हरकारा क्या है?
हरकारा एक देशज शब्द है संदेशवाहक के लिए. हमारी तरफ से एक छोटी सी कोशिश उन जरूरी ख़बरों को आप तक पहुँचाने की, जो ध्यान में आने से रह जाती हैं, या छिपा दी जाती या फिर इतनी तोड़-मरोड़ दी जाती हैं जो हम में से बहुत से लोगों को भ्रमित करती हैं. हरकारा की छोटी सी टीम हर चौबीस घंटे में आपके लिए उन खबरों को संजो कर आपके पास ले कर आएगी एक सूची की शक्ल में उनका मर्म बताते हुए, ताकि आप मीडिया उद्योग के शोर और चिल्लपों में गुम हो रही ख़बरों को पढ़ सकें. हरकारा एक न्यूज़ लेटर है, आपके ईमेल और दूसरी जगहों पर आप तक रोज पहुँचेगा. सातों दिन. हमारी कोशिश होगी कि -
आपका समय बचे. आप शोर, सनसनी, चिढ़ में न उलझें.
शोर कम हो, रोशनी ज्यादा.
पाठक, श्रोता और हिंदी भाषी समाज हमारे केन्द्र में रहें. जन-पक्षधरता भी.
आपके पास प्रामाणिक खबरें ला सकें. जिनकी तस्दीक़ की जा सके उनके स्रोत और साक्ष्य के साथ.
आपके आसपास घूम रही फेक न्यूज़ को रेखांकित कर सकें.
सूचनाओं के उस पार जाकर खबरों और उनके अर्थात् की समझ बना सकें.
हम खास तौर पर उन लोगों की ख़बरों को रेखांकित करेंगे, जो हाशिये पर खड़े लोगों के बारे में है.
हम आपके लिए अच्छे क्यूरेटर रहें. हम खबरों की दुनिया में जो भी जरूरी है, उनको इकट्ठा करके, संजो कर उनके अर्थात् के साथ आपके पास लाएंगे.
इसके अलावा खबरों और घटनाक्रम का विश्लेषण, समीक्षा, विवेचना हम आप के पास लेकर लाएँगे, जो अनुभवी और निगाह रखने वाले लेखक, पत्रकार, संपादक होंगे.
मुख्यधारा के मीडिया उद्योग के रुख़, रवैये, ज्यादतियों पर भी निगाह रखें.
आपके विमर्श, बातचीत को थोड़ा आगे बढ़ा सकें. एक जानकार और जागरूक समाज में हिस्सा ले सकें. बतौर एक प्रबुद्ध हिंदी भाषी के.
पंद्रह से बीस मिनट के भीतर आप इसे पढ़ सकें और अगले चौबीस घंटों के लिए आपको सोचने, विचारने और बात करने के लिए कम से कम पाँच से सात जरूरी बातें मिल सकें.
आप.
हरकारा आपके काम का है अगर..
आप सच को तरजीह देते हैं और उसके आधार पर अपना मन बनाते हैं.
आप अपने समय का सम्मान करते हैं.
आप सच की रोशनी में वर्तमान को देखना चाहते हैं ताकि भविष्य के लिए और अगली पीढ़ी के लिए वैज्ञानिक, तथ्यात्मक, तर्कशील और कौतुक से भरा मानस तैयार कर सकें.
आप ख़बरों की तह में जाना चाहते हैं. आपको लगता है कि वर्तमान सोशल और पारम्परिक मीडियातंत्र के ज़रिये सूचना और जानकारी तो मिल रही है, पर ख़बर और उनका ब्यौरा नहीं.
आपके ज़हन में जो सवाल हैं, उनके साफ़ जवाब आपको नहीं मिल पा रहे.
आपके पास फेक न्यूज़ और अफवाहों और बिना तथ्य और साक्ष्य वाली ख़बरों का तांता लगा रहता है.
आप विद्यार्थी हैं और आपकी पढ़ाई, रोज़गार, भविष्य के लिए खबरों को जानना, समझना जरूरी है.
आप हिंदी समाज के उन लोगों में से हैं, जिनके पास लोग अपनी राय, समझ बनाने आते हैं.
आप शोर और चौंध के शिकार हैं और तसल्ली से लाई गई तथ्यात्मक और साक्ष्य वाली ख़बरें कई बार आप तक समय रहते पहुँचने से रह जाती हैं.
आप प्राइमटाइम में हर शाम लगने वाले हाँके और होने वाली नूराकुश्ती से तंग आ चुके हैं.
आप उन ख़बरों को शक़ की निग़ाह से देखते हैं, जिनकी जनपक्षधरता संदिग्ध है, चाहे वह किसानों के खिलाफ हो, अल्पसंख्यकों, दलितों, नौजवानों, विद्यार्थियों, महिलाओं, मज़दूरों, खिलाड़ियों के.
आपको लगता है लोकतंत्र, संविधान, नागरिकता, अधिकार, समानता और न्याय को लेकर बातचीत को दबाया, छिपाया और बरगलाया जा रहा है.
अपने विमर्श को आगे बढ़ाना चाहते हैं ताकि एक जानकार और जागरूक समाज के सक्रिया साझेदार की तरह बतौर एक प्रबुद्ध हिंदी भाषी के अपनी मौजूदगी दर्ज करवा सकें.
अपने आस पास, आपके मोबाइल में फैलते हुए दुष्प्रचार पर सवाल खड़े करने के लिए आपके पास सामग्री की कमी है.
हरकारा आप तक कैसे पँहुचेगा?
हरकारा तक पहुँचने के लिए आइए इन लिंक्स में से किसी पर. फिर वह आपके पास रोज़ आने लगेगा.
आपकी ईमेल पर
सब्स्टैक के प्लेटफ़ॉर्म पर. यहीं पर हमारे पुराने अंक संग्रहीत रहेंगे
व्हाट्सएप चैनल पर
हम.
हरकारा अनुभवी पत्रकारों की बहुत छोटी सी टीम है, और बहुत बड़ा समुदाय, जिसमें आप भी शामिल हैं. हमारा मक़सद उन ख़बरों को लेकर संवाद स्थापित और विमर्श शुरू करना है, जो अक्सर छूट जाती हैं, छिप जाती हैं, छोड़ या छिपा दी जाती हैं, या उनके साथ ख़ासी छेड़छाड़ की जाती है. हरकारा टीम खबरों और उनके पाठकों / श्रोताओं को वापस केन्द्र में लाने, तथ्यपरक पत्रकारिता, लोकतंत्र और पक्षधर है.
हरकारा की शुरूआत निधीश त्यागी ने की, जो १९९७ से २०१९ तक अलग अलग समाचारकक्षों में संपादकीय नेतृत्व की भूमिका निभाता रहा (नेटवर्क 18, बीबीसी हिंदी, भास्कर डिजीटल, दैनिक भास्कर, दिव्य भास्कर, मुंबई मिरर, पुणे मिरर, द ट्रिब्यून, देशबंधु). निधीश ने हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती भाषाओं में छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के क़रीब ११ शहरों में अख़बार, पत्रिका, टीवी, रेडियो, डिजीटल प्लेटफ़ॉर्म पर काम किया. इन दिनों वह कला, स्थापत्य, विन्यास पर निकलने वाले ऑनलाइन दैनिक अख़बार abirpothi.com का संपादक है और सहसंस्थापक भी. इसके अलावा विंध्य क्षेत्र से प्रकाशित हाइपरलोकल न्यूज प्लेटफॉर्म विंध्य फर्स्ट (youtube.com/@VindhyaFirst) का सहसंस्थापक. इसके अलावा कवि, अनुवादक, लेखक और डाक्यूमेंट्री बनाने का काम. दिल्ली / एनसीआर में रिहाइश.
राजेश चतुर्वेदी पिछले लगभग चार दशकों से पत्रकार हैं. डेस्क और रिपोर्टिंग दोनों करते रहे. अमर उजाला, चौथा संसार, नई दुनिया, दैनिक भास्कर, राष्ट्रीय सहारा, बीबीसी हिंदी, दैनिक जागरण के महत्वपूर्ण पदों पर काम किया, पर ज्यादातर फोकस समाचारों पर रहा. इन दिनों ek baat kahi (एक बात कही) नाम से अपना यूट्यूब चैनल चलाते हैं. राजनीतिक मामलों की गहरी समझ और रिपोर्टिंग का लम्बा अनुभव.
गौरव नौडियाल ने साल 2007 में नई दुनिया साप्ताहिक के साथ अपनी पत्रकारिता की शुरुआत की और फिर उनका ये सफर हिमालय के दुर्गम इलाकों से भारत के तटीय इलाकों तक उन्हें ले गया. गौरव इस दौरान रेडियो, अखबार, टीवी और मल्टीमीडिया जर्नलिज्म में सक्रिय रहे. नई दुनिया के अलावा गौरव ने अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक हिंदुस्तान, राष्ट्रीय सहारा, दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका, न्यूज 18 और जी समूह समेत देश की कई प्रतिष्ठित प्रकाशनों को सेवाएँ दी हैं. गौरव ने मुख्यधारा की मीडिया को एडिटोरियल में बढ़ रहे मुनाफे के अनैतिक दबाव के विरोध में साल 2019 में अलविदा कह दिया. गौरव के हिस्से इसके बाद सिनेमा की दुनिया आई, जिसके किस्से अंतहीन हैं.
इस के अलावा हरकारा के साथ लिक्खाड़, विचारक और जनसरोकारी लोगों का जमावड़ा है, जो बदलते घटनाक्रमों को ध्यान से देखते हुए हमें उनके तात्पर्य बताता चलेगा. कोशिश रहेगी कि हम लगातार आपसी समझ बनाने, बढ़ाने में एक दूसरे की मदद कर सकें.
आप कैसे सहयोग कर सकते हैं ?
हरकारा जैसा कि आप जानते हैं, किसी विज्ञापन की बैसाखी पर लंगड़ा कर चलने में यकीन नहीं करता. इसका खर्च हम सब लोगों को मिलकर निकालना होगा, जो इस पहल को ज़रूरी और महत्वपूर्ण मानते हैं. जो चाहते हैं कि इस समय के हिंदी भाषी, नौजवान और विद्यार्थी तथ्य, तर्क, प्रामाणिकता आधारित ख़बरें पढ़ सुन कर अपना नजरिया बनाएं.
आप हमें अपने हमख़याल लोगों से हमारी सामग्री साझा कर सकते हैं.
आप हमारे व्हाट्सएप चैनल से जुड़ सकते हैं. लोगों को जोड़ भी सकते हैं.
आप सब्सटैक पर हमें सब्सक्राइब कर सकते हैं.
आप सोशल मीडिया में हमें फॉलो कर सकते हैं. एक्स/ ट्वविटर पर यहाँ, इंस्टाग्राम पर यहाँ.
यह एक प्रयोग है. और हम इस पहल को इसी यक़ीन के साथ चलाना चाहते हैं. हमें लगता है कि हमारे जैसे बहुत से हिंदी भाषी हैं, जिन्हें इस बात की कमी खलती है और यह कमी उनकी समझ, रिश्तों, फैसलों को प्रभावित करती है. हमारी टीम अपने काम से प्यार करती है. और हमें लगता है कि हमारे इस काम को इसके पाठकों / श्रोताओं का स्नेह भी मिलेगा.