08 दिसंबर 2024: अमेरिका सरकार का भाजपा के आरोपों से इंकार, अकबर के राज में बने इतने सारे मंदिर, ममता और अखिलेश ने बदले इंडिया के समीकरण, अजीत पवार को क्लीन चिट, कॉमेडियन के साथ हॉरर शो
हिंदी भाषियों का क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज्यादा
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
सुर्खियां:
भारतीय जनता पार्टी का नया पंगा अब अमेरिकी सरकार से है. सत्तारूढ़ भाजपा ने शुक्रवार को अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट पर सीधे आरोप लगाए और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी के खिलाफ जो हमले किये जा रहे हैं, उसके पीछे खुद अमेरिकी सरकार है. अमेरिकी सरकार ने इन आरोपों को निराशाजनक करार दिया है. अमेरिका में कई सरकारी, संसदीय और अन्य संस्थाएं मोदी के बारे में अध्ययन, बयान और चेतावनी जारी करते रहे हैं, पर ऐसा पहली बार हुआ है कि भारतीय जनता पार्टी ने सीधे अमेरिकी सरकार पर उंगली उठाई है. यह भी दिलचस्प है कि इसमें नरेन्द्र मोदी के साथ गौतम अडानी का भी नाम साथ में लिया गया है. भारत सरकार आधिकारिक तौर पर अडानी मामले को एक प्राइवेट कम्पनी का मामला कह रही थी, पर भाजपा के लिए ऐसा नहीं है.
भारतीय जनता पार्टी ने शुक्रवार को एक्स यानी ट्वविटर पर कई सारे पोस्ट में यह बताने की कोशिश की कि मोदी और अडानी के खिलाफ चल रहे अभियान के पीछे अमेरिकी सरकार है. पार्टी का दावा है कि जो खोजी पत्रकारिता पोर्टल जो अडानी की संदिग्ध कारोबारी तरीको के बारे में लिखता रहा है, वह अमेरिकी सरकार के पैसे से चलता है. भाजपा ने ओसीसीआरपी नाम के खोजी पत्रकारिता पोर्टल का नाम लिया था. अमेरिकी सरकार ने कहा कि वह दुनिया में मीडिया की आजादी का समर्थक है और आज़ाद प्रेस पूरी दुनिया में लोकतंत्र के लिए जरूरी है, ताकि जो सत्ता में हैं उन्हें जागरूक और रचनात्मक बहस के जरिये जवाबदेह बनाया जा सके. हिंदू के मुताबिक अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने इस बात का खंडन तो नहीं किया कि वह ओसीसीआरपी को पैसा नहीं दे रहा, पर यह जरूर कहा कि अमेरिकी सरकार स्वतंत्र संगठनों के साथ ऐसे कार्यक्रमों में हिस्सा लेती है, जिससे पत्रकारों के पेशवर विकास और क्षमता बढ़ाने वाले प्रशिक्षण आयोजित किये जाते है. भारतीय जनता पार्टी और अमेरिकी सरकार के बीच की बहस दोनों देशों के बीच खराब होते रिश्ते की तरफ इशारा करती है, जो पहले से कई विवादों में फंसा हुआ है. चाहे वह खालिस्तानी कहे जाने वाले अमेरिकी नागरिक को मरवाने की साजिश हो, अडानी का मामला या फिर अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे बर्ताव को लेकर अमेरिका की तरफ से तल्ख़ टिप्पणियाँ. यह दिलचस्प है कि भारतीय जनता पार्टी ने यह तीर तब चलाया है, जब अमेरिका में नई सरकार बन रही है. भाजपा ने इसी आरोप के तहत राहुल गांधी को भी लपेट लिया कि वह ओसीसीआरपी की सामग्री का इस्तेमाल नरेन्द्र मोदी के खिलाफ और देश को कमजोर करने के लिए कर रहे हैं.
इंडिया ब्लॉक में सब कुछ सामान्य नहीं है : ऐसा लगता है विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व हासिल करने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कांग्रेस से टकराव लेने के लिए मंच सजा रही हैं. पिछले दिनों बंगाली न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने अपने इरादे स्पष्ट भी कर दिए थे. संसद में इंडिया ब्लॉक के नेताओं की बैठक में शामिल होने से इनकार करके और अडानी मुद्दे पर राहुल गांधी की अगुआई में किए गए विरोध से खुद को दूर रखकर उनकी पार्टी कांग्रेस को लगातार संकेत दे रही है कि वह दरअसल चाहती क्या है. लोकसभा चुनावों में प्रभावी प्रदर्शन करने के बाद दो राज्यों में बुरी पराजय से कांग्रेस चूंकि बैकफुट पर है, लिहाजा ममता खुद के लिए इसे एक मौका मान रही हैं और इसी वजह से उनकी इच्छाएं कुलाचें मार रही हैं. यद्यपि पिछले साल दिसंबर में उन्होंने आगे बढ़कर मल्लिकार्जुन खरगे को इंडिया ब्लॉक की लीडरशिप सौंपने का सुझाव दिया था. इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी सपा भी सम्भल हिंसा और लोकसभा में बैठक व्यवस्था को लेकर अपने आपको कितना असहज महसूस कर रही है, यह शनिवार को सबके सामने आ गया, जब उसने महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी से खुद को अलग करने का ऐलान कर दिया. सपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष अबू आजमी ने कहा, “अघाड़ी का गठन धर्मनिरपेक्षता के आधार पर हुआ था, लेकिन शिव सेना (यूबीटी) यदि वापस अपनी सांप्रदायिकता पर लौटती है तो सपा खुद को महा विकास अघाड़ी से अलग करती है.” इसमें दिलचस्प यह है कि ममता बनर्जी के मामले में जो रुख सपा का है, वही शिव सेना (यूबीटी) का भी लगता है. ममता की इंडिया ब्लॉक के नेतृत्व की इच्छा के सवाल पर शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, “ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और शिव सेना, हम सब साथ हैं. हम जल्द ही उनसे बात करने कोलकाता जाएंगे.”
अजीत पवार को एक और क्लीन चिट: आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार और उनके परिवार के सदस्यों को बेनामी संपत्ति रखने के आरोप से मुक्त कर दिया है. तीन साल पहले, आयकर विभाग ने पवार पर बेनामी स्वामित्व के आरोप लगाते हुए 1,000 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी. न्यायाधिकरण ने जरानदेवहर चीनी मिल की भी जांच की, जिसे प्रवर्तन निदेशालय ने पहले एमएससीबी घोटाला धन शोधन मामले के संबंध में जब्त कर लिया था. आयकर और ईडी की जांच का सामना कर रहे एनसीपी नेता अजित पवार पिछले साल ही अपने चाचा शरद पवार की पार्टी से अलग होकर महायुति गठबंधन की सरकार में शामिल हुए थे और उपमुख्यमंत्री बने थे. गुरुवार को भाजपा नेतृत्व वाली राज्य सरकार में उन्होंने एक बार फिर उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. अपने आदेश में आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण ने पवार और अन्य के खिलाफ आयकर के आरोपों को खारिज कर दिया और जरानदेवहर चीनी मिल मामले में भी पवार को क्लीन चिट दी.
मिस्री के दौरे से पहले बांग्लादेश में मंदिर पर हमला :भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ‘मंत्रणा’ के लिए 9 दिसंबर को बांग्लादेश की आधिकारिक यात्रा पर जाने वाले हैं, लेकिन इससे पहले ही शनिवार तड़के बांग्लादेश में एक और इस्कॉन मंदिर को निशाना बनाया गया. उसमें तोड़फोड़ के बाद आग लगा दी गई. जिससे मूर्तियां और सामान जल गया. हालांकि बांग्लादेश इस्कॉन ने कहा है कि यह इस्कॉन के श्रद्धालु परिवार का निजी मंदिर है. जबकि कोलकाता इस्कॉन के मुताबिक यह उसके नमहट्टा केंद्र पर हमला था. उधर, त्रिपुरा के बाद असम की बराक घाटी के होटलों, रेस्तरां में भी बंग्लादेशियों को सेवाएं न देने का फैसला किया गया है. दिल्ली में हजरत निजामुद्दीन दरगाह इलाके के मौलवियों और रहवासियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने उप राज्यपाल वीके सक्सेना से मुलाकात कर राजधानी में अवैध रूप से रह रहे बंग्लादेशियों की पहचान कर उन्हें वापस स्वदेश भेजने के लिए विशेष अभियान चलाने की मांग की है. इधर बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि मुसलमानों के वोटों की खातिर सम्भल मामले पर हल्ला मचाने वाली कांग्रेस बांग्लादेश में हिंदुओं, जिनमें अधिकांश दलित और कमजोर वर्ग के हैं, की दुर्दशा पर “चुप” है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि इस बारे में प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) से पूछना चाहिए. मैंने न कुछ सुना है, न ही मुझे कुछ पता है.
‘स्क्रॉल’ के लिए अभिक देब और देवांश मित्तल की रिपोर्ट है कि भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते राजनीतिक और सामाजिक तनाव का असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है. हर साल हजारों बांग्लादेशी मरीज बेहतर और सस्ती चिकित्सा के लिए भारत आते हैं, खासकर कोलकाता, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे शहरों के अस्पतालों में. इस बीच कुछ भारतीय डॉक्टरों और संगठनों ने भी बांग्लादेशी मरीजों का इलाज न करने की मांग की है, जिसे कई डॉक्टरों ने "अनैतिक" करार दिया है. बांग्लादेशी मरीजों को भारतीय वीजा मिलने और अस्पतालों से समय पर अपॉइंटमेंट लेने में कठिनाई हो रही है.
5 साल में 55 हजार पैरा मिलिट्री जवानों ने लिया रिटायरमेंट, 730 जवानों ने आत्महत्या : गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद को बताया है कि 2020 से 2024 के बीच केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) के 47,891 कर्मियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली, जबकि 7,664 कर्मियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इस अवधि में आत्महत्या के मामलों में भी चिंताजनक आंकड़े सामने आए हैं. पिछले पांच वर्षों में CAPF के 730 जवानों ने आत्महत्या की है.
ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति ने किया कोर्ट का रुख: समिति ने तीन दशक पुराने कानून प्लेस ऑफ वरशिप (स्पेशल प्रोविजन) एक्ट, 1991 के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी ने एक हस्तक्षेप आवेदन में हिंदू वादियों के विशेष समूह की ओर से दायर की गई याचिकाओं को खारिज करने की मांग की है. वादियों ने इस याचिका में पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है. हिंदू याचिकाकर्ता पहले ही 14 मुस्लिम धार्मिक स्थलों पर दावा कर चुके हैं, और मस्जिद समिति ने कहा कि 1991 के अधिनियम को रद्द करने से इस तरह के दावों की बाढ़ आ जाएगी.
कनाडा की संसद ने 1984 के सिख विरोधी दंगों को 'नरसंहार' घोषित करने वाले प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है. यह प्रस्ताव न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडी) के सांसद सुख धालीवाल ने हाउस ऑफ कॉमन्स की विदेश मामलों और अंतरराष्ट्रीय विकास स्थायी समिति के समक्ष पेश किया था. सुख धालीवाल ने इस प्रस्ताव के जरिए 1984 में भारत में हुए सिख विरोधी दंगों को नरसंहार के रूप में मान्यता दिलाने की मांग की थी.
सैम पित्रोदा का फोन और लैपटॉप हैक: पिछले कुछ हफ्तों में इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा का लैपटॉप, स्मार्टफोन और सर्वर कई बार हैक किया गया है. इसकी जानकारी उन्होंने शनिवार को समाचार एजेंसी एएनआई को ईमेल के जरिये दी. हैकरों ने उनसे क्रिप्टोकरेंसी में हजारों डॉलर की मांग की है. ऐसा न करने पर सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल करने की धमकी दी है.
आईआईटी खड़गपुर के प्रोफेसरों ने निदेशक प्रोफेसर वीरेंद्र कुमार तिवारी पर 'परिवारवाद', संकाय चयन में प्रतिशोध और मनमाने ढंग से नियुक्ति करने, परिसर में अस्पताल बनवाने में विफल रहने जैसे कई आरोप लगाए हैं. इसके बाद से प्रशासन और प्रोफेसर आमने-सामने हैं. यह मतभेद तब और गहरा गया, जब संस्थान के 85 से ज्यादा फैकल्टी मेंबर्स को नोटिस थमाया गया और तीन विभागाध्यक्षों को हटाने का आदेश जारी कर दिया गया. इन सबने निदेशक के खिलाफ एक सामूहिक याचिका पर हस्ताक्षर किए थे. इसके विरोध में बुधवार और गुरुवार को करीब 100 संकाय सदस्यों ने काली पट्टी बांधी और परिसर में मौन विरोध मार्च निकाला.
दक्षिण कोरिया : राष्ट्रपति ने घुटने टेके दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सूक येओल ने शनिवार को मार्शल लॉ लागू करने के अपने प्रयास के लिए माफी मांगी, मगर इस्तीफा नहीं दिया. उन्होंने संसद में महाभियोग पर मतदान से पहले किसी भी कानूनी परिणाम को स्वीकार करने की पेशकश की. विपक्ष के पास महाभियोग पास कराने के लिए दो तिहाई बहुमत नहीं है. इसके लिए सत्तापक्ष के आठ सांसदों के मदद की जरूरत होगी. बताया जा रहा है कि अगर महाभियोग आता है तो सत्तापक्ष के सभी सांसद राष्ट्रपति को बचाने के लिए मतदान नहीं करेंगे.
‘द गार्डियन’ की एक खबर के मुताबिक तालिबान के अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए नर्स और दाई की ट्रेनिंग पर रोक लगाने के फैसले की भारी निंदा हो रही है. अफगान छात्रों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस फैसले को ‘अज्ञानता और क्रूरता का कदम’ करार दिया. ये वीडियो पाकिस्तान के डॉन अखबार से.
250 साल पुरानी तांबे की ये चीज़ है क्या, जिसकी क़ीमत है करोड़ों रुपए: ‘बीबीसी’ की रिपोर्ट है कि बिहार की राजधानी पटना से 250 साल पहले दुनिया का पहला ताम्र (तांबे) टिकट जारी हुआ था, जिसकी क़ीमत 40 करोड़ से ज़्यादा है. 31 मार्च 1774 को जारी एक आना और दो आने के ये टिकट एक तरीक़े के प्रीपेड टोकन थे. भारत के गवर्नर जनरल वॉरेंन हेस्टिंग्स के ईस्ट इंडिया बंगाल प्रेजिडेंसी ने ये टिकट जारी किया था. गोल आकार के इस टिकट पर अंग्रेज़ी में 'पटना पोस्ट दो आना' लिखा है, जबकि दूसरे भाग में फ़ारसी में 'अजीमाबाद डाक दो आना' लिखा है.
आलोक पुतुल ने लिखा है कि छत्तीसगढ़ में एक और हाथी का बच्चा मानव क्रूरता का शिकार हो गया. किसी ने टाइगर रिजर्व के जंगल में पोटाश बम रखा था. जिसे खाने की कोशिश में हाथी शावक बुरी तरह से घायल हो गया. तस्वीर जलन शांत करने पानी में खड़े इसी बच्चे की है. महीने भर तक तकलीफ़ झेलते हुए शनिवार को अंततः इसकी मौत हो गई.
यूक्रेन की 'ट्रेन डिप्लोमेसी'
कॉन्स्टेंट मेहुत और जेनी ग्रॉस ने 'द गार्डियन' के लिए यूक्रेन की 'ट्रेन डिप्लोमेसी' पर एक रिपोर्ट की है. यूक्रेन में रूस के आक्रमण के बाद से, यूरोपीय संघ की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन को कीव जाने के लिए 10 घंटे की ट्रेन यात्रा करने की आदत हो गई है. यूक्रेन की राष्ट्रीय रेलवे उक्रजालिज़नित्सिया ने विशिष्ट ट्रेनें शुरू की हैं, जिनमें विदेशी नेताओं के लिए निजी कमरे और सम्मेलन कक्ष होते हैं. ये ट्रेन यात्राएं सिर्फ यात्रा का तरीका नहीं, बल्कि कूटनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई हैं. विश्व नेताओं को यूक्रेनी व्यंजन परोसे जाते हैं और युद्ध के दौरान देश के संघर्ष पर किताबें दी जाती हैं, ताकि वे यूक्रेन के मुद्दों को और समझ सकें. यात्रा को ‘आयरन डिप्लोमेसी’ कहा जाता है और ये अब तक 1,000 से अधिक बार की जा चुकी है. राष्ट्रपति जो बाइडन और जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़ जैसे नेताओं ने इन ट्रेनों में यात्रा की है, जिनमें सुरक्षा के विशेष उपाय किए जाते हैं, जैसे कि दो ट्रेनें समानांतर चलाना, ताकि असली ट्रेन की पहचान न हो सके. यूक्रेनी अधिकारियों ने इन यात्राओं को एक प्रभावी कूटनीतिक उपकरण में बदल दिया है.
2024 : इस साल 975 करोड़ की कोकीन जब्त हुई, इतनी रकम से क्या-क्या हो जाता!
तस्करों ने भारत में कोकीन पहुंचाने के लिए हवाई रास्ता चुना है. 2024 में 975 करोड़ रुपये मूल्य की कोकीन जब्त की गई है. राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) की हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 में 21 से बढ़कर 2023-24 में 47 ऐसे ही मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें अधिकांश माल की जब्ती हवाई अड्डों पर हुई. कोकीन अफ्रीका और पश्चिम एशिया से भारत में आ रही है. डीआरआई की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि 2023-24 में विदेशी व्यापार समझौतों (FTA) के दुरुपयोग के मामलों में वृद्धि हुई है, जिनकी कुल राशि 1,427 करोड़ रुपये है, जबकि 2022-23 में यह 481 करोड़ रुपये थी. ये केवल कोकीन के आंकड़े हैं, बाकी सूची लंबी है.
975 करोड़ से क्या-क्या हो सकता है:
प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत, 975 करोड़ रुपये का बजट लगभग 65,000 आवास बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. पीएमएवाय में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आवास निर्माण किया जाता है, जिसमें अधिकतर ₹1.2 लाख से ₹1.5 लाख तक की राशि सब्सिडी दी जाती है. शहरी क्षेत्रों में एक आवास के लिए ₹1.5 लाख से ₹2.5 लाख तक की सहायता दी जाती है (निर्माण के लिए).
छत्तीसगढ़ सरकार प्रति बच्चा 5 रुपए मिड डे मील पर खर्च करती है, इस हिसाब से 975 करोड़ रुपये में 1.95 अरब (195 करोड़) बच्चे भोजन खा सकते हैं.
₹975 करोड़ से लगभग 48.75 लाख किसानों को फसल बीमा कवर दिया जा सकता है. फसल बीमा के तहत प्रति किसान वार्षिक प्रीमियम करीब ₹1,500 से ₹2,500 हो सकता है.
₹975 करोड़ से लगभग 3.25 लाख किसानों के ऋण माफ़ किए जा सकते हैं. किसानों की ऋण माफी योजनाएं आमतौर पर 20,000 से 50,000 रुपये प्रति किसान तक होती हैं.
यह राशि सैकड़ों छोटी सिंचाई योजनाओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त हो सकती है, जिनसे लाखों किसानों को लाभ हो सकता है और ₹975 करोड़ से 65 लाख किसानों को खाद पर छूट दी जा सकती है.
शिक्षा क्षेत्र में, 975 करोड़ रुपये का बजट कई नए स्कूलों और कॉलेजों के निर्माण या पुराने संस्थानों के पुनर्निर्माण के लिए इस्तेमाल हो सकता है. इससे 87 नए 10 कक्षों वाले वर्ल्ड क्लास स्कूल बनाए जा सकते हैं, जिसमें बुनियादी सुविधाएं और संरचनाएं शामिल होंगी.
975 करोड़ रुपये का बजट स्वास्थ्य योजनाओं के लिए, जैसे कि आयुष्मान भारत योजना के तहत 8-10 लाख परिवारों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में इस्तेमाल किया जा सकता है. यदि औसतन ₹10,000 प्रति परिवार खर्च होता है, तो यह राशि लगभग 9.75 लाख परिवार को कवर कर सकती है.
पड़ोसी देश नेपाल में तो इस बजट में लगभग 48 लाख छात्रों को एक साल के लिए शिक्षा दी जा सकती है. वहां शिक्षा भारत से सस्ती है.
फुटबॉलर, पत्रकार, मुख्यंमंत्री बीरेन सिंह की कई ज़िंदगियां
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को एक ऐसे नेता के रूप में देखा जा रहा है, जिन पर राज्य में डेढ़ साल से चल रहे सांप्रदायिक हिंसा के बीच पक्षपात करने के आरोप लगते रहे हैं. इसके बावजूद, वे मुख्यमंत्री पद पर बने हुए हैं. 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने उनके सफर को खंगालते हुए बताया कि कैसे एक फुटबॉल खिलाड़ी, पत्रकार और राजनेता के रूप में उन्होंने अपने जीवन के विभिन्न पड़ाव पार किए और अब वे मणिपुर के इतिहास के सबसे चुनौतीपूर्ण दौर में नेतृत्व कर रहे हैं. बीरेन सिंह ने अपने करियर की शुरुआत फुटबॉल खिलाड़ी के रूप में की. वे भारतीय राष्ट्रीय टीम के लिए भी खेले और बाद में सीमा सुरक्षा बल (BSF) की फुटबॉल टीम में शामिल हुए. फुटबॉल करियर के बाद, उन्होंने पत्रकारिता की ओर रुख किया. उन्होंने मणिपुर से एक स्थानीय अखबार नहारोलगी थौदांग शुरू किया, जो तेजी से लोकप्रिय हुआ. पत्रकारिता के जरिए लोगों से जुड़े रहने के बाद, 2002 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा. शुरुआत में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) से जुड़कर मणिपुर विधानसभा चुनाव लड़ा और जीते. 2016 में बीरेन सिंह भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए. 2017 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद, वे मणिपुर के पहले भाजपाई मुख्यमंत्री बने.
नॉर्थ-ईस्ट: 40,000 बर्मी शरणार्थियों में से एक की जिंदगी के कष्ट
‘न्यूजरील एशिया’ के लिए हर्षिता राठौड़ के शो 'द डिनर टेबल' का यह आठवां एपिसोड है. इस बार वो बर्मी शरणार्थियों, जिनमें चिन और बर्मी समुदायों के लोग हैं, उनके साथ भोजन साझा करते हुए उनके दुखों को भी साझा कर रही हैं. यह शो अपने किस्म का अलहदा फॉर्मेट है, जिसमें होस्ट पारंपरिक खाने के साथ अपने गेस्ट की जिंदगी के बरक्स एक बड़े समुदाय की समस्याओं को उजागर करती हैं. इस एपिसोड में कहानी है मिजोरम में रहने वाली मा सु और उनके परिवार की जो कि बर्मी शरणार्थी हैं. म्यांमार में सैनिक तख्तापलट के बाद मा सु ने भारत में ऐज़वाल को अपना घर बना लिया है. वह उन लगभग 40,000 बर्मी शरणार्थियों में से एक हैं, जिन्होंने फरवरी 2021 में म्यांमार में तख्तापलट के बाद मिजोरम में शरण ली थी.
कॉमेडियन के साथ हॉरर शो!
हरिद्वार के एक फाइव स्टार होटल में बर्थडे पार्टी का आयोजन होना था, मंच पर सुनील पॉल को कॉमेडी करनी थी...इसके लिए 50 फीसदी एडवांस भी मिल चुका था और सुनील पाल तय दिन यानी कि 2 दिसंबर को घर से निकलकर दिल्ली एयरपोर्ट से आयोजकों के साथ वेन्यू के लिए निकल भी पड़े, लेकिन गाड़ी जो मेरठ-यूपी हाइवे पर एक ढाबे में क्या रुकी, सारी कहानी बदल गई. इसके बाद सुनील पाल को दूसरी गाड़ी में शिफ्ट किया गया. कार में पीछे कुछ अज्ञात युवक बैठे थे. उन्होंने सुनील पाल की आंखों पर काली पट्टी बांध दी और फुसफुसाकर धीरे से कहा- 'तुम किडनैप हो गए हो!' ये डार्क कॉमेडी, मशहूर कॉमेडियन सुनील पाल के साथ हो गई. किडनैपर्स सुनील पाल को एक अज्ञात जगह ले गए और रिहाई के बदले 20 लाख मांगे. सुनील पाल गिड़गिड़ाए और बात 10 लाख रुपए पर सेटल हो गई. सुनील ने मार दोस्तों को फोन घनघनाए और जैसे-तैसे बस साढ़े 7 लाख रुपए जुटाए, तब ही वो छूटकर छितराई, लुटी-पिटी हालत में बाहर आ पाए! पाल को ‘हरकारा’ का 26 नवंबर का अंक मिस नहीं करना चाहिए था, वो उस बेचारे ड्राइवर के शिकार होने की कहानी से वाकिफ होते, जिसने अपना सफर गूगल मैप के भरोसे छोड़ दिया. हरिद्वार वाला ईवेंट पूरी तरह फेक था. जिन्होंने किडनैप किया, उन्होंने ही ईवेंट के बहाने सुनील पाल को बुलाया और किडनैप कर फिरौती वसूल ली. ..अब जैसा हेडलाइन में वादा था, सुखांत का वो भी पढ़ते हुए बढ़ें. पाल के अपहरणकर्ता दरियादिल निकले और फिरौती की कम रकम मिलने के बावजूद, उन्होंने इस महंगाई के जमाने में भी पाल को 20 हजार रुपए घर लौटने के लिए थमाकर, विदा किया.
अपराधी, आरोपी और ट्रम्प की सरकार
क्या राष्ट्रपति, क्या उसके सिपहसालार और क्या उसके द्वारा अहम पदों पर की गई नियुक्तियां.. ऐसा लगता है मानो अपराधियों और आरोपियों का एक पूरा गिरोह अमरीका और उसके प्रशासन से मिलने वाली असीमित शक्तियों के जरिए दुनिया का राजनीतिक भूगोल ही गड़बड़ा देगा. डोनाल्ड ट्रम्प जो दूसरी दफा राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे, खुद गंभीर किस्म के अपराधी हैं और अमरीकी अदालतों में बाक़ायदा मामले चले हैं.
ट्रम्प पर मुख्य आरोप और कानूनी मामले:
न्यूयॉर्क आपराधिक मामला: ट्रम्प पर आरोप है कि उन्होंने 2016 के चुनाव परिणामों को गैरकानूनी तरीके से प्रभावित करने का प्रयास किया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें 34 गंभीर अपराधों में दोषी ठहराया गया.
फ्लोरिडा क्लासीफाइड दस्तावेज मामला: ट्रम्प पर आरोप है कि उन्होंने अपने मार-ए-लागो रिसॉर्ट में संवेदनशील सरकारी दस्तावेजों को अवैध रूप से रखा और उन्हें वापस करने से इनकार किया, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता था.
जॉर्जिया चुनाव हस्तक्षेप मामला: ट्रम्प पर आरोप है कि उन्होंने 2020 के चुनाव परिणामों को पलटने के लिए जॉर्जिया राज्य में हस्तक्षेप करने की साजिश रची.
ट्रम्प ने न केवल अपने इर्द-गिर्द बल्कि अपनी कैबिनेट में भी कई विवादित व्यक्तियों को नियुक्त किया है, जिनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं. इनमें से कुछ व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं, जबकि कुछेक पर गंभीर भ्रष्टाचार, यौन अपराध और अनियमितताओं के आरोप हैं. अमेरिकी लेखक और पूर्व श्रम मंत्री रॉबर्ट रीच ने ‘द गार्डियन’ में एक लेख के जरिए ट्रम्प की कैबिनेट के चयन पर कड़ा हमला किया है. उन्होंने लिखा है कि ये नियुक्तियां केवल ‘वफादार’ लोगों की नहीं हैं, बल्कि ऐसे लोगों की है जो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की हर बात को बिना सवाल उठाए स्वीकार करने वाले, चापलूस और पूरी तरह आज्ञाकारी व्यक्ति हैं. उन्होंने इस स्थिति को ‘लोकतंत्र के लिए खतरा’ बताते हुए कहा कि इस प्रकार की कैबिनेट नेतृत्व की बजाय ट्रम्प की सत्ता को और अधिक केंद्रीकृत और अधिनायकवादी बना सकती है. इन नियुक्तियों ने ट्रम्प प्रशासन की आलोचना को तो बढ़ाया ही है, दुनिया की राजनीति भी इनके फैसलों से प्रभावित होने जा रही है. एक नजर इस सूची में दर्ज अपराध के उन 'नगीनों' पर डालिए, जो ट्रम्प प्रशासन का हिस्सा होंगे...
मैट गेट्ज़, अमेरिकी कांग्रेस सदस्य. आरोप: 17 साल की लड़की की यौन तस्करी के आरोप. हालांकि, तीन साल की जांच के बाद फरवरी 2023 में उनके खिलाफ कोई आपराधिक आरोप नहीं लगाए गए.
पाम बॉन्डी, अटॉर्नी जनरल. आरोप: फ्लोरिडा अटॉर्नी जनरल ने रियलिटी यूनिवर्सिटी के वकील से 20.75 लाख रुपये का दान स्वीकार करने पर सवाल उठाया. उन पर यह भी आरोप लगा कि उन्होंने स्टाल यूनिवर्सिटी की जांच बंद कर दी थी.
पीट हेगसेथ, ट्रम्प प्रशासन में रक्षा सचिव पद के लिए चुने गए. आरोप: 2017 में एक महिला का यौन उत्पीड़न करने का आरोप. रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने एक होटल के कमरे में महिला का फोन लेकर उसे बाहर जाने से रोका और अनुचित तरीके से छुआ.
रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर, स्वास्थ्य एवं मानव सेवा सचिव पद के लिए ट्रम्प की पसंद. आरोप: पूर्व पारिवारिक दाई ने उन पर अनुचित तरीके से छूने का आरोप लगाया. कैनेडी ने इन आरोपों को 'बकवास' कहकर खारिज किया.
पॉल मैनाफोर्ट, 2016 में ट्रम्प के राष्ट्रपति अभियान के अध्यक्ष. आरोप: वित्तीय धोखाधड़ी, कर चोरी और विदेशी लॉबिंग नियमों का उल्लंघन. 2018 में उन्हें दोषी ठहराया गया और सजा सुनाई गई.
रोजर स्टोन, ट्रम्प के लंबे समय से राजनीतिक सलाहकार. आरोप: कांग्रेस को झूठ बोलना, गवाहों को प्रभावित करना और न्याय में बाधा डालना. 2019 में दोषी ठहराए गए और 2020 में उनकी सजा को कम कर दिया गया.
स्टीव बैनन, मुख्य रणनीतिकार और वरिष्ठ सलाहकार. आरोप: "We Build the Wall" अभियान से धन की हेराफेरी का आरोप. 2020 में गिरफ्तार हुए, लेकिन 2021 में ट्रम्प ने उन्हें माफ कर दिया.
रिक गेट्स, ट्रम्प अभियान के उपाध्यक्ष. आरोप: वित्तीय धोखाधड़ी और एफबीआई को झूठी जानकारी देने का आरोप. 2018 में दोष स्वीकार किया और सहयोग कर सजा काटी.
माइकल कोहेन, ट्रम्प के निजी वकील. आरोप: चुनावी वित्तीय उल्लंघन, कर चोरी, और कांग्रेस को झूठ बोलना. 2018 में दोषी ठहराए गए और सजा सुनाई गई.
जॉर्ज पापाडोपोलस, ट्रम्प अभियान के विदेश नीति सलाहकार. आरोप: एफबीआई को झूठी जानकारी देने का आरोप, विशेष रूप से रूस के साथ संपर्कों के बारे में. 2017 में दोष स्वीकार किया और सजा सुनाई गई.
एलियट ब्रॉडी, ट्रम्प अभियान के वित्त उपाध्यक्ष. आरोप: विदेशी लॉबिंग नियमों का उल्लंघन और रिश्वतखोरी. 2020 में दोष स्वीकार किया.
टॉम बैरक, ट्रम्प के उद्घाटन समिति के अध्यक्ष. आरोप: संयुक्त अरब अमीरात के लिए अवैध लॉबिंग और न्याय में बाधा डालना. 2021 में गिरफ्तार हुए.
ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में एफबीआई का नेतृत्व करने वाले पहले भारतीय-अमेरिकी काश पटेल भी विवादास्पद नाम हैं. इसके अलावा अन्य विवादास्पद नियुक्तियों में ट्रम्प का दामाद जेरेड कुशनर, जेरेड के पिता चार्ल्स कुशनर का नाम भी है, जिनके बारे में हमने ‘हरकारा’ के 6 दिसंबर के अंक में विस्तार से बताया है.
तेज़ी से बदलती हुई सीरिया की सूरत
सीरिया में विद्रोही गुटों ने होम्स और दमिश्क की ओर तेजी से बढ़ते हुए कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है. विद्रोहियों के बढ़ते हमलों के चलते होम्स और राजधानी दमिश्क जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर खतरा मंडरा रहा है. विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम के नेतृत्व में यह हमले सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन को गहरा झटका दे रहे हैं. विद्रोहियों ने पहले हामा शहर पर कब्जा किया और फिर होम्स के नज़दीक के इलाकों पर नियंत्रण कर लिया. विद्रोही खबर लिखे जाने तक होम्स से केवल 5 मील दूर थे. सीरिया का गृहयुद्ध 2011 में शुरू हुआ था और तब से यह देश लगातार संघर्ष और अस्थिरता का शिकार है. विद्रोही गुटों और सरकार के बीच टकराव के कारण लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा है और देश की अर्थव्यवस्था तथा संरचना को भारी नुकसान हुआ है.
भारत ने सीरिया के लिए यात्रा परामर्श (ट्रैवल एडवाइजरी) जारी की, नागरिकों से कहा- 'जल्द से जल्द देश छोड़ें': विदेश मंत्रालय (MEA) ने भारतीय नागरिकों से जल्द से जल्द सीरिया छोड़ने को कहा है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां विद्रोही समूह शहरों में घुसपैठ कर रहे हैं. जिन नागरिकों के लिए सीरिया छोड़ना तुरंत संभव नहीं है, उन्हें अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता देने, घर में रहने, अनावश्यक आवाजाही से बचने और अत्यधिक सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है.
क्या है अब तक की कहानी:
विद्रोहियों ने दक्षिणी शहर डेरा और उसके आस-पास के इलाकों पर कब्जा किया.
सेना के अधिकारियों को दमिश्क सुरक्षित पहुंचाने के लिए विद्रोहियों से समझौता हुआ.
रूस ने अपने नागरिकों को सीरिया छोड़ने का आदेश दिया.
तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान ने विद्रोहियों का समर्थन किया और कहा कि ‘दमिश्क पर बढ़त जारी रहनी चाहिए.’
तुर्की, ईरान और रूस के विदेश मंत्री स्थिति पर चर्चा के लिए बैठक करेंगे.
सीरियाई और रूसी सेना ने हामा और होम्स के बीच हवाई हमले किए. एक पुल तोड़ा गया है, जिससे विद्रोहियों की आपूर्ति श्रृंखला को बाधित किया जा सके.
पूर्वी शहर देइर एज-ज़ोर पर अमेरिकी समर्थित कुर्दिश और अरब बलों ने कब्जा कर लिया.
विद्रोहियों ने होम्स और अन्य क्षेत्रों में लोगों से "उठ खड़े होने" का आह्वान किया.
हजारों नागरिक दमिश्क और लटाकिया की ओर पलायन कर रहे हैं.
स्वैदा प्रांत में स्थानीय लोगों ने टैंकों पर कब्जा कर लिया और एक पुलिस स्टेशन को नियंत्रित कर लिया.
असद सरकार ने तेजी से प्रतिक्रिया देते हुए अतिरिक्त सैन्य बलों को तैनात किया है. सरकारी बल विद्रोही गुटों को पीछे हटाने और उनके गढ़ों को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
चलते-चलते : तो अकबर के राज में बने इतने सारे मंदिर
इन दिनों मस्जिद (खास तौर पर मुगल काल की मस्जिदों) के नीचे मंदिर तलाशने के लिए ‘सर्वे’ किए जा रहे हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि नीचे मंदिर हैं या नहीं. मशहूर इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल के बेटे ने इस बीच अपने सब्सटैक पेज पर उन मंदिरों के निर्माण के बारे में बताया है, जो मुगलों के संरक्षण में किये गये थे. सैम कहते हैं, मुगलकाल में मंदिरों का विनाश आज भारत में गंभीर राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है. मगर मुगलों के अधीन मंदिरों के निर्माण को उसी तरह अनदेखा कर दिया जाता है, जैसे इस्तांबुल के ऑटोमन सिनेगॉग या इस्फहान के सफवीद चर्चों को. वे मुगल वास्तुकला के बारे में हमारे तयशुदा विचारों में फिट नहीं बैठते.
सैम इतिहास के हवाले से बताते हैं कि अकबर के शासनकाल में 12वीं सदी के बाद सबसे अधिक मंदिर बनाए गए थे और वे उस समय तक उत्तर भारत में बनाए गए किसी भी मंदिर से बड़े थे. सिर्फ भोपाल के पास स्थित भोजेश्वर मंदिर ही अकबर युग के वाराणसी, वृंदावन और पुरी के मंदिरों या फिर जहांगीर युग के ओरछा और मथुरा के मंदिरों के भव्यता की बराबरी करता है. अकबरकाल में न सिर्फ हिंदू मंदिर बने, बल्कि जैन मंदिर भी खूब बने.
1990 के दशक के आखिर में वृंदावन के राधारमण मंदिर के सबसे कम उम्र के आचार्यों में से एक श्रीवत्स गोस्वामी, जिन्हें इतिहास के महान विद्वानों में से एक माना जाता है, को अपने ऐतिहासिक मंदिर के समृद्ध अभिलेखागार में धूल फांक रहा मुगलकालीन फरमानों का ढेर मिला. उनकी उत्सुकता इसके बारे में जानने की जग गई और वे अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में तारापद मुखर्जी और इरफ़ान हबीब के पास इन फरमानों को लेकर पहुंच गए. फारसी भाषा के दस्तावेजों को देख हबीब और मुखर्जी में पहले थोड़ी घबराहट हुई. वह इस बात से चिंतित थे कि कुछ ही साल पहले ‘बाबरी मस्जिद जमींदोज हुई है और अब ये ऐतिहासिक दस्तावेज. पता नहीं फिर कौन-सा जख्म हरा कर दें. मगर उन्हें इसे पढ़ते ही ये अहसास हो गया कि उन्होंने जो पाया है, वह नायाब है.
ये वे दस्तावेज थे, जिनमें सिर्फ ब्रज के 35 मंदिरों के लिए धन और भूमि का प्रावधान किया गया था, जो अब तक भूली कहानी थी. बाकी देश भर में भी अकबरकालीन मंदिरों के बारे में इस आलेख में विस्तार से बताया गया है.
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