02/04/2025 : अब कामरा के दर्शकों से पूछताछ | बुलडोजर एक्शन अवैध | कपिल मिश्रा पर एफआईआर होगी | रतन टाटा के 3800 करोड़ | ट्रम्प के टैरिफ आज से | स्मार्ट सिटी की कामयाबी | औरंगजेब पर नसीरुद्दीन शाह
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियाँ
हिंदू अब ब्रिटेन में भी खुद को ख़तरे में बता रहे हैं
वक़्फ़ संशोधन विधेयक लोकसभा में आज होगा पेश
गुजरात : गोदाम में पटाखा बनाते हुए विस्फोट, 21 मजदूरों की मौत
गुजरात में 16 हजार से अधिक आंगनवाड़ी केंद्रों की कमी
सीबीआई की एफआईआर में भूपेश बघेल का नाम
इस बार लू ज्यादा चलेगी
अमेरिकी एजेंटों ने एनएसए डोवाल को समन भेजने के प्रयास को रोका
कितना कामयाब रहा नरेन्द्र मोदी का ख़ास स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट?
रूस ने अमेरिका के ताजा शांति प्रस्तावों को अस्वीकार किया
कैसे करें कॉमेडियन की ‘लोकतांत्रिक लिंचिंग’
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बारे में उनके विवादास्पद टिप्पणियों के कारण मुंबई पुलिस ने फरवरी 2025 में स्टैंड-अप कॉमेडियन के शो के दर्शकों से पूछताछ शुरू की है. स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने मंगलवार को सरकार पर आरोप लगाया कि वह असहमति जताने वाले कलाकारों को निशाना बना रही है. यह टिप्पणी महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बारे में उनके एक विवादास्पद चुटकुले के बाद सामने आई.
कामरा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर वर्तमान सरकार द्वारा अभिव्यक्ति की आज़ादी और रचनात्मकता को दबाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली "प्लेबुक" साझा की.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की मुंबई संस्करण की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने कुणाल कामरा के 2 फरवरी, 2025 को खार स्थित हैबिटैट स्टूडियो में आयोजित उनके शो 'नया भारत' के दर्शकों के बयान दर्ज करने शुरू किए हैं. जांच का केंद्र शिंदे के बारे में कामरा की कथित टिप्पणियाँ हैं.
पुलिस ने दर्शकों को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 179 के तहत नोटिस जारी किए हैं, जिसके अंतर्गत गवाहों से पूछताछ की जा सकती है.
कुणाल कामरा, जो फिलहाल पुडुचेरी में रह रहे हैं, ने सोमवार को मुंबई पुलिस द्वारा उनके माता-पिता के महिम स्थित घर पर उनके ठिकाने की पुष्टि करने के प्रयास के बाद प्रतिक्रिया दी. कामरा ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर इसे "समय की बर्बादी" बताया.
मुंबई पुलिस ने 25 और 26 मार्च को उन्हें खार थाने में पेश होने का नोटिस भेजा था, लेकिन कामरा ने मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा दी गई अंतरिम जमानत का हवाला देते हुए पेश होने से इनकार कर दिया. यह जमानत 7 अप्रैल तक उन्हें गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान करती है.
23 मार्च को कुणाल कामरा ने अपने यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो अपलोड किया, जिसमें उन्होंने एक लोकप्रिय हिंदी फिल्मी गीत के माध्यम से शिंदे को "गद्दार" बताया. यह टिप्पणी 2022 में शिंदे द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह और राज्य में उपजे राजनीतिक संकट को संदर्भित करती थी.
हालांकि कामरा ने शिंदे का नाम नहीं लिया, लेकिन टिप्पणियाँ उन्हीं के लिए मानी गईं. इस वीडियो के वायरल होने के बाद शिव सेना के शिंदे गुट के कार्यकर्ताओं ने हैबिटैट स्टूडियो को नुकसान पहुँचाया, जहाँ यह प्रदर्शन रिकॉर्ड किया गया था.
अखबार ने भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी से वकील बने वाईपी सिंह के हवाले से कहा कि इस मामले में दर्शकों के सदस्यों को समन भेजना अनिवार्य नहीं था क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य उपलब्ध हैं. ऐसा तो उत्तर कोरिया जैसे देशों में होता आया है. जहां चुटकुले करना अपराध है. अब तो नौबत ये भी आ सकती है कि, "जिन्होंने यूट्यूब पर कामरा का शो देखा, उन्हें भी गिरफ्तार किया जाना चाहिए."
योगी के बुलडोज़र ऐक्शन अवैध अमानवीय मुआवजा देने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने “बुलडोज़र ऐक्शन” के लिए योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तरप्रदेश सरकार को फटकार लगाई है. प्रयागराज में बुलडोज़र के जरिए मकानों को तोड़ने-गिराने की कार्रवाई की आलोचना करते हुए कोर्ट ने इसे “अमानवीय व अवैध” करार दिया. कोर्ट ने प्रभावित मकान मालिकों को 10 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया और कुछ शर्तों के तहत पुनर्निर्माण की अनुमति दी है.
मंगलवार, 1 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने “कानून के राज” का हवाला देते हुए कहा कि नागरिकों के आवासीय ढांचों को "इस तरह से" ध्वस्त नहीं किया जा सकता. उल्लेखनीय है कि नवंबर 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने संपत्तियों के विध्वंस पर पूरे देश के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि वह नागरिकों के मन में मौजूद डर को दूर करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए कुछ निर्देश जारी करना आवश्यक समझता है.
यह देखते हुए कि विध्वंस कार्रवाई “क्रूर” तरीके से की गई थी, न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह मकान मालिकों को छह सप्ताह के भीतर 10 लाख का मुआवजा दे. याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि राज्य सरकार ने गलत तरीके से यह मानते हुए घरों को तोड़ा कि जमीन गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद की है, जिसे 2023 में पुलिस अभिरक्षा में मार दिया गया था. याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि इन विध्वंसों में कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और नोटिस देने के 24 घंटे के भीतर घरों को तोड़ दिया गया, जिससे निवासियों को अपील करने का पर्याप्त समय नहीं मिला. बेंच ने कहा कि देश में "कानून का राज" है और नागरिकों के आवासीय ढांचे को इस प्रकार ध्वस्त नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा, "यह हमारे अंतःकरण को झकझोरता है. आश्रय का अधिकार और विधिक प्रक्रिया नाम की भी चीज होती है.”
पाठकों से अपील
दिल्ली दंगे
कपिल मिश्रा पर एफआईआर होगी
2020 के दंगों में पांच साल बाद दिल्ली के कानून और न्याय मंत्री और भाजपा नेता कपिल मिश्रा की कथित भूमिका पर दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है. लाइव लॉ के अनुसार, अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा पेश की गई सामग्री से पता चला है कि मिश्रा संबंधित क्षेत्र में मौजूद थे. इसकी ‘पुष्टि सभी चीजें कर रही थीं.’ यह ध्यान देने योग्य है कि पुलिस ने उमर खालिद, गुलफिशा फातिमा और शर्जील इमाम सहित कई छात्र नेताओं और कार्यकर्ताओं को दंगों के सह-साजिशकर्ता के रूप में नामित किया है. हालांकि, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग द्वारा गठित 10 सदस्यीय तथ्य खोज दल ने कहा था कि दिल्ली हिंसा ‘सुनियोजित और लक्षित’ थी और इसके लिए कपिल मिश्रा जिम्मेदार थे. रिपोर्ट में कहा गया है, “23 फरवरी, 2020 को मौजपुर में कपिल मिश्रा के संक्षिप्त भाषण के लगभग तुरंत बाद विभिन्न इलाकों में हिंसा शुरू हो गई थी. इन भाषणों में उन्होंने खुले तौर पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद में प्रदर्शनकारियों को बलपूर्वक हटाने का आह्वान किया था.” इसमें कहा गया है कि मिश्रा ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह और उनके समर्थक मामले को अपने हाथों में ले लेंगे. उन्होंने यह भी कहा था, " यदि तीन दिनों में सड़कें साफ नहीं होती तो इसके बाद हम पुलिस की बात नहीं सुनेंगे हैं..."
हिंदू अब ब्रिटेन में भी खुद को ख़तरे में बता रहे हैं
ब्रिटिश अखबार द डेली मेल द्वारा प्राप्त नेशनल पुलिस चीफ्स काउंसिल (एनपीसीसी) की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ब्रिटेन में हिंदू चरमपंथी मुसलमानों के प्रति ‘साझा नफरत’ के कारण ‘मुस्लिम विरोधी अभियान’ को बढ़ावा देने के लिए दक्षिणपंथी समूहों के साथ गठबंधन कर रहे हैं. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाजपा से जुड़े कई चरमपंथियों पर यहां तक आरोप है कि वे “ब्रिटिश चुनावों में हस्तक्षेप कर रहे हैं और हिंदुओं को बता रहे हैं कि उन्हें किस पार्टी को वोट देना चाहिए और किससे दूर रहना चाहिए.”
इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए हिंदू समूह इनसाइट यूके ने कहा कि वह डेली मेल और स्वतंत्र मीडिया नियामक इंडिपेंडेंट प्रेस स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन के पास शिकायत दर्ज कराएगा. यह निराधार और बिना सबूत के है. यह लेख हिंदुओं को ब्रिटेन में कम सुरक्षित महसूस करा रहा है."
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि हिंदुत्व की विचारधारा ब्रिटेन में हिंदू, मुस्लिम और सिख समुदायों के बीच विभाजन को बढ़ावा दे रही है, कुछ चरमपंथी एंडर्स ब्रेविक जैसे दक्षिणपंथी आतंकवादियों से प्रेरणा ले रहे हैं. नॉर्वे में 77 लोगों की हत्या करने वाले ब्रेविक ने हिंदुत्व की विचारधारा की प्रशंसा की और मोदी की भाजपा और चरमपंथी आरएसएस को प्रभाव के स्रोत के रूप में उद्धृत किया. इसमें कहा गया है कि ब्रिटेन में दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं को भी हिंदुत्व की विचारधारा के कुछ पहलू आकर्षक लगे. यह पहली बार है, जब किसी सरकारी रिपोर्ट में हिंदुत्व को चिंता के रूप में उल्लेख किया गया है. इसमें कहा गया है : 'हिंदुत्व हिंदू धर्म से अलग एक राजनीतिक आंदोलन है, जो भारतीय हिंदुओं के आधिपत्य और भारत में एक अखंड हिंदू राष्ट्र या राज्य की स्थापना की वकालत करता है.
वर्शिप एक्ट को चुनौती देने वाली नई याचिका खारिज : सुप्रीम कोर्ट ने पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. सीजेआई संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की बेंच ने मंगलवार को कहा कि यह याचिका लंबित चुनौती याचिका से अलग नहीं है. यद्यपि, कोर्ट ने याचिककर्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय को अधिनियम को चुनौती देने के लिए लंबित मामले में ही आवेदन दायर करने की छूट दी है. बता दें, यह अधिनियम धार्मिक स्थलों को उनके 15 अगस्त 1947 से पहले के रूप में संरक्षित करता है.
वक़्फ़ संशोधन विधेयक लोकसभा में आज होगा पेश
वक़्फ़ संशोधन विधेयक, 2024 बुधवार, 2 अप्रैल को लोकसभा में पेश किया जाएगा. वक़्फ़ संपत्तियों के विनियमन को संबोधित करने के लिए वक़्फ़ अधिनियम, 1995 में संशोधन करने का प्रस्ताव करने वाला विधेयक पहली बार अगस्त 2024 में लोकसभा में पेश किया गया था. पिछले साल अगस्त में संसद में पेश किए जाने के बाद, विधेयक को जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया था. जेपीसी ने इस साल फरवरी में अपनी रिपोर्ट पेश की.
गुजरात : गोदाम में पटाखा बनाते हुए विस्फोट, 21 मजदूरों की मौत
गुजरात के बनासकांठा के समीप डीसा में एक पटाखा गोदाम में विस्फोट के बाद 21 मजदूरों की मौत हो गई और पांच घायल हो गए. सभी मृतक मध्यप्रदेश के रहने वाले थे और दो दिन पहले ही मजदूरी के लिए आए थे. विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि मजदूरों के अंग कई मीटर दूर तक बिखर गए. बताया जाता है कि दीपक फायरक्रेकर्स के मालिक के पास पटाखे बेचने का लाइसेंस था, लेकिन गोदाम में बारूद लाकर पटाखे बनाए जाते थे. पुलिस ने 17 मौतों की पुष्टि की है, लेकिन इस त्रासदी के वक्त कितने लोग गोदाम में मौजूद थे, इस बारे में सबने मौन साध रखा है. स्थानीय लोगों का दावा है कि कम से कम 18 शव बरामद किये जा चुके हैं और गंभीर रूप से घायल पांच मजदूर डीसा सिविल अस्पताल में मौत से संघर्ष कर रहे हैं.
गुजरात में 16 हजार से अधिक आंगनवाड़ी केंद्रों की कमी : “द वायर” में दीपल त्रिवेदी की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात विधानसभा में पेश नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की एक ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में जरूरत के हिसाब से 16,000 से अधिक आंगनवाड़ी केंद्रों की कमी दर्ज की गई है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि राज्य में कम वजन वाले नवजात शिशुओं का प्रतिशत 2017-18 में 12.33% से घटकर अब 11.68% हो गया है, लेकिन राज्य अभी भी "कम वजन वाले नवजात शिशुओं के अनुपात को प्रति वर्ष 2% तक कम करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में असफल है.
ट्रम्प की टैरिफ तलवार गिराने से पहले अमेरिका ने कई सारे ऐतराज उठाए
अमेरिका ने भारत के आयात-गुणवत्ता मानकों पर चिंता जताई
व्यापार बाधाओं की सूची जारी की
संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा 2 अप्रैल की समयसीमा में व्यापक प्रतिगामी (reciprocal) टैरिफ लागू करने से कुछ घंटे पहले, अमेरिका ने एक बार फिर भारत की व्यापार नीतियों पर आपत्ति जताई है. इसमें स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने वाली प्रमुख योजनाएं भी शामिल हैं, जिससे दोनों देशों के बीच चल रहा द्विपक्षीय व्यापार समझौता वार्ता प्रभावित हो सकती है.
'रायटर्स' की रिपोर्ट है कि अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (USTR) द्वारा प्रकाशित "2025 नेशनल ट्रेड एस्टीमेट रिपोर्ट" में कई व्यापारिक बाधाओं को चिन्हित किया गया है, जिनमें उच्च सीमा शुल्क (टैरिफ), डिजिटल प्रतिबंध और अन्य नीतिगत निर्णय शामिल हैं. रिपोर्ट में भारत से इनमें बदलाव करने का आग्रह किया गया है. यह रिपोर्ट ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और जापान सहित 59 देशों को कवर करती है, और यह एक ऐसे महत्वपूर्ण समय में आई है जब नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा जारी है.
सोमवार को जारी इस रिपोर्ट में अमेरिका ने विभिन्न देशों की व्यापारिक नीतियों और विनियमों की एक विस्तृत सूची प्रस्तुत की, जिन्हें वह व्यापार में बाधक मानता है. इसमें भारत के उच्च सीमा शुल्क (टैरिफ), आयात प्रतिबंधों, लाइसेंसिंग प्रक्रियाओं और सीमा शुल्क संबंधी बाधाओं को चिन्हित किया गया है.
भारत के प्रयासों के बावजूद अमेरिकी आपत्तियां : राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल में अमेरिका ने वैश्विक व्यापार व्यवस्था को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश की, जबकि भारत उन कुछ देशों में शामिल रहा जिसने टैरिफ कम करके ट्रम्प को खुश करने की कोशिश की है. ट्रम्प ने अक्सर भारत को "टैरिफ किंग" और "टैरिफ का दुरुपयोग करने वाला" बताया है.
दोनों देशों ने एक प्रारंभिक व्यापार समझौते की दिशा में बातचीत शुरू की है. पिछले महीने ही रिपोर्ट्स आई थी कि भारत, अमेरिकी आयातों पर लगने वाले टैरिफ में $23 बिलियन (करीब 1.9 लाख करोड़ रुपये) के उत्पादों पर छूट देने को तैयार है, जो कई वर्षों में सबसे बड़ी छूट होगी. हालांकि, अमेरिका को चिंता है कि भारत के कुछ आयात संबंधी नियम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं हैं, कुछ अत्यधिक बोझिल हैं या उनमें समयसीमा का स्पष्ट उल्लेख नहीं है. ट्रम्प प्रशासन ने अपनी नवीनतम यूएसटीआर रिपोर्ट में यह बात कही है. यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ट्रम्प की 2 अप्रैल की टैरिफ घोषणा में इस रिपोर्ट के निष्कर्षों को शामिल किया गया है.
यूएसटीआर के अनुसार, 2019 से भारत ने रसायन, चिकित्सा उपकरण, बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, खाद्य और वस्त्र जैसे क्षेत्रों में भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के मानकों को अनिवार्य कर दिया है. भारत सरकार के एक बयान के मुताबिक, अब तक लगभग 100 क्षेत्रों में 700 से अधिक गुणवत्ता नियंत्रण आदेश जारी किए जा चुके हैं और रसायन, वस्त्र, स्टील, एल्युमिनियम, इलेक्ट्रिक उपकरणों जैसे क्षेत्रों में 125 नए आदेश जारी करने की योजना है.
भारत ने प्रतिशोधात्मक टैरिफ पर फिलहाल रोक लगाई : दो सरकारी अधिकारियों ने बताया कि भारत ने ट्रम्प की वैश्विक प्रतिगामी टैरिफ योजना के जवाब में अभी प्रतिशोधात्मक टैरिफ लगाने पर विचार नहीं किया है, क्योंकि नई दिल्ली को उम्मीद है कि उसे छूट मिल सकती है. हालांकि, पिछले हफ्ते हुई द्विपक्षीय वार्ता में अमेरिका ने छूट देने का कोई आश्वासन नहीं दिया है.
डेटा प्राइवेसी और इलेक्ट्रॉनिक भुगतान पर भी चिंता : यूएसटीआर की रिपोर्ट में अन्य विवादास्पद मुद्दों पर भी प्रकाश डाला गया, जिसमें भारत का डेटा गोपनीयता ढांचा भी शामिल है. पिछले महीने जारी भारत के डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के मसौदे में कुछ प्रावधानों को लेकर अमेरिका ने आपत्ति जताई है. यूएसटीआर के अनुसार, इसमें भारत सरकार को व्यक्तिगत डेटा का खुलासा करने की अनिवार्यता, क्रॉस-बॉर्डर डेटा ट्रांसफर पर प्रतिबंध और डेटा स्थानीयकरण की अनुमति शामिल हो सकती है. इसके अलावा, अमेरिका ने इलेक्ट्रॉनिक भुगतान सेवाओं से जुड़ी नीतियों पर भी आपत्ति जताई है, जो विदेशी आपूर्तिकर्ताओं की तुलना में भारतीय घरेलू कंपनियों को तरजीह देती प्रतीत होती हैं.
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ने भारत की कृषि नीतियों पर उठाए सवाल : अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय (USTR) ने भारत की कृषि सब्सिडी विशेषकर गेहूं और चावल जैसी मुख्य फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) कार्यक्रम पर आपत्ति जताई है. रिपोर्ट में भारत के डेयरी, अनाज और जीएम-मुक्त प्रमाणन के लिए वैज्ञानिक आधार रहित नियमों की आलोचना की गई है. अमेरिका के अनुसार, जीन-संवर्धित उत्पादों, डिस्टिलर्स ड्राइड ग्रेन्स विद सॉल्युबल्स (DDGS) और अल्फाल्फा घास के लिए भारतीय बाजार पहुंच अवरुद्ध है.
भारत के सख्त कीट नियंत्रण उपायों विशेष से मिथाइल ब्रोमाइड उपचार को अनावश्यक रूप से बोझिल और असंगत रूप से लागू बताया गया है. वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक ने सवाल उठाया है कि भारत अमेरिकी मक्का का आयात क्यों नहीं करता? इसका जवाब भारत के कृषि क्षेत्र के प्रति सुदृढ़ संरक्षणवादी रुख में निहित है.
टैरिफ और गुणवत्ता नियंत्रण को लेकर तनाव : रिपोर्ट के अनुसार, भारत वैश्विक प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ऊंचे टैरिफ बनाए रखता है. औसत सर्वाधिक राष्ट्राधिकार (MFN) टैरिफ दर 17% है, जबकि कृषि उत्पादों पर यह 39% तक पहुंच जाती है. शराब और अखरोट जैसे कुछ उत्पादों पर शुल्क 100% से 150% तक है, जिसे अमेरिका भारतीय बाजार में अपने उत्पादों के लिए प्रतिस्पर्धी बाधा मानता है.
यूएसटीआर ने जनवरी 2024 में पॉलीथीन पर लगाए गए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं बताया है. अमेरिका का दावा है कि यह प्लास्टिक और रसायन व्यापार को बाधित करता है, जबकि भारत का कहना है कि यह नीति निम्न गुणवत्ता वाले आयातों को रोकने में मदद करती है.
डिजिटल नियमों और सरकारी खरीद पर चिंता : रिपोर्ट में भारत के सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 पर भी चिंता व्यक्त की गई है, जो डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अवैध मानी जाने वाली सामग्री को हटाने सहित कड़ी आवश्यकताएं लगाते हैं. अमेरिका का मानना है कि ऐसे उपाय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित कर सकते हैं और अमेरिकी टेक कंपनियों के लिए अनुपालन को कठिन बना सकते हैं. यूएसटीआर ने केंद्रीकृत सरकारी खरीद नीतियों के अभाव, नियम निर्माण में पारदर्शिता की कमी और विश्व व्यापार संगठन (WTO) को सूचनाओं के अपर्याप्त प्रावधान पर भी आपत्ति जताई है. प्रतिगामी टैरिफ पर चर्चा के साथ, ये निष्कर्ष जल्द ही भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर वास्तविक प्रभाव डाल सकते हैं.
महादेव ऐप : सीबीआई की एफआईआर में भूपेश बघेल का नाम : सीबीआई ने महादेव सट्टा ऐप मामले में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नाम भी आरोपियों की सूची में शामिल कर लिया है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एक रिपोर्ट के अनुसार बघेल भी कथित तौर पर महादेव सट्टेबाजी घोटाले के लाभार्थियों में से एक थे. सीबीआई ने दरअसल छत्तीसगढ़ पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की एफआईआर को ही अपनी एफआईआर बना लिया है और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र), धोखाधड़ी (420) और छत्तीसगढ़ जुआ (निषेध) अधिनियम के तहत फिर से केस दर्ज किया है. 19 नामित आरोपियों में से बघेल का नाम 6 वें नंबर पर है.
विदेश की जेलों में 10 हजार से ज्यादा भारतीय बंद : विदेशों में वर्तमान में 86 देशों की जेलों में 10,152 भारतीय कैदी बंद हैं. इनमें से 12 देशों, जैसे चीन, कुवैत, नेपाल, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में भारतीय कैदियों की संख्या 100 से अधिक है. यह जानकारी मंगलवार को जारी संसद की स्थायी समिति की छठी रिपोर्ट में दी गई है. सऊदी अरब और यूएई में सबसे अधिक भारतीय कैदी हैं, जिनकी संख्या 2,000 से अधिक है. अन्य खाड़ी देशों जैसे बहरीन, कुवैत और कतर में भी बड़ी संख्या में भारतीय कैदी हैं. इसके अलावा, नेपाल में 1,317 भारतीय कैदी हैं, जबकि मलेशिया में वर्तमान में 338 भारतीय नागरिक जेल में हैं. चीन की जेलों में भी 173 भारतीय बंद हैं.
किसको मिलेंगे रतन टाटा के 3800 करोड़?
मुख्य रूप से करीबी सहयोगियों, धर्मार्थ संगठनों और परिवार के सदस्यों के बीच अपनी संपत्ति पर विवाद की आशंका करते हुए, रतन टाटा ने स्पष्ट किया था कि कोई भी लाभार्थी जो उनकी वसीयत को चुनौती देगा, उसके अधिकार और लाभ जब्त हो जाएंगे.
हालांकि इस "नो-कॉन्टेस्ट" खंड का उद्देश्य लाभार्थियों के बीच मुकदमेबाजी को रोकना था, वकीलों के अनुसार, टाटा के दीर्घकालिक सहयोगी मोहिनी मोहन दत्त ने कथित तौर पर दिवंगत टाटा समूह के अध्यक्ष की संपत्ति में अपने हिस्से पर स्पष्टीकरण मांगा है. टाटा सन्स और विभिन्न टाटा कंपनियों के पूर्व अध्यक्ष टाटा का 9 अक्टूबर, 2024 को निधन हो गया था.
रतन टाटा की वसीयत के निष्पादकों ने पिछले सप्ताह बॉम्बे हाई कोर्ट में वसीयत के प्रमाणन के लिए याचिका दायर की है.
स्पष्टीकरण के केंद्र में दत्त का टाटा की संपत्ति के एक-तिहाई का अधिकार है, जिसका कुल मूल्य लगभग 3,800 करोड़ रुपये है, जिसमें बुक वैल्यू पर 1,684 करोड़ रुपये के टाटा सन्स शेयर शामिल हैं. हालांकि, टाटा सन्स के शेयर विशेष रूप से रतन टाटा द्वारा स्थापित दो फाउंडेशन को वसीयत किए गए हैं, जिससे दत्त का दावा अनिश्चित हो गया है. कानूनी हलकों के अनुसार, दत्त ने केवल स्पष्टीकरण मांगा है, वसीयत के प्रावधानों को चुनौती नहीं दी है.
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को वसीयत के निष्पादकों द्वारा लाभार्थियों के बीच मध्यस्थता के लिए नियुक्त किया गया है.
रतन टाटा की संपत्ति, जिसका मूल्य लगभग 3,800 करोड़ रुपये है, मुख्य रूप से धर्मार्थ कारणों के लिए आवंटित की गई है, जिसमें रतन टाटा एंडाउमेंट फाउंडेशन और रतन टाटा एंडाउमेंट ट्रस्ट प्रमुख लाभार्थी हैं.
टाटा सन्स में अपने शेयरों के अलावा, टाटा के निवेश में विभिन्न स्टॉक, वित्तीय साधन और संपत्तियां शामिल थीं. 23 फरवरी, 2022 को हस्ताक्षरित उनकी वसीयत में चार कोडिसिल (परिशिष्ट) शामिल हैं, जिनमें अंतिम में यह निर्धारित किया गया है कि अनावंटित संपत्तियों को धर्मार्थ ट्रस्टों में वितरित किया जाएगा.
वसीयत के प्रमुख लाभार्थी रतन टाटा एंडाउमेंट फाउंडेशन और रतन टाटा एंडाउमेंट ट्रस्ट हैं, जिन्हें संपत्ति का सबसे बड़ा हिस्सा मिलेगा. उनकी बहनें शिरीन जीजीभॉय और डीना जीजीभॉय को टाटा की शेष संपत्तियों का एक-तिहाई हिस्सा मिलेगा, जिसकी कीमत 800 करोड़ रुपये है.
दत्त, टाटा समूह के पूर्व कर्मचारी और करीबी सहयोगी, को टाटा की शेष संपत्तियों का एक-तिहाई हिस्सा मिलेगा. जिमी नवल टाटा, रतन टाटा के 82 वर्षीय भाई, को टाटा के जुहू बंगले, चांदी की वस्तुओं और गहनों का हिस्सा विरासत में मिलेगा. करीबी दोस्त मेहली मिस्त्री को टाटा की अलीबाग संपत्ति और तीन बंदूकें दी गई हैं.
मौसम / पर्यावरण
इस बार लू ज्यादा चलेगी
‘बीबीसी’ की रिपोर्ट है कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने इस साल अप्रैल से जून के बीच देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक तापमान और लू के दिनों की संख्या बढ़ने की चेतावनी जारी की है. विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि विशेष रूप से उत्तरी, मध्य और पूर्वी भारत के क्षेत्रों में इस साल अधिक गर्मी पड़ने की संभावना है. महापात्रा ने बताया, "इस साल गर्मी का मौसम सामान्य से अधिक तीव्र रहने वाला है. हमें विशेष रूप से उत्तर, मध्य और पूर्वी भारत में अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता होगी." सामान्यतः इस अवधि में देश में 5-7 लू के दिन दर्ज किए जाते हैं, लेकिन इस साल 2-4 अतिरिक्त दिन हो सकते हैं. राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और उत्तरी कर्नाटक व तमिलनाडु में सामान्य से अधिक लू के दिनों की संभावना. उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा जैसे राज्यों में 10-11 लू के दिन तक दर्ज हो सकते हैं.
13,000 वर्ग किमी से अधिक जंगलों की जमीन निगल गए भारतीय : भारत गंभीर पर्यावरणीय संकट का सामना कर रहा है और सरकार वन अतिक्रमण रोकने में विफल नजर आ रही है. 'डेक्कन हेराल्ड' की खबर है कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को सौंपे गए आंकड़ों के अनुसार, 25 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 13,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक वन भूमि पर अवैध कब्जा हो चुका है. यह क्षेत्रफल दिल्ली, सिक्किम और गोवा के संयुक्त क्षेत्र से भी बड़ा है. हालांकि, यह चौंकाने वाला आंकड़ा भी अभी अधूरा है, क्योंकि बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, नागालैंड, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख जैसे प्रमुख राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों ने अभी तक अपना डेटा ही नहीं दिया है. यह संकट न सिर्फ पर्यावरण के लिए, बल्कि देश की जैव विविधता और आर्थिक स्थिरता के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर रहा है.
चिड़ियाघरों और पुनर्वास केंद्रों की आड़ में बढ़ती अवैध तस्करी
दुनियाभर में चिड़ियाघरों और पुनर्वास एवं बचाव केंद्रों के बीच स्थानांतरण की आड़ में जंगली जीवों की अवैध तस्करी के मामले बढ़ रहे हैं. 'द वायर' की एक रिपोर्ट की मुताबिक एक अंतरराष्ट्रीय संगठन, जो संकटग्रस्त प्रजातियों के अवैध व्यापार को रोकने के लिए काम करता है, ने अपनी टास्क फोर्स को भेजे गए आंतरिक अलर्ट में इस बारे में चेतावनी दी है. अलर्ट में इस एनजीओ ने अवैध तस्करी के तरीकों को सूचीबद्ध किया, जबकि दूसरे में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो से भारत में एक "निजी केंद्र" के लिए भेजे गए संकटग्रस्त प्राइमेट्स (जैसे चिंपांजी) की खेप में "कई लाल झंडे" (संदिग्ध गतिविधियां) उजागर किए.
अलर्ट में यह नहीं बताया गया कि यह "निजी केंद्र" कौन सा है. इसके अलावा, इस अलर्ट में कहा गया कि भारत द्वारा इन जंगली प्राइमेट्स के आयात के लिए दिए गए "साइट्स" परमिट कई बार संशोधित किए गए, जिससे संकेत मिलता है कि ये परमिट बार-बार उपयोग किए गए और इसलिए अमान्य हो सकते हैं.
यह बातें उस वक्त सामने आई हैं जब 13 मार्च को ही जर्मन दैनिक 'ज़्युडडॉएचे साइटुंग' ने दो व्यापार डेटाबेस के डेटा के आधार पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि गुजरात के जामनगर स्थित वंतारा को "बचाए गए" जानवरों की बढ़ती मांग ने अवैध वन्यजीव व्यापार को बढ़ावा दिया हो, ऐसा हो सकता है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि जानवरों को उनके प्राकृतिक आवासों से पकड़कर चिड़ियाघरों और अन्य निर्यातकों के माध्यम से तस्करी की जा सकती है. हालांकि, वंतारा ने इन आरोपों को "निराधार" बताया है.
अलर्ट में कांगो, जर्मनी, गुयाना, संयुक्त अरब अमीरात और भारत जैसे देशों में स्थित "निजी चिड़ियाघर, संरक्षण केंद्र और कैप्टिव ब्रीडिंग सेंटरों" को "उच्च जोखिम वाले" केन्द्रों के रूप में सूचीबद्ध किया गया. हालांकि, इसमें किसी विशिष्ट केंद्र का नाम नहीं लिया गया है. अलर्ट के अनुसार, मार्च 2024 से अब तक कांगो से भारत को भेजी गई कम से कम 8 खेपों में अवैध रूप से पकड़े गए वन्यजीव हो सकते हैं.
जियो स्टार किसके मुकाबिल : ब्लूमबर्ग में लुकास शॉ के अनुसार जियोहॉटस्टार, "नेटफ्लिक्स से ऊपरी स्तर पर और यूट्यूब से निचले स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का प्रयास कर रहा है". जहाँ उदय शंकर, जो जियोस्टार का प्रबंधन करते हैं (रिलायंस और डिज्नी की मीडिया संपत्तियों के विलय के परिणामस्वरूप), ने क्रिकेट को अपनी रणनीति के केंद्र में रखा है, लेकिन कंपनी को अपने बड़े खर्चों को कवर करने के लिए न केवल क्रिकेट बल्कि अपने द्वारा प्रदान किए जाने वाले मनोरंजन विकल्पों के दर्शकों को भी लाना होगा. भारत में पे-टीवी व्यवसाय बहुत अच्छा नहीं चल रहा है और न ही बॉलीवुड, लेकिन "यहां के अधिकारी अभी भी अपने समकक्षों की तुलना में अधिक आशावाद व्यक्त करते हैं" जैसे, अमेरिका में, शॉ इस लेख में लिखते हैं कि क्या भारतीय मीडिया बाजार "विस्फोट कर रहा है या संकट में है".
अमेरिकी एजेंटों ने एनएसए डोवाल को समन भेजने के प्रयास को रोका : एक अमेरिकी अदालत ने फैसला सुनाया है कि फरवरी में वाशिंगटन, डीसी की यात्रा के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोवाल को समन की डिलीवरी सफलतापूर्वक पूरी नहीं हुई थी. यह फैसला खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा किए गए दावों का खंडन करता है, जिन्होंने दावा किया था कि समन वरिष्ठ भारतीय अधिकारी को दिया गया था. अदालत ने पन्नू के वकील के एक पत्र का जवाब दिया, जिसमें विस्तार से बताया गया था कि कैसे ब्लेयर हाउस - राष्ट्रपति के अतिथि निवास जहां भारतीय प्रतिनिधिमंडल ठहरा था - की रक्षा करने वाले अमेरिकी सीक्रेट सर्विस एजेंटों ने एक सर्वर को गिरफ्तार करने की धमकी दी थी जिसने बाहर जमीन पर नोटिस छोड़ने का प्रयास किया था. 12 फरवरी को, जिस दिन मोदी वाशिंगटन डीसी पहुंचने वाले थे, अमेरिकी अदालत ने पन्नू को "वैकल्पिक सेवा" की अनुमति दी थी, जिससे किसी भी सीक्रेट सर्विस एजेंट को समन दिया जा सकता था जो अपनी यात्रा के दौरान डोवाल के लिए सुरक्षा प्रदान कर रहे थे, क्योंकि डोवाल आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे. समन अंततः पास के एक स्टारबक्स में छोड़ दिया गया, जिसे अदालत ने अपर्याप्त माना.
अरबिंदो के ऑरोविल पर भाजपाई रंग मे ढालने की कोशिश : श्री अरबिंदो के दर्शन ने आध्यात्मिकता और राजनीति दोनों को अपनाया, फिर भी बीजेपी-आरएसएस उन्हें अपनी हिंदुत्व विचारधारा के अनुरूप ढालते प्रतीत होते हैं. सनातन धर्म और अखंड भारत की उनकी अवधारणाएं अब उनके आख्यान के साथ संरेखित हैं, जिससे गलत व्याख्या के बारे में चिंताएं बढ़ रही हैं. ऑरोविल, जिसे सीमाओं, धर्मों और डॉग्मा से परे एक स्थान के रूप में परिकल्पित किया गया था, महत्वपूर्ण परिवर्तनों से गुजर रहा है - इसका परिदृश्य बदल गया है, इसका मूल चुनौतीपूर्ण है और इसकी विरासत विवादित है. पूजा प्रसन्ना और प्रियंका तिरुमूर्ति आरएसएस और बीजेपी द्वारा ऑरोविल पर नियंत्रण हासिल करने के प्रयास पर रिपोर्ट करती हैं.
गांधी आश्रम के रिनोवेशन रोकने के लिए गांधी की याचिका खारिज : सुप्रीम कोर्ट ने एमके गांधी के प्रपौत्र, तुषार गांधी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें अहमदाबाद में साबरमती आश्रम के पुनर्विकास के लिए गुजरात सरकार की योजनाओं को चुनौती दी गई थी, लाइव लॉ रिपोर्ट करता है. जस्टिस एमएम सुंदरेश और राजेश बिंदल की बेंच ने इस मामले में तुषार गांधी की याचिका को खारिज करने के गुजरात उच्च न्यायालय के 2022 के फैसले के खिलाफ याचिका दायर करने में लगभग 2.5 वर्षों की देरी का हवाला दिया. गांधी ने अपनी याचिका में तर्क दिया था कि आश्रम के पुनर्विकास के लिए गुजरात सरकार की प्रस्तावित 1,200 करोड़ रुपये की परियोजना "सदी पुराने आश्रम के स्थलाकृति को बदल देगी" और "इसके मूल भावना को भ्रष्ट करेगी". "परियोजना ने कथित तौर पर 40 से अधिक सुसंगत इमारतों की पहचान की है जिन्हें संरक्षित किया जाएगा जबकि बाकी, लगभग 200, नष्ट कर दिए जाएंगे या फिर से बनाए जाएंगे," लाइव लॉ द्वारा उद्धृत याचिका में कहा गया था.
अपतटीय खनन के टेंडरों पर राहुल ने चिंता जताई : लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केरल, गुजरात और अंडमान व निकोबार द्वीप समूह के तटों से कुछ दूरी पर (अपतटीय) खनन की अनुमति देने वाले टेंडरों को रद्द करने की मांग की है. उन्होंने सरकार से अपतटीय खनन के पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक प्रभाव का वैज्ञानिक अध्ययन करने का आग्रह किया है. गांधी ने कहा कि "हमारे तटीय समुदाय इस बात का विरोध कर रहे हैं कि अपतटीय खनन के टेंडर बिना पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन किए जारी किए गए हैं. लाखों मछुआरे अपनी आजीविका और जीवन शैली पर इसके प्रभाव को लेकर गंभीर चिंताएं व्यक्त कर रहे हैं." उन्होंने यह भी कहा कि "ऐसे समय में जब हमारे तटीय पारिस्थितिकी तंत्र का क्षरण चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को बढ़ा रहा है, यह चिंताजनक है कि सरकार बिना वैज्ञानिक आकलन के ऐसी गतिविधियों को मंजूरी दे रही है."
दो मालगाड़ियों में सीधी टक्कर, दो लोको पायलट की मौत : झारखंड में दो मालगाड़ियों के बीच सीधी टक्कर हो गई. मंगलवार तड़के साहिबगंज जिले में बरहेट एमजीआर लाइन पर हुए इस हादसे में दो लोको पायलट की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए. बताया जा रहा है कि एक मालगाड़ी खड़ी थी, तभी उसी ट्रैक पर दूसरी मालगाड़ी आकर टकरा गई.
कितने स्मार्ट हो पाये हमारे शहर? कितना कामयाब रहा नरेन्द्र मोदी का ख़ास स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट?
'द इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्मार्ट सिटी मिशन 31 मार्च को समाप्त हो गया है, हालांकि 7% परियोजनाएं अभी भी चल रही हैं. इस मिशन की शुरुआत 2015 में 100 स्मार्ट शहर बनाने के उद्देश्य से की गई थी. शहरों का चयन 2016 से 2018 के बीच किया गया था और उन्हें अपनी परियोजनाएं पांच साल (2021-2023 तक) में पूरी करनी थीं. हालांकि, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) ने समय सीमा को पहले जून 2023, फिर जून 2024 और अब 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दिया था. हालांकि, अब केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि स्मार्ट सिटी मिशन को अब आगे बढ़ाया नहीं जाएगा और न ही इसे किसी अन्य नाम या स्वरूप में फिर से लागू किया जाएगा.
10 मार्च को राज्यसभा में दिए जवाब में मंत्रालय ने बताया कि 47,538 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं, जिसमें से शहरों ने 45,772 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. स्मार्ट सिटी डैशबोर्ड के अनुसार, 7,491 परियोजनाएं (1.50 लाख करोड़ रुपये की) पूरी हो चुकी हैं, जबकि 567 परियोजनाएं (14,357 करोड़ रुपये की) अभी भी चल रही हैं. सबसे अधिक खर्च जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य (46,730 करोड़ रुपये) पर हुआ है, इसके बाद स्मार्ट मोबिलिटी (37,362 करोड़) और स्मार्ट गवर्नेंस (16,262 करोड़) का स्थान है. इस मिशन के तहत हर शहर ने इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (ICCC) स्थापित किया है, जिस पर कुल 11,775 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.
स्मार्ट सिटी मिशन में महाराष्ट्र सबसे प्रभावित राज्य रहा, जहां 1898 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट अधूरे रह गए. इसके बाद बिहार में 1138 करोड़ और उत्तर प्रदेश में 772 करोड़ के प्रोजेक्ट पूरे नहीं हो सके. बंगाल के कोलकाता शहर में 618 करोड़ रुपये के छह प्रोजेक्ट अधूरे रहे. इसके अतिरिक्त धर्मशाला में 200 करोड़, सतना में 259 करोड़, पटना में 383 करोड़, मुजफ्फरपुर में 340 करोड़ और बिहारशरीफ में 306 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट भी अधूरे रहे.
उदाहरण के लिए अकेले आगरा की बात करते हैं जिसका जायजा 'द इंडियन एक्सप्रेस' के लिए दामिनी नाथ ने लिया है. दामिनी ने लिखा है कि 1,530 से अधिक सीसीटीवी कैमरों के लाइव फीड के साथ, इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (ICCC) आगरा का केंद्रीय नियंत्रण कक्ष है. यहां ट्रैफिक चालान से लेकर कचरा संग्रह तक, शहर का हर डेटा रियल टाइम में दिखाई देता है. वहीं, ताजमहल के पास स्थित ताजगंज की संकरी गलियों में गड्ढे, खुले नाले और ऊपर से गुजरती तारों का जाल दिखता है. दोनों जगहों पर आगरा स्मार्ट सिटी लिमिटेड का लोगो लगा है, जो उनके बीच के संबंध को दर्शाता है. शहर में कुछेक काम हुए, लेकिन इसे 'स्मार्ट सिटी' के बेचे गए सपने के सामने नगण्य ही कहा जा सकता है.
स्मार्ट सिटी मिशन की शुरुआत : 2014 के आम चुनावों से पहले, तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने "100 नए शहरों" के विकास का विचार रखा था. 2015 में स्मार्ट सिटी मिशन शुरू हुआ, जिसमें आगरा को 2016 में चुना गया. इस मिशन के तहत प्रत्येक शहर को पांच साल तक प्रति वर्ष 100 करोड़ रुपये का फंड मिलना था, जिसमें राज्यों को भी योगदान देना था. आगरा ने 2,369 करोड़ रुपये की लागत से 62 परियोजनाएं पूरी कीं, जिनमें आईसीसीसी का निर्माण भी शामिल है. आईसीसीसी में एआई-सक्षम कैमरों, जीपीएस ट्रैकिंग और नागरिकों की शिकायतों का प्रबंधन किया जाता है. इससे कचरा प्रबंधन, ट्रैफिक नियंत्रण और अन्य सेवाओं में सुधार हुआ है. हालांकि, मिशन समाप्त होने के बाद आईसीसीसी को चलाने के लिए राजस्व जुटाने की चुनौती है. फरवरी से आईसीसीसी ने सीसीटीवी फुटेज देखने के लिए 100 रुपये शुल्क लेना शुरू किया है, जिससे कुछ आय हो रही है. कुल मिलाकर देखें तो हवाई दावे, अधूरे काम के साथ अब समाप्त हुए.
बहुत पीछे है अभी भारत की एआई रफ्तार
विश्व के आईटी आउटसोर्सिंग में 50% बाजार हिस्सेदारी के साथ भी, भारत की कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) बौद्धिक संपदा के विकास में नगण्य उपस्थिति है. कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्षेत्र में 60% पेटेंट चीन के पास हैं (जो आईटी सेवा निर्यात में भारत से छोटा है). सैकड़ों एआई स्टार्टअप्स होने के बावजूद भारत के पास 1% से भी कम पेटेंट हैं - इसका मतलब है कि वे केवल चैटबॉट / ग्राहक सेवा / व्यावसायिक प्रक्रियाओं के लिए एआई का उपयोग कर रहे हैं - अत्याधुनिक चीजों के लिए नहीं. भारत का आईटी क्षेत्र प्रति वर्ष लगभग 30 अरब डॉलर (अनुमानित ₹2.5 - 3 लाख करोड़) का लाभ कमाएगा. हमें नवाचार, अनुसंधान और विकास में अधिक निवेश करने की आवश्यकता है. ट्रस्ट म्यूचुअल फंड के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर मिहिर वोरा ने अपने पोस्ट में ऐसा कहा है और ये ग्राफ भी लगाया है.
रूस ने अमेरिका के ताजा शांति प्रस्तावों को अस्वीकार किया
‘द गार्डियन’ की रिपोर्ट है कि मास्को ने हाल ही में अमेरिका द्वारा पेश किए गए शांति प्रस्तावों को अस्वीकार्य करार दिया है. इससे यह स्पष्ट होता है कि जनवरी में पद संभालने के बाद से डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के प्रयासों में बहुत कम प्रगति हुई है, जबकि शोर खूब मचा है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विदेश नीति सलाहकार सर्गेई रयाबकोव ने कहा कि अमेरिकी प्रस्तावों में रूस की कुछ प्रमुख मांगों को शामिल किया गया है, लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि हाल के हफ्तों में यूक्रेन को लेकर अमेरिका और रूस के बीच वार्ता ठप हो गई है.
रयाबकोव ने रूसी पत्रिका ‘इंटरनेशनल अफेयर्स’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा - "हम अमेरिकियों द्वारा सुझाए गए मॉडल और समाधान को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं, लेकिन हम इसे इसकी वर्तमान स्थिति में स्वीकार नहीं कर सकते. अभी हमारे पास सिर्फ एक ऐसा ढांचा तैयार करने का प्रयास है, जिससे सबसे पहले संघर्षविराम की संभावना बन सके. कम से कम अमेरिकियों की सोच के ऐसी है, लेकिन जहां तक हम देख सकते हैं, इसमें हमारी मुख्य मांगों के लिए कोई जगह नहीं है. खासकर उन समस्याओं के समाधान की, जो इस संघर्ष की जड़ से जुड़ी हुई हैं."
पुतिन की मांगें और युद्धविराम की शर्तें : पुतिन ने बार-बार "संघर्ष की जड़" की ओर इशारा किया है, जिससे वह यूक्रेन युद्ध पर किसी भी संभावित समझौते को लेकर अपनी सख्त शर्तें सही ठहराते रहे हैं. हाल के हफ्तों में पुतिन ने खुले तौर पर यूक्रेन में सत्ता परिवर्तन की वकालत की है. उन्होंने दावा किया कि वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के पास शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने की वैधता नहीं है और सुझाव दिया कि यूक्रेन को बाहरी प्रशासन की आवश्यकता है.
ट्रम्प की प्रतिक्रिया और बढ़ती निराशा : डोनाल्ड ट्रम्प, जिन्होंने 24 घंटे के भीतर यूक्रेन युद्ध समाप्त करने का वादा किया था, अब अपनी धीमी प्रगति से असंतुष्ट नजर आ रहे हैं. सप्ताहांत में, अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि वह पुतिन के रुख से "गुस्से में" हैं और चेतावनी दी कि यदि एक महीने के भीतर युद्धविराम नहीं हुआ, तो रूस के तेल निर्यात पर नए अमेरिकी शुल्क लगाए जाएंगे. ट्रम्प के इस बयान को उनके आमतौर पर पुतिन के प्रति नरम रुख से एक स्पष्ट बदलाव के रूप में देखा गया. हालांकि, सोमवार तक उन्होंने अपनी बयानबाजी को नरम कर लिया और इसके बजाय यूक्रेन पर अमेरिका के साथ एक आर्थिक समझौते को फिर से वार्ता में लाने का आरोप लगाया. इससे पहले ट्रम्प प्रशासन ने काला सागर क्षेत्र में युद्धविराम की कोशिश भी की, लेकिन रूस ने इसमें यूरोपीय प्रतिबंधों को हटाने जैसी शर्तें जोड़ दीं, जिसे ब्रुसेल्स ने तुरंत अस्वीकार कर दिया. सऊदी अरब में अमेरिका के साथ वार्ता में रूस का प्रतिनिधित्व करने वाले ग्रिगोरी करासिन ने पिछले सप्ताह स्वीकार किया कि, "बातचीत में कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई है और यह अगले वर्ष तक खिंच सकती है." क्रेमलिन से जुड़े सूत्रों का मानना है कि मास्को तब तक पूर्ण युद्धविराम स्वीकार नहीं करेगा, जब तक उसकी कुछ प्रमुख मांगें पूरी नहीं हो जातीं. रूस का मानना है कि युद्ध जारी रखना उसके हित में है, क्योंकि अमेरिका धीरे-धीरे पीछे हटता दिख रहा है. पुतिन यूक्रेन में सत्ता परिवर्तन चाहते हैं, जिससे शांति वार्ता में और जटिलता आ गई है.
चलते-चलते
नसीरुद्दीन शाह : मुग़ल जिन्हें आप नहीं जानते
इंडियन एक्सप्रेस में अभिनेता नसीरूद्दीन शाह ने पत्रकार और भाजपा नेता रहे बलबीर पुंज द्वारा औरंगजेब और मुगलों के विरुद्ध लिखे गए आलेख की आलोचना की है. शाह ने पुंज की ऐतिहासिक अज्ञानता और पूर्वाग्रहों को रेखांकित किया है. नसीर कहते हैं कि मुगलों और औरंगजेब के बहाने पुंज भारत के मुसलमानों पर निशाना साध रहे हैं. उनका कहना है कि पुंज ने इतिहास ठीक से पढ़ा ही नहीं.
नसीर बताते हैं कि इस्लाम मुगलों से पहले ही मालाबार तट पर आ चुका था, जहाँ मंदिरों को नष्ट करने या धर्म परिवर्तन के कोई प्रमाण नहीं हैं. वे पुंज के तर्क का खंडन करते हैं कि पड़ोसी देशों में गैर-मुस्लिम समुदायों के विलुप्त होने का कारण "आक्रमणकारी" थे.
नसीर का कहना है कि भारत में कोई भी मुसलमान औरंगजेब को आदर्श नहीं मानता, जबकि बाबर, अकबर और शाहजहां को सम्मान मिलता है. वे पुंज की विरोधाभासी बातों की ओर इशारा करते हैं - अगर मुगल मंदिरों को नष्ट करना पसंद करते थे, तो "लाखों हिंदू और हजारों मंदिर कैसे बचे?"
शाह सवाल उठाते हैं कि केवल मुगलों को, जो यहां बसने आए थे, लूटने नहीं, ही हमारे तथाकथित देशभक्तों द्वारा निरंतर निंदा का निशाना क्यों बनाया जाता है. मुगलों ने वास्तुकला, साहित्य, चित्रकला, संगीत और कविता के खजाने छोड़े. केवल औरंगजेब कट्टरपंथी था, अन्य मुगल काफी हद तक धर्मनिरपेक्ष थे. उनका तर्क है कि विश्व स्तर पर इस्लामोफोबिया के कारण मुगलों को तैमूर, नादिर शाह जैसे लुटेरों से भ्रमित किया जाता है. दुनिया केवल मुगलों को जानती है, इसलिए उन्हें बदनाम किया जाना चाहिए. और चूंकि मुगल मुसलमान थे, इसलिए सभी मुसलमान आक्रमणकारी हैं - यह गलत धारणा है. पूरा लेख यहाँ पर.
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