04/06/2025: इसलिए उठाया सीज़ फायर का फ़ोन | राहुल का मोदी के लिए 'सरेन्डर नरेन्दर'| भाजपाई होटल में सैक्स रैकेट | नन को बजरंगियों ने ट्रेन से उतारा | सिंदूरी आईपीएल में आरसीबी जीता
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां :
ट्रम्प ने कहा, “नरेंदर सरेंडर”, और दबाव में झुक गए मोदी जी : राहुल गांधी
“पैसा, पॉलिसी, प्रीमियम आपका — सुरक्षा, सुविधा, फ़ायदा अडानी का!”
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विशेष सत्र बुलाने 16 दलों का मोदी को पत्र
ट्रम्प ने कहा, “नरेंदर सरेंडर”, और दबाव में झुक गए मोदी जी : राहुल गांधी
“पैसा, पॉलिसी, प्रीमियम आपका — सुरक्षा, सुविधा, फ़ायदा अडानी का!”
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विशेष सत्र बुलाने 16 दलों का मोदी को पत्र
'नुकसान बहुत होता, इसलिए पाकिस्तान ने फ़ोन उठाया और सीज़ फायर की बात की' : सीडीएस
शहबाज को भारत की तरफ से हमले का डर नहीं, ट्रम्प फैक्टर पर भरोसा जताया
भाजपा नेता चौरसिया के जबलपुर होटल में बड़ा सेक्स रैकेट, रसूखदारों को सप्लाई होती थी कोलकाता, असम, झारखंड, छतीसगढ़ से लड़कियां
रामदेव की पतंजलि पर 273.50 करोड़ की पेनाल्टी, हाईकोर्ट में चुनौती खारिज
जिम में मुसलमान नहीं, थानेदार का वीडियो वायरल
29 वर्षीय नन को बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने ट्रेन से उतारा, झूठे आरोपों में 18 घंटे हिरासत में
‘कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा’, हाईकोर्ट ने पनौली की जमानत याचिका खारिज की
कमल हासन का माफी मांगने से इनकार
लद्दाख : सरकारी नौकरियों में 85% आरक्षण
सम्भल में सार्वजनिक स्थानों पर कुर्बानी की अनुमति नहीं
नौ रैलियों में मोदी ने क्या कहा, क्या नहीं
मस्क की एक कंपनी की भारत में दिलचस्पी नहीं, पर दूसरी कंपनी में भारत की है
क्या आप मोदी के नाम का सिंदूर लगाएंगे? क्या यह वन नेशन, वन हसबैंड स्कीम है?
तो ये थी यूक्रेन की रूस को ‘घर में घुसकर मारने’ की पूरी कहानी!
गाज़ा में इज़रायली सेना की गोलीबारी, 27 फिलीस्तीनियों की मौत
खत्म हुआ 17 साल का इंतजार, आरसीबी बना आईपीएल का नया चैंपियन
ट्रम्प ने कहा, “नरेंदर सरेंडर”, और दबाव में झुक गए मोदी जी : राहुल गांधी
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला करते हुए उन पर पाकिस्तान के साथ हालिया संघर्ष के दौरान अमेरिका के दबाव में झुकने का आरोप लगाया. भोपाल में मध्यप्रदेश कांग्रेस के एक सम्मेलन में बोलते हुए, गांधी ने मोदी को “नरेंदर सरेंडर” कहकर संबोधित किया और दावा किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम केवल तब हुआ जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने फोन किया. उन्होंने कहा, “बीजेपी-आरएसएस वालों को अब मैं अच्छी तरह जानता हूं, इन पर थोड़ा सा दबाव डालो, थोड़ा सा धक्का मारो, डर के भाग जाते हैं ये लोग. जैसे उधर से ट्रम्प ने एक इशारा किया, फोन उठाया, कहा- मोदीजी क्या कर रहे हो? नरेंदर, सरेंडर. और, जी हुजूर करके नरेंद्र मोदीजी ने ट्रम्प के इशारे का पालन किया.”
राहुल गांधी ने इतिहास का भी जिक्र किया और मोदी की प्रतिक्रिया की तुलना 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से की. उन्होंने कहा, “उस समय कोई फोन कॉल नहीं आया था, अमेरिका ने अपना सातवां बेड़ा, हथियार और एयरक्राफ्ट कैरियर भेजा था. लेकिन इंदिरा गांधी डटी रहीं और कहा कि वह जो करना चाहेंगी, करेंगी. यही फर्क है उनके (आरएसएस और बीजेपी) और हमारे (कांग्रेस) बीच. कांग्रेस पार्टी कभी सरेंडर नहीं करती, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल के समय से ही हम वो लोग हैं जो कभी सरेंडर नहीं करते, बल्कि महाशक्तियों से लड़ते हैं.”
'द वीक' की रिपोर्ट है कि राहुल गांधी की प्रधानमंत्री मोदी पर की गई टिप्पणी को लेकर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और कांग्रेस नेता पर “असभ्य” टिप्पणी करने का आरोप लगाया है. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा - “राहुल गांधी के शब्द उनके संस्कारों को दर्शाते हैं. वह देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ इस तरह की अशोभनीय टिप्पणी करते हैं. लेकिन राहुल गांधी से और क्या उम्मीद की जा सकती है, जिसका दिल पाकिस्तान के लिए धड़कता है. क्योंकि जब वह अपनी दादी (इंदिरा गांधी) की प्रतिमा को पुष्पांजलि अर्पित करते हैं, तब भी जूते नहीं उतारते.” भाजपा ने इसे राहुल गांधी की “राजनीतिक परिपक्वता की कमी” और “भारत विरोधी झुकाव” का प्रमाण बताया.
“पैसा, पॉलिसी, प्रीमियम आपका — सुरक्षा, सुविधा, फ़ायदा अडानी का!”
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) द्वारा हाल ही में अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड (एपीएसईज़ेड) में किए गए निवेश पर चिंता जताई है. उन्होंने इसे सार्वजनिक धन का निजी हितों के लिए इस्तेमाल किए जाने का एक और उदाहरण बताया है.
राहुल गांधी ने “एक्स” पर ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, “पैसा, पॉलिसी, प्रीमियम आपका — सुरक्षा, सुविधा, फ़ायदा अडानी का!” एलआईसी ने हाल ही में एपीएसईज़ेड के 5,000 करोड़ रुपये के सबसे बड़े घरेलू बॉन्ड इश्यू में अकेले निवेश किया है, जिसे 15 साल की नॉन-कनवर्टिबल डिबेंचर (एनसीडी) के रूप में 7.75% वार्षिक कूपन रेट पर जारी किया गया था. राहुल गांधी का आरोप है कि आम जनता से बीमा प्रीमियम के रूप में इकट्ठा किए गए जनता के पैसे का इस्तेमाल निजी कंपनियों के हित में किया जा रहा है.
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विशेष सत्र बुलाने 16 दलों का मोदी को पत्र
ऐसे समय में जब “इंडिया ब्लॉक” के भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं, विपक्ष के इस गठबंधन के घटक दलों ने मंगलवार को पाकिस्तान के साथ टकराव की प्रक्रिया पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की और कहा कि "सरकार संसद के प्रति जिम्मेदार है, जबकि संसद जनता के प्रति जिम्मेदार है.” यह मांग ऐसे समय आई है, जब एक दिन पहले ही वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने “इंडियन एक्सप्रेस” को बताया था कि फिलहाल विशेष सत्र बुलाने की कोई योजना नहीं है.
मंगलवार को इंडिया ब्लॉक के पांच दलों के नेताओं ने दिल्ली में बैठक कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित एक पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें विशेष सत्र की मांग की गई. आम आदमी पार्टी ने इससे दूरी बनाई और बाद में मोदी को अलग से पत्र भेजा, जबकि सीपीआई के महासचिव डी. राजा ने कहा कि उन्हें इस बैठक की जानकारी नहीं थी. “आप” के सूत्रों के अनुसार, पार्टी ने इसलिए दूरी बनाई क्योंकि वह कांग्रेस के साथ मंच साझा नहीं करना चाहती, जो पंजाब में मुख्य विपक्षी पार्टी है—वहीं पंजाब ही एकमात्र राज्य है, जहां अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी सत्ता में है. “द न्यू इंडियन एक्सप्रेस” के अनुसार बैठक में पांच दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया, लेकिन मोदी को लिखे पत्र पर 16 पार्टियों ने हस्ताक्षर किए हैं. डीएमके भी हस्ताक्षरकर्ताओं में शामिल है, लेकिन करुणानिधि की जयंती के कारण बैठक में शामिल नहीं हो सकी. शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी एकमात्र पार्टी है, जो विशेष सत्र की मांग करने वाले दलों में शामिल नहीं है.
'नुकसान बहुत होता, इसलिए पाकिस्तान ने फ़ोन उठाया और सीज़ फायर की बात की' : सीडीएस
'टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट है कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को कहा कि "पेशेवर सैन्य बल असफलताओं और नुकसान से प्रभावित नहीं होते." यह बयान उनके ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के कुछ लड़ाकू विमानों के नुकसान के दावे के कुछ दिन बाद आया है. हालांकि, उन्होंने कहा कि नुकसान महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि परिणाम महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित 'भविष्य के युद्ध और युद्ध' विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा - "मुझे लगता है, पेशेवर बल असफलताओं या नुकसान से प्रभावित नहीं होते; युद्ध में, जो महत्वपूर्ण है वह यह है कि असफलताओं के बावजूद भी मनोबल ऊंचा रहना चाहिए. लचीलापन पेशेवर बल का महत्वपूर्ण घटक है. आपको यह समझने में सक्षम होना चाहिए कि क्या गलत हुआ, अपनी गलती को सुधारने की जरूरत है और फिर से प्रयास करना है. आप डर से बैठ नहीं सकते," .
गौरतलब है कि हाल ही में चौहान ने 'रॉयटर्स' और 'ब्लूमबर्ग' के साथ अपने इंटरव्यू में स्वीकारा था कि पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर हमला करते समय और 7 मई को हुए बदले की कार्रवाई में भारत ने कुछ लड़ाकू विमान खोए थे. उन्होंने कहा था कि तीन दिन बाद युद्धविराम से पहले बलों ने सीमा के पार गहरे स्थित एयर बेस पर बड़ा नुकसान पहुंचाने के लिए रणनीति बदली. "मैं यह कह सकता हूं कि 7 मई को, प्रारंभिक चरणों में, नुकसान हुए थे," जनरल चौहान ने कहा था.
चौहान ने कहा कि नई दिल्ली आतंक और परमाणु ब्लैकमेल की छाया में नहीं जी रही है. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के पीछे सोच यह थी कि पाकिस्तान से राज्य-प्रायोजित आतंकवाद को रोकना था. "दोनों देशों (भारत और पाकिस्तान) ने विभिन्न प्रकार की क्षमताएं बनाने की कोशिश की थी, इसलिए जाहिर तौर पर इसमें जोखिम की मात्रा अंतर्निहित थी. हमारी जो भी क्षमताएं थीं, वे युद्धक्षेत्र में नहीं आई थीं. इसमें हमेशा जोखिम का तत्व होता है, लेकिन जैसा कि कहते हैं, यदि आप उस प्रकार का जोखिम नहीं उठाते तो आप सफल नहीं हो सकते. हम जानते थे कि हमारे पास बेहतर काउंटर-ड्रोन सिस्टम था," चौहान ने कहा.
पाकिस्तान की 48 घंटे की योजना कैसे फेल हुई : उन्होंने आगे समझाया कि कैसे भारत को अपने घुटनों पर लाने की पाकिस्तान की 48 घंटे की योजना केवल 8 घंटे में ध्वस्त हो गई और उसे युद्धविराम की मांग करनी पड़ी. उन्होंने कहा, "10 मई को, लगभग सुबह 1 बजे, उनका (पाकिस्तान का) उद्देश्य 48 घंटों में भारत को घुटनों पर लाना था. कई हमले शुरू किए गए और किसी तरह से, उन्होंने इस संघर्ष को बढ़ाया, जिसमें हमने केवल आतंकी लक्ष्यों पर हमला किया था. जो ऑपरेशन उन्होंने सोचा था कि 48 घंटे तक चलेगा, वह लगभग 8 घंटे में समाप्त हो गया और फिर उन्होंने टेलीफोन उठाया और कहा कि वे बात करना चाहते हैं."
'ऑपरेशन सिंदूर अभी ख़त्म नहीं हुआ' : सीडीएस चौहान ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभी समाप्त नहीं हुआ है और यह जारी है. "यह शत्रुता की अस्थायी समाप्ति है. हमें अपनी सतर्कता बनाए रखने की जरूरत है." उन्होंने कहा. उन्होंने यह भी कहा, "हमारी तरफ से, हम लंबे समय तक चलने वाले संघर्ष में नहीं पड़ना चाहते थे. हमने ऑपरेशन पराक्रम में अपना अनुभव देखा है. हम लगभग नौ महीने तक वहां थे. इसमें बहुत खर्च शामिल है, सब कुछ बाधित हो जाता है. हमने यह बालाकोट के बाद कुछ हद तक देखा था, एक तैनाती थी जिसे हमने जुटाया था. इस विशेष मामले में, जो हुआ वह यह था कि इस जुटाव के पूरा होने से पहले ही, ऑपरेशन रोक दिए गए. ऑपरेशन सिंदूर अभी समाप्त नहीं हुआ है. यह जारी है. यह शत्रुता की अस्थायी समाप्ति है. हमें अपनी सतर्कता बनाए रखने की जरूरत है. जहां तक पाकिस्तानी पक्ष का सवाल है, मैं दो अनुमान लगा सकता हूं. एक, कि वे बहुत लंबी दूरी पर चीजों को तेजी से खो रहे थे, और उन्होंने सोचा कि यदि यह कुछ और समय तक जारी रहा, तो वे और भी अधिक खो सकते हैं और इसलिए उन्होंने टेलीफोन उठाया."
शहबाज को भारत की तरफ से हमले का डर नहीं, ट्रम्प फैक्टर पर भरोसा जताया
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्हें भारत द्वारा किसी नए सैन्य हमले की कोई आशंका नहीं है. उन्होंने इसके पीछे तीन प्रमुख कारण बताए, जिनमें सबसे दिलचस्प है ‘ट्रम्प फैक्टर’ - यानी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की शांति कायम रखने की भूमिका. पाकिस्तान के प्रतिष्ठित समाचार पत्र 'द न्यूज़ इंटरनेशनल' के मुताबिक, पीएम शहबाज़ ने कहा, “हमने अंतरराष्ट्रीय जांच में भागीदारी के लिए बार-बार प्रस्ताव दिया है, यहां तक कि अमेरिका को भी आमंत्रित किया है. इस पारदर्शिता से हमें वैश्विक समर्थन मिला है.” दूसरे कारण के रूप में उन्होंने ‘ट्रम्प फैक्टर’ का उल्लेख करते हुए कहा, “ट्रम्प ने खुद इस संघर्षविराम को अपनी जीत के तौर पर पेश किया है. यूक्रेन और ग़ाज़ा जैसे जटिल मुद्दों पर जहां उन्हें सफलता नहीं मिली, वहां भारत-पाकिस्तान संकट में वे खुद को एक शांति-दूत के रूप में स्थापित करना चाहते हैं.” तीसरे कारण के रूप में शरीफ ने आर्थिक पहलू को गिनाया. उन्होंने दावा किया, “अगर भारत वास्तव में आर्थिक तरक्की कर रहा है, तो युद्ध उनके लिए तबाही साबित होगा. पाकिस्तान पहले से ही संघर्ष के दौर से गुजर रहा है, हम किसी भी स्थिति के लिए तैयार हैं.”
भाजपा नेता चौरसिया के जबलपुर होटल में बड़ा सेक्स रैकेट, रसूखदारों को सप्लाई होती थी कोलकाता, असम, झारखंड, छतीसगढ़ से लड़कियां
मध्यप्रदेश के जबलपुर में भाजपा नेता के होटल में एक बड़ा सेक्स रैकेट पकड़ा गया है. पुलिस के अनुसार, इस रैकेट में लड़कियों को कोलकाता, असम, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से लाया जाता था. इन लड़कियों को कथित तौर पर जबरन वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किया जाता था और नेताओं व अधिकारियों को सप्लाई किया जाता था. यह रैकेट स्थानीय भाजपा नेता अतुल चौरसिया और उसके साथी शीतल दुबे द्वारा चलाया जा रहा था.
असम की महिला की शिकायत से खुलासा : यह मामला तब सामने आया जब असम की एक महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. उसने बताया कि उसे धोखे से जबलपुर लाया गया और फिर सेक्स रैकेट में धकेल दिया गया. महिला ने आरोप लगाया कि उसे नौकरी का झांसा देकर बुलाया गया था, लेकिन होटल में रुकवाकर मोटी कमाई का लालच देकर वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किया गया. 32 वर्षीय पीड़िता ने बताया कि तीन साल पहले असम की एक महिला ने उसे अच्छी नौकरी का झांसा देकर जबलपुर बुलाया था. यहां उसे भाजपा नेता अतुल चौरसिया के होटल 'अतिथि' में ठहराया गया. पीड़िता ने कहा कि यहां लड़कियों को नेताओं, अधिकारियों और अन्य रसूखदार लोगों तक पहुंचाया जाता था. हर रात अलग-अलग गाड़ियों में लोग आते, लड़कियों को उनके कमरों में भेजा जाता और सुबह वे बिना किसी रिकॉर्ड के चले जाते थे. होटल का स्टाफ भी इस रैकेट में पूरी तरह शामिल था और लड़कियों को ग्राहक की पसंद के अनुसार भेजा जाता था. अधिकतर ग्राहक रसूखदार होते थे, जिनके नाम पूछने की किसी को इजाजत नहीं थी, लेकिन उनके तौर-तरीकों और गाड़ियों से उनकी पहचान साफ थी. “द हिंदू” के अनुसार होटल के मालिक और भाजपा नेता अतुल चौरसिया को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि उसका साथी फरार है.
रामदेव की पतंजलि पर 273.50 करोड़ की पेनाल्टी, हाईकोर्ट में चुनौती खारिज
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की वह याचिका खारिज कर दी है, जिसमें 273.50 करोड़ रुपये की जीएसटी पेनाल्टी को चुनौती दी गई थी. जस्टिस शेखर बी. सर्राफ और जस्टिस विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने पतंजलि की इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि ऐसी पेनाल्टी आपराधिक दायित्व है और केवल आपराधिक मुकदमे के बाद ही लगाई जा सकती है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि टैक्स अथॉरिटीज जीएसटी एक्ट की धारा 122 के तहत सिविल प्रकृति की कार्यवाही में पेनाल्टी लगा सकती हैं, इसके लिए आपराधिक अदालत में मुकदमे की आवश्यकता नहीं है. बेंच ने कहा कि जीएसटी की पेनाल्टी से जुड़ी कार्यवाही सिविल प्रकृति की है और इसे संबंधित अधिकारी द्वारा तय किया जा सकता है.
हेट क्राइम
जिम में मुसलमान नहीं, थानेदार का वीडियो वायरल
मुस्लिम समुदाय के लोगों को जिम में प्रवेश नहीं देने के निर्देश देने वाले मध्यप्रदेश पुलिस के सब-इंस्पेक्टर को फील्ड ड्यूटी से हटाकर पुलिस लाइन में अटैच कर दिया गया है. दरअसल, एक वीडियो सामने आया था, जिसमें वह एक जिम मालिक को मुस्लिम समुदाय के लोगों को जिम में प्रवेश नहीं देने का निर्देश देते हुए नजर आ रहे हैं.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, भोपाल के अयोध्या नगर इलाके में स्थित एक जिम में मुस्लिम ट्रेनर्स की मौजूदगी पर हिंदुत्व संगठन के कुछ लोगों ने आपत्ति जताई थी. इसके बाद पुलिसकर्मियों, जिनमें एसआई दिनेश शर्मा भी शामिल थे, को स्थिति संभालने के लिए मौके पर बुलाया गया. वीडियो में शर्मा को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि मुस्लिम “यहां ट्रेनिंग देने या लेने नहीं आएंगे.” इस वीडियो के वायरल होने के बाद भारी आक्रोश फैला और शर्मा के व्यवहार की जांच शुरू की गई. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि "एसआई वहां इसलिए पहुंचे थे क्योंकि हिंदुत्व संगठनों के सदस्य वहां आ गए थे, और उनकी उपस्थिति कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक थी."
इस घटना के बाद, भोपाल से बीजेपी सांसद आलोक शर्मा ने मीडिया से कहा कि शहर में "जिम प्रशिक्षकों की एक सूची" तैयार की गई है और उन्होंने जोर दिया कि महिला ग्राहकों को केवल महिला प्रशिक्षकों द्वारा ही प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए." जिम प्रशिक्षकों की सूची पुलिस को सौंपी जाएगी, जो कानून के अनुसार कार्रवाई करेगी," उन्होंने कहा.
कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने इस कदम की आलोचना करते हुए धर्म के आधार पर जिम पेशेवरों को निशाना बनाने के तर्क पर सवाल उठाया. "क्या अब जिम चलाना अपराध है? अगर यह नियमों के अनुसार चल रहा है, तो समस्या क्या है?" उन्होंने पूछा.
“द इंडियन एक्सप्रेस” के अनुसार दक्षिणपंथी समूहों का मुस्लिम प्रशिक्षकों का विरोध केवल भोपाल तक सीमित नहीं रहा है. इसी तरह की घटनाएं इंदौर में भी सामने आई हैं. यह अभियान तब और तेज हुआ जब मोसिन खान नामक एक शूटिंग कोच को बिना लाइसेंस वाली अकादमी चलाने और कथित तौर पर बलात्कार व छेड़छाड़ के मामलों में गिरफ्तार किया गया.
29 वर्षीय नन को बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने ट्रेन से उतारा, झूठे आरोपों में 18 घंटे हिरासत में
‘द टेलीग्राफ’ की रिपोर्ट है कि ओडिशा में एक 29 वर्षीय नन रचना नायक और उनके साथियों को शनिवार रात खुर्दा जंक्शन पर 30 लोगों की भीड़ ने घेर लिया, धमकाया और ट्रेन से जबरन उतार दिया. यह स्टेशन भुवनेश्वर से लगभग 20 किलोमीटर दूर है. सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने उन्हें हिरासत में लिया और तीन महिला मानवाधिकार वकीलों के हस्तक्षेप के बाद ही रविवार शाम को उन्हें छोड़ा गया. आरोप लगा महिलाओं की तस्करी और अवैध धर्मांतरण का. उन्हें पुलिस थाने में 18 घंटे तक हिरासत में रखा गया. बाद में जांच में महिलाओं की तस्करी और अवैध धर्मांतरण के आरोप झूठे पाए गए.
नायक, जो भोपाल के होली फैमिली कॉन्वेंट की सदस्य हैं, अपने छह साथियों जिनमें दो पुरुष और चार महिलाएं थी, उनके साथ यात्रा कर रही थीं. उन्होंने प्रमाणित किया कि वे सभी जन्म से ही ईसाई हैं और प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए यात्रा कर रहे थे, जिसके बाद उन्हें रिहा किया गया. अल्पसंख्यकों के बीच बढ़ती असुरक्षा को दर्शाते हुए, कैथोलिक चर्च अधिकारियों ने सिफारिश की है कि जो सदस्य लड़कियों के साथ यात्रा करें, वे माता-पिता और गांव के प्रधान की लिखित सहमति, साथ ही बपतिस्मा प्रमाणपत्र अपने साथ रखें ताकि यह सिद्ध किया जा सके कि वे जन्म से ही ईसाई हैं. यह घटना उस समय हुई है जब एक साल पहले ओडिशा में भाजपा सत्ता में आई थी और कुछ हफ्ते पहले ही मिशनरी ग्राहम स्टेन्स और उनके दो बेटों की हत्या में शामिल एक दोषी को रिहा किया गया था. उन्हें 1999 में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की भीड़ ने जिंदा जला दिया था.
वकील सुजाता जेना ने बताया, “जैसे ही ट्रेन खुर्दा पहुंची, लगभग 30 लोग जमा हो गए और गाली-गलौज शुरू कर दी. उन्होंने पूरे समूह को ट्रेन से जबरन उतार दिया. उन्होंने नन पर धार्मिक धर्मांतरण और महिलाओं की तस्करी का आरोप लगाया. रेलवे सुरक्षा बल के हस्तक्षेप के बाद सभी को पुलिस स्टेशन ले जाया.” जेना ने बताया कि सभी ने बार-बार कहा कि वे जन्म से ईसाई हैं और नन का किसी अवैध धर्मांतरण से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन कोई उनकी नहीं सुन रहा था.
खुर्दा जीआरपी के प्रभारी निरीक्षक शंकर राव ने कहा, “नन और चारों लड़कियां एक-दूसरे को जानती हैं और सभी ईसाई हैं. नन का धर्मांतरण या तस्करी से कोई संबंध नहीं है. नन ने (हमलावरों के खिलाफ) कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई है.”
‘कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा’, हाईकोर्ट ने पनौली की जमानत याचिका खारिज की
कोलकाता हाईकोर्ट ने मंगलवार को सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली की जमानत याचिका खारिज कर दी, जिन्हें कोलकाता पुलिस ने कथित आपत्तिजनक सामग्री के लिए गिरफ्तार किया था. ट्रायल कोर्ट द्वारा उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजे जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए, कोलकाता हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति पार्थ सारथी चटर्जी ने कहा, “यह वीडियो सोशल मीडिया पर बनाया गया था, इसे सुना गया. इसके कारण कुछ लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं. हमें अभिव्यक्ति की आजादी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप दूसरों को आहत करेंगे. हमारा देश विविधताओं से भरा है, यहां सभी प्रकार के लोग हैं. हमें सतर्क रहना चाहिए. तो परसों तक इंतजार कर लीजिए, आसमान नहीं टूट पड़ेगा.”
पनोली की शिकायत करने वाला लापता : इधर, वजहात खान, जिन्होंने शर्मिष्ठा पनोली के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, कथित तौर पर लापता हो गए हैं, यह जानकारी उनके पिता ने दी है. खान के पिता ने आगे आरोप लगाया कि पनोली की गिरफ्तारी के बाद से उनके परिवार को धमकी भरे फोन कॉल आ रहे थे. खान के लापता होने की खबर ऐसे समय आई है, जब उनके खिलाफ भी कोलकाता, असम और दिल्ली में केस दर्ज किए गए हैं.
कमल हासन का माफी मांगने से इनकार
तमिल फिल्म 'ठग लाइफ' कर्नाटक में 5 जून को होने वाले अपने वर्ल्डवाइड लॉन्च के तहत रिलीज़ नहीं होगी, क्योंकि अभिनेता कमल हासन ने “कन्नड़, तमिल से उत्पन्न हुई है” वाले अपने बयान के लिए माफी मांगने से इनकार कर दिया है, जबकि कर्नाटक हाईकोर्ट ने विवाद को समाप्त करने के लिए माफी मांगने का सुझाव दिया था. हाईकोर्ट ने कहा था, “जब यही बात कहने के लिए 1950 में चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने माफी मांग ली थी, तो कमल हासन क्यों नहीं मांग सकते.”
सम्भल में सार्वजनिक स्थानों पर कुर्बानी की अनुमति नहीं
सम्भल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेनसिया ने मंगलवार को घोषणा की कि बकरीद के दौरान सार्वजनिक स्थानों पर कुर्बानी की अनुमति नहीं दी जाएगी और सार्वजनिक व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. ईद की नमाज जिन क्षेत्रों में अदा की जाएगी, वहां के प्रतिनिधियों सहित एक शांति समिति की बैठक आयोजित की गई, जिसमें व्यवस्थाओं पर चर्चा की गई. पेनसिया ने कहा, "सभी संबंधित पक्षों से परामर्श किया गया है. कुर्बानी केवल 19 पूर्व-चिह्नित स्थानों पर ही दी जा सकेगी. किसी भी सार्वजनिक या खुले स्थान पर पशु बलि की अनुमति नहीं होगी."
लद्दाख : सरकारी नौकरियों में 85% आरक्षण
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने केंद्र शाषित लद्दाख में सरकारी नौकरियों के लिए 85% आरक्षण को मंजूरी दी है. अनुसूचित जनजातियों, सीमावर्ती निवासियों और अनुसूचित जाति वर्गों को इसका लाभ मिलेगा. कुल आरक्षण प्रतिशत किसी भी स्थिति में 85% से अधिक नहीं होगा और इसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण शामिल नहीं है.
यूपी पुलिस में अग्निवीरों को 20% रिजर्वेशन: उत्तरप्रदेश के राज्य पुलिस बल में आरक्षक स्तर के कई पदों पर सीधी भर्ती में अग्निवीरों को 20 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा. यह आरक्षण सभी श्रेणियों—सामान्य, एससी, एसटी और ओबीसी—पर लागू होगा. यदि कोई अग्निवीर एससी श्रेणी से है, तो आरक्षण एससी के भीतर मिलेगा ; यदि ओबीसी से है, तो ओबीसी के भीतर मिलेगा. इसके अलावा, इन पदों के लिए आवेदन करने वाले अग्निवीरों को अधिकतम तीन वर्ष की आयु सीमा में छूट भी दी जाएगी. भर्ती जिन चार श्रेणियों में होगी, वे हैं: कांस्टेबल पुलिस, कांस्टेबल पीएसी, घुड़सवार पुलिस और फायरमैन.
पहलगाम के बाद
नौ रैलियों में मोदी ने क्या कहा, क्या नहीं
“द वायर” में श्रावस्ती दासगुप्ता की रिपोर्ट में बताया गया है कि पहली बार 12 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर अपनी चुप्पी तोड़ने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मई से 31 मई तक आठ दिनों में छह राज्यों में नौ रैलियों की बेमिसाल श्रृंखला शुरू की. इन रैलियों में प्रधानमंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर का श्रेय लेते हुए कहा कि उनकी रगों में गर्म सिंदूर बहता है, पाकिस्तानियों को चेतावनी दी कि अगर वे अपने देश से आतंकवाद नहीं मिटाते तो उनकी 'गोली' तैयार है, और यह भी कहा कि 'आंखें नहीं खुल रहीं' ऐसे गणेश जी की मूर्तियां भारत में आ रही हैं. हालांकि, उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं द्वारा महिलाओं के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों, पहलगाम के पीछे छिपे चार आतंकवादियों या अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा युद्धविराम में मध्यस्थता के दावों पर कोई बात नहीं की. बहरहाल, नौ रैलियों में मोदी ने क्या कहा और क्या नहीं, दासगुप्ता ने इसका लेखा-जोखा प्रस्तुत किया है.
विश्लेषण
हर्षमंदर : मोदी के 11 वर्षीय नेतृत्व में भारतीय गणराज्य की पुश बैक पॉलिसी
हर्ष मंदर ने 'स्क्रोल' में अपने लेख के जरिए हाल ही में रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार सीमा के समीप संमदर में फेंकने की घटना का विश्लेषण किया है. मंदर कहते हैं कि मोदी सरकार में घृणा की राजनीति चरम पर पहुंच गई है और यह भारत की मानवीय परंपरा के खिलाफ है. उन्होंने लिखा— भारतीय गणराज्य के मोदी के 11 वर्षीय नेतृत्व में, भारतीय जनता राज्य की नीति के रूप में राज्य अधिकारियों द्वारा की जाने वाली कभी-कभी सुन्न कर देने वाली लक्षित क्रूरता की आदी हो गई है. बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के बुलडोजर मुस्लिम घरों को गिरा देते हैं, असहमति की आवाज उठाने वाले लोगों को बिना उचित प्रक्रिया के वर्षों तक जेलों में बंद कर दिया जाता है, पुलिस की गोलियां हजारों को गिरा देती हैं या स्थायी रूप से अपंग कर देती हैं, धर्मस्थलों को समतल कर दिया जाता है, और पुलिस खड़ी देखती रहती है जब लोगों को भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार दिया जाता है, लेकिन राज्य नीति के रूप में घृणा की राजनीति के इन घोर मानकों के बावजूद भी, भारतीय राज्य हाल ही में नई गहराइयों में गिर गया है.
सरकार नियंत्रित मीडिया की मोटी दीवारों के बावजूद विश्वसनीय रिपोर्टें आईं, जिसमें 40 रोहिंग्या जिनमें महिलाएं, किशोर, बुजुर्ग और एक कैंसर मरीज शामिल थे, उन्हें एक नौसैनिक जहाज से समुद्र में फेंक दिया गया. उन्हें म्यांमार के तट पर तैरकर पहुंचने के लिए छोड़ दिया गया. यह वही भूमि है जिससे वे नरसंहार से बचने के लिए भागे थे. जब मैंने पहली बार इस खबर के टुकड़े सुने तो मैंने पूर्ण अविश्वास के साथ प्रतिक्रिया दी. समय के साथ यह शर्म और गुस्से में बदल गया.
पहलगाम आतंकी हमले के बाद : यह दुर्घटना पहलगाम आतंकी हमले के बाद आए घृणा के तूफानों के बाद घटी. टेलीविजन स्टूडियो और दक्षिणपंथी सोशल मीडिया हैंडल न केवल पाकिस्तानियों बल्कि उन लोगों को निशाना बनाकर गुस्से से दहक रहे थे जिन्हें वे पाकिस्तानी आतंक के प्रॉक्सी और समर्थक बताते थे — भारतीय मुसलमान और भारत में रोहिंग्या शरणार्थी. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि ये आरोप इस्लामोफोबिक, और पूर्णतः जंगली और भड़काऊ थे. राज्य ने इन दावों को शांत करने या खंडित करने के लिए कुछ नहीं किया.
भारत में रोहिंग्या शरणार्थियों की नगण्य आबादी, जो बेहतरीन समय में भी बमुश्किल जीवित रहने की कगार पर रहती है और भी असुरक्षित और उजागर महसूस करने लगी. मानो उनके सबसे बुरे डर की पुष्टि करते हुए, राज्य अधिकारियों ने जल्द ही रोहिंग्याओं को पकड़ने, उन्हें हिरासत केंद्रों में बंद करने और कभी-कभी, जैसा कि गुजरात में हुआ, उनके घरों को ध्वस्त करने के अभियान शुरू किए.
स्क्रॉल रिपोर्ट करता है कि दिल्ली भर की पांच झुग्गी बस्तियों में मुस्लिम और ईसाई रोहिंग्या शरणार्थियों के घरों पर छापे के बाद कम से कम 43 रोहिंग्या पुरुष, महिलाएं और बच्चे हिरासत में लिए गए. कम से कम एक रोहिंग्या व्यक्ति को सार्वजनिक अस्पताल से घसीटा गया जहां वह अपनी पत्नी की देखभाल कर रहा था. वे बिना भोजन के घंटों पुलिस स्टेशनों में रहे, फिर उन्हें इंदरलोक में "अवैध अप्रवासियों" के लिए दिल्ली के हिरासत केंद्र में स्थानांतरित कर दिया गया. उन्हें बताया गया कि यह केवल उनका बायोमेट्रिक डेटा एकत्र करने के लिए था. शरणार्थी हिरासत केंद्र में स्वच्छता, भोजन और पानी की घोर स्थितियों की रिपोर्ट करते हैं.
वहां से, उन्हें बस से दिल्ली हवाई अड्डे पर ले जाया गया और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर तक 1,300 किलोमीटर उड़ाया गया. इसके बाद, डरे हुए समूह की रिपोर्ट है कि उनकी आंखों पर पट्टी बांधी गई, उनके हाथ बांधे गए, और उन्हें एक नौसैनिक जहाज पर चढ़ाया गया. समुद्री यात्रा भयावह थी. कुछ महिलाओं का आरोप है कि उनके साथ छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न किया गया. अधिकारियों ने उन्हें आश्वासन दिया कि उन्हें इंडोनेशिया में सुरक्षा के लिए भेजा जा रहा है.
तीन या चार घंटे बाद, उनकी आंखों की पट्टी और बेड़ियां हटा दी गईं. लाइफ जैकेट दिए गए, उन सभी को समुद्र में कूदने के लिए मजबूर किया गया - जिसमें बुजुर्ग, बच्चे, महिलाएं और बीमार शामिल थे. सौभाग्य से, वे सभी बच गए. वे तट पर पहुंचे, लेकिन स्थानीय लोगों से बात करके उनका डर और बढ़ गया. उन्हें एहसास हुआ कि वे इंडोनेशिया में नहीं बल्कि वापस म्यांमार में थे, उस देश में जिससे वे नरसंहार, जातीय सफाई और सैन्य कार्रवाइयों से बचने के लिए भागे थे. उन्हें पता चला कि वे म्यांमार के युद्धग्रस्त दक्षिणी तट पर थे, राखीन में अपनी मातृभूमि से बहुत दूर. उनकी अच्छी किस्मत यह थी कि यह इलाका सैन्य जुंटा के नियंत्रण में नहीं था. जिम्मेदारी निर्वासन में नागरिक राष्ट्रीय एकता सरकार की थी, जिसे सेना ने हिंसक रूप से अपदस्थ किया था, इसलिए निकाले गए लोग कम से कम फिलहाल सुरक्षित थे.
म्यांमार की निर्वासन में नागरिक सरकार के मंत्री मो ने स्क्रॉल से कहा, "जब वे शरण की कोशिश कर रहे थे तब उन्हें निर्वासित करना उन्हें उस नरक में वापस भेजना है जिससे वे बचे और बच निकले थे." म्यांमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक थॉमस एंड्रूज ने "रोहिंग्या शरणार्थियों को नौसैनिक पोत-पतों से समुद्र में डाले जाने के विचार" को "अपमानजनक", "अनुचित" और "अस्वीकार्य" बताया.
यह सच है कि भारत ने 1951 शरणार्थी सम्मेलन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, जो शरणार्थियों के कानूनी अधिकारों की रक्षा करता है, जिन्हें नस्ल, धर्म, राष्ट्रीयता, सामाजिक समूह या राजनीतिक मत के आधार पर उत्पीड़न से भागने वाले व्यक्तियों के रूप में परिभाषित किया गया है. सम्मेलन के तहत उनका सबसे महत्वपूर्ण अधिकार "गैर-प्रत्यावर्तन" है, जो राज्यों को शरणार्थियों को उनके मूल देशों में उत्पीड़न के लिए वापस भेजने से रोकता है.
"पुश बैक" की नीति: लोगों को नौसैनिक जहाज से समुद्र में फेंकना अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के पार गैर-दस्तावेजी व्यक्तियों को उनके मूल देश में "वापस धकेलने" की नीति की केवल एक चरम अभिव्यक्ति है. प्रभावी रूप से "वापस धकेलने" की नीति का मतलब है कि राज्य उचित कानूनी प्रक्रिया को दरकिनार करने और व्यक्तियों को भारत में निवास जारी रखने के अपने दावों को बताने के अधिकार से वंचित करने का विकल्प चुनता है.
गैर-दस्तावेजी व्यक्तियों को वापस धकेलना मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा बनाई गई नीति नहीं है. फ्रंटलाइन में अंगशुमान चौधुरी और रिजवाना शमशाद अपनी पुस्तक "बांग्लादेशी माइग्रेंट्स इन इंडिया: फॉरेनर्स, रिफ्यूजीज ऑर इन्फिल्ट्रेटर्स?" में रिकॉर्ड करते हैं कि कांग्रेस सरकार के तहत केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने 1989 में संसद को बताया था कि उसने असम, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल सीमाओं के माध्यम से 35,131 "बांग्लादेशी घुसपैठियों" को "वापस धकेला" था.
मोदी सरकार का कठोर रुख: हालांकि, 2014 से मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तहत, गैर-दस्तावेजी व्यक्तियों की हिरासत और "वापस धकेलने" की नीतियां टेस्टोस्टेरोन से संचालित हैं. इसने एक घातकता, बल और अति-मर्दानगी हासिल की है जो भाजपा और इसके वैचारिक गुरु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की केंद्रीय वैचारिक परियोजना से आती है. इसके मूल में भारतीय मुसलमान के खिलाफ अंतरंग घृणा है. 2014 में अपने पहले राष्ट्रीय चुनाव अभियान से ही, मोदी ने उन लोगों द्वारा प्रस्तुत गंभीर खतरों का आरोप लगाया जिन्हें वह और उनके पार्टी साथी "घुसपैठिये", घुसपैठिया या बांग्लादेशी कहते हैं. उन्होंने 2024 के राष्ट्रीय चुनावों में इस भाषा को और भी नग्न रूप से परोसा.
संख्या का सच : केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने 2017 में संसद को सूचित किया कि भारत में 40,000 रोहिंग्या अवैध रूप से निवास कर रहे हैं. यूएनएचसीआर आज की संख्या 22,500 के करीब रखता है. वे भारत सरकार की सहायता के बिना निर्वाह करते हैं, आमतौर पर अमानवीय झोंपड़ियों में कबाड़ी, घरेलू सहायक और दिहाड़ी मजदूरों के रूप में. 1.3 बिलियन लोगों के देश में, कल्पना के किस फैलाव से 22,500 गंदगी-गरीब रोहिंग्या लोगों को भारत के संसाधनों पर असहनीय नाली माना जा सकता है? यह दावा कि वे आतंकवादी हैं, भी उनकी मुस्लिम पहचान के कारण ही उन पर लगाया गया कलंक है. आज तक रोहिंग्या आतंक का एक भी मामला स्थापित नहीं हुआ है.
स्वामी विवेकानंद ने 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में अपने ऐतिहासिक संबोधन में, इसी विरासत का उल्लेख करते हुए घोषणा की थी, "मुझे उस राष्ट्र से संबंधित होने पर गर्व है जिसने पृथ्वी के सभी धर्मों और सभी राष्ट्रों के उत्पीड़ितों और शरणार्थियों को आश्रय दिया है." मुझे आश्चर्य होता है कि वह आज अपने देश के बारे में क्या सोचेंगे, जो निर्दयतापूर्वक अन्य धर्मों और देशों के उत्पीड़ितों और शरणार्थियों को जेलों से अधिक दमनकारी हिरासत केंद्रों में डालता है, दोनों तरफ से गोलियां चलने के साथ उन्हें सीमाओं के पार धकेलता है, या उन्हें नरसंहारी उत्पीड़न के लिए तैरकर तट पर पहुंचने के लिए समुद्र में फेंक देता है.
मस्क की एक कंपनी की भारत में दिलचस्पी नहीं, पर दूसरी कंपनी में भारत की है
भारत में मैन्युफैक्चरिंग को लेकर टेस्ला की दिलचस्पी नहीं: कुमारस्वामी
'बीबीसी' की रिपोर्ट है कि इलोन मस्क के स्वामित्व वाली इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) कंपनी टेस्ला अब भारत में मैन्युफैक्चरिंग में दिलचस्पी नहीं रखती, यह बयान देश के भारी उद्योग मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने सोमवार को दिया. यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत सरकार ने घरेलू ईवी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए एक नई प्रोत्साहन योजना के विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं. यह पहली बार है जब भारत ने सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार किया है कि इलोन मस्क को लुभाने की उसकी कोशिशें नाकाम रही हैं, जबकि पिछले साल मार्च में वैश्विक EV कंपनियों के लिए विशेष योजनाएं पेश की गई थीं.
कुमारस्वामी ने बताया कि टेस्ला भारत में दो शोरूम खोलकर सिर्फ रिटेल उपस्थिति बनाएगी, लेकिन देश में निर्माण इकाई स्थापित नहीं करेगी. “मर्सिडीज बेंज, स्कोडा-वोक्सवैगन, हुंडई और किया ने भारत में ईवी मैन्युफैक्चरिंग में दिलचस्पी दिखाई है. लेकिन टेस्ला से ऐसी कोई उम्मीद नहीं है,” उन्होंने कहा. एक अन्य सरकारी अधिकारी ने प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) को बताया कि टेस्ला के प्रतिनिधि पहले दौर की बातचीत में शामिल हुए थे, लेकिन दूसरे और तीसरे दौर में हिस्सा नहीं लिया.
इस बयान से कुछ ही हफ्ते पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने फरवरी में कहा था कि अगर टेस्ला भारत में फैक्ट्री बनाती है तो वह अमेरिका के लिए "अनुचित" होगा. 2023 में मस्क ने कहा था कि वह “भारत में निवेश का सही समय समझने की कोशिश कर रहे हैं.” उन्होंने इसी साल वाशिंगटन डीसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर तकनीक और नवाचार में सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की थी. भारत ने पिछले साल घोषणा की थी कि जो विदेशी ईवी निर्माता $500 मिलियन (करीब ₹4,000 करोड़) का निवेश करेगा और तीन साल के भीतर स्थानीय उत्पादन शुरू करेगा, उसे आयात शुल्क में छूट मिलेगी. हालांकि जानकारों का मानना है कि भारत का ईवी बाज़ार अभी टेस्ला जैसे ब्रांड के लिए परिपक्व नहीं हुआ है. ईवी की बिक्री भारत में कुल पैसेंजर वाहनों की बिक्री का अभी भी 3% से भी कम है. टेस्ला की बेस मॉडल की कीमत, स्थानीय विकल्पों की तुलना में लगभग दोगुनी हो सकती है. चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और सड़क की स्थिति भी बाधा बन सकती है. टाटा मोटर्स फिलहाल भारत के EV मार्केट में 60% से अधिक हिस्सेदारी के साथ अग्रणी है. एमजी मोटर्स, जो जेएसडब्ल्यू और एक चीनी कंपनी की संयुक्त साझेदारी है, 22% मार्केट शेयर के साथ दूसरे स्थान पर है.
भारत में जल्द शुरू होगा इलोन मस्क का स्टारलिंक, लाइसेंस मिलने के करीब
इलोन मस्क भले ही भारत में टेस्ला की मैनुफैक्चरिंग यूनिट न लगा रहे हों, लेकिन उनकी सैटेलाइट इंटरनेट कंपनी स्टारलिंक को भारत में काम शुरू करने के लिए जल्द ही लाइसेंस मिल सकता है. केंद्रीय संचार मंत्री और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 'द प्रिंट' को दिए एक विशेष साक्षात्कार में यह जानकारी दी. सिंधिया ने बताया कि दूरसंचार विभाग (DoT) ने पहले ही स्टारलिंक को एक "लेटर ऑफ इंटेंट" (LOI) जारी कर दिया है. अब अंतिम स्वीकृति सिर्फ 'इन स्पेस' (भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र) से मिलनी बाकी है. “वर्तमान में दो कंपनियों वनवेब और रिलायंस को सैटेलाइट कनेक्टिविटी के लिए लाइसेंस मिल चुके हैं. स्टारलिंक के लिए भी प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है,” सिंधिया ने कहा. “अब अगला कदम 'इन स्पेस' की मंजूरी लेना है. सभी लाइसेंसधारकों को संचालन शुरू करने से पहले यह मंजूरी लेनी होगी.” सिंधिया ने आगे बताया कि वनवेब और रिलायंस को "प्रारंभिक परीक्षण" के लिए सीमित स्पेक्ट्रम आवंटन किया गया है. स्टारलिंक को भी लाइसेंस मिलने के बाद ऐसा ही अवसर मिलेगा. “इसके बाद TRAI (भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण) प्रशासनिक स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए नीति बनाएगा, जो वाणिज्यिक सेवाओं के संचालन को नियंत्रित करेगा.”
इलोन मस्क के पिता का अयोध्या दौरा : अरबपति इलोन मस्क के पिता और दक्षिण अफ्रीका निवासी व्यवसायी एरोल मस्क कल 4 जून को अयोध्या के राम मंदिर के दर्शन करने पहुंचेंगे. उत्तर प्रदेश सरकार उन्हें राजकीय अतिथि का दर्जा देने पर विचार कर रही है. अयोध्या प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के साथ मिलकर मंदिर दर्शन की व्यवस्था कर रहे हैं. एरोल मस्क भारत की 5 दिवसीय यात्रा पर हैं, जिसमें व्यापारियों और उद्यमियों से मुलाकात शामिल है. राम मंदिर की यात्रा उनके कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसे भारतीय सांस्कृतिक विरासत की सराहना के रूप में देखा जा रहा है.
मस्क ने ट्रम्प के कानून को कोसा: मंगलवार को इलोन मस्क ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कानून को, जो कांग्रेस में पास होने का अपना रास्ता बना रहा है, "भ्रष्टाचार से भरा" और "एक घृणित कुकर्म" बताया. मस्क, जिन्होंने हाल ही में ट्रम्प प्रशासन में अपनी लागत-कटौती वाली भूमिका छोड़ी है, ने बड़े कर और आप्रवासन विधेयक की अब तक की सबसे कड़ी निंदा की है जो बमुश्किल हाउस से पास हुआ है और सीनेट में लंबित है. "उन लोगों पर शर्म है जिन्होंने इसके पक्ष में वोट दिया: आप जानते हैं कि आपने गलत किया है," मस्क ने सोशल मीडिया पर लिखा. "आप यह जानते हैं." सोमवार रात को, ट्रम्प ने कांग्रेस से 4 जुलाई तक इस विधेयक को अपनी मेज पर भेजने की अपनी मांग दोहराई.
अभिषेक को आगे ला रही हैं ममता बनर्जी
‘गल्फ न्यूज’ के अपने कॉलम में स्वाति चतुर्वेदी ने लिखा है कि टीएमसी नेता डेरिक ओ’ब्रायन ने कहा — “ममता दीदी और अभिषेक एक शानदार संयोजन हैं. यह युवा नेता बचपन से ही अपनी मौसी, दुनिया की सबसे सम्मानित सार्वजनिक हस्तियों में से एक के संरक्षण में रहे हैं, और आज भी हैं. पिछले एक महीने में भारत और दुनिया ने जो देखा, वह बंगाल पहले से जानता है: तृणमूल की अध्यक्ष और राष्ट्रीय महासचिव एक सधी हुई जोड़ी हैं, जो ईमानदारी, परिपक्वता और विनम्रता के साथ जनहित में काम करती है” यह पहली बार है जब टीएमसी के किसी वरिष्ठ नेता ने ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी के राजनीतिक और पारिवारिक संबंधों को लेकर सार्वजनिक रूप से इतना स्पष्ट बयान दिया है. वो भी कोई ऐसा व्यक्ति जो दोनों को बेहद करीब से जानता है.
“केंद्र का दांव और टीएमसी की सधी चाल” जैसे-जैसे पश्चिम बंगाल एक और निर्णायक चुनाव की ओर बढ़ रहा है और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आक्रामकता के साथ बीजेपी राज्य में दस्तक दे रही है, वैसे-वैसे यह दिख रहा है कि टीएमसी ने केंद्र की राजनीतिक चालों को चतुराई से संभाला है. पहलगाम आतंकी हमले (जिसमें 26 लोगों की जान गई) और पाकिस्तान के साथ जारी तनाव के बाद, मोदी सरकार ने विपक्षी नेताओं को वैश्विक मंच पर प्रतिनिधित्व का प्रस्ताव दिया. जहां कांग्रेस ने शशि थरूर की उम्मीदवारी को लेकर आंतरिक कलह को सार्वजनिक कर दिया, वहीं टीएमसी ने रणनीतिक चुप्पी और सधा हुआ फैसला लिया. सरकार ने यूसुफ पठान को टीएमसी का प्रतिनिधि नामित किया था, लेकिन पार्टी ने तुरंत उन्हें हटाकर अभिषेक बनर्जी को आगे किया. एक साफ संदेश कि पार्टी की कमान किसके हाथ में है. अभिषेक बनर्जी का यह पहला अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक दौरा था, और उन्होंने आत्मविश्वास से भरी शुरुआत की. यह विडंबना है कि संसद में जहां उनकी उपस्थिति नगण्य है, वहीं वैश्विक मंच पर उन्होंने प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज की. दिल्ली स्थित आईआईपीएम से एमबीए करने के बावजूद वे राजधानी से विशेष लगाव नहीं रखते, यह भी दिलचस्प बात है.
ममता का सधा हुआ वार और “सिंदूर की राजनीति” ममता बनर्जी अपने तीखे और तत्काल जवाबों के लिए जानी जाती हैं. जब हाल ही में नरेंद्र मोदी ने बंगाल में “ऑपरेशन सिंदूर” का ज़िक्र किया, ममता ने पलटवार करते हुए कहा— “हर महिला की अपनी गरिमा होती है. वे सिंदूर अपने पतियों से लेती हैं. मोदी हर महिला के पति नहीं हैं. उन्हें अपने पत्नी को सिंदूर देना चाहिए.” फिर उन्होंने जोड़ा: “माफ कीजिए, लेकिन आपको सुनाने को मजबूर कर रहे हैं, जब आप बंगाल आकर ऐसे भाषण देते हैं.” टीएमसी ने स्पष्ट कर दिया कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर केंद्र सरकार के साथ खड़ी है, लेकिन बंगाल में राजनीतिक अवसरवाद को बर्दाश्त नहीं करेगी.
“हम पवारों या मायावती की तरह नहीं हैं” टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “कुछ लोग ममता और अभिषेक के रिश्ते को पवार परिवार या मायावती-आकाश की तुलना में देखते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि हमारे घर में एकता है, लड़ाई नहीं. जो मसाले की खबरें ढूंढते हैं, उन्हें बस मछली के झोल में मसाला मिलेगा, राजनीति में नहीं.” अभिषेक पर भले ही केंद्रीय एजेंसियों की कई जांचें हों, पर वे विचलित नहीं दिखते. पार्टी में उनका प्रभाव बढ़ता जा रहा है, और दीदी उन्हें आगे की कतार में ला रही हैं.
अब आगे क्या? ममता बनर्जी कांग्रेस को बंगाल में कोई राजनीतिक जमीन देने को तैयार नहीं हैं. इंडिया गठबंधन की बंगाल में संभावना नगण्य है. बीजेपी पूरी ताकत से उतरेगी. मोदी, योगी और शाह राज्य में नियमित रैलियां करेंगे. सुवेंदु अधिकारी और दिलीप घोष के बीच भाजपा में अंदरूनी कलह टीएमसी को राहत दे सकती है. पर भ्रम में न रहें, बीजेपी अब भी धनबल और संगठन बल से लैस एक शक्तिशाली मशीन है. और ममता बनर्जी के लिए यह चुनाव... “खेला होबे” का असली मैदान है.
क्या आप मोदी के नाम का सिंदूर लगाएंगे? क्या यह वन नेशन, वन हसबैंड स्कीम है?
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोमवार को लुधियाना उपचुनाव से पहले मीडिया से बात करते हुए बीजेपी के ऑपरेशन सिंदूर चुनावी अभियान पर तंज कसा और विवाद खड़ा कर दिया. मान ने कहा, "बीजेपी ऑपरेशन सिंदूर के नाम पर वोट मांग रही है. इन लोगों ने सिंदूर को मजाक बना दिया है. ये हर घर में सिंदूर भेज रहे हैं. अब क्या आप मोदी के नाम का सिंदूर लगाएंगे? क्या यह वन नेशन, वन हसबैंड स्कीम है?" यह टिप्पणी बीजेपी के अक्सर इस्तेमाल होने वाले "वन नेशन" फॉर्मूले पर व्यंग्यात्मक मोड़ थी.
बीजेपी ने इस बयान की तीखी निंदा की और आरोप लगाया कि मान ने गंभीर आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन का मजाक उड़ाया है. बीजेपी की चंडीगढ़ इकाई ने कहा कि मान ने हिंदू महिलाओं, शहीद सैनिकों की विधवाओं और भारतीय सेना का अपमान किया है. पार्टी ने एक बयान में कहा, "भगवंत मान ने ऑपरेशन सिंदूर का मजाक उड़ाते हुए पूछा: 'क्या आप मोदी के नाम का सिंदूर लगाएंगे? क्या यह वन नेशन, वन हसबैंड है?' यह व्यंग्य नहीं है. यह नेतृत्व के रूप में छुपी हुई अश्लीलता है."
तो ये थी यूक्रेन की रूस को ‘घर में घुसकर मारने’ की पूरी कहानी!
यूक्रेन ने एक गुप्त ऑपरेशन "स्पाइडर वेब" के तहत रूस के भीतर पहले से दर्जनों ड्रोन छिपाकर रखे और फिर उन्हें एक साथ सक्रिय करके रूस के पांच हवाई ठिकानों पर हमला किया. 'न्यूयॉर्क टाइम्स' की रिपोर्ट है कि ये हमले मुरमांस्क से लेकर साइबेरिया तक हुए, जिसमें कई रूसी बमवर्षक विमान नष्ट या क्षतिग्रस्त हो गए. यूक्रेन का दावा है कि 41 विमान मारे गए, जबकि पश्चिमी देशों का अनुमान है कि करीब 20 बड़े रणनीतिक विमान नष्ट हुए हैं. रूस की लंबी दूरी से मिसाइल दागने की क्षमता पर इसका बड़ा असर पड़ सकता है.
क्या हुआ? यूक्रेन ने रविवार को रूस के पांच अलग-अलग क्षेत्रों मुरमांस्क, इरकुत्स्क, इवानोवो, रियाज़ान और अमूर में हवाई अड्डों पर हमला किया. इन हमलों में मुरमांस्क और इरकुत्स्क में कई रूसी विमान आग की चपेट में आ गए. रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि कुछ हमलों को नाकाम कर दिया गया और कुछ “आतंकी हमलों” में शामिल लोगों को हिरासत में लिया गया है.
यूक्रेन ने क्या कहा? यूक्रेन ने कहा कि यह हमला "ऑपरेशन स्पाइडर वेब" था, जिसकी योजना डेढ़ साल पहले बनाई गई थी. इसमें 117 ड्रोन का इस्तेमाल किया गया. यूक्रेनी सुरक्षा सेवा (SBU) के अनुसार, ये ड्रोन रूस के भीतर गुप्त रूप से तस्करी कर लाए गए थे और सैन्य ठिकानों के पास लकड़ी की पेटियों में छिपा कर रखे गए थे. जब हमला किया गया, तो इन्हें एक साथ सक्रिय किया गया. ड्रोन ले जाने वाले ट्रक चालकों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि वे क्या ढो रहे हैं. हमले के बाद, ऑपरेशन में शामिल सभी लोग रूस से सुरक्षित वापस बुला लिए गए.
रूस को कितना नुकसान हुआ? यूक्रेन का दावा है कि 41 रूसी विमान क्षतिग्रस्त हुए, जिनमें कई रणनीतिक बमवर्षक शामिल हैं. यह संख्या रूस के कुल क्रूज़ मिसाइल वाहक विमानों का लगभग एक-तिहाई है. सैटेलाइट और ड्रोन फुटेज के विश्लेषण से पता चला है कि बेलाया एयरबेस पर कम से कम 7 रणनीतिक बमवर्षक नष्ट हो गए, जिनमें 4 टुपोलेव Tu-22M और 3 Tu-95 शामिल हैं. मुरमांस्क स्थित ओलेन्या बेस पर भी कम से कम तीन Tu-95 बमवर्षक धुएं में लिपटे दिखाई दिए. इन विमानों पर टायर रखे गए थे, जो कि हवाई हमलों से बचाव की एक अस्थायी तकनीक मानी जाती है. पश्चिमी सैन्य विशेषज्ञों का अनुमान है कि रूस के पास कुल लगभग 60 सक्रिय Tu-95 और 20 Tu-160 बमवर्षक हैं. अगर यूक्रेन के दावे सही साबित होते हैं, तो यह रूस की लंबी दूरी से मिसाइल दागने की क्षमता पर बड़ा असर डाल सकता है.
हमले का महत्व क्या है? यह पहली बार है जब यूक्रेन ने साइबेरिया के किसी हिस्से पर ड्रोन हमला किया है. मुरमांस्क स्थित ओलेन्या बेस रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि वहां परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम विमान रखे जाते हैं. ब्रिटेन के रक्षा थिंक टैंक RUSI के विशेषज्ञ जस्टिन ब्रोंक ने कहा कि अगर यूक्रेन का आधा भी दावा सही हो, तो इससे रूस की लंबी दूरी की हवाई हमलों की क्षमता पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा. पूर्व अमेरिकी जनरल बेन हॉजेस के अनुसार, यह हमला रूस के लिए “झटका” है और यह दिखाता है कि यूक्रेनी रणनीति किस तरह से विकसित हो रही है.
यूक्रेन ने यह हमला क्यों किया? इस ऑपरेशन का उद्देश्य था — ड्रोन को पहले से ही रूस के भीतर तैनात करके इस तरह से हमला करना जिससे पारंपरिक रूसी हवाई सुरक्षा प्रणाली बेअसर हो जाए. इससे यह भी संदेश गया कि रूस के गहरे अंदरूनी इलाकों तक भी यूक्रेन की पहुंच है. राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने कहा कि इस हमले से रूस को यह एहसास हुआ होगा कि वह भी कमजोर है, और यही उसे कूटनीति की ओर धकेल सकता है.
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला राष्ट्रपति पुतिन के राजनीतिक रुख में कोई बड़ा बदलाव नहीं लाएगा, लेकिन यह यूक्रेन की आत्मनिर्भर ड्रोन तकनीक और उसकी सैन्य रणनीतिक सोच का एक नया अध्याय जरूर है.
गाज़ा में इज़रायली सेना की गोलीबारी, 27 फिलीस्तीनियों की मौत
'न्यूयॉर्क टाइम्स' की रिपोर्ट है कि दक्षिणी गाज़ा के रफ़ा शहर में मंगलवार सुबह खाद्य सहायता केंद्र के पास खाने के इंतजार में खड़ी भीड़ पर इज़रायली सैनिकों ने गोलियां चला दीं, जिसमें कम से कम 27 फिलीस्तीनी नागरिकों की मौत हो गई. यह तीन दिनों में तीसरी ऐसी घटना है. ताज़ा घटनाओं के दौरान पहली बार इज़रायल ने स्वीकार किया है कि उसकी सेना ने उन लोगों पर गोली चलाई जो सैनिकों की ओर बढ़ रहे थे. यह गोलीबारी अमेरिका और इज़रायल द्वारा समर्थित नए सहायता वितरण तंत्र को लेकर बढ़ते विवाद के बीच हुई है, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने “अमानवीय और खतरनाक” करार दिया है. स्थानीय अस्पतालों में घायल लोगों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन दवाइयों और उपकरणों की भारी कमी है. राहत संगठनों ने चेतावनी दी है कि इस प्रणाली से नागरिकों की जान को खतरा बढ़ गया है और गाज़ा में भुखमरी की स्थिति गंभीर होती जा रही है.
चलते-चलते
खत्म हुआ 17 साल का इंतजार, आरसीबी बना आईपीएल का नया चैंपियन
रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में अपना पहला टाइटल जीत लिया है. अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में आरसीबी ने पंजाब किंग्स (PBKS) को 6 रन से हराकर आईपीएल का फाइनल जीता है. 191 रन का टारगेट चेज कर रही पंजाब किंग्स 184 रन ही बना सकी. बता दें कि 18वें सीजन में आईपीएल को 8वां चैंपियन मिला है. बेंगलुरु से विराट कोहली ने 35 गेंद पर 43 रन बनाए. क्रुणाल पंड्या ने 17 रन देकर 2 विकेट लिए. भुवनेश्वर कुमार ने भी 2 विकेट लिए. पंजाब से अर्शदीप सिंह और काइल जैमिसन ने 3-3 विकेट लिए. आईपीएल 2025 के फाइनल से पहले अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में क्लोजिंग सेरेमनी हुई. इसकी थीम 'ऑपरेशन सिंदूर' थी. सेरेमनी में एयर-शो किया गया. एयरफोर्स ने तिरंगा फॉर्मेशन बनाया और इस दौरान बड़ी स्क्रीन पर सेना के पराक्रम का वीडियो भी दिखाया गया. स्टेडियम में एक लाख से ज्यादा दर्शक मौजूद रहे.
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