04/02/2025 : रुपया 87 पार, माफ़ी से मुकरा जज, त्रिकोणीय होता दिल्ली चुनाव, जनरैलों की नाक के नीचे टॉर्चर, बीरेन सिंह की टेप रिपोर्ट मैच, फॉक्सवेगन ने टैक्स के ख़िलाफ मुकदमा ठोंका, चंद्रिका टंडन कौन?
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आज की सुर्खियां | 4 फरवरी 2025
जब जज ने इजाज़त दी हैप्पी बर्थडे कहने की : हिंदू की रिपोर्टर बेतवा शर्मा ने ट्वीट में आज दिल्ली दंगों की वर्चुअल हो रही सुनवाई के दौरान जज समीर बाजपेयी ने खालिद सैफी की बेटी को इजाज़त दी कि वह अपने पिता को सालगिरह की बधाई दे सकें. खालिद सैफी दिल्ली दंगों की साजिश को लेकर पिछले पाँच साल से बिना जमानत के जेल में है. और सोमवार को ये सुनवाई आरोप तय करने को लेकर हो रही थी.
बेटी ने कहा, ‘ हैप्पी बर्थडे अप्पू जी!”
‘थैंक यू मेरा बच्चा, आई लव यू, बेटू.’, उन्होंने कहा.
‘आई मिस यू टू. आई मिस यू, अप्पू जी’
‘आई मिस यू टू. आई मिस यू ए लॉट.’
सैफी ने कहा. ‘आई एम नॉट क्राइंग, आई एम हैप्पी टू सी यू.’ (मैं रो नहीं रहा, मैं खुश हूँ तुम्हें देख कर).
सैफी, यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के सह-संस्थापक, को मार्च 2020 में यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था और तब से वे जेल में हैं. उन पर कई अधिकार कार्यकर्ताओं, मुस्लिम नेताओं और छात्रों के साथ मिलकर पूर्वोत्तर दिल्ली हिंसा के पीछे "साजिश" का हिस्सा होने का आरोप लगाया गया है, जिसमें 53 लोगों की जान चली गई थी, जिनमें ज्यादातर मुसलमान थे. हालांकि, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय सहित अधिकार समूहों का तर्क है कि आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं और इस मामले का उपयोग नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा भेदभावपूर्ण नागरिकता नीतियों के खिलाफ असंतोष को अपराधी घोषित करने के लिए किया जा रहा है.
रुपया 87 के पार : बजट पेश होने के तीसरे ही दिन सोमवार (बीच में इतवार था) को भारतीय रुपया 87 प्रति डॉलर के स्तर को पार कर गया, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा कनाडा, मैक्सिको और चीन पर टैरिफ लगाने के फैसले के बाद डॉलर मजबूत हुआ. डॉलर इंडेक्स 1.35% बढ़कर 109.83 पर पहुंच गया. एक सरकारी बैंक के डीलर ने 'बिजनेस स्टैंडर्ड' से कहा है कि टैरिफ का डर हकीकत में बदल गया है. इससे डॉलर की सुरक्षित निवेश के रूप में मांग बढ़ गई है. इधर, बाजार विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप कम करने के चलते रुपया और दबाव में रह सकता है.
मोदी ने कोशिश तो की, पर फेल हो गए : लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि भारत में बेरोजगारी का संकट दूर करने में सरकारें विफल रही हैं. चाहे वह यूपीए हो या फिर मौजूदा एनडीए सरकार. उन्होंने ‘मेक इन इंडिया’ का जिक्र करते हुए कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोष नहीं दे रहे हैं. यह कहना ठीक नहीं होगा कि मोदी ने कोशिश नहीं की. कोशिश तो की, लेकिन मोदी फेल हो गए.
सीईसी पर ऐसी बैठक का क्या मतलब : राहुल गांधी ने नए मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया का मुद्दा भी उठाया. कहा, “कुछ ही दिनों के भीतर मुझे एक बैठक में जाना है, जिसमें अमित शाह (गृह मंत्री) और नरेंद्र मोदी उपस्थित रहेंगे (नए मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन करने के लिए). लेकिन ऐसी बैठक का क्या मतलब?” नियमों को बदल दिया गया है. प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और सीजेआई चुनाव आयुक्त का चयन करते थे. सीजेआई को चयन प्रक्रिया से क्यों हटाया गया?
सोनिया गांधी, पप्पू यादव के खिलाफ विशेषाधिकार का नोटिस : भाजपा सांसदों ने सोमवार को विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव की दो सूचनाएं दीं. एक, कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी के खिलाफ राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को ‘पुअर लेडी और टायर्ड’ बोलने के लिए और दूसरा पप्पू यादव के खिलाफ राष्ट्रपति के बजट अभिभाषण को ‘लव लैटर’ बताने के लिए.
खड़गे ने कहा, महाकुंभ भगदड़ में हजारों मरे : बजट सत्र के तीसरे दिन सोमवार को संसद के उच्च सदन राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की एक टिप्पणी पर खासा हंगामा हुआ. दरअसल, खड़गे ने कह दिया, “प्रयागराज महाकुंभ में 29 जनवरी को मची भगदड़ में मारे गए हजारों लोगों को मेरी श्रद्धांजलि.” इस पर सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आपत्ति की और खड़गे से अपनी टिप्पणी वापस लेने के लिए कहा. लेकिन खड़गे ने यह कहकर इनकार कर दिया कि यह मेरा अनुमान है. यदि संख्या सही नहीं है तो सरकार को बताना चाहिए कि सच्चाई क्या है. मैंने किसी को दोषी ठहराने के लिए हजारों नहीं कहा, लेकिन कितने लोग मारे गए और कितने लापता हैं, यह जानकारी तो दीजिए. अगर मैं गलत हुआ तो माफी मांगूगा.
भगदड़ पर याचिका सुनने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार : इधर सुप्रीम कोर्ट ने महाकुंभ में भगदड़ से हुई मौतों के मामले में दायर एक याचिका को सुनने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष जाने के लिए कहा. हालांकि सीजेआई संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने टिप्पणी की कि यह घटना चिंताजनक और दुर्भाग्यपूर्ण थी.
माफ़ी मांगने की बात से मुकर गये जज : विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के एक कार्यक्रम में जस्टिस शेखर कुमार यादव ने खुलकर सांप्रदायिक बातें कहीं थीं. इसके बाद उन्होंने सबके सामने माफी माँगने का वादा किया था, लेकिन ऐसा नहीं किया. पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज हृषिकेश रॉय ने यह जानकारी दी है. वे उस कॉलेजियम (न्यायाधीशों के समूह) का हिस्सा थे, जिन्होंने यादव से बातचीत की थी. रॉय ने "बार एंड बेंच" को इंटरव्यू में बताया कि यादव ने निजी तौर पर कहा था, "मैं कॉलेजियम के सभी 5 जजों से माफी माँगने को तैयार हूँ." लेकिन उन्हें समझाया गया कि अकेले कमरे में माफी माँगने से काम नहीं चलेगा, इसे सार्वजनिक रूप से करना होगा. यादव ने हाँ भी कर दी, मगर आखिर में उन्होंने माफी नहीं माँगी.
बीमार माँ से मिलने के लिए वीज़ा नहीं : अमेरिका में रहने वाली जाति-विरोधी कार्यकर्ता और पूर्व निर्वाचित प्रतिनिधि क्षमा सावंत ने भारत सरकार पर उनकी बेंगलुरु में बीमार माँ से मिलने के लिए वीजा देने से इनकार करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि यह "भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की राजनीतिक प्रतिक्रिया" है. सावंत ने कहा, "मोदी सरकार ने अन्य कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के साथ भी ऐसा ही किया है, उन्हें भारत आने से रोका या उनके वीजा रद्द किए हैं." उन्होंने बताया कि उनकी 82 वर्षीय माँ की सेहत तेजी से बिगड़ रही है. सावंत ने आगे कहा, "मेरे समाजवादी सिएटल सिटी काउंसिल कार्यालय ने भारत के दक्षिणपंथी, मजदूर-विरोधी और मुस्लिम-विरोधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी राष्ट्रवादी भाजपा सरकार के खिलाफ मजबूत रुख अपनाया था. मोदी और भाजपा ने मजदूरों, किसानों, मुसलमानों और अन्य उत्पीड़ित समूहों पर लगातार हमले किए हैं, जिसमें मुस्लिम-विरोधी और गरीब-विरोधी सीएए-एनआरसी कानून भी शामिल है, जिसने लाखों लोगों को नागरिकता से वंचित कर दिया."
आजादी के बाद पहली बार सरंक्षित बैगा जनजाति की महिला लड़ेगी चुनाव : छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के बोड़ला ब्लाक के गांव केसदा में रहने वाली संरक्षित आदिवासी बैगा समुदाय की एक महिला जगनी बैगा को आजादी के बाद पहली बार किसी राष्ट्रीय पार्टी की तरफ से जिला पंचायत सदस्य चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया गया है. हालांकि यह चुनाव गैरदलीय आधार पर हो रहे हैं, मगर इन्हें कांग्रेस ने समर्थन दिया है. वनक्षेत्र में रहने वाली बैगा जनजाति के लोग दशकों से अपनी समस्याओं से जूझ रहे हैं. बैगा आदिवासियों की हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज के युग में भी ये पीने के पानी के लिए झिरिया पर निर्भर हैं.
हरकारा की पाठकों/श्रोताओं से अपील
चुनावी सरगर्मियां
दिल्ली धीरे- धीरे त्रिकोणीय होता हुआ, आप का गिरता ग्रॉफ, भाजपा उठती हुई, कांग्रेस की वापसी
दिल्ली चुनावों को लेकर स्क्रॉल में आयुष तिवारी की रिपोर्टिंग में यह सामने आया कि इस बार दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में आप सरकार को लेकर असंतोष है. सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 2015 और 2020 में लगभग 70% वाल्मीकि और जाटवों तथा 83% मुस्लिमों का वोट आप को मिला था. लेकिन इस बार के चुनाव में कुछ अलग देखने को मिल सकता है. नागरिक सुविधाओं की स्थिति से कई लोग ‘आप’ से नाखुश जरूर हैं, लेकिन कल्याणकारी उपायों की आस में अब भी उससे छिटके नहीं हैं. वहीं नरेंद्र मोदी सरकार के दो कार्यकालों के बाद भी कई लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, ऐसे में भाजपा के लिए भी ये मतदाता चुनौती बने हुए हैं. इनकी सबसे बड़ी समस्या है पीने के पानी की हमेशा बनी रहने वाली कमी और झुग्गी हटने का डर. वहीं मुस्लिम समुदाय इस बार कांग्रेस की तरफ झुक रहा है और वो आप पर ‘हिंदुत्व के सामने चुप रहने’ का आरोप लगा रहा है.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बुधवार 5 फरवरी को मतदान होगा. आप तीसरी बार सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है तो भाजपा 23 साल की हार का सिलसिला तोड़ने की आशा में है. वहीं कांग्रेस चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में है. इंडिया टुडे प्रिया पारीक के अनुसार, इस बार दिल्ली चुनाव में पांच फैक्टर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.
मध्यवर्ग : दिल्ली में 67% से ज़्यादा घर मध्यम वर्ग के हैं और चुनावी तौर पर इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. आम बजट 2025-26 में मध्यवर्ग के लिए की गई घोषणाओं से भाजपा को दिल्ली चुनाव में मदद मिल सकती है.
दलित और मुसलमान : दिल्ली के मतदाताओं में मुसलमान 12.68% और दलित 16.92% हैं. मुख्य रूप से झुग्गियों और बस्तियों में बसे दलित हालिया सालों में ‘आप’ के साथ रहा है, लेकिन अब रविवार को पीएम नरेंद्र मोदी की घोषणा कि झुग्गियों को नहीं हटाया जाएगा, अगर असर करती है तो दलित वोट में भाजपा सेंधमारी कर सकती है. वहीं पिछले दोनों विधानसभा चुनावों में मुस्लिम आप के साथ रहा है. कांग्रेस के प्रयासों के बावजूद उनके आप के साथ जाने की उम्मीद है.
मुफ़्त सुविधाएँ : इस बार चुनावी घोषणापत्र में आप, कांग्रेस और भाजपा सभी ने मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए ढेर सारे फ्रीबीज के वादे किये हैं. ‘आप’ ने मुफ़्त बिजली, पानी और नकद हस्तांतरण पर ज़ोर दिया है, जबकि भाजपा ने इस बार इन वादों की बराबरी की है. अब यह जनता पर है कि वह किसके वादे पर भरोसा करती है.
महिलाएँ : भारत की आबादी में महिलाओं की हिस्सेदारी 48% है. उनका चुनावी प्रभाव तेज़ी से बढ़ रहा है. राष्ट्रीय राजधानी में 71.7 लाख से ज़्यादा महिला मतदाता हैं. दोनों दल आप और बीजेपी ने ने इन्हें लुभाने के लिए क्रमश: 2100 व 2500 रुपये मासिक हस्तांतरण का वादा किया है.
चेहरा : आप से मुख्यमंत्री का चेहरा अरविंद केजरीवाल हैं तो वहीं भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नाम पर वोट मांग रही है. उसने दिल्ली सीएम उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है.
सभी पार्टियों ने की फ्रीबीज की घोषणाएं
इस बार सभी राजनीतिक दलों ने मुफ़्त बिजली, महिलाओं को नकद हस्तांतरण, मुफ़्त बस यात्रा, छात्रों के लिए छात्रवृत्ति, पेंशन और बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य सेवा लाभ को शामिल किया है. केंद्र सरकार ने बजट में मध्यम वर्ग के लिए 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं लगाने की घोषणा की है.
दिल्ली चुनाव में फर्जी ओपिनियन पोल में भाजपा विजयी : इस बीच सोशल मीडिया पर एबीपी न्यूज़ के नाम से एक फर्जी जनमत सर्वेक्षण वायरल हो रहा है. इसमें दिल्ली चुनाव में भाजपा को जीत मिलती दिखाई गई है. इसके अनुसार, भाजपा को 47 सीटें, आप को 17 सीटें और कांग्रेस को 6 सीटें मिलने का अनुमान है. द प्रिंट ने इसका फैक्ट चेक किया है और एबीपी ने इस पर स्पष्टीकरण देते हुए इसे फर्जी बताया है.
जनरैलों की निगरानी में हुई यातना और मौत
कैरेवन के लिए जतिंदर कौर तूर ने एक खोजी रपट की है. इसमें पता चला है कि जम्मू-कश्मीर के पुंछ में आतंकवादी हमले के बाद दो उच्च पदस्थ जनरलों ने नागरिकों की यातना और हत्या को सुपरवाइज किया था. 21 और 22 दिसंबर, 2023 के बीच सेना ने ‘ऑपरेशन पंगाई’ को अंजाम दिया. इसका उद्देश्य आतंकवादियों को पकड़ना था, लेकिन यह एक सामूहिक यातना कार्यक्रम में बदल गया. रिपोर्ट के अनुसार, आतंकवादियों ने सेना के काफिले पर हमला कर चार सैनिकों की हत्या कर दी और दो सैनिकों का सिर काट दिया था. इसके बाद लेफ्टिनेंट जनरल संदीप जैन और मेजर जनरल मनीष गुप्ता ने डेरा की गली में इको कंपनी बेस से यह ऑपरेशन चलाया. इस ऑपरेशन के कारण राजौरी और पुंछ जिलों के गुज्जर समुदाय के 26 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जहाँ उन्हें तीन सैन्य चौकियों में गंभीर यातनाएँ दी गईं. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, इनकी बेरहमी से पिटाई की गई, मिर्च पाउडर डाले गए, पानी में डुबाया गया और बिजली के झटके दिए गए. यातना के कारण तीन नागरिकों की मौत हो गई. यातना का वीडियो ऑनलाइन लीक हो जाने की वजह से लोगों में आक्रोश फैल गया. मारे गए वे तीन नागरिक थे : शौकत हुसैन, सफीर अहमद और शबीर हुसैन.
ट्रुथ लैब के मुताबिक ऑडियो टेप्स से 93% मेल खाती है सीएम बीरेन सिंह की आवाज़
मणिपुर में जारी जातीय हिंसा से जुड़ी कुछ ऑडियो टेप्स, जिनमें कथित तौर पर राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की आवाज़ है, को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब (सीएफएसएल) की रिपोर्ट मांगी है. हालांकि याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा, “ऑडियो टेप्स ट्रुथ लैब द्वारा जांचे गए हैं और ये बीरेन सिंह की आवाज़ से 93 फीसदी मेल खाते हैं.” “डेक्कन हेराल्ड” में आशीष त्रिपाठी की रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने यद्यपि याचिकाकर्ता संगठन के वकील प्रशांत भूषण से कहा, “राज्य में हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं, लिहाजा इस मामले को ‘होल्ड’ पर रखा जा सकता है.” बता दें, मई 2023 में शुरू हुई जातीय हिंसा में अब तक 200 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और अनेक परिवार बेघर हो गए हैं.
कुकी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ने कोर्ट की निगरानी में इन ऑडियो टेप्स की जांच कराने की मांग की थी. दावा किया गया था कि ऑडियो में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह कह रहे हैं कि उन्होंने ‘मैतई समुदाय को हथियार लूटने, हिंसा भड़काने की अनुमति दी और उन्हें गिरफ़्तारी से बचाया.’
सुप्रीम कोर्ट ने सीएफएसएल की रिपोर्ट मांगी
सोमवार 3 फरवरी को सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई की. वरिष्ठ वकील भूषण ने दावा किया कि मुख्यमंत्री की टिप्पणियों को 'संयोग से' एक व्यक्ति ने रिकॉर्ड कर लिया था, जो बंद कमरे में हुई बैठक में मौजूद था. उन्होंने जोर देकर कहा कि ये एक ‘गंभीर मुद्दा’ है जिसमें मुख्यमंत्री पर जातीय हिंसा भड़काने और बढ़ावा देने का आरोप है.
मामले में राज्य की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें दीं. मेहता ने कहा, “याचिकाकर्ता को पहले हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए. इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और जांच चल रही है. जांच एजेंसी ने सत्यापन के लिए उन ट्विटर अकाउंट से भी संपर्क किया है, जिन्होंने ऑडियो अपलोड की थीं. टेप को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है.” मेहता ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जजों के पैनल ने भी कुछ ऐसे नागरिक समाज संगठनों के बारे में चिंता जताई है, जो इस मामले को खत्म नहीं होने देना चाहते हैं. “द वायर” में संगीता बरुआ पिशारोती की रिपोर्ट के मुताबिक भूषण का कहना था कि ट्रुथ लैब की जांच रिपोर्ट किसी भी सरकारी एजेंसी की रिपोर्ट से ‘ज्यादा विश्वसनीय’ होती है. यहां तक कि सरकारी एजेंसियां जैसे कि सीबीआई और सीएफएसएल खुद ट्रुथ लैब से संपर्क करती हैं, जिसे पूर्व मुख्य न्यायाधीश एम. एन. वेंकटचेलैय्या की अध्यक्षता में स्थापित किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी ट्रुथ लैब की कई सत्यापन रिपोर्टों को स्वीकार किया है." इस बीच याचिकाकर्ता संगठन के अध्यक्ष एच.एस. बेंजामिन मेट ने बताया कि उन्हें मणिपुर पुलिस द्वारा परेशान किया गया है क्योंकि उन्होंने रिट याचिका दायर की थी और इसलिए वह “सुरक्षा कारणों से छिपे हुए हैं.” अब मामले की अगली सुनवाई 24 मार्च, 2025 को की जाएगी.
संख्यात्मक
1,737.68 करोड़ रुपये लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा का खर्च
चुनाव आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनावों में 1,737.68 करोड़ रुपये खर्च किए, जो सात विपक्षी दलों के संयुक्त खर्च से भी अधिक है. 2019 में भाजपा ने 1,264.33 करोड़ रुपये खर्च किये थे. 2024 चुनाव में यह वृद्धि 37% है. इसमें सामान्य पार्टी प्रचार के लिए 1,492.39 करोड़ रुपये और 441 उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के लिए 245.29 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. इसके विपरीत, कांग्रेस ने अपने 328 उम्मीदवारों के साथ सिर्फ 686.19 करोड़ रुपये खर्च किए, जो 2019 से 16.4% कम. बंगाल और तमिलनाडु में सत्तारूढ़ पार्टियों टीएमसी और डीएमके ने क्रमशः 147 करोड़ रुपये और 145 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि सीपीआई (एम) और अन्य छोटी पार्टिर्यों ने केवल 25 करोड़ रुपये या उससे भी कम खर्च की. भाजपा के खर्च का एक बड़ा हिस्सा 611.50 करोड़ रुपये सिर्फ विज्ञापनों पर किया. इसमें 156.95 करोड़ रुपये गूगल इंडिया और 24.63 करोड़ रुपये फेसबुक को दिए गए.
केंद्रीय मंत्री की जातिवादी टिप्पणी: केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री सुरेश गोपी ने कहा कि आदिवासी कल्याण के मामलों में वास्तविक प्रगति तभी हो सकती है जब कोई उच्च जाति का व्यक्ति मंत्रालय संभाले. उन्होंने यह टिप्पणी नई दिल्ली में एक चुनाव प्रचार सभा में की. जब उनकी टिप्पणी की आलोचना हुई तो अपने बयान से पलटते हुए दावा किया, “मेरा बयान अच्छे इरादे से दिया गया था. अगर मेरी टिप्पणी को सही रूप में नहीं लिया गया है तो मैं अपनी टिप्पणी वापस लेता हूं."
2000 में बैन चीनी ब्रांड शेन भारत में दबे पांव वापस
भारत सरकार ने 2020 में चीन के साथ सीमा तनाव के दौरान डेटा सुरक्षा को लेकर टिकटॉक जैसे कई चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था. फैशन ब्रांड शेन उनमें से एक था. वह वापस भारत आ गया है. अबकी बार मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस के साथ. रॉयटर्स के मुताबिक, रिलायंस ने यह ऐप थोड़ा दबे पांव लॉन्च किया है, हालांकि कंपनी या शेन की तरफ से अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. मुकेश अंबानी की रिटेल कंपनी द्वारा सप्ताहांत में लॉन्च किया गया यह ऐप, मोदी सरकार के चीनी कंपनियों के प्रति सख्त रुख में बड़े बदलाव को दिखाता है. 2020 में चीन के साथ रिश्ते खराब होने के बाद शेन पर लगा प्रतिबंध अब एक लाइसेंसिंग समझौते के तहत हट गया लगता है.
फॉक्स वेगन ने 11600 करोड़ रुपये के टैक्स के खिलाफ़ भारतीय अधिकारियों पर मुकदमा ठोंका
जर्मनी की दिग्गज ऑटो कंपनी फॉक्सवेगन ने भारतीय कर अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दायर किया है, ताकि 1.4 बिलियन डॉलर (लगभग 11,600 करोड़ रुपये) के टैक्स डिमांड को रद्द कराया जा सके. कंपनी का कहना है कि यह कर मांग "असंभव रूप से विशाल" है और भारत के आयात कर नियमों के विपरीत है, जिससे उसके व्यवसायिक योजनाओं पर बुरा असर पड़ेगा. फॉक्सवेगन की भारतीय इकाई स्कोडा ऑटो फॉक्सवेगन इंडिया ने मुंबई हाई कोर्ट में दायर 105 पन्नों की याचिका में तर्क दिया है कि यह कर विवाद कंपनी के भारत में किए गए 1.5 बिलियन डॉलर (12,500 करोड़ रुपये) के निवेश को खतरे में डाल सकता है. याचिका में कहा गया है कि यह मामला भारत में विदेशी निवेश के माहौल को भी प्रभावित कर सकता है. हालांकि यह दस्तावेज़ सार्वजनिक नहीं है, लेकिन 'रायटर्स' ने इसकी समीक्षा की है. कंपनी का कहना है कि भारत के मौजूदा आयात कर नियमों के अनुसार, इस तरह की कर मांग तर्कसंगत नहीं है. अगर यह विवाद नहीं सुलझा, तो फॉक्सवेगन की भारत में विस्तार योजनाओं पर बुरा असर पड़ सकता है.
नेतन्याहू ट्रम्प से मिलने निकले, हमास पुतिन से
इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिका की यात्रा पर हैं, जहां वे गाजा में संघर्षविराम के दूसरे चरण पर डोनल्ड ट्रम्प से चर्चा करेंगे. 'द गार्डियन' की रिपोर्ट है कि नेतन्याहू ने कहा है कि हमास के साथ संघर्षविराम समझौता अभी पूरा नहीं हुआ है और इसे अंतिम रूप देने पर काम जारी है. उधर हमास की राजनीतिक शाखा के उप प्रमुख मूसा अबू मरज़ौक़ एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मास्को रवाना हुए हैं. रूस के रिश्ते मिडिल ईस्ट में सभी प्रमुख ताकतों के साथ अच्छे हैं. इजरायल के साथ साथ ईरान, लेबनान, पीएलए और हमास. एएफ़पी की एक रिपोर्ट में हमास के अधिकारियों ने कहा है कि- "हमास ने मध्यस्थों को विशेष रूप से पिछले सप्ताह काहिरा में मिस्र के मध्यस्थों के साथ हुई बैठकों और चल रही बातचीत के दौरान सूचित कर दिया है कि हम दूसरे चरण की वार्ता शुरू करने के लिए तैयार हैं. हम मध्यस्थों द्वारा वार्ता के अगले दौर की शुरुआत का इंतजार कर रहे हैं." हमास ने कहा है कि वह दूसरे चरण में छोड़े जाने वाले बंधकों को तब तक रिहा नहीं करेगा जब तक युद्ध पूरी तरह समाप्त नहीं होता और इज़राइली सेना पूरी तरह से गाजा से नहीं हट जाती.
लड़कियों को पढ़ाने की वकालत की, मंत्री को छोड़ना पड़ा अफ़गानिस्तान
तालिबान के एक वरिष्ठ मंत्री मोहम्मद अब्बास स्तानिकज़ई ने अपनी ही सरकार की लड़कियों के लिए माध्यमिक और उच्च शिक्षा पर लगाए गए प्रतिबंध की कड़ी आलोचना की. हालांकि, इसके बाद हालात इतने खराब हो गए कि उन्हें देश छोड़कर दुबई भागना पड़ गया. उन्होंने अपने भाषण में कहा था- 'इसके लिए कोई बहाना नहीं है. न अब और न ही भविष्य में. हम 2 करोड़ लोगों के साथ अन्याय कर रहे हैं. पैगंबर मोहम्मद के समय में, ज्ञान के द्वार पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए खुले थे. तब इतनी महान महिलाएं थीं कि यदि मैं उनकी उपलब्धियों का विस्तार से वर्णन करूँ, तो यह काफी लंबा समय लेगा." इस भाषण के बाद स्तानिकज़ई के आलोचनात्मक रवैये की खबरें सामने आने लगीं. रिपोर्ट के अनुसार तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा ने इसके बाद उनके खिलाफ गिरफ्तारी का आदेश जारी किया. इसके चलते स्तानिकज़ई को अफगानिस्तान छोड़कर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जाना पड़ा है. बता दें कि साल 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के शिक्षा, रोजगार, यात्रा और सार्वजनिक रूप से उपस्थिति दर्ज कराने के अधिकारों पर भारी पाबंदियां लगाई गई हैं.
ट्रम्प की धमकी, ईयू के तीख़े तेवर
‘द गार्डियन’ की खबर है कि यूरोपीय संघ के नेताओं ने कहा कि वे वाशिंगटन के साथ बातचीत का समर्थन करते हैं, लेकिन अगर अमेरिका ने यूरोप पर अनुचित टैरिफ लगाए, तो ईयू एकजुट और सशक्त प्रतिक्रिया देगा. यूरोपीय संघ (ईयू ) अपने हितों की रक्षा करेगा यदि उन्हें निशाना बनाया गया, ऐसा फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा है. उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ के नेताओं ने वार्ता का समर्थन किया, लेकिन यदि आवश्यक हुआ तो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने की धमकी के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया देने को ईयू को तैयार रहना होगा. उन्होंने कहा कि अमेरिका के नए राष्ट्रपति के प्रशासन के हाल के "फैसले और बयान" यूरोपीय संघ को अधिक एकजुट और सक्रिय बनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, ताकि सामूहिक सुरक्षा से जुड़े मुद्दों का जवाब दिया जा सके. जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्ज़ ने कहा कि ईयू अमेरिका द्वारा लगाए गए किसी भी व्यापार शुल्क का सामना करने के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत है, लेकिन "लक्ष्य सहयोग सुनिश्चित करना होना चाहिए." यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काजा कैलास ने कहा कि व्यापार युद्ध में "किसी को भी जीत नहीं मिलेगी." ऐसे ही पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने व्यापार युद्ध को "पूरी तरह से गलत कदम" बताया और कहा कि "रूसी खतरे और चीनी विस्तार के बीच हमें अपने सहयोगियों से लड़ने से बचना चाहिए." डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन ने कहा, "हम आमतौर पर सहयोगियों से संघर्ष का समर्थन नहीं करते, लेकिन यदि ट्रंप प्रशासन यूरोप पर कड़े टैरिफ लगाता है, तो हमें एक सामूहिक और सशक्त प्रतिक्रिया देनी होगी." आयरलैंड के प्रधानमंत्री माइकल मार्टिन ने कहा कि "ईयू और अमेरिका को व्यापार पर रचनात्मक रूप से काम करना चाहिए, क्योंकि संरक्षणवाद से सभी नागरिकों को नुकसान होगा." फिनलैंड के प्रधानमंत्री पेटेरी ओरपो ने कहा कि यूरोप को ट्रंप के साथ व्यापार वार्ता करनी चाहिए. उन्होंने कहा, "मैं युद्ध शुरू नहीं करना चाहता, मैं बातचीत शुरू करना चाहता हूँ."
सीरिया में कार बम धमाका, 20 की मौत : अल जजीरा की खबर है कि उत्तरी सीरिया के मनबिज शहर के बाहरी इलाके में हुए एक कार बम धमाके में कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए. सोमवार को हुआ यह विस्फोट देश में अब तक का सबसे घातक हमला है, खासकर पिछले साल दिसंबर में राष्ट्रपति बशर अल-असद के पतन के बाद.
चलते चलते :
71 साल की उम्र में ग्रैमी, पर ‘त्रिवेणी’ चंद्रिका की पहली उपलब्धि नहीं..
भारतीय-अमेरिकी गायिका और उद्यमी चंद्रिका टंडन ने अपने एल्बम "त्रिवेणी" के लिए 'बेस्ट न्यू एज, एम्बिएंट या चैंट एल्बम' श्रेणी में ग्रैमी पुरस्कार जीता है. यह चंद्रिका के लिए पहला ग्रैमी है, जिन्होंने पहले के ग्रैमी जीते हुए भारतीय संगीतकार रिकी केज और पंडित रविशंकर की सितारवादक बेटी और कम्पोजर अनुष्का शंकर जैसे प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़ते हुए यह सम्मान हासिल किया. त्रिवेणी तीन लोगों ने मिल कर तैयार किया है, जिसमें दक्षिण अफ्रीका के बांसुरीवादक वूटर केलरमैन और जापान के चैलिस्ट इरू मात्सुमोतो ने टंडन के साथ एल्बम बनाया है. टंडन ने इसमें संस्कृत मंत्रों का गायन किया है. इस एल्बम को यहां स्पोटीफाई पर सुन सकते हैं. बल्कि सुन ही लीजिए. थोड़ी शांति देगा. 71 साल की चंद्रिका कृष्णमूर्ति टंडन के लिए ग्रैमी जीतना उनकी उपलब्धियों की लंबी सूची में एक और मील का पत्थर है. वह एक व्यवसायी, फिलेन्थ्रोपिस्ट और मैकिन्ज़ी एंड कंपनी में पार्टनर बनने वाली पहली भारतीय-अमेरिकी महिला भी हैं. हालाँकि, कुछ हलकों में वह पूर्व पेप्सिको सीईओ इंद्रा नूयी की बड़ी बहन के रूप में भी जानी जाती हैं. उनका जन्म 1954 में मद्रास (अब चेन्नई) के एक रूढ़िवादी तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ. वह तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं, जिनमें उनकी छोटी बहन इंद्रा नूयी शामिल हैं. चंद्रिका ने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज और भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) अहमदाबाद से उच्च शिक्षा प्राप्त की. और यहाँ ग्रैमी जीतने के मौके पर..
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