09/05/2025 : झूठ के बाज़ार में सच तलाशना | तनाव बढ़ा, जम्मू और कई जगह ब्लैक आउट, धमाका | सर्वदलीय बैठक फिर मोदी के बिना | जिनपिंग और पुतिन साथ | अज्ञानी निशिकांत | नया पोप अमेरिकी
‘हरकारा’ यानी हिंदी भाषियों के लिए क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज़्यादा!
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां :
भारत ने बंद किए 25 हवाई अड्डे
भारत-पाक तनाव के बीच रुपये में तीन साल की सबसे बड़ी गिरावट
मोदी सरकार कुछ ही साल पहले सोफिया कुरैशी और दूसरी महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन देने के खिलाफ थी
एक्स ने भारत में बंद किए 8000 अकाउंट्स
आईपीएल 2025 पर फैसला शुक्रवार को
गलती से मांगा रिलायंस ने “ऑपरेशन सिन्दूर” का ट्रेडमार्क
नेहा सिंह राठौर को कोर्ट से मिली राहत
जस्टिस वर्मा का इस्तीफे से इनकार, महाभियोग की आशंका
उत्तराखंड में हेलीकॉप्टर गिरा, छह की मौत
शी जिनपिंग मास्को में, पुतिन के साथ ताकत का मुकाबला करने की बात
2045 में गेट्स फाउंडेशन को कर देंगे बंद
रॉबर्ट फ्रांसिस प्रेवोस्ट नये पोप, पहले अमेरिकी
जंग के समय आप कहां जाते हैं असलियत के लिए
आप कहां क्या देख, पढ़, सुन रहे हैं जब जंग के नगाड़े आपकी चारों तरफ बज रहे हों. फेक न्यूज और प्रोपोगंडा हर तरफ हो. जब बहुत सारे चैनल और प्लेटफॉर्म्स तक आपकी पंहुच रोक दी गई हो. हरकारा टीम आपको बता सकती है कि हम कहां कहां जाते हैं इस न्यूजलेटर के लिए सच्ची, प्रामाणिक और काम की खबरों के लिए. ये जरूरी इसलिए है, क्योंकि गलत, भ्रामक, झूठी खबरें सिर्फ हमारी समझ को ही नहीं, बल्कि कहीं-कहीं जान माल को भी जोखिम में डाल सकती हैं. किनसे बचें और कहां जाएं, सच के करीब जाने और उसके बारे में समझ बनाने का यही एक तरीका हो सकता है.
किनसे बचें
मसलन मुख्यधारा के शोर करते चैनल और उसके चीखते एंकर तो सबसे पहले बंद कर देने चाहिए. वे न्यूज के नहीं एंटरटेनमेंट के मदारी हैं. वे सिर्फ सनसनी और तापमान बढ़ा रहे हैं.
राजनेता से, जो जंग के नाम पर आपके जज्बातों का तंदूर बनाते हुए उस पर अपनी सियासी रोटियां सेंकना चाहते हैं. जो अभी भी सांप्रदायिक और पक्ष-विपक्ष की बात कर रहे हैं.
सोशल मीडिया के बांकुरों से, जो जंग के नाम पर अपना पुराना नफरती, हिंसक, भ्रामक, काल्पनिक एजेंडा चलाए पड़े हों.
जो रोशनी से ज्यादा शोर और ताप को तरजीह दे रहे हों.
जो तथ्य, स्रोत, तर्क, वास्तविकता की तह में गये बिना, तसदीक और तसल्ली किये बिना, बिना खबर की हैडलाइन ले उड़े हों.
ऐसे अखबार और वेबसाइट, जो प्रचंड पत्रकारिता के शंखनाद करते हुए झूठी अफवाहें फैलाते रहने का ठोस और शानदार रिकार्ड रखते हों. जो सरहद के इस तरफ भी हैं उस तरफ भी. और सियासी पालों के भी.
जो आपकी विचारशीलता, तार्किकता, विशेषज्ञता की जगह अक्सर भावनात्मक बखेड़ा खड़ा कर रहे हों. आप उनकी वाक्य सरंचना से ही समझ सकते हैं. जो एंकर अपने चेहरे को तोड़-मरोड़ कर जबड़ों से बात करने लगे हों.
जो तसल्लीबख्श स्रोत के बिना ही खबरें सुना रहे हों.
जिनका यकीन उकसाने, बरगलाने, गुस्सा दिलाने में हो. जो हमेशा हांका लगाते रहते हों.
जो व्यापक जनहित, जनता, नागरिक, लोकतंत्र से ज्यादा किसी व्यक्ति, समुदाय, विचारधारा, सरकार को तरजीह दे रहे हों.
जिन्होंने राष्ट्रहित के सवाल पूछना बंद कर दिये हों. जो जवाबदेही नहीं मांगते हों. जो जिसका जिम्मा हो, उससे पलटकर अपना निशाना कहीं और साधने लगे हों.
जो अपने स्टूडियो या न्यूजरूम में बैठे-बैठे फतवे जारी कर रहे हों.
जो अपनी गलती कभी नहीं मानते और उन्हें सुधारने में यकीन नहीं करते हों.
जो बोलते ज्यादा हों और सुनते बिल्कुल नहीं. जो बोलने नहीं देते हों.
इनसे सावधान रहिए और इनकी हर बात को शक़ से देखिये. इनके बारे में और जानना हो तो अतुल चौरसिया का एनएल टिप्पणी आपको देखना चाहिए.
कहां जाएं
उन जगहों पर, जो तथ्यों, तर्कों, विचारों, विशेषज्ञों का विश्लेषण निष्पक्षता के साथ करते हों.
जिनके पास रिपोर्टिंग के लिए जमीनी स्रोत हों. और जो साक्ष्यों के साथ खबरें देते हों.
जो खबरों को देने की जल्दी में नहीं, पर तसल्ली से मुकम्मल काम करते हों.
जो आधिकारिक बयानों को लेना जरूरी समझते हों.
जो बहुत ज्यादा नाम न बताने की शर्त पर, या सूत्रों के अनुसार जैसे लफ्जों का कम या बहुत जरूरी हुआ तभी इस्तेमाल करते हों.
जो चीजों को समझाने की कम, समझने की कोशिश ज्यादा करते हैं.
जो डाटा का इस्तेमाल करते हों.
जो हर बात के विशेषज्ञ खुद न बन कर, विशेषज्ञों से अर्थात समझते हों.
जो व्यापक जनहित में पत्रकारिता करते हों और मीडिया के सर्कस का हिस्सा बनकर जोकर होने की कोशिश नहीं करते.
जो अपने पेशे को लेकर गंभीर हों. जो सुन सकते हों.
जो संवेदनशील हों पर भावुक न हों.
जो ज्योतिष और भविष्यवाणियां नहीं करते हों.
ये लिस्ट शायद पूरी नहीं है, जिसे आप और हम मिलकर आगे बढ़ा सकते हैं.
बहरहाल हरकारा की टीम इस वक़्त भारत पाकिस्तान तनाव के कवरेज के लिए भारत में द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, द वायर, स्क्रोल की तरफ ज्यादा देखती है. टेलीग्राफ और ट्रिब्यून की तरफ भी. चैनलों की तरफ कम ही देखती है. हरकारा की टीम भारत और पाकिस्तान की उर्दू प्रेस की तरफ निग़ाह रखती है क्योंकि कई जमीनी खबरें वहां से भी मिलती हैं. हालांकि पाकिस्तानी प्रेस प्लेटफॉर्म्स तक पंहुच कम होती जा रही है. एजेंसियों (पीटीआई) और सरकारी एजेंसी प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो की तरफ भी जाते हैं, जहां से आधिकारिक सूचना, जानकारी बिना चिल्लपों के मिल जाती है.
फैक्ट चैक के लिए आल्ट न्यूज और उसके संपादक मोहम्मद जुबैर. जिन्होंने बुधवार को पाकिस्तान और भारत दोनों जगह से परोसी जा रही झूठी खबरों की जमकर खबर ली. इस वक्त अंतरराष्ट्रीय मीडिया के पास पहले से बहुत सारी व्यस्तताएं और प्राथमिकता है. पर द गार्डियन और सीएनएन के लाइव पेज बहुत सारी जानकारियां, स्रोत, तस्दीक के साथ लाते हैं. उनका कवरेज शानदार है. इसके अलावा रॉयटर्स और बीबीसी (उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी) भी. अल जज़ीरा भी. विश्लेषण के लिए फॉरेन अफेयर्स, ब्लूमबर्ग और इकोनामिस्ट. चीन पर नज़र के लिए साऊथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट.
शोर कम, रोशनी ज़्यादा ! हरकारा के लिए हमने यूट्यूब पर ये गाना ढूंढ़ा. शायद आपको भी ठीक लगे. शांति माथुर की आवाज़ में. 1962 की फिल्म ‘सन ऑफ इंडिया’ से.
सीमा पर तनाव
जम्मू में धमाके और ब्लैकआउट, उरी और पठानकोट में भी, पाकिस्तान का इनकार
( सीएनएन, द गार्डियन, द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, द वायर, बीबीसी)
गुरुवार देर रात भारतीय प्रशासित कश्मीर के जम्मू शहर में कई धमाकों की खबर आई, जिसके बाद पूरे शहर में बिजली गुल हो गई. भारत के सैन्य अधिकारियों ने दावा किया कि उन्होंने जम्मू और उधमपुर में तीन सैन्य ठिकानों और भारत के पंजाब जिले के पठानकोट को निशाना बनाकर किए गए एक पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइल हमले को नाकाम कर दिया. वहीं, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अपने देश द्वारा भारतीय प्रशासित कश्मीर में किसी भी हमले की जिम्मेदारी से इनकार किया. यह घटनाक्रम दोनों परमाणु-संपन्न पड़ोसियों के बीच बुधवार को पाकिस्तान में भारतीय मिसाइल हमलों में 31 लोगों की मौत के बाद बढ़े संघर्ष को और गहराता है.
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बीबीसी को गुरुवार को बताया, "हम इनकार करते हैं, हमने अब तक कुछ भी नहीं किया है." उन्होंने जोर देकर कहा, "हम हमला करके फिर इनकार नहीं करेंगे," और कहा कि जब पाकिस्तान हमला करने का फैसला करेगा तो "पूरी दुनिया को पता चल जाएगा". पाकिस्तानी सुरक्षा सूत्रों ने कहा कि भारत के दावे पाकिस्तान द्वारा भारत में हमले किए जाने का "भ्रामक नैरेटिव" बनाने के उद्देश्य से हैं. हालांकि, आसिफ ने चेतावनी दी कि भारत के साथ पाकिस्तान के "टकराव के विस्तार" की "स्पष्ट और प्रत्यक्ष संभावना" है. इससे पहले गुरुवार को उन्होंने कहा था कि दोनों देशों द्वारा एक-दूसरे पर ड्रोन हमले शुरू करने के आरोपों के बाद भारतीय हमलों के खिलाफ पाकिस्तानी जवाबी कार्रवाई "अब निश्चित होती जा रही है". अल जज़ीरा से बात करते हुए, आसिफ ने कहा, "मेरे मन में अब कोई संदेह नहीं है कि तनाव बढ़ना तय है क्योंकि भारतीय पक्ष से आक्रामकता जारी है, ज़मीन पर भी और आज पूरे पाकिस्तान में ड्रोन भेजकर भी."
भारत आगे भी कार्रवाई करेगा
इसके जवाब में, भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने देश की हालिया कार्रवाइयों का बचाव किया और आगे की भारतीय सैन्य कार्रवाई से इनकार नहीं किया. उन्होंने गुरुवार को एक बयान में कहा, "हमने हमेशा एक जिम्मेदार राष्ट्र की भूमिका निभाई है. अगर कोई हमारे धैर्य का फायदा उठाने की कोशिश करता है, तो उन्हें कल की तरह कार्रवाई का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार रहना होगा."
आरोप प्रत्यारोप के सिलसिले
दोनों देशों ने एक-दूसरे पर रात भर ड्रोन और मिसाइल हमलों का आरोप लगाया. पाकिस्तान के सैन्य प्रवक्ता मेजर जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने भारत पर "आक्रामकता का एक और खुला सैन्य कृत्य" करने का आरोप लगाया, जिसमें रात भर में रावलपिंडी सहित प्रमुख शहरों पर दर्जनों ड्रोन भेजे गए, जहां पाकिस्तान का सैन्य मुख्यालय है. सीएनएन के अनुसार, जनरल चौधरी ने बाद में एक राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि पाकिस्तानी सशस्त्र बलों ने "जारी" हमले में 29 भारतीय ड्रोन मार गिराए हैं, और ड्रोन हमलों से मरने वालों की संख्या तीन हो गई है और चार अन्य घायल हुए हैं. उन्होंने कहा कि सिंध के मियानो इलाके में एक ड्रोन घटना में एक नागरिक की मौत हो गई. पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा कि ड्रोनों ने पाकिस्तान में "सैन्य प्रतिष्ठानों" पर हमला करने का प्रयास किया और रावलपिंडी क्रिकेट स्टेडियम भी चपेट में आया.
इसके विपरीत, भारत ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान ने उसके उत्तर और पश्चिम में 15 सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल लॉन्च करने का प्रयास किया, जिसमें अमृतसर, श्रीनगर और चंडीगढ़ शहर शामिल हैं. भारत ने कहा कि उसकी वायु रक्षा प्रणालियों ने सभी हमलों को रोक दिया. पाकिस्तान ने भारत में किसी भी तरह के हमले शुरू करने के आरोपों से इनकार किया. द गार्डियन ने एक वरिष्ठ पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारी के हवाले से कहा कि पाकिस्तान ने मिसाइल और ड्रोन हमलों के लिए भारत के खिलाफ अभी तक अपनी आक्रामक जवाबी कार्रवाई शुरू नहीं की है, लेकिन यह स्पष्ट किया कि अब कार्रवाई की जाएगी. अधिकारी ने कहा, "हमने भारत के अंदर या किसी सैन्य प्रतिष्ठान पर कोई मिसाइल या ड्रोन हमला नहीं किया है. यह भारतीय अधिकारियों की फर्जी खबर है. आक्रामक प्रतिक्रिया अब आएगी."
जम्मू में ब्लैक आउट, धमाके
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू शहर में धमाकों और ब्लैकआउट के बीच दहशत का माहौल है. भारतीय प्रशासित कश्मीर के एक पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर सीएनएन को बताया, "जम्मू शहर में बिजली काट दी गई है. दहशत का माहौल है." निवासी मुजफ्फर अहमद ने कहा कि धमाकों के बाद "पूरी तरह से ब्लैकआउट" था. जम्मू और कश्मीर पुलिस के पूर्व महानिदेशक शेष पॉल वैद ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "जोरदार धमाके - बमबारी, गोलाबारी, या मिसाइल हमले का संदेह है," और उन्होंने कहा कि वर्तमान में ब्लैकआउट है. भारतीय सेना के प्रवक्ता सुनील बर्तवाल ने सीएनएन को पुष्टि की कि जम्मू शहर में कई धमाके सुने गए हैं और स्थिति का पता लगाया जा रहा है.
'इंडियन एक्सप्रेस' के लिए अरुण शर्मा की रिपोर्ट है कि जम्मू में पूर्ण ब्लैकआउट की स्थिति है. स्थानीय लोगों ने बताया कि उन्होंने आसमान में मिसाइल की धारियां देखीं और पाकिस्तान द्वारा ड्रोन हमले की आशंका जताई जा रही है. कश्मीर के बारामुला और पंजाब के पठानकोट में भी ब्लैकआउट देखा गया है. पूर्व जम्मू-कश्मीर पुलिस महानिदेशक शेष पॉल वैद ने कहा- “जम्मू में पूरी तरह ब्लैकआउट है. जोरदार धमाके, बमबारी, गोलेबारी या मिसाइल हमले की आशंका. डरिए नहीं, माता वैष्णो देवी हमारे साथ हैं और बहादुर भारतीय सशस्त्र बल भी.” स्थानीय लोगों ने बताया कि कई जगहों पर सायरन बजते सुने गए हैं और अधिकारियों ने संकेत दिया कि मिसाइल इंटरसेप्शन सिस्टम सक्रिय कर दिया गया है. सूत्रों के अनुसार, जम्मू एयरपोर्ट को भी निशाना बनाया गया है. अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बड़े पैमाने पर ड्रोन हमले की खबर है.
सीएनएन के मुख्तार अहमद के अनुसार, भारतीय प्रशासित कश्मीर के उरी में, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलओसी) से कुछ ही मील की दूरी पर है, भारी गोलाबारी जारी है. पंजाब राज्य में भी तनाव महसूस किया जा रहा है. सीएनएन के अनुसार, पठानकोट शहर में पुलिस को धमाकों की सूचना मिली. स्थिति की गंभीरता के मद्देनजर पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने घोषणा की कि राज्य भर के सभी स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय अगले तीन दिनों तक पूरी तरह से बंद रहेंगे.

अमेरिका की सलाह
इस बीच, सीएनएन की जेनिफर हैंसलर के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्री (अमेरिकी स्रोत में मार्को रुबियो का उल्लेख है, हालांकि वर्तमान विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन हैं) ने गुरुवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और भारत के विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर के साथ अलग-अलग फोन पर बात की और "तत्काल तनाव कम करने की आवश्यकता" पर जोर दिया. उन्होंने शरीफ से कहा कि पाकिस्तान को "आतंकवादी समूहों के लिए किसी भी समर्थन को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए".
भारतीय जहाज गिराया अमेरीकी सूत्रों के मुताबिक
तनाव को और बढ़ाते हुए, सीएनएन के जिम श्यूटो ने एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी के हवाले से बताया कि अमेरिका ने आकलन किया है कि पाकिस्तानी सेना ने भारतीय हवाई हमलों के दौरान एक भारतीय जेट को मार गिराया था. सीएनएन ने एक उच्च पदस्थ फ्रांसीसी खुफिया अधिकारी का भी हवाला दिया, जिन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना द्वारा संचालित एक राफेल लड़ाकू जेट पाकिस्तान द्वारा मार गिराया गया था, और फ्रांसीसी अधिकारी इस बात की जांच कर रहे थे कि क्या एक से अधिक राफेल जेट गिराए गए थे. पाकिस्तान ने पहले पांच भारतीय वायु सेना के जेट विमानों को मार गिराने का दावा किया था, जिसका भारतीय अधिकारियों ने अभी तक जवाब नहीं दिया है.
तनाव रोकना पाकिस्तान के हाथ में
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने गुरुवार को विदेश मंत्रालय की एक विशेष ब्रीफिंग में कहा कि तनाव कम करने का विकल्प पाकिस्तान के पास है, क्योंकि उसने पहलगाम आतंकी हमले से स्थिति को बढ़ाया था और भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से केवल इसका जवाब दिया. उन्होंने कहा, "हमारा दृष्टिकोण स्थिति को बढ़ाना नहीं है, हमने केवल 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले का जवाब दिया." तनाव कम करने के मुद्दे पर श्री मिसरी ने कहा, "पाकिस्तान ने स्थिति को बढ़ाया, हमने केवल जवाब दिया. विकल्प पाकिस्तान के पास है." उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में, पाकिस्तान ने आतंकी समूह 'द रेजिस्टेंस फोर्स' (टीआरएफ) की भूमिका का उल्लेख करने का विरोध किया, जबकि उसने पहले ही पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ले ली थी. विदेश सचिव ने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाइयां नागरिकों को प्रभावित कर रही हैं.
पाकिस्तानी प्रयासों के नाकाम किया
रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार (8 मई, 2025) को कहा कि पाकिस्तानी सेना ने आदमपुर, बठिंडा, चंडीगढ़ सहित अन्य स्थानों पर सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने का प्रयास किया. हालांकि, इन प्रयासों को विफल कर दिया गया.नरक्षा मंत्रालय ने कहा, "07-08 मई 2025 की रात को, पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइलों का उपयोग करके उत्तरी और पश्चिमी भारत में अवंतीपुरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, बठिंडा, चंडीगढ़, नाल, फलोदी, उत्तरलाई और भुज सहित कई सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने का प्रयास किया. इन्हें इंटीग्रेटेड काउंटर यूएएस ग्रिड और वायु रक्षा प्रणालियों द्वारा निष्क्रिय कर दिया गया."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों के साथ एक उच्च-स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की और निरंतर सतर्कता तथा स्पष्ट संचार का आह्वान किया, साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा और परिचालन तैयारी के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि बैठक के दौरान चर्चा किए गए मुद्दों में नागरिक सुरक्षा तंत्र को मजबूत करना, दुष्प्रचार और फर्जी खबरों का मुकाबला करने के प्रयास और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा सुनिश्चित करना शामिल था.
सर्वदलीय बैठक में मोदी फिर नहीं
नौकरशाहों और केबिनेट की बैठक की अध्यक्षता तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की, पर सर्वदलीय बैठक के लिए एक बार फिर वे वक़्त नहीं निकाल सके और जिम्मा रक्षा मंत्री पर छोड़ दिया. बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर तथा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा शामिल हुए. 24 अप्रैल को भी पहलगाम हमले के बाद जो सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी, उसमें प्रधानमंत्री नहीं आये थे. सूत्रों ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार (8 मई, 2025) को एक सर्वदलीय बैठक में बताया कि अब भी जारी ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों पर भारत के हमले में कम से कम 100 आतंकवादी मारे गए.
रक्षा मंत्री ने उन नेताओं को यह भी बताया, जिन्होंने सरकार की सैन्य कार्रवाई का पूरा समर्थन किया और सशस्त्र बलों की सराहना की, कि यदि पाकिस्तान हमला करता है तो भारत पलटवार करेगा. बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि नेताओं ने परिपक्वता दिखाई और कोई नोकझोंक नहीं हुई. यह बैठक श्री सिंह की अध्यक्षता में मुद्दे पर आम सहमति बनाने के लिए बुलाई गई थी. रिजिजू ने कहा, "रक्षा मंत्री ने बैठक में बताया कि यह एक जारी ऑपरेशन है और इसीलिए वे ऑपरेशन सिंदूर के तकनीकी विवरण साझा नहीं कर सकते." इसीलिए सर्वदलीय बैठक में सशस्त्र बलों के कोई अधिकारी मौजूद नहीं थे, क्योंकि वे ऑपरेशन में व्यस्त थे.
उन्होंने कहा, "राजनीतिक नेताओं ने भी ऑपरेशन सिंदूर के तहत की गई कार्रवाई के लिए सशस्त्र बलों को बधाई दी." लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, "हमने पूरा समर्थन दिया और जो खड़गे जी ने कहा वह सही है - कुछ चीजें हैं जिन पर चर्चा नहीं होनी चाहिए. सभी ने बस अपना समर्थन दिया."
कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि गांधी ने विश्व को स्पष्ट संदेश देने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने का भी आग्रह किया. कांग्रेस प्रमुख ने कहा, "इंडिया ब्लॉक और अन्य दलों के सभी दलों ने एक स्वर में कहा 'आप आगे बढ़ें और हम आपके फैसलों में आपके साथ हैं और सेना के साथ खड़े हैं'."
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सर्वदलीय बैठक में शामिल न होने पर निराशा भी व्यक्त की.
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के संचालन के लिए सशस्त्र बलों और सरकार की तारीफ की. उन्होंने कहा, "मैंने यह भी कहा कि हमें टीआरएफ के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय अभियान चलाना चाहिए और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को इसे आतंकवादी संगठन घोषित करना चाहिए."
भारत ने बंद किए 25 हवाई अड्डे : इधर, 'ब्लूमबर्ग' की ही एक अन्य रिपोर्ट कहती है कि भारत सरकार ने पाकिस्तान के करीब स्थित और अधिक नागरिक हवाई अड्डों पर उड़ानें रोक दी हैं. जानकारी रखने वाले लोगों के अनुसार, बंद किए गए हवाई अड्डों की संख्या अब 25 से अधिक हो गई है, जिसमें अडानी समूह के स्वामित्व वाला मुंद्रा का निजी हवाई पट्टी भी शामिल है, जिसे हाल ही में नागरिक उड्डयन के लिए बंद किया गया. इससे पहले सरकार ने 16 हवाई अड्डों को बंद करने का आदेश दिया था, लेकिन अब बढ़ते खतरे को देखते हुए यह सूची बढ़ा दी गई है.
विश्लेषण
नजम सेठी : पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई के बारे में सोच रहा है
करण थापर ने ‘द वायर’ के लिए एक विशेष साक्षात्कार में ‘फ्राइडे टाइम्स’ के संस्थापक-संपादक और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के पूर्व कार्यवाहक मुख्यमंत्री, नजम सेठी से बातचीत की, जो भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव, दावों और प्रतिदावों और भविष्य में ऐसे संकटों से बचने के संभावित तरीकों पर केंद्रित थी.
नजम सेठी ने पाकिस्तान के इस दावे पर जोर दिया कि उसने पांच भारतीय वायु सेना के विमानों को मार गिराया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के पास इसके सबूत हैं, लेकिन वह उन्हें अभी प्रकट नहीं कर रहा, क्योंकि विमान पाकिस्तानी क्षेत्र में नहीं गिरे. सेठी ने कहा कि पाकिस्तानी जनता में यह व्यापक धारणा है कि यह सच है, और इसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स का भी समर्थन मिला है.
सेठी ने बताया कि पाकिस्तान में इस बात पर आंतरिक बहस चल रही है कि क्या इन विमानों को मार गिराना भारत की कार्रवाई का पर्याप्त जवाब था, या फिर पाकिस्तान को और जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने उल्लेख किया कि कुछ पाकिस्तानी मंत्री इसे पर्याप्त मान सकते हैं, यदि भारत आगे कोई उकसावे की कार्रवाई न करे, लेकिन पाकिस्तानी सेना को अपनी इच्छानुसार जवाबी कार्रवाई करने का पूरा अधिकार दिया गया है. सेठी ने "रक्षा" (विमान गिराना) और "प्रतिशोध" (संभावित भविष्य की कार्रवाई) के बीच अंतर किया, यह कहते हुए कि प्रतिशोध स्वयं तनाव बढ़ाना नहीं होगा; तनाव तब बढ़ेगा जब भारत पाकिस्तान के प्रतिशोध का जवाब देगा.
उन्होंने भारत की "न्यू नॉर्मल" नीति पर भी बात की, जिसके तहत भारत की प्रतिक्रियाएं समय के साथ बढ़ रही हैं. सेठी ने सवाल उठाया कि क्या पाकिस्तान इस "न्यू नॉर्मल" को स्वीकार करेगा या इसका मुकाबला करने के लिए अपनी रणनीति बनाएगा. लाहौर और पंजाब के अन्य हिस्सों में भारतीय ड्रोन गिराए जाने की हालिया घटनाओं को सेठी ने भारत की ओर से उकसावा बताया, जो पाकिस्तान को और जवाबी कार्रवाई के लिए मजबूर कर सकता है.
जब करण थापर ने भारत द्वारा आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाने के दावे का जिक्र किया, तो सेठी ने इसे खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि जिन जगहों पर हमला हुआ, वे मस्जिदें और स्कूल थे, न कि सक्रिय आतंकवादी शिविर. उन्होंने जोर देकर कहा कि एफएटीएफ के दबाव के कारण पाकिस्तान ने जिहादी समूहों पर कार्रवाई की है और वे अब पहले की तरह सक्रिय नहीं हैं. थापर ने इस पर असहमति जताते हुए संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और अन्य देशों द्वारा इन समूहों को आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध किए जाने का हवाला दिया.
भविष्य में ऐसे संकटों से बचने के सवाल पर, सेठी ने कहा कि जब तक कश्मीर का मूल मुद्दा अनसुलझा रहेगा, ऐसी घटनाएं होती रहेंगी. उन्होंने कश्मीरी असंतोष को इसका मुख्य कारण बताया और कहा कि इस मुद्दे को पाकिस्तान और कश्मीरियों के साथ मिलकर हल करने की जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि यदि पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई करता है और भारत फिर प्रतिक्रिया देता है, तो तनाव बढ़ाने की जिम्मेदारी भारत की होगी.
अंत में, सेठी ने कहा कि पाकिस्तान और भारत दोनों देशों के आम लोग युद्ध नहीं चाहते हैं और शांति केवल बातचीत और समझौते से ही हासिल की जा सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भारत एक महान शक्ति बनना चाहता है, तो उसे अपने पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण संबंध बनाने होंगे और क्षेत्रीय विवादों को सुलझाना होगा. उन्होंने कहा कि हाल ही में भारतीय ड्रोन गतिविधियों को पाकिस्तान एक नए उकसावे के रूप में देख रहा है, जिससे पाकिस्तानी जवाबी कार्रवाई की संभावना बढ़ सकती है.
भारत-पाक तनाव के बीच रुपये में तीन साल की सबसे बड़ी गिरावट
'ब्लूमबर्ग' की रिपोर्ट है कि पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले तीन साल में सबसे बड़ी गिरावट के साथ नीचे गिरा है. रुपया 1.1% गिरकर 85.7913 प्रति डॉलर पर पहुंच गया, जो कि फरवरी 2022 के बाद से सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट है. यह गिरावट तब सामने आई जब पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने भारतीय ड्रोन मार गिराए, जबकि भारत की ओर से कहा गया कि उसने पाकिस्तान की एक वायु रक्षा प्रणाली को निष्क्रिय कर दिया. यह मुद्रा बाजार की अनिश्चितता और क्षेत्रीय भू-राजनीतिक तनावों का सीधा असर है, जो भारत-पाक संबंधों में आई नवीनतम सैन्य झड़पों के कारण उत्पन्न हुआ है.
मोदी सरकार कुछ ही साल पहले सोफिया कुरैशी और दूसरी महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन देने के खिलाफ थी
नरेंद्र मोदी सरकार ने हाल ही में पाकिस्तान में आतंकी शिविरों पर भारत के सैन्य हमलों के बारे में राष्ट्र को संबोधित करने के लिए दो महिला अधिकारियों - सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी और वायु सेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह - को मंच दिया. विडंबना यह है कि कुछ साल पहले मोदी सरकार ने महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन (पीसी) देने का विरोध किया था.
इस ब्रीफिंग में दो महिला अधिकारियों को शामिल करने को एक रणनीतिक कदम के रूप में सराहा गया. पहलगाम हमले में मुख्य रूप से हिंदू पुरुषों को निशाना बनाए जाने के कारण 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम भी चर्चा में रहा, जिसकी कुछ लोगों ने पितृसत्तात्मक सोच को बढ़ावा देने वाला कहकर आलोचना की.
दिलचस्प बात यह है कि 2020 में, सुप्रीम कोर्ट ने महिला अधिकारियों को पीसी प्रदान करने वाले अपने ऐतिहासिक फैसले में कर्नल सोफिया कुरैशी की उपलब्धियों को विशेष रूप से स्वीकार किया था. तब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक नोट में महिलाओं को शारीरिक रूप से अनुपयुक्त और पारिवारिक जिम्मेदारियों का हवाला देते हुए स्थायी कमीशन का विरोध किया था.
17 फरवरी, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए इसे लैंगिक रूढ़िवादिता बताया और महिला अधिकारियों को पीसी देने का आदेश दिया. न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि महिलाओं की क्षमता पर आक्षेप लगाना न केवल महिलाओं, बल्कि सेना का भी अपमान है. उन्होंने कर्नल कुरैशी जैसी कई महिला अधिकारियों की अनुकरणीय सेवा पर प्रकाश डाला था, जिन्होंने कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
इसके बाद भी, महिला अधिकारियों के लिए पीसी की राह आसान नहीं थी. चिकित्सा आधार पर अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ महिला अधिकारियों ने याचिकाएँ दायर कीं. तब सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि 50 वर्षीय महिला अधिकारी से 30 वर्षीय पुरुष अधिकारी के फिटनेस स्तर की उम्मीद करना न्याय का उपहास होगा और सेना के शीर्ष नेतृत्व तथा नौकरशाही की सोच के अंतर को पाटने की आवश्यकता बताई थी.
एक्स ने भारत में बंद किए 8000 अकाउंट्स
द वायर की रिपोर्ट है कि ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) ने गुरुवार, 8 मई को घोषणा की कि भारत सरकार ने उससे भारत में 8,000 से अधिक अकाउंट्स को ब्लॉक करने का आदेश दिया है. हालांकि कंपनी ने आदेशों से असहमति जताई है, फिर भी उसने पालन शुरू कर दिया है. कंपनी ने कहा कि सरकार के इन आदेशों का पालन न करने की स्थिति में भारी जुर्माना और स्थानीय कर्मचारियों की गिरफ्तारी जैसे दंड लगाए जा सकते हैं. इलोन मस्क के नेतृत्व वाले प्लेटफॉर्म की यह घोषणा तब आई है, जब सरकार की कानूनी मांगों के जवाब में कुछ पत्रकारों और मीडिया संस्थानों के ‘एक्स’ अकाउंट भारत में ब्लॉक कर दिए गए हैं. ‘एक्स’ के ग्लोबल गवर्नमेंट अफेयर्स डिपार्टमेंट के अनुसार, “सरकार ने ज़्यादातर मामलों में यह नहीं बताया कि किस पोस्ट ने भारत के कानूनों का उल्लंघन किया है. कई अकाउंट्स के मामले में हमें कोई सबूत या कारण नहीं दिया गया.”
‘द गार्डियन’ के मुताबिक मेटा ने भारत सरकार के अनुरोध पर इंस्टाग्राम पर एक प्रमुख मुस्लिम समाचार पेज @Muslim को भारत में प्रतिबंधित कर दिया है. इस पेज के 6.7 मिलियन फॉलोअर्स हैं. पेज के संस्थापक अमीर अल-ख़ताहतबेह ने इस कदम को 'सेंसरशिप' बताया है, खासकर जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ रहा है. भारत में यूजर्स को पेज एक्सेस करने पर "कानूनी अनुरोध के कारण अकाउंट भारत में उपलब्ध नहीं" संदेश दिख रहा है. भारत सरकार ने तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. यह कार्रवाई पाकिस्तानी कलाकारों और क्रिकेटरों के अकाउंट ब्लॉक किए जाने के बाद हुई है. मेटा ने कहा कि उन्होंने स्थानीय कानूनों के तहत सामग्री प्रतिबंधित करने की अपनी नीति का पालन किया है.
आईपीएल पर युद्ध का साया, दिल्ली बनाम पंजाब मैच रद्द, बचे मैचों पर शुक्रवार को फैसला : सीमा पार तनाव से उत्पन्न सुरक्षा चिंताओं के कारण धर्मशाला में 8 मई को इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2025 के तहत खेला जा रहा पंजाब किंग्स और दिल्ली कैपिटल्स का मैच बीच में ही रोककर रद्द कर दिया गया. जम्मू और पठानकोट के आस-पास के शहरों में हवाई हमलों ने सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया था. इसके बाद फ्लडलाइट्स को एक-एक करके बंद कर दिया गया और भीड़ को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया. इसके बाद बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने कहा कि बोर्ड शुक्रवार को स्थिति के आधार पर टूर्नामेंट के भविष्य पर फैसला लेगगा. अभी तक खिलाड़ियों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है.”
गलती से मांगा रिलायंस ने “ऑपरेशन सिन्दूर” का ट्रेडमार्क : 'बिजनेस स्टैंडर्ड' की खबर है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज़ ने स्पष्ट किया है कि उसका “ऑपरेशन सिन्दूर” शब्द को ट्रेडमार्क कराने का कोई इरादा नहीं है और इसे भारतीय वीरता का एक भावनात्मक प्रतीक बताया है, जो अब राष्ट्रीय चेतना का हिस्सा बन चुका है. कंपनी ने एक बयान में कहा- "रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की इकाई जियो स्टूडियोज़ द्वारा दायर किया गया ट्रेडमार्क आवेदन एक जूनियर कर्मचारी द्वारा अनधिकृत रूप से गलती से दायर किया गया था, जिसे अब वापस ले लिया गया है." इससे पहले यह रिपोर्ट सामने आई थी कि रिलायंस इंडस्ट्रीज़ समेत चार आवेदकों ने 'नाइस क्लासीफिकेशन' की क्लास 41 के तहत ट्रेडमार्क आवेदन दाखिल किया था, जो मीडिया, सांस्कृतिक, शैक्षिक और मनोरंजन सेवाओं को कवर करता है.
नेहा सिंह राठौर को कोर्ट से मिली राहत
'द वायर' के लिए ओमर राशिद की रिपोर्ट है कि नेहा सिंह राठौर, जो पहलगाम आतंकी हमले के बाद कथित रूप से "राष्ट्र विरोधी" पोस्ट्स के लिए सोशल मीडिया पर प्राथमिकी झेल रहीं थीं, को उत्तर प्रदेश की एक अदालत से बड़ी राहत मिली है. अदालत ने उनके खिलाफ भाजपा नेताओं की छवि धूमिल करने के आरोप में दायर आपराधिक शिकायत को खारिज कर दिया. अयोध्या की अतिरिक्त सिविल जज (सीनियर डिवीजन) एकता सिंह की अदालत ने शिवेंद्र सिंह द्वारा दायर शिकायत को इस आधार पर खारिज कर दिया कि उन्हें यह शिकायत दर्ज कराने का कोई "वैधानिक अधिकार (locus)" नहीं था.
दुबे के बयान उनकी अज्ञानता दिखाते हैं : सुप्रीम कोर्ट
भाजपा के विवादास्पद सांसद निशिकांत दुबे को शीर्ष अदालत से कड़ी फटकार मिली है. मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट पीठ ने दुबे की टिप्पणियों को "बेहद गैर-जिम्मेदाराना" और "सुप्रीम कोर्ट व न्यायाधीशों पर आक्षेप लगाकर ध्यान आकर्षित करने की प्रवृत्ति" बताया. अदालत ने कहा कि उनके बयान "संवैधानिक अदालतों की भूमिका के बारे में अज्ञानता" दर्शाते हैं.
यह टिप्पणी वकील विशाल तिवारी की जनहित याचिका पर आई, जिसमें दुबे के खिलाफ अवमानना कार्यवाही और वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के संदर्भ में नेताओं के घृणास्पद भाषणों पर प्राथमिकी की मांग की गई थी. दुबे ने पहले सुप्रीम कोर्ट पर "अराजकता" फैलाने और "धार्मिक युद्धों" के लिए जिम्मेदार होने का आरोप लगाया था. उन्होंने यह भी कहा था कि यदि हर चीज के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़े, तो संसद और विधानसभा को बंद कर देना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "अदालतें इतनी नाजुक नहीं हैं कि ऐसे हास्यास्पद बयानों से मुरझा जाएं" और इसलिए अवमानना कार्यवाही से परहेज किया, हालांकि "जानबूझकर प्रयास" को स्वीकार किया. अदालत ने दोहराया कि न्यायपालिका आलोचना से परे नहीं है, लेकिन जब आलोचना न्यायपालिका का सम्मान कम करने और जनता का विश्वास खत्म करने के लिए की गई स्पष्ट विकृति या घोर गलतबयानी हो, तो इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.
अंत में, पीठ ने स्पष्ट किया कि सांप्रदायिक घृणा फैलाने या घृणास्पद भाषण में शामिल होने के किसी भी प्रयास से सख्ती से निपटा जाएगा. इसे अस्वीकार्य और आपराधिक अपराध बताते हुए अदालत ने कहा कि यह लक्षित समूह की गरिमा को नुकसान पहुंचाता है, समूहों के बीच असामंजस्य में योगदान देता है और सहिष्णुता तथा खुले विचारों को कमजोर करता है, जो एक बहु-सांस्कृतिक समाज के लिए आवश्यक है.
महुआ मोइत्रा भी दुबे के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट गईं : तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा ने गुरुवार को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और वकील जय अनंत देहाद्राय के खिलाफ उनके खिलाफ अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में नई अर्जी दायर की और उसे हटाने की मांग की है और दुबे और देहाद्राय से तीन-तीन अंग्रेज़ी, हिंदी और बंगाली अख़बारों में सार्वजनिक माफ़ी की भी मांग की है.
लाइव लॉ की खबर के अनुसार, यह अर्जी देहाद्राय द्वारा ‘एक्स’ पर किए गए एक ट्वीट के संदर्भ में दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि “डॉ निशिकांत दुबे सांसद द्वारा दायर लोकपाल मामले में धमाकेदार घटनाक्रम.” और दुबे के फेसबुक पोस्ट का स्क्रीन शॉट लगाया है. दुबे ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है, “सीबीआई ने मोइत्रा के सभी कथित विदेशी खातों और खर्चों के बारे में लोकपाल के पास मामला दर्ज किया है और उन्हें हाल ही में इस बारे में ‘पत्र’ मिला है.”
अदालत ने पूछा कि दुबे ने अपने पोस्ट में जिस ‘पत्र’ का उल्लेख किया है, उसका क्या मतलब है. दुबे के अधिवक्ता अभिमन्यु भंडारी ने कहा कि उनके क्लायंट को रोजाना लोगों से बहुत सारी जानकारी मिलती है और यह पोस्ट लोकपाल के फैसले पर ही आधारित है. इसके बाद अदालत ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि प्रथम दृष्टया, दुबे का लोकपाल के फैसले पर भरोसा मोइत्रा के खिलाफ उनके पोस्ट में लगाए गए आरोपों का समर्थन नहीं करता है. आप कृपया इस पोस्ट को निष्क्रिय करें.”
इस पर भंडारी ने कहा कि मोइत्रा लगातार अपने सोशल मीडिया पोस्ट में दुबे को ‘पिटबुल’ कह रही हैं, जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती. इस पर अदालत ने कहा कि यदि कोई किसी के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करता है, तो पीड़ित व्यक्ति संबंधित सोशल मीडिया मध्यस्थ को लिख सकता है और उक्त पोस्ट को हटाया जा सकता है.
जस्टिस वर्मा का इस्तीफे से इनकार, महाभियोग की आशंका : जस्टिस यशवंत वर्मा को उनके बंगले में नकदी का ढेर मिलने के मामले में महाभियोग का सामना करना पड़ सकता है. यह आशंका जांच समिति की ओर से उन पर अभियोग लगाए जाने और हाई कोर्ट के न्यायाधीश के पद से इस्तीफा देने से इनकार करने के बाद पैदा हुई है. भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने जस्टिस यशवंत वर्मा को दोषी ठहराने वाली तीन सदस्यीय न्यायाधीश समिति की रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को आगे की कार्रवाई के लिए भेज दी है.
उत्तराखंड में हेलीकॉप्टर गिरा, छह की मौत : उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गुरुवार सुबह करीब नौ बजे गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग के पास गंगनानी के पास एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इसमें पायलट समेत सात लोग सवार थे, जिनमें से छह की मौत हो गई. हेलीकॉप्टर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के पास पर्यटक स्थल सहस्त्रधारा से हर्सिल नामक दर्शनीय स्थल की ओर जा रहा था. सूत्रों ने बताया कि दुर्घटना के बाद तीन हेलीपैड-फाटा, सिरसी और गुप्तकाशी से प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं रोक दी गईं है. डेक्कन हेराल्ड की खबर के अनुसार, इससे पहले सोमवार को भी बद्रीनाथ से देहरादून जा रहे एक और हेलीकॉप्टर को खराब मौसम के कारण गोपेश्वर में आपात लैंडिंग करनी पड़ी थी. चल रही ‘चारधाम यात्रा’ (केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री) के लिए बड़ी संख्या में तीर्थयात्री राज्य में आ रहे हैं.
शी जिनपिंग मास्को में, पुतिन के साथ ताकत का मुकाबला करने की बात
'साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट' की रिपोर्ट है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने गुरुवार को मास्को में क्रेमलिन में अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत के दौरान कहा कि चीन रूस के साथ मिलकर वैश्विक बहुपक्षीय व्यापार और आपूर्ति श्रृंखलाओं की स्थिरता बनाए रखने के लिए काम करेगा. शी ने पुतिन से कहा, “चीन रूस के साथ मिलकर समय की सौपी गई विशेष ज़िम्मेदारियों को निभाने और वैश्विक बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली, औद्योगिक श्रृंखलाओं और आपूर्ति श्रृंखलाओं की स्थिरता और सुचारु संचालन को बनाए रखने के लिए तैयार है.” अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के व्यापार युद्ध के दबाव के बीच, शी ने कहा कि चीन और रूस की एक विशेष ज़िम्मेदारी है कि वे एकपक्षवाद और शक्ति की राजनीति का विरोध करें. उन्होंने कहा, “आज, जब अंतरराष्ट्रीय मंच पर एकपक्षीय प्रवृत्तियां, शक्ति की राजनीति और दबाव की घटनाएं बढ़ रही हैं, चीन रूस के साथ मिलकर एक प्रमुख देश और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में अपनी विशेष ज़िम्मेदारी निभाएगा.” बातचीत के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए पुतिन ने कहा कि दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध और गहरे हुए हैं, विशेषकर राष्ट्रीय मुद्राओं में भुगतान निपटान प्रणाली के कारण. पुतिन ने कहा कि इससे व्यापार प्रणाली को "तीसरे देशों के प्रभाव और वैश्विक बाज़ार की नकारात्मक प्रवृत्तियों से प्रभावी रूप से सुरक्षित" किया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि रूस और चीन की क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर सोच या तो समान है या बेहद क़रीब. पुतिन के अनुसार, “दोनों देश स्वतंत्र और स्वायत्त विदेश नीति का पालन करते हैं और एक अधिक न्यायसंगत और लोकतांत्रिक बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के निर्माण में रुचि रखते हैं.” क्रेमलिन के अनुसार, पुतिन ने यह भी कहा कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की टुकड़ी "सबसे बड़ा विदेशी सैन्य दल" होगी जो शुक्रवार को विजय दिवस परेड में हिस्सा लेगी. उन्होंने कहा कि युद्ध वर्षों के दौरान विकसित हुआ सैन्य भाईचारा “आधुनिक रूसी-चीनी संबंधों की एक बुनियादी नींव” है.
शी की यह यात्रा ऐसे समय में हुई है, जब अमेरिका द्वारा चीनी उत्पादों पर कड़े टैरिफ लगाए जाने के बाद चीन पर भारी दबाव है. इसके जवाब में चीन ने अमेरिका से आयात पर भी जवाबी शुल्क लगाए हैं और खुद को स्थिर और दीर्घकालिक साझेदार के रूप में प्रस्तुत किया है, जो अस्थिर समय में आर्थिक एकीकरण और वैश्विक व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध है, चाहे वह दक्षिण-पूर्व एशिया हो, यूरोप या लैटिन अमेरिका. उधर, यूक्रेन पर आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों द्वारा अलग-थलग किए गए पुतिन चीन के और करीब आ गए हैं. चीन द्वारा रूस से ऊर्जा और अन्य कच्चे माल की खरीद ने रूस की प्रतिबंधित अर्थव्यवस्था को बचाए रखने में मदद की है.
2045 में गेट्स फाउंडेशन को कर देंगे बंद
सीएनएन की रिपोर्ट है कि जब बिल और मेलिंडा फ्रेंच गेट्स ने वर्ष 2000 में गेट्स फाउंडेशन की स्थापना की थी, तब उनकी योजना थी कि उनके निधन के बाद भी संस्था उनके बचे हुए धन का उपयोग करके दशकों तक काम करती रहेगी, लेकिन अब माइक्रोसॉफ्ट के अरबपति संस्थापक बिल गेट्स ने घोषणा की है कि वे इतना लंबा इंतज़ार नहीं करना चाहते. गुरुवार को गेट्स ने घोषणा की कि वे अगले 20 वर्षों में अपनी लगभग पूरी संपत्ति, जिसकी अनुमानित राशि 200 अरब डॉलर है. दान में दे देंगे, और 31 दिसंबर, 2045 को गेट्स फाउंडेशन को बंद कर देंगे. गेट्स ने लिखा- "लोग मेरे मरने के बाद बहुत सी बातें कहेंगे, लेकिन मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि 'वह अमीर मर गया'- यह उनमें से एक न हो. बहुत से ज़रूरी काम बाकी हैं, जिन्हें पूरा करने के लिए मेरे संसाधनों की ज़रूरत है." गेट्स फाउंडेशन, जो दुनिया की सबसे बड़ी परोपकारी संस्थाओं में से एक है, स्थापना के बाद से अब तक 100 अरब डॉलर से अधिक दान में दे चुका है. इसका योगदान नए टीकों के विकास, रोगों की जांच के नए उपकरणों और इलाज की व्यवस्था को बेहतर बनाने में रहा है. हाल के वर्षों में विशेष रूप से महामारी के बाद, गेट्स ने दान देने की गति तेज़ कर दी थी, लेकिन गुरुवार की घोषणा उनके धन के उपयोग में अभूतपूर्व तेजी का संकेत देती है. गेट्स फाउंडेशन ने इसे "आधुनिक इतिहास की सबसे बड़ी परोपकारी प्रतिबद्धता" कहा.
रॉबर्ट फ्रांसिस प्रेवोस्ट नये पोप, पहले अमेरिकी
69 वर्षीय अमेरिकी कार्डिनल रॉबर्ट फ्रांसिस प्रेवोस्ट पोप लियो चौदहवें चुने गए, जिनके चयन के बाद सेंट पीटर स्क्वायर में मौजूद 1 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के बीच खुशी और उत्सव की लहर दौड़ गई. शिकागो में जन्मे इस मध्यम विचारधारा वाले कार्डिनल को पोप फ्रांसिस ने कई वरिष्ठ पद सौंपे थे. उनके पास पेरू में मिशनरी का गहरा अनुभव भी है, जहां वे उत्तरी शहर चिक्लायो में बिशप के रूप में सेवा दे चुके हैं. उन्हें कॉनक्लेव के दूसरे दिन चुना गया, जिसमें 133 कार्डिनल मतदाताओं में से बहुमत का समर्थन प्राप्त हुआ.
वैटिकन की लंबे समय से अमेरिका से किसी पोप के चुने जाने के प्रति असहमति रही है, क्योंकि अमेरिका एक महाशक्ति है और उसका वैश्विक धर्मनिरपेक्ष प्रभाव काफी अधिक है. इसके बावजूद, शिकागो में जन्मे मध्यमवर्ती रुझान वाले प्रेवोस्ट पर सभी की निगाहें थीं. उन्हें 2023 में पोप फ्रांसिस द्वारा कार्डिनल बनाया गया. साथ ही, दिवंगत पोप ने उन्हें डिकास्टरी फॉर बिशप्स जैसे शक्तिशाली वैटिकन कार्यालय में नियुक्त किया था, जो दुनिया भर में नए बिशपों के चयन की देखरेख करता है. ये उच्च पद और पेरू में उनके मिशनरी अनुभव, विशेष रूप से उत्तरी शहर चिक्लायो में बतौर बिशप की सेवा, ऐसे कारण बन सकते हैं, जो उन लोगों की नजर में उन्हें स्वीकार्य बना सकते हैं, जो आमतौर पर किसी अमेरिकी पोप की कल्पना से असहज रहते हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और प्रमुख यूरोपीय देशों के राष्ट्राध्यक्षों और सरकारों के प्रमुखों सहित विश्व भर के नेताओं ने रोमन कैथोलिक चर्च के नए प्रमुख को बधाई दी. हालांकि युद्धों, प्रवासन, जलवायु संकट और चर्च के भीतर की गुटबाज़ी जैसे मुद्दों के बीच, नए नेता के सामने चुनौतियों की कोई कमी नहीं है.
पाठकों से अपील-
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