07 दिसंबर 2024: किसानों पर आंसू गैस के गोले, बाबरी विध्वंस के 32 बरस बाद, 'मंत्री' का मणिपुर तेज गति से विकास की राह पर, नया नवजात ग्रह, लंग कैंसर की जांच और फ्रांस में ‘मोडानी’ के किस्से
हिंदी भाषियों का क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज्यादा
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
सुर्खियां:
किसानों पर आंसू गैस के गोले, 8 को फिर आएंगे : अम्बाला-दिल्ली हाईवे के शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर मार्च करने की कोशिश कर रहे किसानों पर शुक्रवार को आंसू गैस के गोले छोड़े गए. चार किसानों के घायल होने के कारण किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने 101 किसानों के समूह को वापस बुला लिया. हालांकि किसान नेता सरवान सिंह पांधेर ने घोषणा की कि 101 किसानों का एक और समूह 8 दिसंबर को दोपहर में दिल्ली की ओर मार्च करेगा. पांधेर ने कहा कि सुरक्षा बलों की कार्रवाई ने भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र और हरियाणा सरकार की मंशा को उजागर किया है. किसान बिना हथियार के थे, फिर भी हरियाणा पुलिस ने उन पर आंसू गैस के गोले दागे, जिससे कई किसान घायल हुए. दो गंभीर रूप से घायल हैं और वर्तमान में पंजाब के राजपुरा में एक सरकारी अस्पताल में भर्ती हैं. लेकिन आज की घटनाओं के बावजूद किसान शांतिपूर्ण तरीके से विरोध जारी रखेंगे.
(शंभू बैरियर पर आंसू गैस के बीच चलते किसान. साभार: रायटर्स)
बाबरी विध्वंस के 32 बरस बाद: 32 बरस पूर्व अयोध्या में जिस स्थान पर बाबरी मस्जिद ढहा दी गई थी, वहां अब भव्य राम मंदिर बन चुका है और अब भी निर्माण कार्य चल रहे हैं. दूसरी ओर, धन्नीपुर में 5 एकड़ का वह भूखंड अब भी खाली पड़ा है, जो 2020 में सरकार ने सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को नई मस्जिद बनाने के लिए आवंटित किया था. चार साल बाद भी वहां कोई मस्जिद नहीं है. ‘बीबीसी हिंदी’ के लिए सैयद मोजिज़ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मौके पर जाकर देखा तो मैदान में कुछ टेंट वाले अपना शामियाना सुखाते दिखे, किसान अपने मवेशी चरा रहे थे और मैदान के बीच एक दरगाह पर इक्का दुक्का जायरीन आ जा रहे थे. यह रिपोर्ट कहती है कि मस्जिद के निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपए की आवश्यकता है. बाकी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए भी करीब 400 करोड़ की लागत आ सकती है. लेकिन फंड की कमी के कारण निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है. फंड जुटाने के लिए जो समिति बनाई गई थी, वह अपना काम ठीक से नहीं कर पा रही थी, लिहाजा उसे बीते सितंबर में भंग कर दिया गया. इधर इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार मस्जिदों और दरगाहों के सर्वेक्षण की मांग करने वाले मुकदमों पर चिंता व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रोहिंटन नरीमन ने कहा है कि ‘हाइड्रा के सिर’ की तरह हर जगह मुकदमे दायर किए जा रहे हैं. अब यह केवल मस्जिदों तक सीमित नहीं बल्कि इसका विस्तार दरगाहों तक हो गया है. न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा, ‘इससे साम्प्रदायिक तनाव और असमानता बढ़ सकती है, जो हमारे संविधान और पूजा स्थलों के अधिनियम में कल्पना के विपरीत है.’
ऐसा लगता है कि बाबरी विध्वंस एकमात्र मस्जिद नहीं थी; जिसे ध्वस्त हो जाना था बल्कि, यह कई मुस्लिम स्थलों और स्मारकों में से सिर्फ पहली थी. नारा, ‘बाबरी तो बस झांकी है, काशी मथुरा बाकी है’ हिंदुत्व समूहों की उस चाहत को दिखाता है, जो आज भी कायम है. विध्वंस के लिए चिह्नित ऐसे स्मारकों की एक सूची काफी समय से प्रचलन में है. बत्तीस साल से अधिक समय पहले बाबरी मस्जिद विध्वंस में क्या खो गया और क्या बचा है, इस पर सीमा चिश्ती का निबंध पढ़ें.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि कल भारत और चीन के बीच विदेश कार्यालय के नेतृत्व वाली वार्ता में दोनों पक्षों ने अक्टूबर के विघटन समझौते के कार्यान्वयन की ‘सकारात्मक रूप से पुष्टि’ की और इसे ‘2020 में उभरे मुद्दों का पूर्ण समाधान’ बताया. लेकिन चीन में पूर्व राजदूत अशोक कांथा ने विदेश मंत्रालय की घटनाओं के प्रस्तुतिकरण में कुछ खामियां पाई हैं. वह बताते हैं कि इस सप्ताह की शुरुआत में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि बातचीत तनाव कम करने और सीमा गतिविधियों के प्रभावी प्रबंधन पर केंद्रित होगी. कांथा ने लिखा- ‘…जो मुद्दे 2020 में उभरे. भारी हथियारों के साथ सैनिकों की तैनाती जारी है. क्या यही "नया सामान्य" है?’
वह एस जयशंकर के ‘अस्थायी और सीमित प्रकृति के कदमों’ के संदर्भ की ओर भी इशारा करते हैं. ‘चीनी घुसपैठ के कई क्षेत्र. इसमें कथित तौर पर भारतीय सैनिकों द्वारा गश्त से इनकार करना और अप्रैल 2020 तक उन क्षेत्रों में भारतीय चरवाहों द्वारा चराई शामिल है, जहां वे पहुंच रहे थे. एक और "नया सामान्य"?’ उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक थ्रेड लिखकर ये बात कही है. उन्होंने लिखा- ‘विदेश मंत्रालय के बयान में यह स्पष्ट निष्कर्ष कि 2020 में उभरे सभी मुद्दे हल हो गए हैं, यह उस व्यक्ति के लिए चौंकाने वाला है जो लगभग एक दशक तक चीन के साथ सीमा वार्ताकार था.’
इधर एस जयशंकर ने ‘राष्ट्रीय हित’ की अस्पष्ट आड़ में इज़राइल को भारत की हथियार निर्यात नीति को छिपा दिया है. जयशंकर ने इस बात की पुष्टि करने से इनकार कर दिया कि क्या भारत गाजा संघर्ष में इजराइल को हथियारों की आपूर्ति कर रहा है, क्योंकि यह जानकारी ‘सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध नहीं है’. जब राज्यसभा में उनसे सवाल किया गया, तो उन्होंने सैन्य निर्यात पर किसी भी पारदर्शिता को दरकिनार करते हुए, राष्ट्रीय हित का हवाला देकर सवाल टाल दिया. मंत्री ने इजरायली बलों और हमास के बीच मानवीय संघर्ष विराम के आह्वान वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव से भारत के विवादास्पद परहेज का भी बचाव किया, एक ऐसा कदम जिसे कई लोगों ने इजरायल के कार्यों के लिए मौन समर्थन के रूप में देखा. सैन्य निर्यात और सरकार के कूटनीतिक रुख पर विवरण देने से जयशंकर के इनकार ने मध्य पूर्व में भारत के संरेखण के बारे में चिंताओं को गहरा कर दिया है.
गृह राज्य मंत्री बोले, मणिपुर तेज गति से विकास की राह पर: एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने घोषणा की कि मणिपुर ‘तेज गति से विकास की राह पर है’. 18 महीने से अधिक समय से जातीय हिंसा, विस्थापन और संचार ब्लैकआउट से त्रस्त राज्य के बारे में यह बयान सुनकर कोई भी चौंक जाएगा ?
बांग्लादेश की स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अभियोजन पक्ष की याचिका के बाद बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने कल सोशल मीडिया पर शेख हसीना द्वारा दिए गए भाषण के प्रसार पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है. हसीना ने कथित तौर पर अवामी लीग के एक कार्यक्रम में कहा था कि उन पर नरसंहार करने का आरोप लगाया जा रहा है, जबकि "छात्र समन्वयक और यूनुस इस नरसंहार के पीछे हैं". मुहम्मद यूनुस ने कल ढाका में विभिन्न धार्मिक नेताओं से मुलाकात की और कहा कि गलत मीडिया कवरेज से अल्पसंख्यकों के मुद्दे बढ़ रहे हैं.
विदेश सचिव विक्रम मिस्री अगले सप्ताह बांग्लादेश का दौरा करेंगे. विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को इसकी पुष्टि की. बांग्लादेश के विदेश सलाहकार ने पहले कहा था कि दोनों देशों के विदेश सचिव ढाका में मिलेंगे और जबकि यह "बहुत स्पष्ट है कि हम [भारत के साथ] अच्छे संबंध चाहते हैं. दोनों पक्षों को यह चाहने की ज़रूरत है और काम करना चाहिए इसके लिए.” वार्ता ऐसे समय में होगी जब द्विपक्षीय तनाव बढ़ गया है. यह बातचीत दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने की दिशा में सकारात्मक कदम माना जा रहा है.
चिली की पूर्व राष्ट्रपति मिशेल बाचेलेट को 2024 के लिए शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन की अध्यक्षता में इंदिरा गांधी पुरस्कार की अंतरराष्ट्रीय जूरी ने इस पुरस्कार की घोषणा की. बैचेलेट ने संयुक्त राष्ट्र महिला के संस्थापक निदेशक, मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त और चिली के राष्ट्रपति के रूप में अपनी विभिन्न भूमिकाओं में उन्होंने लैंगिक समानता, घर और दुनिया भर में आबादी के सबसे कमजोर वर्गों के अधिकारों के लिए दृढ़ता से बात की है.
डच चिप मेजर एनएक्सपी (NXP) अपने 8,000 करोड़ के R & D फंड का एक हिस्सा बेंगलुरु में निवेश करेगा. हाल ही में ये करार कर्नाटक के उद्योग मंत्री एमबी पाटिल द्वारा यूरोप दौरे के दौरान किया गया था. यह दौरा बेंगलुरु में फरवरी में आयोजित होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट को बढ़ावा देने के लिए था. दिलचस्प बात यह है कि 2019 में एक RTI के तहत यह जानकारी सामने आई थी कि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), जो बेंगलुरु में स्थित है, ने बताया था कि एनएक्सपी वही माइक्रोकंट्रोलर बनाती है, जो चुनाव आयोग को सप्लाई किए गए EVMs में उपयोग होते हैं.
आंध्र SECI डील से एक दिन पहले मोदी सरकार ने अडानी को फायदा पहुंचाने के लिए प्रमुख लागतें माफ कर दीं थी. ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट है कि कैसे मोदी सरकार ने आंध्र प्रदेश द्वारा SECI के साथ पावर सेल एग्रीमेंट (PSA) पर हस्ताक्षर करने से ठीक एक दिन पहले प्रमुख ट्रांसमिशन शुल्क माफ करके कथित तौर पर अडानी ग्रीन और एज़्योर पावर के लिए एक आकर्षक सौदे की सुविधा प्रदान की. केंद्रीय बिजली मंत्रालय के 30 नवंबर, 2021 के आदेश से दोनों कंपनियों के लिए सालाना अनुमानित 1,360 करोड़ रुपये या 25 वर्षों में 34,000 करोड़ रुपये की बचत हुई, जिससे कॉर्पोरेट दिग्गजों को काफी फायदा हुआ.
दिलचस्प बात यह है कि इस आदेश को केवल एक सप्ताह पहले पेश किया गया, जिसमें नियमों को भी कमजोर कर दिया गया था. कमीशनिंग की समय सीमा और नवीकरणीय ऊर्जा दायित्व (आरपीओ) अनुपालन को भी हटा दिया गया. आंध्र प्रदेश ने 1 दिसंबर को पीएसए को सील कर दिया और एसईसीआई ने अडानी ग्रीन और एज़्योर को 12 गीगावॉट की एक बड़ी परियोजना से सम्मानित किया. विश्लेषकों ने बताया है कि कैसे एसईसीआई ने चुप रहना चुना है. न तो जांच शुरू की, न शिकायत दर्ज की, न ही कोई स्पष्टीकरण दिया.
5 साल में 63 'विशेषज्ञों' को मोदी सरकार ने किया नियुक्त: केंद्र सरकार ने संसद को बताया कि 2019 से 2023 के बीच 63 विशेषज्ञों को लेटरल एंट्री के माध्यम से नियुक्त किया गया. इनमें से 35 विशेषज्ञों को संविदा और बाकी 28 विशेषज्ञों को प्रतिनियुक्ति पर नियुक्त किया गया.
500 के नोटों की गड्डी पर विवाद : राज्यसभा में शुक्रवार को नोटों की गड्डी पक्ष विपक्ष के बीच विवाद का कारण बन गई. दरअसल, सभापति जगदीप धनखड़ ने बताया कि 5 दिसंबर को सीट नंबर 222 से 500 रुपए के नोटों की गड्डी मिली थी. यह सीट अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार धनखड़ ने कहा कि जब यह बात मेरे ध्यान में लाई गई, तो मैंने सोचा कि कोई इसे वापस लेने आएगा. लेकिन सुबह से कुछ नहीं हुआ तो मैंने कानून के अनुसार जांच सुनिश्चित करना उचित समझा. बिना जांच के सिंघवी का नाम और सीट नंबर बताने पर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आपत्ति जताई. उधर अभिषेक मनु सिंघवी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, ‘मैंने ऐसा पहली बार सुना. मैं राज्यसभा 500 रुपए का सिर्फ एक नोट ले जाता हूं.’
10 लाख पर सिर्फ 25 जज : राज्यसभा में आईयूएमएल के अब्दुल वहाब ने कहा कि भारत में प्रति 10 लाख पर 25 से कम जज हैं, जबकि 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को वर्ष 2007 तक प्रति दस लाख पर जजों की संख्या बढ़ाकर 50 करने का निर्देश दिया था. उन्होंने कहा कि देश की अदालतों में 4 करोड़ 50 लाख प्रकरण लंबित हैं. सबसे अधिक लंबित मामले राजस्थान, इलाहाबाद, कर्नाटक, कोलकाता, ओडिशा और दिल्ली हाईकोर्ट में हैं.
क्या गौतम अडानी पर भारत के 'अपराधों' के लिए अमेरिका में मुकदमा चलाया जा सकता है?
अमेरिकी अभियोजकों के हालिया आरोप किसी दूसरे देश में रहने वाले व्यक्ति पर वहां किए गए कथित अपराध का आरोप लगाने की न्यायिक जटिलताओं को उजागर करते हैं. अनमोल सक्सेना ने ‘अलजजीरा’ के लिए अपनी रिपोर्ट लिखा- अमेरिका में न्यायिक प्रक्रिया के तहत किसी विदेशी नागरिक को मुकदमे के दायरे में लाने के लिए कई चरणों और कानूनों का पालन करना पड़ता है. इनमें अंतरराष्ट्रीय कानून, प्रत्यर्पण संधि, और आरोपी के देश की कानूनी सहमति शामिल होती है. अमेरिकी अदालतों को यह साबित करना होगा कि जिस अपराध का आरोप लगाया जा रहा है, उसका प्रभाव अमेरिका पर भी पड़ा है. भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि मौजूद है, लेकिन इसके तहत किसी व्यक्ति को तभी सौंपा जा सकता है, जब दोनों देशों के कानून उस अपराध को एक जैसा मानते हों. भारत में किए गए कथित अपराध के लिए अमेरिकी अभियोजकों को मजबूत सबूत और गवाह पेश करने होंगे, जो यह प्रमाणित करें कि अडानी ने ऐसे कृत्य किए हैं जिनसे अमेरिकी कानून का उल्लंघन हुआ.
गौतम अडानी का भारत में रहना और भारतीय न्यायिक व्यवस्था के अंतर्गत होना, उन्हें अमेरिकी न्यायालयों के दायरे से बाहर रखता है। हालांकि, यदि अमेरिकी सरकार यह साबित कर सके कि उनके कथित अपराधों का असर अमेरिका में पड़ा है, तो यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद का विषय बन सकता है. यह मामला न केवल गौतम अडानी बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून और न्यायिक प्रक्रिया के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल साबित हो सकता है.
फ्रांस तक में चल रहे ‘मोडानी’ के किस्से
एक प्रमुख फ्रांसीसी समाचार पत्र 'ले मॉन्दे' (Le Monde) के लिए कैरोल डायटेरिच और सोफी लैंड्रिन ने अडानी रिश्वत कांड पर पड़ताल की है. उन्होंने अपने लेख में गौतम अडानी, अडानी समूह के प्रमुख और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच के रिश्ते और अडानी के खिलाफ चल रहे विवादों के बारे में जिक्र किया है. लेख में अडानी की तेजी से बढ़ी हुई साख और मोदी सरकार से उनके संबंधों के बारे में बताया गया है, साथ ही यह भी आंकलन किया है कि उनके खिलाफ हाल ही में लगाए गए आरोपों ने उनके साम्राज्य और भारतीय राजनीति पर क्या प्रभाव डाला है. उन्होंने लिखा- 'मोदी और अडानी के बीच का रिश्ता विशेष रूप से विवादित है, क्योंकि दोनों ने दो दशकों से अधिक समय तक एक साथ काम किया है. इन दोनों का आपस में गहरा संबंध है और दोनों की सफलता एक-दूसरे से जुड़ी हुई है. दोनों का परिवारिक और राजनीतिक इतिहास गुजरात से जुड़ा हुआ है, जो उनके गृह राज्य और राजनीतिक गढ़ है. अडानी ने मोदी सरकार की रणनीतिक प्राथमिकताओं के साथ अपने व्यवसाय को जोड़ा है.’ हालांकि इन आरोपों के बावजूद अडानी का प्रभाव अभी भी महत्वपूर्ण है और उनका समूह कई महाद्वीपों में काम कर रहा है.
भारतीय वायुयान विधायक विधेयक: सांसदों को हिंदी थोपे जाने की चिंता
राज्यसभा में भारतीय वायुयान विधायक विधेयक पर बहस के दौरान, जो पारित होने पर 1934 विमान अधिनियम की जगह लेगा, कुछ सांसदों ने विधेयक का नाम हिंदी में होने का मुद्दा उठाया, जिसमें तृणमूल कांग्रेस की सागरिका घोष और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम की कनिमोझी एनवीएन सोमू शामिल थीं. उनका कहना है कि यह हिंदी थोपने जैसा है. केंद्रीय उड्डयन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू ने कहा कि हालांकि कुछ लोगों को विधेयक का नाम उच्चारण करने में कठिनाई हो सकती है, लेकिन इसमें "शर्मिंदा होने की कोई बात नहीं" होगी और मोदी सरकार उपनिवेशवाद के कारण विकसित हुए भारत के "कोकून को तोड़ने" की कोशिश कर रही है. श्रावस्ती दासगुप्ता का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 348(1)(बी) के लिए आवश्यक है कि भारत के विधानमंडलों में पेश किए गए विधेयकों (साथ ही पारित अधिनियमों) के "आधिकारिक पाठ" अंग्रेजी में हों.
भारतीय राजस्व अधिकारी समय से पहले क्यों सेवानिवृत्त हो रहे हैं? दिलीप चेरियन यह सवाल उठाते हुए बताते हैं कि सरकार के मुताबिक, भारतीय राजस्व सेवा के 853 अधिकारी समय से पहले रिटायरमेंट ले चुके हैं. उनका कहना है कि यही प्रवृत्ति आईएएस और आईपीएस अधिकारियों में भी बढ़ सकती है.
हाशिमपुरा दंगा : आठ पीएसी सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एएस ओका और एजी मसीह की पीठ ने उत्तर प्रदेश पीएसी के 16 पूर्व सदस्यों में से 8 को जमानत दे दी. हाशिमपुरा नरसंहार मामले में ट्रायल कोर्ट ने इन्हें बरी कर दिया था. दिल्ली हाईकोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया था. हाशिमपुरा नरसंहार 22 मई, 1987 को हुआ था, जब 41वीं बटालियन की 'सी-कंपनी' से संबंधित पीएसी के जवानों ने सांप्रदायिक तनाव के दौरान मेरठ के हाशिमपुरा इलाके में कथित तौर पर करीब 50 मुस्लिमों को घेर लिया था और उन्हें शहर से बाहर ले जाकर गोली मार दी थी.
भारतीय खगोलविदों ने ढूंढ निकाला एक नया नवजात ग्रह
भारतीय खगोलविदों ने पहली बार एक युवा तारे के चारों ओर मौजूद गैस और धूल के चक्र में उस क्षेत्र की पहचान की है, जहां ग्रह बनने की प्रक्रिया शुरू हो रही है. यह ग्रह निर्माण की ऐसी प्रारंभिक अवस्था है, जिसे पहले कभी सीधे तौर पर देखा नहीं गया था. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (NISER), भुवनेश्वर के लिटन मजूमदार और उनकी टीम ने जीजी ताउ ए (GG Tau A) नामक एक तारे के आसपास के क्षेत्रों में रासायनिक संकेतों का पता लगाया है. यह तारा लगभग पांच मिलियन वर्ष पुराना है, जबकि हमारे सूर्य और सौरमंडल की उम्र लगभग 4.6 बिलियन वर्ष है. जीजी ताउ ए तारा पृथ्वी से 489 प्रकाश वर्ष दूर है. इससे पहले 2020 में इसी टीम ने जीजी ताउ ए के आसपास तीन नवजात ग्रहों (बेबी एक्सोप्लानेट्स) की संभावित उपस्थिति के बारे में संकेत दिया था. हालिया निष्कर्ष 'द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल' में प्रकाशित हुए हैं.
उर्दू मीडिया में : सम्भल हिंसा, दरगाह-मस्जिद विवाद , लोकतंत्र व अमन के लिए फिक्र
इस पूरे हफ्ते उर्दू मीडिया में सम्भल का मामला छाया रहा. इसके साथ ही अन्य तमाम मस्जिदों और दरगाहों को लेकर सर्वे या फिर विवाद की खबरों ने पहले पन्ने पर जगह बनाई. इसके अलावा एडिट पेज पर मस्जिद-दरगाहों पर विवाद के अलावा लोकतंत्र और अमन को लेकर फिक्र ज्यादा नजर आती है. देश के सभी प्रमुख उर्दू अखबारों - अखबारे मशरिक, इंकलाब, डेली सियासत, ऐतमाद डेली, रोजनामा सहारा, हिंदुस्तान एक्सप्रेस, अवधनामा, कौमी तंजीम की सुर्खियों में एक से मुद्दे नजर आए.
गैर दलित महिला के बच्चों को अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र देने का सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश
संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने व्यापक अधिकारों का उपयोग करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक गैर-दलित महिला और एक दलित पुरुष के बीच हुए विवाह को रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने तलाक देते हुए बच्चों को गैर-दलित परिवार में ही रहने की अनुमति दी, लेकिन सरकारी शैक्षणिक संस्थानों और रोजगार के लिए वे अनुसूचित जाति के रूप में माने जाएंगे. न्यायमूर्ति सूर्य कांत और उज्जल भुयान ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि हालांकि, एक गैर-दलित महिला विवाह के माध्यम से अनुसूचित जाति की सदस्यता प्राप्त नहीं कर सकती, लेकिन दलित पुरुष से जन्मे उसके बच्चे अनुसूचित जाति का दर्जा पाने के हकदार होंगे.
RBI ने CRR घटाया, रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्तीय प्रणाली में लिक्विडिटी को बढ़ावा देने के लिए शुक्रवार (6 दिसंबर) को नकद आरक्षित अनुपात (CRR) को 50 आधार अंक (बीपीएस) घटाकर 4.5% से 4% कर दिया. सीआरआर किसी बैंक की कुल जमा राशि का वह प्रतिशत है जिसे आरबीआई के पास रिजर्व के रूप में तरल नकदी में बनाए रखना आवश्यक है. आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की शुक्रवार को मुंबई में बैठक हुई, हालांकि, 4-2 के बहुमत के फैसले में रेपो दर - प्रमुख नीति दर - को 6.5% पर अपरिवर्तित रखा गया. यह 22 महीनों में लगातार ग्यारहवीं मौद्रिक नीति है, जिसने रेपो दर को अपरिवर्तित रखा है. इससे बैंकों को अधिक उधारी देने में मदद मिलेगी, जिससे बाजार में नकदी प्रवाह बढ़ेगा और सुस्त अर्थव्यवस्था को गति मिलने की उम्मीद है.
अन्य महत्वपूर्ण घोषणाएँ:
GDP वृद्धि दर का पूर्वानुमान घटाया गया: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए GDP वृद्धि दर का अनुमान कम किया गया है.
महंगाई दर का अनुमान बढ़ा: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मुद्रास्फीति (inflation) का अनुमान बढ़ाया गया है.
एनआरआई के भरोसे रिजर्व बैंक : रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है. भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी लड़खड़ाती मुद्रा को स्थिर करने के लिए अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की ओर रुख किया है. उसने बैंकों को एनआरआई जमा पर ब्याज दरें बढ़ाने की अनुमति दी है. ताकि विदेशी मुद्रा को आकर्षित किया जा सके. विदेशी मुद्रा भंडार में सितंबर से लगभग 50 अरब डॉलर की गिरावट आई है. गवर्नर शक्तिकांत दास ने मुद्रा की अस्थिरता पर अंकुश लगाने का वादा किया है, लेकिन आलोचक इस कदम को सक्रिय योजना के बजाय प्रतिक्रियाशील गोलाबारी के रूप में देखते हैं. एक समय का शक्तिशाली भंडार वैश्विक दबावों के कारण घट रहा है और डायस्पोरा डॉलर पर निर्भरता मजबूत विकल्पों की चिंताजनक कमी को उजागर करती है. मतलब साफ है कि आरबीआई की रणनीति कमजोर चल रही है और वह दशकों से चली आ रही अदूरदर्शी आर्थिक नीतियों की वजह से पैदा हुई समस्या को सुलझाने के लिए अब एनआरआई पर भरोसा कर रहा है.
70 हजार रुपए में आठवीं पास को भी डिग्री दे देते थे गुजराती ठग
गुजरात के सूरत में सक्रिय एक गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है. इस गिरोह के पास से करीब 1,200 फर्जी डिग्रियों का डेटाबेस मिला है. गिरोह के लोग आठवीं कक्षा पास करने वालों को भी मेडिकल की डिग्री देते थे. इसके एवज में वे हर व्यक्ति से 70 हजार रुपये लेते थे. गुजरात पुलिस ने गिरोह से डिग्री खरीदने वाले 14 फर्जी डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है. इन डॉक्टरों ने फर्जी डिग्री के सहारे चिकित्सा प्रैक्टिस शुरू की थी, जिससे मरीजों की जान को खतरा हो सकता था.
वैज्ञानिकों ने लंग कैंसर का पता लगाने के लिए पहली बार पेशाब का किया परीक्षण
वैज्ञानिकों ने एक ऐसी ‘पेशाब परीक्षण तकनीक’ विकसित की है, जो लंग कैंसर के पहले संभावित लक्षणों को पहचानने में मदद कर सकती है. कई लंग कैंसर के मामले बाद के चरणों में पकड़ में आते हैं, जिससे समय पर इलाज करना कठिन हो जाता है. कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और अर्ली कैंसर इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने सेनेस्केंट कोशिकाओं द्वारा उत्सर्जित प्रोटीनों का अध्ययन किया. इन कोशिकाओं को "जॉम्बी कोशिकाएं" कहा जाता है, क्योंकि ये शरीर में जीवित तो रहती हैं, लेकिन बढ़ने और विभाजित होने की क्षमता खो देती हैं. शोधकर्ताओं का मानना है कि अगर इस बीमारी का जल्दी पता चल जाए, तो मरीजों को बचाया जा सकता है.
यूजीसी ने जारी की नई गाइडलाइंस
यूजी और पीजी के उम्मीदवार अब किसी भी विषय में दाखिला ले सकते हैं, पहले के अध्ययन से फर्क नहीं पड़ेगा. यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन) के मुताबिक अब अंडरग्रेजुएट (UG) और पोस्टग्रेजुएट (PG) के उम्मीदवार किसी भी विषय में दाखिला ले सकते हैं, भले ही उन्होंने पहले किसी भी विषय का अध्ययन किया हो.
एक ग्लेशियर की खोज
अभी तक ग्लेशियरों के पिघलने की ही खबर सामने आती थी, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने उत्तराखंड की नीती घाटी में तेजी से बढ़ते एक ग्लेशियर की खोज की है. लगभग 10 किमी लंबाई में फैला यह ग्लेशियर, जिसका नाम अभी तक नहीं रखा गया है, रैंडोल्फ और रेकाना ग्लेशियरों के नजदीक है. ग्लेशियर तकरीबन 48 वर्ग मीटर तक फैला हुआ है. ये इलाका चीन सीमा के नजदीक है.
वैकल्पिक मीडिया : स्कूलों में बच्चों द्वारा सहपाठी की उल्टी साफ करना ‘एक आम बात’
केरल के इडुक्की के एक स्कूल में जाति के लिए एक बच्चे के साथ भेदभाव का मामला सामने आया है. बच्चे से अपने ही सहपाठी की उल्टी साफ करवाई गई, क्योंकि सहपाठी बीमार था. मामले में अधिकारियों की उदासीनता से निराश होकर, एक पीड़ित बच्चे की मां ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) को पत्र लिखकर अपने बेटे को हुए नुकसान के लिए न्याय और जवाबदेही की मांग की है. प्रियंका सोमन ने 'द मूकनायक' को बताया, "मैं जांच अधिकारी से मिली, तो उन्होंने मुझे बताया कि केरल के स्कूलों में बच्चों से काम करवाना एक आम बात है."
पांच साल में टोल डबल, सड़क दुर्घटना बढ़ी, खराब सड़कें और आवारा जानवर हैं कारण
भारत में टोल संग्रह पिछले 5 वर्षों में डबल हो गया है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के वित्तीय वर्ष 2023-24 के अनुसार टोल प्लाजा से कुल 56,882 करोड़ रुपये मिले, जबकि 2019-20 में यह राशि 27,503 करोड़ रुपये थी. वहीं रोड एक्सीडेंट और मौतों की संख्या में भी इन सालों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. ज्यादातर रिपोर्ट्स बताती हैं कि इन सड़क दुर्घटनाओं के कई कारणों में से भारतीय सड़कों का खराब होना, रोड की खराब इंजीनियरिंग और सड़कों पर छुट्टा घूमने वाले आवारा मवेशी भी प्रमुख कारण हैं. एक नजर पिछले सालों में रोड एक्सीडेंट की वजह से हुई मौतों पर…
2022 में 1.68 लाख से ज्यादा मौत
2020 में 1.33 लाख से ज्यादा मौत
32वें आरएसएफ प्रेस फ्रीडम अवार्ड्स: स्वतंत्रता पुरस्कार भारतीय पत्रकार रवीश कुमार को
32वें आरएसएफ (रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स) प्रेस फ्रीडम अवार्ड्स का आयोजन 3 दिसंबर 2024 को वाशिंगटन, डीसी में हुआ. यह सम्मान उन पत्रकारों और मीडिया संस्थानों को दिया जाता है, जिन्होंने वैश्विक स्तर पर प्रेस की स्वतंत्रता के संरक्षण और प्रचार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. इस बार का साहस पुरस्कार फ़िलिस्तीनी पत्रकार वाइल अल-दहदोह, इम्पैक्ट पुरस्कार यूक्रेनी पत्रकार और एनजीओ 'द रेकनिंग प्रोजेक्ट' की सह-संस्थापक नतालिया गुमेनयुक, स्वतंत्रता पुरस्कार भारतीय पत्रकार रवीश कुमार और मोहमद माइगा पुरस्कार फॉर अफ्रीकन इनवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म बुर्किना फासो की पत्रकार मारियम ओएद्राओगो जबकि लुकास डोलगा-एसएआईएफ फोटो पुरस्कार बेल्जियम के फोटो पत्रकार गेल ट्यूरिन को दिया गया. इस वर्ष 22 देशों से 18 पत्रकारों, पत्रकार टीमों, दो मीडिया आउटलेट्स और पांच फोटो पत्रकारों को पांच अलग-अलग श्रेणियों में नामांकित किया गया. पहली बार मोहमद माइगा पुरस्कार दिया गया, जो अफ्रीकी खोजी पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए है.
चलते-चलते : एक चैम्पियन कोरिया यह भी, के-पॉप ग्रुप बॉयबैंड बीटीएस ने मचा रखा है धमाल
सॉफ्ट-पावर वर्चस्व की वैश्विक लड़ाई में, स्पष्ट चैम्पियन बनकर उभरा है- दक्षिण कोरिया. इसी साल साहित्य का नोबल पुरस्कार 53 वर्षीय लेखिका हान कांग ने जीतकर साहित्य और संस्कृति के साथ-साथ शांतिपूर्ण वैश्विक छवि बनाई है और अब मार्शल लॉ वापस करवाकर इस पर भी मोहर लगा दिया है कि वहां लोकतंत्र की जड़ें कितनी गहरी है.
कुछ ही दिनों पहले, नेटफ्लिक्स पर ‘स्क्विड गेम’ का पहला सीजन वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा देखा जाने वाला वेब शो बना था और लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इस महीने के आखिर में इसका दूसरा सीजन आएगा.
यह पहली बार नहीं है, जब दक्षिण कोरिया में ऐसा हुआ है. चार साल पहले की बात करें तो सबके लिए दो साल की सैन्य सेवा अनिवार्य की गई थी. तब भी दो महीने के भीतर इसमें सुधार कर 1 दिसंबर 2020 को विशिष्ट प्रतिभा वालों को इस दायरे से बाहर कर दिया गया था. इनमें संस्कृतिकर्मी, कलाकार, खिलाड़ी आदि थे. सेवा देने वालों में के-पॉप बॉयबैंड बीटीएस के सदस्य भी थे. इन्हें भी इस नियम के तहत एक महीने के भीतर ही राहत मिल गई थी.
उससे पहले सितंबर 2020 में ही इनकी सात सदस्यीय टीम ने ‘डायनामाइट’ जैसा एल्बम दिया था, जो यूएस बिलबोर्ड हॉट 100 सिंगल चार्ट में नंबर एक पर रहा था. ये पहले दक्षिण कोरियाई थे, जिन्होंने यह कारनामा किया था. के-पॉप ग्रुप बॉयबैंड बीटीएस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसी प्रसिद्धि मिली की, कम चर्चित कोरिया के बारे में जानने की दिलचस्पी दुनिया की जग गई.
इसके अलावा हाल्यू वेव तो है ही इनकी पहचान. यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित फिल्म, नाटक, पॉप संगीत और अब साहित्य का एक विशाल पोर्टफोलियो मौजूद है.
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.