12/03/2025: हेट स्पीच की खुली छूट, नफरत की भूमिगत फैक्ट्रियां और पाइप लाइन्स, हलाल की तरह झटका सर्टिफिकेट, कुश्ती महासंघ फिर ब्रजभूषण के करीबी को, यूक्रेन का मास्को पर हमला, मालेगाँव का स्पीलबर्ग
‘हरकारा’ यानी हिंदी भाषियों के लिए क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज़्यादा !
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियाँ
साइबर फ्रॉड में 177 करोड़ गंवाए, दस साल में 10 गुना बढ़ा नुकसान
जम्मू-कश्मीर के दो संगठनों पर 5 साल का प्रतिबंध
बड़े होर्डिंग लगाने के लिए केजरीवाल पर एफआईआर के निर्देश
कमला हैरिस के नेतृत्व में यूएस-भारत संबंध मजबूत हुए
मुस्लिम महिलाओं की एआई अश्लील इमेज वाले पेज तेज़ी से बढ़े
रामदेव ट्रम्प पर गुस्सा बोले टैरिफ टेररिज्म
एलोन मस्क की स्टारलिंक देगी भारत में हाई-स्पीड इंटरनेट सेवा, एयरटेल के साथ की साझेदारी
वंतारा की यह खबर कई वेबसाइट्स से गायब हो गई
भाजपा नेताओं के मुंह से हेट स्पीच की खुली छूट
यूपी के मंत्री ने मुस्लिमों से कहा, होली में रंगों से बचना है तो तिरपाल से खुद को ढंक लें
बीजेपी विधायक बोलीं- अस्पतालों में मुसलमानों के लिए अलग वार्ड बनाए जाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मॉरीशस से होली के जिन भी रंगों को भारत लाने की बात कर रहे हों, लेकिन उनकी पार्टी के नेता, मंत्री-संतरी अलग ही रंग में रंगे नज़र आ रहे हैं. जैसे-जैसे होली नजदीक आ रही है, विवादित बयानों की रफ्तार तेज होती जा रही है. मानो, होड़ सी मची है. कोई किसी से पीछे नहीं रहना चाहता. उत्तरप्रदेश के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की इस टिप्पणी के कुछ दिनों बाद कि होली साल में एक बार मनाई जाती है, जबकि “जुमा” (शुक्रवार) तो 52 होते हैं, उत्तरप्रदेश के दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री ने कहा, “मुसलमानों को होली पर रंगों से बचने के लिए खुद को ‘तिरपाल’ से ढंक लेना चाहिए.” यूपी की ही एक अन्य भाजपा विधायक ने कहा कि अस्पतालों में मुसलमानों के लिए अलग वार्ड बनाए जाने चाहिए, क्योंकि उन्हें हिंदुओं के साथ रहने में समस्या होती है.
राज्य मंत्री रघुराज सिंह ने अलीगढ़ में कहा कि मुसलमानों को मेरी सलाह है कि वे या तो होली के अगले दिन नमाज पढ़ें या तिरपाल का हिजाब पहनकर बाहर निकलें. इससे उनकी सफेद टोपी और सफेद कपड़े बचे रहेंगे. उन्होंने कहा, चूंकि हम यह कह नहीं सकते कि रंग 20 या 25 मीटर तक डालो, इसलिए जिनको एतराज है, वे ऐसा करें. जिनको नहीं है, उनका स्वागत है. होली में व्यवधान करने वालों की तीन जगह हैं-जेल जाएं, प्रदेश छोड़ दें या फिर यमराज के पास अपना नाम लिखवा लें. बलिया से भाजपा विधायक केतकी सिंह ने कहा कि वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आग्रह करेंगी कि राज्य के अस्पतालों में मुस्लिम मरीजों के इलाज के लिए अलग वार्ड बनाए जाएं. केतकी ने कहा, “मुसलमानों को हर चीज़ से समस्या होती है...चाहे वह रामनवमी हो, होली हो, दिवाली हो या दुर्गा पूजा हो...उनको हमारे साथ चिकित्सा उपचार में भी समस्याएं हो सकती हैं...इसलिए, अस्पतालों में उनके लिए अलग-अलग वार्ड होने चाहिए.”
याद रहे, कुछ दिन पहले संभल के पुलिस सर्कल ऑफिसर अनुज चौधरी मुसलमानों से कहा था कि अगर वे होली के दिन अपनी धार्मिक भावनाओं को आहत महसूस करते हैं, तो वे घर के अंदर रहें. “होली साल में केवल एक बार मनाई जाती है, जबकि जुमा हर शुक्रवार को होता है. अगर मुसलमानों को लगता है कि होली के रंग उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करते हैं, तो वे उस दिन घर के अंदर रहें.” मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी चौधरी के बयान का समर्थन किया था.
हलाल की तरह अब झटका सर्टिफिकेट !
महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे ने सोमवार को राज्यभर में सभी झटका मटन की दुकानों को नए लॉन्च किए गए मल्हार प्रमाणपत्र के तहत पंजीकृत करने की एक नई पहल की घोषणा की, जिसमें यह जोर दिया गया कि ये दुकानें केवल हिंदू समुदाय द्वारा चलाई जाएंगी. राणे ने झटका मांस आपूर्तिकर्ताओं के लिए एक प्रमाणन प्लेटफार्म "MalharCertification.com" का निर्माण करने की घोषणा की है. साथ ही कहा कि ऐसी दुकानें 100 प्रतिशत हिंदू-चालित होंगी. राणे ने कहा— "आज हम महाराष्ट्र के हिंदू समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रहे हैं. यह विचार हिंदू समुदाय के लिए लाया जा रहा है, जिसके माध्यम से हिंदू लोग झटका मटन बेचने वाली दुकानों तक पहुंच प्राप्त कर सकेंगे." हालांकि, विशेष रूप से पहले से मौजूद हलाल प्रमाणन यह सुनिश्चित करता है कि दुकानें मुस्लिम कानून के अनुसार मांस बेचती हैं. हलाल पद्धति के विपरीत, झटका मटन को उस तरीके से तैयार किया जाता है, जिसमें पशु को एक ही झटके से दर्द रहित तरीके से मारा जाता है. महाराष्ट्र के मत्स्य मंत्री ने इस पहल की घोषणा करते हुए हिंदुओं से अपील की कि वे मल्हार प्रमाणपत्र वाली दुकानों से ही मटन खरीदें. मल्हार वेबसाइट ने खुद को "झटका मटन और चिकन विक्रेताओं के लिए एक प्रमाणित प्लेटफार्म" के रूप में वर्णित किया है. वेबसाइट में आगे बताया गया है कि बकरा या भेड़ का मांस हिंदू धार्मिक परंपराओं के अनुसार तैयार और "बलि" दिया जाता है. "यह मांस केवल हिंदू खटिक समुदाय के विक्रेताओं के माध्यम से उपलब्ध है. इसलिए, हम सभी से अपील करते हैं कि वे केवल मल्हार द्वारा प्रमाणित विक्रेताओं से मटन खरीदें." वेबसाइट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि उनका मांस "ताजा, स्वच्छ, लार से मुक्त और किसी अन्य जानवर के मांस से मिलाया हुआ नहीं है."
रिपोर्टर्स क्लेक्टिव की विशेष रिपोर्ट
नफ़रत के 'गुमनाम' गढ़ और सप्लाई लाइन्स
पिछले साल अप्रैल में जब संसदीय चुनाव प्रचार तेज हुआ, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पसंदीदा विलेन (कांग्रेस) पर हमला बोलते हुए कहा, "वे (कांग्रेस) इन संपत्तियों को जमा करेंगे और उन लोगों को देंगे जिनके पास ज्यादा बच्चे हैं... वे इसे घुसपैठियों को देंगे." यह एक आपत्तिजनक और भड़काऊ झूठ था, जिसने हर तरफ आग लगा दी. 'द रिपोर्ट्स कलेक्टिव' के लिए आयुषी कर, आदित्य अनुराग रॉय और गायत्री सप्रू की रिपोर्ट है कि मोदी के इस भाषण ने मोदी समर्थकों के एक ऑनलाइन चैट रूम को भड़का दिया. ग्रुप में मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे अनगिनत पोस्ट और मैसेज जमा हो गए.
विश्व हिंदू परिषद के काशी के एक अधिकारी अंशुमान सिंह ने फोरम में मोदी के बयान को और विस्तार से समझाया. व्यापक रूप से शेयर किए पोस्ट में, सिंह ने मुसलमानों को हिंदुओं की तुलना में गरीब होने के बावजूद ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए दोषी ठहराया. "अनुपात के नियम" का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि कांग्रेस के 2024 चुनावों के लिए प्रस्तावित कल्याणकारी कार्यक्रमों के तहत, मुसलमानों को लाभ का एक बड़ा हिस्सा मिलेगा. उन्होंने लिखा, "आपको बीस हजार मिलेंगे, उन्हें एक लाख मिलेगा — क्योंकि जितनी बड़ी आबादी, उतने अधिक अधिकार."
टीम मोदी सपोटर्स एसोसिएशन नामक यह चैट ग्रुप एक कल्ट गैदरिंग की तरह मौजूद है, जो नफरती भाषण पर नजर रखने वाले संगठनों या चुनावी नियमों की नजर से दूर है. ये ग्रुप मेटा, एक्स या डिस्कॉर्ड जैसे सिलिकॉन वैली के प्लेटफॉर्म्स पर नहीं हैं, जहां कम से कम सैद्धांतिक रूप से जांच हो सकती है, बल्कि ये कुटुंब नामक कम्युनिटी ऐप के चैट रूम में स्थित हैं, जो मुख्य रूप से राजनीतिक संगठनकर्ताओं को मोबिलाइजेशन के लिए प्लेटफॉर्म देने वाला ऐप है. इस चैट ग्रुप में सात लाख सदस्य हैं, जो जम्मू शहर की आबादी के बराबर है, और यह ग्रुप भाजपा के राजनीतिक संदेशों को बढ़ावा देने के लिए एक बुलहॉर्न की तरह काम करता है.
2024 के चुनावी मौसम के दौरान, कई राजनीतिक और कम्युनिटी ऐप्स ने चुनाव प्रचार और नेटवर्किंग के लिए वैकल्पिक प्लेटफॉर्म के रूप में उभरकर चुनाव आयोग और नागरिक संगठनों की निगरानी से बाहर काम किया. रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने जुलाई 2023 से जुलाई 2024 के बीच भारत से मेटा और गूगल पर डाले गए 13 लाख से अधिक राजनीतिक विज्ञापनों को स्कैन और विश्लेषण करते हुए इनमें से कुछ ऐप्स का पता लगाया. इनमें से कई ऐप्स ने डिजिटल मोबिलाइजेशन के लिए अपने प्लेटफॉर्म की क्षमताओं का प्रचार करने के लिए मेटा जैसे प्लेटफॉर्म्स पर लाखों रुपये खर्च किए. गूगल और एपल ऐप स्टोर्स को भी स्कैन किया ताकि उन ऐप्स की पहचान की जा सके जिन्होंने मेटा और गूगल पर विज्ञापन नहीं दिए, लेकिन वे इसी तरह के मॉडल पर चल रहे थे.
राजनीतिक स्ट्रैटेजिस्ट, भारतीय उद्यमियों और संदिग्ध संस्थाओं द्वारा चलाए जाने वाले ये प्लेटफॉर्म काफी हद तक नियंत्रण से मुक्त हैं, जिससे एक शक्तिशाली, अलग-थलग डिजिटल दुनिया बन गई है जहां राजनीतिक सामग्री बिना किसी रोक-टोक के फैल सकती है. यहां लाखों भारतीय बिना किसी डर के संगठित होते हैं कि उन्हें फ्लैग किया जाएगा. इन ऐप्स की गहन जांच, जिसमें उनके दस्तावेज़ और कॉर्पोरेट रिकॉर्ड शामिल हैं, से पता चलता है कि ऑनलाइन नफरत और गलत सूचना बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से आगे बढ़ चुकी है. भारत में 'उद्यमी' ने ऐसे व्यवसाय के लिए निवेशकों को ढूंढ़ना शुरू कर दिया है, जो जमीन पर होने वाले कटु राजनीतिक अभियानों से प्रेरित होकर ऑनलाइन नफरत से मुनाफा कमाने में खुश है. यह एक ऐसा 'बाजार' है जिसमें अब सभी रंगों के राजनीतिक खिलाड़ी भाग ले रहे हैं, जिसमें भाजपा अग्रणी है.
'द रिपोर्ट्स कलेक्टिव' ने अपनी रिपोर्ट के दौरान 13 लाख से अधिक राजनीतिक विज्ञापनों का विश्लेषण किया, जो जुलाई 2023 से जुलाई 2024 के बीच भारत में मेटा और गूगल पर डाले गए थे. कुछ ऐप्स जो इस दौरान उभरे, उन पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे थे. इन ऐप्स में कुटुम्ब जैसे एप भी शामिल थे, जो बिना किसी निगरानी या शासन के राजनीतिक अभियानों और नेटवर्किंग के लिए एक सुरक्षित स्थान प्रदान करते हैं. कुटुम्ब ऐप को 2020 में शुरू किया गया था और यह अब भारतीय राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण टूल बन चुका है. कुटुम्ब पर कंटेंट को मॉडरेट करने की कोई सख्त व्यवस्था नहीं है और इसका उपयोग हेट स्पीच और गलत सूचना फैलाने के लिए किया जा रहा है. कुटुम्ब ऐप के गूगल प्ले स्टोर पर 50 मिलियन डाउनलोड्स हैं.
इसके अलावा कई अन्य ऐप्स जैसे "पोस्टर्स फॉर बी" भी भाजपा के समर्थन में काम कर रहा है, जो राजनीतिक पोस्टर बनाने की सेवाएं प्रदान करते हैं. इन ऐप्स का उपयोग स्थानीय स्तर पर बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा किया जा रहा है और यह बिना किसी निगरानी के सामग्री को फैलाने का अवसर प्रदान कर रहे हैं. इन ऐप्स की बढ़ती लोकप्रियता और इस पर होने वाले राजनीतिक खर्चे से यह साफ है कि भारतीय राजनीति में डिजिटल प्लेटफॉर्म का प्रभाव अब और भी ज्यादा बढ़ रहा है और यह एक ऐसे शक्तिशाली, अनियंत्रित डिजिटल वातावरण को जन्म दे रहा है, जहां गलत सूचना और नफरत का प्रचार किया जा सकता है.
टेक पॉलिसी शोधकर्ता प्रतीक वाघरे ने कहा कि ऐसे राजनीतिक ऐप्स पर नियमन लागू करने में खतरे हैं. "ऐसे एप्लिकेशन्स पर सरकार को अतिरिक्त नियंत्रण देने में एक अंतर्निहित जोखिम है. इतिहास बताता है कि अतिक्रमण की संभावना मजबूत है और सरकारें इस अवसर का उपयोग उनके खिलाफ किसी भी प्रकार के डिजिटल राजनीतिक संगठन को सेंसर करने के लिए कर सकती हैं. 'राजनीतिक ऐप्स' को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने में भी एक चुनौती है. यहां तक कि Change.org जैसे हस्ताक्षर जमा करने या न्यूज़लेटर्स भेजने जैसे सामान्य काम भी इसके दायरे में आ सकते हैं."
हाइपरपॉलिटिकल मार्केट से मुनाफा कमाने वाले नियमित उद्यमियों से परे, चुनाव जीतने के लिए तैनात समर्पित राजनीतिक सलाहकार भी इस ऐप गेम में शामिल हो गए हैं. कलेक्टिव ने पोलिटिकल एकेडमी प्राइवेट लिमिटेड नामक एक राजनीतिक सलाहकार कंपनी द्वारा संचालित पोलिटिकल पोस्टर मेकर ऐप्स का एक नेटवर्क पाया. इसके पूर्व निदेशक और प्रमुख प्रबंधन एक अन्य सलाहकार कंपनी, जार्विस टेक्नोलॉजी एंड स्ट्रैटेजी कंसल्टिंग से भी जुड़े हैं, जिसने भाजपा के प्रोप्राइटरी ऐप, संगठन रिपोर्टिंग एंड एनालिसिस (SARAL) को बनाया था.
पोलिटिकल एकेडमी गूगल प्ले स्टोर पर तीन ऐप्स चलाती है. शेयर पोस्ट, पोस्ट करो और पोलिटिकल पोस्टर मेकर, जिनमें एक जैसा यूजर इंटरफेस है. 99 रुपये प्रति माह में राजनीतिक अभियान पोस्टर बनाए जा सकते हैं. गोपनीयता कार्यकर्ता श्रीनिवास कोडली ने कलेक्टिव को बताया, "इस तरह के बेसिक पोस्टर एप्लिकेशन्स स्थानीय आईटी सेल के सदस्यों को शामिल करने के लिए बनाए गए होंगे, जो गांवों से काम कर रहे हैं और जो कंप्यूटर के बिना भी डिजिटल प्रचार प्रक्रियाओं में शामिल हो सकते हैं."
पोस्टर्स फॉर बी, जो भाजपा के लिए प्रचार करता है, गलत पता देता है. गूगल स्टोर पर ऐप पेज के अनुसार, इसे 'डीजीन बॉक्स कंसल्टिंग सॉल्यूशंस' नामक एक संस्था ने विकसित किया गया है. इस संस्था ने दो अलग-अलग पते दिए हैं. मेटा पर कंपनी का दावा है कि यह उत्तर प्रदेश के अयोध्या में स्थित है, जबकि इसकी वेबसाइट पर यह गुरुग्राम, हरियाणा के नोवस टावर्स में स्थित होने का दावा करती है, लेकिन अयोध्या में उनके कार्यालय का पता नहीं लगा. गुरुग्राम के पते पर जाकर देखा कि वे इस ऑफिस कॉम्प्लेक्स से भी संचालित नहीं होते हैं. यह संस्था सरकारी रिकॉर्ड में एक पंजीकृत कंपनी या सीमित देयता भागीदारी नहीं है. 'द रिपोर्ट्स कलेक्टिव' पाया कि एक सत्यापन योग्य पंजीकृत पता या कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय में पंजीकरण के बिना, इस संस्था ने अपने पोस्टर प्लेटफॉर्म का विज्ञापन करने के लिए मेटा पर 65 लाख रुपये से अधिक का निवेश किया है. उल्लेखनीय है कि पोस्टर्स फॉर बी स्थानीय जिला परिषद स्तर तक भाजपा कार्यकर्ताओं को भर्ती करता है और उनके अभियानों के लिए राजनीतिक पोस्टर बनाने की सुविधा प्रदान करता है.
'द रिपोर्ट्स कलेक्टिव' ने कंपनी की वेबसाइट पर दिए ईमेल पते पर विस्तृत प्रश्नों के साथ लिखा. इस पर कंपनी की ओर से अदनान अहमद नामक किसी व्यक्ति का जवाब आया- "हम किसी भी पार्टी से संबद्ध नहीं हैं और उपयोगकर्ताओं को उनके द्वारा प्रदान किए गए पोस्टर्स पर नाम और फोटो जोड़ने का समाधान प्रदान करते हैं. हम एक सॉफ्टवेयर समाधान हैं, न कि कंटेंट प्रदाता". इसके विपरीत ऐप के लैंडिंग पेज भाजपा के लोगो को अपने लोगो "बीपी" के साथ जोड़कर दिखाता है. जैसे-जैसे डिजिटल प्रचार चुनावों का मुख्य आधार बनता जा रहा है, राजनीतिक दलों ने ऐसे संदिग्ध खिलाड़ियों के लिए स्वागत मार्ग बिछा दिए है, जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं.
कुश्ती महासंघ की कमान ब्रज भूषण के करीबी को

'द इंडियन एक्सप्रेस' की खबर है कि मंगलवार को खेल मंत्रालय ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) का निलंबन हटा दिया है. सरकार ने डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष संजय सिंह को पूरी तरह से नियंत्रण सौंप दिया है, जो कि ब्रज भूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी हैं. वही ब्रज भूषण शरण सिंह जिन पर महिला एथलीटों से यौन उत्पीड़न का आरोप है. गौरतलब हे कि देशभर में ब्रज भूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर चले हंगामे के बाद 24 दिसंबर, 2023 को मंत्रालय ने डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर दिया था और भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) से एक अस्थायी समिति बनाने को कहा था, ताकि राष्ट्रीय खेल महासंघ के दिन-प्रतिदिन के कार्यों का संचालन किया जा सके. खेल मंत्रालय की ओर से जारी पत्र में कहा गया, "स्पॉट सत्यापन समिति की रिपोर्ट, डब्ल्यूएफआई द्वारा किए गए अनुपालन उपायों और भारतीय खेलों और एथलीटों के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए, मंत्रालय ने 24.12.2023 के आदेश के तहत डब्ल्यूएफआई का निलंबन रद्द कर दिया है और इसे तत्काल प्रभाव से राष्ट्रीय खेल महासंघ (NSF) के रूप में मान्यता बहाल कर दी गई है. पत्र में कहा गया है कि डब्ल्यूएफआई को खेल संहिता, अच्छे शासन और एथलीट कल्याण नीतियों का पालन सुनिश्चित करना होगा.
मंत्रालय ने संघों के संचालन के लिए निम्नलिखित निर्देश भी दिए :
डब्ल्यूएफआईको निलंबन अवधि के दौरान किए गए संशोधनों को वापस करना होगा और निर्धारित पदाधिकारियों के बीच शक्ति संतुलन सुनिश्चित करना होगा, साथ ही निर्णय लेने की प्रक्रिया में चेक्स और बैलेंस प्रदान करना होगा. यह प्रक्रिया 4 सप्ताह में पूरी की जानी चाहिए.
जो व्यक्ति पदाधिकारी के रूप में निर्वाचित नहीं हुआ है, साथ ही डब्ल्यूएफआई के निलंबित/समाप्त किए गए वेतनभोगी अधिकारी, उन्हें महासंघ और इसके संबद्ध इकाइयों से पूरी तरह से असंबद्ध रहना चाहिए.
डब्ल्यूएफआई को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए चयन एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से किया जाए, जैसा कि खेल संहिता और इसके तहत समय-समय पर जारी निर्देशों के अनुसार है.
साइबर फ्रॉड में 177 करोड़ गंवाए, दस साल में 10 गुना बढ़ा नुकसान
देश में डिजिटल भुगतानों से जुड़े साइबर धोखाधड़ी के मामले बढ़ते जा रहे हैं. नुकसान में भी दस गुना इजाफा हुआ है. केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पेश जानकारी के अनुसार 2023-24 में भारतीयों ने एक लाख रुपये से अधिक की राशि वाले साइबर धोखाधड़ी के मामलों में लगभग 177 करोड़ रुपये खो दिए, जो 2014-15 में हुए 18 करोड़ रुपये के नुकसान से लगभग दस गुना अधिक है. केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि अप्रैल-दिसंबर 2024 के बीच साइबर धोखाधड़ी के कारण कुल 107 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. उन्होंने बताया कि एक लाख या इससे अधिक राशि की धोखाधड़ी के मामले 2014-15 में 845 से बढ़कर 2023-24 में 29,000 से अधिक हो गए. जानकारी में स्पष्ट किया गया कि इन आंकड़ों में एक लाख रुपये से कम की राशि वाली साइबर धोखाधड़ी शामिल नहीं है. न ही इनमें स्टॉक ट्रेडिंग और निवेश-आधारित घोटालों को शामिल किया गया है.
जम्मू-कश्मीर के दो संगठनों पर 5 साल का प्रतिबंध : केंद्र सरकार ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के दो संगठनों को गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया. इनमें एक है मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाली अवामी एक्शन कमेटी (एएसी) और दूसरा संगठन है जम्मू-कश्मीर इत्तेहादुल मुस्लिमीन (जेकेआईएम), जिसका नेतृत्व शिया नेता मसरूर अब्बास अंसारी करते हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में दोनों संगठनों को देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए हानिकारक बताया गया है.
बड़े होर्डिंग लगाने के लिए केजरीवाल पर एफआईआर के निर्देश : दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली पुलिस को आम आदमी पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी में बड़े-बड़े होर्डिंग लगाने के लिए जनता के पैसे का दुरुपयोग करने के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है. 2019 में दायर एक शिकायत में आरोप लगाया गया था कि केजरीवाल, मटियाला के तत्कालीन विधायक गुलाब सिंह (आप) और द्वारका की पार्षद नीतिका शर्मा ने जानबूझकर सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करके बड़े आकार के होर्डिंग लगाए थे.
कमला हैरिस के नेतृत्व में यूएस-भारत संबंध मजबूत हुए : 'द हिंदू' के अनुसार, "इंडियन-अमेरिकन अटिट्यूड्स सर्वे 2024" में 53% भारतीय-अमेरिकियों का मानना है कि कमला हैरिस के नेतृत्व में यूएस-भारत संबंध मजबूत हुए, जबकि ट्रम्प के समय यह आंकड़ा 40% था. हालांकि, बाइडन प्रशासन को ट्रम्प की तुलना में संबंध संभालने में थोड़ा बेहतर माना गया. लगभग एक तिहाई का कहना है कि द्विपक्षीय रिश्ते चाहे ट्रम्प या हैरिस की सरकार हो, वैसे ही रहेंगे. सर्वे के मुताबिक, 47% भारतीय-अमेरिकी भारत की दिशा को सही मानते हैं (2020 में 36%). अमेरिकी-जन्मे प्रवासी (55%) भारत के प्रति आप्रवासियों (42%) से अधिक आशावादी हैं. मोदी सरकार के समर्थन में मामूली गिरावट दर्ज की गई (2020:50% से 2024:47%).
मुस्लिम महिलाओं की एआई अश्लील इमेज वाले पेज तेज़ी से बढ़े : इन दिनों आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के जरिये मॉर्फ कर इंटरनेट पर मुस्लिम महिलाओं की अर्ध-अश्लील तस्वीरें पोस्ट करने वाले पेजों में बड़े पैमाने पर वृद्धि दर्ज की गई है. द क्विंट के अनुसार, ऐसे पेज पिछले कुछ समय से फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर मौजूद हैं, जो उत्तेजक कल्पनाओं वाले मीम्स और भद्दे फोटोशॉप्ड चित्र पोस्ट करते हैं. आदित्य मेनन के अनुसार, उन्हें सर्च के दौरान इंस्टाग्राम पर कम से कम 250 ऐसे पेज मिले, जिन पर एआई टूल की मदद से कई मुस्लिम महिलाओं की सॉफ्ट पोर्न इमेज बनाई गई है. वहीं फेसबुक पर ऐसी गतिविधि कम संख्या में पेजों के ज़रिए होती है, लेकिन हज़ारों फ़ॉलोअर्स के साथ. आदित्य के अनुसार, अधिकतर एआई इमेज उत्तेजक हैं और इसमें एक मुस्लिम महिला को एक या कई हिंदू पुरुषों के साथ अंतरंग मुद्रा में दिखाया गया है.
नेपाल की सियासत में योगी के पोस्टर से हलचल : “द इंडियन एक्सप्रेस” में युबराज घिमिरे ने विस्तार से बताया है कि रविवार को नेपाल में पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह की रैली में ऐसा क्या हुआ कि अचानक यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की चर्चा चल पड़ी है. क्यों नेपाल की सियासत में योगी का पोस्टर हलचल मचा रहा है? नेपाल की अस्थिर राजनीति में आदित्यनाथ के पोस्टर ने अप्रत्याशित रूप से विवाद पैदा कर दिया है. योगी को नेपाल के निर्वासित राजतंत्र का समर्थक माना जाता है और ज्ञानेंद्र की काठमांडू रैली को ओली सरकार के लिए उनकी सबसे बड़ी चुनौती माना जा रहा है.
पाकिस्तान में ट्रेन हाईजेक, 30 सैनिक मारे, सैकड़ों यात्री बंधक : पाकिस्तान में बलोच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने मंगलवार को एक यात्री ट्रेन पर हमला कर उसे हाईजेक कर लिया. उसने 214 यात्रियों को बंधक बना रखा है और 30 पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या कर दी है. बीएलए चाहता है कि उसके लड़ाकों को छोड़ दिया जाए. उसकी तरफ से पाक सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया गया है.
पाठकों से अपील
पूर्व फिलीपीनी राष्ट्रपति डुटर्टे ड्रग हत्याओं के मामले में गिरफ्तार : 'द गार्डियन' की खबर है कि पूर्व फिलीपीनी राष्ट्रपति रोड्रिगो डुटर्टे को मंगलवार (11 मार्च 2025) को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) के आदेश पर हांगकांग से लौटने के बाद मनीला के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार कर लिया गया. डुटर्टे को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय द्वारा उनके कथित 'ड्रग्स के खिलाफ युद्ध' के लिए वांछित किया गया है, जिसमें मानवाधिकार समूहों का कहना है कि इस युद्ध में 30,000 लोगों की जान चली गई.
रामदेव ट्रम्प पर गुस्सा बोले टैरिफ टेररिज्म : डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों पर रविवार को बाबा रामदेव ने निशाना साधा. उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति पर गरीब और विकासशील देशों को धमकाने के लिए ‘टैरिफ आतंकवाद’ और ‘आर्थिक आतंकवाद’ में लिप्त होने का आरोप लगाया. रामदेव ने यहां तक कहा कि सभी भारतीयों को ट्रम्प का जवाब देने के लिए एकजुट होना चाहिए. रामदेव की यह टिप्पणी नागपुर में आई. इस अवसर पर रामदेव के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद थे. रामदेव ने कहा, ‘हमने राजनीतिक ध्रुवीकरण देखा है... आर्थिक उपनिवेशीकरण देखा है... अब हम बौद्धिक उपनिवेशीकरण का एक नया चरण देख रहे हैं. ट्रम्प लोकतंत्र को खत्म कर रहे हैं... वह संयुक्त राष्ट्र, विश्व व्यापार संगठन का पालन नहीं कर रहे हैं... वह अपनी मर्जी से विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष चला रहे हैं.”
इलोन मस्क की स्टारलिंक देगी भारत में हाई-स्पीड इंटरनेट सेवा, एयरटेल के साथ की साझेदारी : एयरटेल ने भारत में स्टारलिंक की हाई स्पीड इंटरनेट सेवाएँ लाने के लिए इलोन मस्क की स्पेसएक्स के साथ साझेदारी की घोषणा की है. यह साझेदारी भारत के दूरदराज के इलाकों में कनेक्टिविटी की कमी को पूरा करेगी. यह गठजोड़ मुकेश अंबानी की जियो को सीधा टक्कर देगा, जो खुद की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं.
वंतारा की यह खबर कई वेबसाइट्स से गायब हो गई : हरकारा ने द टेलीग्राफ और फाइनेंशियल एक्सप्रेस के हवाले से एक खबर क्यूरेट की थी. इसमें दक्षिण अफ्रीकी वन्यजीव संरक्षण संगठनों ने पत्र लिखकर के एक समूह ने गुजरात में अम्बानी के ग्रीन जूलॉजिकल रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन सेंटर वंतारा में भेजे गए जानवरों पर सवाल उठाए गए थे. यह चिट्ठी दक्षिण अफ़्रीका के पर्यावरण मंत्री डियोन जॉर्ज की ओर से लिखी गई थी. लेकिन इसके बाद पहले यह खबर टेलीग्राफ से गायब हुई. फिर फाइनेंशियल एक्सप्रेस की खबर की उसी लिंक पर अलग खबर लग गई. इतना ही नहीं डेक्कन हेराल्ड समेत और कई प्रमुख वेबसाइट्स से यह खबर गायब हो गई या बदल दी गई. हालांकि इसके बावजूद यह खबर अब भी डाउन टू अर्थ, ट्रिब्यून समेत कुछ साइट्स पर मौजूद है. आप देख सकते हैं. इसके अलावा वह चिट्ठी और खबर यहां भी मौजूद है. वंतारा 26 फरवरी, 2024 को लॉन्च किया गया था. इसका उद्घाटन 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था.
(अंबानी के वंतारा से जुड़ी खबर कई वेबसाइट्स ने हटा ली है, लेकिन खबर के सुराग अब भी गूगल पर बिखरे हुए हैं.)
समझौते की बैठक से पहले यूक्रेन ने मास्को पर गिराये ड्रोन से बम, अब तक का सबसे बड़ा हमला
(मॉस्को क्षेत्र में एक अपार्टमेंट बिल्डिंग, जो यूक्रेनी ड्रोन द्वारा क्षतिग्रस्त हुई. | साभार : वलेरी शारिफुलिन / तास)
'बीबीसी' की रिपोर्ट है कि रूस के मास्को क्षेत्र में यूक्रेन द्वारा किए गए एक बड़े ड्रोन हमले में कम से कम तीन लोग मारे गए और 18 लोग घायल हुए, जिनमें तीन बच्चे भी शामिल थे. हमले में कई कारों और इमारतों को नुकसान हुआ है. इस हमले के बाद मास्को के हवाई अड्डों पर उड़ानों पर प्रतिबंध लगाए गए और एक ट्रेन नेटवर्क भी निलंबित कर दिया गया. यूक्रेन ने इस हमले पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है. क्षेत्रीय गवर्नर आंद्रेई वरोब्येव ने कहा कि मृतक और घायल लोग मास्को के पास विद्नोये और डोमोडेदोवो कस्बों में थे, और इनमें एक 50 वर्षीय व्यक्ति भी शामिल था, जो अस्पताल में मृत पाया गया. राज्य समाचार एजेंसी तास ने रिपोर्ट किया कि क्षेत्र में 337 ड्रोन में से 91 को नष्ट कर दिया गया. यह हमला यूक्रेन और अमेरिका के प्रतिनिधियों के बीच सऊदी अरब में होने वाली महत्वपूर्ण बैठक से कुछ घंटे पहले हुआ, जो रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को समाप्त करने पर केंद्रित थी. जेद्दा में यूक्रेनी प्रतिनिधियों और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो के बीच यह पहली आधिकारिक मुलाकात होगी, जो पिछले महीने व्हाइट हाउस में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की और उनके अमेरिकी समकक्ष डोनाल्ड ट्रम्प के बीच गर्मागर्म बहस के बाद हो रही है.
चलते-चलते
सपने देखने वाला मालेगांव का स्पीलबर्ग
(साभार: अतुल लोके)
मुजीब माशल ने ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के लए नसीर शेख की कहानी की है, वही नसीर शेख जिनके काम पर बनी फिल्म ‘सुपरबॉयज़ ऑफ मालेगांव’ की इन दिनों चर्चा है.
नसीर शेख, जिनकी ज़िंदगी पर बनी फिल्म ‘सुपरबॉयज़ ऑफ मालेगांव’ चर्चा में है, आज मुंबई के रेड कार्पेट पर खड़े थे. यह वही नसीर हैं, जिन्होंने 30 साल पहले अपने परिवार के पाइरेटेड फिल्म्स दिखाने वाले ‘वीडियो पार्लर’ से शुरुआत कर ‘मॉलीवुड’ (मालेगांव+बॉलीवुड) की नींव रखी. उनका मिशन? बिना बजट, बिना प्रोफेशनल एक्टर्स के सिर्फ जुनून से फिल्में बनाना!
मालेगांव (महाराष्ट्र) के इस टेक्सटाइल शहर में नसीर ने लोकप्रिय फिल्मों की पैरोडी बनाकर सिनेमा का नया अध्याय लिखा. कॉपीराइट से बचने के लिए कहानियों को शहर के संदर्भ में ढाला. हीरो बने लोम श्रमिक, विलन बना तंबाकू माफिया. सुपरमैन को उड़ाने के लिए गाड़ी से बांधा, केप को हवा में लहराया. ग्रीन स्क्रीन? ट्रक पर लटकी चादर! शूटिंग के लिए शादी वाले कैमरे इस्तेमाल हुए, कॉस्ट्यूम थ्रिफ्ट स्टोर्स से आए. अभिनेताओं को पैसे नहीं, बस उनकी शिफ्ट के लिए मुआवजा.
1990 के दशक में जब पुलिस ने पाइरेटेड फिल्मों पर रोक लगाई, तो नसीर की ‘मॉलीवुड’ फिल्में पार्लरों की जान बन गईं. उनकी पहली फिल्म ने निवेश से चार गुना ज्यादा कमाई की. “दो महीने तक हर शो हाउसफुल! रोज तीन शो,” नसीर याद करते हैं. राष्ट्रीय मीडिया ने उन्हें ‘मालेगांव का स्पीलबर्ग’ कहा.
आज नसीर की कहानी सिर्फ सिनेमा की नहीं, उन सपनों की है जो संसाधनों की कमी से नहीं मरते. वरुण ग्रोवर (सुपरबॉयज़ की पटकथा लेखक) कहते हैं, “यह कहानी उन सभी के लिए है जो सपने देखते हैं, पर हार मान लेते हैं. नसीर ने सपनों को हकीकत बनाया.”
जब नसीर नीले कार्पेट पर मुस्कुराए तो लगा मालेगांव का ‘मैन ऑफ स्टील’ अब बॉलीवुड के दरवाजे खटखटा रहा है. उनका मंत्र सरल है : “क्यों नहीं?” यही सवाल हर असंभव को संभव बनाता है.
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, फेसबुक पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.