02/03/2025: बात पुतिन की आवाज़ ट्रम्प की, यूरोप और आज़ाद लोकतंत्र से दूर होता अमेरिका, बलात्कार पीड़िता मां से मिलने का मुरमु के पास समय नहीं, कैम्पस में कम हो पाएगा जाति भेदभाव, मस्क का स्कैम कनेक्शन
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज 2 मार्च की सुर्खियां
छात्र आत्महत्याओं पर याचिका : यूजीसी का कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में जाति भेदभाव को रोकने के लिए कदम
शेहला रशीद के खिलाफ देशद्रोह का मामला वापस लेने की अनुमति
सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, राज्य सरकारों को जीआरएपी प्रतिबंध से प्रभावित मजदूरों को देना ही होगा मुआवजा
यूएसएड के कारण भारत के प्रथम तीन ट्रांसजेंडर क्लीनिक बंद
सुप्रीम कोर्ट ने जल महल झील को नष्ट करने के लिए जयपुर नगर निगम को लगाई फटकार
बारिश, बर्फबारी और हिमस्खलन : चमोली में 4 मौत, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर ठप
मार्केट में संभलकर खाएं इडली, हो सकते है कैंसर पैदा करने वाले तत्व
गृह मंत्री का निर्देश, 8 मार्च से मणिपुर में सुनिश्चित हो मुक्त आवाजाही
औपनिवेशिक कानून की वापसी, मध्यप्रदेश सरकार जनजातियों को निगरानी में रखना चाहती है
म्यांमार के साइबर स्कैम परिसरों में इंटरनेट मस्क का, सारे फ्रॉड स्टारलिंक के जरिए
एक बैठक के बाद से ट्रम्प का अमेरिका अपने साथी देशों को छोड़ पुतिन के करीब होता हुआ
शुक्रवार को डोनाल्ड ट्रम्प और वोलोडिमिर जेलेंस्की की लाइव टीवी पर हुई सनसनीखेज झड़प के बाद, खासतौर पर पश्चिमी दुनिया सन्न रह गई है. इसे सोचने, सोखने, समझने में शायद अभी वक़्त लगेगा. “हरकारा” ने कल ट्रम्प और जेडी वेंस की धौंसपट्टी पर आपको बताया था. पर पिछले चौबीस घंटों में उसके बारे में प्रतिक्रिया आती रही है. ट्रम्प और मागा समर्थक जहां उनकी तारीफ कर रहे हैं, वहीं लगभग समूचा यूरोप जेलेंस्की के साथ खड़ा है. लोकतंत्र और आजाद देशों का परिपक्वता से अध्ययन करने वाले इस घटनाक्रम के संभावित नतीजों को लेकर आशंकित हैं. यूक्रेन पर रूसी हमले के तीन साल बाद समाधान की कगार पर पंहुचते-पंहुचते बिसात को ही उठा कर फेंक दिया गया है. बैठक के खत्म होते-होते ट्रम्प ने कहा, इसका टीवी शो बढ़िया बनेगा. दोनों ट्रम्प और जेलेंस्की टीवी शो के स्टार रहे हैं. पर वास्तविक दुनिया पर जो इसके असर पड़ने वाले हैं, उसे लेकर अभी धुंध है. फासिज्म के विशेषज्ञ टिमोथी स्नाइडर ने एक वीडियो संदेश में इस बैठक में 5 अमेरिकी असफलताओं का जिक्र किया है. पहला, मेजबानी की असफलता, कि आपके यहां कोई बाहर और दूर से आये और वह भी जंग से फंसे मुल्क से, उसके साथ ढंग से पेश आना चाहिए. दूसरा, शालीनता की असफलता, कि आप बजाय आराम से बात करने के चीख पुकार मचाने लगें वह भी उस इंसान से जो उस देश की नुमाइंदगी कर रहा है, जिस पर हमला हुआ है. तीसरा, लोकतांत्रिक मूल्यों की असफलता, जहां ट्रम्प और वेंस जेलेंस्की को पूरे यूक्रेन के लोकतांत्रिक नेता की तरह नहीं मान रहे. उन्होंने राष्ट्रीय महत्व के मसले को व्यक्तिगत बनाया. चौथा, रणनीतिक असफलता, क्योंकि इस घटना के जरिये अमेरिका दुनिया में उन साथी देशों की सहानुभूति खो रहा, जिनका उसके साथ 80 साल का साथ रहा है. और अब वह उन साथी देशों की बजाय रूस और पुतिन के ज्यादा करीब नज़र आ रहा है. पांचवी असफलता उनकी स्वतंत्रता की है, क्योंकि ट्रम्प और वेंस जो इस बैठक में कहते सुने जा रहे हैं, रूस और उसका प्रोपोगेंडा पहले से ही कहता रहा है. इस बैठक के बाद ऐसे इशारे बहुत साफ हैं कि अमेरिका जंग के बीच में अपना पाला बदल रहा है.
हमने इन प्रतक्रियाओं के जरिये इस घटना को समझने की कोशिश की है.
ट्रम्प और जेडी वेंस का फैक्ट चैक : ट्रम्प बार-बार हांकते रहे कि अमेरिका यूक्रेन को सबसे ज्यादा पैसा दे रहा है, जिस पर जेलेंस्की नो नो कहते रहे. पर ट्रम्प लगे रहे. दोनों ने जेलेंस्की के कपड़ों का मजाक उड़ाया कि जेलेंस्की ने सूट नहीं पहना है और व्हाइट हाउस में औपचारिक कपड़े पहन कर आने होते हैं. इस पर जेलेंस्की का कहना था, कि उनका देश युद्ध में हैं, और उन्होंने अपने सैनिकों के समर्थन में यह कपड़े पहने हैं. फैक्ट चैकर्स ने जल्द ही विंस्टन चर्चिल का फोटो निकाल के सोशल मीडिया में डाल दिया, जो दूसरी जंग के दौरान फौजी वर्दी में व्हाइट हाउस में खड़े हैं. वेंस ने जेलेंस्की को कहा, कि इस मीटिंग में आपने एक बार भी थैंक यू कहा, जेलेंस्की उन्हें देखते रहे. फैक्ट चैकर्स ने बताया कई बार राष्ट्रपति, अमेरिकी सरकार, संसद, जनता को उन्होंने धन्यवाद कहा.
माफी किस बात की : जेलेंस्की व्हाइट हाउस से निकलकर ट्रम्प और अमेरिका के पसंदीदा चैनल फॉक्स टीवी पर गये और कहा कि ट्रम्प से वे माफ़ी नहीं मांगेंगे. उन्होंने कहा कि उन्हें पक्का नहीं पता कि उनसे कोई गलती हुई है. जब पूछा गया कि क्या अब भी ट्रम्प से उनके रिश्ते बचाये जा सकते हैं, उन्होंने कहा हाँ, क्योंकि ये रिश्ते दो राष्ट्रपतियों से ज्यादा बड़े हैं. वहां उन्होंने बहुत आराम से बात की. दोनों जगह जेलेंस्की का बर्ताव सुलझा हुआ ही लगा, हालांकि ट्रम्प, वेंस और रिपब्लिकन पार्टी के कई नेता उनकी खिल्ली उड़ाते रहे.
स्वतंत्र दुनिया को एक नए नेता की जरूरत : उधर अटलांटिक महासागर के पार यूरोप में इस घटना के बाद जेलेंस्की के समर्थन में सारे प्रमुख देश आ खड़े हुए है. शुक्रवार देर रात उनकी टिप्पणियों ने यूक्रेन में युद्ध को लेकर अमेरिका और यूरोप में उसके पारंपरिक सहयोगियों के बीच मौजूद गहरी खाई को उजागर कर दिया. विदेशी मामलों और सुरक्षा नीति के लिए यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि काजा कल्लास ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा : “यूक्रेन यूरोप है! हम यूक्रेन के साथ खड़े हैं. हम यूक्रेन को अपना समर्थन बढ़ाएंगे, ताकि वह हमलावर से लड़ना जारी रख सके. आज, यह स्पष्ट हो गया कि स्वतंत्र दुनिया को एक नए नेता की जरूरत है. यह हम यूरोपीय लोगों पर निर्भर है कि हम इस चुनौती को स्वीकार करें." सीधे तौर पर जेलेंस्की को संबोधित करते हुए, भारत के दौरे पर आई यूरोपीय संघ आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने लिखा, "आपकी गरिमा यूक्रेनी लोगों की बहादुरी का सम्मान करती है. मजबूत रहो, बहादुर बनो, निडर रहो. तुम कभी अकेले नहीं हो." ब्रिटेन, स्पेन, जर्मनी, फ्रांस, नार्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, डेनमार्क, बेल्जियम, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, आयरलैंड, फिनलैंड, लातविया, लिथुआनिया, स्लोवेनिया और स्वीडन ने जेलेंस्की और यूक्रेन के प्रति अपना समर्थन घोषित किया. सिर्फ हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने ट्रम्प को महान बताते हुए कसीदे पढ़े.
वफादार सहयोगी से धोखा : एटलांटिक में टॉम निकोल्स ने इस मुलाकात पर लिखा है, “आज ज़ेलेंस्की पर ढाए गए सभी अमानवीय व्यवहार के बावजूद, यह नहीं भूलना चाहिए कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने एक वफादार सहयोगी को धोखा देकर रूस के तानाशाह के साथ एक ऐसा समझौता करने की तैयारी की है, जो यूरोप के एक राष्ट्र के अस्तित्व की लड़ाई को बेच देगा… यह मुलाकात एक सुनियोजित हमला थी—ट्रम्प ने रूसी प्रचार बिंदुओं (जैसे यूक्रेन को वैश्विक युद्ध का जोखिम बताना) को थोपकर ज़ेलेंस्की को राष्ट्रीय टीवी पर अपमानित किया, ताकि वह वो कर सके जो वह बार-बार चाहता है : रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का साथ देना और युद्ध को रूस की शर्तों पर समाप्त करना.
पुतिन से बातचीत और रूसी मीडिया की मौजूदगी : एमएसएनबीसी की राचेल मेडो ने अपने शो में दो अजीब बातों की तरफ इशारा किया. एक कि बैठक में ट्रम्प ने कहा उनकी पुतिन से बात होती रहती है. दूसरा इस बैठक में रूस के सरकारी मीडिया तास का संवाददाता मौजूद था. उन्होंने इन दोनों बातों पर सवाल उठाया, क्योंकि रूस और अमेरिका मित्र देश नहीं हैं और जब भी दोनों नेताओं की बातचीत होती है, वह एक संरचना के तहत होती है.
मीडिया के सामने तमाशा करना : ज़ेलेंस्की ने जब जेडी वेंस के उस आरोप का विरोध किया कि उन्होंने ट्रम्प के प्रति 'कृतज्ञता नहीं दिखाई', तब वेंस ने कहा, 'ओवल ऑफिस में आकर मीडिया के सामने बहस करना अनुचित है.' लेकिन यही तो योजना थी— ट्रम्प और वेंस ने ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाकर ज़ेलेंस्की को घेरा. ट्रम्प ने माफिया बॉस की तरह चेतावनी दी : 'तुम्हारे पास कोई ताकत नहीं है,' और 'तुम्हारा देश दफन हो जाएगा.' अंत में, वह पुतिन जैसे लगे जब वे 'विश्व युद्ध-III' का जिक्र कर चिल्लाये, मानो यूक्रेन ने ही युद्ध शुरू किया हो. समझौते जब तक अंतिम रूप नहीं ले लेते, तब तक बंद दरवाजों के भीतर होते हैं. प्रेस कांफ्रेंस इसके बाद होनी थी, जो रद्द कर दी गई. कैमरों के सामने मीटिंग करने के पीछे क्या मकसद था?
समझौते तैयार थे तो झड़प क्यों? बहुत सारे लोग ये भी समझने की कोशिश कर रहे हैं, अगर दोनों देशों की सरकार कुछ समय से समझौते के ब्यौरे तैयार कर रहे थे, और सिद्धांतत: दोनों देश सहमत थे, फिर इस तमाशे की क्या जरूरत थी. जेलेंस्की ने बैठक में और उसके बाद भी मिनरल समझौते की तस्दीक की. पोलेंड में अमेरिका के राजदूत रहे डेनियल फ्रीड ने कहा, अमेरिकी पक्ष ही इसे झगड़े में बदलने पर आतुर था.
पुतिन खुश हुआ : पुतिन और अन्य तानाशाह अब ट्रम्प को देखकर मुस्कुरा सकते हैं : 'वह हम में से एक है, निकोलस लिखते हैं. रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने मीटिंग से पहले "क्रिटिकल मिनरल्स डील" पर हस्ताक्षर को लेकर आशावाद जताया था, लेकिन बाद में इसे "पूर्ण विफलता" बताया. ग्राहम ने पत्रकारों से कहा, "ज़ेलेंस्की ने ट्रम्प से बहस करके गलती की. उन्हें इस्तीफा देना चाहिए या कोई और प्रतिनिधि भेजना चाहिए, जिसके साथ हम काम कर सकें." उन्होंने यूक्रेनी नेता के रवैये को "अस्वीकार्य" बताया. कांग्रेस में ट्रम्प समर्थकों ने इस घटना को "अमेरिका फर्स्ट" नीति की जीत बताया. सीनेटर रोजर मार्शल ने यूक्रेन को और सहायता देने से इनकार करते हुए कहा, "एक पैसा भी नहीं." मॉस्को ने इस विवाद का स्वागत किया. रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने ज़ेलेंस्की को "ओवल ऑफिस में सबक मिला" लिखा, जबकि विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने कहा, "ज़ेलेंस्की ने उस हाथ को काटा, जिसने उन्हें खिलाया." सोशल मीडिया पर सब अपने गाल बजाते रहे.
जेलेंस्की का बयान शनिवार को जारी हुआ और नपा-तुला रहा. हालिया ओवल ऑफिस मुलाकात को "कठिन वार्ता" बताया, पर यूक्रेन-अमेरिका साझेदारी को रणनीतिक बताते हुए कहा, "शांति चाहते हैं, लेकिन वह टिकाऊ और न्यायपूर्ण होनी चाहिए. पुतिन के साथ युद्धविराम व्यर्थ है— उन्होंने पहले 25 बार समझौते तोड़े." उन्होंने खनिज समझौते पर हस्ताक्षर को "सुरक्षा गारंटी की पहली सीढ़ी" बताया, लेकिन चेतावनी दी : "बिना गारंटी के युद्धविराम खतरनाक है. हमें नाटो में शामिल होने या अमेरिकी सैन्य समर्थन की स्पष्ट योजना चाहिए." रूस पर प्रहार करते हुए कहा, "वे हमें मिटाना चाहते हैं. यह ज़मीन नहीं, जीवन का सवाल है."
यूक्रेनी लोगों ने जेलेंस्की का पक्ष लिया : लोगों ने ज़ेलेंस्की के "साहस" की सराहना की, वहीं कुछ ने इस मुठभेड़ को "दुर्घटना" बताया. उपप्रधानमंत्री म्यखाइलो फेदोरोव ने कहा, "ज़ेलेंस्की ने राष्ट्र की प्रतिष्ठा बचाई." खार्किव के गवर्नर ओलेह सिनिहुबोव ने ट्रम्प-वेंस के "दबाव" के बावजूद राष्ट्रहित की बात करने पर ज़ेलेंस्की को धन्यवाद दिया. यूक्रेनी सोशल मीडिया पर ट्रम्प समर्थक पत्रकार के "सूट न पहनने" वाले सवाल की खिंचाई हुई. एक अमेरिकी वयोवृद्ध ने कहा, "ज़ेलेंस्की देश के लिए लड़ रहे हैं, और इन्हें सूट की चिंता है!"
पाठको/श्रोताओं से अपील
भारत की लुढ़कती अर्थव्यवस्था के लिए जिम्मेदार नहीं हैं ट्रम्प के टैरिफ!
बीएसई सेंसेक्स शुक्रवार (28 फरवरी) को 1,400 अंक से अधिक गिर गया, यानी 1.9% की गिरावट आई, जिसने 4 फरवरी से शुरू हुई स्टॉक वैल्यूज में गिरावट की स्थिति को और भी गहरा कर दिया. उस दिन के बाद से, सेंसेक्स 78,500 से गिरकर 73,000 पर आ गया है. इस साल अब तक सेंसेक्स में 6.7% की गिरावट आ चुकी है. 'इंडियन एक्सप्रेस' ने आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के सह-सीआईओ इक्विटी अनीश तवाकली के हवाले से खबर छापी है कि ऊंची वैल्यूएशन और भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने फंडों की निकासी की है. इसी कारण बाजारों में गिरावट आई है, न कि डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन द्वारा व्यापार शुल्क (टैरिफ) की धमकियों के कारण. हालांकि, तवाकली ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के बुनियादी सिद्धांत मजबूत बने हुए हैं और यदि मौद्रिक और राजकोषीय समर्थन जारी रहता है और मांग की कमजोरी को संबोधित किया जाता है, तो अर्थव्यवस्था को फिर से गति मिल सकती है, जो पूंजी प्रवाह को फिर से आकर्षित करेगा.
राष्ट्रपति के पास समय नहीं, पीएम ने जवाब नहीं दिया : कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ड्यूटी के दौरान बलात्कार और हत्या की शिकार हुई प्रशिक्षु डॉक्टर के माता-पिता ने हार नहीं मानी है. वे अपनी दिवंगत बेटी को न्याय दिलाने के लिए लड़ रहे हैं. उन्होंने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मुलाकात के लिए समय मांगा था, लेकिन राष्ट्रपति कार्यालय ने जवाब दिया कि महामहिम के व्यस्त कार्यक्रम के कारण समय प्रदान करना संभव नहीं है. प्रधानमंत्री की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है. टेलीग्राफ में नैंसी जैसवाल की खबर के अनुसार उन्होंने कहा, “हम अपनी बेटी को न्याय के लिए जिंदा हैं. केवल एक व्यक्ति को दोषी ठहराया जाना, हमारे लिए निश्चित रूप से न्याय नहीं है. हमें अभी तक अपनी बेटी का मृत्यु प्रमाण पत्र भी नहीं मिला है. आरजी कर मेडिकल कॉलेज ने अब तक बेटी को मृत घोषित नहीं किया है. न तो कोई चोट की रिपोर्ट है और न ही कोई कानूनी दस्तावेज.”
बैलट पेपर से चुनाव जेपीसी के दायरे में नहीं : केंद्र के कानून मंत्रालय ने “एक देश-एक चुनाव” से जुड़े दो विधेयकों का परीक्षण कर रही जेपीसी से कहा है कि बैलट पेपर से चुनाव कराने का सवाल उसके दायरे नहीं आता है. दरअसल, जेपीसी के कुछ सदस्यों ने चुनाव के लिए बैलट पेपर पर वापस लौटने का सुझाव दिया था. कानून मंत्रालय के विधायी विभाग ने जेपीसी द्वारा पूछे गए विभिन्न सवालों पर विस्तृत उत्तर दिए, लेकिन मतपत्र प्रणाली के सुझाव पर सीधे तौर पर कोई जवाब नहीं दिया.
छात्र आत्महत्याओं पर याचिका
यूजीसी का कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में जाति भेदभाव को रोकने के लिए कदम
'द टेलीग्राफ' ने रिपोर्ट की है कि यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में जातिगत भेदभाव से निपटने के लिए मसौदा दिशा-निर्देश जारी किए हैं, यह याचिका छात्रों द्वारा जाति उत्पीड़न के कारण आत्महत्या करने के संबंध में थी. यूजीसी की ओर से पेश सॉलिसिटर-जनरल तुषार मेहता ने कहा कि नियामक निकाय ने उच्च शैक्षिक संस्थानों में समान अवसर केंद्र स्थापित करने के लिए मसौदा दिशा-निर्देश जारी किए हैं, ताकि भेदभाव विरोधी नीतियों और कार्यक्रमों के प्रवर्तन की निगरानी की जा सके. "जब यूजीसी के हाथ मजबूत होंगे, तो यह सही दिशा में जाएगा. हम इस मुद्दे से निपटेंगे... स्टेकहोल्डर्स से प्रतिक्रिया लेने दीजिए. हम एक मजबूत तंत्र बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जहां इन मुद्दों पर विचार किया जा सके," जस्टिस सूर्य कांत ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुई वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह को आश्वासन दिया. जस्टिस कांत और एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने कहा कि अदालत भी "जातिगत भेदभाव से निपटने के लिए एक मजबूत तंत्र" बनाने की कोशिश कर रही है.
शेहला रशीद अब देशद्रोही नहीं : दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने शनिवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) की पूर्व नेता शेहला रशीद के खिलाफ 2019 के देशद्रोह के मामले को वापस लेने की पुलिस को अनुमति दे दी. रशीद पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और वैमनस्यता फैलाने का आरोप लगाया गया था. लेकिन अभियोजन पक्ष ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने शेहला पर मुकदमा चलाने की अपनी मंजूरी वापस ले ली है. शिकायत में कहा गया था कि रशीद ने अपने ट्वीट्स की शृंखला में भारतीय सेना के कथित मानवाधिकार उल्लंघन का उल्लेख किया है. जम्मू-कश्मीर की स्वायत्त स्थिति को रद्द करने के मोदी सरकार के फैसले की मुखर आलोचक रहीं शेहला रशीद ने पिछले साल अगस्त में एक्स पर मोदी सरकार की प्रशंसा की थी. उन्होने लिखा था- “हालांकि इसे स्वीकार करना असुविधाजनक हो सकता है, लेकिन @narendramodi सरकार और @OfficeOfLGJandK प्रशासन के तहत कश्मीर में मानवाधिकार रिकॉर्ड में सुधार हुआ है.”
जीआरएपी प्रतिबंध से प्रभावित मजदूरों को देना ही होगा मुआवजा : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (28 फरवरी) को निर्देश दिया कि एनसीआर राज्यों को दिल्ली एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) उपायों के कारण निर्माण गतिविधियों के बंद होने से प्रभावित निर्माण श्रमिकों को मुआवजा देना ही होगा. जस्टिस अभय ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने स्पष्ट कहा, “जहां तक 2024 और 2025 का सवाल है तो हमने राज्य को मुआवजा देने का निर्देश जारी किया है. साथ में हम यह भी स्पष्ट करते हैं कि इसके बाद जब भी जीआरएपी उपायों के कार्यान्वयन के कारण निर्माण गतिविधियों को बंद करना आवश्यक होगा तो 24 नवंबर 2021 को इस न्यायालय के जारी निर्देशों के अनुसार, प्रभावित श्रमिकों को मुआवजा दिया जाएगा. भले ही मुआवजा देने के लिए अदालत का कोई विशेष निर्देश न हो, लेकिन एनसीआर राज्य मुआवजा देंगे.”
यूएसएड के कारण भारत के प्रथम तीन ट्रांसजेंडर क्लीनिक बंद : ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए भारत के पहले तीन क्लीनिक पिछले महीने बंद हो गए, क्योंकि उन्हें वित्तपोषित करने वाली अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएड) ने काम रोकने का आदेश दिया था. इससे लगभग 5,000 लोगों को सेवाएं बाधित हुईं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जनवरी में सभी विदेशी सहायता पर 90 दिनों की रोक लगाने का आदेश दिया था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अमेरिकी करदाताओं के पैसे से वित्तपोषित सभी परियोजनाएं उनकी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के अनुरूप हों.
जल महल झील नष्ट करने के लिए जयपुर नगर निगम को लगाई फटकार : सुप्रीम कोर्ट ने जयपुर जल महल झील की उपेक्षा करने और इसे प्रदूषित होने देने के लिए नगर निगम जयपुर हेरिटेज को फटकार लगाई. जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की खंडपीठ ने नगर निगम को झील में प्रदूषण को रोकने के लिए तत्काल उपायों पर एक व्यापक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया और झील के जीर्णोद्धार और संरक्षण के लिए दीर्घकालिक उपायों का सुझाव देने के लिए राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (एनईईरी) को नियुक्त करने को कहा. सुनवाई के दौरान नगर निगम आयुक्त को अपने पीछे ‘स्मार्ट सिटी’ शब्द के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश होता देख नाराज अदालत ने पूछा, ‘आश्चर्य है कि जल महल झील को नुकसान पहुंचाकर जयपुर शहर ‘स्मार्ट’ कैसे बन जाएगा?
बारिश, बर्फबारी और हिमस्खलन : चमोली में 4 मौत, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर ठप : उत्तराखंड के चमोली में हिमस्खलन स्थल पर चार मजदूरों की मौत हो गई. पीटीआई के अनुसार, अब तक 50 लोगों को बचाया जा चुका है. कुछ मजदूर अब भी बर्फ में दबे हैं. राहत कार्य जारी है. वहीं हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति इलाकों में भारी बर्फबारी के कारण बर्फ की मोटी परतें जम गई हैं. पांच राष्ट्रीय राजमार्गों सहित कुल 583 सड़कें अवरुद्ध हैं. 279 जलापूर्ति योजनाएं प्रभावित हुई हैं और कुल 2263 ट्रांसफार्मर ठप हो गए हैं. छेराना गांव में 14 घर और एक स्थानीय माध्यमिक विद्यालय की इमारत क्षतिग्रस्त हो गई. पहाड़ियों से लगातार हो रहे भूस्खलन के कारण पचासों घर खाली हो गए हैं. जम्मू-श्रीनगर में कई स्थानों पर भूस्खलन के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग शनिवार को लगातार दूसरे दिन भी बंद रहा. पहाड़ी से पत्थर गिर रहे हैं. पीराह सुरंग के बाहर सड़क का एक हिस्सा डूब गया और सड़क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है.
बाज़ार में संभलकर खाएं इडली, हो सकता है कैंसर पैदा करने वाला तत्व : बेंगलुरु में राज्य खाद्य सुरक्षा और मानक विभाग के ताजा परीक्षणों में पता चला है कि ऐसी इडली, जिसमें भाप बनाने के दौरान प्लास्टिक शीट्स का उपयोग किया जाता है, वह उपभोग के लिए असुरक्षित और घटिया हैं. विभाग ने शहर में 251 इडली के नमूने एकत्र किए थे, इनमें से 54 नमूने स्वास्थ्य की दृष्टि से खतरनाक पाए गए. इडली का भाप बनाते समय प्लास्टिक शीट्स का उपयोग करने वाली दुकानों के नमूनों में पाया गया कि उसकी वजह से खाद्य पदार्थ में कार्सिनोजेनिक (कैंसर पैदा करने वाला तत्व) प्रवेश कर जाता है.
गृह मंत्री का निर्देश, 8 मार्च से मणिपुर में सुनिश्चित हो मुक्त आवाजाही : मणिपुर में सुरक्षा स्थिति पर राष्ट्रीय राजधानी में एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सुरक्षा बलों को 8 मार्च से मणिपुर में मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने का निर्देश जारी किया. मणिपुर में 3 मई, 2023 से जातीय हिंसा देखी जा रही है.
जनजातियों को वापस “आपराधिक” करार देने लिए सरकारी ताकाझाँकी की कार्रवाइयां
इसी साल जनवरी में महाराष्ट्र वन विभाग ने पारधी समुदाय के एक सदस्य अजीत पारधी को गिरफ़्तार किया था. महीने के अंत में, 29 जनवरी को, मध्यप्रदेश वन विभाग ने राज्य के सभी वन्यजीव मंडलों और वन अधिकारियों को पत्र लिखकर बताया कि वह एक कुख्यात बाघ शिकारी था, जो 11 साल से फरार था.
स्क्रोल के लिए वैष्णवी राठौर ने इन जनजातियों की ताजा स्थिति पर रिपोर्ट की है. उनके अनुसार, पत्र में पारधी समुदाय के बारे में व्यापक बयान दिए गए हैं. इसके अनुसार, पारधी जो एक विमुक्त जनजाति है, उसे औपनिवेशिक कानूनों के तहत ‘अपराधी’ के रूप में वर्गीकृत किया गया था, जो अब निरस्त हो चुका है. विभाग को पता चला है कि समुदाय के सदस्य राज्य के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय थे : विशेष रूप से, नर्मदापुरम, सिवनी, छिंदवाड़ा, बैतूल, भोपाल, जबलपुर और बालाघाट के सात वन मंडलों में.
इसी पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है. इनमें शामिल है, ‘ऐसे समुदायों के आपराधिक रिकॉर्ड के मद्देनजर वन अधिकारियों को उन पर ‘गहन गश्त और निगरानी’ करनी थी. वन विभागों को चार तरीके से निगरानी का निर्देश दिया गया है : “डॉग स्क्वाड के साथ समुदायों की बस्तियों की तलाशी लेना, बस्तियों में पूछताछ करना, औषधीय जड़ी-बूटियाँ, खाद्य पदार्थ, प्लास्टिक की वस्तुएँ और चादरें जैसे उत्पाद बेचने वालों की निगरानी करना, और उनके नाम, पते और आधार कार्ड का विवरण दर्ज कर राज्य के ‘टाइगर स्ट्राइक फोर्स’ को प्रस्तुत कर इन जानकारियों को एक डेटाबेस में एकीकृत करना है.
पत्र का मज़मून देखकर कानूनी विशेषज्ञों ने आशंका जाहिर की है कि औपनिवेशिक काल में आपराधिक जनजाति अधिनियम, 1871 के तहत ‘जन्मजात अपराधी’ के रूप में शिनाख़्त किये गये करीब 200 समुदायों पर ढाए गए जुल्म की तरह ही कहीं इनका हश्र न हो. इस कानून के तहत इन समुदायों पर कड़ी पुलिस निगरानी रखी जाती थी, जो 1952 में कानून निरस्त होने तक चला.
स्वतंत्र वन अधिकार शोधकर्ता तुषार दाश ने कहा, “निगरानी के लिए वे वही तरीके अपना रहे हैं, जो ब्रिटिशकाल में इस्तेमाल होते थे. यह बहुत परेशान करने वाला है. यह दिखाता है कि कैसे हिंसा और अपराधीकरण की संरचना बनाई जा रही है.”
जमीनी स्तर पर अलर्ट का असर पहले से ही दिखाई दे रहा है. हरदा जिले में रहने वाले और गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘मुस्कान’ के कर्मचारी शेषराज सिसोदिया ने बताया, “पिछले दो महीनों में वन विभाग और पुलिस की छापेमारी के मामले बढ़े हैं. जिन लोगों पर शिकार के 25 और 50 साल पहले के लंबे समय से लंबित मामले थे, उन्हें वन विभाग और पुलिस ने इस संदेह पर उठा लिया कि उन्होंने शिकार करना जारी रखा है. इतना ही नहीं, जमानत पर छूटे लोगों को फिर से गिरफ्तार भी किया गया है.”
भोपाल स्थित आपराधिक न्याय और पुलिस जवाबदेही परियोजना की शोध प्रमुख और वकील मृणालिनी रवींद्रनाथ ने कहा कि ऐसे मामलों में जहां वन विभाग को ‘पता नहीं है कि जानवर की मौत कैसे हुई है, लक्षित वन समुदाय अपराध दर्ज किए जाने के लिए आसान लक्ष्य बन जाएंगे. इस नए अलर्ट से उत्पीड़ित समुदायों का और अधिक अपराधीकरण हो सकता है.
सीपीए प्रोजेक्ट ने 2016-20 के बीच राज्य के 38 जिलों में दर्ज शिकार और अन्य संबंधित अपराधों से संबंधित 34 प्राथमिकी रिपोर्टों का अध्ययन किया. इन अपराधों में, 61% आरोपी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और विमुक्त जनजातियों के थे. इसी अवधि में राज्य के वन विभाग द्वारा दर्ज किए गए 1,400 से अधिक ‘अपराधों के रिकॉर्ड’ की भी जांच की. रिकॉर्ड में पाया कि लगभग 78% आरोपी उत्पीड़ित वर्ग के थे. चौंकाने वाली बात यह थी कि इनमें से कई गिरफ्तारियाँ गलत थीं.
सिसोदिया ने बताया कि इसी तरह के गलत आरोप अन्य जानवरों, जैसे तीतरों से जुड़े मामलों में भी लगते हैं. उन्होंने बताया, “समुदाय पहले उनका शिकार करता था. 1972 के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम ने जब इसे अवैध बना दिया, तब से ये इन्हें पालते हैं, लेकिन वन विभाग उनसे इस संदेह पर काफी पूछताछ करता है कि वे उन्हें शिकार करने के उद्देश्य से रख रहे हैं."
म्यांमार के मानव तस्करी, टार्चर, दमन से बने साइबर स्कैम परिसरों में इंटरनेट मस्क का
वायर्ड की एक मैट बर्गेस की खोजी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि म्यांमार में स्थित घोटाला परिसरों (स्कैम कंपाउंड्स) से अरबों डॉलर कमाने वाले अपराधी, इलोन मस्क के सैटेलाइट इंटरनेट सिस्टम स्टारलिंक का इस्तेमाल कर रहे हैं. इन परिसरों में मानव तस्करी के जरिये हजारों लोगों को बंधक बनाकर ऑनलाइन धोखाधड़ी के लिए मजबूर किया जाता है.
जून 2024 में, 'ग्लोबल एंटी-स्कैम ऑर्गनाइजेशन' (GASO) को म्यांमार-थाईलैंड सीमा पर स्थित 'ताई चांग' परिसर से एक चीनी नागरिक का ईमेल मिला, जिसमें उसने खुलासा किया कि उसे नकली नौकरी के झांसे में फंसाकर आधुनिक गुलामी में ढकेल दिया गया था. पीड़ित ने लिखा, "मैं गुप्त रूप से आपसे बात कर रहा हूं. यहां के फ्रॉड काम अब स्टारलिंक के जरिए चल रहे हैं. अगर इंटरनेट बंद हो जाए, तो हम आजाद हो सकते हैं."
इसके बाद, कैलिफोर्निया की डिप्टी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी एरिन वेस्ट ने स्पेसएक्स को पत्र लिखकर स्टारलिंक के दुरुपयोग की जानकारी दी, लेकिन कंपनी की ओर से कोई जवाब नहीं आया. वायर्ड द्वारा जुटाए गए मोबाइल डेटा के अनुसार, नवंबर 2024 से फरवरी 2025 तक म्यांमार-थाईलैंड सीमा के आठ घोटाला परिसरों में 40,000 से अधिक बार स्टारलिंक कनेक्शन दर्ज किए गए. इनमें 'केके पार्क' और 'ताई चांग' जैसे कुख्यात परिसर शामिल हैं, जहां छतों पर स्टारलिंक के दर्जनों डिश लगे हैं.
थाईलैंड की संसद सदस्य रंगसीमान रोम का कहना है कि स्पेसएक्स के पास इन कनेक्शनों को रोकने की क्षमता है, लेकिन कंपनी ने उनकी अपील को नजरअंदाज किया है. थाईलैंड के टेलीकॉम रेगुलेटर एनबीटीसी के अनुसार, परिसरों में स्टारलिंक का इस्तेमाल तब बढ़ा जब स्थानीय इंटरनेट सेवाएं बंद की गईं.
संयुक्त राष्ट्र की 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, म्यांमार के 75 परिसरों में लगभग 1.2 लाख लोगों को बंधक बनाया गया है. इनमें अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी के शिकार लोग शामिल हैं, जिन्हें दिन-रात ऑनलाइन घोटाले करने के लिए मजबूर किया जाता है. भागने की कोशिश करने वालों को प्रताड़ित किया जाता है.
स्टारलिंक, जो यूक्रेन जैसे संकटग्रस्त क्षेत्रों में इंटरनेट पहुंचाने के लिए प्रसिद्ध है, म्यांमार में अवैध रूप से इस्तेमाल हो रहा है. हालांकि, 'फ्री बर्मा रेंजर्स' जैसे संगठन इसका इस्तेमाल मानवीय सहायता के लिए भी करते हैं. डेविड यूबैंक के अनुसार, "दुरुपयोग करने वालों को रोकना चाहिए, पूरे नेटवर्क को नहीं."
थाईलैंड ने हाल ही में इन परिसरों को बिजली और इंटरनेट सप्लाई काटने का फैसला किया है, लेकिन स्टारलिंक की उपलब्धता के कारण घोटालों पर पूरी तरह रोक नहीं लग पाई है. एंटी-ट्रैफिकिंग एक्टिविस्ट मेचेल मूर का कहना है, "पीड़ित बताते हैं कि एक कनेक्शन बंद होते ही वे दूसरे पर स्विच कर लेते हैं."
स्पेसएक्स ने अभी तक इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जबकि दुनिया भर में स्टारलिंक के नियमन पर सवाल उठने लगे हैं.
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