16/05/2025 : लड़ाई रुकवाने पर ट्रम्प की धौंस जारी | टैरिफ पर चौंकाया | तुर्की पर भारत का नजला | मुर्मू के 14 सवाल | भारतीयों को भी छोड़ा सीमा पार | राहुल पर एफआईआर | वार कवरेज की मीडिया को शाबाशी
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां :
भारत, पाकिस्तान सैन्य कार्रवाई रोके रखने पर सहमत
आतंकवाद और जल संधि
पाकिस्तान में नुक्सान की अमेरिकी मीडिया ने तस्दीक की
दो देशों के संघर्ष में चीन का दबदबा
अमेरिकी रवैये से भारत में निराशा
वक़्फ़ कानून : सुप्रीम कोर्ट 20 को पूरे दिन सुनवाई करेगी
चीनी मिसाइल का खतरा और भारतीय वायुसेना की तैयारी
‘हाईकोर्ट के जज बेवजह कॉफी ब्रेक लेते हैं, कभी यह ब्रेक, कभी वह ब्रेक, फिर लंच का घंटा किसलिए?’
जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के शिक्षाविद हिरासत से रिहा
भारत की नानुकुर के बाद भी ट्रम्प का छह दिन में छठी बार जंग रुकवाने का श्रेय
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछले छह दिनों में छठी बार दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच दुश्मनी ‘सुलझ गई’ है. उन्होंने इस शांति का श्रेय अपने प्रशासन के प्रयासों को दिया, जिसने दोनों परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों के बीच मध्यस्थता की. कतर में एक सैन्य अड्डे पर अमेरिकी सैनिकों को संबोधित करते हुए ट्रम्प ने कहा कि अमेरिका के राजनयिक हस्तक्षेप से पहले स्थिति एक खतरनाक बिंदु पर पहुँच गई थी. ट्रम्प ने दर्शकों से कहा, "मैं यह नहीं कहना चाहता कि मैंने यह किया, लेकिन मैंने पिछले हफ्ते पाकिस्तान और भारत के बीच समस्या को सुलझाने में निश्चित रूप से मदद की." उन्होंने कहा कि दोनों देश परिणाम से खुश थे और उन्होंने कहा, "युद्ध के बजाय व्यापार करें. और हमने उनसे व्यापार के बारे में बात की. युद्ध के बजाय व्यापार करें. और पाकिस्तान इससे बहुत खुश था और भारत इससे बहुत खुश था और मुझे लगता है कि वे सही रास्ते पर हैं." अपने विशिष्ट तात्कालिक अंदाज में ट्रम्प ने कहा, "वे लगभग एक हजार सालों से लड़ रहे हैं... मुझे इसे सुलझने दो." इस बात पर हंसी आई, लेकिन एक जटिल संघर्ष को अत्यधिक सरल बनाने के लिए उनकी आलोचना भी हुई.
इससे पहले, उनके प्रेस सचिव ने भी यही बात दोहराई, जिसमें दावा किया गया कि ट्रम्प ने पाकिस्तान और भारत के बीच संभावित परमाणु संघर्ष को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. हालांकि, भारत ने यह रुख बनाए रखा है कि भारतीय और अमेरिकी नेताओं के बीच किसी भी बातचीत में ‘व्यापार का मुद्दा नहीं उठा’. दिलचस्प बात यह है कि अब तक, भारत ने ट्रम्प के किसी भी दावे का सीधा खंडन जारी नहीं किया है.
आज पहले, अमेरिका ने कहा कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच ‘सीधे संवाद’ को प्रोत्साहित करता है और भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष शहबाज शरीफ की ‘शांति का मार्ग’ चुनने के लिए सराहना करता है. यह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के पहले के दावे के बाद भारत की ओर से आए विरोध के बीच आया है कि उन्होंने व्यापार रोकने की धमकी देकर भारत और पाकिस्तान पर युद्धविराम स्वीकार करने का दबाव डाला था. उन्होंने दोहराया कि यह उनके प्रशासन ने ही भारत और पाकिस्तान के बीच ‘पूर्ण और तत्काल युद्धविराम’ कराया था.
ट्रम्प ने शून्य टैरिफ की बात पर फिर चौंकाया
इन दिनों भारत को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का रवैया हैरान करने वाला है. भारत-पाकिस्तान में सीजफायर कराने के दावे के बाद ट्रम्प ने अब एक नया दावा किया है कि भारत ने उनके देश से आयातित वस्तुओं पर सभी टैरिफ हटाने की पेशकश की है. अलग बात है कि उनके दावे को खारिज करते हुए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि बातचीत अभी जारी है और "जब तक सब कुछ तय नहीं हो जाता, तब तक कुछ भी तय नहीं है."
ट्रम्प ने शून्य टैरिफ के बारे में बयान दोहा में दिया, जहां बिजनेस लीडर्स के साथ एक कार्यक्रम में उन्होंने अमेरिका और कतर के बीच बोइंग जेट सहित कई सौदों की घोषणा की. इसी कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि उन्होंने एपल के सीईओ टिम कुक से कहा है कि वे भारत में निर्माण न करें, क्योंकि भारत "दुनिया के सबसे ऊँचे टैरिफ वाले देशों में से एक है."
"उन्होंने (भारत) हमें एक ऐसी डील की पेशकश की है, जिसमें वे हमसे शून्य टैरिफ वसूलने को तैयार हैं. मैंने कहा, 'टिम, हम तुम्हारे साथ बहुत अच्छा व्यवहार कर रहे हैं, हमने चीन में बनाए गए तुम्हारे सभी प्लांट्स को सालों तक झेला है. हमें इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है कि तुम भारत में निर्माण करो. भारत अपनी देखभाल खुद कर सकता है."
बीबीसी में निखिल इनामदार की रिपोर्ट है कि इस महीने की शुरुआत में एक अर्निंग कॉल में, एपल ने कहा था कि वह चीन से अधिकातर iPhones का उत्पादन भारत में शिफ्ट कर रही है, जबकि वियतनाम iPads और एपल वॉच जैसे उत्पादों के लिए प्रमुख हब बनेगा. ट्रम्प ने ने अप्रैल में भारतीय वस्तुओं पर 27% तक के टैरिफ लगा दिए थे. भारत, ट्रम्प द्वारा टैरिफ बढ़ाने पर दी गई 90 दिनों की छूट के दौरान व्यापार समझौता करने की कोशिश कर रहा है. छूट की अवधि 9 जुलाई को समाप्त हो जाएगी.
इसी हफ्ते, अमेरिका और चीन ने एक-दूसरे के बीच व्यापारित वस्तुओं पर आयात शुल्क कम करने पर सहमति जताई-अमेरिकी टैरिफ चीनी आयात पर 145% से घटकर 30% हो जाएंगे, जबकि चीनी टैरिफ कुछ अमेरिकी आयात पर 125% से घटकर 10% रह जाएंगे.
अभी तक अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 190 अरब डॉलर (₹14.3 लाख करोड़) तक पहुंच गया था. भारत पहले ही बॉर्बन व्हिस्की, मोटरसाइकिल और कुछ अन्य अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ कम कर चुका है, लेकिन अमेरिका का भारत के साथ 45 अरब डॉलर का व्यापार घाटा है, जिसे ट्रम्प कम करना चाहते हैं.
व्यापार विशेषज्ञ अजय श्रीवास्तव कहते हैं, “चूंकि ट्रम्प हमेशा भारत के ऊंचे टैरिफ को व्यापार घाटे के लिए जिम्मेदार ठहराते रहे हैं, लिहाजा भारत, सिर्फ ऑटो और कृषि को छोड़कर सभी वस्तुओं पर टैरिफ घटाकर “ज़ीरो-फॉर-ज़ीरो” दृष्टिकोण अपनाते हुए पहले दिन से ही 90% अमेरिकी निर्यात पर टैरिफ शून्य करने की पेशकश कर सकता है. लेकिन समझौते में सख्त पारस्परिकता होनी चाहिए, दोनों पक्षों को समान रूप से टैरिफ हटाने होंगे.”
दिलचस्प है कि कल ही यह खबर आई थी कि वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की अमेरिका यात्रा से ठीक पहले भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को कुछ चुनिंदा अमेरिकी निर्मित वस्तुओं पर प्रतिशोधात्मक शुल्क लगाने के अपने प्रस्ताव के बारे में सूचित किया है. इसका उद्देश्य भारतीय इस्पात और एल्युमिनियम निर्यात पर वाशिंगटन द्वारा लगाए जा रहे लगातार शुल्कों का जवाब देना है. नई दिल्ली ने कहा था कि इस कदम का रूप रियायतों को निलंबित करने और विशिष्ट अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने जैसा होगा. एक बयान में कहा गया कि "रियायतों या अन्य दायित्वों का प्रस्तावित निलंबन संयुक्त राज्य अमेरिका से उत्पन्न होने वाले चयनित उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने के रूप में होगा."
भारत, पाकिस्तान सैन्य कार्रवाई रोके रखने पर सहमत
भारत-पाकिस्तान ने 10 मई को शाम 5 बजे से ‘जमीन, हवा और समुद्र में सभी तरह की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोके रखे जाने’ पर सहमति जताई है. भारतीय सेना ने गुरुवार 15 मई को कहा कि दोनों देश सतर्कता स्तर को कम करने के उद्देश्य से ‘विश्वास-निर्माण उपायों’ को भी जारी रखेंगे, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि दोनों सैन्य संचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) ने एक-दूसरे से बात की है या नहीं. पाकिस्तान ने दावा किया कि बुधवार और गुरुवार को दोनों सेना के बीच बातचीत हुई और संघर्ष विराम 18 मई तक प्रभावी रहेगा.
इससे अलग, इजराइल ने गुरुवार को ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की सराहना करते हुए आतंकवाद के खिलाफ भारत की उचित लड़ाई को अपना पूरा समर्थन दिया. इजरायली रक्षा मंत्रालय के महानिदेशक मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) आमिर बारम ने रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह के साथ टेलीफोन पर बातचीत में यह बात कही.
कंगना ने ट्रम्प पर पोस्ट हटाया : भाजपा सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत ने गुरुवार 15 मई को पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा के आह्वान पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बारे में अपना सोशल मीडिया पोस्ट हटा दिया. उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “आदरणीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ‘श्री @JPNadda’ जी ने मुझे फ़ोन किया और मुझसे वह ट्वीट हटाने को कहा, जिसमें मैंने ट्रम्प द्वारा एपल के सीईओ टिम कुक से भारत में निर्माण न करने के लिए कहने के बारे में पोस्ट किया था. मुझे अपनी उस निजी राय को पोस्ट करने का पछतावा है, निर्देशों के अनुसार मैंने तुरंत इसे इंस्टाग्राम से भी हटा दिया. धन्यवाद."
आतंकवाद और जल संधि : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध और व्यवहार "सख्ती से द्विपक्षीय" होंगे, जो कई सालों से राष्ट्रीय सहमति है और इसमें "बिल्कुल कोई बदलाव नहीं" है. उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पहलगाम हमले के दोषियों को जवाबदेह ठहराने की आवश्यकता पर जोर दिया है. जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद पर क्या किया जाना चाहिए, इस पर इस्लामाबाद के साथ नई दिल्ली "चर्चा करने के लिए तैयार है". सिंधु जल संधि के निलंबन पर पुनर्विचार करने की पाकिस्तान की अपील पर, जयशंकर ने कहा, "सिंधु जल संधि स्थगित है और तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद विश्वसनीय और स्थाई तौर पर बंद नहीं हो जाता. कभी-कभी कश्मीर का मुद्दा उठाया गया है. कश्मीर पर केवल एक चीज जिस पर चर्चा की जानी बाकी है, वह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में भारतीय क्षेत्र को खाली कराना है और हम पाकिस्तान के साथ इस पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं."
पाकिस्तान में नुक्सान की अमेरिकी मीडिया ने तस्दीक की : न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, उपग्रह चित्रों का हवाला देते हुए, हालिया चार-दिवसीय सैन्य टकराव के दौरान भारत को पाकिस्तान की सैन्य सुविधाओं और हवाई अड्डों को निशाना बनाने में "स्पष्ट बढ़त" मिली है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हमलों से पहले और बाद की उच्च-रिज़ॉल्यूशन उपग्रह छवियां पाकिस्तान की सुविधाओं को भारतीय हमलों से "स्पष्ट क्षति" दिखाती हैं. पाकिस्तानी अधिकारियों के इस दावे पर कि उनकी सेना ने भारत के उधमपुर हवाई अड्डे को "नष्ट" कर दिया था, NYT रिपोर्ट कहती है कि "12 मई की एक तस्वीर में कोई नुकसान नहीं दिखाई देता". वाशिंगटन पोस्ट के एक विश्लेषण में पाया गया है कि पाकिस्तान पर भारतीय हमलों से छह हवाई अड्डे क्षतिग्रस्त हुए हैं. उपग्रह छवियों और बाद के वीडियो की समीक्षा में पाया गया कि हमलों ने तीन हैंगर, दो रनवे और वायु सेना द्वारा उपयोग किए जाने वाले मोबाइल भवनों की एक जोड़ी को क्षतिग्रस्त कर दिया. क्रिस्टोफर क्लारी, जो अल्बानी विश्वविद्यालय में एक एसोसिएट प्रोफेसर हैं, कहते हैं कि उपग्रह सबूत इस दावे के अनुरूप हैं कि भारतीय सेना ने पूर्वी पाकिस्तान के कई ठिकानों पर पाकिस्तान वायु सेना को महत्वपूर्ण, हालांकि विनाशकारी नहीं, क्षति पहुंचाई.
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने कहा है कि पाकिस्तान में किसी भी परमाणु सुविधा से कोई विकिरण रिसाव या उत्सर्जन नहीं हुआ है. यह बयान उन व्यापक रिपोर्टों को खारिज करता है जिनमें दावा किया गया था कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारतीय मिसाइलों ने पाकिस्तान के सरगोधा में किराना हिल्स पर हमला किया था, जिससे रेडियोधर्मी रिसाव हुआ था.
दो देशों के संघर्ष में चीन का दबदबा : पिछले हफ्ते भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के बीच, चीन ने खुद को बिना गोली चलाए सुर्खियों के केंद्र में पाया. चीनी निर्मित J-10 जेट्स का उपयोग करके भारतीय राफेल विमानों को मार गिराने के पाकिस्तान के दावे ने वीबो पर उत्साह जगाया, जिसमें उपयोगकर्ताओं ने इसे एक प्रतीकात्मक जीत बताया. भारत ने आधिकारिक तौर पर इन नुकसानों की न तो पुष्टि की है और न ही इनकार किया है. अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन वेरोना टीम की चीन विशेषज्ञ कार्लोट्टा रिनाउडो का मानना है कि शुरुआती आकलन में धारणा महत्वपूर्ण है, और J-10 जेट्स के प्रदर्शन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "और धारणा के मामले में यह चीन के लिए एक बड़ी जीत थी."
मुठभेड़ में तीन मरे : गुरुवार को भारतीय सेना ने कहा कि जम्मू और कश्मीर के अवंतीपोरा में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में तीन संदिग्ध आतंकवादी मारे गए. डेक्कन हेराल्ड ने एक अज्ञात पुलिस अधिकारी के हवाले से बताया कि मारे गए लोगों में से कम से कम एक का संबंध आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा से माना जा रहा था. यह शोपियां जिले में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में तीन आतंकवादियों के मारे जाने के दो दिन बाद हुआ. कई रिपोर्टों में अज्ञात पुलिस अधिकारियों के हवाले से बताया गया कि तीनों का संबंध लश्कर-ए-तैयबा से होने का संदेह था.
अमेरिकी रवैये से भारत में निराशा : द इकोनॉमिस्ट के अनुसार, पाकिस्तान के साथ दो दशकों से अधिक समय की सबसे भीषण लड़ाई को फ्रीज करने में अमेरिका की भूमिका से भारतीय अधिकारी निराश हैं. भारत के युद्ध के दावों की घर पर भी जांच हो रही है. उसने 11 पाकिस्तानी हवाई ठिकानों पर हुए नुकसान के उपग्रह चित्र दिखाए हैं. वह 100 से अधिक आतंकवादियों के साथ-साथ 35 से 40 पाकिस्तानी सैनिकों को मारने का दावा करता है. वह कुछ "उच्च-तकनीकी" पाकिस्तानी विमानों को मार गिराने का भी दावा करता है. लेकिन कुछ भारतीय विमानों के खोने के बढ़ते ओपन-सोर्स सबूत के बावजूद, भारत ने अभी तक पाकिस्तान के तीन नए फ्रांसीसी राफेल जेट और दो रूसी मॉडल को मार गिराने के दावे की पुष्टि या खंडन नहीं किया है. इस बीच, पाकिस्तान का कहना है कि उसका केवल एक विमान मामूली क्षतिग्रस्त हुआ. वह 26 भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों पर भारी नुकसान पहुंचाने और 40 से 50 भारतीय सैनिकों को मारने का दावा करता है.
कल्लोल भट्टाचार्जी की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों के हवाले से भारतीय तकनीकी टीम पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर रेजिस्टेंस फ्रंट को प्रतिबंधित कराने के प्रयास में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध समिति की निगरानी टीम के सामने सबूत पेश करने के लिए न्यूयॉर्क गई है.
पाकिस्तान को समर्थन देने का नजला तुर्की पर झड़ा
भारत-पाकिस्तान संघर्ष में तुर्की के पाकिस्तान को समर्थन और हथियार सप्लाई से नाराज़ होकर भारत ने तुर्की के खिलाफ कई सारी कार्रवाइयां की. हालांकि पाकिस्तान चीनी और अमेरिकी हथियारों का भी इस्तेमाल करता रहा है. हालांकि तुर्की के साथ भारत के रिश्ते ठीक ही रहे हैं. जैसा भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गर्मजोश तरीका है, वे कई तस्वीरों में रेसेप तैयप एर्दोगन के गले लगते देखे जा सकते है. 2018 में तुर्की ने जी-20 के नेताओं के नाम पर रस्मी डाक टिकट जारी किये थे, जिसे तब के भाजपा नेता तुर्की द्वारा मोदी जी के लिए इस खास सम्मान की तरह पेश करते हुए स्तुतिगान कर रहे थे. इस टिकट के लेकर सोशल मीडिया में खासा बवाल दिन भर मचता रहा, जिसके बारे में आल्ट न्यूूज ने चीजें स्पष्ट करने की कोशिश की.
द वायर के मुताबिक नई दिल्ली ने ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ का हवाला देते हुए एक तुर्की हवाईअड्डा सेवा फर्म की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी है. इसके अलावा, तुर्की के नामित राजदूत को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना परिचय पत्र सौंपने का समारोह भी टाल दिया गया है. तीन केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने भी तुर्की संस्थानों के साथ अपने मौजूदा समझौता ज्ञापनों (एमओयू) को निलंबित कर दिया है, जिनमें से दो ने ‘राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताओं’ को इसका कारण बताया है.
गुरुवार 15 मई को, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने घोषणा की कि तुर्की स्थित सेलेबी एविएशन फर्म और उसकी सहयोगी कंपनियों को दी गई सुरक्षा मंजूरी ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के आधार पर रद्द कर दी गई है. यह मंजूरी नवंबर 2022 में ग्राउंड हैंडलिंग एजेंसी के रूप में सेलेबी को मिली थी. नागरिक उड्डयन मंत्री के. राम मोहन नायडू ने कहा, ‘हमारे राष्ट्र की सुरक्षा से ऊपर कुछ भी नहीं है’ और ‘राष्ट्रीय सुरक्षा तथा सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि और गैर-परक्राम्य हैं’. सेलेबी की भारतीय इकाई ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वह एक भारतीय उद्यम है. गुरुवार को ही तुर्की के नामित राजदूत अली एरसोय सहित पांच देशों के राजदूतों का राष्ट्रपति को परिचय पत्र सौंपने का समारोह अचानक स्थगित कर दिया गया. विदेश मंत्रालय ने ‘कार्यक्रम संबंधी मुद्दे’ का हवाला दिया, लेकिन तुर्की के खिलाफ अन्य कार्रवाइयों के समय को देखते हुए इस निर्णय को महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
भारत की नाराजगी का मुख्य कारण तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन का पाकिस्तान के प्रति स्पष्ट समर्थन है. हालिया संघर्ष के बाद, एर्दोगन ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से फोन पर बात कर पाकिस्तान के साथ एकजुटता व्यक्त की और कश्मीर में हुए आतंकी हमले की ‘निष्पक्ष, पारदर्शी और विश्वसनीय अंतरराष्ट्रीय जांच’ के पाकिस्तान के प्रस्ताव का समर्थन किया. उन्होंने सोशल मीडिया पर भी भारत-पाकिस्तान ‘भाईचारे’ की बात कही. भारतीय रक्षा मंत्रालय ने यह भी संकेत दिया है कि पाकिस्तान द्वारा इस्तेमाल किए गए कुछ ड्रोन तुर्की निर्मित हो सकते हैं. इस बीच, तुर्की विरोधी भावना के चलते भारतीय नागरिकों से तुर्की यात्रा या तुर्की सामान का बहिष्कार करने का आह्वान किया गया है, जिससे यात्रा बुकिंग में गिरावट देखी गई है. हालांकि भारत ने आधिकारिक तौर पर तुर्की के समक्ष विरोध दर्ज नहीं कराया है, लेकिन इन कदमों को तुर्की के रवैये पर नई दिल्ली की तीखी प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है.
वक़्फ़ कानून
सुप्रीम कोर्ट 20 को पूरे दिन सुनवाई करेगी
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने गुरुवार 15 मई को वक़्फ़ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के प्रावधानों पर रोक लगाने के अंतरिम आदेश के पक्ष और विपक्ष में दलीलें सुनने के लिए 20 मई को पूरा एक दिन समर्पित करने का फैसला किया है.
यह मामला पिछली बार 5 मई को मुख्य न्यायाधीश गवई के पूर्ववर्ती न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ के समक्ष आया था. न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा था कि 13 मई, 2025 को उनकी सेवानिवृत्ति तक उनके पास बहुत कम समय है. इसलिए वह खुद को इससे अलग कर रहे हैं. 17 अप्रैल को चीफ जस्टिस खन्ना, संजय कुमार और के.वी. विश्वनाथन की तीन सदस्यीय बेंच ने सरकार को खुली अदालत में यह बयान देने के लिए प्रेरित किया था कि वे इन संशोधनों के आधार पर देश भर में वक़्फ़ संपत्तियों के चरित्र या स्थिति में कोई बदलाव नहीं करेंगे.
राष्ट्रपति मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से 14 सवाल पूछे
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा विधेयकों पर निर्णय लेने के मामले में राष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए समय-सीमा तय करने को लेकर 14 सवाल उठाए हैं और उन पर राय मांगी है. राष्ट्रपति मुर्मू ने शीर्ष अदालत से अनुच्छेद 143(1) के तहत यह राय मांगी है कि क्या उनके कार्य न्यायिक समीक्षा के अंतर्गत आते हैं और क्या संविधान में ऐसी कोई स्पष्ट व्यवस्था न होने पर उन पर समयसीमा लागू की जा सकती है?
इस वर्ष अप्रैल में, सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों को विधेयकों पर कार्रवाई के लिए समयसीमा निर्धारित की थी और पहली बार यह निर्देश दिया कि राज्यपाल द्वारा विचारार्थ सुरक्षित रखे गए विधेयकों पर राष्ट्रपति को संदर्भ प्राप्त होने की तिथि से तीन माह के भीतर निर्णय लेना चाहिए. राष्ट्रपति द्वारा सुप्रीम कोर्ट को लिखा गया पत्र कहता है कि संविधान के अनुच्छेद 200 और 201 के तहत विधेयकों पर राज्यपाल या राष्ट्रपति के निर्णय के लिए कोई समयसीमा निर्धारित नहीं है.
इस बीच राष्ट्रपति का यह कदम तीखी राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का कारण बना है. खासकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने राष्ट्रपति के संदर्भ की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह संविधान की स्पष्टता और न्यायिक अधिकार को कमजोर करने का प्रयास है. स्टालिन के अनुसार, यह संदर्भ राजनीतिक उद्देश्यों को उजागर करता है, विशेषकर विपक्षी दलों द्वारा शासित निर्वाचित सरकारों को कमजोर करने के लिए. उन्होंने आरोप लगाया, “यह प्रयास स्पष्ट रूप से दिखाता है कि तमिलनाडु के राज्यपाल ने जनता के जनादेश को कमजोर करने के लिए भाजपा के इशारे पर काम किया. यह लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई राज्य सरकारों को कमजोर करने की एक कोशिश है, ताकि उन्हें केंद्र सरकार के एजेंट के रूप में कार्यरत राज्यपालों के नियंत्रण में लाया जा सके.”
राज्यपालों के लिए समय सीमा तय करने का विरोध करने के तर्क पर सवाल उठाते हुए स्टालिन ने पूछा, “राज्यपालों को कार्रवाई के लिए समय सीमा निर्धारित करने में क्या आपत्ति हो सकती है?” उन्होंने आगे पूछा, “क्या भाजपा अपने राज्यपालों की बाधा डालने की प्रवृत्ति को वैध ठहराना चाहती है, ताकि विधेयकों की स्वीकृति में अनिश्चितकालीन देरी हो सके? क्या केंद्र गैर-भाजपा शासित राज्य विधानसभाओं को पंगु बनाना चाहती है?” स्टालिन ने सभी गैर-भाजपा शासित राज्यों और नेताओं से संविधान की रक्षा के लिए इस कानूनी संघर्ष में एकजुट होने का आह्वान भी किया.
राहुल पर बिहार में एफआईआर
दरभंगा जिला प्रशासन ने गुरुवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के खिलाफ अंबेडकर छात्रावास में बिना आधिकारिक अनुमति के कार्यक्रम आयोजित करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की है. राहुल के दरभंगा से पटना जाने के तुरंत बाद मामला दर्ज किया गया. राहुल के अलावा, भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की विभिन्न धाराओं के तहत लहेरियासराय थाने में दर्ज एफआईआर में 18 अन्य लोगों के नाम हैं. जिला कल्याण अधिकारी कुमार ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “हमने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया है, क्योंकि उन्होंने बिना किसी अनुमति के कार्यक्रम आयोजित किया था.” एफआईआर के अनुसार, कांग्रेस को टाउन हॉल में अपना कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति दी गई थी, जबकि कथित तौर पर बिना अनुमति के बैठक अंबेडकर छात्रावास में आयोजित की गई थी, और इसमें राहुल और कई अन्य लोग शामिल हुए थे. आरोपों का जवाब देते हुए राहुल ने दिल्ली रवाना होने से पहले पटना हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से कहा, “मैंने अधिकारियों से कहा कि अगर आप मुझे छात्रावास जाने से रोकना चाहते हैं, तो ऐसा करें, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.”
विश्लेषण
चीनी मिसाइल का खतरा और भारतीय वायुसेना की तैयारी
भारतीय वायुसेना (भारतीय वायु सेना.) द्वारा लगभग एक दशक पहले शुरू की गई 114 मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) की अपनी लंबे समय से लंबित आवश्यकता को तेजी से पूरा करने की मांग "ऑपरेशन सिंदूर" के बाद और तेज होने की उम्मीद है. इस ऑपरेशन में पाकिस्तानी ठिकानों पर सटीक हमलों के लिए विशेष रूप से लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया गया था. द वायर ने राहुल बेदी का भारतीय वायु सेना की क्षमता और चुनौतियोंं पर एक लम्बा लेख छापा है.
हालांकि, इस मांग पर चीन की घातक रडार-निर्देशित PL-15/15E लंबी दूरी की बियॉन्ड विजुअल रेंज-एयर-टू-एयर मिसाइल (BVRAAM) का मुकाबला करने में सक्षम वैश्विक स्तर पर सीमित लड़ाकू विमानों की उपलब्धता का असर पड़ेगा. यह मिसाइल दुनिया भर में हवाई युद्ध के लिए एक बड़ी चुनौती प्रस्तुत करती है. मैक 5 से अधिक गति से संचालित होने वाली PL-15 (घरेलू संस्करण) की मारक क्षमता 200-300 किलोमीटर है, जबकि इसका निर्यात संस्करण PL-15E, जो चीनी मूल के JF-10C लड़ाकू विमानों पर पाकिस्तानी वायुसेना द्वारा उपयोग किया जाता है, की दृश्य सीमा से परे मारक क्षमता लगभग 145 किलोमीटर है.
"ऑपरेशन सिंदूर" के दौरान पाकिस्तानी वायुसेना द्वारा वास्तविक सैन्य टकराव में PL-15/15E की पहली बार तैनाती से यह खतरा उजागर हुआ. भारतीय वायु सेना. के एयर ऑपरेशंस महानिदेशक एयर मार्शल एके भारती ने पंजाब के होशियारपुर से बरामद PL-15/15E मिसाइल के मलबे की तस्वीरें प्रस्तुत कीं, हालांकि उन्होंने कहा कि मिसाइल अपने लक्ष्य से चूक गई थी.
कई विदेशी मीडिया रिपोर्टों ने दावा किया कि 7 मई को कथित आतंकी ठिकानों पर भारत के हमलों के बाद, पाकिस्तानी वायुसेना के JF-10C (संभवतः PL-15E से लैस) ने भारतीय वायु सेना के कम से कम एक राफेल लड़ाकू विमान को मार गिराया. पाकिस्तानी वायुसेना ने 5 भारतीय वायुसेना विमान गिराने का दावा किया. भारतीय वायुसेना ने इन दावों की न तो पुष्टि की और न ही खंडन किया, केवल इतना कहा कि नुक्सान युद्ध का हिस्सा होते हैं. सभी पायलट सुरक्षित लौट आए.
अमेरिकी वायुसेना सहित जापान, ऑस्ट्रेलिया और इज़राइल जैसे कई देश PL-15 को एक 'रणनीतिक चिंता' मानते हैं और अपनी वायु-से-वायु मिसाइलों और AESA रडार प्रणालियों को अपग्रेड करने पर विचार कर रहे हैं. भारतीय वायुसेना अपनी लड़ाकू स्क्वाड्रनों की घटती संख्या (स्वीकृत 42.5 से घटकर लगभग 30) से जूझ रही है, जिसमें पुराने मिग-21 'बिस' और SEPECAT जगुआर जैसे प्लेटफॉर्म शामिल हैं. PL-15 का मुकाबला करने के लिए अतिरिक्त विमानों का अधिग्रहण एक गंभीर चुनौती होगी. PL-15 अपनी उन्नत INS, डेटा-लिंक मार्गदर्शन और टर्मिनल चरण में AESA रडार-सीकर के कारण बेहद घातक है, जिसे जाम करना या पहचानना मुश्किल है. PL-15 का मुकाबला करने में लॉकहीड मार्टिन के पांचवीं पीढ़ी के F-22 'रैप्टर' और F-35 लाइटनिंग II स्टील्थ फाइटर, तथा महत्वपूर्ण अपग्रेड के साथ यूरोफाइटर 'टाइफून' और राफेल सक्षम माने जाते हैं. राफेल की मेटियोर मिसाइल भी PL-15 का मुकाबला कर सकती है, लेकिन कथित राफेल के गिरने की खबरें सवाल खड़े करती हैं. MRFA सौदे के लिए आठ दावेदारों में से कुछ ही (जैसे राफेल, यूरोफाइटर, साब ग्रिपेन-ई, रूसी मिग-35/सु-35, और अमेरिकी F/A-18E/F, F-15EX, F-16V) संभावित संशोधनों के बाद भी PL-15 के खतरे का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर पाएंगे. रूस ने अपने पांचवीं पीढ़ी के Su-57 स्टील्थ फाइटर का भी प्रस्ताव दिया है. अमेरिका से F-35 की पेशकश भी है, जिसे एक 'स्टैंड-अलोन' खरीद के रूप में देखा जा सकता है. वायुसेना प्रमुख पहले ही लड़ाकू विमानों की तत्काल आवश्यकता पर जोर दे चुके हैं. मौजूदा परिस्थितियों में, भारतीय वायुसेना और सरकार को तेजी से कदम उठाकर भारत की लड़ाकू विमान क्षमता बढ़ानी होगी, ताकि आसन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना किया जा सके.
नीरव मोदी के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ : लंदन की हाईकोर्ट ऑफ जस्टिस ने गुरुवार को हीरा कारोबारी नीरव मोदी द्वारा दायर ताजा जमानत याचिका खारिज कर दी. उसने अपनी प्रत्यर्पण याचिका पर निर्णय लंबित रहने तक रिहाई की मांग की थी. वह मेहुल चोकसी के साथ मिलकर किए गए 13,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में वांछित है. 19 मार्च 2019 से यूके की जेल में बंद नीरव पर कुल घोटाले की राशि में से लगभग 6,500 करोड़ रुपये की हेराफेरी करने का आरोप है. जानकारी के अनुसार यूके की हाईकोर्ट उसके प्रत्यर्पण को पहले ही मंजूरी दे चुकी है. यूके में हिरासत के बाद से यह उसकी 10वीं जमानत याचिका थी, जिसे सीबीआई ने चुनौती दी.
‘हाईकोर्ट के जज बेवजह कॉफी ब्रेक लेते हैं, कभी यह ब्रेक, कभी वह ब्रेक, फिर लंच का घंटा किसलिए?’
हाई कोर्ट के जजों द्वारा बार-बार अनावश्यक ‘ब्रेक’ लेने का मुद्दा दो दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में उठा तो जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को हाई कोर्ट के जजों के खिलाफ कई शिकायतें मिल रही हैं और अब उनके खर्च और उनके आउटपुट का मूल्यांकन करने का सही समय आ गया है.
दोनों जजों की पीठ ने टिप्पणी की, “कुछ जज हैं जो बहुत मेहनत करते हैं, लेकिन साथ ही कुछ जज ऐसे भी हैं, जो बेवजह कॉफी ब्रेक लेते रहते हैं. कभी यह ब्रेक, कभी वह ब्रेक. फिर लंच का घंटा किसलिए है? हमें हाई कोर्ट के जजों के खिलाफ काफी शिकायतें मिल रही हैं. यह बड़ा मुद्दा है जिस पर ध्यान देने की जरूरत है. हाई कोर्ट के जजों की परफॉर्मेंस क्या है? हम कितना खर्च कर रहे हैं और क्या आउटपुट मिल रहा है? अब समय आ गया है कि हम परफॉर्मेंस ऑडिट करें.
जजों की यह टिप्पणी चार व्यक्तियों की याचिका पर आई, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में यह दावा करते हुए गुहार लगाई थी कि झारखंड हाई कोर्ट ने 2022 में उनकी सजा और आजीवन कारावास के खिलाफ आपराधिक अपील पर आदेश सुरक्षित रख लिया था, लेकिन अब तक फैसला नहीं सुनाया गया. उनकी ओर से पेश अधिवक्ता फौजिया शकील ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद हाईकोर्ट ने 5 और 6 मई को उनके मामलों में फैसले सुनाए, जिनमें से चार में से तीन को बरी कर दिया गया, जबकि एक मामले में विभाजित फैसला आया और मामला हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा गया, साथ ही उसे जमानत भी मिल गई.
फ़ौजिया शकील ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि हाईकोर्ट द्वारा फैसला सुनाए जाने के एक हफ्ते बाद भी तीन बरी किए गए व्यक्तियों को जेल से रिहा नहीं किया गया है और फैसलों में हाई कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखने की तारीख का उल्लेख नहीं किया. इस पर नाराजगी जताते हुए पीठ ने झारखंड सरकार के वकील को निर्देश दिया कि उन्हें तुरंत, लंच ब्रेक से पहले रिहा किया जाए और मामले को दोपहर 2 बजे के बाद के लिए सूचीबद्ध किया. जब मामला सुनवाई के लिए आया, तो राज्य के वकील ने पीठ को बताया कि दोषियों को रिहा कर दिया गया है और प्रक्रिया में देरी ट्रायल कोर्ट से रिहाई आदेश न मिलने के कारण हुई.
शकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की वजह से ही वे चारों ‘ताज़ा हवा में सांस ले रहे हैं’ और अगर हाई कोर्ट ने समय पर फैसला सुना दिया होता, तो वे तीन साल पहले ही जेल से बाहर आ गए होते.
जस्टिस कांत ने इसे जज का कर्तव्य बताया और कहा, "हमें इन लोगों के कष्ट के लिए दुख है कि न्यायिक व्यवस्था के कारण उन्हें इतनी लंबी अवधि तक जेल में रहना पड़ा." उन्होंने आगे कहा कि उम्मीद है, इस मामले में अदालत "स्पष्ट और बेबाक" होकर न्यायाधीशों के कामकाज के मुद्दे पर विचार करेगी, क्योंकि यह मसला व्यक्तिगत स्वतंत्रता से भी जुड़ा है.
पीठ के आदेश में कहा गया कि याचिकाकर्ता पिला पाहन, सोमा बड़ांग, सत्यनारायण साहू को ट्रायल कोर्ट ने हत्या और अन्य आरोपों में दोषी ठहराया था, लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया. वहीं, धर्मेश्वर उरांव, जिन्हें बलात्कार के अपराध में दोषी ठहराया गया था, उनके मामले में विभाजित फैसला आया, लेकिन उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया. ये चारों व्यक्ति अनुसूचित जाति/जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में उठाया गया मुद्दा "अत्यंत महत्वपूर्ण" है और "आपराधिक न्याय प्रणाली की जड़ से जुड़ा" है. इस याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट से संबंधित ऐसे ही एक मामले के साथ जोड़ा गया है, जिसमें निर्णय सुनाने की तिथि और निर्णय को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड करने की तिथि की जानकारी मांगी गई थी. पीठ ने कहा, "हमें लगता है कि ऊपर उल्लिखित आदेशों में जिन मुद्दों का उल्लेख किया गया है, उनके लिए इस न्यायालय द्वारा गहन विश्लेषण और अनिवार्य दिशा-निर्देशों की आवश्यकता होगी, ताकि दोषियों या विचाराधीन कैदियों को न्यायिक व्यवस्था से विश्वास और भरोसा खोने के लिए मजबूर न होना पड़े. " पीठ ने यह भी कहा कि पहले से निर्धारित समय-सीमा का पालन करना होगा और साथ ही अदालत द्वारा प्रस्तावित तंत्र भी लागू करना होगा. पीठ ने रजिस्ट्री को उच्च न्यायालयों से डेटा एकत्र कर इस मामले को जुलाई में सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया.
जंगल बहाल करे तेलंगाना सरकार : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि तेलंगाना सरकार अगर अपने मुख्य सचिव और एक दर्जन अन्य अधिकारियों को जेल नहीं भेजना चाहती तो हैदराबाद विश्वविद्यालय से सटे जंगल को बहाल करना चाहिए, जिसे उसने पिछले महीने साफ करने की कोशिश की थी.
बीएसएफ ने 78 लोगों को सुंदरबन में छोड़ा
बांग्लादेश कोस्ट गार्ड ने सुंदरबन के सतखीरा स्थित मंदारबारिया क्षेत्र से 78 लोगों को मुक्त कराया है. उनका दावा है कि उन्हें आंखों पर पट्टी बांधकर गुजरात (भारत) से विमान और नाव के जरिए लाया गया था और फिर भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा सुंदरबन में छोड़ दिया गया.
कोस्ट गार्ड ने इनमें से तीन व्यक्तियों की पहचान भारतीय नागरिकों के रूप में की है. इन तीनों के खिलाफ अवैध प्रवेश का मामला दर्ज किया गया है. बांग्लादेश के अख़बार “द बिजनेस स्टैंडर्ड” के मुताबिक कोस्ट गार्ड का दावा है कि वे भारतीय नागरिक हैं, हालांकि पुलिस का कहना है कि ये तीनों व्यक्ति भले ही सूरत (गुजरात) में जन्मे हों, लेकिन उनके पास कोई भारतीय पहचान पत्र, जैसे आधार कार्ड नहीं है और वे मूल रूप से बांग्लादेश के नाराइल जिले के निवासी हैं. कोस्ट गार्ड ने इस मामले पर आगे कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. बीएसएफ द्वारा सुंदरबन के जंगल में छोड़े गए लोगों का यह भी आरोप था कि उनके साथ बुरा बर्ताव किया गया और खाने में सिर्फ एक रोटी दी गई. ‘द फाइनेंसियल एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार प्रभावित लोगों ने बताया कि वे अलग-अलग समय पर काम की तलाश में बांग्लादेश से गुजरात गए थे. उन्होंने कहा कि गुजरात पुलिस ने उन्हें 26 अप्रैल को हिरासत में लिया, उनकी पिटाई की और उनके साथ क्रूर व्यवहार किया.
जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के शिक्षाविद हिरासत से रिहा
अदालत के आदेश के बाद जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता और भारतीय नागरिक बदर खान सूरी को टेक्सास के हिरासत केंद्र से रिहा कर दिया गया है. उन्हें कॉलेज परिसरों में कार्यकर्ताओं पर ट्रम्प प्रशासन की कार्रवाई के तहत गिरफ्तार किया गया था. सूरी छात्र वीजा पर प्रतिष्ठित वाशिंगटन डीसी संस्थान में पोस्टडॉक्टरल फेलो थे. उन्हें 17 मार्च को आव्रजन एजेंटों द्वारा उनके वर्जीनिया घर के बाहर गिरफ्तार किया गया था. उनके वकीलों का कहना है कि सूरी को ‘फिलीस्तीनी अधिकारों के समर्थन में भाषण देने और गाजा से पारिवारिक संबंधों के कारण’ निशाना बनाया गया. अमेरिकी अधिकारियों ने उन पर ‘हमास का प्रचार करने’ और ‘एक ज्ञात या संदिग्ध आतंकवादी से संबंध रखने. का आरोप लगाया था.
मणिपुर में 10 उग्रवादी मारे गए : सुरक्षा बल के साथ मुठभेड़ में भारत-म्यांमार सीमा के पास मणिपुर के चंदेल जिले के पहाड़ी इलाके में 10 उग्रवादी मारे गए हैं, हालांकि अभियान जारी है. रक्षा अधिकारी ने कहा, ‘जब यह खत्म हो जाएगी, तब हम विवरण साझा कर सकेंगे.’
इस बीच गुरुवार को पुलिस ने जानकारी दी, सुरक्षा बलों ने मणिपुर के विभिन्न जिलों से विभिन्न प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े सात उग्रवादियों को गिरफ्तार किया है. द हिंदू के अनुसार, यह गिरफ्तारियां थौबल, काकचिंग, बिष्णुपुर और चुराचंदपुर जिलों से की गई हैं.
विजय शाह को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से माफी मांगने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर तत्काल हस्तक्षेप से इनकार कर दिया, जिसमें भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी को अपमानित करने वाली टिप्पणियों के लिए राज्य के मंत्री कुंवर विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया था. दो न्यायाधीशों की पीठ की अध्यक्षता कर रहे भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने आखिरकार शुक्रवार को इस पर सुनवाई करने पर सहमति जताई. शाह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विभा दत्ता मखीजा द्वारा अपनी याचिका को अदालत के संज्ञान में लाने पर भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा, “ऐसे सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति से कुछ मानकों को बनाए रखने की उम्मीद की जाती है. मंत्री द्वारा बोले गए हर वाक्य में जिम्मेदारी होनी चाहिए." सीजेआई गवई ने कहा, “संवैधानिक पद पर बैठे ऐसे व्यक्ति को जिम्मेदार होना चाहिए... जब यह देश ऐसी स्थिति से गुजर रहा है... सिर्फ इसलिए कि आप एक मंत्री हैं..."
मध्य प्रदेश के जनजातीय मामलों के मंत्री कुंवर विजय शाह ने एक कार्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मीडिया को जानकारी दे रही कर्नल सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. शाह की ओर से पेश हुई वकील विभा दत्त मखीजा ने कहा कि शाह ने अपनी टिप्पणी के लिए माफ़ी मांगी है. न्यायमूर्ति गवई ने कहा, “जाओ और हाई कोर्ट से माफ़ी मांगो.” जब वकील ने जोर देकर कहा कि न्यायालय इस मामले को उठाए, तो सीजेआई गवई ने कहा, “हम इसे कल लेंगे.” एक दिन पहले मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ उनकी टिप्पणी के लिए विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था.
शाह पर एफआईआर में देरी से हाई कोर्ट नाराज : मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने भी शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में हुई देरी और उसके शब्दों पर नाराजगी जताई है. द हिंदू के अनुसार, हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि वह कर्नल कुरैशी को आतंकवादियों की ‘बहन’ बताने वाले मंत्री के खिलाफ जांच की निगरानी करेगा. पीठ ने कहा, “ऐसी परिस्थितियों में न्यायालय यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि वह जांच एजेंसी की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप किए बिना जांच की निगरानी करे, लेकिन केवल निगरानी की सीमा तक ही.” हाई कोर्ट की पीठ ने कहा कि वह जांच एजेंसी की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं करेगी, लेकिन यह सुनिश्चित करेगी कि जांच किसी बाहरी दबाव या निर्देश से प्रभावित न हो.
गुजरात समाचार के दफ्तरों पर ईडी की छापेमारी की : राज्य के प्रमुख दैनिक गुजरात समाचार के दफ्तरों पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमारी की है. अखबार को भाजपा का आलोचक माना जाता है. श्रेयांसभाई शाह और बाहुबली शाह के स्वामित्व वाला यह समाचार पत्र 1932 से निकल रहा है. ईडी की छापेमारी के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है.
चलते-चलते
भारत-पाक पर गोदी मीडिया को ऑस्कर
भारत के मुख्यधारा के मीडिया को अब भारत-पाकिस्तान टकराव की “शानदार कवरेज” के लिए आधिकारिक रूप से धन्यवाद दिया गया है. इसे “अवसरवाद का ऑस्कर” कहा जा सकता है. केबिनेट के फैसलों की जानकारी देने के लिए मीडिया से मुखातिब केंद्रीय मंत्री अश्विन वैष्णव ने मीडिया के प्रयासों और जज़्बे की सराहना की. तारीफ करते समय अपनी ही सरकार द्वारा जारी की गईं एडवायजरी को भी भुला दिया. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कैसी-कैसी खबरें चलाई गई थीं. भारतीय सेना पाकिस्तान में घुसी, लाहौर पर कब्जा किया, इस्लामाबाद पर कब्जा आदि. किसी भी अन्य लोकतंत्र में, यह टीआरपी सर्कस जवाबदेही का सामना करता, लेकिन भारत में ऐसा नहीं है.
“द इकोनॉमिस्ट” का कहना है कि मोदी को युद्धविराम स्वीकारने के लिए जो आलोचना झेलनी पड़ रही है, वह मुख्यतः इन्हीं चैनलों द्वारा बड़े युद्ध में भारत की निर्णायक जीत की उम्मीदें जगाने के कारण है.
पाठकों से अपील-
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