03/03/2025: माधवी बुच पर एफआईआर होगी, शेयर बाज़ार से 85 लाख करोड़ रुपये डूबे, मंत्री ने लोगों को भिखारी की फौज बताया, मतदाता कार्ड की गफलत दूर होगी, सेमी में भारत आस्ट्रेलिया से भिड़ेगा
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आज 03/03/2025 की सुर्खियाँ
(ट्रम्प प्रशासन के खिलाफ और यूक्रेन के समर्थन में न्यूयॉर्क में जुटे लोग. अमेरिका के कई शहरों में ऐसा ही हुआ है. साभार: सीएनएन)
भाजपा मंत्री ने पटेल ने कहा ‘लोग भिखारियों की फौज’
मतदाता कार्ड की गफलत दूर करेगा चुनाव आयोग
85 लाख करोड़ रुपये बाज़ार से निकल गये
छत्तीसगढ़ में गर्भपात का अधिकार ठीक से लागू नहीं
बस्तर में आदिवासी नेता रघु मिडियामी एनआईए द्वारा गिरफ्तार
गुरू नानक के नाम पर इंगलैंड में अब फुटबॉल क्लब
हिम्मत शाह : एक प्रयोगवादी कलाकार की लम्बी पारी का अंत
इजराइल ने गाजा में सभी मानवीय सहायता का प्रवेश किया बंद
ट्रम्प के खिलाफ अमेरिका में यूक्रेन समर्थक प्रदर्शन
चैंपियंस ट्राफी: अब भारत का सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से सामना
मायावती के उत्तराधिकारी आकाश आनंद एक बार फिर पद से हटाए गए
उत्तराखंड हिमस्खलन : चार और शव मिले, मरने वालों की संख्या आठ हुई
बिहार में गंगा नदी का पानी नहाने लायक भी नहीं
कर्नाटक में सरकार देगी मंदिर के कर्मचारियों को वेतन
तेलंगाना: सुरंग ढहने की घटना के नौवें दिन भी बचाव कार्य जारी
माधवी बुच के खिलाफ एफआईआर होगी
मुंबई की एक विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को पूर्व सेबी अध्यक्ष माधवी पुरी बुच, बाजार नियामक के पूर्णकालिक सदस्यों, और बीएसई के दो अधिकारियों के खिलाफ 1994 में एक कंपनी के लिस्टिंग से जुड़े कथित शेयर बाजार धोखाधड़ी, नियामक उल्लंघन और भ्रष्टाचार के आरोपों में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने का निर्देश दिया है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा कि वह इस आदेश को चुनौती देने के लिए कानूनी कदम उठाएगा. यह आदेश ठीक उसके दो दिन बाद आया है जब माधवी बुच ने सेबी प्रमुख के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया. 1 मार्च को जारी एक विस्तृत आदेश में, विशेष एसीबी अदालत के न्यायाधीश शशिकांत एकनाथराव बंगार ने कहा: "आरोप एक संज्ञेय अपराध की तरफ इशारा करते हैं, जिसके लिए जांच आवश्यक है. नियामक चूक और सांठगांठ के प्राथमिक तौर पर साक्ष्य मौजूद हैं, जिसके लिए निष्पक्ष जांच जरूरी है. कानून प्रवर्तन एजेंसियों और सेबी की निष्क्रियता के कारण धारा 156(3) सीआरपीसी के तहत न्यायिक हस्तक्षेप आवश्यक है."
इस मामले में शिकायत महाराष्ट्र के ठाणे जिले के डोम्बिवली निवासी 47 वर्षीय कानूनी पत्रकार सपन श्रीवास्तव ने दर्ज की थी. शिकायत में माधवी बुच के साथ-साथ सेबी के वर्तमान पूर्णकालिक सदस्य अश्वनी भाटिया, अनंत नारायण, कमलेश चंद्र वार्ष्णेय, बीएसई अधिकारी प्रमोद अग्रवाल और सुंदररमन राममूर्ति को नामजद किया गया है. शिकायतकर्ता ने बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी, नियामक उल्लंघन और भ्रष्टाचार की जांच के लिए एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी.
आरोप 1994 में स्टॉक एक्सचेंज पर कैल्स रिफाइनरीज लिमिटेड कंपनी की कथित धोखाधड़ी वाली लिस्टिंग से जुड़े हैं, जिसमें नियामक प्राधिकारियों (विशेषकर सेबी) की सक्रिय सांठगांठ का आरोप है. शिकायतकर्ता का दावा है कि सेबी अधिकारियों ने निर्धारित मानदंडों को पूरा न करने वाली कंपनी की लिस्टिंग की अनुमति देकर अपने वैधानिक कर्तव्यों का पालन नहीं किया, बाजार में हेराफेरी को बढ़ावा दिया और कॉर्पोरेट धोखाधड़ी को संभव बनाया.
85 लाख करोड़ रुपये बाज़ार से निकल गये
निवेश में एक पुरानी कहावत है, “सड़कों पर खून हो तो खरीदो.” इसका अर्थ है कि जब शेयर नीचे होते हैं और हर कोई डरा हुआ होता है, तब आमतौर पर खरीदारी के लिए अच्छा समय होता है. इसलिए निवेशकों के लिए इस समय सवाल है कि क्या बाजार पर्याप्त गिर गया है, ताकि यह खरीदने का अवसर बन जाए? संक्षिप्त उत्तर है नहीं. ज़ेरोधा के सीईओ नितिन कामत कहते हैं,“बाज़ार अंततः सुधार कर रहे हैं. चूंकि बाज़ार चरम सीमाओं के बीच झूलते हैं, लिहाजा वे उसी तरह अभी और गिर भी सकते हैं, जैसे वे शीर्ष पर पहुंचने के लिए चढ़े थे.” कामत ने यह भी कहा, “हम व्यापारियों की संख्या और वॉल्यूम दोनों में भारी गिरावट देख रहे हैं. ब्रोकरों के बीच गतिविधि में 30 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है.”
विश्लेषकों ने चेताया है कि शेयरों में गिरावट जरूर आई है, लेकिन वे अभी भी इतने सस्ते नहीं हुए हैं. बाज़ार के एक जानकार का कहना है कि समस्या मूल्यांकनों में है. बिकवाली के बाद भी, शेयर आगे के जोखिमों को देखते हुए अभी भी बहुत अधिक मूल्य पर हैं. कई अन्य जानकारों का तर्क है कि नीचे का समय तय करना लगभग असंभव है. यदि आप दीर्घकालिक निवेशक हैं, तो ये स्तर पिछले साल के उच्च स्तरों की तुलना में पहले से ही आकर्षक हैं. लेकिन यदि आप तेजी से उछाल की उम्मीद कर रहे हैं, तो आपको थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है.
“द टेलीग्राफ” में परन बालकृष्णन ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि शुक्रवार को जारी जीडीपी के आंकड़ों में यह दिखा कि पिछली तिमाही में विकास में सुधार हुआ, जो एक दुर्लभ अच्छी आर्थिक खबर है. लेकिन इससे पहले कि कोई इसका जश्न मना पाता, एनएसई निफ्टी 50 ने लगातार पांचवें महीने नुकसान दर्ज किया, जो इसके 1996 में शुरू होने के बाद से सबसे लंबी हार की लकीर है. निवेशकों ने सितंबर से लगभग 85 ट्रिलियन (85 लाख करोड़) रुपये की संपत्ति गायब होते हुए देखी है, जिससे भारत वैश्विक स्तर पर सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला प्रमुख बाजार बन गया है. विदेशी निवेशकों ने फरवरी में 34,574 करोड़ रुपये निकाले : इस बीच विदेशी निवेशकों द्वारा फरवरी में भारतीय इक्विटी बाजार से 34,574 करोड़ रुपये निकाल लेने के बाद 2025 के पहले दो महीनों में कुल निकासी 1.12 लाख करोड़ रुपये हो गई. ऐसा बढ़ते वैश्विक व्यापार तनाव और कॉर्पोरेट आय वृद्धि की चिंताओं के बीच हुआ है. वॉटरफील्ड एडवाइजर्स के सीनियर डायरेक्टर विपुल भावर ने कहा, “भारतीय इक्विटी के बढ़े हुए मूल्यांकन के साथ-साथ कॉर्पोरेट आय वृद्धि की चिंताओं ने एफपीआई की निरंतर निकासी को बढ़ावा दिया है.” जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी हुई थी. एफपीआई द्वारा हुई भारी बिकवाली के परिणामस्वरूप बीएसई के बेंचमार्क सेंसेक्स में इस साल 6 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है.
मतदाता कार्ड की गफलत दूर करेगा चुनाव आयोग
दो अलग-अलग राज्यों के मतदाताओं को एक ही वोटर आईडी नंबर मिलने की रिपोर्ट्स पर भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) का कहना है कि ईपीआईसी नंबर चाहे जो भी हो, कोई भी व्यक्ति केवल अपने निर्धारित मतदान केंद्र पर ही, अपने राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के निर्वाचन क्षेत्र में वोट डाल सकता है. आयोग ने कहा कि वह इन डुप्लीकेट नंबरों को हटाएगा और यह सुनिश्चित करेगा कि प्रत्येक मतदाता को एक यूनीक ईपीआईसी नंबर मिले. इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिफिकेशन कार्ड (ईपीआईसी) नंबर भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किया जाने वाला 10 अंकों का वोटर आईडी नंबर होता है, जो प्रत्येक मतदाता के लिए विशिष्ट होता है. कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स में दो अलग-अलग राज्यों के मतदाताओं के ईपीआईसी नंबर एक जैसे होने की समस्या उठाई गई थी. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस सप्ताह इसी तरह के आरोप लगाए थे. रविवार को एक आधिकारिक बयान में ईसीआई ने कहा, "यह स्पष्ट किया जाता है कि हालांकि कुछ मतदाताओं के ईपीआईसी नंबर समान हो सकते हैं, लेकिन उनके जनसांख्यिकीय विवरण, विधानसभा क्षेत्र और मतदान केंद्र जैसे अन्य विवरण अलग-अलग हैं."
नंबर/सीरीज़ मिलने का कारण यह है कि ईरोनेट प्लेटफॉर्म पर सभी राज्यों के मतदाता सूची डेटा के स्थानांतरण से पहले एक विकेंद्रीकृत और मैन्युअल प्रणाली का उपयोग किया जाता था. इससे कुछ राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालयों ने एक ही ईपीआईसी अक्षरांकीय सीरीज़ का उपयोग किया, जिससे अलग-अलग राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में डुप्लीकेट नंबर जारी होने की संभावना बनी.
ईरोनेट एक वेब-आधारित प्लेटफॉर्म है, जिसे कई भाषाओं और लिपियों में चुनाव अधिकारियों के लिए विकसित किया गया है. यह मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने या स्थानांतरित करने से जुड़ी सभी प्रक्रियाओं को संभालता है.
पाठकों से अपील
भाजपा मंत्री ने लोगों को भिखारियों की फौज बताया
लोगों को मुफ़्त की रेवड़ियां बांटकर भाजपा भले ही सरकारें बनाने में कामयाब हो रही हो, लेकिन मध्यप्रदेश के मंत्री और भाजपा नेता प्रहलाद पटेल ने आम जनता को “भिखारियों की फौज” कहकर अच्छा-खासा विवाद खड़ा कर दिया. शनिवार को एक कार्यक्रम में पटेल ने कहा कि लोगों ने सरकार से भीख मांगने की आदत डाल ली है और यह “भिखारियों की सेना” समाज को मजबूत नहीं बना रही है.
पटेल, जो मोदी केबिनेट में केंद्रीय राज्य मंत्री रहे हैं और वर्तमान में मप्र के पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री हैं, ने राजगढ़ जिले में वीरांगना रानी अवंतीबाई लोधी की प्रतिमा के अनावरण समारोह के दौरान यह टिप्पणी की. पटेल ने कहा, “लोगों को सरकार से भीख मांगने की आदत पड़ गई है. नेता आते हैं और उन्हें अर्जियों से भरी टोकरी थमा दी जाती है. मंच पर उन्हें माला पहनाई जाती है और उनके हाथों में एक पत्र दिया जाता है. यह अच्छी आदत नहीं है. मांगने के बजाय देने की मानसिकता विकसित करें. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, इससे जीवन खुशहाल होगा और एक सुसंस्कृत समाज के निर्माण में मदद मिलेगी.”
उन्होंने आगे कहा, “यह भिखारियों की फौज समाज को मजबूत नहीं बना रही है, बल्कि इसे कमजोर कर रही है. क्या आप किसी ऐसे शहीद का नाम बता सकते हैं जिसने कभी भीख मांगी हो? इसके बावजूद हम कार्यक्रम आयोजित करते रहते हैं, भाषण देते रहते हैं और आगे बढ़ते रहते हैं.”
बहरहाल, पटेल को अपनी इस विवादित टिप्पणी के लिए तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा है कि भाजपा का अहंकार इतना बढ़ गया है कि वे अब जनता को भिखारी कह रहे हैं. यह दुख में डूबे लोगों की उम्मीदों और आंसुओं का अपमान है. वे चुनाव में झूठे वादे करते हैं और फिर मुकर जाते हैं. जब जनता उन्हें वादे याद दिलाती है, तो वे उसे भिखारी कहने से नहीं चूकते. अच्छी तरह से याद रखना, भाजपा के ऐसे चेहरे कुछ समय बाद फिर आपकी चौखट पर वोटों की भीख मांगने आएंगे.
एनआईए ने बस्तर में आदिवासी नेता रघु मिडियामी को गिरफ्तार किया
मई 2021 की बात है. दक्षिण छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के सिलगेर गांव में जब विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ, तब रघु मिडियामी की उम्र महज 20 साल थी. और, उसने हमउम्र अन्य साथियों के साथ मिलकर बस्तर इलाके के ताज़ा इतिहास में सबसे शक्तिशाली और शायद, सबसे लंबे (अब भी जारी) चलने वाले विरोध प्रदर्शनों में से एक का नेतृत्व किया. वह बस्तर के सैन्यीकरण और बिना मुकदमे की हत्याओं का मुखर आलोचक रहा है. उसने और बस्तर क्षेत्र के अन्य आदिवासियों ने सीआरपीएफ के शिविरों का लगातार विरोध किया है. क्योंकि ये शिविर ग्रामीणों की निगरानी और उन पर किए गए अत्याचारों के लिए कुख्यात हैं. लेकिन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने तीन दिन पहले उसे गिरफ्तार कर लिया. इस आरोप में कि प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) से उसका संबंध है.
आश्चर्यजनक है कि पुलिस और प्रेस के लिए हमेशा उपलब्ध रहने वाले मिडियामी पर भूमिगत, प्रतिबंधित आंदोलन का हिस्सा होने का आरोप भी लगाया गया है. एनआईए ने ऐसे दस बिंदु गिनाए हैं, जिनके आधार पर उसकी गिरफ़्तारी की गई है. संक्षेप में मुख्य कारण सुरक्षा शिविरों और सरकारी परियोजनाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को बताया गया है. लेकिन यह विरोध प्रदर्शन न केवल मिडियामी बल्कि क्षेत्र के ग्रामीणों ने भी किया है. विरोध का अधिकार, भारतीय संविधान के तहत प्रदत्त एक मौलिक अधिकार है, लेकिन इस क्षेत्र में लगभग एक विलासिता है. जहां इसमें भाग लेने वाले व्यक्तियों को अपराधी बनाया जाता है और उन पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज कर लिया जाता है. “द वायर” में सुकन्या शांता ने बस्तर के इस 24 वर्षीय नौजवान की गिरफ़्तारी और संबंधित तमाम पहलुओं पर स्टोरी की है, जिसे यहां विस्तार से पढ़ सकते हैं.
छत्तीसगढ़ में गर्भपात का अधिकार ठीक से लागू नहीं
'आर्टिकल 14' की खबर है कि भारत में गर्भपात के अधिकार को लेकर कानून (एमटीपी एक्ट) स्पष्ट है, लेकिन उच्च न्यायालयों, खासकर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, द्वारा इसे सही तरीके से लागू नहीं किया जा रहा है. कई बार गर्भवती महिलाओं, जिनमें बलात्कार पीड़िताएं और नाबालिग भी शामिल हैं, उन्हें भी गर्भपात करने के लिए अदालत से अनुमति प्राप्त करने के लिए मजबूर किया जाता है, जबकि यह कानून के तहत आवश्यक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात को एक मौलिक अधिकार के रूप में स्वीकार किया है और गर्भपात का निर्णय महिला की स्वायत्तता पर निर्भर है, लेकिन स्थानीय अधिकारियों (जैसे पुलिस, डॉक्टर) और न्यायालयों द्वारा कानून की गलत व्याख्या की जा रही है.
2022 से 2024 के बीच, 18 गर्भवती महिलाओं ने उच्च न्यायालय से अनुमति प्राप्त करने के लिए अपील की, जब उनकी गर्भावस्था 24 सप्ताह की कानूनी सीमा के भीतर थी. इनमें से 11 मामलों में गर्भावस्था 20 सप्ताह से कम थी और पांच मामलों में यह 15 सप्ताह से कम थी. इनमें से अधिकांश मामलों में, गर्भपात की चाहत रखने वाली महिला या तो एक नाबालिग थी या यौन शोषण की शिकार थी और इसलिए उसे आसानी से गर्भपात की सेवा प्राप्त होनी चाहिए थी, लेकिन उन्हें उच्च न्यायालय तक पहुंचने के लिए मजबूर किया गया. कुछ को स्थानीय पुलिस ने अदालत से अनुमति लेने की सलाह दी या कुछ मामलों में डॉक्टरों ने गर्भपात को अवैध माना.
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी अधिनियम 1971 (एमटीपी एक्ट) भारत में गर्भपात को कानूनी रूप से कराने के लिए मुख्य कानून है. इस अधिनियम की धारा 3(2) कहती है कि कोई भी गर्भवती महिला (जिसमें नाबालिग भी शामिल हैं) 20 सप्ताह तक की गर्भावस्था को समाप्त कर सकती है. जब गर्भावस्था 20 सप्ताह से अधिक लेकिन 24 सप्ताह से कम हो, तो एमटीपी नियम 2021 के नियम 3B में उल्लिखित विशेष श्रेणियों की महिलाएं, जिनमें नाबालिग और यौन शोषण की पीड़िता शामिल हैं, किसी सार्वजनिक अस्पताल या किसी प्रमाणित निजी सुविधा में गर्भपात करवा सकती हैं. हालांकि, प्रजनन अधिकारों के कार्यकर्ता इस प्रावधान में बदलाव की मांग कर रहे हैं, ताकि यह सभी गर्भवती महिलाओं को कवर करें और गर्भपात तक पहुंच किसी विशेष श्रेणी की महिलाओं के लिए न होकर, उन सभी के लिए उपलब्ध हो जो अपनी अनचाही गर्भावस्था को समाप्त करना चाहती हैं. एमटीपी एक्ट के तहत स्पष्ट प्रावधानों के बावजूद, गर्भवती महिलाएं अक्सर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय से गर्भपात की अनुमति प्राप्त करने के लिए अपील करती हैं. औसतन उच्च न्यायालय हर दो महीने में एक गर्भपात संबंधी मामला निपटाता है.
तेलंगाना | सुरंग ढहने की घटना के नौवें दिन भी बचाव कार्य जारी: 'द हिंदू' की खबर है कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने श्रीसैलम लेफ्ट बैंक नहर (SLBC) सुरंग स्थल का दौरा किया है. सुरंग में फंसे हुए आठ श्रमिकों को बचाने के प्रयास नौवें दिन भी जारी हैं. तेलंगाना के आबकारी मंत्री जुपल्ली कृष्ण राव ने फिर कहा है कि उन्होंने पहले ही कहा था कि सुरंग में फंसे लोगों के जीवित बचने की संभावना बहुत कम है. उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, 'मेरे अनुसार, चार लोगों का पता रडार के माध्यम से चला है. उम्मीद है कि फंसे हुए श्रमिक आज रविवार रात तक बाहर निकाल लिए जाएंगे.’ उन्होंने यह भी कहा कि अन्य चार लोग सुरंग बोरिंग मशीन (TBM) के नीचे फंसे हुए हो सकते हैं.
कर्नाटक में सरकार देगी मंदिर के कर्मचारियों को वेतन : कर्नाटक सरकार ने मंदिर के कर्मचारियों की जिममेदारी ले ली है. राज्य के अधिसूचित मंदिरों में कार्यरत सभी सरकारी नियुक्त कर्मचारियों को वेतन सूबे के अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह ही अब से सरकार से मिलेगा. 'द हिंदू' की खबर है कि इससे पहले इन कर्मचारियों को मंदिर कोष से वेतन दिया जाता था, जिसके कारण कई मंदिरों के कोष में कमी आ गई थी. राज्य सरकार के राजस्व विभाग (धार्मिक संपत्तियां) के अधीन सचिव ने हाल ही में एक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया कि वित्त विभाग ने धार्मिक संपत्ति विभाग के अधीन 131 सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन और भत्ते स्वीकृत कर दिए हैं. ये भुगतान अब राज्य सरकार के समेकित कोष से किए जाएंगे.
बिहार में गंगा नदी का पानी नहाने लायक भी नहीं: 'द टेलीग्राफ' की खबर है कि बिहार में गंगा नदी का पानी राज्य के अधिकांश स्थानों पर स्नान के लिए अनुपयुक्त है, क्योंकि इसमें "बैक्टीरियोलॉजिकल जनसंख्या" का स्तर उच्च है. राज्य के आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि गंगा के पानी में उच्च स्तर के बैक्टीरिया और अन्य दूषित तत्व पाए गए हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए खतरे का कारण बन सकते हैं. आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी बताया गया कि गंगा नदी के किनारे स्थित कुछ इलाकों में पानी की गुणवत्ता में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है. नदी के पानी में प्रदूषण की समस्या ने न केवल स्नान और अन्य धार्मिक गतिविधियों को प्रभावित किया है, बल्कि यह जलजनित बीमारियों के प्रसार का कारण भी बन सकता है. सर्वेक्षण में यह सुझाव दिया गया कि गंगा की सफाई और प्रदूषण नियंत्रण के लिए अधिक प्रभावी योजनाओं की आवश्यकता है, ताकि इसे जल स्रोत के रूप में सुरक्षित और उपयोगी बनाया जा सके.
उत्तराखंड हिमस्खलन : चार और शव मिले, मरने वालों की संख्या आठ हुई : उत्तराखंड के चमोली जिले में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) परियोजना स्थल पर हिमस्खलन की चपेट में आए लोगों में से रविवार को चार और के शव मिले हैं. इसके साथ ही मरने वालों की संख्या आठ हो गई. शनिवार को भी चार शव मिले थे. आठ मृतकों के अलावा, अन्य सभी को या तो बचा लिया गया या वे सुरक्षित निकल गए. इसके साथ तलाशी अभियान समाप्त हो गया है.
मायावती के उत्तराधिकारी आकाश आनंद एक बार फिर पद से हटाए गए : बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) प्रमुख और आकाश आनंद की चाची मायावती ने अपने भतीजे को एक बार फिर पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक और उत्तराधिकारी दोनों के पद से हटा दिया. आकाश को इस बार हटाते वक्त बीएसपी प्रमुख ने दावा किया कि आकाश को अपने ससुर और निष्कासित बीएसपी नेता अशोक सिद्धार्थ के साथ संबंधों के कारण पद से हटाया गया है. मायावती ने लखनऊ में एक बैठक के बाद कहा, “हमें देखना होगा कि सिद्धार्थ का उनकी बेटी और आकाश पर कितना प्रभाव पड़ता है. ऐसी स्थिति में आकाश को पार्टी की सभी जिम्मेदारियों से हटा दिया गया है. सिद्धार्थ ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया है और आकाश का करियर बरबाद कर दिया है.” बैठक में मायावती ने आकाश की जगह उनके पिता आनंद कुमार और राज्यसभा सांसद रामजी गौतम को लाने का फैसला किया. मायावती ने यह भी कहा कि जब तक वह जीवित हैं, उत्तराधिकारी की घोषणा नहीं करेंगी. बीएसपी ने पिछले महीने आकाश के ससुर सिद्धार्थ और एक अन्य नेता नितिन सिंह को ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ के लिए निष्कासित कर दिया था. इससे पहले आकाश आनंद को मायावती ने मई 2024 में राष्ट्रीय समन्वयक और उत्तराधिकारी के पद से तब हटा दिया था, जब उन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान कड़े लहजे में भाजपा की आलोचना की थी.
चैंपियंस ट्राफी: अब भारत का सेमी में ऑस्ट्रेलिया से सामना
भारत बनाम न्यूजीलैंड मुकाबले के साथ चैंपियंस ट्रॉफी के ग्रुप स्टेज के मैच खत्म हो गए. आखिरी लीग मैच में टीम इंडिया न्यूजीलैंड को 44 रन से मात देकर अपने ग्रुप ‘ए’ में पहले स्थान पर रही, जबकि न्यूजीलैंड दूसरे स्थान. भारत अब ग्रुप ‘बी’ में दूसरे स्थान पर रहने वाले ऑस्ट्रेलिया से दुबई में 4 मार्च को टकराएगा. वहीं दूसरा सेमीफाइनल ग्रुप ‘बी’ में पहले स्थान पर रहने वाली दक्षिण अफ्रीका ग्रुप ‘ए’ की दूसरे स्थान की टीम न्यूजीलैंड से 5 मार्च को भिड़ेगी.
न्यूजीलैंड के खिलाफ आज के मैच में भारतीय बल्लेबाजों को संघर्ष करना पड़ा. श्रेयस अय्यर (79) के अर्धशतक की बदौलत भारत ने निर्धारित 50 ओवर में 249/9 बनाए. अक्षर पटेल और हार्दिक पांड्या ने उपयोगी पारियां खेलकर अय्यर का साथ दिया. मैट हेनरी ने पांच विकेट निकाले. इसके बाद भारतीय गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए न्यूजीलैंड को 205 रनों पर ऑल आउट कर दिया. कीवी टीम की तरफ से केन विलियमसन (81) अकेले लड़ते दिखाई दिए. भारत की तरफ से वरुण चक्रवर्ती ने 5 विकेट निकाले.
ट्रम्प के खिलाफ अमेरिका में यूक्रेन समर्थक प्रदर्शन
अमेरिका भर में शनिवार को ट्रम्प प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए. यह प्रदर्शन डोनाल्ड ट्रम्प और जेडी वेंस द्वारा यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के साथ ओवल ऑफिस में हुई अभूतपूर्व झड़प के बाद हुआ. शनिवार की सुबह वेट्सफील्ड, वरमोंट में सैकड़ों प्रदर्शनकारी उपराष्ट्रपति की अपने परिवार के साथ स्की वैकेशन के लिए राज्य के दौरे का विरोध करने के लिए एकत्र हुए. प्रदर्शनकारियों ने "वरमोंट यूक्रेन के साथ खड़ा है" और "अंतर्राष्ट्रीय शर्मिंदगी" जैसे नारे लिखी तख्तियां पकड़ीं, जबकि कई लोगों ने एकजुटता में यूक्रेनी झंडे लहराए. फॉक्स ने प्रदर्शनकारियों का वीडियो प्रसारित किया, लेकिन वेंस के खिलाफ और यूक्रेन के समर्थन में संदेश दिखाने वाली तख्तियों को धुंधला कर दिया.
सोशल नेटवर्क पर पोस्ट किए गए वीडियो में सैकड़ों प्रदर्शनकारी न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में एकत्र हुए, जिनमें से कई ने यूक्रेन के नीले और पीले झंडे अपनी पीठ पर ले रखे थे. लॉस एंजिल्स काउंटी में, यूक्रेन समर्थक भीड़ ने स्पेसएक्स की सुविधा के सामने रैली की, और बोस्टन में प्रदर्शनकारियों ने बोस्टन कॉमन में यूक्रेन के लिए "उचित शांति" के लिए "आपातकालीन रैली" आयोजित की.
अमेरिका के शहरों और कस्बों में विरोध प्रदर्शन हुए, जिनमें न्यूयॉर्क, लॉस एंजिल्स और बोस्टन शामिल हैं, जहां सैकड़ों लोग यूक्रेन और जेलेंस्की के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करने के लिए एकत्र हुए. अपनी ओर से, जेलेंस्की ने सोशल नेटवर्क पर लंदन में अपने गर्मजोशी से स्वागत का वीडियो पोस्ट किया, जिसमें समर्थकों की भीड़ डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर सड़क के किनारे खड़ी थी, जहां उन्हें यूके के प्रधान मंत्री कीर स्टार्मर ने गले लगाया.
इजराइल ने गाजा में मानवीय मदद को रोका
इजराइल और फिलिस्तीन के बीच युद्ध विराम का पहला चरण शनिवार को समाप्त हो गया. इसके तुरत बाद इजरायल ने गाजा में सभी मानवीय सहायता के प्रवेश पर रोक लगा दी है. इसके बदले में इजरायल हमास से डोनाल्ड ट्रंप के युद्ध विराम के अस्थायी विस्तार के प्रस्ताव पर सहमति मांग रहा है. हमास ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया है.
हमास के प्रवक्ता ने गाजा में मानवीय सहायता की आपूर्ति रोकने को ‘घटिया ब्लैकमेल’ बताया है और कहा कि यह युद्ध विराम के समझौते का उल्लंघन है. हमास ने सभी मध्यस्थों से हस्तक्षेप का आग्रह भी किया है. फिलिस्तीनी समूह चाहता है कि समझौते का दूसरा चरण मूल बातचीत के अनुसार आगे बढ़े, जिसमें बंधकों और फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई और गाजा से इजरायली सेना की वापसी शामिल है. हमास ने कहा, “नेतन्याहू द्वारा गाजा में सहायता रोकने का निर्णय एक बार फिर इजरायली कब्जे का कुरूप चेहरा दिखाता है... अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इजरायली सरकार पर दबाव डालना चाहिए कि वह हमारे लोगों को भूखा रखना बंद करे."
वहीं इजराइली प्रधानमंत्री कार्यालय ने बयान जारी कर कहा है, “पहले चरण की समाप्ति पर बंधक के डील के साथ हमास ने बातचीत जारी रखने के लिए अमेरिकी रूपरेखा स्वीकार करने के प्रस्ताव से इनकार करने के मद्देनजर प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने फैसला किया है कि रविवार दो मार्च गाजा पट्टी में सभी वस्तुओं की आपूर्ति बंद कर दी जाएगी. इज़राइल अपने बंधकों की रिहाई के बिना युद्ध विराम की अनुमति नहीं देगा. अगर हमास ने मना किया तो चीजें अलग तरीके से होंगी." इजराइल ने कहा कि अगर हमास छह सप्ताह के संघर्ष विराम विस्तार पर अपना रुख बदलता है तो इजरायल तुरंत इस पर बातचीत शुरू कर देगा. शनिवार देर रात नेतन्याहू कार्यालय ने कहा था कि इजरायल ने मुस्लिम रमजान और यहूदी फसह अवधि के दौरान लगभग छह सप्ताह तक युद्ध विराम जारी रखने के अमेरिकी प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त की है. इस अवधि के अंत में वार्ता विफल हो जाती है, तो इजरायल के युद्ध में वापस जाने का अधिकार सुरक्षित रखेगा. अमेरिकी दूत विटकॉफ ने अमेरिकी प्रस्ताव सार्वजनिक नहीं किया है. इजरायल के अनुसार, यह शेष सभी जीवित और मृत बंधकों में से आधे की रिहाई के साथ शुरू होगा.
हिम्मत शाह (1933-2025)
एक प्रयोगवादी कलाकार की लम्बी पारी का अंत
आधुनिकतावादी मूर्तिकार और कलाकार हिम्मत शाह (1933-2025) का 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया. गुजरात के लोथल में जन्मे शाह ने एमएस यूनिवर्सिटी, बड़ौदा से कला की शिक्षा ली और पेरिस के अटेलियर 17 में इचिंग का अध्ययन किया. 1960 के दशक में उन्होंने जे. स्वामीनाथन के साथ “ग्रुप 1890” की स्थापना की, जिसने भारतीय कला में नई दृष्टि विकसित की. उनके कार्यों में कांस्य मूर्तियाँ, टेराकोटा, जलाए गए कागज़ के कोलाज और रेखाचित्र शामिल हैं, जो सामग्री और रूप की सीमाओं को तोड़ते हैं. 2016 में किरण नादर म्यूज़ियम ऑफ़ आर्ट में उनके रेट्रोस्पेक्टिव 'हैमर ऑन द स्क्वायर' ने उनके विस्तृत ऐतिहासिक योगदान को प्रदर्शित किया.
शाह की कला में स्थानीय परंपराओं और प्रयोगात्मकता का अनूठा मेल था. उन्होंने गिरनार के जंगलों में समय बिताया और प्रकृति से प्रेरित होकर काम किया. उनके स्टूडियो को कलाकार कृष्ण खन्ना ने "जादूगर की गुफा" कहा, जहाँ उन्होंने कबाड़ से कला सृजित की. कला इतिहासकार आर. शिव कुमार के अनुसार, शाह ने सामग्री के साथ अद्वितीय सामंजस्य दिखाया, चाहे वह टेराकोटा हो या धातु. उनका मानना था कि कला की प्रक्रिया अंतिम परिणाम से अधिक महत्वपूर्ण है. अनंत आर्ट गैलरी की ममता सिंघानिया ने उन्हें "दुर्लभ प्रतिबद्धता वाला कलाकार" बताया, जो सामग्री के दर्शन को गहराई से समझते थे.
चलते-चलते
गुरू नानक एफसी में खेलते हैं सभी धर्म के लोग
आपको इतिहास का विशेषज्ञ होने की आवश्यकता नहीं है, यह समझने के लिए कि गुरु नानक एफसी के संस्थापकों को 1965 में टीम की स्थापना करते समय कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा होगा. युद्ध के बाद के पंजाब में सिखों का इतिहास विशेष रूप से उथल-पुथल भरा था, लेकिन ये कहानी उसके बाद शुरू की गई एक टीम की है, जिसे ग्रेवसेंड केंट में गुरु नानक के भक्तों ने बनाया. अध्यात्म और खेल का ये मिलन अब एक कहानी बन चुका है, फुटबॉल के इतिहास की जीती-जागती कहानी. यूके में एशियाई अप्रवासियों के समाजशास्त्र का अध्ययन अभी भी एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जिसमें कई कहानियां अभी भी बताई जानी बाकी हैं. गुरु नानक एफसी के खिलाड़ी खेल के मैदान पर बात करते हैं, जो यूरोप के सबसे बड़े सिख गुरुद्वारे के सामने है. गुरु नानक एफसी अब सिर्फ एक सिख टीम नहीं रह गई है, बल्कि वो एक बहुधर्मी टीम है. जहां कोई भी खिलाड़ी बनने के लिए स्वतंत्र है. खैर, कई युवा और वयस्क टीमों के साथ, पुरुषों की पहली टीम केंट काउंटी फुटबॉल लीग खेलने उतरी, वो भी गुरुद्वारे की पृष्ठभूमि के साथ.
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