठक में फेड ने केवल दो क्वार्टर प्वाइंट की कटौती का अनुमान जताया, जो पहले तीन की उम्मीद की गई थी, जिससे निवेशकों को यूएस ब्याज दरों के बारे में पुनः विचार करना पड़ा. सामान्य रूप से, विश्लेषकों का अनुमान है कि डॉलर मजबूत होगा, जबकि यूरो और स्कैंडिनेवियाई मुद्राएँ कमजोर हो सकती हैं.
कोमोडिटी मार्केट में जेपी मॉर्गन का अनुमान है कि 2025 में तेल की कीमतें गिर सकती हैं, क्योंकि मांग में कमी आने से अधिशेष बढ़ेंगे. गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि लौह अयस्क की कीमतें 2025 में 10% तक गिर सकती हैं. हालांकि, यूबीएस का मानना है कि सोने की कीमतें मजबूत रहेंगी, क्योंकि केंद्रीय बैंकों और खुदरा निवेशकों से मजबूत मांग रहेगी.
अमरीका का आयात शुल्क और भारत
प्रकाश के रे ने सोशल मीडिया पर लिखा है- 'बीते ढाई दशक में भारत और अमेरिका के बीच व्यापार में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है. व्यापार संतुलन भी भारत के पक्ष में है. ऐसे में क्या आयात शुल्क को लेकर भावी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के रवैये का क्या मतलब हो सकता है? ट्रम्प कहते रहे हैं कि वे विभिन्न देशों से होने वाले आयात पर उतना ही शुल्क लगायेंगे, जो शुल्क वे देश अमेरिकी वस्तुओं के आयात पर लगाते हैं. इससे भारत को अधिक चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है. ''मनीकंट्रोल' के विश्लेषण के अनुसार, इससे अमेरिका का कोई विशेष लाभ नहीं होगा क्योंकि केवल चार प्रतिशत अमेरिकी उत्पादों पर ही भारत में 30 प्रतिशत से अधिक आयात शुल्क लगाया जाता है. अमेरिका के 80 प्रतिशत उत्पादों पर शुल्क 20 प्रतिशत से कम है, 63.5 प्रतिशत श्रेणियों में शुल्क 10 प्रतिशत से कम है, 17.9 प्रतिशत उत्पादों पर 10-20 प्रतिशत के बीच शुल्क लगाया जाता है. केवल 20 उत्पादों, जिनमें कार और मोटरसाइकिल शामिल हैं, पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाया जाता है. विश्व बैंक डाटा के हिसाब से केवल अमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहनों पर 125 प्रतिशत शुल्क है. अधिक शुल्क वाले उत्पादों पर अगर शुल्क घटाया जाए और यह मान लिया जाए कि उनकी आपूर्ति में अमेरिका का वर्चस्व रहेगा, तब अमेरिका के निर्यात में केवल पाँच अरब डॉलर की बढ़ोतरी होगी. इन आँकड़ों से स्पष्ट होता है कि शुल्क को लेकर बतोलेबाज़ी होगी, हेडलाइंस बनेंगी और अमेरिका इसकी आड़ में राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश करेगा, व्यापार पर कोई असर नहीं होगा.'
अमेरिकी वित्त मंत्रालय पर चीनी हैकर्स का हमला, महत्वपूर्ण दस्तावेज़ उडाए
'रायटर्स' की खबर के मुताबिक अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने खुलासा किया है कि इस महीने चीनी राज्य-प्रायोजित हैकर्स ने उनके कंप्यूटर सुरक्षा सिस्टम को तोड़कर महत्वपूर्ण दस्तावेज़ चुरा लिए. मंत्रालय ने इसे "बड़ा हमला" करार दिया है. सोमवार को सांसदों को भेजे गए एक पत्र में बताया गया कि हैकर्स ने थर्ड-पार्टी साइबर सुरक्षा सेवा प्रदाता बियोंड ट्रस्ट Beyond Trust की सुरक्षा में सेंध लगाकर असंवेदनशील दस्तावेज़ों तक पहुंच बनाई. हालांकि, चीन ने सभी प्रकार के साइबर हमलों का विरोध जताते हुए खुद पर लगे आरोपों को नकारा है. चीनी अधिकारियों का कहना है कि वे हैकिंग गतिविधियों के खिलाफ हैं और उनका इससे कोई संबंध नहीं है.
चलते-चलते: ख़ून ज़्यादा उतर रहा है फिल्मों की भाषा में
'द टेलीग्राफ' के लिए जी.एस. मुदुर की रिपोर्ट है कि एक शोध में 160,000 से अधिक अंग्रेजी फिल्मों का विश्लेषण किया गया है, जिससे यह पता चला है कि पिछले पांच दशकों में हिंसा का एक बढ़ता हुआ ट्रेंड है, जिसे संवादों में "मार डालना" या "हत्या" जैसे क्रियाओं के माध्यम से मापा गया. 1970 के दशक के प्रारंभ में इन क्रियाओं का उपयोग कुल संवादों में 0.21 प्रतिशत था, जो 2020 में बढ़कर 0.37 प्रतिशत हो गया है, जैसा कि शोधकर्ताओं ने सोमवार को प्रकाशित अध्ययन में कहा. इस अध्ययन में 166,534 फिल्मों के संवादों का विश्लेषण किया गया, जिसमें से 6.97 प्रतिशत फिल्मों में "मार डालना" या "हत्या" जैसे शब्दों का प्रयोग हुआ, खासकर उन वाक्यों में जैसे "उसने मार डाला" या "उसने हत्या की".
परिणाम बताते हैं कि हत्या पर बात करने वाली भाषाएं समय के साथ बढ़ी हैं, यहां तक कि गैर-क्राइम फिल्मों में भी, और यह चरित्र के लिंग से भी स्वतंत्र है. इस अध्ययन को जामा पेडियाट्रिक्स नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित किया गया है. ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के संचार के प्रोफेसर ब्रैड बुशमैन, जिन्होंने इस अध्ययन का नेतृत्व किया, ने द टेलीग्राफ को बताया, "लोगों को पिछले 50 वर्षों में ज्यादा हिंसा का सामना करना पड़ रहा है." शोधकर्ताओं ने फिल्मों से हिंसा से संबंधित विशेष उदाहरणों का हवाला नहीं दिया, लेकिन चिकित्सा और वैज्ञानिक संगठनों ने वर्षों से फिल्मों में हिंसा की प्रस्तुति के बारे में चेतावनी दी है, क्योंकि पर्याप्त साक्ष्य हैं कि मूवी हिंसा आक्रामक व्यवहार और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकती है, चाहे वह वयस्कों का हो या बच्चों का. "जब लोग ज्यादा हिंसा का सामना करते हैं, तो वे इसे 'कोई बड़ी बात नहीं' समझने लगते हैं, लेकिन हिंसा के प्रति यह संवेदनशीलता न होने से हिंसा बढ़ सकती है. यह आक्रामकता को बढ़ा सकता है और लोगों को हिंसा के प्रति संवेदनहीन बना सकता है," बुशमैन ने कहा, जो इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर रिसर्च ऑन एग्रेशन के कार्यकारी सचिव भी हैं.
अब तक के किसी भी अध्ययन में इतनी बड़ी संख्या में फिल्मों का विश्लेषण नहीं किया गया था. 2013 के एक अध्ययन में पाया गया था कि 1950 के बाद से सभी फिल्मों में गन हिंसा का चित्रण दोगुना हो गया था और PG13-रेटेड फिल्मों में यह 1985 के बाद तीन गुना बढ़ा था, लेकिन अब तक सबसे बड़े स्क्रिप्ट डेटासेट ने केवल 2,000 फिल्मों का विश्लेषण किया था. शोध के मुख्य लेखक बाबक फतोही, जो यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के कॉलेज ऑफ इंफॉर्मेशन में सहायक शोध प्रोफेसर हैं, ने कहा कि परिणाम यह भी बताते हैं कि फिल्मों में हत्या और मारने के संदर्भ वास्तविक जीवन की तुलना में कहीं अधिक होते हैं. फतोही ने कहा, "फिल्म संवादों में इन शब्दों की आवृत्ति लगभग 10 गुना अधिक है, जो सामान्य अंग्रेजी में होती है." महिलाओं के पात्रों के पास हिंसक संवाद कम होते थे, लेकिन समय के साथ इनमें भी वृद्धि देखी गई है. शोधकर्ताओं का मानना है कि फिल्मों में वास्तविक हिंसा का स्तर 6.97 प्रतिशत से अधिक हो सकता है. "यह देखकर चौंकाने वाला था कि गैर-अपराध फिल्मों में भी हिंसक शब्दों का प्रयोग काफी बढ़ा है," बुशमैन ने कहा. "आजकल, गैर-अपराध फिल्मों में पात्र हत्या और मारने के बारे में पहले से ज्यादा बात कर रहे हैं."
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