10/05/2025 : झूठी ख़बरों को खुली छूट, असली पर सरकारी दमन | भारत के 4 जहाज | ग्रोक या टीवी चैनल | 2021 की 21 लाख और मौतें | सरहद पर हमले जारी |आईपीएल रुका | रूह अफज़ा पर अब वह चुप रहेगा
‘हरकारा’ यानी हिंदी भाषियों के लिए क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज़्यादा!
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां :
भारतीय जहाज गिरने की खबर दबाई जा रही है?
पहलगाम की हाई रेज सैटेलाइट तस्वीरें खरीद रहा था कोई अमेरिका में
भारत का दावा : पाकिस्तान ने 300-400 ड्रोन भेजे 36 स्थानों पर
बड़े हमले की तैयारी में पाकिस्तान
वांस को ‘कोई मतलब नहीं’और मार्को रुबियो के दोनों देशों को समझाने के प्रयास जारी
ऐसे जनरल के पास है पाकिस्तान की कमान, जो संयम के लिए नहीं जाना जाता
कश्मीरी छात्रों से मांगी निजी जानकारी
पाकिस्तान के आईएमएफ कर्ज के खिलाफ वोट देने से बचा भारत
बीमा कंपनी के लोगों को मौत की धमकी और पार्सल में भेजे कारतूस
18 साल से कम उम्र की 30% से अधिक लड़कियों और 13% लड़कों ने झेला यौन उत्पीड़न
स्टारलिंक को भारत में सेवा देने की मिली मंजूरी
एक तरफ मुख्यधारा में अंधाधुंध झूठ, दूसरी तरफ पत्रकारिता करने वालों का सरकारी दमन
भारत के मीडिया कवरेज का पाकिस्तान में भी उड़ रहा है मजाक
(‘जी न्यूज’ ने कुछ ऐसे भ्रामक खबरों का जाल बिछाया)
भारत के मुख्यधारा के मीडिया ने भारत-पाकिस्तान के बीच उपजे तनाव पर जिस किस्म की खबरें अपने दर्शकों को परोसी हैं, वो न केवल भारत में दिनभर चर्चाएं और मजाक का विषय बना रहा, बल्कि पाकिस्तान में भी भारतीय मीडिया का मजाक उड़ाते हुए मीडिया में लेख लिखे गए हैं. ‘डॉन’ मे अपने लेख में शाहजेब अहमद ने लिखा है “युद्ध में सबसे पहले सत्य मरता है” और भारतीय मीडिया को देख कर लगता है कि वो सिर्फ सत्य की हत्या करने से संतुष्ट नहीं है. पिछले कुछ दिनों में, टीवी चैनलों के युद्धोन्मादी एंकरों ने, सोशल मीडिया के ट्रोल्स और कथित विशेषज्ञों के साथ मिलकर, सच्चाई को कुचलने, रौंदने, चीरने, जला देने और उसकी राख को हिंद महासागर में बहा देने तक का काम कर डाला है. पिछले 24 घंटों में विशेष रूप से, भारतीय सूचना परिदृश्य से जो झूठ और दुष्प्रचार बाहर आया है, वह चौंकाने से लेकर पागलपन की हद तक गया है. गौरतलब है कि टीवी के बड़े नामों बरखा दत्त से लेकर ‘आज तक’, ‘टाइम्स नाउ’, ‘रिपब्लिक भारत’, ‘न्यूज 18’ और ‘जी न्यूज’ ने पिछले 24 घंटों में न केवल भारतीय फौजों को पाकिस्तान के भीतर इस्लामाबाद तक दाखिल करवा दिया, बल्कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से हवा में घुटने भी टिकवा दिए. लगातार भररतीय मीडिया की सतही रिपोर्टिग युद्ध की खबरों के साथ ही सोशल मीडिया और आम चर्चाओं में छाई रही. ‘आल्ट न्यूज’ के मुहम्मद जुबैर ने यहां पर इस तरह की खबरों की फेहरिस्त बनाई है. जरूर देखिये.
पांच फर्जी खबरें जो भारतीय मीडिया ने उड़ाई :
1. पाक सेना प्रमुख असीम मुनीर की गिरफ्तारी की झूठी खबर : जी न्यूज, एबीपी और अन्य चैनलों ने दावा किया कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को गिरफ्तार कर लिया गया है. दावा किया गया कि जनरल साहिर शमशाद मिर्ज़ा को नया सेनाध्यक्ष बनाया जा सकता है. टाइम्स नाउ ने ट्वीट कर कहा कि पाकिस्तान में तख्तापलट हो गया, लेकिन किसी भी स्वतंत्र स्रोत या सरकार ने इसकी पुष्टि नहीं की. यह पूरी तरह अफवाह थी.
2. कराची पोर्ट पर हमला और विनाश की फर्जी खबर : कई चैनलों ने कहा कि भारतीय नौसेना ने कराची पोर्ट पर हमला कर उसे नष्ट कर दिया. एबीपी आनंदा ने एक पुराना अमेरिकी विमान दुर्घटना का वीडियो दिखाया और कहा कि यह आईएनएस विक्रांत की कार्रवाई का परिणाम है. इंडिया टुडे, एनटीवी, रिपब्लिक बांग्ला जैसे चैनलों ने इसे प्रमुखता से दिखाया. किसी भी आधिकारिक या स्वतंत्र स्रोत से इसकी पुष्टि नहीं हुई.
3. राजौरी में आत्मघाती हमला, जो हुआ ही नहीं : आज तक की एंकर श्वेता सिंह जो पहले नोट में चिप लगवा चुकी और अंजना ओम कश्यप ने दावा किया कि राजौरी में भारतीय सेना पर फिदायीन हमला हुआ. यह दावा बिना किसी आधिकारिक स्रोत के किया गया. बाद में सेना ने एएनआई को बताया कि यह खबर पूरी तरह झूठी थी.
4. पाकिस्तानी शहरों के विनाश और प्रधानमंत्री के छिपने की झूठी रिपोर्ट : न्यूज लाइव (असम) और अन्य क्षेत्रीय चैनलों ने दावा किया कि भारत ने पाकिस्तान के 12 शहर नष्ट कर दिए और पीएम शाहबाज़ शरीफ़ बंकर में छिपे हुए हैं. जी न्यूज और टाइम्स नाउ नवभारत ने कहा कि इस्लामाबाद पर भारत ने कब्ज़ा कर लिया और सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया. NDTV ने भी कुछ समय के लिए दावा किया कि पाकिस्तानी टैंक राजस्थान की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन बाद में पोस्ट हटा ली गई.
5. पाकिस्तानी लड़ाकू विमान गिराए गए और एक पायलट पकड़ा गया : यह खबर भी पूरी तरह झूठी निकली. कई चैनलों ने कहा कि भारत ने दो JF-17 और एक F-16 विमान गिरा दिए. डेक्कन क्रोनिकल ने एक एआई से बना हुआ फर्जी वीडियो ट्वीट किया जिसमें एक पाक जनरल यह स्वीकार करता है. इंडिया टुडे और रिपब्लिक ने भी दावा किया कि एक पाकिस्तानी पायलट को जम्मू-कश्मीर के अखनूर में पकड़ा गया है. 13 घंटे बाद भी कोई सरकारी पुष्टि नहीं हुई. पाकिस्तान सरकार के सूचना मंत्री ने इन सभी दावों को "पूरी तरह झूठ और मनगढ़ंत" बताया.
‘द वायर’ ब्लॉक, प्रेस पर दमन की कार्रवाई
‘द वायर’ ने अपने पाठकों के नाम पत्र जारी कर सूचना दी है कि भारत सरकार ने पूरे भारत में thewire.in तक पहुंच को अवरुद्ध कर दिया है. इंटरनेट सेवा प्रदाताओं का कहना है कि द वायर को ‘आईटी अधिनियम, 2000 के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आदेश के अनुसार अवरुद्ध किया गया है’. ‘द वायर’ ने लिखा है, हम भारत के लिए ऐसे महत्वपूर्ण समय में इस ज़बरदस्त सेंसरशिप का विरोध करते हैं, जब समझदार, सच्ची, निष्पक्ष और तर्कसंगत आवाज़ें तथा समाचार और सूचना के स्रोत भारत की सबसे बड़ी संपत्तियों में से हैं. हम इस मनमाने और अकल्पनीय कदम को चुनौती देने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रहे हैं. आपके समर्थन से ही हमारा काम पिछले 10 वर्षों से चल रहा है और हम इस समय भी आप सभी के एकजुट होने पर भरोसा कर रहे हैं. हम अपने सभी पाठकों को सच्ची और सटीक खबरें उपलब्ध कराने से पीछे नहीं हटेंगे.
पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के बीच भारत ने न्यूज़ पोर्टल - मकतूब मीडिया, द कश्मीरियत, फ्री प्रेस कश्मीर, बीबीसी उर्दू और यूनाइटेड स्टेट्स-बेस्ड मुस्लिम के सोशल मीडिया अकाउंट ब्लॉक कर दिए हैं. इनके अलावा पत्रकार मुज़म्मिल जलील और अनुराधा भसीन के ‘एक्स’ को भी ब्लॉक कर दिया गया है. इनके वेबसाइटें अब भी भारत में उपलब्ध हैं. ये मीडिया हाउस उन भारतीय प्लेटफॉर्म में से हैं, जिन्होंने हाल के वर्षों में हिंदुत्व के बढ़ते प्रभाव के संदर्भ में समाचारों पर मुस्लिम और कश्मीरी दृष्टिकोण प्रदान करने की कोशिश की है.
एक्स पर ब्लॉक किए गए पत्रकारों ने ‘न्यूज़लॉन्ड्री’ को बताया कि उन्हें एक्स या सरकार से उनके अकाउंट बंद किए जाने के बारे में कोई सूचना नहीं मिली.
‘कश्मीर टाइम्स’ की प्रबंध संपादक अनुराधा भसीन ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि उन्हें अपने एक्स अकाउंट के बंद होने के बारे में एक दोस्त से पता चला.
मकतूब मीडिया के संस्थापक संपादक असलाह कय्यालक्कथ ने दावा किया कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद कश्मीरी मुसलमानों के खिलाफ घृणा अपराधों की उनकी पोर्टल की कवरेज ने सरकार को "नाराज" किया होगा. उन्होंने कहा, “हमने तथाकथित युद्ध के बारे में जमीनी स्तर पर कुछ भी रिपोर्ट नहीं किया है. इस पर हमारी रिपोर्टें ज्यादातर सरकारी बयानों पर आधारित हैं.”
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि मकतूब मीडिया का हिंदी एक्स अकाउंट अभी भी भारत में उपलब्ध है. लगभग 43,500 फ़ॉलोअर्स वाले अंग्रेज़ी अकाउंट को रोक दिया गया है.
‘फ़्री प्रेस’ कश्मीर के संपादक काज़ी ज़ैद ने ‘न्यूज़लॉन्ड्री’ को बताया कि उनकी साप्ताहिक पत्रिका ने एक्स या किसी स्थानीय कानून पर किसी नीति का उल्लंघन नहीं किया है. हमें किसी भी व्यक्तिगत पोस्ट या कहानी के बारे में जानकारी नहीं है, जो प्लेटफ़ॉर्म की नीतियों या स्थानीय कानूनों का उल्लंघन करती हो. हमारी रिपोर्टिंग पत्रकारिता के मानकों और जनहित रिपोर्टिंग के अनुरूप है.
अपने ‘एक्स’ हैंडल पर यह सूचना देते हुए सिद्धार्थ वरदराजन ने लिखा है-
‘‘मैं चाहता हूँ कि लोग इस बात पर विचार करें कि सरकार सूचना के प्रवाह पर किस तर्क का अनुसरण कर रही है.”
भारतीय समाचार चैनलों ने कल रात कई घंटों तक कार्यक्रम चलाए, जिसमें बताया गया कि भारतीय नौसेना को तैनात किया गया है और उसने कराची बंदरगाह पर बमबारी कर उसे नष्ट कर दिया है.
भारतीय समाचार चैनलों ने खबर चलाई कि भारतीय सेना पाकिस्तान में घुस गई है.
भारतीय समाचार चैनलों ने खबर चलाई कि भारत ने इस्लामाबाद पर कब्ज़ा कर लिया है.
भारतीय चैनलों ने राजौरी में आत्मघाती आतंकवादी हमलों के बारे में खबर चलाई.
प्रमुख नए चैनलों द्वारा की गई यह सारी ‘रिपोर्टिंग’ न केवल फर्जी खबर थी, बल्कि भड़काऊ और उत्तेजक भी थी और स्पष्ट रूप से उसी वृद्धि (पाकिस्तानी पक्ष की ओर से) को सुनिश्चित करने के लिए थी, जिसके बारे में भारत सरकार ने शुरू से ही चेतावनी दी थी. इससे पहले, चैनलों ने पुंछ में पाकिस्तानी गोलाबारी के एक भारतीय मुस्लिम पीड़ित को लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी बताया था.
इस तरह की खतरनाक रिपोर्टिंग के बारे में पूरी तरह से स्पष्ट करने के बजाय सरकार ने पूरे भारत में इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को निर्देश जारी किया कि वे ‘द वायर’ तक पहुँच को अवरुद्ध करें - यह भारत का सबसे बड़ा समाचार प्लेटफ़ॉर्म है, जो ज़िम्मेदारी और संयम के साथ उभरती स्थिति पर रिपोर्टिंग कर रहा है. अवरोधन आदेश असंवैधानिक है. यह प्रेस की स्वतंत्रता और हर भारतीय के सूचना तक पहुँचने के अधिकार पर हमला है. इसे तुरंत हटाया जाना चाहिए.
फेक़ न्यूज | प्रेम पणिक्कर
बजाय चैनलों को देखने के बाद मैंने ग्रोक से पूछा
प्रेम पण्णिकर सामयिक मुद्दों और क्रिकेट पर गंभीरता से लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार हैं. उनका लिखा आप उनके सब्सटैक पेज स्मोक सिगनल्स पर पढ़ सकते हैं.
पिछले 24 घंटों में, अगर भारतीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर विश्वास किया जाए तो:
भारतीय नौसेना ने कराची बंदरगाह पर हमला किया
भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद पर कब्ज़ा कर लिया
पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर को गिरफ्तार कर लिया गया है
पाकिस्तानी आत्मघाती हमलावरों ने पंजाब में विभिन्न स्थलों पर घुसपैठ की
पाकिस्तानी टैंकों को राजस्थान सीमा की ओर बढ़ते देखा गया
और भी बहुत कुछ है, और इसमें से कुछ भी सच नहीं है. वास्तव में, सशस्त्र बलों को अपने प्रेस संपर्क अधिकारियों के माध्यम से इन प्रत्येक "कहानियों" का खंडन करने में कीमती समय बर्बाद करना पड़ा है.
इस बीच, मीडिया स्टार - कई मूंछों वाले और बिना मूंछों वाली भी - "ज़मीनी स्तर से रिपोर्टिंग" करने में व्यस्त हैं. ज़रा सोचिए: यह सशस्त्र संघर्ष है (यह अभी तक पूरी जंग छिड़ी नहीं है), कोई टेनिस मैच नहीं. जब घटनाएँ एक विशाल भू-भाग में घट रही हों, तो आप एक रैंडम विजुअल, व्यापक संदर्भ के बिना एक "साउंड बाइट" के अलावा "ज़मीनी स्तर से" क्या रिपोर्ट कर सकते हैं? खुद को "युद्ध संवाददाता" के रूप में प्रचारित करने के अलावा इसका क्या मतलब है? अपडेट : यहां एक ऐसी ही स्टार रिपोर्टर है, "ज़मीनी स्तर पर", जो पूरी तरह से झूठी कहानी की रिपोर्टिंग कर रही है.
यह हमारे समय की अस्तित्वगत त्रासदी है. संघर्ष के समय, हमें बिना किसी गफलत के प्राप्त, सत्यापित जानकारी चाहिए - न कि अंधराष्ट्रवाद में लिपटी सनसनीखेज ‘कहानियाँ’. और फिर भी, जब हमें इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है, तो मीडिया ही सबसे कम भरोसेमंद साबित हो रहा है.
"युद्ध का कोहरा" (फॉग ऑफ वॉर) वाक्यांश की उत्पत्ति सैन्य सिद्धांत में हुई है, और इसका श्रेय सबसे प्रसिद्ध रूप से 19वीं सदी के प्रशियाई जनरल और सैन्य सिद्धांतकार कार्ल वॉन क्लॉज़विट्ज़ को दिया जाता है. हालांकि क्लॉज़विट्ज़ ने अंग्रेजी में "फॉग ऑफ वॉर" वाक्यांश का ठीक-ठीक उपयोग नहीं किया, लेकिन उन्होंने अपनी मौलिक कृति, 'ऑन वॉर' (1832 में मरणोपरांत प्रकाशित) में इस अवधारणा को पेश किया. वह उस अनिश्चितता और भ्रम का उल्लेख कर रहे थे जिसका सामना कमांडरों को युद्ध के दौरान करना पड़ता है - अधूरी जानकारी, गलत संचार, और अप्रत्याशितता - कोहरे की उपमा देकर.
"युद्ध अनिश्चितता का क्षेत्र है : युद्ध में कार्रवाई जिन कारकों पर आधारित होती है, उनमें से तीन-चौथाई अधिक या कम अनिश्चितता के कोहरे में लिपटे होते हैं."
— कार्ल वॉन क्लॉज़विट्ज़, ऑन वॉर (1832)
वह सीधा-सादा समय था. आज, "युद्ध का कोहरा" इस बात को रेखांकित करने के लिए अधिक उपयुक्त रूप से उपयोग किया जाता है कि कैसे सत्य पहुंच की कमी से नहीं बल्कि जानबूझकर विकृत करने से, सटीकता पर गति और बारीकियों पर "नैरेटिव" (कथा) को प्राथमिकता देने से अस्पष्ट हो जाता है.
इसका मारक, निश्चित रूप से, सत्य है. लेकिन संघर्ष के समय सत्य का तार्किक भंडार - सरकार - सक्रिय रूप से गलत सूचना फैलाने में सहायता और बढ़ावा दे रही है. पहला, घटनाओं की सच्ची तस्वीर समय पर जारी न कर. दूसरा, झूठ फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई न कर. और तीसरा, सूचना के उन स्रोतों को अवरुद्ध करने की कोशिश कर, जिन्हें वह नियंत्रित और हेरफेर नहीं कर सकती - जैसे कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X से लगभग 8000 खातों को ब्लॉक करने की उसकी नवीनतम मांग, जिसमें बड़ी संख्या में अंतरराष्ट्रीय समाचार मीडिया और पत्रकार शामिल हैं.
अपडेट : X के वैश्विक मामलों के विभाग द्वारा भारत सरकार के हजारों हैंडल्स पर प्रतिबंध लगाने के अनुरोध की रिपोर्ट करने के बाद, वैश्विक मामलों के विभाग का हैंडल ही प्रतिबंधित कर दिया गया है. यह तो हद ही हो गई, यकीन नहीं होता!
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एक ढंग के से न्यूज़रूम में, कवरेज की शुरुआत उससे होती है जिसे हम लीड-ऑल कहते हैं : एक ऐसी कहानी जो सभी ज्ञात, सत्यापित जानकारी को व्यापक दृष्टिकोण में समेटती है, जो सभी अतिरिक्त कहानियों और टिप्पणियों के लिए नींव, आधार के रूप में कार्य करती है. जिज्ञासावश, मैंने एआई इंजन ग्रोक खोला और उसे निम्नलिखित प्रॉम्प्ट दिया :
"आप समाचार संपादक हैं. ज्ञात, सत्यापित जानकारी के आधार पर, भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे संघर्ष में पिछले 24 घंटों की घटनाओं का एक लीड-ऑल तैयार करें."
ग्रोक ने मुझे ने बताया :
"पिछले 24 घंटों में, परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों भारत और पाकिस्तान के बीच अस्थिर संघर्ष तेज हो गया है, जिसमें प्रतिशोधात्मक मिसाइल और ड्रोन हमले, नागरिक हताहत, और नियंत्रण रेखा पर सैन्य तैनाती में वृद्धि देखी गई है.
यह वृद्धि, 22 अप्रैल, 2025 को भारतीय प्रशासित कश्मीर के पहलगाम में हुए घातक आतंकवादी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, से उपजी है, जिसने दोनों राष्ट्रों को व्यापक संघर्ष के कगार पर ला दिया है, जिससे संयम के लिए अंतर्राष्ट्रीय अपीलें हुई हैं.
8 मई, 2025 को, पाकिस्तान ने जम्मू, पठानकोट और उधमपुर में भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को लक्षित करते हुए मिसाइल और ड्रोन हमले किए, यह 7 मई को भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' हमलों के बाद हुआ, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में नौ कथित आतंकवादी स्थलों को निशाना बनाया गया था.
भारत की S-400 वायु रक्षा प्रणालियों ने पाकिस्तानी हमलों को रोक दिया, भारतीय धरती पर किसी के हताहत होने या क्षति की कोई रिपोर्ट नहीं है. भारतीय सेना ने पाकिस्तान में वायु रक्षा राडार को निशाना बनाकर जवाब दिया, जिसमें लाहौर में एक रक्षा प्रणाली को निष्क्रिय करना भी शामिल है.
सूत्रों की रिपोर्ट है कि ऑपरेशन सिंदूर में लगभग 100 आतंकवादी मारे गए, हालांकि पाकिस्तान का दावा है कि हमलों में मस्जिदों सहित नागरिक बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया, जिसमें बच्चों सहित 26 लोग मारे गए.
एलओसी के साथ नागरिक क्षेत्रों में पाकिस्तान की ओर से भारी तोपखाने की गोलाबारी हुई. निवासियों ने गोलाबारी और फायरिंग की आवाजें सुनने की सूचना दी. उरी में, संघर्ष विराम उल्लंघन से उत्पन्न जोखिमों को कम करने के लिए फायर ट्रक तैनात किए गए थे. पाकिस्तान की तीव्र गोलीबारी ने कुपवाड़ा, बारामूला, पुंछ और राजौरी में नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाया, जिससे आगे हिंसा की आशंका बढ़ गई.
दोनों राष्ट्रों ने आक्रामकता के आरोप-प्रत्यारोप लगाए, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने आगे की जवाबी कार्रवाई को "तेजी से निश्चित" बताया और भारत ने अपने हमलों को लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी शिविरों के खिलाफ सटीक कार्रवाई के रूप में बचाव किया. भारतीय रक्षा मंत्रालय ने नवीनतम हमलों में किसी भी नुकसान की सूचना नहीं दी, जबकि पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति ने भारत की कार्रवाइयों की "युद्ध के एक ज़बरदस्त कृत्य" के रूप में निंदा की.—-
संबंधित घटनाक्रम में, धर्मशाला में चल रहे इंडियन प्रीमियर लीग के एक टी20 मैच को अचानक रद्द कर दिया गया. आधिकारिक कारण लाइट टॉवर की खराबी बताया गया; हालांकि, आयोजन स्थल पर मौजूद सूत्रों ने कहा कि यह कार्रवाई संघर्ष क्षेत्रों से आयोजन स्थल की सापेक्ष निकटता को देखते हुए की गई थी.
विश्व स्तर पर, संयुक्त राज्य अमेरिका ने विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान का आग्रह किया, जिसमें विदेश मंत्री मार्को रुबियो दोनों राष्ट्रों के साथ जुड़े हुए हैं. हालांकि, रुबियो ने एक बयान में संघर्ष को सुलझाने में मदद करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की किसी भी आधिकारिक भूमिका से इनकार किया.
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने तनाव कम होने की उम्मीद जताई, यह देखते हुए कि 9 मई को पाकिस्तान के वित्तपोषण की एक निर्धारित समीक्षा होनी है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस सप्ताह की शुरुआत में स्थिति पर बंद कमरे में बातचीत की.जैसा कि दोनों पक्ष सामरिक जीत का दावा करते हैं, विश्लेषकों ने दोनों राष्ट्रों की परमाणु क्षमताओं को देखते हुए वृद्धि के विनाशकारी जोखिमों की चेतावनी दी है. भारत की बेहतर सैन्य और आर्थिक ताकत पाकिस्तान की "उचित जवाब" देने की कसम के विपरीत है, जिससे क्षेत्र एक अनिश्चित गतिरोध में फंसा हुआ है."
एक ढंग के से न्यूज़रूम में, एक समाचार संपादक (या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मामले में, एक प्रोड्यूसर) यही बनाता और कवरेज को फ्रेम करने के लिए आधार के रूप में उपयोग करता. यहां से, विचार यह होगा कि इन घटनाक्रमों को अलग-अलग हिस्सों में तोड़ दिया जाए, अतिरिक्त जानकारी ढूंढ़ी जाए, और इनमें से प्रत्येक बिंदु पर बात करने के लिए सूचित और विश्वसनीय स्रोतों को पंक्तिबद्ध किया जाए.
मुख्यधारा का इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ठीक यही नहीं कर रहा है, वह संकट के समय में इस तरह की संस्थागत गैरजिम्मेदारी के परिणामों की परवाह किए बिना तथ्यात्मक के बजाय सनसनीखेज को तरजीह दे रहा है.
और वे ऐसा करते हैं - वे ऐसा करने में सक्षम हैं - न केवल सरकार के संरक्षण के कारण, बल्कि दर्शकों की मिलीभगत के कारण भी.
ऐसे युग में जहां मीडिया का खासा प्रभाव है, वाल्टर लिपमैन की चेतावनी - कि मीडिया की गलत सूचना देने की शक्ति सत्य को विकृत कर सकती है और दिमागों को हेरफेर कर सकती है - बिलकुल सटीक है. और अब यह हम पर निर्भर है कि हम एक ऐसी दुनिया में आगे बढ़ें, जहां तथ्य को कल्पना से अलग करना हमारी सबसे बड़ी चुनौती बन जाए.
भारतीय जहाज गिरने की खबर दबाई जा रही है?
द वायर के लिए करण थापर ने 'फोर्स' पत्रिका के संपादक और सैन्य टिप्पणीकार प्रवीन साहनी का साक्षात्कार लिया, जिनकी 'ऑपरेशन सिंदूर' पर बनी 11 मिनट की वीडियो को सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था का हवाला देते हुए ब्लॉक कर दिया था. साहनी ने इस पर अविश्वास और निराशा व्यक्त की, क्योंकि उनके अनुसार भारत-पाकिस्तान एक "संकट के चरण" में हैं जहाँ विवेकपूर्ण आवाजों और स्पष्टीकरणों की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि सूचना छिपाने से विश्व शक्ति बनने का लक्ष्य रखने वाले भारत की विश्वसनीयता कम होती है और यह "लोकतंत्र की जननी" होने के दावे को भी कमजोर करता है.
चार भारतीय विमानों के गिरने का दावा और तकनीकी विश्लेषण
साहनी ने स्पष्ट किया कि उन्होंने सीधे तौर पर चार भारतीय विमानों के मार गिराए जाने का दावा नहीं किया, बल्कि विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स (इंडिया टुडे, द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, ट्रिब्यून) के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि कश्मीर में तीन और बठिंडा में एक विमान गिरा. उन्होंने एक फ्रांसीसी खुफिया अधिकारी के हवाले से और शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव (डसॉल्ट के शेयर गिरे, चेंगदू के बढ़े) का जिक्र करते हुए कहा कि इनमें से एक राफेल विमान था. साहनी के अनुसार, पाकिस्तानी वायुसेना के चीनी J-10C विमान और PL-15 मिसाइल (जिसकी मारक क्षमता निर्यात संस्करण में 145 किमी और मूल चीनी संस्करण में 300 किमी तक हो सकती है) के घातक संयोजन ने संभवतः राफेल को मार गिराया. J-10C का शक्तिशाली रडार मिसाइल की रेंज से भी दूर तक लक्ष्य का पता लगा सकता है, जिससे राफेल पायलट को शायद खतरे का सही अंदाज़ा नहीं हुआ और वह "विवादित हवाई क्षेत्र" में आ गया.
'ऑपरेशन सिंदूर' की रणनीतिक खामियां
साहनी 'ऑपरेशन सिंदूर' की खामियों के बारे में बताते हैं कि आतंकी शिविर और लॉन्चपैड जैसे अस्थायी और गैर-सैन्य लक्ष्यों पर वायुसेना जैसी प्रमुख सैन्य शक्ति का प्रयोग अनुचित है. सैन्य लक्ष्यों (जैसे पाकिस्तानी सेना या वायुसेना के ठिकाने) पर हमला करना चाहिए था. दूसरा वायुसेना अपनी रेंज, लचीलेपन और सटीक मारक क्षमता के कारण स्वाभाविक रूप से आक्रामक (उकसावा और बढ़ाने वाला) है. इसे "गैर-आक्रामक" कहना गलत है. इस ऑपरेशन में वायुसेना का इस्तेमाल इष्टतम से कम हुआ, जिससे भारतीय वायुसेना की सीमाएं (जैसे इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमता, जो बालाकोट के समय भी उजागर हुई थी) दुश्मन के सामने आ गईं. पाकिस्तान ने चीन की मदद से अपनी इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं को और उन्नत किया है. अपनी कमजोरियों को उजागर करने से पाकिस्तान हतोत्साहित होने के बजाय हमारी क्षमताओं को बेहतर जान गया है. साहनी का मानना है कि इससे पाकिस्तान दंडित नहीं हुआ, बल्कि जम्मू-कश्मीर और भारत के अन्य हिस्सों में आतंकी हमले बढ़ सकते हैं. उन्होंने इसे एक "रणनीतिक ब्लंडर " करार दिया.
सरकार की प्रतिक्रिया और साहनी का रुख
विदेश सचिव के इस बयान पर कि "सही समय पर आधिकारिक घोषणा की जाएगी," साहनी ने कहा कि यह खंडन नहीं है और सरकार शायद 2019 की तरह सूचना को दबा रही है. उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके वीडियो या साक्षात्कार से राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था को कोई खतरा नहीं है, बल्कि यह एक "संकट की स्थिति" में विश्वसनीय जानकारी देने और विमर्श को समझदारीपूर्ण बनाने का प्रयास था. उन्हें अपने विचारों को सार्वजनिक करने का कोई खेद नहीं है.
प्रवीन साहनी ने 2019 के बालाकोट (ऑपरेशन बंदर) के बाद हुई एक घटना का भी उल्लेख किया, जहाँ भारतीय वायुसेना ने गलती से अपने ही एक हेलीकॉप्टर को अपनी ही मिसाइल से मार गिराया था. इस दुखद घटना में छह लोगों की जान चली गई थी. साहनी ने बताया कि इस जानकारी को 2019 के आम चुनावों के समाप्त होने तक दबा कर रखा गया था, और बाद में वायुसेना ने इसे स्वीकार किया. उन्होंने इसे सरकार द्वारा असुविधाजनक सूचनाओं को 'उचित समय' तक रोके रखने की प्रवृत्ति के एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया. साहनी के अनुसार, सरकार की कार्रवाइयां पारदर्शिता और सैन्य प्रभावशीलता के मामले में संदिग्ध हैं, और इससे भारत की लोकतांत्रिक छवि और रणनीतिक स्थिति दोनों को नुकसान पहुँच सकता है. संकट के समय सूचना को दबाने के बजाय, अधिक खुली चर्चा होनी चाहिए.
पहलगाम की हाई रेज सैटेलाइट तस्वीरें खरीद रहा था कोई अमेरिका में
Images of Indian regions for which orders were placed with Maxar Technologies, a top US-based space tech company | Photo: Maxar
‘द प्रिंट’ के लिए सौम्या पिल्लै ने खबर की है कि कश्मीर में 26 लोगों की मौत वाले आतंकी हमले से दो महीने पहले, एक शीर्ष अमेरिकी अंतरिक्ष तकनीक कंपनी मैक्सर टेक्नोलॉजीज ने पहलगाम और आसपास के इलाकों की हाई-रिजॉल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों के ऑर्डर में अभूतपूर्व वृद्धि देखी. फरवरी 2025 में, सामान्य से दोगुने, कम से कम 12 ऑर्डर दिए गए. यह घटनाक्रम मैक्सर द्वारा जून 2024 में एक पाकिस्तानी भू-स्थानिक कंपनी, बिजनेस सिस्टम्स इंटरनेशनल (BSI) के साथ साझेदारी के कुछ महीनों बाद हुआ. BSI का संस्थापक, ओबैदुल्ला सैयद, अमेरिका से पाकिस्तान परमाणु ऊर्जा आयोग (PAEC) – जो परमाणु हथियार और मिसाइल विकसित करता है – को अवैध रूप से उच्च-प्रदर्शन उपकरण निर्यात करने के लिए अमेरिकी अदालत द्वारा दोषी ठहराया जा चुका है.
हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि पहलगाम की तस्वीरों के ऑर्डर BSI ने दिए थे, लेकिन रक्षा विश्लेषकों ने इस संयोग को संदिग्ध माना है. विशेषज्ञों ने मैक्सर द्वारा बिना पृष्ठभूमि जांच के पाकिस्तानी कंपनी को भागीदार बनाने पर चिंता जताई है और भारत से ऐसी कंपनियों पर पाकिस्तान के साथ परिचालन बंद करने का दबाव डालने का आग्रह किया है.
मैक्सर के पोर्टल से पता चला कि पहलगाम के अलावा पुलवामा, अनंतनाग, पुंछ, राजौरी और बारामूला जैसे सैन्य रूप से संवेदनशील भारतीय क्षेत्रों की तस्वीरें भी ऑर्डर की गईं, जिनकी कीमत 3 लाख रुपये से शुरू होती है. एक इसरो वैज्ञानिक ने कहा कि भारत मैक्सर से इन ऑर्डरों की जांच करने के लिए कह सकता है, क्योंकि ऐसी तस्वीरों का इस्तेमाल सैन्य गतिविधियों की निगरानी में होता है. लेफ्टिनेंट जनरल ए.के. भट्ट (सेवानिवृत्त) के अनुसार, हाई-रिजॉल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों की आसान व्यावसायिक उपलब्धता से गलत तत्वों द्वारा इनके दुरुपयोग का खतरा पैदा होता है.
भारत का दावा : पाकिस्तान ने 300-400 ड्रोन भेजे 36 स्थानों पर
'द वायर' की रिपोर्ट है कि भारत ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान ने 8-9 मई की दरम्यानी रात में लेह से लेकर सिर क्रीक तक नियंत्रण रेखा (LoC) पर 36 स्थानों पर लगभग 300 से 400 ड्रोन भेजकर भारतीय वायुसीमा का उल्लंघन किया. इन ड्रोन हमलों का उद्देश्य भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाना और संभवतः भारत की वायु रक्षा प्रणाली की जांच करना था. विदेश सचिव विक्रम मिस्री, सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी और वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि पाकिस्तान ने अपनी नागरिक हवाई सीमा को बंद नहीं किया और नागरिक विमानों को जानबूझकर सैन्य हमलों की ढाल की तरह इस्तेमाल किया.
क्या कहा वायुसेना की विंग कमांडर ने? “पाकिस्तानी सेना ने हमारी वायुसीमा में कई बार घुसपैठ की कोशिश की, जिनका उद्देश्य हमारे सैन्य ढांचे को नुकसान पहुंचाना था. उन्होंने नागरिक विमानों की आड़ लेने की कोशिश की, ताकि हमारे वायु रक्षा हमले से बचा जा सके.” भारत द्वारा मार गिराए गए ड्रोन के मलबे की प्राथमिक जांच में यह सामने आया है कि वे तुर्की में बने असीसगार्ड सोंगर ड्रोन थे.
बठिंडा और अन्य ठिकानों पर हमले व्योमिका सिंह ने बताया कि पाकिस्तान के एक हथियारबंद ड्रोन ने बठिंडा सैन्य स्टेशन को निशाना बनाने की कोशिश की, जिसे समय रहते नष्ट कर दिया गया. जवाब में भारत ने पाकिस्तान के चार वायु रक्षा स्थलों पर अपने ड्रोन भेजे, जिनमें से एक ने एयर डिफेंस रडार को नष्ट कर दिया. कर्नल सोफिया कुरैशी ने बताया कि पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में तंगधार, उरी, पुंछ, मेंढर, राजौरी, अखनूर और उधमपुर जैसे क्षेत्रों में भारी तोपों और सशस्त्र ड्रोन से हमला किया. इसमें भारतीय जवानों को कुछ नुकसान पहुंचा, वहीं भारत की जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान को भी भारी नुकसान हुआ.
कश्मीर और अमृतसर में धमाके, भारत ने ड्रोन मार गिराने का दावा किया
'रॉयटर्स' की रिपोर्ट है कि कश्मीर और पंजाब राज्य के अमृतसर में शुक्रवार देर रात कई धमाकों की आवाजें सुनी गईं. भारतीय सेना ने दावा किया कि ये धमाके पाकिस्तान से आए ड्रोन को मार गिराने के दौरान हुए. यह घटनाक्रम दोनों परमाणु संपन्न पड़ोसियों के बीच तीन दशकों में सबसे भीषण संघर्ष में तब्दील होता दिख रहा है. अमृतसर में पहली बार धमाके, जो तीन दिन पुराने इस संघर्ष में एक नया मोड़ हैं, वैश्विक शक्तियों को चिंतित कर रहे हैं. जम्मू शहर, जो सर्दियों के दौरान कश्मीर का राजधानी क्षेत्र होता है, वहां लगातार दूसरी रात भी बिजली गुल रही और आसमान में प्रक्षेपास्त्रों की चमक और विस्फोट देखे गए. एक सैन्य अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “ड्रोन देखे गए हैं... उन्हें निशाना बनाया जा रहा है.” श्रीनगर के हवाई अड्डे के पास दस धमाके सुने गए, जबकि पूरे कंटेस्टेड कश्मीर क्षेत्र में एक दर्जन से ज्यादा स्थानों पर धमाके हुए, सुरक्षा अधिकारियों ने बताया. पाकिस्तान की कोई तात्कालिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिसने गुरुवार रात हुए हमलों में अपनी संलिप्तता से इनकार किया है.
बड़े हमले की तैयारी में पाकिस्तान
पाकिस्तान की सेना हाल ही में भारत द्वारा किए गए मिसाइल और ड्रोन हमलों के बाद भारत पर एक महत्वपूर्ण हमले की योजना का संकेत दे रही है. इसी आशय का ट्वीट अपने एक्स हैंडल पर पाकिस्तान में चैनल 4 न्यूज के पत्रकार सिकंदर किरमानी ने की है. उन्होंने लिखा है, रावलपिंडी में पाकिस्तानी सेना की ब्रीफिंग से अभी-अभी बाहर आया. ऐसा लगता है कि सेना भारत पर एक महत्वपूर्ण हमले की योजना बना रही है - भारत के पिछले मिसाइल/ड्रोन हमलों के जवाब में. किरमानी के मुताबिक प्रेस ब्रीफिंग से बाहर निकलते वक्त सेना प्रवक्ता ने कहा, “वे एक नया नॉरमल स्थापित करना चाहते हैं, क्या हम ऐसा होने देंगे?" फिर कई बच्चों की तस्वीरे दिखाते हुए कहा कि ये भारतीय हमलों में मारे गये हैं. इन्हें याद रखना, ये पूछते वक़्त कि हम क्या करने वाले हैं.
वांस को ‘कोई मतलब नहीं’ और मार्को रुबियो के दोनों देशों को समझाने के प्रयास जारी
'द गार्डियन' की रिपोर्ट है कि अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वांस ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच जारी संघर्ष में अमेरिका हस्तक्षेप नहीं करेगा. उन्होंने इसे “मूलतः हमारा मामला नहीं” बताया और कहा कि दोनों परमाणु शक्तियों को “हथियार डालने” के लिए मजबूर करना अमेरिका के लिए संभव नहीं है. फॉक्स न्यूज़ को दिए एक साक्षात्कार में वांस ने कहा, “हम इन देशों को तनाव कम करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, लेकिन यह युद्ध हमारे लिए कोई ऐसा मुद्दा नहीं है जिसमें हम बीच में कूदें. अमेरिका इसे नियंत्रित नहीं कर सकता.” उन्होंने कहा कि अमेरिका इस स्थिति को राजनयिक माध्यमों से सुलझाने की कोशिश करता रहेगा. “हमारी उम्मीद और अपेक्षा है कि यह संघर्ष एक व्यापक क्षेत्रीय युद्ध या परमाणु युद्ध की ओर नहीं बढ़ेगा.” उधर, अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने भारत और पाकिस्तान के नेताओं से बात की और “तत्काल तनाव कम करने” की अपील की. ईरान और सऊदी अरब के विदेश मंत्री भी गुरुवार को दिल्ली पहुंचे. उल्लेखनीय है कि वांस पिछले महीने भारत आए थे और उन्होंने कहा था कि भारत “आतंकी हमले” के जवाब में कार्रवाई कर सकता है, लेकिन यह जरूरी है कि यह जवाब एक बड़े क्षेत्रीय युद्ध में न बदले.
ऐसे जनरल के पास है पाकिस्तान की कमान, जो संयम के लिए नहीं जाना जाता
'फायनेंशियल टाइम्स' के लिए अपने लेख में आयशा सिद्दीकी ने जनरल असीम मुनीर के बारे में लिखा है कि पाकिस्तान संकट के समय ऐसे जनरल के नेतृत्व में है जो संयम के लिए नहीं जाना जाता. 7 मई को भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिसमें 31 लोगों की मौत हुई. यह कार्रवाई कश्मीर में 26 नागरिकों की मौत के बाद हुई थी. अब पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष असीम मुनीर को जवाबी हमला करने की छूट मिल गई है, लेकिन दोनों परमाणु शक्तियों के बीच टकराव बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है. अमेरिका और अन्य बड़े देश इस बार कोई मध्यस्थता नहीं कर रहे. मुनीर कट्टर विचारों वाले सैन्य अधिकारी हैं और कश्मीर पर आक्रामक रुख रखते हैं. अब देखना यह है कि वह युद्ध की राह चुनते हैं या बातचीत की.
कश्मीरी छात्रों से मांगी निजी जानकारी : दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर कार्यालय ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी कर अपने कश्मीरी छात्रों से अपना आधार नंबर और दिल्ली में अपने निवास का विवरण देने को कहा है. प्रॉक्टर रजनी अब्बी ने दावा किया कि यह कदम गृह मंत्रालय के एक पत्र के बाद उठाया गया है, जिसमें पूछा गया था कि डीयू में कश्मीर के कितने छात्र पढ़ते हैं. इस कदम को छात्रों के बीच निजता के उल्लंघन के रूप में व्यापक रूप से देखा जा रहा है. आउटलुक की खबर के अनुसार, इस घटनाक्रम से यह चिंता पैदा हुई है कि कश्मीरी छात्रों की निगरानी या प्रोफाइलिंग की जा रही है, जिसे समानता, सम्मान और निजता के उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन माना जा रहा है.
मौलाना इकबाल की मौत पर मीडिया की नफरती रिपोर्टिंग
पुंछ में जिया-उल-आलूम मदरसा में शिक्षक कारी इकबाल कल पाकिस्तानी गोलाबारी में मारे गए भारतीय नागरिकों में से एक थे, लेकिन जी न्यूज, रिपब्लिक वर्ल्ड और इंडिया न्यूज समेत कुछ भारतीय समाचार आउटलेट ने दावा किया है कि इकबाल नियंत्रण रेखा के पार ऑपरेशन सिंदूर में मारा गया था और पुलवामा हमले में उसकी संलिप्तता का आरोप लगाया था. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने भी इन रिपोर्टों का खंडन किया है. फैक्ट चेकर जुबैर ने इन टीवी न्यूज की स्क्रीनशॉट अपने एक्स हैंडल पर लगाई है. पुलिस ने आधिकारिक बयान में पुष्टि की है कि मृतक का किसी भी आतंकवादी संगठन से कोई संबंध नहीं था और मौलाना इकबाल सम्मानित धार्मिक व्यक्ति थे. पुलिस ने कहा, इस तरह की गलत रिपोर्टिंग से न केवल अनावश्यक दहशत फैलती है, बल्कि शोकाकुल परिवार की भावनाओं को भी ठेस पहुँचती है और एक निर्दोष नागरिक की छवि धूमिल होती है. पुलिस ने आगे चेतावनी दी है कि सार्वजनिक व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा को नियंत्रित करने वाले कानूनों का उल्लंघन करते हुए फर्जी खबरें फैलाने वाले किसी भी मीडिया आउटलेट, पत्रकार या व्यक्ति के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी."
पाकिस्तान के आईएमएफ कर्ज के खिलाफ वोट देने से बचा भारत
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने शुक्रवार को पाकिस्तान को चल रही एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) के तहत तुरंत $1 बिलियन का कर्ज जारी करने की मंजूरी दे दी है. इस प्रस्ताव के खिलाफ भारत ने मतदान नहीं किया. मतदान में भाग ही नहीं लिया. भारत का कहना था कि कि इस फंड का दुरुपयोग राज्य प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने में किया जा सकता है. यह मंजूरी वॉशिंगटन में हुई आईएमएफ बोर्ड की बैठक में दी गई. वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “सीमा पार आतंकवाद को लगातार समर्थन देने वाले देश को इनाम देना एक खतरनाक संदेश देता है.” पिछले 5 वर्षों में ही पाकिस्तान ने 4 बार आईएमएफ से मदद मांगी है. जयराम रमेश ने एक्स (ट्विटर) पर लिखा— “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 29 अप्रैल को ही मांग की थी कि भारत पाकिस्तान को दिए जा रहे आईएमएफ ऋण के खिलाफ मतदान करे, जिस पर आज आईएमएफ की एक्सक्यूटिव बोर्ड में विचार किया गया, लेकिन भारत ने मतदान से दूर रहकर खुद को अलग रखा. मोदी सरकार पीछे हट गई. वहां एक मजबूत 'नहीं' का वोट एक सशक्त संदेश देता.”
बीमा कंपनी के लोगों को मौत की धमकी और पार्सल में भेजे कारतूस
'रॉयटर्स' के मुताबिक पिछले वर्ष भारत की प्रमुख हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस से संवेदनशील डेटा चुराने वाले हैकर ने अब दावा किया है कि उसने कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) और वित्त प्रमुख (CFO) को मौत की धमकियां दीं और उनके कार्यालय में कारतूस से भरे पैकेट भेजे. यह दावा उस हैकर ने किया है, जो खुद को "xenZen" कहता है. उसने 31 मार्च को रॉयटर्स को भेजे ईमेल में इन धमकियों की जिम्मेदारी ली. रॉयटर्स ने पहली बार इस ईमेल की जानकारी सार्वजनिक की है. सितंबर 2024 में रॉयटर्स ने रिपोर्ट किया था कि xenZen ने 31 मिलियन से अधिक ग्राहकों का डेटा लीक कर दिया था, जिसमें उनकी मेडिकल रिपोर्ट्स जैसी बेहद निजी जानकारियां शामिल थीं. उस समय हैकर ने दावा किया था कि उसके पास 7.24 टेराबाइट डेटा है और वह इसे बेचने के लिए संभावित खरीदारों से संपर्क कर रहा है.
18 साल से कम उम्र की 30% से अधिक लड़कियों और 13% लड़कों ने झेला यौन उत्पीड़न
प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल 'द लैन्सेट' में प्रकाशित एक वैश्विक विश्लेषण में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वर्ष 2023 के दौरान 18 वर्ष से कम उम्र की 30.8% लड़कियों और 13% लड़कों ने यौन हिंसा का अनुभव किया. यह अध्ययन 1990 से 2023 के बीच दुनिया के 200 से अधिक देशों में बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा की घटनाओं के आकलन पर आधारित है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया में लड़कियों के खिलाफ यौन हिंसा की दर सबसे अधिक रही. भारत इस क्षेत्र में शीर्ष पर है, जहां यौन हिंसा की शिकार नाबालिग लड़कियों का प्रतिशत 30.8% रहा. इसके बाद बांग्लादेश (9.3%) जैसे देश भी सूची में शामिल हैं, लेकिन भारत के आंकड़े विशेष रूप से गंभीर चिंता का विषय हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यह रिपोर्ट बच्चों की सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य, और सामाजिक संरचनाओं को लेकर देश में गहरी खामियों की ओर इशारा करती है.
2021 में दर्ज हुई 21 लाख अधिक मौतें
'द हिंदू' की रिपोर्ट है कि भारत ने 2021 में, जो कि COVID-19 महामारी का दूसरा लॉकडाउन वर्ष था, 1 करोड़ से अधिक मौतें दर्ज कीं, जो कि साल 2020 की तुलना में लगभग 21 लाख अधिक थीं. यह खुलासा भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा पांच साल के अंतराल के बाद जारी की गई जन्म और मृत्यु से संबंधित दो प्रमुख रिपोर्टों में हुआ है. रिपोर्ट “वाइटल स्टैटिस्टिक्स ऑफ इंडिया बेस्ड ऑन द सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम 2021” के अनुसार, 2020 में 81.2 लाख मौतें दर्ज की गई थीं, जबकि 2021 में यह संख्या 102.2 लाख तक पहुंच गई यानी 26% की वृद्धि. 2019 में कुल 75.9 लाख मौतें दर्ज हुई थीं. दूसरी रिपोर्ट “मेडिकल सर्टिफिकेशन ऑफ द कॉज ऑफ डेथ 2021” में कहा गया है कि जिन मौतों का मुख्य कारण COVID-19 था, उनकी संख्या 2020 में 1,60,618 से बढ़कर 2021 में 4,13,580 हो गई. इनमें 2,67,363 पुरुष, 1,46,215 महिलाएं और दो ट्रांसजेंडर शामिल हैं. रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में कुल 1,02,24,506 मौतों में से 23,95,128 मौतों को चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित किया गया, जो 2020 की तुलना में 5,83,440 अधिक थी. दोनों वर्षों (2020 और 2021) में मिलाकर कुल 5,74,198 COVID-19 मौतें दर्ज हुईं. वहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय के COVID-19 डैशबोर्ड पर 5 मई 2025 तक देश में कुल 5,33,665 कोरोना जनित मौतें बताई गई हैं.
आईपीएल स्थगित, पीएसएल पर संकट
भारत के क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने कहा कि उसने पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ लड़ाई बढ़ने के कारण शुक्रवार को इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) टूर्नामेंट को एक सप्ताह के लिए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. वहीं पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने भी शुक्रवार को ही पीएसएल के बचे मैच संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में आयोजित कराने की घोषणा की थी. अब उस पर भी संदेह के बादल घिर गए हैं. सूत्रों ने बताया कि भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव के कारण अमीरात क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) के पीसीबी के अनुरोध को ‘स्वीकार करने की संभावना नहीं है’. इसीबी पीसीबी के अनुरोध को ठुकरा सकता है.
भारत ने 123 लोगों को बांग्लादेश में भेजा : बांग्लादेश की बॉर्डर पुलिस ने 123 लोगों को हिरासत में लिया, जिनमें बंगाली और रोहिंग्या भाषी लोग भी शामिल थे. इन्हें भारत ने कुरीग्राम और खगराछारी सीमा बिंदुओं के माध्यम से देश से ‘निकाल’ दिया था. द डेली स्टार की खबर के अनुसार, बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश ने भारत के सीमा सुरक्षा बल के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है. ढाका के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन ने कहा है कि अगर हिरासत में लिए गए लोगों की पहचान “बांग्लादेश के नागरिक के रूप में की जाती है, तो हम उन्हें स्वीकार करेंगे और यह औपचारिक चैनल के माध्यम से किया जाना चाहिए. उन्हें जबरन यहां भेजना कोई तरीका नहीं है.”
स्टारलिंक को भारत में सेवा देने की मिली मंजूरी : 'द इकोनॉमिक टाइम्स' की रिपोर्ट है कि इलोन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को भारत सरकार की ओर से देश में अपनी सेवाएं शुरू करने की मंजूरी मिल गई है. भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (DoT) ने यह मंजूरी तब दी जब स्टारलिंक ने भारत सरकार की नई राष्ट्रीय सुरक्षा दिशा-निर्देशों का पालन करने की सहमति जताई. वहीं, ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय की केबल्स (राजनयिक संदेशों) का हवाला देते हुए बताया कि अमेरिका ने उन देशों पर दबाव डाला है जिन पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा टैरिफ (शुल्क) लगाए गए हैं, ताकि वे इलोन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को मंजूरी दें. इलोन मस्क को ट्रम्प का करीबी माना जाता है. इस तरह भारत में स्टारलिंक की मंजूरी न केवल घरेलू स्तर पर सुरक्षा शर्तों के तहत मिली है, बल्कि इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक दबाव की भूमिका भी हो सकती है.
चलते-चलते
रूह अफ़ज़ा को लेकर अब वह चुप रहेगा
'द हिंदू' की रिपोर्ट है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को रामदेव द्वारा हमदर्द की मशहूर पेय पदार्थ रूह अफ़ज़ा पर आगे कोई अपमानजनक टिप्पणी न करने का वचन देने के बाद उनके खिलाफ मामला बंद कर दिया. न्यायमूर्ति अमित बंसल ने कहा कि बाबा रामदेव और पतंजलि फूड्स लिमिटेड द्वारा हलफनामे में किए गए बयान अब उनके लिए बाध्यकारी हैं. इसी आधार पर अदालत ने यह मामला हमदर्द नेशनल फाउंडेशन इंडिया के पक्ष में निपटा दिया. इससे पहले, अदालत ने रूह अफ़ज़ा को लेकर ऑनलाइन डाले गए विवादित वीडियो को हटाने का आदेश दिया था और रामदेव व पतंजलि से औपचारिक माफीनामा मांगा था.
पाठकों से अपील-
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, फेसबुक पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.