02 जनवरी 2025: किसान मामले में केंद्र सुप्रीम कोर्ट की बात मानेगा, मणिपुर में 187 हिंसक घटनाएं, अडानी ने कंपनी बेची, नीतीश की पलटी का मुहूर्त करीब, भारतीय क्रिकेट में गज-बज, चीन के जंगी जहाज़ से सनसनी
हिंदी भाषियों का क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज्यादा
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
जगजीत सिंह धालेवाल की भूख हड़ताल के 37वें दिन केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि किसानों की मांगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट जो कहेगा, सरकार मान लेगी. कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने पत्रकारों से कहा सुप्रीम कोर्ट पहले से ही इस मामले को देख रहा है. इस बीच 13 फरवरी 2024 से आंदोलनरत किसान और खेत मजदूर संगठनों ने कहा है कि जब तक उनकी मांग स्वीकार नहीं की जाएगी, वे पीछे नहीं हटने वाले. किसान एमएसपी की कानूनी गारंटी और कर्ज माफी की मांग कर रहे हैं.
मणिपुर हिंसा की रिपोर्ट: गृह मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में मणिपुर में 187 हिंसक घटनाएं दर्ज की गईं, जो पूर्वोत्तर में ऐसी 243 घटनाओं का 77% थीं, विजेता सिंह की रिपोर्ट है. मंत्रालय की गणना के अनुसार, इन घटनाओं में 35 नागरिकों और सात सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई, लेकिन जनवरी 2024 की समाचार रिपोर्टों ने राज्य में जातीय हिंसा से मरने वालों की संख्या 200 से अधिक बताई है.
सुरक्षा बलों के साथ झड़प में 20 कुकी महिलाएं घायल : मणिपुर के कांगपोकपी जिले के कुकियों के गांव सैबोल में मंगलवार को केंद्रीय सुरक्षा बलों के साथ यहां की महिलाएं भिड़ गईं. वह क्षेत्र में सुरक्षा बलों की तैनाती का विरोध कर रही थीं, जहां हाल ही में गोलीबारी हुई थी. इस झड़प में 20 प्रदर्शनकारी महिला घायल हो गईं. सशस्त्र बलों की इस कार्रवाई का दिल्ली से लेकर पूर्वोत्तर तक विरोध हो रहा है. कुकी-ज़ो महिला मंच, दिल्ली और एनसीआर ने सैबोल में कुकी-ज़ो महिलाओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए केंद्रीय सशस्त्र बलों की आलोचना की और केंद्र से हस्तक्षेप की मांग की. कुकी की शीर्ष संस्था कुकी इनपी मणिपुर (केआईएम) ने भी बयान जारी कर सैबोल की महिलाओं पर सुरक्षा बलों के हमले की निंदा की. इस बीच, आदिवासी एकता समिति (सीओटीयू) ने धमकी दी है कि अगर केंद्रीय सुरक्षा बलों को क्षेत्र से नहीं हटाया गया तो एनएच-2 (इंफाल-दीमापुर) पर अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी शुरू की जाएगी.
20 हजार करोड़ में गौतम अडानी ने कंपनी बेची
गौतम अडानी अब खरीदने के बजाय अपनी कंपनियों में हिस्सेदारी बेच रहे हैं. गौतम अडानी ने सिंगापुर के अपने पार्टनर को अडानी विल्मर में अपनी पूरी हिस्सेदारी 20,000 करोड़ ($2 बिलियन) में बेच दी है. बाजार में इन घटनाओं का कंपनी के शेयर मूल्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. अडानी विल्मर के शेयर 6.45% गिरकर ₹308.25 प्रति पर बंद हुए. दिन के दौरान यह अधिकतम 7.95% गिरकर ₹303.30 तक पहुंच गया. इस गिरावट के पीछे गौतम अडानी के समूह द्वारा इस FMCG संयुक्त उद्यम से बाहर निकलने की घोषणा है.
इसके अलावा अडानी ग्रीन एनर्जी में भी नेतृत्व परिवर्तन हो रहा है. अडानी ग्रीन एनर्जी (AGEL) के सीईओ अमित सिंह ने 31 मार्च 2025 से प्रभावी रूप से अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की है. उनकी जगह अशिष खन्ना को सीईओ नियुक्त किया गया है, जो वर्तमान में समूह के अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा व्यवसाय का नेतृत्व कर रहे हैं. इस घोषणा के बाद AGEL के शेयरों में 3.44% की गिरावट दर्ज की गई और यह ₹1,041 पर बंद हुए.
दोनों ही समूह की रणनीतिक योजनाओं में बदलाव का इशारा कर रही हैं. समूह इस वक्त अमरीकियों के चलते संकट में घिरा हुआ है और कई आरोपों का सामना करना पड़ रहा है. पिछले कुछ समय में ही अडानी समूह के हाथ से कई महत्वपूर्ण सौदे फिसले हैं और भारत के कई राज्यों में स्मार्ट मीटर परियोजना के लिए हासिल टेंडर भी विरोध ही झेल रहे हैं. कुल मिलाकर समूह ने जितनी तेजी से माल बटोरा था, अब संकट भी उतनी ही तेजी से आए हैं. समूह की फंडिंग भी कई प्रोजेक्ट पर अटकी है, ऐसे में कंपनी बेचने का फैसला अटके हुए प्रोजेक्ट्स को पूरा कर बाजार में साख बचाने की कवायद मानी जा रही है.
और इधर तमिलनाडु सरकार ने राज्य में स्मार्ट मीटर स्थापित करने के लिए अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस लिमिटेड (AESL) को दिया गया टेंडर रद्द कर दिया है. यह निर्णय राज्य सरकार द्वारा "उच्च लागत" का हवाला देते हुए लिया गया, हालांकि AESL ने सभी चार पैकेजों के लिए सबसे कम बोली प्रस्तुत की थी. ये बोली कैसे हुई और टेंडर कैसे अडानी की कंपनी को मिले, इसकी कहानी भी छिपी नहीं है. तमिलनाडु पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन ने अगस्त 2023 में जारी स्मार्ट मीटर परियोजना के सभी चार टेंडरों को रद्द कर दिया है.
यूक्रेन ने रोकी रूसी गैस सप्लाई, यूरोप में संकट
यूक्रेन ने 1 जनवरी 2025 से अपने क्षेत्र के माध्यम से यूरोप को रूसी गैस की सप्लाई को रोक दिया है, क्योंकि 2019 में हस्ताक्षरित पांच वर्षीय पारगमन समझौता समाप्त हो गया है. यूक्रेन के ऊर्जा मंत्री जर्मन गालुशचेंको ने इस निर्णय को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक बताया और कहा कि इससे रूस को आर्थिक नुकसान होगा. यूरोपीय संघ ने रूसी गैस पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए वैकल्पिक आपूर्ति स्रोतों की व्यवस्था की है, जिससे उपभोक्ताओं पर इस निर्णय का सीमित प्रभाव होने की उम्मीद है. हालांकि, हंगरी, स्लोवाकिया और मोल्दोवा जैसे देशों में ऊर्जा आपूर्ति पर इसका प्रभाव पड़ सकता है, जो अब वैकल्पिक और संभवतः महंगे स्रोतों पर निर्भर होंगे.
क्या नीतीश ‘दक्षिणायन’ से ‘उत्तरायण’ होने वाले हैं?
राजेश चतुर्वेदी
राज्य विधानसभा के चुनावों के पहले बिहार में क्या फिर नई पटकथा लिखी जा रही है? मकर संक्रांति, जिस दिन ग्रहों के राजा सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे, उसके बाद बड़ा खेला हो सकता है. अटकलें हैं कि बिहार की सियासत के “सूर्य” नीतीश कुमार “दक्षिणायन” से “उत्तरायण” हो सकते हैं! दरअसल, बीते दो हफ्तों के घटनाक्रम पर नीतीश का मौन राजनीतिक जानकारों को अटकलें लगाने के लिए विवश कर रहा है. उनका मानना है कि नीतीश अपनी चुप्पी को अब तक किसी बड़े फैसले के रूप में ही तोड़ते रहे हैं. जब-जब उन्होंने पलटी मारी है, ऐसा ही किया है. याद करें, जनवरी 2024 में किस तरह महागठबंधन छोड़कर वह एनडीए में लौट गए थे. जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने नीतीश के लिए भाजपा के दरवाजे हमेशा के लिए बंद कर दिए थे, लेकिन वक्त की चाभी से फिर खुल गए और जेडीयू के सिर्फ 43 विधायकों के बावजूद भाजपा ने उनकी कुर्सी बरकरार रखी. शाह की तरह दो दिन पहले नीतीश कुमार के लिए यही बात पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कही है. ठीक वैसे ही जैसे तेजस्वी ने 2018 में कहा था कि जदयू के लिए महागठबंधन के दरवाजे सदा के लिए बंद हैं. लेकिन महागठबंधन ने नीतीश को फिर सहर्ष स्वीकार किया और उनके नेतृत्व में जनवरी 2024 तक सरकार भी चलाई. कुलमिलाकर, नीतीश कुमार के मामले में बंद दरवाजों का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि उनके लिए दोनों तरफ के दरवाजे खुलते रहे हैं. या फिर नीतीश के पास ऐसी कोई “मास्टर की” है, जिससे वह सही मौके पर बंद दरवाजों को खोलने में माहिर हैं.
असल में, जदयू को लग रहा है कि भाजपा ने जिस तरह महाराष्ट्र में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री नहीं बनाया, वैसा ही वह चुनाव बाद बिहार में नीतीश के साथ कर सकती है. इस बीच भाजपा नेताओं के विरोधाभासी बयानों ने जदयू की आशंका को बढ़ाया है. दिलचस्प है कि 2023 में नीतीश के लिए दरवाजे बंद करने वाले अमित शाह का कथन ही इस बार भी आशंकाओं को जन्म देने की वजह बना है. शाह ने टीवी चैनल “आज तक” के कार्यक्रम में कह दिया कि बिहार के मुख्यमंत्री का फैसला दोनों दलों की बैठक में होगा. इसके बाद से ही कहा जाने लगा कि भाजपा बिहार में भी महाराष्ट्र की कहानी दोहराएगी.
महाराष्ट्र में उसने अधिक सीटें जीतने के कारण अपने देवेन्द्र फड़णवीस को मुख्यमंत्री बना दिया, जबकि चुनाव बतौर सीएम एकनाथ शिंदे के चेहरे पर लड़ा गया था. भले ही अतीत में भाजपा ने नीतीश के साथ ऐसा न किया हो, पर इस बार शाह के बयान से जदयू खेमे में खुटका पैदा हो गया है.
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से भी शाह के कथन पर कोई स्पष्टीकरण सामने नहीं आया है. भले ही भाजपा का प्रदेश नेतृत्व नीतीश कुमार की अगुआई में ही चुनाव लड़ने की बात कह रहा हो, पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज किशोर का नीतीश कुमार को भारत रत्न देने की मांग करना भी जदयू को परेशान कर रहा है. माना जा रहा है कि भाजपा परोक्ष रूप से नीतीश को रिटायर करने का संकेत दे रही है. वह सीधे तौर पर न कहकर अपने ही लोगों से कहलवाकर स्थिति का जायजा ले रही है.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जदयू को अपने आधार की चिंता भी सता रही है. वह अपने वजूद की कीमत पर भाजपा के साथ आगे कितना चल पाएगी, यह देखकर ही नीतीश कदम बढ़ाएंगे. क्योंकि ललन सिंह और संजय झा जैसे नेताओं का भाजपा की तरफ झुकाव बताया जा रहा है. नीतीश इस सब पर अब तक मौन साधे हुए हैं और उनकी अमित शाह या तेजस्वी, किसी की बात पर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. बल्कि गए सोमवार को वह दिल्ली प्रवास के दौरान भाजपा के किसी नेता से नहीं मिले और अपना मेडिकल चेकअप व पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के घर शोक संवेदना प्रकट कर वापस पटना लौट गए थे.
एयरपोर्ट तो बन गये, उड़ानें कब आएंगी
सरकार ने 2047 तक भारत में हवाई अड्डों की संख्या 157 से बढ़ाकर 350 करने का लक्ष्य रखा है। अलवर (राजस्थान), सिंगरौली (मध्य प्रदेश), और परंदूर (तमिलनाडु) जैसे नौ नए ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों के लिए स्थान मंजूर कर दिए गए हैं. सरकार ने जितने जोश से हवाई अड्डे बनाए, उड़ानें उस अनुपात में नहीं आ पा रहीं. और फिर एयर लाइन कंपनियों के लिए भी यह फायदे का सौदा नही हैं. फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार स्पाइसजेट और एलायंस एयर जैसी एयरलाइंस ने क्षेत्रीय संपर्क योजना (RCS) ‘उड़े देश का आम नागरिक’ (उड़ान) के तहत शुरू किए गए कई मार्गों पर सेवाएं बंद कर दी हैं. छोटे शहरों में नए हवाई अड्डे बनाने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना कई कठिनाइयों का सामना कर रही है. कई हवाई अड्डे, जिनमें भारी निवेश किया गया है, यात्री ट्रैफिक की कमी के कारण निष्क्रिय पड़े हुए हैं. उत्तर प्रदेश के कुशीनगर और महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जैसे नए हवाई अड्डे इस समस्या के ताजा उदाहरण हैं, जहां एयरलाइंस ने कम मांग के चलते अपनी सेवाएं बंद कर दी हैं. कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा का अक्टूबर 2021 में उद्घाटन किया गया. यह हवाई अड्डा अप्रैल 2023 से बिना किसी उड़ान के वीरान पड़ा हुआ है. इसे पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार को जोड़ने और बौद्ध तीर्थयात्रियों को आकर्षित करने के लिए बनाया गया था, लेकिन अब यह लगभग खाली पड़ा है.
पुडुचेरी हवाई अड्डे पर इस साल लगातार आठ महीनों तक कोई निर्धारित उड़ान नहीं हुई. दिसंबर 20 को बेंगलुरु से इंडिगो की एक 78 सीटर जहाज ने यहां लैंड किया, जिससे पसरा लंबा सन्नाटा खत्म हो सका. ये इतनी बड़ी बात हुई कि इस मौके पर पानी की तोपों से फ्लाइट का स्वागत तक किया गया. इसके पीछे यात्री टिकिट के दामों में बढ़ोत्तरी भी बड़ी वजह बनी है, जिससे आम आदमी इससे बच रहा है. कोविड-19 महामारी के प्रभाव, एयरक्राफ्ट इंजन की वैश्विक समस्याएं, और कुछ एयरलाइंस का बंद होना भी एक वजह है. कुर्नूल (आंध्र प्रदेश), पाकयोंग (सिक्किम), सिंधुदुर्ग और सोलापुर जैसे नए हवाई अड्डे भी निष्क्रिय पड़े हैं. सोलापुर हवाई अड्डा, जिसे ₹65 करोड़ की लागत से पुनर्निर्मित किया गया, अब भी उपयोग में नहीं है.
चीन का नया जंगी जहाज और भारत में चिंता
पिछले सप्ताह चीन के सिचुआन प्रांत के चेंगदू के ऊपर एक त्रिकोणीय आकार का रहस्यमय विमान देखा गया था, जिसके बाद सैन्य मीडिया ने इसके नए प्रकार के युद्धक विमान होने के संकेत दिए. चीन के नए जंगी जहाज से भारत में नोटिस लिया जा रहा है. इसे छठी पीढ़ी का मॉडल माना जा रहा है. भारत में सवाल उठ रहे है कि बढ़ती "रणनीतिक खाई" के बीच सबसे अच्छा जवाब कैसे दिया जाए. इकोनॉमिक टाइम्स ने कहा कि इस विमान की क्षमताओं का अर्थ हवाई वर्चस्व में एक बड़ा बदलाव हो सकता है, जो वैश्विक सैन्य शक्तियों, विशेष रूप से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संभावित खतरा पैदा कर सकता है.
इंडिया टुडे के एक वरिष्ठ संपादक प्रदीप आर. सागर के अनुसार, यह एक "बड़ी छलांग" का संकेत है और भारत पर अपनी सेना को आधुनिक बनाने का दबाव बढ़ाता है. उन्होंने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पहले से ही तनाव अधिक होने के कारण, यह जेट दोनों देशों के बीच रणनीतिक अंतर को बढ़ा सकता है. भारत अपने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान, उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) को विकसित करने पर काम कर रहा है, जबकि अमेरिका ने छठी पीढ़ी के प्रोटोटाइप का परीक्षण किया है.
इस कथित चीनी जेट के सटीक स्पेसिफिकेशंस अभी भी स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन रक्षा पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह बिना टैंकर सपोर्ट के लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम होगा और यह चीन के किसी भी अन्य मानव-युक्त विमान की तुलना में खतरों के करीब रहने में सक्षम होगा. चीनी सेना ने अभी तक विमान के विवरण की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है. दक्षिण कोरिया, जापान और फिलीपींस जैसे पड़ोसी देशों में प्रतिक्रिया मौन रही है. आप यहां इसका वीडियो भी देख सकते हैं.
दिल्ली : पुजारियों ने किया विरोध प्रदर्शन
पुजारियों के एक समूह ने मंगलवार को कनॉट प्लेस में प्राचीन हनुमान मंदिर के बाहर विरोध प्रदर्शन इस मांग को लेकर किया कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले 10 सालों में सरकारी योजनाओं के तहत उन्हें कोई वित्तीय सहायता क्यों नहीं दी.
केजरीवाल ने इससे पहले सोमवार को घोषणा की थी कि सभी हिंदू मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को ‘पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना’ के तहत 18,000 रुपये मासिक मानदेय दी जाएगी.
इस बीच, भाजपा नेता विजय गोयल ने कहा,‘ अरविंद केजरीवाल खराब पेयजल, दिल्ली में प्रदूषण, भ्रष्टाचार, पानी, बिजली की समस्या और खराब सड़कों की स्थिति पर चुनाव क्यों नहीं लड़ रहे हैं?
निमिषा प्रिया फांसी मामला : पति ने कहा, सरकार ने उनसे संपर्क नहीं किया
केरल की नर्स निमिषा प्रिया ने यमनी नागरिक तलाल अब्दु महादी की हत्या का दोषी पाया गया था और वहां की अदालत ने उन्हें मौत की सज़ा सुनाई थी. यमन के राष्ट्रपति रशद अल अलीमी ने सोमवार को उसकी मौत की सजा को बरकरार रखा. निमिषा के पति टॉमी थॉमस ने कहा कि राज्य या केंद्र सरकार के किसी भी अधिकारी ने इस मामले में उनसे अब तक संपर्क नहीं किया है. अब समय आ गया है कि सरकार हस्तक्षेप करे और मृतक यमनी नागरिक के परिवार से मिले. सजा पर अमल होने में सिर्फ एक महीना बचा है. यमन कानून के मुताबिक जिसकी हत्या की गई है, उसे ‘ब्लड मनी’ टॉमी थॉमस ने कहा, ‘अब सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए, तलाल के परिवार से मिलना चाहिए, और उन्हें 'ब्लड मनी' स्वीकार करने के लिए राजी करना चाहिए’. वहीं विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि सरकार निमिषा प्रिया के परिवार को हर संभव मदद दे रही है.
मस्क की भूमिका को लेकर चिंता
येल यूनिवर्सिटी के इतिहासकार और बेस्टसेलिंग लेखक, टिमोथी स्नाइडर ने राष्ट्रपति-चुनावित डोनाल्ड ट्रम्प पर इलोन मस्क के प्रभाव को लेकर चिंता जताई है. स्नाइडर ने कहा- 'ट्रम्प हमेशा धनवान होने का दिखावा करते हैं, लेकिन उनके पास वास्तव में पैसे नहीं हैं. इसके विपरीत, मस्क के पास अपार धन है और वे ट्रम्प की कई जरूरतों को पूरा कर रहे हैं.' मस्क, जो टेस्ला, स्पेसएक्स और एक्स (पूर्व में ट्विटर) जैसे बड़े व्यवसायों के मालिक हैं, ने ट्रम्प के प्रचार अभियान में महत्वपूर्ण वित्तीय योगदान दिया है. ट्रम्प ने ओहायो के सीनेटर जेडी वेंस को उपराष्ट्रपति के रूप में नामित करने में भी मस्क की भूमिका को महत्व दिया. ऐसे में अमरीकियों के सामने सत्ता और व्यापारी के गठजोड़ का यह नया संकट खड़ा हो गया है.
स्नाइडर ने ट्रम्प की रूस के प्रति नीति को लेकर भी चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि ट्रम्प की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रति झुकाव वाली नीति अमेरिका के लिए खतरनाक हो सकती है. ट्रम्प की पिछली सरकार में रूस से संबंधों की जांच की गई थी, और यह विवाद फिर से उभरने की संभावना है. स्नाइडर का मानना है कि ट्रम्प का मस्क पर बढ़ती निर्भरता उन्हें 'सहज लेकिन खतरनाक' स्थिति में डाल सकती है. उन्होंने कहा, 'अगर ट्रम्प ने अभी इस संबंध को नहीं तोड़ा, तो वे पूरी अवधि के लिए मस्क पर निर्भर हो जाएंगे.' स्नाइडर ने आने वाली सरकार की स्थिति को दर्शाने के लिए एक नया शब्द गढ़ा, "ट्रम्पोमस्कोविया." उन्होंने इसे 1990 के दशक के रूस से तुलना की, जब बुजुर्ग और कमजोर राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन युवा और प्रभावशाली कुलीन वर्गों से घिरे हुए थे.
भारतीय ग्रैंडमास्टर आर वैशाली ने विश्व ब्लिट्ज चैंपियनशिप के महिला वर्ग में कांस्य पदक पर कब्जा जमाया. इसी टूर्नामेंट में रैपिड इवेंट में कोनेरू हम्पी ने खिताब पर कब्जा जमाया है. वैशाली सेमीफाइनल में चीनी प्रतिद्वंद्वी जू वेनजुन से 0.5-2.5 से हार गई थीं.
वहीं ब्लिट्ज इवेंट के 'ओपन' वर्ग में, दुनिया के नंबर एक मैग्नस कार्लसन और रूस के इयान नेपोमनियाचची ने ब्लिट्ज़ खिताब साझा किया, क्योंकि तीन सडन-डेथ गेम के बाद भी नतीजा नहीं निकला.
क्रिकेट : कुछ बहुत तेज़ी से सड़ रहा है टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम में
मज़्कूर आलम
2007 टी-20 विश्वकप और 2011 एकदिवसीय क्रिकेट विश्वकप जीतने वाली टीम के अहम सदस्य रहे गौतम गंभीर की छवि हमेशा से तुनक मिजाजी और बड़बोलेपन की रही है. यही वजह है कि हैं इन दोनों खिताब जीतने वाले कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पर वह हमेशा निशाना साधते रहे हैं. उनके उन निशानों को गौर करेंगे तो पाएंगे कि वह मानते हैं कि इन जीतों में उनकी भूमिका को कम कर आंका गया है. उन्हें जितना श्रेय मिलना चाहिए था, नहीं मिला है.
इसके अलावा टीम के सबसे वरिष्ठ और स्टार सदस्य विराट कोहली से उनके तनावपूर्ण संबंध जगजाहिर है. टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया से पांच टेस्ट मैच की सीरीज में 2-1 से पीछे है और इसी के साथ करीब-करीब विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुंचने से बाहर हो चुकी है. टेक्निकली अब भी वह होड़ में है. मगर यह दूर की कौड़ी है.
गंभीर से पहले तक जीत के रथ पर सवार था भारत
जुलाई 2024 में गंभीर ने टीम की कमान संभाली. उससे ठीक पहले इंडिया टी-20 विश्व कप जीतकर लौटी थी और 2023 में वनडे विश्व कप और विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप का फाइनल खेली थी. इतना ही नहीं, टेस्ट में लगातार जीत के कारण भारतीय टीम आराम से तीसरी बार विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में जाती दिख रही थी. अगर भारत इस बार विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में नहीं पहुंचा तो ऐसा पहली बार होगा.
ड्रेसिंग रूम में तनाव
टीम इंडिया राहुल द्रविड़ के कोच पद से हटने से पहले तक इतनी कमजोर नहीं दिख रही थी. मगर अचानक वही टीम गंभीर के कोच बनते ही हार के रथ पर सवार हो गई. अब तो ड्रेसिंग रूम से भी फूट की खबरें बाहर आने लगी हैं.
सीरीज के बीच से महानतम ऑफ स्पिनरों में से एक आर अश्विन संन्यास की घोषणा कर देते हैं और टीम छोड़कर भारत वापस आ जाते हैं. अश्विन ने हालांकि संन्यास के बाद भी विवाद को हवा नहीं दी, मगर उनके पिता का ये कहना कि टीम में अश्विन का 'अपमान' किया जा रहा था, यह बताने के लिए काफी है कि सब कुछ सही नहीं है.
राहुल द्रविड़ और रवि शास्त्री के कार्यकाल में खिलाड़ियों से संवाद हुआ करता था और योजना बनाने और उसे अमल करने पर आम सहमति होती थी. मगर अब फैसले केंद्रीकृत तरीके से हो रहे हैं. टीम के अधिकतर खिलाड़ियों के साथ गंभीर एकमत नहीं हैं. दूसरी तरफ रोहित शर्मा पर भी सवाल उठ रहे हैं. भारतीय कप्तान ने चयन के मुद्दे पर बात करते हुए कहा था कि वह खिलाड़ियों से व्यक्तिगत रूप से बात करते हैं, लेकिन गंभीर के कार्यभार संभालने के बाद रोहित ने कुछ वरिष्ठ खिलाड़ियों को नहीं बताया कि उन्हें टीम से बाहर क्यों रखा जा रहा है.
ड्रेसिंग रूम अभी दो धड़ों में भले ही ना बंटा हों, लेकिन माहौल में तनाव नजर आने लगा है. यह भी कहा जाने लगा है कि जब गंभीर ने पहले टेस्ट के लिए हर्षित राणा और वाशिंगटन सुंदर को प्लेइंग 11 में शामिल किया था तो यह सर्वसम्मति से लिया गया फैसला नहीं था. इसके अलावा पिंक-बॉल टेस्ट के लिए आकाशदीप को बाहर रखे जाने पर भी आम सहमति नहीं थी. जबकि उन परिस्थितियों के लिए आकाश हर्षित से ज्यादा सूटेबल थे. इसके अलावा हर्षित की फिटनेस भी सवाल उठते रहे हैं.
गुस्से में हैं गंभीर
वहीं मेलबर्न टेस्ट हारने के बाद कोच गौतम गंभीर गुस्से में हैं. ड्रेसिंग रूम में बिना किसी खिलाड़ी का नाम लिए उन्होंने कहा- 'बहुत हो गया'. कुछ खिलाड़ी गेम की सिचुएशन के हिसाब से खेलने के बजाए, 'नेचुरल गेम' के नाम पर मनमानी कर रहे हैं. पिछले छह महीनों में खिलाड़ियों मर्जी से खेलने दिया गया. लेकिन अब वे तय करेंगे कि टीम कैसे खेलेगी. खिलाड़ियों को निर्देशों का पालन करना होगा. अब जो खिलाड़ी उनकी प्लॉनिंग के हिसाब से नहीं खेलेंगे, उन्हें 'थैंक यू' बोल दिया जाएगा.
पुजारा की मांग
एक खबर और सामने आई है कि गंभीर बार-बार 100 टेस्ट का अनुभव रखने वाले चेतेश्वर पुजारा की मांग कर रहे हैं, लेकिन चयनकर्ताओं ने उनकी बात अनसुनी कर दी. मगर टीम देखकर लगता है कि गंभीर को पसंद की टीम मिली थी. इस टीम में नीतीश रेड्डी, हर्षित राणा और वाशिंगटन सुंदर का होना ही यह बताता है. अब अगर पूरी स्क्वायड का चयन ही कोच करेगा तो फिर चयनकर्ता क्या करेंगे?
सपोर्ट स्टाफ पर उठते रहे हैं सवाल
इस दौरे पर मौजूद लोगों में इस बात को लेकर भी चर्चा है कि गंभीर ने जिस सपोर्ट स्टाफ को चुना है, उसमें किसकी क्या भूमिका है, यह स्पष्ट नहीं है. महानतम सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने सार्वजनिक तौर पर इस पर सवाल उठाया था- ‘बल्लेबाजी के लिए... टीम में अभिषेक नायर की क्या भूमिका है? क्या वह बल्लेबाजी कोच हैं या सहायक कोच? गंभीर ने बहुत ज्यादा रन बनाए हैं, इसलिए यदि वह आगे आकर खिलाड़ियों को बल्लेबाजी में मदद कर सकें तो हम शायद बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं’.
कोच के रूप में गंभीर नहीं थे पहली पसंद'
खबरें सिर्फ ड्रेसिंग रूम से ही लीक नहीं हो रही हैं. बीसीसीआई के अंदरखाने से भी हो रही हैं. एक बीसीसीआई अधिकारी ने बताया कि गंभीर कोच पद के लिए पहली पसंद नहीं थे. उनकी जगह वीवीएस लक्ष्मण को सौंपनी थी. उन्होंने मना कर दिया तो कुछ जाने-माने विदेशी कोच तीनों प्रारूप में टीम इंडिया का कोच नहीं बनना चाहते थेद्य. इसलिए गंभीर समझौता के नतीजा थे. कुछ अन्य मजबूरियां भी थीं. अब उन्हें चैम्पियंस ट्रॉफी तक का समय दिया जाएगा. अगर वह तब तक टीम का प्रदर्शन नहीं सुधार पाए तो कुछ चौंकाने वाले फैसले लिए जा सकते हैं.
गंभीर की कोचिंग रिकॉर्ड
• न्यूजीलैंड ने भारत को तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में 3-0 से हराया था. कीवी ने 36 साल बाद भारत में पहला टेस्ट भी जीता.
• भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज से पहले पिछले 12 सालों में कोई टेस्ट सीरीज नहीं गंवाई थी.
• 27 साल बाद श्रीलंका के खिलाफ श्रीलंका में वनडे सीरीज गंवाई.
• 13 साल बाद मेलबर्न में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट हार गए.
जुलाई 2024 में गौतम गंभीर को भारतीय टीम का मुख्य कोच बनाया गया था. इसके बाद से टीम इंडिया ने नौ टेस्ट मैच खेले, जिसमें भारत ने पांच मैच गंवाए और तीन में जीत दर्ज की. इनमें से दो बांग्लादेश जैसी कमजोर टीम के खिलाफ आई है. एक मुकाबला ड्रॉ रहा है.
चयनकर्ता ले सकते हैं बड़े फैसले
इस बीच अंदरखाने से कुछ ऐसा भी सुनने को मिल रहा है कि रोहित शर्मा से इस सीरीज के बाद जबरन संन्यास की घोषणा करवाई जा सकती है. बहाना इस सीरीज में रोहित की खराब बल्लेबाजी औसत बन सकता है. उन्होंने पिछली चार इनिंग्स में मात्र 22 रन बनाए हैं. पीटीआई के हवाले से खबर ह्रै कि चीफ सेलेक्टर अजीत अगरकर मेलबर्न में ही हैं. रोहित की खराब फॉर्म को लेकर दोनों के बीच चर्चा हो सकती है. रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि अगर इंडियन टीम विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल के लिए क्वालिफाई नहीं करती तो रोहित कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं.
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