05/06/2025: जश्न बदला हादसे में | राज्यों को टैक्स में ज्यादा हिस्सा चाहिए | भारत को रूस और ब्रिक्स से दूरी बनाने की सलाह | जेल से इमरान ने मुनीर पर लगाए आरोप | नाम पाकिस्तान का, निशाना मुसलमान पर
‘हरकारा’ यानी हिंदी भाषियों के लिए क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज़्यादा.
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां :
आईपीएल में आरसीबी की जीत के जश्न में उमड़ी भीड़ बेकाबू हुई, 11 की मौत
राज्यों ने टैक्स का आधा हिस्सा मांगा
अमेरिका ने भारत से कहा धंधा बढ़ाना है तो ब्रिक्स और रूस से दूरी अपनाओ
सरकार ने विशेष सत्र की मांग नहीं मानी, मानसून सत्र का ऐलान किया
जजों को ‘बाहरी कंट्रोल’ से मुक्त होना चाहिए : सीजेआई
नितेश राणे पर पाकिस्तान का मुद्दा उठाकर मुसलमानों को ताना मारने का आरोप
दिलीप घोष नज़र नहीं आ रहे मोदी- शाह की बंगाल रैलियों में
पहली बार जाति के साथ दो चरणों में होगी जनगणना
लोगों ने लताड़ा तो बैकफुट पर आया दिल्ली पीडब्ल्यूडी, हटाई मैन्युअल स्कैवेंजिंग की तस्वीरें
एक और यूट्यूबर जासूसी के आरोप में गिरफ्तार
रिश्वत देकर ऊंचे ग्रेड हासिल करना कॉलेजों के लिए अब आम बात
झारखंड बंद: आदिवासी गुस्से में रांची की सड़कों पर, सरकार पर सीधा वार
दिल्ली स्कूलों में फीस पर लगाम लगाने की बात
गोवा में ज़मीन घोटाले का मास्टरमाइंड गिरफ़्तार
जेल से इमरान ने फील्ड मार्शल असीम मुनीर पर अपनी पत्नी बुशरा से बदला लेने का आरोप लगाया
गाज़ा में खाद्य सहायता पर रोक: इसराइल ने रास्तों को ‘कॉम्बैट ज़ोन’ घोषित किया
भगदड़ में 11 मरे, 47 घायल

आईपीएल में आरसीबी की जीत के जश्न में उमड़ी भीड़ बेकाबू हुई
“इंडियन एक्सप्रेस” ने बुधवार को बेंगलुरु में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की आईपीएल जीत का जश्न मनाने के लिए इकट्ठा हुई हजारों की भीड़ में मची भगदड़ के मुख्य कारणों पर रोशनी डाली है. उसके मुताबिक, योजना की कमी, प्रशंसकों की अनुमानित संख्या का कम आकलन और चिन्नास्वामी स्टेडियम में प्रवेश के लिए उपलब्ध फ्री पास को लेकर भ्रम का होना प्रमुख कारण रहे. इस भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई और 47 लोग घायल हुए. इंडियन एक्सप्रेस ने बताया है कि भगदड़ कैसे मची और कब क्या हुआ. इस बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भगदड़ के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करने के लिए घटना की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने कहा, “यह त्रासदी अप्रत्याशित थी. विधान सौधा के सामने एक लाख से ज्यादा लोग इकट्ठा हुए थे, लेकिन वहां कोई अप्रिय घटना नहीं हुई. लेकिन चिन्नास्वामी स्टेडियम में यह त्रासदी हो गई. न तो केएससीए (कर्नाटक राज्य क्रिकेट एसोसिएशन) और न ही सरकार को इसकी उम्मीद थी.” सिद्धारमैया ने बताया कि चिन्नास्वामी स्टेडियम की क्षमता 35,000 लोगों की है. “अनुमान था कि स्टेडियम की क्षमता से थोड़ी अधिक भीड़ आएगी, लेकिन 2-3 लाख लोग आ गए!,” उन्होंने कहा. सिद्धारमैया ने कहा कि स्टेडियम के गेट छोटे हैं. लोग उन गेटों से अंदर जाने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने गेट भी तोड़ दिए. इसी वजह से भगदड़ हुई. इंटरनेशनल मीडिया में भी इस घटना को व्यापक कवरेज मिली है.
राज्यों ने टैक्स का आधा हिस्सा मांगा
देश के 28 राज्यों में से अधिकतर ने वित्त आयोग से केंद्र और राज्यों के बीच कर राजस्व वितरण को 50 प्रतिशत करने का अनुरोध किया है. वर्तमान में, राज्यों को कर राजस्व का 41 प्रतिशत मिलता है, जबकि शेष केंद्र को जाता है. 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा, "पिछले वित्त आयोग ने राज्यों के लिए 41 प्रतिशत और केंद्र के लिए 59 प्रतिशत हिस्सेदारी निर्धारित की थी. अभी भी यही स्थिति है." उन्होंने कहा, "अन्य राज्य सरकारों की तरह, यूपी ने भी इस हिस्सेदारी को 41 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का अनुरोध किया है. 28 राज्यों में से 22 से अधिक ने यह सिफारिश की है."
अमेरिका ने भारत से कहा धंधा बढ़ाना है तो ब्रिक्स और रूस से दूरी अपनाओ
अमेरिकी वाणिज्य सचिव हावर्ड लुटनिक ने वाशिंगटन में आयोजित एक कार्यक्रम में भारत के साथ व्यापारिक समझौते को लेकर आशावाद जताया है, लेकिन साथ ही कई महत्वपूर्ण शर्तें भी रखी हैं. उन्होंने यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम के लीडरशिप समिट में कहा कि भारत व्यापारिक समझौते के लिए जल्दबाजी कर रहा है, जिसकी वे सराहना करते हैं. मुख्य शर्तों में रूस से हथियारों की खरीदारी बंद करना शामिल है. लुटनिक ने कहा कि रूस से सैन्य उपकरण खरीदना अमेरिका को पसंद नहीं आया, लेकिन अब भारत अमेरिका से सैन्य उपकरण खरीदने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. उन्होंने ब्रिक्स समूह से दूरी बनाने की भी सलाह दी है, विशेषकर डी-डॉलराइजेशन की पहल से किनारा करने को कहा है, जिसे चीन का नेतृत्व मिल रहा है.
लुटनिक ने भारत से अपने बाजारों को खोलने और अमेरिकी कंपनियों को उचित पहुंच देने की मांग की है. उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका व्यापारिक घाटे को कम करना चाहता है. बदले में भारत को अमेरिकी बाजार में विशेष पहुंच मिल सकती है.
दूसरी ओर, राष्ट्रपति ट्रम्प ने चीन पर 90-दिन के व्यापारिक संधि का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने संकेत दिया कि ट्रम्प जल्द ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बात कर सकते हैं.
वर्तमान में भारत को लिबरेशन डे टैरिफ के तहत 27 प्रतिशत शुल्क का सामना करना पड़ सकता है, जो इंडो-पैसिफिक देशों के लिए सबसे अधिक है. स्टील पर 50 प्रतिशत शुल्क भी लगाया जा रहा है. इसके जवाब में भारत अमेरिकी बादाम, अखरोट जैसे सामानों पर शुल्क बढ़ाने की तैयारी कर रहा है. सेनेटर स्टीव डेन्स ने कहा कि चीन के मुकाबले भारत पर अधिक भरोसा किया जा सकता है.
सरकार ने विशेष सत्र की मांग नहीं मानी, मानसून सत्र का ऐलान किया
बुधवार को केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू के मानसून सत्र की तारीखों का ऐलान करते ही स्पष्ट हो गया कि सरकार ने पहलगाम में आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विपक्ष की विशेष सत्र बुलाने की मांग ठुकरा दी है. रिजिजू ने बताया कि संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त तक आयोजित किया जाएगा. विपक्ष की विशेष सत्र की मांग के बारे में उन्होंने कहा, "हमारे लिए हर सत्र विशेष सत्र है," और यह भी जोड़ा कि नियमों के तहत "सभी महत्वपूर्ण मुद्दों" पर मानसून सत्र के दौरान चर्चा की जा सकती है.
इस बीच कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ने मानसून सत्र की घोषणा, उसके निर्धारित समय से 47 दिन पहले सिर्फ इसलिए की है, ताकि पहलगाम हमले और आतंकवादियों को न्याय के कटघरे में लाने में केंद्र सरकार की विफलता पर तुरंत विशेष सत्र बुलाने से बचा जा सके.
जजों को ‘बाहरी कंट्रोल’ से मुक्त होना चाहिए : सीजेआई
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने कहा है कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार और कदाचार की घटनाएं जनता के विश्वास पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं, जिससे पूरे सिस्टम की ईमानदारी पर विश्वास कमजोर पड़ सकता है. उन्होंने कहा, "कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना हो सकती है, लेकिन कोई भी समाधान न्यायिक स्वतंत्रता की कीमत पर नहीं आना चाहिए. न्यायाधीशों को “बाहरी नियंत्रण” से मुक्त रहना चाहिए."
यूनाइटेड किंगडम की सुप्रीम कोर्ट में "न्यायिक वैधता और सार्वजनिक विश्वास बनाए रखना" विषय पर एक गोलमेज सम्मेलन में बोलते हुए जस्टिस गवई ने यह भी कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद न्यायाधीशों द्वारा सरकारी पद स्वीकार करना या चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा देना "महत्वपूर्ण नैतिक सवाल खड़े करता है और सार्वजनिक जांच को आमंत्रित करता है."
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर, सीजेआई गवई ने कहा कि जब भी ऐसे मामले सामने आए हैं, सुप्रीम कोर्ट ने हमेशा तत्काल और उपयुक्त कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा, "हर सिस्टम, चाहे वह कितना भी मजबूत क्यों न हो, पेशेवर कदाचार की समस्याओं से अछूता नहीं है. दुर्भाग्य से, न्यायपालिका के भीतर भी भ्रष्टाचार और कदाचार के मामले सामने आए हैं. ऐसी घटनाएं अनिवार्य रूप से जनता के विश्वास को प्रभावित करती हैं.”
सीजेआई की यह टिप्पणी इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के संदर्भ में आई है, जिनके दिल्ली स्थित सरकारी आवास से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी.
उन्होंने कहा कि हर लोकतंत्र में न्यायपालिका को न केवल न्याय देना चाहिए, बल्कि एक ऐसी संस्था के रूप में भी दिखना चाहिए, जो सत्ता के सामने सच बोल सके. "न्यायिक वैधता" और "जनता का विश्वास" आपस में जुड़े हुए हैं. सीजेआई गवई ने कहा, "वैधता और सार्वजनिक विश्वास आदेश या दबाव से नहीं, बल्कि न्यायालयों द्वारा अर्जित विश्वसनीयता से प्राप्त होते हैं. इस विश्वास में किसी भी प्रकार की कमी न्यायपालिका की संवैधानिक भूमिका को कमजोर कर सकती है. क्योंकि, पारदर्शिता और जवाबदेही लोकतांत्रिक मूल्य हैं."
सेवानिवृत्ति के बाद न्यायाधीशों द्वारा सरकारी पद स्वीकारने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि ऐसी नियुक्तियों का समय और स्वरूप न्यायपालिका की ईमानदारी में जनता के विश्वास को कमजोर कर सकता है, क्योंकि इससे यह धारणा बन सकती है कि न्यायिक निर्णय भविष्य की सरकारी नियुक्तियों या राजनीतिक भागीदारी के विचार से प्रभावित हुए हैं. सीजेआई ने और क्या कहा, पूरी खबर यहां पढ़ सकते हैं.
मानसून सत्र में वर्मा के खिलाफ महाभियोग : इस बीच “द इंडियन एक्सप्रेस” में लिज़ मैथ्यू और मनोज सी.जी की खबर है कि दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आगामी मानसून सत्र के दौरान महाभियोग प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया शुरू करते हुए सरकार ने विपक्षी दलों से संपर्क किया है, ताकि राजनीतिक सहमति बनाई जा सके. इसकी पुष्टि करते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “मैंने सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं से संपर्क किया है. यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार से जुड़ी गंभीरता का मामला है. इसमें किसी भी राजनीतिक दृष्टिकोण की कोई गुंजाइश नहीं है. हम सर्वसम्मति बनाएंगे.”
हेट स्पीच
नितेश राणे पर पाकिस्तान का मुद्दा उठाकर मुसलमानों को ताना मारने का आरोप
महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान ने मंत्री नितेश राणे के हालिया बयानों की आलोचना की है और उन पर पाकिस्तान के नाम पर भारतीय मुसलमानों को निशाना बनाकर समाज में विभाजन फैलाने का आरोप लगाया है. राणे ने ईद-उल-अधा (बकरीद) पर जानवरों की कुर्बानी पर सवाल उठाए थे, 'वर्चुअल ईद' मनाने की बात कही थी और कहा था कि भारत में शरीयत कानून लागू नहीं होता.
"नितेश राणे बार-बार वही तकलीफ देने वाली बातें कहते हैं," खान ने कहा. "वो पाकिस्तानी मुद्दा उठाकर भारतीय मुसलमानों को ताना मारते हैं, क्यों? सच यह है कि जो लोग पाकिस्तान चले गए, उन्होंने भारत पर विश्वास नहीं किया. लेकिन जो यहां रुके, वही सच्चे लोग हैं. वे इस देश पर विश्वास करते हैं, और लोग उनकी इज्जत करते हैं. शायद यही बात नितेश राणे को सबसे ज्यादा परेशान कर रही है.” खान ने चिंता जताई कि राणे के बयान न केवल समाज के लिए नुकसानदायक हैं, बल्कि उनकी अपनी पार्टी की छवि को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं." ऐसे बोलकर नितेश राणे बीजेपी की छवि खराब कर रहे हैं. ये उनके निजी बयान हैं, लेकिन इनका असर सब पर पड़ता है," उन्होंने कहा.
प्यारे खान की इस टिप्पणी के बारे में राणे ने कहा, “मैं मुस्लिम समुदाय से उनके जैसे जिम्मेदार व्यक्ति के सामने आकर पर्यावरण के अनुकूल बकरीद मनाने के पक्ष में समर्थन देने की उम्मीद कर रहा था. इससे कई समस्याओं का समाधान होगा और हिंदू-मुस्लिम विभाजन को स्थायी रूप से रोक दिया जाएगा.”
दिलीप घोष नज़र नहीं आ रहे मोदी- शाह की बंगाल रैलियों में
दिलीप घोष कभी पश्चिम बंगाल में भाजपा का चेहरा हुआ करते थे, लेकिन 2021 में प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद से पार्टी में उनकी भूमिका लगातार कम होती जा रही है. खासकर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की हाल ही में हुईं रैलियों में उनकी गैरमौजूदगी के बाद उनके भाजपा में भविष्य को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. 29 मई को पीएम मोदी ने अलीपुरद्वार में एक जनसभा की और 1 जून को शाह ने कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में बीजेपी कार्यकर्ताओं की बैठक की, जिसमें बंगाल के विभिन्न नेताओं ने भाग लिया. घोष इन दोनों कार्यक्रमों में मौजूद नहीं थे. इस बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें किसी भी कार्यक्रम के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था, लेकिन उन्होंने इसे ज्यादा तूल नहीं दिया. मीडिया ने जब उनकी गैरमौजूदगी के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, "इस समय पार्टी में मेरी कोई पदवी नहीं है. स्वाभाविक रूप से मुझे नहीं बुलाया गया... हर बैठक में मुझे बुलाना जरूरी या अनिवार्य नहीं है. " घोष ने यह भी कहा कि एक और पूर्व बंगाल बीजेपी अध्यक्ष, तथागत रॉय, भी शाह की रैली में नहीं थे.
पार्टी के प्रमुख कार्यक्रमों से घोष की अनुपस्थिति के बारे में पूछे जाने पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा, "वह (घोष) वरिष्ठ नेता हैं, लेकिन मैं यह नहीं कह सकता कि वह क्यों अनुपस्थित थे."
पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ भाजपा नेताओं के लिए, यह घटनाक्रम इस बात का संकेत है कि पार्टी और घोष के बीच मतभेद अब नई ऊंचाइयों पर पहुंच गए हैं. एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "पश्चिम बंगाल भाजपा इकाई के सभी राज्य समिति सदस्यों को शाह के कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया था. हम इसे आधिकारिक तौर पर नहीं कह सकते कि पार्टी खुद को दिलीप घोष से दूर करना चाहती है या वह पार्टी से दूरी बनाना चाहते हैं." एक नेता ने कहा, "हमें लग रहा है कि आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा नाममात्र के लिए उनकी सेवाएं लेगी."
घोष के करीबी समझे जाने वाले सयंतन बसु और रितेश तिवारी जैसे नेताओं ने तो शिकायत करना शुरू कर दिया है कि उन्हें किनारे किया जा रहा है. 2024 के लोकसभा चुनावों में, घोष को मेदिनीपुर से टिकट नहीं दिया गया. इसके बजाय उन्हें बर्दवान-दुर्गापुर सीट से चुनाव लड़ने के लिए कहा गया, जहां उन्हें पूर्व क्रिकेटर और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के उम्मीदवार कीर्ति आजाद से हार का सामना करना पड़ा.
पिछले कुछ महीनों में घोष की स्थिति और भी नाजुक हो गई है. अप्रैल में, वह दीघा में ममता बनर्जी सरकार के प्रमुख कार्यक्रम जगन्नाथ मंदिर के उद्घाटन में उपस्थित थे और मुख्यमंत्री से संक्षिप्त बातचीत भी की थी. घोष ने मंदिर की प्रशंसा भी की, जिसे टीएमसी भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे के जवाब के रूप में पेश कर रही है. यह बात भाजपा को भीतर तक चुभ गई है. सबसे पहले मजूमदार ने घोष की इस हरकत की आलोचना की और कहा कि पार्टी ने सामूहिक रूप से मंदिर समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया था. इसके जवाब में घोष ने कहा था कि मंदिर जाने के लिए उन्हें किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं है. “द इंडियन एक्सप्रेस” में अत्रि मित्रा की इस पूरी रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है.
एमपी में लकड़बग्घा के काटने से हुई थी 6 की मौत?: मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले में अज्ञात जानवर के काटने से छह लोगों की मौत के बाद, वन विभाग ने अपना सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है. अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि स्थानीय निवासियों ने क्षेत्र में लकड़बग्घा (हाइना) देखे जाने की सूचना दी है. वन परिक्षेत्र अधिकारी (रेंजर) विकास जमरे ने कहा, "जानवर के पदचिन्ह भी मिले हैं.” बता दें कि पिछले माह इस अज्ञात जानवर ने गांव के 17 लोगों को घायल कर दिया था, जो गर्मी के कारण घर के बाहर सो रहे थे. इनमें से ही छह लोगों की मौत हुई है.
जहरीले कचरे के निपटान पर रोक से इनकार : बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने 1984 के भोपाल गैस कांड के लिए जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को जलाने के खिलाफ दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया. इस त्रासदी में हजारों लोगों की जान चली गई थी और पांच लाख से अधिक लोगों को गंभीर बीमारियों ने घेर लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला जुलाई में सुप्रीम कोर्ट के आंशिक अवकाश के बाद सुना जाएगा. याचिकाकर्ता ने इस कचरे को जलाने पर रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट इसकी निगरानी कर रहा है और विशेषज्ञ समिति की देखरेख में कचरे का निपटान किया जा रहा है.
पहली बार जाति के साथ दो चरणों में होगी जनगणना : बहुत समय से लंबित जनगणना अब दो चरणों में कराई जाएगी, जिसमें पहली बार जाति गणना भी शामिल होगी. सरकार इस प्रक्रिया की आधिकारिक शुरुआत 16 जून के आसपास एक गजट अधिसूचना जारी करके करेगी. पहले चरण में चार राज्यों लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में 1 अक्टूबर 2026 से इसकी शुरुआत होगी. दूसरे चरण में 1 मार्च 2027 से बाकी के राज्यों में जनगणना का काम किया जाएगा.
फैक्ट चैक
लोगों ने लताड़ा तो बैकफुट पर आया दिल्ली पीडब्ल्यूडी, हटाई मैन्युअल स्कैवेंजिंग की तस्वीरें
इन दिनों सोशल मीडिया पर हर सरकारी महकमा सक्रिय है, जहां वह अपने विभाग की कार्यप्रगति और अन्य सूचनाओं की जानकारियां देते ही रहते हैं. ऐसी ही एक सूचना दिल्ली पीडब्ल्यूडी के एक्स हैंडल पर डाली गई, लेकिन इसकी आलोचना होने लगी. असल में विभाग के हैंडल पर रोहिणी की रोड नंबर 41 पर कुछ मजदूरों के बिना सेफ्टी उपकरण नाली साफ करने की तस्वीरें पोस्ट की गई. हटाई गई इन तस्वीरों में मज़दूरों को नालों की सफाई करते हुए बिना दस्ताने, जूते, चश्मे, मास्क या किसी भी तरह के सुरक्षात्मक उपकरणों के देखा गया. कुछ तस्वीरों में सफाईकर्मी बिना शर्ट और बिना जूते भी काम करते दिखाई दिए, जिससे यह सवाल उठा कि क्या यह काम मैनुअल स्कैवेंजिंग कानून के अंतर्गत आता है? जब लोगों ने आज के दौर में भी ऐसी अमानवीय कार्यप्रणाली को लेकर सवाल दागे तो पीडब्ल्यूडी के हैंडल से चुपचाप सारी तस्वीरें हटवा ली गई. 'ऑल्ट न्यूज़' के फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अपने एक्स पर लिखा - "साल 2025 आ चुका है, फिर भी सरकार इन अमानवीय प्रथाओं को तकनीक से बदलने को तैयार नहीं है. आज भी हाथों से नालियों और सीवर की सफाई करवाई जा रही है. बिना किसी सुरक्षा उपकरण के, मजदूर हर दिन अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं.यह पहला ट्वीट नहीं है जिसे @DelhiPwd ने डिलीट किया हो. इससे पहले भी ऐसा कर चुके हैं, लेकिन ट्वीट डिलीट करना समाधान नहीं है - मैन्युअल स्कैवेंजिंग को तकनीक से बदलना ही असली हल है. @CMODelhi @p_sahibsingh". 'द वायर' ने इस पर विस्तार से रिपोर्ट की है.
कार्टून

एक और यूट्यूबर जासूसी के आरोप में गिरफ्तार
पंजाब पुलिस ने बुधवार को एक आतंकी-समर्थित जासूसी नेटवर्क का पर्दाफाश करने का दावा किया है, जिसका संबंध रूपनगर ज़िले के महलां गांव के यूट्यूबर जसबीर सिंह से जुड़ा है. पंजाब के पुलिस महानिदेशक (DGP) गौरव यादव ने बताया कि जसबीर सिंह, जो ‘जान महल’ नामक यूट्यूब चैनल चलाता है, का संबंध शाकिर उर्फ जट्ट रणधावा से पाया गया है, जो एक आतंकी नेटवर्क के तहत जासूसी गतिविधियों में संलिप्त था.
डीजीपी यादव के अनुसार, जसबीर का संपर्क हरियाणा की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा से भी था, जिसे पहले ही जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है. इसके अलावा, वह पाकिस्तानी नागरिक और निष्कासित पाक उच्चायोग अधिकारी एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश के संपर्क में भी था. जांच में सामने आया है कि जसबीर सिंह ने दानिश के निमंत्रण पर दिल्ली में आयोजित पाकिस्तान राष्ट्रीय दिवस समारोह में भाग लिया, जहां उसने पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों और व्लॉगर्स से मुलाकात की. उसने 2020, 2021 और 2024 में तीन बार पाकिस्तान की यात्रा की, और उसके इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में पाकिस्तान स्थित कई संदिग्ध नंबर मिले हैं, जिनकी फॉरेंसिक जांच जारी है. पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है ताकि इस व्यापक जासूसी-आतंकी नेटवर्क को पूरी तरह से उजागर किया जा सके और सभी सहयोगियों की पहचान की जा सके.
रिश्वत देकर ऊंचे ग्रेड हासिल करना कॉलेजों के लिए अब आम बात
'स्क्रोल' की रिपोर्ट है कि एनएएसी (राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद) की मूल्यांकन प्रक्रिया में व्याप्त भ्रष्टाचार ने शिक्षा की गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित किया है. संस्थानों द्वारा ग्रेड हासिल करने के लिए रिश्वत और डेटा में हेराफेरी की जाती है, जिससे छात्रों को गलत संस्थान चुनने में धोखा होता है. कई शिक्षाविदों ने खुलासा किया है कि एनएएसी द्वारा कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को दिए जाने वाले ग्रेड में हेराफेरी के लिए निरीक्षण समितियों को रिश्वत देना आम बात हो गई है. फरवरी 2024 में सीबीआई ने एनएएसी निरीक्षण समिति के 7 सदस्यों को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया. एनएएसी ने 900 अधिकारियों को "अनियमितताओं" के कारण हटाया, लेकिन उन पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई. एनएएसी ग्रेड का बहुत महत्व है. उच्च ग्रेड से संस्थानों को बेहतर छात्र, फैकल्टी और सरकारी फंड मिलता है. इसके अलावा छात्र और अभिभावक संस्थान की गुणवत्ता का आकलन एनएएसी ग्रेड से करते हैं. NEP 2020 के तहत अच्छे ग्रेड वाले संस्थानों को स्वायत्तता या विश्वविद्यालय का दर्जा मिल सकता है. 'स्क्रोल' की रिपोर्ट विस्तार से ग्रेड के गोरखधंधे की पड़ताल करती है.
शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ़्तारी और क़ानून की नज़रों में समानता का भ्रम
‘द वायर’ में अलीशान जाफरी और अपूर्वानंद का यह लेख शर्मिष्ठा पनौली की गिरफ्तारी के मामले में भारतीय समाज के दोहरे मानदंडों और न्यायिक व्यवस्था की विसंगतियों को उजागर करता है. 22 वर्षीय लॉ ग्रेजुएट और इंस्टाग्राम कंटेंट क्रिएटर पनौली ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान विरोधी वीडियो बनाए जिनमें पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अभद्र टिप्पणी और इस्लामोफोबिक गालियां शामिल थीं. लेख का मुख्य तर्क यह है कि भारत में धार्मिक भावनाओं की सुरक्षा के नाम पर बने कानून असमान रूप से लागू होते हैं. जब मुसलमानों और दलितों को इन्हीं कानूनों के तहत गिरफ्तार किया जाता है तो समाज में वैसी प्रतिक्रिया नहीं दिखती, लेकिन एक हिंदू लड़की की गिरफ्तारी पर अचानक 'ब्लासफेमी कानून' की आलोचना शुरू हो जाती है. लेखक बताते हैं कि भारतीय केवल तभी चिंता व्यक्त करते हैं जब कोई हिंदू व्यक्ति गिरफ्तार होता है. वे इस बात पर जोर देते हैं कि समस्या केवल कानून में नहीं बल्कि उसके चुनिंदा प्रयोग में है. लेख का निष्कर्ष यह है कि वास्तविक बदलाव तभी आएगा जब राज्य नफरत की राजनीति को हतोत्साहित करेगा और सभी समुदायों की गरिमा की समान सुरक्षा सुनिश्चित करेगा.
वैकल्पिक मीडिया
झारखंड बंद: आदिवासी गुस्से में रांची की सड़कों पर, सरकार पर सीधा वार
‘द मूकनायक’ की रिपोर्ट है कि आदिवासी संगठनों की ओर से बुधवार को बुलाए गए झारखंड बंद का असर रांची समेत कई शहरों में व्यापक रूप से देखा जा रहा है. बंद समर्थकों ने रांची, गुमला, रामगढ़, हजारीबाग, लातेहार और जमशेदपुर में कई स्थानों पर प्रमुख सड़कों को जाम कर दिया. इस दौरान, बाजार और दुकानें भी बंद करा दी गई हैं. बंद के मद्देनजर रांची में दो हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है. राज्य के अन्य इलाकों में भी पुलिस और सुरक्षा बल लगातार गश्त पर हैं. यह बंद रांची में केंद्रीय ‘सरना स्थल’ (पूजा स्थल) के पास फ्लाईओवर का रैंप हटाने और राज्य में आदिवासी धर्म-आस्था से जुड़े स्थलों के संरक्षण की मांग को लेकर आदिवासी बचाओ मोर्चा और सिरमटोली बचाओ मोर्चा सहित अन्य संगठनों ने आहूत किया है.
इन संगठनों का कहना है कि आदिवासियों के धर्म-आस्था से जुड़े स्थलों पर कथित रूप से अतिक्रमण एवं अवैध कब्जा कर उनकी परंपरा को चोट पहुंचाई जा रही है. इन संगठनों को कई प्राचीन आदिवासी धर्मस्थलों पर सरकार की ओर से कराए जा रहे निर्माण पर भी आपत्ति है. रांची शहर में खेलगांव चौर, अरगोड़ा, मोरहाबादी, कांके, ओरमांझी, कडरू, टाटीसिलवे, रातू, मांडर सहित कई स्थानों पर बंद समर्थक परंपरागत हथियारों और लाठी-डंडों के साथ सड़कों पर उतर आए और बांस-बल्ली घेरकर जाम लगा दिया. सड़कों पर टायर जलाकर अवरोध उत्पन्न कर दिया गया. गुमला जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर टोटो में आदिवासी संगठन के लोगों ने गुमला और लोहरदगा शहरों की ओर जाने वाली सड़कों को जाम कर दिया है. रामगढ़ जिले में कुजू के पास रांची-पटना रोड को सुबह 10 बजे से जाम कर दिया गया. इस वजह से हाईवे पर वाहनों की लंबी कतारें लग गई हैं. लातेहार जिला मुख्यालय में उदयपुरा चौक के पास एन एच 39 सड़क को जाम कर दिया गया है. पूर्वी सिंहभूम (जमशेदपुर) के घाटशिला, चाकुलिया, गालूडीह, बहरागोड़ा में बंद समर्थक जुलूस की शक्ल में निकले और अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी करते हुए बाजार बंद करा दिए.
फगवाड़ा में अंबेडकर की प्रतिमा तोड़ने पर हंगामा
‘द मूकनायक’ की रिपोर्ट है कि पंजाब के जालंधर ज़िले के फिल्लौर तहसील स्थित नंगल गांव में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के अपमान की घटना के विरोध में मंगलवार को फगवाड़ा रेस्ट हाउस में कई प्रमुख अनुसूचित जाति (एससी) संगठनों की बैठक आयोजित हुई. इस बैठक में दोषियों की गिरफ्तारी, प्रशासन की नाकामी पर सवाल और डॉ. अंबेडकर की मूर्तियों की सुरक्षा को लेकर ठोस उपायों की मांग की गई. बैठक का आयोजन गुरु रविदास टाइगर फोर्स, अंबेडकर सेना मूलनिवासी और युवा विकास मोर्चा जैसे प्रमुख दलित संगठनों द्वारा किया गया. इसमें यश बर्ना (अध्यक्ष, गुरु रविदास टाइगर फोर्स), धर्मेंद्र बोथ (अध्यक्ष, आंबेडकर सेना मूलनिवासी), अनु सुहोता और अश्विनी सुहोता (अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, युवा विकास मोर्चा) समेत कई अंबेडकरवादी और मूलनिवासी कार्यकर्ता शामिल हुए. अंबेडकर सेना के सदस्य अधिवक्ता रणदीप कुमार कैली ने खालिस्तानी समर्थक और अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू पर समुदाय को भड़काने और स्थानीय युवाओं को विदेश भेजने के बहाने उकसाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि दलित नेताओं को एकजुट होकर ऐसे षड्यंत्रों का मुकाबला करना होगा. अंबेडकर सेना मूलनिवासी के मनीर बोध ने स्थानीय एससी सांसदों और विधायकों की चुप्पी पर तीखी आलोचना की, विशेष रूप से पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पर सवाल उठाए.
दिल्ली स्कूलों में फीस पर लगाम लगाने की बात :'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट है कि बुधवार को शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने घोषणा की कि दिल्ली सरकार निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस बढ़ोतरी पर लगाम लगाने के लिए एक अध्यादेश लाने जा रही है. यह अध्यादेश ‘दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण एवं पारदर्शिता) विधेयक, 2025’ को लागू करेगा. यह घोषणा मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में सरकार के 100 दिन पूरे होने पर की गई. मूल रूप से यह विधेयक 14-15 मई को दिल्ली विधानसभा के सत्र में पेश किया जाना था. सूद ने कहा, “हम ‘दिल्ली स्कूल शिक्षा पारदर्शिता विधेयक’ ला रहे हैं जिसे पिछले सत्र में पेश नहीं किया जा सका... हम अब इसे कानून में बदलने के लिए अध्यादेश ला रहे हैं ताकि स्कूलों द्वारा किए जा रहे शोषण को रोका जा सके. इससे उन लोगों को बहुत तकलीफ हो रही है जो पिछले 27 सालों से स्कूल माफिया का साथ देते आए हैं.”
गोवा में ज़मीन घोटाले का मास्टरमाइंड गिरफ़्तार : 'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट है कि पणजी स्थित प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार देर रात महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के नेता और व्यवसायी रोहन हरमलकर को गिरफ़्तार कर लिया है. हरमलकर पर आरोप है कि वह गोवा में चल रहे बहु-करोड़ ज़मीन घोटाले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक हैं. ईडी के अनुसार, हरमलकर ने फर्ज़ी दस्तावेज़ों के ज़रिये कीमती जमीनें हड़पने की साजिश रची, और कई संपत्तियों को मालिकों की जानकारी या अनुमति के बिना अवैध रूप से बेच दिया. प्रवर्तन निदेशालय ने अप्रैल 24 और 25 को इस मामले में पीएमएलए (PMLA) के तहत कई जगहों पर छापेमारी की थी, जिसके बाद यह गिरफ्तारी हुई है. हरमलकर ने 2022 के गोवा विधानसभा चुनाव में कुमबरजुआ सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था, जब बीजेपी ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया था. बाद में वे 2024 में एमजीपी में शामिल हुए. ईडी ने अभी तक कुल कितने संपत्ति सौदे सामने आए हैं, इसका आधिकारिक ब्यौरा नहीं दिया है, लेकिन प्राथमिक जांच में कई उच्च-मूल्य वाली संपत्तियों के हस्तांतरण में गड़बड़ी के संकेत मिले हैं. इस गिरफ्तारी से गोवा की राजनीतिक और कारोबारी गलियों में खलबली मच गई है, खासकर ऐसे समय में जब राज्य में ज़मीन की कीमतें आसमान छू रही हैं और बाहर से आने वाले निवेशकों की संख्या बढ़ रही है. प्रवर्तन निदेशालय अब धोखाधड़ी के जरिए संपत्ति हड़पने के पूरे नेटवर्क की तह तक जाने की तैयारी में है. सूत्रों के अनुसार, राजनीतिक संरक्षण और सरकारी दस्तावेज़ों की मिलावट भी इस घोटाले में अहम भूमिका निभा सकती है.
जेल से इमरान ने फील्ड मार्शल असीम मुनीर पर अपनी पत्नी बुशरा से बदला लेने का आरोप लगाया
पाकिस्तान की जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाक सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर पर गंभीर आरोप लगाए हैं. इमरान खान ने कहा है कि मुनीर ने आईएसआई प्रमुख के पद से हटाए जाने के बाद उनकी पत्नी बुशरा बीबी के खिलाफ ‘बदले की भावना’ दिखाई. इमरान के अनुसार, मुनीर ने इस मामले में चर्चा करने के लिए मध्यस्थों के जरिए बुशरा बीबी से मिलने की कोशिश की थी, लेकिन बुशरा बीबी ने स्पष्ट रूप से मना कर दिया और कहा कि उनका ऐसे मामलों से कोई लेना-देना नहीं है और वह उनसे नहीं मिलेंगी.
इमरान खान का आरोप है कि बुशरा बीबी को निजी प्रतिशोध के चलते फर्जी मामलों में फंसाया गया. जनरल असीम मुनीर का प्रतिशोधी स्वभाव ही बुशरा बीबी की अन्यायपूर्ण 14 महीने की कैद और जेल में निंदनीय अमानवीय व्यवहार का कारण बना. उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी पर लगाए गए आरोपों के पक्ष में कभी कोई सबूत पेश नहीं किया गया, और एक के बाद एक झूठे केस दर्ज किए गए. इमरान खान ने यह भी कहा कि पाकिस्तान के इतिहास में, यहां तक कि तानाशाही के दौर में भी, कभी किसी नेता की पत्नी को इस तरह से निशाना नहीं बनाया गया.
गाज़ा में खाद्य सहायता पर रोक: इसराइल ने रास्तों को ‘कॉम्बैट ज़ोन’ घोषित किया
'द गार्डियन' की रिपोर्ट है कि गाज़ा में काम कर रहे एक अमेरिकी समर्थित सहायता समूह ने बुधवार को भोजन वितरण पर रोक लगाने की घोषणा की है. यह फैसला उस घटना के बाद आया है जिसमें इजरायली सैनिकों ने खाद्य सामग्री का इंतजार कर रही भीड़ पर गोलियां चलाईं, जिसमें कम से कम 27 फिलीस्तीनी मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए. इजरायली सेना ने उन सड़कों को “युद्ध क्षेत्र (कॉम्बैट ज़ोन)” घोषित कर दिया है जो राहत वितरण केंद्रों की ओर जाती हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है. गाज़ा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन (जीएचएफ ) ने इजरायल से नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जो उनके वितरण स्थलों के आसपास हैं. जीएचएफ का कहना है कि जब तक हालात नहीं सुधरते, वे राहत वितरण को रोक रहे हैं. इस निर्णय से गाज़ा में पहले से ही भुखमरी की कगार पर खड़े लाखों लोगों पर बड़ा असर पड़ सकता है.
रेयर अर्थ निर्यात पर चीन की पाबंदी से यूरोपीय ऑटो उद्योग संकट में, मर्सिडीज ने जताई चिंता
'रॉयटर्स' की रिपोर्ट है कि चीन द्वारा अप्रैल में रेयर अर्थ और उससे बने मैग्नेट्स के निर्यात पर रोक लगाने के फैसले से दुनियाभर के ऑटो, एयरोस्पेस, चिप और रक्षा उद्योगों की सप्लाई चेन में बड़ी उथल-पुथल मच गई है. यूरोप में कई ऑटो पार्ट्स प्लांट बंद हो चुके हैं और मर्सिडीज-बेंज जैसी कंपनियां भविष्य में कच्चे माल की कमी से बचाव के उपाय खोज रही हैं. चीन दुनिया के 90% रेयर अर्थ का उत्पादन करता है और अब यह निर्यात नियंत्रण व्यापार युद्ध में एक बड़ा हथियार बनता जा रहा है. यूरोपीय संघ ने आपूर्ति को लेकर चीन से बातचीत तेज कर दी है और 13 वैकल्पिक परियोजनाएं शुरू करने की घोषणा की है. फोर्ड की सीएफओ शेरी हाउस ने कहा कि ये प्रतिबंध सप्लाई सिस्टम पर दबाव डाल रहे हैं, जबकि CLEPA (EU ऑटो सप्लायर संघ) ने बताया कि अप्रैल से सैकड़ों निर्यात लाइसेंस के अनुरोधों में से सिर्फ 25% को ही मंजूरी मिली है. बीएमडब्ल्यू और मर्सिडीज ने कहा कि फिलहाल उनके अपने प्लांट प्रभावित नहीं हुए हैं, लेकिन वे स्टॉकपाइल और अन्य बैकअप विकल्पों पर काम कर रहे हैं. उधर, कई कंपनियां बिना रेयर अर्थ वाले मोटर विकसित कर रही हैं लेकिन उत्पादन बढ़ा पाना अभी मुश्किल है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगले तीन वर्षों तक चीन पर निर्भरता खत्म करना मुश्किल होगा क्योंकि वह हेवी रेयर अर्थ उत्पादन का लगभग 99.8% नियंत्रित करता है. अमेरिका और चीन के बीच इस मुद्दे पर तनातनी जारी है. ट्रम्प ने पहले चीन पर 145% तक के भारी टैरिफ लगाए थे जिन्हें बाद में आर्थिक झटकों के कारण घटाया गया. अब दोनों देशों के प्रमुख शी जिनपिंग और ट्रम्प इस सप्ताह इस विवाद पर बातचीत करने वाले हैं.
चलते-चलते
समंदर के अंदर छा रहा है अंधेरा
'बीबीसी' के लिए एलियट बॉल की रिपोर्ट है कि एक अध्ययन के मुताबिक़ दुनिया के महासागरों में अंधेरा छा रहा है. पिछले दो दशकों में समंदर के अंदर प्रकाश का प्रवेश मुश्किल हुआ है, जिसे 'ओशन डार्कनिंग' कहते हैं. ये शोध यूनाइटेड किंगडम की यूनिवर्सिटी ऑफ़ प्लिमथ ने किया है. 'ओशन डार्कनिंग' तब होता है, जब समंदर की ऊपरी सतह पर बदलाव के कारण अंदर पानी में प्रकाश का प्रवेश मुश्किल हो जाता है. समंदर के अंदर जहां तक प्रकाश पर्याप्त रूप से पहुंचता है, उस हिस्से को 'फ़ोटिक ज़ोन' कहा जाता है.
समुद्री जीवन का 90 फ़ीसदी हिस्सा इसी फ़ोटिक ज़ोन में होता है और जैव-रासायनिक चक्रों को अच्छी तरह से बरकरार रखने के लिए ये ज़रूरी है. ग्लोबल चेंज बायोलॉजी में छपे अध्ययन में पाया गया है कि 2003 और 2022 के बीच वैश्विक महासागर का 21 फ़ीसदी हिस्सा अंधकारमय हुआ है. अध्ययन के अनुसार, ओशन डार्कनिंग का कारण पानी में शैवालों की संख्या बढ़ने की प्रक्रिया में बदलाव और समुद्र की सतह के तापमान में परिवर्तन माना जाता है.
ये सबसे अधिक तटीय क्षेत्रों में देखा जाता है, जहां पोषक तत्वों से भरपूर पानी सतह पर आ जाता है और अधिक बारिश के कारण भूमि से कृषि अपशिष्ट और तलछट पानी में चले जाते हैं, जिनसे समुद्र की सतह पर रहने वाले सूक्ष्म जीवों को, जिन्हें प्लवक कहते हैं, पोषण मिलता है.
जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया भर के कई क्षेत्रों में भारी बारिश की घटनाएँ बढ़ गई हैं.
ओशन डार्कनिंग का संबंध समुद्री सतह का तापमान बढ़ने से जोड़ा जा सकता है, जिसके कारण समुद्र की सतह पर प्लवक बढ़ सकते हैं, जो प्रकाश को समुद्र में जाने से रोकते हैं. पढ़िए यह रिपोर्ट.
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