12/05/2025 : मिसरी पर ट्रोल्स का हमला | डोभाल की डॉक्ट्रिन और देश की रणनीति | चीनी हथियार | बिचौलिये की संभावना | पुतिन को शांति की ख्वाहिश | भारतीय पायलट सलामत | फैशन के नये मॉडल
‘हरकारा’ यानी हिंदी भाषियों के लिए क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज़्यादा!
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां
आकार पटेल | क्या डोभाल के रक्षा सिद्धांत का वीडियो ही भारत की सामरिक रणनीति है?
पुतिन ने की शांति की पेशकश
फैशन विज्ञापन में एआई मॉडलों का नया युग
आधे तीर्थ यात्रियों ने चारधाम यात्रा रद्द की
इस सत्र से स्कूली छात्रों के लिए व्यापक पाठ्यक्रम
ऑपरेशन सिंदूर : मुंबई में एफआईआर, तमिलनाडु में निलंबन
विक्रम मिसरी पर युद्ध उन्मादी देसी ट्रोल्स का गंधाता घटिया नज़ला, सरकार की चुप्पी
यह राष्ट्रीय सुरक्षा की वजह से नहीं था. बल्कि, इसलिए था क्योंकि ट्रोल्स की एक बेनाम भीड़ ने तय कर लिया था कि वह उसका दुश्मन है. उन्होंने पहले उसकी विश्वसनीयता को निशाना बनाया. और, फिर उसकी बेटी को. विक्रम मिसरी कोई सर्वोच्च प्राधिकारी या प्रधान सेवक नहीं, वह एक पेशेवर राजनयिक हैं और वो भी प्रधानसेवक के मातहत. बावजूद, इसके मिसरी को निशाना बनाया गया. जो असंतोष एक कूटनीतिक फैसले से शुरू हुआ था, वह चरित्र हनन तक पहुंच गया. इस हद तक कि उन पर अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे ‘झुकने’ का आरोप लगाया गया. गोया कि भारत-पाकिस्तान तनाव से जुड़े सारे फैसले मिसरी ही ले रहे थे. लेकिन, ट्रोल आर्मी ने इसकी परवाह नहीं की और जब युद्धविराम कुछ ही घंटों में टूट गया और पाकिस्तान ने समझौते का उल्लंघन किया, तो ऑनलाइन गुस्सा और भी जहरीला हो गया. मीम्स, गालियां और अपमान उस व्यक्ति पर केंद्रित हो गए, जो महज सरकार के फैसले पढ़ भर रहा था, न कि उन लोगों पर जो फैसले ले रहे थे. मतलब, किसी का गुस्सा किसी और पर निकाला जाने लगा. उल्लेखनीय है कि सरकार और सत्तारूढ़ दल की तरफ से उनके बचाव में कोई आगे नहीं आया.
इस पूरे घटनाक्रम का सबसे दुखद पहलू यह रहा कि यह हमला सिर्फ मिसरी पर ही नहीं हुआ, उनके परिवार को भी इसमें घसीटा गया. यूज़र्स ने उनके पुराने पोस्ट, परिवार की निजी तस्वीरें और संपर्क जानकारी तक साझा कर दी. उनकी बेटी डिडॉन पर भी आपत्तिजनक टिप्पणियां की गईं. बेटी का फोन नंबर लीक कर दिया गया. उसके पेशे पर सवाल उठाए गए. उसकी ईमानदारी पर संदेह किया गया. एक यूज़र ने पूछा कि उसका करियर भारत के ‘राष्ट्रीय हित’ में कैसे फिट बैठता है? दूसरे ने उसकी ‘पोल खोलने’ की मांग की. तीसरे ने उसके सोशल मीडिया को खंगाला, जैसे कोई हथियार ढूंढ़ रहा हो. मिस्री को ‘गद्दार’, ‘देशद्रोही’, ‘बेशर्म आदमी और परिवार’ जैसी गालियां दी गईं.
डिडॉन, जो लॉ स्टूडेंट हैं, ने रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए काम किया था. मिसरी ने एक दशक पहले अपनी बेटी की तस्वीर साझा करते हुए लिखा था- “अब तक की मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि.” ट्रोल्स में से एक ने लिखा, “सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि उनकी बेटी क्या करती है. उसने रोहिंग्याओं को कानूनी सहायता दी, अब लंदन में है.”
मिसरी भारत की संतुलित लेकिन सख्त कूटनीतिक नीति का सार्वजनिक चेहरा रहे हैं, खासकर पाकिस्तान के साथ हालिया तनाव के दौरान. 7 मई को, उन्होंने मीडिया को बताया कि भारत ने पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी शिविरों पर हमला किया, और इन हमलों को “नपातुला, गैर-आक्रामक और अनुपातिक” बताया. उन्होंने पाकिस्तान के दावों का खंडन किया-चाहे वह भारतीय जेट गिराने का हो या भारत द्वारा पनबिजली डैम पर हमला करने का. लेकिन जब 10 मई को युद्धविराम की घोषणा हुई और पाकिस्तान ने तुरंत उसका उल्लंघन किया, तो मिसरी की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए गए. दक्षिणपंथी नेताओं ने उन पर ‘असमय कूटनीति’ का आरोप लगाया. वे यह भूल गए कि विदेश सचिव नीतियां बनाते नहीं, लागू करते हैं. मिसरी, जो गैर-राजनीतिक नियुक्ति हैं, ‘राष्ट्रवादी’ गुस्से के केंद्र में आ गए.
बहरहाल, ट्रोलिंग और गाली-गलौज से दुखी होकर विक्रम मिसरी को अपना ‘एक्स’ अकाउंट प्राइवेट करना पड़ा. इस बीच राजनीतिक नेताओं और आईएएस एसोसिएशन ने मिसरी के समर्थन में बयान दिए. एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “विक्रम मिसरी एक ईमानदार और मेहनती राजनयिक हैं… उन्हें कार्यपालिका या किसी राजनीतिक नेतृत्व द्वारा लिए गए फैसलों के लिए दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए.” कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने भी कहा, “मैं विदेश सचिव के परिवार पर सोशल मीडिया ट्रोलिंग की निंदा करता हूं. हमारे पेशेवर राजनयिकों और सिविल सर्वेंट्स को निशाना बनाना अस्वीकार्य है-वे देश की सेवा में समर्पित रहते हैं.”
आईएएस एसोसिएशन ने कहा कि वह मिसरी और उनके परिवार के साथ एकजुटता के साथ खड़ी है. कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी से अपने दायित्व निभा रहे सिविल सेवकों पर अनावश्यक व्यक्तिगत हमले अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण हैं. लेखक और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद ने ब्यूरोक्रेट्स इंडिया को टैग करते हुए कहा, “चूंकि आपने तब आपत्ति नहीं की, जब मुख्य चुनाव आयुक्त लिंगदोह के साथ दुर्व्यवहार और हमला किया गया था, इसलिए आज आपको यह दिन देखना पड़ा. उस समय जिसने यह किया था, वही आज विक्रम मिसरी को गाली देने वालों का आदर्श है. जब हिमांशी के साथ दुर्व्यवहार हो रहा था, तब भी आपने कुछ नहीं कहा. अब वही गाली देने वाले आपके मालिक बन गए हैं.” ऑल्ट न्यूज़ के संस्थापक प्रतीक सिन्हा ने ‘एक्स’ पर लिखा कि- “मोदी अपनी ही ट्रोल आर्मी से अपने विदेश सचिव की रक्षा नहीं कर सकते, तो वह देश की रक्षा कैसे करेंगे? ऑल्ट न्यूज़ के ही मोहम्मद जुबेर ने बताया कि विक्रम मिसरी और उनकी बेटी को टारगेट करने वाला शख्स चंदन कुमार सिंह था, जिसके ट्वीट करते ही उसकी ट्रोल आर्मी ने बेटी के बारे में सारी निजी जानकारी शेयर करना शुरू कर दी.
कुलमिलाकर, ट्रोलिंग में एक पैटर्न दिखाई पड़ता है. मसलन, सबसे पहले हिमांशी नरवाल की ट्रोलिंग हुई, जो पहलगाम हमले में मारे गए नौसेना अधिकारी विनय नरवाल की विधवा हैं. जब उन्होंने नफरत के बिना न्याय की मांग की, तो ट्रोल्स ने उनके मेकअप का मज़ाक उड़ाया, जैसे लिपस्टिक लगाने से उनका दुःख कम हो गया हो. कई लोगों के लिए यह भारत की ज़हरीली ऑनलाइन संस्कृति में एक और चाय के साथ हंसी-मज़ाक का मौका था. आखिर, यही सोशल मीडिया है, जिसने सिर्फ इसलिए फिलिप्स इंडिया को स्पैम कर दिया था, क्योंकि न्यूज़ीलैंड के क्रिकेटर ग्लेन फिलिप्स ने विराट कोहली का कैच पकड़ लिया था.
भारत-पाकिस्तान तनाव
संघर्ष विराम के बाद अब बयानों का कुहासा
हल्का -फुल्का उल्लघंन | भारत वायु सेना की कमजोरियों पर कई टिप्पणियां | सरहद के दोनों तरफ लोगों को ज्यादा नुक्सान | ट्रम्प ने दोनों देशों की तरफ व्यापार की गाजर लटकाई | सिंदूर अभी जारी | ये संघर्ष आखिरी नहीं
भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव और संघर्ष, जो लगभग तीन दशकों में सबसे भीषण माना जा रहा है, शनिवार को संघर्षविराम की घोषणा के साथ कुछ शांत हुआ है. चार दिनों की भीषण लड़ाई में दोनों परमाणु संपन्न देशों ने एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों पर मिसाइलें और ड्रोन दागे, जिसमें लगभग 70 लोगों की जान चली गई. इस संघर्षविराम को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की कूटनीतिक पहल का परिणाम माना जा रहा है, जिन्होंने न केवल दोनों देशों के बीच युद्धविराम करवाने में मदद की, बल्कि कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की भी पेशकश की है.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार से लागू संघर्षविराम रविवार को भी कायम रहा, हालांकि दोनों देशों ने शुरुआती उल्लंघनों के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया. संघर्षविराम के कुछ ही घंटों के भीतर भारत प्रशासित कश्मीर में तोपखाने की गोलाबारी देखी गई. स्थानीय प्रशासन, निवासियों और रॉयटर्स के चश्मदीदों के अनुसार, सीमा से लगे शहरों में शनिवार रात ब्लैकआउट के दौरान वायु रक्षा प्रणालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी.
शनिवार देर रात, भारत ने कहा कि पाकिस्तान ने संघर्षविराम का उल्लंघन किया, वहीं पाकिस्तान ने खुद को समझौते के प्रति प्रतिबद्ध बताया और उल्लंघन के लिए भारत को दोषी ठहराया. हालांकि सुबह तक लड़ाई शांत हो गई और भारत के अधिकतर सीमावर्ती क्षेत्रों में बिजली बहाल कर दी गई. भारतीय सेना ने रविवार को एक बयान में कहा कि सेना प्रमुख ने सीमावर्ती कमांडरों को "काइनेटिक प्रतिक्रिया" की पूरी छूट दी है, यदि समझौते का कोई भी उल्लंघन होता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दोनों देशों के नेताओं को हिंसा रोकने के लिए सराहा और कहा कि अमेरिका भारत और पाकिस्तान के साथ व्यापार "काफी हद तक" बढ़ाएगा. ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर कहा - "मैं आप दोनों के साथ मिलकर काम करूंगा ताकि... कश्मीर के मुद्दे पर कोई समाधान निकाला जा सके."
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने ट्रम्प के बयान का स्वागत करते हुए कहा कि "जम्मू-कश्मीर विवाद का कोई भी न्यायसंगत और स्थायी समाधान कश्मीरी लोगों के मौलिक अधिकारों, विशेष रूप से आत्मनिर्णय के अधिकार को सुनिश्चित किए बिना संभव नहीं है." प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने भी एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर ट्रम्प को धन्यवाद देते हुए लिखा- "दक्षिण एशिया में स्थायी शांति लाने में बड़ी भूमिका निभाने की आपकी बहुमूल्य पेशकश के लिए अत्यंत आभारी हूं."
इस बीच, भारत और पाकिस्तान के संघर्षविराम की बातचीत को लेकर दोनों देशों के रुख अलग-अलग थे. इस्लामाबाद ने अमेरिका की भूमिका की सराहना की, वहीं नई दिल्ली ने अमेरिकी हस्तक्षेप को कमतर बताते हुए कहा कि यह "सीधा आपसी समन्वय" था.
बॉर्डर के दोनों ओर रहने वाले लोग इस लड़ाई से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. बुधवार से जारी संघर्ष ने हजारों लोगों को अपने घर छोड़ने को मजबूर कर दिया. अमृतसर में रविवार सुबह सायरन बजने के बाद लोग सड़कों पर लौट आए. दुकानदार सतवीर सिंह अलहूवालिया (48) ने कहा- "पहलगाम में हमले के बाद से हम जल्दी दुकानें बंद कर रहे थे. अब जब संघर्षविराम हुआ है, तो कम से कम दोनों ओर खून नहीं बहेगा यह राहत की बात है."
हालांकि, बारामूला और अन्य सीमाई क्षेत्रों में लोगों को अब भी घर वापस न जाने की सलाह दी गई है, क्योंकि वहां अप्रत्याशित विस्फोटकों का खतरा बना हुआ है. भारतीय कश्मीर के उरी में स्थित एक हाइड्रो पावर प्लांट पर पाकिस्तानी ड्रोन हमले से नुकसान पहुंचा है. NHPC के एक अधिकारी ने कहा- "परियोजना को मामूली नुकसान पहुंचा है… उत्पादन बंद कर दिया गया है, क्योंकि ट्रांसमिशन लाइन क्षतिग्रस्त हुई है."
संघर्षविराम के बावजूद भारतीय वायुसेना ने दोपहर में ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' जारी है, जिसका मतलब है कि निगरानी, आकलन और तैयारियों की स्थिति बनी हुई है. इस ऑपरेशन को भारत ने 8 मई को कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हमले के जवाब में शुरू किया था.
फ्रेंच मीडिया हाउस 'ले मोंद' की रिपोर्ट के अनुसार, यह सैन्य कार्रवाई भारत की ताकत का प्रदर्शन करने के इरादे से की गई थी, लेकिन कई रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह अभियान अपेक्षित सफलता हासिल नहीं कर सका. भले ही भारत ने पाकिस्तान के लगभग एक दर्जन ठिकानों पर बमबारी की हो और भारी नुकसान हुआ हो, लेकिन भारतीय वायुसेना को कम से कम तीन लड़ाकू विमानों के नुकसान को स्वीकार करना पड़ा है.
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ सहित कई पाकिस्तानी सैन्य सूत्रों ने दावा किया कि पाकिस्तान ने चीन में बने चेंगदू J-10 जेट विमानों की मदद से भारत के पाँच विमानों को मार गिराया, जिनमें तीन राफेल, एक मिग-29 और एक सुखोई SU-30 शामिल थे. भारतीय पक्ष ने केवल एक अज्ञात सुरक्षा सूत्र के हवाले से समाचार एजेंसी एएफ़पी को सैन्य नुकसान स्वीकार किया, लेकिन कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया.
‘द गार्डियन’ के अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा संवाददाता जेसन बर्क ने लिखा है कि अगर संघर्षविराम कायम रहता है, तो भारत और पाकिस्तान के बीच अगले कुछ हफ्तों में गोलियों से नहीं, बल्कि बयानबाज़ी और नैरेटिव की लड़ाई छिड़ेगी. हालांकि दोनों देश युद्ध के कगार से पीछे हट गए हैं, कश्मीर को लेकर वर्षों से चले आ रहे विवाद और गहरे जख्म आज भी वैसे ही कायम हैं.
‘सीएनएन’ के चीफ ग्लोबल अफेयर्स करस्पॉन्डेंट मैथ्यू चांस के अनुसार, अमेरिका द्वारा करवाया गया यह युद्धविराम उस ऐतिहासिक और जटिल कश्मीर विवाद को नहीं सुलझाता, जिसकी जड़ें दशकों पुरानी हैं. कश्मीर, जो मुस्लिम बहुल क्षेत्र है, को भारत और पाकिस्तान दोनों अपना मानते हैं और वहां एक मज़बूत स्वतंत्रता आंदोलन भी मौजूद है. यह हालिया टकराव शायद थम गया हो, लेकिन यह मान लेना कि यह आख़िरी संघर्ष था, एक बड़ी भूल हो सकती है.
‘सभी भारतीय पायलट सुरक्षित वापस’
भारतीय सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर प्रेस ब्रीफिंग की. लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने बताया कि भारतीय सेना ने नौ सशस्त्र समूहों के बुनियादी ढांचे और प्रशिक्षण स्थलों पर हमला किया, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा के ठिकाने भी शामिल हैं. वह संगठन जिसे भारत कई बड़े आतंकी हमलों के लिए ज़िम्मेदार मानता है. घई ने दावा किया, "हमने पूरी तरह से चौंका देने वाला हमला किया," और कहा कि पाकिस्तान की प्रतिक्रिया "असंगत और घबराई हुई" थी. भारत के सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) ने यह भी दावा किया कि इन हमलों में 100 से अधिक लड़ाके मारे गए, जिनमें कुछ प्रमुख नेता भी शामिल हैं. हालांकि, इन दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो सकी है. जब एक पत्रकार ने पूछा कि क्या भारतीय वायुसेना (IAF) को कोई नुकसान हुआ है, तो वायुसेना की ओर से कहा गया, ‘नुकसान युद्ध का हिस्सा हैं’, लेकिन उन्होंने किसी प्रकार का विवरण नहीं दिया. वायुसेना ने यह जरूर जोड़ा कि उसके सभी पायलट सुरक्षित वापस लौट आए हैं. वहीं, पाकिस्तान की सेना ने दावा किया कि उसने भारत के पांच लड़ाकू विमानों को मार गिराया, जिनमें तीन राफेल भी शामिल हैं. ये फ्रांसीसी विमान भारतीय वायुसेना की सबसे उन्नत संपत्तियों में गिने जाते हैं. भारत ने इन नुकसानों की न तो पुष्टि की है, न ही खंडन.
चीनी हथियारों के प्रदर्शन से पश्चिम में खलबली
लंदन के ‘टेलीग्राफ’ में मेम्फिस बार्कर ने भारत पाकिस्तान संघर्ष के दौरान चीनी हथियारों के प्रदर्शन पर एक लंबा डिस्पैच लिखा है. बार्कर के मुताबिक पाकिस्तान ने चीनी J-10C लड़ाकू जेट का उपयोग कर कई भारतीय विमानों को मार गिराया. पाकिस्तान के विदेश मंत्री का दावा था कि उनके जे टेन सी (J-10C) जेट ने तीन भारतीय राफेल गिराए. उन्होंने कहा कि इस सफलता पर चीन के राजदूत ने बहुत खुशी जताई. भारत ने आधिकारिक तौर पर अपनी ओर से हुए नुकसान पर प्रतिक्रिया नहीं दी है. हालांकि चीनी विमानों की कथित संलिप्तता ने रक्षा हलकों में चर्चा तेज कर दी है. यह पहली बार है जब चीनी हथियार पश्चिमी प्रणालियों जैसे राफेल के खिलाफ युद्ध में परीक्षण किए गए हैं. एक अमेरिकी अधिकारी ने पुष्टि की कि जे टेन सी ने हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का उपयोग करके दो भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया. यह की पहली युद्ध सफलता प्रतीत होती है. चीनी राज्य मीडिया के पूर्व संपादक ने दावा किया कि यह लड़ाई दिखाती है कि चीन का सैन्य निर्माण स्तर रूस और फ्रांस से आगे निकल गया है. विश्लेषक अभी भी इस तकनीकी लड़ाई का सावधानी से अध्ययन कर रहे हैं. भारतीय टेलीविजन और सोशल मीडिया पर चीनी निर्मित पी एल 15 मिसाइल के मलबे की तस्वीरें सामने आई हैं. जे टेन सी द्वारा ले जाने वाली इस मिसाइल का इस्तेमाल पहले कभी युद्ध में नहीं हुआ था. इसकी दूर तक मार करने की क्षमता सुबह हुई झड़प के तरीके से मेल खाती है. भारत और पाकिस्तान के विमान सीमा पार नहीं गए बल्कि 100 किमी से अधिक की दूरी पर रहे. पीएल 15 मिसाइल का निर्यात संस्करण 145 किमी तक जा सकता है. विशेषज्ञों ने इसे बहुत सक्षम मिसाइल बताया है. यह घटना चीनी सैन्य एयरोस्पेस प्रौद्योगिकियों की दक्षता का सार्वजनिक प्रदर्शन है. यह बताता है कि संभावित ताइवान संघर्ष में चीनी प्रौद्योगिकी को रूस की तरह विफल नहीं मानना चाहिए. पाकिस्तान 2019 से 2023 के बीच अपने 82 प्रतिशत हथियार चीन से आयात करता है. दूसरी ओर भारत पश्चिमी देशों से खरीद बढ़ा रहा है लेकिन आपूर्ति धीमी है. चीन पाकिस्तान को हथियार जल्दी देता है.
सेना ने कहा, 35-40 पाक सैनिक एलओसी पर मारे : सीज़फायर के एक दिन बाद मीडिया को ब्रीफ करते हुए भारतीय सेना ने बताया कि 7 मई से 10 मई के बीच नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पाकिस्तान सेना के 35-40 जवान मारे गए हैं. सेना ने यह भी कहा कि नौ आतंकी ठिकानों पर की गई स्ट्राइक में 100 आतंकवादी मारे गए, जिनमें पुलवामा हमले के आतंकी और आईसी-814 के अपहरणकर्ता भी शामिल थे. मारे गए हाई-वैल्यू टारगेट्स में यूसुफ अज़हर, अब्दुल मलिक रऊफ और मुदस्सिर अहमद शामिल हैं. एयर मार्शल ए के भारती ने 7 मई को भारत द्वारा नष्ट किए गए आतंकी ठिकानों की स्ट्राइक से पहले और बाद की तस्वीरें दिखाईं. डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने कहा कि भारतीय सेना ने "पूरी तरह से सरप्राइज" हासिल किया.
वहां से गोली चलेगी, तो यहां से गोला चलेगा : मोदी | इस बीच पीटीआई की खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सशस्त्र बलों को निर्देश दिया है कि पाकिस्तान की हर कार्रवाई का जवाब पहले से कहीं अधिक सख्ती से दिया जाए. प्रधानमंत्री मोदी ने सशस्त्र बलों से कहा कि "वहां से गोली चलेगी, तो यहां से गोला चलेगा"- यानी अब गोली का जवाब तोप से दिया जाएगा.
क्या भारत पाकिस्तान से किसी बिचौलिये के जरिये बात करेगा? भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्धविराम समझौते पर कांग्रेस ने कई गंभीर सवाल उठाए हैं. रविवार को कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की. रमेश ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पहलगाम घटना, ऑपरेशन सिंदूर और वाशिंगटन डीसी से पहले और फिर भारत और पाकिस्तान सरकारों द्वारा घोषित युद्धविराम पर विस्तृत चर्चा के लिए विशेष सत्र की मांग दोहराती है." कांग्रेस नेता ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो के भारत-पाकिस्तान संवाद के लिए "तटस्थ स्थल" के उल्लेख पर कई सवाल उठाए. उन्होंने पूछा, "क्या हमने शिमला समझौते को त्याग दिया है? क्या हमने तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के लिए दरवाजे खोल दिए हैं?" उन्होंने यह भी पूछा कि क्या भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक संपर्क फिर से खुल रहे हैं और हमने क्या प्रतिबद्धताएं मांगी और प्राप्त की हैं. सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने शनिवार को स्पष्ट किया कि किसी अन्य स्थान पर किसी अन्य मुद्दे पर वार्ता करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता के पिता का लादेन से संबंध : भारत के साथ सैन्य संघर्ष के दौरान बतौर पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता अपने देश का पक्ष रखने वाले लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित परमाणु वैज्ञानिक के बेटे हैं. उनके पिता, सुल्तान बशीरुद्दीन महमूद पर अल-कायदा से संबंध रखने, उसे महत्वपूर्ण जानकारी और तकनीकी विशेषज्ञता देने का आरोप है. महमूद ने ओसामा बिन लादेन से भी मुलाकात की थी और आतंकवादी संगठन उम्माह तमीर-ए-नौ (यूटीएन) की स्थापना की थी, जिसे बाद में अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था. यह खबर विस्तार से यहां पढ़ी जा सकती है.
आधे तीर्थ यात्रियों ने चारधाम यात्रा रद्द की : भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव का उत्तराखंड में चारधाम यात्रा पर नकारात्मक असर पड़ा है, जिससे पिछले तीन दिनों में आधे तीर्थयात्रियों ने अपनी यात्रा रद्द कर दी है. चारधाम होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश मेहता ने बताया कि यात्रियों के बीच अनिश्चितता का माहौल है. लोग किसी भी तरह की आशंका के साथ यात्रा नहीं करना चाहते. देशभर में कई उड़ानें रद्द की गई हैं, जिसका सीधा असर चारधाम यात्रियों पर पड़ा है. जिनकी उड़ानें प्रभावित नहीं भी हुईं, उन्होंने भी अपनी होटल बुकिंग रद्द कर दी हैं. चारधाम यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं भी स्थगित कर दी गई हैं, जिससे तीर्थयात्रियों की संख्या में भारी गिरावट आई है. 14 मई से 8 जून के बीच की 50 प्रतिशत से अधिक बुकिंग रद्द हो चुकी हैं. मसूरी होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने बताया कि ऐसे तीर्थयात्री, जो यात्रा के दौरान घूमने-फिरने के लिए कुछ अतिरिक्त दिन रखते थे, उन्होंने अपनी सभी होटल बुकिंग्स रद्द कर दी हैं. राज्य सरकार के अनुमान के अनुसार, 2024 के यात्रा सीजन में 42 लाख से अधिक तीर्थयात्री उत्तराखंड आए थे.
विश्लेषण
आकार पटेल | क्या डोभाल के रक्षा सिद्धांत का वीडियो ही भारत की सामरिक रणनीति है?
भारत की रक्षा योजना समिति की स्थापना 19 अप्रैल 2018 को की गई थी. इसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल करते थे और इसमें विदेश सचिव, रक्षा सचिव, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, तीनों सेवाओं के प्रमुख और वित्त मंत्रालय के सचिव शामिल थे. इसने 'राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा प्राथमिकताओं, विदेश नीति के अनिवार्य तत्वों, परिचालन निर्देशों और संबंधित आवश्यकताओं, प्रासंगिक रणनीतिक और सुरक्षा-संबंधित सिद्धांतों, रक्षा अधिग्रहण और बुनियादी ढांचे की विकास योजनाओं, राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति, रणनीतिक रक्षा समीक्षा और सिद्धांतों, अंतरराष्ट्रीय रक्षा जुड़ाव रणनीति' आदि जैसे विशाल कार्यों की दशा दिशा तय करने का जिम्मा ले रखा था. यह समिति 3 मई 2018 को एक बार मिली, और उसके बाद कहीं कोई अगर बैठक हुई तो उसके प्रमाण नहीं हैं.
राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत क्योंकि नहीं है, इसलिए भारत ने शायद उस पर भरोसा किया है जिसे अनौपचारिक रूप से डोभाल सिद्धांत कहा जाता है. यह सिद्धांत अभी तक किसी लिखित रूप में नहीं हो सकता है लेकिन यह वीडियो पर उपलब्ध है. फरवरी 2014 में, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त होने से कुछ हफ्ते पहले, डोभाल ने तंजावुर के शास्त्र विश्वविद्यालय में भाषण दिया.
अपने भाषण के दौरान, उन्होंने निम्नलिखित बिंदु रखे:
आतंकवाद भारत के लिए एक रणनीतिक खतरा था क्योंकि यह एक अंतरराष्ट्रीय घटना थी, क्योंकि पाकिस्तान इसे खिलाता और बढ़ावा देता था; और क्योंकि भारत में एक बड़ी मुस्लिम आबादी है.
हालांकि, आतंकवाद से लड़ा नहीं जा सकता था क्योंकि यह एक विचार था, एक शब्द. लड़ा केवल आतंकवादियों से जा सकता था (या क्षमता में 'गिरावट' की जा सकती थी), क्योंकि केवल एक मूर्त दुश्मन को हराया जा सकता था, न कि एक शब्द को.
इसके लिए भारत को इस ख़तरे को एक नाम देना था. इस मामले में, पाकिस्तान. दुश्मन की पहचान करने के बाद, डोभाल ने सवाल पूछा, 'आप पाकिस्तान से कैसे निपटते हैं?' और फिर समझाना शुरू किया.
भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की समस्या पाकिस्तान की उप-पारंपरिक युद्ध (सीमा पार आतंकवाद और उग्रवाद) की क्षमता और परमाणु खतरे के कारण भारत की सैन्य रूप से बढ़ने की अक्षमता थी.
डोभाल ने कहा: 'मैंने उनके परमाणु सीमा, रणनीतिक हथियार प्रणालियों, मिसाइलों, चीन के साथ रणनीतिक साझेदारी के बारे में बात की. हम इससे कैसे निपटें?'
यह सरल था. उन्होंने कहा: 'आप जानते हैं कि हम दुश्मन के साथ तीन तरीकों से उलझते (एंगेज होते) हैं. एक रक्षात्मक रवैया है. यानी की चौकीदार और चपरासी की भूमिका. कि अगर कोई यहां आता है तो हम उसे (भीतर करने से) रोक देंगे.
एक है आक्रामक रक्षात्मकता. अपनी रक्षा के लिए हम आक्रमण के स्रोत पर जाएंगे. तीसरा है आक्रामक दांव जहां आप सीधे दुश्मन पर वार करते हैं. इस आक्रामक मोड में एक कठिनाई है परमाणु ताकत होना, लेकिन आक्रामक रक्षात्मकता वाले रास्ते में यह चुनौती नहीं है.'
डोभाल ने कहा, इस समय मतलब मनमोहन सिंह की सरकार के तहत, 'हम केवल रक्षात्मक मोड में काम करते हैं'.
डोभाल जो सुझाव दे रहे थे वह था कि भारत पारंपरिक युद्ध के स्तर से नीचे रहते हुए विभिन्न तरीकों से पाकिस्तान पर हमला करे. उनके शब्दों में: '... पाकिस्तान की कमजोरियों का इस्तेमाल करना. यह अर्थव्यवस्था हो सकती है, आंतरिक सुरक्षा हो सकती है, यह राजनीतिक हो सकता है. अंतरराष्ट्रीय अलगाव. मैं विवरण में नहीं जा रहा हूं. लेकिन ... आप एंगेजमेंट को रक्षात्मक मोड से बदल देते हैं.' उन्होंने संकेत दिया कि ऐसा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था क्योंकि आक्रामक मोड का इस्तेमाल नहीं किया जा जा सकता था. अगर आक्रामक मोड एटमी हथियारों के इस्तेमाल तक पंहुचा तो फिर किसी का काबू नहीं रहता. इसी तरह, उनके लिए, रक्षात्मक मोड बेकार था.'आप मुझ पर सौ पत्थर फेंकते हैं, मैं नब्बे रोकता हूं लेकिन दस अभी भी मुझे चोट पहुंचाते हैं. मैं कभी जीत नहीं सकता. या तो मैं हारता हूं या गतिरोध होता है. आप अपने समय पर युद्ध शुरू करते हैं, पत्थर को जैसे आप चाहते हैं वैसे फेंकते हैं. आप जब चाहते हैं तब बात करते हैं. आप जब चाहते हैं तब शांति रखते हैं.
'अगर आपके पास रक्षात्मक-आक्रमण है तो हम देखेंगे कि इस तराजू का संतुलन कहां है. पाकिस्तान की कमजोरी भारत की तुलना में कई गुना अधिक है. एक बार जब वे जान जाते हैं कि भारत ने अपने गियर बदलकर रक्षात्मक से आक्रामक रक्षात्मकता कर दिया है, तो वे पाएंगे कि यह उनके लिए बहुत महंगा है. आप एक मुंबई कर सकते हैं, आप बलूचिस्तान खो सकते हैं. इसमें कोई परमाणु युद्ध शामिल नहीं है. इसमें सैनिकों का कोई जुड़ाव नहीं है. अगर आप चालें जानते हैं तो हम आपसे बेहतर चालें जानते हैं.'
उन्होंने जारी रखा: 'हमारी एकमात्र कठिनाई यह रही है कि हम रक्षात्मक मोड में रहे हैं. अगर हम आक्रामक रक्षात्मकता के मोड में होते तो हम जो हताहत हुए हैं उन्हें कम कर सकते थे.'
डोभाल सिद्धांत यह था. इसने भारत के रणनीतिक खतरे को पाकिस्तान से आतंकवाद के रूप में प्रस्तुत किया, और इसकी प्रतिक्रिया दुश्मन के साथ वही करना था जो आपके साथ किया जा रहा था.
यह स्पष्ट नहीं है कि क्या सरकार ने इस अलिखित सिद्धांत को अपनाया या नहीं, लेकिन एनएसए के रूप में डोभाल के एक दशक का मतलब है कि इसका प्रभाव मजबूत रहा होगा.
2020 में, भारत को दूसरे मोर्चे पर चुनौती का सामना करना पड़ा. इस स्थिति का आकलन करते हुए, पूर्व जनरल प्रकाश मेनन ने ध्यान दिया कि, कई दशकों से, सेना को भारत का राजनीतिक मार्गदर्शन पाकिस्तान को तात्कालिक ख़तरे के रूप में देख रहा था. लेकिन अब जब चीनी ख़तरा दरवाजे पर था, तो इसे बदलना होगा. सैन्य तरीकों द्वारा हासिल किए जाने वाले अपेक्षित राजनीतिक उद्देश्य 'रक्षा मंत्री के निर्देश' नामक दस्तावेज़ में थे. यह बताता था कि संघर्ष की प्रत्याशा में सशस्त्र बलों को कितना गोला-बारूद और अतिरिक्त पुर्जे रखना चाहिए. यह यूपीए के तहत तैयार किया गया था. उस निर्देश के बारे में, जनरल मेनन ने कहा, 'एक सुसंगत राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के अभाव में उसमें सरंक्षण की कमी जारी है. एनएसए की अध्यक्षता वाली रक्षा योजना समिति को दो साल पहले यह काम सौंपा गया था. अब तक कुछ भी सामने नहीं आया है.' यह 2020 में था.
पहलगाम के बाद स्थिति फिर से पश्चिमी मोर्चे पर स्थानांतरित हो गई है. अब चीन के साथ संघर्ष के बाद पांच साल और रक्षा योजना समिति के गठन के बाद सात साल हो गए हैं. शायद हाल की घटनाओं के बाद सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत स्थापित करने के लिए थोड़ा उत्साह दिखाए, ताकि हमले की स्थिति में हम किस तरह से प्रतिक्रिया देंगे, इसका नक्शा बन सके. चाहे वह पारंपरिक युद्ध की शक्ल में हो या फिर या आतंकवादी गतिविधियों के माध्यम से.
रुस यूक्रेन जंग
3 साल बाद पुतिन ने की शांति की पेशकश
‘रॉयटर्स’ की रिपोर्ट है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रविवार को यूक्रेन के साथ सीधे वार्ता का प्रस्ताव दिया है ताकि लंबे समय से चले आ रहे युद्ध को समाप्त किया जा सके. यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने इस पहल का स्वागत किया, लेकिन शर्त रखी कि मास्को को पहले संघर्ष विराम के लिए सहमत होना होगा. फरवरी 2022 में पुतिन ने यूक्रेन में हजारों सैनिक भेजकर युद्ध की शुरुआत की थी, जिससे सैकड़ों हजारों सैनिकों की जान गई और यह रूस तथा पश्चिमी देशों के बीच 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट के बाद की सबसे गंभीर टकराव बन गई. रूसी सेना के लगातार बढ़ते दबदबे के बीच, क्रेमलिन प्रमुख ने अब तक शायद ही कोई रियायत दी हो, लेकिन उन्होंने तुर्की के शहर इस्तांबुल में बिना किसी पूर्व शर्त के वार्ता का प्रस्ताव रखा है. उन्होंने कहा कि वार्ता का उद्देश्य एक स्थायी शांति स्थापित करना होगा. “हम प्रस्ताव करते हैं कि कीव की सरकार बिना किसी पूर्व शर्त के प्रत्यक्ष वार्ता फिर से शुरू करे,” पुतिन ने क्रेमलिन से एक टेलीविज़न बयान में कहा. “हम उन्हें गुरुवार (15 मई) को इस्तांबुल में वार्ता के लिए आमंत्रित करते हैं.” बता दें कि हाल ही में यूरोप के नेताओ ने पुतिन पर दबाव बढ़ाने के लिए यूक्रेन को और अधिक हथियार देने के साथ ही रूस पर अधिक प्रतिबंध लगाने की बात कही थी.
यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा, "यह सकारात्मक संकेत है कि रूसियों ने अंततः युद्ध को समाप्त करने पर विचार करना शुरू किया है," लेकिन उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि "किसी भी युद्ध को वास्तव में समाप्त करने का पहला कदम युद्धविराम होता है." “हम अपेक्षा करते हैं कि रूस कल, 12 मई से पूर्ण, स्थायी और विश्वसनीय युद्धविराम की पुष्टि करे और यूक्रेन इसके लिए तैयार है.”
इस सत्र से स्कूली छात्रों के लिए व्यापक पाठ्यक्रम
“द टेलीग्राफ” के अनुसार इस शैक्षणिक सत्र से देश भर के स्कूली छात्रों को एक व्यापक पाठ्यक्रम का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि एनसीईआरटी और सीबीएसई कला, शारीरिक शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा में औपचारिक शिक्षण शुरू करने जा रहे हैं.
इन विषयों को पहले अनौपचारिक अभ्यास और गतिविधियों के माध्यम से पढ़ाया जाता था, लेकिन अब समर्पित पाठ्यपुस्तकों और संरचित शिक्षण मॉड्यूल द्वारा पढ़ाया जाएगा. पहली बार एनसीईआरटी ने इन तीन विषयों में पाठ्यपुस्तकें प्रकाशित की हैं. अब तक, छात्र कला, शिल्प और शारीरिक गतिविधियों में बिना किसी अध्ययन सामग्री के भाग लेते थे. व्यावसायिक शिक्षा को कक्षा 6 से एक नए घटक के रूप में जोड़ा गया है. लेकिन इन पुस्तकों को परीक्षा के लिए पढ़ाए जाने वाले विषय की तरह नहीं पढ़ाया जाएगा, बल्कि शिक्षक इनका उपयोग छात्रों को इन क्षेत्रों में मार्गदर्शन देने के लिए करेंगे.
ऑपरेशन सिंदूर : मुंबई में एफआईआर, तमिलनाडु में निलंबन
'टाइम्स ऑफ इंडिया' की खबर है कि मालवणी पुलिस ने ऑपरेशन सिंदूर की आलोचना करते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाली 40 वर्षीय महिला के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. पुलिस के अनुसार, यह पोस्ट दो दिन पहले सामने आई थी. शनिवार को बजरंग दल के एक सदस्य ने इस पोस्ट को देखा और मालवणी पुलिस को इसकी जानकारी दी, जिसके बाद शिकायत दर्ज कराई गई. इसके बाद महिला के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. पुलिस ने बताया कि महिला एक ब्यूटी पार्लर की मालिक है. उसे एक नोटिस दिया गया है और चेतावनी भी जारी की गई है. उधर, मकतूब मीडिया की रिपोर्ट है कि तमिलनाडु के चेन्नई स्थित एक निजी विश्वविद्यालय ने गुरुवार को एक सहायक प्रोफेसर को ऑपरेशन सिंदूर की आलोचना करने के कारण निलंबित कर दिया. विश्वविद्यालय ने कहा कि वह "अनैतिक गतिविधियों" में शामिल थीं. एस. लोरा, जो SRM इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के करियर सेंटर निदेशालय से जुड़ी थीं, उन्होंने व्हाट्सएप स्टेटस पर नागरिक हताहतों को लेकर पोस्ट की थी.
चलते-चलते
फैशन विज्ञापन में एआई मॉडलों का नया युग
‘द कन्वरसेशन’ के मुताबिक आज एआई और मेटावर्स तकनीकों की तरक्की के साथ, डिजिटल क्लोन फैशन विज्ञापन को पूरी तरह से बदल रहे हैं. ये आभासी मॉडल हमेशा उपलब्ध, अजर-अमर और किसी भी परिस्थिति में अनुकूलन योग्य होते हैं, जिससे ब्रांड्स अपने डिजिटल ग्राहकों के लिए प्रभावी अभियान बना सकते हैं. आभासी इन्फ्लुएंसर्स जैसे लिल मिकेला और शुदु जैसे पूरी तरह से कंप्यूटर निर्मित व्यक्तित्व विशेष रूप से जेन जेड और डिजिटल-फर्स्ट दर्शकों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं. 2025 में वैश्विक इन्फ्लुएंसर बाज़ार का अनुमान 273321 करोड़ रुपयों से अधिक है. हाल ही में एचएंडएम ने वास्तविक मॉडलों के एआई जनरेटेड डिजिटल ट्विन्स को अपने विज्ञापन में प्रस्तुत किया है. इससे उत्पादन लागत कम होती है और कैटलॉग विकास तेज़ी से होता है. हालांकि, इस प्रवृत्ति ने मानव प्रतिभा के विस्थापन और छवि अधिकारों के बारे में चिंताएं भी उठाई हैं. ब्रांड्स को पारदर्शिता बनाए रखना चाहिए और स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि कब डिजिटल मॉडल अभियानों में दिखाई देते हैं. इन डिजिटल प्रतिनिधित्वों को विविध जनसांख्यिकी को शामिल करना चाहिए ताकि वास्तविक समावेशिता को बढ़ावा मिले और व्यापक दर्शकों के साथ जुड़ाव हो सके.
पाठकों से अपील-
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, फेसबुक पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.