06/03/2025 : ट्रम्प ने दुनिया को फिर धमकाया, चीन ने कहा- देख लेंगे, भारत पर बढ़ा टैरिफ 2 अप्रैल से, भारत में 26 अरबपति और, 350 किसान गिरफ्तार, डीजीपी की हीरोइन बेटी तस्कर निकली, फाइनल में भारत-कीवी
‘हरकारा’ यानी हिंदी भाषियों के लिए क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज़्यादा !
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियाँ
टैरिफ, सरकारी खर्च, माइग्रेशन, डाइवर्सिटी पर जंग छेड़ने की बातें
चीन बोला अमेरिका से, हम हर तरह की जंग के लिए तैयार
स्टालिन ने डिलिमिटेशन कार्रवाई 30 साल तक रोके रखने की माँग की
अडानी मामले में सरकार ने अमेरिकी अनुरोध मिलने से इनकार किया
मोदी ने रिलायंस के वनतारा केंद्र का किया उद्घाटन
गुजरात में दो साल में 286 शेर और 456 तेंदुए मरे
एक साल में भारत में 26 अरबपति और जुड़े
हसीना के प्रत्यर्पण के लिए कई पत्र भेजे, भारत से जवाब नहीं : युनूस
डीजीपी की हीरोइन बेटी सोने की तस्करी में गिरफ्तार
‘मियां-तियां’, पाकिस्तानी' कहना अपराध नहीं : सुप्रीम कोर्ट
न्यूजीलैंड फाइनल में भारत से भिड़ेगा, दक्षिण अफ्रीका को दी मात
पंजाब सरकार ने 350 किसान नेताओं को हिरासत में लिया
महाराष्ट्र : चुनाव निपटते ही खातों में आना बंद हुए 1500 रुपए
भारत का भूला हुआ देश : हाशिये के लोगों का दमन और संघर्ष
आदिवासी माँओं, बच्चों तक नहीं पंहुचती सरकारी स्वास्थ्य सेवाएँ
मेटल म्यूजिक का देसी तड़का
ट्रम्प के भारत पर जवाबी बढ़े हुए टैरिफ 2 अप्रैल से
राष्ट्रपति ट्रम्प ने कांग्रेस के संयुक्त सत्र में दिये गये भाषण में भारत का जिक्र करते हुए व्यापारिक नीति में बदलाव की घोषणा की. ट्रम्प ने कहा कि अमेरिका अब विदेशी आयात पर जवाबी टैरिफ लागू करेगा. उन्होंने भारत, चीन और यूरोपीय संघ पर आरोप लगाया कि ये देश अमेरिकी सामान, खासकर ऑटोमोबाइल्स पर अत्यधिक टैरिफ लगाकर अमेरिकी व्यवसायों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. 2 अप्रैल से जवाबी टैरिफ लागू किए जाएंगे, ताकि अमेरिकी निर्यातकों के लिए समान प्रतिस्पर्धा का माहौल बन सके. उन्होंने कहा, "जो टैरिफ वे हम पर लगाते हैं, वही हम उन पर लगाएंगे. अगर वे गैर-मौद्रिक बाधाएं लगाते हैं, तो हम भी वैसा ही करेंगे." ट्रम्प ने भारत के 100 प्रतिशत शुल्क का उल्लेख किया और कहा कि यह प्रणाली अमेरिका के लिए उचित नहीं है.
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत पर इसका ज्यादा असर हो सकता है, क्योंकि भारत अमेरिकी आयातों पर औसत से अधिक टैरिफ लगाता है. उदाहरण के तौर पर, भारत अमेरिकी कारों पर 100% टैरिफ लगाता है, जो दोनों देशों के बीच एक बड़ा मुद्दा रहा है. जवाबी टैरिफ से भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में खिंचाव आ सकता है. पिछले एक दशक में भारत का अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष 35 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो भारत की जीडीपी का लगभग 1% है. गोल्डमैन सैक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ से भारत की जीडीपी विकास दर पर 0.1 से 0.3 प्रतिशत तक का असर हो सकता है. हालांकि, अगर अमेरिका व्यापक वैश्विक टैरिफ लागू करता है, तो भारत की जीडीपी पर 0.6 प्रतिशत तक का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
भारत के लिए यह चुनौती होगी कि वह अपने घरेलू उद्योगों की सुरक्षा करते हुए अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव को कैसे संभालता है. विशेषज्ञों का सुझाव है कि भारत को गैर-टैरिफ बाधाओं जैसे प्रशासनिक प्रतिबंधों और आयात लाइसेंसिंग पर भी ध्यान देना होगा.
व्यापार मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से रॉयटर्स की खबर है कि अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) जैसे भागीदारों की आक्रामक व्यापार नीतियों के कारण भारत के निर्यात को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और निर्यात क्षेत्र पर दबाव बढ़ गया है. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के प्रमुख संतोष सारंगी ने अमेरिका द्वारा बढ़ाए गए आयात शुल्क और स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने वाली नीतियों जैसे कि सेमीकंडक्टर्स के लिए चिप्स अधिनियम की ओर इशारा करते हुए कहा कि भारत को अपनी व्यापार और औद्योगिक नीतियों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है, ताकि वह प्रतिस्पर्धी बना रहे. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कच्चे माल पर उच्च आयात शुल्क, मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्रों में कुछ तकनीकी कमियां और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भारत की सीमित भागीदारी ने देश की निर्यात वृद्धि को प्रभावित किया है.
टैरिफ, सरकारी खर्च, माइग्रेशन पर जंग छेड़ने की बातों के अलावा खुद के बारे में ट्रम्प! ट्रम्प!! ट्रम्प!!!
मंगलवार को वाशिंगटन में कांग्रेस के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने अपनी रूढ़िवादी नीतियों और विवादास्पद बयानबाजी को फिर से दुहराया, जिसे लेकर अमेरिका और दुनिया भर में व्यापक प्रतिक्रिया रही. उन्होंने कहा, "हमने 43 दिनों में जो किया, वो अधिकांश प्रशासन 4 या 8 साल में नहीं कर पाते." ट्रम्प ने अवैध आप्रवासियों पर कड़ी कार्रवाई, 'टैरिफ़' की प्रशंसा, और ट्रांसजेंडर समुदाय व विविधता कार्यक्रमों पर हमले जैसे मुख्य मुद्दों को दोहराया.
ट्रम्प ने सरकारी संस्थानों पर 'विविधता परियोजनाओं' में फंड बर्बाद करने का आरोप लगाते हुए एलन मस्क के साथ मिलकर दक्षता बढ़ाने की बात कही. यूक्रेन और गाजा संकट पर उन्होंने संक्षिप्त टिप्पणी की. यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को 'शांति पत्र' भेजने की बात कही, जबकि गाजा में फिलिस्तीनियों के संघर्ष का ज़िक्र नहीं किया.
अवैध आप्रवासियों को 'अपराधी' बताते हुए ट्रम्प ने बड़े पैमाने पर देश निकाला अभियान के लिए फंड मांगा. उन्होंने टैरिफ़ को "अंग्रेजी का सबसे खूबसूरत शब्द" बताया और चीन, कनाडा, मैक्सिको और भारत पर नए टैरिफ़ लागू करने की घोषणा की. साथ ही, अंडे और ऊर्जा की कीमतें कम करने का वादा किया, हालांकि आंकड़े बताते हैं कि अंडों की कीमतें उनके कार्यकाल में दोगुनी हुई हैं. ट्रम्प ने 2021 में काबुल हवाई अड्डे पर हुए आत्मघाती हमले के मुख्य आरोपी मुहम्मद शरीफुल्ला की गिरफ्तारी का ऐलान किया, जिसे "अमेरिकी न्याय" के लिए लाया जा रहा है. उन्होंने ग्रीनलैंड को खरीदने और जैसे भी हो सके, हासिल करने की बात की.
ट्रम्प के भाषण के दौरान डेमोक्रेट सदस्यों ने विरोध में पोस्टर दिखाए.
पाठकों से अपील
चीन बोला अमेरिका से, हर तरह की जंग को तैयार
डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ़ लगाने के बाद चीन ने खुलकर अमेरिका को चेतावनी दी है और कहा है कि वह हर तरह की जंग के लिए तैयार है. वाशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने ट्रम्प के कांग्रेस में भाषण के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा, “चाहे टैरिफ़ वॉर हो, ट्रेड वॉर हो या कोई अन्य जंग, अमेरिका अगर जंग चाहता है तो हम इसके अंजाम तक जंग लड़ने को तैयार हैं.” उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने मंगलवार (4 मार्च) से चीन पर 10% का नया शुल्क लगा दिया है. इसके पहले भी पिछले माह फरवरी में उसने 10% का शुल्क लगाया था.
चीन ने 5% आर्थिक वृद्धि का लक्ष्य रखा : चीन ने अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध और दीगर प्रतिकूलताओं के बावजूद 2025 के लिए अपना आर्थिक वृद्धि (जीडीपी) लक्ष्य लगभग 5 प्रतिशत तय किया है. बुधवार को नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री ली कियांग ने यह जानकारी दी. ली ने वार्षिक सरकारी कार्य रिपोर्ट में विकास लक्ष्य की घोषणा की, जिसमें घरेलू मांग को बढ़ाकर और 12 मिलियन (1.2 करोड़) नई शहरी नौकरियां पैदा कर आर्थिक विकास को स्थिर करने की योजनाएं भी शामिल हैं. बीजिंग दरअसल, घरेलू नवाचार और हाई-टेक उद्योगों के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. एनपीसी को संबोधित करते हुए ली ने कहा कि सरकार “आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और 6जी जैसे भविष्य के उद्योगों के लिए वित्तपोषण बढ़ाने हेतु एक तंत्र स्थापित करेगी.” हालांकि, अर्थशास्त्री मानते हैं कि चीन के लिए 5% वृद्धि लक्ष्य को प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि वह डोनाल्ड ट्रम्प के नए व्यापार युद्ध से जूझ रहा है. वैसे भी चीन ने पिछले साल अंतिम समय में आए निर्यात बूम के कारण अपना लक्ष्य हासिल किया था. दिसंबर में निर्यात 10.7% बढ़ने के कारण उसका व्यापार अधिशेष रिकॉर्ड 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया था.
स्टालिन ने डिलिमिटेशन कार्रवाई 30 साल तक रोके रखने की माँग की
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अध्यक्षता में बुधवार (5 मार्च, 2025) को एक सर्वदलीय बैठक ने सर्वसम्मति से केंद्र से आग्रह किया कि वह 2026 के बाद अगले 30 वर्षों तक लोकसभा की मौजूदा सीटों की संख्या और संवैधानिक सीमाओं को बनाए रखे. (2001 में, 84वें संवैधानिक संशोधन ने 2026 के बाद पहली जनगणना तक निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं को स्थिर (फ्रीज़) कर दिया था.) बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सभी दक्षिणी राज्यों के राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त कार्रवाई समिति का गठन किया जाएगा, जिससे लोगों में जागरूकता पैदा की जा सके और सीटों को घटने से रोकने के लिए संघर्ष को आगे बढ़ाया जा सके.
प्रस्ताव में कहा गया कि दक्षिणी राज्यों की लोकसभा सीटों की संख्या कम करना न्यायसंगत नहीं है, क्योंकि उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण उपायों को प्रभावी ढंग से लागू किया है. इसके कारण दक्षिण के राज्यों में आबादी बेतहाशा नहीं बढ़ी है और इसके एवज में हमें फायदे के बजाय नुकसान हो तो यह गलत होगा. केंद्र को 2026 से शुरू होने वाले अगले 30 वर्षों के लिए मौजूदा व्यवस्था को बनाए रखना चाहिए, जैसा वर्ष 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वादा किया था कि सीमांकन (डिलिमिटेशन) 1971 की जनगणना के आधार पर तय किया जाएगा. यह आवश्यक है कि अन्य राज्यों को भी जनसंख्या नियंत्रण उपाय लागू करने के लिए प्रेरित किया जाए,” स्टालिन ने सर्वदलीय बैठक में प्रस्तावित प्रस्तावों को मंजूर करते हुए कहा.
पंजाब सरकार ने 350 किसान नेताओं को हिरासत में लिया
राज्य में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी की सरकार ने हड़ताली राजस्व अधिकारियों से निपटने और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) द्वारा बुधवार से प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए उनके लगभग 350 नेताओं को हिरासत में ले लिया. पंजाब आप अध्यक्ष ने कहा कि राज्य सरकार ने दोनों समूहों से बातचीत करने और समाधान खोजने की कोशिश की, लेकिन उन्हें लगा कि वे सरकार को डरा-धमका सकते हैं. यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
अडानी मामले में अमेरिकी अनुरोध मिलने से इनकार किया : केंद्र सरकार ने अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) द्वारा गौतम अडानी और अन्य को समन जारी करने में सहायता के अनुरोध को लेकर किसी तरह का कोई आवेदन प्राप्त होने से इनकार किया है. यह जानकारी कानून मंत्रालय के विधिक मामलों विभाग ने 'द हिंदू' द्वारा दायर एक आरटीआई आवेदन के जवाब में 21 फरवरी तक के रिकॉर्ड के आधार पर दी. अमेरिकी एसईसी ने न्यूयॉर्क के पूर्वी जिला न्यायालय में चल रहे एक भ्रष्टाचार मामले में गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी (अडानी ग्रीन एनर्जी के अधिकारी) और साइरिल कैबेन्स (एज़्योर पॉवर ग्लोबल के अधिकारी) पर आरोप लगाए हैं। एसईसी के अनुसार, यह मामला एक "बड़े पैमाने के रिश्वत घोटाले" से जुड़ा है. विभाग ने आरटीआई प्रतिक्रिया में कहा, "अभी तक ऐसा कोई अनुरोध प्राप्त नहीं हुआ है।" अडानी समूह ने अभी तक इस मामले पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है.
यूएपीए में गिरफ्तार स्काटिश सिख बरी : पंजाब के मोगा की एक अदालत ने स्कॉटिश सिख जगतार सिंह जोहल और अन्य को यूएपीए और हथियार अधिनियम के एक मामले में बरी कर दिया. अदालत ने कहा कि आरोप साबित नहीं हुए. जोहल पर पंजाब में आतंकवाद को वित्तीय मदद देने का आरोप था. हालांकि, एनआईए के 8 अन्य लंबित मामलों के चलते उनकी रिहाई नहीं हुई. उनके वकीलों का कहना है कि सभी 9 मामले लगभग एक जैसे हैं और खारिज होने चाहिए.
मोदी ने रिलायंस के वनतारा केंद्र का किया उद्घाटन : जामनगर में पीएम नरेंद्र मोदी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा बनाए गए पशु बचाव केंद्र 'वनतारा' का उद्घाटन किया. 3,500 एकड़ में फैले इस निजी चिड़ियाघर में कांगो के ओकापी, जिराफ और ओरंगुटान सहित 2,000 से अधिक प्रजातियों के 1.5 लाख जानवर हैं. मोदी ने मुकेश अंबानी, नीता अंबानी और उनके बेटे अनंत के साथ केंद्र का दौरा किया और इसे 'सुरक्षित आश्रय' बताया.
गुजरात में दो साल में 286 शेर और 456 तेंदुए मरे : वन मंत्री मुलुभाई बेरा ने बताया कि पिछले दो साल में गुजरात में 286 शेर (143 शावक) और 456 तेंदुए (140 शावक) मारे गए. यह आंकड़ा विश्व वन्यजीव दिवस पर पीएम मोदी के गिर अभयारण्य में 'लायन सफारी' के ठीक बाद सामने आया. आलोचकों ने कहा, "जानवरों के साथ जनसंपर्क पर ध्यान देने के बजाय सख्त नीतियों और पुनर्वास की जरूरत है."
‘मियां-तियां’, पाकिस्तानी' कहना अपराध नहीं : सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि किसी को ‘मियां-तियां’ या ‘पाकिस्तानी’ कहना भले गलत हो, लेकिन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 298 के तहत धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने का अपराध नहीं बनता. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने आरोपी हरि नंदन सिंह के खिलाफ मामला बंद करते हुए यह फैसला सुनाया. उस पर आरोप था कि उसने एक सरकारी कर्मचारी को ‘पाकिस्तानी' कहा था, जबकि वह अपना आधिकारिक कर्तव्य निभा रहा था. सिंह की आरोपमुक्ति की याचिका को पहले सत्र न्यायालय और बाद में राजस्थान हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था.
एक साल में भारत में 26 अरबपति और जुड़े
हाल ही में इंडस वैली की रिपोर्ट के मुताबिक जहां भारत में सौ करोड़ लोगों का जीवन स्तर सब सहारा अफ्रीका की तरह का है, वहीं नई जारी नाइट फ्रैंक इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल (एचएनडब्ल्यूआई)की संख्या 2028 तक बढ़कर 93,753 हो जाएगी. भारत इस समय 191 अरबपतियों का घर है, जिनमें से 26 पिछले साल जुड़े. देश में अरबपतियों की संख्या में 12% सालाना वृद्धि दर्ज की गई. वैश्विक HNWI सूची में भारत चौथे स्थान पर है, जबकि अमेरिका (9,05,413), चीन (4,71,634) और जापान (1,22,119) शीर्ष तीन में हैं. भारतीय अरबपतियों की कुल संपत्ति 950 अरब डॉलर आंकी गई है.
गौरक्षक कानून किस तरह से भारत के डेयरी उद्योग को नुकसान पंहुचा रहे हैं, इस पर बीबीसी के लिए इशाद्रिता लाहिरी और अंतरिक्ष जैन ने यह वीडियो रिपोर्ट की है.
हसीना के प्रत्यर्पण के लिए कई पत्र भेजे, पर भारत से कोई जवाब नहीं मिला : युनूस
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने कहा है कि ढाका ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए भारत को कई औपचारिक पत्र भेजे, लेकिन नई दिल्ली से कोई आधिकारिक जवाब नहीं मिला. “स्काई न्यूज” को दिए एक इंटरव्यू में यूनुस ने कहा कि हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए मुकदमे का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा, “एक मुकदमा चलेगा. न केवल हसीना के खिलाफ, बल्कि उनके परिवार के सदस्यों, उनके सहयोगियों सहित उनके साथ जुड़े सभी लोगों के खिलाफ भी.” बांग्लादेश ने उनके खिलाफ दो गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं. कई पूर्व कैबिनेट मंत्रियों, सलाहकारों, सैन्य और अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी वारंट हैं. गत वर्ष भारत ने ढाका के उच्चायोग द्वारा भेजे गए ‘नोट वर्बल’ या राजनयिक सूचना की प्राप्ति की पुष्टि की थी, लेकिन इस पर टिप्पणी करने से परहेज किया था.
डीजीपी की हीरोइन बेटी सोने की तस्करी में गिरफ्तार
‘इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर है कि सोने की तस्करी के खिलाफ एक बड़े अभियान में राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) बेंगलुरु ने कन्नड़ अभिनेत्री रान्या राव को केम्पगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया है. उनके पास से 14.8 किलोग्राम सोना बरामद हुआ है. रान्या सोमवार रात दुबई से एक एमिरेट्स फ्लाइट में बेंगलुरु पहुंची थीं. उन्हें डीआरआई की निगरानी में रखा गया था, क्योंकि वो अक्सर अंतरराष्ट्रीय यात्राएं करती थी. अधिकारियों के अनुसार, रान्या ने अधिकांश सोने को पहना हुआ था और सोने की सलाखों को अपने कपड़ों में छिपा रखा था. रान्या खुद कर्नाटक में एक डीजीपी-रैंक आईपीएस अधिकारी की बेटी हैं. पुलिस जांच में पता चला है कि एयरपोर्ट पर पहुंचने पर रान्या डीजीपी की बेटी होने का दावा करती थीं और स्थानीय पुलिस कर्मियों को अपने घर तक छोड़ने के लिए बुलाती थीं. डीआरआई अब यह जांच कर रही है कि क्या इन अधिकारियों का सोने की इस तस्करी में किसी तरह का हाथ था या वे अनजाने में तस्करी नेटवर्क में शामिल हुए थे.
औरंगजेब की तारीफ के कारण सपा विधायक निलंबित : समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आज़मी को महाराष्ट्र विधानसभा सत्र के शेष भाग में भाग लेने से इसलिए निलंबित कर दिया गया, क्योंकि उन्होंने एएनआई से कहा था कि औरंगज़ेब ‘क्रूर नहीं था’, वह हिंदुओं को हिंसक तरीके से इस्लाम में परिवर्तित करने में विश्वास नहीं करता था और एक अच्छा प्रशासक था. शिवसेना शिंदे के सदस्यों ने उनके बयान का विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि मराठा राजा संभाजी का यह अपमान है, जिन्हें औरंगज़ेब के आदेश पर प्रताड़ित किया गया और मार दिया गया.
दिल्ली : मस्जिद विस्तार पर विवाद, निर्माण रोका गया
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के ब्रह्मपुरी इलाके में एक मस्जिद के विस्तार को लेकर विवाद के कारण पुलिस सतर्कता बढ़ा दी गई है. पुलिस ने बताया कि अल मतीन मस्जिद के नए प्रवेश द्वार के निर्माण पर विवाद था. शिकायत के बाद नवंबर 2023 में निर्माण कार्य शुरू में रोक दिया गया था, लेकिन मस्जिद के ट्रस्टियों को नवंबर 2024 में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) से निर्माण की मंजूरी मिल गई थी. इसके बाद फरवरी 2025 में इसे फिर से शुरू किया गया. 13 फरवरी को फिर शिकायत मिली और अनधिकृत निर्माण का आरोप लगाया गया. फिर 18 फरवरी को एमसीडी से कारण बताओ नोटिस मिलने पर मस्जिद प्रबंधन ने निर्माण रोकने पर सहमति व्यक्त की. इसके बाद 3 मार्च को पुलिस को 21 निवासियों ने फिर एक शिकायत देकर पथराव की शिकायत की, मगर सीसीटीवी फुटेज में घटना का कोई सबूत नहीं मिला.
भारत-न्यूजीलैंड फाइनल में
रचिन रवींद्र (108) और केन विलियमसन (102) की शानदार शतकीय पारियों के बाद कप्तान मिशेल सैंटनर की दमदार गेंदबाजी की बदौलत न्यूजीलैंड ने चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के दूसरे सेमीफाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 50 रनों से हराकर फाइनल में कदम रखा. अब न्यूजीलैंड का फाइनल में दुबई के दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में भारत से मुकाबला होगा. यह मुकाबला रविवार 9 मार्च को खेला जाएगा. कीवी टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 50 ओवर में 6 विकेट पर 362 रन बनाकर दक्षिण अफ्रीका के सामने 363 रनों का लक्ष्य रखा. अफ्रीकी गेंदबाज लुंगी नगिडी ने 3 और कगिसो रबाडा ने 2 विकेट लिए. लक्ष्य का पीछा करने उतरी अफ्रीकी टीम 9 विकेट खोकर 312 रन ही बना पाई.
दक्षिण अफ्रीका की ओर से रासी बेन डर डुसेन ने 69, तो कप्तान बवुमा ने 56 रनों की पारी खेली. जबकि मिलर ने आखिरी गेंद पर नाबाद शतक लगाया. कीवी की तरफ से सैंटनर ने 3, ग्लेन फिलिप्स और मैट हेनरी ने दो-दो विकेट निकाले. स्कोर कॉर्ड देखें.
महाराष्ट्र : चुनाव निपटते ही खातों में आना बंद हुए 1500 रुपए
'स्क्रोल' के लिए तबस्सुम वडनगरवाला की रिपोर्ट है कि महाराष्ट्र सरकार की लड़की बहन योजना चुनावों के समय एक राजनीतिक स्टंट के रूप में शुरू की गई थी, लेकिन अब यही योजना राज्य की वित्तीय स्थिति और अन्य कल्याणकारी योजनाओं पर दबाव बना रही है. वो लिखती हैं कि वर्षा विनोद कोपडे ने जनवरी से अब तक अपने बैंक में दो बार जाकर यह जांचा है कि क्या महाराष्ट्र सरकार द्वारा उन्हें वादा किया गया 1,500 रुपये उनके खाते में जमा हो गए हैं या नहीं! लड़की बहन योजना के तहत यह धनराशि नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में हुए मतदान के फैसले को आकार देने में एक महत्वपूर्ण कारक बनी थी. इस योजना ने बीजेपी और उसके सहयोगियों को महाराष्ट्र में शानदार जीत दिलाई, हालांकि नई सरकार के सत्ता में आने के दो महीने बाद ही कोपडे निराश हैं. वो कहती हैं- 'मुझे बुरा लगता है कि जो पैसा हमें वादा किया गया था, वह नहीं आ रहा है.' योजना में 18 से 65 वर्ष की महिलाओं को, यदि उनकी वार्षिक पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है, तो उन्हें 1,500 रुपये प्रति माह देने का वादा किया गया था, बशर्ते वे अन्य सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ न ले रही हों या स्थायी सरकारी कर्मचारी न हों और उनके पास चार पहिया वाहन भी न हो.
लड़की बहन योजना की शुरुआत के बाद कई महिलाओं को समय पर पैसे मिल रहे थे, लेकिन चुनावों के बाद जैसे-जैसे योजना की वित्तीय लागत बढ़ी, राज्य सरकार ने इस योजना के तहत दी जाने वाली रकम में देरी शुरू कर दी. कुछ लाभार्थी यह महसूस करने लगे कि उन्हें पैसा नहीं मिल रहा क्योंकि वे पात्र नहीं हैं, या फिर उन्हें पहले दिए गए पैसे वापस करने के लिए कहा गया. इसके अलावा, इस योजना का असर अन्य कल्याणकारी योजनाओं पर भी पड़ा है, जिससे कई लाभार्थियों को अन्य योजनाओं के तहत मिलने वाली राशि भी रुक गई है. इससे महिलाओं में असंतोष फैल गया है और वे सरकार की नीयत पर सवाल उठा रही हैं.
बहस
त्रिभाषा फॉर्मूला महज उत्तर दक्षिण की लड़ाई नहीं
इन दिनों राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) और त्रिभाषा फॉर्मूले बनाम द्विभाषा नीति पर राष्ट्रव्यापी विवाद छिड़ा है. यह विवाद तब शुरु हुआ, जब केंद्र ने तमिलनाडु को समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत दी जाने वाली धनराशि 2,152 करोड़ रुपये रोक ली. इसके बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि केंद्र सरकार ने अब तक राज्य को समग्र शिक्षा अभियान की कोई राशि जारी नहीं की है. शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए इस फंड की जरूरत है और इसे तुरत रिलीज करने की मांग की.
इसके बाद से इस विवाद पर उत्तर और दक्षिण भारत के कई राजनेताओं, शिक्षाविदों, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं के विचार सामने आए हैं. इनमें से तमिलनाडु के सूचना प्रौद्योगिकी और डिजिटल सेवा मंत्री पलानीवेल त्याग राजन, वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे, वहीं स्वराज इंडिया के संस्थापक और भारत जोड़ो आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वयक योगेंद्र यादव और दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर अपूर्वानंद की राय को हरकारा के विशेष पेज पर जगह देकर हमने यह समझने की कोशिश की है कि यह विवाद क्या है और इसका क्या संभावित हल हो सकता है.
इस बहस को आगे बढ़ाते हुए स्टालिन ने मंगलवार 4 मार्च को फिर एक्स पर लिखा, ‘तमिलनाडु और अन्य दक्षिणी राज्यों ने उत्तरी राज्यों पर अपनी भाषाएँ सीखने का कभी दबाव नहीं डाला. दक्षिण भारतीयों को हिंदी सिखाने के लिए दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की स्थापना किए एक सदी बीत चुकी है. इन सभी वर्षों में उत्तर भारत में कितनी उत्तर भारत तमिल प्रचार सभाएँ स्थापित की गई हैं? सच तो यह है कि हमने कभी यह मांग नहीं की कि उत्तर भारतीयों को तमिल या कोई अन्य दक्षिण भारतीय भाषा सीखनी चाहिए, ताकि उन्हें 'संरक्षित' किया जा सके. हम बस इतना ही चाहते हैं कि हम पर #StopHindiImposition. अगर भाजपा शासित राज्य 3 या 30 भाषाएँ सिखाना चाहते हैं तो उन्हें करने दें! तमिलनाडु को अकेला छोड़ दें!” इसके पहले मुख्यमंत्री स्टालिन ने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के उस बयान की आलोचना की थी, जिसमें प्रधान ने यह कहा था कि तमिलनाडु को भारतीय संविधान की शर्तों को मानना होगा और त्रिभाषा नीति ही कानून का शासन है. जब तक तमिलनाडु एनईपी और त्रिभाषा फार्मूले को स्वीकार नहीं कर लेता, तब तक प्रदेश को समग्र शिक्षा अभियान के तहत फंड नहीं उपलब्ध कराया जाएगा.
ये लेख लम्बा है, पूरे लेख का लिंक यहाँ पढ़ें.
पुस्तक
भारत का भूला हुआ देश : हाशिये के लोगों का दमन और संघर्ष
सितंबर 2019 में छत्तीसगढ़ के बस्तर में एक खनन परियोजना का काम गौतम अडानी की कंपनी 'अडानी एंटरप्राइजेज' को सौंपा गया था. वहां के पेड़ों की अंधाधुंध कटाई जारी थी. वनों की इस कटाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए. पुलिस ने दो पुरुषों को मार डाला, जिन्हें उन्होंने माओवादी कहा. एक ऐसा शब्द जिसे अक्सर आतंकवाद से जोड़ा जाता है, जबकि ऐसे विद्रोही आमतौर पर हाशिए पर पड़े समुदायों के आर्थिक और सामाजिक अधिकारों के लिए लड़ते हैं. कई स्थानीय निवासियों और कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि मारे गए लोग एक और "फर्जी मुठभेड़" का शिकार हुए थे. एक हत्या जिसे आत्मरक्षा या भागने के प्रयास के रूप में सही ठहराया गया था. इस विरोध के बाद मानवाधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया प्रमुख आवाज के रूप में उभरीं. पुलिस ने इसके बदले में उनके खिलाफ आरोप लगाए. भाटिया के खिलाफ पेगासस का भी इस्तेमाल किया गया है, ऐसा ही उन्होंने खुद 'द टेलिग्राफ' से बातचीत में बताया है. भाटिया लंबे समय से जनजातीय अधिकारों के लिए अभियान चला रही थीं और पुलिस अत्याचारों के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में अक्सर अग्रणी रही थीं.
'आर्टिकल 14' के लिए अर्थशास्त्री और लेखक अशोक मोदी ने लेखक, कार्यकर्ता और मानवाधिकार अधिवक्ता बेला भाटिया की नई किताब 'इंडियाज फॉरगोटन कंट्री : ए व्यू फ्रॉम द मार्जिन्स' के बहाने उनके काम के बरक्स राज्य की भूमिका को समझने की कोशिश की है. लेख बेला भाटिया की सक्रियता, भारतीय राज्य की दमनकारी शक्तियों और कॉर्पोरेट हितों के बीच के रिश्तों पर रोशनी बिखेरता है. लेख में बताया गया है कि कैसे भाटिया ने पिछले तीन दशकों में भारत के विभिन्न हिस्सों में जनजातीय अधिकारों और मानवाधिकारों के लिए संघर्ष किया, खासकर गौतम अडानी जैसे बड़े कॉर्पोरेट्स के खनन परियोजनाओं के खिलाफ. उनके संघर्ष को राज्य की ओर से दमन, पुलिस हिंसा और झूठे आरोपों का सामना करना पड़ा, जैसे कि भीमा कोरेगांव और छत्तीसगढ़ के बस्तर में.
जनवरी 2018 में भीमा कोरेगांव (पुणे के पास एक ऐतिहासिक गांव) में दलितों और हिंदुत्व समर्थकों के बीच हिंसक झड़प के बाद पुलिस ने लगभग दर्जन भर कार्यकर्ताओं को गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) 1967 के तहत गिरफ्तार किया था. यह कठोर "निवारक हिरासत" कानून पुलिस को बिना स्पष्ट आरोप लगाए और समयबद्ध परीक्षण के बिना व्यक्तियों को गिरफ्तार करने की अनुमति देता है. गिरफ्तार किए गए कई लोग जनजातीय अधिकारों के लिए लड़ रहे थे, जिनमें गौतम अडानी से जुड़े हालिया परियोजनाओं के खिलाफ उनका विरोध भी शामिल था.
भाटिया का मानना है कि भारतीय लोकतंत्र अब विफल हो चुका है और एक तानाशाही शासन के रूप में बदल गया है. वह यह भी कहती हैं कि भारत में आर्थिक और राजनीतिक असमानताएं बढ़ रही हैं और राज्य अब सत्ताधारी पूंजीपतियों के पक्ष में काम कर रहा है. भाटिया का मानना है कि भारतीय राज्य अब एक "सुरक्षा तंत्र" बन चुका है जो गरीबों और कमजोर वर्गों को दबाने के लिए हिंसा का सहारा लेता है. वह भारत में भ्रष्टाचार, गैरकानूनी पूंजीवाद और राज्य द्वारा जनता के खिलाफ किए गए अत्याचारों का लगातार विरोध करती रही हैं. उनका यह कहना है कि भारतीय समाज में असहमति और विरोध को दबाने के लिए राज्य की दमनकारी ताकतों का इस्तेमाल हो रहा है. भाटिया का यह भी मानना है कि भारत में लोकतंत्र को फिर से जीवित करने के लिए एक नैतिक पुनर्निर्माण की आवश्यकता है, जिसमें समाज के कमजोर वर्गों के प्रति सहानुभूति और समानता की भावना हो.
आदिवासी माँओं, बच्चों तक नहीं पंहुचती सरकारी स्वास्थ्य सेवाएँ
भारत में आदिवासी स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करने के मामले में औसत भारतीयों से अधिक कठिनाइयों का सामना करते हैं. इंडिया स्पेंड ने सरकारी डेटा के विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकाला है. भारत का स्वास्थ्य ढांचा उनके जीवन पर भारी पड़ रहा है. भारत में प्रति 1,000 लोगों पर 0.7 चिकित्सक हैं और अधिकांश नागरिकों को अस्पताल तक पहुंचने के लिए लगभग 20 किलोमीटर या उससे ज्यादा यात्रा करनी पड़ती है. इसकी पुष्टि तो विश्व बैंक के डेटा में भी होती है. हालांकि ये आंकड़े देश भर में असमानताओं को छिपाते हैं. जनजातीय क्षेत्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या कम है. अधिकारियों का कहना है कि स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की कमी और परिवहन की समस्या के कारण, जनजातीय समूहों को समय पर स्वास्थ्य सेवाएं मिलने में कठिनाई होती है. स्वास्थ्य सेवाओं में असमानता: जनजातीय जनसंख्या को राष्ट्रीय औसत से अधिक कठिनाइयाँ होती हैं, जैसे कि गर्भावस्था देखभाल, बच्चों की मृत्यु दर और कुपोषण.
गर्भावस्था देखभाल : जनजातीय महिलाओं को गर्भावस्था देखभाल कम मिलती है, और जो मिलती है, वह कम गुणवत्ता वाली होती है. हालांकि, पंजीकृत गर्भधारण दर 83.8% से बढ़कर 94.3% हुई है.
संस्थागत प्रसव : जनजातीय महिलाओं में संस्थागत प्रसव दर 68% से बढ़कर 82.3% हुई है, लेकिन निजी स्वास्थ्य सुविधाएं उन्हें कम मिलती हैं (8 में से 1 महिला को ही निजी देखभाल मिलती है).
प्रसव पूर्व देखभाल : प्रसव पूर्व देखभाल में सुधार हुआ है (72.9% से 81.8%), लेकिन यह राष्ट्रीय औसत (85.1%) से कम है.
बाल मृत्यु दर : बाल मृत्यु दर में गिरावट आई है, लेकिन यह राष्ट्रीय औसत से अधिक है. जनजातीय क्षेत्रों में हर 20 बच्चों में से एक पांच साल से पहले मर जाता है.
टीकाकरण दर : 12-23 महीने के जनजातीय बच्चों में पूरी तरह से टीकाकृत बच्चों का प्रतिशत बढ़ा है (55.8% से 76.5%) और यह राष्ट्रीय औसत के करीब है.
पोषण स्थिति : जनजातीय बच्चों में स्टंटिंग और वेस्टिंग में कमी आई है, लेकिन ये राष्ट्रीय औसत से अधिक हैं (स्टंटिंग: 43.8% से 40.9%, वेस्टिंग: गिरावट).
जिस फिल्म को दिखाने से बचे, उसी को मिला ऑस्कर: 'नो अदर लैंड' ने हाल ही में ऑस्कर में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फीचर का पुरस्कार जीता है, लेकिन साल 2024 में भारत के दो प्रमुख फिल्म महोत्सवों, धर्मशाला इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (डीआईएफएफ) और मामी मुंबई फिल्म फेस्टिवल दोनों ही जगह अंतिम समय में इसका प्रदर्शन रद्द कर दिया था. 'नो अदर लैंड' ही नहीं, बल्कि एक और फिलिस्तीनी फिल्म 'फ्रॉम ग्राउंड जीरो' को भी डीआईएफएफ की सूची से आखिरी समय में हटा दिया गया था.
चलते-चलते
मेटल म्यूजिक का देसी तड़का : ब्लडीवुड
एक ऐसा मेटल बैंड, जहां गिटार के क्रंचिंग रिफ्स के बीच बांसुरी की मधुर तान और ढोल की थाप गूंजे! यही है 'ब्लडीवुड' का जादू—2016 में बना यह भारतीय बैंड पश्चिमी मेटल को देसी स्वाद देकर वैश्विक चार्ट्स पर छा रहा है. यूट्यूब पर पॉप कवर से शुरुआत करने वाले इस बैंड ने 'दना-दन' जैसे गानों से देव पटेल की फिल्म 'मंकी मैन' तक में धमाल मचाया. गिटारिस्ट जयंत भदुला इसे "मेटल टिक्का मसाला" कहते हैं-"इसमें इतनी तीखी धुनें हैं कि आप हेडबैंग करेंगे और भांगड़ा भी!"
2019 में जर्मनी के 'वेकन ओपन एयर' और ब्रिटेन के 'डाउनलोड फेस्टिवल' में धूम मचाने वाले ब्लडीवुड ने साबित किया कि भारतीय मेटल भी दुनिया को रॉक कर सकता है. पर दिल्ली के इस बैंड का सफर आसान नहीं रहा. करण कत्यार (सह-गायक) बताते हैं, "भारत में मेटल को 'गैर-पारंपरिक' माना जाता है. संगीत में करियर मतलब बॉलीवुड... यहां इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रमोशन की कमी है." फिर भी, बैंड ने 'राज अंगेस्ट द मशीन' जैसी डॉक्यूमेंट्री और 'गद्दार' जैसे गानों से राजनीतिक नफरत और रेप कल्चर के खिलाफ आवाज़ उठाई.
हाल ही में रिलीज़ एल्बम 'नू दिल्ली' पिछले राजनीतिक ट्रैक्स से अलग है. कत्यार कहते हैं, "आज दुनिया इतनी डिवाइडेड है कि लोगों को शांत होकर बात करने की ज़रूरत है." बैंड अब भारतीय इतिहास और संस्कृति की कहानियों को मेटल के ज़रिए सेलिब्रेट कर रहा है. चुनौतियां? भदुला कहते हैं, "दिल्ली में गिटार क्लासेस तो हैं, पर मेटल को 'अजीब' समझा जाता है." फिर भी, यह ट्रायो भारत की बहुलता को अपने संगीत में पिरोने की कोशिश कर रहा है-"हम सभी भाषाओं, वाद्यों और संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व चाहते हैं." ब्लडीवुड साबित कर रहा है कि मेटल सिर्फ़ गुस्सा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक ब्रिज भी हो सकता है. जैसे उनका गाना कहता है: "दना-दन दिल्ली का है जुनून, दुनिया को दिखाएंगे अपना क़दम-ए-जफ़र!"
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, फेसबुक पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.