11/04/2025: शरबत में हेट स्पीच की मिलावट | राणा भारत पंहुचा | चीन डटा कैसे है ट्रम्प टैरिफ के आगे | अदाणी ने मरे वॉर हीरोज़ को षडयंत्रकारी बताया | ओबामा की जोड़ी अभी सलामत
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आज की सुर्खियां :
तहव्वुर राणा भारत लाया गया
अमेरिका ने चीन पर लगाए 145% टैरिफ
चीन कैसे खड़ा है ट्रम्प के टैरिफ हमलों के सामने ?
अदाणी ने मृत ऑस्ट्रेलियाई फौजियों को कोर्ट मामले में घसीटा
स्कूल चालू, पर एनसीईआरटी किताबें अभी तैयार नहीं
रेलवे ड्राइवरों को भोजन और बाथरूम ब्रेक देने से इनकार
“गोल्डन ऑवर” में कैशलेस योजना में देरी पर केंद्र की खिंचाई
बलात्कार पीड़िता ने खुद मुसीबत बुलाई
हाईकोर्ट का खयाल मासिक धर्म के कारण दलित छात्रा को परीक्षा हॉल से बाहर बैठाया
मिलावटी माल बेचने वाले रामदेव ने अब शरबत में घोली हेट स्पीच की कड़ुवाहट
एक वीडियो में पतंजलि शरबत और जूस को बढ़ावा देते हुए रामदेव ने आरोप लगाया, 'टॉयलेट क्लीनर सॉफ्ट ड्रिंक्स और शरबत जिहाद के नाम पर बेचे जा रहे हैं'. इस वीडियो में कथित योग गुरु यह भी कहते सुने जा सकते हैं कि भारत में एक शरबत बिकता है, जिससे प्राप्त राजस्व 'मदरसों और मस्जिदों के निर्माण' के लिए जाता है. उल्लेखनीय है कि रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद अपने उत्पादों और विज्ञापन प्रथाओं से संबंधित कई कानूनी चुनौतियों में उलझी रही है.
पतंजलि ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किया, "अपने परिवार और मासूम बच्चों को सॉफ्ट ड्रिंक्स और 'शरबत जिहाद' के नाम पर बेचे जा रहे टॉयलेट क्लीनर के जहर से बचाएं. घर पर केवल पतंजलि शरबत और जूस लाएं." वीडियो में, रामदेव ने लोकप्रिय सॉफ्ट ड्रिंक्स की तुलना "टॉयलेट क्लीनर" से की और उपभोक्ताओं को इसके बजाय पतंजलि उत्पादों का चयन करके एक "सचेत विकल्प" बनाने के लिए प्रोत्साहित किया.
रामदेव द्वारा "शरबत जिहाद" शब्द का परिचय कुछ सॉफ्ट ड्रिंक्स को धार्मिक या वैचारिक उद्देश्यों से जोड़ने के प्रयास के रूप में देखा गया है. सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने तुरंत इंगित किया कि बाबा रामदेव लोकप्रिय पेय रूह-अफ़ज़ा की ओर इशारा कर रहे थे. एक एक्स उपयोगकर्ता ने लिखा, "बाबा रामदेव, जो एक व्यापारिक साम्राज्य बनाने के लिए इस्लामोफोबिया का उपयोग एक वैध मार्केटिंग रणनीति के रूप में कर रहे हैं." पतंजलि विभिन्न अदालतों में कई मामलों का सामना कर रही है, विशेष रूप से केरल में, ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 का उल्लंघन करने के लिए. भारत के सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि की विज्ञापन प्रथाओं की आलोचना की है.
अजीत अंजुम ने रामदेव के वीडियो के बाद अपना एक वीडियो जारी किया. अजीत अंजुम का कहना है कि व्यापारी बाबा रामदेव ने शरबत का भी धर्म खोज लिया है . अपना शरबत बेचने के लिए नीचता पर उतर आए हैं . दशकों से शरबत बनाने वाली मशहूर कंपनी पर शरबत जेहाद फैलाने का आरोप लगाया है .
तहव्वुर राणा भारत लाया गया
26/11 मुंबई आतंकी हमलों की साजिश के लिए वांछित, पाकिस्तानी मूल के कनाडाई-अमेरिकी तहव्वुर हुसैन राणा को संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा प्रत्यर्पित कर दिया गया है. पाकिस्तान ने गुरुवार (10 अप्रैल, 2025) को कहा कि 26/11 मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा से उसका कोई लेना-देना नहीं है, और जोर देकर कहा कि वह एक कनाडाई नागरिक है और उसने दो दशकों से अधिक समय से अपने पाकिस्तानी दस्तावेज़ों का नवीनीकरण नहीं कराया है. ‘द हिंदू’ के मुताबिक उसे उसके प्रत्यर्पण के लिए भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत शुरू की गई कार्यवाही के बाद अमेरिका में न्यायिक हिरासत में रखा गया था. यह प्रत्यर्पण आखिरकार तब संभव हुआ जब राणा ने इस कदम (प्रत्यर्पण) पर रोक लगाने के सभी कानूनी रास्ते आजमा लिए थे.
2011 में, एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) ने तहव्वुर राणा पर उसकी अनुपस्थिति में आरोप पत्र दायर किया था. उसे अमेरिका में डेविड हेडली के साथी के रूप में गिरफ्तार किया गया था; हेडली लश्कर-ए-तैयबा का मास्टरमाइंड था, जिसने लश्कर प्रमुख हाफिज सईद के इशारे पर मुंबई हमलों की योजना बनाई थी और रेकी (reconnaissance) की थी. विशेष रूप से, राणा मुंबई हमलों की योजना बनाने में शामिल था, उसने हेडली को वीज़ा दिलाने और झूठी पहचान बनाने में मदद की ताकि वह भारत आ सके.
पाकिस्तान ने गुरुवार (10 अप्रैल, 2025) को 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के सह-साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा से खुद को दूर करने का प्रयास किया, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किया गया है. एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने कहा कि राणा ने जबसे देश छोड़ा था, तबसे अपनी पाकिस्तानी नागरिकता का नवीनीकरण कराने का प्रयास नहीं किया था.
अमेरिका ने चीन पर लगाए 145% टैरिफ
'द गार्डियन' की खबर है कि अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए गए कुल टैरिफ कम से कम 145% तक पहुंच गए हैं, जिसमें फेंटानाइल पर 20% का अतिरिक्त शुल्क भी शामिल है. यह बढ़ोतरी डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा जारी एक नए कार्यकारी आदेश के बाद हुई है, जिसमें “पारस्परिक” टैरिफ को 84% से बढ़ाकर 125% कर दिया गया है. इस बढ़े हुए टैरिफ में फेंटानाइल (एक अत्यंत घातक नशीला पदार्थ) पर लगाया गया 20% अतिरिक्त शुल्क भी शामिल है.
चीन कैसे खड़ा है ट्रम्प के टैरिफ हमलों के सामने ?
ट्रम्प प्रशासन द्वारा शुरू किए गए टैरिफ युद्ध ने वैश्विक व्यापार में हलचल मचा दी है. प्रारंभ में चीन के लिए निष्क्रिय रहने का प्रलोभन था - "जब दुश्मन गलती कर रहा हो तो उसे कभी न रोकें" - परंतु बीजिंग ने इस अवसर का उपयोग अपनी रणनीतिक स्थिति मजबूत करने के लिए किया.
चीन की प्रतिक्रिया और रणनीति : चीन ने इस व्यापार संघर्ष का पूर्वानुमान लगाकर तैयारी की थी. अमेरिकी टैरिफ के जवाब में, उसने प्रतिशोधात्मक पैकेज लागू किया - शुरुआत में 34% से लेकर अब 84% तक. बीजिंग का दावा है कि यह उचित जवाबी कार्रवाई थी और वह विश्व व्यापार संगठन (WTO) में अपील करके खुद को नियम-आधारित व्यापार व्यवस्था का रक्षक दिखाने का प्रयास कर रहा है.
जब ट्रम्प ने अन्य देशों पर टैरिफ अस्थायी रूप से कम करके (90 दिनों के लिए 10%) चीन को मुख्य लक्ष्य बनाया, तो यह सामान्य अमेरिकी हमले से चीन-केंद्रित आक्रमण में बदल गया. अब दोनों देशों के बीच उच्च टैरिफ (चीन का 84%, अमेरिका का 125%) से व्यापार लगभग ठप हो सकता है, जिससे पूर्ण अलगाव की संभावना बढ़ गई है.
अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों की तलाश : इस संकट के जवाब में, चीन ने एक राजनयिक आकर्षण अभियान शुरू किया है. वरिष्ठ चीनी अधिकारी यूरोपीय और एशियाई राजधानियों का दौरा कर रहे हैं, यह संदेश देते हुए कि चीन जिम्मेदारी और वास्तविक बहुपक्षवाद का प्रतीक है.
यूरोपीय संघ से ट्रम्प के एकतरफा कदमों के खिलाफ साझा मोर्चा बनाने का आग्रह किया गया है. हालांकि, चीन के व्यापारिक व्यवहार, औद्योगिक अति-क्षमता और रूस-यूक्रेन युद्ध पर उसके रुख जैसे मुद्दों पर मतभेद एक मजबूत गठबंधन बनाने में बाधा डालते हैं.
एशिया में, चीन को अधिक सफलता मिल सकती है. उसने पांच वर्षों में पहली बार जापान और दक्षिण कोरिया के साथ व्यापार मंत्रियों की बैठक की और त्रिपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत पुनः शुरू करने पर सहमति व्यक्त की. राष्ट्रपति शी जिनपिंग वियतनाम, मलेशिया और कंबोडिया जैसे देशों का दौरा कर रहे हैं, यह दिखाने के लिए कि चीन एक विश्वसनीय भागीदार है.
घरेलू प्रभाव और प्रतिक्रिया : चीन के भीतर, विशेष रूप से दक्षिणपूर्वी क्षेत्र के छोटे कारखानों पर इन टैरिफ का गंभीर प्रभाव पड़ रहा है. निर्यातोन्मुख कारखाने अमेरिकी ऑर्डर रद्द होने, घटते मुनाफे और नए बाजारों की तलाश की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. हालांकि, कुछ क्षेत्रों में चीन का प्रभुत्व और सस्ते घरेलू संसाधन कुछ निर्माताओं को लचीलापन प्रदान करते हैं.
चीन का वार्ता पर रुख : चीनी वाणिज्य और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ताओं ने स्पष्ट संदेश दिया है: चीन बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन केवल समानता और आपसी सम्मान के आधार पर. वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता हे योंगकियान ने कहा, "यदि अमेरिका बात करना चाहता है, तो चीन के दरवाजे खुले हैं, लेकिन यदि वह लड़ना चाहता है, तो हमारा जवाब अंत तक जारी रहेगा."
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने भी स्पष्ट किया कि "दबाव, धमकी और ब्लैकमेल चीन पर काम नहीं करेंगे." उन्होंने कहा कि अमेरिका को समानता, सम्मान और पारस्परिकता दिखानी होगी, अन्यथा चीन पूरी दृढ़ता से जवाब देने के लिए तैयार है.
दीर्घकालिक रणनीति : विशेषज्ञों के अनुसार, चीन इस व्यापार युद्ध को केवल संकट नहीं बल्कि अवसर के रूप में भी देख रहा है. वह इस दबाव का उपयोग आत्मनिर्भरता बढ़ाने, घरेलू निवेश को प्रोत्साहित करने और अपने व्यापार संबंधों में विविधता लाने की पूर्व-निर्धारित योजनाओं को तेज करने के लिए कर रहा है. संक्षेप में, चीन एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति की छवि बनाते हुए, इस उथल-पुथल के दौर में अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सावधानीपूर्वक आगे बढ़ रहा है.
अब "रणनीतिक संघर्ष" में बदला: चीनी विश्लेषकों के अनुसार, अमेरिका-चीन टैरिफ युद्ध अब एक "रणनीतिक संघर्ष" बन गया है, जिसमें निकट भविष्य में वार्ता की कोई संभावना नहीं है और बीजिंग पीछे हटने के कोई संकेत नहीं दिखा रहा है.
गुरुवार को, चीन के वाणिज्य और विदेश मंत्रालयों ने दोहराया कि चीन अमेरिका के साथ वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन केवल "निष्पक्ष और परस्पर सम्मानजनक" तरीके से. उन्होंने यह भी कहा कि अगर अमेरिका व्यापार युद्ध चाहता है, तो वे "अंत तक लड़ेंगे".
फुदान विश्वविद्यालय के शंघाई स्थित अमेरिकी अध्ययन केंद्र के उप-निदेशक झाओ मिंगहाओ ने कहा, "यह अब सिर्फ टैरिफ का खेल नहीं है, बल्कि रणनीतिक संकल्प का खेल है." उन्होंने कहा कि चीन ने "लंबी दूरी तक जाने और किसी भी कीमत पर चुकाने के लिए तैयार रहने" का रवैया अपनाया है.
चीनी अकादमी ऑफ सोशल साइंसेज के राष्ट्रीय वैश्विक रणनीति संस्थान के झाओ हाई ने कहा कि ट्रम्प ने चीन के बारे में कई "गलत फैसले" किए, यह मानते हुए कि बीजिंग दबाव के आगे झुक जाएगा. उनके अनुसार, शी का ट्रम्प को फोन करना चीन की "राजनयिक प्रथाओं" के अनुरूप नहीं है.
चीनी प्रधानमंत्री ली क्यांग ने बुधवार को अर्थशास्त्रियों और उद्यमियों से मुलाकात की, जोर देकर कहा कि चीन अमेरिकी दबाव के बीच चीनी अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों के लिए पूरी तरह से "तैयार" है. विश्लेषकों का मानना है कि अब टैरिफ युद्ध पर्याप्त हो चुका है और आगे की वृद्धि निरर्थक होगी. ट्रम्प अगले चरण में चीन को रोकने के लिए अन्य विकल्पों की तलाश कर सकते हैं, जैसे तकनीकी प्रतिबंध, निवेश सीमाएं और प्रतिबंध.
न्यूयॉर्क टाइम्स, साऊथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट, ग्लोबल टाइम्स, द गार्डियन और ब्लूमबर्ग की ख़बरें पढ़ कर.
अदाणी ने मृत ऑस्ट्रेलियाई फौजियों को कोर्ट मामले में घसीटा
ऑस्ट्रेलिया में अदाणी घराने के विवाद बढ़ते ही जा रहे हैं. अदाणी माइनिंग ने पर्यावरण कार्यकर्ता बेन पेनिंग्स के खिलाफ अपने मुकदमे में दो मृत ऑस्ट्रेलियाई युद्ध वेटरन्स को कथित षड्यंत्र में शामिल बताया है. ‘द गार्डियन’ ने इस पर रिपोर्ट की है.
चार साल से चल रहे इस मामले के चौथे संस्करण में, कंपनी ने कोकोडा वेटरन और जलवायु कार्यकर्ता बिल रयान को सह-षड्यंत्रकारी के रूप में नामित किया है, जिनकी 2019 में 97 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई थी. रयान के बेटे कॉलिन ने कहा, "आखिर अदाणी मेरे पिता को शांति से क्यों नहीं रहने देते, बजाय इस बकवास में हमें घसीटने के?"
पिछले साल क्वींसलैंड सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी के दावे के महत्वपूर्ण हिस्सों को खारिज कर दिया था, कुछ तत्वों को "भ्रमित और शर्मनाक" बताते हुए. जस्टिस सूसन ब्राउन ने अदाणी को अपना मामला फिर से प्रस्तुत करने की अनुमति दी थी.
नए दस्तावेजों में, अदाणी ने चार कथित सह-षड्यंत्रकारियों के नाम दिए हैं, जिनमें वियतनाम वेटरन माइक फिट्जसिमोन (जिनकी 2022 में मृत्यु हो गई), मौरिस टॉली और "डोना स्मिट्स" शामिल हैं. हालांकि, केवल पेनिंग्स पर ही मुकदमा चलाया जा रहा है.
पेनिंग्स ने कहा, "रयान और फिट्जसिमोन नायक थे, जिन्होंने अपने अंतिम वर्ष जलवायु परिवर्तन से हमारी रक्षा के लिए समर्पित किए."
"वह हज़ारों लोगों के लिए एक हीरो के रूप में मरे," कॉलिन ने अपने पिता के बारे में कहा, "लेकिन अब मुझे अपने पोते-पोतियों और परपोते-परपोतियों को यह बताना पड़ेगा कि वह सुप्रीम कोर्ट में अदाणी के किसी कोंसपिरेसी थियोरी का हिस्सा हैं."
अदाणी ने एक बयान में कहा कि उनकी कानूनी कार्यवाही "केवल पेनिंग्स के खिलाफ है" और अन्य कथित सह-षड्यंत्रकारियों को "सिर्फ हमारे सबूतों में नामित किया गया है". कंपनी ने कहा, "हम अपने अधिकारों और मेहनती क्वींसलैंडवासियों के वैध काम करने के अधिकारों की रक्षा के लिए कोई माफी नहीं मांगते."
जस्टिस पॉल फ्रीबर्न ने मार्च में एक अंतरिम फैसला जारी किया, जिसमें कहा गया कि मामला "ट्रायल की ओर कोई वास्तविक प्रगति नहीं कर रहा है". उन्होंने कहा, "साढ़े चार साल की मुकदमेबाजी के बाद भी, वादी अपने दावे का चौथा संस्करण दाखिल कर रहे हैं... यह 2015 से 2020 के बीच हुई घटनाओं के संबंध में है - यानी पांच से दस साल पहले की बात."
स्कूल चालू, पर एनसीईआरटी किताबें अभी तैयार नहीं : राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए कक्षा IV, V, VII, और VIII की नई पाठ्यपुस्तकें समय पर उपलब्ध कराने की अपनी ही समय-सीमा से चूक गई है, जिससे स्कूलों में भ्रम की स्थिति है. पिछले साल भी कक्षा III और VI की किताबों में देरी हुई थी. नया सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन अभी तक केवल कक्षा IV की हिंदी/अंग्रेजी और VII की अंग्रेजी की ही कुछ किताबें जारी हुई हैं, जो वेबसाइट पर भी उपलब्ध नहीं हैं. अन्य विषयों की किताबें गायब हैं. इससे अभिभावक चिंतित हैं कि यदि सिलेबस अलग हुआ तो बच्चे कैसे पूरा करेंगे. स्कूल फिलहाल पुरानी किताबों से पढ़ा रहे हैं. एनसीईआरटी ने कक्षा V और VIII के लिए ब्रिज कोर्स जारी किए हैं.
रेलवे ड्राइवरों को भोजन और बाथरूम ब्रेक देने से इनकार
भारतीय रेलवे ने ड्यूटी के दौरान लोको पायलटों को भोजन करने या प्राकृतिक आवश्यकताओं (नेचुरल कॉल) को पूरा करने के लिए निर्धारित ब्रेक देने की लंबे समय से चली आ रही मांग को खारिज कर दिया है. रेलवे बोर्ड ने एक उच्चस्तरीय पैनल की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए कहा कि परिचालन दृष्टिकोण से ऐसे ब्रेक लागू करना संभव नहीं है. यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब देश में प्रमुख ट्रेन दुर्घटनाओं में वृद्धि देखी गई है, जिनमें से कई मानव त्रुटियों से जुड़ी हैं.
“द हिंदू” में एस. विजय कुमार की रिपोर्ट है कि ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (एआईएलआरएसए) के केंद्रीय आयोजन सचिव वी. बालाचंद्रन ने बताया कि कई सुपरफास्ट ट्रेनों में 6-7 घंटे तक बिना रुके चलने का शेड्यूल होता है. उदाहरण के लिए, विजयवाड़ा में रात 11:10 बजे नई दिल्ली-चेन्नई तमिलनाडु एक्सप्रेस का कार्यभार संभालने वाला क्रू सुबह 6:35 बजे चेन्नई पहुंचने तक बिना रुके ट्रेन चलाता है. उन्होंने यह भी कहा कि महिला लोको पायलटों की स्थिति और भी खराब है क्योंकि उच्च घनत्व वाले मार्गों पर सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेनों को बीच में या छोटे स्टेशनों पर केवल आपात स्थिति में ही रोका जा सकता है.
बालाचंद्रन ने चेतावनी दी कि यदि लोको पायलट भोजन नहीं कर पाते या अपनी शारीरिक आवश्यकताओं को नियंत्रित नहीं कर पाते, तो इससे उनका ध्यान भटक सकता है और सावधानी का स्तर प्रभावित हो सकता है. कहावत भी है- “सावधानी हटी, दुर्घटना घटी.”
चीन को ध्यान में रख बौद्ध मठों के लिए भारत का पहला स्कूली कोर्स : भारत इस महीने बौद्ध मठों के लिए अपना पहला स्कूली पाठ्यक्रम शुरू करने की तैयारी कर रहा है, जिसका उद्देश्य चीन के आख्यान का मुकाबला करना है, विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय सीमा के करीब हिमालयी धार्मिक संस्थानों में. शैक्षिक कार्यक्रमों को मानकीकृत करना और देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देना भी इसका मकसद है. उल्लेखनीय है कि 1950 के दशक से तिब्बती प्रवासियों के आने के बाद से कई बौद्ध शैक्षणिक संस्थान स्थापित किए गए हैं, लेकिन उन्हें चीनी प्रभाव से बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया. “रॉयटर्स” में रूपम जैन की रिपोर्ट इस योजना के बारे में विस्तार से रोशनी डालती है.
“गोल्डन ऑवर” में कैशलेस योजना में देरी पर केंद्र की खिंचाई
सुप्रीम कोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं के दौरान "गोल्डन ऑवर" (पहले 60 मिनट) में आपातकालीन सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से कैशलेस मेडिकल ट्रीटमेंट योजना लागू नहीं करने के लिए केंद्र सरकार को फटकार लगाई है. “लाइव लॉ” के अनुसार कोर्ट ने कहा, "सरकार को दी गई समय सीमा 14 मार्च को समाप्त हो गई, यह अदालत के आदेश का गंभीर उल्लंघन है और एक अत्यंत लाभकारी प्रावधान को लागू करने में विफलता है.” न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान की पीठ ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव सहित वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को 28 अप्रैल को उपस्थित होकर "गलती" का स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति ओका ने स्पष्ट रूप से कहा, "हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि यदि कोई प्रगति नहीं हुई तो हम अवमानना का नोटिस जारी करेंगे. लोग इलाज न मिलने के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं।"
मासिक धर्म के कारण दलित छात्रा को परीक्षा हॉल से बाहर बैठाया
कोयंबटूर के एक निजी स्कूल ने कथित तौर पर एक अनुसूचित जाति (एससी) की कक्षा आठ की छात्रा को उसके मासिक धर्म के कारण परीक्षा हॉल के बाहर बैठाकर वार्षिक परीक्षा का पेपर देने के लिए मजबूर किया. जबकि, लड़की के पिता ने इस बारे में स्कूल को सूचना देते हुए क्लास रूम में ही उसके लिए अलग बैंच की व्यवस्था करने का आग्रह किया था. बहरहाल, इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद गुरुवार को अधिकारियों ने स्कूल प्रशासन के खिलाफ जांच शुरू की. शैक्षिक अधिकारियों को जांच रिपोर्ट सौंपने और स्कूल को कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया गया है. एक अधिकारी ने कहा कि पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और यदि आवश्यक हुआ तो कार्रवाई की जाएगी.
बलात्कार पीड़िता ने खुद मुसीबत बुलाई, हाईकोर्ट का खयाल
इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश ने बलात्कार के एक आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि पीड़िता ने “खुद ही मुसीबत को निमंत्रण दिया और इसके लिए स्वयं जिम्मेदार थी.” यह फैसला उस टिप्पणी के कुछ हफ्ते बाद आया है, जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि “स्तनों को पकड़ना और पायजामे की डोरी तोड़ना, बलात्कार के प्रयास का आरोप लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है, ये केवल तैयारी के कृत्य हैं.” बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस टिप्पणी पर रोक लगा दी थी. ताज़ा मामला गौतमबुद्ध नगर जिले में पिछले वर्ष दर्ज एक बलात्कार के केस से संबंधित है, जिसमें जमानत की मांग की गई थी. हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की सिंगल बेंच ने कहा कि आवेदक का मुख्य तर्क यह है कि पीड़िता एक बालिग लड़की है और वह पीजी हॉस्टल में रहती है. वह अपनी इच्छा से अपनी महिला मित्रों और उनके पुरुष मित्रों के साथ रिकॉर्ड रूम बार रेस्टोरेंट गई, जहां उसने शराब पी, जिसके कारण वह अत्यधिक नशे में हो गई. वह अपने साथियों के साथ बार में 3 बजे तक रुकी, क्योंकि उसे सहारे की आवश्यकता थी, इसलिए उसने स्वयं आवेदक के घर जाकर आराम करने की सहमति दी. कोर्ट ने कहा, पीड़िता का यह आरोप कि आवेदक ने उसे अपने घर के बजाय अपने रिश्तेदार के फ्लैट में ले जाकर दो बार बलात्कार किया, गलत है और रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों के विपरीत है.
सुप्रीम कोर्ट ने ‘शेख अली की गुमटी’ में देरी के लिए फटकारा : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पुरातत्व विभाग को शेख अली की गुमटी—लोदी युग की संरचना—को संरक्षित स्मारक घोषित करने में देरी के लिए फटकार लगाई है. तीन महीने पहले कोर्ट ने नई दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी निवासी कल्याण संघ (RWA) को छह दशकों से अवैध रूप से कब्जा की गई इस संरचना को खाली करने का आदेश दिया था. न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "आप अनावश्यक रूप से संरचना को संरक्षित स्मारक घोषित करने की प्रक्रिया में देरी कर रहे हैं."
मंदिर के पुजारी ने कराई थी पत्रकार की हत्या
उत्तरप्रदेश में एक मंदिर के पुजारी और उसके दो सहयोगियों को हिंदी दैनिक के पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया है. वाजपेई को 8 मार्च को उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के महोली क्षेत्र में गोली मार दी गई थी. पुलिस ने बताया कि पुजारी, विकास राठौर उर्फ शिवानंद, ने अपने परिचितों निर्मल सिंह और असलम गाजी को बाजपेई की हत्या के लिए 4 लाख रुपये की सुपारी दी थी. सीतापुर के पुलिस अधीक्षक चक्रेश मिश्रा ने दावा किया कि यह हत्या इसलिए की गई क्योंकि बाजपेई ने मंदिर परिसर में पुजारी को एक नाबालिग लड़के का यौन शोषण करते हुए देख लिया था. निर्मल और असलम, जो जिले के निवासी हैं, ने इस काम के लिए दो शूटरों को नियुक्त किया था.
और ऐसे एप्पल ने बचा लिये 5100 करोड़ के टैक्स
“टेक दिग्गज” एप्पल (Apple) ने हाल ही में भारत से अमेरिका के लिए लगभग 600 टन आईफोन (iPhones) भेजे हैं, जिनकी कुल संख्या लगभग 15 लाख बताई जा रही है. कंपनी ने यह बड़ा शिपमेंट भेजने के लिए विशेष मालवाहक उड़ानों का इस्तेमाल किया, ताकि अमेरिकी बाजार में इनकी उपलब्धता बनी रहे और संभावित टैरिफ (आयात शुल्क) के असर से बचा जा सके. यह कदम ऐसे समय में उठाया गया जब अमेरिका में चीन से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स पर भारी शुल्क लगाया गया था.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन से आने वाले आईफोन पर अधिकतम 125% तक का टैरिफ लागू कर दिया गया था, जो पहले 54% था. इसकी तुलना में भारत से आने वाले उत्पादों पर केवल 26% का शुल्क लग रहा था, जिसे फिलहाल 90 दिनों के लिए होल्ड पर रखा गया है. यही वजह रही कि एप्पल ने चीन की बजाय भारत से सप्लाई तेज की. अनुमान है कि अगर चीन से आयात जारी रहता तो एक $1,599 वाला आईफोन 16 प्रो मैक्स अमेरिका में $2,300 तक महंगा हो सकता था.
एप्पल ने भारत सरकार और एयरपोर्ट अधिकारियों से अनुरोध किया कि चेन्नई एयरपोर्ट पर कस्टम क्लियरेंस का समय 30 घंटे से घटाकर 6 घंटे किया जाए. इसके लिए एक “ग्रीन कॉरिडोर” सिस्टम लागू किया गया, जैसा कि एप्पल चीन में करता रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, मार्च से अब तक करीब 6 कार्गो फ्लाइट्स भारत से रवाना हो चुकी हैं, जिनमें से हर एक में 100 टन क्षमता थी. इनमें से एक फ्लाइट इसी हफ्ते भेजी गई, जब अमेरिका में नया टैरिफ लागू हुआ.
एप्पल ने भारत से अमेरिका करीब 1.5 मिलियन (15 लाख) आईफोन (प्रत्येक की कीमत लगभग $1,599) भेजे, जिनकी कुल कीमत लगभग $2.4 अरब (करीब ₹20,000 करोड़) बैठती है. अगर यही आईफोन चीन से भेजे जाते, तो अमेरिका में उन पर 125% टैरिफ लगता, जिससे एप्पल को करीब $3 अरब (₹25,000 करोड़) टैक्स देना पड़ता. लेकिन भारत से भेजे जाने के कारण कंपनी को यह टैक्स नहीं देना पड़ा, क्योंकि भारत से आयात पर फिलहाल 0% टैरिफ है (90 दिन की छूट के कारण), जबकि सामान्य स्थिति में यह 26% होता.
इस तरह एप्पल ने हर आईफोन पर औसतन $400 टैक्स बचाया, और कुल मिलाकर लगभग $615 मिलियन यानी करीब ₹5,100 करोड़ की टैक्स बचत की. कंपनी ने तेजी से शिपमेंट के लिए चेन्नई एयरपोर्ट पर “ग्रीन कॉरिडोर” बनवाया जिससे कस्टम क्लियरेंस का समय 30 घंटे से घटाकर सिर्फ 6 घंटे कर दिया गया.
चलते-चलते
नहीं तलाक की कोई बात नहीं
मिशेल ओबामा ने बराक ओबामा के साथ अपनी शादी में अनबन की अफवाहों का खंडन किया है. ये अफवाहें तब उड़ीं जब वह डोनाल्ड ट्रम्प के शपथ ग्रहण और पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर के अंतिम संस्कार जैसे कई हाई-प्रोफाइल कार्यक्रमों में अपने पति के साथ शामिल नहीं हुईं, जिससे उनके अलग होने की अटकलों को हवा मिली. एक पॉडकास्ट में, मिशेल ओबामा ने स्पष्ट किया कि अब एक "परिपक्व महिला" के तौर पर वह अपना कार्यक्रम स्वयं नियंत्रित करने और अपने लिए फैसले लेने की स्थिति में हैं. उन्होंने कहा कि लोग यह मानने को तैयार नहीं थे कि यह उनका निजी निर्णय था, और इसके बजाय यह "मान लिया कि मेरे पति और मैं तलाक ले रहे हैं". उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ जिम्मेदारियों से पीछे हटने पर उन्हें थोड़ा अपराधबोध महसूस हुआ, लेकिन जोर दिया कि उन्होंने वही चुना जो उनके लिए सबसे अच्छा था. इसके बावजूद, उन्होंने कहा कि वह अभी भी भाषण देने, परियोजनाओं पर काम करने और लड़कियों की शिक्षा जैसे कार्यों के लिए समय निकालती हैं. ओबामा दंपति ने पिछले अक्टूबर में अपनी 32वीं सालगिरह मनाई थी.
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