15 दिसंबर 2024: नड्डा-मालवीय को राहत, जिनके घरों पर चला बुलडोजर, मोदी के 'मस्क' हुए अडानी, कनाड़ा में घबराए छात्र, 5 नई ततैया, झारखंड के लोगों का दर्द और लाल किले पर सुल्ताना बेगम का दावा
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
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आज की सुर्खियाँ: कांग्रेस ने अपने संविधान का पालन नहीं किया, देश के संविधान का क्या करेगी : संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर संसद में चार दिनी खास चर्चा के दूसरे दिन शनिवार को लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित पक्ष विपक्ष के अनेक सदस्यों ने अपनी बात रखी. मोदी ने बहस का जवाब देते हुए कांग्रेस को निशाने पर लिया. कहा कि कांग्रेस पार्टी खुद के संविधान का पालन नहीं करती, वह देश के संविधान का क्या पालन करेगी. कांग्रेस की समितियों के मुताबिक तो सरदार वल्लभ भाई पटेल पहले प्रधानमंत्री होते, लेकिन नेहरू के लिए इसे अनदेखा कर दिया गया. मोदी ने कहा कि नेहरू का अपना संविधान था. आपातकाल का पाप कांग्रेस के माथे से कभी नहीं मिट सकता. राजीव गांधी ने शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट की नहीं सुनी. मैं यहां किसी को निजी तौर पर अपमानित करने के लिए नहीं हूं, लेकिन राष्ट्र के सामने तथ्य रखे जाना चाहिए. कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. एक परिवार इसलिए, क्योंकि 75 वर्षों में से 55 वर्षों तक इस परिवार ने देश पर शासन किया है. प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि संविधान ने भारत को "इतना आगे" बढ़ाया है कि विरोधियों की बातें गलत साबित हुई हैं. संविधान की बदौलत ही वह खुद लोकसभा में पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि हम देश में धर्म निरपेक्ष संहिता लाने का प्रयास कर रहे हैं. विकसित भारत का सपना पूरा करने के लिए देश की एकता जरूरी है. मोदी ने जाति जनगणना के मुद्दे पर भी कांग्रेस को जवाब दिया. कहा कि डॉ अंबेडकर ने जब आरक्षण की बात की तो कांग्रेस ने शुरू में इसका विरोध किया था और बाद में मंडल आयोग की रिपोर्ट का भी सम्मान नहीं किया. जब कांग्रेस की सरकार चली गई तब ओबीसी को आरक्षण मिल सका.
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने जाति जनगणना कराने और आरक्षण में 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने के कांग्रेस के वादे को दोहराते हुए भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर यह कहकर तीखा हमला बोला कि भाजपा जिन हिंदू विचारक विनायक दामोदर वीर सावरकर की प्रशंसा करती है, उन्होंने (सावरकर) कहा था कि “संविधान में कुछ भी भारतीय नहीं है.” राहुल ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि संविधान की रक्षा की बात करके सत्तारूढ़ पार्टी सावरकर का मजाक उड़ा रही है, उन्हें अपमानित कर रही है और बदनाम कर रही है.
राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा मनुस्मृति को संविधान से ऊपर मानती है. सावरकर ने संविधान के बजाय 'मनुस्मृति' जैसे हिंदू धार्मिक ग्रंथ को प्राथमिकता दी. सावरकर का कहना था कि मनुस्मृति वह शास्त्र है, जिसे हमारे हिंदू राष्ट्र के लिए वेदों के बाद सबसे ज्यादा पूजा जाता है और जिससे हमारे पुरखों ने हमारी संस्कृति, रीति रिवाजों, विचार और प्रथा का आधार तैयार किया है. यह पुस्तक सदियों से हमारे राष्ट्र की आध्यात्मिक और दिव्य यात्रा को संहिताबद्ध करती रही है...ये सावरकर के शब्द हैं... सावरकर ने अपने लेखन में साफ साफ कहा है कि जिस पुस्तक से भारत चलाया जाना है, उसकी जगह इस पुस्तक को होना चाहिए. यही लड़ाई का मुद्दा है," राहुल ने कहा. महाभारत के एक उदाहरण का उल्लेख करते हुए राहुल ने कहा कि द्रोणाचार्य ने एकलव्य से अंगूठा मांगा था. ठीक उसी तरह भाजपा सरकार लोगों के अंगूठे काट रही है. "जब आप धारावी को अडानी को देते हैं, तो आप वहां छोटे और मध्यम व्यवसायों का अंगूठा काटते हैं... आपने दिल्ली के बाहर किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़े हैं, किसान उचित कीमतें मांग रहे हैं... आप उस किसान का अंगूठा काट रहे हैं. जब आपने अग्निवीर लागू की, तो आपने युवाओं का अंगूठा काट दिया," राहुल ने जोड़ा.
इसके पहले संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने बहस की शुरूआत करते हुए विपक्ष पर तंज़ किया, ‘भारत ने सभी को समान मतदान अधिकार दिए हैं, लेकिन कुछ का दावा है कि अल्पसंख्यकों के पास इस देश में कोई अधिकार नहीं है.’ डीएमके के सदस्य ए राजा ने कहा कि सावरकर ने दो राष्ट्र हिंदू, मुस्लिम थ्योरी प्रस्तुत की, जिसे अंबेडकर ने स्वीकार नहीं किया. राजा ने सवाल किया, 'देश में कानून का राज है क्या? मणिपुर मुद्दे, बिलकिस बानो बलात्कार मामला, पहलवानों के यौन शोषण मामले पर विचार किया जाना चाहिए.’
(साभार: सतीश आचार्य)
एसीपी पर आईआईटी की छात्रा से बलात्कार का आरोप: कानपुर पुलिस कमिश्नरेट में तैनात एसीपी पर आईआईटी कानपुर में पढ़ने वाली एक छात्रा ने रेप का आरोप लगाया है. छात्रा ने इस मामले की शिकायत पुलिस के आला अधिकारियों से की है. मामले की जांच एडीसीपी रैंक की महिला अधिकारी अंकिता शर्मा कर रही हैं.
दिल्ली के एक और स्कूल को बम से उड़ाने की धमकी, एक हफ्ते में तीसरी घटना : दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस), आरके पुरम में शनिवार सुबह ई-मेल के जरिए बम से उड़ाने की धमकी मिली. दिल्ली अग्निशमन सेवा के अनुसार, ई-मेल को फर्जी पाया गया. पिछले एक हफ्ते के भीतर दिल्ली के स्कूलों को तीन बार धमकी मिल चुकी है.
आईएएस और आईपीएस के हजारों पद खाली, विकास पर असर
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में राजेश कुमार ठाकुर ने सरकारी आंकड़ों के आधार पर बताया है कि देश में आईएएस और आईपीएस अफसरों की भारी कमी हो गई है. राज्यसभा में कार्मिक मामलों के राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में 1,316 और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में 586 रिक्तियां हैं. एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने स्वीकार किया कि यह कमी प्रशासनिक सिस्टम पर दबाव डाल रही है. कई अधिकारियों को अतिरिक्त जिम्मेदारियां संभालनी पड़ रही हैं. इसका असर प्रशासनिक निर्णय लेने की गति और विकास योजनाओं के क्रियान्वयन पर पड़ रहा है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारत में आईएएस अफसरों की स्वीकृत संख्या 6,858 है, लेकिन 1 जनवरी 2024 तक केवल 5,542 सेवा में थे. आईपीएस में स्वीकृत संख्या 5,055 है, जबकि वर्तमान में केवल 4,469 अधिकारी सेवा में हैं.
‘जासूस’ के आरोप में पकड़ा गया शख्स, बरी होने के बाद अब यूपी में ‘जज’ बनेगा...!
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में मुकेश साहू की रिपोर्ट है कि 2002 में कानपुर के 24 वर्षीय प्रदीप कुमार बेरोजगार कानून स्नातक थे. उन पर पाकिस्तान के लिए जासूसी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा. उन्हें देशद्रोह, आपराधिक साजिश और आधिकारिक रहस्य अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया. दो दशकों बाद प्रदीप कुमार की उम्र 46 वर्ष हो चुकी है, लेकिन वह अब न्यायाधीश बनने के करीब हैं. पिछले सप्ताह इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि वह प्रदीप कुमार, जो जून 2002 में गिरफ्तार हुए थे, को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश नियुक्त करने के लिए पत्र जारी करे.
प्रियंका ने पूछा, मेरे भाषण से अडानी शब्द हटा दिया, क्या अडानी शब्द असंसदीय है?
एएनआई के मुताबिक कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने मीडिया से कहा कि भाजपा असली मुद्दों पर बात नहीं करना चाहती. आप सोचिए मैंने जो भाषण दिया, उसमें से अडानी शब्द हटा दिया गया. क्यों भाई? अडानी क्या असंसदीय शब्द है? ये किसी का भी नाम ले सकते हैं, हम अडानी का नाम नहीं ले सकते? बता दें कि प्रियंका ने शुक्रवार को लोकसभा में संविधान पर बहस के दौरान अपनी संसदीय पारी का पहला भाषण दिया था.
क्या नरेन्द्र मोदी के एलन मस्क हैं गौतम अडानी?
'द वायर' में अपने लेख में एम के वेणु पूछते हैं कि क्या अडानी को नरेंद्र मोदी के एलन मस्क के रूप में वर्णित किया जा सकता है? या फिर क्या एलन मस्क को डोनाल्ड ट्रम्प के अडानी के रूप में कहा जा सकता है? वेणु ने लिखा है कि ट्रम्प का मस्क को लेकर जो दृष्टिकोण है, वह काफी स्पष्ट और सार्वजनिक है. ट्रम्प ने अपनी जीत के भाषण में मस्क को "जीनियस" बताते हुए कहा था कि वह वे चीज़ें कर सकते हैं, जो कोई और नहीं कर सकता. ट्रम्प ने खुले तौर पर यह व्यक्त किया कि उन्हें सबसे अमीर अमेरिकी अरबपति मस्क से समर्थन मिला, जबकि मोदी के बारे में यह कहा जा सकता है कि उन्होंने अडानी को लेकर सार्वजनिक रूप से कोई बयान नहीं दिया, लेकिन उनकी सरकार की नीतियों और फैसलों से यह साफ नजर आता है कि अडानी ग्रुप को सरकार में एक खास स्थान प्राप्त है, विशेष रूप से वैश्विक आर्थिक कूटनीति में. अडानी ने बांग्लादेश, श्रीलंका, अफ्रीका, म्यांमार, इसराइल, यूरोप, अमेरिका और हाल ही में चीन में भी कई बड़े निवेश किए हैं और मोदी ने अडानी को अपनी वैश्विक आर्थिक कूटनीति का एक अहम हिस्सा बना लिया है.
वेणु ने लिखा— जहां ट्रम्प मस्क को “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत प्रमुख भूमिका निभाने की ओर इशारा देते हैं, वहीं मोदी ने अडानी को भारत की आर्थिक नीति का हिस्सा बना लिया है. हालांकि, अडानी के खिलाफ अमेरिका में चल रहे भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद, अडानी ने इसे चुनौती देने का फैसला किया है और कहा है कि वह इससे मजबूत होकर उभरेंगे. बीजेपी ने भी इसे विदेशी साजिश बताया है और अडानी को भारत का प्रॉक्सी घोषित किया है. मस्क और अडानी दोनों ही अपनी सरकारों के करीब रहे हैं और उनके व्यावसायिक हितों को भी राजनीतिक समर्थन प्राप्त है. मस्क ने ट्विटर (अब X) को अधिग्रहित कर ट्रम्प की मदद की, जबकि अडानी भी मोदी की नीति के तहत वैश्विक स्तर पर व्यापार कर रहे हैं. मस्क और अडानी दोनों ही एसईसी (अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन) जैसे संस्थानों से जूझ रहे हैं. मस्क ने हाल ही में एसईसी को "राजनीतिक गंदगी करने वाली संस्था" कहा और अडानी के खिलाफ भी एसईसी ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. मस्क और अडानी दोनों ने बड़े जोखिम उठाए हैं, जिनका राजनीतिक और व्यापारिक लाभ उन्हें सरकारों के समर्थन से मिल रहा है. ट्रम्प और मोदी के नेतृत्व में दोनों ने अपनी कंपनियों के लिए एक सुरक्षित माहौल पाया है, जहां उन्हें कानूनी और नियामक चुनौतियों का सामना कम करना पड़ा है. कुल मिलाकर अडानी और मस्क दोनों के बीच कई समानताएँ हैं, खासकर उनके देशों के नेताओं के साथ उनके रिश्तों में. अडानी को मोदी का और मस्क को ट्रंप का “व्यावसायिक सहयोगी” कहा जा सकता है, क्योंकि दोनों ने अपनी शक्ति और प्रभाव का इस्तेमाल अपने व्यवसायों को बढ़ाने के लिए किया है.
भारत के बांग्लादेश को अल्पसंख्यक सुरक्षा पर उपदेश या पाखंड!
पार्थ एस. घोष ने 'द वायर' के लिए लिखा है- 'भारत बांग्लादेश को अल्पसंख्यक सुरक्षा पर उपदेश देने की स्थिति में नहीं है.' लेख में जिक्र है कि अधिकांश भारतीयों ने शायद यह नहीं देखा कि भारत में साम्प्रदायिक स्थिति बांग्लादेश से बहुत अलग नहीं है. यह विचार उस समय और प्रासंगिक हो जाता है, जब भारत और बांग्लादेश के बीच अल्पसंख्यक अधिकारों पर चर्चा चल रही है और भारत बांग्लादेश को अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की याद दिला रहा है. जबकि भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव की घटनाएँ बढ़ रही हैं, खासकर मुसलमानों और अन्य धार्मिक समूहों के खिलाफ. यही स्थिति बांगलादेश में भी है, जहां हिन्दू और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों को अपनी धार्मिक स्वतंत्रता और सुरक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ता है. दोनों देशों में सत्ता और राजनीति के बीच साम्प्रदायिक मुद्दों को भड़काया जाता है, जो सामाजिक और धार्मिक सहनशीलता को कमजोर करता है. भारत खुद मुस्लिमों के खिलाफ बढ़ते घृणा अपराध, सांप्रदायिक हिंसा, और मुस्लिम विरोधी नीतियों के मुद्दे पर आलोचना से बचने की स्थिति में नहीं है. ऐसे में जब भारत बांग्लादेश को ऐसे मुद्दों पर उपदेश देता है, तो यह पाखंड ही ज्यादा लगता है.
ओपनएआई व्हिसलब्लोअर सुचिर बालाजी की संदिग्ध मौत: आत्महत्या या कुछ और?
‘लाइव मिंट’ की एक खबर के मुताबिक 26 साल के भारतीय-अमेरिकी ओपनएआई व्हिसलब्लोअर सुचिर बालाजी का शव संदिग्ध परिस्थितियों में मिला है. सुचिर ओपनएआई के पूर्व कर्मचारी रह चुके थे. उनका शव सैन फ्रांसिस्को स्थित उनके अपार्टमेंट में मिला. हालांकि, सैन फ्रांसिस्को मेडिकल एग्जामिनर के कार्यालय ने इसे आत्महत्या करार दिया है और पुलिस ने उनके अपार्टमेंट में किसी भी तरह के अप्राकृतिक अपराध का कोई सबूत नहीं पाया. सुचिर बालाजी ओपनएआई में शोधकर्ता के रूप में कार्यरत थे और इस साल की शुरुआत में कंपनी छोड़ने के बाद उन्होंने कई गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने दावा किया कि ओपनएआई, जो कि चैटजीपीटी जैसे एआई मॉडल बनाने के लिए प्रसिद्ध है, उसने कॉपीराइट कानूनों का उल्लंघन किया है. सुचिर ने तब कहा था कि कंपनी ने ऑनलाइन डेटा की नकल की और इसे इंटरनेट पर उपलब्ध सेवाओं के विकल्प के रूप में उपयोग किया. अपनी आखिरी सोशल मीडिया पोस्ट में, बालाजी ने लिखा- 'मैं शुरुआत में कॉपीराइट और फेयर यूज के बारे में ज्यादा नहीं जानता था, लेकिन इन मुद्दों में दिलचस्पी तब ली जब मैंने जनरेटिव एआई कंपनियों के खिलाफ दायर मुकदमों को देखा.' बालाजी ने ओपनएआई पर यह आरोप लगाया कि यह तकनीक इंटरनेट पर मौजूदा सेवाओं को विस्थापित कर रही है और रचनात्मक सामग्री के मालिकों के अधिकारों का उल्लंघन कर रही है. उनके इन बयानों ने तकनीकी जगत में हलचल मचा दी थी.
वैज्ञानिकों ने ढूंढी 5 नई ततैया
जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जेडएसआई) ने कहा कि वैज्ञानिकों ने नागालैंड में ततैया की एक नई प्रजाति सेराफ्रॉन इनिटियम की पहचान की है. इसके अलावा जेडएसआई की एक अन्य टीम ने पश्चिमी घाट में चार अन्य 'परजीवी ततैया' प्रजातियां ढूंढ निकाली हैं. यह प्राकृतिक कीट बागवानी में फायदेमंद और सहायक होते हैं. जेडएसआई निदेशक धृति बनर्जी ने शनिवार को कहा कि पारिस्थितिक स्थिरता बनाए रखने में इन छोटे जीवों की महत्वपूर्ण भूमिका है. सेराफ्रॉन को उनके छोटे (0.8 मिमी से 1.5 मिमी) और जटिल आकार के कारण कभी-कभी अनदेखा कर दिया जाता है.
कनाडा: सरकार ने आवश्यक दस्तावेज़ दोबारा जमा करने को कहा, भारतीय छात्र घबराए
‘डेक्कन हेराल्ड’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा में कई भारतीय छात्रों को एक ईमेल मिला है, जिसमें उन्हें अपने स्टडी परमिट, वीजा और शैक्षिक रिकॉर्ड फिर से पेश करने को कहा गया है. इसमें कनाडा के कॉलेज में पढ़ रहे छात्रों के अंक और अटेंडेंस भी शामिल हैं. यह कदम उन छात्रों के लिए उठाया गया है, जिनकी आवेदन प्रक्रिया में कुछ दस्तावेज़ों की कमी थी. कनाडा सरकार ने छात्रों को चेतावनी दी है कि यदि उन्होंने दस्तावेजों को फिर से पेश नहीं किया, तो उनके आवेदन पर इसका असर पड़ सकता है. इस फैसले ने छात्रों में चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि यह प्रक्रिया उनके स्टूडेंट वीजा को प्रभावित कर सकती है.
बुलडोजर न्याय : ध्वस्त घर और जिंदगी-मौत का संघर्ष
अकाउंटेंट शाहिद मलिक पिछले दो सालों से दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के खरक रिवाड़ा सतबारी इलाके में खुद के अलावा बिना नोटिस दो दर्जन से ज़्यादा घरों को ढहाए जाने के मामले में न्याय पाने के लिए लड़ रहे हैं. वह बताते हैं, ‘सुनवाई को लगातार दूसरी तारीख तक टाला जा रहा है और हमें अपनी शिकायतें पेश करने का मौका भी नहीं मिला है’.
इस बीच मलिक ने अपने घर के अलावा भी बहुत कुछ खो दिया है. घर टूटने से दो महीने पहले मलिक को ह्रदय संबंधी जटिलताओं के साथ एक बेटा हुआ जियान. मलिक कहते हैं, ‘ठंड में बाहर धकेल दिए जाने के बाद उसकी हालत और खराब हो गई’. उसी शाम उसे डॉक्टर के पास ले जाना पड़ा, जिस दिन घर ढहा दिया गया था. अगले छह दिनों तक, जियान को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित किया. फिर उसे एम्स में वेंटिलेटर पर रखा गया. अक्टूबर की एक ठंडी सुबह, जियान का शरीर नीला पड़ गया और वह नहीं रहा. मलिक कहते हैं, ‘डॉक्टरों ने हमें बताया कि धूल के संपर्क में आने से उसे सांस लेने में और भी मुश्किलें पैदा हो गई थी’.
मलिक की तरह, हाल के वर्षों में सैकड़ों भारतीय मुसलमानों ने बिना किसी नोटिस के अपने घरों को ध्वस्त होते देखा है. जून 2022 में, उत्तर प्रदेश के शहर प्रयागराज मानवाधिकार कार्यकर्ता पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम का आरोप लगाकर जावेद मोहम्मद का घर को ध्वस्त कर दिया. जावेद मोहम्मद बताते हैं, ‘मकान गिरने के वक्त वह जेल में थे. वह अपनी पत्नी और बेटियों की सुरक्षा चाहते थे. मैं शहर में जाना माना था. इसके बावजूद करीबी लोग कतरा रहे थे. उन्हें डर था कि मदद किया तो उनके मकान पर भी मनमाने ढंग से बुलडोजर चला दिया जाएगा. घटना के दो साल बाद भी मेरा सामाजिक जीवन पहले जैसा नहीं रहा. मुझे अब भी अकेलेपन का एहसास होता है’.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अकबर नगर में कुकरैल रिवरफ्रंट विकास परियोजना के लिए जून 2024 बुलडोजर से करीब 1600 घरों को गिराया गया. इनमें 1,000 से भी ज़्यादा घर मुस्लिम परिवारों के थे. बानो कहती हैं, ‘मकान गिराये जाने के अगले दो-तीन दिनों तक हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं था’. अब जब हम इस नए घर में हैं, तो हमें हर दिन यह सोचना पड़ता है कि हम कितना खाएंगे, क्योंकि हमारे पास पर्याप्त कमाई नहीं है. मेरे पांच बच्चे हैं’. सरकार ने जो छोटे-छोटे आवास आवंटित किए हैं, उनके पैसे भी किश्तों में चुकाने हैं. मेरे पति ने नौकरी भी खो दी है.
हरियाणा के शहर नूंह में, अगस्त 2023 में 1,000 से अधिक मुस्लिम घरों, झुग्गियों और छोटे व्यवसायों को बुलडोजर से गिरा दिया. मुस्लिम समुदाय पर आरोप था कि उन्होंने एक उत्तेजक और सशस्त्र हिंदू वर्चस्ववादी जुलूस के खिलाफ हिंसा में भाग लिया, जो उनके इलाकों से होकर गुजरा था. इस ‘बुलडोजर न्याय’ में सद्दाम अली (नाम बदला गया) ने अपना घर और मेडिकल स्टोर खो दिया. अली ने बताया, अब मैं अपना घर फिर से बनाने की कोशिश कर रहा हूं. बेटा अवसाद में चला गया है. मैं उसको इस हालत में नहीं देख सकता.
बेंगलुरु स्थित मनोवैज्ञानिक जुलेखा शकूर रजनी कहती हैं कि सामूहिक आघात मुसलमानों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है. समर्थन की कमी के कारण वे समाज से पृथक महसूस करते हैं और वास्तविकता की उनकी समझ धीरे-धीरे विकृत होती जा रही है, क्योंकि वे अब अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं हैं.
तेजस्वी सूर्या के खिलाफ फर्जी पोस्ट का मामला खारिज
कर्नाटक हाईकोर्ट ने भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या के खिलाफ किसान की आत्महत्या की फर्जी खबर फैलाने का मामला खारिज कर दिया है. इसी साल 8 नवंबर को सूर्या ने एक्स पर पोस्ट कर दावा किया था कि किसान ने अपनी जमीन वक्फ बोर्ड द्वारा ले लिए जाने के बाद जान दे दी थी. यह दावा किया था कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और मंत्री बीजेड ज़मीर अहमद खान ने अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के कारण ‘प्रभावों’ को जन्म दे दिया है. हालांकि बाद में सूर्या ने यह पोस्ट हटा ली थी.
बिजनेसमैन ने की आत्महत्या, नोट में लिखा- ‘कांग्रेस के लिए कर रहा था काम, इसलिए ईडी कर रही थी परेशान’
ईडी जांच से गुजर रहे व्यवसायी मनोज परमार और उसकी पत्नी नेहा ने शुक्रवार सुबह मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में आत्महत्या कर ली. परमार ने राहुल गांधी को संबोधित करते हुए पांच पन्ने का एक सुसाइड नोट छोड़ा है. पुलिस के अनुसार, इसमें लिखा है कि ईडी अधिकारियों ने उसके घर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तस्वीर देखी. इसके बाद बताया कि छापेमारी का कारण यही है. परमार ने नोट में यह भी लिखा है कि ईडी अधिकारियों ने छापेमारी के दौरान उसके साथ मारपीट की.
परभणी हिंसा : संविधान की रेप्लिका तोड़ने पर दलितों ने किया आंदोलन, पुलिस ने कर दी पिटाई
महाराष्ट्र के परभणी में 10 दिसंबर को सोपान पवार नाम के व्यक्ति ने शहर के बीच स्थित संविधान की रेप्लिका तोड़ दी. इसके विरोध में आंबेडकरवादियों ने पूरे जिले में 11 दिसंबर को बंद का आह्वान किया था. लेकिन आंदोलन हिंसक हो गया और आंबेडकरवादी कार्यकर्ताओं ने सार्वजनिक और निजी संपत्ति दोनों को नुकसान पहुंचाया. इस मामले में अभी तक पुलिस ने आठ एफआईआर दर्ज की हैं और 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने तलाशी अभियान के नाम पर लोगों के साथ मारपीट की. मारपीट के वीडियो वायरल हो रहे हैं.
नड्डा-मालवीय के बयान में न नफरत है न हिंसा: कोर्ट
कर्नाटक हाई कोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय के खिलाफ दर्ज एक मामले को रद्द कर दिया. यह मामला भाजपा के आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट के खिलाफ था, जिसमें यह दावा किया गया था कि कांग्रेस पार्टी अगर सत्ता में आई तो वह देश की संपत्ति का पुनर्वितरण मुसलमानों के बीच करेगी. कोर्ट ने मामले को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया और कहा कि इस पोस्ट के कारण किसी भी तरह की नफरत या हिंसा को बढ़ावा देने का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिला है. यह केस जेपी नड्डा और अमित मालवीया बनाम राज्य और अन्य के नाम से दर्ज किया गया था.
आपके घरों की रोशनी में झारखंड के इन लोगों का दर्द घुला है!
'3 या 4 साल बाद यहां कोई नहीं रह जाएगा...रहने लायक कुछ बचा नहीं है यहां....हम 3-4 परिवार ही अब यहां रह गए हैं.' ये उस शख्स के शब्द हैं, जिसने अपने जीवन के 60 साल धनबाद के उस अंगारपाथरा गांव में गुजार दिए, जहां कभी उसके पुरखे रहते थे. झारखंड राज्य के धनबाद जिले के 60 वर्षीय निवासी मधुसूदन महतो, लगातार राज्य सरकारों द्वारा पूंजीवाद को लापरवाही से अपनाने की कीमत चुकाने वाले कई लोगों में से एक हैं. 'न्यूजरील' के लिए तेज बहादुर सिंह ने ये रिपोर्ट की है. झारखंड में कोयला खनन 1901 से चल रहा है. राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) की जुलाई 2012-2013 की रिपोर्ट के अनुसार राज्य की लगभग 75% आबादी आजीविका के लिए कृषि क्षेत्र पर निर्भर है, लेकिन खनन गतिविधियों के चलते राज्य में लगभग 6,486 हेक्टेयर भूमि प्रभावित है. खनन राज्य के लिए लाभदायक है और अक्सर इसे कृषि जैसे क्षेत्रों पर प्राथमिकता दी जाती है. यह उन सैकड़ों हजारों निवासियों की भलाई की कीमत पर आता है जो खनन पर निर्भर नहीं हैं और रहना भी नहीं चाहते हैं. ये केवल एक पहलू है जबकि पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की लूट की कहानी का तो यहां जिक्र ही नहीं किया जा रहा है. मधुसूदन महतो को भी एक रोज कोयले के लिए होते धमाकों के बीच ही अपने लोगों की जमीन को छोड़कर कहीं और चले जाना होगा...जो निश्चित तौर पर मामूली पल नहीं होगा. कोयले से निकली रोशनी में पश्चिम सिंहभूम, रामगढ़, धनबाद और छतरा में मधुसूदन महतो जैसे कई लोगों की कहानियां धुंधली पड़ गई हैं.
चलते-चलते: लाल किले पर मालिकाना दावा ठोंकने में सुल्ताना बेगम ने थोड़ी देर कर दी
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को लाल किले पर कब्जे के लिए सुल्ताना बेगम की याचिका खारिज कर दी. सुल्ताना बेगम आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर-द्वितीय के परपोते की विधवा हैं. उन्होंने ऐतिहासिक स्मारक के कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में स्वामित्व का दावा किया था. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विभु बाखरू और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि ऐतिहासिक दावे भले वैध हों, मगर कानूनी सीमाओं को दरकिनार नहीं कर सकते. सुल्ताना बेगम ने दिसंबर 2021 में एकल न्यायाधीश पीठ के उस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसमें उनके दावे को यह कहकर खारिज कर दिया गया था कि घटना के एक सदी से भी ज्यादा समय बाद अदालत का दरवाजा खटखटाने का कोई कारण नहीं बनता. हाईकोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखा.
पीठ ने 2021 के फैसले के खिलाफ अपील को खारिज करते हुए कहा कि याचिका दायर करने में ढाई साल की देरी माफ नहीं की जा सकती, खासकर यह देखते हुए कि मूल याचिका पहले ही दशकों देरी से दायर की गई थी.
यह मामला सुल्ताना बेगम की 2021 की याचिका से जुड़ा है. इसमें उन्होंने तर्क दिया था कि 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने लाल किले पर अवैध रूप से कब्जा कर उनके पूर्वज बहादुर शाह जफर-द्वितीय को निर्वासित कर दिया था. बेगम ने याचिका में दावा किया कि सरकार लाल किले पर अवैध रूप से कब्जा कर रही है. उन्होंने 1857 से बकाया सहित संपत्ति पर कब्जा या मुआवजा मांगा था.
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.