14 दिसंबर 2024: संसद में संविधान चर्चा, प्रियंका का आरएसएस पर तंज, हाईकोर्ट जज पर महाभियोग का नोटिस, रूस का आधा तेल रिलायंस को, घटते अमेरिकी वीजा, आवास योजना के आधे मक़ान खाली, प्रदूषण से 15 लाख मौतें
हिंदी भाषियों का क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज्यादा
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
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आज की सुर्खियाँ: संसद में 75 वर्षीय संविधान पर विशेष चर्चा शुरू हो गई है. शुक्रवार को पहले दिन लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसकी शुरूआत करते हुए कहा कि कुछ हमारे संविधान को औपनिवेशिक मानते हैं, जबकि कई दूसरे यह दावा करते हैं कि यह किसी खास पार्टी की देन है. सच तो यह है कि हमारा संविधान हमारी सभ्यता के मूल्यों को दर्शाता है और अपने साथ स्वतंत्रता के संघर्ष की विरासत संजोए हुए है. यही कारण है कि यह आज भी मजबूती के साथ खड़ा हुआ है. राजनाथ ने कांग्रेस का नाम लिये बिना कहा, “संविधान किसी एक पार्टी की देन नहीं, अपितु भारत के मूल्यों से बंधा एक अद्वितीय, परिवर्तनकारी दस्तावेज है.”
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी वाड्रा ने आगाज़ किया. पहली बार संसद में आईं प्रियंका का यह पहला भाषण था. वह 32 मिनट बोलीं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनकी सरकार पर सीधे हमले किए. कहा कि भारतीय नागरिकों की कीमत पर एक उद्योगपति गौतम अडानी को फायदा पहुंचाया जा रहा है. सरकार 142 करोड़ लोगों के ऊपर एक व्यक्ति के हितों को रख रही है. देश की संपत्ति, हवाई अड्डे और जमीन एक व्यक्ति को लाभ के लिए सौंपी जा रही हैं, जबकि गरीब हिंदुस्तानियों को तकलीफ सहने के लिए छोड़ दिया गया है. जनता के संसाधनों का ऐसा दुरुपयोग कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता. “प्रधानमंत्री संविधान को अपने माथे से लगाते हैं, लेकिन जब सम्भल, हाथरस और मणिपुर से न्याय के लिए चीख उठती है, तो उनके माथे पर शिकन तक नहीं आती,” वायनाड से नवनिर्वाचित प्रियंका ने कहा. उन्होंने कहा कि मोदी समझ नहीं पाए हैं कि यह ‘भारत का संविधान’ है, न कि ‘संघ का विधान’. बहस के दौरान तृणमूल कांग्रेस की सदस्य महुआ मोइत्रा के जज बीएच लोया की मौत का जिक्र करने पर हंगामा होने के कारण दो बार सदन की कार्यवाही रोकना पड़ी. संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजुजू ने मोइत्रा से कहा, हम आपके खिलाफ उचित संसदीय निर्णय लेंगे. आप बच के निकल नहीं सकतीं. लोकसभा में 13 और 14 दिसंबर और राज्यसभा में 16 व 17 दिसंबर को संविधान पर बहस होगी.
उधर, राज्यसभा में विपक्ष के 55 सदस्यों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस दे दिया. यादव पर हेट स्पीच और सांप्रदायिक असंगति में शामिल होकर संविधान का उल्लंघन करने का आरोप है.
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बहस को लेकर शुक्रवार को भी हंगामा हुआ. विपक्ष के सदस्य नोटिस पर चर्चा की मांग कर रहे थे, जबकि सत्ता पक्ष इसके विरोध में था. हंगामे और शोरगुल के बीच धनखड़ ने नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को बोलने कीअनुमति दी तो खड़गे ने आरोप लगाया कि सभापति द्वारा सदन में सत्ता पक्ष के सांसदों को अधिक समय दिया जाता है और कांग्रेस का अनादर किया जा रहा है. इस पर धनखड़ ने सदन के नेता जेपी नड्डा और खड़गे से कहा कि वे उनके कक्ष में आकर मिलें और इतना कहकर कार्यवाही 16 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी.
यत्र नारी पूज्यंते रमंते तत्र देवता: इस सरकारी पोस्टर के फोटो में वे हज़ार शब्द पढ़े जा सकते हैं, जिसे कहने की जरूरत सरकार महसूस नहीं कर रही है. अकादमिक उत्कृष्टता को आकार देेनी वाली महिला नेताओं के जरिये 2047 में विकसित भारत का सपना अगर साकार हो सकता है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान द्वारा. इस पोस्टर में महिला, नेता, अकादमिक, उत्कृष्टता, आकार, विकास, भारत और भविष्य 2047 की तस्वीर साफ की जा रही है. अर्थशास्त्री जयति घोष ने इस पर तंज करते हुए ट्वीट किया है.
संकरे होते अमेरिकी दरवाज़े: भारतीय आईटी फर्म को अमेरिका से मिलने वाले एच-1बी वीजा 2015 की तुलना में आधे हो गये हैं और अंदाजा लगाया जा रहा है कि वे और घटेंगे. इकोनॉमिक टाइम्स ने एक विश्लेषण का हवाला देते हुए कहा है कि वित्त वर्ष 2015 में जहां भारत की शीर्ष सात आईटी कंपनियों के नये कर्मियों को जहाँ 14,795 वीजा दिये गये थे, 2024 में सिर्फ 7299 एच-1 बी वीजा मिले. अमेरिका में पढ़ रहे भारतीय विद्यार्थियों की चिंता भी बढ़ी है. क्रिसमस ब्रेक पर छुट्टी जाने वाले छात्रों से उनके विश्वविद्यालयों ने सलाह जारी की है कि वे 20 जनवरी से पहले वापस आ जाएं. ट्रम्प के राष्ट्रपति पद ग्रहण करने के बाद क्या होगा, कुछ साफ नहीं है. अस्थाई तौर पर बिना ग्रीन कार्ड के काम कर रहे टेक कर्मियों को भी इस तरह की एडवायजरी दी जा रही है. सीएनबीसी को एक निवेश विश्लेषक ने कहा है कि भारत के शीर्ष टैक स्टॉक पर ट्रम्प के आने के बाद नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
तेल की धार देखो: दुनिया में तेल का उत्पादन करने वालों में रूस दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा देश है. वह 111 लाख बैरल तेल रोज निकालता है. अब उसका आधा यानी पाँच लाख बैरल कच्चा तेल रिलायंस को प्रोसेस करने के लिए सप्लाई किया जाएगा. रूसी एजेंसी रोजनेफ्ट ने इस प्रस्ताव को पिछले माह मंजूरी दी और अगले माह से इसे लागू किया जाएगा. ये करार दस साल लागू रहेगा और जरूरत पड़ी दस साल और. रूस के लिए भारत सबसे बड़ा आयातक बन गया है. पहले रूस यूरोपीय देशों को तेल बेच रहा था, पर यूक्रेन पर हमला करने के बाद लगी पाबंदियों के बाद अब दुनिया को तेल वह भारत के मार्फत बेच रहा है. रूस की अर्थव्यवस्था खासी मुश्किल में है और यूक्रेन से लड़ते रहने के लिए तेल बेचते रहना उसके लिए जरूरी है.
आधे मक़ान खाली: सरकार का दावा है कि पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत 9.69 लाख मक़ान पूरे हो चुके हैं. पर इनमें से 4.59 लाख मक़ान अभी खाली हैं. यह कुल मकानों का करीब 46% है. आवास और शहरी मामलो के मंत्रालय ने संसद की स्थाई समिति को यह बताया है. ‘द प्रिंट’ की खबर के मुताबिक ऐसा इसलिए है, क्योंकि इंफ्रास्ट्रक्चर अधूरा है. मक़ान अलॉट नहीं हुए हैं और ऐसे भी मामले हैं, जहां आबंटित होने के बाद भी लोग वहाँ जाना नहीं चाह रहे. स्थाई समिति की टिप्पणी थी, कि अगर पूरे होने के बाद भी मक़ान खाली पड़े हैं तो पूरे मिशन का मतलब ही नहीं रहेगा.
6जी के सपने: भारत का अरमान तो है कि टेलीकॉम संबंधी रिसर्च और विकास क्षेत्र में 2030 तक दुनिया भर के 6जी टैक्नोलॉजी के पेटेंट के 10 फीसदी भारत के पास रहें. पर इसके लिए सिर्फ 1100 करोड़ रुपये रखे गये हैं. जो जीडीपी का .03% है. कल्याण परबत ने टेलीकॉम उद्योग के विशेषज्ञों के हवाले से बताया है कि इतने में उतना होना मुश्किल है. इसके अलावा भारत को अपने 4जी और 5जी इंफ्रास्ट्रक्चर को भी अपग्रेड करने के लिए खासा निवेश जुटाना होगा.
सम्भल में पुलिस पर गोलीबारी और पक्षपात का आरोप
सुप्रीम कोर्ट के मस्जिदों के सर्वेक्षण पर रोक लगाने के बावजूद, उत्तर प्रदेश के सम्भल में हाल ही में हुई हिंसा ने सूबे की कानून व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न चिन्ह खड़े कर दिए हैं. मुस्लिम परिवारों ने पुलिस पर गोलीबारी, पक्षपातपूर्ण कार्रवाई और मृतकों के शवों को जल्दबाजी में दफनाने के गंभीर आरोप लगाए हैं. 'आर्टिकल 14' के लिए सबा गुरमत ने सम्भल मामले की गहराई से पड़ताल की है. 24 नवंबर 2024 को सम्भल की शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के बाद हुए तनाव में पांच मुस्लिम पुरुषों की मौत हो गई. शाही जामा मस्जिद पर यह आरोप लगाया गया कि इसे एक हिंदू मंदिर के ऊपर बनाया गया था. यह विवाद अन्य मस्जिदों जैसे ज्ञानवापी और मथुरा की शाही ईदगाह से मिलता-जुलता है. अब 40 लोग गिरफ्तार, 2,500 से अधिक के खिलाफ मामले दर्ज हुए हैं.. नाबालिगों और महिलाओं को हिरासत में लेने के आरोप भी हैं. सरकार ने पत्थरबाजों की तस्वीरें सार्वजनिक करने की धमकी दी, लेकिन अभी तक ऐसा किया नहीं गया है.
भारत में प्रदूषण से हर साल 15 लाख लोगों की हुई मौत
लैंसेट प्लेनेटरी हेल्थ की गुरुवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल 15 लाख लोगों की मौत प्रदूषण के कारण होती है. रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा लंबे समय तक पीएम 2.5 प्रदूषण के संपर्क में रहने के कारण होता है. शोधकर्ताओं ने 2009-2019 का डेटा इस रिपोर्ट में शामिल किया है.
उर्दू प्रेस रिपोर्ट: जस्टिस यादव की ‘हेट स्पीच’ चर्चा में
उर्दू अखबार में इस हफ्ते इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर यादव सबसे ज्यादा चर्चा में रहे. इस आशय की खबरें, आर्टिकल और एडिट सबसे ज्यादा रहे- ‘जब जज ही सांप्रदायिक हो जाए, तो देश का क्या होगा’. इसके अलावा मंदिर-मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद और अदालती सक्रियता को जगह मिली है. अखबारे मशरिक ने फतेहपुर की शाही मस्जिद के एक हिस्से को अतिक्रमण के कारण ढहाने पर लिखा है- ‘कभी मंदिर का बहाना, कभी तजावजात का बहाना, हर दिन कहीं मस्जिद कहीं मजार पर निशाना’. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट से पूजा स्थलों के सर्वे से फौरी राहत की खबर और वरशिप एक्ट पर बेंच बनने की खबरें सुर्खियां में रहीं तो इस पर भी चर्चा रही कि क्या जजों ने ही विवादों का पिटारा खोल दिया है. यह लब्बोलुआब सभी उर्दू अखबार (इंकलाब, अखबारे मशरिक, रोजनामा सहारा, सहारा, सियासत डेली, डेली एतमाद, अवधनामा, कौमी तंजीम, डेली हिंदुस्तान एक्सप्रेस वगैरह) का रहा.
फौजी गौरव की बदलती तस्वीर: पत्रकार मान अमन सिंह चिना ने शुक्रवार को एक्स / ट्विटर पर बताया कि थल सेना प्रमुख के दफ्तर से वह ऐतिहासिक तस्वीर हटा ली गई है, जो 1971 में बांग्लादेश को आजाद करवाते वक्त भारत ने पाकिस्तानी फौज का समर्पण करवाते वक्त ली थी. उसकी जगह एक पेंटिंग लगाई गई है, जो पैगोंग त्सो के मिथकीय प्रतीकों के बारे में है. अवकाश प्राप्त लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा है, ‘हजार सालों में भारत की पहली प्रमुख सैन्य विजय का और आज़ाद भारत की भी, प्रतीक बनने वाली तस्वीर को एक ऐसे निज़ाम ने हटाया है, जिसका यकीन है कि मिथकों, धर्म और प्राचीन विभाजित सामंती अतीत से भविष्य में विजय की प्रेरणा मिलेगी.’ चिना का कहना है कि इसी दफ्तर में भारतीय सेना अकादमी के संस्थापक फील्ड मार्शल फिलीप चेटवोड का सूत्रवाक्य लिखा हुआ था, वह भी हटा लिया गया है.
अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के बीच फंसेगा भारत?
भारत में चीन से आयात तेजी से बढ़ रहा है. जनवरी में डोनाल्ड ट्रंप के गद्दी संभालने के बाद यदि बीजिंग पर अमेरिकी शुल्क में और वृद्धि हुई तो चीन का सरप्लस सामान भारत और अन्य देशों तक पहुंच सकता है. अभी ही भारत का इस्पात उद्योग बढ़ते चीनी आयात से प्रभावित हो रहा है. हालांकि एक विश्लेषक का कहना है कि ज्यादा अमेरिकी टैरिफ बढ़ने से भारतीय निर्यातकों को चीनी आयातों से खाली होने वाली जगह भरने का अवसर दे सकते हैं.
रॉयटर्स की “इंडिया फाइल” में इरा दुग्गल ने लिखा- भारत के स्टील निर्माताओं पर सस्ते चीनी आयात का दबाव बढ़ रहा है और इसीलिए उन्होंने सुरक्षा शुल्क लगाने की मांग की है. चिंता इस बात की है कि जब डोनाल्ड ट्रम्प व्हाइट हाउस में प्रवेश करेंगे, तब क्या होगा? क्योंकि ट्रम्प ने चीन और अन्य देशों के खिलाफ टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी है. अगर अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध होता है, तो इसका असर केवल स्टील तक सीमित नहीं रहेगा. मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और केमिकल्स जैसे अन्य क्षेत्र भी प्रभावित हो सकते हैं और चीन को अतिरिक्त शुल्क का सामना करना पड़ सकता है.
भारत पहले से ही चीन से भारी मात्रा में आयात करता है और इसमें तेजी से इजाफा हो रहा है. 65.9 बिलियन डालर (करीब 5590 अरब रुपये) तक पहुंच गया है, जिससे चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़कर 57.8 बिलियन डालर (करीब 4903 अरब रुपये) हो गया है. यह पिछले वर्ष 51.1 बिलियन डालर (करीब 4335 अरब रुपये) था.. सीआरआईएसआईएल (क्रेडिट रेटिंग इन्फॉर्मैशन सर्विसेज़ ऑफ इंडिया लिमिटेड), मार्केट इंटेलिजेंस और एनालिटिक्स के अर्थशास्त्रियों ने 28 नवंबर की रिपोर्ट में कहा है कि बड़े अमेरिकी शुल्क या दूसरी व्यापार बाधाएं चीन की सरप्लस वस्तुओं का निर्यात भारत या अन्य स्थानों की तरफ बढ़ा सकती हैं. दुनिया में भारत का स्टील निर्माण उद्योग चीन के बाद दूसरे नंबर पर है, लेकिन उसे कठिनाई का सामना करना पड़ा है, क्योंकि चीनी आयात वित्तीय वर्ष के पहले सात महीनों में साल-दर-साल 35.5% बढ़कर 1.7 मिलियन मीट्रिक टन के ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है. इससे भारत की घरेलू कीमतें गिर गई हैं और यदि ये कीमतें कम रहती हैं, तो इस्पात मंत्रालय के मुताबिक देश की स्टील उत्पादन क्षमता को दशक के अंत तक दो तिहाई बढ़ाने के लक्ष्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
इस वर्ष मई में अमेरिका ने चीनी स्टील पर 25% शुल्क लगाया. इससे जनवरी से सितंबर के बीच अमेरिका में शिपमेंट 1% घट गए. वहीं इसी अवधि में भारत में निर्माण-ग्रेड स्टील की बढ़ती मांग के कारण शिपमेंट बढ़ रहे थे. दरअसल, चीन धीमी घरेलू अर्थव्यवस्था में कमजोर मांग से जूझ रहा है. 2025 में मांग स्थिर रहने या इसमें थोड़ी गिरावट की संभावना है, जिससे इसकी अधिक आपूर्ति बढ़ सकती है. भारत सरकार ने अभी तक घरेलू उत्पादकों द्वारा चीनी स्टील के खिलाफ मांगे गए सुरक्षा शुल्क पर सहमति नहीं दी है.
कृत्रिम बैक्टीरिया बनाने पर रोक की माँग
वैज्ञानिक प्रयोगशाला में कई सारे ऐसे जीवाणु बनाते हैं, जिससे वह सच के बैक्टीरिया के व्यवहार को समझ सकें और उनसे निपटने के कारगर तरीके निकाल सकें. इसे ‘मिरर लाइफ’ कहते हैं जिससे बैक्टीरिया के क्लोन बनाकर उन्हें जाना, समझा और उनसे निपटा जाता है. जाहिर है यह विज्ञान के लिए एक स्तर पर जरूरी है. पर अब शीर्ष वैज्ञानिकों का एक दल इन प्रयोगों को रोकना चाहता है. केवल इंसान ही नहीं जानवरों और पौधों के जीवन पर भी इस शोध से बड़ा खतरा मंडरा सकता है. पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय के विकासवादी जीवविज्ञानी प्रोफेसर वॉन कूपर ने कहा- ‘हम जिस खतरे के बारे में बात कर रहे हैं वह अभूतपूर्व है. मिरर बैक्टीरिया संभवतः कई मानव, पशु और पौधों की प्रतिरक्षा प्रणाली प्रतिक्रियाओं से बच जाएगा और प्रत्येक मामले में घातक संक्रमण का कारण बनेगा जो बिना जांच के फैल जाएगा.’ वैज्ञानिको नें फंडर्स से इस शोध को बंद करने की चेतावनी दी है, क्योंकि ये शोध बहुत कुछ गडबड़ा सकता है. पूरे जीवन का सिस्टम, लैब में निर्मित बैक्टीरिया गड़बड़ाने में सक्षम हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि इन प्रयोगों पर तुरंत रोक लगाई जाए. अगर इन पर शोध करना है, तो सबसे पहले इनके खतरों को पूरी तरह समझा जाए और सुरक्षा के सख्त नियम बनाए जाएं.
हफ्ते में दूसरी बार स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी
दिल्ली में एक सप्ताह के भीतर दूसरी बार स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी मिली है. 9 दिसंबर को ईमेल के जरिये 44 स्कूलों को धमकी मिली थी और शुक्रवार की सुबह फिर 6 स्कूलों को मिली. पुलिस सूत्र ने बताया कि ईमेल रात 12:54 पर मिला. इसमें यह उल्लेख किया गया है कि शुक्रवार और शनिवार को ‘स्कूलों में बम विस्फोट होंगे’. जांच के बाद पुलिस ने कहा कि कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला है.
टेक एक्सपर्ट की आत्महत्या के बाद पीआईएल
बेंगलुरु के टेक एक्सपर्ट अतुल सुभाष ने पत्नी और उसके परिवार वालों पर उत्पीड़न का आरोप लगाकर आत्महत्या कर ली थी. इसके बाद अधिवक्ता विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल डालकर दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा कानूनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित कर उनकी समीक्षा और सुधार का निर्देश देने की मांग की है, ताकि इन कानूनों का दुरुपयोग रोका जा सके.
विश्लेषण: इतिहास की कब्र खोदकर भारत के भविष्य पर मिट्टी डालने वालों को सबक
राकेश कायस्थ
प्लेसेज़ ऑफ वरशिप एक्ट पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जो व्यवस्था दी है, वो देशवासियों के लिए तात्कालिक राहत लेकर आई है. लोअर कोर्ट से मनचाहा फैसला लेकर मस्जिदों के सर्वे का तमाशा खड़ा करके देशभर में सांप्रादायिक उन्माद पैदा करने की कोशिशों पर फौरी तौर पर लगाम लगेगी.
1991 में प्लेसेेज़ ऑफ वरशिप एक्ट इस मकसद से लाया गया ताकि इतिहास की कब्र खोदकर भारत के भविष्य पर मिट्टी ना डाली जा सके. इस एक्ट ने सुनिश्चित किया था कि राम-जन्मभूमि जैसे सब-ज्यूडियस मामलों को छोड़कर बाकी धार्मिक स्थलों पर 1947 वाली स्थिति बहाल रहेगी.
इस एक्ट को चुनौती देनेवाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. 2021 में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि इस एक्ट के बारे में उसी क्या राय है. केंद्र सरकार ने तीन साल तक कोई जवाब नहीं दिया. आज सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा यही सवाल पूछा और केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए एक महीने का समय दिया है.
आखिर ऐसी क्या मजबूरी है कि केंद्र सरकार इस मामले में मुंह नहीं खोल पा रही है. असल में ये मामला केंद्र सरकार के लिए दोधारी तलवार है. अगर सरकार खुलकर इस एक्ट की मुखालफत करती है, तो पूरी दुनिया में उसकी किरकिरी होगी और भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि पर सवालों के घेरे में आएगी. अगर केंद्र इस एक्ट को अच्छा बताती है, तो फिर ये मंदिर-मस्जिद का तमाशा हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा. 2019 के बाद हर चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने ये बार-बार साफ किया है कि मंदिर-मस्जिद के अलावा उन्हें कुछ और नहीं आता है. चुनाव जीते या हारे बीजेपी ध्रुवीकरण नहीं छोड़ेगी. ऐसे में सांप्रादायिक राजनीति को आगे बढ़ाने के चोर रास्ते ढूंढने पड़ेंगे.
ऐसा ही एक रास्ता तात्कालिक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ ने बीजेपी के लिए खोला जब उन्होंने अपने एक मौखिक आदेश से वारशिप एक्ट को कमज़ोर किया और उसके बाद निचली अदालतों से सर्वे वाली याचिकाओं की बाढ़ आ गई. बीजेपी को सूट करने वाले फैसले भी दनादन आने लगे.
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी विश्वसनीयता बहुत तेजी से खोई है. देश का आम आदमी यह मानने लगा है कि अदालत कहती कुछ है लेकिन जब फैसला देने का वक्त आता है तब कोई ऐसा रास्ता निकाल लेती है, जिससे बीजेपी की सांप्रदायिक राजनीति को लाभ पहुंचे. सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की खंडपीठ वरशिप एक्ट की तारीफ कर चुकी है. ऐसे में उम्मीद यही की जानी चाहिए कि जब इस मामले में कोर्ट का अंतिम फैसला आएगा तो उसकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होगा.
चलते-चलते: सीआईएसएफ कैंटीन से सस्ती शराब गायब
केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के अधिकारियों ने सभी सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मियों के लिए सब्सिडी वाली शराब की आपूर्ति पर रोक लगा दी है. बदले में तोहफा भी दिया है. सेहत का तोहफा. फौजियों से 'ओल्ड मॉन्क' को छोड़कर किसी 'ओल्ड योगा मॉन्क' की शरण में जाने को कहा गया है. इस विचित्र फैसले से सीआईएसएफ के कर्मी तो सेवाकाल के नियमों से बंधे होने के चलते दबी जुबान में खुस-पुस कर रहे हैं, लेकिन रिटायर हो चुके कर्मी इस पर सीधे एतराज जता रहे है. मसला कोटे का जो है! चीन की सरहद तक फैले हुए उत्तराखंड और हिमाचल के पहाड़ों पर तो शादी ब्याह जैसे गंभीर सामाजिक मसलों के दरमियां, सब्सीडी वाली शराब के लिए फौजी या पैरामिलिटरी के लोगों की ढूंढबीन के किस्से लोक संस्कृति का हिस्सा सा बन गए हैं. छाती पर मूंग दलने वाली बात यह भी है कि यह नियम दूसरे अर्द्धसैनिक दलों जैसे सीमा सुरक्षा दल (बीएसएफ) या भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के लिए लागू नहीं है.
पहाड़ में तो इस खबर के आने के बाद देहरादून के फौजी मोहल्लों से लेकर सुदूर चीन से सटे सरहदी चमोली जिले के गांवों तक में गहरी मायूसी के साथ ही गंभीर चर्चा सी चल पड़ी है कि अब आगे क्या होगा! पूर्वकर्मी संघ के अध्यक्ष रणबीर सिंह ने तो दारू के मसले पर सीधे सरकार से जंग छेड़ने का ऐलान कर दिया. उन्होंने कहा ये बेहद 'भेदभावपूर्ण' है. संघ ने इस "अन्यायपूर्ण निर्णय" के खिलाफ जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है. संघ का कहना है कि योग और शराब परस्पर विरोधी नहीं हैं और कर्मियों को एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने का मौका दिया जाना चाहिए.
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.