06/01/2025: अभी पलटी नहीं मार रहे नीतीश, लुढ़कते रुपये का माज़रा, 4 नक्सली मारे गये, दिल्ली के सीएम बंगले पर चुनावी दांव, भारत टेस्ट चैंपियनशिप से बाहर, रूसी इलाकों पर यूक्रेनी बढ़त, मस्क का फैलता जाल
हिंदी भाषियों का क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज्यादा
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां :बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को अपने संभावित फिर से दल-बदलने की अटकलों को संबोधित करते हुए कहा कि वह एनडीए में ही रहेंगे. "मैं एनडीए के साथ रहूंगा," उन्होंने मुजफ्फरपुर में अपनी प्रगति यात्रा के दौरान मीडिया से कहा. नीतीश की प्रतिक्रिया राजद प्रमुख लालू प्रसाद द्वारा उन्हें इंडिया गठबंधन में वापसी की पेशकश के कुछ दिनों बाद आई है. लालू ने कहा था, "हमारे दरवाजे नीतीश कुमार के लिए खुले हैं. उन्हें भी अपने दरवाजे खोलने चाहिए. इससे दोनों तरफ से लोगों की आवाजाही में आसानी होगी." लालू के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, नीतीश ने हाथ जोड़े, मुस्कुराए और संक्षेप में जवाब दिया, "क्या बोल रहे हैं (आप क्या कह रहे हैं)?" बिना आगे कुछ और बोले. आगे नीतीश ने कहा, "दो बार गलती से इधर-उधर चले गए थे - अब कहीं नहीं जाएंगे ," मुख्यमंत्री ने भाजपा के साथ अपने गठबंधन को बरकरार रखने का अपना संकल्प दिखाते हुए कहा, "हम साथ हैं और लगातार बिहार को आगे ले जा रहे हैं."
मुठभेड़ में 4 नक्सली मारे गए, एक कांस्टेबल भी: बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक पी सुंदरराज ने बताया कि छत्तीसगढ़ के नारायणपुर-दंतेवाड़ा जिले की सीमा पर दक्षिण अबूझमाड़ वन क्षेत्र में संयुक्त नक्सल विरोधी अभियान के दौरान मुठभेड़ में चार नक्सली मारे गए और एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई. मृतक हेड कांस्टेबल सन्नू करम जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) में थे. इस बीच, 1 करोड़ रुपये के इनाम वाले विमला चंद्र सिदम उर्फ तारक्का समेत 11 नक्सलियों ने इस महीने की शुरुआत में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया.
राजनीतिक कार्यकर्ता, कवि और अनुवादक मनीष आजाद को यूपी एटीएस ने रविवार पांच जनवरी को प्रयागराज में उनके घर से गिरफ्तार कर लिया. यह जानकारी मनीष की बहन और मानवाधिकार कार्यकर्ता व अधिवक्ता सीमा आजाद ने पत्रकारों को दी. सीमा आजाद ने बताया, ‘दोपहर 3 बजे एटीएस के लोग 3-4 गाड़ियों में भर कर आएं और मेरे भाई मनीष आज़ाद को उस केस में गिरफ्तार कर ले गए, जिसमें वे 4 साल पहले ही जमानत ले चुके हैं. पुलिस ने आरोप लगाया है कि मनीष फरार थे. मुखबिर की टीप पर उन्हें गिरफ्तार किया है, जबकि सीमा का कहना है कि वह घर पर ही रह रहे थे. कहीं फरार नहीं थे. 2019 में एटीएस ने आज़ाद और उनकी पत्नी अमिता पर एफआईआर दर्ज किया था कि वे उत्तर प्रदेश में घूम-घूम कर लोगों को सरकार के खिलाफ भड़काते हैं. इस केस में वे आठ महीने जेल रह चुके हैं. 2020 से जमानत पर बाहर थे.
हेलीकॉप्टर दुर्घटना में, तटरक्षक बल के 3 की मौत : गुजरात के पोरबंदर में रविवार सुबह भारतीय तटरक्षक बल का एक ध्रुव एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच)-एमके थ्री दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिससे दो पायलटों और एक एयरक्रू डाइवर सहित तीन लोगों की मौत हो गई. तटरक्षक बल ने एक बयान में कहा कि एएलएच एमके-III हेलीकॉप्टर सीजी859 रविवार को दोपहर करीब 12:15 बजे पोरबंदर हवाई अड्डे के रनवे पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. घटना के समय हेलीकॉप्टर में दो पायलट और एक एयरक्रू डाइवर सवार थे और यह एक नियमित प्रशिक्षण उड़ान पर था. चालक दल के सदस्यों, कमांडेंट (जूनियर ग्रेड) सौरभ, और डिप्टी कमांडेंट एस.के. यादव और मनोज प्रधान नाविक के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार सेवा परंपराओं और सम्मान के अनुसार किया जाएगा.
लौह पुरुष की मूर्ति के पास लिबर्टी लेता तेंदुआ: गुजरात के एक सफारी पार्क में एक तेंदुआ घुस आया, जिससे वहां अफरा-तफरी मच गई और एक काले हिरण की मौत हो गई, जबकि सात अन्य काले हिरण की मौत सदमे से हो गई. यह असामान्य घटना नए साल (1 जनवरी) के मौके पर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास हुई. सफारी पार्क केवडिया वन प्रभाग क्षेत्र में स्थित है, जहां दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा (सरदार वल्लभ भाई पटेल की) को देखने आने वाले लोगों पर्यटकों का तांता लगा रहता है. यहां एक आईटी कंपनी भी है. इस घटना के बाद कंपनी ने कर्मचारियों को घर से काम करने को कहा है.
33 करोड़ में रिनोवेट हुआ दिल्ली सीएम बंगला चुनावी धोबीपछाड़ का दांव खेलने के लिए?
इंडियन एक्सप्रेस ने सीएजी रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने सरकारी मक़ान के रिनोवेशन में 33 करोड़ रुपये खर्च किये. सीएजी की रिपोर्ट जी सी मुर्मू के पद छोड़ने से एक सप्ताह पहले रिपोर्ट दाखिल की गई. मुर्मू गुजरात कैडर के आईएएस हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भरोसेमंद और करीबी समझे जाते हैं. और जैसा कि होना था, रिपोर्ट जारी होते ही नरेन्द्र मोदी ने केजरीवाल के ‘शीश महल’ को चुनावी जुमले में बदल दिया. उस केजरीवाल के लिए जो भ्रष्टाचार विरोधी लहर पर अन्ना हजारे की पीठ पर सवार होकर राजनीति में आम आदमी पार्टी लेकर आये थे, और फिर भ्रष्टाचार के आरोप में ही पिछले दिनों जेल में थे. और शुरूआती दिनों में अपनी मध्य वर्गीय मारुति वैगन आर को चलाते हुए सादगी की मिसाल कायम कर रहे थे. उस मकान में केजरीवाल ठीक से रह भी नहीं पाए क्योंकि जेल से लौटने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. दिल्ली चुनाव अभियान का ड्रामा इस तरह शुरू हुआ है. खर्च में टीवी कंसोल: 20.34 लाख रुपये; ट्रेडमिल और जिम उपकरण: 18.52 लाख रुपये; रेशम के कालीन: 16.27 लाख रुपये; मिनीबार: 4.80 लाख रुपये, दीवारों के लिए संगमरमर के पत्थर के लिए 20 लाख रुपये की राशि तय की गई थी, लेकिन अंतिम लागत 66.89 लाख रुपये तक पहुंच गई, फर्श की टाइलों का बजट 5.5 लाख रुपये था, लेकिन यह बढ़कर 14 लाख रुपये हो गया, निष्पादन के दौरान, निर्मित क्षेत्र में 36 प्रतिशत (1,397 वर्ग मीटर से 1,905 वर्ग मीटर तक) की वृद्धि हुई.
हालांकि ये सारा काम लोक निर्माण विभाग ने किया. जो सरकारी डिपार्टमेंट ही है. 7.91 करोड़ रुपये के प्रारंभिक अनुमान से, 2020 में 8.62 करोड़ रुपये में काम दिया गया था और जब इसे लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा 2022 में पूरा किया गया, तो कुल लागत 33.66 करोड़ रुपये थी. यह तब के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक गिरीश चंद्र मुर्मू की एक रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्षों में से एक है। इंडियन एक्सप्रेस को पता चला है कि मुर्मू ने 20 नवंबर, 2024 को पद छोड़ने से ठीक एक सप्ताह पहले इस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए थे।
आगामी दिल्ली चुनावों के लिए शुक्रवार को अपना अभियान शुरू करते हुए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने केजरीवाल पर हमला करते हुए कहा कि वह एक "शीश महल" बना सकते थे - जिसे भाजपा ने आप के भ्रष्टाचार के प्रतीक के रूप में इस घर का नाम दिया है - लेकिन उन्होंने सुनिश्चित किया था कि पिछले 10 वर्षों में चार करोड़ नागरिकों को घर मिले हैं। सितंबर में शराब मामले में जमानत पर रिहा होने के कुछ सप्ताह बाद - जिसमें उन्हें 21 मार्च, 2024 को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था - केजरीवाल ने 17 सितंबर को दिल्ली के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद अक्टूबर 2024 में परिसर खाली कर दिया था।
केजरीवाल निवास केजरीवाल के आवास पर कुछ सबसे महंगी वस्तुओं की लागत (स्थापना शुल्क सहित) ऑडिट और इसके निष्कर्षों के बारे में पूछे जाने पर, आप के प्रवक्ता ने इसे "चुनाव से कुछ दिन पहले भाजपा द्वारा ध्यान भटकाने की रणनीति बताया, जब वे कहानी हार गए हैं"। उन्होंने शुक्रवार से केजरीवाल की टिप्पणी दोहराई: "सरकारी सीएम आवास के बारे में सुनना अजीब लगता है, जिसे पीडब्ल्यूडी द्वारा बनाया गया था, उस पार्टी से जिसका नेता 2,700 करोड़ रुपये के घर में रहता है, 8,400 करोड़ रुपये के विमान में यात्रा करता है, 10 लाख रुपये के सूट पहनता है..."
आप ने लगातार कहा है कि संपत्ति केजरीवाल की "व्यक्तिगत" संपत्ति नहीं है और मुख्यमंत्री के आवास के रूप में भविष्य में दूसरों को आवंटित की जाएगी। कहा जाता है कि सीएजी रिपोर्ट में भूतल पर मौजूदा आवास के "पुनर्निर्माण" और "अतिरिक्त मंजिल" के निर्माण से संबंधित पीडब्ल्यूडी द्वारा "अनियमितताओं" पर एक खंड है।
अब ये देखना बाकी है कि ये मुद्दा केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी के खिलाफ किस तरह के चुनावी हथियार का काम करता है.
लुढ़कता रुपया : आख़िर माजरा क्या है?
दिसंबर 2024 के आखिरी सप्ताह में, रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85 के स्तर को पार कर गया और 85.81 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया. 2024 में मुद्रा में लगभग 3% की गिरावट आई, जो डॉलर के मुकाबले धीरे-धीरे लेकिन लगातार मूल्य खोने की अपनी दीर्घकालिक प्रवृत्ति को जारी रखती है. द हिंदू ने इसपर एक एक्सप्लेनर बनाया है.
रुपये में मौजूदा गिरावट को मुख्य रूप से भारत से विदेशी निवेशकों के बाहर निकलने से प्रेरित माना जा रहा है, जिससे रुपये पर दबाव पड़ा है.
वैश्विक निवेशकों ने देशों के बीच अपने निवेश को बदल दिया है क्योंकि केंद्रीय बैंक अलग-अलग डिग्री के लिए अपनी मौद्रिक नीतियों को फिर से कैलिब्रेट कर रहे हैं. कोरोनावायरस महामारी के बाद उच्च मुद्रास्फीति ने केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक सख्ती को जन्म दिया, जिसे अब मुद्रास्फीति पर अधिक नियंत्रण आने के बाद उलट दिया जा रहा है. इससे निवेशकों को भारत जैसे बाजारों से पैसा निकालकर अधिक विकसित बाजारों में निवेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
इस बीच, डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट की लंबी अवधि की प्रवृत्ति का श्रेय भारतीय रिजर्व बैंक की अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तुलना में ढीली मौद्रिक नीति के कारण भारत में अमेरिका की तुलना में उच्च मुद्रास्फीति को दिया जाता है. कच्चे तेल और सोना जैसे उच्च मूल्य के आयात (जो डॉलर की मांग को बढ़ाता है और रुपये को कमजोर करता है) की भारत की पारंपरिक मांग अपनी अर्थव्यवस्था को चालू रखने के लिए और निर्यात को बढ़ावा देने में इसकी अक्षमता (जो रुपये की मांग को बढ़ाने में मदद कर सकती है) ने भी रुपये के निराशाजनक प्रदर्शन में योगदान दिया है. आरबीआई विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर की आपूर्ति को कृत्रिम रूप से बढ़ाकर, और इस तरह रुपये के लिए डॉलर की मांग को बढ़ाकर रुपये के मूल्य को बनाए रखने के लिए अपने डॉलर भंडार का उपयोग कर रहा है.
नतीजतन, दिसंबर के आखिरी सप्ताह तक भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का मूल्य सितंबर में 700 अरब डॉलर से अधिक से गिरकर आठ महीने के निचले स्तर 640 अरब डॉलर पर आ गया.
विश्लेषकों का मानना है कि यदि आरबीआई ने डॉलर के मुकाबले रुपये को समर्थन देने के लिए हस्तक्षेप नहीं किया होता तो रुपये में गिरावट कहीं अधिक होती.
आरबीआई का पारंपरिक रुख रुपये के विनिमय मूल्य को इस तरह से प्रबंधित करना रहा है ताकि इसकी अर्थव्यवस्था में बहुत अधिक अस्थिरता के बिना इसके मूल्य में धीरे-धीरे गिरावट आ सके जिससे अर्थव्यवस्था बाधित न हो.
लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अड़ंगा बन रहा है चुनाव आयोग !
पारदर्शिता, जवाबदेही, जिम्मेदारी को लेकर परकला प्रभाकर और एमजी देवसहायम के सवाल
द वायर में प्रकाशित एक लंबे लेख में अर्थशास्त्री परकला प्रभाकर और आईएएस रह चुके एमजी देवसहायम ने चुनाव आयोग की निष्ठा पर संदेह और भारत की चुनाव प्रक्रिया पर चिंता जताई है. विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) और चुनाव आयोग (ईसीआई) की पारदर्शिता पर. लेख में उन्होंने कहा है कि ईवीएम की तकनीकी सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, चुनावी प्रक्रिया के मूल सिद्धांतों का पालन करना अधिक महत्वपूर्ण है, जैसे कि यह सुनिश्चित करना कि मतदाताओं के वोट "जैसा चाहा गया था, वैसा ही डाला गया है; जैसा डाला गया था, वैसा ही रिकॉर्ड किया गया है; और जैसा रिकॉर्ड किया गया था, वैसे ही गिना गया है."
वे कहते हैं कि हमारी चुनावी प्रक्रिया की निष्ठा पर संदेह का एक प्रमुख कारण ईसीआई के आचरण में पारदर्शिता की कमी है. इस मुद्दे के कुछ उदाहरणों में शामिल हैं:
चुनाव नियमों में संशोधन: केंद्र सरकार ने, ईसीआई के साथ परामर्श में, चुनाव नियमों में संशोधन किया है, जिससे नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण चुनाव रिकॉर्ड तक पहुंचना मुश्किल हो गया है. यह संदेह पैदा करता है कि क्या ईसीआई और सरकार कुछ छिपाने की कोशिश कर रहे हैं.
सूचना आयोग की स्वायत्तता को कमजोर करना: 2019 में, सरकार ने एक संशोधन लाया जिससे सूचना आयोग और उसके आयुक्त वेतन और पद पर बने रहने के लिए सरकार की मर्जी पर निर्भर हो गए. यह संभावित रूप से आयोग की स्वायत्तता से समझौता करता है.
वीवीपैट डेटा पर अपारदर्शिता: ईसीआई ने 2019 के लोकसभा चुनावों के वीवीपैट डेटा के बारे में जानकारी प्रदान करने से इनकार कर दिया, यह तर्क देते हुए कि डेटा उसके पास उपलब्ध नहीं है, जबकि उसके अपने नियमों में कहा गया है कि यह उपलब्ध होना चाहिए.
मतदान के आंकड़ों में विसंगतियां: 2019 और 2024 के आम चुनावों में डाले गए और गिने गए वोटों के बीच विसंगतियों के उदाहरण हैं, साथ ही अनंतिम और अंतिम मतदान आंकड़ों के बीच असामान्य वृद्धि भी हुई है.
आंकड़े जारी करने में देरी: ईसीआई ने 2024 के आम चुनावों में मतदान के आंकड़े जारी करने में देरी की, और प्रारंभिक और अंतिम आंकड़ों में भी असंगतियां हैं, जिससे डेटा की जांच करना मुश्किल हो गया है.
फॉर्म 17सी तक नागरिकों की पहुंच से इनकार: ईसीआई ने फॉर्म 17सी को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है, जिसमें प्रत्येक बूथ पर डाले गए वोटों की संख्या होती है.
लेख में यह सवाल उठाया गया है कि क्या ईसीआई और केंद्र सरकार हमारी चुनावी प्रक्रिया की पूर्ण और स्वतंत्र जांच को रोकने की कोशिश कर रहे हैं. यह तर्क देता है कि नागरिकों को एक ऐसी प्रणाली का अधिकार है जो चुनावी लोकतंत्र के सिद्धांतों का पालन करती है, और इस अधिकार से समझौता करने वाले किसी भी कार्य को अस्वीकार्य होना चाहिए.
नागरिक समाज संगठनों, जैसे कि वोट फॉर डेमोक्रेसी और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा उठाए गए चिंताओं को भी लेख में प्रस्तुत किया गया है, जिन्होंने 2019 और 2024 के आम चुनावों में ईवीएम वोटों की गिनती में गड़बड़ी, और मतदाता मतदान के आंकड़ों में विसंगतियों के कई उदाहरणों की ओर इशारा किया है. यह तर्क देता है कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना आवश्यक है, क्योंकि यह लोकतंत्र की अखंडता के लिए महत्वपूर्ण है.
यूक्रेन का रूस के कुर्स्क क्षेत्र में जवाबी हमला
यूक्रेन ने रूस के दक्षिणी सीमावर्ती क्षेत्र कुर्स्क में जवाबी हमला शुरू कर दिया है, और चेतावनी दी है कि रूस को "अपनी करतूतों का फल" मिल रहा है. यूक्रेनी सेंटर फॉर काउंटरिंग डिसइन्फॉर्मेशन के प्रमुख, एंड्री कोवाल्को, ने कहा कि यूक्रेनी सेनाओं ने कुर्स्क में कई स्थानों पर रूसी सेना के खिलाफ अचानक हमले किए हैं, महीनों पहले इस क्षेत्र में अपना घुसपैठ शुरू किया था. यूक्रेनी राष्ट्रपति कार्यालय के प्रमुख, एंड्री येरमाक ने रविवार को एक संक्षिप्त टेलीग्राम पोस्ट में कहा: "कुर्स्क क्षेत्र, अच्छी खबर है, रूस को अपनी करतूतों का फल मिल रहा है." यूक्रेनी सेना ने पहली बार अगस्त में कुर्स्क में घुसपैठ शुरू की और रूसी और हाल ही में तैनात उत्तर कोरियाई सैनिकों द्वारा यूक्रेनी इकाइयों को वापस सीमा पार धकेलने के प्रयासों के बावजूद, इसने अपने कब्जे में लिए गए अधिकांश क्षेत्र को बरकरार रखा है. रूसी रक्षा मंत्रालय ने रविवार को कहा कि यूक्रेन ने रूसी आक्रमण को रोकने के लिए जवाबी हमले किए हैं.
धुर-दक्षिणपंथियों का मैगाफोन बन गया है ट्विटर
अमेरिका के बाद इलोन मस्क की अब जर्मनी, ब्रिटेन, कनाडा के चुनावों में दखलंदाजी
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के मालिक और तकनीकी अरबपति इलोन मस्क ने हाल के दिनों में सोशल मीडिया पोस्ट की झड़ी के साथ ब्रिटेन, जर्मनी और कनाडा में धुर-दक्षिणपंथी हस्तियों को बढ़ावा दिया है.
वाशिंगटन पोस्ट की इस खबर के मुताबिक 2025 के पहले तीन दिनों में, इलोन मस्क ने एक्स पर अपने 210 मिलियन फॉलोअर्स को अक्सर भड़काऊ पोस्ट भेजते हुए राजनीति पर कब्जा करने की कोशिश की. मस्क ने एक जेल में बंद ब्रिटिश धुर-दक्षिणपंथी चरमपंथी को रिहा करने की मांग की. उन्होंने किंग चार्ल्स III को संसद भंग करने और नए आम चुनाव कराने के लिए एक पोस्ट साझा की. साथ ही, उन्होंने प्रधानमंत्री कीर स्टैमर पर मीम्स और हमलों की बौछार की. मस्क ने स्टैमर पर एक दशक से भी अधिक समय पहले "रेप गैंग्स" पर मुकदमा चलाने में विफल रहने का आरोप लगाया, एक बाल शोषण घोटाला जिसने ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी को राष्ट्रीय जांच की मांग करने के लिए प्रेरित किया है.
मस्क ने रिफॉर्म यूके पार्टी के एक सांसद रूपर्ट लोव का एक संदेश भी साझा किया, जिन्होंने कहा कि उन्होंने शुक्रवार को रेप गैंग्स के पीड़ितों से बात करने में बिताया. मस्क ने कनाडा के कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोइलीवरे के साथ एक साक्षात्कार की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि अगले हफ्ते वह जर्मनी के धुर-दक्षिणपंथी राजनीतिक दल अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी की चांसलर उम्मीदवार एलिस वेइडेल के साथ एक लाइव स्ट्रीम में बातचीत करेंगे.
पिछले साल, मस्क ने 2024 के चुनावों में डोनाल्ड ट्रम्प और अन्य रिपब्लिकन को बढ़ावा देने के लिए अपनी विशाल धनराशि और एक्स माइक्रोफोन का उपयोग करके अमेरिकी राजनीति में अपना दबदबा बनाया. अब, मस्क वैश्विक स्तर पर अपनी राजनीतिक ताकत दिखा रहे हैं. वह अमेरिका के शीर्ष सहयोगियों की सरकारों में रूढ़िवादी राजनेताओं को बढ़ावा दे रहे हैं.
मस्क के इस कदम की दुनिया भर के उदारवादी नेताओं ने आलोचना की है. ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री एंड्रयू ग्विन ने कहा कि मस्क को अटलांटिक के दूसरी तरफ के मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए. मस्क ने जिस बाल शोषण घोटाले का उल्लेख किया है, वह रिफॉर्म यूके के लिए सियासी मुद्दा बन गया है.
यह अनुमान लगाया जा रहा है कि मस्क विदेश में रूढ़िवादी राजनेताओं को आर्थिक रूप से बढ़ावा दे सकते हैं, जैसा कि उन्होंने पिछले साल अमेरिकी चुनावों में 277 मिलियन डॉलर खर्च करके अमेरिका का शीर्ष राजनीतिक दानदाता बनकर किया था. दिसंबर में, मस्क ने फ्लोरिडा में ट्रम्प के मार-ए-लागो रिसॉर्ट में ब्रिटिश राजनेता निगेल फराज से मुलाकात की थी, जहां उन्होंने एक तस्वीर खिंचवाई थी.
मस्क की हरकतों से यह भी अटकलें तेज हो गई हैं कि वह अपने कई व्यावसायिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए विदेश नीति को सीधे तौर पर प्रभावित करने का प्रयास कर सकते हैं. मस्क ने गुरुवार को एक ट्वीट साझा किया जिसमें कहा गया था कि ब्रिटेन का ऑनलाइन सुरक्षा अधिनियम मार्च 2025 में लागू हो जाएगा. इस कानून के तहत, सोशल मीडिया कंपनियों को बच्चों को हानिकारक सामग्री से बचाने और वयस्कों को यह नियंत्रित करने की अधिक शक्ति देने की आवश्यकता है कि वे ऑनलाइन क्या देखना चाहते हैं.
मस्क के बयानों पर जर्मन चांसलर: 'ट्रोल पर ध्यान न दो'
जब जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज से एक साक्षात्कार में एलोन मस्क द्वारा उन पर और अन्य जर्मन नेताओं पर किए जा रहे अपमानों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने जवाब दिया: "ट्रोल पर ज्यादा ध्यान न दो." जर्मन साप्ताहिक स्टर्न से बात करते हुए, शोल्ज ने इस तरह की आलोचनाओं को कोई नई बात नहीं बताया. उन्होंने साक्षात्कार में कहा, "आपको शांत रहना होगा." "सोशल डेमोक्रेट के रूप में, हम लंबे समय से इस तथ्य के आदी हैं कि कुछ अमीर मीडिया उद्यमी हैं जो सामाजिक लोकतांत्रिक राजनीति की सराहना नहीं करते हैं - और अपनी राय नहीं छिपाते हैं."
भारत विश्व टेस्ट चैंपियनशिप से बाहर
ऑस्ट्रेलिया ने रविवार को भारत को छह विकेट से हराकर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 10 साल बाद वापस हासिल कर ली. इस जीत के साथ, ऑस्ट्रेलिया ने श्रृंखला 3-1 से अपने नाम कर ली. इस हार के साथ ही भारत विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) के फाइनल से बाहर हो गया है. भारत एकमात्र ऐसी टीम थी जिसने पिछले दो डब्ल्यूटीसी फाइनल खेले थे, लेकिन न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. भारत ने पर्थ में जोरदार जीत के साथ श्रृंखला की शुरुआत की थी, लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने एडिलेड में वापसी करते हुए श्रृंखला बराबर कर दी.
जिसके नाम की ट्राफी, उसे ही नहीं बुलाया
सर्वकालिक महानतम क्रिकेटर खिलाड़ियों में से एक सुनील गावस्कर रविवार को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी देने के लिए क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) की ओर से न बुलाए जाने से आहत हैं, जबकि भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज उनके और उनके समकालीन एलन बॉर्डर के नाम पर ही खेली जाती है. ऑस्ट्रेलियाई टीम को यह ट्रॉफी अकेले बॉर्डर ने दी, जबकि कार्यक्रम स्थल पर ही गावस्कर भी मौजूद थे. गावस्कर ने कहा, ‘मैं निश्चित रूप से वहां मौजूद होना पसंद करता. आखिरकार यह बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी है और यह ऑस्ट्रेलिया और भारत के बारे में है. मेरा मतलब है कि मैं यहां मैदान पर हूं. हम दोनों यहां मौजूद थे. मेरे लिए यह मायने नहीं रखता कि ऑस्ट्रेलिया ने जीत दर्ज की. वह बेहतर खेले, इसलिए जीते. यह ठीक है. सिर्फ इसलिए कि मैं भारतीय हूं? मुझे अपने अच्छे दोस्त एलन बॉर्डर के साथ ट्रॉफी पेश करने में खुशी होती’.
चलते चलते: सिंधु घाटी लिपि पढ़ने वाले को 8.58 करोड़ रुपये का ईनाम
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने रविवार को घोषणा की कि जो विशेषज्ञ या संगठन सिंधु घाटी सभ्यता की लिपियों को सभी के लिए समझने योग्य बनाने में सफल होंगे, उन्हें 1 मिलियन डॉलर (लगभग 8 करोड़ 58 लाख रुपये) का पुरस्कार देंगे. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने प्रसिद्ध पुरातत्वविद् और पुरालेखविद् इरावतम महादेवन के नाम पर एक न्यास स्थापित करने के लिए ₹2 करोड़ अनुदान की भी घोषणा की. मुख्यमंत्री चेन्नई स्थित रोजा मुथैया लाइब्रेरी में राज्य पुरातत्व विभाग और सिंधु अनुसंधान केंद्र की ओर से संयुक्त रूप से ‘सिंधु घाटी सभ्यता की खोज के शताब्दी समारोह’ में भाग लेते हुए कहा. उन्होंने कहा, ‘हम सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि को समझने में अब तक सक्षम नहीं हुए हैं. यह 100 साल बाद भी एक रहस्य बना हुआ है.
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’... शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, स्पोटीफाई पर ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.