13/06/2025 : सिर्फ 11ए | 265 मौतें | मेनस्ट्रीम मीडिया के कारनामे | ड्रीमलाइनर हादसे से जुड़ी 32 चुनींदा खबरें | शिष्टमंडलों का आकलन | लद्दाख में चीन और भारत | फोर्साइथ का जाना
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां :
सिवा 11ए को छोड़ कर सब ख़त्म
मेनस्ट्रीम मीडिया के कारनामे
पायलटों ने उड़ते ही तुरंत बाद “मेडे” कॉल दी थी
दोनों शिष्टमंडलों का हासिल: एक स्वतंत्र राय
अमेरिकी कमांडर ने पाकिस्तान को बताया आतंकवाद विरोधी 'असाधारण भागीदार'
यूनुस की मोदी को लेकर शिकायत
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन ने एलएसी पर अपनी स्थिति को और मज़बूत किया: रिपोर्ट
दुनिया को सन्न करने वाले स्नाइपर का सफ़रनामा
एयर इंडिया क्रैश
सिवा 11ए को छोड़ कर सब ख़त्म
अहमदाबाद से उड़ते ही मेडिकल कॉलेज में क्रैश हुआ विमान, 265 की मौत
12 जून को गुजरात के अहमदाबाद में एक दर्दनाक विमान हादसे के चलते 265 लोगों की असमय मौत हो गई. कुछ रिपोर्ट्स में यह संख्या और अधिक बताई गई है. 'देश गुजरात' की खबर है कि अहमदाबाद में हुए इस भीषण हादसे में अब तक कुल 317 लोगों की मौत हुई है. मेघाणी नगर के पास स्थित अतुल्यम फ्लैट्स नामक रिहायशी परिसर से अब तक 75 शव बरामद किए गए हैं.
एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171, जो अहमदाबाद से लंदन जा रही थी, टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद मेघानी नगर इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गई. विमान में 242 लोग सवार थे, जिनमें 230 यात्री और 12 क्रू मेंबर शामिल थे. इनमें 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 1 कनाडाई, और 7 पुर्तगाली नागरिक थे. इस हादसे में गुजरात के पूर्व सीएम विजय रूपाणी भी मारे गये . यह विमान भारतीय समयानुसार दोपहर 1:30 बजे कुछ ही सेकंड में घनी आबादी वाले इलाके में नीचे आ गया और एक विशाल आग के गोले में विस्फोट हो गया.
फ्लाइट-ट्रैकिंग सेवा, फ्लाइटराडार24 के आंकड़ों के अनुसार, विमान ने आखिरी बार 322 किमी प्रति घंटे (200 मील प्रति घंटे) की जमीनी गति से 625 फीट की ऊंचाई पर चढ़ने की सूचना दी थी, इसके बाद उसने ऊंचाई खो दी, जिसे अधिकारियों ने "गंभीर घटना" बताया है. कुछ सेकंड बाद, बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर बी.जे. मेडिकल कॉलेज छात्रावास में जा गिरा, जब छात्र दोपहर का भोजन कर रहे थे. यह छात्रावास शहर के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से लगभग साढ़े तीन मील दक्षिण-पश्चिम में स्थित है.
देश भर में रेजिडेंट डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करने वाली राष्ट्रीय संस्था, फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष दिव्यांश सिंह के अनुसार, एयर इंडिया विमान का एक हिस्सा बीजे मेडिकल कॉलेज छात्रावास के मेस के ऊपर गिरा, जिससे कम से कम पांच मेडिकल छात्रों की मौत हो गई और लगभग 50 घायल हो गए. एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, "कुछ घायलों की हालत गंभीर है. हम अस्पताल में अपने साथियों के साथ निकट संपर्क में हैं, जो मलबे में दबे और लोगों की तलाश कर रहे हैं."
विमान बोइंग 787 ड्रीमलाइनर था, जिसे कैप्टन सुमित सभरवाल (8200 घंटे का अनुभव) और को-पायलट क्लाइव कुंदर (1100 घंटे का अनुभव) उड़ा रहे थे. टेकऑफ के बाद पायलट ने मेडे कॉल दी, लेकिन इसके बाद कोई जवाब नहीं मिला. इसके बाद विमान बी.जे. मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल के डाइनिंग एरिया से टकराया, जिससे कई मेडिकल छात्रों की भी मौके पर ही मौत हो गई.
घटनास्थल पर एनडीआरएफ, बीएसएफ, सेना और दमकल टीमें बचाव कार्य में जुटी हैं. घायलों को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है. अहमदाबाद एयरपोर्ट पर उड़ानें कुछ समय के लिए बंद रहीं, लेकिन कुछ देर बाद उड़ानें वापस शुरू कर दी गई.
एयर इंडिया विमान दुर्घटना की जांच करेगा विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो : 'द हिंदू' की रिपोर्ट है कि अहमदाबाद में एयर इंडिया विमान के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने की जांच विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) करेगा. खबर लिखे जाने तक AAIB के महानिदेशक और जांच निदेशक सहित वरिष्ठ अधिकारी अहमदाबाद पहुंच चुके थे. नागर विमानन मंत्रालय के अधीन कार्यरत AAIB, भारतीय हवाई क्षेत्र में काम कर रहे विमानों से जुड़े सुरक्षा घटनाओं को “दुर्घटना” या “गंभीर घटना” के रूप में वर्गीकृत करता है और विस्तृत जांच कर भविष्य की सुरक्षा के उपाय सुझाता है. बोइंग कंपनी ने एक बयान में कहा, “हम शुरुआती रिपोर्टों से अवगत हैं और अधिक जानकारी जुटाने के लिए काम कर रहे हैं.”
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि विमान में मौजूद 1.25 लाख लीटर ईंधन के विस्फोट से उत्पन्न अत्यधिक ताप के कारण किसी के बचने की संभावना नहीं थी.
ब्रिटिश नागरिक रमेश विश्वासकुमार (40 वर्ष) इस हादसे के एकमात्र जीवित बचे यात्री हैं. सीट 11ए पर सवार रमेश ने बताया, "उड़ान भरने के 30 सेकंड बाद ही भीषण धमाका हुआ. मैंने चारों ओर शव और विमान के टुकड़े देखे. डर के मारे मैं उठा और भाग खड़ा हुआ." उन्हें सीने, आँखों और पैरों में चोटें आईं, पर वह स्थिर हैं. उनके भाई अजय विश्वासकुमार, जो उसी उड़ान में सवार थे, अब मृतकों की सूची में शामिल हैं. रमेश पिछले 20 वर्षों से लंदन में रह रहे हैं और यात्रा परिवार से मिलने के लिए की थी. विश्वास, जो कुछ दिनों के लिए अपने परिवार से मिलने भारत आए थे, के हवाले से हिंदुस्तान टाइम्स ने रिपोर्ट किया, "उड़ान भरने के तीस सेकंड बाद, एक ज़ोरदार आवाज़ हुई और फिर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. यह सब बहुत तेज़ी से हुआ." उन्होंने अखबार को बताया, "जब मैं उठा, तो मेरे चारों ओर शव थे. मैं डर गया था. मैं खड़ा हुआ और भागा. मेरे चारों ओर विमान के टुकड़े थे. किसी ने मुझे पकड़ा और एम्बुलेंस में डालकर अस्पताल पहुंचाया." खबरों के मुताबिक, उनकी छाती, आंखों और पैरों में चोटें आई हैं.
राजस्थान के बालोतरा निवासी खुशबू राजपुरोहित (२० वर्ष) इस उड़ान में सवार थीं, जो जनवरी में लंदन में हुई अपनी शादी के बाद पति के पास लौट रही थीं. हादसे से पहले एयरपोर्ट पर उनके पिता मदन के साथ खिंचवाई गई तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई. अन्य पीड़ितों में उदयपुर के संगमरमर व्यवसायी के बच्चे शुभ मोदी एवं शगुन मोदी, बीकानेर के कृत्रिम आभूषण व्यवसायी अभिनव परिहार (पूर्व विधायक कृष्णाराम नाई के पोते), लंदन में रेस्तरां संचालक वर्धिचंद मेनारिया एवं प्रकाश मेनारिया, तथा डॉ. कोनी व्यास (बाँसवाड़ा), उनके पति डॉ. प्रदीप जोशी और उनके तीन बच्चे प्रद्युत, मिराया एवं नकुल शामिल हैं. डॉक्टर परिवार लंदन में नया जीवन शुरू करने जा रहा था.
‘वह केवल 19 साल की उम्र में एयर इंडिया में एयर होस्टेस बनी थी’: गुरुवार को लगभग 11:30 बजे, नगंथोई शर्मा कोंगब्रैलत्पम ने अपनी बड़ी बहन को फोन कर बताया कि वह उसी दिन लंदन के लिए उड़ान भरने वाली है. विमान दुर्घटना में मारी गई मणिपुरी महिला के परिवार में शोक पसरा है.
एयर इंडिया की अहमदाबाद से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद दुर्घटनाग्रस्त हुई फ्लाइट में सवार एक ब्रिटिश यात्री ने उड़ान से पहले इंस्टाग्राम पर “Goodbye…” (अलविदा) लिखी पोस्ट साझा की थी. यह पोस्ट अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.
महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के एक वृद्ध दंपत्ति 68 वर्षीय महादेव पवार और उनकी पत्नी आशा पवार (60), मूल रूप से सांगोला तहसील के हातीद गांव के रहने वाले थे, लेकिन वे पिछले कई वर्षों से अहमदाबाद में रह रहे थे. दंपत्ति लंदन में अपने बेटे से मिलने के लिए यात्रा करने वाले थे.
विमानन विशेषज्ञों के अनुसार, हादसा संभवतः पक्षी के विमान के दोनों इंजनों से टकराने के कारण हुआ. कैप्टन सी.एस. रंधावा (पूर्व डीजीसीए उप प्रमुख) ने बताया, "अहमदाबाद हवाई अड्डे के आसपास पक्षियों की भीड़ रहती है. ईंधन दूषित होना या नियंत्रण प्रणाली जाम होना भी संभावित कारण हो सकते थे."
सुरक्षा सलाहकार कैप्टन मोहन रंगनाथन ने हवाई अड्डे के निकट अवैध कसाईखानों और इमारतों की ऊँचाई उल्लंघन को जिम्मेदार ठहराया.
शवों की पहचान के लिए डीएनए नमूने एकत्र किए जा रहे हैं.
हादसे के सटीक कारण की जाँच फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (ब्लैक बॉक्स) के विश्लेषण के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी.
एयर इंडिया के आधुनिक इतिहास की सबसे घातक दुर्घटना और बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान, जो कंपनी का शीर्ष वाणिज्यिक विमान है – से जुड़ी पहली वैश्विक घातक दुर्घटना.
न्यूयॉर्क टाइम्स और रॉयटर्स के पास विमान कैसे दुर्घटनाग्रस्त हुआ, यह समझने में मदद करने के लिए एक ग्राफिक चित्रण है.
सेना ने एक बयान में कहा कि भारतीय सेना ने एयर इंडिया विमान दुर्घटना के मलबे को हटाने और घायलों के इलाज में अहमदाबाद में नागरिक अधिकारियों की सहायता के लिए डॉक्टरों और पैरामेडिक्स सहित 130 कर्मियों को तैनात किया है, और शहर के स्थानीय सैन्य अस्पताल को भी स्टैंडबाय पर रखा गया है.
एयर इंडिया की मालिक टाटा समूह का कहना है कि वह दुर्घटना में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति के परिवार को 1 करोड़ रुपये - लगभग £86,000 के बराबर देगा. यह घायलों के चिकित्सा खर्चों को भी कवर करेगा और क्षतिग्रस्त हुए मेडिकल छात्रावास के पुनर्निर्माण के लिए सहायता प्रदान करेगा. इसने X पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा, "इस समय हम जो दुःख महसूस कर रहे हैं, उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता."
दुर्घटना का कारण अभी तक बहुत कम ज्ञात होने के साथ, अधिकारियों ने पुष्टि की कि पायलट की कथित तौर पर भयावह 'मेडे' (Mayday) संकटकालीन कॉल के बाद चुप्पी छा गई और हवाई यातायात नियंत्रण (एटीसी) से कोई और प्रतिक्रिया नहीं मिली. भारत के नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा इंटरसेप्ट किए गए अंतिम प्रसारण में संकट का कारण 'इंजन विफलता' बताया गया. कथित तौर पर एटीसी विमान के रडार से गायब होने से पहले प्रतिक्रिया नहीं दे सका. एक साक्षात्कार में, विमानन सुरक्षा सलाहकार जॉन एम. कॉक्स ने कहा कि जांचकर्ता जो सवाल पूछेंगे उनमें से एक यह होगा कि क्या एयर इंडिया का विमान उड़ान के लिए ठीक से कॉन्फ़िगर किया गया था. हालांकि उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी, वाशिंगटन डीसी स्थित सेफ्टी ऑपरेटिंग सिस्टम्स के सीईओ ने एपी को बताया कि उड़ान की धुंधली तस्वीरों से पता चलता है कि जांच का एक क्षेत्र यह हो सकता है कि जब विमान चढ़ने का प्रयास कर रहा था तो स्लैट्स और फ्लैप सही स्थिति में थे या नहीं. उन्होंने कहा, "तस्वीर में विमान का अगला हिस्सा ऊपर उठता हुआ और उसका नीचे गिरना जारी दिखता है." "इससे पता चलता है कि विमान पर्याप्त लिफ्ट (उठाव) नहीं बना पा रहा था." स्लैट्स और फ्लैप को इस तरह से स्थित होना चाहिए कि पंख कम गति पर अधिक लिफ्ट (उठाव) पैदा करें.
नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू ने कहा कि सरकार अहमदाबाद में एयर इंडिया विमान दुर्घटना की "निष्पक्ष और गहन" जांच का आदेश देगी और जोर देकर कहा कि किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा. अधिकारियों ने कहा कि ब्रिटेन और अमेरिका के हवाई दुर्घटना जांचकर्ता आपदा की जांच में सहायता के लिए भारत की यात्रा करेंगे. ब्रिटेन की वायु दुर्घटना जांच शाखा (A.A.I.B.) ने एक बयान जारी कर कहा है कि उसने भारत में अपने समकक्ष, विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो को औपचारिक रूप से अपनी सहायता की पेशकश की है, और दुर्घटना स्थल पर एक टीम भेज रही थी. A.A.I.B. ने कहा कि भारतीय सुरक्षा जांच में उसे "विशेषज्ञ का दर्जा" प्राप्त होगा क्योंकि विमान में ब्रिटिश नागरिक सवार थे. अलग से, राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड ने कहा कि अमेरिकी जांचकर्ताओं की एक टीम स्थानीय अधिकारियों की सहायता के लिए भारत की यात्रा करेगी.
एयर इंडिया की सबसे घातक दुर्घटना का कारण निर्धारित करने में महीनों या वर्षों भी लग सकते हैं. हालांकि, इसमें शामिल विमान, एक बोइंग 787 ड्रीमलाइनर, वर्षों से जांच का सामना कर रहा है. विमानन डेटा फर्म सिरियम के अनुसार, यह अब तक कभी भी किसी घातक दुर्घटना में शामिल नहीं हुआ था. बोइंग ने एक बयान में कहा कि "अधिक जानकारी इकट्ठा करने के काम के लिए" एक टीम भारत के रास्ते में है. विमानन दुर्घटनाएं आमतौर पर कई योगदान कारकों का परिणाम होती हैं, जैसे कि पक्षी टकराना, पायलट की त्रुटि, विनिर्माण दोष, या अपर्याप्त रखरखाव.
अहमदाबाद प्लेन क्रैश: एयर इंडिया के विमान के अंतिम पलों का वीडियो
अहमदाबाद प्लेन क्रैशः दुर्घटनास्थल के हालात तस्वीरों में
एयर इंडिया फ्लाइट 171 क्रैश: अब तक क्या पता चला – एक दृश्यात्मक गाइड
इस हादसे का असर केवल मानव जीवन की क्षति तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि एयर इंडिया और विमानन उद्योग से जुड़े अन्य पक्षों पर भी गहरा आर्थिक और कानूनी प्रभाव डाल सकता है.
इस बीच आकाश वत्स नाम के एक शख्स ने शाम 4 बजकर 20 मिनट पर “एक्स” पर अपनी एक पोस्ट में लिखा, “मैं उसी फ्लाइट में था, जो दो घंटे बाद अहमदाबाद से उड़ान भरने वाली थी. मैं इसी फ्लाइट से दिल्ली से अहमदाबाद आया था. मैंने विमान में कुछ असामान्य चीजें देखीं. मैंने एक वीडियो बनाया है जिसे मैं @airindia को ट्वीट करना चाहता हूं. मैं और जानकारी देना चाहता हूं, कृपया मुझसे संपर्क करें.
मेनस्ट्रीम मीडिया के कारनामे
…और टाइम्स नाउ ने आज अव्वल दर्जे की बेवकूफाना होशियारी दिखाते हुए हवाई जहाज के भयानक हादसे के बाद प्लेन क्रैश से जुड़ी फिल्मों का लिस्टिकल छाप दिया. जिसे लेकर ‘बेस्ट ऑफ ट्राल’ हैंडल ने कहा, सीरियसली @timesnow? तुम्हें लगा कि यह प्लेन क्रैश से जुड़ी फिल्मों के लिस्टिकल छापने का सबसे माकूल मौका है? क्या तुम्हारे न्यूजरूम में एक भी वयस्क नहीं, जो इसे छापने से पहले बता पाता कि यह कितना वाहियात और खराब आइडिया है और खराब टाइमिंग भी.
विजय रूपाणी का एआई वीडियो चलाकर यूजर्स के निशाने पर आया आज तक
अहमदाबाद में हुए प्लेन क्रैश के बाद जब देश के नागरिक अपनी संवेदनाएं जता रहे थे, तब फिर से मुख्यधारा के मीडिया ने अपनी संवेदनहीनता का परिचय दिया है. 'आज तक' में अंजना ओम कश्यप के एक कार्यक्रम में हादसे की खबर के लिए एआई निर्मित एक वीडियो का इस्तेमाल किया गया, जिसमें मृतक विजय रूपाणी जो कि गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके थे, उनकी छवि का इस्तेमाल किया गया. इस एआई निर्मित वीडियो को लेकर इंटरनेट बिरादरी में खासा रोष देखा गया और यूजर्स ने इसे चैनल की असंवेदनशीलता बताया.
एक्सप्लेनर
पायलटों ने उड़ते ही तुरंत बाद “मेडे” कॉल दी थी
फ्लाइट में दो पायलट थे- कैप्टन सुमित सभरवाल और फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर. दोनों पायलटों के पास संयुक्त रूप से 9,300 घंटे की उड़ान का अनुभव था. जहां सभरवाल के पास 8,200 घंटे का अनुभव था, वहीं कुंदर के पास 1,100 घंटे की उड़ान का अनुभव था. पायलटों के अलावा, केबिन क्रू में 10 अन्य लोग भी सवार थे. रिपोर्ट्स के अनुसार, पायलटों ने उड़ान भरने के तुरंत बाद “मेडे” कॉल जारी की थी, जिसे एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) से कोई जवाब नहीं मिला.
‘मेडे’ कॉल क्या है? “मेडे” कॉल एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त आपातकालीन संकेत है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से विमानन और समुद्री संचार में जानलेवा आपात स्थिति को दर्शाने के लिए किया जाता है. यह शब्द फ्रेंच वाक्यांश "m'aider" से आया है, जिसका अर्थ है "मेरी मदद करो." “मेडे” कॉल पहली बार 1920 के दशक में शुरू की गई थी और अब यह पूरी दुनिया में एक मानक प्रोटोकॉल बन गई है. इस कॉल को हमेशा तीन बार लगातार "Mayday, Mayday, Mayday" कहा जाता है, ताकि यह शोर या खराब रेडियो सिग्नल में भी स्पष्ट रूप से समझा जा सके.
‘मेडे’ कॉल कौन करता है? “मेडे कॉल” (Mayday Call) उस वाहन या जहाज के प्रभारी व्यक्ति द्वारा जारी की जाती है, जो आमतौर पर पायलट या शिप के कप्तान होते हैं, जब वे किसी गंभीर आपातकालीन स्थिति का सामना कर रहे होते हैं. ऐसी स्थिति में, जैसे इंजन फेल होना, जहाज या विमान में आग लगना, नियंत्रण खो जाना, या कोई भी ऐसा संकट जिसमें विमान या जहाज और उसमें सवार सभी लोगों की सुरक्षा खतरे में हो, पायलट या कप्तान रेडियो के माध्यम से “मेडे, मेडे, मेडे” कहकर इमरजेंसी सिग्नल भेजते हैं. विमानन में, पायलट यह कॉल एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) को देता है. कभी-कभी, अगर मूल कॉलर से संपर्क टूट जाए, तो पास के कोई अन्य विमान या जहाज भी ‘मेडे’ कॉल को रिले कर सकते हैं.
‘मेडे’ कॉल के बाद क्या होता है? जैसे ही ‘मेडे’ कॉल दी जाती है, उस रेडियो फ्रीक्वेंसी पर बाकी सभी संचार बंद कर दिए जाते हैं. संकट में फंसा व्यक्ति अपनी लोकेशन, आपातकाल की प्रकृति और अन्य जरूरी जानकारी साझा करता है. इसके बाद “एटीसी” या इमरजेंसी सेवाएं बचाव कार्य की जिम्मेदारी संभाल लेती हैं.
दोनों शिष्टमंडलों का हासिल: एक स्वतंत्र राय
‘इंडिया केबल’ ने विशेषज्ञ वॉल्टर लाडविग के उन बिंदुओं को रेखांकित किया है जो भारत और पाकिस्तान की तरफ से दुनिया घूम रहे शिष्टमंडलों के प्रदर्शन पर आधारित है. वे पिछले सप्ताह लंदन गए थे ताकि हाल के चार दिवसीय संघर्ष के बाद अपनी-अपनी सरकारों की स्थिति के बारे में दुनिया को बताया जा सके.
भारतीयों ने कैसा प्रदर्शन किया
ऐसा लगता था कि बहुमत ने प्रतिनिधिमंडल के मूल आधार को स्वीकार किया, हालांकि, एक से अधिक पर्यवेक्षक ने मुझसे निजी तौर पर उस विडंबना का उल्लेख किया जो उन्होंने देखी थी - दिल्ली रूस के यूक्रेन आक्रमण को साझा खतरे के रूप में प्रस्तुत करने के आह्वान का विरोध कर रहा था लेकिन अब पाकिस्तान-आधारित खतरों पर एकजुटता की मांग कर रहा था.
प्रतिनिधिमंडल के तर्कों में एक मुख्य बात स्पष्ट थी: पहलगाम हमले में नामित पांच संदिग्धों में से दो भारतीय नागरिक थे.
फिर भी जब पूछा गया कि नई दिल्ली घरेलू कट्टरवाद से निपटने की योजना कैसे बना रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निराश लोग हिंसा की ओर न मुड़ें, तो इस दावे के अलावा कोई सुसंगत जवाब नहीं था कि आज की स्थिति 1990 के दशक की तुलना में बहुत बेहतर है.
पाकिस्तान के साथ "रीहाइफनेशन" के विचार को बार-बार और जोरदार तरीके से खारिज किया गया - केवल इसके लिए कि कुछ वही सांसद अपनी टिप्पणियों में लगभग पूरी तरह से पाकिस्तान पर केंद्रित हो गए.
प्रतिनिधिमंडल ने स्पष्ट रूप से जोर दिया कि भारत की समस्या पाकिस्तानी सेना से थी, न कि पाकिस्तानी लोगों से, लेकिन सिंधु जल संधि के निलंबन पर दर्शकों के सवालों ने उस धारणा को परखा.
कुछ हद तक, भारतीय पक्ष ने सुरक्षित खेला. उनकी कई ब्रीफिंग हाई कमीशन के अंदर हुईं. मुझे बताया गया कि राजनीतिक पहुंच का एक अच्छा हिस्सा भारतीय मूल के राजनेताओं के लिए था. इस रणनीति के कारण नए ऑडियेंस के साथ जुड़ाव को सीमित किया हो.
पाकिस्तानियों का प्रदर्शन
मूल संदेश संवाद के माध्यम से शांति की तलाश था. तीन मुख्य मुद्दे: कश्मीर ("विभाजन की अधूरी विरासत"), आतंकवाद, और पानी. पाकिस्तान बात करना चाहता है, भारत नहीं. उन्होंने हम पर हमला किया लेकिन फल्गाम के लिए कोई दोष साबित नहीं किया.
साथ ही हाल की सैन्य झड़प में ऊपरी हाथ होने का स्पष्ट दावा था और युद्धविराम की स्वीकृति पूरी तरह से अमेरिका के इस वादे के कारण थी कि भारत के साथ संवाद होगा.
इस प्रकार, समग्र स्वर असंगत था: एक तरफ शांति की ईमानदारी से तलाश करने के दावे और दूसरी तरफ हाल की सैन्य सफलताओं के बारे में कभी-कभार गर्व और "गुजरात के कसाई" पर व्यक्तिगत हमलों की बात. ठीक से नहीं जंची.
फिर भी, कुछ प्रस्ताव सतह पर उचित लगे. उदाहरण के लिए, पहलगाम की संयुक्त जांच का आह्वान रचनात्मक प्रतीत हो सकता है जब तक कि आप यह याद न रखें कि 2008 में मुंबई या 2016 में पठानकोट के बाद इसी तरह के प्रयास कैसे सामने आए.
भारतीय मीडिया स्पिन और गलत सूचना की आलोचना सबसे आगे और केंद्र में थी. अगर वे वहीं रुक गए होते, तो मुझे लगता है कि उन्हें ज्यादा नंबर मिलते.
इसके बजाय, जैसा कि मैंने पहले भी नोट किया है, हमें एक अलग तरह की गलत सूचना मिली: कश्मीर पर कानूनी हाथ की सफाई, संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों की गलत व्याख्या, और अन्य विकृत दावे. ये सभी पूरी तरह से अनावश्यक थे.
अमेरिकी कमांडर ने पाकिस्तान को बताया आतंकवाद विरोधी 'असाधारण भागीदार'
अमेरिकी सेंट्रल कमांड (सेंटकॉम) के कमांडर जनरल माइकल कुरिल्ला ने पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी क्षेत्र में एक "असाधारण भागीदार" बताया है. उन्होंने आईसिस खोरासन के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा किए गए सफल अभियानों की सराहना की और भारत तथा पाकिस्तान दोनों के साथ अमेरिका के संबंध जारी रखने की वकालत की. उन्होंने अमेरिकी रणनीति में "जीरो-सम" सोच को खारिज किया.
सीनेट समिति के समक्ष गवाही देते हुए, कुरिल्ला ने कहा कि अमेरिका के दोनों देशों के साथ रिश्ते होने चाहिए. उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की साझेदारी से ISIS-K के दर्जनों लड़ाके मारे गए और पाँच महत्वपूर्ण व्यक्ति पकड़े गए, जिनमें 2021 काबुल हवाई अड्डे के हमले से जुड़ा मोहम्मद शरीफुल्ला भी शामिल है, जिसे पाकिस्तान ने अमेरिका को सौंपा. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान अभी भी सीमावर्ती क्षेत्रों में आईसिस- के का सक्रिय रूप से शिकार कर रहा है.
कुरिल्ला ने चेतावनी दी कि आइसिस खोरासन अभी भी एक मजबूत खतरा है और वैश्विक हमले करने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पाकिस्तान खुद आतंकवाद से बुरी तरह प्रभावित है, जहां 2024 की शुरुआत में 1000 से अधिक हमले हुए. कुरिल्ला का यह बयान उस समय आया है जब भारत लगातार पाकिस्तान को आतंकवादी गतिविधियों का केंद्र बताता रहा है और हाल के हमलों के बाद उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा है. भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी पाकिस्तान को आतंकवाद का स्रोत बताया है. जनरल कुरिल्ला का आकलन भारत की स्थिति के विपरीत है और यह दोनों दक्षिण एशियाई देशों के साथ अमेरिकी जुड़ाव की आवश्यकता पर बल देता है.
यूनुस की मोदी को लेकर शिकायत
'हिन्दुस्तान टाइम्स' की रिपोर्ट है कि बुधवार को लंदन स्थित चैथम हाउस में बोलते हुए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके उस अनुरोध को नजरअंदाज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में मौजूद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को बांग्लादेश के लोगों के लिए राजनीतिक बयान देने से रोका जाए. यूनुस ने कहा, “जब मेरी प्रधानमंत्री मोदी से बात करने का अवसर मिला, तो मैंने बस इतना कहा: आप उन्हें (हसीना को) मेज़बानी देना चाहते हैं, मैं आपको उस नीति को छोड़ने के लिए मजबूर नहीं कर सकता. लेकिन कृपया हमारी मदद करें कि वह बांग्लादेशी जनता से जिस तरह बोल रही हैं, वैसा न करें.” उन्होंने आगे बताया कि मोदी का जवाब था - “यह सोशल मीडिया है, हम इसे नियंत्रित नहीं कर सकते.” यूनुस ने इस प्रतिक्रिया को गंभीर और विस्फोटक स्थिति से भागने जैसा करार दिया. उन्होंने कहा, “आप बस यह कहकर नहीं भाग सकते कि यह सोशल मीडिया है. यह आज भी जारी है.” यूनुस के अनुसार, जब भी शेख हसीना यह घोषणा करती हैं कि वे किसी तारीख और समय पर बोलेंगी, तो "पूरा बांग्लादेश गुस्से से भर जाता है".
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन ने एलएसी पर अपनी स्थिति को और मज़बूत किया: रिपोर्ट
'द वायर' की रिपोर्ट है कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी सैन्य मौजूदगी न केवल बनाए रखी है, बल्कि अपनी-अपनी स्थिति को और मजबूत किया है. यह जानकारी जेंस डिफेंस वीकली पत्रिका ने उपग्रह चित्रों के विश्लेषण के आधार पर दी है. रिपोर्ट के अनुसार भारतीय सेना ने अपने शिविरों का विस्तार किया है और नए आश्रय बनाए हैं. इतना ही नहीं टैंक, तोपखाने और बख्तरबंद वाहनों की तैनाती कुछ संवेदनशील बिंदुओं पर जारी रखी गई है. वहीं, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने नई एंटी-एयरक्राफ्ट तोपों की साइटें बनाई हैं, सीमा रक्षा चौकियों का विस्तार किया है और ऐसा इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किया है जिससे वह सीमा पर तेज़ी से फोर्स भेज सके. यह विकास ऐसे समय पर हुआ है जब भारत सरकार यह दावा करती रही है कि अक्टूबर 2024 में हुए समझौते के बाद दोनों पक्षों की सेनाएं अप्रैल 2020 की स्थिति तक पीछे हट चुकी हैं, लेकिन उपग्रह चित्र और रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, सैनिकों की तैनाती में कोई उल्लेखनीय कमी नहीं आई है और दोनों पक्ष नियमित रूप से सैनिकों की अदला-बदली भी कर रहे हैं. यह स्थिति क्षेत्र में तनाव और सैन्य टकराव की आशंका को फिर से बढ़ा सकती है.
फ्रेडरिक फोर्साइथ | 1938-2025
दुनिया को सन्न करने वाले स्नाइपर का सफ़रनामा
जॉय भट्टाचार्य याद करते हैं कि 1977 का वह शाम जब उनके पिता दिल्ली की यात्रा से वापस आए और अपने ब्रीफकेस में एक किताब लेकर आए. उस किताब के कवर पर एक आदमी की तस्वीर थी जो अजीब सी टोपी (जिसे बाद में वे केपी कहलाना जाना) पहने हुए था और उसके सिर के चारों ओर निशाना बना हुआ था. 'द डे ऑफ द जैकाल' नामक इस पुस्तक ने जॉय को रात 1 बजे तक जगाए रखा. आखिरी अंतिम तीन अध्याय उन्होंने बाथरूम में पढ़े ताकि रोशनी से उनकी बहनों की नींद न खराब हो. इसके बाद वे कई दिनों तक एक अजीब सी मानसिक अवस्था में रहे, उस किताब के बारीक विवरणों पर आश्चर्यचकित होते रहे.
यह पुस्तक उनके बहुमंजिला परिसर के कम से कम पांच घरों में घूमती रही, और जॉय के आग्रह पर उनके पिता जल्द ही 'द ओडेसा फाइल' भी ले आए. इस प्रकार फ्रेडरिक फोर्साइथ जासूसों और हत्यारों की रोमांचक दुनिया का एक पूर्णतः विश्वसनीय माध्यम बन गया. पेंटागन की बैठकों से लेकर एसआर 71 जासूसी विमानों तक, हर विवरण प्रामाणिक था और हर कार्य विश्वसनीय लगता था. आज के युग में, जब इंटरनेट फ्रांस में ओएएस के बारे में विस्तृत जानकारी दे सकता है या ब्लैकबर्ड जासूसी विमान के अंदरूनी हिस्से दिखा सकता है, फोर्साइथ की अपील को समझना आसान नहीं है. लेकिन उन दिनों फ्रेडरिक फोर्साइथ वह व्यक्ति था जो हमें उन बैठकों में ले जाता था, उन विमानों में उड़ाता था और दिखाता था कि वह प्रसिद्ध स्नाइपर राइफल कैसे जोड़ी जाती है.
फोर्साइथ एक पूर्व आरएएफ फाइटर पायलट जो बाद में रॉयटर्स और फिर बीबीसी में शामिल हुआ. फोर्साइथ ने फ्रांसीसी मामलों और डी गॉल पर हत्या के प्रयासों की व्यापक रिपोर्टिंग की, इससे पहले कि वे अफ्रीका चले गए जहां उन्होंने बायाफ्रा युद्ध को कवर किया. जब बीबीसी की बायाफ्रा में रुचि कम हो गई, तो फोर्साइथ एक स्वतंत्र रिपोर्टर के रूप में वापस गए और संघर्ष को कवर करना जारी रखा. उन्होंने एक नान फिक्शन कृति 'द बायाफ्रा स्टोरी' भी लिखी, जिसे अच्छी प्रतिक्रिया मिली, भले ही इससे उनकी आर्थिक स्थिति में खास सुधार नहीं हुआ.
अंततः 1971 में, स्वयं स्वीकार करते हुए कि वे गरीब हैं, पूर्व पत्रकार प्रकाशन गृहों के चक्कर लगाने लगे, एक ऐसी पांडुलिपि लेकर जिसमें चार्ल्स डी गॉल पर हत्या का प्रयास शामिल था, जो उस समय जीवित थे. चूंकि यह एक ऐसी किताब थी जिसका अंत सभी जानते थे, चार प्रकाशकों ने तुरंत इसे खारिज कर दिया. लेकिन पांचवें प्रकाशक हचिंसन ने फैसला किया कि इसकी अपील उसके बारीक ब्यौरों में है और इसे प्रकाशित करने का निर्णय लिया. 'द डे ऑफ द जैकाल' भारी सफलता रही, लाखों प्रतियां बिकीं, दो फिल्म संस्करणों को प्रेरित किया और फिर नवंबर 2024 में एक ओटीटी संस्करण भी रिलीज हुआ.
'द डे ऑफ द जैकाल' के बाद 'द ओडेसा फाइल' आई, जिसमें साहसी पत्रकार पीटर मिलर था, जो स्पष्ट रूप से खुद फोर्साइथ पर आधारित था. वह अपनी काली ई टाइप जैगुआर में एक छायादार नाजी संगठन का पीछा करता है और एडुआर्ड रोशमैन को दबोचने की कोशिश करता है, जो एक पूर्व कैंप कमांडेंट था और रीगा का कसाई के नाम से जाना जाता था. चूंकि द्वितीय विश्व युद्ध के 30 साल से भी कम समय बाद की यह बात थी, कई पूर्व नाजी सक्रिय थे, खासकर दक्षिण अमेरिका में. साइमन वाइजेंथल, वास्तविक जीवन के महान नाजी शिकारी और पुस्तक के एक प्रमुख पात्र, हम में से कई के लिए एक नायक बन गए.
उनके तीसरे उपन्यास की कहानी शायद सबसे अजीब थी. 1974 में प्रकाशित 'द डॉग्स ऑफ वार' काल्पनिक अफ्रीकी देश जंगारो में भाड़े के सैनिकों द्वारा तख्तापलट के प्रयास के बारे में था, जो एक पश्चिमी उद्योगपति की ओर से काम कर रहे थे. इसका विचार एक कठपुतली तानाशाह को स्थापित करना था जो उन्हें आकर्षक खनन अधिकार देगा. जंगारो इक्वेटोरियल गिनी पर आधारित था, और फोर्साइथ ने वास्तव में इस बात की खोज करवाई थी कि ऐसा तख्तापलट कैसे किया जा सकता है. उन्हें बताया गया कि यह किया जा सकता है और उस समय इसकी कीमत लगभग $240,000 होगी.
पूर्णतः विश्वसनीय और सूक्ष्मतम विवरणों तक सटीक, 'द डॉग्स ऑफ वार' को अफ्रीका में भाड़े के सैनिकों के लिए एक पाठ्यपुस्तक माना गया. विचित्र बात यह है कि 2004 में पुस्तक में वर्णित तरीकों के अनुसार ही एक तख्तापलट का प्रयास किया गया, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर के बेटे मार्क थैचर और भाड़े का सैनिक साइमन मैन शामिल थे. फोर्साइथ का अगला पूर्ण-लंबाई उपन्यास, 1979 में प्रकाशित 'द डेविल्स अल्टरनेटिव' डरावनी हद तक भविष्यसूचक रहा, क्योंकि कथानक में यूक्रेनी राष्ट्रवादी, एक दुष्ट रूसी जनरल और अनाज की कमी शामिल थी, जो सभी अगले कुछ दशकों में सच हो गईं.
'द डे ऑफ द जैकाल' और 'द ओडेसा फाइल' जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों के बावजूद, जॉय भट्टाचार्य का पसंदीदा फोर्साइथ का काम 1975 में लिखी गई एक छोटी कहानी है, जो उनके आरएएफ पायलट के दिनों से आती है जब वे वैम्पायर फाइटर उड़ाते थे. 'द शेफर्ड' उनके साथ रही है और हर क्रिसमस पर इसे पढ़ना अनिवार्य है. मजेदार बात यह है कि अपने सभी घोषित यथार्थवाद के लिए, 'द शेफर्ड' विश्वास की एक बड़ी छलांग की मांग रखती थी. जॉय भट्टाचार्य का फोर्साइथ पर पूरा लेख स्क्रोल पर यहां पढ़ें.
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