02/08/2025: बॉलीवुड गाने और ट्रम्प-मोदी ब्रोमांस | बलात्कारी प्रज्वना | केंचुआ के खिलाफ सबूत होने का दावा राहुल ने किया | प्रज्ञा पर नरम क्यों रहा एनआईए | शाहरुख पहली बार सर्वश्रेष्ठ
‘हरकारा’ यानी हिंदी भाषियों के लिए क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज़्यादा.
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां :
12 बॉलीवुड गानों की प्लेलिस्ट से मोदी - ट्रम्प ब्रोमांस समझने की कोशिश
संजय बारू | अमेरिका से खराब होते रिश्तों के लिए मोदी जिम्मेदार
भारत की प्रतिक्रिया, संबंध आगे बढ़ते रहेंगे
चुनाव आयोग भाजपा के लिए वोट चोरी कर रहा, मेरे पास पक्के सबूत : राहुल गांधी
राहुल के आरोप और धमकी नज़रअंदाज़ कर अपना काम करें : केंचुआ
प्रज्वल रेवन्ना बलात्कार का दोषी
वीडियो, डीएनए और फॉरेंसिक जांच ने कैसे केस को मजबूत बनाया
"प्रज्वल को उसकी नीच हरकतों की सज़ा मिलनी चाहिए"
अनिल अंबानी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर
'निष्पक्ष रहें, सनसनी न फैलाएं': दिल्ली की अदालत की ईडी को नसीहत
यह संसद है या गढ़ी? राज्यसभा के वेल में सीआईएसएफ की मौजूदगी से विपक्ष हैरान
पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान भेजी गई महिला को भारत आने की अनुमति, विज़िटर वीज़ा पर लौटेंगी रक्षंदा राशिद
एनआईए ने प्रज्ञा ठाकुर पर नरमी कैसे बरती और अब मालेगांव मुकदमे में देरी कैसे कर रही है
'पता था ऐसा ही होगा,' पूर्व विशेष लोक अभियोजक का दावा
जिस मुस्लिम किशोरी से छेड़छाड़ हुई, उसी के परिवार पर एफआईआर
ट्रम्प ने रूस के खिलाफ परमाणु पनडुब्बियां तैनात की
शाहरुख पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता
दिखावे की दोस्ती और कूटनीति की कड़ुवाहट
12 बॉलीवुड गानों की प्लेलिस्ट से मोदी - ट्रम्प ब्रोमांस समझने की कोशिश
क्या से क्या हो गया बेवफ़ा तेरे प्यार में | यारी है ईमान मेरा यार मेरी ज़िंदगी | ऐ यार सुन यारी तेरी | आज पुरानी राहों से कोई मुझे आवाज़ न दे | सजनवा बैरी हो गये हमार | कभी खुद पे कभी हालात पे रोना आया | दुश्मन न करे, दोस्त ने वो काम किया है | दोस्त दोस्त न रहा, प्यार प्यार न रहा | दोस्त दोस्त न रहा, प्यार प्यार न रहा | देखी ज़माने की यारी | तू प्यार है किसी और का, तुझे चाहता कोई और है | कसमें वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या | अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का
निधीश त्यागी
किसी दूसरे राष्ट्र प्रमुख के साथ अगर ये हो रहा होता, तो हम सब कितना हंसते. मोदी जी भी. पर वह 29 बार बोला और बोलता ही जा रहा है. कि जंग मैंने रुकवाई. हंस भी रहा है. जहां जाता है, वहीं बोल देता है. और अपने प्रधानमंत्री मुंह में दही जमा कर बैठे हैं. क्या यह रगों में खून नहीं खौलते सिंदूर का असर है. सरे आम और दिन दहाड़े भारत की मिट्टी पलीत हो रही है और वे पता नहीं किस मुहुर्त के इंतज़ार में हैं. फिर भारत को डेड इकोनमी बता दिया. ऊपर से रूस और ईरान से तेल लेकर दुनिया को बेचने और ब्रिक्स देशों का सदस्य होने के कारण जुर्माना लगाने की धौंस भी. आपके दिमाग के बैकग्राउंड में कौन सा गाना बज रहा है?
पहला गाना: क्या से क्या हो गया बेवफ़ा तेरे प्यार में
पर हमेशा ऐसा नहीं था. थोड़ा फ्लैशबैक में चलते हैं. एक समय था, जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की दोस्ती अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के गलियारों में चर्चा का विषय थी. यह रिश्ता सिर्फ़ औपचारिक मुलाक़ातों तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें व्यक्तिगत गर्मजोशी, सार्वजनिक मंचों पर एक-दूसरे की प्रशंसा और विशाल आयोजनों का भव्य प्रदर्शन शामिल था. सितंबर 2019 में ह्यूस्टन के एनआरजी स्टेडियम में हुआ 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम इस दोस्ती का शिखर था. 50,000 से अधिक भारतीय-अमेरिकियों की उत्साही भीड़ के सामने, दोनों नेताओं ने एक-दूसरे को "महान मित्र" बताते हुए भारत-अमेरिका संबंधों के एक नए युग का आगाज़ किया. इसी मंच से प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रम्प के चुनावी नारे को भारतीय अंदाज़ देते हुए "अबकी बार, ट्रम्प सरकार" का नारा भी दिया, जिसे ट्रम्प के लिए एक अभूतपूर्व और मुखर समर्थन के रूप में देखा गया. मोदी ने करीब पचास लाख रुपये के तोहफे ट्रम्प को दिये, जिनका खुलासा ट्रम्प ने नहीं किया. ट्रम्प ने एक बार आई लव हिंदू भी कहा, ताकि अमेरिका के हिंदू वोटर उनसे जुड़ सकें. कुछ जुड़े भी. मोदी ने ट्रम्प के लिए क्या कुछ नहीं किया. यह जानने के बाद भी कि ट्रम्प गोमांस भक्षक है, मोदी उन्हें अपनी छवि बनाने के लिए गले लगाते रहे. जैसा जंजीर फिल्म में प्राण के साथ अमिताभ बच्चन था. मन्ना डे की आवाज़ में.
दूसरा गाना: यारी है ईमान मेरा यार मेरी ज़िंदगी
इस दोस्ती का जवाबी प्रदर्शन फ़रवरी 2020 में भारत में हुआ, जब ट्रम्प 'नमस्ते ट्रम्प' कार्यक्रम के लिए अहमदाबाद पहुँचे. दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम, मोटेरा (अब नरेंद्र मोदी स्टेडियम) में एक लाख से अधिक लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए ट्रम्प ने भारत की संस्कृति, लोकतंत्र और मोदी के नेतृत्व की जमकर तारीफ़ की. इन दो विशाल आयोजनों ने दुनिया को यह संदेश दिया कि दोनों नेताओं के बीच एक असाधारण केमिस्ट्री है, जो दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी. जैसा कि एक टीवी एंकर ने कहा था, "उनकी केमिस्ट्री असाधारण है," जबकि दूसरे ने टिप्पणी की, "जब वे दोनों एक साथ मंच पर होते हैं, तो यह बिजली की तरह होता है."
तीसरा गाना : ऐ यार सुन यारी तेरी
दोनों में बहुत सी बातें एक सी हैं. मसलन
दोनों दक्षिणपंथ और धुर दक्षिणपंथी विचारधारा की उपज हैं.
दोनों नफरत और डर को करंसी की तरह इस्तेमाल करते हैं.
उनकी एप्रोच विभाजनकारी है.
मोदी की डिग्री का तो पता नहीं, पर ट्रम्प ने पढ़ाई तो की, पर बरताव में दोनों अपना हल्कापन जताने में चूकते नहीं.
दोनों सेल्समैन तो अच्छे हैं पर लीडरशिप दिखाने के मौके पर फीक़ा प्रदर्शन करते हैं.
दोनों अपने ही देश के लोगों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं.
इकोनमी चलाना दोनों को ठीक से नहीं आता.
दोनों सपने दिखाने में माहिर हैं, और जब वे सच नहीं होते तो जिम्मेदारी नहीं लेते.
दोनों खास पूंजीपतियों के प्रति पक्षपात करते हैं.
लोकतांत्रिक मूल्यों की बहुत परवाह नहीं करते.
दोनों स्थापित नियमों से नहीं चलते, अपने हिसाब से नियम बनाते हैं.
दोनों को नोबेल शांति पुरस्कार की ख्वाहिश है.
दोनों कैमराजीवी हैं. और अब जो कैमरे पर दिखलाई पड़ रहा है, वह तकलीफदेह है.
दोनों विज्ञान को लेकर अपना प्रचंड अज्ञान बघारने से बाज नहीं आते. ट्रम्प कोविड का इलाज ब्लीच पीने को बता रहे थे, जबकि मोदी थाली पिटवा रहे थे और उनके चंगू मंगू रामदेव के नकली नुस्खे प्रमोट कर रहे थे. मोदी तो एक कदम आगे थे जब वे गटर गैस से चाय, बादल होने का बेनेफिट बता रहे थे और फिर हाल में खून की जगह उनकी नसों में खौलता सिंदूर होने की बात कर रहे थे. जिसका सच देश को बाद में पता चला, जसोदा बेन को पहले से पता था.
हालाँकि, दोस्ती का यह सुनहरा दौर लंबा नहीं चला. व्यक्तिगत केमिस्ट्री पर आधारित यह रिश्ता जब कूटनीति और राष्ट्रीय हितों की कठोर वास्तविकताओं से टकराया, तो इसकी कमज़ोरियाँ उजागर होने लगीं. जो ट्रम्प पहले भारत को एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार बताते थे, वही अब भारत की व्यापार नीतियों और स्वतंत्र विदेश नीति पर सवाल उठाने लगे. इस बीच ट्रम्प चुनाव हारे. मोदी जी जीतते रहे. मिलना जुलना कम हुआ. उधर ट्रम्प के दिन पहले जैसे नहीं रहे. उन्हें अदालतों के चक्कर काटने पड़े. उनपर यौन अपराध और बलात्कार के आरोप लगे. पर चार साल बाद मागा भीड़ ने उनके इशारे पर अमेरिका की कैपिटल हिल पर ही हमला कर दिया था. ट्रम्प का वक़्त थोड़ा मुश्किल हो गया.
चौथा गाना: आज पुरानी राहों से कोई मुझे आवाज़ न दे
पर वे जुटे रहे. और चुनाव जीत गये. उसके बाद अमेरिका और पूरी दुनिया में तबाही सी मच गई. नरेन्द्र भाई जो अभी तक मणिपुर तक नहीं गये, पहली फुरसत में व्हाइट हाउस पंहुच कर फोटो खिंचवा कर आ गये. पर इस बार ट्रम्प का रुख और रवैया बदला सा रहा. व्हाइट हाउस में वे कुछ बच्चों को भी मिल आये, जो इलोन मस्क के थे. मस्क इस बीच ट्रम्प दरबार से खो हो चुके. जो ट्रम्प को दोस्त समझने की नादानी कर रहे थे, उनके लिए अच्छे दिन खत्म होने लगे थे. तीसरी कसम का ये गाना सुनिये, सितार और मुकेश दोनों गहरे हैं.
पाँचवा गाना : सजनवा बैरी हो गये हमार
शुरू में तो ट्रम्प सिर्फ धमका ही रहे थे. सिर्फ भारत को ही नहीं, पर चीन और बाकी देशों को, चाहे वह यूरोप के हों या लेटिन अमेरिका के. चीन, कनाडा, मैक्सिको और अब ब्राजील ने ट्रम्प पर जवाबी टैरिफ लगाने की बात की, डटे रहे और डिगे नहीं. पर मोदी जी को लगता रहा कि दोस्ती है तो काम ही आएगी. भारत ने ट्रम्प की धौंसपट्टी के आगे चूं भी नहीं की. और निजी रिश्तों पर अगर कोई भरोसा था, उसके कारण देश की इज्जत थोड़ी अपनी जगह से हिल गई. जबकि ब्राजील के लूला ने इसे अपने देश की राष्ट्रीय प्रतिष्ठा का मुद्दा बना दिया. चीन ने भी ऐसा ही किया. इस कथित दोस्त के कारण जो किसी का सगा नहीं निकला, बहुतों को ठगा, कइयों की इज्जत भी लूटी, गोमांस भी खाता रहा, और दिन रात दुनिया में कोहराम मचा कर रख दिया, मोदी जी को बहुत सहना पड़ा. भारत की जो फजीहत हुई सो हुई, उनकी मजबूत नेता की छवि को खासा धक्का लगा. जो आदमी चीन के लिए आँखे लाल किये दे रहा था, वह ट्रम्प के सामने पलकें तक न उठा सका. दिल टूटने वाली बात होने को थी.
छठवां गाना: कभी खुद पे कभी हालात पे रोना आया
सबसे बड़ा और विवादास्पद मोड़ तब आया जब ट्रम्प ने भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष रुकने की ब्रेकिंग न्यूज जारी की. यह भी कहा कि जंग उन्होंने रुकवाई. मध्यस्थता करने का दावा किया. उन्होंने 10 मई, 2025 को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर घोषणा की कि "अमेरिका द्वारा मध्यस्थता में हुई लंबी रात की बातचीत के बाद" भारत और पाकिस्तान "पूर्ण और तत्काल युद्धविराम" के लिए सहमत हुए हैं. यह भारत के दशकों पुराने रुख का सीधा उल्लंघन था, जो कश्मीर जैसे द्विपक्षीय मुद्दों पर किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को सिरे से ख़ारिज करता है. भारत सरकार के लिए यह स्थिति बेहद असहज करने वाली थी. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक संक्षिप्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिकी मध्यस्थता का कोई उल्लेख नहीं किया, लेकिन तब तक नुक़सान हो चुका था. ट्रम्प यहीं नहीं रुके; उन्होंने बार-बार, कुछ रिपोर्टों के अनुसार 29 बार तक, यह दावा किया कि उन्होंने दोनों देशों पर व्यापारिक दबाव डालकर उन्हें संघर्ष विराम के लिए मजबूर किया.
उन्होंने जख़्म पर मिर्ची रगड़ते हुए यह भी कह दिया, "मैंने कहा, चलो, हम तुम लोगों के साथ बहुत सारा व्यापार करने जा रहे हैं. तो इसे रोको... अगर तुम इसे नहीं रोकते हो, तो हम कोई व्यापार नहीं करेंगे. अचानक, उन्होंने कहा, ठीक है, हम रुकने वाले हैं."
जो आदमी कल तक रूस और यूक्रेन की जंग रुकवाने का पाखंड कर भारत में वोट बटोरने की कोशिशें कर रहा था, यकायक उनका मजाक उड़ने लगा. लोग भारत में “नरेंदर की सरेंडर” से तुक मिलाने लगे. बहुत बुरा हुआ यह मोदी जी के साथ, भारत के साथ तो जो हुआ, सो हुआ. अपने ही गिराते हैं नशेमन पर बिजलियां..
सातवां गाना: दुश्मन न करे, दोस्त ने वो काम किया है
बहरहाल ट्रम्प के इन दावों ने भारत में मोदी की "मजबूत नेता" की छवि को गहरा धक्का पहुँचाया. विपक्ष ने सरकार की विदेश नीति पर तीखे सवाल उठाए. कांग्रेस पार्टी ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व से तुलना की, जिन्होंने 1971 में अमेरिकी दबाव के बावजूद पाकिस्तान के खिलाफ़ युद्ध का नेतृत्व किया था. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सवाल उठाया, "क्या हमने तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के दरवाज़े खोल दिए हैं?" दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और स्तंभकार अपूर्वानंद के अनुसार, ट्रम्प की टिप्पणियों ने भारत में मोदी की छवि को धूमिल कर दिया. उन्होंने कहा, "उन्हें एक विश्व नेता के रूप में चित्रित किया गया था, जो युद्ध रुकवा सकते हैं. अब, वह एक युद्ध रोक रहे हैं क्योंकि ट्रम्प ने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा है."
आठवां गाना: दोस्त दोस्त न रहा, प्यार प्यार न रहा (राज कपूर और दर्दनाक पियानो पर फिल्माया गाना सुनिये)
दोस्ती में आई यह कड़वाहट जल्द ही आर्थिक मोर्चे पर एक बड़े प्रहार के रूप में सामने आई. ट्रम्प ने अपने "अमेरिका फ़र्स्ट" के राष्ट्रवादी एजेंडे के तहत भारत की व्यापार नीतियों को निशाना बनाया. उन्होंने भारत को "टैरिफ़ किंग" की संज्ञा दी. पहले उनके प्रशासन ने 2019 में भारत को सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली (GSP) से हटा दिया, यह एक ऐसा कार्यक्रम था जो विकासशील देशों को कई उत्पादों पर बिना टैरिफ़ के अमेरिकी बाज़ार तक पहुँच प्रदान करता था. इसका कारण यह बताया गया कि भारत अमेरिकी उत्पादों को पर्याप्त बाज़ार पहुँच नहीं दे रहा है.
जुलाई 2025 तक स्थिति और बिगड़ गई, जब ट्रम्प ने भारतीय आयातों पर 25% का भारी शुल्क लगाने की घोषणा कर दी. यह फ़ैसला ऐसे समय में आया जब दोनों देश एक व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे थे. ट्रम्प प्रशासन ने न केवल भारत के उच्च टैरिफ़ का हवाला दिया, बल्कि भारत द्वारा रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की ख़रीद और ईरान के साथ तेल व्यापार जारी रखने पर भी गंभीर आपत्ति जताई. ट्रम्प ने एक्स पर लिखा, "याद रखें, जबकि भारत हमारा दोस्त है... उन्होंने हमेशा अपने सैन्य उपकरणों का एक बड़ा हिस्सा रूस से ख़रीदा है, और रूस की ऊर्जा के सबसे बड़े ख़रीदार हैं, चीन के साथ, एक ऐसे समय में जब हर कोई चाहता है कि रूस यूक्रेन में हत्या बंद करे."
नवां गाना: देखी ज़माने की यारी
इस टैरिफ़ का भारतीय अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ना तय था, जिसका निर्यात अमेरिका के लिए लगभग 130 बिलियन डॉलर का है. इससे कपड़ा, दवा, इलेक्ट्रॉनिक्स और रत्न एवं आभूषण जैसे प्रमुख क्षेत्र प्रभावित होते. यह भारत के लिए दोहरा झटका था, क्योंकि एक तरफ़ उसका सबसे बड़ा निर्यात बाज़ार प्रभावित हो रहा था, तो दूसरी तरफ़ उसकी रणनीतिक स्वायत्तता पर भी सवाल उठाए जा रहे थे. मामले को और जटिल बनाते हुए, ट्रम्प ने भारत की आप्रवासन पर भी चोट की. उन्होंने H-1B वीज़ा कार्यक्रम को निलंबित कर दिया, जिसका सबसे बड़े लाभार्थी भारतीय तकनीकी पेशेवर रहे हैं. यह कदम, जिसे महामारी से जोड़ा गया था, ट्रम्प के सलाहकार स्टीफन मिलर जैसे अधिकारियों की आप्रवासन विरोधी विचारधारा के अनुरूप देखा गया. इसने उन हज़ारों भारतीय छात्रों और पेशेवरों के भविष्य को अनिश्चितता में डाल दिया जो अमेरिकन ड्रीम का पीछा कर रहे थे.
यह सब एक ऐसे नाज़ुक भू-राजनीतिक समय में हो रहा था जब भारत पहले से ही चीन के साथ सीमा पर गंभीर तनाव का सामना कर रहा था. जिस समय ट्रम्प भारत पर आर्थिक दबाव डाल रहे थे, उसी समय वह पाकिस्तान के प्रति नरम रुख़ अपना रहे थे. भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम के बाद, ट्रम्प ने पाकिस्तान के शक्तिशाली सेना प्रमुख को दोपहर के भोजन पर आमंत्रित करके स्थापित प्रोटोकॉल को तोड़ा, जिससे नई दिल्ली में कई लोग हैरान रह गए. एक तरफ़ "दोस्त" मोदी को दंडित किया जा रहा था, और दूसरी तरफ़ आतंकवाद के गढ़ माने जाने वाले पाकिस्तान को पुरस्कृत किया जा रहा था.
दसवां गाना: तू प्यार है किसी और का, तुझे चाहता कोई और है
विश्लेषकों का मानना है कि इस पूरे प्रकरण में भारत की राजनयिक प्रतिक्रिया आश्चर्यजनक रूप से दब्बू और कमज़ोर रही. जहाँ ब्राज़ील और यूरोपीय देशों के नेता ट्रम्प की संरक्षणवादी नीतियों का खुलकर विरोध कर रहे थे, वहीं भारत की प्रतिक्रिया काफ़ी हद तक सधी हुई और शांत रही. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में केवल ट्रम्प के दावों को ख़ारिज किया, लेकिन सरकार ने सार्वजनिक रूप से ट्रम्प की सीधी आलोचना से परहेज़ किया.
द एशिया ग्रुप के इंडिया प्रैक्टिस के अध्यक्ष और मोदी सरकार के पूर्व सलाहकार अशोक मलिक के अनुसार, इन घटनाओं ने दशकों में बने भारत-अमेरिका संबंधों को हिला दिया है. उन्होंने कहा, "हाल के घटनाक्रम बताते हैं कि देश रणनीतिक रूप से ठीक एक ही पृष्ठ पर नहीं हैं और संबंध 1990 के दशक की शुरुआत के बाद से सबसे ख़राब दिखते हैं." हडसन इंस्टीट्यूट में इंडिया इनिशिएटिव की निदेशक डॉ. अपर्णा पांडे ने इसे और स्पष्ट करते हुए कहा, "भारत की प्राथमिक चुनौती यह है कि, 35 वर्षों में पहली बार, इसका सामना एक ऐसे अमेरिकी प्रशासन से हुआ है जो रणनीतिक परोपकारिता से प्रेरित नहीं है."
ग्यारहवां गाना: कसमें वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या
यह साफ है मोदी सरकार की व्यक्तिगत केमिस्ट्री पर आधारित कूटनीति, ट्रम्प के लेन-देन वाले और अप्रत्याशित दृष्टिकोण के सामने विफल रही. ट्रम्प की वफ़ादारी केवल उनके राष्ट्रवादी एजेंडे और उनके वोट बैंक के प्रति थी, और कोई भी रैली या प्रशंसा इसे बदल नहीं सकती थी. मोदी-ट्रम्प संबंध का उतार-चढ़ाव न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय संबंधों की एक महत्वपूर्ण केस स्टडी है, बल्कि मोदी और भारत के लिए बहुत सारे गंभीर सबक भी हैं.
व्यक्तिगत केमिस्ट्री, भव्य आयोजन और सार्वजनिक गले मिलना किसी भी देश के राष्ट्रीय हितों और उसकी कूटनीतिक मजबूरियों से ऊपर नहीं हो सकते. दोस्ती का जो दिखावटी दौर था, वह कूटनीतिक यथार्थ के पहले ही झटके में बिखर गया. ट्रम्प के अप्रत्याशित दृष्टिकोण ने भारत को यह सिखाया कि महाशक्तियों के साथ संबंध केवल व्यक्तिगत समीकरणों पर नहीं, बल्कि ठोस रणनीतिक और आर्थिक हितों पर आधारित होने चाहिए. इस पूरे प्रकरण ने भारत के लिए कई कठिन सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या भारत को अपनी विदेश नीति में अधिक मुखर होने की आवश्यकता है? क्या उसे अमेरिका पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए यूरोप, रूस और अन्य शक्तियों के साथ अपने संबंधों को और मज़बूत करना चाहिए? और सबसे महत्वपूर्ण, भारत भविष्य में अमेरिका के साथ अपने संबंधों को कैसे संतुलित करेगा, ख़ासकर जब नेतृत्व इतना अप्रत्याशित और राष्ट्रवादी हो?
बारहवां गाना: अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का
वैसे मनमोहन सिंह होते तो क्या तब भी भारत की इतनी ही मिट्टी पलीत होती? भारत सरकार के मंत्री और कारकून भले दबी जुबान में अमेरिकी नैरेटिव से असहमति जता रहे हैं, खुल कर नहीं कह रहे कि ट्रम्प झूठा है. उधर भारत के लिए ये भी मुश्किल है अमेरिका के हाथ झटकने के बाद अब किस तरफ जाए. चीन से वैसे ही पंगा है. दक्षिण एशिया में सभी भारत को अलग थलग करते जा रहे हैं. यहां तक कि नेपाल और बांग्लादेश भी. ये जो नई डॉक्ट्रिन है, जहाँ अपनी दशा और दिशा न तय करना ही निर्णायक कूटनीति और छवि निर्माण का हिस्सा है.
इस बीच मोदी की भक्त ब्रिगेड, जो ट्रम्प के नाम पर मंदिर बना रही थी और पूजा कर रही थी, वो अब सोशल मीडिया पर अपने खंजर लेकर वर्चुअल लिंचिंग के लिए निकल चुकी है.
विश्लेषण
संजय बारू | अमेरिका से खराब होते रिश्तों के लिए मोदी जिम्मेदार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच दोस्ती की बातें अब पुरानी लगने लगी हैं. 'द वायर' के लिए करण थापर के साथ बातचीत में पूर्व संपादक और मनमोहन सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू ने भारत-अमेरिका संबंधों में हालिया गिरावट को भारतीय विदेश नीति का "निम्नतम बिंदु" बताया. भारत पर अमेरिका द्वारा 25% टैरिफ लगाया गया, जबकि ब्रिटेन पर 10%, जापान और यूरोपीय संघ पर 15%, और पाकिस्तान को विशेष छूट मिली. बारू ने इसे ट्रम्प के अहंकार को ठीक से न संभालने की विफलता माना, जिसके लिए उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री मोदी को जिम्मेदार ठहराया.
बारू के मुताबिक, भारत ने ट्रम्प के दावे को नजरअंदाज किया कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर (भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम) में भूमिका निभाई. ट्रम्प ने 30 से अधिक बार इसका श्रेय लिया, लेकिन भारत ने इसे स्वीकार नहीं किया. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में दावा किया कि 22 अप्रैल से 16 जून तक ट्रम्प और मोदी के बीच कोई बातचीत नहीं हुई, जिसे बारू ने "गैर-जिम्मेदाराना" बताया. उन्होंने कहा कि सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों ने भी मध्यस्थता में भूमिका निभाई, लेकिन भारत ने किसी को श्रेय नहीं दिया.
पाकिस्तान ने ट्रम्प के परिवार और उनके बेटों के साथ संपर्क बनाकर और तेल खोज में अमेरिका को अवसर देकर चतुराई से रिश्ते मजबूत किए. पाकिस्तानी फील्ड मार्शल आसिम मुनीर का ट्रम्प के साथ दोपहर का भोजन अभूतपूर्व था. बारू ने कहा कि भारत ने ट्रम्प के अहंकार को खुश करने का मौका गंवाया, जो एक छोटी कीमत पर बेहतर रिश्ते सुनिश्चित कर सकता था.
बारू ने चेतावनी दी कि अमेरिका और चीन, दोनों का पाकिस्तान के साथ बेहतर रिश्ता भारत के लिए चिंताजनक है. 50 साल बाद पहली बार कोई अमेरिकी राष्ट्रपति (ट्रम्प) भारत के बारे में अपमानजनक टिप्पणी कर रहा है, जैसा 1970 के दशक में निक्सन ने इंदिरा गांधी के लिए किया था. भारत ने रूस के साथ संबंधों को बनाए रखने की कोशिश में ट्रम्प को नाराज किया, जिससे टैरिफ और भू-राजनीतिक दोनों मोर्चों पर नुकसान हुआ.
बारू ने सुझाव दिया कि भारत को अपनी विदेश नीति में संतुलन लाने की जरूरत है. उन्होंने मनमोहन सिंह के "झुककर जीतने" के दृष्टिकोण का जिक्र किया, जहां छोटी रियायतें देकर बड़े लाभ लिए जा सकते हैं. भारत को अपनी आर्थिक स्थिति (प्रति व्यक्ति आय $2,500) को स्वीकार करते हुए विनम्रता के साथ अमेरिका, रूस और चीन के साथ संतुलित रिश्ते बनाने होंगे. बारू ने कहा, "हम विश्व गुरु होने का दावा करते हैं, लेकिन हमें यह समझना होगा कि हम अभी भी एक विकासशील अर्थव्यवस्था हैं."
भारत की प्रतिक्रिया, संबंध आगे बढ़ते रहेंगे
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा कल हस्ताक्षरित कार्यकारी आदेश के अनुसार, भारतीय वस्तुओं पर 25% टैरिफ़ 7 अगस्त से लागू होगा, जिससे सीमा शुल्क अधिकारियों को तैयारी के लिए और वाशिंगटन को कुछ और व्यापार सौदों पर हस्ताक्षर करने के लिए एक सप्ताह का समय मिल जाएगा. विदेश मंत्रालय ने आज सतर्क रुख़ अपनाते हुए कहा कि भारत-अमेरिकी साझेदारी "कई बदलावों और चुनौतियों से गुज़री है" और नई दिल्ली को "विश्वास है कि संबंध आगे बढ़ते रहेंगे". टेलीग्राफ़ की रिपोर्ट है कि विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारतीय आयातों पर 25 प्रतिशत टैरिफ़ लगाने के एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने के दिन, भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक स्थिर और दूरंदेशी संबंध के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "हमें विश्वास है कि संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ हमारे संबंध आगे बढ़ते रहेंगे." उन्होंने किसी भी तीसरे देश के चश्मे से रणनीतिक फ़ैसलों को जोड़ने की बात को खारिज कर दिया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि दोनों देशों की "मज़बूत साझेदारी" में और बढ़ने की क्षमता है, लेकिन "हमारी रक्षा आवश्यकताओं की सोर्सिंग पूरी तरह से हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा अनिवार्यताओं और रणनीतिक आकलनों द्वारा निर्धारित होती है". ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, भले ही ट्रम्प ने मॉस्को के साथ भारत के रक्षा संबंधों पर अपनी नाराज़गी व्यक्त की हो, मोदी सरकार के अधिकारी पेंटागन से और अधिक रक्षा उपकरण खरीदने की संभावना नहीं है, और इसके बजाय घरेलू स्तर पर इस उपकरण के 'संयुक्त डिजाइन और निर्माण' में रुचि रखते हैं.
वाशिंगटन में एक दृष्टिकोण के बावजूद कि ट्रम्प प्रशासन और मोदी सरकार के बीच असहमति रातोंरात दूर नहीं की जा सकती, दोनों पक्ष व्यापार वार्ता में लगे हुए हैं और एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल इस महीने यहां आने की उम्मीद है. एक भारतीय सरकारी सूत्र ने डेयरी और कृषि के मोर्चे पर रियायतों से भी इनकार किया.
रूसी तेल खरीद पर अमेरिकी नाराज़गी : फॉक्स न्यूज़ के एक कार्यक्रम में कल, जब अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से नई दिल्ली द्वारा रूसी तेल की खरीद के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि "सहयोगी" भारत को अपनी "भारी ऊर्जा ज़रूरतों" को पूरा करने की आवश्यकता है, लेकिन मॉस्को से उसकी खरीद "युद्ध के प्रयासों को बनाए रखने में मदद कर रही है", यह "निश्चित रूप से हमारे संबंधों में एक परेशानी का मसला है". वाणिज्य सचिव स्कॉट बेसेंट ने भी टिप्पणी की कि रूस के साथ भारत के व्यवहार ने उसे "एक महान वैश्विक अभिनेता नहीं" बनाया. इस मामले पर टिप्पणी के लिए पूछे जाने पर, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भारत सरकार के रुख़ को दोहराया कि "हमारी ऊर्जा ज़रूरतों को सुरक्षित करने में हम बाज़ारों में उपलब्ध प्रस्तावों और मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों से निर्देशित होते हैं".
टैरिफ़ का एपल के 'मेक इन इंडिया' प्लान पर असर नहीं : अधिकारी ने अनुमान लगाया कि अमेरिका को लगभग 40 बिलियन डॉलर के भारतीय निर्यात ट्रम्प के टैरिफ़ से प्रभावित हो सकते हैं. लेकिन एक क्षेत्र जिसे राष्ट्रपति के शुल्क बहुत ज़्यादा प्रभावित नहीं कर सकते हैं, वह है अमेरिका में बिक्री के लिए भारत में आईफ़ोन बनाने की एप्पल की योजना. विश्लेषकों और विशेषज्ञों का मानना है कि टैरिफ़ के बावजूद, "भारत में आईफ़ोन का निर्माण लागत-प्रतिस्पर्धी बना रहेगा".
ब्लूमबर्ग के मुताबिक भारत एक नई भू-राजनीतिक वास्तविकता का सामना कर रहा है. मिहिर शर्मा लिखते हैं, "नई दिल्ली का यह विश्वास कि वह ट्रम्प युग को नेविगेट कर सकता है, पूरी तरह से बिखर गया है; इस तूफ़ानी सप्ताह से उबरने में रिश्ते को लंबा समय लगेगा".
नोबेल पुरस्कार की मांग : डोनाल्ड ट्रम्प और उनकी व्हाइट हाउस टीम भारत-पाकिस्तान संघर्ष को समाप्त करने और इसलिए शांति के लिए नोबेल पुरस्कार के हक़दार होने के अपने दावे के बारे में पूरी ताक़त से आगे बढ़ रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष को समाप्त करने में किसी भी बाहरी हस्तक्षेप से बार-बार इनकार किया है, लेकिन एक बार भी 'डोनाल्ड ट्रम्प' का नाम नहीं ले पाए हैं.
चुनाव आयोग भाजपा के लिए वोट चोरी कर रहा, मेरे पास पक्के सबूत : राहुल गांधी
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को चुनाव आयोग पर अपने हमले और तेज कर दिए और उस पर भाजपा के लिए "वोट चोरी" में शामिल होने का आरोप लगाया. संसद भवन में पत्रकारों ने जब उनसे बिहार में विवादित “विशेष गहन पुनरीक्षण” (एसआईआर) प्रक्रिया के बारे में पूछा तो उन्होंने दावा किया कि उनके पास चुनाव आयोग की वोट चोरी में संलिप्तता का "पूरे तौर पर स्पष्ट प्रमाण" है. राहुल ने कहा, "हमने कहा है कि देश में वोट की चोरी हो रही है और अब हमारे पास खुले तौर पर स्पष्ट सबूत हैं कि निर्वाचन आयोग इस वोट चोरी में शामिल है. मैं यह बात हल्के में नहीं कह रहा, मैं सौ प्रतिशत सबूत के साथ यह बात कह रहा हूं. जब भी हम इसे सार्वजनिक करेंगे, पूरा देश जान जाएगा कि चुनाव आयोग बीजेपी के लिए वोट चोरी करने का काम कर रहा है."
राहुल के आरोप और धमकी नज़रअंदाज़ कर अपना काम करें : केंचुआ
इधर, केंद्रीय चुनाव आयोग ने भी राहुल गांधी के आरोपों पर प्रतिक्रिया दी. उसने उनके दावों को “बेबुनियाद” और “गैरजिम्मेदाराना” बताते हुए सभी चुनाव अधिकारियों को ऐसे रोज़-रोज़ लगने वाले आरोपों और धमकियों को नजरअंदाज करने की सलाह दी है.
चुनाव आयोग के बयान में कहा गया, “चुनाव आयोग सभी चुनाव अधिकारियों से अपील करता है कि वे ऐसे गैर-जिम्मेदाराना बयानों को दरकिनार करें और निष्पक्ष, न्यायसंगत और पारदर्शी ढंग से अपना कार्य जारी रखें.” आयोग ने कहा कि उसने राहुल गांधी को 12 जून को मेल भेजकर उनके पुराने आरोपों पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन वे अब तक उपस्थित नहीं हुए हैं. आयोग ने यह भी बताया कि गांधी ने उसको कभी भी किसी भी मुद्दे पर कोई पत्र नहीं भेजा.
ड्राफ्ट वोटर लिस्ट प्रकाशित
भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने शुक्रवार (1 अगस्त, 2025) को आगामी विधानसभा चुनावों से पहले एक महीने तक चले विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभ्यास के पूरा होने के बाद बिहार के लिए मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित की. कोई संकलित सूची उपलब्ध नहीं कराई गई, लेकिन मतदाता ईसीआई की वेबसाइट पर अपने नाम देख सकते हैं. भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार, जून में एसआईआर शुरू होने से पहले राज्य में 7.93 करोड़ पंजीकृत मतदाता थे. अभी यह पता नहीं चल पाया है कि अभी प्रकाशित मसौदा सूची में कितने मतदाता हैं. मसौदा सूची के प्रकाशन के साथ ही "दावों और आपत्तियों" की प्रक्रिया भी शुरू हो गई, जो 1 सितंबर तक जारी रहेगी, और इस अवधि के दौरान, गलत तरीके से नाम हटाने की शिकायत वाले मतदाता संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर निवारण की मांग कर सकते हैं. इस साल के अंत में राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. (द हिंदू)
प्रज्वल रेवन्ना बलात्कार का दोषी
हासन से जनता दल (सेक्युलर) के पूर्व सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना को बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया गया है. यह फैसला पूर्व और वर्तमान सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों की विशेष सत्र अदालत ने सुनाया है. प्रज्वल के खिलाफ बलात्कार के तीन और यौन उत्पीड़न का एक मामला दर्ज है और यह पहला मामला है जिसमें मुकदमा पूरा हुआ है और उन्हें दोषी पाया गया है. इस मामले में पीड़िता एक 48 वर्षीय महिला है जो हासन के गन्निकड़ा में रेवन्ना परिवार के फार्महाउस में पूर्व में सहायिका के तौर पर काम करती थी. अदालत में सजा की मात्रा पर बहस चल रही है और सज़ा की घोषणा शनिवार (2 अगस्त, 2025) को होने की संभावना है.
इस मामले में मुकदमा काफी तेज़ी से चला. विशेष अदालत में 2 मई, 2025 को सुनवाई शुरू हुई और महज़ दो महीने से कुछ ज़्यादा समय में रोज़ाना सुनवाई के बाद 18 जुलाई को पूरी हो गई. अदालत ने 30 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था, लेकिन न्यायाधीश ने मोबाइल लोकेशन डेटा और अन्य तकनीकी सबूतों पर स्पष्टीकरण मांगते हुए शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया. इस मुकदमे की अध्यक्षता न्यायाधीश संतोष गजानन भट ने की.
वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक नायक और बी.एन. जगदीश इस मामले में विशेष लोक अभियोजक थे. विशेष लोक अभियोजक अशोक नायक ने संवाददाताओं को बताया कि अभियोजन पक्ष ने 26 गवाहों की जांच की और 180 दस्तावेज़ जमा किए. उन्होंने कहा, "मुख्य सबूत पीड़िता का था, जो एक महिला है, यह बहुत ही ठोस था...". उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यह "पीड़िता की जीत है... मैं एसआईटी टीम को भी बधाई देता हूं, हमने न केवल मौखिक सबूतों पर, बल्कि डिजिटल सबूत, तकनीकी सबूत, डीएनए रिपोर्ट, एफएसएल रिपोर्ट पर भी भरोसा किया. बलात्कार के दौरान पीड़िता द्वारा पहने गए कपड़ों की भी पहचान की गई और जांच अधिकारी (आईओ) तीन-चार साल बाद भी कपड़ों को जब्त करने में सफल रहे. इसके अलावा, डिजिटल सबूतों ने भी एक भूमिका निभाई क्योंकि आरोपी ने खुद वीडियो रिकॉर्ड किया था...".
एसआईटी ने इस मामले में सितंबर 2024 में 1,632 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी, जिसमें 113 गवाहों के नाम थे. प्रज्वल पर भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(k) (एक महिला पर नियंत्रण या प्रभुत्व की स्थिति में होने पर, ऐसी महिला के साथ बलात्कार करना), 376(2)(n) (एक ही महिला पर बार-बार बलात्कार) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66E (गोपनीयता का उल्लंघन) सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. चार्जशीट में आरोप है कि आरोपी ने 2021 में पीड़िता के साथ दो बार बलात्कार किया - एक बार परिवार के हासन स्थित आवास पर और कुछ दिनों बाद बसवनगुडी में परिवार के बेंगलुरु स्थित आवास पर.
वीडियो, डीएनए और फॉरेंसिक जांच ने कैसे केस को मजबूत बनाया
जब पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के पोते और जनता दल (सेक्युलर) के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ महिलाओं के यौन उत्पीड़न से जुड़े कथित वीडियो पहली बार सामने आए, तब पूरे देश में जबरदस्त आक्रोश फैल गया. इस जन आक्रोश ने पांच महिलाओं को आगे आकर उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने का साहस दिया. शिकायतकर्ताओं में एक माँ-बेटी की जोड़ी भी शामिल है. 'द न्यूज मिनट' को SIT द्वारा दायर की गई तीनों चार्जशीट्स का विवरण प्राप्त हुआ है. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इनमें पूर्व सांसद के खिलाफ मजबूत मामला प्रस्तुत किया गया है. एक चार्जशीट के अनुसार, एक पीड़िता की साड़ी से मिला डीएनए सैंपल प्रज्वल के खिलाफ फैसला बदलने वाला सबूत साबित हो सकता है. दो मामलों में, SIT ने वीडियो में दिख रहे जननांगों की फॉरेंसिक इमेज तुलना कर यह निष्कर्ष निकाला कि वे प्रज्वल रेवन्ना के ही हैं. हालांकि, तीसरे मामले में वीडियो बहुत छोटा था, जिससे उस स्तर की पहचान संभव नहीं हो सकी.
हालांकि, 27 अप्रैल 2024 को गठित कर्नाटक पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) के सामने जांच के दौरान कई गंभीर चुनौतियां थीं. SIT को लगभग 2,000 वीडियो क्लिप्स मिले, जिनमें अलग-अलग महिलाओं के साथ यौन कृत्य दिखाए गए थे, लेकिन इनमें से किसी भी वीडियो में स्पष्ट रूप से प्रज्वल का चेहरा नजर नहीं आता. वीडियो मोबाइल फोन से शूट किए गए थे और कैमरा केवल महिलाओं पर केंद्रित था. वीडियो में सिर्फ एक पुरुष के हाथ और लिंग दिखाई देते हैं, जिससे पहचान कठिन हो जाती है. हालांकि, पुलिस को दर्ज शिकायतों के अलावा अतिरिक्त साक्ष्य जुटाना भी जरूरी था ताकि प्रज्वल की संलिप्तता को कानूनी तौर पर सिद्ध किया जा सके.
"प्रज्वल को उसकी नीच हरकतों की सज़ा मिलनी चाहिए"
'द न्यूज मिनट' के लिए अनीशा सेठ ने प्रज्वल रेवन्ना मामले की एक पीड़ित को रिपोर्ट किया है. सुनीता (बदला हुआ नाम) और उनके दो बच्चे, अपनी मां गिरिजा के साथ, पिछले कई हफ्तों से बेंगलुरु के एक सुरक्षित घर में रह रहे हैं. जबसे कर्नाटक पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) ने यौन शोषण मामले की जांच शुरू की है, वे पुलिस की 24 घंटे निगरानी में हैं. उनके पास अब अपने पुराने घर लौटने का भी कोई ठिकाना नहीं है. 31 मई की सुबह 'द न्यूज मिनट' से बात करते हुए सुनीता ने कहा कि उन्हें प्रज्वल रेवन्ना की गिरफ्तारी के बाद थोड़ी राहत महसूस हुई है. “उसे किसी भी हालत में ज़मानत नहीं मिलनी चाहिए. उसने जो अनाचार (नीच और आपराधिक काम) किए हैं, उसकी सज़ा मिलनी चाहिए. सिर्फ़ प्रज्वल ही नहीं, उसके पिता एच.डी. रेवन्ना और मां भावनी को भी जेल भेजा जाना चाहिए. किसी को ज़मानत नहीं मिलनी चाहिए,” — सुनीता ने 'द न्यूज मिनट' को बताया. सुनीता उन 70 से अधिक महिलाओं में से एक हैं, जिन्हें पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना द्वारा गुप्त रूप से वीडियो रिकॉर्ड किया गया था. वे उन बहादुर पीड़ितों में से एक हैं, जिन्होंने सामने आकर पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई. हाल के दिनों में कम ब्लड प्रेशर के चलते सुनीता को अस्पताल भी ले जाना पड़ा था. हालांकि प्रज्वल अब जेल में है, लेकिन सुनीता और उनका परिवार अभी भी डर और असुरक्षा में जी रहा है.
अनिल अंबानी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी के खिलाफ लगभग 3,000 करोड़ रुपये के ऋण धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले के संबंध में एक लुकआउट सर्कुलर जारी किया है. इसके तहत अनिल अंबानी अब बिना कोर्ट की अनुमति के भारत के बाहर यात्रा नहीं कर सकते. यह सर्कुलर सभी एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स पर, जैसे कि एयरपोर्ट और सीपोर्ट, भेजा गया है, और अधिकारियों को सूचित किया गया है कि यदि अनिल अंबानी देश छोड़ने की कोशिश करते हैं तो उन्हें रोका जाए. यह कार्रवाई ईडी द्वारा की जा रही जांच के तहत हुई है, जिसमें पिछले हफ्ते रिलायंस कंपनियों के 50 ठिकानों और 25 व्यक्तियों के यहां छापे भी मारे गए थे. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, ईडी ने बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंबानी को पूछताछ के लिए 5 अगस्त का समन भेजा गया है. जांच में लगभग 17,000 करोड़ रुपये के ऋण धोखाधड़ी मामले और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप शामिल हैं. अधिकारी अंबानी के बयान पीएमएलए के तहत दर्ज करेंगे.
निमिषा प्रिया की फांसी टली: विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि भारतीय राजनयिक प्रयासों के बाद यमन में निमिषा प्रिया की फांसी टाल दी गई है. जायसवाल ने कहा, "यह एक संवेदनशील मामला है. भारत सरकार इस मामले में हर संभव सहायता दे रही है. हमारे ठोस प्रयासों के परिणामस्वरूप, सज़ा को स्थगित कर दिया गया है." उन्होंने ग़लत सूचना के ख़िलाफ़ आगाह करते हुए कहा, "कृपया हमारी ओर से अपडेट की प्रतीक्षा करें. हम सभी पक्षों से ग़लत सूचना से दूर रहने का आग्रह करते हैं."
वैश्विक पहुँच ने पाकिस्तानी दुष्प्रचार का मुक़ाबला किया : विदेश मंत्रालय ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद 33 देशों का दौरा करने वाले सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों ने सीमा पार आतंकवाद में पाकिस्तान की भूमिका के बारे में अंतर्राष्ट्रीय जागरूकता पैदा करने में मदद की. विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में कहा, "प्रतिनिधिमंडल न केवल वैश्विक स्तर पर आतंकवाद में पाकिस्तान की मिलीभगत पर जागरूकता बढ़ाने में सक्षम थे, बल्कि जम्मू-कश्मीर और ऑपरेशन सिंदूर पर पाकिस्तानी दुष्प्रचार का जवाब देने में भी सफल रहे."
राजनयिक विवाद के बाद भारत में कनाडा की पहली नियुक्ति : कनाडा ने 41 राजनयिकों को वापस लेने के बाद से भारत में अपना पहला कार्मिक स्थानांतरण किया है, मुंबई में अपने वाणिज्य दूतावास के लिए एक नए प्रमुख की नियुक्ति की है. यह कदम दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों द्वारा तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने के लिए मिलने के केवल छह सप्ताह बाद आया है.
गुरुकुल में संस्कृत पढ़ों सीधे आईआईटी जाओ शिक्षा मंत्रालय द्वारा समर्थित और केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के एक विंग द्वारा कार्यान्वित नई 'सेतुबंध' पहल के तहत, जो लोग गुरुकुल में कम से कम पाँच साल तक अध्ययन कर चुके हैं और "शास्त्रों या पारंपरिक ज्ञान में उत्कृष्टता प्रदर्शित करते हैं", उन्हें आईआईटी में शोध छात्रवृत्ति मिलेगी. वे पारंपरिक डिग्री के बिना भी पात्र होंगे.
'निष्पक्ष रहें, सनसनी न फैलाएं': दिल्ली की अदालत की ईडी को नसीहत
बार एंड बेंच के मुताबिक दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि ईडी को निष्पक्ष रूप से कार्य करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके सोशल मीडिया हैंडल और प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से प्रसारित की जाने वाली जानकारी सटीक और सनसनीखेज से मुक्त हो. राउज़ एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश जितेंद्र सिंह ने कहा कि तथ्यों को भ्रामक या मानहानिकारक तरीके से प्रस्तुत करने से केंद्रीय एजेंसी की विश्वसनीयता कम हो सकती है.
आधा स्टाफ ही काम पर: देश का सबसे बड़ा हाईकोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट, 160 में से केवल 80 जजों के साथ कार्यरत
देश के सबसे बड़े उच्च न्यायालय इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्वीकृत जजों की कुल संख्या 160 है, लेकिन वह केवल आधी क्षमता यानी 80 न्यायाधीशों के साथ काम कर रहा है. यह जानकारी केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा संसद में प्रस्तुत किए गए आंकड़ों से सामने आई है. कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा के एक लिखित प्रश्न के उत्तर में, केंद्रीय विधि और न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 31 जुलाई को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि 25 जुलाई 2025 की स्थिति तक, इलाहाबाद हाईकोर्ट में केवल 80 न्यायाधीश ही कार्यरत हैं. देश के 25 उच्च न्यायालयों में स्वीकृत न्यायाधीशों की कुल संख्या 1,122 है, लेकिन वर्तमान में केवल 760 पदों पर ही नियुक्ति हुई है. यानी 362 पद अभी भी खाली हैं, जो देश की न्यायिक व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े करते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि न्यायालयों में इतनी बड़ी संख्या में जजों के पदों का रिक्त रहना, मामलों की लंबित संख्या में बढ़ोतरी और न्याय मिलने में देरी का बड़ा कारण है.
यूपी के ऊर्जा मंत्री का आरोप, 'कर्मचारियों ने मेरे खिलाफ सुपारी ली' उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने ऊर्जा विभाग के कर्मचारियों पर उनके ख़िलाफ़ सुपारी लेने का आरोप लगाया है, उन्हें एक्स पर एक पोस्ट में "असामाजिक तत्व" बताया. द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, विभाग के अधिकारी शर्मा को ऊर्जा मंत्री के पद से हटाने की मांग कर रहे हैं.
विधानसभा में रमी खेलते पकड़े गए मंत्री का सज़ा के तौर पर खेल मंत्रालय में तबादला महाराष्ट्र के मंत्री माणिकराव कोकाटे, जो विधान सभा में रमी खेलते हुए वीडियो में पकड़े गए थे, को कृषि मंत्रालय से खेल मंत्री के रूप में स्थानांतरित करके दंडित किया गया है. इसने विपक्ष को चकित कर दिया है और उन्होंने कहा है कि उन्हें सज़ा देने के बजाय पुरस्कृत किया जा रहा है.
पाकिस्तानी जर्सी विवाद पर लंकाशायर क्रिकेट क्लब ने मांगी माफ़ी भारत और इंग्लैंड के बीच चौथे टेस्ट के दौरान एक दर्शक द्वारा अपनी पाकिस्तान टीम की टी-शर्ट नहीं ढकने पर ओल्ड ट्रैफ़र्ड से बाहर जाने के लिए कहे जाने के कुछ दिनों बाद, लंकाशायर ने इस घटना के लिए माफ़ी मांगी है. क्लब ने कहा कि उनका इरादा केवल पाकिस्तानी जर्सी पहनने के लिए किसी को हटाने का नहीं था, बल्कि वे एक पूर्व घटना के कारण सावधानी बरत रहे थे.
मानसून सत्र
यह संसद है या गढ़ी? राज्यसभा के वेल में सीआईएसएफ की मौजूदगी से विपक्ष हैरान
विपक्षी गठबंधन ने शुक्रवार को राज्यसभा के अंदर सीआईएसएफ कर्मियों की मौजूदगी को "अभूतपूर्व और चिंताजनक" बताया. "हम हैरान और स्तब्ध हैं कि जिस तरह से सदस्य अपने लोकतांत्रिक अधिकार के तहत विरोध दर्ज करा रहे थे,उस समय सीआईएसएफ के जवानों को सदन के वेल में दौड़ाया गया," राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने उपसभापति हरिवंश को भेजे पत्र में लिखा. दरअसल, विपक्ष के सदस्य बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा कर रहे थे.
विपक्षी सांसदों का आरोप है कि उन्हें सदन के वेल (गर्भ गृह) में जाने से रोका गया, जो आमतौर पर सांसदों के लिए सरकार के खिलाफ विरोध जताने का प्रमुख स्थान होता है. खड़गे ने इस बात पर अपनी नाराजगी जताई कि विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए सीआईएसएफ का इस्तेमाल किया गया और आशा जताई कि भविष्य में जब सदस्य जनहित के मुद्दे उठाएंगे तो सीआईएसएफ कर्मी सदन के वेल में नहीं आएंगे.
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने "एक्स" पर कहा, "राज्यसभा के सभापति के अचानक और अभूतपूर्व इस्तीफे के बाद, अब हम देख रहे हैं कि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के कर्मियों द्वारा राज्यों की परिषद (राज्यसभा) के सदन पर कब्जा कर लिया गया है."
तृणमूल के राज्यसभा में नेता डेरिक ओ’ब्रायन ने कहा, “राज्यसभा आज. अभूतपूर्व. मार्शल (या सीआईएसएफ कर्मी) पहले से ही वेल को घेर लेते हैं. ऐसा पहले कभी नहीं देखा. एसआईआर-वोट चोरी पर चर्चा से इतना डर. मोदी-शाह, इंडिया ब्लॉक आपसे अंत तक लड़ेगा. मिलेंगे सोमवार को.” इस बीच, संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही विपक्ष द्वारा बिहार एसआईआर पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामे के बीच सोमवार, 4 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी गई.
विशेष चर्चा के लिए बिड़ला को पत्र : इस बीच विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक के सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को एक पत्र लिखकर बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर विशेष चर्चा की मांग की, क्योंकि इस वर्ष के अंत में बिहार में चुनाव होने हैं. पत्र में कहा गया है, "यह अभूतपूर्व है. चुनाव आयोग ने संकेत दिया है कि इसी तरह की कवायद जल्द ही पूरे देश में की जाएगी. इस प्रक्रिया की पारदर्शिता, समय और उद्देश्य को लेकर व्यापक चिंता को देखते हुए, इस मामले को संसद के तत्काल ध्यान की आवश्यकता है."
उपराष्ट्रपति चुनाव, जरूरी होने पर 9 सितंबर को मतदान चुनाव आयोग ने शुक्रवार को 17वें उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की तिथि घोषित कर दी है, जिसके अनुसार, आवश्यकता पड़ने पर मतदान 9 सितंबर को होगा. चुनाव की अधिसूचना 7 अगस्त को जारी की जाएगी. नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त है, जबकि नामांकन पत्रों की जांच 22 अगस्त को की जाएगी. नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 25 अगस्त निर्धारित की गई है. बता दें, 21 जुलाई को जगदीप धनखड़ ने अचानक स्वास्थ्य कारणों से उप राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था.
पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान भेजी गई महिला को भारत आने की अनुमति, विज़िटर वीज़ा पर लौटेंगी रक्षंदा राशिद
'द हिंदू' के लिए विजेता सिंह की रिपोर्ट है कि पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान निर्वासित की गई 62 वर्षीय महिला रक्षंदा राशिद को भारत लौटने की अनुमति दे दी गई है. केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि उन्हें वीज़िटर वीज़ा जारी किया जाएगा. हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय किसी भी रूप में पूर्ववर्ती मामला नहीं माना जाएगा. रक्षंदा राशिद, जो पाकिस्तानी नागरिक हैं, ने 38 वर्षों से जम्मू में भारतीय नागरिक पति के साथ रहकर जीवन बिताया है. उन्हें लॉन्ग टर्म वीज़ा (LTV) पर भारत में रहने की अनुमति थी, जिसे हर वर्ष नवीनीकृत किया जाता था. उन्होंने 1996 में भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन दिया था, जो अब तक लंबित है. पहलगाम आतंकी हमले के बाद उन्हें वापस पाकिस्तान भेज दिया गया था, जिससे उनके परिवार और मानवाधिकार संगठनों के बीच चिंता उत्पन्न हुई थी. अब केंद्र ने अदालत को यह जानकारी दी है कि वे वीज़िटर वीज़ा पर भारत लौट सकती हैं और अपनी लंबित नागरिकता और लंबी अवधि के वीज़ा के लिए आवेदन की प्रक्रिया आगे बढ़ा सकती हैं. अदालत ने यह भी कहा कि यह निर्णय केवल विशेष परिस्थितियों में मानवीय आधार पर लिया गया है और इससे भविष्य में समान मामलों के लिए कोई दिशानिर्देश या उदाहरण तय नहीं होगा.
मालेगांव ब्लास्ट
एनआईए ने प्रज्ञा ठाकुर पर नरमी कैसे बरती और अब मालेगांव मुकदमे में देरी कैसे कर रही है
29 सितंबर 2008 रमजान का महीना का आखिरी दिन था. मालेगांव, जो मुस्लिम-बहुल शहर है और मुंबई से 270 किलोमीटर दूर है, में भिक्कू चौक के पास मस्जिदों में शाम की नमाज के लिए भक्त इकट्ठा हुए थे, जब रात 9:30 बजे एक जोरदार विस्फोट हुआ. छह लोग, जिसमें एक 10 साल की लड़की भी शामिल थी, मारे गए. सौ से अधिक लोग घायल हो गए.
महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के जांचकर्ताओं ने पाया कि विस्फोटक एक मोटरसाइकिल में पैक किए गए थे, जो प्रज्ञा सिंह ठाकुर की थी, एक हिंदू साध्वी जो मध्य प्रदेश में रहती थीं. उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), भाजपा के विचारधारा माता-पिता संगठन के छात्र विंग की राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य के रूप में सेवा की थी.
उनकी अक्टूबर 2008 में गिरफ्तारी ने एक राजनीतिक युद्ध छेड़ दिया, जिसमें विपक्ष में रही भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर हिंदुत्व कार्यकर्ताओं को गलत तरीके से फंसाकर संघ परिवार को बदनाम करने का आरोप लगाया.
एक दशक बाद, ठाकुर भारतीय संसद की सदस्य बन गईं, लेकिन मालेगांव मामले का मुकदमा, जो दिसंबर 2018 में मुंबई में शुरू हुआ, अखबारों की भीतरी पन्नों तक भी मुश्किल से पहुंचा – सिवाय उन दिनों के जब कोर्टरूम में नाटकीय घटनाएं हुईं, जैसे कि स्निफर डॉग की भौंकने की रिकॉर्डिंग को लेकर.
नतीजतन, यह पूरी तरह अनदेखा रहा कि अब तक कोर्ट में पेश हुए 124 गवाहों में से 90 से अधिक गवाहों को अभियोजन पक्ष के वकीलों ने केवल यह स्थापित करने के लिए बुलाया कि बम विस्फोट वास्तव में हुआ था. विस्फोट में मारे गए लोगों के रिश्तेदारों को भी इस तथ्य की पुष्टि के लिए गवाही देने के लिए मजबूर किया गया.
विलंब करने वाला अभियोजन : अपराधी वकील युग चौधरी ने कहा, “अभियोजन पक्ष ऐसा गैर-आरोपी, अप्रासंगिक और विशाल साक्ष्य पेश करके मामला को रोक रहा है, जो पूरी तरह स्पष्ट और असंदिग्ध है: कि विस्फोट हुआ, लोग घायल हुए, लोग मरे, यह विवाद से परे है.” अभियोजन पक्ष की नियुक्ति राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा की गई है, जिसने 2011 में मामले को महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधक दस्ते से संभाला था, लेकिन एजेंसी ने पुन: जांच 2015 में शुरू की, जब तक कि भाजपा केंद्र में सत्ता में नहीं आ गई थी और मालेगांव पीड़ितों के परिवारों को डर था कि मामला कमजोर पड़ जाएगा.
डर तब और गहरा गया जब जून 2015 में सार्वजनिक अभियोजक रोहिणी सलियन ने आरोप लगाया कि एक एनआईए अधिकारी ने उनसे अभियुक्तों पर नरमी बरतने को कहा था. एजेंसी ने इस आरोप से इनकार किया, लेकिन संदेह का बादल तब और गाढ़ा हो गया जब एनआईए ने मई 2016 में एक पूरक जांच रिपोर्ट दायर की, जिसमें प्रज्ञा ठाकुर को बरी कर दिया गया. हालांकि, न्यायाधीश एसडी तकाले ने दिसंबर 2017 में उनकी छुट्टी से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं.
फिर भी इस साल अप्रैल में जब विस्फोट में मारे गए एक युवक के पिता ने ठाकुर की लोकसभा उम्मीदवारी का विरोध करने के लिए एक आवेदन दायर किया, तो एनआईए ने फिर से वही तर्क दोहराए जो न्यायाधीश तकाले ने 2017 में खारिज कर दिए थे. ट्रायल चला रहे न्यायाधीश विनोद पड़लकर ने एजेंसी को फटकार लगाई.
स्क्रॉल.इन ने मामले के कागजातों की जांच की, जो परेशान करने वाले सवाल उठाते हैं. जब मालेगांव विस्फोट हुआ, महाराष्ट्र पुलिस का आतंकवाद निरोधक दस्ता दर्जनों आतंक मामलों की जांच कर रहा था. अधिकांश मामलों में जांच मुस्लिम समूहों तक पहुंची थी, लेकिन यह मामला अलग निकला.
विस्फोट के एक महीने से भी कम समय बाद, 23 अक्टूबर 2008 को एटीएस अधिकारियों ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया. उनमें से एक प्रज्ञा ठाकुर थीं, जिन्हें सूरत से हिरासत में लिया गया. जैसे ही टीवी समाचार चैनलों पर केसरिया वस्त्र पहने इस कार्यकर्ता की तस्वीरें चलीं, एक राजनीतिक विवाद शुरू हो गया.
“इस्लामिक आतंकवाद का जवाब देने के लिए हिंदू बम?” आउटलुक पत्रिका ने अगले महीने की शुरुआत में एक रिपोर्ट में पूछा. तब तक, एटीएस ने रक्षा मंत्रालय से एक लेफ्टिनेंट कर्नल से पूछताछ की अनुमति के लिए पत्र लिखा था. 5 नवंबर 2008 को, सैन्य खुफिया अधिकारी प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को गिरफ्तार किया गया. एटीएस की जनवरी 2009 में दायर चार्जशीट के अनुसार, पुरोहित ने 2007 में अभिनव भारत नामक संगठन की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य एक “आर्यावर्त” या हिंदुओं का देश स्थापित करना था.
एटीएस चार्जशीट का दावा है कि अभिनव भारत के सदस्य भारतीय संविधान में विश्वास नहीं करते थे और एक हिंदू राष्ट्र लाना चाहते थे. उनका एक उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाना था ताकि इस्लामवादी समूहों द्वारा कथित तौर पर किए गए बम विस्फोटों का बदला लिया जा सके. चार्जशीट के अनुसार, समूह ने 2008 में मालेगांव विस्फोट से पहले कई बैठकें कीं। ठाकुर ने अप्रैल 2008 में भोपाल में आयोजित एक ऐसी बैठक में भाग लिया, जहां उन्होंने विस्फोट को अंजाम देने के लिए पैदल सैनिकों की व्यवस्था करने की पेशकश की.
पुरोहित ने मालेगांव विस्फोट की योजना बनाई, चार्जशीट में कहा गया है, जो कश्मीर से विस्फोटक प्राप्त कर रहे थे. इन्हें नासिक में एक अन्य अभिनव भारत सदस्य के घर में बम में बदला गया. चार्जशीट का दावा है कि विस्फोटक को दो पुरुषों, रामचंद्र कालसंग्रा और संदीप डंगे द्वारा एक एलएमएल फ्रीडम मोटरसाइकिल में लगाया गया था. दोनों कथित तौर पर ठाकुर के लिए काम कर रहे थे, जिनकी वह मोटरसाइकिल थी.
यह मोटरसाइकिल बाद में विस्फोट स्थल पर पाई गई, एटीएस चार्जशीट में कहा गया है. ठाकुर और पुरोहित के अलावा, एटीएस ने 12 अन्य लोगों के खिलाफ आरोप दायर किए. उनमें से सात कथित तौर पर अभिनव भारत के सदस्य थे: अजय रहिरकर, पुणे के एक व्यवसायी जिन्होंने संगठन को ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत किया; रमेश उपाध्याय, एक सेवानिवृत्त सेना मेजर जो पुरोहित के साथ घनिष्ठ रूप से सहयोग करते थे; स्वामी एडी तीर्थ, एक स्व-घोषित हिंदू धार्मिक नेता जिनका असली नाम सुधाकर द्विवेदी था; सुधाकर चतुर्वेदी, एक सेना सूचनाकार जिनके घर में बम बनाया गया; राकेश धवड़े, जिन्होंने पुरोहित के साथ अभिनव भारत की स्थापना के लिए शपथ ली; और समीर कुलकर्णी ने भोपाल में बैठक के लिए हॉल बुक किया, जिसमें विस्फोट की योजना बनाई गई.
दो अन्य अभियुक्त रामचंद्र कालसंग्रा से संबंधित थे, जो कथित तौर पर मोटरसाइकिल में उपकरण लगाने में शामिल थे. उनके भाई शिवनारायण और उनके मित्र श्याम साहू. एटीएस ने बजरंग दल के एक सदस्य, प्रवीण तक्कलकी के खिलाफ भी आरोप दायर किए, जिन्होंने कथित तौर पर लॉजिस्टिक्स में मदद की और जगदीश चिंतामन म्हात्रे, जिन्होंने कथित तौर पर हथियार प्रदान किए.
सभी अभियुक्तों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के सात खंड, जिसमें हत्या और समूहों के बीच वैमनस्य पैदा करना शामिल है, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के चार खंड, हथियार अधिनियम के तीन खंड, गैरकानूनी गतिविधि निवारण अधिनियम के छह खंड, जिसके माध्यम से विस्फोट को आतंकवादी कृत्य माना गया और महाराष्ट्र नियंत्रित संगठित अपराध अधिनियम के पांच खंड के तहत आरोप लगाए गए.
एटीएस ने दावा किया कि उसने अभियुक्तों के खिलाफ मजबूत साक्ष्य जुटाए, जिसमें एक बैठक की रिकॉर्डिंग शामिल थी जिसमें अभिनव भारत की एजेंडा पर चर्चा हुई, फोन वार्तालापों को रोकना, कॉल डिटेल रिकॉर्ड, आरोपित गवाह बयान, और अन्य चीजें. उसने दावा किया कि उसने स्वामी एडी तीर्थ से एक लैपटॉप जब्त किया, जिससे उसने 25 और 26 जनवरी 2008 को फरीदाबाद में आयोजित एक बैठक की रिकॉर्डिंग प्राप्त की. कथित रिकॉर्डिंग के प्रतिलेखों से पता चलता है कि समूह ने एक निर्वासित सरकार बनाने का फैसला किया, जो हिंदू राष्ट्र स्थापित करने की योजना का हिस्सा था. इसने मुसलमानों और ईसाइयों को निशाना बनाने और हिंदुओं की हत्या के लिए किए गए बम विस्फोटों का बदला लेने की आवश्यकता पर चर्चा की.
पुरोहित ने कथित तौर पर दावा किया कि वह इसराइल में लोगों से संपर्क में था ताकि अभिनव भारत की विचारधारा को लागू कर सके और कहा कि वह “उपकरण” प्राप्त करने में सक्षम था, जो हथियारों के लिए एक परोक्ष शब्द माना गया. बैठक में रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, सुधाकर द्विवेदी और सुधाकर चतुर्वेदी भी शामिल हुए.
ठाकुर फरीदाबाद की बैठक का हिस्सा नहीं थीं, लेकिन कथित तौर पर उन्होंने भोपाल में 11-12 अप्रैल 2008 को श्रीयम मंदिर में आयोजित एक समूह बैठक में भाग लिया. फरीदाबाद की बैठक के विपरीत, एटीएस ने इस सभा की कोई रिकॉर्डिंग प्रस्तुत नहीं की, लेकिन उसने श्रीयम मंदिर की बुकिंग रजिस्टर की एक प्रति जमा की, जिसमें दिखाया गया कि एक हॉल समीर चाणक्य – जो समीर कुलकर्णी को फरीदाबाद की बैठक में दिया गया नाम था – द्वारा बुक किया गया था. उसने अजय रहिरकर की डायरी भी बरामद की जिसमें 3 और 9 अप्रैल को “भोपाल अतिरिक्त” के तहत भुगतान सूचीबद्ध थे, जो बैठक से पहले के दिन थे.
और महत्वपूर्ण बात, एटीएस ने दो गवाहों के बयान हासिल किए, जिन्होंने दावा किया कि वे उस बैठक में मौजूद थे और सुना कि पुरोहित ने महाराष्ट्र में बढ़ती “जिहादी गतिविधियों” के बारे में बात की और मालेगांव में विस्फोट करके मुस्लिम समुदाय से बदला लेने का प्रस्ताव रखा. उनमें से एक ने दावा किया, “ठाकुर ने प्रतिक्रिया दी कि वे इस तरह के कृत्य के लिए लोगों की व्यवस्था करने के लिए तैयार हैं.” दूसरे गवाह ने समान दावा किया. दोनों गवाहों के बयानों को मुंबई में एक मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया गया, जिसने उनकी विश्वसनीयता को बढ़ाया.
कॉल रिकॉर्ड और गवाहियों के आधार पर ठाकुर को विस्फोट से जोड़ा गया. एनआईए ने 2016 में मामले की जांच पलटते हुए ठाकुर और कुछ अन्य अभियुक्तों को क्लीन चिट दे दी. उसने यह भी कहा कि एमसीओसीए लागू नहीं होता क्योंकि अभिनव भारत कोई आपराधिक सिंडिकेट नहीं था. हालाँकि, ट्रायल कोर्ट ने ठाकुर को मुकदमे से मुक्त नहीं किया, यह मानते हुए कि उनके खिलाफ परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर्याप्त हैं.
एनआईए पर आरोप लगे कि उसने गवाहों के बयान दर्ज करने में चयनात्मक रवैया अपनाया और एटीएस द्वारा एकत्र साक्ष्यों को खारिज किया। यह विरोधाभास अदालत में भी स्पष्ट हुआ जब अभियोजन को उस षड्यंत्र को साबित करना पड़ा जिसे एनआईए ने पहले नकारा था.
ट्रायल की प्रक्रिया के दौरान, रक्षा पक्ष ने यह भी चुनौती दी कि क्या वास्तव में विस्फोट हुआ था. इसके जवाब में अभियोजन ने 90 से अधिक गवाह प्रस्तुत किए जिन्होंने घटना और घायलों/मृतकों की पुष्टि की. अंततः मामला बंबई उच्च न्यायालय में लंबित है, जहां अगर ठाकुर को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया, तो पीड़ित परिवारों को एक बार फिर पुराने जख्मों से गुजरना पड़ेगा.
'पता था ऐसा ही होगा,' पूर्व विशेष लोक अभियोजक का दावा
2008 मालेगांव बम विस्फोट मामले की पूर्व विशेष लोक अभियोजक रोहिणी सालियन ने इस मामले में सभी आरोपियों के बरी होने पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. सालियन, जो 2015 में यह आरोप लगा चुकी हैं कि केंद्र और महाराष्ट्र में सरकार बदलने (भाजपा-नीत एनडीए और देवेंद्र फडणवीस सरकार) के बाद उन पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के जरिए आरोपियों के प्रति "नरम" रुख अपनाने का दबाव डाला गया था, ने अब इस मामले में गंभीर खामियों की ओर इशारा किया है.
सालियन ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बात करते हुए कहा, "पता था कि ऐसा ही होगा. अगर सही सबूत पेश नहीं किए जाएंगे तो और क्या उम्मीद की जा सकती है? मैं वह अभियोजक नहीं थी जिसने अंत में सबूत कोर्ट में पेश किए. मैं 2017 से बाहर थी, और उससे पहले मैंने ढेर सारे सबूत पेश किए थे, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने भी सही माना था. वे सब कहां गायब हो गए?"
उन्होंने कहा, "मुझे इस फैसले से निराशा भी नहीं है, क्योंकि यह मेरे लिए आम हो गया है. बार-बार ऐसा होने से हमारी संवेदनशीलता खत्म हो जाती है. कोई नहीं चाहता कि सच सामने आए. हम मेहनत करते हैं, लेकिन कोई हमें ऐसा करने से रोकता है. यह आखिरकार किसकी नाकामी है? हमारी जनता की." उन्होंने जोड़ा कि सरकार को दोष नहीं दिया जा सकता, क्योंकि उसे भी जनता चुनती है.
मिड-डे से बातचीत में सालियन ने कहा कि महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने शुरू में मजबूत जांच की थी, लेकिन बाद में यह "संस्थागत और राजनीतिक अखंडता के कथित पतन" के कारण कमजोर पड़ गई. एटीएस ने 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल की थी, ताकि आरोपियों को जमानत न मिले. गवाहों के बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए, लेकिन मजिस्ट्रेट के सामने नहीं.
2011 में एनआईए को जांच सौंपे जाने के बाद, उसने पहले से दाखिल चार्जशीट पर आगे बढ़ने के बजाय दोबारा जांच शुरू की और पिछले सबूतों को "झूठा" बताया. सालियन, जिन्होंने एटीएस की चार्जशीट की जांच की थी, ने इसे देरी और असंगतियों का कारण बताया.
राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप : सालियन ने 2015 से कई बार दावा किया कि 2014 में केंद्र में भाजपा-नीत एनडीए और महाराष्ट्र में फडणवीस सरकार के सत्ता में आने के बाद उन पर आरोपियों के प्रति नरम रुख अपनाने का दबाव डाला गया. मिड-डे को उन्होंने बताया कि एक अभियोजक के रूप में उनका कर्तव्य निष्पक्ष प्रतिनिधित्व था और बिना न्यायिक आदेश के "नरम" होने का दबाव संविधान के अनुच्छेद 21 (निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार) और अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) का उल्लंघन है. उन्होंने 1987 के शियोनंदन पासवान बनाम बिहार राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें अभियोजन पर अनुचित प्रभाव की चेतावनी दी गई थी.
2015 में एक्सप्रेस को दिए बयान में सालियन ने कहा था कि एनआईए के एक अधिकारी ने उनसे फोन पर बात करने से मना करते हुए मुलाकात की और कहा कि "ऊपर से संदेश है कि मुझे नरम रुख अपनाना चाहिए." उन्होंने यह भी दावा किया कि एक नियमित सुनवाई से पहले उन्हें कोर्ट में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने से रोका गया और दूसरे वकील को भेजा गया. इसके बाद एनआईए ने उन्हें अपने वकीलों के पैनल से हटा दिया. सालियन ने कहा, "मुझे नहीं पता कि मेरा डिनोटिफिकेशन स्टेटस अब क्या है, क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित था."
सालियन ने मिड-डे को बताया, "जब कानून प्रवर्तन सत्ता में बैठे लोगों को खुश करने के लिए गलत मकसद से काम करता है, तो न्याय का पटरी से उतरना कोई आश्चर्य नहीं." उन्होंने इसे केवल प्रक्रियात्मक चूक नहीं, बल्कि संवैधानिक विफलता बताया. उन्होंने कहा, "यह लोकतांत्रिक चेतना का आह्वान है. जवाबदेही सिर्फ न्यायिक नहीं, बल्कि जनता की भी है. मालेगांव का फैसला हमारी जनता की सामूहिक नाकामी है, जो अपराध और आतंक के पीड़ितों को न्याय नहीं दिला सका."
जिस मुस्लिम किशोरी से छेड़छाड़ हुई, उसी के परिवार पर एफआईआर
'द वायर' की रिपोर्ट है कि वाराणसी के राजातालाब क्षेत्र में एक 16 वर्षीय मुस्लिम किशोरी के साथ कथित छेड़छाड़ के बाद मामला उल्टा पड़ गया. पुलिस ने लड़की के परिवार के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज कर दी, जबकि आरोपी कांवड़ियों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. यह घटना 28 जुलाई को दोपहर करीब 3 बजे की है. लड़की का परिवार राजातालाब क्षेत्र में फुटवियर की एक दुकान चलाता है. पीड़िता अपनी दादी के साथ दुकान पर मौजूद थी, तभी दो-तीन कनवरिये दुकान में घुसे और लड़की के परिवार का आरोप है कि उन्होंने अश्लील भाषा का प्रयोग किया और लड़की को गलत तरीके से छूने की कोशिश की. लड़की ने विरोध किया और घर की ओर भागी. परिवार के अनुसार, एक कांवड़िया लाठी लेकर उसका पीछा करता हुआ उसके घर तक पहुंचा और जबरन घर में घुस गया. वहां मौजूद अन्य लोगों ने उसे खींचकर बाहर निकाला और उसकी पिटाई कर दी.
इस घटना के बाद पूरे इलाके में तनाव फैल गया. बड़ी संख्या में कांवड़िए जमा हो गए. रानी बाजार से एक किलोमीटर दूर तक सड़क जाम की गई और 'जय श्री राम' के नारे लगाए गए. पुलिस को हालात काबू में लाने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा। इस दौरान विश्व हिंदू परिषद के नेता राकेश पांडे को हिरासत में लिया गया. हालांकि, पुलिस कार्रवाई कांवड़ियों पर नहीं, बल्कि लड़की के परिवार पर केंद्रित रही. परिवार के सात लोगों पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया, जिनमें दंगा, हमला, धार्मिक भावना भड़काना और उत्तर प्रदेश धर्मांतरण निषेध अधिनियम की धाराएं शामिल हैं. सीसीटीवी फुटेज में भी लड़की एक कांवड़िए से बचते हुए भागती नजर आ रही है. कांवड़िया लाठी लेकर उसका पीछा करता दिख रहा है. इसके बावजूद, स्थानीय पुलिस अधिकारी अजय श्रीवास्तव ने The Wire को बताया कि “लड़की के आरोप 100 प्रतिशत गलत हैं” और असल में कांवड़िया ही पीड़ित था. उनके अनुसार, जो लोग कांवड़ियों पर हमला कर रहे थे, उन्हें हिरासत में लिया गया है. परिवार का कहना है कि पुलिस ने उन्हें धमकाया और उनकी दुकान पर बुलडोजर लाकर खड़ा किया गया. परिवार के एक बुजुर्ग सदस्य, जो दिल के मरीज हैं, को भी उठाकर ले जाया गया.
ट्रम्प ने रूस के खिलाफ परमाणु पनडुब्बियां तैनात की
'द गार्डियन' की रिपोर्ट है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव की धमकी भरी टिप्पणी के बाद परमाणु क्षमता से लैस दो पनडुब्बियों को "उपयुक्त क्षेत्रों" में तैनात करने का आदेश दिया है. ट्रम्प का यह कदम रूस के खिलाफ संभावित परमाणु हमले की तैयारी के संकेत के रूप में देखा जा रहा है.
ट्रम्प ने शुक्रवार को ट्रुथ सोशलपर लिखा, “मैंने दो परमाणु पनडुब्बियों को उपयुक्त क्षेत्रों में तैनात करने का आदेश दिया है, क्योंकि मेदवेदेव के अत्यधिक भड़काऊ बयानों को केवल शब्दों तक सीमित न मानकर, उसके पीछे की गंभीरता को समझना आवश्यक है.” मेदवेदेव, जो वर्तमान में रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष हैं, ने इससे पहले ट्रम्प द्वारा रूस को दी गई चेतावनियों को "युद्ध की धमकी" करार दिया था. उन्होंने ट्रम्प के उस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी, जिसमें ट्रम्प ने रूस-यूक्रेन युद्ध को 10 दिनों में खत्म करने का अल्टीमेटम दिया था.
मेदवेदेव ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर कहा — “ट्रम्प को दो बातें याद रखनी चाहिए. 1. रूस ना तो इज़राइल है, ना ईरान. 2. हर नया अल्टीमेटम युद्ध की ओर एक और कदम है. सिर्फ रूस और यूक्रेन के बीच नहीं, बल्कि अमेरिका और रूस के बीच.” “नींद में चलने वाले जो बाइडेन की राह पर मत चलो!” — मेदवेदेव ने व्यंग्य में कहा.
इधर, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ट्रम्प के अल्टीमेटम पर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन शुक्रवार को उन्होंने कहा कि रूस यूक्रेन में “स्थायी और स्थिर शांति” चाहता है — बशर्ते वह शांति “मजबूत नींव” पर आधारित हो जो रूस और यूक्रेन दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करे. हालांकि पुतिन ने यह नहीं बताया कि रूस किसी भी प्रकार की रियायत देने को तैयार है या नहीं, विशेषकर उस हफ्ते में जब रूसी मिसाइल और ड्रोन हमलों ने यूक्रेन में फिर से मौत और तबाही मचाई.
ट्रम्प ने हाल में अपनी पत्नी मेलानिया के साथ हुई बातचीत का जिक्र करते हुए कहा था — “मैं घर गया और मेलानिया से कहा आज व्लादिमीर (पुतिन) से बात हुई, बहुत अच्छी बातचीत रही.’ उसने कहा — ‘सच में? एक और शहर पर हमला हुआ है.’” ट्रम्प ने पहले दावा किया था कि वे रूस-यूक्रेन युद्ध को 24 घंटे में खत्म कर सकते हैं.
71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
शाहरुख पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता
'द हिन्दू' की रिपोर्ट है कि 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा शुक्रवार को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा की गई, जिसमें वर्ष 2023 की भारतीय सिनेमा की श्रेष्ठ उपलब्धियों को सम्मानित किया गया. इस बार का सबसे बड़ा आकर्षण रहा बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान को मिला पहला राष्ट्रीय पुरस्कार, जिसे उन्हें सुपरहिट फिल्म ‘जवान’ में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते एक जागरूक नायक की भूमिका के लिए मिला. फिल्म ‘12वीं फेल’ को सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म घोषित किया गया, जिसमें अभिनेता विक्रांत मैसी की प्रेरणादायक भूमिका को भी सराहा गया और उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का संयुक्त पुरस्कार मिला. फिल्म आईपीएस अधिकारी मनोज कुमार शर्मा की असली जिंदगी पर आधारित है.
रानी मुखर्जी (‘मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे’) सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री, सुदीप्तो सेन (‘द केरला स्टोरी’) सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ (करण जौहर) को सर्वश्रेष्ठ मनोरंजक फिल्म चुना गया. रणबीर कपूर अभिनीत बहुचर्चित फिल्म ‘एनिमल’ को सर्वश्रेष्ठ बैकग्राउंड स्कोर, साउंड डिज़ाइन, और री-रिकॉर्डिंग के लिए तीन पुरस्कार मिले. यह फिल्म 2023 की सबसे चर्चित और विवादास्पद फिल्मों में रही. हालांकि, इस फिल्म के कंटेंट की खूब आलोचना भी हुई है. विक्की कौशल अभिनीत ‘सैम बहादुर’ को राष्ट्र और सामाजिक मूल्यों को बढ़ावा देने वाली सर्वश्रेष्ठ फिल्म घोषित किया गया. इसके साथ ही फिल्म को सर्वश्रेष्ठ मेकअप और कॉस्ट्यूम डिज़ाइन के लिए भी सम्मान मिला.
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