03/06/2025: जी-7 का न्यौता नहीं | अडानी पर नई जांच की आँच | चिराग़ की बिहार वापसी | त्रिची के एफएम रेडियो पर हिंदी का विरोध | जंग के जख़्मी | इंफोसिस में इंक्रीमेंट | हुसैन की नीलामी
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां :
मोदी को जी-7 का न्योता नहीं, पहली बार है ऐसा
अडानी समूह पर नई जांच की आँच : ईरानी पेट्रोकेमिकल उत्पादों की खरीदारी के आरोप
भारत के $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था लक्ष्य में देरी, जापान से अभी पीछे
असम में उचित प्रक्रिया के बिना निर्वासन, सुप्रीम कोर्ट बोला- गुवाहटी जाइए
मैंने अपनी पार्टी को बता दिया था, राज्य की राजनीति में लौटना चाहता हूं : चिराग
इंफोसिस : सीईओ का वेतन 22% और कर्मचारियों का 9% बढ़ा, नीलेकणी ने एक पैसा नहीं लिया
हेट स्पीच के लिए आरएसएस नेता पर केस दर्ज
नागालैंड में एनसीपी के 7 विधायक एनडीपीपी में शामिल
डेट पर बुलाकर लूटपाट करने वाले 3 आरोपी दिल्ली में मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार
अन्ना यूनिवर्सिटी यौन उत्पीड़न मामला: आरोपी को बिना छूट के आजीवन कारावास
देहरादून के स्पेशल स्कूल में दो ऑटिस्टिक भाइयों का यौन शोषण, स्टाफ पर आरोप
सिक्किम में भूस्खलन से सेना शिविर चपेट में, 3 जवान शहीद, 6 लापता
जग्गी वासुदेव की आवाज और स्टाइल, दोनों को कॉपी करना पड़ेगा भारी!
म्यांमार-भारत सीमा पर भारतीय सेना की कार्रवाई में 10 पीडीएफ लड़ाकों की मौत, तनाव बढ़ा
सीमा पर चार दिन की जंग में 21 नागरिकों की मौत: पुंछ से पहलगाम तक बिखरे दुख के निशान
युद्ध खत्म करने के लिए यूक्रेन को क्षेत्र छोड़ने और सेना घटाने की शर्तें माननी होंगी: रूस
बॉम्बे हाई कोर्ट की अनुमति के बाद एम. एफ. हुसैन की 25 दुर्लभ पेंटिंग्स की नीलामी की तैयारी
मोदी को जी-7 का न्योता नहीं, पहली बार है ऐसा
पिछले 6 वर्षों में पहली बार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वर्ष कनाडा द्वारा 15-17 जून को आयोजित किए जा रहे जी-7 शिखर सम्मेलन का हिस्सा नहीं होंगे. दरअसल, अल्बर्टा में होने वाली इस बैठक के लिए मेजबान कनाडा की ओर से प्रधानमंत्री के पास अभी तक कोई आधिकारिक निमंत्रण नहीं आया है, जैसा कि “टाइम्स ऑफ इंडिया” में सचिन पाराशर ने रिपोर्ट किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि निमंत्रण आता भी तो मोदी किसी भी स्थिति में कनाडा नहीं जाते, क्योंकि भारत को अभी भी यह भरोसा नहीं है कि ओटावा में नई सरकार खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियों को लेकर भारत की चिंताओं के प्रति कितनी संवेदनशील होगी और उसका क्या रुख रहेगा. कनाडाई जी-7 प्रवक्ता ने भी यह पुष्टि नहीं की कि मोदी को आमंत्रित किया भी जाएगा या नहीं.
जानकारी के अनुसार ऐन वक्त के निमंत्रण पर विचार किए जाने की संभावना भी नहीं है, क्योंकि इसमें लॉजिस्टिक समस्याओं और संभावित रूप से अलगाववादियों द्वारा यात्रा में बाधा डालने के प्रयास के अलावा दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण द्विपक्षीय संबंध बड़ा कारण हैं, जिन्हें सुधारने के लिए मोदी और उनके कनाडाई समकक्ष मार्क कार्नी दोनों ने प्रतिबद्धता जताई है. यह जरूर है कि शिखर सम्मेलन से इतर एक द्विपक्षीय बैठक दोनों नेताओं को संबंधों को फिर से मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराने का अवसर दे सकती थी.
वर्ष 2019 के बाद यह पहली बार है, जब दुनिया की सबसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं की इस बैठक में मोदी शामिल नहीं होंगे. जबकि भारतीय प्रधानमंत्री का जी-7 में शामिल होना भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव का प्रमाण माना जाता था. 2019 में फ्रांस ने शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की थी और तब से प्रधनमंत्री मोदी को आमंत्रित किया जाता रहा है.
अब तक, कनाडा ने औपचारिक रूप से प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के सरकार प्रमुखों या नेताओं के नाम जारी नहीं किए हैं, जिन्हें शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया जा चुका है. हालांकि, कनाडाई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, ओटावा ने ऑस्ट्रेलिया, यूक्रेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राज़ील के नेताओं को निमंत्रण भेजा है.
यहां यह गौरतलब है कि पिछले सप्ताह, सिख अलगाववादियों ने कार्नी प्रशासन से भारतीय प्रधानमंत्री को आमंत्रित न करने का आग्रह किया था. अलगाववादियों का कहना था कि अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की चल रही जांच में भारत के कथित रूप से सहयोग न करने के कारण मोदी को न्योता नहीं दिया जाना चाहिए. बता दें कि कार्नी के पूर्ववर्ती जस्टिन ट्रूडो ने निज़्जर की हत्या में कथित तौर पर भारत की भूमिका का आरोप लगाया था, हालांकि भारतीय पक्ष बार-बार कहता रहा कि ट्रूडो ने ठोस प्रमाण दिए बिना ही ऐसा किया. इसके बाद से दोनों देशों के कूटनीतिक रिश्ते इस हद तक ठंडे पड़ गए कि दोनों ने एक-दूसरे के शीर्ष राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था.
अडानी समूह पर नई जांच की आँच : ईरानी पेट्रोकेमिकल उत्पादों की खरीदारी के आरोप
एशिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी इस समय एक नई समस्या का सामना कर रहे हैं. जहां एक तरफ वे ट्रम्प प्रशासन से विदेशी रिश्वतखोरी के आरोपों को वापस लेने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ अमेरिकी अभियोजकों की नजर अब उनकी कंपनियों पर ईरानी पेट्रोकेमिकल उत्पादों की खरीदारी को लेकर है.
अमेरिकी अभियोजक इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या अडानी की कंपनियों ने अपने मुंद्रा पोर्ट के जरिए भारत में ईरानी तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) का आयात किया है. ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की जांच में पाया गया कि मुंद्रा और फारसी खाड़ी के बीच नियमित रूप से यात्रा करने वाले टैंकरों का व्यवहार अक्सर उन जहाजों जैसा था जो प्रतिबंधों से बचने की कोशिश करते हैं.
कंपनी के प्रवक्ता का कहना है कि "अडानी प्रतिबंधों से बचने या ईरानी मूल के एलपीजी के व्यापार में जानबूझकर शामिल होने की बात को पूरी तरह से खारिज करता है. इसके अलावा, हमें इस विषय पर अमेरिकी अधिकारियों की किसी भी जांच की जानकारी नहीं है."
ब्रुकलिन में अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय की बढ़ती जांच अडानी की छवि सुधारने की कोशिशों के लिए समस्याजनक साबित हो सकती है. जबकि राष्ट्रपति ट्रम्प विदेशी रिश्वतखोरी को दंडित करने वाले पुराने कानूनों के प्रवर्तन को कम कर रहे हैं, उन्होंने ईरानी तेल और गैस उत्पादों के खरीदारों को भी निशाना बनाया है. ट्रम्प ने पिछले महीने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा था, "कोई भी देश या व्यक्ति जो ईरान से कोई भी मात्रा में तेल या पेट्रोकेमिकल खरीदता है, उस पर तुरंत द्वितीयक प्रतिबंध लगाए जाएंगे."
अडानी भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी सहयोगी हैं और उनके नाम से बने इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों के समूह का नेतृत्व करते हैं, जो भारत की हाल की आर्थिक वृद्धि का अभिन्न अंग रहा है. सार्वजनिक कंपनियों का मूल्यांकन लगभग 150 अरब डॉलर है, जिससे अडानी और उनके परिवार को दुनिया की सबसे बड़ी संपत्तियों में से एक मिली है.
जनवरी 2023 में, शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने 33,000 शब्दों की एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अडानी समूह ने अपतटीय वाहनों के माध्यम से अडानी परिवार के सदस्यों द्वारा गुप्त रूप से शेयरों के बड़े हिस्से को नियंत्रित करके भारतीय प्रतिभूति कानूनों का उल्लंघन किया है. कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई थी, लेकिन बाद में कुछ नुकसान की भरपाई हुई है.
नवंबर में, समूह को एक नई चुनौती का सामना करना पड़ा जब अमेरिकी अभियोजकों ने अडानी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया, यह दावा करते हुए कि उन्होंने भारत में आकर्षक सौर ऊर्जा आपूर्ति अनुबंध हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को लगभग 250 मिलियन डॉलर की रिश्वत का आयोजन किया था.
अडानी समूह ने शॉर्ट सेलर की रिपोर्ट को "झूठ के अलावा कुछ नहीं" बताया है, और सरकारी आरोपों को "निराधार" करार दिया है. जांच के दौरान कई एलपीजी टैंकरों की गतिविधियों की समीक्षा की जा रही है जिनका उपयोग अडानी एंटरप्राइजेज को कार्गो भेजने के लिए किया गया था.
दिल्ली हाईकोर्ट ने सद्गुरु जग्गी वासुदेव के 'पर्सनैलिटी राइट्स' सुरक्षित रखने का दिया आदेश
दिल्ली उच्च न्यायालय ने आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव के 'पर्सनैलिटी राइट्स' (व्यक्तित्व अधिकारों) की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है. इस आदेश के तहत, कोई भी व्यक्ति या संस्था सद्गुरु के नाम, छवि, आवाज या किसी भी पहचान का उनकी अनुमति के बिना व्यावसायिक या अन्य अनुचित उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकेगी. कोर्ट ने कहा कि सद्गुरु एक प्रसिद्ध व्यक्ति हैं और उनके व्यक्तित्व अधिकारों का हनन रोका जाना चाहिए. यह फैसला प्रसिद्ध व्यक्तियों के डिजिटल और भौतिक पहचान के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में अहम माना जा रहा है.
भारत के $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था लक्ष्य में देरी, जापान से अभी पीछे
भारत के $5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य में देरी हो रही है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2024 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) लगभग $3.91 ट्रिलियन रहने की संभावना है. वहीं, जापान का GDP इसी अवधि में $4.03 ट्रिलियन रहने का अनुमान है. इसका मतलब है कि भारत अभी तक जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था नहीं बन पाया है. यह लक्ष्य मूल समय सीमा से पीछे चल रहा है और इसे हासिल करने के लिए आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने की आवश्यकता है.
असम में उचित प्रक्रिया के बिना निर्वासन, सुप्रीम कोर्ट बोला- गुवाहटी जाइए
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को असम सरकार की "पुश बैक" नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें "व्यापक और अंधाधुंध अभियान" के तहत उन लोगों को हिरासत में लेने और देश से बाहर भेजने की बात कही गई थी, जिनके बारे में संदेह है कि वे विदेशी हैं. और, यह सब बिना नागरिकता की पुष्टि या कानूनी उपायों का पूरा उपयोग किए बिना किया जा रहा है.
न्यायमूर्ति संजय करोल और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने याचिकाकर्ता, ऑल बीटीसी माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े से कहा कि वे राहत के लिए गुवाहाटी हाई कोर्ट जाएं. पीठ ने कहा, "हम इसे सुनने के इच्छुक नहीं हैं... माफ़ कीजिए. इस पर हेगड़े ने कहा कि यह याचिका सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में पारित आदेश के आधार पर दायर की गई थी.
याचिका में कहा गया था कि असम सरकार द्वारा अपनाई गई "पुश बैक" नीति संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन करती है और बाध्यकारी न्यायिक मिसालों के विपरीत है. याचिकाकर्ता का तर्क था कि 'पुश बैक' नीति के तहत लोगों को उचित प्रक्रिया के बिना निर्वासित किया जा रहा है, जिससे संदिग्ध व्यक्तियों को अपने निर्वासन का विरोध करने का मौका नहीं मिलता और उनके जीवन तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का हनन होता है.
याचिकाकर्ता संगठन ने कहा कि यह "पुश बैक" नीति, जो धुबरी, दक्षिण सालमारा और गोलपाड़ा जैसे सीमा जिलों में लागू की जा रही है, न केवल कानूनी रूप से अवैध है, बल्कि इससे कई भारतीय नागरिक, विशेषकर गरीब और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लोग, जो या तो एकतरफा विदेशी घोषित कर दिए गए हैं या अपनी स्थिति को चुनौती देने के लिए कानूनी सहायता नहीं पा सकते, भी राज्यविहीन हो सकते हैं.
मैंने अपनी पार्टी को बता दिया था, राज्य की राजनीति में लौटना चाहता हूं : चिराग
केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने सोमवार को आखिरकार स्पष्ट कर दिया कि वह आगामी बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे. हालांकि उनका कहना था अगर उनकी उम्मीदवारी से उनकी पार्टी की स्थिति और "स्ट्राइक रेट" मजबूत होता है, तो वे निश्चित रूप से विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे.
पासवान ने कहा, "मैं पहले ही कह चुका हूं कि मैं खुद को लंबे समय तक केंद्र की राजनीति में नहीं देखता. मेरा राजनीति में आने का कारण बिहार और बिहारी (बिहार के लोग) हैं. मेरा अपना विजन है - बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट. "
उन्होंने कहा कि तीसरी बार सांसद बनने के बाद मुझे महसूस हुआ कि दिल्ली में रहकर बिहार के लिए काम करना शायद संभव नहीं है और उन्होंने अपनी पार्टी से कहा था कि वे जल्द ही बिहार (की राजनीति) में लौटना चाहते हैं. पासवान ने कहा कि कई पार्टियों को तब फायदा हुआ जब उनके राष्ट्रीय नेताओं ने राज्य चुनाव लड़े. बीजेपी ने कई बार यह रणनीति अपनाई है, अपने सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतार कर और इसका फायदा भी उठाया है. साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि मुख्यमंत्री पद के लिए कोई रिक्ति नहीं है, क्योंकि मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनाव के बाद भी नेतृत्व करते रहेंगे.
इंफोसिस : सीईओ का वेतन 22% और कर्मचारियों का 9% बढ़ा, नीलेकणी ने एक पैसा नहीं लिया
इंफोसिस के सीईओ और प्रबंध निदेशक सलिल पारेख की सैलरी वित्त वर्ष 2024-25 में 22% बढ़कर 80.62 करोड़ रुपये हो गई है. जबकि, कर्मचारियों की तनख्वाह में लगभग 9 फीसदी का इजाफा हुआ. दिलचस्प यह है कि इंफोसिस के चेयरमैन नंदन नीलेकणी ने स्वेच्छा से कंपनी को दी गई अपनी सेवाओं के लिए कोई भी वेतन या पारिश्रमिक नहीं लिया.
खास बात यह है कि पारेख की सैलरी, इंफोसिस के औसत कर्मचारी के वेतन से 725 गुना अधिक रही. वित्तीय वर्ष 2025 में कर्मचारियों की औसत सैलरी 9.68% बढ़कर 10,72,008 रुपये हो गई, जबकि 2024 में यह 9,77,868 रुपये थी. इस मामले में पारेख के बाद कंपनी के सेगमेंट हेड कर्मेश गुल वासवानी का दूसरा स्थान है, जिनको ₹21.64 करोड़ वेतन मिला.
हेट स्पीच के लिए आरएसएस नेता पर केस दर्ज
कर्नाटक के दक्षिण कन्नडा जिले में पुलिस ने सोमवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता कल्लडका प्रभाकर भट के खिलाफ एक अपराधी की शोक सभा में कथित रूप से भड़काऊ बयान देने के आरोप में मामला दर्ज किया है. भट ने कथित रूप से 12 मई को कवलपदूर गांव में मारे गए अपराधी सुहास शेट्टी की स्मृति में आयोजित एक सभा के दौरान कथित रूप से ऐसे बयान दिए, जिनसे समुदायों के बीच शांति भंग होने की संभावना थी. सुहास शेट्टी बजरंग दल का सदस्य था और पिछले महीने मंगलुरु शहर सीमा के भीतर मारा गया था. उसका आपराधिक रिकॉर्ड था और वह 2022 के मोहम्मद फाजिल की हत्या मामले का मुख्य आरोपी भी था. शेट्टी की हत्या 1 मई को हुई थी.
नागालैंड में एनसीपी के 7 विधायक एनडीपीपी में शामिल : महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) को नागालैंड में झटका लगा है. पार्टी के सभी सात विधायक राज्य की सत्ताधारी नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) में शामिल हो गए हैं. अजित पवार ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि विधायक विकास कार्यों को लेकर असंतुष्ट थे. उन्होंने यह भी बताया कि चूंकि सभी सात विधायक एक साथ पार्टी छोड़कर गए हैं, इसलिए उन पर दल-बदल विरोधी कानून लागू नहीं होगा. इस कदम से नागालैंड में मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो की NDPP को विधानसभा में बहुमत मिल गया है.
डेट पर बुलाकर लूटपाट करने वाले 3 आरोपी दिल्ली में मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार : दिल्ली पुलिस ने उस्मानपुर इलाके में मुठभेड़ के बाद तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. इन पर लोगों को डेट पर बुलाकर लूटपाट करने का गंभीर आरोप है. पुलिस ने बताया कि मुठभेड़ के दौरान दो आरोपी घायल हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. पकड़े गए आरोपियों के पास से हथियार और जिंदा कारतूस भी बरामद किए गए हैं. पुलिस काफी समय से ऐसे गिरोह की तलाश कर रही थी जो ऑनलाइन या अन्य माध्यमों से लोगों को मिलने बुलाकर उन्हें अपना शिकार बनाते थे. इस गिरफ्तारी से ऐसे अपराधों पर लगाम लगने की उम्मीद है.
अन्ना यूनिवर्सिटी यौन उत्पीड़न मामला | आरोपी को बिना छूट के आजीवन कारावास : चेन्नई की एक महिला अदालत ने अन्ना विश्वविद्यालय परिसर में हुए यौन उत्पीड़न मामले में मुख्य आरोपी ए ज्ञानशेखरन को ज्ञानशेखरन को आजीवन कारावास की सजा दी है और स्पष्ट किया है कि उसे इस सजा में कोई छूट नहीं मिलेगी. कोर्ट ने आदेश दिया है कि उसे कम से कम 30 साल जेल में बिताने होंगे. साथ ही, उस पर 90,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. ज्ञानशेखरन को बलात्कार, अपहरण, गलत तरीके से बंधक बनाने सहित 11 अलग-अलग धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया था.
देहरादून के स्पेशल स्कूल में दो ऑटिस्टिक भाइयों का यौन शोषण, स्टाफ पर आरोप : उत्तराखंड के देहरादून में बच्चों के एक विशेष स्कूल में चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां ऑटिज्म से पीड़ित दो नाबालिग भाइयों के साथ कथित तौर पर स्कूल के ही एक स्टाफ सदस्य ने यौन दुर्व्यवहार किया. बच्चों की मां ने जब उनसे मुलाकात की तो उन्हें इस बारे में पता चला और उन्होंने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने आरोपी स्टाफ सदस्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है और मामले की जांच शुरू कर दी है. इस घटना के बाद समाज कल्याण विभाग भी स्कूल की गतिविधियों और वहां के स्टाफ के बारे में जांच कर रहा है.
मनरेगा के लिए अगले 5 साल में ₹5.23 लाख करोड़ की मांग : ग्रामीण विकास मंत्रालय ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए अगले पांच वित्तीय वर्षों (2025-26 से 2029-30) हेतु 5.23 लाख करोड़ रुपये के आवंटन की मांग रखी है. यह पिछले पांच वर्षों (2020-21 से 2024-25) में केंद्र द्वारा जारी किए गए 4.68 लाख करोड़ रुपये से लगभग 12% अधिक है. यह प्रस्ताव व्यय वित्त समिति (EFC) को भेजा गया है. मंत्रालय का कहना है कि मनरेगा मांग आधारित योजना है, इसलिए आवंटन अनुमानित है. यह योजना ग्रामीण परिवारों को साल में कम से कम 100 दिन के रोजगार की गारंटी देती है.
तमिलनाडु हादसे में ऑस्ट्रेलियाई परिवार पर दुख : तमिलनाडु के काराकल के पास एक सड़क दुर्घटना में ऑस्ट्रेलिया के एक परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. एक बस से वैन की टक्कर में परिवार के मुखिया और उनकी पांच साल की बेटी की मौत हो गई. पत्नी और उनकी दूसरी बेटी गंभीर रूप से घायल हैं, जिसमें बड़ी बेटी कोमा में है. यह परिवार एक धार्मिक यात्रा पर भारत आया था. हादसे में बचे सदस्यों को वापस ऑस्ट्रेलिया ले जाने और उनके इलाज के लिए पैसों की जरूरत है, जिसके लिए क्राउडफंडिंग का सहारा लिया जा रहा है. यह घटना उस परिवार के लिए एक पवित्र यात्रा को त्रासदी में बदल गई.
सिक्किम में भूस्खलन से सेना शिविर चपेट में, 3 जवान शहीद, 6 लापता : सिक्किम में भारी बारिश के बाद हुए भूस्खलन ने सेना के एक शिविर को चपेट में ले लिया. इस दुखद घटना में भारतीय सेना के तीन जवान शहीद हो गए हैं. इसके अलावा, छह अन्य सैनिक अभी भी लापता बताए जा रहे हैं, जिनकी तलाश के लिए बचाव अभियान जारी है. भूस्खलन से शिविर को काफी नुकसान पहुंचा है. सेना और स्थानीय प्रशासन मिलकर लापता सैनिकों को ढूंढने और प्रभावित इलाके में राहत पहुंचाने का काम कर रहे हैं. यह घटना क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम को उजागर करती है.
जेईई एडवांस्ड के नतीजे घोषित, रजित गुप्ता ने किया टॉप : देश की प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा, जेईई एडवांस्ड 2024 के परिणाम घोषित कर दिए गए हैं. इस साल आईआईटी प्रवेश परीक्षा में रजित गुप्ता ने टॉप किया है. परिणामों की घोषणा के साथ ही भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में प्रवेश के लिए देशभर के लाखों छात्रों का इंतजार खत्म हो गया है. सफल छात्र अब अपनी रैंक के अनुसार विभिन्न आईआईटी में दाखिले के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया में भाग लेंगे. यह परिणाम छात्रों की कड़ी मेहनत और लगन का फल है और उनके भविष्य के रास्ते खोलता है.
जग्गी वासुदेव की आवाज और स्टाइल, दोनों को कॉपी करना पड़ेगा भारी! ''द हिंदू'' की खबर है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव के पक्ष में एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए उनके व्यक्तित्व अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की है. इस आदेश के तहत, अदालत ने उनके नाम, छवि, आवाज और शैली का बिना अनुमति उपयोग करने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति, कंपनी या संस्था सद्गुरु की पहचान से जुड़ी किसी भी चीज़ का व्यापारिक या अन्य लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता, जब तक कि उनके द्वारा स्पष्ट रूप से अनुमति न दी गई हो. यह आदेश विशेष रूप से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, वेबसाइट्स, टीवी चैनलों और अन्य डिजिटल माध्यमों पर लागू होगा, जहां झूठी, भ्रामक या लाभ कमाने वाली सामग्री के लिए सद्गुरु की छवि, नाम या शैली का दुरुपयोग किया जा सकता है.
म्यांमार-भारत सीमा पर भारतीय सेना की कार्रवाई में 10 पीडीएफ लड़ाकों की मौत, तनाव बढ़ा
'अलजजीरा' की रिपोर्ट है कि म्यांमार के सागाइंग क्षेत्र के तामू जिले में, भारत की सीमा से लगे इलाके में 14 मई को भारतीय सेना की कार्रवाई में पीपुल्स डिफेंस फोर्स (PDF) से जुड़े पका पा (PKP) समूह के 10 सदस्यों की मौत हो गई. इन शवों को काले पड़ चुके, सूजे हुए हालत में एक टारपोलिन पर रखा गया था, जिन पर मक्खियाँ मंडरा रही थीं. इनकी जल्दबाज़ी में सामूहिक चिता तैयार की गई, जिसमें जलाने के लिए पुराने टायर भी लगाए गए थे. इन मारे गए लोगों में तीन किशोर भी शामिल थे. पीकेपी, निर्वासित म्यांमार सरकार — नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (NUG) के अधीन काम करता है. एनयूजी 2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद सत्ता से बेदखल किए गए सांसदों और आंग सान सू की की पार्टी के नेताओं का गठबंधन है. भारतीय सेना ने कहा कि 14 मई को मणिपुर के चंदेल ज़िले में असम राइफल्स की एक टुकड़ी ने सीमा पर गश्त के दौरान “युद्ध सामग्री” से लैस 10 संदिग्ध उग्रवादियों को मार गिराया. सेना का दावा है कि यह कार्रवाई विशिष्ट खुफिया सूचना के आधार पर की गई थी. हालांकि, एनयूजी ने इस दावे को खारिज करते हुए आरोप लगाया कि ये लोग भारत में मारे नहीं गए, बल्कि उन्हें हिरासत में लेकर “यातना दी गई और फौरन गोली मार दी गई.” उनका कहना है कि इन जवानों की पहले से भारतीय सेना को जानकारी दी गई थी और उन्होंने दो दिन पहले ही उनके कैंप का दौरा भी किया था. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि म्यांमार और भारत के बीच पिछले कई वर्षों से एक अनौपचारिक समझदारी बनी हुई थी, दोनों तरफ की सेनाएं एक-दूसरे के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती थीं, लेकिन तामू में हुई इस घटना ने उस समझ को तोड़ दिया है और इससे हजारों म्यांमार शरणार्थियों और पीडीएफ लड़ाकों के बीच डर पैदा हो गया है.
त्रिची के एफएम रेडियो पर हिंदी का विरोध
आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) की त्रिची एफएम-102.1 सेवा द्वारा अप्रैल से अपने तमिल रात्रि प्रसारण को हिंदी कार्यक्रमों से बदल दिया गया था, लेकिन जब श्रोताओं की तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा तो हिंदी कार्यक्रम बंद कर दिए गए. आलोचकों का कहना था कि यह कदम बीजेपी-नीत केंद्र सरकार की तमिल भाषी क्षेत्र में हिंदी थोपने की मंशा का एक और उदाहरण है, खासकर जब नई शिक्षा नीति (एनईपी) की तीन-भाषा नीति और तमिल सरकारी स्कूलों में हिंदी पढ़ाने को लेकर विवाद अभी ठंडा नहीं हुआ है.
“द वायर” के अनुसार 9 अप्रैल से आकाशवाणी त्रिची दिन के समय तमिल में प्रसारण कर रहा था, लेकिन उसने रात 11 बजे से सुबह 5:50 बजे तक हिंदी में प्रसारण शुरू कर दिया. यह निर्णय प्रसार भारती द्वारा लिया गया बताया गया. चेन्नई के एफएम रेनबो-101.4 में भी जुलाई 2024 से यही पैटर्न अपनाया गया था, लेकिन राजनेताओं की आलोचना के बाद वहां भी तमिल कार्यक्रम बहाल करने की मांग उठी.
स्थानीय निवासी एन. पेरियासामी, जिन्होंने ऑल इंडिया रेडियो और प्रसार भारती को 20 से अधिक शिकायतें भेजी हैं, ने कहा, “एफएम गोल्ड के हिंदी शो रात में प्रसारित हो रहे हैं जबकि हमारे तमिल कार्यक्रम काट दिए गए हैं. मैंने 20 से अधिक शिकायतें भेजी हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.”
त्रिची एफएम-102.1 तमिलनाडु के शीर्ष व्यावसायिक राजस्व अर्जित करने वाले स्टेशनों में से एक है और दस जिलों तक पहुंच रखता है. हिंदी थोपने की चिंता के साथ-साथ यह भी डर है कि “त्रिची के प्रसारण को चेन्नई के एफएम रेनबो से जोड़ना, जो दिल्ली से कंटेंट रिले करता है, क्षेत्रीय कार्यक्रमों को और कमजोर कर देगा.” हालांकि, ताजा जानकारी के अनुसार, जनता और सांसद के दबाव के बाद 31 मई से रात के समय फिर से तमिल कार्यक्रम बहाल कर दिए गए हैं.
वैकल्पिक मीडिया से
सीमा पर चार दिन की जंग में 21 नागरिकों की मौत: पुंछ से पहलगाम तक बिखरे दुख के निशान
मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिवसीय संघर्ष में नियंत्रण रेखा (LoC) के पास रहने वाले इक्कीस नागरिकों की मौत हो गई. 10 मई को युद्धविराम के बाद जब देश आगे बढ़ गया, तो अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवार इस युद्ध की मानवीय कीमत को याद कर रहे हैं. 'आर्टिकल 14' ने जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती गांवों और कस्बों का दौरा किया और छह परिवारों, सिख, हिंदू और मुस्लिम से बातचीत की.
अमरजीत सिंह अपने घर की बालकनी में खड़े थे, जो पाकिस्तान की सीमा से लगभग चार किलोमीटर दूर है. वह आस-पास के लोगों को पाकिस्तानी ओर से हो रही गोलाबारी से बचने की चेतावनी दे रहे थे, जब एक गोले के टुकड़े उनकी छाती को चीरते हुए उनके फेफड़ों में जा घुसे. तंग गलियों से ऐंबुलेंस के पहुंचने की कोई संभावना नहीं थी. ऐसे में उनके भाई अतिंदर सिंह ने उन्हें गोद में उठाया और कुछ सौ मीटर दूर स्थित नजदीकी अस्पताल तक पैदल ले गए. जब उनकी सर्जरी चल रही थी, तो अस्पताल के बाहर गोलाबारी और बमों के धमाकों की आवाजें सुनाई दे रही थीं. परिवार के एक 61 वर्षीय सदस्य सुरजन सिंह ने बताया, “हमने 25 से 30 धमाके सुने. डॉक्टर भी डरे हुए थे. नवजात शिशु ऊपरी मंजिल पर थे, उन्हें दूसरी वार्ड में शिफ्ट किया गया.” उन्होंने 14 मई को कहा, “जब तक हम जिंदा हैं, इस युद्ध को नहीं भूल पाएंगे.” यह वह दिन था जब भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम लागू हुए चार दिन हो चुके थे. भारत में चार दिनों तक चली इस बमबारी में कुल 21 नागरिकों की मौत हुई- इनमें हिंदू, मुस्लिम और सिख समुदायों के लोग शामिल थे. मरने वालों में पांच बच्चे भी थे. यह युद्ध केवल सीमाओं पर नहीं, बल्कि घरों के भीतर तक आ गया था और जिन परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया, उनके लिए यह दर्द अब स्थायी हो चुका है.
रायगढ़ में दलित परिवार पर हमला, फिर सामाजिक बहिष्कार
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के पुसौर थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम ठाकुरपाली में दलित परिवारों पर जातिगत हमले, सामाजिक बहिष्कार और पुलिसिया निष्क्रियता का एक गंभीर मामला सामने आया है. 'द मूकनायक' की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस से की गई शिकायत के अनुसार 13 मई 2025 की रात लगभग 10:30 बजे ठाकुरपाली के प्रधान परिवार के सदस्य और अन्य लोग हथियारों से लैस होकर भगालू चौहान के घर में जबरन घुस गए. हमला सुनियोजित था. घर में तोड़फोड़ की गई, जातिसूचक गाली-गलौज और मारपीट की गई. भगालू की वृद्ध मां तुलसी बाई के साथ भी अभद्रता की गई. पुलिस को 14 मई को शिकायत दी गई और एफआईआर दर्ज हुई, लेकिन अब तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
युद्ध खत्म करने के लिए यूक्रेन को क्षेत्र छोड़ने और सेना घटाने की शर्तें माननी होंगी: रूस
रूस ने सोमवार को इस्तांबुल में हुई शांति वार्ता में यूक्रेन से कहा कि वह तभी युद्ध खत्म करेगा जब कीव बड़े क्षेत्र छोड़ देगा और अपनी सेना के आकार को सीमित करने के लिए राजी हो जाएगा. रूसी मीडिया द्वारा प्रकाशित एक ज्ञापन के अनुसार, यह मांगें रखी गईं. रूसी प्रस्तावों से यह स्पष्ट हुआ कि मास्को अब भी अपनी पुरानी युद्ध योजनाओं पर अड़ा हुआ है, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प यूक्रेन में “खूनी संघर्ष” समाप्त करने का आह्वान कर चुके हैं. हालांकि, यूक्रेन ने इन शर्तों को एक तरह की आत्मसमर्पण की मांग बताते हुए खारिज कर दिया है. दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों के बीच सिर्फ एक घंटे की बातचीत हुई. मार्च 2022 के बाद दूसरी बार. दोनों पक्षों ने अधिक युद्धबंदियों की अदला-बदली और 12,000 मृत सैनिकों के शव लौटाने पर सहमति जताई. तुर्की के राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोआन ने बैठक को “महत्वपूर्ण” बताया और उम्मीद जताई कि वे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की को तुर्की में ट्रम्प के साथ आमने—सामने की बैठक के लिए ला पाएंगे. हालांकि किसी युद्धविराम पर सहमति नहीं बनी, जिसे यूक्रेन, यूरोपीय देश और अमेरिका लगातार मांग रहे हैं.
यूक्रेनी जवाब और ज़ेलेंस्की की प्रतिक्रिया: यूक्रेनी रक्षा मंत्री रुस्तम उमेरोव ने कहा कि कीव ने शांति योजना का मसौदा तैयार किया है, जिसमें मांग की गई है कि उसकी सैन्य क्षमता पर कोई प्रतिबंध न लगाया जाए, रूस के कब्जे वाले क्षेत्रों पर उसकी संप्रभुता बरकरार रहे, और रूस से क्षतिपूर्ति की मांग की जाएगी. ज़ेलेंस्की ने एक ब्रीफिंग में बताया कि यूक्रेन ने रूस द्वारा कथित रूप से अपहृत 400 बच्चों की सूची सौंपी, लेकिन रूस सिर्फ 10 बच्चों को लौटाने पर सहमत हुआ. रूस का दावा है कि बच्चों को युद्ध क्षेत्र से बचाने के लिए हटाया गया.
रूस की प्रमुख मांगें :
क्रीमिया और यूक्रेन के चार अन्य क्षेत्रों (लुहान्स्क, दोनेत्स्क, ज़ापोरिज्ज़िया और खेरसॉन) को रूस का हिस्सा माने और अपनी सेना वहां से हटा लें.
यूक्रेन तटस्थ देश बने और नाटो में शामिल न हो.
रूसी भाषा को आधिकारिक दर्जा दे और रूसी भाषियों के अधिकारों की रक्षा करे.
नाज़ी विचारधारा के महिमामंडन पर कानूनी प्रतिबंध लगाए.
यूक्रेन ने इन मांगों को सिरे से खारिज कर दिया है.
रूस ने युद्धविराम के दो विकल्प पेश किए.
यूक्रेनी सेना उपरोक्त चारों क्षेत्रों से पूरी तरह हट जाए.
यूक्रेन विदेशी सैन्य सहायता, सैटेलाइट संचार और खुफिया जानकारी लेना बंद करे, मार्शल लॉ हटाए, और 100 दिनों में चुनाव कराए.
रूस ने यूक्रेन पर फिर किया हमला, कीव से बातचीत से पहले मचा तबाही का तांडव
'द गार्डियन' की रिपोर्ट है कि तुर्की में आज कीव और मास्को के बीच होने जा रही दूसरे दौर की सीधी बातचीत से पहले रूस ने यूक्रेन के कई हिस्सों में भीषण हमले किए हैं. दक्षिण-पूर्वी यूक्रेनी शहर ज़ापोरिझ्ज़िया के बाहर रूसी गोलाबारी और हवाई हमलों में पांच लोगों की मौत हो गई है. वहीं, देश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र सूमी में एक ड्रोन हमले में कम से कम छह लोग घायल हो गए हैं, जिनमें दो बच्चे भी शामिल हैं. यह जानकारी क्षेत्रीय अधिकारियों ने सोमवार सुबह दी. डोनेट्स्क के औद्योगिक क्षेत्र में स्थित कोस्त्यंतिनिवका कस्बे पर रविवार को हुए रूसी हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई, इसकी जानकारी डोनेट्स्क के गवर्नर वादिम फिलाश्किन ने आज सुबह टेलीग्राम पर साझा की. खेरसॉन क्षेत्र में भी स्थिति गंभीर रही, जहां रूसी हमलों में तीन लोगों की मौत हुई और कम से कम 19 अन्य घायल हो गए, जिनमें दो बच्चे भी शामिल हैं. खेरसॉन के गवर्नर ओलेक्ज़ेंडर प्रोकुड़िन ने आज सुबह टेलीग्राम पर अपने नियमित अपडेट में यह जानकारी दी. बातचीत से ठीक पहले किए गए इन हमलों से यूक्रेन में दहशत का माहौल है. ये हमला यूक्रेन के हाल ही में रूस पर ड्रोन अटैक के बाद किया गया है.
कोलोराडो में फिलीस्तीन समर्थक ने भीड़ पर मोलोतोव फेंके: इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट है कि कोलोराडो के बोल्डर शहर में रविवार को एक व्यक्ति ने “फ्री पैलेस्टाइन” चिल्लाते हुए एक स्वयंसेवी समूह की सभा पर देसी फ्लेमथ्रोवर और आग लगाने वाले उपकरण (मोलोटोव कॉकटेल) से हमला कर दिया. इस घटना में 8 लोग घायल हुए, जिनमें कुछ को गंभीर जलन हुई है. एफबीआई के अनुसार, 45 वर्षीय मोहम्मद साबरी सुलेमान को बोल्डर काउंटी जेल में हिरासत में लिया गया है. उस पर आतंकवादी हमले के आरोप तय किए जाने की संभावना है. यह हमला उस समय हुआ जब 'रन फॉर देयर लाइव्स' नामक समूह के लोग गाज़ा में बंधक बनाए गए इस्राइली नागरिकों की रिहाई के लिए अपने साप्ताहिक प्रदर्शन के अंत पर थे. घटना बोल्डर के प्रसिद्ध पर्ल स्ट्रीट मॉल पर हुई, जहां सप्ताहांत पर बड़ी संख्या में लोग आते हैं.
पोलैंड राष्ट्रपति पद पर दक्षिणपंथी उम्मीदवार की जीत लोकप्रियतावादी दक्षिणपंथी विपक्षी उम्मीदवार करोल नवरोकी ने पोलैंड के राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की है. उन्होंने यूरोप समर्थक प्रतिद्वंद्वी रफ़ाल त्रज़ास्कोव्स्की को बेहद करीबी मुकाबले में हराया. गार्डियन की रिपोर्ट है कि नवरोकी को रनऑफ (द्वितीय चरण) में 50.89% वोट मिले, जबकि त्रज़ास्कोव्स्की को 49.11%. नवरोकी की जीत डोनाल्ड टस्क के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार के लिए एक बड़ा झटका मानी जा रही है. यह परिणाम देश में मौजूदा राजनीतिक गतिरोध को और बढ़ा सकता है और यूरोप में पोलैंड की स्थिति को भी जटिल बना सकता है. यह नतीजा एक नाटकीय मोड़ के बाद सामने आया, क्योंकि मतदान समाप्त होते ही जारी पहला एग्ज़िट पोल त्रज़ास्कोव्स्की को 0.6 प्रतिशत अंकों की मामूली बढ़त के साथ विजयी बता रहा था, जिसके बाद उन्होंने खुद को विजेता घोषित कर दिया था. वहीं नवरोकी ने हार नहीं मानी और कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि अंतिम वोटों की गिनती में वह जीतेंगे. उन्होंने कहा, “हम जीतेंगे और पोलैंड को बचाएंगे. हमें आज रात जीतना ही होगा.” पिछले कुछ हफ्तों में चले इस तीखे और तल्ख चुनाव अभियान के दौरान दोनों उम्मीदवारों ने पोलैंड के लिए बिल्कुल भिन्न दृष्टिकोण पेश किए.
पीएसजी की जीत के बाद फ्रांस में हिंसा : चैंपियंस लीग फाइनल में पेरिस सेंट-जर्मेन की इंटर मिलान पर 5-0 से ऐतिहासिक जीत के बाद फ्रांस में जश्न के बीच हिंसा भड़क उठी. शनिवार रात पेरिस में चांप्स-एलीजे़ एवेन्यू पर जश्न के दौरान पुलिस और समर्थकों के बीच झड़पें हुईं. वाहनों को आग के हवाले किया गया और सड़कों पर जमकर हंगामा हुआ. गृह मंत्रालय के अनुसार, पेरिस में 491 लोगों के अलावा पूरे देश में 68 अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है. पुलिस 17 वर्षीय एक लड़के की चाकू से हत्या और एक 23 वर्षीय युवक की सड़क दुर्घटना में मौत की जांच कर रही है. इस हिंसा में बड़े पैमाने पर सुरक्षाकर्मी भी घायल हुए हैं. क्लब ने हिंसा की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह "जश्न का मौका है, न कि अव्यवस्था का." इस घटना को लेकर फ्रांस में राजनीतिक बहस भी तेज हो गई है, खासकर पुलिस की तैयारियों और व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं.
चलते-चलते
बॉम्बे हाई कोर्ट की अनुमति के बाद एम. एफ. हुसैन की 25 दुर्लभ पेंटिंग्स की नीलामी की तैयारी
‘डेक्कन हेरल्ड’ की खबर है कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने प्रख्यात चित्रकार एम. एफ. हुसैन की 25 दुर्लभ पेंटिंग्स की नीलामी की अनुमति दे दी है. ये पेंटिंग्स हुसैन की प्रसिद्ध श्रृंखला "अवर प्लेनेट कॉल्ड अर्थ" का हिस्सा हैं और 2004 में मुंबई स्थित पुंडोले आर्ट गैलरी में बनाई गई थीं. यह मामला नेशनल एग्रीकल्चरल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा दायर एक मध्यस्थता याचिका से जुड़ा है, जिसमें स्वारूप ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज से ₹104 करोड़ की वसूली की मांग की गई थी. इसमें से ₹73 करोड़ की वसूली अचल संपत्ति के माध्यम से की गई, जबकि शेष राशि की वसूली के लिए हुसैन की पेंटिंग्स को जब्त किया गया. न्यायमूर्ति जी. एस. पटेल ने आदेश दिया कि इन पेंटिंग्स को मुंबई के अंधेरी स्थित इंडसइंड बैंक की लॉकर से निकालकर वडाला स्थित फाइन आर्ट वेयरहाउस में सुरक्षित रखा जाए, ताकि उनकी गुणवत्ता और मूल्य में कोई हानि न हो. पुंडोले आर्ट गैलरी के मालिक डाडीबा पुंडोले ने अदालत को सूचित किया कि वे इन पेंटिंग्स की नीलामी के लिए एक विशेष कला नीलामी आयोजित करना चाहते हैं, जिसमें उचित प्रचार और कैटलॉगिंग की जाएगी, ताकि उच्चतम बोली प्राप्त की जा सके.
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