05/02/2025 : अमेरिका हथकड़ियों में बांध भेज रहा भारतीय, रुपये का गिरना जारी, दिल्ली में दंगल, कश्मीर में 500 से ज्यादा हिरासत में, धूम्रपान न करने वालों के फेफड़े भी खराब, टैरिफ वॉर, वीजा और मंदिर
हरकारा हिंदी भाषियों के लिए क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण.
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
उम्मीद है हरकारा आपके मेन फोल्डर में ही जा रहा है, स्पैम में नहीं. एक बार देख कर तसल्ली कर लें.
आज की सुर्खियां | 5 फरवरी 2025
हथकड़ी में बांधकर अवैध प्रवासियों को भारत भेज रहे अमरीकी!
'टेलीग्राफ' ने एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से लिखा है कि एक अमेरिकी सैन्य विमान C-17 विमान प्रवासियों को लेकर भारत के लिए रवाना हो चुका है! ये सब ठीक उस वक्त हो रहा है, जब 12 फरवरी से मोदी की अमेरिका यात्रा की खबर है. इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि C-17 विमान जिसमें 205 भारतीय नागरिक सवार हैं, मंगलवार (4 फरवरी) को भारतीय समयानुसार तड़के करीब 3 बजे सैन एंटोनियो टेक्सास से उड़ान भरी. सामने आई तस्वीरों में प्रवासी भारतीय हथकड़ियों से बंधे नजर आ रहे हैं. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी आव्रजन नीति को लागू करने में सैन्य सहायता का उपयोग बढ़ा दिया है, जिसमें अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती, सैन्य विमानों का उपयोग कर प्रवासियों को निर्वासित करना और उन्हें रखने के लिए सैन्य ठिकानों को खोलना शामिल है. पेंटागन ने टेक्सास के एल पासो और कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में अमेरिकी अधिकारियों द्वारा हिरासत में लिए गए 5,000 से अधिक प्रवासियों को निर्वासित करने के लिए उड़ानों की व्यवस्था भी शुरू कर दी है. अब तक सैन्य विमानों ने प्रवासियों को ग्वाटेमाला, पेरू और होंडुरास तक पहुंचाया है.
अनिश्चितकाल तक हिरासत शिविरों में क्यों अवैध अप्रवासी, अदालत का केंद्र से सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से स्पष्ट करने को कहा है कि जब बांग्लादेश से आए किसी अवैध अप्रवासी को अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है, तो क्या यह स्थापित नहीं होता कि वह भारत का नागरिक नहीं है. फिर ऐसे सैकड़ों अवैध अप्रवासियों को अनिश्चित काल के लिए हिरासत शिविरों या सुधार गृहों में रखने का क्या मतलब है. भारत सरकार की ओर से 25 नवंबर, 2009 को जारी एक परिपत्र का हवाला देते हुए, पीठ ने कहा, “खंड 2 (v) पढ़ने से स्पष्ट है कि निर्वासन, सत्यापन आदि की पूरी प्रक्रिया 30 दिनों की अवधि में की जानी है. हम जानना चाहते हैं कि इस खंड 2 (v) का सख्ती से अनुपालन क्यों नहीं किया जा रहा है.” न्यायालय ने पूछा, “जब अवैध अप्रवासियों से संबंधित याचिका 2013 में दायर की गई थी, तब सुधार गृहों में लगभग 850 हिरासत में थे. हम आज तक के ऐसे आंकड़े जानना चाहेंगे, जिन्हें दोषी ठहराया गया और विदेशी अधिनियम के तहत सजा काटने के बाद भी भारतीय सुधारगृहों में हैं.”
सिर्फ डॉलर नहीं, अन्य विदेशी मुद्राओं के मुकाबले भी गिर रहा रुपया
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कह रही हैं कि रुपए के लगातार कमजोर होने से वह चिंतित जरूर हैं, लेकिन इस आलोचना को स्वीकार नहीं करेंगी कि “ओह, रुपया कमजोर हो रहा है!” उन्होंने बजट प्रस्तुत करने के बाद पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा, “हमारे मैक्रोइकॉनॉमिक मूलभूत तत्व मजबूत हैं. यदि मूलभूत तत्व कमजोर होते तो रुपया सभी मुद्राओं के मुकाबले स्थिर नहीं होता.” लेकिन क्या वाकई ऐसा है, टेलीग्राफ में नैन्सी जायसवाल ने इस दावे की पड़ताल की और बताया कि एक माह का विस्तृत विश्लेषण कुछ और ही कहानी कहता है. 5 जनवरी से लेकर 4 फरवरी 2025 को दोपहर 1:50 बजे तक (एक माह में), रुपया कई प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले कमजोर हुआ है, जो एक स्थिर गिरावट को दर्शाता है. निचोड़ यह है कि रुपया कमजोर हो रहा है और सिर्फ अमेरिकी डॉलर के नहीं, बल्कि अन्य प्रमुख विदेशी मुद्राओं के मुकाबले भी.
कैनेडियन डॉलर के मुकाबले 1.44% की गिरावट : 5 जनवरी 2025 को एक कैनेडियन डॉलर की कीमत ₹59.37 थी. 4 फरवरी 2025 तक यह बढ़कर ₹60.23 हो गई, जो 1.44% की गिरावट को दर्शाता है. इसका मतलब है कि कनाडा से आयात और यात्रा की लागत अधिक महंगी हो गई है.
न्यूजीलैंड डॉलर के मुकाबले 1.41% गिरावट : रुपए ने एक महीने में न्यूजीलैंड डॉलर के मुकाबले अपनी वैल्यू का 1.41% खो दिया. 5 जनवरी को एक न्यूजीलैंड डॉलर की कीमत 48.12 रुपए थी, लेकिन 4 फरवरी को यह कमजोर होकर 48.807 रुपए हो गई.
ऑस्ट्रेलियाई डॉलर के मुकाबले 1.46% की गिरावट : ऑस्ट्रेलियाई डॉलर की कीमत 5 जनवरी को 53.24 रुपए थी, लेकिन 4 फरवरी तक यह 54.02 रुपए पर तक पहुँच गई.
सिंगापुर डॉलर के मुकाबले 2.46% की गिरावट : सिंगापुर डॉलर के मुकाबले सबसे अधिक गिरावट आई है. 5 जनवरी को एक सिंगापुर डॉलर की कीमत 62.60 रुपए थी, लेकिन 4 फरवरी को यह बढ़कर 64.14 रुपए हो गई. इस गिरावट का व्यापार, पर्यटन और भारत तथा सिंगापुर के बीच अन्य व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रभाव पड़ेगा.
यूरो के मुकाबले 1.63% की गिरावट : 5 जनवरी को प्रति यूरो की कीमत ₹88.43 थी और 4 फरवरी तक यह बढ़कर ₹89.88 हो गई.
स्विस फ्रैंक के मुकाबले 1.23% की गिरावट : रुपया स्विस फ्रैंक के मुकाबले भी कमजोर हुआ है, जो एक स्थिर मुद्रा है. 5 जनवरी को एक स्विस फ्रैंक की कीमत 94.40 रुपए थी. 4 फरवरी तक यह बढ़कर 95.57 रुपए हो गई. इस गिरावट से स्विस आयात और स्विट्ज़रलैंड की यात्रा महंगी हो जाएगी.
ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग के मुकाबले 1.53% की गिरावट : 5 जनवरी को ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग की कीमत ₹106.51 थी, लेकिन 4 फरवरी को यह ₹108.15 तक पहुँच गई.
तब ‘राष्ट्रीय शर्म’ था ₹ का गिरना... वो आवाज़ें अब चुप हो गईं
इस बीच कुछ और तथ्यों का जायजा लीजिए. मसलन, भारतीय रुपया एक बार फिर से कमजोर होकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87 के स्तर को पार कर गया है. सोमवार को यह ₹87.19 प्रति डॉलर पर था, जो पिछले शुक्रवार के ₹86.62 से 55 पैसे कम है. यह गिरावट तब आई है, जब अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में 1% से अधिक की वृद्धि हुई, जो कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा कनाडा, मेक्सिको और चीन पर लगाए गए नए टैरिफ के कारण हुई. हालांकि उन्होंने बाद में कनाडा और मेक्सिको पर टैरिफ को स्थगित कर दिया. इसने वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंकाओं को फिर से जन्म दिया है और रुपया और कमजोर हो गया है. जैसे-जैसे बढ़ती महंगाई और आयात लागत की चिंताएं बढ़ रही हैं, अब सभी की नजर इस सप्ताह के अंत में होने वाली भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा पर है.
यह सही है कि वैश्विक कारकों ने रुपए के अवमूल्यन में भूमिका निभाई है, लेकिन राजनीतिक प्रतिक्रियाएं समय के साथ काफी बदल गई हैं. याद करिए, 2014 से पहले जब भाजपा विपक्ष में थी, उसके नेता कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को रुपए की हर गिरावट के लिए जिम्मेदार ठहराने में कितने मुखर थे. भाजपा नेताओं ने इसे “राष्ट्रीय शर्म” का मामला बताया था और तत्काल चुनाव कराने की मांग की थी. एक दशक बाद, जब रुपए की स्थिति और भी खराब हो गई है, वही आवाज़ें चुप हो गई हैं.
रवि शंकर प्रसाद : 10 जुलाई 2013 को रुपए की गिरावट को सरकार के झूठ का प्रमाण बताया था. रवि शंकर प्रसाद उस समय राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता थे. कहा था- राष्ट्रीय गर्व को गंभीर रूप से चोट पहुंचाने के अलावा यह भारी गिरावट इस बात का प्रमाण है कि भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत नहीं है. अब जब रुपया भाजपा के शासन में अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर है, यह स्पष्ट नहीं है कि क्या वह अब भी मुद्रा की चाल को राष्ट्रीय गर्व का विषय मानते हैं?
वेंकैया नायडू : 1 सितंबर, 2013 को रुपए के संकट का एक सरल समाधान प्रस्तुत करते हुए कहा था, “सरकार को भंग कर दें.” देश एक लकवाग्रस्त सरकार को सहन नहीं कर सकता. इस अनिश्चितता को समाप्त करना और जल्द से जल्द नए चुनावों की ओर बढ़ना बेहतर है.
नितिन गडकरी : 24 मई 2012 को बतौर भाजपा अध्यक्ष कहा था, “समस्या यूरोज़ोन नहीं ; यूपीए-ज़ोन है.” यह एक लंगड़ी सरकार बन गई है. किसान आत्महत्या कर रहे हैं, रुपया गिर रहा है, आवश्यक वस्तुएं महंगी हो रही हैं और यूपीए बेवजह जश्न मना रहा है.
पीयूष गोयल : 26 जून, 2013 को पीयूष गोयल ने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था, “रुपए के मूल्य में गिरावट देखना बहुत चिंताजनक है. अर्थव्यवस्था के गलत प्रबंधन के लिए यूपीए जिम्मेदार है.”
शहनवाज़ हुसैन : 2013 में तत्कालीन प्रवक्ता शहनवाज़ हुसैन ने मनमोहन सिंह की योग्यता पर सवाल उठाते हुए कहा था कि अगर वह रुपए के गिरते मूल्य को नियंत्रित नहीं कर सकते तो उन्हें पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है और उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.
प्रकाश जावड़ेकर : 2013 में प्रकाश जावड़ेकर ने रुपए की गिरावट का दोष खराब नेतृत्व को देते हुए कहा था, "मनमोहन सिंह और उनके मंत्री स्पष्ट रूप से जिम्मेदार हैं.”
सुब्रह्मण्यम स्वामी : 27 अप्रैल, 2014 को सुब्रह्मण्यम स्वामी, जिनका नरेंद्र मोदी और भाजपा के साथ एक जटिल संबंध है, ने तो भविष्यवाणी की थी : “यदि एनडीए अगली सरकार बनाता है और मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं तो रुपए की कीमत दो वर्षों के भीतर डॉलर के मुकाबले 35 रुपए हो जाएगी.”
दो साल में 1.55 करोड़ मनरेगा मजदूरों के नाम हटाए : सरकार ने मंगलवार 4 फरवरी को संसद को बताया कि वर्ष 2022 से 2024 के बीच विभिन्न कारणों के चलते मनरेगा से 1.55 करोड़ से अधिक सक्रिय मजदूरों के नाम हटा दिए गए. लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2022-23 और वित्तीय वर्ष 2023-2024 के दौरान क्रमश: 86,17,887 और 68,86,532 सक्रिय श्रमिकों के नाम हटा दिए गए या रद्द कर दिए गए हैं.
राष्ट्रपति का प्रतिनिधि जेएनयू प्रोफसर रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के प्रोफेसर राजीव सिजारिया को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (एनएएसी) ग्रेड बढ़ाने के लिए रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया है. राजीव इस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप (एबीवीएसएमई) के डीन भी हैं. सीबीआई की प्राथमिकी के अनुसार आंध्र प्रदेश के एक निजी डीम्ड विश्वविद्यालय से निरीक्षण टीम के सदस्यों के लिए कुल 1.80 करोड़ रुपये की मांग की गई थी. सिजारिया ने प्रत्येक समिति सदस्य के लिए 3 लाख रुपये, टीम के अध्यक्ष के लिए 10 लाख रुपये और एक सदस्य की पत्नी के यात्रा खर्चों के साथ-साथ एक लैपटॉप की मांग की थी. 2016 तक सिजारिया ने विभिन्न बिजनेस स्कूलों में पढ़ाते हुए कुछ सर्वश्रेष्ठ फैकल्टी पुरस्कार जीते थे. उनकी सोशल मीडिया गतिविधियाँ और विभिन्न पदों पर नियुक्तियाँ उनके राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उससे संबंधित संगठनों के साथ निकटता को भी दर्शाती हैं.
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 : ईवीएम में कैद हो जाएगी किस्मत
दिल्ली में कुछ ही घंटों में मतदान होने जा रहा है. बुधवार 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव होंगे. भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के अनुसार, 8 फरवरी को वोटों की गिनती होगी. राजधानी में 13,033 मतदान केंद्रों पर 15.5 मिलियन से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.
आप और भाजपा में अप्रवासी विरोधी दिखने की होड : इस बीच, सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) और भाजपा पूरी ताकत से यह दिखाने में जुटी हुई है कि उनमें से कौन अधिक अप्रवासी विरोधी है. सत्तारूढ़ आप की अप्रवासी विरोधी बयानबाजी का उदाहरण पिछले महीने तब देखने को मिला था, जब दिल्ली नगर निगम ने सभी सरकारी स्कूलों को ‘अवैध बांग्लादेशी प्रवासी’ बच्चों का नामांकन रोकने का निर्देश दिया था. इसके अलावा ऐसे छात्रों की नागरिकता पर ‘संदेह’ होने की स्थिति में पुलिस को सूचित करने का निर्देश दिया. स्पष्ट रूप से, चुनावों से ठीक पहले, दिल्ली में दोनों राजनीतिक दलों ने अपने आप्रवासी-विरोधी रुख और बयानबाजी में एक-दूसरे को ‘पछाड़ने’ की कोशिश की है, जिसने अतीत में - और अन्य सामाजिक-राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों में - राजनीतिक दलों, विशेष रूप से दक्षिणपंथी विचारधाराओं को मानने वालों को, अपने चुनावी उद्देश्यों को मजबूत करने में मदद की है.
केजरीवाल पर हरियाणा में एफआईआर : दिल्ली चुनाव से चंद घंटे पहले यमुना में जहर मिलाने के आरोपों पर जारी जंग के बीच मंगलवार को अरविंद केजरीवाल के खिलाफ हरियाणा के कुरुक्षेत्र इलाके के शाहाबाद पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई. मतदान बुधवार 5 फरवरी को है.
दिल्ली सीएम और विधूड़ी के बेटे पर आचार संहिता उल्लंघन का मामला : दिल्ली पुलिस ने सीएम आतिशी और भाजपा नेता रमेश बिधूड़ी के बेटे मनीष बिधूड़ी के खिलाफ चुनाव आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज किया.
24 प्रत्याशियों ने आपराधिक रिकॉर्ड का नहीं किया खुलासा : एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ रहे 699 प्रत्याशियों में से कल 118 उम्मीदवारों का आपराधिक रिकॉर्ड है. इनमें से 71 पर गंभीर आरोप हैं. वहीं 24 उम्मीदवारों (करीब 20%) ने या तो अपने रिकॉर्ड का खुलासा नहीं किया है.
ट्रेफिक रूट एडवायजरी के लिए यहां देखें.
कब से कब तक वोट दे सकते हैं.
जानें अपना पोलिंग स्टेशन
वोटर लिस्ट में ऑनलाइन अपना नाम चेक करें
अपने मोबाइल फोन से ऐसे सर्च और डाउनलोड करें वोटर स्लिप.
कश्मीर में 500 से अधिक लोग हिरासत में
दक्षिण कश्मीर में संदिग्ध आतंकवादियों ने एक सेवानिवृत्त सैनिक की हत्या और उसकी पत्नी और भतीजी को घायल कर देने के एक दिन बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कश्मीर घाटी से 500 से अधिक लोगों को हिरासत में ले लिया है. हिरासत में लिए गए लोगों में से बड़ी संख्या में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में रहने वाले कश्मीरी आतंकवादियों के रिश्तेदार हैं. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताय, “मुझे हाल के दिनों में किसी आतंकवादी हमले के बाद इतने बड़े पैमाने पर हिरासत में लिए जाने की कोई घटना याद नहीं है."
पुलिस ने पिछले कुछ वर्षों में घाटी में पाकिस्तान स्थित कश्मीरी आतंकवादियों के घरों और संपत्तियों को जब्त कर उन्हें निशाना बनाया है, लेकिन यह पहली बार है कि उनके परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों को एक साथ इतनी बड़ी संख्या में हिरासत में लिया है.
कैंसर | दुनियाभर में धूम्रपान न करने वालों के फेफड़े भी देने लगे जवाब!
'द गार्डियन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि फेफड़ों के कैंसर की समस्या उन लोगों में भी तेजी से बढ़ रही है, जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया. यह अनुमान लगाया गया है कि फेफड़ों के कैंसर के 53% से 70% मामलों का संबंध वायु प्रदूषण से हो सकता है. अंतरराष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान एजेंसी (आईएआरसी) के अनुसार, धूम्रपान न करने वालों में फेफड़ों का कैंसर अब वैश्विक स्तर पर कैंसर से होने वाली मौतों का पांचवां सबसे बड़ा कारण बन गया है. शोध के मुताबिक, फेफड़ों के कैंसर का एक प्रमुख प्रकार एडेनोकार्सिनोमा है, जो दुनिया भर में पुरुषों और महिलाओं दोनों में सबसे आम कैंसर का प्रकार बन चुका है. 2022 में वायु प्रदूषण के कारण करीब 2 लाख एडेनोकार्सिनोमा के मामले सामने आए, जो मुख्य रूप से पूर्वी एशिया और खासकर चीन में अधिक थे. आईएआरसी की प्रमुख शोधकर्ता डॉ. फ्रेडी ब्रे ने 'द गार्जियन' को दिए एक इंटरव्यू में कहा- "जिन देशों में धूम्रपान करने वालों की संख्या घटी है, वहां धूम्रपान न करने वालों में फेफड़ों के कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं."
महिला और पुरुषों में फेफड़ों के कैंसर का बदलता पैटर्न
कुल 2.5 मिलियन मामलों में से 1.6 मिलियन पुरुष और 900,000 महिलाएं थीं.
पिछले 40 सालों में पुरुषों में दर घटी है, लेकिन महिलाओं में बढ़ रही है.
2023 में यूके में पहली बार पुरुषों के मुकाबले महिला अधिक मामले पाये गए.
धूम्रपान न करने वालों में 70% मामलों में एडेनोकार्सिनोमा पाया गया.
भारत में गरीबी वास्तव में घटी या सिर्फ भ्रम है?
2016 में नोटबंदी, 2017 में जीएसटी लागू होने और 2020 में कोविड-19 महामारी के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था को जो झटके लगे थे, देश उससे उबरता नजर नहीं आ रहा. सवाल यह है कि यह आकलन कैसे हो कि गरीबी बढ़ी है या घटी! भारत में गरीबी का अनुमान लगाने के लिए 'घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण' एक महत्वपूर्ण डेटा स्रोत है. इसे हर पांच साल में एक बार जारी किया जाता था, लेकिन 'द वायर' के लिए पायल सेठ की रिपोर्ट है कि साल 2011-12 के बाद से 2022-23 तक यह सर्वेक्षण ही नहीं हुआ है. इसके चलते इन वर्षों के गरीबी अनुमानों की सटीकता संदिग्ध बनी रही. पुरानी गरीबी रेखा को मुद्रास्फीति के अनुसार बढ़ाने से सटीक परिणाम नहीं मिलते. गरीबों के लिए आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें मुद्रास्फीति से अधिक तेज़ी से बढ़ती हैं, जिससे सरकारी आंकड़े अप्रासंगिक हो जाते हैं. बढ़ती असमानता को नज़रअंदाज करने के चलते स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं तक गरीबों की पहुंच कम हो रही है. सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) केवल खाद्य सुरक्षा पर केंद्रित है, पोषण सुरक्षा पर नहीं और स्वास्थ्य और शिक्षा के निजीकरण ने गरीबों की इन सेवाओं तक पहुंच को और कठिन बना दिया.
भारत के लिए कुछ चिंताजनक संकेत
ग्रामीण भारत में वास्तविक मजदूरी स्थिर रही.
असंगठित क्षेत्र में आय घटी और कई छोटे उद्यम बंद हुए.
2022-23 में ग्रामीण भारत के सबसे गरीब 25% लोगों की प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 2.6% घटी, यानी कि गरीबी में सुधार के दावों के बावजूद पोषण स्तर गिरा है.
अधिकार क्षेत्र विवाद : कौन सुनेगा सांसद राशिद का मामला : दिल्ली हाईकोर्ट ने आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में फंसे जम्मू-कश्मीर के सांसद राशिद इंजीनियर की जमानत याचिका की निगरानी के लिए उपयुक्त न्यायालय के बारे में अपने रजिस्ट्रार जनरल (सुप्रीम कोर्ट) से निर्देश मांगा है. इस मामले की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस विकास महाजन ने राशिद के वकील की ओर से रिपोर्ट किए जाने के बाद कि एनआईए अदालत को विशेष एमपी-एमएलए अदालत के रूप में नामित नहीं किया गया है, जो आम तौर पर जन प्रतिनिधियों से जुड़े मामलों को सुनने के लिए बना है.
जस्टिस विकास महाजन ने कहा कि राशिद के लोकसभा में चुने जाने के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अदालत अपने अधिकार क्षेत्र को लेकर अनिश्चित है.
हाईकोर्ट यूएपीए को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कर सकते हैं सुनवाई : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यूएपीए प्रावधानों में संशोधन के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि हम इस तरह के मामलों को सुनने के लिए पहली अदालत नहीं हो सकते. पहले दिल्ली हाईकोर्ट जाइए. पीठ ने यह भी कहा कि अन्य हाईकोर्ट भी यूएपीए संशोधनों के खिलाफ नई याचिकाओं की जांच कर सकते हैं. शीर्ष अदालत ने 6 सितंबर, 2019 को गैरकानूनी गतिविधियां अधिनियम 2019 में संशोधन की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस भी जारी किया. इस संशोधन के तहत राज्य को व्यक्तियों को आतंकवादी घोषित करने और उनकी संपत्ति जब्त करने का अधिकार दिया गया है.
गुजरात ने यूसीसी पर मसौदा करने के लिए बनाई समिति : समान नागरिक संहिता की आवश्यकता का आकलन करने तथा इसके लिए मसौदा कानून तैयार करने के लिए गुजरात सरकार ने मंगलवार को पांच सदस्यीय समिति की घोषणा की. इसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना देसाई करेंगी. समिति 45 दिन में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी.
डोनाल्ड ट्रम्प के बाद चीन ने भी बढ़ाए टैरिफ
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मेक्सिको, कनाडा और चीन पर टैरिफ लगाकर दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं के कान खड़े कर दिए थे. बदले में कनाडा ने भी अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा दिए, जिसके बाद ट्रम्प को पीछे हटना पड़ा. ऐसे ही मेक्सिको पर 25% टैरिफ भी अमेरिका ने एक और महीने के लिए टाल दिया. बदले में मेक्सिको ने 10,000 सैनिकों को अमेरिकी सीमा पर भेजने का वादा किया.
'द गार्डियन' की खबर है कि अब चीन ने भी अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ न केवल जांचे खोलनी शुरू कर दी हैं, बल्कि कई अमरीकी उत्पादों पर टैरिफ भी बढ़ाना शुरू कर दिया है. अमेरिकी टैरिफ लागू होते ही चीन ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की और गूगल के खिलाफ एंटी-ट्रस्ट जांच शुरू करने की घोषणा की. चीनी वित्त मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों का गंभीर उल्लंघन हैं. इससे चीन और अमेरिका के बीच सामान्य आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को नुकसान पहुंचेगा.
चीन की जवाबी कार्रवाई
चीनी वित्त मंत्रालय ने अमेरिकी कोयला और तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) पर 15% शुल्क लगाने की घोषणा की.
अमेरिकी कच्चे तेल, कृषि उपकरण, बड़े वाहन और पिकअप ट्रकों पर 10% टैरिफ लगाया गया.
महत्वपूर्ण खनिजों (टंगस्टन, टेल्यूरियम, रूथेनियम, मोलिब्डेनम और संबंधित वस्तुओं) के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया.
अमेरिकी कंपनियों पीवीएच ग्रुप (टॉमी हिलफिगर, केल्विन क्लेन की मालिक) और इलूमीना इंक (बायोटेक कंपनी) को 'अविश्वसनीय इकाई सूची' में जोड़ा गया, जिससे उन पर व्यापार प्रतिबंध या दंड लग सकते हैं.
ट्रम्प ने मदद के लिए यूक्रेन के सामने रखी शर्त
बाएं से दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के नमूने – सेरियम ऑक्साइड, बैस्टनासाइट, नियोडिमियम ऑक्साइड और लैंथेनम कार्बोनेट – 29 जून 2015 को कैलिफोर्निया के माउंटेन पास में मोलिकॉर्प के माउंटेन पास रेयर अर्थ सुविधा के दौरे के दौरान प्रदर्शित किए गए. | (रॉयटर्स/डेविड बेकर/फाइल फोटो)
‘रायटर्स’ की खबर है कि यूएस ने अस्थायी रूप से यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति रोककर संकेत दे दिया है कि मुफ्त में कुछ नहीं मिलेगा! ट्रम्प ने यूक्रेन को सैन्य सहायता के बदले दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति का सौदा करने की शर्त रखी. जर्मनी ने इस प्रस्ताव की निंदा की है और इसे यूक्रेन के पुनर्निर्माण के लिए हानिकारक बताया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि वे यूक्रेन के साथ एक समझौता करना चाहते हैं, जिसमें कीव उन्हें दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति की गारंटी देगा. ये दुर्लभ खनिज इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए महत्वपूर्ण हैं. बता दें कि यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने अक्टूबर 2023 में अपनी "विजय योजना" के तहत इस तरह के समझौते का सुझाव दिया था.
इधर, ‘द गार्डियन’ की खबर है कि इस बीच रूसी सेना ने युद्ध के 1,077वें दिन भी अपनी बढ़त जारी रखी है और दूसरी ओर यूक्रेन को सैनिकों की भारी कमी से जूझना पड़ रहा है. रूसी ड्रोन हमलों के कारण यूक्रेन के आपूर्ति मार्ग खतरे में पड़ गए हैं. पिछले कुछ हफ्तों में रूसी सेना ने अपने हमले के तरीके बदल दिए हैं.
हमास को पूर्ण युद्धविराम की उम्मीद
'द गार्डियन' के अनुसार, गाज़ा युद्धविराम समझौते के दूसरे चरण पर बातचीत शुरू हो गई है. हमास की ओर से यह बयान ऐसे समय में आया है जब इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात करने वाले हैं. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, बैठक का समय बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इज़राइली सेना के वेस्ट बैंक, विशेष रूप से जेनिन में किए जा रहे घातक हमलों के कारण हमास और इज़राइल के बीच नाज़ुक युद्धविराम समझौता खतरे में पड़ सकता है. नेतन्याहू ने कहा है कि मौजूदा समझौता अस्थायी युद्धविराम के लिए है. इज़राइल ने हमास के खिलाफ फिर से युद्ध जारी करने का अधिकार सुरक्षित रखा है. इधर हमास का कहना है कि हम फिलहाल तीन चरणों वाले इस समझौते के पहले चरण में हैं, जो 19 जनवरी 2025 को शुरू हुआ था. योजना के अनुसार पहले चरण की शुरुआत के सोलह दिन बाद दूसरे चरण की वार्ता शुरू होनी थीं. इस दौरान स्थायी युद्धविराम की उम्मीद है. और यह भी उम्मीद है कि इज़राइली सेना पूरी तरह से वापस चली जाएगी और शेष जीवित बंधकों को रिहा कर दिया जाएगा.
स्वीडन के वयस्क शिक्षा केंद्र में गोलीबारी, 10 मरे : मंगलवार को स्वीडन के ओरेब्रो शहर स्थित रिसबर्गस्का वयस्क शिक्षा केंद्र में हुई गोलीबारी में 10 की मौत हो गई. पुलिस के अनुसार संदिग्ध हमलावर भी मृतकों में शामिल है और उसी ने अकेले इस घटना को अंजाम दिया. स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टरसन ने इस घटना को स्वीडन के इतिहास में सबसे भीषण सामूहिक गोलीबारी बताया.
कमांडर की अंतिम यात्रा में सड़कों पर उतरे लड़ाके और आम फिलीस्तीनी
(दक्षिणी गाज़ा पट्टी के देइर अल-बलाह शरणार्थी शिविर में, हमास के दिवंगत सैन्य कमांडर ग़ाज़ी अबू तामा के अंतिम संस्कार के दौरान, एक फ़िलीस्तीनी लड़का हमास का झंडा लेकर अल-क़सम ब्रिगेड्स के लड़ाकों के पास खड़ा है. फोटोग्राफ़: मोहम्मद साबिर)
हमास की सैन्य शाखा अल-कसम ब्रिगेड्स ने मंगलवार को अपने हथियार और युद्ध सेवाओं के कमांडर ग़ाज़ी अबू तामा के अंतिम संस्कार का आयोजन किया, जो एक इज़राइली हवाई हमले में मारे गए थे. एसोसिएटेड प्रेस द्वारा जारी फुटेज में समूह के लड़ाकों को वाहनों में सवार होकर अपनी राइफल उठाकर श्रद्धांजलि देते और संगीत बजाते हुए उनके चित्र वाले पोस्टर के साथ देखा गया. समूह के प्रवक्ता, अबू ओबैदा, ने गुरुवार को एक वीडियो बयान में अबू तामा की मौत की पुष्टि की, साथ ही वरिष्ठ नेता मोहम्मद दीफ़ के निधन की भी जानकारी दी.
चलते-चलते : अमेरिकी वीजा के चक्कर में ज्यादा बजने लगा मंदिर का घंटा!
भारतीय पेशेवरों ने अमेरिकी वीजा मिलने की चाहत में मंदिरों की ओर दौड़ लगा दी है. 'द गार्डियन' की खबर है कि खासकर उन मंदिरों में भीड़ बढ़ गई है, जहां यह विश्वास किया जाता है कि भगवान वीजा प्राप्ति में सहायता करते हैं. यह घटना विशेष रूप से अहमदाबाद के चमत्कारी हनुमान मंदिर में देखने को मिल रही है, जिसे "वीजा हनुमान" के नाम से भी जाना जाता है. मंदिर के पुजारी विजय भट्ट ने 'टाइम्स ऑफ इंडिया' से कहा कि वीजा आवेदकों से कहा जाता है कि वे अपने पासपोर्ट भगवान हनुमान के सामने रखें, जो हिंदू धर्म में सबसे प्रिय देवताओं में से एक माने जाते हैं और फिर एक भक्ति गीत का उच्चारण करें. भट्ट ने बताया, "यह सब विश्वास पर निर्भर है. अगर आप विश्वास करते हैं, तो चमत्कार होगा. अगर संदेह होता है तो निराशाएं आती हैं." उन्होंने दावा किया कि उन्होंने कई ऐसे उदाहरण देखे हैं, जहां भक्तों ने इस पूजा को करने के बाद वीजा मंजूरी प्राप्त की, भले ही वे पहले कई बार अस्वीकृत हो चुके हों. कुछ भक्त दूसरे राज्यों से भी इस मंदिर में वीजा मंजूरी पाने की उम्मीद में आते हैं.
हैदराबाद के चिलकुर बालाजी मंदिर में भी लोग वीजा प्राप्ति के लिए प्रार्थनाएं करते हैं और 108 परिक्रमा जैसे विशेष धार्मिक अनुष्ठान करते हैं. एक सॉफ़्टवेयर इंजीनियर ने बताया कि वह न्यूजर्सी में अप्रैल में नई नौकरी शुरू करने वाले थे और अपना वीजा मंजूर होने के बाद धन्यवाद देने मंदिर आए थे. उन्होंने कहा, "हममें से 11 लोगों ने पिछले साल आवेदन किया था, लेकिन सिर्फ मुझे ही वीजा मिला."
दिल्ली के श्री सिद्धि पीठ चमत्कारी हनुमान मंदिर में लोग अपनी श्रद्धा को और भी आगे बढ़ाते हैं. पुजारी नारायण मिश्रा ने बताया कि कई भक्त 41 दिनों तक मांस, शराब, प्याज और लहसुन से दूर रहते हैं, ताकि उनका वीजा मंजूर हो सके. भक्त अपनी इच्छाओं को कागज़ के टुकड़ों पर लिखते हैं, जिन्हें भगवान के सामने रखा जाता है और फिर उस पर मंत्र पढ़ा जाता है. मिश्रा ने कहा, "लोग बहुत ही उदास मन से आते हैं. यहां मत्था टेकना ही उनके जीवन में अंतिम उपाय रह जाता है और हम अक्सर पाते हैं कि उनकी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं."
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, फेसबुक पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.