11 दिसंबर 2024 : जज पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, रूस ने लटकाए रक्षा सौदे, ग्लोबल बाजार का फुटबॉल बना सीरिया,धनखड़ के खिलाफ अविश्वास, ममता की लीडरशिप पर हवा, सूडान का कत्ल-ए-आम और अमजद मुराद गोंड की कव्वाली
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आज की सुर्खियां : सुप्रीम कोर्ट ने विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक कार्यक्रम में इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस शेखर कुमार यादव के विवादास्पद भाषण को संज्ञान में लिया है. शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से यादव के भाषण का ब्योरा मांगा है. शीर्ष अदालत ने एक प्रेस बयान जारी कर खुद इसकी जानकारी दी और कहा कि मामला विचाराधीन है. जस्टिस यादव के भाषण की व्यापक आलोचना हो रही है. उन्होने अपने भाषण में कहा था कि देश बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार काम करेगा. अपने भाषण में जस्टिस यादव ने ‘कठमुल्ला’ शब्द का भी इस्तेमाल किया था.
इधर न्यायमूर्ति यादव की विवादास्पद टिप्पणियों के विरोध में मुख्य न्यायाधीश खन्ना को भी कई लोगों ने पत्र लिखा है. श्रीनगर के सांसद रूहुल्लाह मेंहदी ने कहा कि वह न्यायमूर्ति यादव पर महाभियोग चलाने के लिए संसद में एक प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने अब तक सात हस्ताक्षर एकत्र किए हैं, जिनमें असदुद्दीन ओवैसी और संभल के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क के हस्ताक्षर शामिल हैं. महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने के लिए उन्हें 100 सासंदों के समर्थन की जरूरत होगी.
(साभार: सतीश आचार्य)
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने दिल्ली उच्च न्यायालय में ₹100 करोड़ का मानहानि का मुकदमा दर्ज किया है. यह मुकदमा उन मीडिया आउटलेट्स के खिलाफ है, जिन्होंने उन्हें अडानी समूह पर लगे आरोपों से उनका नाम जोड़ा था. मुकदमे में नामित लोगों में ईनाडु, आंध्र ज्योति और आज तक के संपादक शामिल हैं.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास को उम्मीदों के मुताबिक सेवाविस्तार नहीं मिला है. वो कल अपना पद छोड़ देंगे. असल में पिछले हफ्ते ही बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने ब्याज दर में कटौती के खिलाफ फिर से फैसला लिया, जबकि उद्योग जगत के दिग्गजों और केंद्रीय मंत्रियों के दर में कटौती का दबाव था. हालांकि, यही केवल वजह नहीं है. फुरकान मोहरकन और उज्वल नानावती लिखते हैं कि दास को तीसरा कार्यकाल नहीं मिलने के और भी कारण हो सकते हैं.
रक्षा आपूर्ति में रूस की लगातार देरी पर भारत की बढ़ती निराशा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मॉस्को यात्रा के दौरान बातचीत के केंद्र में रहने वाली है. रूस की ओर से भारत को कई महत्वपूर्ण पुर्जों की आपूर्ति नहीं की गई है, जिससे सैन्य तैयारी खतरे में पड़ गई है. डिलीवरी की यह देरी एस-400 और पट्टे पर ली गई परमाणु पनडुब्बी से भी आगे तक फैली हुई है, जो गंभीर चिंताएं खड़ी करती है. आपूर्ति श्रृंखला की इन खामियों ने रणनीतिक रक्षा भागीदार के रूप में रूस की प्रतिबद्धता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. ऐसे में रूस की यात्रा में राजनाथ सिंह को इस मसले को हल करना बड़ी चुनौती होने वाला है.
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने फैक्ट चेकर और ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को समर्थन देने के लिए एक पत्र जारी किया है. जुबैर पर गाजियाबाद पुलिस ने उनके सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर मामला दर्ज किया है. जुबैर पर आरोप है कि उन्होंने एक क्लिपिंग साझा की थी, जिसमें विवादित पुजारी यति नरसिंहानंद का भड़काऊ भाषण था. पत्र में बताया गया है कि कैसे जुबैर पर 'धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने' के लिए कई मामलों में फर्जी आरोप लगाए गए हैं. संगठनों ने जुबैर पर दर्ज एफआईआर को तुरंत वापस लेने और केंद्र सरकार से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने की मांग की है.
इस्कॉन महंत चिन्मय कृष्ण दास पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज: बांग्लादेश चटगांव कोर्ट परिसर में पुलिस और हिंदू साधु चिन्मय कृष्ण दास के अनुयायियों के बीच झड़प मामले में रविवार 8 दिसंबर को देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है. बांग्लादेश के अखबार ढाका ट्रिब्यून अखबार के अनुसार, एफआईआर में मुख्य आरोपी इस्कॉन महंत के अलावा 164 नामित व्यक्तियों और 400-500 अज्ञात लोगों को शामिल किए गए हैं.
भारत के चिंता जताने के बाद बांग्लादेश ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की 88 घटनाओं की पुष्टि की: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अगस्त में पद से हटाए जाने के बाद अल्पसंख्यकों (ज्यादातर हिंदू) के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा की 88 घटनाएं हुई है. इनमें से कुछ पूर्व सरकार की पार्टी के सदस्य थे. अंतरिम सरकार प्रमुख मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने कहा कि हिंसा के जिम्मेदार 70 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
बांग्लादेश ने यह जानकारी भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री की ओर से अल्पसंख्यकों पर हमलों की दुखद घटनाओं को बांग्लादेशी अधिकारियों के साथ बैठक में उठाने और उनकी सुरक्षा और कल्याण की भारत के चिंता जताने के एक दिन बाद की गई है.
धनखड़ के खिलाफ अविश्वास : सिर्फ 10 दिन बचे हैं, ऐसे नोटिस का क्या मतलब? : विपक्ष ने मंगलवार को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया. भारत के संसदीय इतिहास की यह पहली घटना है. उच्च सदन के सभापति के खिलाफ ऐसा कदम कभी नहीं उठाया गया. अब सवाल है कि क्या सचमुच अविश्वास प्रस्ताव सदन में आएगा और क्या विपक्ष की मंशा पूरी हो पाएगी ? ‘इंडियन’ एक्सप्रेस में अजॉय सिन्हा कर्पूरम ने इसे समझाया है. खासकर इस दृष्टि से कि इस बारे में संविधान क्या कहता है. चूंकि राज्यसभा का सभापति और उपराष्ट्रपति एक ही व्यक्ति होता है, लिहाजा उसे हटाने की प्रक्रिया भी समान ही है. इसका प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 67 (बी) में किया गया है, जो कहता है कि उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए राज्यसभा के तत्कालीन सदस्यों को बहुमत से प्रस्ताव पारित करना होगा और फिर इसे लोकसभा को "सहमति" देना होगी. खास बात यह है कि इस प्रावधान के तहत कोई भी प्रस्ताव तब तक सदन में नहीं लाया जाएगा जब तक कि कम से कम 14 दिन का नोटिस नहीं दिया गया हो. धनखड़ के मामले में यह स्पष्ट नहीं है कि अविश्वास प्रस्ताव सदन में आएगा भी या नहीं? कारण यह है कि संसद का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को समाप्त होने वाला है. इस हिसाब से 14 दिनों से भी कम समय बचा है. यह तय करने के लिए पूर्व का भी कोई उदाहरण नहीं है कि क्या अविश्वास प्रस्ताव का आज का नोटिस ही संसद के अगले सत्र तक बरकरार रहेगा? बहरहाल, संसद के मौजूदा गणित को देखते हुए प्रस्ताव का गिरना हर हाल में तय है. दरअसल विपक्ष ने प्रतीकात्मक विरोध के रूप में यह कदम उठाया है. विपक्ष का आरोप है कि उपराष्ट्रपति पक्षपाती और अन्यायपूर्ण तरीके से सदन चलाते हैं.
लालू बोले, ममता को लीडरशिप दो: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व करने की इच्छा जताकर विपक्षी दलों के गठबंधन में खासी हलचल पैदा कर दी है. मंगलवार को आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने ममता की वकालत करके इसमें और इजाफा कर दिया. लालू ने ममता को नेतृत्व सौंपे जाने के सवाल पर साफ साफ कहा, “हां उन्हें नेतृत्व करना चाहिए.” कांग्रेस की आपत्तियों के बारे में भी राजद सुप्रीमो ने दो टूक कहा कि कांग्रेस की आपत्तियां कुछ नहीं हैं. ममता को नेतृत्व की भूमिका दी जाना चाहिए. लालू ने अपने अंदाज में कहा, “ममता को दो.” बता दें, बिहार में अगले साल विधानसभा के चुनाव हैं. माना जा रहा है कि सीट बंटवारे को लेकर राजद और कांग्रेस की बिहार ईकाई के बीच अभी से ही कड़ी कशमकश शुरू हो गई है. एआईसीसी के सचिव और बिहार में पार्टी के सह प्रभारी शहनवाज आलम ने इसके संकेत भी दिए हैं. आलम ने कहा है कि कांग्रेस अब महागठबंधन में "छोटे भाई" की भूमिका निभाने के लिए तैयार नहीं है. राजनीति में कोई बड़ा भाई या छोटा भाई नहीं होता. विधानसभा चुनावों में कौन कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा, यह कई कारकों के आधार पर तय किया जाना चाहिए. जिसमें लोकसभा चुनावों का स्ट्राइक रेट भी शामिल है. दरअसल, आलम का इशारा साफ तौर पर लोकसभा चुनावों में राजद के निराशाजनक प्रदर्शन की ओर है, जिसने बिहार की 40 सीटों में से 23 पर चुनाव लड़ा, लेकिन केवल चार सीटें जीतीं. जबकि कांग्रेस, जिसे 2020 में महागठबंधन में 'कमजोर कड़ी' के रूप में देखा गया था, ने नौ सीटों में से तीन सीटें जीतीं. आलम का यह आक्रामक रुख दोनों पार्टियों के बीच उत्पन्न हुए तनाव के संदर्भ में भी देखा जा सकता है, बावजूद इसके कि लालू के गांधी परिवार के साथ व्यक्तिगत संबंध बहुत अच्छे हैं.
गौरतलब है कि दो दिन पहले एनसीपी (एसपी) नेता शरद पवार भी ममता बनर्जी का परोक्ष समर्थन कर चुके हैं. शिवसेना (यूबीटी) के संजय राऊत ने भी कहा था कि ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और शिवसेना तीनों एक हैं. दूसरे नंबर की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी सपा के भी इन दिनों कांग्रेस के साथ नरम गरम रिश्ते चल रहे हैं.
धोखाधड़ी के मामले में दिल्ली की अदालत ने धर्मेंद्र को तलब किया: दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने गरम धरम ढाबा फ्रेंचाइजी से जुड़े धोखाधड़ी मामले में पूर्व भाजपा सांसद और बॉलीवुड अभिनेता धर्मेंद्र के अलावा दो और लोगों को तलब किया है. शिकायतकर्ता सुशील कुमार ने बताया कि उन्हें कहा गया था कि 63 लाख रुपये और बिजनेस के लिए जमीन की व्यवस्था करना है, लेकिन इसके बाद से वे लोग गायब हैं.
मिडिल ईस्ट: एक देश, एक परिवार, बमबारी का वैश्विक बाजार, …और इदरीस की ‘बकदाश आईसक्रीम पार्लर’ तक दौड़
सीरिया इस वक्त भारतीय मिथकीय कहानियों के पॉपुलर किरदार 'त्रिशंकु की तरह' हो गया है, जो आजाद तो है, लेकिन मझदार में लटका हुआ. मतलब कि इसकी आजादी की कहानियां उतनी ही खोखली सी हैं, जितनी पॉन्ड में पल रही किसी रंगीन मछली की आजादी. सीरिया के आसमान पर ताकतवर मुल्कों के बाजार की बेड़ियों के बढ़ते झंडे की दस्तक महसूसी जा रही है.
40 सालों के बशर अल-असद के परिवार की सत्ता के अचानक तबाही के बाद दुनिया के इस भूभाग पर वैश्विक गिद्धों की नजर पड़ चुकी है. ‘गार्डियन’ की खबर है कि विभिन्न क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शक्तियां अब सीरिया के भीतर अपनी-अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटी हैं. इजरायल, तुर्की और अमेरिका ने सीरिया में एक के बाद एक कई सैन्य कार्रवाईयां की हैं. सीरिया आजाद होते ही ग्लोबल बाजार का फुटबॉल बन गया है. असद के पुराने सहयोगी रूस और ईरान ने सीरिया के भविष्य को प्रभावित करने की कोशिशों तेज कर दी हैं.
सीरिया के नए अंतरिम नेता ने मंगलवार को घोषणा की कि वह तीन दिन पहले राष्ट्रपति बशर अल-असद को अपदस्थ करने वाले पूर्व विद्रोहियों के समर्थन से कार्यवाहक प्रधान मंत्री के रूप में देश की कमान संभाल रहे हैं. राज्य टेलीविजन पर एक संक्षिप्त संबोधन में मोहम्मद अल-बशीर ने यह बात कही है. बशीर को सीरिया के अधिकांश हिस्सों में बहुत कम लोग जानते हैं. बशीर पहले विद्रोहियों द्वारा नियंत्रित सीरिया के उत्तर-पश्चिम की एक छोटी सी जगह में प्रशासन चलाता था.
क्षेत्रीय शक्तियों का हस्तक्षेप
इस सत्ता परिवर्तन ने मध्य पूर्व की शक्तियों को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है. इजरायल ने सीरिया से लगती कब्जाई जमीन की सरहद पर बंदोबस्त बढ़ाया है तो तुर्की ने कुर्द क्षेत्र और सीमा सुरक्षा पर नजर रखते हुए, अपनी स्थिति मजबूत कर दी है. अमेरिका ने आतंकवाद विरोधी अभियानों के नाम पर सीरिया में अपने प्रभाव का विस्तार शुरू कर दिया है. वो रूस की रुखसती का यहां लाभ ले रहा है. रूस और ईरान जैसे मुल्क असद के समर्थक होने के बावजूद, अब नई सत्ता के साथ अपनी भूमिका और हितों को फिर से परिभाषित कर रहे हैं. इस नई स्थिति में सीरिया न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक राजनीति का केंद्र बन गया है.
इज़राइल की 'रक्षा क्षेत्र' योजना: सीरिया पर दमन का नया अध्याय
सीरिया में वर्षों से जारी संघर्ष के बीच, इज़राइल की सीरियाई सैन्य बेड़े को नष्ट करने और 'स्टरल डिफेंसिव ज़ोन' (स्वच्छ रक्षा क्षेत्र) स्थापित करने की घोषणा ने सीरिया पर अधिकार की लड़ाई को तेज कर दिया है. यह कदम न केवल सीरियाई राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनौती देता है, बल्कि इसे एकतरफा आक्रामकता के रूप में भी देखा जा रहा है. पिछले कुछ सालों में इज़राइल ने सीरिया के गोलान हाइट्स जैसे इलाके में अपनी स्थिति मजबूत की है. सीरिया इसे क्लेम करता आया है, लेकिन इजराइल का अपना फंडा है. जहां पहुंच गए, वो जमीन हमारी वाला फंडा. कब्जे के बाद दादागिरी वाला फंडा.
(लताकिया बंदरगाह शहर पर रात भर हुए इजरायली हमले के दौरान तबाह हुए सीरियाई नौसैनिक जहाज. साभार: आरेफ वताद/एएफपी/गेटी इमेजेज)
बेंजामिन नेतन्याहू का कहना है कि गोलान हाइट्स 'अनंत काल तक' इज़राइल का हिस्सा रहेगा. सीरिया के रक्षा मंत्रालय ने इज़राइल के इस कदम की कड़ी आलोचना करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संप्रभुता के खिलाफ बताया है. एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा- 'यह इज़राइल का एक और अवैध प्रयास है, जो सीरिया की धरती पर कब्जा जमाने और उसे अपने भू-राजनीतिक हितों के लिए इस्तेमाल करने का संकेत देता है.'
सीरिया में असद का पतन और चीन का संकट
ठीक एक साल पहले चीन ने बशर अल-असद और उनकी पत्नी का छह दिवसीय यात्रा के दौरान गर्मजोशी से स्वागत किया था. ये कुछ ऐसा था जैसे असद 2011 में गृह युद्ध की शुरुआत के बाद से वर्षों के अंतरराष्ट्रीय अलगाव के बाद एक दुर्लभ छुट्टी पर हों! चीन में जैसे ही दंपत्ति ने एशियाई खेलों में भाग लिया, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने "बाहरी हस्तक्षेप का विरोध करने" और सीरिया के पुनर्निर्माण में असद का समर्थन करने की कसम खाई. उनकी पत्नी अस्मा का चीनी मीडिया में स्वागत किया गया, लेकिन अब बशर अल-असद का पतन सीरिया में सिर्फ एक सत्ता परिवर्तन भर नहीं है, बल्कि इस घटना ने मिडिल ईस्ट में वैश्विक राजनीति को भी बदल दिया है. चीन अपने पूर्व के कर्मो का फल कम से कम सीरिया में भोगने जा रहा है. उसने सीरिया संकट में किसी भी पक्ष का खुला समर्थन करने से परहेज किया है और अपनी भूमिका असद के सबसे बड़े समर्थक रूस के साथ समन्वय तक सीमित रखी है. असद के पतन के बाद रूस और चीन के सहयोग पर सवाल उठ रहे हैं. चीन ने अपने महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (BRI) के लिए मध्यपूर्व में अपने आर्थिक हितों पर जोर दिया, लेकिन सीरिया की बदली तस्वीर अब इस योजना पर भी गहरा प्रभाव डालेगी.
…और इदरीस की ‘बकदाश आईसक्रीम पार्लर’ तक दौड़
लेबनान से सीरिया तक लोग दौड़ते हुए असद के बर्बर शासन के पतन का जश्न मना रहे हैं और अपने परिवार के लिए आगे की व्यवस्था करने में जुटे हुए हैं. लोग उम्मीदों से भरे हुए हैं. 42 साल का अनस इदरीस भी ऐसा ही एक शख्स है, जो आजादी के ख्यालों से भरा हुआ है. मुल्क में आजादी का बिगुल बजने के बाद इदरिस दमिश्क के पुराने हिस्से में स्थित मशहूर हमिदियेह सूक पहुंचा. यहां है शहर का मशहूर आईसक्रीम पार्लर बकदाश, जो लोगों से भरा हुआ है. उन लोगों से जो गृहयुद्ध के बाद शरणार्थी हो गए थे और सालों बाद अब अपने मुल्क लौटकर आए हैं. सोमवार को हजारों लड़ाके और विस्थापित लोग दमिश्क और इसके आसपास के इलाकों में लौट आए. इनमें वे लोग भी थे, जो सालों से उत्तर-पश्चिम सीरिया में फंसे हुए थे और असद सरकार के नियंत्रण वाले इलाकों में अपने परिवारों से नहीं मिल पाए थे. हालांकि, सीरिया के आसमान पर बमबारी का इतिहास अब भी लगातार लिखा ही जा रहा है, बावजूद इसके कि जनता ने अपना शासन चुन लिया है.
सूडानी सेना ने हाट बाजार में अपने ही 100 लोगों को भून दिया, बाद में कहा- 'हमने नहीं किया!'
‘गार्डियन’ की खबर है कि सूडान के उत्तरी दारफुर में एक साप्ताहिक बाजार पर सोमवार को किए गए सैन्य हवाई हमले में 100 से अधिक लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए. यह जानकारी प्रजातांत्रिक वकीलों के एक समूह, इमरजेंसी लॉयर्स के जरिए दुनिया के सामने आई है. हमले के दौरान बाजार में आसपास के गांवों के लोग खरीदारी करने आए थे. हालांकि, सूडान की सेना ने इससे इनकार किया है.
पूरी नहीं हुई मीडिया के सरताज रूपर्ट मर्डोक की 'आखिरी इच्छा'
मीडिया को अपनी उंगलियों से डिजाइन करने वाले रूपर्ट मर्डोक आखिकरकार अपने मीडिया साम्राज्य के उत्तराधिकार को लेकर अपनी इच्छाओं के अनुसार व्यवस्था करने के मामले में हार गए हैं. उनकी योजना थी कि उनके बेटे लैकलन मर्डोक को उनकी स्थापित कंपनी का पूर्ण नियंत्रण दिया जाए, लेकिन उनके तीन वयस्क बच्चों ने इसका विरोध किया और सत्ता का बंटवारा करने को कहा है.
कंपनी ने 100 से ज्यादा लोगों को कार्यस्थल पर तनाव की वजह से निकाला
घर-घर जाकर ब्यूटी सर्विस देने वाला नोएडा स्थित स्टार्टअप ‘यसमैडम’ पर आरोप है कि मानसिक स्वास्थ्य का सर्वे कराकर उसने बड़े पैमाने पर छंटनी की है. उसने कार्यस्थल पर मानसिक तनाव रहने की बात स्वीकारने वाले 100 से ज्यादा लोगों को कंपनी से निकाल दिया है.
बिजनेस के तौर–तरीके बदल रहा है वॉट्सऐप
वॉटसऐप अब बदल रहा है. उसका लक्ष्य सभी बिजनेस को इस प्लेटफॉर्म पर लाना है. ऐसा मेटा की वाइस प्रेसीडेंट, प्रोडक्ट मैनेजमेंट निकिला श्रीनिवासन ने ‘रेस्ट ऑफ वर्ल्ड’ को बताया.
किसी ने सोचा नहीं था कि आने वाले दिनों में वॉट्सऐप बिजनेस के तौर-तरीकों को बदल देगा. मगर अब यह दिखने लगा है. इसे बताने के लिए मार्क जुकरबर्ग की स्वामित्व वाली मूल कंपनी मेटा बेहद उत्सुक है. इसी वजह से सितंबर में मुंबई में इसने बिजनसमैनों के लिए समिट भी किया था. पूरी तरह मुफ्त वॉट्सऐप बिजनेस की नजर टियर-2 और 3 शहरों के छोटे व्यवसायों पर है. वह उन्हें मुफ्त डिजिटल स्टोरफ्रंट स्थापित करने की अनुमति दे रहा है. इस ऐप का इस्तेमाल कर व्यवसायी इंस्टाग्राम ओर फेसबुक पर विज्ञापन चला सकते हैं. इससे उपयोगकर्ता वॉट्सऐप पर उनसे चैट करना शुरू कर सकता है. इससे व्यवसायी की बिना अतिरिक्त मेहनत और खर्च के पहुंच बढ़ जाती है. मुंबई शिखर सम्मेलन में इस बारे में लोगों को बताया गया कि आप वॉट्सऐप के जरिये अपने सारे व्यावसायिक काम कर सकते हैं.
एक दशक पहले 2014 में मेटा ने जब इसे 22 बिलियन डॉलर (1866 अरब रुपये से भी ज्यादा) में अधिग्रहित किया तभी से सब बदलने लगा. भारत, ब्राजील, मेक्सिको, इंडोनेशिया जैसे देशों में वॉट्सऐप से अब डॉक्टर की अपॉइंटमेंट शेड्यूल, रियल एस्टेट कारोबार, बैंकिंग, ऑनलाइन शॉपिंग आदि सारे काम होने लगे हैं.
यह बदलाव निश्चित रूप से पैसे के कारण हुआ है. वॉट्सऐप कभी बहुत ज्यादा पैसे कमाने वाला नहीं रहा है. जहां मेटा के अन्य ऐप लोगों के निजी डेटा को माइन करके ज्यादा विज्ञापन बेचकर अरबों डॉलर कमाते हैं. वॉट्सऐप एन्क्रिप्टेड ऐप है. इसके संस्थापक- पूर्व याहू इंजीनियर जान कौम और ब्रायन एक्टन ने सार्वजनिक रूप से विज्ञापनों से दूर रहने की कसम खाई थी.
हालांकि अब वॉट्सऐप आक्रामक रूप से बड़े व्यवसायियों को अपने व्यवसायों के भुगतान के लिए मैसेजिंग उत्पादों की ओर आकर्षित कर रहा है. ऐसा लगता है कि भविष्य में विज्ञापन शुरू करने की संभावना खंगाल रहा है. वह दिन दूर नहीं, जब आपको वॉट्सऐप पर विज्ञापन दिखने लग जाएं.
अब भी शुरुआती दिन हैं, लेकिन इस तरह से राजस्व उत्पन्न करने के लिए वॉट्सअप के प्रयास रंग लाने लगे हैं. मेटा व्यवसायों द्वारा खरीदे जाने वाले ‘क्लिक-टू-मैसेज’ विज्ञापनों से अरबों डॉलर कमाता है. अपने प्रीमियम API के माध्यम से संदेश भेजने के लिए हजारों बड़ी कंपनियों से शुल्क भी लेता है. इसमें मार्केटिंग, भुगतान और अन्य सुविधाओं का पूरा सेट शामिल है, जबकि मेटा के पेड मैसेजिंग टूल ने पिछले साल लगभग करीब 1 बिलियन डॉलर (85 अरब रुपये) कमाए. कंपनी ने विज्ञापनों से जो 132 बिलियन डॉलर (11,197 अरब रुपये) कमाए, उसकी तुलना में यह बहुत कम है. मगर यह दिखने लगा है कि पेड मैसेजिंग राजस्व, विज्ञापन राजस्व की तुलना में कहीं अधिक तेजी से बढ़ रहा है और 2023 की शुरुआत से यह दोगुना से अधिक हो गया है. मेटा ने फेसबुक और इंस्टाग्राम से पैसा कमाने के हर संभावना का इस्तेमाल किया है. वहीं वॉट्सअप संभावित रूप से विशाल और बड़े पैमाने पर ऐसे अवसरों का प्रतिनिधित्व करता है, जिसका इस्तेमाल बाकी है.
यह आश्चर्य की बात नहीं कि मार्क जुकरबर्ग ने वॉट्सअप को अपनी कंपनी के ‘अगले प्रमुख स्तंभ’ के रूप में रेखांकित करना शुरू कर दिया है. मगर मेटा को नाजुक संतुलन भी बनाए रखना होगा. वाट्सअप से अपने पैसे का पूरा मूल्य प्राप्त करने के लिए, इसे एक ऐसे स्थान में बदलना होगा, जहां बिना उस गोपनीयता और सरलता का त्याग किए दुनिया के व्यवसायी अपना पैसा खर्च करना चाहें, जिस वजह से पहली बार इस ऐप ने दुनिया को अपनी ओर आकर्षित किया था.
अदालत ने छीनी पूर्व विधायक की भारतीय नागरिकता
तेलंगाना हाईकोर्ट ने सोमवार को बीआरएस के पूर्व विधायक चेन्नमनेनी रमेश की भारतीय नागरिकता रद्द करने के केंद्रीय गृह मंत्रालय के फैसले को बरकरार रखा. इसके साथ ही अदालत को गुमराह करने और अपनी जर्मन नागरिकता छिपाने के लिए उन पर 30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. यह किसी पूर्व विधायक का भारतीय नागरिकता खोने का पहला मामला है. रमेश चार बार विधायक रह चुके हैं.
यूपी के फतेहपुर में 180 साल पुरानी मस्जिद का एक हिस्सा गिराया गया
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में करीब 180 साल पुरानी नूरी मस्जिद का एक हिस्सा जिला प्रशासन ने मंगलवार को गिरा दिया. प्रशासन ने कहा कि नूरी जामा मस्जिद का यह हिस्सा अतिक्रमित था. संरचना को हटाने के लिए नोटिस दिया गया था. यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ जब मस्जिद समिति ने राहत की मांग करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका डाली थी.
मेडिकल कॉलेजों में रैगिंग की घटनाओं पर एनएमसी करेगा सख्त कार्रवाई
मेडिकल कॉलेजों में रैगिंग की बढ़ती घटनाओं को नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) ने गंभीरता से लिया है. उसने सभी संस्थानों से मजबूत एंटी-रैगिंग सिस्टम लागू करने को कहा है. उसने चेतावनी दी है कि ऐसा न करने वाले संस्थानों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. सभी मेडिकल कॉलेजों और संस्थानों के प्रिंसिपलों और डीन को भेजे नोटिस में पोस्टग्रेजुएट मेडिकल बोर्ड (पीजीएमईबी) की ओर से रैगिंग की घटनाओं पर जारी नोटिस का हवाला दिया है.
पीजीएमईबी के अध्यक्ष और चेयरमैन डॉ. विजय ओझा ने अपने नोटिस में कहा है, ‘एनएमसी ने रैगिंग की घटनाओं का गंभीरता से संज्ञान लिया है. इसमें जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, धारपुर में हाल ही में हुई दुखद घटना भी शामिल है. इसमें 18 साल के एमबीबीएस फर्स्ट ईयर के छात्र की मौत हो गई थी’.
एनएमसी के अनुसार, पिछले पांच सालों में 64 एमबीबीएस और 58 स्नातकोत्तर समेत कुल 122 मेडिकल छात्रों ने आत्महत्या की है.
चलते-चलते: सुनिए अमजद मुराद गोंड की कव्वाली
‘पारी’ ने एक रिपोर्ट की है. एक कव्वाल की कहानी. कलाई पर घुंघरू बांधे हुए एक कव्वाल पुणे शहर के पास एक दरगाह पर गा रहा है...बिना किसी माइक्रोफोन के गुंबद के शीर्ष तक पहुंच जाने वाली ऊंची और स्पष्ट आवाज में...एकल गायन कर रहा है. अपनी धुन में... उसकी गोद में ढोलक एक बच्चे की तरह नजर आ रहा है...एक के बाद एक कव्वाली... वो केवल ज़ुहर और मग़रिब नमाज़ (शाम की प्रार्थना) के दौरान ही रुकता है... नमाज के बाद रात आठ बजे तक फिर गाता ही रहता है... ये रोज की दिनचर्या है उसकी… अपना परिचय कुछ इस तरह देता है- 'मैं अमजद हूं. अमजद मुराद गोंड. हम राजगोंड हैं. आदिवासी.' नाम और शक्ल से मुसलमान, जन्म से आदिवासी, अमजद कहता है - 'कव्वाली हमारा पेशा है!' अमजद मुराद गोंड, एक अद्वितीय आदिवासी संगीतकार है, जो न तो हिंदू है और न ही मुस्लिम. अमजद बस महाराष्ट्र में हजरत पीर कमर अली दरवेश की दरगाह पर कव्वाली गाने की पारिवारिक परंपरा को जीवित रख रहा है. अमजद की कहानी जहरीले हो चुके सियासी दौर में असल में भारतीय संगीत की विविधता, धर्मनिरपेक्षता और पारंपरिक कला रूपों के संरक्षण की मिसाल की कहानी है.
अमजद को संगीत पीढ़ियों में मिला है. उसके दादा की तरह, उसके पिता भी गाँव-गाँव घूमकर जड़ी-बूटियाँ और खजूर बेचते थे. उन्हें संगीत का शौक था. बकौल अमजद फिर वो कव्वाली की लेन में घुस गए. अमजद कहता है कि मेरे पिता जहाँ भी जाते थे, मैं हमेशा उनका अनुसरण करता था. वो कहता है कि धीरे-धीरे उसके पिता ने कार्यक्रमों में गाना शुरू कर दिया और उन्हें देखकर उसने भी यह कला सीखी. धर्म के मामले में वह स्पष्ट है और कहता है- 'हमें जो पसंद है उसका उपयोग करते हैं. हमारा कोई धर्म नहीं है. हम जाति में विश्वास नहीं करते. हम राजगोंड हैं.' संगीत की इस धारा के अमजद की कथा ही वास्तव में हिन्दुस्तान की असल तहजीब की कथा है, जो आज के दौर में उतनी ही जोर से सुनाई जानी चाहिए, जितनी जोर से अमजद की आवाज मस्जिद की गुंबद चूमने हर रोज ही पहुंचती है..
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