07/04/2025 : किसान नेता ने अनशन तोड़ा | यूपी में थाना नकली, एमपी में सर्जन | मालेगांव पर फैसला सुनाने के वक़्त जज का तबादला| शाह कश्मीर, मोदी तमिलनाडु में | कौवा शुद्ध मराठी बोले
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां
योगी राज में साल भर चला एक नकली थाना
डॉ जॉन केम उर्फ नरेन्द्र यादव, हार्ट सर्जन, 15 मौतें, नकली डिग्री
मालेगांव ब्लास्ट : ऐन फैसले सुनाने के वक़्त जज का तबादला
अमित शाह के कश्मीर पहुंचने से पहले क्रैक डाउन
एम्स दिल्ली में 35% फैकल्टी पद खाली
बीड़ मस्जिद विस्फोट मामले में यूएपीए लगाया
'एक राष्ट्र-एक चुनाव' 2030 में या उसके बाद
5,383 अवैध भर्ती मामलों की शिकायतें भेजीं, सिर्फ 49 पर मुकदमा
आगरा में 'डेमो ड्रॉप' के दौरान के पैरा जंप इंस्ट्रक्टर की मौत
5,383 अवैध भर्ती मामलों की शिकायतें भेजीं, सिर्फ 49 पर मुकदमा
एमपी में हरदा की अजनाल नदी सूखी
कौवा शुद्ध मराठी बोले
डल्लेवाल का आमरण अनशन 131 दिनों बाद खत्म
'द हिंदू' की खबर है कि पंजाब के प्रमुख किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने रविवार (6 अप्रैल) को अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल समाप्त करने की घोषणा की है, जिसे उन्होंने 26 नवंबर 2024 को शुरू किया था. यह हड़ताल किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर की गई थी, जिनमें फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी प्रमुख थी. डल्लेवाल की यह घोषणा फतेहगढ़ साहिब जिले के सिरहिंद में आयोजित 'किसान महापंचायत' के दौरान हुई. उन्होंने कहा - "आप सब (किसान) मुझसे भूख हड़ताल समाप्त करने की अपील कर रहे हैं. मैं इस आंदोलन की देखभाल के लिए आप सबका आभारी हूं. मैं आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूं और आपके आदेश को स्वीकार करता हूं." डल्लेवाल, संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के साझा मंच के वरिष्ठ नेता हैं.
जनवरी में केंद्र सरकार द्वारा किसान नेताओं को बातचीत के लिए बुलाए जाने के बाद भी डल्लेवाल ने भूख हड़ताल समाप्त नहीं की थी, हालांकि उन्होंने खानौरी धरना स्थल पर चिकित्सा सहायता लेनी शुरू कर दी थी. शनिवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने डल्लेवाल से भूख हड़ताल समाप्त करने की अपील की थी. केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा - "भारत सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत जारी है. किसान नेता श्री जगजीत सिंह डल्लेवाल अब अस्पताल से लौट आए हैं. हम उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं और उनसे अपील करते हैं कि वह अपनी भूख हड़ताल समाप्त करें. पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार, 4 मई को सुबह 11 बजे किसान संगठनों के साथ अगली बातचीत होगी."
योगी राज में साल भर चला एक नकली थाना
कई बार “नकली” छवियां गढ़ कर नैरेटिव चलाया जाता है. उदाहरण के लिए उत्तरप्रदेश, जहां के बारे में बहुत शोर सुनाई देता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने और कुछ किया न किया हो, पर देश के इस सबसे बड़े राज्य के गुंडे-माफियाओं को खत्म कर कानून-व्यवस्था की स्थिति सुधार दी है. खुद योगी भी दावा करते रहे हैं कि उनकी सरकार ने गुंडों-माफियाओं को यूपी से साफ कर दिया है. लेकिन, यूपी के बड़े शहर से आई यह खबर बताती है कि असलियत में चल क्या रहा है. “द टेलीग्राफ” में पीयूष श्रीवास्तव की रिपोर्ट है कि तीन पुलिसकर्मियों ने बरेली शहर में एक साल तक एक ‘नकली’ पुलिस स्टेशन चलाया, जहां उन्होंने लोगों को झूठे आरोपों में बंद कर दिया और फिरौती की मांग की. उनके लालच का अंत शुक्रवार को हुआ, जब उनके नवीनतम शिकार के बेटे ने पहली फिरौती चुकाने के तुरंत बाद दूसरी मांग मिलने पर वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया.
उत्तरप्रदेश पुलिस के सूत्रों ने बताया कि कस्बा चौकी पर तैनात आरोपी पुलिसकर्मियों ने इलाके में एक रबर फैक्ट्री के हिस्से पर कब्जा कर उसे पुलिस स्टेशन जैसा रूप दे दिया था, जिसमें नकली लॉकअप भी शामिल था. सूत्रों के अनुसार उन्होंने एक साल तक अपहरण और फिरौती का रैकेट चलाया. पड़ोसी उत्तराखंड (योगी के गृह राज्य) की पुलिस ने इस बारे में उत्तरप्रदेश के अधिकारियों को खबर की थी, लेकिन कुछ हुआ नहीं.
डॉ जॉन केम उर्फ नरेन्द्र यादव, हार्ट सर्जन, 15 मौतें, नकली डिग्री
‘एनडीटीवी’ के लिए अनुराग द्वारी की रिपोर्ट है कि मध्य प्रदेश के दमोह के एक प्रतिष्ठित अस्पताल में दो महीनों के भीतर 15 हृदय सर्जरियां की गईं, लेकिन अब यह सामने आया है कि इन सर्जरियों को अंजाम देने वाला व्यक्ति हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं था, बल्कि वह केवल ऐसा होने का नाटक कर रहा था. आरोपी की पहचान नरेंद्र यादव के रूप में हुई है, जो खुद को लंदन स्थित प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एन जॉन कैम बताता रहा. उसके खिलाफ फरवरी में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि मरीजों की मौत गलत इलाज के कारण हुई. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुकेश जैन और जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. विक्रम चौहान ने अब तक दो मौतों की पुष्टि की है जो लापरवाही के चलते हुईं. दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर ने कहा कि इस मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम बनाई गई है. उन्होंने जांच पूरी होने तक इस पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. एनएचआरसी की एक टीम 7 से 9 अप्रैल तक दमोह का दौरा करेगी. टीम शिकायत में उल्लिखित संस्थानों और व्यक्तियों की जांच करेगी, जिनमें प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हैं. मामले ने अस्पताल प्रबंधन पर भी सवाल उठा दिए हैं कि कैसे उन्होंने बिना जांच के ही एक फर्जी डॉक्टर को नियुक्ति दे दी और उसने कई लोगों की जिंदगी बर्बाद कर दी.
'द प्रिंट' की रिपोर्ट है कि यह मामला तब सामने आया जब दीपक तिवारी, जो एक वकील होने के साथ-साथ जिले की बाल कल्याण समिति के प्रभारी भी हैं, ने पुलिस अधीक्षक श्रुत कीर्ति सोमवंशी को एक लिखित आवेदन सौंपा. इस आवेदन में स्थानीय निवासियों की शिकायतों के आधार पर डॉ. एन. जॉन केम की प्रमाणिकता की जांच की मांग की गई थी. जब यह मामला उठाया गया, तो खुद को डॉ. केम बताने वाले व्यक्ति को पुलिस ने पूछताछ के लिए तलब किया.
दमोह के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के अनुसार, प्राप्त शिकायतों के आधार पर जांच की जिम्मेदारी प्रारंभ में जिला चिकित्सा अधिकारी को सौंपी गई थी. हालांकि, अधिकारी की सिफारिश और सामने आई अन्य अनियमितताओं के आधार पर यह निर्णय लिया गया कि जबलपुर स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में एक पैनल गठित किया जाए जो उस व्यक्ति की शैक्षणिक और चिकित्सकीय प्रमाणिकता की जांच करे और पूरे मामले की पड़ताल करे.
जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है, क्योंकि आरोपी व्यक्ति की प्रमाणिकता की जांच अभी जारी है. मीडिया से बात करते हुए बाल कल्याण समिति के जिला प्रभारी दीपक तिवारी ने कहा - “नरेंद्र यादव नामक व्यक्ति ने खुद को हृदय रोग विशेषज्ञ बताया और कम से कम 15 सर्जरियां कीं, जिनके बाद सभी मरीजों की मौत हो गई. यह व्यक्ति पहले हैदराबाद में अपहरण के मामले में भी वांछित है और किसी भी स्थान पर एक महीने से अधिक नहीं रुकता.”
मालेगांव ब्लास्ट : ऐन फैसले सुनाने के वक़्त जज का तबादला
हिंदू आतंकवाद के 2008 मालेगांव ब्लास्ट मामले की सुनवाई कर रहे एनआईए विशेष अदालत के न्यायाधीश ए.के. लाहोटी का तबादला कर दिया गया है. उनका ट्रांसफर आदेश उस समय आया, जब कोर्ट इस मामले पर फैसला सुरक्षित रखने वाली थी. पीड़ितों का कहना है कि लाहोटी का तबादला न्याय में और देरी करेगा. लिहाजा अब वे बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख करने की योजना बना रहे हैं. लाहोटी 17 वर्ष पुराने इस मामले में स्थानांतरित होने वाले पांचवें न्यायाधीश हैं. बचाव पक्ष के वकील ने बताया कि पिछली सुनवाई में शनिवार को न्यायाधीश लाहोटी ने अभियोजन और बचाव पक्ष को 15 अप्रैल तक शेष दलीलें पूरी करने का निर्देश दिया था और उम्मीद थी कि अगले दिन मामले को फैसले के लिए सुरक्षित रखा जाएगा.
यह है मामला : 29 सितंबर 2008 को मालेगांव (मुंबई से लगभग 200 किमी दूर नासिक जिले में स्थित) एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल पर लगे एक्सप्लोसिव डिवाइस में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हो गए थे. भाजपा नेता प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और पांच अन्य लोगों पर इस मामले में संलिप्तता के आरोप में मुकदमा चलाया जा रहा है. आरोपी सख्त गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता के तहत अभियोजन का सामना कर रहे हैं.
अंबेडकर और बुद्ध की मूर्तियां हटाने पर यूपी के गांव में तनाव: उत्तरप्रदेश के सीतापुर जिले के विभरापुर गांव में सरकारी जमीन से डॉ. बीआर अंबेडकर और गौतम बुद्ध की मूर्तियों को हटाने को लेकर ग्रामीणों और पुलिस के बीच झड़प हो गई. इस घटना में कम से कम आठ पुलिसकर्मी घायल हो गए, क्योंकि ग्रामीणों ने पुलिस पर पत्थर फेंके. इस मामले में डॉ महिलाओं समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है. ग्रामीणों ने 11 मार्च को पंचायत भवन के सामने बने एक मंच पर मूर्तियां स्थापित की थीं. प्रशासन ने भूमि को सरकारी बताकर दोनों मूर्तियों को हटा दिया. तनाव को देखते हुए गांव में पुलिस बल तैनात किया गया है.
तमिलाडु में मोदी- स्टालिन के बीच सियासी तंज
स्टालिन ने डिलिमिटेशन का मसला उठाया, मोदी ने तमिल में मेडिकल पढ़ाई का
डिलिमिटेशन और त्रिभाषा के मुद्दे पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की मुखर आलोचनाओं पर अब तक मौन रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को तमिलनाडु जाकर ही स्टालिन को तंज़ के अंदाज में जवाब दिया. हालांकि स्टालिन भी पलटवार करने से नहीं चूके. वह न तो प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में गए और न ही उन्होंने उनकी अगवानी ही की. इसीलिए भाजपा ने उन पर पीएम मोदी का अपमान करने का आरोप लगाया और माफी मांगने की मांग की.
मोदी ने रामेश्वरम में स्टालिन और उनकी सरकार को नसीहत दी. कहा- ‘मैं राज्य सरकार से मांग करता हूं कि वह मेडिकल की पढ़ाई तमिल भाषा में कराए. तमिलनाडु के कई नेताओं की चिट्ठियाँ मेरे पास आती हैं, लेकिन आश्चर्य की बात है कि किसी नेता के हस्ताक्षर तमिल में नहीं होते. तमिल के गौरव के लिए इनको कम से कम स्थानीय भाषा में हस्ताक्षर करना चाहिए.’ गौरतलब है कि तमिलनाडु सरकार केंद्र की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत त्रिभाषा फार्मूले का विरोध कर रही है. उधर, अपने पूर्व निर्धारित एक कार्यक्रम में स्टालिन ने कहा, “"हमने डिलिमिटेशन पर ज्ञापन प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा है. चूंकि मैं इस सरकारी कार्यक्रम में भाग ले रहा हूं, इसलिए मैंने प्रधानमंत्री को अपनी बैठक में भाग लेने में असमर्थता के बारे में सूचित कर दिया है और हमारे मंत्रियों थंगम थेन्नारसु और राजा कन्नप्पन को नियुक्त किया है. इस बैठक और आप सभी के माध्यम से, मैं प्रधानमंत्री से निवेदन करता हूं कि वह परिसीमन को लेकर उठी चिंताओं को दूर करें.”
अमित शाह का दौरा, कश्मीर में क्रैक डाउन
लोगों पर आई आफत, मीरवाइज उमर फारूक नजरबंद, सैकड़ों कश्मीरी "बाउंड डाउन"
'द वायर' के लिए जहांगीर अली की रिपोर्ट है कि गृह मंत्री अमित शाह की रविवार (6 अप्रैल) को जम्मू-कश्मीर यात्रा से पहले हुर्रियत अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक को नजरबंद कर दिया गया, जबकि सैकड़ों कश्मीरियों को पुलिस थानों में मौखिक रूप से तलब कर "बाउंड डाउन" किया गया है. मीरवाइज रविवार को श्रीनगर स्थित तिब्यान कुरानिक रिसर्च इंस्टिट्यूट द्वारा आयोजित पुरस्कार समारोह की अध्यक्षता करने वाले थे, लेकिन उन्हें निगीन इलाके स्थित उनके आवास पर हिरासत में रखा गया. मीरवाइज के एक सहयोगी ने 'द वायर' से कहा - "इस तरह के खास अवसरों पर धार्मिक और सामाजिक ज़िम्मेदारियों से उनकी लगातार रोकथाम बेहद दुखद है और लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाती है." रिपोर्ट के मुताबिक पिछले सप्ताह पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज सैकड़ों लोगों को मसलन कि ‘पत्थरबाज़’, ‘ओवरग्राउंड वर्कर’, सरेंडर किए हुए या पूर्व उग्रवादी और उनके परिजन को बारामूला, शोपियां, अनंतनाग और कुलगाम जिलों में तलब किया गया और "बाउंड डाउन" किया गया. कई ऐसे लोग भी हिरासत में लिए गए जिन पर 2008 से 2018 के बीच घाटी में हुए प्रो-फ्रीडम और एंटी-इंडिया प्रदर्शनों में शामिल होने के आरोप थे. हालांकि, अदालतों ने उन्हें ज़मानत दी है और कोई सक्रिय मामला नहीं चल रहा है.
अनंतनाग के एसएसपी जी.वी. सुंदरप चक्रवर्ती ने इस बारे में सवाल पूछे जाने पर कहा कि वह “मीटिंग में व्यस्त हैं”. शोपियां के एसएसपी अनायत अली ने बताया कि यह कार्रवाई "सुरक्षा व्यवस्था का हिस्सा" है, जो स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस जैसे अवसरों पर भी की जाती है. उन्होंने कहा, "इन संदेहास्पद व्यक्तियों को बांधना कानून-व्यवस्था की समस्याओं से बचने के लिए किया जाता है. इसमें कुछ भी नया नहीं है."
शाह रविवार शाम को जम्मू एयरपोर्ट पहुंचेंगे और वहां से राजभवन जाएंगे. उनके यात्रा कार्यक्रम की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि वह 2019 के बाद केंद्र द्वारा चलाए जा रहे विकास कार्यों की समीक्षा करेंगे और जम्मू में बढ़ती हिंसा को लेकर सुरक्षा व्यवस्था का जायज़ा लेंगे. शाह कठुआ जिले के अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र का भी दौरा कर सकते हैं, जहां हाल ही में आम नागरिकों और पुलिसकर्मियों की हत्या हुई है. यहां फरवरी में एक आदिवासी युवक ने पुलिस द्वारा उसे झूठे आतंकवाद के मामले में फंसाने के आरोप में आत्महत्या कर ली थी. 27 मार्च को कठुआ के जुथाना क्षेत्र में मुठभेड़ के दौरान तीन पुलिसकर्मी शहीद हुए थे. पुलिस ने दो आतंकवादियों को मार गिराने का दावा किया है. एक अन्य पुलिसकर्मी जो गंभीर रूप से घायल था, वह बाद में जम्मू के अस्पताल में शहीद हो गया. चार महिलाएं समेत कठुआ के एक ही परिवार के छह सदस्यों को आतंकियों को पनाह देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.
शाह की यात्रा के मद्देनज़र श्रीनगर और कश्मीर के अन्य हिस्सों में सुरक्षा सख्त कर दी गई है. कई ऐसे लोग जो 50 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, उन्हें पुलिस थानों में बुलाया गया है. कुछ के घरों पर छापेमारी भी की गई, जब वे पुलिस के बुलावे पर नहीं पहुंचे.
2008 के अमरनाथ ज़मीन विवाद में पत्थरबाज़ी के मामले में बरी हुए एक 48 वर्षीय व्यक्ति ने बताया - "मेरी मां और पत्नी का देहांत हो चुका है, दो छोटी बेटियां हैं और एक 85 वर्षीय पिता. कोर्ट ने मुझे बरी कर दिया है, लेकिन पुलिस की परेशानियाँ अब भी जारी हैं." दक्षिण कश्मीर के एक व्यक्ति ने कहा कि उन्हें 2008 में पहली बार पकड़ा गया था, और तब से उन पर एक दर्जन से ज्यादा मामले लादे गए और पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत हिरासत में लिया गया. "मैंने सभी तरह के विरोध त्याग दिए हैं, लेकिन फिर भी हर राष्ट्रीय पर्व या वीआईपी दौरे पर पुलिस बुला लेती है." एक अन्य व्यक्ति ने कहा, "मैं कई बार लिखित रूप से दे चुका हूं कि किसी अवैध गतिविधि में शामिल नहीं रहूंगा. हम शांति से जीना चाहते हैं."
माही के रिटायर होने का फैसला 8-10 माह बाद
महेंद्र सिंह धोनी ने खुलासा किया है कि भले ही उनकी उम्र 43 साल हो चुकी है, लेकिन वह अभी विकेटकीपिंग ग्लव्स को अलविदा कहने के मूड में नहीं हैं. जब तक उनका शरीर उन्हें बल्ला चलाने और बेजोड़ सटीकता के साथ बेल्स गिराने की अनुमति देता है, तब तक वह खेलते रहेंगे. हालांकि, उन्होंने कहा कि मैं इस आईपीएल के आठ से दस महीने बाद देखूंगा कि मेरा शरीर कैसा महसूस करता है. अगर मुझे ठीक लगता है, तो मैं फिर से खेलूंगा. दरअसल, शनिवार को सोशल मीडिया पर अटकलों का दौर शुरू हुआ, जब उनके माता-पिता एमए चिदंबरम स्टेडियम के स्टैंड्स में देखे गए और उनकी पत्नी साक्षी का अपनी बेटी जीवा से "आखिरी मैच" कहते हुए एक छोटा क्लिप वायरल हो गया. कई लोगों ने इसे उनकी भावनात्मक विदाई से जोड़ा. लेकिन खुद धोनी ने इसे खारिज कर दिया.
एम्स दिल्ली में 35% फैकल्टी पद खाली : एम्स दिल्ली ने खुलासा किया है कि उसके लगभग 35 प्रतिशत फैकल्टी पद खाली हैं. संस्थान में स्वीकृत 1,235 पदों के मुकाबले 430 फैकल्टी सीटें खाली हैं. 2019 में 172 सहायक प्रोफेसरों के पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया था, लेकिन केवल 110 उम्मीदवारों ने जॉइन किया. 2021 और 2022 में विज्ञापित 270 रिक्त पदों के मुकाबले नर्सिंग कॉलेज में केवल 173 सहायक प्रोफेसर और तीन एसोसिएट प्रोफेसरों ने संस्थान में आमद दी.
बीड़ मस्जिद विस्फोट मामले में यूएपीए लगाया : पुलिस ने महाराष्ट्र के बीड जिले की एक मस्जिद में हुए विस्फोट के मामले में गिरफ्तार दो व्यक्तियों के खिलाफ यूएपीए और भारतीय न्याय संहिता की "आतंकवादी कृत्य" से संबंधित धाराएं लगाई हैं. 30 मार्च को ईद-उल-फितर की पूर्व संध्या पर जियोराई तहसील के अर्ध मसला गांव की मस्जिद में जिलेटिन की छड़ें फटी थीं. यह घटना कथित तौर पर एक जुलूस के दौरान दो समूहों के बीच हुए विवाद के बाद हुई, जिसके परिणामस्वरूप दोनों व्यक्तियों विजय रामा घावड़े और श्रीराम अशोक सगड़े को गिरफ्तार किया गया था.
'एक राष्ट्र-एक चुनाव' 2030 में या उसके बाद : 'एक राष्ट्र-एक चुनाव' पर विपक्ष की आपत्ति को जल्दबाजी करार देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकार इसे 2030 में या उसके बाद ही लागू करेगी. सीतारमण ने दावा किया कि 2024 के लोकसभा चुनावों पर लगभग ₹1 लाख करोड़ खर्च हुए और भारत में एक साथ चुनाव कराने से ऐसे खर्चों को कम किया जा सकता है. यदि संसद और विधानसभा के एक साथ चुनाव कराए जाते हैं, तो देश की जीडीपी में लगभग 1.5% की वृद्धि होगी. मूल्य के संदर्भ में देखा जाए तो यह अर्थव्यवस्था में ₹4.50 लाख करोड़ जोड़ देगा.
आगरा में 'डेमो ड्रॉप' के दौरान 'आकाश गंगा' के पैरा जंप इंस्ट्रक्टर की मौत : 'द हिंदू' की खबर है कि वॉरंट ऑफिसर रामकुमार तिवारी (41 वर्ष) की शनिवार सुबह एक दुखद दुर्घटना में मौत हो गई. वह भारतीय वायुसेना की 'आकाश गंगा' टीम के पैरा जंप इंस्ट्रक्टर थे. पुलिस के अनुसार, सुबह लगभग 9:30 बजे उन्होंने एक हेलिकॉप्टर से छलांग लगाई थी, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण उनका पैराशूट समय पर नहीं खुल पाया, जिससे यह जानलेवा हादसा हुआ. घटना आगरा में एक डेमो ड्रॉप (प्रदर्शन कूद) के दौरान हुई. पुलिस और वायुसेना की टीम मामले की जांच में जुटी है.
5,383 अवैध भर्ती मामलों की शिकायतें भेजीं, सिर्फ 49 पर मुकदमा : 'द वायर' की रिपोर्ट है कि विदेश मंत्रालय ने एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) आवेदन के जवाब में जनवरी 2021 से फरवरी 2025 के बीच गैर-कानूनी भर्ती एजेंटों के खिलाफ की गई कार्रवाइयों का ब्यौरा साझा किया है. विदेश मंत्रालय के ओवरसीज़ एम्प्लॉयमेंट और प्रोटेक्टर जनरल ऑफ इमीग्रेंट्स डिवीजन द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में कुल 5,383 शिकायतें अवैध एजेंटों के खिलाफ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को जांच के लिए भेजी गईं. सबसे अधिक शिकायतें 2021 में (1,553) और उसके बाद 2024 में (1,378) भेजी गईं. इसी अवधि (2021 से फरवरी 2025) के दौरान मंत्रालय ने 49 अभियोजन स्वीकृतियां जारी कीं, जिससे राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की पुलिस आरोपी एजेंटों के खिलाफ जांच के बाद मुकदमा चला सके. कमोडोर बत्रा ने बताया कि उन्होंने अपने आवेदन में 2014 से आंकड़े मांगे थे, लेकिन मंत्रालय ने केवल 2021 से संबंधित जानकारी ही उपलब्ध कराई. राज्यवार आंकड़ों में शिकायतों और कार्रवाई के बीच बड़ा अंतर देखने को मिला. आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा 2,890 शिकायतें भेजी गईं, लेकिन पुलिस की ओर से केवल 16 कार्रवाई रिपोर्ट सौंपी गईं और सिर्फ 1 अभियोजन स्वीकृति मंत्रालय द्वारा जारी की गई. इसके विपरीत, केरल में 531 शिकायतों पर 17 अभियोजन स्वीकृतियां दी गईं. दिल्ली में भी 2024 में शिकायतों की संख्या बढ़ी (92 शिकायतें), और 2025 की शुरुआत में (फरवरी तक) 115 शिकायतें, जिसके बाद 2024 में 11 अभियोजन स्वीकृतियां जारी की गईं. प्रवास से जुड़े अन्य प्रमुख राज्यों की बात करें तो पंजाब में 103 शिकायतें भेजी गईं, लेकिन कोई अभियोजन स्वीकृति नहीं दी गई. गुजरात में 15 शिकायतों पर 2025 की शुरुआत में 1 अभियोजन स्वीकृति (चार व्यक्तियों के खिलाफ) दी गई. हरियाणा में 7 शिकायतों पर 2024 में 1 अभियोजन स्वीकृति जारी हुई. कुल मिलाकर देखा जाए तो मंत्रालय के अनुसार, 5,383 शिकायतें राज्यों को भेजी गईं, लेकिन केवल 756 मामलों में ही राज्य पुलिस ने कार्रवाई रिपोर्ट (ATR) भेजी. वहीं जिन 49 मामलों में राज्यों ने औपचारिक रूप से अभियोजन की अनुमति मांगी, उनमें सभी को स्वीकृति दी गई. यह आरटीआई आवेदन पारदर्शिता अभियान से जुड़े कमोडोर लोकेश के. बत्रा (सेवानिवृत्त) द्वारा दायर किया गया था.
वैकल्पिक मीडिया
एमपी में हरदा की अजनाल नदी सूखी, 10 हजार लोग प्रभावित, टैंकर का पानी पीने लायक नहीं
'द मूकनायक' के लिए अंकित पचौरी की रिपोर्ट है कि गर्मी की दस्तक के साथ ही मध्य प्रदेश के कई हिस्सों से नदी, तालाब, कुएं और हैंडपंप सूखने की चिंताजनक खबरें सामने आने लगी हैं. इनमें हरदा जिले की स्थिति सबसे गंभीर होती जा रही है. अप्रैल की शुरुआत में ही यहां जल संकट गहरा गया है. शहर की जीवनरेखा कही जाने वाली अजनाल नदी पूरी तरह सूख चुकी है. इसका सीधा असर शहर के कई वार्डों पर पड़ा है, जहां हजारों लोगों को पानी की गंभीर किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. हरदा नगर पालिका के सब इंजीनियर हरिओम दोगने ने बताया कि अजनाल नदी से सीधे तौर पर तीन वार्डों में और सात अन्य वार्डों में टंकियों के माध्यम से जल आपूर्ति की जाती थी. अब नदी सूख जाने से यह आपूर्ति बाधित हो गई है. उनके अनुसार, करीब 10 हजार लोग इस संकट से प्रभावित हुए हैं. प्रभावित क्षेत्रों में मानपुरा, इमलीपुरा, जात्रापड़ाव, टंकी मोहल्ला, खेड़ीपुरा, गढ़ीपूरा, कुलहरदा और फाइल वार्ड शामिल हैं. यहां पानी की आपूर्ति फिलहाल टैंकरों के माध्यम से की जा रही है, लेकिन यह भी पर्याप्त और भरोसेमंद नहीं है. इंजीनियर दोगने के अनुसार, नदी के जलस्तर में गिरावट की प्रमुख वजह आसपास के गांवों द्वारा मूंग की सिंचाई के लिए नदी से सीधे पानी लेना है. गर्मी के मौसम में जलस्तर पहले ही घट जाता है, ऐसे में खेती के लिए की जा रही अत्यधिक जल निकासी से नदी पूरी तरह सूख गई. स्थानीय निवासियों ने नगर पालिका द्वारा भेजे जा रहे टैंकरों के पानी की गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं.
आखिरकार इजरायल ने स्वीकारा कि स्वास्थ्यकर्मियों की हत्या की गई
'बीबीसी' की रिपोर्ट है कि इज़राइली सेना ने 23 मार्च को दक्षिणी गाज़ा में 15 आपातकालीन कर्मियों की हत्या के मामले में अपने सैनिकों की गलती स्वीकार की है. ये भी तब हुआ है जब एक वीडियो वायरल हो गया, जो इजरायल के झूठ का पर्दाफाश करता है. ये घटना उस समय हुई जब फ़िलिस्तीनी रेड क्रिसेंट सोसाइटी (PRCS) की एम्बुलेंसों का एक काफिला, संयुक्त राष्ट्र की एक गाड़ी और गाज़ा सिविल डिफेंस का एक फायर ट्रक घायल लोगों की मदद करने के लिए रफ़ा के पास एक कॉल का जवाब देते हुए मौके पर पहुंचे. उस पर गोलीबारी कर दी गई. शुरुआत में इज़राइल ने दावा किया था कि ये वाहन बिना हेडलाइट और चेतावनी संकेतों के अंधेरे में "संदिग्ध रूप से" पास आए थे और सेना के साथ कोई पूर्व समन्वय नहीं था. हालांकि, मोबाइल फोन से फिल्माया गया एक वीडियो, जो बाद में 'न्यूयॉर्क टाइम्स' द्वारा साझा किया गया, दिखाता है कि वाहनों की लाइटें जल रही थीं और वे चिन्हित थे. यह वीडियो एक पैरामेडिक रिफ़ात रदवान ने बनाया था, जो इस हमले में मारे गए. अपनी छवि बचाने के लिए इज़रायली रक्षा बल (IDF) का दावा है कि मारे गए छह पैरामेडिक्स हमास से जुड़े थे, लेकिन अभी तक कोई सबूत पेश नहीं किया गया है. हालांकि, आईडीएफ ने यह मान लिया है कि मारे गए स्वास्थ्यकर्मी निहत्थे थे. एक अधिकारी ने कहा कि सैनिकों ने पहले एक कार पर गोली चलाई जिसमें तीन हमास सदस्य थे. जब एम्बुलेंसें वहां पहुंचीं और उसी जगह रुकीं, तो सैनिकों को लगा कि उन्हें खतरा है और उन्होंने गोली चला दी, हालांकि कोई सबूत नहीं था कि आपातकालीन कर्मी हथियारबंद थे. वीडियो में साफ दिखता है कि वाहन चिन्हित थे और पैरामेडिक्स ने हाई-विज़ यूनिफॉर्म पहन रखी थी. इज़रायली अधिकारी ने यह भी बताया कि सैनिकों ने मृतकों के शवों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए रेत में दफना दिया और अगले दिन रास्ता साफ करने के लिए वाहनों को भी दफना दिया गया. ये शव एक हफ्ते बाद पाए गए जब संयुक्त राष्ट्र जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को सुरक्षित पहुंच की अनुमति मिली. रेड क्रिसेंट और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इस घटना की स्वतंत्र जांच की मांग की है. युद्धविराम टूटने के बाद 1,200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं.
लिबरेशन डे के बाद अमेरिका में मंदी की आहट
'द गार्डियन' की एक रिपोर्ट कहती है कि अब, जब सभी की निगाहें सोमवार के बाजारों पर टिकी हैं और इस डर के साथ कि यह भयावह गिरावट आगे भी जारी रह सकती है, अमेरिका में मंदी की आशंकाएं तेजी से बढ़ रही हैं. जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों ने पिछले हफ्ते वैश्विक मंदी की संभावना को बढ़ाकर 60% कर दिया और अमेरिकी जनता अब महंगाई की वापसी के लिए मानसिक रूप से तैयार हो रही है. वही महंगाई जिसने ट्रम्प के पूर्ववर्ती, जो बाइडेन को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुंचाया था.
50 से अधिक देशों ने व्हाइट हाउस से संपर्क किया : 'द गार्डियन' की रिपोर्ट है कि संयुक्त राज्य अमेरिका की राष्ट्रीय आर्थिक परिषद के निदेशक केविन हैसेट ने एबीसी न्यूज के ‘दिस वीक’ कार्यक्रम में बताया कि 50 से अधिक देशों ने व्हाइट हाउस से व्यापार वार्ता शुरू करने के लिए संपर्क किया है. उन्होंने कहा - “मुझे कल रात यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव से एक रिपोर्ट मिली, जिसमें कहा गया कि 50 से अधिक देशों ने राष्ट्रपति से संपर्क किया है ताकि व्यापार वार्ताएं शुरू की जा सकें.” हैसेट ने कहा कि ये देश ऐसा इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि वे समझते हैं कि टैरिफ (शुल्क) का बड़ा बोझ उन्हीं पर पड़ रहा है. “मुझे नहीं लगता कि इसका अमेरिकी उपभोक्ताओं पर बड़ा असर होगा, क्योंकि हमारा लंबे समय से चला आ रहा व्यापार घाटा इस वजह से है कि इन देशों की आपूर्ति बहुत ही अकड़वाली है. वे जानबूझकर सस्ते सामान हमारे देश में डंप कर रहे हैं ताकि जैसे चीन में, नौकरियां पैदा की जा सकें.”
वैश्वीकरण से ट्रम्प के मुंह मोड़ने के मायने!
'बीबीसी' के लिए फैजल इस्लाम का लेख है कि ट्रम्प ने अमेरिकी आर्थिक ताकत की नींव से मुंह मोड़ लिया है, इसके परिणाम उलझे हुए और अस्त-व्यस्त होंगे. डोनाल्ड ट्रम्प ने एक और दीवार बनाई है, लेकिन यह दीवार अप्रवासियों को बाहर रखने के लिए नहीं, बल्कि नौकरियों और काम को अमेरिका के भीतर बनाए रखने के लिए है. ट्रम्प का हर उत्पाद पर कम से कम 10% शुल्क लगाने का निर्णय एक तरह की आर्थिक दीवार है, जो वैश्वीकरण के विपरीत दिशा में कदम है. यह अमेरिका को फिर से एक शताब्दी पहले की संरक्षणवादी नीतियों की ओर ले जाता है, और इसे G7 और G20 देशों से भी अधिक सीमा शुल्क राजस्व वाले देशों मसलन सेनेगल, मंगोलिया और किर्गिस्तान की श्रेणी में ला खड़ा करता है.
इस सप्ताह जो हुआ वह केवल एक वैश्विक व्यापार युद्ध की शुरुआत नहीं थी, बल्कि यह अमेरिका द्वारा उस वैश्वीकरण प्रक्रिया से मुख मोड़ना था, जिससे उसने दशकों तक भरपूर लाभ उठाया. ट्रम्प ने 1913 का जिक्र किया, वह साल जब अमेरिका ने पहली बार संघीय आयकर लागू किया और साथ ही टैरिफ कम किए. इससे पहले अमेरिकी सरकार मुख्यतः टैरिफ से ही चलती थी और पूरी तरह संरक्षणवादी थी, जैसा कि पहले ट्रेज़री सेक्रेटरी अलेक्जेंडर हैमिल्टन ने रणनीति बनाई थी. व्हाइट हाउस ने यह सीखा कि ऊंचे टैरिफ ने अमेरिका को "महान" बनाया और संघीय आयकर की आवश्यकता को खत्म किया.
इस सप्ताह के "रिसिप्रोकल" टैरिफ का आधार भी विशुद्ध आर्थिक सिद्धांत नहीं, बल्कि यह विचार था कि अगर कोई देश अमेरिका से अधिक सामान अमेरिका को बेचता है, तो वह "चीटिंग" कर रहा है और उसे टैरिफ के ज़रिए दंडित किया जाना चाहिए.
व्यापार घाटा और लक्ष्य : व्हाइट हाउस का लक्ष्य अमेरिका के 1.2 ट्रिलियन डॉलर के व्यापार घाटे को शून्य पर लाना है. इसके लिए उन्होंने एक सरल सूत्र अपनाया, जितना घाटा, उतना टैरिफ. यह नीति विशेष रूप से उन देशों पर लागू हुई जिनका अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष है, चाहे वे गरीब देश हों या छोटे द्वीप राष्ट्र. लेकिन यह समझना ज़रूरी है कि व्यापार घाटा या अधिशेष का अर्थ यह नहीं है कि व्यापार अनुचित है. हर देश की अपनी विशेषज्ञता होती है. यही तो व्यापार की मूल भावना है.
"चाइना शॉक" और अमेरिकी नीतियों का बदलाव : ट्रम्प प्रशासन के अनुसार वैश्वीकरण विफल रहा. विशेष रूप से चीन के मामले में. जब 2001 में चीन डब्ल्यूटीओ में शामिल हुआ, तो वहां की सस्ती मैन्युफैक्चरिंग ने अमेरिकी उपभोक्ताओं को लाभ दिया, लेकिन इसके बदले अमेरिका ने लाखों मैन्युफैक्चरिंग नौकरियां गंवाईं. एमआईटी के अर्थशास्त्री डेविड ऑटोर के मुताबिक, 2011 तक "चाइना शॉक" के कारण अमेरिका ने 10 लाख मैन्युफैक्चरिंग और कुल 24 लाख नौकरियां गंवाईं. ट्रम्प की नीतियों का मुख्य उद्देश्य इस नुकसान की भरपाई करना और "रस्ट बेल्ट" जैसे इलाकों में राजनीतिक समर्थन हासिल करना था और विश्लेषणों के अनुसार, उन्होंने इसमें आंशिक सफलता भी पाई है.
चलते-चलते
कौवा शुद्ध मराठी बोले, सोशल मीडिया काँव-काँव करे
एक वीडियो जो इंटरनेट पर पड़ोस की आंटी के "गुड मॉर्निंग" मैसेज से भी तेज़ी से वायरल हो रहा है, उसमें एक काला-चिट्टा कौवा सिर्फ कांव-कांव नहीं कर रहा, बल्कि साफ़-सुथरे मराठी पारिवारिक संबोधन बोल रहा है, जैसे “काका”, “बाबा”, “मम्मी”, और सबसे लोकप्रिय “पप्पा”. हां, इस परिंदे को कुछ लोगों से ज़्यादा फैमिली ट्री याद है - वो भी बिना शादी में शामिल हुए.
वाड़ा तालुका की रहने वाली तनुजा मुकने इस कौवे की अनजाने में ट्रेनर बन गईं. तीन साल पहले, उन्होंने अपने बगीचे में घायल कौवे को बचाया था.जो 15 दिन की देखभाल समझी गई थी, वो धीरे-धीरे एक परमानेंट पीजी अरेंजमेंट बन गया. फिर कौवे ने शायद सोचा - "अब मैं यहीं रहता हूं, तो भाषा भी बोलूंगा!"
विशेषज्ञ हैरान और स्थानीय लोग दीवाने हो गए हैं. किसी ने एक्स (ट्विटर) पर इसे पहले ही नाम दे दिया है - "कबूतर सिंह 2.0". एक वायरल कमेंट में लिखा गया - "अगर ये कौवा बोल दे - 'बेटा, शादी कब करोगे?' तो मैं समाज से विदा ले लूंगा.”
फिलहाल कौवे ने खाने की थाली या वोटर आईडी की मांग तो नहीं की है, लेकिन लोग अब उसके सामने कुछ भी बोलने से डरने लगे हैं। कौन जाने - अगली बार वो गॉसिप करना शुरू कर दे? बहरहाल, अगली बार अगर किसी पेड़ के पास “काका” कहो, तो ध्यान रखना - कहीं वो मराठी बोलने वाला कौवा तो नहीं, जो तुम्हारी जूम कॉल में घुसने की फिराक में है!
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