11/02/2025: रुपये का शीर्षासन जारी, आपराधिक रिकॉर्ड में आप आगे, आंकड़ों के अंधेरे में सियासत, परीक्षा के लिए मौसमी फल, मणिपुर सुरक्षा चौकी से फिर लुटे हथियार, बंदर ने गुल की लंका की बत्ती
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां | 11 फरवरी 2025
रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर 87.95 पर: सोमवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.95 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया. आरबीआई ने स्टेट बैंकों के माध्यम से डॉलर बेचकर रुपये को सहारा देने की कोशिश की. विदेशी निवेशकों की निकासी और आर्थिक मंदी के कारण रुपया लगातार कमजोर हुआ.
मणिपुर में बटालियन की चौकी से लूटे हथियार : 'स्क्रोल' की खबर है कि शनिवार की रात को अज्ञात बंदूकधारियों के एक समूह ने मणिपुर के थौबाल जिले में इंडिया रिजर्व बटालियन की एक चौकी से हथियार लूट लिए. पुलिस ने कहा 08 फरवरी की रात को अत्याधुनिक हथियारों से लैस लगभग 30 सशस्त्र बदमाशों ने ककमयाई में एक पुलिस चौकी में घुसकर वहां तैनात पुलिसकर्मियों को काबू में ले लिया. हालांकि, सुरक्षा कर्मियों ने एक कथित बदमाश को पकड़ लिया, जिसे हिजाम निंगथम सिंह के रूप में पहचाना गया. बाद में पता चला कि वह प्रतिबंधित अलगाववादी उग्रवादी संगठन कांगलेइपाक कम्युनिस्ट पार्टी का सदस्य था. मणिपुर पुलिस ने रविवार को कहा कि उन्होंने चुराए गए नौ में से आठ हथियार बरामद कर लिए हैं. मणिुपर पिछले दो सालों से भी अधिक समय से दो गुटो मैतेई और कुकी समदाय के बीच चल रही हिंसा से जूझ रहा है. सूबे के मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह ने अपना इस्तीफा चौतरफा आलोचनाओं के बाद 9 फरवरी को ही राज्यपाल को सौंपा है. इस हिंसा में अब तक कम से कम 258 लोग मारे गए हैं और 59,000 से अधिक लोग बेघर हो गए हैं.
कार्टून | राजेन्द्र धोड़पकर
ट्रम्प को लुभाने की तैयारी: प्रधानमंत्री मोदी इस सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प से मुलाकात करेंगे. भारत ने बजट में आयात शुल्क घटाकर अमेरिका को खुश करने की कोशिश की है, लेकिन 10.5% औसत टैरिफ अभी भी अमेरिका के लिए चिंता का विषय है. सूत्रों के मुताबिक, भारत 'लिमिटेड एफटीए' का प्रस्ताव तैयार कर रहा है, जिसमें एलन मस्क की सैटेलाइट टेक्नोलॉजी जैसे मुद्दे शामिल हो सकते हैं. यह मुकेश अंबानी जैसे व्यवसायियों के हितों को प्रभावित कर सकता है.
14 करोड़ लोग खाद्य सुरक्षा से वंचित: कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी ने राज्यसभा में कहा कि जनगणना में देरी के कारण राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत 14 करोड़ लोगों को सब्सिडी वाले अनाज से वंचित रखा गया है. उन्होंने केंद्र सरकार से जनगणना शीघ्र कराने की मांग की. गांधी ने बताया कि लाभार्थियों का कोटा अभी भी 2011 की जनगणना पर आधारित है, जबकि 2021 में होने वाली जनगणना चार साल से स्थगित है. बजट आवंटन से संकेत मिलता है कि यह इस साल भी नहीं होगी. उन्होंने कहा, "खाद्य सुरक्षा विशेषाधिकार नहीं, बल्कि मौलिक अधिकार है."
नागा शांति प्रक्रिया पर चिंता: 21 सांसदों ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर नागा शांति वार्ता की स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है. पत्र में कहा गया कि 2021 से पूर्णकालिक वार्ताकार की अनुपस्थिति और गोपनीयता से प्रक्रिया खतरे में है. संसद को फ्रेमवर्क समझौते (2015) के बाद की वार्ता की जानकारी नहीं दी गई है. सांसदों ने चेतावनी दी कि यह ठहराव "तीन दशक के प्रयासों को बर्बाद कर सकता है."
मंदिर पुजारी पर हिंदुत्व समूह का हमला: तेलंगाना के चिलकुर बालाजी मंदिर के मुख्य पुजारी रंगनाथन पर 'राम राज्यम' समूह के कार्यकर्ताओं ने हमला किया. आरोप है कि पुजारी ने उनकी 'सेना' के लिए फंड और सदस्य जुटाने से इनकार कर दिया. वीडियो में हिंसक घटना दर्ज है, जिसमें उनके पुत्र को भी पीटा गया.
विरोध करने वाले छात्रों से जेएनयू ने वसूले 18 लाख : एक आरटीआई के जवाब में खुलासा हुआ कि जेएनयू ने छात्रों से विरोध प्रदर्शन और नियम तोड़ने के आरोप में 18 लाख रुपए जुर्माना वसूला है. यह रकम स्नातक वार्षिक फीस से चार गुना अधिक है, जिससे विरोध दबाने के आरोप लग रहे हैं.
आपराधिक रिकॉर्ड वाले सबसे ज्यादा 'आप' में
'इंडियन एक्सप्रेस' की खबर है कि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के 70 में से 31 नवनिर्वाचित विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. आम आदमी पार्टी इस श्रेणी में सबसे ऊपर है, जिसमें इसके 68% (15) जीतने वाले उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों में से 33% (16) के खिलाफ आपराधिक मामले हैं.
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 पर बनी एडीआर की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 24% (17) विजेता गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं, जिनमें से 45% (10) आप के विधायक हैं और 15% (7) बीजेपी के विजेता हैं. गंभीर आपराधिक मामलों में वे अपराध शामिल हैं जो गैर-जमानती होते हैं, जिनकी अधिकतम सजा पांच साल या उससे अधिक होती है, या जो हत्या, अपहरण और महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों से संबंधित होते हैं.
बीजेपी ने शनिवार को दिल्ली चुनावों में 70 सीटों में से 48 सीटें जीतकर निर्णायक जीत हासिल की, जबकि आप के खाते में 22 सीटें आईं. एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार विजेताओं के बीच वित्तीय असमानताएं स्पष्ट हैं. बीजेपी के विधायक औसतन 28.59 करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक हैं, जो आप के विजेताओं की औसत संपत्ति 7.74 करोड़ रुपये से तीन गुना अधिक है. सबसे अमीर बीजेपी विजेताओं में तीन अरबपति करनैल सिंह (259.67 करोड़ रुपये), मंजींदर सिंह सिरसा (248.85 करोड़ रुपये) और प्रवेश साहिब सिंह (115.63 करोड़ रुपये) शामिल हैं.
दिल्ली चुनाव | ‘आप’ ने वही काटा, जो दूसरी जगह बोया...
राजेश चतुर्वेदी
दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) इतनी बुरी तरह क्यों हारी? इस सवाल के जवाब में 8 फरवरी (नतीजे वाली तारीख) से मीडिया में जो कारण गिनाए जा रहे हैं, उनमें एक बड़ा कारण कांग्रेस को भी बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि कांग्रेस अगर अलग होकर चुनाव नहीं लड़ती, तो ‘आप’ को इतना नुकसान नहीं होता. दूसरे शब्दों में यह समझाने की कोशिश की जा रही है कि 1993 के बाद दिल्ली में भाजपा को ऐसी बंपर जीत दिलाने में यदि किसी का हाथ है तो वह कांग्रेस का है. कांग्रेस अगर दोस्ताना लड़ाई में होती तो भले ही सरकार बनती न बनती, पर कम से कम ‘आप’ के बड़े नेता चुनाव नहीं हारते. विशेषकर, दो सबसे बड़े नेता अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया, जो अब तक ‘आप’ के “मोशा” रहे हैं. बिल्कुल, कैरम बोर्ड के ‘क्वीन’ और ‘कवर’ की तरह. जिन्हें इस खेल का जरा भी ज्ञान है, वे समझेंगे कि क्वीन के बाद कवर जरूरी होता है. और, यदि दोनों को एक साथ पॉकेट में डाल दिया जाए तो फिर अलग से कवर की जरूरत नहीं होती. बीजेपी के ‘स्ट्राइकर’ ने इस बार दोनों को पॉकेट में डालकर ऐसा ही किया है. यही कारण है कि नतीजों को आए अभी दो दिन हुए हैं कि ‘किशोरवय’ की इस पार्टी के भविष्य पर बातें होने लगी हैं. जैसे, पंजाब में क्या होगा? सरकार रहेगी या जाएगी? भगवंत मान ही रहेंगे मुख्यमंत्री या फिर केजरीवाल पंजाब से चलाएंगे अपनी पार्टी?
दरअसल, आम आदमी पार्टी या कहें केजरीवाल की वैभवशाली राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और भविष्य पर दिल्ली की करारी हार से ज्यादा बड़ा संकट खुद केजरीवाल और उनकी चौकड़ी की शिकस्त ने खड़ा कर दिया है. पूरी पार्टी के नक्शे पर खतरे की चर्चाएं चल पड़ी हैं. लेकिन, दिल्ली के परिणामों की मीमांसाओं का दिलचस्प ‘कथानक’ यह है कि केजरीवाल और उनकी चौकड़ी आज जिस अवस्था को प्राप्त हुई है, उसके लिए प्रमुख रूप से आप या उसके नेताओं के कृत्य नहीं, बल्कि कांग्रेस ज्यादा जिम्मेदार है. जबकि सच्चाई यह है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद केजरीवाल ने नवंबर में ही ऐलान कर दिया था कि वह कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेंगे. और तो और, उसकी ओर से इंडिया ब्लॉक के नेताओं के जरिए कांग्रेस पर यह दबाव बनाने की कोशिश भी की गई थी कि वह पूरी ताकत से चुनाव नहीं लड़े, अन्यथा आप हार जाएगी. अलग बात है कि कांग्रेस ने कितनी ताकत से चुनाव लड़ा, नतीजा सबके सामने है. खबरें तो यह भी हैं कि राहुल गांधी ने लोकसभा की तरह विधानसभा चुनावों में भी समझौते की इच्छा जताई थी, पर केजरीवाल मांगी गईं सीटें कांग्रेस को देने को तैयार नहीं थे. असल में, कांग्रेस को दोषी ठहराने वाला यह ‘कथानक’ परोक्ष तौर पर भाजपा को ही फायदा पहुंचाने के लिए आगे बढ़ाया जा रहा है. ताकि, देश के आम चुनावों के नतीजे आने के बाद नेतृत्व के सवाल पर इंडिया ब्लॉक में चल रही तनातनी को और विस्तार मिल सके. हालांकि आम आदमी पार्टी ने तो दिल्ली चुनाव के पहले ही कांग्रेस को इंडिया ब्लॉक से बाहर करने की मांग करके बीजेपी के “मन की बात” कर दी थी. हरियाणा चुनाव में राहुल गांधी ने केजरीवाल से गठबंधन की पहल की. आप की जिद के चलते गठबंधन नहीं हुआ. आप 90 सीटों पर लड़ी. कोई सीट नहीं जीत पाई. लेकिन कांग्रेस जीता चुनाव हार गई. गुजरात में आप अलग चुनाव लड़ी. कांग्रेस 75 प्लस से गिरकर 15 प्लस पर आ गई. भाजपा मजे से जीत गई. गोवा में आप कांग्रेस के खिलाफ लड़ी. बीजेपी जीती. यही कोशिश उसने उत्तराखंड, यूपी और मध्यप्रदेश में भी की, हालांकि वोट नहीं मिले. अलबत्ता, पंजाब में वह कामयाब हो गई. ऐसे ही ममता बनर्जी की टीएमसी गोवा, त्रिपुरा और असम में कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ी. हर जगह भाजपा जीतती गई.
इसमें कोई दो राय नहीं कि कांग्रेस ऐतिहासिक रूप से गलती पर गलती करने की आदी रही है. अनजाने में, और जानबूझकर भी. कांग्रेस के भीतर ही भाजपा की बी टीम की बातें भी होती हैं. बल्कि कई कांग्रेसी, कांग्रेस ‘बी’ (बीजेपी) को बड़ी बीमारी बताते हैं. और, इसके इलाज के बिना पार्टी का उत्थान नहीं देखते. लेकिन केंद्र की सियासत में नरेंद्र मोदी के पदार्पण के बाद से क्या केजरीवाल और ममता उसी भूमिका में नहीं रहे हैं, जो महाराष्ट्र से लेकर यूपी और बिहार में कथित तौर पर असदुद्दीन ओवैसी की समझी जाती है. भाजपा के कथित मददगार की भूमिका. लिहाजा बहुत मुमकिन है कि दिल्ली चुनाव में दो प्रतिशत की वोट वृद्धि के बाद कांग्रेस का हौसला भी बढ़ा हो और वह अब पश्चिम बंगाल की तरफ ध्यान लगाने का विचार करे, जहां अगले साल राज्य विधानसभा के चुनाव होना हैं. हालांकि, कांग्रेस कब कौनसी गलती कर बैठे, कहा नहीं जा सकता. मसलन, उसने अन्ना आंदोलन की कोख से निकली उसी आम आदमी पार्टी की 49 दिन की सरकार बनवा डाली थी, जिसने केंद्र की यूपीए सरकार के खिलाफ देश भर में एक नेरैटिव खड़ा करने में अहम रोल अदा किया था. बहरहाल, विपक्ष में परस्पर लड़ाई अंततः भाजपा के लिए फायदे का सबब रही है. मालूम सबको है, पर विपक्ष में शायद सब अपना अस्तित्व बचाने में लगे हैं. इस लिहाज से दिल्ली में अगर कांग्रेस के लड़ने से भाजपा जीत गई तो कौन सा पहाड़ टूट गया? या कल यदि कांग्रेस के कारण पश्चिम बंगाल में ममता हार जातीं हैं तो कौनसा आसमान फट जाएगा? भाजपा ही जीतेगी न?
विश्लेषण
आँकड़ों के अंधेरे में सियासत: एडवांटेज भाजपा
इंडिया केबल में पत्रकार सीमा चिश्ती ने एक लम्बा लेख लिख कर यह बताया कि कैसे जनगणना और दूसरे आंकड़ों के न होने के कारण भारत में राजनीति और लोकतंत्र दोनों नकारात्मक तौर पर प्रभावित हो रहे हैं. उनका लेख चार प्रमुख क्षेत्रों—जनसंख्या, गरीबी, कोविड मौतें और राशन वितरण—के उदाहरणों के माध्यम से दिखाता है कि कैसे डाटा की कमी या उसके दमन से सत्तारूढ़ दल को लाभ मिलता है. इस लेख की प्रमुख बातें-
1. जनसंख्या का 'विस्फोट' या मिथक?
सेंसस 2021 का स्थगन: 2021 की जनगणना अभी तक नहीं हुई, जिससे भारत की वास्तविक जनसंख्या अंदाज़ों पर निर्भर है. प्रधानमंत्री ने 2019 में लाल किले से "जनसंख्या विस्फोट" का भूत दिखाया, जबकि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, भारत की कुल प्रजनन दर (TFR) 2.1 के स्थिर स्तर से नीचे जा चुकी है.
धर्म और प्रजनन दर: मुस्लिम समुदाय में प्रजनन दर में सबसे तेज गिरावट दर्ज की गई है, जो दर्शाती है कि धर्म और प्रजनन दर का कोई सीधा संबंध नहीं है. परंतु, सेंसस के अभाव में "हिंदुओं को तीन बच्चे पैदा करने" जैसे नफ़रत भरे नारे और मुस्लिम जनसंख्या बढ़ोतरी के भ्रम को हवा मिलती है.
2. राशन योजना: दावे बनाम हकीकत
पुराने आंकड़ों पर निर्भरता: सरकार 2011 की जनगणना के आधार पर 81.35 करोड़ लोगों को राशन देने का दावा करती है, जबकि विशेषज्ञों के अनुसार, ‘10 करोड़ से अधिक भूखे लोग’ इस सूची से बाहर हैं. कोविड ने इस समस्या को और बढ़ाया, लेकिन सेंसस न होने से वास्तविक आंकड़े अज्ञात हैं.
वैश्विक भूख सूचकांक: भारत 2024 में 127 देशों में 105वें स्थान पर है, जहाँ भूख की स्थिति "गंभीर" श्रेणी में आती है. सरकार इन आंकड़ों को "विकसित भारत" के खिलाफ साजिश बताकर खारिज कर देती है.
3. गरीबी: अनुमानों का खेल
2011 के बाद से रुके आंकड़े: नीति आयोग ने 2024 में दावा किया कि भारत में गरीबी स्तर 5% से कम है, लेकिन यह दावा महज 2011-12 के गरीबी रेखा को मुद्रास्फीति के हिसाब से समायोजित करके किया गया. स्वतंत्र अध्ययनों के अनुसार, **26.4% भारतीय** गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे हैं.
जाति जनगणना का दबे होना: 2011 की सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए, जिससे वास्तविक गरीबी और असमानता का आंकलन मुश्किल है.
4. कोविड मौतें: छिपा हुआ सच
डबल्यूएचओ बनाम भारत का दावा: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) के अनुसार, भारत में कोविड से 47 लाख लोगों की मौत हुई, जबकि सरकार ने केवल 4.81 लाख मौतें स्वीकार कीं. सेंसस 2021 न होने से "अतिरिक्त मौतों" का सही आंकलन असंभव है.
लॉकडाउन की अराजकता: बिना तैयारी के लागू लॉकडाउन ने गरीबों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया, लेकिन आधिकारिक आंकड़ों के अभाव में इस त्रासदी का पूरा दायरा अस्पष्ट है.
डाटा का दमन: राजनीतिक लाभ की कुंजी
सेंसस का इतिहास: 1872 से 2011 तक भारत ने हर 10 साल पर जनगणना की, चाहे युद्ध हो या विभाजन. लेकिन 2021 की जनगणना का टालना एक ‘जानबूझी रणनीति’ लगती है, ताकि असुविधाजनक तथ्यों से बचा जा सके.
पोस्ट-ट्रुथ युग: तथ्यों के बजाय "वाइब्स" और भावनाएं राजनीतिक चर्चा तय करती हैं. नागरिकों को पारदर्शिता का अधिकार न देकर, सरकार उन्हें अंधेरे में रखती है.
जॉर्ज ऑरवेल के उपन्यास 1984 की तरह, भारत में अब "2+2=4" कहने की आज़ादी भी सीमित है. बिना डाटा के, नागरिक सवाल नहीं उठा सकते. डाटा का अभाव सिर्फ शोधकर्ताओं की समस्या नहीं—यह लोकतंत्र के लिए खतरा है. सरकार की नीतियों की वास्तविक सफलता या विफलता को आंकने के बजाय, अंधविश्वास और भ्रम फैलाया जा रहा है. जब तक पारदर्शिता नहीं होगी, तब तक सत्ता का यह अंधेरा युग जारी रहेगा.
परीक्षा पे चर्चा
अगर देश के सभी बच्चों को मोदी जी जैसा बनना हो!
दुनिया में किसी भी परीक्षा में कैसे अव्वल आना है, मोदी जी से पूछ लो. स्कूल बीच में छोड़ देने और अप्रामाणिक कॉलेज डिग्रियां दिखाने वाला व्यक्ति बच्चों को परीक्षाओं के बारे में ज्ञान उड़ेलता है, तो जाहिर है थोड़ा बहुत संशय तो हो ही जाता है. पर जिस कॉन्फिडेंस से प्रधानमंत्री बच्चों को फार्मूले बताते हैं, उसे देख अच्छे खासे नोबेल लॉरेट भी चक्कर खाकर पलट सकते हैं. वे दिल्ली की सुंदर नर्सरी में देशभर से चुने गए 36 छात्रों के साथ 'परीक्षा पे चर्चा' के आठवें संस्करण में बातचीत कर रहे थे. टेलीग्राफ ने मोदी के उपदेशों का थोड़ा फैक्ट चैक किया है मोदी की अपनी जिंदगी की सच्चाइयों से. मोदी ने परीक्षा पर चर्चा करते हुए मौसमी फल खाने, डिग्री की चिंता न करने, खराब हस्तलिपि और कमज़ोर याददाश्त के साथ-साथ तान कर सोने के महत्व पर बहुत सारा प्रकाश डाला.
1. मौसमी फल खाएं: मोदी ने पोषण के महत्व को समझाते हुए कहा, "मौसमी फल आने पर सबसे पहले भगवान को अर्पित किया जाता है. भगवान को भी मौसमी फल चाहिए, हम तो मनुष्य हैं. क्या हमें मौसमी फल खाने चाहिए या नहीं खाने चाहिए?" हालांकि एक्जाम तो कोई खास मौसम के नहीं होते. अमरूद के मौसम पर आम पर सवाल आ जाएं तो फिर इसका क्या किया जाना चाहिए, ये न किसी ने पूछा, न बताया गया.
2. डिग्री की चिंता छोड़ें: उन्होंने छात्रों से कहा, "क्रिकेटर हर मैच के बाद अपने प्रदर्शन का विश्लेषण करते हैं. हर व्यक्ति में अच्छाई और बुराई दोनों होती है. अगर हम अपनी अच्छाइयों पर काम करें, तो कोई यह नहीं पूछेगा कि आपकी डिग्री क्या है या आपने कितने अंक प्राप्त किए." हालांकि, मोदी की शैक्षणिक योग्यता (बीए और एमए) को लेकर उनके आलोचकों ने अक्सर सवाल उठाए हैं. प्रामाणिक जानकारियों के अनुसार, उन्होंने (एंटायर) राजनीति विज्ञान में एमए किया है.
3. खराब हस्तलेखन के बाद भी: प्रधानमंत्री ने मजाकिया अंदाज में कहा, "मेरे शिक्षकों ने मेरी लिखावट सुधारने में बहुत मेहनत की, लेकिन उनकी लिखावट सुधर गई, मेरी नहीं. मैं उनकी मेहनत से प्रभावित हूं."
4. खराब याददाश्त : केरल की एक छात्रा से बात करते हुए मोदी ने कहा, "मुझे कुछ याद नहीं रहता." हालांकि, एक पुराने इंटरव्यू में उन्होंने दावा किया था कि उनकी याददाश्त "फोटोजेनिक" है और वे दस्तावेज़ों को तिरछी नज़र से पढ़कर याद कर लेते हैं.
5. नींद है ज़रूरी: मोदी ने कहा, "स्वस्थ होने का मतलब सिर्फ बीमार न होना नहीं है. नींद भी सेहत का अहम हिस्सा है." यह बात उस दावे के उलट है जिसमें भाजपा नेता अक्सर कहते हैं कि मोदी रोजाना सिर्फ 3-4 घंटे सोते हैं. इसकी तसदीक तो अभिनेता सैफ अली खान ने भी की थी.
एल्यूमीनियम और स्टील पर 25% टैरिफ : 'द वॉशिंगटन पोस्ट' की एक खबर है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका में सभी स्टील और एल्यूमीनियम आयातों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा करने वाले हैं, जो "सभी" देशों को प्रभावित करेगा. इसमें कनाडा और मेक्सिको जैसे प्रमुख व्यापारिक साझेदार भी शामिल हैं. अमेरिका की यह घोषणा चीन के टैरिफ के लागू होने के साथ हुई, जिसमें कोयला, एलएनजी और कच्चे तेल पर शुल्क लगाया गया है. ट्रम्प ने कहा है कि वे मंगलवार या बुधवार को व्यापारिक साझेदारों पर टैरिफ बढ़ाने के लिए "प्रतिस्पर्धी टैरिफ" प्रणाली की घोषणा करेंगे.
म्यूनिख सुरक्षा रिपोर्ट में ट्रम्प की आलोचना : 'द गार्डियन' की खबर है कि म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन की रिपोर्ट में डोनाल्ड ट्रंप के ग्रीनलैंड, पनामा में भूमि अधिग्रहण और कनाडा को 51वां अमेरिकी राज्य बनाने के प्रस्तावों की आलोचना की गई है. रिपोर्ट के अनुसार, इन प्रस्तावों के कारण अमेरिका अब "स्थिरता का आधार" नहीं, बल्कि "जोखिम के रूप में देखा जा रहा है". रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि अमेरिका अब उदार अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का संरक्षक नहीं बनना चाहता, और यह स्पष्ट नहीं है कि कौन से अन्य देश वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं की आपूर्ति करने में सक्षम होंगे. रिपोर्ट के लेखकों का कहना है कि अमेरिका की वैश्विक नेतृत्व भूमिका से पीछे हटने के परिणाम केवल युद्ध और शांति तक सीमित नहीं हैं; बिना अमेरिकी नेतृत्व के अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं जैसे स्वतंत्रता की सुरक्षा या मानवता के सामने आने वाले गंभीर खतरों से निपटना कठिन होगा. पोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि रूस केवल यूक्रेन को सैन्य खतरे के रूप में तटस्थ नहीं करना चाहता, बल्कि एक रूसी-नेतृत्व वाले यूरेशियाई आदेश की ओर काम कर रहा है.
पाठकों से अपील
ट्रम्प के गाजा प्रस्ताव के तहत फिलिस्तीनियों को वापस आने को नहीं मिलेगा : 'अलजजीरा' की खबर है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि गाजा से लोगों के बड़े पैमाने पर विस्थापन के उनके प्रस्ताव में फिलिस्तीनियों के लिए वापसी का अधिकार नहीं होगा. फॉक्स न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में ट्रम्प ने गाजा को “स्वामित्व” में लेने की अपनी योजना को फिर से दोहराया है. जब उनसे पूछा गया कि क्या उनके प्रस्ताव के तहत फिलिस्तीनी अपने क्षेत्र में वापसी करने की अनुमति प्राप्त करेंगे, इसपर ट्रम्प ने कहा, “नहीं, उन्हें अनुमति नहीं होगी.” अमेरिकी राष्ट्रपति की गाजा के लोगों को परमानेंट वहां से हटाने की योजना का मध्य पूर्व में जोरदार विरोध हो रहा है. सउदी अरब समेत मिस्र और जॉर्डन ने ट्रम्प के प्रस्ताव का विरोध किया है.
हमास ने अगले आदेश तक इजरायली बंधकों की रिहाई टाली : 'द गार्डियन' की खबर है कि हमास के सशस्त्र विंग ने शनिवार को और अधिक इजरायली बंधकों की रिहाई को अगले आदेश तक स्थगित करने की घोषणा की है. हमास ने आरोप लगाया है कि इजरायल ने शर्तों का उल्लंघन किया है. रिहाई शर्तों के तहत दो दिन पहले पांचवे चरण में हमास ने गाजा से तीन बंधकों को रिहा किया था और इजरायल ने 183 कैदियों और बंदियों को रिहा किया था. हालांकि, दोनों ओर से आरोप लगे कि उनके कैदियों के साथ बदसलूकी और हिंसा की गई. रिहा किए गए तीनों इजरायलियों की हालत ने उनके देश को झकझोर दिया, जिससे गुस्सा और निराशा फैल गई. रामल्लाह में रिहा किए गए कई फिलिस्तीनी बंदी भी अत्यधिक कमज़ोर दिखे और 43 में से 7 को अस्पताल में भर्ती करना पड़ गया. इधर हाल के दिनों में शांति वार्ताओं में कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं दिखी है, उल्टा आए दिन डोनाल्ड ट्रम्प की गाजा के लोगों को भगाने की बातें जरूर सुर्खियां बटोर रही हैं. गाजा में युद्ध समाप्त करने के लिए मिस्र और कतर के बीच मध्यस्थता को लेकर संदेह बढ़ रहे हैं.
एक बंदर ने गुल की पूरे श्रीलंका की बत्ती!
'द गार्डियन' की खबर है कि श्रीलंका में देशव्यापी बिजली गुल होने का कारण एक बंदर को बताया गया है, जो कोलंबो के दक्षिण में स्थित एक पावर स्टेशन में घुस गया था. यह ब्लैकआउट रविवार दोपहर के आसपास शुरू हुआ, जिससे कई लोग 30°C (86°F) से अधिक तापमान में बिजली गुल रहने से परेशान हो गए. ऊर्जा मंत्री कुमारा जयकोडी ने पत्रकारों से कहा, "एक बंदर हमारे ग्रिड ट्रांसफॉर्मर से संपर्क में आया, जिससे पावर सिस्टम में असंतुलन पैदा हो गया." उन्होंने कहा कि इंजीनियरों ने द्वीप राष्ट्र में बिजली बहाल करने के लिए तेजी से काम किया और अस्पतालों और जल शोधन संयंत्रों जैसे महत्वपूर्ण सुविधाओं को प्राथमिकता दी गई. सोशल मीडिया पर श्रीलंकाई लोगों ने इस घटना को एक स्लैपस्टिक कॉमेडी जैसा बताया, जबकि कुछ ने श्रीलंका के पावर ग्रिड की नजाकत को रेखांकित किया. एक उपयोगकर्ता ने लिखा, "एक बंदर = कुल अराजकता. समय है इंफ्रास्ट्रक्चर पर फिर से विचार करने का?" एक अन्य ने मजाक करते हुए कहा, "केवल श्रीलंका में एक बंदर पूरे देश की बिजली को बंद कर सकता है."
अश्लीलता पार करने वाले यूट्यूबर्स पर मुकदमा
‘एनडीटीवी’ की खबर है कि असम में यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया और अन्य लोगों के खिलाफ पुलिस केस दर्ज किया गया है. रणवीर अल्लाहबादिया ने कॉमेडियन समय रैना के "इंडियाज गॉट लेटेंट" शो में अश्लील टिप्पणियां की थी, जिसके बाद उनके खिलाफ सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक जगत तक में गुस्सा देखा गया. उन पर शो में अश्लीलता बढ़ाने और यौन संबंधी आपत्तिजनक और गंदे चर्चा करने का आरोप लगाया गया है. रणवीर अल्लाहबादिया के अलावा शो में शामिल आशीष चंचलानी, जसप्रीत सिंह, अपूर्वा माखिजा और समय रैना को भी आरोपित किया गया है. यूट्यूबर के खिलाफ कई शिकायतें दायर की गई हैं, लेकिन असम पुलिस ने सबसे पहले इस मामले में केस दर्ज किया है. मुख्यमंत्री हिमांता बिस्वा सरमा ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है. मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, "आज गुवाहाटी पुलिस ने कुछ यूट्यूबर्स और सोशल इन्फ्लूएंसर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिनमें आशीष चंचलानी, जसप्रीत सिंह, अपूर्वा माखिजा, रणवीर अल्लाहबादिया, समय रैना और अन्य शामिल हैं, जो अश्लीलता को बढ़ावा देने और आपत्तिजनक चर्चा में शामिल हुए हैं." शो में सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर ने एक कंटेस्टेंट से पूछा था, "क्या आप चाहेंगे कि आपके माता-पिता हर दिन सेक्स करें या आप एक बार शामिल हो जाएं और इसे हमेशा के लिए रोक दें?" इस सवाल ने एक बड़ी हलचल पैदा की और उनके खिलाफ कई पुलिस शिकायतें दर्ज की गईं. बॉम्बे हाई कोर्ट के वकील आशीष रे और पंकज मिश्रा ने मुंबई पुलिस कमिश्नर विवेक फलसांकर और राज्य महिला आयोग को पत्र लिखते हुए कहा कि शो में की गई टिप्पणी महिलाओं की बेइज्जती के बराबर है और इस पर कार्रवाई की जानी चाहिए.
इस शो के आलोचकों में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी शामिल हैं. उन्होंने कहा, "मुझे इसके बारे में जानकारी मिली है, हालांकि मैंने इसे नहीं देखा है. मुझे बताया गया कि यह बहुत अश्लील था और यह गलत था. सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन यह स्वतंत्रता तब खत्म हो जाती है जब हम दूसरों की स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं. हर किसी की सीमाएँ होती हैं, अगर कोई उन्हें पार करता है, तो कार्रवाई की जाएगी." अल्लाहबादिया के इंस्टाग्राम पर 4.5 मिलियन फॉलोअर्स और यूट्यूब पर 1.05 करोड़ सब्सक्राइबर्स हैं. उनकी तारीफ हाल ही में यूट्यूबर्स के लिए आयोजित एक अवॉर्ड शो में प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी ने भी की थी. "इंडियाज गॉट लेटेंट" शो अपने अश्लील कंटेट के लिए यंगस्टर्स में खासा लोकप्रिय हो रहा है. जेन जी इसे लपक कर देख रहा है और उसके लिए शो की भाषा 'कूल' है.
जब रूश्दी का फिर सामना होगा छुरेबाज हादी मातर से
न्यूयॉर्क के झील किनारे बसे शांत शहर मेविल में सलमान रुश्दी पर 2022 में हुए छुरे से हमले के आरोपी हादी मातर का मुकदमा सोमवार से शुरू हो गया है. यह मुकदमा उस समय हो रहा है, जब यह छोटा सा शहर अपने वार्षिक शीतकालीन उत्सव की तैयारी में जुटा है. बर्फ से ढंकी झील चौटॉक्वा के किनारे बने 'आइस कैसल' और स्नो-मोबाइलर्स के शोर के बीच, मेविल के निवासियों के लिए यह मुकदमा अगस्त 2022 की उस दहला देने वाली घटना की याद दिला रहा है, जब एक साहित्यिक कार्यक्रम में रुश्दी पर जानलेवा हमला हुआ था. सलमान इस सप्ताह कोर्ट में मातर का सामना करेंगे. ‘द गार्डियन’ के लिए एडवर्ड हेलमोर ने इस पर रिपोर्ट किया है.
अदालत में चल रही कार्यवाही के बीच, रुश्दी की किताब 'नाइफ' पर चर्चा गर्म है, जिसमें उन्होंने हमले के दौरान के अनुभवों को दर्ज किया है. रुश्दी लिखते हैं, "मैंने सोचा, दुनिया आगे बढ़ चुकी है... पर यहां अतीत से निकलकर एक हत्यारा भूत आ धमका था."
77 वर्षीय रुश्दी पर 1988 में ईरान के अयातुल्ला खोमैनी ने 'द सैटेनिक वर्सेज' के प्रकाशन पर फतवा जारी किया था, मातर, जिसने हमले और हत्या के प्रयास के आरोपों से इनकार किया है. मातर को चौटॉक्वा काउंटी जेल से कोर्ट लाया जाएगा. यह जेल चौटॉक्वा इंस्टीट्यूशन से सिर्फ एक मील दूर है – वही सांस्कृतिक संस्थान जहां यह हमला हुआ था. स्थानीय लोगों के लिए यह मुकदमा एक अप्रत्याशित घटना है. होटल मालिक रिक न्यूवेल कहते हैं, "यहां दुनिया भर के लोग आते थे, लेकिन सुरक्षा का कोई खास इंतजाम नहीं था. यह हमला सबके लिए झटका था. अब लोग सतर्क हो गए हैं." शे श्ंग्स कैफे की मालकिन रेबेका मैग्नुसन कहती हैं, "घटना के बाद से चौटॉक्वा का माहौल बदल गया है." काउंटी डीए जेसन श्मिट का कहना है कि मातर के विरुद्ध मामला "स्थानीय और सीधा-सादा" है, जबकि बचाव पक्ष के वकील नथानिएल बरोन ने जूरी सदस्यों की पूर्वाग्रह-मुक्ति की मांग की है. स्थानीय निवासी मैक सर्विस, जिन्होंने रुश्दी की किताबें पढ़ी हैं, कहते हैं, "रुश्दी ने नफरत के बजाय प्यार को चुना. उम्मीद है, उन्हें न्याय मिलेगा." चौटॉक्वा की बर्फीली शांति में यह ट्रायल न सिर्फ एक हमले का, बल्कि अभिव्यक्ति की आजादी और सहिष्णुता के संघर्ष का प्रतीक बन गया है.
चलते-चलते
जब मुस्तैद पुलिस ने रोक दिया एड शीरन को बेंगलुरू की सड़क पर गाने से
'द गार्डियन' की एक खबर है कि भारत में पुलिस ने संगीतकार एड शीरन को सड़क पर बस्किंग करते हुए रोक दिया, क्योंकि उन्होंने इसके लिए अनुमति नहीं ली थी. शीरन को रविवार रात के अपने कंसर्ट से पहले बेंगलुरु में 'शेप ऑफ यू' गाते हुए फुटपाथ पर देखा गया था. वो अपने 'द मैथमेटिक्स' टूर के लिए 15-दिन के भारत दौरे पर हैं. 8 और 9 फरवरी को बेंगलुरु में पब्लिक की डिमांड पर उनका अतिरिक्त शो हुआ.
हालांकि, एक वायरल वीडियो क्लिप में एक पुलिस अधिकारी शीरन के पास आता दिख रहा है, जब वह गा रहे होते हैं. पुलिसकर्मी माइक को अनप्लग कर देता है. शीरन गिटार रखकर और नाखुश होकर वहां से जाते हुए नजर आ रहे हैं. बेंगलुरु के पुलिस अधिकारी शेखर टी. टेक्काननावर ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, "मैंने अनुमति देने से इनकार किया क्योंकि चर्च स्ट्रीट बहुत भीड़-भाड़ वाला इलाका है. यही कारण था कि उन्हें वहां से हटने के लिए कहा गया." हालांकि, शीरन ने बाद में अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर यह दावा किया कि उनके पास प्रदर्शन करने की अनुमति थी. उन्होंने लिखा, "हमारे पास बस्किंग करने की अनुमति थी, वैसे. इस वजह से हम उस विशेष स्थान पर प्रदर्शन करने आए थे. यह सिर्फ हम अचानक से वहां नहीं पहुंचे थे. सब ठीक है."
वैसे आपने शेप ऑफ यू को संस्कृत में सुना है?
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