13 दिसंबर 2014: अंबानी बड़ा पर अडानी तेज़, मुनाफे बढ़े, तनख्ववाहें वहीं, धनखड़ पर विपक्ष का निशाना, शतरंज का नया विश्व चैंपियन, धर्म स्थल कानून पर रायता संभालने की कोशिश, मजहब इस्लाम और जात ब्राह्मण
हिंदी भाषियों का क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज्यादा
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां: गोकेश दोम्माराजू 18 साल की उम्र में अब तक का सबसे युवा विश्व शतरंज चैम्पियन बन गया है. गोकेश ने सिंगापुर में आयोजित मुकाबले में चौदहवें गेम में चीन के डिंग लिरेन को हराया (इस पर विस्तार से नीचे).
जब तक सुप्रीम कोर्ट 1991 के धर्म स्थल कानून को चुनौती देने वाले मामलों की सुनवाई नहीं कर लेता, तब तक धर्मस्थलों के स्वामित्व को लेकर कोई नये सिविल मामले दर्ज नहीं किए जाएंगे. बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट ने सारी सिविल अदालतों को पहले से चल रहे मामलों पर अंतरिम या अंतिम आदेश देने, सर्वे करवाने से रोक दिया है. ‘द हिंदू’ के मुताबिक कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले पर जवाबी हलफनामा चार हफ्ते के भीतर देने को कहा है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को ‘एक देश एक चुनाव’ से संबंधित दो विधेयकों को मंजूरी दे दी. एक संविधान संशोधन विधेयक, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए है और दूसरा साधारण विधेयक जो केंद्र शासित दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर में विधानसभाओं के चुनावों को कतारबद्ध करने के लिए है. ये दोनों विधेयक संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की संभावना है, लेकिन संसद में पेश करने के साथ ही इन्हें जेपीसी के पास भेज दिया जाएगा. यद्यपि केंद्र सरकार ने अभी इस बात की पुष्टि नहीं की है कि एक साथ चुनाव 2029 से होंगे या 2034 से? बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति ने तीन माह पहले ‘एक देश एक चुनाव’ पर अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी थी. समिति की सिफारिशों के आधार पर विधेयकों को तैयार किया गया है.
धनखड़ ने खिलाफ विपक्ष के तीखे होते तेवर : संसद में वृहस्पतिवार को भी सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष के सांसदों के बीच टकराव हुआ. राज्यसभा की कार्यवाही तो जॉर्ज सोरोस और सोनिया गांधी के कथित रिश्ते और अडानी सहित अन्य मुद्दों पर हंगामा होने के कारण दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई, लेकिन लोकसभा में जरूर आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक पर बहस हुई. राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश शेखर यादव की कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों पर सदन में चर्चा की मांग वाला नोटिस भी अस्वीकार कर दिया है. विपक्ष की सांसद रेणुका चौधरी ने यह नोटिस दिया था, लेकिन धनखड़ ने इसे नियमों का अतिक्रमण बताकर खारिज कर दिया. न्यायाधीश यादव ने 8 दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में चरमपंथी हिंदुत्व विचारों का समर्थन करते हुए एक साम्प्रदायिक भाषण दिया था. ‘द वायर’ में श्रावस्ती दासगुप्ता की रिपोर्ट के अनुसार इंडिया ब्लॉक के सदस्यों ने यादव के खिलाफ महाभियोग प्रक्रिया शुरू करने के लिए दोनों सदनों में नोटिस देने की तैयारी की है. राज्यसभा में निर्दलीय कपिल सिब्बल और लोकसभा में नेशनल कांफ्रेंस के रूहुउल्ला हस्ताक्षर कराने की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
लोकसभा में 50 से अधिक सदस्यों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं और कांग्रेस, सपा, तृणमूल कांग्रेस और डीएमके सहित सभी विपक्षी दलों ने समर्थन का भरोसा दिलाया है. राज्यसभा में 50 सदस्यों के हस्ताक्षरों की आवश्यकता है और 40 ने नोटिस पर दस्तखत कर दिए हैं. इस बीच राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बृहस्पतिवार को भी धनखड़ पर कई गंभीर आरोप लगाए. कहा कि विपक्ष के बोलने और विचार व्यक्त करने के अधिकार का दमन चिंताजनक है. सदन में अब यह एक सामान्य बात बन गई है. धनखड़ पर विपक्ष के सदस्यों द्वारा दिए गए भाषणों के महत्वपूर्ण हिस्सों को मनमाने ढंग से हटाने का आरोप भी लगाया. खड़गे ने कहा कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर सभापति एकतरफा निर्णय लेते हैं. जैसे कि मूर्तियों के स्थान और सुरक्षा उपायों में बदलाव. कुलमिलाकर, राज्यसभा में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के नष्ट होने की चिंता बढ़ी है. विपक्षी सांसदों ने अडानी विवाद, किसानों की परेशानियों और दिल्ली में बढ़ते क्राइम रेट जैसे विभिन्न मुद्दों को लेकर हंगामा किया. उधर कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक के अन्य सदस्यों ने अडानी मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन की शृंखला में बृहस्पतिवार को अलग-अलग शब्दों की तख्तियां लेकर कहा, “देश बिकने नहीं देंगे.” सांसदों ने मोदी-अडानी की कथित मिलीभगत के नारे लगाए और जेपीसी जांच की मांग की.
महाराष्ट्र में महायुति के भीतर विभागों को लेकर घमासान छिड़ा हुआ है. जहाँ एकनाथ शिंदे को गृह मंत्रालय की चाह है, वहीं अजीत पवार वित्त मंत्रालय का अरमान लिये हुए है. न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक भाजपा महत्वपूर्ण मंत्रालय अपने सहयोगी दलों को देने की इच्छुक नहीं है. लिहाजा मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस मंत्रिमंडल विस्तार और विभागों के बारे में पार्टी आलाकमान से बात करने के लिए दिल्ली में सक्रिय रहे. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के अलावा जेपी नड्डा से भी मुलाकात की. अजित पवार भी दिल्ली पहुंचे, लेकिन शिंदे नहीं.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में ईवीएम में कथित हेराफेरी का मामला इंडिया ब्लॉक सुप्रीम कोर्ट लेकर जाएगा. एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार की आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से मुलाकात के बाद यह घोषणा की गई.
ढाका से दिल्ली लौटने के बाद विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने संसदीय समिति के सामने कहा कि भारत बांग्लादेश सरकार के खिलाफ जारी शेख हसीना के बयानों का समर्थन नहीं करता, भले ही वे इन दिनों भारत में निर्वासित हैं. मिस्री ने कहा कि उनके ढाका दौरे से दोनों देशों के रिश्ते पहले से बेहतर हुए है.
संख्यात्मक : सरकार ने माना है कि प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने 1919 से जितने पीएमएलए मामले दायर किये हैं, उनमें से सिर्फ 5% मामलों में ही जुर्म साबित हो पाया है. 991 मामले दायर हुए और सिर्फ 42 पर दोषी साबित हुए जो कि 4.6 फीसदी है.
हाथरस पीड़िता के परिवार को राहुल की हमदर्दी: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि हाथरस की दलित लड़की के परिवार के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार हो रहा है. राहुल बृहस्पतिवार को 19 वर्षीय गैंग रैप पीडिता के गांव पहुंचे थे. सितंबर 2020 में दिल्ली में इलाज के दौरान उसका निधन हो गया था. उन्होंने लड़की के परिवार के साथ 35 मिनट बिताए. बाद में "X" पर लिखा कि हाथरस जाकर 4 साल पहले हुई शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण घटना के पीड़ित परिवार से मिला. पूरा परिवार आज भी डर के साए में जी रहा है. उनके साथ क्रिमिनल्स के जैसा व्यवहार किया जा रहा है. वे स्वतंत्र रूप से कहीं आ जा नहीं सकते हैं. उन्हें हर समय बंदूक और कैमरों की निगरानी में रखा जाता है. भाजपा सरकार ने उनसे जो वादे किए थे, वे आज तक पूरे नहीं हुए हैं. न तो सरकारी नौकरी दी गई है और न ही उन्हें किसी दूसरी जगह घर देकर शिफ्ट करने का वादा पूरा किया गया है. आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं. लेकिन हम इस परिवार को यूं ही इनके हाल पर रहने को मजबूर नहीं होने देंगे. इन्हें न्याय दिलाने के लिए हम पूरी ताक़त के साथ लड़ेंगे. बताते हैं कि पी़ड़िता के परिवार ने राहुल गांधी को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें यूपी सरकार की वादा खिलाफी का जिक्र किया गया था.
मानवाधिकार कार्यकर्ता नदीम खान को दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को गिरफ्तारी से सरंक्षण दिया. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा कि अगर नदीम को हिरासत में लेना है, तो एक हफ्ते पहले लिखित मे नोटिस देना पड़ेगा. नदीम खान पर वैमनस्यता बढ़ाने और आपराधिक साजिश करने का मामला दिल्ली पुलिस ने दायर किया था और बिना कानूनी प्रक्रिया अपनाए उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश की थी.
अपने राष्ट्रपति पद ग्रहण समारोह के लिए डोनल्ड ट्रम्प ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को न्यौता भेजा है. एक तरफ चीन पर टैरिफ बढ़ाने की घुड़की और दूसरी तरफ नेह निमंत्रण देने के ट्रम्प के बर्ताव को लेकर कई तरह की बातें चल रही हैं.
मुनाफे आसमान फाड़, तनख्वाहें वहीं की वहीं अंबानी बड़ा, पर अडानी तेज़
'इंडियन एक्सप्रेस' की खबर के मुताबिक निजी क्षेत्र का मुनाफा 15 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचा है, लेकिन वेतन स्थिर बना हुआ है. एफआईसीसीआई और क्वेस कॉर्प लिमिटेड ने एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें बताया है कि 4 सालों में भारतीयों को मिलने वाले वेतन में केवल 0.8 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि इसी अवधि में कंपनियों के मुनाफे में 300 फीसदी की उछाल देखी गई. इसे ऐसे समझिए कि अगर कोई भारतीय 4 साल पहले 8000 रुपए पा रहा था तो आज वो केवल ₹8,257.60 पा रहा है. यानी केवल ₹257.60 की वृद्धि.
2019 से 2023 के दौरान छह प्रमुख क्षेत्रों में वेतन वृद्धि की वार्षिक दर बहुत कम रही है. इनमें इंजीनियरिंग, मैन्युफैक्चरिंग, प्रोसेस और इंफ्रास्ट्रक्चर (EMPI) में कुल 0.8% तो तेजी से उपभोग होने वाले उत्पाद (FMCG) 5.4% की मामूली बढोतरी हुई है.औपचारिक क्षेत्रों में भी वास्तविक आय (महंगाई के हिसाब से समायोजित वेतन वृद्धि) में मामूली या नकारात्मक वृद्धि देखी गई. 2019-2024 के बीच खुदरा महंगाई दर क्रमशः 4.8%, 6.2%, 5.5%, 6.7% और 5.4% रही, जिससे मजदूरों की क्रय शक्ति प्रभावित हुई. वेतन वृद्धि की धीमी गति से उपभोक्ता मांग पर असर पड़ा है, जो अर्थव्यवस्था की गति को धीमा कर रहा है. महंगाई के मुकाबले कमजोर आय वृद्धि ने कर्मचारियों की वित्तीय स्थिति को और जटिल बना दिया है. सरकार और कॉर्पोरेट दोनों के लिए यह स्थिति खतरनाक है. मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंथा नागेश्वरन ने भी अपने कई संबोधनों में एफआईसीसीआई-क्वेस रिपोर्ट का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि भारत का कॉर्पोरेट सेक्टर आत्मनिरीक्षण करे और इस स्थिति को सुधारने के उपाय तलाशे.
‘द हिंदू बिजनेस लाइन’ की एक रिपार्ट के मुताबिक भले ही आम भारतीय की कमाई में कोई खास इजाफा नहीं हो पा रहा हो, लेकिन पिछले पांच साल में अडानी और अंबानी परिवार ने मोदी सरकार में छप्परफाड़ कमाई की है. मोतीलाल ओसवाल की 'एनुअल वेल्थ क्रिएशन स्टडी 2024' बताती है कि भारत के शीर्ष 100 वेल्थ क्रिएटर्स ने 2019 से 2024 के बीच ₹138 लाख करोड़ की संपत्ति बनाई. इस दौरान वेल्थ क्रिएशन की दर 26% CAGR (कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट) रही, जो BSE सेंसेक्स की 14% रिटर्न से काफी अधिक है. ‘बिगेस्ट’, ‘फास्टेस्ट’ और ‘कंसिस्टेंट’ कैटेगरी के आधार पर अडानी एंटरप्राइजेज को सर्वश्रेष्ठ ऑल-राउंड वेल्थ क्रिएटर का दर्जा मिला.
रिलायंस इंडस्ट्रीज सबसे बड़ा वेल्थ क्रिएटर: ₹11,17,800 करोड़ की संपत्ति के साथ रिलायंस लगातार छठी बार शीर्ष पर है. पिछले 17 पांच-वर्षीय अध्ययन में से 11 बार रिलायंस ने नंबर 1 स्थान प्राप्त किया.
अडानी ग्रीन सबसे तेज वेल्थ क्रिएटर: 118% के CAGR के साथ अडानी ग्रीन 2019-24 की अवधि में सबसे तेज़ वेल्थ क्रिएटर के रूप में उभरा.
वित्तीय क्षेत्र ने प्रौद्योगिकी और यूटिलिटी सेक्टर को पीछे छोड़ते हुए शीर्ष स्थान प्राप्त किया.
20 सार्वजनिक उपक्रम (PSUs) ने 2019-24 में 17% वेल्थ क्रिएशन में योगदान दिया.
2019-24 में ₹4.3 लाख करोड़ की संपत्ति नष्ट हुई, जो कुल वेल्थ क्रिएशन का केवल 3% है.
अडानी अलर्ट : 'गांव वालों को खदेड़ने' वाले प्रोजेक्ट में भी अडानी शामिल
बुकु मार्डी मिकिर बमुनी के 57 साल के किसान हैं. उनके लिए यह जमीन सिर्फ आय का साधन नहीं थी, बल्कि उनके परिवार की जीवनरेखा थी. बुकु ने 'फ्रंटलाइन' को बताया- 'मेरा भोराल (भंडार) चावल से भरा रहता था, जो पूरे साल तक चलता था. अब, मैं एक किलो चावल भी नहीं जुटा पाता.' दिसंबर 2020 में पुलिस ने उन्हें उनकी जमीन से खदेड़ दिया और ये सब तब हुआ,, जब वह आखिरी बार अपनी जमीन पर काम कर रहे थे. बुकू जैसी ही कई किसानों की कहानी है, जो अब भूमिहीन हैं. 2019 में, असम के नागांव जिले के मिकिर बमुनी ग्रांट गांव में 91 एकड़ जमीन पर सोलर पावर प्लांट बनाने के लिए "अग्रिम बिक्री समझौता" हुआ. यह समझौता एक पूर्व ज़मींदार परिवार के वंशजों और एज़्योर पावर फोर्टी प्राइवेट लिमिटेड के बीच हुआ.
इस जमीन सौदे का सीधा असर उस इलाके के कम से कम 60 परिवारों की आजीविका पर पड़ा, जो कृषि पर निर्भर थे. तब से किसान, कार्यकर्ता, राजनेता और वकील इस जमीन के हस्तांतरण की वैधता और आदिवासी तथा जनजातीय समुदायों के भूमि अधिकारों पर इसके प्रभाव को लेकर गंभीर सवाल उठा रहे हैं.
गांववालों ने एज़्योर पावर पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनमें संदिग्ध आधिकारिक अधिसूचनाएं और आदेश, पुलिस के डराने-धमकाने के प्रयास, और एज़्योर पावर तथा असम सरकार द्वारा जबरन कार्रवाई शामिल है. 2019 में शुरू हुआ यह संघर्ष अब चर्चा में आ गया है. एज़्योर पावर और अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड दोनों पर अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) द्वारा जांच बैठाई गई है. आरोप है कि इन कंपनियों के अधिकारियों ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को सोलर प्रोजेक्ट के अनुबंध पाने के लिए रिश्वत दी. सिरिल कैबेनस, जो पहले एज़्योर पावर के बोर्ड के सदस्य थे, पर रिश्वत देने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का आरोप है. इन आरोपों के बाद असम में कांग्रेस पार्टी ने 90 मेगावाट के इस सोलर प्रोजेक्ट पर चर्चा की मांग की है. मिकिर बमुनी का प्लांट इसी परियोजना का हिस्सा है. पीढ़ियों से जमीन पर खेती करने वाले किसानों का कहना है कि उचित सहमति या मुआवजे के बिना उन्हें उनकी जमीन से वंचित कर दिया गया.
हीमोफीलिया के इलाज का सफल प्रयोग
भारतीय वैज्ञानिकों ने गंभीर ‘हीमोफीलिया ए’ का इलाज ढूंढ़ लिया है. इस बीमारी में खून का थक्का नहीं बनता इस कारण रक्तस्राव होने पर उसे रोकना मुश्किल हो जाता है. अब विकसित जीन थेरेपी के जरिये इसे रोका जा सकेगा. क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी), वेल्लोर के स्टेम सेल रिसर्च सेंटर (सीएससीआर) टीम ने इसे विकसित किया है.
भारत ने खोजी एंटीबायोटिक्स, बचाएगी ऐसे लाखों लोगों की जान जो अभी लाइलाज हैं
भारत में अक्सर लोग खुद की प्रिस्क्रिप्शन या फिर झोलाछाप डॉक्टर की सलाह पर एंटीबायोटिक्स ले लेते हैं. ऐसी स्थिति में कई बार उन पर एंटीबायोटिक्स का असर होना बंद हो जाता है और लाखों लोगों की जान चली जाती है. इस स्थिति को सुपरबग कहते हैं. लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों ने WCK 5222 समेत कुछ एंटीबायोटिक्स विकसित की हैं, जो ऐसे लाखों मरीजों की जान बचा सकते हैं.
शराब एमपी की, नशा गुजरात में.. सौ से ज्यादा करोड़ का गोरखधंधा
‘रिपोर्ट्स कलेक्टिव’ के लिए काशिफ क़ाकवी की रिपोर्ट है कि मध्य प्रदेश से गुजरात में शराब की तस्करी का नया धंधा जोर पकड़ रहा है. शराब मालिकों के एक संगठन ने सरकार को लिखे पत्र में कहा है कि मालवा जिलों से होने वाली इस तस्करी से सरकारी खजाने को हर साल 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होता है. यह तस्करी खासतौर पर मालवा क्षेत्र से होती है, जहां की डिस्टिलरी अधिक शराब का उत्पादन करती हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य की सीमा पर पुलिस की नाक के नीचे तस्करी आसानी से होती है. इसके अलावा, सरकारी अधिकारियों के बीच कुछ स्थानों पर मिलीभगत भी इस कारोबार को बढ़ा रही है. गुजरात में शराब बैन है, तब ऐसे में मुनाफा भी सामान्य से बढ़ जाता है. अवैध शराब का व्यापार केवल बड़े माफिया नेटवर्क द्वारा नहीं, बल्कि छोटे स्तर पर भी किया जा रहा है. इसमें कम आय वाले और हाशिये पर रहने वाले आदिवासी समुदायों के लोग भी शामिल हैं. इन समस्याओं के बावजूद, शराब की तस्करी रोकने के लिए राज्य और केंद्रीय अधिकारियों के ‘प्रयासों के बावजूद’ यह अवैध व्यापार बढ़ता जा रहा है.
मीना कोटवाल, ‘द मूकनायक’ और ट्रोलर्स
मोटे तौर पर ‘द मूकनायक’ की संस्थापक मीना कोटवाल समानता, उम्मीद और क्रांति की बात करती हैं. अपनी 4 साल की बेटी के लिए एक बेहतर दुनिया छोड़ने की बात करती हैं, जिसके लिए वह लड़ रही हैं. मगर वह अपनी बेटी और अपने मीडिया संस्थान ‘द मूकनायक’ के लिए डरी हुई हैं. इसकी वजह यह है कि करीब तीन साल पहले उन्होंने 20 अज्ञात लोगों के खिलाफ पुलिस में ऑनलाइन धमकी, गाली-गलौज के खिलाफ शिकायत की थी. इनमें जाति और जेंडर आधारित गालियाँ भी शामिल हैं. धमकी देने वाले उनकी बेटी को भी इन सब में घसीटते हैं. मगर पुलिस ने किसी को अब तक गिरफ्तार नहीं किया है. कोटवाल का मानना है कि ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि वह दलित हैं.
कोटवाल के मुताबिक, ऐसा इसलिए है, क्योंकि उन्होंने हाशिए पर पड़े दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यकों के हक की बात करने के लिए एक मीडिया संस्थान खड़ा किया है- ‘द मूकनायक’. इतना ही नहीं, उन्होंने इस संस्थान में सिर्फ दलितों, आदिवासियों और महिलाओं को ही रखा है. पिछले कुछ वर्षों में, ‘द मूकनायक’ को अपनी रिपोर्टिंग के लिए कई भारतीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार मिले हैं. इनमें 2022 में मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता पत्रकारिता पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ मीडिया संगठन का पुरस्कार भी शामिल है.
कोटवाल बताती हैं कि ‘द मूकनायक’ ने दर्जनों ऐसी रिपोर्टिंग की, जिससे मुख्यधारा की मीडिया को भी हाशिये के लोगों की खबरें कवर करनी पड़ी और सामाजिक बदलाव आया.
कुछ अहम रिपोर्ट्स : 2021 में दिल्ली के ओल्ड नांगल गाँव के श्मशान में रहस्यमय परिस्थितियों में 9 वर्षीय दलित भिखारी लड़की की मौत हो गई थी और वहां श्मशान के पुजारी और कुछ अन्य लोग उस लड़की का दाह-संस्कार आनन-फानन में कर रहे थे. मां को शक हुआ तो उसने शोर मचाया. भीड़ और अंतिम संस्कार की चिता पर पानी डाला, लेकिन लड़की के सिर्फ जले पैर ही निकाल पाए. इसकी सबसे पहली रिपोर्टिंग ‘द मूकनायक’ में छपी. हमारे लगातार फॉलोअप्स की वजह से दबाव में अन्य मीडिया संस्थान ने भी जगह दी. मीडिया कवरेज बढ़ा तो तत्कालीन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और विपक्षी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने गांव का दौरा किया. मजबूरन पुलिस ने सामूहिक बलात्कार के आरोप में पुजारी और तीन अन्य को गिरफ्तार कर लिया.
फरवरी 2022 में, उत्तर प्रदेश के एक बड़ी दलित आबादी वाले इलाके में अब बिजली नहीं पहुंची है, पर रिपोर्ट की. इसके बाद संबंधित अधिकारियों ने ‘एक्स’ पर घोषणा की कि इस क्षेत्र में ‘प्राथमिकता’ के आधार पर बिजली पहुँचाई जाएगी.
नवंबर 2022 में, मध्य प्रदेश में सरकार ने दलित युवाओं को व्यवसाय शुरू करने के लिए केंद्र की ओर से एलॉट 4.5 मिलियन डॉलर (38 करोड़ रुपये से ज्यादा) का ऋण वितरित नहीं किया, यह प्रकाशित की. इसके बाद ‘द मूकनायक’ की ओर से दलितों को उनके आर्थिक सशक्तीकरण के लिए बनाए गए सरकारी कार्यक्रमों तक पहुंचने में असमर्थता पर कई रिपोर्ट करने के बाद सरकार ने फंड जारी किया.
मई 2024 में, ‘द मूकनायक’ ने मध्य प्रदेश में हजारों स्वदेशी खदान श्रमिकों की दुर्दशा पर स्टोरी की, जो लंग्स की बीमारी की इलाज का खर्च उठाने में असमर्थ थे. इस तरह कई स्टोरीज हैं, जो पहली बार ‘द मूकनायक’ में छपने के बाद कार्रवाई की गई.
कोटवाल के शब्दों में, उन्होंने ‘द मूकनायक’ की शुरुआत तब की, जब उन्हें जाति आधारित भेदभाव की वजह से बीबीसी हिंदी से निकाल दिया गया (हालांकि बीबीसी इससे इनकार करता है). वह तब बिहार के अपने पैतृक गांव में थीं और प्रेग्नेंट थीं. बिहार में डोम समुदाय के खिलाफ़ जाति-आधारित भेदभाव की कई स्टोरी उन्होंने कवर की. उन्होंने विस्तार से उनके साथ कैसे भेदभाव किया जाता है, बताया. बेटी की जन्म के बाद भी उन्होंने इस तरह की रिपोर्टिंग जारी रखी. इन रिपोर्ट्स को देखकर सोशल मीडिया पर उनके फॉलोअर्स बढ़ते गए. इससे प्रोत्साहित होकर उन्होंने ‘द मूकनायक’ शुरू किया. एक वक्त ऐसा था कि उन्हें अच्छे फंड आने लगे थे, जिस से ‘द मूकनायक’ की टीम 20 तक पहुंच गई थी. कोटवाल अपनी डेस्क पर रखे HRRFJ पुरस्कार की ओर इशारा करते हुए कहती हैं, ‘जब हमें यह पुरस्कार मिला तो हम और राजा (मीना के पति) बहुत खुश हुए, क्योंकि कई प्रमुख मीडिया संगठनों ने इसके लिए आवेदन किया था’. लेकिन यह कहां अहसास था कि इसके साथ एक बड़ा झटका लगने वाला है. बढ़ती लोकप्रियता के साथ-साथ नफरत भी बढ़ी है. पिछले साल अप्रैल में, कोटवाल हार्वर्ड और कोलंबिया जैसे विश्वविद्यालयों के निमंत्रण पर अमेरिका गई थीं. 4 अप्रैल, 2023 को, उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर पोस्ट किया, “एक दलित मजदूर की बेटी मीडिया और विविधता पर अपनी बात रखने के लिए कोलंबिया विश्वविद्यालय आई है.’ इसके बाद दलित समुदाय के भीतर प्रमुख उपवर्ग के सदस्यों की ओर से मीना कोटवाल की जाति को लेकर ट्रोलिंग शुरू हो गई. इससे मीना की जाति को लेकर भ्रम पैदा हुआ. लोगों को लगने लगा कि वह इस बारे में झूठ बोल रही हैं. कोटवाल ने इन आरोपों को खारिज करने के लिए मई 2023 में अपना जाति प्रमाण पत्र भी ऑनलाइन साझा किया.
पेरियार, वैकोम सत्याग्रह और दलित विमर्श
गुरुवार को 2024 का वैकोम पुरस्कार कन्नड़ साहित्य के मशहूर लेखक देवनूर महादेवा को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने प्रदान किया. इस अवसर पर उन्होंने वैकोम मेमोरियल बिल्डिंग का उद्घाटन भी किया. समारोह का उद्घाटन केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने संयुक्त रूप से किया. इस बिल्डिंग में पुस्तकालय और ईवी रामास्वामी पेरियार की प्रतिमा भी लगाई गई है. 76 साल के महादेवा आजीवन दलितों-शोषितों के अधिकार के लिए काम करते रहे. इस क्षेत्र में उनका व्यापक काम है और हालिया सालों में देश में बढ़ते दक्षिणपंथी प्रभाव के खिलाफ काफी मुखर रहे हैं. वे दलित संघर्ष समिति (DSS) के संस्थापक सदस्य हैं और कर्नाटक में हाशिये पर पड़े समुदायों को भूमि अधिकार दिलाने, शैक्षिक अवसरों और सहभागी लोकतंत्र के लिए लड़ने में मदद करते रहे हैं. उन्हें पद्मश्री और साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिल चुके हैं.
वैकोम सत्याग्रह के 100 साल : केरल के वैकोम से छुआछूत के खिलाफ एक बड़ा सत्याग्रह शुरू हुआ था. यहां कुछ विशिष्ट सड़कों और मंदिर में दलितों का जाना निषिद्ध था. 30 मार्च, 1924 से 23 नवंबर, 1925 तक 604 दिनों तक यह आंदोलन चला था. इस साल यह आंदोलन अपना सौवीं जयंती मना रहा है. आंदोलन में पेरियार की भूमिका : ई.वी. रामास्वामी, जिन्हें तमिलनाडु के लोग प्यार से ‘पेरियार’ पुकारते हैं, उन्होंने आंदोलन को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई. 13 अप्रैल, 1924 को वैकोम पहुंचकर उन्होंने उस समय नेतृत्व संभाला जब आंदोलन के सभी मुख्य नेताओं ने अपनी गिरफ्तारी दे दी थी. पेरियार उस वक्त तक अस्पृश्यता और जातिगत भेदभाव के खिलाफ बेहद सशक्त आवाज बन चुके थे. उन्होंने स्थानीय समुदायों को संगठित किया और विरोध प्रदर्शन आयोजित किए और कई बार गिरफ्तार हुए. संघर्ष के दौरान कुल 74 दिन जेल में बिताए. पेरियार के आने से इस आंदोलन का तौर-तरीका ही बदल गया था, जो उनके आने से पहले कांग्रेस चला रही थी.
पेरियार का भेदभाव को लेकर नजरिया गांधी से अलग था. वह इसे हिंदू धर्म के भीतर का मामला नहीं मानते थे. उन्होंने जाति उत्पीड़न के खिलाफ व्यापक लड़ाई लड़ी. नागरिक अधिकारों और समानता पर उनके जोर ने आंदोलन को ऊर्जा दी. भारत के जाति-विरोधी आंदोलन में वह सबसे प्रभावशाली नेताओं में एक माने जाते हैं. उन्होंने स्थायी विरासत छोड़ी. इसी वजह से उन्हें ‘वैकोम वीरर’ (वैकोम का नायक) भी कहा जाता है.
मुसलमानों ने अपनाया ‘ब्राह्मण’ टाइटिल
उत्तर प्रदेश के डेहरी गांव के करीब 70 मुसलमानों ने अपने नाम के साथ 'ब्राह्मण' टाइटिल जोड़ लिया है, लेकिन हिंदू धर्म नहीं अपनाया है. इस गांव के नौशाद अहमद ने अपनी बेटी की शादी के कार्ड पर अपना नाम नौशाद अहमद दुबे लिखा था. इन जैसे कई अन्य मुस्लिमों ने भी अपने नाम के साथ मिश्रा, पांडेय, तिवारी टाइटिल जोड़ लिया है. गले में भगवा गमछा डाले नौशाद ने कहा- ‘हमने यह प्रथा करीब दो साल पहले शुरू की थी, जब हमें अपने असली वंश के बारे में पता चला’. नौशाद कहते हैं, ‘मैं अब गौ भक्त हूं और गौ सेवक बन गया हूं.’. इसी तरह गांव के अन्य लोगों ने भी अपने पूर्वजों का टाइटल अपना लिया है. डेहरी ग्राम प्रधान फरहान कहते हैं कि उन्होंने चार पीढ़ी पहले अपने पूर्वजों का पता लगाया और पाया कि वे हिंदू थे. ये सभी लोग इस्लामी रीति-रिवाजों का पालन करते हैं, मगर हिंदू देवी-देवताओं की पूजा करने मंदिर भी जाते हैं. वे पवित्र कुरान का पालन करते हैं, लेकिन गांव के मंदिर में आरती में भी हिस्सा लेते हैं. इन सबका यह कहना है कि वे नहीं जानते कि हमारे पूर्वजों ने किन परिस्थितियों में इस्लाम अपनाया, मगर हम अपने हिंदू भाइयों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाने और शांतिपूर्वक रहने के लिए हमेशा अपने मूल उपनामों का इस्तेमाल करेंगे. इससे राष्ट्र मजबूत होगा.
गुकेश बने सबसे युवा शतरंज विश्व चैम्पियन
भारत के 18 साल के डोमाराजू गुकेश क्लासिक चेस विश्व चैम्पियनशिप के नए बादशाह बन गए हैं. सिंगापुर में तीन सप्ताह तक चली प्रतियोगिता में उन्होंने चीन के डिंग लिरेन को 7.5-6.5 के अंतर से हराकर सबसे युवा चैम्पियन बनने का ऐजाज हासिल किया. क्लासिक फॉर्मेट में विश्वनाथन आनंद के बाद वह भारत के दूसरे विश्व विजेता हैं. उनसे पहले यह उपलब्धि रूस के गैरी कास्पारोव के नाम थी. उन्होंने 22 साल की उम्र में यह गौरव हासिल किया था. सिंगापुर में जब 14 बोर्ड का यह टूर्नामेंट शुरू हुआ तो गुकेश पहली ही बाजी हार गए. इसके बाद तीसरे गेम में उन्होंने बराबरी की और 11वीं में बढ़त बनाई, लेकिन 12वें बोर्ड में लिरेन से हार गए और मैच फिर बराबरी पर आ गया. 13वीं बाजी ड्रॉ के बाद लगा कि अब फैसला टाइब्रेकर में होगा. तभी काले मोहरों से खेलते हुए गुकेश ने 14वीं बाजी में लिरेन को मात देकर अपने सिर पर विश्व विजेता का सेहरा बांध लिया. 1886 से चली आ रही क्लासिक विश्व चैम्पियनशिप पर गुकेश से पहले अब तक सिर्फ 17 चैम्पियन हुए हैं. गुकेश 18वें हैं. वे कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के सबसे युवा विजेता हैं, जिसकी बदौलत उन्हें पहली बार विश्व चैंपियनशिप में खेलने का मौका मिला.
फेसबुक और इंस्टाग्राम डाउन, हजारों यूजर्स हुए प्रभावित
बुधवार को मेटा के फेसबुक और इंस्टाग्राम हजारों यूजर्स के लिए ठप हो गए. आउटेज ट्रैकिंग वेबसाइट Downdetector.com के अनुसार, अकेले अमेरिका में ही 27,000 से अधिक यूजर्स ने फेसबुक पर और 28,000 से अधिक ने इंस्टाग्राम पर समस्याएं रिपोर्ट कीं. मेटा का मैसेजिंग ऐप व्हाट्सऐप भी प्रभावित हुआ, जहां 1,000 से अधिक यूजर्स ने समस्याएं दर्ज कीं. ‘द गार्डियन’ की खबर है कि डोनाल्ड ट्रम्प के इनॉगरल फंड में मेटा ने करीब 8.3 करोड़ रुपये दिये हैं. ये पैसा मार्क जुकरबर्ग के फ्लोरिडा स्थित मार-ए-लागो में डोनाल्ड ट्रम्प के साथ डिनर के बाद दिया गया है. यह कदम ट्रम्प प्रशासन और मेटा के बीच संबंध सुधारने का एक प्रयास माना जा रहा है.
मेटा, टिकटॉक और गूगल को अब ऑस्ट्रेलियाई प्रकाशकों को देना होगा भुगतान
यह विवाद लम्बे समय से चल रहा है कि मीडिया और खबरों के प्रकाशकों के साथ टेक प्लेटफार्म अपनी आमदनी ठीक से साझा करें. कई जगह मामले अदालतों में हैं, कई जगह संसद में. ‘द गार्डियन’ की खबर के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया सरकार ने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को समाचार प्रकाशकों को भुगतान करने के लिए कहा है. इस नए नियम के बाद मेटा, टिकटॉक और गूगल जैसी कंपनियों को ऑस्ट्रेलियाई खबरों के लिए भुगतान करना अनिवार्य होगा, भले ही वे प्रकाशकों के साथ नए समझौते करें या न करें. डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को एक निर्धारित शुल्क का भुगतान करना होगा, जो उनके ऑस्ट्रेलियाई राजस्व से जुड़ा होगा. जिन प्लेटफॉर्म्स का वार्षिक राजस्व 250 मिलियन डॉलर से अधिक है, उन्हें या तो यह शुल्क चुकाना होगा या सीधे समाचार कंपनियों से समझौते करने होंगे. असल में 2021 में लागू "न्यूज मीडिया बार्गेनिंग कोड" का उद्देश्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और समाचार प्रकाशकों के बीच संतुलन बनाना था. हालांकि, मेटा ने मार्च 2024 में ऑस्ट्रेलियाई खबरों के लिए अपने भुगतान सौदे बंद कर दिए थे. यह नया प्रोत्साहन शुल्क मेटा की इस रणनीति को रोकने के लिए लाया गया है और यह सुनिश्चित करेगा कि अन्य टेक कंपनियां भी इसी रास्ते पर न चलें. मीडिया यूनियन ने यह भी कहा है कि इन फंड्स का इस्तेमाल पत्रकारों के काम को बढ़ावा देने के लिए होना चाहिए.
चलते चलते: आत्महत्या करने वाले किसानों की विधवाओं पर डॉक्यूमेंट्री
महाराष्ट्र में कर्ज में डूबे किसानों की आत्महत्याओं की संख्या बहुत ज्यादा है. पर उसके बाद उनकी पत्नियों और बच्चों का क्या होता है? किंशुक सुरजन की प्रभावी डाक्यूमेंट्री उन औरतों के संघर्ष और साझा दुख के साथ अपना रास्ता निकालने की है. इसकी मुख्य पात्र संजीवनी है, जो अपने दो बच्चों को पालने के साथ खेतों में काम, सिलाई, नौकरी और पढ़ाई भी कर रही है और धीरे-धीरे वह भी उन औरतों को कंधा और संबल देने लगती है, जैसा खुद उसने लिया था. एक घंटे पचास मिनट की इस फिल्म को बहुत धैर्य और तसल्ली के साथ बनाया गया है. इसमें पांच साल लगे. यह डाक्यूमेंट्री इन औरतों की जिंदगियों पर केंद्रित तो है, पर साथ ही अपने दृश्यांकन और ध्वनियों के कारण भी खास है. वह लगातार टोरंटो, ज्यूरिख और धर्मशाला के फिल्म समारोहों में शाबाशियां बटोर रही है और अब ऑस्कर के नामांकन के लिए भी उस पर विचार किया जा रहा है.
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.