04/08/2025: वोटबंदी की गाज महिलाओं, मुसलमानों पर? | बस्तर में हत्याएं: असलियत छुपाने की कोशिश | बच्चों के पानी में ज़हर | अमेरिकी पागलपन के सबक | सनातन धर्म | इंग्लैंड को 35 रन चाहिए, भारत को 4 विकेट
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां
बिहार वोटर लिस्ट में बदलाव गाज गिरी है महिलाओं और मुसलमानों पर
सबसे ज्यादा 4 लाख नाम पटना जिले में हटे, सीमांचल के जिलों में भी लाखों नाम हटाए
तेजस्वी यादव एपिक विवाद: आरोप-प्रत्यारोप के बीच फंसे नेता प्रतिपक्ष
इंडिया गठबंधन की एकजुटता: सरकार और चुनाव आयोग के खिलाफ़ मोर्चाबंदी
मुस्लिम हेडमास्टर को हटाने के लिए श्री राम सेना के नेता ने स्कूल के पानी में ज़हर मिलवाया
सेना के अफसर ने स्पाइसजेट कर्मचारियों को पीटा, एक की रीढ़, दूसरे का जबड़ा टूटा
रेलवे ट्रैक पर विस्फोट किया, एक रेलकर्मी की मौत, दूसरा जख्मी
बस्तर में हत्याएं: एनएचआरसी के रिकॉर्ड्स में जवाब कम हैं, सवाल ज़्यादा
सनातन धर्म ने भारत को बर्बाद कर दिया, इस नाम का कोई धर्म था ही नहीं: एनसीपी विधायक
आकार पटेल | अमेरिकी पागलपन का दौर और हमारे लिए सबक
इंग्लैंड को 35 रन चाहिए, भारत को 4 विकेट
भारत पर रूसी जंग में आर्थिक मदद का आरोप
बिहार वोटर लिस्ट में बदलाव
गाज गिरी है महिलाओं और मुसलमानों पर
चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई मतदाता सूचियों के 'विशेष गहन पुनरीक्षण' प्रक्रिया ने देश में एक बड़ा राजनीतिक भूचाल ला दिया है. बिहार में लगभग 65.6 लाख मतदाताओं के नाम ड्राफ़्ट सूची से हटने के बाद यह विवाद शुरू हुआ, जिसने अब एक राष्ट्रव्यापी राजनीतिक टकराव का रूप ले लिया है. स्क्रॉल.इन द्वारा किए गए आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि हटाए गए नामों में महिलाओं और मुस्लिम आबादी वाले ज़िलों की हिस्सेदारी असमान रूप से ज़्यादा है. इन निष्कर्षों ने विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा दे दिया है, जिसने इसे "साइलेंट इनविज़िबल रिगिंग" (चुपचाप होने वाली अदृश्य धांधली) का नाम दिया है. इस मुद्दे पर इंडिया गठबंधन एकजुट होकर सरकार और चुनाव आयोग के खिलाफ़ मोर्चा खोलने की तैयारी में है, वहीं चुनाव आयोग ने इन आरोपों को "भ्रामक और बेबुनियाद" बताते हुए खारिज कर दिया है.
महिलाओं और मुसलमानों पर सबसे ज़्यादा असर?
इस पूरे विवाद के केंद्र में स्क्रोल में आयुष तिवारी की एक विस्तृत रिपोर्ट है, जिसमें 1 अगस्त को जारी बिहार की ड्राफ़्ट वोटर लिस्ट के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है. रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष चौंकाने वाले हैं.
महिलाओं पर असर: ड्राफ़्ट सूची से हटाए गए कुल 65.6 लाख मतदाताओं में 55% महिलाएं हैं. बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 43 सीटों पर तो हटाए गए नामों में 60% से भी ज़्यादा महिलाएं हैं. इसके चलते राज्य के कुल मतदाताओं में महिलाओं की हिस्सेदारी 47.7% से घटकर 47.2% रह गई है.
मुस्लिम बहुल ज़िलों में ज़्यादा कटौती: रिपोर्ट बताती है कि जिन 10 ज़िलों में सबसे ज़्यादा मतदाताओं के नाम सूची से बाहर हुए हैं, उनमें से पांच ज़िले—पूर्णिया, किशनगंज, मधुबनी, भागलपुर और सीतामढ़ी—राज्य के सबसे ज़्यादा मुस्लिम आबादी वाले ज़िले हैं. विश्लेषण एक साफ़ पैटर्न दिखाता है कि जिस ज़िले में मुस्लिम आबादी जितनी ज़्यादा है, वहां से हटाए गए मतदाताओं की संख्या भी उतनी ही अधिक है.
क्षेत्रीय असमानता: पश्चिमी बिहार के गोपालगंज ज़िले में राज्य में सबसे ज़्यादा 15.1% की दर से नाम हटाए गए. यहां की गोपालगंज विधानसभा सीट पर 18.25% की कमी आई, जो राज्य में सर्वाधिक है.
हालांकि चुनाव आयोग का कहना है कि ये नाम मृतकों, स्थायी रूप से कहीं और बस चुके लोगों और डुप्लीकेट पंजीकरणों के कारण हटाए गए हैं, लेकिन इन आंकड़ों ने विपक्ष को यह आरोप लगाने का आधार दे दिया है कि यह प्रक्रिया चुनिंदा समूहों को निशाना बना रही है.
सबसे ज्यादा 4 लाख नाम पटना जिले में हटे, सीमांचल के जिलों में भी लाखों नाम हटाए
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित ड्राफ्ट मतदाता सूची के अनुसार, 65 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं. इनमें लगभग 22 लाख मृतक, 7 लाख अनेक स्थानों पर दर्ज, और 36 लाख वे मतदाता हैं, जो या तो स्थायी रूप से पलायन कर चुके हैं या जिन्हें खोजा नहीं जा सका है. “द इंडियन एक्सप्रेस” में संतोष सिंह ने ड्राफ्ट मतदाता सूची का विश्लेषण करके बताया है कि सबसे ज्यादा वोटर पटना जिले में हटाए गए हैं. जिन 10 जिलों में सर्वाधिक संख्या में मतदाताओं के नाम हटे हैं, उनमें शामिल हैं- पटना (3,95,500 वोटर), मधुबनी (3,52,545), पूर्वी चंपारण (3,16,793), गोपालगंज (3,10,363), समस्तीपुर (2,83,955), मुजफ्फरपुर (2,82,845), सारण (2,73,223), गया (2,45,663), वैशाली (2,25,953) और दरभंगा (2,03,315). वहीं, जिन 10 जिलों में सबसे कम मतदाता सूची से हटाए गए हैं, वे हैं- शेखपुरा (26,256), शिवहर (28,166), अरवल (30,180), लखीसराय (48,824), जहानाबाद (53,089), कैमूर (73,940), मुंगेर (74,916), खगड़िया (79,551), बक्सर (87,645) और जमुई (91,882). जबकि पूर्वी बिहार के मुस्लिम-बहुल सीमांचल क्षेत्र में, पूर्णिया जिले से 2,73,920, अररिया से 1,58,072, किशनगंज से 1,45,668 और कटिहार से 1,84,254 मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं.
तेजस्वी यादव एपिक विवाद: आरोप-प्रत्यारोप के बीच फंसे नेता प्रतिपक्ष
बिहार में एसआईआर पर चल रही बहस के बीच, द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव खुद एक वोटर आईडी विवाद में फंस गए हैं. तेजस्वी ने आरोप लगाया था कि ड्राफ़्ट वोटर लिस्ट से उनका नाम गायब है. लेकिन चुनाव आयोग ने उनके दावे को "बेबुनियाद" बताते हुए कहा कि उनका नाम सूची में एक अलग EPIC (वोटर आईडी) नंबर के तहत मौजूद है.
चुनाव आयोग ने तेजस्वी यादव को नोटिस जारी कर उस वोटर आईडी कार्ड के बारे में स्पष्टीकरण मांगा है, जिसे उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखाया था. आयोग का कहना है कि तेजस्वी ने जो EPIC नंबर (RAB2916120) दिखाया, वह कभी जारी ही नहीं किया गया. उनका असली EPIC नंबर (RAB0456228) है और उनका नाम पटना की दीघा विधानसभा सूची में दर्ज है. इस खुलासे के बाद एनडीए ने तेजस्वी पर दो वोटर कार्ड रखने का आरोप लगाते हुए कानूनी कार्रवाई की मांग की है, जिससे यह मामला तेजस्वी के लिए एक राजनीतिक झटका बन गया है.
इंडिया गठबंधन की एकजुटता: सरकार और चुनाव आयोग के खिलाफ़ मोर्चाबंदी
एसआईआर के मुद्दे ने विपक्षी इंडिया गठबंधन को एक बार फिर एकजुट कर दिया है. द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार, लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार गठबंधन के सभी दल एक साथ फिजिकल बैठक करने जा रहे हैं. 7 अगस्त को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के आवास पर एक डिनर मीटिंग होगी, जिसके बाद 8 अगस्त को सभी दल मिलकर चुनाव आयोग मुख्यालय तक एक संयुक्त विरोध मार्च निकालेंगे. यह बैठक और मार्च इस बात का संकेत है कि विपक्ष इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से ले रहा है और इसे राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़े आंदोलन में बदलने की तैयारी में है.
'साइलेंट इनविज़िबल रिगिंग': विपक्ष का राष्ट्रव्यापी हमला
वोटर लिस्ट में बदलाव का यह मुद्दा अब सिर्फ़ बिहार तक सीमित नहीं रहा. तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इसे "साइलेंट इनविज़िबल रिगिंग" (एसआईआर) का नाम देते हुए केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर बड़ा हमला बोला है. TMC सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा कि विपक्ष संसद में इस पर चर्चा के लिए सरकार को नियमों का पाठ पढ़ाएगा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग राज्यों के चुनावी चरित्र को बदलने की कोशिश कर रहा है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी आशंका जताई है कि ऐसी ही कवायद के ज़रिए उनके राज्य में बंगाली मतदाताओं को निशाना बनाने की साज़िश रची जा रही है. विपक्ष इस पूरी प्रक्रिया को लोकतंत्र के लिए ख़तरा बताते हुए इसे "वोट चोरी" के रूप में प्रचारित कर रहा है.
चुनाव आयोग का पलटवार: चिदंबरम के दावों को बताया 'भ्रामक' और 'बेतुका'
विपक्ष के चौतरफ़ा हमलों के बीच चुनाव आयोग ने भी अपना पक्ष मज़बूती से रखा है. डेक्कन हेरल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के उन दावों को "भ्रामक और आधारहीन" बताते हुए खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने बिहार में 65 लाख वोटरों के नाम हटने को तमिलनाडु में 6.5 लाख प्रवासियों के नाम जोड़े जाने से जोड़ा था. चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि बिहार की एसआईआर प्रक्रिया अभी तमिलनाडु में लागू नहीं हुई है और दोनों को जोड़ना "बेतुका" है. हालांकि, आयोग के इस बयान के बावजूद तमिलनाडु के स्थानीय दल (DMK, VCK, NTK) प्रवासियों को मतदाता सूची में जोड़ने पर अपनी असहमति जता रहे हैं, जिससे यह विवाद और भी जटिल हो गया है.
हेट क्राइम
मुस्लिम हेडमास्टर को हटाने के लिए श्री राम सेना के नेता ने स्कूल के पानी में ज़हर मिलवाया
न्यूज़ मिनट के मुताबिक कर्नाटक के बेलगावी ज़िले में एक मुस्लिम हेडमास्टर को पद से हटाने के लिए श्री राम सेना के एक स्थानीय नेता ने कथित तौर पर एक सरकारी स्कूल के पानी में ज़हर मिलवा दिया. पुलिस के अनुसार, स्कूल के हेडमास्टर सुलेमान गोरिनाइक पिछले 13 साल से वहां पढ़ा रहे थे. श्री राम सेना के सौन्दत्ती तालुका अध्यक्ष सागर पाटिल उन्हें बदनाम कर उनका तबादला करवाना चाहता था. आरोप है कि पाटिल ने एक बच्चे को चॉकलेट और पैसे का लालच देकर स्कूल की पानी की टंकी में कीटनाशक डलवा दिया. 14 जुलाई को ज़हरीला पानी पीने से 7 से 10 साल के कई बच्चे बीमार पड़ गए, जो अब ठीक हो रहे हैं. पुलिस ने मुख्य आरोपी सागर पाटिल समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे धार्मिक कट्टरता और सांप्रदायिक नफ़रत से प्रेरित घिनौना कृत्य बताया और कहा कि दोषियों को कड़ी सज़ा दी जाएगी.
सेना के अफसर ने स्पाइसजेट के कर्मचारियों को बुरी तरह पीटा, एक की रीढ़, दूसरे का जबड़ा टूटा
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर एयरपोर्ट पर अतिरिक्त लगेज को लेकर सेना के एक अधिकारी ने स्पाइसजेट के चार कर्मचारियों के साथ मारपीट की. एक कर्मचारी की रीढ़ की हड्डी टूट गई, दूसरे का जबड़ा टूट गया और तीसरे की नाक से खून निकलने लगा. चौथा कर्मचारी बेहोश हो गया, इसके बावजूद आरोपी उसे लातें मारता रहा. यह घटना 26 जुलाई की है, लेकिन अब सामने आई है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी अफसर की पहचान लेफ्टिनेंट कर्नल रितेश कुमार सिंह के रूप में हुई है. वह गुलमर्ग स्थित हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल में तैनात है. उसके पास 16 किलो लगेज था, जबकि 7 किलो से ज्यादा लगेज पर अतिरिक्त शुल्क देना पड़ता है. आरोपी से जब शुल्क देने के लिए कहा गया तो उसने इनकार कर दिया. इसी बात पर विवाद हो गया. पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है.
झारखंड में माओवादियों ने रेलवे ट्रैक पर विस्फोट किया, एक रेलकर्मी की मौत, दूसरा जख्मी
माओवादियों द्वारा कथित रूप से किए गए आईईडी विस्फोट में एक रेलवे कर्मचारी की मौत हो गई और एक अन्य गंभीर रूप से घायल हो गया. झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में यह विस्फोट सुबह करीब 9.30 बजे उस वक्त हुआ, जब रेलवे की गश्ती टीम रविवार तड़के हुए एक विस्फोट के बाद मौके का निरीक्षण कर रही थी. तड़के हुए विस्फोट में रेल पटरी का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था. इस घटना की पुष्टि करते हुए चक्रधरपुर के एक रेलवे अधिकारी ने बताया कि यह घटना माओवादियों द्वारा ‘शहीद सप्ताह’ (28 जुलाई से 3 अगस्त तक आयोजित) के दौरान दो चरणों में किए गए हमलों का हिस्सा थी.
समान नागरिक संहिता का समय आ गया है : पूर्व सीजेआई
एनडीटीवी के अनुसार, पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि संविधान में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की इच्छा व्यक्त की गई है. संविधान के 75 साल बाद अब समय है कि इस लक्ष्य को हासिल किया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम देश की सभी जातियों, समुदायों और वर्गों को भरोसे में लेकर ही उठाया जाना चाहिए. चंद्रचूड़ शनिवार को कांग्रेस सांसद शशि थरूर की नई किताब ‘अवर लिविंग कान्सटीट्यूशन’ के विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान देश को स्थिरता प्रदान करने वाली सबसे बड़ी ताकत है.
सनातन धर्म ने भारत को बर्बाद कर दिया, इस नाम का कोई धर्म था ही नहीं: एनसीपी विधायक
एनसीपी (एसपी) के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने कहा है कि सनातन धर्म ने भारत को बर्बाद कर दिया. सनातन नाम का कोई धर्म कभी था ही नहीं. इसकी विचारधारा विकृत है. हम हिंदू धर्म के अनुयायी हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि इसी तथाकथित सनातन धर्म ने हमारे छत्रपति शिवाजी महाराज को राज्याभिषेक से वंचित रखा, छत्रपति संभाजी महाराज को बदनाम किया. इसके अनुयायियों ने ज्योतिबा फुले की हत्या की कोशिश की. सावित्रीबाई फुले पर गोबर और गंदगी फेंकी गई. इसी सनातन धर्म ने शाहूजी महाराज की हत्या की साजिश रची. इसने डॉ. बीआर अंबेडकर को पानी पीने और स्कूल जाने तक नहीं दिया. बाबासाहेब अंबेडकर सनातन धर्म के खिलाफ थे, उन्होंने मनुस्मृति को जलाया और उसकी दमनकारी परंपराओं को खारिज किया. आव्हाड का यह बयान मालेगांव ब्लास्ट के सभी सात आरोपियों को बरी किए जाने और भगवा आतंकवाद पर जारी राजनीतिक बहस के बीच आया है. इसके जवाब में भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि कांग्रेस का इको सिस्टम सनातन धर्म को सतत गाली देता है और उसे मिटाने की कोशिश में लगा रहता है.
बस्तर में हत्याएं: एनएचआरसी के रिकॉर्ड्स में जवाब कम हैं, सवाल ज़्यादा
छत्तीसगढ़ के बस्तर में जनवरी 2024 से हिंसा में भारी बढ़ोतरी देखी गई है. पिछले डेढ़ साल में यहां लगभग 589 लोग मारे गए हैं, जिनमें आम नागरिक, सुरक्षा बल और माओवादी शामिल हैं. यह संख्या 2019 से 2023 तक के पांच सालों में हुई कुल मौतों (534) से भी ज़्यादा है. द वायर के लिए सौम्या लांबा की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन मौतों से जुड़े राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के रिकॉर्ड्स जवाब देने के बजाय और ज़्यादा सवाल खड़े करते हैं. इन रिकॉर्ड्स की जांच करने पर पता चलता है कि मारे गए लोगों की पहचान को व्यवस्थित तरीके से नज़रअंदाज़ किया गया है और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए बनी संस्था खुद अपनी भूमिका निभाने में नाकाम रही है. द वायर में सौम्या लांबा का लंबा शोधपरक लेख इस बारे में छपा है.
रिपोर्ट में पाया गया कि एनएचआरसी में दर्ज शिकायतों में मारे गए ज़्यादातर लोगों के नाम की जगह “अज्ञात नक्सली”, “अज्ञात माओवादी”, या “अज्ञात पुरुष और महिला” जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है. उनके गांव या पते का कोई ज़िक्र नहीं है. यह सिर्फ़ जानकारी की कमी नहीं है, बल्कि रिकॉर्ड्स में गंभीर गड़बड़ियां भी हैं. उदाहरण के लिए, एक शिकायत में मृतकों की लैंगिक गिनती को '4 पुरुष, 2 महिला' से बदलकर '5 महिला, 1 पुरुष' कर दिया गया. एक अन्य मामले में, 20 पुरुषों और 11 महिलाओं, सभी को पुरुष के रूप में दर्ज किया गया. इन गलतियों का बार-बार होना यह शक पैदा करता है कि यह सब जानबूझकर किया जा रहा है ताकि पहचान छिपाई जा सके.
रिपोर्ट कुछ परेशान करने वाले मामलों पर भी प्रकाश डालती है. एक मामले में, क्रॉस-फायरिंग में एक छह महीने के बच्चे की मौत हो गई, और इस केस को 7 लाख रुपये का मुआवज़ा देकर बंद कर दिया गया, लेकिन यह साफ़ नहीं है कि जांच हुई या नहीं और क्या मुआवज़ा पीड़ित परिवार तक पहुंचा. एक और घटना में, जब सुरक्षा बलों ने 12 कथित माओवादियों को मार गिराया, तो स्थानीय ग्रामीणों ने दावा किया कि उनमें से 10 आम नागरिक थे. इतनी बड़ी घटना के बावजूद, एनएचआरसी ने चुप्पी साधे रखी और किसी भी तरह की स्वतंत्र जांच या फैक्ट-फाइंडिंग टीम भेजने की ज़रूरत नहीं समझी.
एनएचआरसी द्वारा दिए गए मुआवज़े का रिकॉर्ड भी निराशाजनक है. कई मामलों में, या तो मुआवज़े का आदेश ही नहीं दिया गया, या फिर यह स्पष्ट नहीं है कि पैसा कभी पीड़ितों तक पहुंचा भी है या नहीं. अतीत में ऐसे उदाहरण भी हैं जहां पीड़ितों ने मुआवज़ा लेने से इनकार कर दिया क्योंकि दोषियों के खिलाफ़ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की गई थी. 2015 में बीजापुर में आदिवासी महिलाओं के साथ हुए यौन उत्पीड़न के एक मामले में, एनएचआरसी ने मुआवज़े का आदेश दिया था, लेकिन महिलाओं ने इसे यह कहकर ठुकरा दिया कि जब तक अपराधियों को सज़ा नहीं मिलती, वे पैसा स्वीकार नहीं करेंगी.
लेखिका का तर्क है कि यह सिर्फ़ लिपिकीय गलतियां नहीं हैं, बल्कि यह पीड़ितों की पहचान को मिटाने और उन्हें महज़ एक संख्या में बदलने की एक “राजनीतिक कार्रवाई” है. मानवाधिकारों की रक्षा के लिए बनाई गई संस्था खुद सच को दबाने में एक तरह से भागीदार बन गई है. एनएचआरसी को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करने की ज़रूरत है. उसे मृतकों को इंसान के रूप में पहचान देनी चाहिए, रिकॉर्ड्स को अपडेट करना चाहिए, मुआवज़े के भुगतान को सत्यापित करना चाहिए, और सबसे ज़रूरी, न्याय सुनिश्चित करने के लिए पारदर्शी और स्वतंत्र जांच करवानी चाहिए. सिर्फ़ मुआवज़ा न्याय का विकल्प नहीं हो सकता.
विश्लेषण
आकार पटेल | अमेरिकी पागलपन का दौर और हमारे लिए सबक
संयुक्त राज्य अमेरिका में 34 करोड़ लोग हैं (उत्तर प्रदेश और बिहार के बराबर). अमेरिकी दुनिया की आबादी का 4 प्रतिशत हैं और वे उस चीज़ के सबसे बड़े लाभार्थी हैं जिसे अमेरिका नियम-आधारित व्यवस्था कहता है.
यह व्यवस्था, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका और इसके यूरोपीय सहयोगियों द्वारा लागू की गई, संयुक्त राष्ट्र और विश्व व्यापार संगठन जैसी संस्थाओं के माध्यम से वैश्विक सहयोग चाहती है. अमेरिकी अपने राष्ट्रपति को, बिना किसी व्यंग्य के, 'आज़ाद दुनिया का नेता' कहते हैं. 'नियम-आधारित व्यवस्था' की संस्थाओं में से एक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार अमेरिका की प्रति व्यक्ति आय लगभग $90,000 है. भारत की प्रति व्यक्ति आय इसके 1/30वें से भी कम है, $3000 से कम. अमेरिकी अर्थव्यवस्था पिछले कुछ दशकों में तेज़ी से बढ़ी है क्योंकि इसकी कंपनियों ने अपने उत्पाद — जैसे विमान, फ़ोन और कंप्यूटर — और सेवाएं — जैसे सोशल मीडिया कंपनियां — दुनिया भर में भेजी हैं, जहां वे हावी हैं.
अपनी नौकरियों की संख्या में हाल की गिरावट के बावजूद भी, अमेरिका जिसे पूर्ण रोज़गार कहा जाता है उस स्थिति में चल रहा है, मतलब बेरोज़गारी लगभग 4% है, जो आदर्श है. इसका मतलब है कि आय और नौकरियों के दृष्टिकोण से, अमेरिका बहुत अच्छी स्थिति में है, खासकर जब भारत जैसे देशों से तुलना की जाए, जहां गरीबी और बेरोज़गारी, विशेष रूप से नियमित, वेतनभोगी रोज़गार की अनुपस्थिति में, एक गंभीर समस्या है.
और फिर भी अमेरिका दुनिया से नाखुश है, जो उसके अनुसार उसे 'लूट रही है', अमेरिकी राष्ट्रपति के शब्दों में. उन्होंने इस चोरी को, जैसा कि वे इसे देखते हैं, उलट दिया है दूसरे देशों के लिए अपने उत्पादों को अमेरिका में निर्यात करना कठिन बनाकर. अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाज़ार है, और हमारे सामान पर 25% टैरिफ डिमांड को कमज़ोर करेगा, हमारे निर्यातकों को नुकसान पहुंचाएगा. इस हक़ीकत से बचने का कोई रास्ता नहीं है. यदि टैरिफ बने रहते हैं, तो हमारे हितों को नुकसान होगा, चाहे अंततः टैरिफ कोई भी भरे.
अमेरिका के लोकतंत्र के अंदर इस बात की कोई सार्थक बहस नहीं है कि क्या राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा की गई कार्रवाइयां वैश्विक नियम-आधारित व्यवस्था और इसके मित्रों और सहयोगियों को नुकसान पहुंचाती हैं, गरीब देशों की बात तो छोड़िए. अमेरिका ने जो किया है वह उस व्यवस्था को ध्वस्त कर देना है जहां टैरिफ मौजूद थे लेकिन डबल्यूटीओ नियमों और विनियमों की एक प्रणाली के तहत इस्तेमाल किए जाते थे जिनकी अपील की जा सकती थी. अमेरिका ने इसकी अवहेलना की है, और उस व्यवस्था को कमज़ोर किया है जिसने दशकों से इसकी अच्छी सेवा की है. ऐसा करते हुए यह बाकी दुनिया को नुकसान पहुंचा रहा है.
नियम आधारित व्यवस्था की दूसरी अवहेलना है गाज़ा में नरसंहार को अमेरिकी सक्षमता. युद्ध के माध्यम से दुनिया को अत्याचार और तानाशाही से मुक्त कराने के लिए हमेशा उत्सुक, अमेरिका ने इज़राइल की सुरक्षा की है जबकि वह हज़ारों फिलिस्तीनियों का नरसंहार करता है और उन्हें भूखा मारता है, और ईरान पर अवैध युद्ध छेड़ता है. दुनिया के अधिकांश देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने वोट के माध्यम से गाज़ा की भयावहता को समाप्त करने का आह्वान किया है, लेकिन अमेरिका ने अपने वीटो का इस्तेमाल करके इस 21वीं सदी के होलोकॉस्ट को जारी रखने दिया है.
टैरिफ के मामले की तरह, अमेरिका दुनिया को बता रहा है कि वह नियम-आधारित व्यवस्था छोड़ रहा है और दुनिया से जो कुछ भी निकाल सकता है, और यहां तक कि जबरदस्ती भी कर सकता है, उसके लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल करना पसंद करता है.
इन कार्रवाइयों से हम कुछ बातें सीख सकते हैं. एक यह है कि अमेरिका ने अब एक मिसाल कायम की है. जो देश अब शक्तिशाली बनेगा उसके पास कमज़ोर देशों के साथ कैसे व्यवहार करना है इसका उदाहरण होगा. और वह यह है कि ताकत ही सही है का कायदा उतना ही वैध है जितना नियम-आधारित व्यवस्था. आज इसके खिलाफ ग्लोबल साउथ से बहुत कमज़ोर प्रतिरोध है, और ब्रिक्स देशों के अंदर की दरारें, जिनमें हमें यहां जाने की ज़रूरत नहीं है, ने अमेरिकी धमकाने में मदद की है.
दूसरी बात यह है कि हमें गंभीरता से विचार करना चाहिए कि हमारी व्यक्तिगत शैली की कूटनीति का क्या फायदा हुआ है. हमने फिलिस्तीन जैसे मामलों पर दशकों की संस्थागत सहमति को फेंक दिया है, इज़राइली नेता के साथ गले मिलने के लिए. अमेरिकी राष्ट्रपति को हमने जो भी सम्मान दिया है, चाहे यहां या वहां की रैलियों में, और वास्तव में भारतीय-अमेरिकियों को उनके लिए वोट देने के लिए प्रोत्साहित करना, इससे कोई फायदा या दया तक नहीं मिली है. सम्राट अपने सिर के अंदर की आवाज़ के अलावा कुछ भी नहीं सुनते लेकिन फिर भी यह कहा जाना चाहिए.
आखिरी बात जिस पर हमें विचार करना चाहिए वह यह है कि इस समय अमेरिका को क्या परेशान कर रहा है. यह क्यों है, अपनी संपत्ति और शक्ति और आरामदायक आर्थिक स्थिति को देखते हुए, कि अमेरिका इस पागलपन के दौर से गुज़र रहा है? इसका उत्तर ग्लोबल साउथ के उदय में और विशेष रूप से, चीन के उदय में मिलता है. यदि चीज़ें पिछले 30 वर्षों की तरह जारी रहती हैं, तो एक या दो दशक में अमेरिका एक सदी से अधिक समय में पहली बार, दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था नहीं रहेगा. यह 'पश्चिम' कहे जाने वाले के लिए अस्वीकार्य है. यह उत्तरी अमेरिका में, ऑस्ट्रेलिया में, दक्षिण अफ्रीका में सदियों से जो करता रहा है, या आज फिलिस्तीन में जो कर रहा है, वह करना जारी नहीं रख पाएगा.
जैसे-जैसे बाकी दुनिया पश्चिम के बराबर बढ़ रही है, उसके नियंत्रण और प्रभुत्व की क्षमता फिसल रही है. इसने इसी कारण से नियम आधारित व्यवस्था को छोड़ दिया है, और शुद्ध ताकत का सहारा ले रहा है. यह दुनिया के लिए और विशेष रूप से उन देशों के लिए सबसे खतरनाक समय है जिन्हें गरीबी से बाहर निकलने के लिए कुछ और दशकों की स्थिरता और वैश्विक सहयोग की ज़रूरत है.
लेखक स्तंभकार हैं और एमनेस्टी इंडिया के प्रमुख भी
भारत पर रूसी जंग में आर्थिक मदद का आरोप
रॉयटर्स के मुताबिक अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक शीर्ष सहयोगी ने भारत पर यूक्रेन में रूस की जंग को आर्थिक रूप से मदद करने का गंभीर आरोप लगाया है. ट्रंप के डिप्टी चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ स्टीफन मिलर ने रविवार को कहा कि भारत का रूस से तेल खरीदना "स्वीकार्य नहीं है" क्योंकि इससे रूस को युद्ध जारी रखने के लिए पैसा मिल रहा है. उन्होंने फॉक्स न्यूज़ पर कहा, "लोगों को यह जानकर हैरानी होगी कि भारत रूसी तेल खरीदने में लगभग चीन के बराबर है." यह बयान ट्रंप द्वारा भारत पर रूसी तेल न खरीदने का दबाव बढ़ाने के बाद आया है. अमेरिका ने रूस से सैन्य उपकरण और ऊर्जा खरीदने को लेकर पहले ही कुछ भारतीय उत्पादों पर 25% टैरिफ लगा दिया है. हालांकि, मिलर ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ट्रंप के "शानदार" संबंध हैं.
भारत भी ना पाले कोरी उम्मीद!
'रायटर्स' की रिपोर्ट है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा पिछले हफ्ते अनेक देशों पर लगाए गए टैरिफ (आयात शुल्क) शायद ही हटाए जाएं, बल्कि ये बातचीत के तहत भी ज्यादातर बने रहेंगे, ऐसा रविवार को अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमिसन ग्रीयर ने कहा. शुक्रवार की समयसीमा से पहले, ट्रम्प ने एक कार्यकारी आदेश के तहत कई देशों पर भारी टैरिफ लगाए. इनमें कनाडा पर 35% शुल्क, ब्राज़ील पर 50%, भारत पर 25%, ताइवान पर 20% और स्विट्ज़रलैंड पर 39% शुल्क शामिल है.
ट्रम्प के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद से चल रही व्यापार वार्ताओं के दौरान कुछ टैरिफों में पहले ही कटौती की गई है जैसे कि यूरोपीय संघ के साथ एक समझौते के तहत हाल ही में लगाए गए शुल्कों को आधा किया गया. हालांकि, ग्रीयर ने रविवार को CBS के ‘फेस द नेशन’ कार्यक्रम में साफ किया कि हाल की टैरिफ लिस्ट में ऐसी कोई छूट नहीं दी जाएगी. “इनमें से कई शुल्क दरें विशेष समझौतों के तहत तय की गई हैं. कुछ समझौते सार्वजनिक हैं, कुछ नहीं और कुछ हमारे व्यापार घाटे या अधिशेष के स्तर पर निर्भर करते हैं,” उन्होंने कहा. “ये शुल्क दरें लगभग तय मानी जानी चाहिए.” ग्रीयर ने यह भी कहा कि चीन के साथ हालिया व्यापार वार्ताएं “काफी सकारात्मक” रही हैं और इनमें रेयर अर्थ मैग्नेट और खनिजों की आपूर्ति पर फोकस किया गया है.
“हम यह सुनिश्चित करने पर काम कर रहे हैं कि चीन से अमेरिका तक मैग्नेट और उससे जुड़ी सप्लाई चेन पहले की तरह सुचारू रूप से चले... और मैं कहूंगा कि हम अभी इस दिशा में आधे रास्ते तक पहुंच चुके हैं.”
विश्लेषण | टीके अरुण
एप्स्टीन मामले के बीच, ट्रम्प ने भारत पर टैरिफ़ लगाया, पाकिस्तान को तेल देने की बात की
पत्रकार टीके अरुण लिखते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, जो हमेशा सुर्खियों में रहना पसंद करते हैं, ने एक बार फिर भारत को निशाना बनाया है, जबकि वह खुद जेफ़री एप्स्टीन मामले के बढ़ते दबाव से जूझ रहे हैं. द वीक में प्रकाशित टी के अरुण की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर यह घोषणा करके भारत को चौंका दिया कि वह भारत पर 25% का टैरिफ़ लगा रहे हैं. इसके साथ ही, उन्होंने रूस से तेल और हथियार खरीदने के लिए एक अलग से दंडात्मक शुल्क लगाने की भी धमकी दी है.
रिपोर्ट के मुताबिक़, इस घोषणा पर भारतीय अधिकारियों ने तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. हालांकि, इस बात की संभावना जताई जा रही है कि ट्रम्प बाद में अपने बयान से कुछ हद तक पीछे हट सकते हैं और 25% टैरिफ़ को कम करके 15% पर ला सकते हैं, जैसा कि उन्होंने यूरोपीय संघ, जापान और दक्षिण कोरिया के साथ किया था. भारत के लिए किसी भी स्तर का टैरिफ़ प्रबंधनीय हो सकता है, लेकिन यह पूरी तरह से अस्वीकार्य होगा कि अमेरिका या कोई और देश यह तय करे कि भारत को अपने हथियार किससे खरीदने चाहिए.
ट्रम्प का भारत के प्रति गुस्सा यहीं नहीं रुका. पाकिस्तान के साथ एक व्यापार सौदे को अंतिम रूप देने के ठीक बाद, उन्होंने 'ट्रुथ सोशल' पर एक और पोस्ट किया. इस पोस्ट में उन्होंने कहा कि अमेरिका पाकिस्तान को उसके विशाल तेल भंडार विकसित करने में मदद करेगा और शायद भविष्य में पाकिस्तान भारत को तेल बेचना शुरू कर दे. इस तंज से पहले उन्होंने लिखा, "मुझे परवाह नहीं है कि भारत रूस के साथ क्या करता है. वे अपनी मृत अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ नीचे ले जा सकते हैं, मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता." उनके इस बयान ने यह अस्पष्ट कर दिया है कि क्या वह अपने पहले लगाए गए दंडात्मक शुल्क की घोषणा से पीछे हट रहे हैं या नहीं.
यह पूरा घटनाक्रम ऐसे समय में हो रहा है जब ट्रम्प जेफ़री एप्स्टीन मामले को लेकर गहरे संकट में हैं. एप्स्टीन, जो अमीर और शक्तिशाली लोगों के लिए नाबालिग लड़कियों की तस्करी का दोषी था, कभी ट्रम्प का दोस्त हुआ करता था. जेल में उसकी कथित आत्महत्या ने कई सवाल खड़े कर दिए थे. अब 'द वॉल स्ट्रीट जर्नल' की एक रिपोर्ट के बाद यह मामला फिर से गरमा गया है, जिसमें दावा किया गया है कि एप्स्टीन फ़ाइलों में ट्रम्प का भी ज़िक्र है. माना जा रहा है कि ट्रम्प भारत पर टैरिफ़ जैसे मुद्दों को उठाकर जनता का ध्यान एप्स्टीन विवाद से भटकाने की कोशिश कर रहे हैं.
फिर तकनीकी दिक्कत से हुई एयर इंडिया की फ्लाइट हुई रद्द : एयर इंडिया ने रविवार (3 अगस्त, 2025) को सिंगापुर से चेन्नई जाने वाली फ्लाइट AI349 को तकनीकी कारणों की वजह से रद्द कर दिया. फ्लाइट को एयरबस A321 विमान से संचालित किया जाना था. एयरलाइन ने बताया कि उड़ान भरने से पहले एक तकनीकी मरम्मत कार्य की आवश्यकता पाई गई, जिसे पूरा करने में अधिक समय लगने के कारण यह निर्णय लिया गया. एयर इंडिया की ओर से कहा गया - “यात्रियों को जल्द से जल्द चेन्नई पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है. उन्हें होटल में ठहरने की सुविधा दी गई है. इसके साथ ही यात्री अपनी पसंद के अनुसार पूर्ण रिफंड या मुफ्त रीशेड्यूलिंग का विकल्प चुन सकते हैं.”
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के घर बम की झूठी धमकी देने वाला युवक गिरफ्तार : नागपुर में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के निवास पर बम धमकी देने के मामले में पुलिस ने रविवार को उमेश विष्णु राऊत नामक युवक को गिरफ्तार किया. उसने सुबह इमरजेंसी नंबर 112 पर कॉल कर झूठी धमकी दी थी, जिससे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया. पुलिस जांच में मोबाइल नंबर ट्रेस कर आरोपी को नागपुर के सक्करदारा इलाके से पकड़ा गया. वह एक देसी शराब की दुकान में काम करता है. पूछताछ के बाद पता चला कि धमकी महज अफवाह थी. आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर आगे की जांच जारी है.
क्रिकेट टेस्ट मैच के आख़िरी दिन
इंग्लैंड को 35 रन चाहिए, भारत को 4 विकेट
द गार्डियन के लिए अली मार्टिन लिखते हैं कि भारत और इंग्लैंड के बीच पांचवां और अंतिम टेस्ट मैच एक रोमांचक मोड़ पर पहुंच गया है. ओवल में खेले जा रहे मैच के चौथे दिन का खेल खराब रोशनी और फिर बारिश के कारण जल्दी समाप्त हो गया. उस समय तक इंग्लैंड 374 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए 6 विकेट पर 339 रन बना चुका था. अब मैच के आख़िरी दिन इंग्लैंड को जीत के लिए 35 रनों की और ज़रूरत है, जबकि भारत को सीरीज़ 2-2 से बराबर करने के लिए 4 विकेट चाहिए. चौथे दिन इंग्लैंड के लिए हैरी ब्रूक (111) और जो रूट (105) ने शानदार शतक जड़े और 195 रनों की साझेदारी कर अपनी टीम को जीत की दहलीज़ पर पहुंचा दिया था. लेकिन इसके बाद भारतीय गेंदबाज़ों ने वापसी करते हुए दोनों शतकवीरों समेत कुछ और विकेट जल्दी-जल्दी चटकाकर मैच में जान फूंक दी. अब पांचवें दिन का खेल तय करेगा कि इस कांटे की टक्कर में कौन सी टीम बाज़ी मारती है.
रूसी तेल डिपो पर यूक्रेनी ड्रोन हमला
'द गार्डियन' की रिपोर्ट है कि सोची (रूस) स्थित काले सागर तट के पास एक तेल डिपो पर यूक्रेन के ड्रोन हमले से भीषण आग लग गई. 2,000 क्यूबिक मीटर क्षमता वाले ईंधन टैंक में आग लगी जिसे बुझाने के लिए 120 से अधिक फायरफाइटर जुटे हैं. हमले से उड़ानें रोक दी गईं और पूरे क्षेत्र में काला धुआं छा गया.
इस बीच, रूस ने यूक्रेन के मिकोलेव शहर में मिसाइल दागी जिससे सात लोग घायल हुए. वहीं, रूस के वोरोनेज क्षेत्र में एक अन्य यूक्रेनी ड्रोन हमले में चार लोग जख्मी हुए. बीते गुरुवार को रूस ने कीव पर बड़ा ड्रोन और मिसाइल हमला किया था जिसमें 31 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें पांच बच्चे भी शामिल थे. 150 से अधिक लोग घायल हुए थे. इसे हाल के महीनों में सबसे घातक हमला माना जा रहा है. यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काजा कैलास ने इस हमले को “निर्मम” बताया और ईयू मुख्यालय पर झंडा आधा झुकाया गया.
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की लगातार अपने सहयोगियों से अधिक वायु रक्षा प्रणाली की मांग कर रहे हैं. जर्मनी ने घोषणा की है कि वह अमेरिका निर्मित दो और पैट्रियट सिस्टम जल्द यूक्रेन को देगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस को 8 अगस्त तक शांति प्रयासों में प्रगति लाने की चेतावनी दी है, अन्यथा नए आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने की बात कही है.
यूक्रेनी वायु सेना के अनुसार, शनिवार रात रूस ने 76 ड्रोन और 7 मिसाइलें दागीं, जिनमें से 60 ड्रोन और 1 मिसाइल को नष्ट कर दिया गया, लेकिन 16 ड्रोन और 6 मिसाइलें अपने लक्ष्य पर लगीं. रूसी रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि उन्होंने 93 यूक्रेनी ड्रोन को इंटरसेप्ट किया, जिनमें काला सागर के ऊपर उड़ रहे 60 ड्रोन शामिल थे.
इस बीच, कीव में भ्रष्टाचार को लेकर उबाल आ गया. ड्रोनों और हथियारों की खरीद में घोटाले का खुलासा होने के बाद एक सांसद और कई अधिकारी गिरफ्तार हुए हैं. राष्ट्रपति जेलेंस्की ने X (पूर्व ट्विटर) पर गिरफ्तारी की जानकारी दी और 'भ्रष्टाचार के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस' की घोषणा की. माना जा रहा है कि इस घोटाले में राज्य अनुबंधों की कीमतें एक-तिहाई तक बढ़ा दी गईं.
इज़रायली गोलीबारी में 40 की मौत, सहायता केंद्र जाते हुए भी निशाना
फिलिस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, रविवार को ग़ाज़ा में इज़रायली गोलीबारी और हवाई हमलों में कम से कम 40 लोग मारे गए. इनमें कुछ लोग वे थे जो दक्षिण और मध्य ग़ज़ा में सहायता वितरण केंद्रों की ओर जा रहे थे.
चलते-चलते
भारत में मिला ऐसा दुर्लभ ब्लड ग्रुप जो आज तक
आपने 'ए', 'बी', 'ओ' और 'आरएच' जैसे ब्लड ग्रुप्स के बारे में सुना होगा. इनके अलावा कुछ दुर्लभ ब्लड ग्रुप्स भी होते हैं. लेकिन अब भारत में एक नया ब्लड ग्रुप पाया गया है, इसका नाम है सीआरआईबी.
सीआरआईबी में 'सी' का मतलब है क्रोमर (Cromer यानी CH) जो कुल 47 ब्लड ग्रुप्स में से एक है, 'आई' का मतलब है इंडिया और 'बी' का मतलब है बेंगलुरु. आसान शब्दों में कहा जाए तो ये एक ऐसा ब्लड ग्रुप है जो बेंगलुरु के पास एक महिला में पाया गया है. ‘बीबीसी’ हिंदी की रिपोर्ट है कि भारत के बेंगलुरु में चिकित्सा विज्ञान ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. यहां एक महिला के शरीर में दुनिया का एक बिल्कुल नया और अत्यंत दुर्लभ रक्त समूह पाया गया है, जिसे वैज्ञानिकों ने नाम दिया है - CRIB. यह नाम ‘Cromer India Bengaluru’ के आधार पर रखा गया है और इसे Cromer रक्त समूह प्रणाली का 21वां एंटीजन माना जा रहा है.
यह खोज तब सामने आई जब कोलार जिले की रहने वाली 38 वर्षीय महिला को एक जटिल हृदय शल्य चिकित्सा के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया. जब डॉक्टरों ने ऑपरेशन से पहले ब्लड ट्रांसफ्यूज़न की आवश्यकता महसूस की, तो पता चला कि महिला का रक्त किसी भी सामान्य या दुर्लभ ज्ञात रक्त समूह से मेल नहीं खा रहा है. इसके बाद उसका नमूना यूनाइटेड किंगडम स्थित इंटरनेशनल ब्लड ग्रुप रेफरेंस लेबोरेटरी (IBGRL) भेजा गया. करीब 10 महीने तक चली विस्तृत जांच के बाद वैज्ञानिकों ने घोषणा की कि महिला के रक्त में एक नया और अभूतपूर्व एंटीजन मौजूद है, जो अब तक मानव जाति में कभी रिकॉर्ड नहीं हुआ था. CRIB को Cromer ब्लड ग्रुप सिस्टम का हिस्सा माना गया है. यह एक ऐसी प्रणाली है जिसमें अब तक 20 एंटीजन शामिल माने जाते थे. CRIB को अब 21वें एंटीजन के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. इसे “INRA” नाम से भी संदर्भित किया गया है - Indian Red Cell Antigen. रक्त समूह की इस असाधारण विशिष्टता का अर्थ यह है कि महिला का रक्त किसी भी ज्ञात डोनर से मेल नहीं खा सकता. वह दूसरों को रक्त दे सकती हैं, लेकिन स्वयं किसी से भी रक्त नहीं ले सकतीं. इमरजेंसी की स्थिति में उन्हें केवल स्वयं का पहले से जमा किया गया रक्त ही चढ़ाया जा सकता है. परिवार के 20 सदस्यों के रक्त नमूनों की जांच की गई, लेकिन किसी में यह रक्त समूह नहीं पाया गया. यह दर्शाता है कि यह एक पूर्णतः अनोखा आनुवंशिक संयोजन है. रक्त समूह विज्ञान की विशेषज्ञ डॉ. अनुराधा (NIMHANS, बेंगलुरु) के अनुसार, “CRIB न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी खोज है. इससे रक्त संबंधी बीमारियों, जेनेटिक संरचना और चिकित्सा की दिशा में नए शोध के रास्ते खुलेंगे.”
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