06/06/2025 : इतिहास घोटाला | रामलला के प्रसाद के नाम पर करोड़ों का चूना | भारत तालिबान भाई-भाई? | बेटी का बलात्कार करवाया भाजपा नेत्री ने | अकेला पड़ता भारत | ट्रम्प मस्क के रिश्तों की सड़ांध
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां :
देश के इतिहास को ठीक करने के नाम पर आरएसएस भर्तियों ने 14 करोड़ ठिकाने लगाए
रामलला मंदिर के प्रसाद के नाम पर अमेरिका में बैठकर लोगों से ठग लिए ₹10.49 करोड़ रुपए
अयोध्या मंदिर में राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा भी हुई
वृंदावन: बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन के लिए ट्रस्ट बनाने की सरकारी योजना के विरोध में पुजारी
गया में गैंग रेप पीड़िता की मां का इलाज करने पहुंचे डॉक्टर को पेड़ से बांधकर पीटा
हरियाणा के हिंदी शिक्षक भर्ती के परीक्षापत्र में ग़लतियों की भरमार, विरोध के चलते परीक्षा रद्द
भाजपा की नेता अपनी ही बेटी का अपने प्रेमी से ही!
विजयवर्गीय को छोटे कपड़े पहनने वाली लड़कियां पसंद नहीं
पुलिस मुठभेड़ में हुई ईनामी माओवादी नेता की मौत
जवाहर सरकार | भारत दुनिया में अकेला पड़ता जा रहा है
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कई सारे सवाल हैं
रिश्तों की संड़ांध अब खुले में
‘डिजिटल युद्ध’: भारत-पाक संघर्ष में झूठी ख़बरों की बमबारी
यूक्रेन के ड्रोन हमले के बाद रूस की परमाणु धमकी से अमेरिका में हलचल
डोनाल्ड ट्रम्प ने 12 देशों पर अमेरिका यात्रा प्रतिबंध लगाया
देश के इतिहास को ठीक करने के नाम पर आरएसएस भर्तियों ने 14 करोड़ ठिकाने लगाए
आईसीएचआर में 14 करोड़ रुपये के घोटाले की जाँच शुरू

भारत का इतिहास फिर से और अपने हिसाब से लिखना आरएसएस का पुराना एजेंडा है. इसके लिए नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के तीन साल बाद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े संगठन अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना (ABISY) के कई सदस्यों को दिल्ली स्थित भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) में प्रमुख पदों पर नियुक्त किया गया. अब 'स्क्रोल' के लिए आयुष तिवारी की रिपोर्ट है कि यहां से 14 करोड़ रुपये के घोटाले की खबर बाहर आ रही है.
खुद इसका मुख्यालय दिल्ली में आरएसएस कार्यालय के अंदर स्थित है. हालांकि इन नियुक्तियों से आईसीएचआर की विचारधारा में स्पष्ट बदलाव आया, लेकिन इसके साथ ही भ्रष्टाचार और वित्तीय गड़बड़ियों के गंभीर आरोप भी सामने आए हैं, जिससे भारत सरकार को खुद संज्ञान लेना पड़ा है. इस महीने की शुरुआत में, केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने संकलन योजना के चार सदस्यों को आईसीएचआर में वित्तीय अनियमितताओं के लिए दोषी ठहराया और शिक्षा मंत्रालय को उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने की सलाह दी है. इसके अलावा 11 अन्य पूर्व और वर्तमान अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की सिफारिश की गई है. इसके अलावा नियुक्तियों और प्रमोशन में भी घोटाला सामने आया है. सीवीसी की सिफारिश के अनुसार 15 लोगों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू हो गई है. आईसीएचआर अध्यक्ष रघुवेंद्र तंवर ने कहा कि चार्जशीट जारी कर दी गई है.
आईसीएचआर प्रमुख बाल मुकुंद पांडेय के भतीजे और आईसीएचआर के उप निदेशक और ABISY के प्रचार प्रमुख सौरभ कुमार मिश्रा, ICHR के डायरेक्टर ऑफ रिसर्च एंड एडमिनिस्ट्रेशन ओम जी उपाध्याय, जेएपयू के उप कुलसचिव जगदीश सिंह और नेहरू मेमोरियल म्यूज़ियम एंड लाइब्रेरी के शोध प्रमुख नरेंद्र शुक्ल पर भ्रष्टाचार के सीधे आरोप हैं. ये चारों ही ताकतवर पदों पर हैं.
ऑडिट में क्या पाया गया? भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (ICHR) की हालिया ऑडिट रिपोर्ट में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं उजागर हुई हैं. रिपोर्ट के अनुसार, 397 शोधार्थियों को कुल 6.26 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया था, लेकिन इन शोधकर्ताओं ने अपना काम पूरा नहीं किया और न ही यह राशि वापस ली गई. इसके अतिरिक्त, 85 विभिन्न परियोजनाओं में 1.09 करोड़ रुपये की राशि बिना किसी ठोस परिणाम के व्यर्थ चली गई. संस्था में 2.55 करोड़ रुपये का मरम्मत कार्य बिना उचित अनुमति के शुरू किया गया था. ठेकेदारी प्रक्रिया में भी भारी गड़बड़ियां पाई गईं. ICHR ने बिना निर्धारित प्रक्रिया अपनाए BECIL को अपने ई-ऑफिस एप्लिकेशन का ठेका सौंप दिया. बाद में BECIL ने यह ठेका Iforaa नामक एक निजी कंपनी को दे दिया, जिसके कारोबारियों के RSS से संबंध होने के प्रमाण मिले हैं. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि "India: The Mother of Democracy" नामक एक पुस्तक पर 30.1 लाख रुपये खर्च किए गए, जबकि इसकी मंजूरी केवल 20 लाख रुपये की थी. इस किताब की केवल 26 प्रतियां बिकीं, 94 प्रतियां मुफ्त में प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी गईं, और 880 प्रतियां अभी भी बची पड़ी हैं.
कैसे सामने आया मामला?
2022 और 2023 में लोकपाल को दो गुमनाम शिकायतें मिलीं, जिनमें आईसीएचआर में वित्तीय अनियमितताओं, गलत नियुक्तियों और पदोन्नति में नियमों के उल्लंघन की बात कही गई थी. इसके बाद शिक्षा मंत्रालय और सीवीसी ने अलग-अलग जांच शुरू की. 2023 में मंत्रालय ने आईसीएचआर की पुस्तकों की विशेष ऑडिट करवाई, जिसमें 14.03 करोड़ रुपये की वित्तीय गड़बड़ी सामने आई. इसमें 7.4 करोड़ रुपये ऐसे अनुदान शामिल हैं, जिन्हें जिन शोधार्थियों ने रिपोर्ट नहीं सौंपी, उनसे वापस नहीं लिया गया. आईसीएचआर के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा "बिना पारदर्शिता के निर्णय लेने" और "नियमों की बड़े स्तर पर अनदेखी" का गंभीर आरोप भी लगाया गया.
रामलला मंदिर के प्रसाद के नाम पर अमेरिका में बैठकर लोगों से ठग लिए ₹10.49 करोड़ रुपए
'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट है कि अयोध्या पुलिस ने राम लला के प्रसाद के नाम पर हुए 3.85 करोड़ रुपये के अब तक के सबसे बड़े साइबर फ्रॉड का भंडाफोड़ किया है. राम लला की 22 जनवरी 2024 को हुई प्रतिष्ठा के बाद भक्तों की आस्था का फायदा उठाते हुए, आरोपियों ने खुद को अमेरिका के सिएटल स्थित नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर बताकर लोगों को एक नकली वेबसाइट के ज़रिए ठगा. इस वेबसाइट पर राम मंदिर का प्रसाद, मंदिर की प्रतिकृति और स्मारक सिक्के "फ्री डिलीवरी" के साथ देने का दावा किया गया था. यह घोटाला गाजियाबाद के इंदिरापुरम के विंडसर पार्क निवासी आशीष सिंह ने अंजाम दिया, जो फिलहाल अमेरिका में रह रहा था. उसने khadiorganic.com नामक एक फर्जी वेबसाइट 2024 की प्रतिष्ठा से कुछ हफ्ते पहले लॉन्च की थी.
वेबसाइट पर 19 दिसंबर 2023 से 12 जनवरी 2024 तक 6.3 लाख से अधिक भक्तों से ऑर्डर लिए गए. भारतीय यूज़र्स से "प्रसाद डिलीवरी" के नाम पर ₹51, और विदेशों से 11 डॉलर की "सुविधा शुल्क" वसूला गया. कुल मिलाकर, आशीष सिंह ने वेबसाइट के ज़रिए ₹10.49 करोड़ की डिजिटल पेमेंट्स कीं, जिनमें से ₹3.85 करोड़ केवल प्रसाद डिलीवरी के नाम पर वसूले गए.
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इस फर्जीवाड़े की ऑनलाइन गतिविधियों पर संदेह जताया और अयोध्या साइबर सेल को सूचित किया. आशीष सिंह 13 जनवरी को भारत लौटा और अयोध्या आया, शायद कुछ "सुलह" या "क्लीन चिट" की उम्मीद में, लेकिन अयोध्या साइबर क्राइम टीम ने उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने उसके पास से एक लैपटॉप, दो आईफोन, ₹13,970 नकद, भारतीय और अमेरिकी पहचान-पत्र, बैंक डेबिट कार्ड, वॉशिंगटन का ड्राइविंग लाइसेंस, हेल्थ कार्ड आदि बरामद किए. आशीष पर आईपीसी की धारा 420, आईटी एक्ट की धारा 66D और पासपोर्ट अधिनियम की धारा 12(3) के तहत मामला दर्ज किया गया है. अयोध्या पुलिस ने 3.72 लाख से अधिक पीड़ितों को ₹2.15 करोड़ की राशि वापस लौटाई है. शेष ₹1.70 करोड़ की रिकवरी की प्रक्रिया जारी है.
अयोध्या मंदिर में राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा भी हुई
गुरुवार को अयोध्या के राम मंदिर में राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा भी हो गई. उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जिनका आज जन्मदिवस था, ने राम दरबार का पूजन किया. मंदिर के गर्भगृह के ऊपर प्रथम तल पर स्थापित राम दरबार में श्रीराम, मां सीता, तीनों भाई- लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के साथ हनुमानजी की मूर्तियां हैं. श्रद्धालु राम दरबार के दर्शन कब से कर सकेंगे, ट्रस्ट ने अभी इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी है.
राम दरबार के लिए दान में प्राप्त आभूषणों में एक हजार कैरेट का हीरा, 30 किलो चांदी, 300 ग्राम सोना, 300 कैरेट रुबी से तैयार11 मुकुट शामिल हैं. इनके अलावा, गले का हार, कान के कुंडल, माथे का तिलक, चारों भाइयों के लिए धनुष-बाण भी हैं. इन आभूषणों को चार्टर्ड प्लेन से अयोध्या लाया गया. गौरतलब है कि 22 जनवरी, 2024 को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में 3 हाजर लोगों को आमंत्रित किया गया था, लेकिन आज राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा में 350 लोगों को आमंत्रित किया गया. इनमें भी ज्यादातर ट्रस्ट के पदाधिकारी और साधु-संत ही थे.
वृंदावन: बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन के लिए ट्रस्ट बनाने की सरकारी योजना के विरोध में पुजारी
'द वायर' की रिपोर्ट है कि वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए ट्रस्ट बनाने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले का मथुरा के पुजारियों ने विरोध किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, पुजारियों ने राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के इस कदम को ‘ब्राह्मण विरोधी’ करार दिया है. इस संबंध में बुधवार (4 जून) को 'द टेलीग्राफ' को मंदिर के पूर्व अध्यक्ष ताराचंद गोस्वामी ने बताया, ‘हमारे पूर्वजों की तपस्या के कारण ही भगवान यहां प्रकट हुए थे. मंदिर उनकी देखरेख में पूजनीय बन गया था, लेकिन अब सरकार इसके प्रबंधन को विनियमित करने के बहाने इसे अपने नियंत्रण में ले रही है.’ एक अन्य पुजारी विष्णु गोस्वामी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार पर जानबूझकर ब्राह्मणों की आजीविका छीनने का आरोप लगाया. मालूम हो कि पिछले सप्ताह राज्य सरकार ने एक अध्यादेश पारित किया था, जिसके तहत श्री बांके बिहारीजी मंदिर न्यास ट्रस्ट की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हो गया है.
बेंगलुरु भगदड़; आरसीबी और डीएनए के लोग गिरफ्तार होंगे, पुलिस कमिश्नर सहित 8 सस्पेंड
बेंगलुरु भगदड़ मामले में सीएम सिद्धारमैया ने पुलिस को आरसीबी और डीएनए इवेंट मैनेजमेंट एजेंसी के अफसरों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया है. साथ ही बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर समेत आठ अफसरों को सस्पेंड कर दिया है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा- मामले की जांच के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज माइकल डी’कुन्हा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच आयोग बनाया गया है. आयोग 30 दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपेगा.
आरसीबी के इस कार्यक्रम के आयोजन में जो लोग जिम्मेदार थे, उन पर भी कार्रवाई होगी. इवेंट मैनेजमेंट एजेंसी के अलावा कर्नाटक राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी होगी. इससे पहले कर्नाटक सरकार ने गुरुवार को हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट सौंपी. सरकार ने बताया कि भगदड़ मामले में आरसीबी, डीएनए और कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
गया में गैंग रेप पीड़िता की मां का इलाज करने पहुंचे डॉक्टर को पेड़ से बांधकर पीटा
बिहार के गया जिले में मंगलवार को एक डॉक्टर जितेंद्र यादव जब एक गैंगरेप पीड़िता की मां का इलाज करने उनके घर गए तो गांव के दबंगों ने उन्हें घर से बाहर खींचकर पेड़ से बांध दिया और लोहे की रॉड व डंडों से बुरी तरह पीटा, जिससे वह लहूलुहान हो गए. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे राज्य में राजनीतिक विवाद भी खड़ा हो गया है. विपक्ष ने बिहार की स्थिति को "तालिबान से भी बदतर" बताया है.
पीड़िता के परिवार के अनुसार, 2021 में गांव के ही तीन लोगों ने उनकी बेटी के साथ गैंगरेप किया था. इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई थी और 30 मई 2025 को कोर्ट में गवाही भी दी गई थी, जिसके बाद एक आरोपी गिरफ्तार हुआ है जबकि बाकी फरार हैं. आरोप है कि केस वापस लेने का दबाव बनाने के लिए आरोपियों के परिवार वालों ने हमला किया. इसी दौरान डॉक्टर इलाज के लिए घर पहुंचे थे, तभी उन पर हमला हुआ. वीडियो में, एक छोटी लड़की की आवाज़ सुनाई देती है जो भयावह घटना का वर्णन करते हुए और आसपास खड़े लोगों पर आरोप लगाते हुए कहती है, "मार के सब निकल गया, सर. सब खड़ा होकर बस मुंह देखता है सर, शर्म भी नहीं लगता है डॉक्टर साहब को मारते हैं."
पुलिस ने इस मामले में 10 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है और तीन महिलाओं को गिरफ्तार भी किया है. घायल डॉक्टर का अस्पताल में इलाज चल रहा है और पुलिस मामले की जांच कर रही है.
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बुधवार को “एक्स” पर वीडियो पोस्ट करने के बाद यह घटना प्रकाश में आई. तेजस्वी ने कहा था, “स्थिति तालिबान से भी बदतर है.” गुरुवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी “एक्स” पर लिखा, “20 साल तक सत्ता में रहने के बाद भी नीतीश जी की डबल इंजन सरकार न तो बिहार को सुरक्षा दे पाई, न सम्मान और न ही विकास. अपराध, बेरोजगारी और पलायन- यही नीतीश-बीजेपी सरकार की असली पहचान बन चुकी है. जनता को लाचार बनाकर सत्ता से चिपके रहना ही इनका एजेंडा है.
हरियाणा के हिंदी शिक्षक भर्ती के परीक्षापत्र में ग़लतियों की भरमार, विरोध के चलते परीक्षा रद्द
'द वायर' की रिपोर्ट है कि 1 जून, 2025 को हरियाणा लोक सेवा आयोग द्वारा सहायक प्राध्यापक (हिंदी) की परीक्षा आयोजित की गई. हिंदी के इस प्रश्न-पत्र में इतनी गलतियां हैं कि इसे देख कर यह यकीन नहीं होता कि इस प्रश्न-पत्र को किसी राज्य की एक संवैधानिक संस्था द्वारा तैयार करवाया गया है. इस प्रश्न-पत्र में कई स्थानों पर लेखकों और रचनाओं के गलत नाम, वाक्यों में गलतियां, आधे-अधूरे वाक्य विन्यास/ उद्धरण, गलत प्रश्न, विकल्पों में त्रुटियां और अन्य तथ्यपरक गलतियों की भरमार है. अभ्यर्थियों के भारी विरोध के कारण आयोग ने अंततः इस परीक्षा को रद्द कर दिया है और जल्द ही दोबारा परीक्षा करवाने को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया है. मसलन, इस प्रश्न-पत्र में भारतेंदु हरिश्चंद्र के नाटक ‘भारत-दुर्दशा’ से तीन प्रश्न पूछे गए. पर तीनों प्रश्नों में ‘भारत दुर्दशा’ को ‘भारद्वाजाश्रम’ टाइप किया गया है. ‘परीक्षा गुरु’ उपन्यास को ‘परिता गुरु’ लिखा गया है. ‘आषाढ़ का एक दिन’ से पूछे गए एक प्रश्न के विकल्प में इस नाटक के एक पात्र ‘विद्रुप’ के नाम को ‘विडप’ लिख दिया गया है. ऐसी त्रुटियों के और भी कई उदाहरण हैं, जैसे आलस्य को हास्य, अनिमा को अतिमा, डॉ. ममता को डॉ. मल्लिका, रौतहट स्टेशन को रोहित स्टेशन, दंतवीणोपदेशाचार्य को धीरमोपदेशाचार्य, लतिका को नतिका, गिरीश नेगी को हरीश नेगी, चीफ की दावत को चीड़ की दावत, चन्द्रकला को चंद्रिका, दा साहब को दादा साहब, राउलवेल को राउतबेल, भारत दुर्दैव को भारद्वाज टाइप किया गया है. इसके साथ ही इस प्रश्न-पत्र में कई प्रश्न ऐसे पूछे गए हैं जो एक सहायक प्राध्यापक के चयन के लिहाज से स्तरहीन और अतार्किक हैं. उदाहरण के तौर पर, ‘मैला आँचल उपन्यास में वासुदेव जी रेलवे स्टेशन पर ‘जाति किताब’ पुस्तक कितने पैसे में खरीदते हैं?’ (यहां ‘जाति किताब’ भी ग़लत टाइप किया हुआ है) यह भर्ती 2024 में आई थी. इसकी परीक्षा भी पिछले वर्ष होने वाली थी, पर यह परीक्षा इतने समय बाद आयोजित की गई है.
भाजपा की नेता अपनी ही बेटी का अपने प्रेमी से ही!
भाजपा महिला मोर्चा की हरिद्वार जिला इकाई की प्रमुख नेत्री और उनके प्रेमी सुमित पटवाल की गुरुवार को एक चौंकाने वाले मामले में गिरफ्तारी हुई है. आरोप है कि भाजपा की महिला नेता ने अपने प्रेमी और उसके साथी शुभम से अपनी 13 वर्षीय बेटी के साथ बलात्कार कराया था, ऐसा पुलिस ने बताया है. यह मामला मंगलवार को तब सामने आया जब नाबालिग ने अपने पिता को आपबीती सुनाई. आरोपियों के खिलाफ बीएनएस की धारा 70 (2) (सामूहिक बलात्कार), 351(3) (आपराधिक धमकी), 3(5) (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने के लिए कई व्यक्तियों द्वारा आपराधिक कार्य) और पॉक्सो एक्ट की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. महिला और उसके प्रेमी को बुधवार को एक होटल से गिरफ्तार किया गया. लड़की की मेडिकल जांच से पुष्टि हुई कि उसके साथ यौन उत्पीड़न हुआ था. इस बीच पुलिस शुभम की तलाश कर रही है. महिला नेता को इस कृत्य के सामने आने के बाद उसे पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निकाल दिया गया.
विजयवर्गीय को छोटे कपड़े पहनने वाली लड़कियां पसंद नहीं
अब वरिष्ठ भाजपा नेता और मध्यप्रदेश के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने गुरुवार को विवादित बयान में कहा कि वे महिलाओं के "छोटे कपड़े पहनने" के चलन को नापसंद करते हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सौंदर्य का विदेशी विचार है और भारतीय परंपरा के अनुरूप नहीं है.
उन्होंने कहा, "मुझे ऐसी लड़कियां पसंद नहीं हैं जो छोटे कपड़े पहनती हैं. हमारे यहां अगर कोई लड़की अच्छे कपड़े पहनती है, अच्छा श्रृंगार करती है, अच्छे गहने पहनती है, तो उसे बहुत सुंदर माना जाता है. लेकिन विदेशों में कम कपड़े पहनने वाली महिलाओं को सुंदर माना जाता है. यह उनकी सोच है, मैं इसे नहीं मानता. मैं मानता हूं कि हमारे देश में महिलाएं देवी का स्वरूप होती हैं और उन्हें अच्छे कपड़े पहनने चाहिए. मुझे कम कपड़े पहनने वाली महिलाएं अच्छी नहीं लगतीं."
विजयवर्गीय ने यह भी कहा कि जब लड़कियां उनके साथ सेल्फी लेने आती हैं, तो वे उनसे कहते हैं, "बेटा, अगली बार ठीक कपड़े पहनकर आना, फिर फोटो खिंचवाएंगे." महिलाओं के पहनावे को लेकर उनकी टिप्पणी पहली बार नहीं है. दो साल पहले कहा था-लड़कियां इतने गंदे कपड़े पहनकर निकलती हैं कि शूर्पणखा लगती हैं.
पुलिस मुठभेड़ में हुई ईनामी माओवादी नेता की मौत
'इंडियन एक्सप्रेस' की खबर है कि छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में गुरुवार को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में एक वरिष्ठ माओवादी नेता गौतम उर्फ सुधाकर की मौत हो गई है. सुधाकर पर 40 लाख रुपये का इनाम था. सुधाकर माओवादियों की केंद्रीय समिति का सदस्य था. यह मुठभेड़ उस वक्त हुई है, जब कुछ दिन पहले ही सुरक्षा बलों ने बस्तर क्षेत्र में भाकपा (माओवादी) के महासचिव नामबाला केशव राव उर्फ बसवराजू को मार गिराया था, जो माओवादी आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. हालांकि सुधाकर की मौत की आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं की गई है. बस्तर रेंज में तैनात एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र के जंगल में यह मुठभेड़ उस समय शुरू हुई, जब वरिष्ठ माओवादी नेताओं की मौजूदगी की सूचना के आधार पर एक संयुक्त टीम ने नक्सल विरोधी अभियान चलाया. इस अभियान में छत्तीसगढ़ पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF), जिला रिजर्व गार्ड (DRG) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की कोबरा यूनिट शामिल थी. अधिकारियों के अनुसार, यह अभियान माओवादी नेता सुधाकर, तेलंगाना राज्य समिति के सदस्य बांदी प्रकाश, दंडकारण्य विशेष जोनल समिति के सदस्य पप्पा राव और अन्य कुछ हथियारबंद माओवादियों की मौजूदगी की सूचना के आधार पर चलाया गया था. उन्होंने कहा, “प्रारंभिक रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि इस अभियान में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिलने की प्रबल संभावना है.”
विश्लेषण
जवाहर सरकार | भारत दुनिया में अकेला पड़ता जा रहा है
पूर्व राज्यसभा सांसद जवाहर सरकार ने 'द वायर' में अपने एक लेख के जरिए भारत की वैश्विक स्तर पर विनाशकारी अलग-थलग स्थिति का जिक्र किया है. जवाहर सरकार के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अल्बर्टा, कनाडा में होने वाली G7 बैठक (15-17 जून) में शामिल न होने का मामला भारत की बढ़ती कूटनीतिक अलगाव की कहानी कहता है. सरकार बताते हैं कि यह अजीब बात है कि बैठक से पखवाड़े भर पहले तक मोदी को कोई निमंत्रण नहीं भेजा गया, जबकि वे पिछले छह सालों से इन उच्च वर्गीय बैठकों में भाग लेते रहे हैं.
जवाहर सरकार के मुताबिक, कनाडा ने ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और यूक्रेन के नेताओं को आमंत्रित किया है, लेकिन भारत को नहीं. इसके पीछे खालिस्तानी दबाव या हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद फाइव आइज़ गुट का नाराजगी हो सकती है. सरकार सुझाते हैं कि यह जी सात का भारत को एक संकेत हो सकता है कि वे अधिक कूटनीतिक व्यवहार करना शुरू करें.
लेखक के अनुसार, भारत की मुख्य समस्या यह है कि जब उसने पाकिस्तान के अंदर आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया था, तो किसी देश ने साथ नहीं दिया. जवाहर सरकार का कहना है कि भारत का विदेश कार्यालय गलत गणना कर रहा है और हर भारतीय मिशन को हिंदू मूल्यों के विस्तार शिविर में बदलने में व्यस्त है.
सरकार के मुताबिक, विदेशों में भारतीयों की छवि बदल रही है. पहले वे शांतिप्रिय, मेहनती लोगों के रूप में जाने जाते थे, लेकिन अब स्वामीनारायण मंदिरों के तेजी से विकास और आक्रामक हिंदू दावों के कारण स्थिति बदल गई है. जवाहर सरकार चेतावनी देते हैं कि हिंदू bashing अभी शुरू हुआ है और यह और खराब हो सकता है.
लेखक का मानना है कि भारत की वर्तमान विदेश नीति में गंभीर समस्याएं हैं. गलवान में 20 भारतीय सैनिकों के बाद चीन के साथ व्यापार बढ़ाना, यूक्रेन मुद्दे पर अस्थिर रुख, और इजरायल को चिकना समर्थन देना - इन सभी कारणों से भारत कूटनीतिक रूप से अलग-थलग पड़ गया है.
जवाहर सरकार के अनुसार, ट्रम्प 2.0 भारत के लिए पूरी तरह से आपदा है, जबकि अन्य देशों ने उन्हें स्पष्ट रूप से अपनी बात कही है, भारत को डरपोक माना जाता है. सरकार का निष्कर्ष है कि भारत का चिढ़ाने वाला अहंकार, जो उसके कद से काफी ऊपर है, दुनिया भर के नेताओं को स्पष्ट है. जवाहर सरकार सुझाते हैं कि भारत को आत्मनिरीक्षण करने और पाठ्यक्रम में सुधार करने की आवश्यकता है. जवाहर सरकार तृणमूल कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद हैं और इससे पहले भारत सरकार में सचिव तथा प्रसार भारती के सीईओ रह चुके हैं. आप पूरा लेख अंग्रेजी में यहां पढ़ सकते हैं.
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कई सारे सवाल हैं
सुशांत सिंह ने करण थापर के साथ बातचीत में कई महत्वपूर्ण बातें रखीं. उन्होंने बताया कि पुलवामा हमले के जवाब में भारत द्वारा किए गए हवाई हमले सामरिक रूप से बहुत सटीक थे, लेकिन उनका बड़ा रणनीतिक लक्ष्य स्पष्ट नहीं था. उनका मानना है कि ऐसे अभियानों का मुख्य उद्देश्य प्रतिरोध (डिटेरेंस) स्थापित करना होता है, ताकि दुश्मन भविष्य में ऐसी हरकतें न करे, लेकिन भारत के मामले में ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि हमले मुख्य रूप से लोगों के भावनात्मक गुस्से को शांत करने और यह दिखाने के लिए किए गए कि 'कुछ किया गया है'. इससे रणनीतिक रूप से कोई खास सफलता नहीं मिली क्योंकि आतंकवादी ठिकाने शायद पहले ही खाली हो चुके थे.
सुशांत सिंह ने जोर देकर कहा कि हवाई जहाजों के नुकसान की संख्या बेहद महत्वपूर्ण है. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) का यह कहना कि संख्याएं महत्वपूर्ण नहीं हैं, गलत है. उन्होंने कहा कि यदि संख्या महत्वपूर्ण नहीं होती तो सीडीएस उसे स्वीकार कर लेते. यह तथ्य कि इस बात पर इतनी बहस हो रही है, दिखाता है कि संख्याएं मायने रखती हैं. पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि कैसे कारगिल युद्ध के समय एयरक्राफ्ट खोने के 'ऑप्टिक्स' को इन्फेंट्री प्लाटून खोने से भी बदतर माना गया था. उनका मानना है कि पांच विमानों का नुकसान केवल दो लक्ष्यों को निशाना बनाने के लिए एक बहुत बड़ी संख्या है और यह स्वीकार्य नुकसान की सीमा से परे लगता है. सरकार का इस बारे में स्पष्ट जानकारी न देना उसकी विश्वसनीयता को कम करता है. उन्होंने कहा कि जनता को युद्ध में संभावित नुकसानों के लिए तैयार रहना चाहिए और लोकतंत्र में ऐसी हार-जीत पर खुली बहस जरूरी है, जो पारदर्शिता से ही संभव है.
सुशांत सिंह ने बताया कि पहले दिन के ऑपरेशन में शायद एक सामरिक गलती हुई थी. सीडीएस के बयान से लगता है कि हमारे विमान पाकिस्तानी एयर डिफेंस सिस्टम के बहुत करीब उड़ रहे थे. साथ ही, राजनीतिक नेतृत्व द्वारा लगाई गई पाबंदियों (कि केवल आतंकी ठिकानों पर हमला करना है, सैन्य ठिकानों पर नहीं) के कारण वायुसेना शायद पूरी क्षमता से कार्रवाई नहीं कर पाई, जबकि पाकिस्तान ने भारतीय एयरस्पेस में घुसकर हमारे विमानों को निशाना बनाया, जो बेहद आक्रामक कार्रवाई थी. उन्होंने कहा कि भारतीय विमानों को शायद पाकिस्तानी ग्राउंड-आधारित एयर डिफेंस से नुकसान हुआ, न कि चीनी पीएल-15 मिसाइलों से, जैसा कि कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया था. उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि पाकिस्तान चीन से उन्नत तकनीक प्राप्त कर रहा है और उनका इंटीग्रेटेड सिस्टम भारत के मल्टी-वेंडर सिस्टम के मुकाबले बेहतर साबित हो सकता है. भारत को इन नुकसानों से सीखना चाहिए और तेजी से अपनी तकनीक व रणनीति में सुधार करना चाहिए, खासकर चीन-पाकिस्तान गठजोड़ को देखते हुए.
उनका मानना है कि 'ऑपरेशन सिंदूर' ने अनजाने में पाकिस्तान को भारतीय वायु शक्ति की सीमाओं को समझने का मौका दिया है, जिससे वे भविष्य में अधिक साहसी हो सकते हैं. यह भारत की लंबे समय तक या दोहरे मोर्चे पर युद्ध लड़ने की क्षमता पर भी सवाल खड़े करता है, खासकर तकनीकी अंतर और संभावित नुकसानों को देखते हुए.
प्रधानमंत्री मोदी के प्रतिरोध सिद्धांत पर टिप्पणी करते हुए सुशांत सिंह ने कहा कि यह सुरक्षा के 'तत्व' के बजाय 'ताकत का तमाशा' है और यह मुख्य रूप से घरेलू राजनीतिक लाभ के लिए तैयार किया गया है. उन्होंने इस सिद्धांत के तीन स्तंभों की आलोचना की. पहला, हर आतंकी कृत्य को युद्ध की घोषणा मानकर जवाबी कार्रवाई का संकल्प खोखला है और मुख्य रूप से चुनावी लामबंदी का जरिया है. प्रतिरोध सजा के खतरे से आता है, न कि सिर्फ सजा देने से. दूसरा, परमाणु ब्लैकमेल के आगे न झुकने का दावा राजनीतिक नौटंकी है. परमाणु हथियारों को हल्के में लेना एक खतरनाक जुआ है. तीसरा, आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों के बीच अंतर न करना सबसे खतरनाक है क्योंकि यह कूटनीति की गुंजाइश खत्म कर देता है और खतरनाक तरीके से पाकिस्तान, इस्लाम और भारतीय मुसलमानों को जोड़ता है, जिससे देश धार्मिक आधार पर बँट सकता है. कुल मिलाकर, सुशांत सिंह के अनुसार, यह सिद्धांत सुरक्षा का भ्रम पैदा करता है और परमाणु युग में तकनीकी प्रगति और राष्ट्रवादी जोश के खतरनाक मिश्रण से देश के ताने-बाने को फाड़ने का जोखिम उठाता है. आप ये बातचीत यहां देख सकते हैं.
भारत तालिबान भाई-भाई?
विल्सन सेंटर में छपे अपने एक लेख में मिर्वाइस बल्खी ने लिखा है भारत के पास अफगानिस्तान में अधिक जिम्मेदार और रचनात्मक भूमिका निभाने की क्षमता है, लेकिन दोनों ही मुल्क अल्पकालिक लाभ की ओर देख रहे हैं. भारत की अफगानिस्तान नीति में हाल के वर्षों में नाटकीय बदलाव आया है. नवंबर 2024 में नई दिल्ली में अफगानिस्तान दूतावास स्थायी रूप से बंद हो गया, जिसके बाद तालिबान अधिकारियों ने घोषणा की कि दूतावास उनके राजनयिकों के नेतृत्व में फिर से खुलेगा. इस घटनाक्रम ने अफगानों के बीच भारत की छवि को धुंधला कर दिया है.
पारंपरिक रूप से भारत-अफगानिस्तान संबंध "मेरे दुश्मन का दुश्मन मेरा दोस्त है" के सिद्धांत पर आधारित रहे हैं, जहां पाकिस्तान दोनों देशों का साझा दुश्मन माना जाता था. अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद, भारत की भाजपा सरकार ने एक व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया और तालिबान के साथ सीधी बातचीत शुरू की.
2021 में कतर में पहली औपचारिक बैठक के बाद, जून 2022 में भारतीय अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल काबुल गया. तालिबान नेता मुल्ला याकूब ने भारत के साथ सैन्य और रणनीतिक सहयोग की इच्छा जताई. इसके परिणामस्वरूप भारत ने काबुल में अपना दूतावास आंशिक रूप से फिर से खोला और अक्टूबर 2022 में व्यापारिक समझौता किया.
हालांकि, यह संबंध केवल अल्पकालिक रणनीतिक हितों पर आधारित है, मुख्यतः पाकिस्तान के प्रभाव को सीमित करने के लिए. इसके नकारात्मक परिणाम हैं - यह तालिबान शासन को मजबूत करता है, क्षेत्रीय चरमपंथ को बढ़ावा देता है, और भारत की अफगान लोगों के बीच छवि को नुकसान पहुंचाता है. पहले भारत को मित्र देश माना जाता था, लेकिन अब इसे स्वार्थी राष्ट्र के रूप में देखा जा रहा है.
लेखक का सुझाव है कि भारत को अपनी नीति में संशोधन करना चाहिए और पाकिस्तान-केंद्रित दृष्टिकोण से आगे बढ़कर अधिक रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिए.
‘डिजिटल युद्ध’: भारत-पाक संघर्ष में झूठी ख़बरों की बमबारी
भारत और पाकिस्तान के बीच मई में हुए सैन्य तनाव के दौरान एक और युद्ध लड़ा जा रहा था - यह था विज्ञापन, दावे और झूठी ख़बरों का डिजिटल युद्ध. इंटरनेशनल मीडिया ने भी भारत और पाकिस्तान दोनों ही जगह मीडिया में चली झूठी खबरों पर ध्यान लगाया है. 'द गार्डियन' की रिपोर्ट है कि ऑपरेशन सिंदूर के ऐलान के तुरंत बाद ही सोशल मीडिया पर पाकिस्तान की पराजय की झूठी ख़बरों की बाढ़ आ गई. भारत द्वारा लाहौर पर कब्जा, कराची बंदरगाह पर नियंत्रण और पाकिस्तानी वायुसेना प्रमुख की गिरफ्तारी जैसे भ्रामक दावे लाखों लोगों तक पहुंचाए गए, जिनमें से अधिकतर पूरी तरह से झूठे थे. वीडियो गेम फुटेज, पुराने युद्ध वीडियो और AI जनित तस्वीरों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुआ. लंदन स्थित संस्था ‘द लंदन स्टोरी’ और वॉशिंगटन डीसी के ‘सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ ऑर्गेनाइज्ड हेट’ ने इस पूरे सूचना युद्ध को एक वैश्विक ‘हाइब्रिड वॉरफेयर’ की मिसाल बताया है, जो सिर्फ भारत-पाक ही नहीं, बल्कि आधुनिक भू-राजनीति की नई दिशा को दर्शाता है.
हालांकि दोनों देशों में झूठी जानकारी फैली, लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार भारत की ओर से फैलाई गई गलत जानकारी "अभूतपूर्व पैमाने" पर थी. कई दावे भारत के टीवी चैनलों पर ब्रेकिंग न्यूज़ बनकर चले, जिनमें से कुछ एंकरों ने अब माफ़ी भी मांगी है. नागरिक संस्था CJP (सिटिज़न्स फॉर जस्टिस एंड पीस) ने छह प्रमुख चैनलों के खिलाफ नैतिकता के उल्लंघन की शिकायत दर्ज कराई है. भारत सरकार के सूचना मंत्रालय के सलाहकार कंचन गुप्ता ने सरकारी भूमिका से इनकार करते हुए कहा कि एक 24x7 मॉनिटरिंग सेल बनाया गया था, जिसने कई फर्जी पोस्ट हटवाए. फिर भी विशेषज्ञ मानते हैं कि यह प्रकरण इस बात का चेतावनी संकेत है कि कैसे सूचना को हथियार बनाकर दो परमाणु शक्तियों को युद्ध की दहलीज़ तक पहुंचाया जा सकता है.
'द वॉशिंगटन पोस्ट' ने भारत के प्रमुख समाचार नेटवर्कों के दो दर्जन से अधिक पत्रकारों से बात की, जिन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कैसे न्यूज़ रूम्स में तथ्य-जांच की जगह व्हाट्सएप और सोशल मीडिया से आई अफवाहों ने ले ली. भारत की पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव ने कहा कि जब सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई, तब टीवी चैनलों ने एक “वैकल्पिक वास्तविकता” बना दी, जिसमें "हाइपर-राष्ट्रवाद" और "असामान्य विजयी भावना" हावी रही. जी न्यूज, एबीपी न्यूज, एनडीटीवी, भारत समाचार, टीवी 9 भारतवर्ष और टाइम्स नाउ नवभारत जैसे चैनलों ने यह दावा किया कि भारतीय सेना पाकिस्तान में घुस गई है, पाक प्रधानमंत्री ने आत्मसमर्पण कर दिया है और पाक शहर तबाह कर दिए गए हैं. इन झूठे दावों को समर्थन देने के लिए चैनलों ने ग़ाज़ा और सूडान की फुटेज, अमेरिका में विमान हादसे की तस्वीरें और यहां तक कि वीडियो गेम के दृश्य भी दिखा दिए.
भारत के एक वरिष्ठ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी ने स्वीकार किया कि कुछ झूठी खबरें जानबूझकर फैलाई गईं — "जानकारी के क्षेत्र में लाभ उठाने" के लिए. “कभी-कभी उसका नुकसान अपनी जनता को होता है — लेकिन अब युद्ध का तरीका ऐसा ही हो गया है.” पूर्व नौसेना अधिकारी ने कहा— “हमने यह सूचना युद्ध उन लोगों को सौंप दिया है जो इसके लायक नहीं हैं.”
शर्तों के साथ पनोली को अंतरिम जमानत : कोलकाता हाईकोर्ट ने गुरुवार को सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को कुछ शर्तों के साथ अंतरिम जमानत दे दी, जिन्हें कोलकाता पुलिस ने कथित रूप से सांप्रदायिक टिप्पणियों वाला वीडियो अपलोड करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ की गई शिकायत में कोई संज्ञेय अपराध उजागर नहीं होता है. पनोली, जो कानून की छात्रा हैं, को पिछले हफ्ते हरियाणा के गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया था. कोलकाता के गार्डन रीच पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. वीडियो में उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर पर बॉलीवुड अभिनेताओं की आलोचना करते हुए विवादित टिप्पणी की थी. पुलिस का कहना था कि उनके डिलीट किए जा चुके वीडियो में एक अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ “अपमानजनक और असम्मानजनक” टिप्पणियां थीं.
रिश्तों की संड़ांध अब खुले में
मैं न होता तो ट्रम्प की हार पक्की थी, मस्क ने कहा
'द गार्डियन' की रिपोर्ट है कि एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लगातार जवाबों की एक श्रृंखला में इलोन मस्क ने डोनाल्ड ट्रम्प पर हमला तेज करते हुए कहा- "मेरे बिना ट्रम्प चुनाव हार गए होते, डेमोक्रेट्स हाउस पर नियंत्रण कर चुके होते और सीनेट में रिपब्लिकन का बहुमत सिर्फ 51-49 होता.” इसके बाद मस्क ने कहा- "ऐसी कृतघ्नता." मस्क की यह टिप्पणी ट्रम्प द्वारा दिए गए उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने पत्रकारों से कहा कि वे मस्क से “बहुत निराश” हैं और यह भी दावा किया कि उन्होंने इलोन की “बहुत मदद की” थी. दोनों के बीच बढ़ते मतभेद मस्क द्वारा ट्रम्प के टैक्स और खर्च संबंधी बिल की सार्वजनिक आलोचना के बाद सामने आए हैं, जिसे मस्क ने “घृणित और घोटालापूर्ण” करार दिया था.
गुरुवार को ट्रम्प ने कहा कि मस्क को यह बिल उनके प्रशासन के किसी भी अन्य व्यक्ति से बेहतर समझ में था, जिस पर मस्क ने जवाब देते हुए कहा - “गलत” और यह भी जोड़ा कि उन्हें वह बिल कभी दिखाया ही नहीं गया था. डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर इलोन मस्क पर जमकर निशाना साधते हुए कहा- "इलोन अब बर्दाश्त के बाहर हो गया था, मैंने उससे कहा कि वह चला जाए, मैंने उसका ईवी जनादेश खत्म कर दिया जो लोगों को जबरन इलेक्ट्रिक कारें खरीदने पर मजबूर करता था, जिन्हें कोई नहीं चाहता था (और उसे महीनों से पता था कि मैं ऐसा करने वाला हूं!) - और इसके बाद वह पागल हो गया!"
एक अन्य पोस्ट में ट्रम्प ने कहा- "हमारे बजट में अरबों-खरबों डॉलर बचाने का सबसे आसान तरीका है इलोन की सरकारी सब्सिडी और कॉन्ट्रैक्ट्स को समाप्त कर देना. मैं हमेशा हैरान रहा कि बाइडन ने यह पहले क्यों नहीं किया!"
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका ने ग़ाज़ा में तत्काल, बिना शर्त और स्थायी युद्धविराम की मांग करने वाले प्रस्ताव को वीटो किया
अलजजीरा की रिपोर्ट है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका ने एक प्रस्ताव को वीटो कर दिया जिसमें ग़ाज़ा में तत्काल, बिना शर्त और स्थायी युद्धविराम की मांग की गई थी. इस बीच, ग़ाज़ा में इजरायली हमलों में बीते 24 घंटे में लगभग 100 फ़िलिस्तीनियों की जान चली गई है और इलाका एक गंभीर मानवीय संकट से जूझ रहा है. बुधवार को प्रस्ताव पर मतदान हुआ जिसमें अमेरिका अकेला ऐसा देश था जिसने इसके खिलाफ वोट दिया, जबकि बाकी 14 सदस्य देशों ने इसके पक्ष में मतदान किया. यह प्रस्ताव इजरायली बंधकों की रिहाई की भी मांग करता था, लेकिन अमेरिका ने कहा कि चूंकि बंधकों की रिहाई और युद्धविराम की मांग को सीधे जोड़कर नहीं रखा गया है, इसलिए यह प्रस्ताव उसके लिए "स्वीकार्य नहीं" था.
यूक्रेन के ड्रोन हमले के बाद रूस की परमाणु धमकी से अमेरिका में हलचल
'द गार्डियन' की रिपोर्ट है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के द्वारा रूस में घुसकर हालिया ड्रोन हमले के जवाब में "कड़ी प्रतिक्रिया" की चेतावनी दी है. इस बीच, क्रेमलिन समर्थक और डोनाल्ड ट्रम्प से जुड़े सलाहकारों ने उन्हें आगाह किया है कि अमेरिका और रूस के बीच परमाणु टकराव का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. रूसी संप्रभु धन कोष के प्रमुख किरिल दिमित्रिएव ने यूक्रेनी हमले को “रूसी परमाणु संपत्तियों पर हमला” बताया और तीसरे विश्व युद्ध की चेतावनी दी. उन्होंने ट्रम्प के दूत स्टीव विटकॉफ़ के जरिए यह संदेश पहुंचाया. यूक्रेन का दावा है कि इस हमले में रूस के 40 से अधिक सैन्य विमान तबाह हुए, जिनमें वो बमवर्षक भी शामिल थे जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं. हालांकि, यह धमकी ऐसे समय आई है, जब यूक्रेन 1994 में अपने परमाणु हथियार छोड़ चुका है, लेकिन ट्रम्प खेमे के कई सलाहकार कट्टरपंथी और उदार दोनों मानते हैं कि युद्ध के परमाणु मोड़ लेने की आशंका बढ़ रही है. पूर्व सैन्य अधिकारी कीथ केलॉग ने कहा कि अगर किसी देश की परमाणु त्रयी पर हमला होता है, तो स्थिति बेहद संवेदनशील हो जाती है. कुछ ट्रम्प समर्थक इस हमले की तुलना पर्ल हार्बर से कर रहे हैं. बाइडेन प्रशासन भी पहले संकेत दे चुका है कि अगर रूस को लगे कि क्रीमिया पर हमला हो सकता है, तो वह परमाणु हथियार इस्तेमाल कर सकता है. यूक्रेनी अधिकारियों ने इन परमाणु धमकियों को "ब्लैकमेल" करार दिया है, जिसका उद्देश्य अमेरिका की मदद को रोकना है.
डोनाल्ड ट्रम्प ने 12 देशों पर अमेरिका यात्रा प्रतिबंध लगाया
‘अलजजीरा’ की रिपोर्ट है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए 12 देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है और 7 अन्य देशों पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. व्हाइट हाउस ने कहा कि यह कदम अमेरिका की ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के हित में उठाया गया है. अफगानिस्तान, चाड, कांगो, इक्वेटोरियल गिनी, इरीट्रिया, हैती, ईरान, लीबिया, म्यांमार, सोमालिया, सूडान और यमन ऐसे देश हैं, जिन पर पूर्ण यात्रा प्रतिबंध हैं, जबकि बुरुंडी, क्यूबा, लाओस, सिएरा लियोन, टोगो, तुर्कमेनिस्तान और वेनेज़ुएला पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाए गए हैं. राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा, “मुझे अमेरिका और उसके नागरिकों की राष्ट्रीय सुरक्षा और हितों की रक्षा के लिए यह कदम उठाना पड़ा.” आदेश में कहा गया है कि इससे पहले जारी किए गए वीज़ा रद्द नहीं किए जाएंगे. कोलोराडो के हमले को इन देशों पर प्रतिबंध का बहाना बनाया गया है. व्हाइट हाउस द्वारा जारी एक वीडियो संदेश में ट्रम्प ने कहा कि कोलोराडो के बाउल्डर में एक प्रो-इज़राइल रैली पर हालिया हमले ने दिखा दिया कि “विदेशियों के अमेरिका में प्रवेश से कितना बड़ा खतरा हो सकता है, खासकर जब उनकी सही ढंग से जांच नहीं होती.” उन्होंने यह भी दावा किया कि “हमारे देश में करोड़ों अवैध प्रवासी हैं जिन्हें यहां नहीं होना चाहिए.” बता दें कि साल 2017 में अपने पहले कार्यकाल में ट्रम्प ने एक कार्यकारी आदेश जारी किया था, जिसमें सात मुस्लिम-बहुल देशों ईरान, इराक, लीबिया, सोमालिया, सूडान, सीरिया और यमन के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया था.
गांधी का एकमात्र 'सजीव पोर्ट्रेट' जुलाई में होगा नीलाम
'इकोनॉमिक टाइम्स' की रिपोर्ट है कि महात्मा गांधी द्वारा स्वयं के लिए बैठकर बनवाई गई एकमात्र तैल चित्रकारी जुलाई में ब्रिटेन के बोनहम्स नीलामी घर में नीलाम की जाएगी. इस ऐतिहासिक पेंटिंग की अनुमानित कीमत 50,000 से 70,000 पाउंड (लगभग ₹58 लाख से ₹81 लाख) बताई जा रही है. यह पेंटिंग ब्रिटिश कलाकार क्लेयर लीटन ने वर्ष 1931 में बनाई थी, जब गांधीजी लंदन आए थे और द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग ले रहे थे. लीटन उस समय अपने प्रेमी, पत्रकार हेनरी नोएल ब्रेल्सफोर्ड के साथ थीं, जो भारत की आज़ादी के समर्थक थे और 1930 में भारत आकर कई स्वतंत्रता सेनानियों से मिले थे. क्लेयर लीटन, जो लकड़ी की नक़्क़ाशी के लिए जानी जाती हैं, को गांधीजी के निजी दफ्तर में जाने और उन्हें स्केच करने की अनुमति मिली थी, जो उस समय बेहद दुर्लभ बात थी. इसी दौरान उन्होंने यह तेल चित्र तैयार किया, जो अब तक उनके परिवार के पास संरक्षित था. यह चित्र 1974 में कथित तौर पर एक हमले का शिकार भी हुआ, जिसके बाद इसका आंशिक रूप से पुनर्संरक्षण किया गया. यह पहली बार होगा जब यह पेंटिंग किसी सार्वजनिक नीलामी में पेश की जाएगी. इतिहास के इस जीवंत दस्तावेज़ का कला और स्वतंत्रता संग्राम दोनों के इतिहास में एक अनमोल स्थान है.
चलते-चलते
गंगटोक से ‘गन्स एन रोज़ेज़’ तक: कैसे ‘गिरीश एंड द क्रॉनिकल्स’ बना भारत का वैश्विक रॉक स्टार
"हमारे लिए यह एक बेहद बड़ा क्षण था. गन्स एन’ रोज़ेज़ वह बैंड है जिसे सुनते हुए हम बड़े हुए हैं. उनके गाने हमारे जीवन का हिस्सा रहे हैं," गिरीश ने द टेलीग्राफ ऑनलाइन से बातचीत में कहा.
भारतीय रॉक बैंड गिरीश एंड द क्रॉनिकल्स (GATC) ने 17 मई को मुंबई में गन्स एन' रोज़ेज़ के लिए ओपनिंग परफॉर्मेंस दी. यह महज एक कॉन्सर्ट नहीं, बल्कि उस बैंड को श्रद्धांजलि थी जिसने इन चार पूर्वोत्तर भारतीय युवाओं को रॉक संगीत की प्रेरणा दी थी.
गिरीश और उनके बैंडमेट्स योगेश प्रधान (बास), सुराज कार्की (लीड गिटार) और नगेन मोंगराती (ड्रम्स) के लिए यह किसी सपने के सच होने जैसा था. गंगटोक में पले-बढ़े इन कलाकारों का पालन-पोषण संगीतमय माहौल में हुआ. उनकी मां बिमला प्रधान प्रसिद्ध नेपाली लोक गायिका हैं. 2009 में स्थापित जीएटीसी ने कभी मुख्यधारा में फिट होने की नहीं सोची। यूट्यूब और सोशल मीडिया की मदद से उन्होंने अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई। अब वे यूरोप में नियमित टूर करते हैं और प्रतिष्ठित म्यूज़िक लेबल से जुड़े हैं।
3 जून को अमेरिका'ज़ गॉट टैलेंट में अडेल के "सेट फायर टू द रेन" का रॉक वर्जन पेश कर चारों जजों से 'हां' पाया। साथ ही अल्टर ब्रिज, बुलेट फॉर माय वेलेंटाइन जैसे दिग्गजों के साथ मंच साझा किया. गिरीश का 'साउंडचेक रिफ़' इंस्टाग्राम पर 35 लाख बार देखा गया है। 80s हार्ड रॉक और हेवी मेटल के प्रति गहरा लगाव रखने वाले GATC ने साबित किया कि जुनून और मेहनत से कोई भी सीमा पार की जा सकती है.
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, फेसबुक पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.