03/05/2025 : पाकिस्तानी फौज में हरकत पर अवाम अमन की तरफदार | भारतीय वायु सेना पर सवाल | चीन की नजर में पड़ोसियों का तनाव | रामदेव अदालत में झुके | 12% भारतीय ही खरीद सकते हैं कार | कॉमेडियन और कानून
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आज की सुर्खियां :
पाकिस्तान ने वाघा बॉर्डर खोला
₹5000 करोड़: एयर इंडिया को पाकिस्तानी पाबंदी से नुकसान
मकान मलबे में तब्दील, कश्मीरी आतंकवादियों के परिजन पूछते हैं - क्या यह ‘सामूहिक सज़ा’ है?
एक परिवार को डिपोर्ट करने पर रोक
पाकिस्तानी पीएम शरीफ का यूट्यूब चैनल और इंस्टा ब्लॉक
एनकाउंटर या हिरासत में मौत? कश्मीरी परिवार का सवाल
सनातनी एकता मंच ने तनाव भड़काने के लिए फहराया पाकिस्तानी झंडा
मंत्रीजी ने सिर्फ हिंदुओं को रोजगार देने वाले पोर्टल का उद्घाटन किया
सिंधु संधि पर भारत के फैसले के बाद बांग्लादेश में गंगा संधि पर सवाल
भारतीयों की इम्यूनिटी गिर रही है
नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया, राहुल और अन्य को नोटिस
कलिंगा में नेपाल की एक और छात्रा की मौत
भारत दुनिया में 151वें स्थान पर, नेपाल से नीचे, पाकिस्तान से ऊपर
पहलगाम आतंकी हमला
पाकिस्तान की सैन्य गतिविधियाँ तेज़

पहलगाम आतंकी हमले के बाद संभावित भारतीय सैन्य कार्रवाई की प्रतिक्रिया में पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा और अरब सागर में कई अभ्यास शुरू किए हैं. पाकिस्तान वायु सेना 'जर्ब-ए-हैदरी', 'फिज़ा-ए-बदर' और 'ललकार-ए-मोमिन' नामक तीन अलग-अलग अभ्यास कर रही है, जिसमें F-16, J-10 और JF-17 जैसे फ्रंटलाइन लड़ाकू विमान शामिल हैं. पाकिस्तान ने चीन से प्राप्त PL-15 बियॉन्ड विज़ुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल से लैस JF-17 जेट्स के वीडियो भी जारी किए हैं.
इसके अलावा, पाकिस्तान सेना की 1 स्ट्राइक कोर पंजाब के सामने गुजरांवाला क्षेत्र में 'एक्सरसाइज़ हैमर स्ट्राइक' कर रही है. पाकिस्तान की नौसेना भी अरब सागर में अभ्यास में व्यस्त है. पाकिस्तान ने लाहौर और इस्लामाबाद के बीच कई हवाई यातायात मार्ग बंद कर दिए हैं और अपने तटीय क्षेत्रों में कई 'नेव एरिया' चेतावनियां जारी की हैं. सीमा रेखा पर संघर्ष विराम उल्लंघन जारी हैं. भारतीय सेना ने बताया कि पाकिस्तानी चौकियों ने LoC पर कुपवाड़ा, बारामूला, पुंछ, नौशेरा और अखनूर क्षेत्रों में बिना उकसावे के छोटे हथियारों से गोलीबारी की. यह लगातार सातवें दिन हुआ. "भारतीय सेना ने संयमित और आनुपातिक तरीके से जवाब दिया," विज्ञप्ति में कहा गया.
जंग के गहराते बादलों के बीच वायु सेना संकट में है
वायु सेना में गंभीर संकट का सामना कर रहा है भारत. ‘द वायर’ के लिए करन थापर को दिये गये साक्षात्कार में, अमेरिका के येल विश्वविद्यालय के प्रवक्ता और रक्षा विश्लेषक सुशांत सिंह ने इस संकट के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला है. जिस कैरेवान लेख के बारे में यहां बात हो रही है, उसके बारे में ‘हरकारा’ पहले ही लिख चुका है.
भारतीय वायु सेना में अधिकृत 42 स्क्वाड्रन के मुकाबले वर्तमान में केवल 31 स्क्वाड्रन हैं, जो 26% कम है. इनमें से भी दो स्क्वाड्रन पुराने मिग-21 विमानों के हैं, जो आधुनिक युद्ध के लिए उपयुक्त नहीं हैं. 2015 में विवादास्पद राफेल सौदे के बाद से भारत ने कोई नया आधुनिक लड़ाकू विमान नहीं खरीदा है.
चिंता का एक और कारण है कि चीन ने छठी पीढ़ी के स्टील्थ विमानों के प्रोटोटाइप का अनौपचारिक प्रदर्शन किया है, जबकि भारत अभी भी पांचवीं पीढ़ी के विमान पर काम कर रहा है, जो 2035 तक तैयार नहीं होगा. इस बीच, पाकिस्तान चीन से उन्नत हथियार प्राप्त कर सकता है, जिससे क्षेत्रीय शक्ति संतुलन बदल सकता है.
वायु सेना में पायलटों की कमी भी गंभीर है - 2015 में 486 से बढ़कर 2021 तक लगभग 600 हो गई है. अग्निवीर योजना भी वायु सेना के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि जटिल उपकरणों को संभालने के लिए लंबे प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है.
सिंह के अनुसार, रक्षा बजट जीडीपी के प्रतिशत के रूप में स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे निचले स्तर पर है, जिसका 52% वेतन और पेंशन पर खर्च होता है. इससे आधुनिकीकरण के लिए बहुत कम धन बचता है.
वायु सेना प्रमुख ने खुद इस संकट की गंभीरता के बारे में सार्वजनिक रूप से बात की है. अगर जल्द ही पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए, तो भारत चीन या पाकिस्तान के साथ किसी भी संघर्ष में गंभीर नुकसान का सामना कर सकता है.
चीन की निगाह में पड़ोसियों का झगड़ा
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच गहराते संकट को चीन कैसे देख रहा है? आधिकारिक तौर पर, उसका रुख ट्रंप के तहत वाशिंगटन और यूरोपीय संघ के समान है: कि भारत को सैन्य रास्ता नहीं अपनाना चाहिए. इंडिया केबल के मुताबिक चीनी विद्वान लिन मिनवांग का हालिया ऑप-एड बीजिंग के अंतर्निहित दृष्टिकोण की कुछ जानकारी प्रदान करता है. मूल चीनी लेख का सारांश यहां दिया गया है:
"2016 के उरी आतंकवादी हमले और 2019 के पुलवामा आतंकवादी हमले की तुलना में, इस बार भारत के लिए "बड़ा कदम उठाने" में मुख्य कठिनाई यह है कि उसके पास "कोई औचित्य नहीं है". पहले दो आतंकवादी हमलों में सीधे तौर पर भारत के सैन्य और अर्धसैनिक बलों को निशाना बनाया गया था. आतंकवादियों को हर पहलू में समर्थन देने के लिए पेशेवर ताकतों के बिना ऐसा करना मुश्किल लगता है… हालांकि, इस गोलीबारी की घटना में आम पर्यटकों को निशाना बनाया गया, इसलिए यह सुरक्षा में भारत सरकार की कर्तव्य विफलता की तरह अधिक है.”
“दूसरे, गोलीबारी की घटना को पाकिस्तान के आतंकवाद को समर्थन देने के लिए जिम्मेदार ठहराना कई भारतीयों की अटकलों और अपेक्षाओं के अनुरूप है, लेकिन यह कश्मीर मुद्दे के सार को छुपाता है – जो कि भारतीय कश्मीरियों का भारत के प्रति व्यापक और जटिल आक्रोश है. यही कारण है कि पाकिस्तान के खिलाफ भारत की सैन्य कार्रवाई अनुचित है.”
“मोदी द्वारा कभी-कभार ताकत दिखाने के बावजूद, वह सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की जवाबी उपायों पर चर्चा करते हुए तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं. जाहिर है, भारत सरकार नैरेटिव गढ़ने और जनमत को प्रभावित करने के लिए मीडिया और जनमत का इस्तेमाल कर रही है.”
“मोदी का सैन्य शीर्ष अधिकारियों को यह तय करने के लिए पूरी कार्रवाई की स्वतंत्रता देने का निर्देश कि कैसे, कब और कहां प्रतिक्रिया देनी है, का मतलब है कि किसी भी बड़ी कार्रवाई, जो एक गर्म युद्ध का कारण बन सकती है, को खारिज कर दिया गया है.”
“भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ छोटे पैमाने पर, कम तीव्रता वाली सैन्य कार्रवाई करने की संभावना है; इसे घरेलू राजनीतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए हाई-प्रोफाइल होना चाहिए लेकिन कोई भी बड़ी शक्ति 'पाकिस्तान के जानबूझकर दमन' का समर्थन नहीं करेगी.”
लेख चीन द्वारा अपने सैन्य सहयोगी की रक्षा के लिए कार्रवाई करने की एक छिपी हुई धमकी के साथ समाप्त होता है यदि मामला हाथ से निकल जाता है:
“इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत-नियंत्रित कश्मीर से ज्यादा दूर नहीं, चीनी सैनिक 2020 से वहां तैनात हैं, जो वास्तव में क्षेत्र में संतुलन बना सकते हैं और शांति को बढ़ावा दे सकते हैं. आखिर भारत को चीन की भावनाओं और हितों को ध्यान में रखने की जरूरत है.”
पीओके में मदरसे बंद : रॉयटर्स की खबर है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में अधिकारियों ने गर्मी का हवाला देते हुए धार्मिक मदरसों को दस दिनों के लिए बंद करने का आदेश दिया है, लेकिन एक अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि “अभी हम दो तरह की गर्मी का सामना कर रहे हैं – एक मौसम से और दूसरी मोदी से”. उन्होंने कहा कि सुरक्षा अधिकारियों को डर है कि भारत पहलगाम के लिए अपने प्रत्याशित प्रतिशोध के तहत इन मदरसों को आतंकवादी प्रशिक्षण केंद्र बताकर निशाना बनाएगा.
पाकिस्तान ने वाघा बॉर्डर खोला : इस बीच, पाकिस्तान ने दो दिन बाद वाघा बॉर्डर खोल दिया है. 30 अप्रैल से बंद कर दिया था, जिससे कई पाक नागरिक स्वदेश नहीं लौट पाए थे. आज 21 पाक नागरिकों को देश लौटने की इजाजत दी गई. ये लोग वीजा सस्पेंड होने के बाद भारतीय सीमा में फंसे थे.
पाकिस्तानी अवाम
‘नेता ताकत दिखाना चाहते हैं, लेकिन युद्ध की बातें करना बहुत ज्यादा लगता है. हमारे पास पहले से ही बहुत सारी समस्याएं हैं. हमें और मुसीबत नहीं, शांति चाहिए’
“द न्यूयॉर्क टाइम्स” के लिए सलमान मसूद ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत के साथ बढ़ते तनाव की खबरों को पाकिस्तान के आम लोग किस तरह ले रहे हैं? युद्ध की आशंकाओं को लेकर उनके क्या विचार हैं? मसूद के मुताबिक पाकिस्तान में बहुत से लोगों के लिए आर्थिक संघर्ष, राजनीतिक अस्थिरता और भारत के साथ सशस्त्र संघर्ष का डर अब एक ही बोझ के हिस्से जैसे महसूस होते हैं.
मसूद के मुताबिक, जैसे ही भारत के साथ तनाव बढ़ने पर पाकिस्तान में चुनौतीपूर्ण घोषणाओं की गूंज सुनाई देती है, थके हुए पाकिस्तानी आम लोग युद्ध को देश की सबसे आखिरी जरूरत मानते हैं. आधिकारिक बयानों और आम नागरिकों की थकान के बीच का अंतर एक ऐसे देश को उजागर करता है, जो गहरी कमजोरियों से जूझ रहा है. आर्थिक कठिनाई और राजनीतिक निराशा रोजमर्रा की ज़िंदगी में महसूस होती है.
विश्वविद्यालय परिसरों और ड्राइंग रूम में अब युद्धों और सीमाओं के बजाय महंगाई, बेरोजगारी, प्रतिनिधित्वहीन राजनीतिक व्यवस्था और एक अनिश्चित भविष्य के बारे में अधिक बातचीत होती है.
"यह मुझे बेचैन कर देता है," इस्लामाबाद की 21 वर्षीय विश्वविद्यालय छात्रा तहसीन ज़हरा ने भारत के नियंत्रण वाले कश्मीर में आतंकी हमले के एक सप्ताह बाद कहा. "मैं समझती हूं कि नेता ताकत दिखाना चाहते हैं, लेकिन युद्ध की बातें करना बहुत ज्यादा लगता है. हमारे पास पहले से ही बहुत सारी समस्याएं हैं. हमें और मुसीबत नहीं, शांति चाहिए," जहरा ने कहा.
इस्लामाबाद के 25 वर्षीय छात्र इनामुल्लाह ने कहा, "मुझे लगता है कि आर्थिक संघर्षों और राजनीतिक अस्थिरता के कारण देश आज बहुत कमजोर हो गया है." लाहौर की मनोचिकित्सक जावेरिया शहज़ाद ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, उन्होंने अपने मरीजों के बीच एक निराशाजनक हताशा देखी है क्योंकि राजनीतिक दमन से स्वतंत्रता सिकुड़ रही है और देश दशकों के सबसे खराब आर्थिक संकटों से गुजर रहा है. लोग बहुत चिंतित हैं.
2019 में, जब कश्मीर में आतंकवादियों ने दर्जनों भारतीय सुरक्षा बलों को मार डाला और सीमा के दोनों ओर भावनाएं भड़क उठीं, तब भी पाकिस्तानी सेना का जनमत पर प्रभुत्व मजबूत बना रहा. आज, ऐसी भावनाएं कहीं अधिक जटिल हो गई हैं.
हालांकि सेना के प्रति निष्ठा के भाव अभी भी मौजूद हैं, पर अक्सर ये निराशा और गुस्से से मिश्रित होते हैं. 2022 में प्रधानमंत्री इमरान खान के पद से हटाए जाने के बाद की राजनीतिक उथल-पुथल - और उसके बाद उनके समर्थकों पर किए गए व्यापक दमन - ने समाज पर गहरे निशान छोड़े हैं.
इमरान खान की पार्टी की पूर्व सांसद आलिया हमजा ने कहा कि सेना अब उस जनसमर्थन को खोने के खतरे का सामना कर रही है, जिसकी उसे राष्ट्रीय संकट के समय जरूरत होती है. "अगर जनता का समर्थन नहीं रहा, तो क्या होगा?" उन्होंने पूछा.
आलोचकों का तर्क है कि भारत के प्रति कट्टरपंथी रुख रखने वाले पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर के कार्यकाल में पाकिस्तान के राजनीतिक परिदृश्य पर सेना के प्रभुत्व में वृद्धि हुई है, जिससे असहमति और संवाद के रास्ते सीमित हो गए हैं.
पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा अब भी अस्थिर बनी हुई है, जहां पाकिस्तानी तालिबान और अफगान तालिबान से जुड़े आतंकवादी गुटों ने हमले तेज कर दिए हैं. दक्षिण-पश्चिम में, एक निम्न-स्तरीय अलगाववादी विद्रोह वर्षों से सुलग रहा है, जो हाल के समय में और घातक हो गया है.
देश की आर्थिक चुनौतियां चिंता को और गहरा कर रही हैं. सरकार ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से एक और आर्थिक सहायता पैकेज हासिल किया है, और अधिकारी इसकी दम पर थकी हुई जनता को राहत देने का वादा कर रहे हैं. लेकिन कई पाकिस्तानियों के लिए, वादा किया गया आर्थिक सुधार दूर की बात है.
देश भर में, कई युवा पाकिस्तानी अब केवल विदेश जाने में ही ‘उम्मीद’ देखते हैं. इस्लामाबाद के कॉर्पोरेट क्षेत्र में काम करने वाली 31 वर्षीया ज़ारा खान ने कहा, "हम में से अधिकतर लोगों को जो सबसे ज्यादा परेशान करता है, वह है पाकिस्तान जैसे दमघोंटू देश में स्वावलंबी बनने की कोशिश. हमारे पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं. नौकरी का बाजार दयनीय है. परिवार पालना एक दूर का सपना है. यहां रहना पूरी तरह से निराशाजनक है. "
₹5000 करोड़ : एयर इंडिया को पाकिस्तानी पाबंदी से नुकसान
पाकिस्तान द्वारा भारतीय विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद करने से एयर इंडिया को भारी वित्तीय बोझ का सामना करना पड़ सकता है. एयरलाइन ने अनुमान लगाया है कि यदि यह प्रतिबंध एक साल तक जारी रहता है, तो उसे लगभग ₹5000 करोड़ (करीब 60 करोड़ डॉलर) का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ सकता है.
रॉयटर्स द्वारा देखे गए एक पत्र के अनुसार, एयर इंडिया ने 27 अप्रैल को नागरिक उड्डयन मंत्रालय को पत्र लिखकर इस नुकसान की भरपाई के लिए आनुपातिक 'सब्सिडी मॉडल' का आग्रह किया है. एयरलाइन के अनुसार, लंबे उड़ान मार्गों के कारण ईंधन की खपत और क्रू की लागत बढ़ने से यह अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है, जिसका सबसे ज्यादा असर एयर इंडिया पर है. यूरोप, अमेरिका और कनाडा के लिए एयर इंडिया की लंबी दूरी की उड़ानें, जो अक्सर पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से गुजरती थीं, विशेष रूप से प्रभावित हुई हैं.
टाटा समूह के स्वामित्व वाली यह एयरलाइन पहले से ही वित्तीय सुधार के दौर से गुजर रही है. सरकार ने एयरलाइनों पर पड़ने वाले इस प्रभाव का आकलन करने को कहा था और अब इस बोझ को कम करने के विकल्पों पर विचार कर रही है. इनमें चीन के पास से वैकल्पिक मार्ग तलाशना और कुछ कर छूट जैसे उपाय शामिल हो सकते हैं. एयर इंडिया ने सरकार से चीन से ओवरफ्लाइट क्लीयरेंस लेने और लंबी उड़ानों के लिए अतिरिक्त पायलटों को मंजूरी देने का भी अनुरोध किया है.
एयर इंडिया, जिसकी भारत में 26.5% बाजार हिस्सेदारी है, यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के लिए उड़ान भरती है, जो अक्सर पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र को पार करती हैं. यह अपने बड़े घरेलू प्रतिद्वंद्वी इंडिगो की तुलना में कहीं ज़्यादा लंबी दूरी की उड़ानें संचालित करती है.
सिरियम एसेंड के आंकड़ों के अनुसार, इंडिगो, एयर इंडिया और इसकी बजट इकाई एयर इंडिया एक्सप्रेस ने अप्रैल में नई दिल्ली से यूरोप, मध्य पूर्व और उत्तरी अमेरिका के लिए कुल मिलाकर लगभग 1,200 उड़ानें संचालित कीं.
मकान मलबे में तब्दील, कश्मीरी आतंकवादियों के परिजन पूछते हैं - क्या यह ‘सामूहिक सज़ा’ है?
("मुर्रान, पुलवामा में एहसान उल हक़ शेख़ के परिवार का घर, अब खंडहरों में तब्दील)
26 अप्रैल की सुबह जब कश्मीर के कुलगाम ज़िले के मुतलहामा गांव में ग़नी परिवार जागा, तो उनका घर मलबे में तब्दील हो चुका था. उनके बेटे ज़ाकिर ने दो साल पहले उग्रवाद का रास्ता चुना था. सेना ने रात 12:30 बजे उन्हें मस्जिद में शरण लेने को कहा और कुछ घंटों बाद घर को विस्फोट से उड़ा दिया गया. 'स्क्रोल' के लिए सफवत ज़रगर की रिपोर्ट है कि पहलगाम हमले के बाद घाटी में बड़े स्तर पर आतंकवाद विरोधी अभियान चलाया जा रहा है और उग्रवादियों के परिवारों, पूर्व सहयोगियों और कथित समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई है.
बिना आरोप, बिना सुनवाई, घर तबाह : ज़ाकिर को इस हमले में आरोपी नहीं बनाया गया है, फिर भी उसका पूरा परिवार प्रताड़ित हो रहा है. उसके दो भाई, चाचा और चचेरा भाई हिरासत में हैं और अब उनके पास रहने को घर नहीं है. "हमने उसे कभी उग्रवादी बनने के लिए नहीं कहा," ज़ाकिर अहमद गनी की बहन रुकैया बानो ने कहा. "वह मजदूरी करने निकला था, फिर कभी लौटकर नहीं आया. अगर हम उसके फैसले के समर्थक होते, तो यह सज़ा समझ आती, लेकिन जब हमें ये तक नहीं पता कि वह ज़िंदा है या मर गया, तो हमें क्यों सज़ा मिल रही है?" "अगर वह ज़िंदा है, तो सरकार उसे पकड़कर सज़ा दे, जेल भेजे या मार डाले," उन्होंने कहा. "लेकिन हमें भी न्याय मिलना चाहिए." गनी परिवार अब अपने दूसरे बेटे के अधबने मकान में रह रहा है. "हम बाहर खुले में खाना पकाते हैं और अंदर सोते हैं. दरवाज़े नहीं हैं, रात में लकड़ी के पटरे लगाते हैं ताकि कुत्ते अंदर न आएं," बानो ने कहा.
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा था कि इस तरह घर गिराना 'सामूहिक सजा' है, जो संविधान के खिलाफ है. फिर भी कश्मीर में ऐसा पहली बार हो रहा है. कम-से-कम नौ घर विस्फोट से गिराए गए हैं. सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि यह "स्थानीय समर्थन ढांचे" को चेतावनी देने के लिए है कि आतंकवाद में सहयोग की कीमत चुकानी पड़ेगी. पुलवामा के मुर्रान गांव में जब एक उग्रवादी के घर को उड़ाया गया, तो आसपास के 16 घर भी क्षतिग्रस्त हो गए. कहीं दरवाज़े नहीं हैं, कहीं लोग खुले में सोने को मजबूर हैं.
एक परिवार को डिपोर्ट करने पर रोक : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को श्रीनगर के अहमद तारिक बट्ट के परिवार के 6 सदस्यों को पाकिस्तान डिपोर्ट करने पर रोक लगा दी. अदालत ने कहा, ‘जब तक इन लोगों के पहचान दस्तावेज प्रमाणित नहीं हो जाते, तब तक उनको डिपोर्ट नहीं किया जाए. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने पीड़ित परिवार को यह स्वतंत्रता दी कि यदि वे अधिकारियों के निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं तो जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं.
पाकिस्तानी पीएम शरीफ का यूट्यूब चैनल और इंस्टा ब्लॉक : भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का आधिकारिक यूट्यूब चैनल और इंस्टाग्राम अकाउंट ब्लॉक कर दिया. सरकार ने इसके पहले भी 16 पाकिस्तानी यू ट्यूब चैनलों को ब्लॉक किया था. इसके अलावा क्रिकेटर बाबर आज़म, मोहम्मद रिजवान, वसीम अकरम, शाहिद अफरीदी, शोएब अख्तर, पूर्व पीएम इमरान खान के इंस्टाग्राम अकाउंट भी बंद कर दिए गए हैं.
एनकाउंटर या हिरासत में मौत? कश्मीरी परिवार का सवाल
बांदीपोरा : उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा जिले के बाजीनाग गांव में 29 वर्षीय अल्ताफ हुसैन लाली की पुलिस मुठभेड़ में मौत पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. पुलिस जहां उसे हथियार के साथ गिरफ्तार करने और बाद में मुठभेड़ में मारे जाने का दावा कर रही है, वहीं परिवार ने हिरासत में हत्या का आरोप लगाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है. द वायर के लिए जहांगीर अली ने इस पर लंबा रिपोर्ताज लिखा है.
पुलिस अधीक्षक (बांदीपोरा) हरमीत सिंह के अनुसार, लाली को 25 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था और जब वह पुलिस दल को एक ठिकाने पर ले जा रहा था, तब आतंकवादियों ने गोलीबारी की. जवाबी फायरिंग में लाली मारा गया और दो पुलिसकर्मी घायल हुए. मौके से हथियार बरामद होने का भी दावा किया गया है.
इसके विपरीत, दिहाड़ी मजदूर और चार बच्चों के पिता लाली के परिवार का कहना है कि उसे 23 अप्रैल को उसकी बहन अमीना बेगम के साथ अजास पुलिस चौकी बुलाया गया था. बहन को पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया, लेकिन लाली को हिरासत में रखा गया. दो दिन बाद परिवार को उसकी मौत की सूचना मिली. परिवार की सदस्य दिलशादा बानो ने बताया कि आखिरी फोन कॉल में लाली ने आशंका जताई थी कि उस पर जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) लगाया जा सकता है और उसने और कपड़ों की मांग की थी.
परिवार का आरोप है कि उन्हें लाली का शव देखने या अंतिम संस्कार करने नहीं दिया गया और पुलिस ने उसे दूर बंगस घाटी में एक अज्ञात कब्र में दफना दिया. इस घटना के खिलाफ शुक्रवार को श्रीनगर-गुरेज राजमार्ग पर भारी विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया, जिसमें कुछ महिलाएं भी घायल हुईं. पुलिस ने बाद में प्रदर्शन से संबंधित सामग्री सोशल मीडिया पर साझा करने के आरोप में कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया है.
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता जावेद चौधरी समेत कई लोगों ने घटना की परिस्थितियों पर गंभीर संदेह जताते हुए जांच और जवाबदेही तय करने की मांग की है. लाली की पत्नी परवीना बानो ने सवाल उठाया, "अगर वह दोषी था, तो उसे जेल क्यों नहीं भेजा गया? उसे मारने की क्या जरूरत थी?" उन्होंने पति की मौत की निष्पक्ष जांच का आग्रह करते हुए कहा कि वह परिवार का एकमात्र कमाने वाला था और अब उसके चार छोटे बच्चों का भविष्य अंधकारमय है.
पुलिस ने परिवार के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि परिवार के आतंकवादियों से संबंध हैं और लाली का बड़ा भाई एक कट्टर आतंकवादी था. हालांकि, परिवार का कहना है कि बड़ा भाई अपनी सजा पूरी कर चुका था और जल्द ही रिहा होने वाला था. यह घटना गुर्जर समुदाय में भय और चिंता का माहौल पैदा कर रही है, जो पहले भी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा संदेह और उत्पीड़न का शिकार होने का आरोप लगाते रहे हैं.
रामदेव अब चुप रहेंगे रूह अफज़ा पर, अदालत में वादा किया शरबत जिहाद पर सारे वीडियो हटा देंगे
रामदेव ने शुक्रवार (2 मई, 2025) को दिल्ली उच्च न्यायालय में हमदर्द के रूह अफ़जा के खिलाफ "शरबत जिहाद" जैसी टिप्पणियां या सोशल मीडिया पोस्ट न जारी करने का आश्वासन दिया. न्यायालय ने रामदेव के वकील को दिन भर में हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा. पतंजलि फूड्स लिमिटेड द्वारा भी इसी प्रकार का आश्वासन दिया गया. हमदर्द नेशनल फाउंडेशन द्वारा दायर मुकदमे में दावा किया गया था कि पतंजलि के "गुलाब शरबत" को बढ़ावा देते हुए, रामदेव ने आरोप लगाया था कि हमदर्द की रूह अफजा से अर्जित धन का उपयोग मदरसों और मस्जिदों के निर्माण के लिए किया जाता है.
पिछले सप्ताह, न्यायालय ने रामदेव के वीडियो को "अरक्षणीय" और "न्यायालय की अंतरात्मा को झकझोरने वाला" बताते हुए उन्हें सभी संबंधित वीडियो हटाने पर सहमत किया था. शुक्रवार को, हमदर्द के वकील ने कहा कि यूट्यूब से आपत्तिजनक वीडियो हटाने के बजाय, उसे केवल निजी कर दिया गया था. इस बीच, गुरुवार को न्यायालय ने रामदेव पर पिछले आश्वासन के बावजूद हमदर्द के खिलाफ एक नया वीडियो जारी करने के लिए कड़ी नाराजगी व्यक्त की. हमदर्द के वकील संदीप सेठी ने बताया कि यह नया वीडियो वायरल हो गया है, जिसमें "एक दिन में ही 8.9 लाख दृश्य, 8,500 लाइक्स और 2,200 टिप्पणियां" हैं.
रामदेव के वकीलों ने न्यायालय को सूचित किया कि नवीनतम वीडियो के आपत्तिजनक हिस्से को 24 घंटों के भीतर सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटा दिया जाएगा. वीडियो देखने के बाद, न्यायालय ने टिप्पणी की, "मुझे लगता है कि वह (रामदेव) आपके नियंत्रण से बाहर हैं" और "वह अपनी दुनिया में रहते हैं." मामले की अगली सुनवाई 9 मई को निर्धारित की गई है.
सांप्रदायिक उकसावा
सनातनी एकता मंच ने तनाव भड़काने के लिए फहराया पाकिस्तानी झंडा : पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में रेलवे स्टेशन के पास सार्वजनिक शौचालय की दीवार पर पाकिस्तानी राष्ट्रीय ध्वज लगाकर सांप्रदायिक तनाव भड़काने के प्रयास के आरोप में बनगांव पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है. इनकी पहचान हिंदूवादी संगठन ‘सनातनी एकता मंच’ के सदस्यों के रूप में की गई है. झंडा बुधवार देर रात अकईपुर स्टेशन के पास देखा गया. बनगांव पुलिस ने खुलासा किया कि अपराधियों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है और इलाके में सांप्रदायिक अशांति भड़काने के लिए दीवार पर ‘हिंदुस्तान मुर्दाबाद’ और ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ लिखने की योजना बनाई थी.
मंत्रीजी ने सिर्फ हिंदुओं को रोजगार देने वाले पोर्टल का उद्घाटन किया : महाराष्ट्र के मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने 'कॉल हिंदू' नामक एक डिजिटल रोजगार प्लेटफॉर्म का उद्घाटन किया है, जिसका उद्देश्य हिंदू समुदाय के लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना और समुदाय के व्यापारियों को कुशल मानव संसाधन देना है. “द प्रिन्ट” में मनीष फड़के की रिपोर्ट कहती है कि इस पोर्टल को हिंदू जागरण मंच के सदस्य और भाजपा युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश पदाधिकारी विशाल दुराफे ने विकसित किया है. मंत्री लोढ़ा का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति केवल हिंदू समुदाय के लिए रचनात्मक कार्य करना चाहता है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में कोई भी व्यक्ति इस पोर्टल का उपयोग कर सकता है, इसमें किसी प्रकार की रोक नहीं है. विपक्षी दलों ने इस पहल की आलोचना करते हुए इसे संविधान के खिलाफ बताया है, क्योंकि संविधान सभी को समान अवसर देने की बात करता है.
सिंधु संधि पर भारत के फैसले के बाद बांग्लादेश में गंगा संधि पर सवाल
बांग्लादेश के एक शीर्ष जल विशेषज्ञ ने कहा है कि पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को 'स्थगित' रखने के भारत के फैसले ने यह आशंका पैदा कर दी है कि राजनीतिक संबंध बिगड़ने पर भारत पानी को 'हथियार' के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है.
ढाका स्थित जल संसाधन और जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञ प्रोफेसर ऐनुल निशात के अनुसार, भारत के इस कदम ने 1996 की भारत-बांग्लादेश गंगा जल संधि के नवीनीकरण की संभावनाओं पर 'संकट' खड़ा कर दिया है. यह महत्वपूर्ण संधि 2026 में आपसी सहमति से नवीनीकरण के लिए आने वाली है. प्रोफेसर निशात ने 'द हिंदू' को बताया कि भारत की कार्रवाई से बांग्लादेश में यह संदेह पैदा होता है कि क्या भारत गंगा जल साझा करने के अपने वादे पर कायम रहेगा, खासकर जब नदी का वास्तविक नियंत्रण भारत के पास है. उन्होंने कहा कि आलोचक सिंधु संधि का हवाला देकर तर्क दे सकते हैं कि भारत के आश्वासनों का कोई मूल्य नहीं है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि गंगा के अलावा तीस्ता नदी के जल बंटवारे का मुद्दा भी लंबित है और हाल के महीनों में दोनों देशों के बीच राजनीतिक मतभेद बढ़े हैं.
जाति जनगणना
मोदी सरकार के यूटर्न ने बीजेपी को परेशान किया
मोदी सरकार के जाति जनगणना पर यू-टर्न ने देश के विभिन्न हिस्सों में बीजेपी को अपने तर्क तय करने के लिए परेशान कर दिया है. उत्तरप्रदेश में, जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस साल की शुरुआत में जाति जनगणना के विचार का कड़ा विरोध किया था, सपा प्रमुख अखिलेश यादव मुख्यमंत्री का मज़ाक उड़ा रहे हैं और उनके उस बयान की क्लिप वायरल कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने जाति गणना की मांग को ‘राजद्रोह’ बताया था.“द वायर” में ओमर रशीद के मुताबिक योगी ने मोदी को बधाई देने वाले एक ट्वीट को छोड़कर इस मामले में अब तक मौन साध रखा है.
कर्नाटक में, पार्टी की स्थानीय इकाई को शायद अब तक नई लाइन की जानकारी नहीं है, क्योंकि उसने राज्य की कांग्रेस सरकार की प्रस्तावित जाति जनगणना को “समाज को बांटने की राजनीतिक चाल” बताया है. यानी, अगर पीएम मोदी जाति की गिनती करें तो वह अच्छा है, लेकिन अगर आप करेंगे तो हम उसका विरोध करेंगे.
यह विरोधाभास इसलिए भी उजागर हो रहा है, क्योंकि हाल ही में मोदी सरकार ने जाति जनगणना को मंजूरी दी है, जबकि पहले बीजेपी और उसके सहयोगी इसका विरोध करते रहे हैं. अब पार्टी के नेता अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग बातें कर रहे हैं, जिससे पार्टी की स्थिति हास्यास्पद हो गई है.
भारतीयों की इम्यूनिटी गिर रही है
'द वायर' की रिपोर्ट है कि भारत उन देशों में से एक है, जो एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) यानी प्रतिजैविक प्रतिरोध के सबसे अधिक बोझ का सामना कर रहे हैं. जब बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीव दवाओं के अनुचित उपयोग के कारण दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं, तो पारंपरिक एंटीबायोटिक्स प्रभाव नहीं दिखा पातीं. ऐसी स्थिति में इलाज के लिए बहुत कम एंटीबायोटिक्स विकल्प के रूप में बचते हैं और वे भी आसानी से उपलब्ध नहीं होते. भारत में, ऐसे केवल 7.8% मरीज, जिन्हें दवा-प्रतिरोधी संक्रमण हुआ था, उन्हें उपचार के लिए आवश्यक एंटीबायोटिक्स मिल सकीं, यह जानकारी हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में दी गई है. यह अध्ययन द लांसेट इंफेक्शियस डिजीजेस में प्रकाशित हुआ है. इसमें 51 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में से 8 में दवा-प्रतिरोधी संक्रमणों के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स की उपलब्धता का आकलन किया गया है. इनमें बांग्लादेश, ब्राज़ील, मिस्र, भारत, केन्या, मैक्सिको, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका शामिल थे.
भारत और बांग्लादेश के एक-दूसरे पर लगाए गए व्यापार प्रतिबंध का नुकसान दोनों देशों को भुगतना पड़ सकता है : बीबीसी के लिए अनबरासन इथिराजन ने बताया कि भारत और बांग्लादेश के बीच महीनों तक चली मौखिक बहस के बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे पर व्यापार प्रतिबंध लगाये हैं. इसका संभावित असर दोनों देशों पर पड़ सकता है. पिछले महीने बांग्लादेश ने स्थानीय उद्योगों को सस्ते आयात से बचाने के लिए भारत से कपास के धागे के भूमि आयात को प्रतिबंधित कर दिया था. इससे पहले भारत ने बांग्लादेश को अपने बंदरगाहों और हवाई अड्डों के माध्यम से तीसरे देशों को अपने माल के निर्यात के लिए दी जाने वाली ट्रांसशिपमेंट सुविधा अचानक बंद कर दी थी.
मोदी सरकार के इस कदम ने बांग्लादेश के लिए खतरे की घंटी बजा दी है तो वहीं बांग्लादेश के कदम से पूर्वोत्तर क्षेत्र में सस्ते माल भेजने की भारत की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है.
नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया, राहुल और अन्य को नोटिस : नेशनल हेराल्ड मामले में दिल्ली की एक अदालत ने सोनिया और राहुल गांधी को नोटिस दिया है. इन दोनों के अलावा सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, सुनील भंडारी, मेसर्स यंग इंडिया और मेसर्स डोटेक्स मर्केंडाइज प्राइवेट लिमिटेड को भी नोटिस दिया गया है. विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने कहा, “किसी भी स्तर पर बात सुने जाने का अधिकार निष्पक्ष सुनवाई में जान फूंकता है. अगली सुनवाई 8 मई को होगी.
कलिंगा में नेपाल की एक और छात्रा की मौत : ओडिशा के कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी में नेपाल की एक और छात्रा का शव हॉस्टल रूम के पंखे से लटका मिला. उसकी पहचान प्रिशा साहा (18) के रूप में हुई है. नेपाल की विदेश मंत्री अर्जुना राणा देउबा ने “एक्स” पर लिखा कि प्रिशा की मौत की सच्चाई जानने के लिए भारत और ओडिशा सरकार के साथ बातचीत जारी है. इससे पहले फरवरी में भी कलिंगा इंस्टीट्यूट में एक नेपाली छात्रा प्रकृति लामसाल ने आत्महत्या कर ली थी. इस बीच बिट्स पिलानी के गोवा कैंपस में 20 साल के छात्र का शव फंदे से लटका मिला है. विगत पांच माह में कैंपस में आत्महत्या का यह तीसरा मामला है.
प्रेस फ्रीडम
भारत दुनिया में 151वें स्थान पर, नेपाल से नीचे, पाकिस्तान से ऊपर
'द टेलीग्राफ' की रिपोर्ट है कि रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) द्वारा शुक्रवार को जारी 2025 वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत को 180 देशों में से 151वां स्थान मिला है. हालांकि यह 2024 में मिले 159वें और 2023 के 161वें स्थान की तुलना में थोड़ा सुधार है, फिर भी भारत अब भी इंडेक्स की सबसे चिंताजनक श्रेणी "बेहद गंभीर" में शामिल है. आरएसएफ, जो 2002 से वैश्विक प्रेस स्वतंत्रता का आकलन करता रहा है, ने भारत की गिरती रैंकिंग के लिए मीडिया के स्वामित्व का राजनीतिक रूप से जुड़े कुछ लोगों के हाथों में केंद्रीकरण को जिम्मेदार ठहराया है. यह स्थिति मीडिया विविधता के लिए बड़ा खतरा मानी जा रही है. दक्षिण एशिया में, भारत अपने पड़ोसियों जैसे नेपाल (90वां), मालदीव (104वां), श्रीलंका (139वां), और बांग्लादेश (149वां) से पीछे है, हालांकि यह भूटान (152वां), पाकिस्तान (158वां), म्यांमार (169वां), अफ़गानिस्तान (175वां), और चीन (178वां) से आगे है.
मध्य प्रदेश : 17 वर्षीय लड़की ने लगाया चार युवकों पर दुष्कर्म का आरोप, उपजेलर पर अपहरण का मामला दर्ज
‘इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर है कि मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में एक 17 वर्षीय लड़की ने आरोप लगाया है कि दो दिनों में चार युवकों ने उसके साथ दुष्कर्म किया, इसके बाद एक उपजेलर द्वारा उसका अपहरण करके होटल के कमरे में बंद कर दिया गया. इस मामले में कई गिरफ्तारियां हुई हैं और जांच जारी है. किशोरी, जो 29 अप्रैल को अपने घर से लापता हो गई थी, बाद में शहडोल जिले के एक होटल के कमरे में बंद मिली. पुलिस ने इस मामले में छह पुरुषों को हिरासत में लिया है, जबकि एक उपजेलर पर अपहरण और अवैध कैद का मामला दर्ज किया गया है. पुलिस के अनुसार, लड़की की मां ने अपनी बेटी के 29 अप्रैल को गायब होने के बाद गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी.
वादा करने के बाद भी जिनके फ्लैट नहीं बनाए, सरकार ने उन्हीं की झुग्गी गिराने के नोटिस भेजे
'आर्टिकल 14' के लिए मौली शर्मा ने हरियाणा के गुरुग्राम जिले के प्रेमनगर बस्ती की उस क्रूर सच्चाई को अपनी रिपोर्ट के जरिए सामने लाने का प्रयास किया है, जो भारत के शहरीकरण के पीछे छिपी सामाजिक विषमता, उपेक्षा और राज्य द्वारा गरीबों के साथ किए जा रहे अन्याय का प्रमाण है. असल में यह केवल सिर्फ एक झुग्गी की कहानीभर नहीं है, बल्कि यह हमारे संविधान, राज्य की जवाबदेही, और विकास के नाम पर हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन की परीक्षा है. इस बस्ती में आशियाना योजना के तहत गरीबों से आवेदन शुल्क लेकर पुनर्वास का वादा किया गया था. 476 परिवार पात्र पाए गए, जिनमें 204 प्रेमनगर बस्ती से थे, लेकिन किसी को भी आज तक फ्लैट नहीं मिला है. अब सरकार उसी भूमि को निजी बिल्डरों को प्रीमियम दरों पर बेचने की योजना बना रही है. यह स्पष्ट धोखा है. सरकार ने केवल बस्ती को ही अतिक्रमण घोषित किया गया, जबकि उसी भूमि पर बनी बहुमंज़िला इमारतों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. यह कानून की आड़ में वर्गीय भेदभाव का उदाहरण है- गरीबों की ‘गंदगी’ को अपराध मानना, अमीरों के अतिक्रमण को नजरअंदाज करना.
सरकार खुद चार दशक से भूमि पर मालिकाना दावा कर रही थी, लेकिन जमीन के स्वामित्व का मुकदमा अभी भी स्पष्ट नहीं. मौखिक दान और दस्तावेजों के जल जाने की घटना यह दर्शाती है कि स्थानीय इतिहास को कानूनी दस्तावेजों की तरह नहीं माना गया, जबकि न्याय यही मांगता है. 2023 में 5 लाख से अधिक लोग जबरन बेदखल किए गए, जिनमें से आधे से अधिक एनसीआर से थे. बेदखली का औचित्य अक्सर सौंदर्यीकरण, अपराध नियंत्रण या विकास परियोजनाओं के नाम पर होता है, लेकिन असल में यह भूमि की लूट है. सर्वोच्च न्यायालय का नवंबर 2024 का आदेश "दंडात्मक विध्वंस पूरी तरह असंवैधानिक हैं", इन सभी कार्रवाइयों की वैधता पर सवाल उठाता है.
12% भारतीय परिवार ही खरीद सकते हैं नई कार
'फायनेंशियल एक्सप्रेस' के लिए नितिन कुमार की खबर है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के पहले महीने अप्रैल में भारत की ऑटोमोबाइल बिक्री में साल-दर-साल (YoY) आधार पर 7.5% की गिरावट दर्ज की गई है. वाहन डेटा के अनुसार, कुल वाहन पंजीकरण घटकर 20.6 लाख इकाइयों पर आ गए, जो मार्च में 21.5 लाख थे. यानी कि क्रमिक रूप से 4% की गिरावट दर्ज हुई है. पैसेंजर कार सेगमेंट में भी गिरावट है. पैसेंजर कार बिक्री अप्रैल में लगभग 10% गिरकर 3,18,681 इकाइयों पर पहुंच गई, जबकि मार्च में यह आंकड़ा 3,49,000 था. भारतीय ऑटोमोबाइल निर्माता संघ (SIAM) ने FY26 में पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट में केवल 1-2% की मामूली वृद्धि की उम्मीद जताई है. यह अनुमान शहरी उपभोक्ता धारणा में कमजोरी, महंगे SUVs की बढ़ती मांग और घटती क्रय क्षमता को देखते हुए लगाया गया है. मारुति सुज़ुकी के चेयरमैन आर.सी. भार्गव ने कहा कि FY26 में मांग पर दबाव बना रहेगा. बजट में घोषित आयकर छूट से छोटे कारों की बिक्री में कोई खास तेजी नहीं आएगी. उन्होंने बताया कि भारत के केवल 12% परिवारों की वार्षिक आय ₹12 लाख से अधिक है, जो आम तौर पर एक नई कार खरीदने की सीमा मानी जाती है. “88% परिवार इस सीमा से नीचे आते हैं, और नियामकीय मानकों को पूरा करने के चलते छोटे कारों की कीमतें बढ़ने से उच्च वृद्धि की उम्मीद नहीं की जा सकती,” उन्होंने कहा.
इलेक्ट्रिक वाहन (EV) पंजीकरण अप्रैल में 1.5 लाख इकाइयों पर सिमट गए, जो मार्च के मुकाबले 37% की बड़ी गिरावट है. हालांकि, सालाना आधार पर ईवी बिक्री में 30% की बढ़त देखी गई, क्योंकि अप्रैल 2024 में FAME II सब्सिडी की समाप्ति के बाद मांग काफी कमजोर थी.
शहरी गरीबों की सेहत ग्रामीण गरीबों से भी बदतर
‘इंडिया स्पेंड’ के लिए प्राची साल्वे की रिपोर्ट है कि सेंटर फॉर सोशल एंड इकोनमिक प्रोग्रेस का एक सर्वे बताता है कि शहरी भारत के सबसे गरीब लोगों की सेहत ग्रामीण गरीबों से भी बदतर स्थिति में है. शहरी गरीब बच्चों की मृत्युदर 63.4 प्रति 1,000 जीवित जन्म है, जबकि ग्रामीण गरीबों में यह 58.8 है. यह मोज़ाम्बिक जैसे अफ्रीकी देश से भी बदतर है. शहरी गरीबों में टीबी के मामले 416 प्रति लाख हैं, जबकि ग्रामीण गरीबों में यह 376 है. डायरिया भी ज्यादा फैलता है. सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचा बेहतर होते हुए भी बस्तियों में रहने वालों को डॉक्टर, दवाएं या प्राथमिक केंद्र आसानी से नहीं मिलते. इसलिए वे महंगे निजी इलाज पर निर्भर होते हैं, जिससे उनकी आय का बड़ा हिस्सा खर्च होता है.
राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (NUHM) असफल रहा. कम बजट, टूटी हुई प्रशासनिक व्यवस्था और नगरपालिकाओं की अक्षमता के चलते यह मिशन अपने लक्ष्य पूरे नहीं कर पाया. 2023–25 के दौरान जरूरत का केवल 58% ही बजट मिला. इसके विपरीत, आयुष्मान भारत योजना को तवज्जो दी गई, जिससे निजीकरण को बढ़ावा मिला.
शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का असमान वितरण भी देखा गया है. आधे से ज्यादा शहरी गरीबों को 5 किमी से ज्यादा दूर जाना पड़ता है इलाज के लिए. स्लम में रहने वाली महिलाओं का स्वास्थ्यकर्मियों से संपर्क दर (25.9%) ग्रामीण महिलाओं (34.7%) से भी कम है. सबसे गरीब शहरी परिवारों की अस्पताल में एक बार भर्ती होने पर औसतन ₹15,845 खर्च होता है, जबकि सबसे अमीर ₹47,103 तक खर्च करता है.
सांसदों को कितनी फिक्र है देश में रोजगार की?
भारत में युवाओं की बेरोजगारी को लेकर नेताओं की गंभीरता क्या वाकई संसद तक पहुंचती है? "द फ्यूचर ऑफ इंडिया फाउंडेशन" द्वारा किए गए एक महत्वपूर्ण अध्ययन में लोकसभा में पूछे गए प्रश्नों का विश्लेषण किया गया है, ताकि यह समझा जा सके कि हमारे सांसद रोजगार, विशेष रूप से युवा रोजगार को लेकर कितना ध्यान दे रहे हैं. यह रिपोर्ट 17वीं लोकसभा के दौरान पूछे गए 60,000 से अधिक प्रश्नों का विश्लेषण करती है. साथ ही यह गिग वर्क, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नई रोजगार प्रवृत्तियों पर संसद की प्रतिक्रिया को भी ट्रैक करती है और दलीय सहमति की संभावनाओं को उजागर करती है. यह पहली बार है जब किसी रिपोर्ट ने संसद के युवा रोजगार संबंधी दृष्टिकोण को डेटा-आधारित दृष्टिकोण से सामने रखा है. इस विश्लेषण से पता चला है कि 17वीं लोकसभा में युवा रोज़गार एक महत्वपूर्ण मुद्दा था, जिस पर 88% से अधिक सांसदों ने सवाल उठाए, लेकिन इसे सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं मिली. इससे जुड़े मुख्य निष्कर्ष इस प्रकार हैं:
व्यापक लेकिन सीमित प्राथमिकता : युवा रोज़गार पर 4814 सांसदों ने 8,190 प्रश्न पूछे, जो कुल संसदीय प्रश्नों का केवल 14% था. यह दर्शाता है कि चिंता तो है, पर प्राथमिकता सीमित है.
मुख्य फोकस क्षेत्र : सर्वाधिक प्रश्न कौशल विकास (जैसे PMKVY), श्रम अधिकार (विशेषकर असंगठित क्षेत्र), उद्यमिता (MSME, PMMY ऋण), और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन से संबंधित थे.
संरचनात्मक मुद्दे : सांसदों ने काम के बढ़ते संविदाकरण (contractualisation), रोज़गार में लैंगिक असमानता, आरक्षण, कार्यस्थल सुरक्षा, ऋण तक पहुंच और सरकारी संस्थानों में व्यापक रिक्तियों जैसे प्रणालीगत मुद्दों को भी उठाया.
प्रौद्योगिकी पर कम ध्यान : गिग इकॉनमी, ई-कॉमर्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर सवाल उभर रहे हैं, लेकिन एल्गोरिथम प्रबंधन, डिजिटल बहिष्कार या नौकरियों पर AI के प्रभाव जैसे भविष्य के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा अभी प्रारंभिक है.
पारदर्शिता के लिए प्रश्न : कई प्रश्न ऐसी जानकारी मांगने के लिए थे, जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होनी चाहिए (जैसे आईटीआई की संख्या, योजनाओं के परिणाम). यह खराब डेटा उपलब्धता, सांसदों में जागरूकता की कमी या रणनीतिक रूप से मुद्दे उठाने का संकेत हो सकता है.
प्रतिनिधित्व का महत्व : ST सांसदों ने जाति-आधारित रोज़गार पर अधिक प्रश्न पूछे, जबकि महिला सांसदों ने महिला-केंद्रित मुद्दों (जैसे आंगनवाड़ी/आशा कार्यकर्ताओं का रोज़गार, महिला उद्यमिता) पर अधिक ध्यान दिया.
भौगोलिक और आयु भिन्नता : महाराष्ट्र, तमिलनाडु जैसे राज्यों की भागीदारी अधिक थी, जबकि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्य पीछे रहे. आश्चर्यजनक रूप से, सबसे युवा (30-34 वर्ष) सांसदों की तुलना में 40-44 वर्ष आयु वर्ग के सांसदों ने इस मुद्दे पर सर्वाधिक प्रश्न पूछे.
विदेश रोज़गार पर फोकस : सांसदों ने 'ब्रेन ड्रेन' पर चिंता जताने के बजाय भारतीयों के लिए विदेशों में (उच्च और निम्न कौशल दोनों) रोज़गार के अवसर सुलभ बनाने पर जोर दिया.
लोकतांत्रिक अवसर : विभिन्न दलों के सांसदों द्वारा साझा चिंताएं व्यक्त करना यह दर्शाता है कि सार्वजनिक और नागरिक समाज की भागीदारी से इन मुद्दों पर राष्ट्रीय हित में आम सहमति बनाई जा सकती है.
चलते-चलते
मैं किस धारा के तहत आकर माफ़ी मांगूं? आईपीसी में कौन-सी धारा है इसके लिए?'
23 मार्च को स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने अपना शो "नया भारत" अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया, जो उन्होंने जनवरी में मुंबई के 'द हैबिटेट' में रिकॉर्ड किया था. कुछ ही घंटों के भीतर, महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन की घटक पार्टी शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने इस शो में शामिल एक गाने की पैरोडी पर आपत्ति जताते हुए उस स्थान पर तोड़फोड़ की. इस पैरोडी में कामरा ने अप्रत्यक्ष रूप से महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को "गद्दार" कहा था. 'द केरेवन' के मल्टीमीडिया रिपोर्टर शाहिद तंत्रे ने कुणाल कामरा से बात की कि किस तरह वे नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में खुद पर आए विवादों से निपटते हैं. कामरा ने शो के बाद आई प्रतिक्रिया की उम्मीद के सवाल के जवाब में कहा - 'मैंने यह शो अपनी ऑडियंस के लिए डाला था और उन्होंने इसे अच्छे से स्वीकार किया. मैं ज़्यादा कुछ उम्मीद नहीं कर रहा था, क्योंकि आजकल कुछ भी उम्मीद करना फिजूल है. ये शो मैंने उसी दिन डाला, जिस दिन देश का सबसे बड़ा उत्सव होता है. मुंबई और चेन्नई के बीच का एक आईपीएल मैच. मैंने ये सिर्फ अपनी ऑडियंस के लिए डाला, क्योंकि मैं उस मटेरियल से पूरी तरह संतुष्ट हो चुका था. मैं इस मटेरियल को लगभग एक साल से कर रहा था और मेरे लिए वो सारे जोक्स बासी हो चुके थे. मुझे अब नया लिखना था और नए जोक्स लिखने के लिए आपको पुराने जोक्स को ऑनलाइन डालना ही पड़ता है, क्योंकि आप एक ही जोक एक ही व्यक्ति को दो बार नहीं सुना सकते, वो हंसेगा नहीं. जो भी हुआ, मैंने अपने शो में ये भी कहा था कि जो चीज़ आपको पसंद या नापसंद हो, उसका जवाब देने के कुछ तरीके होते हैं, और उन्हीं तरीकों को बनाए रखना चाहिए. जब भीड़ इस तरह प्रतिक्रिया दे रही थी, तो मैंने तय किया कि मैं इस तरह की 'भीड़ न्याय' की बात नहीं सुनूंगा. “आओ, माफ़ी मांगो”, तो मैं किस धारा के तहत आकर माफ़ी मांगूं? आईपीसी में कौन सी धारा है इसके लिए?'
पाठकों से अपील
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, फेसबुक पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.