16/03/2025 : फसाद हुए होली पर, बेतुके जीएसटी पर कांग्रेस कोर्ट में, किसान की आत्महत्या, बस्तर में डीआरजी की भूमिका पर सवाल, गोबर से गैस बनाने में आगे निकला जापान
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां
तेजप्रताप की सिपाही को नचाने की कोशिश
अमृतसर के मंदिर में ग्रेनेड से हमला
कठुआ में तीन मौतें, आतंकवाद की घटना नहीं
प्रसारण सेवाएं (विनियमन) विधेयक की मांग
कर्नाटक में मुस्लिम ठेकेदारों को 4% आरक्षण
भारतीय कंपनी के खिलाफ ख़बर करने वाले रॉयटर्स के रिपोर्टर का ओसीआई कार्ड रद्द
कोलंबिया यूनिवर्सिटी की भारतीय पीएचडी छात्रा का वीजा रद्द
41 देशों पर यात्रा प्रतिबंध लगा सकता है अमेरिका
दंगे नहीं पर फसाद हुए, बदरंग जरूर हुई होली
होली रंगों का त्योहार है. एक दूसरे के दिलों में रंग जमाने का भी. मगर कुछ शरारतपसंदों ने देश भर में रंग पर्व का ज़ायक़ा बिगाड़ने और सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की. हालांकि अधिकतर जगहों पर दोनों समुदाय की सूझबूझ की वजह से बड़े हादसे नहीं हुए, मगर सबकुछ अच्छा–अच्छा ही नहीं कह सकते. देशभर के माहौल में तनाव स्पष्ट दिखाई दिया.
झारखंड के गिरिडीह में जब होली का जुलूस एक मस्जिद के पास से गुजर रहा था, तब तेज आवाज में संगीत बजाने पर विवाद हुआ. इसके बाद दोनों पक्षों की ओर से पथराव हुआ. इस हिंसक झड़प में कई गुमटियों और वाहनों में आग लगा दी गई या तोड़फोड़ की गई, जबकि कई लोग घायल हैं.”
होली के दिन बंगाल के बीरभूम जिले में दो समूहों के बीच हिंसक झड़प के बाद सरकार ने इंटरनेट सेवाएं बंद कर दीं और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों की एक बड़ी टुकड़ी तैनात कर दी. पुलिस ने 20 से ज़्यादा लोगों को हिरासत में लिया है.
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में होली का आयोजन और जुमे की नमाज कुछ उपद्रवी तत्वों के कारण हंगामे में बदल गया. जुलूस के दौरान तीन जगह पर हुड़दंगियों ने बवाल किया. पुलिस ने रोकने की कोशिश की तो पुलिस पर ही पथराव किया. इसके बाद पुलिस ने हुड़दंगियों को खदेड़-खदेड़कर पीटा. इसका वीडियो वायरल हो रहा है. हालांकि पुलिस ने लाठी चार्ज से इनकार किया है.
वहीं यूपी के उन्नाव में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला. होली के जश्न के बीच फाग जुलूस के दौरान बवाल हो गया. आरोप है कि कुछ अराजक तत्वों ने मुस्लिम क्षेत्र में अभद्र टिप्पणियां कीं और माहौल बिगाड़ने की कोशिश की. जब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उपद्रवियों ने पुलिस पर पथराव कर दिया और हाथापाई भी की. हालात बेकाबू होते देख पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर-बितर किया. इसका वीडियो दैनिक हिंदुस्तान के डिप्टी न्यूज एडिटर योगेश हिंदुस्तानी ने अपने ‘एक्स’ हैंडल पर लगा रखा है.
महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में पुलिस ने होली की पूर्व संध्या पर एक पारंपरिक उत्सव के दौरान कथित तौर पर मस्जिद के गेट को कई बार तोड़ने की कोशिश के बाद कई युवकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. यह कथित घटना कोंकणी अनुष्ठान के दौरान राजापुर गांव में शिमगा उत्सव या मदाची मीरावनुक के दौरान हुई.
रविवार शाम को हैदराबाद, तेलंगाना के बाहरी इलाके घाटकेसर के चेंगिचेरला में प्रार्थना स्थल के पास संगीत बजाने को लेकर दो अलग-अलग समुदायों के बीच विवाद के बाद तनाव व्याप्त हो गया. पुलिस ने मौके पर पहुंच कर मामले को संभाल लिया था, मगर परेशानी तब बढ़ गई, जब कुछ हिंदू समूहों ने एक रैली निकालकर मस्जिद के बाहर होली मनाने की कोशिश की.
पंजाब के लुधियाना के ट्रांसपोर्ट नगर में बिहारी कॉलोनी इलाके में शुक्रवार को होली के जश्न के दौरान दो समूहों के बीच झड़प के बाद तनाव फैल गया. पुलिस ने बताया कि विवाद मस्जिद के पास हुआ, जहां मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज अदा कर रहे थे, वहीं प्रवासी लोग तेज संगीत के साथ होली मना रहे थे. विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर पत्थरबाजी की. लुधियाना पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर आठ लोगों को गिरफ्तार किया है.
और अब पाकिस्तान के पंजाब से, अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के कम से कम 15 छात्र सोमवार को उस समय घायल हो गए, जब एक कट्टरपंथी इस्लामी छात्र संगठन के सदस्यों ने उन्हें पंजाब विश्वविद्यालय के लॉ कॉलेज परिसर में होली मनाने से रोक दिया और उनके साथ मारपीट की.
तेजप्रताप की सिपाही को नचाने की कोशिश : होली में तेजू भैया उर्फ तेजप्रताप यादव रंगमत दिखे..वो एकदम सोफे पर राजाओं की तरह पसरे थे और पुलिसकर्मी को नाचने का हुक्म बजा रहे थे और ऐसा न करने पर सस्पेंड करने की खुली धमकी किसी 'माफिया' के अंदाज में देते दिखे. राजद सुप्रीमो लालू यादव के बेटे तेज प्रताप ने भी ‘कुर्ता फाड़’ में हिस्सा लिया, जहां लोगों के कपड़े उन पर रंग लगाने के बाद फाड़े जाते हैं. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार इस कार्यक्रम का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें उनके समर्थक जबरदस्ती एक व्यक्ति की पैंट फाड़ते और उसके विरोध के बावजूद उसे ज़मीन पर गिराते हुए दिख रहे हैं. इस घटना के बाद जदयू, भाजपा और उसकी सहयोगी कांग्रेस की ओर से कड़ी प्रतिक्रियाएं आई हैं.
बेतुके जीएसटी स्लैब को लेकर हाईकोर्ट में दस्तक
'द टेलीग्राफ' की रिपोर्ट है कि शनिवार को कांग्रेस ने मोदी सरकार की जीएसटी नीतियों पर तंज कसा, इसे "GSTitis" (जीएसटी-जनित रोग) का ताज़ा शिकार बताया. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बताया कि सिंगापुर स्थित डेजर्ट चेन मैड ओवर डोनट्स को कथित रूप से अपने कारोबार के गलत वर्गीकरण के कारण 100 करोड़ रुपये का टैक्स नोटिस मिला है. बेकरी का दावा है कि वह 5 प्रतिशत जीएसटी वाले रेस्तरां सेवा के अंतर्गत आती है, लेकिन कर अधिकारी इसे 18 प्रतिशत जीएसटी की श्रेणी में डाल रहे हैं, जैसे कि अन्य बेकरी उत्पादों पर लागू होता है. अब यह मामला बॉम्बे हाईकोर्ट में चल रहा है. यह विवाद जीएसटी के अजीबोगरीब मामलों की लंबी सूची में ताज़ा उदाहरण है. छोटे से बदलाव मसलन पैकेजिंग, तैयारी या सजावट से टैक्स दरें आसमान छू सकती हैं. जीएसटी प्रणाली की इस अनिश्चितता ने अनुपालन (कंप्लायंस) को कठिन बना दिया है और कर विवाद वर्षों तक खिंच सकते हैं. कांग्रेस ने मांग की है कि जीएसटी में 'GST 2.0' यानी पूरी प्रणाली का पुनर्गठन किया जाए, ताकि इन असंगतियों को खत्म किया जा सके.
पॉपकॉर्न की कहानी : नमक और मसाले के साथ मिला हुआ पॉपकॉर्न 5% जीएसटी के दायरे में आता है, क्योंकि इसे "नमकीन" के रूप में वर्गीकृत किया गया है. जब वही पॉपकॉर्न पहले से पैक और लेबल किया जाता है, तो उस पर 12% जीएसटी लागू हो जाता है. वहीं, कैरामलाइज्ड पॉपकॉर्न (मीठा पॉपकॉर्न) पर सीधे 18% जीएसटी लग जाता है. इसकी वजह यह है कि सरकार खुले पॉपकॉर्न को रेडी-टू-ईट (तुरंत खाने योग्य) मानती है, जबकि पैकेज्ड पॉपकॉर्न को प्रोसेस्ड फूड (प्रसंस्कृत खाद्य) की श्रेणी में रखा जाता है, जिस पर उच्च कर लगता है.
मिठाइयों की मार : 2017 में जब अरुण जेटली वित्त मंत्री थे, तब बंगाल की प्रसिद्ध रसगुल्ला पर 5% जीएसटी लगाया गया था. अगर वही रसगुल्ला चॉकलेट फ्लेवर में हो, तो टैक्स बढ़कर 28% हो जाता है. यहां तक कि डिब्बाबंद रसगुल्ला पर भी 18% जीएसटी लगा दिया गया.
नमकीन भी नहीं बची : कचौरी या सिंघाड़ा (समोसे जैसा व्यंजन) पर 12% टैक्स था, लेकिन अगर वही पैक किया जाए, तो टैक्स बढ़कर 18% हो जाता है. यहां तक कि पारंपरिक अचार और मुरब्बा पर भी 2017 में 18% जीएसटी प्रस्तावित किया गया था. उस साल, कोलकाता की मशहूर मिठाई की दुकानें भी विरोध में बंद हो गई थीं.
अमृतसर के मंदिर में ग्रेनेड से हमला : मीडिया रिपोर्ट्स हैं कि अमृतसर के खंडवाला में मोटरसाइकिल सवार दो हमलावरों ने एक मंदिर पर हैंड ग्रेनेड फेंका. पुलिस ने बताया कि ठाकुरद्वारा मंदिर पर हुआ यह ग्रेनेड हमला शनिवार तड़के सीसीटीवी में कैद हो गया. विस्फोट 14-15 मार्च की रात करीब 12:35 बजे हुआ. हमले के बाद इलाके में दहशत फैल गई है. हालांकि, इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ. सीसीटीवी फुटेज में दो युवकों को मोटरसाइकिल पर एक झंडा लिए हुए देखा गया. वे मंदिर के बाहर कुछ देर रुके और फिर परिसर की ओर एक वस्तु फेंकी. कुछ क्षणों बाद, एक जोरदार धमाके ने क्षेत्र को हिला दिया और हमलावर वहां से फरार हो गए. हमले में मंदिर के पुजारी, जो उस समय अंदर मौजूद थे, सुरक्षित बच गए. अमृतसर पुलिस आयुक्त गुरप्रीत भुल्लर ने इस हमले में पाकिस्तान के संबंध की आशंका जताई है. उन्होंने कहा, "पाकिस्तान समय-समय पर ऐसी शरारती हरकतें करता रहता है. हम सक्रिय रूप से जांच कर रहे हैं और आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास कर रहे हैं. विस्फोटक की प्रकृति की अभी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन हम मामले को पूरी गंभीरता से ले रहे हैं."
निराश पुरस्कार विजेता किसान ने की आत्महत्या : महाराष्ट्र सरकार के युवा किसान पुरस्कार 2020 विजेता कैलाश अर्जुन नागरे (43) ने सरकार द्वारा क्षेत्र के किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं दिए जाने के कारण तंग आकर होली के दिन आत्महत्या कर ली. नागरे कई सालों से खड़कपुर जलाशय से 14 गांवों के लिए सिंचाई के पानी की मांग कर रहे थे. पिछले साल अपनी मांग के समर्थन में उन्होंने 10 दिन की भूख हड़ताल भी की थी. नागरे ने सुसाइड नोट में भी क्षेत्र के किसानों की समस्याओं को संबोधित किया है. उन्होंने लिखा है : "प्रशासन किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज कर रहा है. जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक मेरा शव न हटाया जाए." नागरे इस क्षेत्र के जाने-माने किसान नेता थे. उनकी मौत से गांव में भारी अशांति फैल गई और हजारों किसानों ने प्रशासन के खिलाफ कमर कस ली है.
कठुआ में तीन मौतें, आतंकवाद की घटना नहीं : पिछले हफ्ते, जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के मल्हार क्षेत्र में तीन नागरिकों की मौत के मामले में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, जो उधमपुर से सांसद हैं, का यह दावा खारिज हो गया है कि आतंकवादियों ने तीनों को मारा था. सिंह ने यह भी कहा था कि एक शांतिपूर्ण क्षेत्र में माहौल खराब करने के पीछे गहरी साजिश नजर आ रही है. लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने साफ कर दिया है कि तीनों की मौत गहरी खाई में गिरने से हुई थी. अधिकारियों ने बताया कि पीएम रिपोर्ट में गोली लगने या धारदार हथियारों से चोट लगने के कोई संकेत नहीं मिले हैं. बता दें, जम्मू-कश्मीर चूंकि केंद्र शासित राज्य है, इस नाते राज्य की पुलिस और तमाम सुरक्षा बल अब केंद्र सरकार के अधीन हैं.
प्रसारण सेवाएं (विनियमन) विधेयक की मांग : संचार और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की संसदीय समिति ने सरकार को पिछले साल स्थगित किए गए ‘प्रसारण सेवाएं (विनियमन) विधेयक’ को संसद में पेश करने की समयसीमा तय करने का सुझाव दिया है. रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने मंत्रालय से आग्रह किया कि वह प्रक्रिया को जल्द पूरा कर विधेयक' को संसद में शीघ्र पेश करे. बता दें, व्यक्तिगत कंटेंट क्रिएटर्स को नियंत्रित करने वाले इस विधेयक के कुछ प्रावधानों पर विवाद के बाद सरकार ने पिछले साल अगस्त में विधेयक का मसौदा वापस ले लिया था और विस्तृत परामर्श के बाद नया मसौदा प्रकाशित करने की घोषणा की थी.
कर्नाटक में मुस्लिम ठेकेदारों को 4% आरक्षण : कर्नाटक में सरकारी निविदाओं में मुस्लिम ठेकेदारों को 4 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा. इसके लिए राज्य सरकार ने ‘कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता अधिनियम’ (केटीपीपी) में संशोधन को मंजूरी दे दी है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार यह कदम अल्पसंख्यक समुदाय को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए उठाया गया है.
दमदमी टकसाल ने तख्त जत्थेदारों की नियुक्ति खारिज की : दमदमी टकसाल ने नए तख्त जत्थेदारों की नियुक्ति को खारिज कर दिया है. साथ ही शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) से अपने कार्यकारी निर्णय को रद्द करने की मांग की है. शुक्रवार को श्री आनंदपुर साहिब में आयोजित "पंथिक एकता" (संगोष्ठी) में कहा गया कि यह निर्णय पंथिक परंपराओं और भावनाओं के अनुरूप नहीं है.
बस्तर
पूर्व माओवादियों के जरिये नक्सलवाद से लड़ाई
2024 में छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों ने माओवादियों के खिलाफ अब तक का सबसे सफल वर्ष गिना, जिसमें 287 माओवादी मारे गए, 812 गिरफ्तार हुए और 723 ने आत्मसमर्पण किया. इस सफलता का श्रेय जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) को दिया जा रहा है, जो अधिकांशतः पूर्व माओवादियों से बनी आदिवासी बल है. डीआरजी के सदस्यों का जंगलों का गहन ज्ञान, युद्ध प्रशिक्षण और पूर्व साथियों की पहचान उन्हें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है. हालाँकि, मानवाधिकार संगठन DRG पर अतिरिक्त न्यायिक हत्याओं का आरोप लगाते हैं. आर्टिकल 14 के लिए रक्षा कुमार ने लम्बा रिपोर्ताज लिखा है, जो बस्तर में माओवाद, सरकारी प्रयासों और उसके बीच फँसे हुए आदिवासी लोगों के हालात बयान करता है.
माओवादी संघर्ष की जड़ें आदिवासियों के आर्थिक शोषण, खनन कंपनियों को ज़मीन हस्तांतरण और सरकारी योजनाओं के अभाव में देखी जाती हैं. 2004 में सीपीआई (माओवादी) के गठन के बाद यह आंदोलन बस्तर क्षेत्र में केंद्रित रहा. सुरक्षा बलों ने 2022 से डीआरजी का विस्तार कर जंगलों में कैंप स्थापित किए, ड्रोन तकनीक और संयुक्त अभियानों से माओवादियों को घेरा. पूर्व माओवादी सैनिक, जैसे संजू मंडावी और संजय पोटम, ने महत्वपूर्ण जानकारियाँ देकर इन अभियानों को सफल बनाया.
हालाँकि, डीआरजी की भूमिका विवादास्पद भी रही. 2005 के सलवा जुडूम मिलिशिया की तरह, डीआरजी पर भी अत्याचारों के आरोप लगे हैं. कार्यकर्ता हिमांशु कुमार का कहना है कि डीआरजी सलवा जुडूम का ही पुनर्जन्म है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में अवैध घोषित किया था. वहीं, पुलिस अधिकारी इन आरोपों को खारिज करते हुए डीआरजी को प्रशिक्षित और जवाबदेह बताते हैं.
आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को नौकरी, सुरक्षा और मौद्रिक लाभ (प्रति माओवादी ₹1 करोड़ तक) का प्रलोभन दिया जाता है. परंतु, कई आदिवासी ग्रामीणों का मानना है कि सुरक्षा बलों की मौजूदगी से उनकी स्वतंत्रता छिन गई है. अभियानों की सफलता के बावजूद, बस्तर के जंगलों में शांति स्थापित करने की चुनौती बनी हुई है, जहाँ माओवाद और सरकारी बलों के बीच संघर्ष ने हज़ारों लोगों की जान ले ली है.
इस संघर्ष का अंत अभी नहीं दिखता, लेकिन 2024 की सफलता सरकार के लिए एक उम्मीद है. गृह मंत्री अमित शाह ने 2026 तक माओवाद खत्म करने का लक्ष्य रखा है, जबकि डीआरजी और तकनीकी उन्नति इस लड़ाई का केंद्र बनी हुई है.
प्रेस फ्रीडम
भारतीय कंपनी के खिलाफ ख़बर करने वाले रॉयटर्स के रिपोर्टर का ओसीआई कार्ड रद्द
द गार्डियन' की रिपोर्ट है कि न्यूयॉर्क स्थित पत्रकार राफेल सैटर ने भारत सरकार के खिलाफ अदालत का रुख किया है, क्योंकि उनकी भारतीय प्रवासी नागरिकता (ओसीआई) को एकतरफा रद्द कर दिया. आरोप यह भी है कि यह कदम तब उठाया गया, जब उन्होंने एक भारतीय व्यवसायी के बारे में आलोचनात्मक रिपोर्ट प्रकाशित की. रॉयटर्स समाचार एजेंसी के लिए साइबर सुरक्षा पर रिपोर्टिंग करने वाले सैटर को दिसंबर 2023 की शुरुआत में भारत के गृह मंत्रालय से एक पत्र मिला, जिसमें उन पर भारत की प्रतिष्ठा को "दुर्भावनापूर्ण तरीके से" खराब करने का आरोप लगाया गया और उनकी ओसीआई को रद्द करने की सूचना दी गई.
हालांकि, सैटर के वकीलों ने नोट किया कि उनकी ओसीआई रद्द करने का निर्णय उसी समय लिया गया, जब उन्होंने भारतीय साइबर सुरक्षा कंपनी ऐपिन और इसके सह-संस्थापक रजत खरे पर एक लेख लिखा था. रॉयटर्स के लिए सैटर की रिपोर्ट, जिसका शीर्षक था "कैसे एक भारतीय स्टार्टअप ने दुनिया को हैक किया", ने ऐपिन की गतिविधियों का खुलासा किया था, जिसमें आरोप लगाया गया कि यह एक "हैक-फॉर-हायर" (किराए के हैकर) कंपनी बन गई थी, जिसने दुनिया भर के कार्यकारियों, राजनेताओं, सैन्य अधिकारियों और अमीर लोगों से गुप्त जानकारियां चुराईं. रजत खरे के अमेरिकी प्रतिनिधि, लॉ फर्म क्लेयर लॉक ने खरे और साइबर भाड़े के कारोबार के बीच किसी भी संबंध से इनकार किया और कहा कि खरे ने कभीकिसी गैरकानूनी "हैक-फॉर-हायर" उद्योग का संचालन या समर्थन नहीं किया है. सैटर ने दावा किया कि ऐपिन और खरे की जांच के दौरान उन्हें कंपनी से जुड़े लोगों से धमकियां मिलीं, जिनमें से एक ने रिपोर्टिंग छोड़ने पर 'राजनयिक कार्रवाई' की संभावना का संकेत दिया था. सैटर के मामले की पहली सुनवाई इस सप्ताह दिल्ली में हुई. सैटर ने कहा कि भारत सरकार के इस फैसले ने "मुझे मेरे परिवार के सदस्यों और एक ऐसे देश से प्रभावी रूप से अलग कर दिया है, जिसे मैं बहुत स्नेह और सम्मान के साथ देखता हूं." उन्होंने इस फैसले को गृह मंत्रालय द्वारा "एक गलती या गलतफहमी" बताया और कहा कि उन्होंने अदालत का रुख केवल तब किया जब उनकी अपील पर सरकार से एक साल से अधिक समय तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.
मोदी सरकार ने पिछले दशक में सत्ता में रहते हुए 100 से अधिक ओसीआई कार्ड रद्द किए हैं. हाल के वर्षों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार पर आलोचना करने वालों के खिलाफ ओसीआई विशेषाधिकार रद्द करने के आरोप लगे हैं. पत्रकार, शिक्षाविद और कार्यकर्ता इसके विशेष लक्ष्य रहे हैं. कई प्रमुख पत्रकारों को देश छोड़ने के लिए मजबूर किया गया और शिक्षाविदों को भारतीय सीमा पर रोका गया. दिसंबर 2023 में सैटर को भेजे गए पत्र के अनुसार, उनकी ओसीआई इस आधार पर रद्द की गई कि उन्होंने "उचित अनुमति के बिना पत्रकारिता की" और भारतीय संस्थानों के खिलाफ "दुर्भावनापूर्ण ढंग से प्रतिकूल और पक्षपातपूर्ण राय बनाई".
सैटर वाशिंगटन डीसी में काम करते हैं. सैटर का कहना है कि उन्होंने भारत में कभी पत्रकारिता नहीं की; वे केवल परिवार से मिलने के लिए भारत आते थे. उनके वकीलों के अनुसार, भारतीय सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया कि उनके पत्रकारिता कार्य को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा कैसे माना गया.
कार्टून | बिल ब्रम्हाल, न्यूयॉर्क डेली न्यूज़

कोलंबिया यूनिवर्सिटी की भारतीय पीएचडी छात्रा का वीजा रद्द
रंजनी श्रीनिवासन, जिनका वीजा हाल ही में डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने कथित रूप से "हिंसा और आतंकवाद की वकालत करने" और हमास का समर्थन करने के आरोप में रद्द कर दिया था, उन्होंने अमेरिका छोड़ दिया है. अमेरिका के गृह सुरक्षा विभाग (DHS) ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि भारतीय नागरिक रंजनी श्रीनिवासन कोलंबिया यूनिवर्सिटी में अर्बन प्लानिंग (नगरीय योजना) में डॉक्टरेट की छात्रा के रूप में एफ-1 छात्र वीजा पर अमेरिका आई थीं. डीएचएस ने कहा कि श्रीनिवासन "हमास का समर्थन करने वाली गतिविधियों में शामिल" थीं, जिसे एक आतंकवादी संगठन माना जाता है. विदेश विभाग ने 5 मार्च को उनका वीजा रद्द कर दिया. विभाग ने कहा कि 11 मार्च को श्रीनिवासन ने सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा (CBP) होम ऐप का उपयोग करके खुद को स्व-निर्वासित कर लिया, जिसकी फुटेज प्राप्त की गई है. गृह सुरक्षा विभाग ने 10 मार्च को सीबीपी होम ऐप लॉन्च किया, जिसमें देश में अवैध रूप से रहने वालों के लिए स्व-निर्वासन की रिपोर्ट करने का एक फीचर शामिल है. श्रीनिवासन ने अहमदाबाद की सेप्ट यूनिवर्सिटी से डिजाइन में स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ डिजाइन में क्रिटिकल कंजर्वेशन में मास्टर डिग्री हासिल करने के लिए उन्हें फुलब्राइट नेहरू और इनलैक्स छात्रवृत्ति से सम्मानित किया गया था.
41 देशों पर यात्रा प्रतिबंध लगा सकता है अमेरिका
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जब से पद संभाला है, अमेरिका की नीति और कार्यक्रम उनके ट्रुथ सोशल हैंडल से चल रहे हैं. इसे हम ‘ट्रम्प चाल ’ कॉलम के तहत कवर कर रहे हैं. हमारी कोशिश है कि इस कॉलम में पिछले चौबीस घंटों में ट्रम्प के सोशल मीडिया संदेशों ने उनके देश और दुनिया में क्या हड़कम्प मचाया, उसका सार बना कर आपके सामने पेश करें, ताकि एक तो आप ‘ट्रम्प चाल ’ से वाक़िफ़ रहें और ये सोचने पर मजबूर न हों कि ऐसा हो कैसे सकता है? ट्रम्प है तो मुमकिन है.
ट्रम्प प्रशासन दर्जनों देशों के नागरिकों के लिए व्यापक यात्रा प्रतिबंध जारी करने पर विचार कर रहा है. रायटर्स के हाथ लगे एक आंतरिक ज्ञापन के अनुसार, ऐसा कदम उठाया जा सकता है. ज्ञापन में कुल 41 देशों की सूची दी गई है, जिन्हें तीन अलग-अलग समूहों में विभाजित किया गया है. पहले समूह में 10 देश शामिल हैं, जिनमें अफगानिस्तान, ईरान, सीरिया, क्यूबा और उत्तर कोरिया समेत अन्य देश हैं. इन देशों के लिए वीज़ा पूरी तरह से निलंबित कर दिया जाएगा. दूसरे समूह में इरीट्रिया, हैती, लाओस, म्यांमार और दक्षिण सूडान जैसे पांच देशों को आंशिक निलंबन का सामना करना पड़ेगा, जिससे पर्यटक और छात्र वीज़ा के साथ-साथ अन्य आप्रवासी वीज़ा प्रभावित होंगे, हालांकि कुछ अपवाद रहेंगे. तीसरे समूह में कुल 26 देश शामिल हैं. इनमें बेलारूस, पाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान जैसे देश हैं. इन देशों पर अमेरिका का वीज़ा जारी करने में आंशिक रोक लगाने पर विचार किया जाएगा, यदि उनकी सरकारें "60 दिनों के भीतर कमियों को दूर करने के प्रयास नहीं करती हैं," ज्ञापन में कहा गया है. 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' ने सबसे पहले इन देशों की सूची की रिपोर्ट की थी. यह कदम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में सात बहुसंख्यक मुस्लिम देशों के यात्रियों पर लगाए गए प्रतिबंध की याद दिलाता है, जो कई बदलावों से गुजरने के बाद 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरकरार रखा गया था.
ट्रम्प भी डालेंगे गरीबी पर पर्दा
इधर टेलीग्राफ की खबर है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर भी गरीबी ओर बदहाली को ढंकने की सनक सवार हो गई है. ट्रम्प ने कहा कि वह नहीं चाहते थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य विश्व नेता, जो उनसे मिलने आए थे, वाशिंगटन डीसी में संघीय इमारतों के पास लगे टेंट और दीवारों पर बनी ग्रैफिटी देखें, इसलिए उन्होंने अमेरिकी राजधानी की सफाई के आदेश दिए हैं. ट्रम्प ने कहा, "हम अपने शहर की सफाई कर रहे हैं. हम इस महान राजधानी की सफाई कर रहे हैं, और हम अपराध नहीं होने देंगे, हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे, और हम ग्रैफिटी को हटाएंगे, टेंट पहले ही हटा रहे हैं और हम प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. जब भारत के प्रधानमंत्री मोदी, फ्रांस के राष्ट्रपति, और यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री, ये सभी लोग पिछले हफ्ते-डेढ़ हफ्ते में मुझसे मिलने आए… जब वे आते हैं… मैंने उनके आने के रास्ते की जांच करवाई. मैं नहीं चाहता था कि वे टेंट देखें. मैं नहीं चाहता था कि वे ग्रैफिटी देखें. मैं नहीं चाहता था कि वे टूटी हुई रेलिंग और सड़कों में गड्ढे देखें और हमने इसे खूबसूरत बना दिया.” इससे पहले ऐसा ही भारत में ट्रम्प के अहमदाबाद के दौरे के दौरान देखा गया था, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एयरपोर्ट से कार्यक्रम स्थल और होटल के रास्ते में आने वाली गरीब बस्तियों को बड़े-बड़े तिरपालों से ढकवा दिया था.
इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट का प्रमुख मारा गया : 'द हिंदू' की रिपोर्ट है कि इराकी प्रधानमंत्री ने 15 मार्च को घोषणा की है कि इराक में इराकी राष्ट्रीय खुफिया सेवा के सदस्यों और अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन बलों द्वारा एक अभियान में इस्लामिक स्टेट के प्रमुख को मार दिया गया है. अब्दल्लाह माकी मुसलेह अल-रिफाई इस उग्रवादी समूह के "डिप्टी खलीफा" थे और "इराक और दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादियों में से एक" थे, बयान में कहा गया है. प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी ने एक्स (पहले ट्विटर) पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा, "इराकी लोग अंधकार और आतंकवाद की ताकतों पर अपनी शानदार जीत जारी रखे हुए हैं." शुक्रवार रात अपने ट्रूथ सोशल प्लेटफॉर्म पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा— "आज इराक में आईएसआईएस के भगोड़े नेता को मार दिया गया. उसे हमारे बहादुर योद्धाओं ने इराकी सरकार और कुर्द क्षेत्रीय सरकार के सहयोग से बेखौफ होकर खोज निकाला."
दिमागी इम्प्लांट से नशा और तलब दूर करने की कोशिश
ब्रिटेन के डॉक्टर अल्कोहल और ओपिओइड नशेड़ियों के मस्तिष्क में विशेष इम्प्लांट लगाकर उनकी लत छुड़ाने का अभूतपूर्व प्रयोग कर रहे हैं. गार्डियन की रिपोर्ट है कि कैम्ब्रिज, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और किंग्स कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं की टीम 'डीप ब्रेन स्टिमुलेशन' (डीबीएस) तकनीक का उपयोग कर नशे की तीव्र इच्छा (क्रेविंग) घटाने और आत्मनियंत्रण बढ़ाने की कोशिश कर रही है. ब्रिटेन में लाखों लोग अल्कोहल और ओपिओइड पर निर्भर हैं, जिससे पारिवारिक तनाव, मानसिक रोग और ओवरडोज का खतरा बढ़ता है.
यह पेसमेकर की तरह है. मस्तिष्क में लगाए गए इलेक्ट्रोड लत से जुड़े असंतुलित विद्युत संकेतों को नियंत्रित करते हैं. यह तकनीक पार्किंसंस रोग और अवसाद में पहले से सफल रही है. इसके तहत मस्तिष्क के 'रिवार्ड और डिसीजन केंद्र' में पतले इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं, जो छाती में फिट पल्स जनरेटर से जुड़े होते हैं.
इसके लिए 12 प्रतिभागियों (6 शराबी, 6 ओपिओइड नशेड़ी) को चुना जाएगा, जिन्हें 5+ वर्षों की लत और 3+ रिलैप्स का सामना करना पड़ा हो. कुछ समय के लिए इलेक्ट्रिकल संकेत बंद रखकर मस्तिष्क गतिविधि का विश्लेषण किया जाएगा, ताकि लत के न्यूरल तंत्र को समझा जा सके. प्रोफेसर वैलेरी वून के अनुसार, "लत सिर्फ व्यक्तिगत समस्या नहीं, बल्कि पूरे समाज को प्रभावित करती है."
चलते चलते
गोबर से बन रहा है जापानी कारों के लिए हाइड्रोजन ईंधन
गाय और गोबर भारत के लिए सर्वाधिक राष्ट्रीय महत्व की माने जाते हैं. पर इसकी तकनीक को अगले ही लेवल तक ले जाने में जापान आगे निकल चुका है. जापान के हॉक्काइडो द्वीप पर गाय के बदबूदार गोबर को क्लीन एनर्जी में बदलने का अनोखा प्रयोग हो रहा है. बीबीसी के इस फीचर के मुताबिक यहाँ के डेयरी फार्म्स प्रतिदिन 20 लाख टन गोबर पैदा करते हैं, जो पर्यावरण के लिए चुनौती था. अब "शिकाओई हाइड्रोजन फार्म" इसे बायोगैस और फिर हाइड्रोजन ईंधन में तब्दील कर रहा है. इसके लिए पहले एनारोबिक डाइजेशन के जरिए गोबर और मूत्र को बंद टैंकों में सड़ाया जाता है, जिससे मीथेन युक्त बायोगैस निकलती है. इस गैस को स्टीम रिफॉर्मिंग के माध्यम से 800°C पर भाप के साथ मिलाकर हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड और CO₂ में बदला जाता है. और फिर CO₂ को अलग कर शुद्ध हाइड्रोजन प्राप्त किया जाता है, जिससे ट्रैक्टर, फॉर्कलिफ्ट और कारें चलती हैं.
गायों द्वारा खाए गए घास से उत्पन्न CO₂ को "कार्बन न्यूट्रल" माना जाता है. गोबर के सड़ने से निकलने वाली मीथेन (CO₂ से 80 गुना खतरनाक) रोकी जा रही है.हालांकि भंडारण की मुश्किलें हैं. हाइड्रोजन को संग्रहित करने के लिए उच्च दबाव या -253°C तापमान चाहिए, जो महंगा है. हाइड्रोजन उत्पादन पेट्रोल की तुलना में महंगा है, लेकिन सरकारी सब्सिडी से कीमतें नियंत्रित हैं. जापान के ही फुकुओका शहर में मानव मल से हाइड्रोजन बनाकर कचरा ट्रक और एम्बुलेंस चलाई जा रही हैं. थाईलैंड में मुर्गी के कचरे और अमेरिका में कॉर्न व कपास के अवशेषों से हाइड्रोजन बनाने के प्रयोग चल रहे हैं.
हाइड्रोजन ईंधन अभी बैटरी वाली कारों से महंगा है, लेकिन भारी वाहनों (ट्रक, ट्रैक्टर) के लिए यह टिकाऊ विकल्प बन सकता है. जापान सरकार का लक्ष्य 2030 तक हाइड्रोजन ऊर्जा को बढ़ावा देना है. विशेषज्ञों के अनुसार, कचरे से ऊर्जा बनाने का यह मॉडल दुनिया भर में ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं के लिए मिसाल बन सकता है.
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