09/06/2025 | सत्यपाल मलिक का सच | मणिपुर में फिर बवाल | ईद पर गोवंश हत्या के नाम पर असम में गिरफ्तारियां | बंदर के हाथ में सरकार का उस्तरा | कयामत के कितने करीब हम |
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां
अस्पताल से सत्यपाल मलिक का बयान
मणिपुर में फिर उबाल
बेंगलुरू : पुलिस ने पहले ही तैयारी और सुरक्षा इंतज़ामों के लिए मांगा था समय, सरकार ने नहीं मानी बात
ईद पर गोवंश बध के आरोप में 16 गिरफ्तार
भागवत को जातिवाद से मुक्त समाज चाहिए
आकार पटेल | डूम्सडे क्लॉक बताती है कयामत के कितने करीब हैं हम.. और जवाब अच्छा नहीं है सिंहासन पर मूर्ख: जब उस्तरा बंदर के हाथों लगता है
यूक्रेन के शहर सुमी के दरवाज़े पर पहुंचा रूस, मोर्चे पर लगाए 50 हजार सैनिक
अस्पताल में भर्ती सत्यपाल मलिक ने “एक्स” पर लिखा
‘जो टेंडर मैंने रद्द किया, उसी में मुझें फंसाने की साजिश की जा रही है…मैं जिंदा रहूं या न रहूं, देशवासियों को सच बताना चाहता हूं’
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने शनिवार (7 जून) को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार उन्हें सीबीआई द्वारा दर्ज झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश कर रही है.
“द वायर” के अनुसार “एक्स” पर एक पोस्ट में मलिक ने कहा, “जिस टेंडर में मुझे फंसाने की कोशिश की जा रही है, उसे मैंने खुद रद्द किया था. मैंने उस मामले में भ्रष्टाचार की जानकारी प्रधानमंत्री को दी थी, और उन्हें सूचित करने के बाद मैंने स्वयं वह टेंडर रद्द किया. मेरे स्थानांतरण के बाद, वह टेंडर किसी और के हस्ताक्षर से स्वीकृत कर दिया गया.” मलिक, जो मोदी सरकार की खुलकर आलोचना कर चुके हैं और कई बार भारतीय जनता पार्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुके हैं, ने कहा कि उन्हें राज्यपाल रहते हुए 150 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी. पूर्व राज्यपाल फिलहाल किडनी संबंधी बीमारी के चलते अस्पताल के आईसीयू में भर्ती हैं.
मलिक ने कहा, “मेरी हालत बहुत गंभीर होती जा रही है. मैं जिंदा रहूं या न रहूं, मैं अपने देशवासियों को सच बताना चाहता हूं — जब मैं राज्यपाल था, मुझे ₹150 से ₹150 करोड़ की रिश्वत की पेशकश हुई, लेकिन अपने राजनीतिक गुरु, दिवंगत किसान नेता चौधरी चरण सिंह की तरह, मैंने ईमानदारी से काम किया और मेरी ईमानदारी कभी डगमगाई नहीं.”
“सरकार ने मुझे बदनाम करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी है. अंत में मेरी सरकार और उसकी एजेंसियों से विनती है कि कृपया देशवासियों को सच बताएं — आपकी जांच में मेरे खिलाफ क्या मिला? सच्चाई यह है कि देश की सेवा करते हुए 50 साल से भी ज्यादा राजनीतिक जीवन में ऊंचे पदों पर रहने के बाद भी मैं आज एक कमरे के मकान में रहता हूं और कर्ज में हूं. अगर आज मेरे पास धन होता तो मैं निजी अस्पताल में इलाज करवा रहा होता,” मलिक ने कहा.
मलिक द्वारा “एक्स” पर जिन मामलों का जिक्र किया गया, वे अप्रैल 2022 के हैं, जब सीबीआई ने किरण जलविद्युत परियोजना के तहत काम के लिए आवंटित धन से जुड़े मामले में केस दर्ज किया था. यह मामला 2,200 करोड़ रुपये के आवंटन से संबंधित है. इस मामले में दाखिल चार्जशीट में मलिक सहित कुल आठ लोगों को आरोपी बनाया गया है. जिनमें, सीवीपीपीपीएल के तत्कालीन प्रबंध निदेशक एम.एस. बाबू, निदेशक एम.के. मित्तल और अरुण कुमार मिश्रा, पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड के प्रबंध निदेशक (स्व. रूपेन पटेल) सहित अन्य शामिल हैं.
मणिपुर फिर हिंसा की चपेट में, मैतेई नेता की गिरफ्तारी के बाद 5 जिलों में कर्फ्यू व इंटरनेट बंद
मणिपुर में फिर हिंसा भड़क उठी है. राजधानी इंफाल में शनिवार रात (7 जून) माहौल उस समय तनावपूर्ण हो गया, जब पुलिस ने मैतेई संगठन अरंबाई तेंगोल के नेता कानन सिंह और उसके चार अन्य साथियों को गिरफ्तार कर लिया. इस गिरफ्तारी के बाद पूरे इंफाल में व्यापक हिंसा फैल गई. अशांति के बाद मणिपुर के पांच घाटी जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है और मोबाइल इंटरनेट सेवाएं पांच दिनों के लिए निलंबित कर दी गई हैं. हालांकि, “द इंडियन एक्सप्रेस” के मुताबिक सिर्फ बिष्णुपुर जिले में कर्फ्यू लगाया गया है. उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष फरवरी से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है. मई 2023 में शुरू हुई हिंसा को दो साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है. हिंसा में 260 लोगों की जान गई है और हजारों को अपना घर-द्वार छोड़कर राहत शिविरों में रहना पड़ रहा है. राज्य एक बार फिर हिंसा की चपेट में है, मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो वर्षों में एक मर्तबा भी मणिपुर नहीं गए हैं. विपक्ष लगातार सवाल उठाकर इस मुद्दे पर उनको कटघरे में खड़ा करता रहा है, लेकिन अब तक उनकी चुप्पी टूटी नहीं है.
गुस्साई भीड़ ने सड़कों पर उतरकर कई पुलिस बैरिकेड्स को तोड़ दिया या उनमें आग लगा दी. भीड़ में से कई लोग अरंबाई तेंगोल के सदस्य या समर्थक नजर आ रहे थे, जो कि एक कट्टरपंथी मैतेई समूह है. हिंसा के दौरान कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया. कुछ प्रदर्शनकारियों ने अपने शरीर पर पेट्रोल डालकर आत्मदाह की धमकी भी दी. शनिवार रात हुई झड़पों में अरंबाई तेंगोल के कम से कम आठ सदस्य घायल हुए हैं और फिलहाल इंफाल के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है.
“द वायर” के मुताबिक, गिरफ्तारी के दौरान समर्थकों ने कानन सिंह को सुरक्षा बलों की हिरासत से जबरन छुड़ाने की भी कोशिश की. हालांकि, सुरक्षा बलों ने स्थिति पर नियंत्रण बनाए रखा और गिरफ्तारियां पूरी कीं. जहां इंफाल कड़ी सुरक्षा में है, वहीं आसपास के इलाके और अन्य घाटी जिलों में अशांति बढ़ती जा रही है. प्रदर्शनकारियों, जिनमें से कई युवा पुरुष हैं, ने टायर जलाकर सड़कों को अवरुद्ध किया है और कुछ क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की आवाजाही में भी बाधा डाली है. अरंबाई तेंगोल ने घाटी के जिलों में दस दिन के संपूर्ण बंद का आह्वान किया है. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं.
मणिपुर के उग्रवादी समूह अरंबाई तेंगगोल का नाम हिंसा, लूटपाट और हत्या से जुड़ी कई एफआईआर में सामने आया है, जिनमें से कई मामलों की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कर रही है.
शुरुआत में अरंबाई तेंगगोल को एक मैतेई सांस्कृतिक पुनरुत्थानवादी समूह के रूप में स्थापित किया गया था, लेकिन यह अब एक भारी हथियारबंद उग्रवादी मिलिशिया में बदल चुका है, जो घाटी में बेखौफ होकर काम कर रहा है. अब इसे मणिपुर का तीसरा बड़ा सशस्त्र संगठन माना जा रहा है, जो लंबे समय से सक्रिय यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) जैसे मैतेई अलगाववादी संगठनों के बाद आता है, जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से सशस्त्र संघर्ष और भूमिगत नेटवर्क के माध्यम से मैतेई एजेंडा को आगे बढ़ाया है.
रिपोर्ट के अनुसार इन गिरफ्तारियों के बाद भाजपा के राज्यसभा सांसद लिसेम्बा सनाजाओबा, अन्य कई विधायकों के साथ आज राजभवन पहुंचे. बताया जा रहा है कि बीजेपी के राज्य नेतृत्व ने स्थिति के प्रबंधन को लेकर केंद्रीय नेतृत्व से नाराजगी जताई है. कानन सिंह को सीबीआई ने हिरासत में लेकर आगे की जांच के लिए इंफाल से गुवाहाटी भेजा, जबकि चार अन्य को राज्य पुलिस ने गिरफ्तार किया, क्योंकि वे ऑपरेशन के समय उसके साथ थे. सिंह, अरंबाई तेंगगोल से जुड़ने से पहले हेड कांस्टेबल के पद पर कार्यरत था.
अरंबाई तेंगगोल का उदय खतरनाक संकेत : अरंबाई तेंगगोल ने मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और इसकी तुलना क्षेत्र के पहले के उग्रवादी संगठनों से की जा रही है. विश्लेषकों का मानना है कि इसका उदय पूर्वोत्तर के उग्रवादी परिदृश्य में एक खतरनाक बदलाव का संकेत है, क्योंकि इसकी विचारधारा, संगठन और आक्रामक रणनीति संघर्ष के एक नए मॉडल की ओर इशारा करती है.
इंफाल में स्थित यह समूह न केवल खुलेआम काम करता रहा है, बल्कि इसे राज्यपाल अजय भल्ला, पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और बीजेपी सांसद सनाजाओबा जैसे शीर्ष राजनीतिक नेताओं से मिलने की भी अनुमति मिली थी, जिनमें से कुछ ने खुले तौर पर इस समूह का समर्थन भी किया है. इसके अतिरिक्त, अरंबाई तेंगगोल पर यह भी आरोप है कि उसने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की खुली अवहेलना करते हुए घाटी में कुकी समुदाय की संपत्तियों पर कब्जा किया है.
भाजपा स्थिर सरकार बनाने में क्यों असफल : इंफाल में बहुमत और नागरिक समाज संगठनों की बढ़ती मांगों के बावजूद, भाजपा मणिपुर में स्थिर सरकार बनाने में असफल रही है. इसका एक मुख्य कारण अरंबाई तेंगगोल समूह के कुछ सदस्यों की गिरफ्तारी की मजबूत सार्वजनिक मांग है. जब तक यह कार्रवाई नहीं होती, सरकार कुकी समुदाय का विश्वास नहीं जीत सकती और न ही उन्हें एकीकृत प्रशासन में शामिल कर सकती है.
सभी 10 कुकी विधायक, जिनमें सात भाजपा के हैं, ने वर्तमान सरकार को अपना समर्थन देने से इनकार कर दिया है. जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी को विश्वास बहाली के लिए अहम कदम माना गया. इसीलिए, जानकारों को लगता है कि अरंबाई तेंगगोल के प्रमुख कोरौंगनबा खुमान की गिरफ्तारी भी हो सकती है, क्योंकि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) उनके खिलाफ कई मामलों की जांच कर रही है.
कुकी समुदाय के तीन उग्रवादी भी गिरफ्तार : इस बीच “द न्यू इंडियन एक्सप्रेस” ने पीटीआई के हवाले से बताया है कि एनआईए ने मणिपुर में पिछले साल घातक हमले से जुड़े एक मामले में कुकी समुदाय के तीन उग्रवादियों को गिरफ्तार किया है. इस हमले में दो पुलिस कमांडो की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हुए थे.
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में थांगमिनलेन मेटे, कुकी इंपी तेंगनौपाल (केआईटी) उग्रवादी समूह का सदस्य है. जबकि दो अन्य में कमगिनथांग गंगटे कुकी नेशनल आर्मी (केएनए) और हेंतिनथांग किपगेन उर्फ थांगनेओ किपगेन चुराचांदपुर जिले के गांव वालंटियर्स ग्रुप से जुड़ा है.
बेंगलुरु भगदड़
पुलिस ने पहले ही तैयारी और सुरक्षा इंतज़ामों के लिए मांगा था समय, सरकार ने नहीं मानी बात

'द हिन्दू' की रिपोर्ट है कि रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) की आईपीएल 2025 जीत के जश्न के दौरान हुए हादसे और भगदड़ को लेकर पुलिस और राज्य सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है. इस बीच एक दस्तावेज़ सामने आया है, जिससे पता चलता है कि विधान सौध सुरक्षा इकाई ने पहले ही भारी भीड़, समय की कमी और पर्याप्त सुरक्षा बल न होने को लेकर चिंता जताई थी, लेकिन सरकार ने इसे दरकिनार कर कार्यक्रम को आगे बढ़ाया. 4 जून को विधान सौध की सीढ़ियों पर आरसीबी टीम के सम्मान समारोह के दौरान हजारों की भीड़ जुटी. इसके साथ ही आरसीबी ने उसी सुबह एक विजय जुलूस की एकतरफा घोषणा भी की, जिसके चलते सड़कों पर लाखों प्रशंसक उमड़ पड़े. पुलिस के अनुसार, इसी भीड़ का दबाव बाद में एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में भगदड़ का कारण बना.
कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ने 3 जून को विधान सौध सुरक्षा के डीसीपी से पूछा था कि क्या 4 जून को अगर आरसीबी जीतती है, तो सम्मान समारोह आयोजित किया जा सकता हैत्र इस पर डीसीपी एम.एन. करिबसवगौड़ा ने 4 जून को जवाब देते हुए लिखा कि लाखों RCB प्रशंसकों के आने की संभावना है, विधान सौध सुरक्षा डिवीजन में पर्याप्त बल नहीं है, अन्य सुरक्षा एजेंसियों (कानून व्यवस्था व ट्रैफिक पुलिस) के साथ समन्वय करने और अतिरिक्त बल बुलाने का समय नहीं है. उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे महत्वपूर्ण स्थान पर नियमों का पालन करते हुए थोड़ा और समय लेकर कार्यक्रम किया जाना चाहिए, लेकिन अंततः उन्होंने यह भी लिखा कि पुलिस सरकार के निर्णय का पालन करेगी.
सूत्रों के अनुसार, बेंगलुरु सिटी पुलिस ने सरकार से यह समारोह रविवार, 8 जून तक स्थगित करने की सिफारिश की थी, ताकि तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिल सके, लेकिन यह सुझाव नहीं माना गया. दस्तावेज़ पुलिस की पूर्व चेतावनी की पुष्टि करता है. विधान सौध कार्यक्रम में कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई, लेकिन भारी भीड़ और व्यवस्थागत खामियों के चलते चिन्नास्वामी स्टेडियम में भगदड़ जैसी घटना हो गई. राज्य के प्रशासनिक मुख्यालय जैसे संवेदनशील स्थान पर इस तरह का आयोजन बिना पूरी तैयारी के किया गया.
ईद के दौरान असम में गोवंश वध पर 16 गिरफ्तार
'द हिन्दू' की रिपोर्ट है कि असम पुलिस ने ईद-उल-अजहा के अवसर पर 7 जून को हुए अवैध गोवंश वध के मामलों में 16 लोगों को गिरफ्तार किया है. यह जानकारी मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को दी. मुख्यमंत्री ने बताया कि असम के बराक घाटी क्षेत्र में पांच स्थानों पर अवैध गोवंश वध के केंद्र पकड़े गए, जिनमें से तीन कछार ज़िले के गुमराह, सिलचर और लक्षीपुर में तथा दो करीमगंज ज़िले के बदरपुर और बांगा में पाए गए. गिरफ्तार किए गए 16 लोगों में से 9 कछार ज़िले से और 7 श्रीभूमि क्षेत्र से हैं. इसके अलावा, गोवंश के अंग कई अन्य स्थानों से भी बरामद किए गए, जिनमें गुवाहाटी स्थित कॉटन यूनिवर्सिटी के पास, धुबरी, होजई और श्रीभूमि जिले शामिल हैं. मुख्यमंत्री सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, — “हमारा संविधान धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है, लेकिन कानून व्यवस्था और जनहित भी उतना ही महत्वपूर्ण है. इस ईद-उल-अजहा पर अवैध वध और गोवंश के अवशेष मिलने की कई घटनाएं सामने आईं हैं.”
भागवत को जातिवाद से मुक्त समाज चाहिए
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को अपने सदस्यों से हर परिवार तक पहुंचने और सभी हिंदुओं को एकजुट करने के लिए काम करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि लक्ष्य एक ऐसे समाज का निर्माण करना है, जो जातिवाद जैसी असमानताओं से मुक्त हो और अपनी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक हो. "हमें सभी हिंदुओं को एकजुट करने का कार्य करना है. हर घर में 'संस्कार' होने चाहिए और परिवारों में सामंजस्य होना चाहिए, ताकि हर घर में सनातन परंपरा की पुनः स्थापना हो सके," उन्होंने कहा.
“पंच परिवर्तन के आधार पर, पूरे समाज में एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ने का प्रयास किया जा रहा है—एक ऐसा समाज जो जातिवाद की असमानता से मुक्त हो, जहां संपूर्ण समाज का मंदिरों, जलाशयों, श्मशानों पर समान अधिकार हो," संघ प्रमुख ने कहा.
विश्लेषण
आकार पटेल | डूम्सडे क्लॉक बताती है कयामत के कितने करीब हैं हम.. और जवाब अच्छा नहीं है
डूम्सडे क्लॉक एक विजुअल उपकरण है जो दुनिया को यह बताने के लिए डिज़ाइन किया गया है कि इंसान खतरनाक तकनीकों से अपनी दुनिया का सर्वनाश करने के कितने करीब हैं. घड़ी का समय विशेषज्ञों द्वारा इस बात को दर्शाने के लिए सेट किया जाता है कि हम विनाश (आधी रात) से कितनी दूर हैं, और यदि यह सटीक है, तो हम वर्तमान में अंत के सबसे करीब हैं जितने हम कभी रहे हैं.
घड़ी 1947 में बनाई गई थी, भारत की स्वतंत्रता का वर्ष, जब महान वैश्विक खतरा निश्चित रूप से परमाणु हथियारों का था. बम नागासाकी और हिरोशिमा पर केवल दो साल पहले गिराए गए थे, और सोवियत अपने स्वयं के परमाणु हथियार विकसित कर रहे थे. उन्होंने 1949 में यह क्षमता हासिल की, फिर यूनाइटेड किंगडम 1952 में परमाणु बना, फ्रांस 1960 में और चीन 1964 में.
भारत ने 1974 में अपने कार्यक्रम को हथियार बनाया, और फिर 1990 के दशक में पाकिस्तान ने भी अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया. इज़राइल और उत्तर कोरिया के पास हथियार होने की समझ है और यह संभावना है कि ईरान के उन्हें हासिल करने में केवल समय की बात है.
1980 के दशक में, जब मैं संयुक्त राज्य अमेरिका में छात्र था, सबसे महत्वपूर्ण संबंधित तत्व स्ट्रैटेजिक डिफेंस इनिशिएटिव नामक कुछ था, जिसका उपनाम स्टार वार्स था. इसके तहत रोनाल्ड रीगन प्रशासन एक ऐसी प्रणाली विकसित कर रहा था जो अमेरिका को अपनी आक्रामक क्षमता बरकरार रखते हुए आने वाली मिसाइलों को मार गिराने की अनुमति देती. इसने संभवतः डूम्सडे क्लॉक को आगे भेजा.
सोवियत संघ के नष्ट होने के बाद, डूम्सडे क्लॉक को 1991 में आधी रात से 17 मिनट पीछे ले जाया गया, जो इसका अब तक का सबसे दूर का समय था. परमाणु हथियारों का खतरा काफी हद तक कम होता दिखाई दे रहा था. कम से कम समाचारों ने इसे इस तरह रिपोर्ट किया था. 1991 से पहले परमाणु हथियारों पर आज की तुलना में कहीं अधिक रिपोर्ट्स, विश्लेषण, नागरिक समाज समूह (जैसे पगवाश) और अधिक सक्रियता दिखाई देती थी.
वर्तमान में घड़ी के सेटर्स इसकी वेबसाइट के अनुसार 18 व्यक्ति हैं, जिनमें तीन दक्षिण एशियाई मूल के हैं (एक आईआईटी, दिल्ली में प्रोफेसर हैं).
दो दशक पहले, डूम्सडे क्लॉक ने अन्य खतरों को शामिल करना शुरू किया था, जिसमें जलवायु परिवर्तन भी शामिल है और अब इसे आगे के नए खतरों को समायोजित करना है, जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता. मानवजाति अपने आप को नष्ट करने के सभी प्रकार के नए तरीकों के आविष्कार को तेज़ कर रही है.
इस वर्ष की शुरुआत में, 28 जनवरी को, उन्होंने इस निष्कर्ष के लिए निम्नलिखित औचित्य पोस्ट किया कि 2025 में हम 1947 की तुलना में विनाश के करीब थे.
"पहले से कहीं अधिक करीब: अब आधी रात से 89 सेकंड दूर है. 2024 में, मानवता तबाही के और करीब पहुंच गई. वे रुझान जिन्होंने साइंस एंड सिक्योरिटी बोर्ड को गंभीरता से चिंतित किया है, वे जारी रहे, और खतरे के स्पष्ट संकेतों के बावजूद, राष्ट्रीय नेता और उनके समाज दिशा बदलने के लिए आवश्यक कार्य करने में विफल रहे हैं. परिणामस्वरूप, हम अब डूम्सडे क्लॉक को 90 सेकंड से 89 सेकंड आधी रात तक ले जाते हैं — यह तबाही के सबसे करीब कभी रहा है. हमारी उत्कट आशा है कि नेता दुनिया की अस्तित्वगत दुर्दशा को पहचानेंगे और परमाणु हथियारों, जलवायु परिवर्तन, और जैविक विज्ञान के संभावित दुरुपयोग और विभिन्न उभरती प्रौद्योगिकियों द्वारा उत्पन्न खतरों को कम करने के लिए साहसिक कार्रवाई करेंगे."
जनवरी में उस दिन के बाद से, बहुत कुछ हुआ है. रूसी हवाई अड्डों पर ड्रोन हमले ने, इसकी सबसे मूल्यवान हवाई संपत्तियों का एक हिस्सा निकालकर, यूक्रेन युद्ध को बढ़ाया. गाजा में इज़राइली नरसंहार जारी रहा है और अब इसकी सरकार फिलिस्तीनियों को भूखा मार रही है, लेबनान जैसे करीबी और यमन जैसे दूर के देशों के साथ खुले संघर्ष के साथ. संयुक्त राज्य अमेरिका एक विशेष रूप से अप्रत्याशित नेता की संरक्षकता में आ गया है. व्यापार से लेकर ताइवान तक के मामलों पर अमेरिका ने चीन के खिलाफ जो तनाव बनाया है, वह बढ़ गया है. और निश्चित रूप से केवल कुछ सप्ताह पहले भारत एक ऐसे संघर्ष में लड़ा जिसके बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति बार-बार दावा करते हैं कि यह परमाणु होने के खतरे में था.
और उपरोक्त सभी में हमें जलवायु परिवर्तन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रभाव से आने वाले खतरों को भी जोड़ना चाहिए. इन दोनों में से दूसरे क्षेत्र में, चीजें इतनी तेज़ गति से आगे बढ़ रही हैं कि इस बात की कोई वास्तविक समझ नहीं है कि खतरा कितना निकट है, या यहां तक कि खतरे की प्रकृति क्या होगी. प्रौद्योगिकी के सबसे करीब वाले सबसे डरे हुए (इस मामले में शिक्षाविद्) और सबसे खारिज करने वाले (यदि वे एआई के विकास से लाभ कमाने वाले निगम हैं) दोनों हैं और इसलिए बाहर से हमारे लिए न्याय करना आसान नहीं है.
किसी भी मामले में, यह देखते हुए कि यह अब राज्य-प्रबंधित परमाणु हथियारों की दौड़ के विपरीत अमेरिका और चीन के कॉर्पोरेट क्षेत्रों में एक दौड़ है, इसे नियंत्रित करना संभवतः असंभव है. हम जानेंगे कि अंतिम परिणाम आपदा है या वरदान यदि और जब यह आएगा. सोशल मीडिया पर गलत सूचना में और ड्रोन जैसे सैन्य अनुप्रयोगों में एआई की भूमिका पहले से ही हमें संकेत देती है कि बुरा अच्छे से अधिक होने की संभावना है.
ध्यान दें कि हमने एक और महामारी की संभावना पर भी चर्चा नहीं की है. या उस अराजकता और अशांति की जो जल्द ही एक ऐसी दुनिया में आएगी जिसमें मुट्ठी भर अरबपति और अरबों गरीब लोग होंगे.
डूम्सडे क्लॉक जागरूकता बढ़ाने और अस्तित्वगत जोखिमों को कम करने के लिए कार्रवाई को प्रोत्साहित करने की कोशिश करती है. लेकिन मेरी राय में यह इस कार्य में काफी हद तक विफल रहती है. यदि हम विचार करें कि भारत सहित दुनिया भर में रात्रि में किस प्रकार के समाचार का सेवन किया जाता है, तो हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि मानवजाति अन्य घटनाओं से अधिक परेशान है. कुछ लोगों के लिए ये घटनाएं उन कहीं अधिक गंभीर चीजों की तुलना में तुच्छ हो सकती हैं जिनमें हम ग्रह को धकेल रहे हैं. हालांकि हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि वे अधिकांश मानवजाति के लिए घड़ी की टिकटिक के दौरान मनोरंजन में रखने के लिए पर्याप्त महत्वपूर्ण हैं.
विचार
सिंहासन पर मूर्ख: जब उस्तरा बंदर के हाथों लगता है
सभी साम्राज्यों के अंतिम दिनों में मूर्ख लोग सत्ता संभालते हैं. वे उस सभ्यता की सामूहिक मूर्खता को दर्शाते हैं जो वास्तविकता से अलग हो गई है.
क्रिस हेजेस पुलित्ज़र पुरस्कार से सम्मानित पत्रकार हैं और यह लेख उन्होंने लिखा तो अमेरिका के हालातों पर है, पर ये बिल्कुल जरूरी नहीं है कि दूसरे देशों पर ये बात लागू न हो. और ये भी बिल्कुल जरूरी नहीं कि समानताओं के जो संयोग आपको दिखलाई पड़ रहे हों, वे सभी काल्पनिक हो. यह अनुवाद उनके सब्सटैक पर छपे लेख का किया गया है.
मरते हुए साम्राज्यों के अंतिम दिन मूर्खों के हावी होने से चिह्नित होते हैं. रोम, माया, फ्रांसीसी, हैब्सबर्ग, ऑटोमन, रोमानोव, ईरानी और सोवियत राजवंश अपने पतनशील शासकों की मूर्खता के तहत ध्वस्त हो गए, जिन्होंने खुद को वास्तविकता से दूर कर लिया, अपने राष्ट्रों को लूटा और ऐसे इको चैंबर में चले गए जहां तथ्य और कल्पना अविभाज्य थे.
डोनाल्ड ट्रम्प, और उनके प्रशासन में चापलूस मूर्ख, रोमन सम्राट नीरो के शासनकाल के आधुनिक संस्करण हैं, जिसने जादुई शक्तियां प्राप्त करने के लिए विशाल राज्य व्यय आवंटित किए; चीनी सम्राट किन शी हुआंग, जिसने अमरता का अमृत वापस लाने के लिए अमर लोगों के एक मिथकीय द्वीप पर बार-बार अभियानों को वित्त पोषित किया; और एक नीरस जारशाही दरबार जो टैरो कार्ड पढ़ने और सेंस में भाग लेने में व्यस्त था जबकि रूस एक युद्ध से तबाह हो रहा था जिसने बीस लाख से अधिक जीवन निगल लिए थे और सड़कों पर क्रांति का बीज बो रहा था.
हिटलर के बारे में कहा जाता है कि वह बातें बनाने और राजनीतिक अवसरवाद में प्रतिभाशाली था, लेकिन खराब तरह से शिक्षित था और अश्लील था और उसने जर्मन लोगों को मोहित किया और बहकाया. "हिटलर और जर्मन" में, राजनीतिक दार्शनिक एरिक वोगेलिन इस विचार को खारिज करते हैं. वे लिखते हैं कि जर्मनों ने हिटलर और उसके आसपास के "विचित्र, सीमांत व्यक्तित्वों" का समर्थन इसलिए किया क्योंकि वह आर्थिक पतन और निराशा से घिरे हुए बीमार समाज की पैथोलॉजी का प्रतिनिधित्व करता था, जो आर्थिक पतन और निराशा से घिरा हुआ था. वोगेलिन मूर्खता को "वास्तविकता के गायब बोध" के रूप में परिभाषित करते हैं. इसका मतलब है कि एक "मूर्ख" व्यक्ति "अपनी दुनिया में अपनी काम को सही तरीके से ओरियंट नहीं कर सकता." लोकप्रिय नेता, जो हमेशा एक मूर्ख होता है, कोई असामान्य या सामाजिक म्यूटेशन (उत्परिवर्तन) नहीं है. लोकप्रिय नेता समाज की युगभावना, सत्यापन योग्य तथ्य की तर्कसंगत दुनिया से इसके सामूहिक प्रस्थान को व्यक्त करता है.
ये मूर्ख, जो खोई हुई महानता और शक्ति को वापस पकड़ने का वादा करते हैं, सृजन नहीं करते. वे केवल नष्ट करते हैं. वे पतन को तेज करते हैं. बौद्धिक क्षमता में सीमित, किसी भी नैतिक कम्पास की कमी, घोर अक्षम और स्थापित कुलीनों पर क्रोध से भरे हुए जिन्हें वे अपना तिरस्कार और अस्वीकार करते हुए देखते हैं, वे दुनिया को धोखेबाजों, चालबाजों और महत्वाकांक्षी लोगों के लिए एक खेल का मैदान बना देते हैं. वे विश्वविद्यालयों पर युद्ध छेड़ते हैं, वैज्ञानिक अनुसंधान को निर्वासित करते हैं, बड़े पैमाने पर निगरानी और डेटा साझाकरण का विस्तार करने के बहाने के रूप में टीकों के बारे में नकली सिद्धांतों का प्रचार करते हैं, कानूनी निवासियों के अधिकारों को छीनते हैं और गुंडों की सेनाओं को सशक्त बनाते हैं, जो यू.एस. इमिग्रेशन और कस्टम्स एनफोर्समेंट (आईसीई) बन गया है, डर फैलाने और निष्क्रियता सुनिश्चित करने के लिए. वास्तविकता, चाहे वह जलवायु संकट हो या श्रमिक वर्ग की दुर्दशा, उनकी कल्पनाओं पर प्रभाव नहीं डालती. जितना खराब होता जाता है, वे उतने ही मूर्ख बनते जाते हैं.
हाना आरेंड्ट इस सामूहिक "विचारहीनता" पर एक ऐसे समाज को दोष देती हैं जो स्वेच्छा से कट्टरपंथी बुराई को गले लगाता है. स्थिरता से बचने के लिए बेताब, जहां वे और उनके बच्चे फंसे हुए हैं, निराश और निराशा में, खुद को धोखे में महसूस करती आबादी आगे बढ़ने की हताश हाथापाई में अपने आसपास सभी का शोषण करने के लिए तैयार हो जाती है. लोग उपयोग की जाने वाली वस्तुएं हैं, जो शासक वर्ग द्वारा की गई क्रूरता को प्रतिबिंबित करते हैं.
विकार और अराजकता से पीड़ित एक समाज, जैसा कि वोगेलिन बताते हैं, नैतिक रूप से पतित लोगों का जश्न मनाता है, जो चालाक, हेराफेरी करने वाले, धोखेबाज और हिंसक होते हैं. एक खुले लोकतांत्रिक समाज में, इन विशेषताओं को तुच्छ समझा जाता है और अपराधीकृत किया जाता है. जो लोग इन्हें प्रदर्शित करते हैं उन्हें मूर्ख के रूप में निंदा की जाती है; वोगेलिन नोट करते हैं, "एक आदमी [या महिला] जो इस तरह से व्यवहार करता है, उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा." लेकिन एक रोगग्रस्त समाज में सामाजिक, सांस्कृतिक और नैतिक मानदंड उलट जाते हैं. वे विशेषताएं जो एक खुले समाज को बनाए रखती हैं - आम भलाई के लिए चिंता, ईमानदारी, विश्वास और आत्म-बलिदान - का उपहास किया जाता है. वे एक रोगग्रस्त समाज में अस्तित्व के लिए हानिकारक हैं.
जब एक समाज, जैसा कि प्लेटो नोट करते हैं, आम भलाई को त्याग देता है, तो यह हमेशा अनैतिक वासनाओं - हिंसा, लालच और यौन शोषण - को उजागर करता है और जादुई सोच को बढ़ावा देता है, जो मेरी पुस्तक "एम्पायर ऑफ इल्यूजन: द एंड ऑफ लिटरेसी एंड द ट्रायम्फ ऑफ स्पेक्टेकल" का केंद्र है.
इन मरते हुए शासनों का एकमात्र अच्छा काम तमाशा है. ये रोटी और सर्कस के नौटंकी एक परेशान जनसंख्या का मनोरंजन करती है - जैसे कि ट्रम्प की 14 जून को अपने जन्मदिन पर आयोजित होने वाली 40 मिलियन डॉलर की सेना परेड.
अमेरिका का डिज्नीकरण, हमेशा खुश विचारों और सकारात्मक दृष्टिकोण की भूमि, वह भूमि जहां सब कुछ संभव है, आर्थिक स्थिरता और सामाजिक असमानता की क्रूरता को छिपाने के लिए पेश की जाती है. आबादी को जन संस्कृति द्वारा कंडीशन किया जाता है, जो यौन वस्तुकरण, निरर्थक और बेवकूफ मनोरंजन और हिंसा के ग्राफिक चित्रण से हावी है, असफलता के लिए खुद को दोष देने के लिए.
सोरेन कीर्केगार्ड "द प्रेजेंट एज" में चेतावनी देते हैं कि आधुनिक राज्य विवेक को मिटाने और व्यक्तियों को एक लचीली और शिक्षित "जनता" में आकार देने और हेरफेर करने की कोशिश करता है. यह जनता वास्तविक नहीं है. यह, जैसा कि कीर्केगार्ड लिखते हैं, "एक राक्षसी अमूर्तता, एक सर्वव्यापी कुछ जो कुछ भी नहीं है, एक मृगतृष्णा" है. संक्षेप में, हम एक झुंड का हिस्सा बन गए, "अवास्तविक व्यक्ति जो कभी नहीं हैं और कभी भी एक वास्तविक स्थिति या संगठन में एकजुट नहीं हो सकते - और फिर भी एक पूरे के रूप में एक साथ आयोजित किए जाते हैं." जो लोग जनता पर सवाल उठाते हैं, जो शासक वर्ग के भ्रष्टाचार की निंदा करते हैं, उन्हें सपने देखने वाले, असामान्य या गद्दार के रूप में खारिज कर दिया जाता है. लेकिन केवल वे, पोलिस की ग्रीक परिभाषा के अनुसार, नागरिक माने जा सकते हैं.
थॉमस पेन लिखते हैं कि एक निरंकुश सरकार ऐसा फंगस (कवक) है जो एक भ्रष्ट नागरिक समाज से निकलता है. यही पिछले समाजों के साथ हुआ. यही हमारे साथ भी हुआ है.
पतन को व्यक्तिगत बनाना लुभावना है, मानो ट्रम्प से छुटकारा पाना हमें विवेक और संयम पर वापस लौटा देगा. लेकिन सड़न और भ्रष्टाचार ने हमारे सभी लोकतांत्रिक संस्थानों को बर्बाद कर दिया है, जो रूप में काम करते हैं, अर्थ में नहीं. शासितों की सहमति एक क्रूर मजाक है. कांग्रेस अरबपतियों और निगमों से रिश्वत लेने वाला एक क्लब है. न्यायालय निगमों और अमीरों के परिशिष्ट हैं. प्रेस कुलीनों का एक इको चैंबर है, जिनमें से कुछ ट्रम्प को पसंद नहीं करते, लेकिन उनमें से कोई भी उन सामाजिक और राजनीतिक सुधारों की वकालत नहीं करता जो हमें निरंकुशता से बचा सकें. यह इस बारे में है कि हम निरंकुशता को कैसे तैयार करते हैं, निरंकुशता के बारे में नहीं.
इतिहासकार रैमसे मैकमुलेन, "कॉरप्शन एंड द डिक्लाइन ऑफ रोम" में लिखते हैं कि जिसने रोमन साम्राज्य को नष्ट किया वह था "सरकारी बल का मोड़ना, इसकी गलत दिशा." शक्ति निजी हितों को समृद्ध करने के बारे में हो गई. यह गलत दिशा सरकार को शक्तिहीन बनाती है, कम से कम एक संस्थान के रूप में जो नागरिकता की जरूरतों को संबोधित कर सकती है और उनके अधिकारों की रक्षा कर सकती है. हमारी सरकार, इस अर्थ में, शक्तिहीन है. यह निगमों, बैंकों, युद्ध उद्योग और कुलीन वर्गों का एक उपकरण है. यह धन को ऊपर की ओर भेजने के लिए खुद को भस्म करती है.
एडवर्ड गिब्बन लिखते हैं, "[रोम] का पतन अत्यधिक महानता का प्राकृतिक और अपरिहार्य प्रभाव था. समृद्धि ने क्षय के सिद्धांत को पकाया; विनाश के कारण विजय की सीमा के साथ गुणा हुए; और, जैसे ही समय या दुर्घटना ने कृत्रिम समर्थन को हटा दिया, अद्भुत संरचना अपने स्वयं के वजन के दबाव के आगे झुक गई. बर्बादी की कहानी सरल और स्पष्ट है: और यह पूछने के बजाय कि रोमन साम्राज्य क्यों नष्ट हुआ हमें बल्कि आश्चर्यचकित होना चाहिए कि यह इतने लंबे समय तक बना कैसे रहा."
रोमन सम्राट कॉमोडस, ट्रम्प की तरह, अपनी व्यर्थता से मोहित था. उसने अपनी हरक्यूलिस के रूप में मूर्तियां कमीशन कीं और शासन में कोई रुचि नहीं दिखाई. वह खुद को एरीना का एक स्टार समझता था, ग्लेडिएटोरियल प्रतियोगिताओं का मंचन करता था जहां उसे विजेता घोषित किया जाता था और धनुष और तीर से शेरों को मारता था. साम्राज्य - उसने रोम का नाम बदलकर कोलोनिया कॉमोडियाना (कॉमोडस की कॉलोनी) रखा था - उसके अथाह नार्सिसिज्म और धन की लालसा को संतुष्ट करने का एक वाहन था. वह सार्वजनिक कार्यालयों को उसी तरह बेचता था जैसे ट्रम्प उन लोगों को माफी और एहसान बेचता है जो उसकी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करते हैं या उसकी उद्घाटन समिति या राष्ट्रम्पति पुस्तकालय को दान करते हैं.
अंततः, सम्राट के सलाहकारों ने उसे उसके स्नान में एक पेशेवर पहलवान द्वारा गला घोंटकर मारने की व्यवस्था की, जब उसने घोषणा की कि वह एक ग्लेडिएटर के रूप में कपड़े पहनकर कांसुलशिप संभालेगा. लेकिन उसकी हत्या ने गिरावट को रोकने के लिए कुछ नहीं किया. कॉमोडस की जगह सुधारक पर्टिनैक्स ने ली जिसकी तीन महीने बाद हत्या कर दी गई. प्रेटोरियन गार्ड्स ने सम्राट के पद की नीलामी की. अगला सम्राट, डिडियस जूलियानस, 66 दिन तक चला. कॉमोडस की हत्या के बाद के वर्ष 193 ईस्वी में पांच सम्राट होंगे.
इधर रोमन साम्राज्य की तरह, हमारा गणराज्य मर चुका है.
हमारे संवैधानिक अधिकार - उचित प्रक्रिया, बंदी प्रत्यक्षीकरण, निजता, शोषण से स्वतंत्रता, निष्पक्ष चुनाव और असंतोष - न्यायिक और विधायी फैसले से हमसे ले लिए गए हैं. ये अधिकार केवल नाम में मौजूद हैं. हमारे नकली लोकतंत्र के कथित मूल्यों और वास्तविकता के बीच विशाल अंतर का मतलब है कि हमारा राजनीतिक प्रवचन, वे शब्द जिनका उपयोग हम खुद को और अपनी राजनीतिक व्यवस्था का वर्णन करने के लिए करते हैं, बेतुके हैं.
वाल्टर बेंजामिन ने 1940 में यूरोपीय फासीवाद के उदय और आसन्न विश्व युद्ध के बीच लिखा था:
पॉल क्ली की पेंटिंग जिसका नाम एंजेलस नोवस है, एक देवदूत को दिखाती है जो कुछ ऐसा दिखता है जैसे वह किसी चीज़ से दूर जाने वाला हो जिसे वह स्थिरता से देख रहा है. उसकी आंखें घूर रही हैं, उसका मुंह खुला है, उसके पंख फैले हुए हैं. इस तरह कोई इतिहास के देवदूत की तस्वीर बनाता है. उसका चेहरा अतीत की ओर मुड़ा हुआ है. जहां हम घटनाओं की एक श्रृंखला देखते हैं, वह एक ही तबाही देखता है, जो मलबे पर मलबा ढेर करती रहती है और इसे उसके पैरों के सामने फेंकती रहती है. देवदूत रुकना चाहेगा, मृतकों को जगाना चाहेगा, और जो कुछ तोड़ा गया है उसे पूरा करना चाहेगा. लेकिन स्वर्ग से एक तूफान आ रहा है; यह उसके पंखों में इतनी हिंसा से फंस गया है कि देवदूत अब उन्हें बंद नहीं कर सकता. तूफान उसे अपरिवर्तनीय रूप से भविष्य की ओर प्रेरित करता है जिसकी ओर उसकी पीठ मुड़ी हुई है, जबकि उसके सामने मलबे का ढेर आकाश की ओर बढ़ता है. यह तूफान वही है जिसे हम प्रगति कहते हैं.
हमारा पतन, हमारी निरक्षरता और वास्तविकता से सामूहिक पलायन, लंबे समय से बनता आ रहा था. हमारे अधिकारों की निरंतर क्षति, विशेष रूप से मतदाताओं के रूप में हमारे अधिकार, राज्य के अंगों का शोषण के उपकरणों में परिवर्तन, श्रमिक गरीब और मध्यम वर्ग की दुर्दशा, झूठ जो हमारी एयरवेव्स को संतृप्त करते हैं, सार्वजनिक शिक्षा का क्षरण, अंतहीन और व्यर्थ युद्ध, आश्चर्यजनक सार्वजनिक ऋण, हमारी भौतिक अवसंरचना का पतन, सभी साम्राज्यों के अंतिम दिनों को दर्शाते हैं.
जब हम गर्त की तरफ नीचे गिर रहे हैं, ट्रम्प आग से खेलने वाले तमाशे से हमारा दिल बहलाते हैं.
यूक्रेन के शहर सुमी के दरवाज़े पर पहुंचा रूस, मोर्चे पर लगाए 50 हजार सैनिक
(यूक्रेन के पूर्वोत्तर शहर सुमी में मिसाइल हमले की जगह पर मलबे के बीच तलाश करते आपातकालीन कर्मी. | फोटो साभार: रोमन पिलिपेई/एएफपी/गेटी इमेजेज़)
'द गार्डियन' की रिपोर्ट है कि तीन साल पहले यूक्रेन की जवाबी कार्रवाई में पीछे हटी रूसी सेना अब दोबारा सुमी शहर के करीब पहुंच गई है. स्वतंत्र पर्यवेक्षकों ने पुष्टि की है कि रूस ने सुमी क्षेत्र के लोखनिया गांव पर दोबारा कब्ज़ा कर लिया है. यह वही क्षेत्र है जिसे 2022 में यूक्रेन ने आज़ाद कराया था. रूसी सेना अब सुमी शहर से महज़ 29 किमी दूर है. राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की पहले ही आगाह कर चुके हैं कि रूस ने इस मोर्चे पर 50,000 सैनिक तैनात कर दिए हैं. अब तक सुमी क्षेत्र के 213 गांवों से नागरिकों को हटाया जा चुका है. 31 मई को 11 और गांवों की अनिवार्य निकासी का आदेश जारी किया गया. इसी के साथ, रूस ने पूर्वी यूक्रेन के डोनेत्स्क क्षेत्र की पश्चिमी सीमा तक पहुंचने और पहली बार तीन वर्षों में निप्रोपेत्रोस्क क्षेत्र में भी घुसपैठ करने का दावा किया है. रूसी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, टैंक यूनिटों ने "डोनेत्स्क पीपुल्स रिपब्लिक" की पश्चिमी सीमा को पार कर लिया है और आगे बढ़ रही है. यूक्रेनी दक्षिणी रक्षा बलों के प्रवक्ता ने कहा, “दुश्मन की योजना निप्रोपेत्रोस्क क्षेत्र में घुसने की है, लेकिन हमारे सैनिक मुस्तैदी से उसे नाकाम कर रहे हैं.”
गाजा में इजरायली बमबारी तेज, 31 लोग मारे गए, ईंधन की कमी से जूझ रहे अस्पताल

'अलजजीरा' की रिपोर्ट है कि रविवार सुबह दक्षिणी गाज़ा के रफ़ा शहर में एक खाद्य वितरण केंद्र के पास इज़रायली गोलीबारी समेत अलग-अलग हमलो में कम से कम 31 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए. यह केंद्र गाज़ा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन (GHF) द्वारा संचालित किया जा रहा था, जो एक इज़रायल और अमेरिका समर्थित संगठन है. फिलिस्तीनी चश्मदीदों ने बताया कि लोग सुबह 6 बजे सहायता प्राप्त करने पहुंचे थे, तभी इज़रायली सेना ने गोलियां चला दीं. इज़रायली सेना ने कहा कि उसने उन लोगों पर चेतावनी स्वरूप गोलियां चलाईं जो उसके सैनिकों के करीब आ रहे थे. सेना ने घायलों की पुष्टि की है, लेकिन संख्या नहीं बताई. मृतकों के शव ख़ान यूनुस के नासिर अस्पताल लाए गए, जिसने मौतों की पुष्टि की. अब तक भोजन जुटाने के प्रयास में 110 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और 1,000 से अधिक घायल हुए हैं. इसके अलावा गाजा के अस्पताल ईंधन की भारी कमी का सामना कर रहे हैं, जिसके बिना जनरेटर बंद हो सकते हैं और मरीजों की जान खतरे में पड़ सकती है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि अगर तत्काल ईंधन की आपूर्ति नहीं की गई, तो अस्पताल अगले 48 घंटों में पूरी तरह से ठप हो जाएंगे.
मैड्रिड में पेड्रो सांचेज़ की सरकार के खिलाफ हज़ारों लोगों का प्रदर्शन
'द गार्डियन' की रिपोर्ट है कि स्पेन की राजधानी मैड्रिड में रविवार को प्रधानमंत्री पेद्रो सांचेज़ की सरकार के खिलाफ हज़ारों लोगों ने प्रदर्शन किया. मुख्य विपक्षी पार्टी पीपुल्स पार्टी (PP) द्वारा “माफिया या लोकतंत्र” के नारे के साथ बुलाए गए इस विरोध में, सरकारी अनुमान के मुताबिक 45,000 से 50,000 लोग शामिल हुए, जबकि आयोजकों ने संख्या एक लाख बताई. विरोध की पृष्ठभूमि में सांचेज़ की स्पेनिश सोशलिस्ट वर्कर्स पार्टी (PSOE) पर बीते एक साल में लगे कई भ्रष्टाचार के आरोप हैं. सांचेज़ की पत्नी बेगोना गोमेज़, भाई डेविड सांचेज़ और पूर्व परिवहन मंत्री जोस लुइस अबालोस पर जांच चल रही है. एक पूर्व पार्टी सदस्य लीरे दियाज़ पर गार्डिया सिविल की जांच को प्रभावित करने की कोशिश के आरोप भी लगे हैं. प्रदर्शन में पीपी नेता अल्बर्टो नुनेज़ फ़ेइख़ो ने कहा, “स्पेन को ईमानदारी और आज़ादी की क्रांति चाहिए. श्री सांचेज़, देश को चुनाव दीजिए—क्योंकि आज जो हो रहा है, उसके लिए किसी ने वोट नहीं किया.” सांचेज़ ने इन आरोपों को एक “राजनीतिक उत्पीड़न” बताया है और कहा कि चरम दक्षिणपंथी संगठन 'मानोस लिम्पियास' द्वारा दायर केस केवल उन्हें और उनके परिवार को बदनाम करने के लिए हैं. वहीं विपक्षी पीपी और उसकी सहयोगी मैड्रिड क्षेत्र की अध्यक्ष इसाबेल आयुसो पर भी कोविड के दौरान वृद्धाश्रमों में हुई 7,200 मौतों और उनके साथी पर टैक्स धोखाधड़ी के मामलों में जांच जारी है. सरकार ने इन प्रदर्शनों को विपक्ष की “हताशा” करार दिया है, जबकि मंत्री ऑस्कर लोपेज़ ने कहा, “वो लोग कीचड़ उछाल रहे हैं, हम आगे बढ़ रहे हैं.”
चलते चलते
इलायची के बागान के गड्ढे में बाघ और कुत्ता

'द हिन्दू' की रिपोर्ट है कि केरल-तमिलनाडु सीमा के पास वंदनमेदु पंचायत के नेत्तिथोजू क्षेत्र स्थित कडुक्कासिटी के एक इलायची बागान में रविवार तड़के स्थानीय किसानों को एक एक गहरे खाद के गड्ढे में, जिसे सूखी पत्तियों और छंटे हुए पौधों के अवशेषों के लिए उपयोग किया जाता है, उसमें एक बाघ और एक कुत्ता दोनों फंसे हुए मिले. कोट्टायम डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) एन. राजेश के अनुसार, आशंका है कि बाघ ने कुत्ते का पीछा किया होगा और दोनों अनजाने में लगभग 15 फीट गहरे इस गड्ढे में गिर गए. गड्ढे से आ रही दहाड़ और भौंकने की आवाज़ें सुनकर आसपास के ग्रामीण और बागान मज़दूर सतर्क हुए और उन्होंने वन विभाग को सूचित किया. अधिकारियों ने बताया कि दोनों जानवर फिलहाल सुरक्षित और घायल नहीं दिख रहे हैं और हैरानी की बात यह है कि बाघ ने अब तक कुत्ते को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है. योजना है कि बाघ को बेहोश कर उसकी चिकित्सकीय जांच की जाएगी और फिर उसे पेरियार टाइगर रिज़र्व (PTR) के भीतर गहराई में छोड़ दिया जाएगा. स्थानीय लोग आश्चर्यचकित हैं, क्योंकि यह इलाका सामान्यतः बाघों का प्राकृतिक आवास नहीं माना जाता. घटना के बाद से क्षेत्र में दहशत का माहौल है, विशेषकर उन बागान मज़दूरों के बीच जो सुबह तड़के काम पर निकलते हैं. ग्रामीणों ने वन्यजीवों से सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है. वन विभाग अब यह जानने की कोशिश कर रहा है कि यह बाघ संभवतः तमिलनाडु के किन इलाकों से भटक कर यहां तक पहुंचा.
पाठकों से अपील :
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