02/05/2025: जंग के जुमलों के बीच बढ़ता ताप | पहलगाम पीड़िता की अपील | जंग के जोखिम | जाति जनगणना पर उलटबांसी | रामदेव किसके काबू में | चीन पाकिस्तान की तरफ? | जलसंकट का समाधान
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां :
नीट परीक्षा ; पेपर लीक का दावा करने वाले टेलीग्राम और इंस्टा चैनलों की पहचान
आतंकी हमला करने वालों को नहीं बख्शेंगे : शाह
एक मुस्लिम के अपराध की सजा नैनीताल में मुस्लिम दुकानदारों ने झेली
अडाणी ग्रुप ने टॉवर सेमीकंडक्टर के साथ ₹83,000 करोड़ की चिप परियोजना रोकी
भारत में पाकिस्तानी एक्टर्स हुए गायब!
इंडियन ऑयल चेयरमैन का बयान: रूस से तेल खरीद को लेकर कोई टर्म डील नहीं, अमेरिकी तेल की खरीद वाणिज्यिक आधार पर निर्भर
नई एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तक में प्राचीन काल में जाति व्यवस्था के दावों पर विद्वानों को आपत्ति
मिड-डे मील खाने के बाद 100 बच्चों के बीमार पड़ने के मामले में एनएचआरसी ने जारी किया बिहार सरकार को नोटिस
पहलगाम हमले की पीड़िता की अपील
पाकिस्तान भारत के अगले कदम का कर रहा इंतजार, पहलगाम आतंकी हमले के बाद तनाव चरम पर
भारत ने पाकिस्तानी विमानों के लिए एयरस्पेस किया बंद
शरबत जिहाद पर हाईकोर्ट बोला, “किसी के काबू में नहीं बाबा रामदेव”
जंग हुई तो चीन और बाकी हथियार निर्माता देश अपना लोहा आजमाएंगे
इज़राइल में भीषण जंगल की आग, राष्ट्रीय आपातकाल घोषित
मिनरल डील से पहले ही ट्रम्प ने यूक्रेन को दिए हथियार
जंग के जुमलों के बीच भारत-पाक में बढ़ता ताप
पाकिस्तान भारत के अगले कदम का कर रहा इंतजार: 'वॉशिंगटन पोस्ट' की रिपोर्ट है कि कश्मीर में हुए आतंकी हमले के एक हफ्ते से अधिक समय बाद, जिसने भारत और पाकिस्तान के बीच कम से कम पांच वर्षों में सबसे गंभीर संकट को जन्म दिया, पाकिस्तान चिंतित है और भारत के अगले कदम का इंतजार कर रहा है. बुधवार को पाकिस्तान सरकार ने “विश्वसनीय खुफिया जानकारी” का हवाला देते हुए कहा कि वह गुरुवार रात से पहले भारत की सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार है और चेतावनी दी कि किसी भी हमले का “पक्का और निर्णायक जवाब” दिया जाएगा. भारत सरकार ने 22 अप्रैल को पहलगाम में पर्यटकों पर हुए हमले के लिए पाकिस्तान के साथ “संबंध” होने का आरोप लगाया है. इस हमले में 26 लोग मारे गए, जो हाल के वर्षों में कश्मीर में पर्यटकों पर सबसे घातक हमला था. भारत ने कहा है कि संदिग्ध हमलावरों में से दो पाकिस्तानी नागरिक हैं, लेकिन अभी तक किसी आतंकी समूह की पहचान नहीं हुई है और न ही किसी ने हमले की जिम्मेदारी ली है. पाकिस्तान सरकार ने किसी भी संलिप्तता से इनकार किया है.
भारत की आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करता है अमेरिका
'द हिंदू' की रिपोर्ट है कि भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिका के रक्षा सचिव पीट हेगसेथ के बीच फोन पर बातचीत हुई. इस दौरान अमेरिका ने भारत के साथ एकजुटता जताई और कहा कि वह भारत के "आत्मरक्षा के अधिकार" का समर्थन करता है. राजनाथ सिंह ने हेगसेथ से कहा कि पाकिस्तान एक "दुष्ट राज्य" के रूप में उजागर हो चुका है, जो वैश्विक आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और इस क्षेत्र को अस्थिर कर रहा है. रक्षा मंत्री ने कहा कि अब दुनिया आतंकवाद पर "आंखें मूंदकर" नहीं बैठ सकती. सिंह के कार्यालय ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर बताया, "हेगसेथ ने कहा कि अमेरिका भारत के साथ एकजुटता में खड़ा है और आत्मरक्षा के भारत के अधिकार का समर्थन करता है. उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में अमेरिकी सरकार के मजबूत समर्थन को दोहराया." रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी विवरण के अनुसार, "रक्षा मंत्री ने अमेरिकी रक्षा सचिव को बताया कि पाकिस्तान का इतिहास आतंकवादी संगठनों को समर्थन, प्रशिक्षण और धन देने का रहा है." मंत्रालय ने सिंह के हवाले से कहा, "पाकिस्तान एक दुष्ट राज्य के रूप में बेनकाब हो चुका है, जो वैश्विक आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और इस क्षेत्र को अस्थिर कर रहा है. अब दुनिया आतंकवाद पर आंखें बंद नहीं कर सकती." सिंह ने यह भी कहा कि वैश्विक समुदाय के लिए यह जरूरी है कि वह इन घिनौने आतंकी हमलों की "स्पष्ट और दृढ़ शब्दों में निंदा करे और उन्हें बेनकाब करे." मंत्रालय के अनुसार, हेगसेथ ने फोन कर पहलगाम आतंकी हमले में निर्दोष नागरिकों की मौत पर गहरी संवेदना और शोक व्यक्त किया. यह पहलगाम आतंकी हमले के बाद किसी वरिष्ठ भारतीय मंत्री द्वारा पाकिस्तान का पहला सीधा उल्लेख था.
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से बातचीत की और दोनों देशों से "तनाव कम करने के लिए मिलकर काम करने" की अपील की है.
अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम:
भारतीय नौसेना और पाकिस्तानी नौसेना ने अरब सागर में समानांतर अभ्यास शुरू किए हैं. दोनों ने समुद्री क्षेत्र में ‘नाव क्षेत्र’ चेतावनियां जारी कीं, जिससे सैन्य टकराव की आशंका गहराई है.
नियंत्रण रेखा (LoC) पर संघर्षविराम उल्लंघन लगातार जारी है.
पीएम नरेंद्र मोदी ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ बैठक में “पूर्ण अभियानिक स्वतंत्रता” दी है. यानी भारतीय सेना को प्रतिक्रिया का तरीका, लक्ष्य और समय चुनने की छूट है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बात कर हमले की निंदा की और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए भारत को पूर्ण समर्थन देने की बात कही.
तो चीन और बाकी हथियार निर्माता देश अपने उत्पादों का लोहा आजमाएंगे
दक्षिण एशिया के दो परमाणु संपन्न देशों, भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता की लहर पैदा कर दी है. भारतीय प्रशासित कश्मीर में हुए एक आतंकवादी हमले ने इन दो पुराने प्रतिद्वंद्वियों के बीच संबंधों को और भी तनावपूर्ण बना दिया है. हालाँकि चीन, अमेरिका और अन्य अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व इस तनाव को कम करने की अपील कर रहे हैं, परंतु सैन्य विशेषज्ञों की नज़र इस संभावित संघर्ष पर टिकी हुई है जो चीनी और पश्चिमी हथियारों के बीच पहला प्रत्यक्ष मुकाबला हो सकता है. साऊथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के लिए लिखते हुए टॉम हुसैन ने इस पर फिक्र जताई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय सेना को "परिचालन स्वतंत्रता" प्रदान कर दी है ताकि वह कश्मीर में हुए हमले का जवाब दे सके. उन्होंने यह भी कहा है कि भारत में "आतंकवाद को कुचल देने का राष्ट्रीय संकल्प" है. इस बीच, पाकिस्तान ने अपने चीनी-निर्मित हथियारों का प्रदर्शन करते हुए सैन्य अभ्यास किए हैं जिनका उद्देश्य भारत को किसी भी संभावित हमले से रोकना है.
विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देश 2019 के संकट से भी अधिक तीव्र "गर्म संघर्ष" की ओर बढ़ रहे हैं. भारत में जहां बदले की भावना है, वहीं पाकिस्तान किसी भी भारतीय कार्रवाई का दृढ़ता से जवाब देने के लिए तैयार है.
इस संभावित संघर्ष में पाकिस्तान के चीनी-निर्मित और संयुक्त रूप से विकसित हथियार भारत के फ्रांसीसी, रूसी और स्वदेशी सैन्य उपकरणों से भिड़ सकते हैं. इस प्रकार के युद्ध में:
पाकिस्तान के चीनी J-10C लड़ाकू विमान भारत के फ्रांसीसी राफेल के सामने होंगे. J-10C में एक्टिव इलेक्ट्रॉनिक स्कैन्ड एरे (AESA) रडार और 200 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली PL-15 मिसाइलें लगी हैं. वहीं राफेल में उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स और PL-15 से भी अधिक दूरी तक मार करने वाली मिटियोर मिसाइलें हैं.
पाकिस्तान-चीन के संयुक्त विकास से बने JF-17 ब्लॉक III और भारत के तेजस Mk1A लड़ाकू विमानों के बीच मुकाबला हो सकता है. दोनों ही हल्के, लागत प्रभावी विमान हैं जिनमें आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया गया है.
तोपखाने के मोर्चे पर, पाकिस्तान के चीनी SH-15 155mm स्व-चालित तोपें भारत के K9 वज्र (दक्षिण कोरियाई K9 का भारतीय संस्करण) से भिड़ सकती हैं.
2019 में भारत ने उत्तरी पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद के एक शिविर पर हवाई हमला किया था. हालांकि, पाकिस्तान की वायु सेना ने एक भारतीय लड़ाकू विमान को मार गिराया और एक चीनी-निर्मित दृष्टि-सीमा से बाहर की मिसाइल को भी दागा, जिससे इसने दिखाया कि वह अपने क्षेत्र पर किसी भी हमले का जवाब देने की क्षमता रखता है.
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि 2019 में भारत "वृद्धि प्रभुत्व" (escalation dominance) स्थापित करने में विफल रहा. हालांकि, इसने यह दिखा दिया कि भारत पाकिस्तान के भीतर हमला कर सकता है, भले ही उसका निशाना चूक गया हो और कोई महत्वपूर्ण नुकसान न हुआ हो.
एक संभावित भारत-पाकिस्तान युद्ध के परिणाम दुनिया भर के सैन्य योजनाकारों द्वारा करीब से देखे जाएंगे, और राष्ट्रीय रक्षा रणनीतियों में इसके सबक समाहित किए जाएंगे - विशेष रूप से इंडो-पैसिफिक रणनीतिक क्षेत्र में, जहां चीन और अमेरिका एक तीव्र भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में लगे हुए हैं.
चीनी और पश्चिमी हथियारों के बीच इस तरह का टकराव वैश्विक हथियार बाजारों को प्रभावित करेगा, जिससे दक्षिण-पूर्व एशिया से लेकर मध्य पूर्व तक के देशों को प्रतिस्पर्धी चीनी और पश्चिमी हार्डवेयर का आकलन करने के लिए प्रेरित किया जाएगा.
चीन को अपने सैन्य प्लेटफॉर्म की प्रभावशीलता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी, जो संभवतः उसके सैन्य-औद्योगिक प्रक्षेपवक्र को नया आकार दे सकती है. इसी प्रकार, अमेरिका, रूस और यूरोप अपनी प्रणालियों और अपने सहयोगियों की प्रणालियों के प्रदर्शन पर चीनी हार्डवेयर के खिलाफ करीब से नज़र रखेंगे.
हालांकि, जैसा कि पूर्व भारतीय राजदूत योगेश गुप्ता ने इंगित किया है, हथियारों की गुणवत्ता युद्ध में "इतने सारे कारकों" में से सिर्फ एक है. भारत और पाकिस्तान की सैन्य रणनीतियाँ, उनके योजनाकारों और सैनिकों का हथियारों को संभालने का कौशल, और दोनों देशों की समग्र स्थिति भी निर्णायक होगी.
वर्तमान में दोनों पक्ष अपनी स्थिति दिखा रहे हैं, लेकिन त्रुटि की मार्जिन "रेज़र-पतली" है. वास्तविक खतरा एक गलत कदम में निहित है - जैसे कि एक खराब तरीके से अंजाम दिया गया हमला या गलत अभिनेता को जिम्मेदार ठहराया गया आतंकवादी हमला - जो नियंत्रण से बाहर हो सकता है.
दक्षिण एशियाई प्रतिद्वंद्वियों के बीच तनाव कम होने की अंतरराष्ट्रीय उम्मीदों के बावजूद, एक संभावित युद्ध का वैश्विक हथियार उद्योग पर गहरा प्रभाव पड़ेगा. यह चीनी सैन्य प्रौद्योगिकी की पश्चिमी प्रणालियों के खिलाफ वास्तविक युद्ध परिस्थितियों में प्रभावशीलता का परीक्षण करेगा, जिससे दुनिया भर में सैन्य रणनीतिकारों को महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि मिलेगी.
इस प्रकार, भारत और पाकिस्तान के बीच कोई भी संघर्ष न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा होगा, बल्कि वैश्विक सैन्य संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है और अंततः वैश्विक शक्ति विन्यास में बदलाव ला सकता है.
भारत ने पाकिस्तानी विमानों के लिए एयरस्पेस किया बंद : 'द हिंदू' की रिपोर्ट है कि इस बीच भारत ने एक NOTAM (Notice to Airmen) जारी किया है, जिसके तहत पाकिस्तान द्वारा पंजीकृत, संचालित या लीज़ पर लिए गए सभी विमानों चाहे वे वाणिज्यिक एयरलाइंस हों या सैन्य विमान, सभी के लिए भारतीय हवाई क्षेत्र में उड़ान भरने पर प्रतिबंध लगाया गया है. यह हवाई क्षेत्र प्रतिबंध 30 अप्रैल से 23 मई, 2025 तक प्रभावी रहेगा. उल्लेखनीय है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद संभावित भारतीय जवाबी कार्रवाई की आशंका के चलते पाकिस्तानी एयरलाइंस पहले से ही भारतीय हवाई क्षेत्र से बचने लगी थीं. अब भारत द्वारा औपचारिक रूप से एयरस्पेस बंद किए जाने के बाद पाकिस्तानी एयरलाइनों को मलेशिया जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई गंतव्यों तक पहुंचने के लिए चीन या श्रीलंका जैसे वैकल्पिक और अधिक लंबे रास्ते अपनाने पड़ेंगे, अधिकारियों ने जानकारी दी.
पहलगाम हमले की पीड़िता की अपील
“शांति चाहते हैं, लोग मुसलमानों या कश्मीरियों के खिलाफ न जाएं”
22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी ने साम्प्रदायिक सौहार्द्र के लिए गुरुवार को भावुक अपील की. अपने दिवंगत पति की जन्म तिथि पर करनाल में आयोजित रक्तदान शिविर में उन्होंने कहा, "हम नहीं चाहते कि लोग मुसलमानों या कश्मीरियों के खिलाफ जाएं. हम शांति और सिर्फ शांति चाहते हैं. बेशक, हम न्याय चाहते हैं. जिन्होंने उनके साथ गलत किया है, उन्हें सजा मिलनी चाहिए.
भारत में पाकिस्तानी एक्टर्स हुए गायब! 'स्क्रोल' की रिपोर्ट है कि इंस्टाग्राम ने "कानूनी अनुरोध" का पालन करते हुए भारत में कई पाकिस्तानी सेलिब्रिटीज के अकाउंट प्रतिबंधित कर दिए हैं, जिनमें माहिरा खान, हानिया आमिर और ओलंपिक पदक विजेता अरशद नदीम शामिल हैं. भारत से एक्सेस करने पर, इंस्टाग्राम यह संदेश दिखाता है - "अकाउंट भारत में उपलब्ध नहीं है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इंस्टाग्राम ने इस सामग्री को प्रतिबंधित करने के लिए एक कानूनी अनुरोध का पालन किया है." माहिरा खान और हानिया आमिर के अलावा, अली जफर, सनम सईद, बिलाल अब्बास, इकरा अजीज, इमरान अब्बास और सजल अली जैसे अभिनेताओं के अकाउंट भी भारत में एक्सेस नहीं किए जा सकते थे. दिलचस्प बात यह है कि कुछ सेलिब्रिटीज डिजिटल सीमा निगरानी से बच गए. फवाद खान, आतिफ असलम और उस्ताद राहत फतेह अली खान, भारत में दिखाई देते रहे.
सेना का मनोबल गिराने वाली प्रार्थना न करें : सुप्रीम कोर्ट ने पहलगाम आतंकी हमले की जांच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश से कराने की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं से गुरुवार को कहा, वे ऐसी कोई प्रार्थना न करें, जिससे सुरक्षा बलों का मनोबल गिरे. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि न्यायाधीश का काम जांच करना नहीं, बल्कि विवादों का निपटारा करना है. जस्टिस सूर्यकांत, जिनकी बेंच में जस्टिस एनके सिंह भी शामिल थे, ने कहा, "यह समय नहीं है. यह वह निर्णायक घड़ी है जब देश का हर नागरिक आतंकवाद से लड़ने के लिए एकजुट है. ऐसी कोई प्रार्थना न करें, जिससे हमारे सुरक्षा बलों का मनोबल कमजोर हो. यह हमारे लिए स्वीकार्य नहीं है." हालांकि, देश के अन्य हिस्सों में पढ़ रहे जम्मू-कश्मीर के छात्रों की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे पर जस्टिस एनके सिंह ने हाईकोर्ट जाने का सुझाव दिया.
आतंकी हमला करने वालों को नहीं बख्शेंगे : “द हिंदू” में खबर है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि पहलगाम में कायराना आतंकी हमला करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. कोई यह सोचता है कि कायराना हमले करके वे जीत गए हैं, तो उन्हें पता होना चाहिए कि यह मोदी सरकार है, किसी को भी नहीं छोड़ेगी. हर व्यक्ति को चुन-चुन के जवाब दिया जाएगा. देश को आतंकवाद से मुक्त करने का हमारा संकल्प है और यह पूरा होगा. आतंकवाद के खिलाफ इस लड़ाई में न केवल 140 करोड़ देशवासी, बल्कि पूरी दुनिया भारत के साथ खड़ी है.
विश्लेषण
सुशांत सिंह: जंग की कगार पर दो देश और उनके असली जोखिम
अप्रैल 2024 में भारतीय प्रशासित कश्मीर के पहलगाम में 26 पर्यटकों की जान लेने वाले दो दशकों से अधिक समय के सबसे घातक हमले के बाद, भारत और पाकिस्तान एक बार फिर खतरनाक मोड़ पर खड़े हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में एक रैली में स्पष्ट चेतावनी दी कि भारत "हर आतंकवादी और उनके समर्थकों की पहचान कर उन्हें दंडित करेगा" और उन्हें "दुनिया के अंत तक" खोजेगा. यह संदेश केवल घरेलू दर्शकों या पाकिस्तान के लिए नहीं था, जिस पर नई दिल्ली हमले का आरोप लगाती है, बल्कि दुनिया को यह संकेत था कि भारत एक सशक्त सैन्य प्रतिक्रिया की तैयारी कर रहा है. रक्षा मामलों के विशेषज्ञ सुशांत सिंह ने फॉरेन अफेयर्स में लिखा है कि दोनों देश लड़ाई की कगार पर हैं.
यह स्थिति 2019 के संकट की दुखद याद दिलाती है, जब कश्मीर में 40 भारतीय अर्धसैनिक बलों की मौत के बाद भारतीय जेटों ने पाकिस्तान पर हमला किया था और जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने एक भारतीय लड़ाकू विमान को मार गिराया था. हालाँकि 2019 में स्थिति सौभाग्य से शांत हो गई - क्योंकि भारतीय हमले लक्ष्य चूक गए, पकड़े गए पायलट को जल्दी लौटा दिया गया, दोनों सरकारों ने अपनी घरेलू मीडिया के माध्यम से जीत का दावा किया और अमेरिका सहित विदेशी शक्तियों ने तनाव कम करने में सक्रिय भूमिका निभाई.
लेकिन आज हालात ज़्यादा खतरनाक हैं. 2019 में मोदी सरकार द्वारा कश्मीर का विशेष दर्जा छीनने और सीधे केंद्र के शासन में लाने की कठोर नीतियों ने मुस्लिम बहुल क्षेत्र में गहरे अलगाव को बढ़ावा दिया है. पर्यटन भले बढ़ा हो, लेकिन ज़मीनी हकीकत डर, हिंसा, कठोर कानूनों और भारी सुरक्षा तैनाती की है. स्थानीय राजनीतिक नेतृत्व को दरकिनार करने और बाहरी लोगों को संपत्ति खरीदने की अनुमति देने से जनसांख्यिकीय परिवर्तन की चिंताएं बढ़ी हैं, जिससे अस्थिरता और बढ़ी है. सूचना पर लगभग पूर्ण नियंत्रण और असंतोष को दबाने के माहौल ने खुफिया जानकारी जुटाना भी मुश्किल बना दिया है.
इस बार पाकिस्तान का नेतृत्व भी अलग है. 2019 में तत्कालीन सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा भारत के साथ सुलह चाहते थे, जबकि उनके उत्तराधिकारी आसिम मुनीर राजनीतिक रूप से घिरे हुए हैं और उन्हें ताकत दिखाने की ज़रूरत है. हमले से पहले ही वे कश्मीर पर भारत की कार्रवाइयों के खिलाफ तीखे बयान दे रहे थे. दूसरी ओर, अमेरिका का ध्यान इस क्षेत्र पर कम है, कोई राजदूत नियुक्त नहीं है और अफ़गानिस्तान से सेना हटाने के बाद उसका हस्तक्षेप करने का प्रोत्साहन भी कम हो गया है. चीन का बढ़ता प्रभाव, जिसमें चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (जो पाक-अधिकृत कश्मीर से गुजरता है) और लद्दाख में भारत के साथ उसका अपना सैन्य गतिरोध शामिल है, स्थिति को और जटिल बनाता है. बीजिंग ने पाकिस्तान की "संप्रभुता" और "सुरक्षा चिंताओं" के लिए अपना "समर्थन" व्यक्त किया है, जो भारत के लिए दो-मोर्चे की चुनौती पेश करता है.
मोदी की पिछली कार्रवाइयां (2016 के 'सर्जिकल स्ट्राइक' और 2019 के हवाई हमले) भले ही राजनीतिक रूप से फायदेमंद रही हों, लेकिन उनकी रणनीतिक प्रभावशीलता संदिग्ध रही है. अब, अपनी कठोर छवि और पिछले उदाहरणों के कारण, मोदी पर हर हमले का जोरदार जवाब देने का भारी दबाव है. भारत के संभावित विकल्पों - सीमा पार तोपखाने या मिसाइल हमले, हवाई हमले, या सीमित ज़मीनी घुसपैठ - में वृद्धि का गंभीर खतरा है. पाकिस्तान की "जैसे को तैसा प्लस" (quid pro quo plus) की सैन्य सिद्धांत का मतलब है कि किसी भी भारतीय हमले का बराबरी या उससे अधिक तीव्रता से जवाब दिया जाएगा, जिससे अनियंत्रित तनाव बढ़ने का खतरा है.
पाकिस्तान स्वयं गंभीर राजनीतिक और आर्थिक संकट से जूझ रहा है और सेना अपनी वैधता बहाल करने के लिए भारत के साथ संघर्ष का उपयोग कर सकती है. हालाँकि, उसके पास एक मजबूत परमाणु निवारक और चीन का समर्थन है.
सबसे खतरनाक परिदृश्य यह है कि एक भारतीय सैन्य प्रतिक्रिया एक मजबूत पाकिस्तानी जवाबी हमले को भड़काती है, जिससे एक ऐसी श्रृंखला प्रतिक्रिया शुरू हो जाती है जिसे कोई भी पक्ष आसानी से नियंत्रित नहीं कर सकता. राष्ट्रवादी भावनाओं के उफान पर होने और बाहरी मध्यस्थता की कम संभावना के बीच, गलत अनुमान या आकस्मिक वृद्धि का जोखिम पहले से कहीं अधिक है. पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने खुलासा किया था कि 2019 में दोनों देश परमाणु आदान-प्रदान के कितने करीब आ गए थे. इस बार भाग्य पर निर्भर रहना विनाशकारी हो सकता है. जैसा कि मोदी ने कभी रूसी राष्ट्रपति पुतिन से कहा था, "यह युद्ध का युग नहीं है," लेकिन वर्तमान परिस्थितियाँ दक्षिण एशिया को एक भयावह संघर्ष के कगार पर धकेल रही हैं, जिसके परिणाम पूरे क्षेत्र और दुनिया के लिए विनाशकारी हो सकते हैं.
कैसा दीखता है पाकिस्तान का इस्टैबलिशमेंट
'द वायर' ने पाकिस्तान के उन प्रमुख चेहरों की फेहरिस्त तैयार की है, जो इस वक्त भारत के साथ उपजे तनाव के बीच महत्वपूर्ण हो गए हैं. पाकिस्तान की भारत के प्रति रणनीति कुछ विशेष संस्थानों और व्यक्तियों के माध्यम से संचालित होती है, जिनमें सेना की निर्णायक भूमिका है. इस संकट की स्थिति में इनकी भूमिका और प्रभाव अत्यंत महत्वपूर्ण है. इनमें सबसे प्रमुख नाम है सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर का.
सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर : पाकिस्तान के थल सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर देश की सुरक्षा और विदेश नीति पर सबसे अधिक प्रभाव रखने वाले व्यक्ति हैं, विशेषकर भारत से जुड़े संकटों के दौरान. हाल ही में कश्मीर को लेकर उनके आक्रामक बयान सेना की पारंपरिक नीति को दोहराते हैं और यह संकेत देते हैं कि भारत की किसी भी सैन्य कार्रवाई का जवाब देने के लिए सेना तैयार है. देश के भीतर असंतोष और आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों के बीच सेना की साख और मनोबल दांव पर लगा है. जनरल मुनीर की बयानबाज़ी और कदम देश और विदेश दोनों जगह बारीकी से देखे जा रहे हैं.
प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ : प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ औपचारिक रूप से पाकिस्तान की संकट प्रतिक्रिया का नेतृत्व कर रहे हैं, लेकिन यह सर्वविदित है कि वे सेना की कृपा से सत्ता में हैं. सबसे लोकप्रिय नेता इमरान खान जेल में हैं और नवाज़ शरीफ़ राजनीतिक रूप से पीछे हट चुके हैं. शहबाज़ ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की आपात बैठकें बुलाईं और संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप की अपील की, साथ ही भारत के आरोपों को खारिज किया. हालांकि वे संयम की बात कर रहे हैं, लेकिन उन पर देश के भीतर दबाव बढ़ रहा है कि भारत को कड़ा जवाब दिया जाए.
राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) : एनएससी पाकिस्तान का सर्वोच्च सुरक्षा निर्णय लेने वाला निकाय है, जिसमें नागरिक और सैन्य नेतृत्व दोनों शामिल हैं. यह समिति कूटनीतिक, सैन्य और खुफिया प्रतिक्रिया का समन्वय करती है. पहलगाम हमले के बाद यह समिति कई बार बैठक कर चुकी है. एनएससी की रणनीति भारत के प्रति पाकिस्तान की आधिकारिक नीति को दिशा देती है और आंतरिक स्थिरता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है.
जनरल हेडक्वार्टर (GHQ) और कोर कमांडर सम्मेलन : रावलपिंडी स्थित जीएचक्यू पाकिस्तान की सैन्य योजना और संचालन का केंद्र है. कोर कमांडर सम्मेलन, जिसकी अध्यक्षता सेनाध्यक्ष करते हैं, भारत के खिलाफ सैन्य रुख तय करता है और नियंत्रण रेखा पर तैनाती का निर्णय लेता है. इन बैठकों में सेना की सामूहिक सोच और संस्थागत हित प्रमुख होते हैं, जो अक्सर नागरिक सरकार की भूमिका को गौण कर देते हैं.
नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA) और स्ट्रैटजिक प्लान्स डिविजन (SPD) : पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की नीति, तैनाती और संचालन का नियंत्रण NCA के हाथ में है, जिसकी औपचारिक अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं, लेकिन वास्तविक नियंत्रण सेना के पास होता है. एसपीडी इसका तकनीकी सचिवालय है, जिसका नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल यूसुफ जमाल कर रहे हैं. परमाणु नीति में एसपीडी, कोर कमांडर और सेनाध्यक्ष की निर्णायक भूमिका होती है.
आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद असीम मलिक : लेफ्टिनेंट जनरल मलिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख हैं. भारत के खिलाफ नीति और कार्रवाई में उनकी अहम भूमिका है. आईएसआई आंतरिक राजनीति, विदेश नीति और सुरक्षा रणनीति में गहराई से शामिल होती है. DG ISI NSC और NCA का स्थायी सदस्य होता है और संकट काल में इनकी भूमिका विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है.
वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब : पूर्व बैंकर और वर्तमान वित्त मंत्री औरंगजेब आर्थिक मोर्चे पर संकट प्रबंधन की भूमिका निभाते हैं. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कमजोर है और अंतरराष्ट्रीय ऋणदाताओं पर निर्भर है. सैन्य तैयारियों के लिए संसाधन जुटाना, वित्तीय स्थिरता बनाए रखना और अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों को आश्वस्त करना उनके दायित्व में शामिल है. आर्थिक तंगी अक्सर भारत के साथ लंबे तनाव में पाकिस्तान की रणनीति को सीमित कर देती है.
विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार : डार, जो उप प्रधानमंत्री भी हैं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान का पक्ष रखने के जिम्मेदार हैं. वे भारत के नैरेटिव का विरोध करते हुए वैश्विक शक्तियों से समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं. चीन जैसे सहयोगियों से संपर्क और संयुक्त राष्ट्र में दखल की मांग उनकी कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा है.
चीन पाकिस्तान का समर्थन भी कर सकता है
विश्लेषकों का कहना है कि भारत और चीन के बीच बढ़ते रिश्तों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि वैश्विक राजनीति में बदलाव हो रहे हैं. भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौता और पाकिस्तान के साथ फिर से बढ़ता संघर्ष, बीजिंग के ग्लोबल साउथ में प्रभावी पहुंच को जटिल बना सकते हैं. मेलबर्न विश्वविद्यालय के एशियाई अध्ययन विभाग के वरिष्ठ व्याख्याता प्रदीप तनेजा ने "द साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट" से कहा, "अगर किसी देश का इस समय पाकिस्तान पर प्रभाव है, तो वह चीन है. चीन पाकिस्तान पर दबाव डालकर प्रतिक्रिया दे सकता है." उन्होंने आगे कहा, "वहीं, चीन पाकिस्तान का समर्थन भी कर सकता है और अगर ऐसा हुआ... तो यह भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए एक सेटबैक होगा."
जाति जनगणना
आरएसएस-बीजेपी की राजनीति के लिए चुनौतियों से भरा यू-टर्न
'द वायर' में सीमा चिश्ती ने लिखा है कि मोदी सरकार द्वारा जाति आधारित जनगणना को मंजूरी देना भारतीय जनता पार्टी (BJP) और इसके वैचारिक मार्गदर्शक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव है, जो ऐतिहासिक रूप से ऐसी जनगणना का विरोध करते आए हैं. इस फैसले ने लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा की गई लगातार और जोरदार मांगों के आगे समर्पण किया है, जो अक्सर उनकी अपनी पार्टी के एक हिस्से के नेतृत्व की इच्छाओं के खिलाफ रही हैं. 2024 के चुनावों से पहले, मोदी ने जाति आधारित जनगणना को विपक्षी पार्टियों के "शहरी नक्सल" सोच का प्रतीक बताया था, लेकिन अब उन्होंने खुद इसे स्वीकार किया है. यह मोदी का यू-टर्न केवल एक नीतिगत बदलाव नहीं है, बल्कि हिंदुत्व विचारधारा के मौलिक सिद्धांतों और बीजेपी-आरएसएस की जाति और सामाजिक संरचना पर लंबे समय से चली आ रही स्थिति से एक महत्वपूर्ण पलायन है. बीजेपी-आरएसएस का मुख्य उद्देश्य हिंदू समाज को एकजुट करना था, जिसमें जाति जैसे ऐतिहासिक विभाजन को कम से कम किया जाए. उनका उद्देश्य एक ऐसा हिंदू वोट बैंक बनाना था, जो पारंपरिक सामाजिक पदानुक्रमों से परे हो. हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने "बंटेंगे तो कटेंगे" (अगर बांटा गया तो काट दिया जाएगा) जैसे विवादास्पद बयान दिए थे, जिसमें उन्होंने प्रतिनिधित्व और न्याय की मांगों को विभाजन और मृत्यु से जोड़ दिया था. बीजेपी और आरएसएस ने अक्सर "वोट-बैंक राजनीति" का विरोध किया है, खासकर जाति के आधार पर और विपक्षी पार्टियों पर आरोप लगाया है कि वे चुनावी लाभ के लिए जाति आधारित विभाजन को बढ़ावा दे रही हैं. हालांकि अब जाति आधारित जनगणना के पक्ष में बीजेपी के फैसले को चुनावी दबाव और सामाजिक न्याय के मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों के बढ़ते दबाव ने प्रभावित किया है. यह कदम बीजेपी को ओबीसी वोटों को अपने पक्ष में बनाए रखने के लिए उठाना पड़ा है, जो हाल के चुनावों में उसकी सफलता के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं. इस कदम से स्पष्ट रूप से हिंदुत्व के "एकता" सिद्धांत से टकराव हो रहा है, क्योंकि जाति आधारित जनगणना से मोदी उन सामाजिक विभाजनों को बढ़ावा दे रहे हैं, जिन्हें उनके वैचारिक मार्गदर्शक खत्म करने का प्रयास कर रहे थे. इस फैसले से मोदी को तात्कालिक राजनीतिक लाभ मिल सकता है, लेकिन यह भी दिखाता है कि उनके समर्थक सवर्ण जातियों में असंतोष हो सकता है.
‘डेडलाइन के बिना हेडलाइन देने के मास्टर, जाति जनगणना पर कांग्रेस का तंज
कांग्रेस ने जनगणना में जाति आधारित गणना को शामिल करने के सरकार के फैसले की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह "डेडलाइन के बिना हेडलाइन देने के मास्टर" हैं. कांग्रेस के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने गुरुवार को कहा कि इस फैसले पर कई सवाल उठते हैं, खासकर सरकार के इरादे पर.
आरक्षण पर 50% की सीमा हटाने पर जोर देते हुए उन्होंने पूछा कि मोदी सरकार को ऐसा करने से क्या रोक रहा है? कहा कि जाति जनगणना तभी सार्थक होगी, जब संविधान में संशोधन कर 50% की सीमा हटेगी.
रमेश ने दिसंबर 2019 के एक कैबिनेट बैठक के प्रेस विज्ञप्ति का हवाला दिया, जिसमें 8,254 करोड़ रुपये की लागत से 2021 में जनगणना कराने की मंजूरी का जिक्र था, लेकिन इसमें जाति गणना का कोई उल्लेख नहीं था. उन्होंने सरकार से देश के सामने जाति जनगणना के लिए एक रोडमैप रखने का आग्रह करते हुए कहा कि 2025-26 के बजट में जनगणना आयुक्त के कार्यालय को केवल 575 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. इस पर उन्होंने सवाल उठाया, "575 करोड़ में वे किस तरह की जनगणना कराने जा रहे हैं? क्या यह सिर्फ हेडलाइन देने का मामला है? उनका इरादा क्या है? इरादे पर कई सवाल उठते हैं."
उन्होंने कहा, "2021 में ही जनगणना करा लेनी चाहिए थी. वे कोविड महामारी का बहाना बताते हैं, लेकिन 50 से अधिक देशों ने कोविड के दौरान जनगणना कराई. 2023 और 2024 में कोविड नहीं था, लेकिन उन्होंने इसे नहीं कराया. " जयराम रमेश ने यह भी याद दिलाया कि पिछले साल टीवी चैनलों को दिए गए साक्षात्कारों में प्रधानमंत्री ने जाति जनगणना की बात करने वालों को "अर्बन नक्सल" कहा था. सवाल है कि "वे खुद कब से अर्बन नक्सल बन गए? गृहमंत्री अमित शाह कब से अर्बन नक्सल बन गए?"
मुर्शिदाबाद हिंसा की जांच: 'द वायर' की रिपोर्ट है कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हाल की हिंसा, जिसमें तीन लोगों की मौत हुई थी, एक सामुदायिक संघर्ष या कानून व्यवस्था का मुद्दा नहीं, बल्कि एक "गहरे रूप से संगठित, राजनीतिक प्रेरित स्थिति" का परिणाम था. एक 17 सदस्यीय तथ्य-खोज टीम ने यह निष्कर्ष निकाला है, जिसमें धार्मिक ध्रुवीकरण, राज्य की निष्क्रियता और पुलिस दमन के संयोजन से कई वर्षों तक शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बाधित किया गया.
नीट परीक्षा पेपर लीक का दावा करने वाले टेलीग्राम और इंस्टा चैनलों की पहचान : नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने नीट-यूजी 2025 परीक्षा को लेकर ऐसे 106 टेलीग्राम और 16 इंस्टाग्राम चैनल की पहचान की है, जो दावा कर रहे थे कि उनके पास आगामी नीट परीक्षा का पेपर है. हाल ही में लॉन्च किए गए एक पोर्टल ने कथित पेपर लीक के 1,500 से अधिक दावों को चिह्नित किया है. “द टेलीग्राफ” ने पीटीआई के हवाले से बताया है कि ये मामले कानूनी और जांच कार्रवाई के लिए गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र को हस्तांतरित कर दिए गए हैं. एनटीए ने टेलीग्राम और इंस्टाग्राम से इन चैनलों को तुरंत हटाने का अनुरोध किया है, ताकि उम्मीदवारों के बीच झूठी अफवाहों और अनावश्यक दहशत को फैलने से रोका जा सके. चिकित्सा प्रवेश परीक्षा 4 मई को होने वाली है.
एक मुस्लिम के अपराध की सजा नैनीताल में मुस्लिम दुकानदारों ने झेली
उत्तराखंड के नैनीताल में बुधवार की रात सांप्रदायिक झड़पें हुईं, जब एक 65 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति को 12 वर्षीय लड़की के साथ कथित तौर पर बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. 'द हिंदुस्तान टाइम्स' ने एक अज्ञात पुलिस अधिकारी के हवाले से यह जानकारी दी है. अपराध के आरोपी उस्मान, जो एक ठेकेदार के रूप में काम करता था, ने कथित तौर पर 12 अप्रैल को नाबालिग को पैसों का लालच देकर उसके साथ बलात्कार किया था. बुधवार रात इस मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. एक वीडियो बयान में, एसएसपी प्रह्लाद मीणा ने कहा कि जांच जारी है और उन्होंने आश्वासन दिया कि "आरोपी के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी ताकि भविष्य में कोई भी ऐसा शर्मनाक कृत्य करने की हिम्मत न करे." इसके बाद, दक्षिणपंथी समुदाय के एक समूह ने उस क्षेत्र में मुसलमानों के स्वामित्व वाली दुकानों और भोजनालयों में तोड़फोड़ की, जहां उस्मान का कार्यालय स्थित है. भीड़ ने एक मस्जिद पर भी पत्थर फेंके, पाकिस्तान विरोधी नारे लगाए और कई वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया. लोग नारे लगाते हुए सड़कों पर उतर आए, जबकि जारी तनाव के जवाब में अधिकांश स्कूल, कॉलेज और बाजार बंद रहे.
अडाणी ग्रुप ने टॉवर सेमीकंडक्टर के साथ ₹83,000 करोड़ की चिप परियोजना रोकी
अरबपति गौतम अडाणी के नेतृत्व वाले अडाणी ग्रुप ने इज़राइल की टॉवर सेमीकंडक्टर के साथ चल रही $10 बिलियन (लगभग ₹83,000 करोड़) की चिप निर्माण परियोजना पर बातचीत को रोक दिया है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, समूह ने यह फैसला इस आधार पर लिया कि यह रणनीतिक और वाणिज्यिक रूप से "फिलहाल" उसके लिए उपयुक्त नहीं है. सितंबर 2024 में महाराष्ट्र सरकार ने अडानी और टॉवर को 80,000 वेफर प्रति माह उत्पादन क्षमता वाली फैक्ट्री लगाने की मंजूरी दी थी, जिससे लगभग 5,000 नौकरियां सृजित होने की उम्मीद थी. एक सूत्र ने रॉयटर्स से कहा, “यह एक रणनीतिक निर्णय जैसा था. अडाणी ने इसका मूल्यांकन किया और निर्णय लिया कि अभी रुकना बेहतर है.” हालांकि बातचीत को स्थायी रूप से बंद नहीं किया गया है, इसके भविष्य में दोबारा शुरू होने की संभावना बनी हुई है. भारत में चिप्स के लिए वास्तविक मांग कितनी होगी, यह अभी भी अनिश्चित है. सूत्रों के अनुसार, अडानी ग्रुप ने इस क्षेत्र का मूल्यांकन करते हुए पाया कि चिप बनाना, फिर उसे पैकेज करके उपयोग के लिए तैयार करना और फिर ग्राहक तक पहुंचाना, यह पूरी प्रक्रिया चीन जैसे बड़े विनिर्माण केंद्रों की तुलना में भारत में उतनी मांग उत्पन्न नहीं कर पा रही है.
रूस से तेल खरीद को लेकर कोई टर्म डील नहीं
भारत की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी और ईंधन खुदरा कंपनी इंडियन ऑयल ने रूस की रॉसनफ्ट से तेल खरीदने के लिए टर्म डील पर बातचीत को स्थगित कर दिया है, क्योंकि नई दिल्ली अमेरिका से ऊर्जा आयात बढ़ाने के प्रयास में है, जिसका उद्देश्य व्यापार अधिशेष को कम करना है. 'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट है कि इंडियन ऑयल के चेयरमैन अरविंदर सिंह साहनी ने कहा कि कंपनी रूस के साथ किसी टर्म डील पर सक्रिय रूप से बातचीत नहीं कर रही है और सभी तेल खरीद निर्णय केवल वाणिज्यिक आधार पर किए जाएंगे. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिकी तेल खरीदने के लिए कोई "मैंडेट" नहीं है और यह तब किया जाएगा जब यह वाणिज्यिक दृष्टि से लाभकारी हो. उन्होंने यह भी बताया कि हर दिन की बदलती परिस्थितियों के कारण अभी तक किसी निश्चित डील पर बातचीत नहीं हो पाई है. रूस, जो अब भारत का सबसे बड़ा क्रूड तेल आपूर्तिकर्ता बन चुका है, ने पश्चिमी देशों के साथ व्यापार में प्रतिबंधों के बाद भारी छूट पर तेल की आपूर्ति शुरू की थी. 2024 में, रूस ने भारत के कुल तेल आयात का लगभग 38 प्रतिशत आपूर्ति की थी. टर्म डील सामान्यतः वार्षिक आपूर्ति समझौतों होते हैं, जिनमें निश्चित मात्रा और मूल्य निर्धारण फार्मूला तय होते हैं. जबकि स्पॉट डील में तत्काल खरीदारी होती है, जो मूल्य और आपूर्ति में उतार-चढ़ाव के अधीन होती है. भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के रिफाइनर, जिनमें इंडियन ऑयल भी शामिल है, ज्यादातर तेल टर्म डील्स के माध्यम से खरीदते हैं. उन्होंने बुधवार को मार्च तिमाही के लाभ में 50% की वृद्धि की रिपोर्ट करने के बाद कहा, "फिलहाल हम रॉसनफ्ट के साथ सक्रिय बातचीत में नहीं हैं, लेकिन हम इसे लेकर खुले हैं. हमें अमेरिकी तेल खरीदने का कोई निर्देश नहीं है. हम क्रूड तेल अपनी जरूरत और कीमत की प्रतिस्पर्धात्मकता के आधार पर खरीदते हैं." मार्च तिमाही में कंपनी का लाभ ₹7,264.8 करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में ₹4,837.6 करोड़ था.
नई एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तक में प्राचीन काल में जाति व्यवस्था के दावों पर आपत्ति : एनसीईआरटी की नई सामाजिक विज्ञान पाठ्यपुस्तक, एक्सप्लोरिंग सोसायटी : इंडिया एंड बियोंड, जो कक्षा 7 के छात्रों के लिए है, यह तर्क करती है कि जाति व्यवस्था पहले के समय में अधिक लचीली थी और बाद में यह अधिक कठोर हो गई, "विशेष रूप से … ब्रिटिश शासन के दौरान." इसमें यह उदाहरण दिया गया है कि ब्राह्मणों ने संकट के समय व्यापार और सैन्य गतिविधियों में भाग लिया और यह कहा गया है कि जाति व्यवस्था, जिसमें लचीलेपन की व्यवस्था थी, उसने समाज को 'संरचना' और 'स्थिरता' दी. हालांकि, कुछ विद्वानों ने यह स्पष्ट किया कि ऐसा लचीलापन केवल ब्राह्मणों के लिए ही अनुमति प्राप्त था. राजनीतिक वैज्ञानिक सूरज मंडल ने बसंत कुमार मोहनती से बात करते हुए महाभारत का उदाहरण दिया, जिसमें अर्जुन के प्रतिद्वंदी एकलव्य को "अच्छे से सीखने के लिए अपना अंगूठा खोना पड़ा". दिलचस्प बात यह है कि इस पाठ्यपुस्तक को पहले ही इतिहास की समयरेखा को फिर से व्यवस्थित करने और कुंभ मेला का उल्लेख किए जाने के कारण समाचारों में जगह मिल चुकी है.
मिड-डे मील खाने के बाद 100 बच्चों के बीमार, बिहार सरकार को नोटिस : 'द हिंदू' की रिपोर्ट है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने गुरुवार को बिहार सरकार को एक मामले में नोटिस जारी किया है, जिसमें 24 अप्रैल को पटना के मोकामा क्षेत्र के एक सरकारी स्कूल में मिड-डे मील खाने के बाद 100 से अधिक बच्चे बीमार हो गए थे. रिपोर्ट्स के अनुसार, रसोइए ने बच्चों को खाना परोसने से पहले उसमें से एक मरे हुए सांप को निकाल दिया था, फिर भी वही खाना बच्चों को खिला दिया गया. जब इस घटना की जानकारी गांव वालों को मिली, तो उन्होंने सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन किया. आयोग ने इस घटना को मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़ा गंभीर मामला मानते हुए बिहार सरकार के मुख्य सचिव और पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
“किसी के काबू में नहीं बाबा रामदेव”
दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को बाबा रामदेव के नए वीडियो को लेकर तीखी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि रामदेव किसी के काबू में नहीं हैं. वह अपनी ही दुनिया में जीते हैं. बाबा रामदेव ने हमदर्द कंपनी का नाम लिए बिना रूह अफजा को लेकर कहा था- “जैसे लव जिहाद, वोट जिहाद चल रहा है न, वैसे शरबत जिहाद' भी चल रहा है”. जस्टिस अमित बंसल ने कहा, “22 अप्रैल के पिछले आदेश के मद्देनजर उनका हलफनामा और यह वीडियो प्रथमदृष्टया अवमानना के अंतर्गत आते हैं. हम अवमानना नोटिस जारी करेंगे.” बीते दस दिनों के भीतर यह दूसरा मौका है जब कोर्ट ने पतंजलि और रामदेव को फटकार लगाई है. रामदेव ने 22 अप्रैल को शपथ पत्र देकर कहा था कि वह वीडियो से आपत्तिजनक बातें हटा लेंगे, लेकिन दूसरे वीडियो में ऐसा नहीं किया गया.
“द इंडियन एक्सप्रेस” में सोहिनी घोष के अनुसार ‘हमदर्द’ ने अदालत का ध्यान लगभग तीन घंटे के एक नए वीडियो की ओर आकर्षित किया, जिसमें रामदेव ने कथित तौर पर लगभग दो मिनट तक कंपनी का जिक्र किया है. कंपनी के वकील संदीप सेठी ने अदालत को बताया, "मूल और नए वीडियो की तुलना करें, दोनों हमारा, यानी ‘हमदर्द’ का जिक्र करते हैं. दोनों में कहा गया है कि हम मस्जिद और मदरसे बनाने के लिए मुनाफा इस्तेमाल कर रहे हैं और दोनों में सांप्रदायिक भाषण का स्वर है. अदालत ने कहा था कि वह पिछले वीडियो जैसी सामग्री प्रकाशित नहीं करेंगे, लेकिन उन्होंने जानबूझकर ठीक वैसा ही वीडियो जारी किया है." इस बीच, जस्टिस अमित बंसल 22 अप्रैल के हाकोर्ट के आदेश की जानबूझकर अवहेलना के संबंध में सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी ) के प्रावधानों के तहत हमदर्द द्वारा रामदेव के खिलाफ दायर आवेदन पर शुक्रवार को विचार करेंगे.
इज़राइल में भीषण जंगल की आग, राष्ट्रीय आपातकाल घोषित
'द गार्डियन' की रिपोर्ट है कि 1 मई 2025 को प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इज़राइल में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की क्योंकि यरुशलम और तेल अवीव को जोड़ने वाले मुख्य हाईवे के पास जंगल की आग फैल गई. इसके चलते हज़ारों लोगों को निकाला गया और स्वतंत्रता दिवस के कई कार्यक्रम रद्द कर दिए गए. यरुशलम से लगभग 30 किमी पश्चिम में कई बस्तियाँ खाली कराई गईं. दमकल प्रमुख ने इसे देश की अब तक की "सबसे बड़ी आग" में से एक बताया. इस आग पर काबू पाने के लिए 163 ज़मीनी दल और 12 विमान आग पर काबू पाने में जुटे हैं; वायुसेना और सैन्य इंजीनियरिंग इकाइयां भी मदद कर रही हैं. 23 लोग घायल हुए हैं, जिनमें 17 दमकलकर्मी शामिल हैं. क्रोएशिया, फ्रांस, इटली, रोमानिया और स्पेन से दमकल विमान भेजे जा रहे हैं.
मिनरल डील से पहले ही ट्रम्प ने यूक्रेन को दिए हथियार : 'द गार्डियन' की रिपोर्ट है कि डोनाल्ड ट्रम्प ने राष्ट्रपति बनने के बाद से यूक्रेन को पहली बार अमेरिकी सैन्य उपकरणों का निर्यात मंजूर किया है. यह वाशिंगटन और कीव के बीच लंबे समय से प्रतीक्षित खनिज सौदे पर हस्ताक्षर होने की खबर के बाद आया. ट्रम्प प्रशासन ने अमेरिकी कांग्रेस को सूचित किया कि वह यूक्रेन को रक्षा-संबंधी उत्पादों का निर्यात करने की योजना बना रहा है, इसके तहत सीधे वाणिज्यिक बिक्री (DCS) के माध्यम से 50 मिलियन डॉलर या उससे अधिक के सैन्य सामान भेजे जाएंगे, जैसा कि कीव पोस्ट ने बताया. यह अधिसूचना मंगलवार को जारी की गई, जो खनिज समझौते के औपचारिक हस्ताक्षर से एक दिन पहले आई. यूक्रेनी सरकार के एक सूत्र ने "द टाइम्स" से कहा, "मुझे लगता है कि यह ट्रम्प की ओर से पहली अच्छी इच्छा की पहल है, क्योंकि हमने वह किया जो वह हमसे चाहते थे."
चलते-चलते
‘पानी को दान नहीं कर्ज की तरह देकर हम अपने जीवन में देख पाएंगे जलसंकट का समाधान’
दुनिया के आधे हिस्से को पीने और स्वच्छता के लिए पर्याप्त पानी प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है. लोग ट्रकों से पानी खरीदते हैं, निम्न स्तर के स्रोतों से पानी पीते हैं, या महिलाओं और बच्चों को दूर से पानी लाने भेजते हैं. इस समस्या का समाधान क्या है? "यह अधिकतर पैसे के बारे में है," कहती हैं वेदिका भंडारकर, वॉटर.ऑर्ग की अध्यक्ष और सीओओ. टाइम मैगजीन ने उन्हें एशिया प्रशांत क्षेत्र के सौ सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में रखा है.
भारत में मॉर्गन स्टेनली और क्रेडिट सुइस के निवेश बैंकिंग विभागों का नेतृत्व करने के बाद, भंडारकर ने 2016 में वॉटर.ऑर्ग में काम शुरू किया. उनका मिशन स्पष्ट है: उन लोगों के लिए वित्तपोषण का मार्ग प्रशस्त करना जिनके पास कोई वित्तीय पहुंच नहीं है.
वॉटर.ऑर्ग का समाधान के लिए पांच फंड बनाए हैं. यहां दानदाता और निवेशक स्थानीय बैंकों और ऋण प्रदाताओं को पूंजी प्रदान करते हैं. ये संस्थान फिर उन लोगों को ऋण देते हैं जिन्हें पानी की बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है. वॉटर.ऑर्ग वॉटर कनेक्ट भी संचालित करता है, जो स्थानीय डेवलपर्स को जल बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए प्रारंभिक वित्तपोषण और तकनीकी जानकारी प्रदान करता है, और वॉटर क्रेडिट, जो विकासशील देशों में परिवारों को सुरक्षित पानी और स्वच्छता के लिए माइक्रोलोन प्रदान करता है. भंडारकर का मानना है कि अनुदान के विपरीत, ऋण एक अधिक टिकाऊ मॉडल है और अधिक लोगों की मदद करता है. वॉटर.ऑर्ग के 16 देशों में 179 साझेदारों ने 16.9 मिलियन ऋण दिए हैं, और संगठन का मानना है कि इसने 76 मिलियन लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाला है. पानी की कमी महिलाओं और लड़कियों को विशेष रूप से प्रभावित करती है, जो अक्सर पानी लाने में अपने दिन का एक बड़ा हिस्सा खर्च करती हैं. "वे अपने परिवारों की देखभाल या अन्य आर्थिक गतिविधियों में संलग्न होने के लिए समय नहीं निकाल पाती हैं," भंडारकर कहती हैं. "जब हम इस समस्या का समाधान करेंगे, तो हम कई अन्य पहलुओं पर भी प्रगति करेंगे." भंडारकर आशावादी हैं. "मुझे उम्मीद है कि इस समस्या का समाधान हो सकता है," वे कहती हैं. "और मुझे उम्मीद है कि यह समाधान हमारे जीवनकाल में हो सकता है."
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