09/04/2025: यूपी सरकार और टीएन के राज्यपाल पर सुप्रीम कोर्ट गुस्सा | सबसे बड़ी लाभार्थी भाजपा | सदगुरू के स्कूल में यौन शोषण की शिकायतें | अयोध्या में एक प्राण प्रतिष्ठा और | तंत्र, बलि, बलात्कार
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां :
यूपी में कानून व्यवस्था ध्वस्त, ये हो क्या रहा है : सुप्रीम कोर्ट
दलित नेता के कारण मंदिर शुद्ध करवाने वाले आहूजा पार्टी से निलंबित
सभी हिंदुओं पर शाकाहार थोपना गलत है
सदगुरू के स्कूल में बच्चों के यौन शोषण के मामले
नया वक़्फ़ कानून मुस्लिमों को तंग करेगा
पन्नू की हत्या की साजिश में यूएस जज ने गुप्ता की ट्रायल डेट सेट की
वक्फ : उमर के रुख से हैरानी, “फोटुओं” ने नाराज़ लोगों के घावों पर नमक छिड़का
चुनावी चंदा : भाजपा फिर सबसे बड़ी लाभार्थी, कुल चंदे का 88% ले गई, कॉर्पोरेट का भी 91.2%
तंत्र विद्या से धनवर्षा का लालच देकर रेप और बलि :यूपी समेत कई प्रदेश में नेटवर्क, अब तक स्टेशन मास्टर समेत 15 गिरफ्तार
टीके अरूण : भारतीय स्टार्टअप्स की कामयाबी सिस्टम के कारण नहीं बल्कि उसके बावजूद
कामरा का गाना बजाकर शिंदे का किसानों ने किया विरोध, बुक माय शो से कॉमेडियन ने मांगा जवाब
अमेरिकी शेयर बाजार में उछाल, टैरिफ युद्ध और वैश्विक मंदी की आशंका
यूक्रेन ने रूसी सेना में लड़ रहे दो चीनी नागरिकों को पकड़ा
"गेम आफ थ्रोन्स" से प्रेरित: डायर वुल्फ़ का पुनर्जन्म, एक क्रांतिकारी वैज्ञानिक उपलब्धि
तमिलनाडु के राज्यपाल को सुप्रीम कोर्ट की लताड़
10 विधेयक रोकने के फैसलों को बताया अवैध
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि द्वारा दो से पाँच वर्षों तक रोक कर रखे गए 10 विधेयकों को "अवैध और रद्द किए जाने योग्य" घोषित कर दिया. कोर्ट ने कहा कि यह मनमाना कदम है और कानून के नजरिए से सही नहीं है. “राज्यपाल संविधान की शपथ लेते हैं, लिहाजा उन्हें राजनीतिक फायदे के हिसाब से काम नहीं करना चाहिए.”
“लाइव लॉ” की रिपोर्ट के अनुसार न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि राज्यपाल रवि ने "सद्भावना से कार्य नहीं किया," क्योंकि उन्होंने इन विधेयकों को लंबे समय तक रोक कर रखा और केवल पंजाब के राज्यपाल के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद राष्ट्रपति को भेजा. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्यपाल इस प्रकार विधायिका के निर्णय को वीटो नहीं कर सकते.
न्यायाधीशों ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति द्वारा इन विधेयकों पर उठाए गए बाद के कदम भी मान्य नहीं हैं. जजों ने कहा, "हम किसी भी प्रकार से सरकार के कार्यालय को कमजोर नहीं कर रहे हैं. हमारा कहना केवल इतना है कि राज्यपाल को संसदीय लोकतंत्र की स्थापित परंपराओं का सम्मान करते हुए, विधायिका और जनता के प्रति उत्तरदायी निर्वाचित सरकार के माध्यम से व्यक्त जन इच्छा का आदर करना चाहिए. " सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि उनके शपथ ग्रहण ने "न केवल उनके अधिकार क्षेत्र को स्पष्ट किया है, बल्कि राज्यपाल से यह अपेक्षा भी की जाती है कि वह अपने कार्यों की संवेदनशील और जटिल प्रकृति तथा इसके परिणामस्वरूप राज्य पर पड़ने वाले प्रभावों को ध्यान में रखें."
"इसलिए, राज्यपाल को सचेत रहना चाहिए कि वह राज्य विधानसभा के कार्यों में बाधा न डालें या राज्य की जनता की इच्छा को राजनीतिक लाभ के लिए बाधित न करें. राज्य विधानसभा के सदस्य, जिन्हें राज्य की जनता ने लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति के परिणामस्वरूप चुना है, राज्य की जनता की भलाई सुनिश्चित करने के लिए बेहतर रूप से सक्षम हैं. इसलिए, जनता की स्पष्ट इच्छा, यानी राज्य विधानसभा के विपरीत कोई भी कार्य, संवैधानिक शपथ का उल्लंघन होगा. मामले से अलग होने से पहले, हम यह कहना उचित समझते हैं कि उच्च पद पर आसीन संवैधानिक अधिकारियों को संविधान के मूल्यों द्वारा निर्देशित होना चाहिए," देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा. अपने ऑर्डर में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के लिए टाइमलाइन भी तय कर दी है.
यूपी में कानून व्यवस्था ध्वस्त : सुप्रीम कोर्ट
उत्तरप्रदेश पुलिस द्वारा दीवानी (सिविल) मामलों को बार-बार आपराधिक (क्रिमिनल) मामलों में बदलने पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है. “लाइव लॉ” की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने कहा, "यह गलत है. उत्तर प्रदेश में क्या हो रहा है? हर दिन सिविल मुकदमों को आपराधिक मामलों में बदला जा रहा है. यह बिल्कुल सही नहीं है! यह कानून व्यवस्था का पूरी तरह से ध्वस्त होना है."
सीजेआई संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार एवं के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने एक अपील की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. अपील में दो याचिकाकर्ताओं के खिलाफ चेक बाउंस मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की गई थी. इन पर आपराधिक विश्वासघात, आपराधिक धमकी और आपराधिक साजिश का आरोप लगाया गया था. सीजेआई ने यह देखते हुए कि मामला एक सिविल विवाद से संबंधित था, उत्तर प्रदेश पुलिस को सिविल प्रकृति के विवादों को गलत तरीके से आपराधिक मामलों में बदलने की प्रवृत्ति के लिए फटकारा.
सुप्रीमकोर्ट ने उत्तरप्रदेश के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि वह अदालत के पूर्व निर्देशों का पालन करने के लिए उठाए गए कदमों पर शपथपत्र दाखिल करें. सीजेआई खन्ना ने कहा, "उन्हें शपथपत्र दाखिल करने दें. यह कानून व्यवस्था का पूरी तरह से ध्वस्त होना है. सिविल मामलों को आपराधिक मामलों में बदलना स्वीकार्य नहीं है, और यदि इसका पालन नहीं किया जा रहा है तो जुर्माना लगाया जाएगा ताकि पालन सुनिश्चित किया जा सके."
दलित नेता के प्रवेश के बाद मंदिर को शुद्ध करवाने वाला नेता भाजपा से निलंबित
“द वायर” में दीप मुखर्जी की रिपोर्ट है कि राजस्थान भाजपा ने मंगलवार को पार्टी नेता और तीन बार के पूर्व विधायक ज्ञान देव आहूजा को निलंबित कर उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. यह कार्रवाई उनके उस दावे के बाद हुई, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने अलवर में एक मंदिर को "शुद्ध" किया क्योंकि "सनातन विरोधी" कांग्रेस नेता टीका राम जूली, जो दलित समुदाय से आते हैं, वहां गए थे. भाजपा ने आहूजा की टिप्पणी से दूरी बना ली है. बता दें, टीकाराम जूली रामनवमी के दिन अलवर में एक मंदिर में गए थे. वह पहले दलित नेता हैं, जो राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का दायित्व संभाल रहे हैं. भाजपा, आहूजा के कारण बैकफुट पर है और उससे जवाब देते नहीं बन रहा है.
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब आहूजा ने भाजपा को मुश्किल में डाला है. अगस्त 2022 में, पार्टी ने उनके उस बयान से दूरी बना ली थी जिसमें उन्होंने कथित तौर पर गाय तस्करों का संदर्भ देते हुए दावा किया था कि उन्होंने पांच लोगों को मार दिया है. एक वीडियो में अहूजा को अपने बगल में बैठे व्यक्ति से कहते हुए सुना गया, “पंडितजी, अब तक तो पांच हमने मारे हैं, लालवंडी में मारा, चाहे बहरोड़ में मारा, चाहे (अस्पष्ट) में मारा, अब तक तो पांच हमने मारे हैं. इस इलाके में पहली बार हुआ है कि उन्होंने मारा है.”
बहरोड़ में अप्रैल 2017 में डेयरी किसान पहलू खान की कथित तौर पर मॉब लिंचिंग हुई थी, जबकि जुलाई 2018 में रामगढ़ पुलिस स्टेशन के अंतर्गत लालवंडी में रकबर खान की कथित तौर पर लिंचिंग की गई थी.
एक वीडियो में आहूजा ने कहा, "मैंने खुल्लमखुल्ला छूट दे रखी है कार्यकर्ताओं को, मारो साले** को जो गोकशी (अस्पष्ट)... बरी भी करवाएंगे, जमानत भी करवा देंगे."** इन बयानों के आधार पर अलवर पुलिस ने मौके पर मौजूद एक बीट कांस्टेबल की शिकायत पर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया. 2021 में आहूजा पर एक घृणास्पद भाषण के मामले में केस दर्ज हुआ.
ब्यावर निवासी आहूजा का आरएसएस से संबंध काफी पुराना है, जो हिंदू जागरण मंच, भारतीय मजदूर संघ और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी)से शुरू हुआ. फरवरी 2016 में उन्होंने कहा था कि "जेएनयू परिसर में प्रतिदिन 3,000 बीयर के कैन और बोतलें, 2,000 देशी शराब की बोतलें, 10,000 सिगरेट के टुकड़े, 4,000 बीड़ी के टुकड़े, 50,000 हड्डियों के बड़े और छोटे टुकड़े, चिप्स और नमकीन के 2,000 पॉलीथीन (रैपर), और 3,000 से अधिक इस्तेमाल किए गए कंडोम पाए जाते हैं. इसके अलावा, 500 गर्भपात के लिए इस्तेमाल किए गए इंजेक्शन भी मिलते हैं. यहां लड़के और लड़कियां सांस्कृतिक कार्यक्रमों में नंगे होकर नृत्य करते हैं. "
अयोध्या में अगले माह एक और “प्राण प्रतिष्ठा”
राम लला की "प्राण प्रतिष्ठा" समारोह के एक साल से अधिक समय बाद, अयोध्या के भव्य राम मंदिर में अगले महीने एक और प्राण प्रतिष्ठा समारोह होगा. यह कार्यक्रम भगवान राम के राजा के रूप में अभिषेक का प्रतीक होगा और यह मंदिर की पहली मंजिल पर इसी महीने राम दरबार (शाही दरबार) की स्थापना के बाद आयोजित किया जाएगा. समारोह की तैयारियाँ चल रही हैं. जानकार सूत्रों के अनुसार यह पिछले साल 22 जनवरी को हुए भव्य आयोजन की तुलना में कम विस्तृत होगा. पिछले साल के कार्यक्रम में 8,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया था, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी.
सदगुरू के स्कूल में बच्चों के यौन शोषण के मामले
‘द न्यूज मिनट’ नें "आध्यात्मिक उद्योग" पर केंद्रित श्रृंखला के अंतर्गत यह रिपोर्ट ईशा फाउंडेशन और उसके संस्थापक सदगुरु जग्गी वासुदेव के खिलाफ गंभीर आरोपों पर प्रकाश डालती है.
दीपिका* और उनके पति वल्लभ* 2014 से ईशा फाउंडेशन के अनुयायी रहे हैं. दीपिका ने ईशा होम स्कूल (आईएचएस) में दो वर्षों तक शिक्षिका के रूप में भी काम किया, लेकिन अक्टूबर 2024 में उन्होंने सार्वजनिक रूप से "ईशा पंथ" को उजागर करने का फैसला किया.
दीपिका के अनुसार, उनके बेटे सागर* के साथ आईएचएस में एक सहपाठी द्वारा यौन उत्पीड़न किया गया था. जब 2019 में उन्हें इसका पता चला, तो उन्होंने स्कूल से संपर्क किया. आरोपी छात्र को शुरू में स्कूल से निकाला गया, लेकिन जल्द ही वापस ले लिया गया.
दीपिका को जानकारी मिली कि स्कूल में एक अन्य छात्र की मृत्यु हुई थी और अमेरिका में रहने वाले एक दंपति ने आरोप लगाया था कि उनकी बेटी के साथ स्कूल में एक शिक्षक द्वारा यौन उत्पीड़न किया गया था. ये घटनाएँ दीपिका को अपने बेटे के मामले में न्याय की मांग के लिए सार्वजनिक होने के लिए प्रेरित करती हैं.
नंदिनी* और विनायक* नामक एनआरआई दंपति ने ‘द न्यूज मिनट’ को बताया कि उनकी 7 वर्षीय बेटी अनु* के साथ 2007 से 2010 के बीच आईएचएस में एक शारीरिक प्रशिक्षण शिक्षक द्वारा दो वर्षों तक यौन उत्पीड़न किया गया था. अनु ने 14 वर्ष की उम्र में ही अपने माता-पिता को इस बारे में बताया.
मद्रास उच्च न्यायालय में चल रहे एक उच्च-स्तरीय मामले की सुनवाई के दौरान, अदालत ने कोयंबटूर में आध्यात्मिक ट्रस्ट के परिसर की पुलिस तलाशी का आदेश दिया था, जिससे दीपिका और वल्लभ को सार्वजनिक रूप से सामने आने का साहस मिला.
अब, कम से कम दो अभिभावक जोड़े और कुछ पूर्व 'सद्गुरु' अनुयायी जग्गी वासुदेव से जवाबदेही की मांग कर रहे हैं. दो पुलिस शिकायतें दर्ज की गई हैं और एक विदेशी स्वयंसेवक ने ईशा से संपर्क किया है.
हालांकि, ईशा अपनी पूरी ताकत के साथ प्रतिरोध कर रहा है. उसने दीपिका द्वारा प्रस्तुत संस्करण पर सवाल उठाया है और प्रसिद्ध तमिल पत्रकार नक्खीरन गोपाल और उनके प्रकाशन नक्खीरन के साथ-साथ यूट्यूबर श्याम मीरा सिंह के खिलाफ अदालत में मुकदमा दायर किया है. ईशा ने इसे अपने खिलाफ "समन्वित, निहित स्वार्थों वाले और विफल हमलों" की श्रृंखला कहा है. (* बदले हुए नामों के लिए)
तंत्र विद्या से धनवर्षा का लालच देकर बलात्कार और बलि: स्टेशन मास्टर समेत 15 गिरफ्तार
‘भास्कर’ के अलग-अलग रिपोर्टर ने यूपी में तांत्रिकों के जाल को खंगालती कई ग्राउंड रिपोर्ट की है. जागृति राय की रिपोर्ट है कि उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सक्रिय ‘धनवर्षा गैंग’ ने गरीब परिवारों की 350 से अधिक लड़कियों को तांत्रिक अनुष्ठानों के नाम पर यौन शोषण का शिकार बनाया. संभल, आगरा, बुलंदशहर, एटा, फिरोजाबाद व इटावा सहित राजस्थान के जयपुर तक फैले इस गिरोह ने "धनवर्षा" का झांसा देकर युवतियों से नग्न वीडियो बनवाए और तांत्रिक क्रियाओं के बहाने शोषण किया. पुलिस ने कई आरोपियों को गिरफ्तार कर मोबाइल से अश्लील वीडियो और दुर्लभ जीवों की तस्करी के सबूत बरामद किए हैं. गिरोह के सदस्य लड़कियों के निजी विवरण फॉर्म में भरवाकर चयन करते थे. मामले में मथुरा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और रेलवे स्टेशन मास्टर तक के नाम सामने आए हैं. ‘भास्कर’ के लिए ही सचिन गुप्ता की रिपोर्ट है कि पुलिस को आरोपियों के मोबाइल फोन से 350 से अधिक लड़कियों की तस्वीरें और वीडियो मिले हैं, जो इस घिनौने कृत्य की पुष्टि करते हैं. यह भी खुलासा हुआ है कि ये तांत्रिक युवकों और युवतियों का तांत्रिक अनुष्ठानों के नाम पर यौन शोषण करते हैं. वे किसी न किसी बहाने से ग्रामीणों को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले जाते थे. फिर तांत्रिक क्रियाओं के नाम पर उनका यौन शोषण करते और कुछ मामलों में बलि तक दे देते थे.
मुख्य बिंदु संक्षेप में:
शिकार: गिरोह का निशाना अधिकतर गरीब, कुंवारी, निष्कलंक, लंबी और गोरी लड़कियाँ थीं. उन्हें फॉर्म भरवाकर पूरी जानकारी ली जाती थी, जिसमें उनके शरीर, संबंध और शारीरिक निशानों के बारे में विवरण मांगा जाता था.
फर्जी अनुष्ठान: तथाकथित तांत्रिक गुरु उन्हें एकांत में बुलाकर ‘प्रसाद’ खिलाते और बेहोश कर उनके साथ दुष्कर्म करते. अगर धनवर्षा नहीं होती, तो दोष लड़की पर मढ़ दिया जाता.
धोखे का तरीका: ग्रामीणों को लुभाने के लिए वीडियो दिखाए जाते थे, जिनमें नग्न लड़की और पैसे से भरे कार्टन दिखते थे. दावा किया जाता था कि अनुष्ठान सफल हुआ है और नोट बरसे हैं.
अंधविश्वास और लालच: गिरोह उल्लू, दो सिर वाले साँप, 20 नाखूनों वाले कछुए, और साही के काँटों जैसे जीवों को तंत्र साधना के लिए उपयोग करता था, जिससे अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव तस्करी से भी संबंध की आशंका है.
अन्य खुलासे: जन्म से असामान्य बच्चों के माता-पिता को भी तंत्र साधना के लिए बहकाया गया.
गिरफ्तारी: अब तक 15 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, जिनमें मथुरा का एक प्रोफेसर और आगरा का एक रेलवे स्टेशन मास्टर भी शामिल हैं.
सभी हिंदुओं पर शाकाहार थोपना गलत है
देवदत्त पटनायक ने ‘डैक्कन हेराल्ड’ में कई तथ्यों के साथ भारत में शाकाहारी भोजन थोपे जाने पर सवाल किये हैं. पटनायक के अनुसार कई तीर्थ स्थलों को शाकाहारी बनाया जा रहा है, जबकि भारत की 80% आबादी मांसाहारी है. कश्मीर, बंगाल और ओडिशा के ब्राह्मण भी मांस खाते हैं. प्राचीन हिंदू ग्रंथों में मांस खाने के कई उदाहरण हैं. महाभारत में रंतिदेव की रसोई, नल द्वारा मांसोदन व्यंजन आदि. भारत में विविध समुदायों के अपने खान-पान हैं. कश्मीरी पंडित शिव-शक्ति पूजा में मटन चढ़ाते हैं, महाराष्ट्र के मछुआरे गौरी को मछली अर्पित करते हैं, पुरी में विमला देवी को बकरे की बलि दी जाती है. शाकाहार को शुद्धता और अहिंसा से जोड़कर व्यापारिक समुदायों द्वारा एक रूढ़िवादी विचारधारा को बढ़ावा दिया जा रहा है. राजनीतिक संगठन एक भाषा, एक रंग और अब एक आहार को बढ़ावा देकर विविधता को नकार रहे हैं. पटनायक तर्क देते हैं कि ब्राह्मणवादी खान-पान को "सही हिंदू आहार" बताना एक राजनीतिक मिथ्या है और विविध धार्मिक परंपराओं का सम्मान करने की आवश्यकता है.
नया वक़्फ़ कानून मुस्लिमों को तंग करेगा: अजाज़ अशरफ ने ‘मिड डे’ में नए वक्फ कानून 'उम्मीद' पर भेदभाव को रेखांकित किया है. उनके मुताबिक नए वक्फ कानून, जिसे विडंबनापूर्ण रूप से 'उम्मीद' (UMEED) एक्ट कहा जा रहा है, पर मुसलमानों के साथ भेदभाव करने और उनकी सामूहिक संपत्तियों पर कब्जे को प्रोत्साहित करने का आरोप है. यह कानून राज्य वक्फ बोर्डों में मुसलमानों के सुनिश्चित बहुमत को समाप्त करता है. कानून के तहत, 11 सदस्यीय बोर्ड में केवल 4 सदस्यों का मुस्लिम होना अनिवार्य है, जबकि अन्य 7 गैर-मुस्लिम हो सकते हैं. सभी सदस्य राज्य सरकार द्वारा मनोनीत किए जाएंगे, जो पहले के निर्वाचित सदस्यों वाले प्रावधान के विपरीत है और बोर्ड की स्वायत्तता खत्म करता है. आलोचकों का कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 26 (धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन का अधिकार) और अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) का उल्लंघन है, क्योंकि कई हिंदू न्यासों में गैर-हिंदुओं का प्रबंधन वर्जित है. मनोनीत बोर्डों से सरकारी कब्जे का विरोध करने की उम्मीद कम है, जैसा उज्जैन में देखा गया. यह कानून वक्फ भूमि पर कब्जे को आसान बनाता है और कानूनी प्रक्रिया को लंबा खींचता है.
पन्नू की हत्या की साजिश में यूएस जज ने निखिल गुप्ता की ट्रायल डेट सेट की
'द वायर' की रिपोर्ट है कि अमेरिकी नागरिक गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने के आरोप में एक अमेरिकी संघीय न्यायाधीश ने भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता के मुकदमे की सुनवाई 3 नवंबर से शुरू करने का आदेश दिया है. गुप्ता पर आरोप है कि उन्होंने एक पूर्व भारतीय खुफिया अधिकारी की ओर से एक हिटमैन को भुगतान करने के लिए कथित रूप से इस्तेमाल की गई 15,000 अमेरिकी डॉलर की नकदी को बरकरार रखने का निर्देश दिया. इससे पहले, न्यूयॉर्क के साउदर्न डिस्ट्रिक्ट के जज विक्टर मारेरो ने अभियोजन और बचाव पक्ष दोनों से जून या जुलाई में मुकदमा शुरू करने पर विचार करने को कहा था. हालांकि, दोनों पक्षों ने नवंबर की तारीख का अनुरोध किया, क्योंकि वे उम्मीद कर रहे हैं कि मुकदमे से पहले कई याचिकाएं दायर होंगी और उस पर बहस की जाएंगी. अपने आदेश में जज मारेरो ने मुकदमे की शुरुआत 3 नवंबर से तय की है, जिसकी अनुमानित अवधि लगभग एक सप्ताह है.
अक्टूबर 2024 के अभियोग-पत्र के अनुसार, गुप्ता ने कथित हिटमैन को बताया था कि एक सहयोगी, जिसे “व्यक्ति-2” के रूप में पहचाना गया है, भुगतान करेगा. अभियोग में एक तस्वीर भी शामिल है, जिसमें दो लोगों के बीच कार में नकदी का लेन-देन होता दिखाया गया है. दिलचस्प बात यह है कि अमेरिकी सरकार के आवेदन में कहा गया है कि यह पैसा “लगभग 9 जून 2023 को न्यूयॉर्क में 27वीं स्ट्रीट और 11वीं एवेन्यू के पास जी.एस. नामक व्यक्ति से जब्त किया गया था.” गुप्ता, जो एक भारतीय व्यवसायी हैं, पर एक पन्नू की हत्या की साजिश रचने का आरोप है. यह साजिश कथित रूप से भारत की बाह्य खुफिया एजेंसी रॉ के एक पूर्व अधिकारी विकास यादव के कहने पर रची गई थी. हालांकि अदालत के दस्तावेज़ों में संभावित लक्ष्य का नाम नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि वह व्यक्ति अमेरिका में स्थित वकील और प्रतिबंधित संगठन 'सिख्स फॉर जस्टिस' से जुड़े गुरपतवंत सिंह पन्नू हैं. गुप्ता को जून 2023 में चेक गणराज्य में गिरफ्तार किया गया था और एक साल बाद अमेरिका प्रत्यर्पित किया गया.
वक़्फ़ : उमर के रुख से हैरानी, “फोटुओं” ने नाराज़ लोगों के घावों पर नमक छिड़का
सोमवार को उमर अब्दुल्ला की सरकार को विधानसभा के भीतर और बाहर विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा. वक्फ कानून को लेकर मुख्यमंत्री अब्दुल्ला के रुख पर हैरानी व्यक्त की जा रही है. खुद उनकी पार्टी में नाराजगी है. दरअसल, स्पीकर अब्दुल रहीम राथर ने केंद्र के वक्फ अधिनियम, जिसे मुस्लिम विरोधी कानून माना जा रहा है, पर बहस की अनुमति नहीं दी. इसके उलट मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने आलोचकों के घावों पर नमक छिड़कते हुए श्रीनगर के प्रसिद्ध ट्यूलिप गार्डन में एक फोटो खिंचवाई, जिसमें वह संसद में वक्फ बिल पेश करने वाले केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू के साथ थे. बाद में रिजिजू ने भी उमर और उनके पिता फारुक अब्दुल्ला के साथ मुस्कुराते हुए एक फोटो शेयर की. इस घटनाक्रम ने राज्य के वरिष्ठ राजनेताओं, जिनमें सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस के सदस्य भी शामिल हैं, को नाराज़ कर दिया. दिलचस्प यह है कि स्थगन प्रस्ताव भी नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायकों ने ही दिया था. कई लोगों ने आश्चर्य व्यक्त किया कि मुस्लिम-बहुल क्षेत्र में अधिनियम पर बहस कैसे अस्वीकार की गई, जबकि कुछ अन्य राज्यों में इसे अनुमति दी गई है. पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस मामले में तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन का उदाहरण दिया. इस बीच विपक्षी दलों ने मंगलवार को स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया.
चुनावी चंदा :
भाजपा फिर सबसे बड़ी लाभार्थी, कुल चंदे का 88% ले गई, कॉर्पोरेट का भी 91.2%
चुनावी चंदा हासिल करने के मामले में भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर अव्वल रही है. कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों के मुकाबले बीजेपी को कई गुणा अधिक चंदा प्राप्त हुआ है. दूसरे नंबर पर रहने वाली कांग्रेस उससे बहुत पीछे है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा जारी नई रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी को 8,358 चंदों से 2,243.947 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, वहीं कांग्रेस को 1,994 चंदा देने वालों से महज 281.48 करोड़ रुपये. रिपोर्ट के अनुसार भाजपा को मिला चंदा कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, नेशनल पीपुल्स पार्टी और माकपा को मिले कुल चंदे से छह गुणा ज्यादा है. इस रिपोर्ट में चुनाव आयोग के आंकड़ों का विश्लेषण कर बताया गया है कि देश के छह राष्ट्रीय दलों को ₹20,000 से ज्यादा का कुल 2,544.28 करोड़ रुपये का चंदा दिया गया. कॉर्पोरेट या बिजनेस सेक्टर की तरफ से 3755 चंदे दिए गए, जिनकी कुल रकम 2,262.5 करोड़ रुपये रही. यह कुल चंदे का 88.9% हिस्सा है.
कॉर्पोरेट से सबसे ज्यादा चंदा भाजपा को मिला. उसे कॉर्पोरेट सेक्टर से कुल 3,478 चंदों के जरिए 2,064.58 करोड़ रुपये मिले. इसके अलावा व्यक्तिगत तौर पर 4,628 लोगों ने पार्टी को 169.12 करोड़ रुपये का चंदा दिया. वहीं कांग्रेस को 190.3 करोड़ रुपये का कॉर्पोरेट चंदा और निजी तौर पर अन्य लोगों से 90.89 करोड़ रुपये प्राप्त हुए. रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ कॉर्पोरेट चंदे में भाजपा को बाकी सभी पार्टियों के मुकाबले 9 गुना ज्यादा चंदा मिला और वह सबसे बड़ी लाभार्थी रही. कुलमिलाकर, भाजपा ने राजनीतिक दलों को मिले कुल चंदे का 88% प्राप्त किया. सभी राजनीतिक दलों को मिलने वाले कॉर्पोरेट चंदे का भी 91.2% (2064.58 करोड़ रुपये) बीजेपी को मिला.
विश्लेषण
टीके अरूण: भारतीय स्टार्टअप्स की कामयाबी सिस्टम के कारण नहीं बल्कि उसके बावजूद
हाल ही में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भारतीय स्टार्टअप्स की आलोचना की, जो फूड डिलीवरी और आइसक्रीम पर ध्यान केंद्रित करते हैं, बजाय सेमीकंडक्टर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी रणनीतिक चुनौतियों के लिए हार्ड टेक विकसित करने के. स्टार्टअप समुदाय ने जवाब में पूछा कि सरकार ने जोखिम भरे हार्ड-टेक क्षेत्रों के लिए कितनी फंडिंग उपलब्ध करवाई है. वरिष्ठ बिजनेस एडिटर टीके अरुण ने ‘द फेडरल’ पर सरकार और पीयूष गोयल को थोड़ा असलियत की घु्ट्टी पिलाने की कोशिश की है.
वास्तव में, मंत्री का यह अपेक्षा रखना सही है कि भारत के प्रतिभावान युवा राष्ट्र की रणनीतिक चुनौतियों के समाधान में योगदान दें, लेकिन उद्यम पूंजीपति मोहनदास पाई का यह इंगित करना भी सही है कि भारतीय स्टार्टअप्स को चीन या अमेरिका की तुलना में बहुत कम फंडिंग मिलती है. पाई के अनुसार, 2014-24 के दौरान भारतीय स्टार्टअप्स को 160 अरब डॉलर मिले, जबकि चीन को 845 अरब डॉलर और अमेरिका को 2.3 ट्रिलियन डॉलर मिले.
सिर्फ स्टार्टअप्स ही नहीं, भारत के बड़े व्यापारिक घराने भी कठिन तकनीकी क्षेत्रों से दूर रहते हैं. बिड़ला समूह सेमीकंडक्टर की बजाय पेंट में प्रवेश कर रहा है. सज्जन जिंदल स्टील से एयरलाइंस और विदेशी साझेदार के साथ ऑटोमोबाइल में विविधता ला रहे हैं. अडाणी समूह अनुसंधान के बजाय पैमाने के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा की लागत कम करने का प्रयास कर रहा है.
भारत अनुसंधान और विकास पर जीडीपी का मात्र 0.65% खर्च करता है, जबकि अमेरिका 3.46%, चीन 2.43%, दक्षिण कोरिया 4.93% और इज़राइल 5.56% खर्च करते हैं. वैश्विक नवाचार सूचकांक में भारत 39वें स्थान पर है, जबकि चीन 11वें स्थान पर. संस्थागत क्षमता पर भारत 54वें, शिक्षा पर 82वें और निजी क्षेत्र को घरेलू ऋण पर 68वें स्थान पर है.
शासन की कमी और धन की कमी ही भारतीय स्टार्टअप्स को प्रतिबंधित करने वाले एकमात्र कारक नहीं हैं. भारत की जाति व्यवस्था भी शैक्षिक उत्कृष्टता और उद्यमिता को कई तरीकों से बाधित करती है. सदियों तक समाज के बहुमत के लिए ज्ञान का अध्ययन और खोज संस्थागत रूप से प्रतिबंधित थी.
जाति प्रणाली औपचारिक रूप से समाप्त हो गई है, लेकिन संस्कृति जारी है और विद्वानी उत्कृष्टता भारत की आबादी के विशाल वर्गों के लिए सांस्कृतिक प्राथमिकता नहीं है. कक्षा में पदानुक्रम भी नवाचार को हतोत्साहित करता है , शिक्षक और उसके द्वारा दिए गए ज्ञान पर सवाल नहीं उठाया जा सकता.
इन सीमाओं के बावजूद, भारत दुनिया में यूनिकॉर्न का तीसरा सबसे बड़ा झुंड है - वे स्टार्टअप्स जिनका मूल्यांकन 1 अरब डॉलर से अधिक है.
समाज की पूर्ण उत्पादक क्षमता को मुक्त करने के लिए, सामाजिक एकता आवश्यक है. यदि भारतीय धार्मिक अल्पसंख्यक शांति और सम्मान से नहीं रह सकते, तो यह बड़े समाज को भी प्रभावित करता है. कल्पना कीजिए कि क्या होगा अगर भारत की दो-तिहाई आबादी, जो 35 वर्ष से कम उम्र की है, आलोचनात्मक सोच और जोखिम लेने की क्षमता हासिल कर ले?
स्टार्टअप्स को दोष देने से मदद नहीं मिलेगी. सरकार और राजनीतिक दलों का काम एक ऐसे समाज का निर्माण करना है, जिसमें यह संभव हो.
कामरा का गाना बजाकर शिंदे का किसानों ने किया विरोध, बुक माय शो से कॉमेडियन ने मांगा जवाब

यह एक दुर्लभ क्षण था जब विरोध और प्लेलिस्ट का अनोखा मेल देखने को मिला. प्रस्तावित शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे का विरोध कर रहे किसानों ने शनिवार को कोल्हापुर में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का स्वागत न तो फूल-मालाओं से किया, न ही काले झंडों से, बल्कि तेज़ आवाज़ में लाउडस्पीकरों से बजते हुए कॉमेडियन कुणाल कामरा के विवादित पैरोडी गीत से किया. कामरा ने ऑनलाइन टिकटिंग प्लेटफ़ॉर्म 'बुक माय शो' से यह पुष्टि मांगी है कि क्या वास्तव में उनके शो को मंच से हटा दिया गया है और उन्हें कलाकार के रूप में डीलिस्ट कर दिया गया है. यह कदम उस दिन के बाद सामने आया जब शिवसेना (शिंदे गुट) के एक युवा नेता ने ‘नया भारत’ नामक उनके हालिया कॉमेडी स्पेशल को लेकर आपत्ति जताते हुए मंच से उनके शो न कराने का अनुरोध किया था. कुणाल कामरा के शो के वेन्यू पर भी शिंदे समर्थकों ने तोड़फोड़ की थी.
इस पर कामरा ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर 'बुक माय शो' को टैग करते हुए लिखा — “हेलो @bookmyshow, क्या आप कृपया यह पुष्टि कर सकते हैं कि मेरे शो अब भी आपके प्लेटफॉर्म पर लिस्ट हो सकते हैं? अगर नहीं, तो कोई बात नहीं. मैं समझता हूं.” साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि वे 'बुक माय शो' के बहिष्कार के पक्ष में नहीं हैं. उन्होंने लिखा — “दर्शकों के लिए: मैं बहिष्कार या किसी प्राइवेट कंपनी को डाउनरेट करने के पक्ष में नहीं हूं… 'बुक माय शो' को अपने बिज़नेस के हित में निर्णय लेने का पूरा हक है.” इस विवाद और बढ़ती आलोचनाओं के बीच, बुक माय शो ने एक अस्पष्ट-सी प्रतिक्रिया दी है. अब आप जैसा चाहें, उसका अर्थ निकाल सकते हैं.
इधर, 'टेलिग्राफ' की खबर है कि बॉम्बे हाई कोर्ट की एक पीठ ने मुंबई पुलिस और शिवसेना विधायक मुरजी पटेल को नोटिस जारी किया है, जो कि कुणाल कामरा द्वारा खार पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर को रद्द कराने की याचिका पर सुनवाई के सिलसिले में है. यह एफआईआर पटेल की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप था कि एक कॉमेडी शो के दौरान कामरा ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को 'गद्दार' कहा था. सुनवाई के दौरान कामरा के वकील ने कहा कि मुंबई पुलिस ने उन्हें समन भेजा है, जबकि कामरा कई बार यह स्पष्ट कर चुके हैं कि मुंबई यात्रा करने में उन्हें अपनी जान का खतरा महसूस होता है. वकील ने कहा कि "ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस का उद्देश्य उनके बयान को रिकॉर्ड करना कम और उन्हें जबरदस्ती मुंबई लाना अधिक है."
अमेरिकी शेयर बाजार में उछाल, टैरिफ युद्ध और वैश्विक मंदी की आशंका, चीन पर 104% शुल्क
पिछले तीन कारोबारी सत्रों में भारी गिरावट के बाद, अमेरिकी शेयर बाजारों ने मंगलवार को जोरदार वापसी की. निवेशकों ने आधी रात को टैरिफ में एक और नियोजित वृद्धि से पहले राहत की सांस ली. डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में 1,360 अंक (3.6%), S&P 500 में 3.4% और नैस्डैक कंपोजिट में 3.76% की बढ़त दर्ज की गई. यह उछाल ऐसे समय में आया है जब वॉल स्ट्रीट पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ नीतियों के कारण अमेरिका और वैश्विक अर्थव्यवस्था के मंदी में जाने का डर गहरा गया था. अमेरिकी बाजारों में उछाल के साथ, एशियाई और यूरोपीय बाजारों में भी मंगलवार को तेजी देखी गई. जापान का निक्केई 6% और हांगकांग का हैंग सेंग (जो एक दिन पहले 13% से अधिक गिरा था) 1.5% बढ़ा. यूरोपीय स्टॉक्स 600 सूचकांक में भी 2.7% की वृद्धि हुई.
इधर, व्हाइट हाउस ने घोषणा की है कि चीन से आयातित कुछ वस्तुओं पर नया टैरिफ 9 अप्रैल से प्रभावी होगा, जो अब 104% तक पहुंच जाएगा. डोनाल्ड ट्रम्प ने चेतावनी दी थी कि यदि बीजिंग अमेरिका के इन टैरिफ का जवाब पलटवार कर देता है, तो वे चीन से आयातित वस्तुओं पर अतिरिक्त 50% शुल्क और लगा देंगे.
हालांकि, भविष्य अनिश्चित बना हुआ है. ट्रम्प के सख्त रुख और चीन के जवाबी संकल्प को देखते हुए, किसी त्वरित समाधान की उम्मीद कम है. यह स्पष्ट नहीं है कि ट्रम्प का अंतिम लक्ष्य क्या है और क्या उनका अमेरिका में बड़े पैमाने पर विनिर्माण वापस लाने का दृष्टिकोण यथार्थवादी है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस नीति के आर्थिक परिणाम गंभीर हो सकते हैं, जिसमें उपभोक्ताओं के लिए उच्च कीमतें और संभावित मंदी शामिल है. यदि दोनों पक्ष पीछे नहीं हटते हैं, तो यह टकराव वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक "बहुत बदसूरत" अंत का कारण बन सकता है.
बाजार की प्रतिक्रिया और कारण : लगातार तीन दिनों की भारी गिरावट के बाद बाजार अत्यधिक 'ओवरसोल्ड' हो गया था. S&P 500 कंपनियों का प्राइस-टू-अर्निंग अनुपात सोमवार को 17 से नीचे बंद हुआ, जो ऐतिहासिक रूप से सस्ता माना जाता है. इसने निवेशकों को उन शेयरों को खरीदने का अवसर दिया जिन्हें वे कम मूल्यांकित मान रहे थे. ट्रूइस्ट के कीथ लर्नर के अनुसार, यह एक झटके की अवधि के बाद बहुत सामान्य और तकनीकी प्रतिक्रिया है. अनिश्चितता के दौर में, थोड़ी सी भी सकारात्मक खबर (भले ही वह अफवाह हो, जैसे सोमवार को टैरिफ रोकने की खबर) बाजार को तेजी से बढ़ा सकती है, जैसा कि देखा गया. इसने निवेशकों को यह उम्मीद दी कि यदि टैरिफ पर बातचीत में प्रगति होती है तो बाजार में और सुधार हो सकता है.
अभी अड़े हुए हैं ट्रम्प : शनिवार को लगभग सभी आयातों पर 10% का व्यापक टैरिफ लगाने के बाद, ट्रम्प प्रशासन दर्जनों देशों पर और भी अधिक कठोर शुल्क लगाने की तैयारी कर रहा था. इनमें से कुछ टैरिफ 50% तक और चीन पर लगने वाले कुछ टैरिफ लगभग 70% तक बढ़ सकते हैं. ट्रम्प ने चीन को धमकी भी दी कि यदि वह शुक्रवार को घोषित अपने जवाबी टैरिफ से पीछे नहीं हटता है, तो उस पर अतिरिक्त 50% टैरिफ लगाया जाएगा, जिससे चीन पर कुल टैरिफ 104% हो सकता है.
ट्रम्प अपने इस विश्वास पर दृढ़ हैं कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को अनुचित व्यापार प्रथाओं से बचाने के लिए टैरिफ आवश्यक हैं ("अमेरिका फर्स्ट"). उन्होंने स्पष्ट किया कि वह केवल ऐसे सौदे चाहते हैं जो अमेरिका के लिए "अच्छे" हों, न कि दूसरों के लिए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनके पास देश के व्यापार ढांचे को रीसेट करने का अवसर है और वह इसे करने से पीछे नहीं हटेंगे, भले ही इसके लिए राजनीतिक या आर्थिक जोखिम उठाना पड़े. उन्होंने यूरोपीय संघ जैसे सहयोगियों के प्रति भी कठोर रुख दिखाया, यह तर्क देते हुए कि वे भी अमेरिका का फायदा उठाते रहे हैं.
चीन की प्रतिक्रिया और वैश्विक तनाव : चीन ने अमेरिका के टैरिफ का कड़ा जवाब दिया है और व्यापार युद्ध में "अंत तक लड़ने" का संकल्प लिया है. चीन ने जवाबी टैरिफ लगाए हैं और अपनी मुद्रा युआन को कमजोर होने दिया है ताकि उसके निर्यात अधिक आकर्षक बने रहें. राज्य से जुड़ी संस्थाओं ने बाजार को स्थिर करने के लिए शेयर खरीदे हैं. अमेरिका और चीन के बीच यह टकराव एक "हाई-स्टेक्स गेम ऑफ़ चिकन" (कौन पहले पीछे हटता है) में बदल गया है. दोनों अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान होगा, लेकिन बड़े व्यापार घाटे के कारण चीन को संभावित रूप से अधिक नुकसान हो सकता है. इसी बीच, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस द्वारा एक साक्षात्कार में चीनी लोगों को "किसान" कहने पर चीन में व्यापक नाराजगी देखी गई. चीनी विदेश मंत्रालय ने इन टिप्पणियों को "अज्ञानतापूर्ण और अपमानजनक" बताया. चीनी सोशल मीडिया पर इसकी तीखी आलोचना हुई, जिसमें चीन की तकनीकी प्रगति (हाई-स्पीड रेल, AI, ड्रोन) का हवाला दिया गया.
मंदी की आशंका और विशेषज्ञों की चेतावनी : गोल्डमैन सैक्स और जेपी मॉर्गन चेस सहित कई वॉल स्ट्रीट बैंकों ने चेतावनी दी है कि व्यापार युद्ध बढ़ने से इस साल वैश्विक मंदी आ सकती है. जेपी मॉर्गन चेस के सीईओ जेमी डिमन ने शेयरधारकों को लिखे अपने वार्षिक पत्र में चेतावनी दी कि ट्रम्प के टैरिफ कीमतें बढ़ाएंगे, वैश्विक अर्थव्यवस्था को धीमा करेंगे और गठबंधनों को तोड़कर दुनिया में अमेरिका की स्थिति को कमजोर करेंगे. इलोन मस्क और बिल एकमैन जैसे कुछ सहयोगियों ने भी टैरिफ को त्रुटिपूर्ण तर्क पर आधारित खराब नीति बताया है. हार्वर्ड केनेडी स्कूल के ग्रेग मैनकीव ने इसे "बड़े पैमाने पर आर्थिक कुप्रबंधन" कहा. इसके विपरीत, ट्रम्प के शीर्ष व्यापार सलाहकार पीटर नवारो आशावादी बने रहे और दावा किया कि बाजार अपना निचला स्तर पा रहा है और "डॉव 50,000" तक पहुंचेगा.
ट्रम्प की टीम में खींच तान शुरू: इलोन मस्क ने ट्रम्प के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो को "मूर्ख" और "पत्थर से भी अधिक मंदबुद्धि" कहकर आलोचना की. नवारो वह विवादास्पद और कथित अर्थशास्त्री हैं, जिन्होंने ट्रम्प को टैरिफ लगाने का सुझाव दिया है. विवाद तब शुरू हुआ जब नवारो ने टेस्ला को कार निर्माता नहीं, बल्कि केवल पार्ट्स को जोड़ने वाला बताया. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव ने इस पर मुस्कुराते हुए कहा "लड़के तो लड़के ही होंगे". इस विवाद से ट्रम्प और उनके "फर्स्ट बडी" मस्क के बीच व्यापार नीति पर मतभेद स्पष्ट हो गया है. 53 वर्षीय टेस्ला सीईओ मस्क (जिनकी संपत्ति $350 बिलियन है) और 75 वर्षीय नवारो (जो वैश्विक अर्थव्यवस्था को पुनर्गठित करने के प्रयास में हैं) के बीच यह लड़ाई सार्वजनिक हो गई है. अभी तक ट्रम्प ने इस विवाद पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
यूक्रेन ने रूसी सेना की तरफ से लड़ रहे दो चीनी नागरिकों को पकड़ा
यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने घोषणा की है कि पूर्वी यूक्रेन के डोनेट्स्क क्षेत्र में रूसी सेना की तरफ से लड़ रहे दो चीनी नागरिकों को बंदी बना लिया गया है. उनके दस्तावेज़ और बैंक कार्ड ज़ब्त किए गए हैं. ज़ेलेंस्की ने कहा कि उन्हें आशंका है कि रूसी सेना में और भी चीनी नागरिक हो सकते हैं और उन्होंने विदेश मंत्रालय को बीजिंग से संपर्क कर चीन की प्रतिक्रिया जानने का निर्देश दिया है. कीव ने स्पष्टीकरण मांगने के लिए चीनी दूतावास के प्रभारी को भी तलब किया है. ज़ेलेंस्की ने इसे रूस द्वारा चीन को युद्ध में घसीटने का संकेत बताया.
इसके साथ ही, ज़ेलेंस्की ने पहली बार सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार किया है कि यूक्रेनी सैनिक रूस के सीमावर्ती क्षेत्रों - बेलगोरोड और कुर्स्क - में सक्रिय सैन्य अभियान चला रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य यूक्रेन के सुमी और खार्किव जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों की रक्षा करना और पूर्वी डोनेट्स्क जैसे अन्य मोर्चों पर रूसी दबाव को कम करना है. उन्होंने बेलगोरोड क्षेत्र में तैनात 225वीं असॉल्ट रेजिमेंट का विशेष उल्लेख किया, जिसने हाल ही में वहां दो पुलों को नष्ट करने का दावा किया था.
इस बीच, रूस के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि उसने कुर्स्क क्षेत्र में यूक्रेनी नियंत्रण वाले अंतिम गांवों में से एक, गुयेवो पर फिर से कब्ज़ा कर लिया है. रूस यूक्रेन के विभिन्न क्षेत्रों पर हमले भी जारी रखे हुए है, जिनमें हालिया हमलों में कम से कम तीन नागरिक मारे गए और 19 घायल हुए.
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब अमेरिका पहले ही चीन पर रूस के रक्षा उद्योग को ड्रोन इंजन, मिसाइल तकनीक और अन्य महत्वपूर्ण सामग्री प्रदान करके मदद करने का आरोप लगा चुका है. रूस ने उत्तर कोरिया के साथ भी अपने सैन्य संबंधों को काफी मजबूत किया है.
12000 साल बाद डीएनए के जरिये फिर पैदा हुआ डायर वुल्फ

'न्यूयॉर्क टाइम्स' में कार्ल ज़िमर की रिपोर्ट है कि वैज्ञानिकों ने एक ऐसी प्रजाति को फिर से जीवित कर दिया है जो 13,000 साल पहले विलुप्त हो चुकी थी और ये है डायर वुल्फ़. हालांकि ये बिल्कुल वैसी नहीं हैं जैसी असली डायर वुल्फ़ थीं, लेकिन उनके क़रीब ज़रूर हैं.
क्या है डायर वुल्फ़? डायर वुल्फ़ एक विशालकाय भेड़िया था जो आज के ग्रे वुल्फ़ से काफ़ी बड़ा और ताक़तवर हुआ करता था. "गेम आफ थ्रोन्स" में इन्हीं से प्रेरित काल्पनिक जीव दिखाए गए थे.
कैसे हुआ ये संभव? कोलॉसल बायोसाइंसेज़ नाम की कंपनी ने ग्रे वुल्फ़ के डीएनए में 20 जेनेटिक बदलाव किए, जिनमें वे जीन शामिल थे जो डायर वुल्फ़ को उसके बड़े आकार, सफेद घने बालों और ताक़तवर जबड़ों के लिए ज़िम्मेदार माने जाते हैं. बदले हुए डीएनए से भ्रूण तैयार किए गए और उन्हें कुतिया में प्रत्यारोपित किया गया. तीन स्वस्थ पिल्लों का जन्म हुआ. रोमुलस, रेमस, और खलीसी. ये लगभग 20% बड़े हैं आम ग्रे वुल्फ़ से और इनका फ़र सफ़ेद और घना है.
क्या ये असली डायर वुल्फ़ हैं? नहीं. वैज्ञानिक इन्हें "कार्यात्मक प्रतिकृति" कह रहे हैं. ये पूरी तरह डायर वुल्फ़ नहीं हैं, क्योंकि उनके पास वे सभी 2,000 जीन नहीं हैं जो डायर वुल्फ़ को परिभाषित करते हैं, और इनका पालन-पोषण भी पूरी तरह कृत्रिम है.
उद्देश्य क्या है? कोलोसल इस तकनीक का उपयोग विलुप्त होती प्रजातियों को बचाने के लिए करना चाहता है, जैसे कि अमेरिका में पाई जाने वाली लाल भेड़िया प्रजाति. इसके लिए चार क्लोन भी बनाए गए हैं.
आलोचना भी हो रही है कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि हम जो भेड़िए बचा सकते हैं, पहले उनका ध्यान रखें. डॉ. जूली मीचेन ने कहा, “बचपन के सपनों की तरह अच्छा लगता है, लेकिन हमारे पास जो भेड़िए अभी हैं, हम उन्हें भी ठीक से नहीं संभाल पा रहे हैं.”
चलते-चलते
दूसरी सदी में जब मथुरा से सिक्का चलता था रोम के बाजारों तक
कुषाण साम्राज्य में बुद्ध, शिव और ग्रीक देवताओं की विलक्षण मूर्तिकला
पहली से चौथी शताब्दी के दौरान मध्य एशिया से आए कुषाण वंश ने एक ऐसा साम्राज्य स्थापित किया जिसने भारत और विश्व के इतिहास को गहराई से प्रभावित किया. चीन की सीमाओं से निकलकर गंगा के मैदानों तक फैला यह साम्राज्य कला, व्यापार और धार्मिक सामंजस्य का केंद्र बना. सैम डैलरिम्पल ने विस्तार से अपने सब्स्टैक पन्ने पर इस बारे में लिखा है.
कुषाण काल में पहली बार यूरेशिया चार प्रमुख शक्तियों - रोम, चीन, पार्थिया और कुषाणों के स्थिर शासन में था. इससे रेशम मार्ग पर अभूतपूर्व व्यापार संभव हुआ. कुषाणों ने दक्षिण एशिया में सर्वप्रथम स्वर्ण मुद्रा प्रणाली की शुरुआत की, जिन पर यूनानी, फारसी और भारतीय प्रतीक अंकित थे. रोम के साथ उनके व्यापारिक संबंध इतने मजबूत थे कि कुषाण क्षेत्रों में रोमन सोने और चांदी के सिक्के पाए गए हैं.
कुषाणों के सबसे महत्वपूर्ण योगदानों में से एक था बौद्ध कला का रूपांतरण. पहले बुद्ध को पदचिह्न, खाली सिंहासन या बोधि वृक्ष जैसे प्रतीकों से दर्शाया जाता था. सिकंदर महान के यूनानी-रोमन कलात्मक प्रभावों से प्रेरित होकर, कुषाणों ने गांधार और मथुरा में पहली बार बुद्ध की मानव रूप में मूर्तियां बनवाईं, जिसने बाद में जापान से लेकर श्रीलंका तक के बौद्ध कला को प्रभावित किया.
हिंदू देवताओं के चित्रण में भी इसी काल में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए. शिव और कृष्ण जैसे देवताओं को मानवीय रूप में दर्शाने की परंपरा कुषाण काल में ही विकसित हुई. यह काल भक्ति आंदोलन के प्रारंभिक चरण का भी साक्षी रहा.
कुषाणों के शासनकाल में ग्रीक, संस्कृत और बैक्ट्रियन भाषाओं का प्रशासनिक उपयोग उनकी वैश्विक जुड़ाव का प्रमाण है. उनके सिक्कों पर तीस से अधिक विभिन्न धर्मों के देवताओं का अंकन-हरक्यूलिस से लेकर शिव और बुद्ध तक-उनके धार्मिक सहिष्णुता का परिचायक है.
कुषाणों के इस सांस्कृतिक और व्यापारिक योगदान ने भारत को वैश्विक मानचित्र पर स्थापित किया, जिसका प्रभाव आज भी हमारी सांस्कृतिक विरासत में देखा जा सकता है.
पाठकों से अपील
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