पाठकों/श्रोताओं से अपील
हिंदी भाषियों के लिए क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रौशनी ज़्यादा!
इस तेरह फ़रवरी को हरकारा के तीन माह हो जाएंगे. इस बीच यह आपके पास रोज़ सुबह आता रहा है सुनने और पढ़ने के लिए. हमें उम्मीद है कि हरकारा आपको काम का लग रहा है. मसलन आपको कम समय में देश और दुनिया की ख़बरें और जानकारियाँ पहुँच सकी होंगी, बिना शोर, सनसनी और झौं-झौं के. आप की समझ, बातचीत और विमर्श में थोड़ी रौशनी के साथ बढ़ोतरी हो सकी होगी, ऐसी उम्मीद है. सिर्फ़ सूचना और जानकारी के स्तर पर नहीं, जागरूकता के स्तर पर भी. सच, तर्क, प्रामाणिकता और उम्मीद के आधार पर.
सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक ख़बरों को लेकर भी हमने आपको केंद्र में रखकर क्यूरेट किया है. वह जो कतार के आखिरी व्यक्ति, हाशिये पर खड़े लोग और समुदाय और नागरिक अधिकारों को लेकर उठे सवालों को भी ध्यान में रखा है. न सिर्फ दुनिया भर में हो रही घटनाओं और बल्कि उनके जानकार विश्लेषणों को भी हम आपके पास लगातार लाते रहे हैं.
आपने हमें उस अख़बार, टीवी और दूसरे डिजीटल प्लेटफ़ॉर्म के बरक्स भी देखा, परखा, जाना, तौला होगा. हरकारा सच की तरफ है, उजास की तरफ हैं. आपकी तरफ भी. शोर कम, रौशनी ज्यादा!
इसके लिए मेरे साथी और मैं ख़ासी मशक़्क़त करते हैं. हम लोग पत्रकारिता के बुनियादी मूल्यों मे यकीन करते हैं. हमें लगता है इस समय के भारत को सबसे ज़्यादा ज़रूरत भ्रम, संदेह, झूठ, शोर से बचकर सच की उजास में देख पाने की है. हमें लगता है कि हम आपकी इन ज़रूरतों को पूरा कर पा रहे होंगे. हमारा यक़ीन हमारे काम पर है. इसके लिए हमने किसी से आर्थिक या अन्य समर्थन नहीं लिया है. विज्ञापन हम लेते नहीं. लेना चाहते भी नहीं. हरकारा एक प्रयोग की तरह शुरू हुआ था और इसके १६ हज़ार से ज़्यादा पाठक / श्रोता बताते हैं, कि यह प्रयोग सार्थक रहा है.
अगर आपको लगता है कि हरकारा आपके काम का है, तो आप इसमें योगदान दे सकते हैं. हम जितना हो सके इस कोशिश को खुला और आसान रखना चाहते हैं. अगर आपको लगता है कि इस तरह की पेशकश न सिर्फ़ आपके लिए बल्कि बहुत सारे हिंदी भाषियों के लिए भी काम आ सकती हो, तो इसका समर्थन कीजिए. ख़ास तौर पर जिन्हें इस समय, इस समाज, इसकी प्रवृत्तियों, इसके संकटों की फ़िक्र है. न सिर्फ अपने लिए, बल्कि उन नौजवान और किशोर लोगों के लिए, जिनसे अगला भारत तैयार होता है.
शुरू में सोचा था इसका सब्सक्रिप्शन मॉडल बनेगा, पर सब्सटैक पर अभी स्ट्राइप कंपनी का पेमेंट गेटवे भारत में लगाने में कुछ पेचीदगियां और देरी है.
हरकारा की मदद के लिए आप दिये गये क्यूआर कोड या लिंक पर आर्थिक योगदान कर सकते हैं. साथ ही हरकारा के हमख़याल लोगों को इस साझा जगह पर जोड़ भी सकते हैं. उन्हें हरकारा के बारे में बता कर.
इस जरूरी पहल को आगे बढ़ाए रखने के लिए आपका सहयोग जरूरी है, उसके लिए पहले से धन्यवाद.
निधीश त्यागी | टीम हरकारा