13/09/ 2025: मणिपुर में आज मोदी और वे 14 सवाल | जगदीप छोकर का जाना | नेपाल कार्की के हवाले | हसीना की लूट | रामदेव के गुर्गे का टूरिज़्म प्रोजेक्ट स्कैम | उमर ख़ालिद पर सुनवाई अब 19 को
‘हरकारा’ यानी हिंदी भाषियों के लिए क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज़्यादा.
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, गौरव नौड़ियाल, फ़लक अफ़शां
आज की सुर्खियां
864 दिन बाद मोदी मणिपुर में, स्वागत में लगे बैनर फटे, लगी आग...
चुनावी बॉन्ड को झुकाने वाले एडीआर के संस्थापक जगदीप छोकर नहीं रहे...
भारत-पाक मैच पर शिवसेना का सवाल- खून और क्रिकेट एक साथ कैसे...
भारत से रूसी तेल की खरीद रुकवाना नए ट्रंप प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता...
छत्तीसगढ़ में 5.25 करोड़ के इनामी 10 नक्सली ढेर...
नेपाल में सुशीला कार्की बनीं अंतरिम प्रधानमंत्री...
उत्तराखंड में रामदेव के सहयोगी को औने-पौने दाम पर सरकारी टूरिज्म प्रोजेक्ट...
नए उपराष्ट्रपति का दिलचस्प परिवार, चाचा कांग्रेसी और दादा कम्युनिस्ट...
सुप्रीम कोर्ट की कंगना को फटकार- आपने अपनी टिप्पणी में "मसाला" डाला...
रात ढाई बजे आईं फाइलें, उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई टली...
हसीना के राज में बांग्लादेश से 20 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की लूट...
ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति बोल्सोनारो को 27 साल की जेल, सड़कों पर जश्न...
जातीय हिंसा के 864 दिन बाद आज मणिपुर में
3 मई, 2023 को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के 864 दिन बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार, 13 सितंबर को संघर्षग्रस्त राज्य का दौरा करेंगे. प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, मोदी इंफाल और चुराचांदपुर का दौरा करेंगे. यह यात्रा उन अटकलों पर विराम लगाती है जो उनके दौरे को लेकर लगाई जा रही थीं.
हिंसा भड़कने के बाद से प्रधानमंत्री से राज्य का दौरा करने की कई मांगें की गई हैं, लेकिन मोदी अब तक दूर रहे हैं, जबकि कार्यकर्ता और विपक्षी प्रतिनिधिमंडल राज्य का दौरा कर चुके हैं. उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान भी राज्य में प्रचार करने से परहेज किया था. मोदी ने पहली बार 20 जुलाई, 2023 को राज्य में हिंसा के बारे में बात की थी, जो हिंसा शुरू होने के 70 दिनों से अधिक समय बाद थी. फरवरी 2025 में राष्ट्रपति शासन लगाया गया जब एन. बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
इस यात्रा से बहुत उम्मीदें जुड़ी हैं, लेकिन निराशा की भी आशंका है. एक बड़ा सवाल यह है कि प्रधानमंत्री ने अपने जन्मदिन और देश भर में त्योहारों के मौसम से ठीक पहले 13 सितंबर को मणिपुर आने का फैसला क्यों किया. उम्मीद है कि मोदी कोई ऐसी योजना या फॉर्मूला पेश करेंगे जो मणिपुर के दो साल, चार महीने और 10 दिन के इंतजार को सार्थक बना दे. हालांकि, लोगों के मन में यह सवाल भी है कि क्या यह यात्रा केवल एक प्रतीकात्मक कदम होगी या इससे राज्य में वास्तविक बदलाव आएगा.
हरकारा ने भी वे सवाल उठाए थे, जो मोदी चाहें तो मणिपुर यात्रा के दौरान दे सकते हैं. पर उनका रिकॉर्ड ऐसा नहीं है.
क्या मणिपुर और वहां के लोग सौतेले हैं?
वहां हुई हिंसा और अराजकता का जिम्मेदार कौन है और उसे क्या सजा दी गई?
क्या आप PUCL, ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल की उन रिपोर्ट्स से सहमत हैं, जो कहती हैं कि आपकी सरकार हिंसा रोकने में नाकाम रही?
मणिपुर के लोगों से माफ़ी किसको मांगनी चाहिए, क्योंकि तपस्या में कमी तो रह ही गई थी?
मणिपुर के लोगों के घाव कैसे भरेंगे? क्या रास्ता है, क्या किया जा रहा है?
50-60 हजार लोग जो विस्थापित हैं, उनके लिए क्या किया जा रहा है?
भाजपा की सरकार इस हिंसा को बढ़ाने में शामिल थी. उसकी जवाबदेही और सजा कैसे तय होगी.
भाजप का मुख्यमंत्री एक टेप में कहता सुना जा रहा है वह हिंसा और अराजकता को फैलाने में शामिल है, जिसकी सालों से जांच चल रही है? यह जांच कब खत्म होगी, क्योंकि सीएफएसएल टैक्नोलॉजी में इतना लद्धड़ क्यों है? क्या सिर्फ इसी मामले में.
क्या मणिपुर के उदाहरण से पूरा भारत समझ सकता है कि अगर कहीं भी अनरेस्ट भड़कता है, तो सरकार से उम्मीद नहीं करनी चाहिए?
मानवाधिकार हनन जो सरकारी कारिंदों ने किया और करवाया है, उसका क्या करेंगे? उसकी सुनवाई, जांच, सजा की प्रक्रिया क्या होगी?
खास तौर पर जो मिश्रित समुदाय के लोग हैं, उनकी सुरक्षा और पुनर्वास कैसे सुनिश्चित किया जाएगा.
आपके मणिपुर आने से क्या और कुछ फर्क पड़ेगा?
मणिपुर के लोगों के लिए अब भारत का आइडिया कैसे दिखना चाहिए, वहां की मारे गये लोगों के परिवारों के लिए. बच्चों के लिए.
कुकी-बहुल चुराचांदपुर में, मोदी दोपहर लगभग 12:30 बजे 7,300 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे और एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करेंगे. इसके बाद, वह मैतेई-बहुल इंफाल जाएंगे, जहां वह दोपहर लगभग 2:30 बजे 1,200 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे और एक सार्वजनिक समारोह को संबोधित करेंगे. मोदी आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों से भी बातचीत करेंगे.
मई 2023 में हिंसा शुरू होने के बाद से यह प्रधानमंत्री मोदी का मणिपुर का पहला दौरा है. इस हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं, जो अब राहत शिविरों में रह रहे हैं. तब से, यह पूर्वोत्तर राज्य व्यावहारिक रूप से दो भागों में विभाजित हो गया है, जिसमें घाटी के मैतेई लोगों को कुकी-बहुल पहाड़ी क्षेत्रों में जाने की अनुमति नहीं है और इसका उल्टा भी सच है. मणिपुर के मुख्य सचिव पुनीत कुमार गोयल ने शुक्रवार को मोदी की यात्रा की घोषणा करते हुए कहा कि यह "राज्य में शांति, सामान्य स्थिति और विकास में तेजी का मार्ग प्रशस्त करेगा".
प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब राज्य में कई चुनौतियां हैं. यूनाइटेड नागा काउंसिल (यूएनसी) ने प्रमुख राजमार्गों पर अनिश्चितकालीन "व्यापार प्रतिबंध" लगा दिया है और मैतेई विद्रोही समूहों के एक संगठन ने उनकी यात्रा के दिन "पूर्ण बंद" का आह्वान किया है. मोदी की यात्रा की घोषणा से पहले, 4 सितंबर को, केंद्र सरकार, मणिपुर सरकार और कुकी-सशस्त्र समूहों के बीच सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (एसओओ) समझौते को महीनों की अनिश्चितता के बाद औपचारिक रूप से बढ़ा दिया गया था. हालांकि, समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले समूहों ने कहा है कि सरकार की आधिकारिक सूचना शाखा, पीआईबी ने आधिकारिक समझौते की जानकारी को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है, जिसने चुराचांदपुर में मोदी की यात्रा से पहले कुकी-ज़ो की भावना को गंभीर रूप से परेशान किया है.
आप मणिपुर पर विशिष्ठ विशेषज्ञों की ज्यूरी रिपोर्ट आने के बाद हुई बातचीत का वीडियो देख सकते हैं.
विस्थापितों ने खोई उम्मीद, ‘पीएम के दौरे से कुछ नहीं बदलेगा’
रोक़ीबुज़ ज़मान की स्क्रोल में रिपोर्ट है कि मणिपुर में जातीय संघर्ष शुरू होने के 28 महीने बाद भी, लगभग 65,000 आंतरिक रूप से विस्थापित लोग अभी भी अपना जीवन फिर से बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. दो साल से अधिक समय के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मणिपुर दौरे को लेकर भी उनमें कोई उम्मीद नहीं है. 25 वर्षीय जेम्स, जो 4 मई, 2023 को इंफाल में अपना घर छोड़कर भागे थे, और 41 वर्षीय मैतेई व्यक्ति नबा निंगथौजम, जो 9 मई, 2023 से इंफाल के एक राहत शिविर में रह रहे हैं, दोनों का मानना है कि इस यात्रा से कोई ठोस बदलाव नहीं आएगा.
यह विस्थापित आबादी की निराशा और राज्य व केंद्र सरकारों में उनके विश्वास की कमी को उजागर करती है, जो शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने में विफल रही हैं. प्रधानमंत्री की यात्रा, जिसे एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जाना चाहिए, पीड़ितों के लिए बहुत देर से और बहुत कम महसूस हो रही है. हिंसा ने राज्य को जातीय आधार पर विभाजित कर दिया है. मैतेई लोग पहाड़ी जिलों में अपने घरों में नहीं लौट पाए हैं, और कुकी-ज़ोमी-हमार समुदायों को इंफाल में अपने घर और जीवन छोड़ने पड़े हैं. जेम्स जैसे लोगों को लगता है कि अगर प्रधानमंत्री ने हिंसा के शुरुआती महीनों में दौरा किया होता, तो शायद हालात अलग होते. वहीं, नबा निंगथौजम, जिन्होंने चुराचांदपुर में अपना सब कुछ खो दिया, अब इंफाल के एक कॉलेज में बने राहत शिविर में 473 अन्य लोगों के साथ दयनीय परिस्थितियों में रह रहे हैं. उन्हें भी मोदी की यात्रा से किसी भी तरह की मदद की उम्मीद नहीं है. यह रिपोर्ट ज़मीनी हकीकत और राजनीतिक दिखावे के बीच की खाई को उजागर करती है. जबकि प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए पोस्टर लगाए गए हैं, विस्थापित लोगों की असली चिंताएं रोज़गार, वित्तीय सहायता और अपने जीवन के पुनर्निर्माण की हैं. कहानी बताती है कि सरकार सुरक्षा प्रदान करने और हिंसा को नियंत्रित करने में अपनी विफलता की नैतिक ज़िम्मेदारी लेने में नाकाम रही है, जिसके कारण लोगों का व्यवस्था पर से भरोसा उठ गया है.
जेम्स और निंगथौजम जैसे पीड़ितों की नज़र में, जब तक शांति स्थापित करने और उन्हें सुरक्षित रूप से अपने घरों में लौटने में मदद करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक ऐसी यात्राएं निरर्थक हैं. निंगथौजम घर वापस जाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें डर है कि शायद अब बहुत देर हो चुकी है और जो कुछ उन्होंने खोया है उसे फिर से बनाना असंभव है. विस्थापितों के लिए भविष्य अनिश्चित बना हुआ है.
मोदी के स्वागत वाले पोस्टर-बैनर फाड़े, आग लगाई, विरोध में नारे
इस बीच गुरुवार शाम कुछ अज्ञात उपद्रवियों ने उन बैरिकेड्स और पोस्टरों-बैनरों को आग लगा दी, जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी के कूकी-बहुल चुराचांदपुर जिले में शनिवार को होने वाले दौरे के स्वागत के लिए लगाया गया था. कूकी संगठन के सूत्रों ने “डेक्कन हेराल्ड” को बताया कि घटना रात करीब 8 बजे हुई, जब कई अज्ञात लोग हाथों में बांस की लाठियां लेकर पहुंचे और बैरिकेड्स को तोड़कर हेलिपैड के पास लगाए पोस्टरों को जला दिया. यह हेलिपैड पेसुनमुन गांव में है, जहां शनिवार दोपहर मोदी के उतरने का कार्यक्रम है. हेलिपैड शांति मैदान से लगभग 5 किलोमीटर दूर स्थित है, जहां प्रधानमंत्री शनिवार को जनता को संबोधित करेंगे.
सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में लोगों की भीड़ को सजावट तोड़ते हुए और मोदी के खिलाफ नारे लगाते हुए देखा गया. कुछ कूकी समूह प्रशासन द्वारा ‘वॉल ऑफ रिमेम्ब्रेंस’ को ढकने से नाराज थे. यह स्मारक कूकी समूहों ने मई 2023 से मैतेई समुदाय के साथ जारी संघर्ष में मारे गए कूकी-ज़ो लोगों की याद में बनाया था.
यह घटना ऐसे समय पर हुई जब एक दिन पहले कूकी ज़ो काउंसिल ने मोदी का स्वागत करते हुए इसे "दुर्लभ और ऐतिहासिक" यात्रा बताया था. वहीं बुधवार को मैतेई -बहुल घाटी में सक्रिय छह सशस्त्र संगठनों के मोर्चे कोरकॉम ने मोदी की मणिपुर यात्रा के खिलाफ "बहिष्कार का आह्वान" किया था.
चुनावी सुधारों के प्रणेता और एडीआर के संस्थापक जगदीप छोकर का निधन
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के संस्थापक-ट्रस्टी जगदीप छोकर का शुक्रवार तड़के दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वह 81 वर्ष के थे. कंधे में फ्रैक्चर और फेफड़ों में संक्रमण का इलाज करा रहे छोकर को सुबह करीब 3:30 बजे दिल का दौरा पड़ा. रेलवे में एक मैकेनिकल इंजीनियर के रूप में अपना करियर शुरू करने वाले छोकर शिक्षा के क्षेत्र में चले गए और भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद में डीन और बाद में निदेशक नियुक्त हुए, जब तक कि उन्होंने भारत में चुनावी सुधारों की वकालत करने में अपने जीवन का लक्ष्य नहीं पाया.
जगदीप छोकर और उनके संगठन एडीआर ने भारत में चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए अथक प्रयास किए. उनकी सबसे बड़ी सफलताओं में से एक तब थी जब सुप्रीम कोर्ट ने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई चुनावी बॉन्ड योजना को खत्म कर दिया था. उन्होंने और उनके सहयोगी त्रिलोचन शास्त्री ने उम्मीदवारों द्वारा अपनी शैक्षणिक योग्यता, आय, संपत्ति और आपराधिक मामलों जैसी जानकारी का खुलासा करना अनिवार्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. पहले, उम्मीदवारों को केवल बुनियादी जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता होती थी.
छोकर और शास्त्री की एक याचिका पर कार्रवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने नवंबर 2000 में आदेश दिया कि चुनावी उम्मीदवारों को शपथ पत्र दाखिल करना होगा जिसमें अन्य बातों के अलावा शैक्षणिक योग्यता, आय, संपत्ति और आपराधिक मामले शामिल होंगे. एडीआर की प्रमुख सफलताओं में से एक 2024 के लोकसभा चुनावों से कुछ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बॉन्ड योजना को खत्म करना था. एडीआर ने एक बयान में कहा कि छोकर की विरासत "भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और नागरिकों की पीढ़ियों को प्रेरित करेगी".
राजद के राज्यसभा सदस्य मनोज कुमार झा ने कहा कि छोकर का निधन एक ऐसी अंतरात्मा की आवाज का शांत होना है जो भारत के लोकतंत्र की अखंडता के लिए अथक रूप से बोलती थी. योगेंद्र यादव ने कहा, "लोकतंत्र और सार्वजनिक कारणों के वास्तव में निस्वार्थ चैंपियन. विनम्र और आत्म-प्रभावी, वह और एडीआर पिछले दो दशकों में कुछ प्रमुख चुनावी सुधारों के पीछे थे, जिसमें संपत्ति और उम्मीदवारों के आपराधिक पूर्ववृत्त का खुलासा भी शामिल है".जगदीप छोकर का भारत को एक पारदर्शी, मजबूत लोकतंत्र बनाने का सपना अभी भी अधूरा हो सकता है. यह एक प्रगति पर काम है. लेकिन उनकी विरासत हमेशा रहेगी.
राजनीतिक विश्लेषक संजय झा के अनुसार, छोकर का काम महत्वपूर्ण था क्योंकि 2014 के बाद भारत एक सत्तावादी स्वभाव के दबाव में आ गया था. चुनावी बॉन्ड योजना एक ऐसा वित्तीय साधन था जिसने संदिग्ध राजनीतिक चंदों को वैध बनाया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया, लेकिन इस "दागी धन" के उपयोग पर कोई रोक नहीं लगाई गई. यह छोकर के लिए एक बड़ी निराशा रही होगी. फिर भी, छोकर ने अपनी असाधारण दृढ़ता के माध्यम से एक विकृत योजना को रोकने में मदद की थी, जिसे अगर चुनौती नहीं दी जाती तो एक पहले से ही भ्रष्ट व्यवस्था को और भी भ्रष्ट कर देती.
बीसीसीआई 'राष्ट्र-विरोधी': शिवसेना (यूबीटी)
"जब खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते तो खून और क्रिकेट एक साथ कैसे बह सकते हैं?"
शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने शुक्रवार (12 सितंबर, 2025) को चल रहे एशिया कप 2025 में 14 सितंबर को होने वाले भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की तीखी आलोचना की है. उन्होंने इस मैच के बहिष्कार की मांग करते हुए कहा, "हमने पूरी दुनिया को बताया है कि भारत में [पहलगाम] हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ था. और फिर भी, अब हम उनके साथ खेलना चाह रहे हैं." उन्होंने कहा, "बीसीसीआई के राष्ट्र-विरोधी और स्वार्थी व्यवहार पर शर्म आती है." उन्होंने सवाल किया कि "जब खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते तो खून और क्रिकेट एक साथ कैसे बह सकते हैं?" (पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को भारत द्वारा निलंबित करने का जिक्र करते हुए).
यह विवाद खेल और राजनीति के बीच के जटिल रिश्ते को उजागर करता है. यह राष्ट्रीय गौरव, आतंकवाद पर देश के रुख और व्यावसायिक हितों के बीच टकराव को सामने लाता है. एक प्रमुख राजनीतिक दल द्वारा इस तरह का कड़ा रुख राष्ट्रीय बहसों पर खेल आयोजनों के प्रभाव को दर्शाता है.
आदित्य ठाकरे ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर भी हमला बोला और पूछा कि क्या पार्टी ने अब अपनी विचारधारा बदल ली है. उन्होंने कहा, "पाकिस्तान, जिसने हमारे देश पर बार-बार हमले किए, देश में आतंकवाद फैलाया और पहलगाम में निर्दोष लोगों की हत्या की. बीसीसीआई पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेलने के लिए इतना उत्साहित क्यों है? क्या यह टीवी राजस्व के लिए है? विज्ञापन राजस्व के लिए? पाकिस्तान ने 2025 पुरुष हॉकी एशिया कप का बहिष्कार करने का फैसला किया क्योंकि टूर्नामेंट की मेजबानी भारत कर रहा था. हम भी बहिष्कार क्यों नहीं कर सकते? बीजेपी ने अपनी विचारधारा बदल दी है. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम पाकिस्तान के साथ मैच खेल रहे हैं. बीसीसीआई राष्ट्र-विरोधी है."
शिवसेना (यूबीटी) इस अवसर का उपयोग बीजेपी पर उसकी राष्ट्रवादी साख को लेकर हमला करने के लिए कर रही है, खासकर जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के अध्यक्ष हैं. यह भारत की विदेश नीति और आतंकवाद पर उसके कड़े रुख के बीच एक कथित विरोधाभास को उजागर करने का एक प्रयास है. शिवसेना (यूबीटी) ने 14 सितंबर को 'सिंदूर रक्षा अभियान' की घोषणा की है, जब पार्टी की महिला शाखा सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करेगी. पार्टी सांसद संजय राउत ने कहा, "बाद में, लाखों घरों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सिंदूर भेजा जाएगा ताकि उन्हें पहलगाम आतंकवादी हमले की याद दिलाई जा सके और यह कि भारत को पाकिस्तान के साथ क्रिकेट नहीं खेलना चाहिए." इससे पहले, सेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर "राष्ट्रीय गौरव से इस तरह के समझौते की अनुमति देने" के लिए निशाना साधा था.
भारत से रूसी तेल की खरीद रुकवाना ट्रंप प्रशासन की 'सर्वोच्च प्राथमिकता': सर्जियो गोर
अमेरिकी सीनेट की विदेशी मामलों की समिति के समक्ष अपनी नियुक्ति की सुनवाई के दौरान, व्हाइट हाउस के राष्ट्रपति के कार्मिक निदेशक और भारत में राजदूत के लिए ट्रंप की पसंद सर्जियो गोर ने सांसदों से कहा कि नई दिल्ली को रूसी कच्चा तेल खरीदने से रोकना "इस प्रशासन के लिए एक सर्वोच्च प्राथमिकता है". इस प्रयास में उन्होंने यूरोप का समर्थन मांगते हुए कहा कि वाशिंगटन के टैरिफ "तभी काम करते हैं जब दुनिया भर में हमारे साझेदार एक ही पृष्ठ पर हों ... यदि हम एकतरफा रूप से किसी पर टैरिफ लगा रहे हैं, लेकिन वे वही तेल खरीदकर चीन, भारत, ब्राज़ील के माध्यम से फिर से बेचने में सक्षम हैं, तो यह एक समस्या है, और हम इसे ठीक करने का पूरा इरादा रखते हैं." जहाँ एक तरफ दोनों देश व्यापार वार्ता फिर से शुरू कर रहे हैं और क्वाड जैसे समूहों में सहयोग कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ अमेरिका भारत की ऊर्जा सुरक्षा और विदेश नीति की स्वायत्तता पर सीधा दबाव बना रहा है. यह दर्शाता है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष का असर भारत की विदेश और आर्थिक नीतियों पर कितना गहरा पड़ रहा है. गोर ने कहा कि ट्रंप द्वारा भारत के साथ व्यापार वार्ता फिर से शुरू करने की घोषणा के कुछ दिनों बाद, दोनों पक्ष "समझौते पर अभी बहुत दूर नहीं हैं". उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप "क्वाड के साथ बैठक जारी रखने और भारतीयों को मजबूत करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं", हालांकि उन्होंने कोई विशिष्ट तारीख नहीं दी. सीनेटरों ने गोर से कई सवाल पूछे, जिसमें यह भी शामिल था कि भारतीय अधिकारी इस तथ्य का क्या अर्थ निकालेंगे कि व्हाइट हाउस ने रूसी तेल की खरीद के लिए भारत पर भारी टैरिफ लगाया है, लेकिन बीजिंग को बख्श दिया है. इस पर उनका जवाब था कि अमेरिका 'अपने दोस्तों को उच्च मानकों पर रखता है' और "हम भारत से कभी-कभी अन्य राष्ट्रों की तुलना में अधिक उम्मीद करते हैं".
अमेरिका का तर्क है कि भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने से मॉस्को को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के लिए धन मिल रहा है. हालांकि, भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों और रूस के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों का हवाला देते हुए अपनी स्थिति पर कायम है. गोर का यह बयान कि अमेरिका भारत से 'अधिक उम्मीद' करता है, एक तरह से भारत पर नैतिक दबाव बनाने की रणनीति है. वहीं, चीन को छूट देना और भारत पर सख्ती बरतना अमेरिका की दोहरी नीति को भी दर्शाता है, जो भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है. अमेरिका G7 देशों के माध्यम से भारत और चीन पर 50-100% सेकेंडरी टैरिफ लगाने के लिए दबाव डाल रहा है. ब्रिटेन जैसे देश इसके बजाय लक्षित प्रतिबंधों का सुझाव दे रहे हैं ताकि एक बड़े व्यापार युद्ध से बचा जा सके. इस बीच, अडानी समूह के खिलाफ अमेरिका में चल रही रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी की जांच भी भारत-अमेरिका व्यापार गतिरोध के कारण रुक गई है, जिससे अरबपति गौतम अडानी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. अमेरिकी संघीय अभियोजक अडानी के खिलाफ आपराधिक आरोप दायर कर सकते हैं, जिससे वह दोनों देशों के बीच भू-राजनीतिक तनाव में बलि का बकरा बन सकते हैं. ये सभी घटनाक्रम संकेत देते हैं कि आने वाले दिनों में भारत-अमेरिका संबंधों में व्यापार और रूस को लेकर तनाव और बढ़ सकता है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, अरबपति गौतम अडानी को संयुक्त राज्य अमेरिका में कथित रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोपों में झटका लगा है, क्योंकि उनके प्रतिनिधियों और अमेरिकी अधिकारियों के बीच समाधान वार्ता रुक गई है. ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों ने अडानी के वकीलों को सूचित किया है कि वे चल रहे भारत-अमेरिका व्यापार गतिरोध के कारण कथित आरोपों को समाप्त करने के सौदे को आगे नहीं बढ़ाएंगे.
छत्तीसगढ़ में 10 नक्सली मारे गए
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में मारे गए 10 नक्सलियों पर कुल 5.25 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था, पुलिस अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया. नक्सलियों पर हुई बड़ी कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने गुरुवार को राज्य के मैनपुर थाना क्षेत्र के राजदेहरा-मटाल पहाड़ियों पर हुई भीषण मुठभेड़ में 1.80 करोड़ रुपये के इनामी और प्रतिबंधित संगठन की केंद्रीय समिति (सीसीएम) के सदस्य मोडेम बालकृष्ण उर्फ मनोज और नौ अन्य नक्सलियों को मार गिराया.
सुशीला कार्की नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री
नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने शुक्रवार को देश की अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. यह नियुक्ति उस समय हुई, जब तीन दिन पहले के.पी. शर्मा ओली ने देश में बड़े पैमाने पर हुए प्रदर्शनों के चलते इस्तीफ़ा दिया था, जिससे कई दिनों की राजनीतिक अनिश्चितता समाप्त हुई.
“द न्यू इंडियन एक्सप्रेस” के अनुसार, कई हितधारकों के बीच गहन विचार-विमर्श और बातचीत के बाद कार्की का नाम उस कार्यवाहक सरकार के प्रमुख के रूप में घोषित किया गया, जिसे नए संसदीय चुनाव कराने की ज़िम्मेदारी मिलेगी.
नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के लिए विख्यात 73 वर्षीय कार्की ने यह इतिहास रचा कि वह हिमालयी राष्ट्र की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं.
कार्की को अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए चुना जाना राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, नेपाल के शीर्ष सैन्य अधिकारियों और उन युवा प्रदर्शनकारियों की सहभागिता वाली बैठक के बाद संभव हुआ, जिन्होंने सरकार-विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया.
इस बैठक में राष्ट्रपति पौडेल, नेपाल सेना प्रमुख और ‘जेन-जी’ आंदोलनकारियों के प्रतिनिधियों ने मिलकर अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए कार्की के नाम पर सहमति जताई. कार्की एक छोटा मंत्रिमंडल बनाएंगी और मंत्रिमंडल की पहली बैठक में वे संभवतः राष्ट्रपति को संसद भंग करने की सिफारिश करेंगी, जैसा कि विभिन्न हितधारकों के बीच हुई समझ के अनुसार तय हुआ है.
राष्ट्रपति पौडेल ने भी कार्की को कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त करने का निर्णय लेने से पहले सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं, विधि विशेषज्ञों और नागरिक समाज के नेताओं से अलग-अलग परामर्श किया. ओली ने मंगलवार को हिंसक युवा-नेतृत्व वाले आंदोलन के बाद इस्तीफा दे दिया था.
शुक्रवार को इससे पहले, नेपाल की प्रतिनिधि सभा के सभामुख देवराज घिमिरे और राष्ट्रीयसभा के अध्यक्ष नारायण दाहाल ने मौजूदा राजनीतिक गतिरोध को "संविधान के दायरे में रहते हुए" हल करने का आह्वान किया. "क़ानून का शासन और संवैधानिकता को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता," घिमिरे और दाहाल के बीच हुई बैठक के बाद जारी एक संयुक्त वक्तव्य में कहा गया.
उन्होंने सभी दलों से प्रदर्शनकारियों की मांगों को पूरा करने और एक मजबूत तथा समृद्ध लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्ध होने का भी आग्रह किया. "हमें पूरा विश्वास है कि क़ानून के शासन और संवैधानिकता से भटकना नहीं चाहिए," उन्होंने कहा और जोर दिया कि नागरिक-नेतृत्व वाली सरकार बनाने की मौजूदा प्रक्रिया को प्रदर्शनकारियों की मांगों को संबोधित करना चाहिए, साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोकतंत्र और अधिक मज़बूत और लचीला बने.
जेन-जी के हिंसक प्रदर्शन में 51 मौतें हुईं, मृतकों में एक भारतीय महिला भी, भारतीय टूरिस्ट बस को निशाना बनाया
नमिता बाजपेयी की खबर है कि उत्तरप्रदेश की एक भारतीय टूरिस्ट बस पर नेपाल के हिंसक प्रदर्शनकारियों ने हमला किया था. इस बस में आंध्रप्रदेश के तीर्थयात्री शामिल थे और यह काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर से लौट रही थी. बस चालक के अनुसार इस हमले में कई यात्री घायल हो गए. घटना 9 सितंबर को भारत-नेपाल सीमा के पास सोनौली के निकट हुई, जब प्रदर्शनकारियों ने 49 भारतीय यात्रियों को ले जा रही बस को निशाना बनाया. यात्रियों को लूटा. गाज़ियाबाद के एक परिवार के लिए तो पशुपतिनाथ मंदिर यात्रा त्रासदी में बदल गई. जिस होटल में यह परिवार ठहरा था, प्रदर्शनकारियों ने उसमें आग लगा दी, जिससे परिवार की एक महिला की मौत हो गई. दर्जनों भारतीय पर्यटक हिंसा-ग्रस्त देश में फंस गए. इस बीच “जेन-जी” प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 51 हो गई है. इनमें से 30 लोगों की मौत गोली लगने से हुई, जबकि 21 अन्य की मृत्यु जलने, चोटों और अन्य घावों के कारण हुई है.
नेपाल के होटल उद्योग को 25 अरब रुपये का नुकसान
नेपाल का होटल उद्योग, जो उसकी पर्यटन-आधारित अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत है, हाल ही में हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान देशभर में लगभग दो दर्जन होटलों में की गई तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी के कारण 25 अरब रुपये से अधिक का नुकसान झेल चुका है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सबसे ज्यादा प्रभावित काठमांडू का हिल्टन होटल है, जिसने अकेले ही 8 अरब रुपये से अधिक का नुकसान दर्ज किया है. यह जानकारी माई रिपब्लिका न्यूज़ पोर्टल ने होटल एसोसिएशन नेपाल द्वारा जारी एक बयान के हवाले से दी. “पीटीआई” के मुताबिक, नेपाल की जीडीपी में पर्यटन का लगभग 7 प्रतिशत योगदान है और यह विदेशी मुद्रा का एक बड़ा स्रोत है. हिमालयी देश का आतिथ्य क्षेत्र अभी भी कोरोना महामारी के झटके से उबर रहा है.
उत्तराखंड में बंदरबांट : रामदेव के गुर्गे को औने पौने दाम पर सरकार ने टूरिज़्म प्रोजेक्ट थमाया
उत्तराखंड में भाजपा की सरकार है...उसने कैसे पतंजलि कंपनी के रामदेव के सहयोगी बालकृष्ण (परोक्ष रूप से रामदेव, जिन्हें कांग्रेस नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह “ठग” कहते रहे हैं) को उपकृत किया, “द इंडियन एक्सप्रेस” में ऐश्वर्या राज और धीरज मिश्रा ने इसका पर्दाफाश किया है. अपनी इस रिपोर्ट में उन्होंने बताया है कि दिसंबर 2022 में जब उत्तराखंड सरकार के पर्यटन बोर्ड ने मसूरी के पास स्थित खूबसूरत जॉर्ज एवरेस्ट एस्टेट में एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए निविदा जारी की, तो इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए तीन कंपनियों ने बोली लगाई. सरकार ने सफल बोलीदाता को मात्र 1 करोड़ रुपये वार्षिक रियायती शुल्क पर 142 एकड़ भूमि, पार्किंग, पगडंडियां, एक हेलीपैड, पांच लकड़ी के कॉटेज, एक कैफ़े, दो संग्रहालय और एक वेधशाला उपलब्ध कराने का वादा किया, जिन्हें उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड ने विकसित किया था.
लेकिन “द इंडियन एक्सप्रेस” की एक जांच से पता चला है कि निविदा नियमों का उल्लंघन करते हुए अनुबंध के लिए बोली लगाने वाली तीनों कंपनियों — जिसमें वह कंपनी भी शामिल है, जिसे यह ठेका मिला — के मालिकाना हिस्सेदारी में एक ही नाम जुड़ा है, और वो है आचार्य बालकृष्ण का. वे 6,199 करोड़ रुपये की उपभोक्ता वस्तुओं की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के सह-संस्थापक और प्रबंध निदेशक हैं तथा बाबा रामदेव के लंबे समय से विश्वस्त सहयोगी भी हैं. कंपनी के रिकॉर्ड दिखाते हैं कि तीन बोलीदाताओं में से दो—प्रकृति ऑर्गेनिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और भरुवा एग्री साइंस प्राइवेट लिमिटेड—में बालकृष्णा की 99% से ज्यादा हिस्सेदारी है.
तीसरी कंपनी, राजस एयरोस्पोर्ट्स एंड एडवेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड, में बोली के समय उनकी हिस्सेदारी 25.01% थी, जो कुछ महीनों बाद टेंडर मिलने के पश्चात 69.43% तक बढ़ गई. राजस को 21 जुलाई 2023 को टेंडर स्वीकृति पत्र जारी किया गया था.
वास्तव में, अक्टूबर 2023 में राजस एयरोस्पोर्ट्स में प्रकृति ऑर्गेनिक्स और भरुवा एग्री साइंस ने मिलकर 17.43% हिस्सेदारी हासिल की. इसके अलावा, बालकृष्णा की चार अन्य कंपनियों—भरुवा एग्रो सॉल्यूशन, भरुवा सॉल्यूशंस, फिट इंडिया ऑर्गेनिक और पतंजलि रिवोल्यूशन—ने मिलकर 33.25% हिस्सेदारी खरीद ली.
यह आवंटन उन दावों के बिल्कुल विपरीत है, जिन पर सभी बोलीदाताओं ने स्पष्ट रूप से हस्ताक्षर किए थे. उस घोषणा में कहा गया है: “हम प्रमाणित करते हैं और पुष्टि करते हैं कि इस बोली की तैयारी और प्रस्तुतिकरण में हमने किसी अन्य बोलीदाता या किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलीभगत या साज़िश नहीं की है, और न ही ऐसा कोई काम, कार्य या गतिविधि की है जिसे प्रतिस्पर्धा-विरोधी माना जा सके.”
निविदा की अयोग्यता और समाप्ति संबंधी निर्देशों में आगे कहा गया है कि यदि उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड, अपने निर्णय में यह पाता है कि संचालक ने “निविदा में भाग लेने या अनुबंध को निष्पादित करने में भ्रष्ट या धोखाधड़ीपूर्ण प्रथाओं में संलिप्तता दिखाई है”, तो अनुबंध समाप्त किया जा सकता है.
“इंडियन एक्सप्रेस” द्वारा यह पूछे जाने पर कि यदि तीनों कंपनियों में एक ही साझी शेयरधारिता है तो क्या मूल्य निर्धारण निष्पक्ष हो सकता है, पर्यटन विभाग के एडवेंचर टूरिज्म विंग के उप-निदेशक अमित लोहानी ने कहा कि उनके आकलन के अनुसार वार्षिक किराया 1 करोड़ रुपये था. उन्होंने कहा, “निविदा खुली थी, और कोई भी इसमें भाग ले सकता था. यह कोई असामान्य बात नहीं है कि कुछ लोग अन्य कंपनियों में भी हिस्सेदारी रखते हों.”
चाचा कांग्रेसी थे और दादा कम्युनिस्ट, संघ के स्वयंसेवक रहे राधाकृष्णन ने बताया
सी. पी. राधाकृष्णन ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में एक संक्षिप्त समारोह में देश के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 67 वर्षीय राधाकृष्णन को पद की शपथ दिलाई. कुछ घंटों बाद, राधाकृष्णन ने राज्यसभा में सभी राजनीतिक दलों के सदस्यों से मुलाकात की, जहां उपराष्ट्रपति सभापति होते हैं. पिछली कड़वाहट को ध्यान में रखते हुए, विपक्ष के नेता नए उपराष्ट्रपति से यही आग्रह कर रहे थे कि विपक्ष को सदन में बराबर का स्थान, सम्मान मिले और उसकी बात सुनी जाए.
अपनी परिचयात्मक टिप्पणी में, राधाकृष्णन ने कहा कि उनके चाचा कभी कांग्रेस के सांसद थे और उनके दादा कम्युनिस्ट थे. उनके चाचा सी. के. कप्पुस्वामी तीन बार कोयंबटूर से सांसद थे, वही सीट जो राधाकृष्णन ने भी 1998 और 1999 में दो बार जीती. कप्पुस्वामी, जो तमिलनाडु कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी थे, 1984 से 1996 तक सांसद रहे. “द इंडियन एक्सप्रेस” के अनुसार, जब विपक्षी सांसदों ने राधाकृष्णन से यह सुनिश्चित करने को कहा कि विपक्ष की बात सुनी जाए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे 'कई दशकों तक विपक्ष में रहे हैं' और जानते हैं कि विपक्ष में रहना कैसा महसूस होता है. उपराष्ट्रपति ने विपक्ष के नेताओं से 'न्याय की निष्पक्षता' सुनिश्चित करने का वचन दिया और उनका सहयोग मांगा. ये टिप्पणियां विपक्ष के नेताओं के दिलों को भा गईं, हालांकि कई ने कहा कि वे सदन में उनके रवैये का इंतजार करेंगे.
धनखड़ भी प्रकट हुए : इस समारोह में पूर्व उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की उपस्थिति चौंकाने वाली रही, क्योंकि 21 जुलाई को अचानक अपने पद से इस्तीफा देने के बाद सार्वजनिक रूप से वे पहली बार दिखाई दिए. उन्होंने अपने पूर्ववर्ती एम. वेंकैया नायडू से बातचीत की, उनसे मिलने पहुंचे सांसदों से अनौपचारिक बातें कीं और कई लोगों को चौंका दिया जब वे पारंपरिक हाई-टी के लिए रुक गए.
गुजरात में नाबालिग के साथ पुलिस का यौन शोषण, सुप्रीम कोर्ट में याचिका
सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर गुजरात पुलिस पर 17 वर्षीय किशोर के साथ यौन शोषण और हिरासत में प्रताड़ना का आरोप लगाया गया है. याचिका में घटना की जांच के लिए एसआईटी गठित करने या सीबीआई जांच की मांग की गई है.
“लाइव लॉ” के अनुसार, एडवोकेट रोहिन भट्ट ने सीजेआई बी. आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच के सामने उल्लेख किया कि याचिकाकर्ता के नाबालिग भाई को पुलिस ने उठा लिया, हिरासत में यातनाएं दीं, यौन शोषण किया गया. उसके गुदा मार्ग में डंडे डाले गए. उन्होंने आगे कहा कि इस अर्ज़ी में चिकित्सकों का एक मेडिकल बोर्ड तत्काल गठित करने की मांग की गई है, जिसमें एम्स दिल्ली के डॉक्टर शामिल हों, क्योंकि वह नाबालिग गंभीर हालत में है.
“आपने मसाला डाला है”: सुप्रीम कोर्ट का कंगना रनौत की याचिका पर सुनवाई से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने अभिनेत्री और बीजेपी सांसद कंगना रनौत द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने 2021 के किसान आंदोलन में शामिल एक महिला प्रतिभागी पर किए गए ट्वीट को लेकर उनके खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि की शिकायत को रद्द करने की मांग की थी. न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. सुनवाई शुरू होते ही न्यायमूर्ति मेहता ने याचिकाकर्ता की टिप्पणी को लेकर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा, “आपकी टिप्पणियों का क्या? यह सिर्फ री-ट्वीट नहीं था. आपने अपनी टिप्पणी जोड़ी है. आपने उसमें “मसाला” डाला है.
“लाइव लॉ” के मुताबिक, कंगना के वकील ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने अपनी टिप्पणी को लेकर स्पष्टीकरण दिया है. इस पर न्यायमूर्ति मेहता ने जवाब दिया कि स्पष्टीकरण ट्रायल कोर्ट के समक्ष दिया जा सकता है. वकील ने कहा, “स्थिति ऐसी है कि मैं पंजाब में यात्रा नहीं कर सकता.” बेंच ने कहा कि वह व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट की मांग कर सकती हैं. जब वकील ने आगे बहस करने का प्रयास किया तो बेंच ने चेतावनी दी कि यदि बहस जारी रही तो उसे प्रतिकूल टिप्पणी करनी पड़ सकती है, जिससे ट्रायल में उनकी रक्षा प्रभावित हो सकती है. न्यायमूर्ति मेहता ने कहा, “हमसे यह न पूछें कि ट्वीट में क्या लिखा है. इससे आपके ट्रायल में बाधा आ सकती है.”
उमर खालिद की याचिका पर सुनवाई टलने की वज़ह रात ढाई बजे फाइलों का आना, अब 19 को
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (12 सितंबर 2025) को छात्र कार्यकर्ताओं उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर की ज़मानत याचिकाओं पर सुनवाई टाल दी. ये मामला फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों की कथित साज़िश से जुड़ा है, जो गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज किया गया था. “द हिंदू” के अनुसार, जस्टिस अरविंद कुमार और एन.वी. अंजनिया की बेंच ने इस मामले की अगली सुनवाई 19 सितंबर को तय की है. सुप्रीम कोर्ट ने उमर खालिद और अन्य की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई 19 सितंबर तक स्थगित की
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने कहा कि वे मामले के रिकॉर्ड की जांच नहीं कर पाए हैं क्योंकि फाइलें आधी रात के बाद ही उन तक पहुंचीं. पीठ ने एक सप्ताह के लिए कार्यवाही स्थगित करते हुए कहा, "हमें इन मामलों में फाइलें रात 2:30 बजे मिलीं."
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी इमाम की ओर से पेश हुए, जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल खालिद का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. याचिकाओं में दिल्ली उच्च न्यायालय के 2 सितंबर के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें जमानत देने से इनकार कर दिया गया था.
खालिद, इमाम और अन्य आरोपियों पर फरवरी 2020 के दंगों का "मास्टरमाइंड" होने का आरोप है, जिसमें 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे. नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़क उठी थी.
इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपियों को ज़मानत देने से इनकार कर दिया था. आरोपी 2020 से न्यायिक हिरासत में हैं. उनके वकीलों का कहना है कि मुकदमा अत्यधिक लंबा खिंच गया है और सह-आरोपियों को ज़मानत मिलने के आधार पर इन्हें भी राहत दी जानी चाहिए. नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इक़बाल तन्हा को जून 2021 में ज़मानत दी गई थी, जबकि कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां मार्च 2022 में जेल से बाहर आई थीं.
अमेरिका में भारतीय मूल के व्यक्ति का सिर काट दिया
अमेरिका में डालस के एक मोटल में 50 वर्षीय भारतीय मूल के एक मोटल प्रबंधक की उसके परिवार के सामने बेरहमी से हत्या कर दी गई. कर्नाटक से मूल रूप से जुड़े चंद्रमौली नागमल्लैया की हत्या उसके सहकर्मी योरडानिस कोबोस-मार्टिनेज़ (37) ने कर दी. हत्या एक खराब वाशिंग मशीन को लेकर हुए विवाद के दौरान हुई.
प्रत्यक्षदर्शियों में नागमल्लैया की पत्नी और बेटा भी शामिल थे, जिन्होंने देखा कि कोबोस-मार्टिनेज़ ने उसे बेरहमी से सिर काटकर मार डाला. वह सिर को पार्किंग में ठोकर मारते हुए ले गया और बाद में उसे एक डंपस्टर में डाल दिया.
भारत में खुदरा महंगाई बढ़ी, खाने-पीने के सामान पर असर
भारत की खुदरा महंगाई दर अगस्त में बढ़कर 2.7% पर पहुंच गई है. जुलाई में यह 1.61% थी. इसकी वजह खाने-पीने की वस्तुओं के दामों में हल्की बढ़ोतरी है. सरकार ने खुदरा महंगाई के आधिकारिक आंकड़े शुक्रवार (12 सितंबर) को जारी किए. अगस्त महीने में ग्रामीण महंगाई दर 1.18% से बढ़कर 1.69% हो गई है. वहीं शहरी महंगाई 2.10% से बढ़कर 2.47% पर पहुंच गई है. हालांकि यह वृद्धि भारतीय रिज़र्व बैंक की स्वीकार्य सीमा के भीतर ही रही, जिससे इस साल एक और ब्याज दर कटौती की संभावना बनी हुई है.
“रॉयटर्स” के मुताबिक, आरबीआई का दायित्व है कि लगातार तीन तिमाहियों तक मुद्रास्फीति उसकी 2%-6% की सहनशील सीमा से अधिक न जाए. दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था इस वित्तीय वर्ष में 6.5% की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज है. हालांकि, कम मुद्रास्फीति ने कॉर्पोरेट मुनाफ़ों और इक्विटी बाज़ार को दबाव में रखा है. साथ ही अमेरिका को होने वाले भारतीय निर्यात पर 50% तक के टैरिफ़ का असर भी देखने को मिल रहा है.
बांग्लादेश के लूटे गए अरबों डॉलर की कहानी
बीस लाख, पैंसठ हज़ार, पाँच सौ करोड़ रुपये की सेंध लगाई हसीना ने?
फ़ाइनेंशियल टाइम्स की एक डॉक्यूमेंट्री में यह चौंकाने वाला आरोप लगाया गया है कि प्रधानमंत्री शेख हसीना के 16 साल के शासनकाल में बांग्लादेश से अनुमानित 234 बिलियन डॉलर (बीस लाख पैंसठ हज़ार पाँच सौ करोड़ रुपये से थोड़ी ज़्यादा) की लूट हुई. "स्टोलन इन प्लेन साइट" नाम की यह फ़िल्म एक ऐसी कहानी बयान करती है जहाँ देश के पैसे को व्यवस्थित तरीक़े से विदेश भेजा गया, जिससे कुछ राजनीतिक रूप से जुड़े लोग अमीर हो गए, जबकि आम जनता ग़रीबी से जूझती रही. यह पैसा कई तरीक़ों से देश के बाहर भेजा गया. इसमें सरकारी प्रोजेक्ट की लागत को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना, रिश्वतखोरी, बैंक कर्ज़ घोटाले और व्यापार में ग़लत बिल बनाना शामिल था. अनुमान है कि हर साल औसतन लगभग 16 बिलियन डॉलर अवैध रूप से बाहर भेजे गए. यह रक़म ज़्यादातर "हुंडी" जैसे अनौपचारिक चैनलों के ज़रिए विदेश पहुँची.
इस लूट के कई बड़े नाम सामने आए हैं. इनमें से एक पूर्व भूमि मंत्री सैफ़ुज़्ज़मान चौधरी हैं, जिन पर ब्रिटेन, अमेरिका और दुबई में क़रीब 300 मिलियन डॉलर की 400 से ज़्यादा संपत्तियाँ बनाने का आरोप है. यह इस बात का प्रतीक है कि कैसे जनता के पैसे को विदेशों में निजी तिजोरियों में भर दिया गया. 2024 की गर्मियों में, शेख हसीना के तानाशाही रवैये और भ्रष्टाचार से तंग आकर जनता का ग़ुस्सा फूट पड़ा. सरकार की एक पक्षपाती नौकरी कोटा योजना के ख़िलाफ़ शुरू हुआ छात्र आंदोलन जल्द ही एक राष्ट्रव्यापी विद्रोह में बदल गया. 5 अगस्त को जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से इनकार कर दिया, तो हसीना को देश छोड़कर भारत में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.
इस लूटे हुए पैसे का एक बड़ा हिस्सा ब्रिटेन पहुँचा, ख़ासकर लंदन के रियल एस्टेट बाज़ार में. जाँच में हसीना की भतीजी और ब्रिटिश सांसद ट्यूलिप सिद्दीक़ का नाम भी सामने आया, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे. इन आरोपों के चलते उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा. हसीना के जाने के बाद, नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार बनी है. इस सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती देश की लूटी हुई संपत्ति को वापस लाना है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय फ़र्मों की मदद लेनी शुरू कर दी है, लेकिन यह रास्ता बहुत मुश्किल है. जिन लोगों ने अरबों डॉलर चुराए हैं, उन्होंने उसे छिपाने के लिए दुनिया के बेहतरीन वकीलों और सलाहकारों की मदद ली है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस भ्रष्टाचार को जड़ से ख़त्म नहीं किया गया और जवाबदेही तय नहीं की गई, तो बांग्लादेश फिर से उसी दुष्चक्र में फँस सकता है. 17 करोड़ लोगों के इस देश के लिए अपने "ग़ायब अरबों डॉलर" का बोझ भविष्य पर एक बड़ी रुकावट बना हुआ है.
बोल्सोनारो को सज़ा पर ब्राज़ील की सड़कों पर जश्न
ब्राज़ील के पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो को तख्तापलट की साजिश रचने के आरोप में दोषी ठहराए जाने के बाद हज़ारों ब्राज़ीलियाई लोगों ने सड़कों पर उतरकर जश्न मनाया है. बोल्सोनारो को 27 साल की जेल की सज़ा सुनाई गई है. दूसरी ओर, प्रगतिशील राजनेताओं ने इस ऐतिहासिक कदम की सराहना की है, जबकि डोनाल्ड ट्रम्प से जुड़े दक्षिणपंथी लोगों ने गुस्से और धमकियों के साथ प्रतिक्रिया दी है. यह फैसला ब्राज़ील के लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो यह दर्शाता है कि सत्ता का दुरुपयोग करने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर करने के प्रयासों के लिए जवाबदेही तय की जा सकती है. इस घटना का अंतर्राष्ट्रीय महत्व भी है, क्योंकि यह दुनिया भर में दक्षिणपंथी लोकलुभावन नेताओं के उदय और लोकतंत्र के लिए उनके द्वारा उत्पन्न खतरों पर ध्यान आकर्षित करता है. चिली के वामपंथी राष्ट्रपति गेब्रियल बोरिक और कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने ब्राज़ील के लोकतंत्र की सराहना करते हुए इस फैसले का स्वागत किया. ब्राज़ील की राजधानी ब्रासीलिया में हज़ारों लोग जश्न मनाने के लिए इकट्ठा हुए, और इस दिन को लोकतंत्र की जीत के रूप में मनाया. इसके विपरीत, बोल्सोनारो के समर्थकों ने नाराज़गी व्यक्त की. अमेरिका के उप विदेश मंत्री क्रिस्टोफर लैंडौ ने ब्राज़ील के सुप्रीम कोर्ट के जज पर कानून के शासन को नष्ट करने का आरोप लगाया. बोल्सोनारो के बेटे एडुआर्डो बोल्सोनारो और डोनाल्ड ट्रम्प ने इस फैसले को "राजनीतिक उत्पीड़न" बताया और अमेरिकी सरकार से "ठोस कार्रवाई" की उम्मीद जताई.
11 सितंबर की तारीख, जो पहले लैटिन अमेरिका में 1973 के चिली तख्तापलट के कारण तानाशाही से जुड़ी थी, अब ब्राज़ील में लोकतंत्र की जीत के एक नए प्रतीक के रूप में देखी जा रही है. अमेरिका में ट्रम्प से जुड़े लोगों की प्रतिक्रिया बोल्सोनारो और अमेरिकी रूढ़िवादी आंदोलन के बीच घनिष्ठ संबंधों को दर्शाती है और यह भी दिखाती है कि कैसे घरेलू राजनीतिक लड़ाइयाँ अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित कर सकती हैं. ब्राज़ील में जश्न का माहौल जारी रहने की उम्मीद है, और रियो में शुक्रवार रात को "लोकतंत्र की विजय शोभायात्रा" नामक एक कार्निवल परेड की योजना है. ब्राज़ील के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी चेतावनियों को खारिज कर दिया है और कहा है कि इस तरह की धमकियाँ उनके लोकतंत्र को नहीं डरा पाएंगी. हालांकि, इस फैसले से ब्राज़ील और भविष्य में ट्रम्प के नेतृत्व वाले संभावित अमेरिकी प्रशासन के बीच तनाव बढ़ सकता है.
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