17/09/2025: मोदी @75 पर श्रवण गर्ग | जंग, क्रिकेट, पाकिस्तान पर सुशांत सिंह | बाढ़ के इलाकों में राहुल पर सुरक्षा जोख़िम | घर एक, मतदाता 4271 | अडानी पर चुप रहने का फ़रमान | हांफता फर्राटा धावक
‘हरकारा’ यानी हिंदी भाषियों के लिए क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज़्यादा.
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, गौरव नौड़ियाल, फ़लक अफ़शां
आज की सुर्खियां
मोदी का रिटायरमेंट: कल्पना से ही क्यों कांप जाता है पूरा सिस्टम?
"मेरे दोस्त ट्रम्प.." - PM मोदी के 75वें जन्मदिन पर फोन, यूक्रेन पर भी बात।
"क्या ये भारत नहीं?" - बाढ़ प्रभावित पंजाब में रोके जाने पर पुलिस से उलझे राहुल गांधी।
गुजरात का विकास? सड़क नहीं थी, झोली में ले जाते गर्भवती ने रास्ते में दम तोड़ा।
सीमा पर जंग, दुबई में खेल: भारत-पाक क्रिकेट सिर्फ एक सियासी तमाशा?
यूपी में वोटों का 'खेल'? एक ही घर के पते पर मिले 4,271 वोटर!
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: ED का दावा, पूर्व CM के बेटे ने संभाले थे 1,000 करोड़।
PMO की 'सलाहकार' बन आला अफसर की पत्नी से 1.3 करोड़ की ठगी?
ड्रोन से ड्रग्स: भारत-पाक सीमा पर 3 साल में 3 से 179 हुए मामले!
अडानी पर रिपोर्टिंग से 'चुप' कराने की कोशिश? 138 यूट्यूब वीडियो हटाने का आदेश।
कूनो में फिर मातम: एक और मादा चीता की मौत, तेंदुए के हमले का शक।
महिला अफसर के घर से 92 लाख कैश बरामद, CM बोले- 'हिंदुओं की जमीन मुसलमानों को...'
महाराष्ट्र में तबाही: भारी बारिश से 42 लाख एकड़ की फसलें बर्बाद।
देहरादून में सैलाब का कहर: बादल फटने से 13 की मौत, 16 लापता।
दुनिया का सबसे तेज धावक, जो अब सीढ़ियां चढ़ते हुए हांफता है।
मोदी@75 : रिटायरमेंट पर कुछ सोचा?
श्रवण गर्ग | मोदीजी शतायु हों ! जब भी ‘रिटायर’ हों ऐसे ही जन-प्रिय बने रहें !
अपने पचहत्तरवें जन्मदिन या ‘हीरक जयंती’ को एक उचित अवसर मानते हुए मोदीजी अगर अचानक से घोषणा करदें या कोई संकेत भर भी छोड़ दें कि वे रिटायरमेंट लेने जा रहे हैं तो देश में हड़कंप मच जाएगा ! उस पूरे सिस्टम की बुनियादें डोलने लगेंगी जिसे उन्होंने अपनी वैश्विक महत्वाकांक्षाओं के खाद-पानी से पोषित किया है.पूरी अर्थव्यवस्था, स्टॉक मार्केट,उच्च आधिकारिक पदों और संस्थानों पर क़ाबिज़ सत्ताओं, रीढ़-विहीन मुख्यमंत्रियों के नेतृत्व वाले राज्यों की हुकूमतें सब ऐसे हिलने लगेंगी जैसे किसी विनाशकारी भूकंप या सुनामी की चेतावनी जारी कर दी गई हो ! पूरी व्यवस्था पागल हो जाएगी ! हो सकता है मोदी को ऐसा करने से रोकने के लिये कुछ अंध-भक्त आत्मदाह तक करने की धमकियाँ देने लगें !
मोदी ने किसी ताकतवर इवेंट मैनेजमेंट की मदद से अपने आपको जनता के बीच एक आदत, रोज़ाना की बहस के विषय और नशे में परिवर्तित कर दिया है.यह पता लगाने के लिए कि देश की कितने प्रतिशत जनता पर मोदी और संघ का प्रभाव है मोहन भागवत को अपने हज़ार-दो हज़ार अति-विश्वस्त स्वयंसेवकों के मार्फ़त कोई गुप्त सर्वे जनता के बीच इस तरह की अफ़वाह फैलाकर करवा लेना चाहिए कि मोदीजी रिटायरमेंट ले रहे हैं !
जनता की ओर से पहली प्रतिक्रिया खबर को ‘फेक न्यूज़’ घोषित करने की होगी. दूसरी इस सवाल की होगी कि मोदीजी ऐसा कैसे कर सकते हैं ? तीसरी यह कि उनके ख़िलाफ़ कौन षड्यंत्र कर रहा है ? अंतिम यह कि मोदीजी फिर क्या करेंगे ? कहाँ जाएँगे ? उनकी जगह कौन पीएम बनेगा ? यह बताया जाए कि अमित शाह बनेंगे तो क्या स्वीकार कर लेंगे ?आदि,आदि ! एक वर्ग ऐसा भी हो सकता है जो यह कहने का साहस जुटा ले कि अपनी विफलताओं को छुपाते हुए परास्त दिखने के बजाय उम्र की आड़ में पद छोड़ देना उनके लिए सबसे बुद्धिमानी का काम होगा !
इंदिरा गांधी ने जब 1977 में ‘आपातकाल’ हटाने की अचानक से घोषणा कर दी थी तो समूचा विपक्ष,जो उस समय लंबी तैयारी के साथ या तो जेलों में क़ैद या नज़रबंद था, और देश की जनता सकते में आ गई थी कि ऐसा कैसे हो गया ? इंदिरा जी अपने ही द्वारा घोषित ‘आपातकाल’ से डर गईं थीं और चुनाव लड़कर सत्ता में वापस आने का साहस दिखाना चाहती थीं. हर कोई जानता है मोदीजी में इंदिरा गांधी की तरह देश को आश्चर्यचकित करने का साहस नहीं है. यह भी हो सकता है कि अपनी तीसरी पारी में वे चुनावों के ज़रिए सत्ता में वापसी के प्रति इंदिरा गांधी की तरह आश्वस्त नहीं हों !
पिछले एक दशक के दौरान मोदीजी का देश को सबसे बड़ा ‘योगदान’ यही रहा है कि उन्होंने आबादी के एक बड़े धड़े के बीच अपनी छवि को बिना किसी सैन्य मदद के भी तम्बाखू के गुटके या पान के चूने की तरह उसकी दैनन्दिन की ज़रूरतों का अनिवार्य हिस्सा बनवा दिया है.. दुनिया के किसी भी अन्य लोकतांत्रिक देश में ऐसा ‘अभिनव प्रयोग’ शायद ही नज़र आए.
वक्त जैसे-जैसे बीतता जा रहा है दुनिया के श्रेष्ठ राजनीतिक विश्लेषकों,मनोवैज्ञानिकों और राजनेताओं के लिए यह समझ पाना कठिन होता जा रहा है कि असली मोदी आख़िर क्या हैं ? ब्रिटेन की लेबर पार्टी के एक नेता और लेखक-पत्रकार एंड्रयू एडोनिस ने चार साल पहले जो सवाल किया था वह आज और जटिल हो गया है कि मोदी किस देश का नेतृत्व कर रहे हैं ? भारत का या हिंदू भारत का ? वे भारत में प्रजातंत्र की रक्षा कर रहे हैं या उसे नष्ट कर रहे हैं ? वे एक सच्चे आर्थिक आधुनिक व्यक्ति हैं या एक ऐसे कट्टर और धार्मिक राष्ट्रवादी जिसके लिए आधुनिकीकरण एक ऐसा हथियार है जिसका उपयोग सत्ता पर धाक जमाने और सांप्रदायिक फ़ायदों के लिए प्रस्तावित सुधारों में तोड़फोड़ करके किया जा सके ?
उक्त सवाल और ऐसे ही सैंकड़ों नए सवालों को फ़िलहाल मोदीजी के इस पचहत्तरवें और अगले जन्मदिन के बीच होने वाले घटनाक्रमों के लिए स्थगित कर देना चाहिये और उनके शतायु होने की प्रार्थनाएँ इन आशाओं के साथ करना चाहिए कि देश के जीवन में कोई दिन तो ऐसा आएगा जब नागरिक उन्हें अपने बीच एक नोन-बायोलॉजिकल पूर्व प्रधानमंत्री के रूप में भी प्राप्त कर सकेंगे !
ट्रम्प का फ़ोन, हैप्पी बर्थडे, थैंक यू मेरे दोस्त
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को उनके 75वें जन्मदिन पर फोन करने और शुभकामनाएं देने के लिए धन्यवाद दिया है. दोनों नेताओं ने अक्सर अपने व्यक्तिगत तालमेल पर जोर दिया है और नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच घनिष्ठ सहयोग की बात कही है. सोमवार को एक्स (X) पर एक पोस्ट में, पीएम मोदी ने लिखा: "मेरे दोस्त राष्ट्रपति ट्रम्प, मेरे 75वें जन्मदिन पर आपके फोन कॉल और हार्दिक शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद. आपकी तरह, मैं भी भारत-अमेरिका व्यापक और वैश्विक साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हूं. हम यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में आपकी पहल का समर्थन करते हैं."
ट्रम्प ने भी ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में बातचीत का विवरण साझा किया, जिसमें उन्होंने पीएम मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा की. उन्होंने लिखा, "अभी मेरे दोस्त, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक शानदार फोन कॉल हुई. मैंने उन्हें जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं दीं! वह जबरदस्त काम कर रहे हैं. नरेंद्र: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध खत्म करने पर आपके समर्थन के लिए धन्यवाद!"
यह प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी का 12वां जन्मदिन है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसकी सरकारों ने हर साल इसे खास तरीके से मनाया है. इस साल के जश्न से लेकर पिछले एक दशक में उनके जन्मदिन मनाने के तरीकों पर एक नज़र:
इस साल बीजेपी ने ‘सेवा पखवाड़ा’ या ‘सेवा पखवाड़ा’ का आयोजन किया. दिल्ली में, जहाँ बीजेपी 25 साल बाद सत्ता में लौटी है, सरकार महिला मजदूरों के बच्चों के लिए 500 क्रेच शुरू करेगी. महाराष्ट्र में, पार्टी अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण ने पंद्रह दिनों के अभियान में एक लाख से अधिक मोतियाबिंद सर्जरी की घोषणा की है. पीएम मोदी खुद मध्य प्रदेश के धार जिले के भैंसोला गांव में 'स्वस्थ नारी सशक्त परिवार अभियान' का उद्घाटन करेंगे.
सुरक्षा जोख़िम के नाम पर राहुल को बाढ़ प्रभावित पंजाब के गांवों जाने से रोका
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सोमवार को पुलिस और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के जवानों ने पंजाब के गुरदासपुर ज़िले में भारत-पाकिस्तान सीमा पर बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा करने से रोक दिया. अधिकारियों ने इसके पीछे सुरक्षा जोखिमों का हवाला दिया. गांधी, जो राज्य के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के दौरे पर हैं, को बताया गया कि उफनती रावी नदी को नाव से पार करके "ज़ीरो लाइन" गांवों तक पहुंचना असुरक्षित है. ज़ीरो लाइन गांव वे बस्तियां हैं जो सीमा के ठीक साथ स्थित हैं. पंजाब लगभग चार दशकों में अपनी सबसे भीषण बाढ़ से जूझ रहा है, जिसमें पिछले महीने 46 मौतें हुई हैं. राज्य सरकार ने बाढ़ से 14,000 करोड़ रुपये के नुक़सान का अनुमान लगाया है.
रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने उनके क़ाफ़िले को मकोरा पत्तन गांव में रोक दिया, जहां से गांधी सीमा के पास तूर गांव जाने के लिए नाव लेने की योजना बना रहे थे, जिससे वहां बहस हो गई. पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वारिंग द्वारा पोस्ट किए गए घटना के एक वीडियो में गांधी को इस प्रतिबंध पर सवाल उठाते हुए दिखाया गया है. नदी के उस पार इशारा करते हुए उन्होंने एक पुलिस अधिकारी से पूछा: "आप मुझे बता रहे हैं कि आप मुझे भारतीय क्षेत्र में सुरक्षित नहीं रख सकते? क्या यह भारत नहीं है?" अधिकारी ने जवाब दिया, "हम हमेशा आपकी सुरक्षा के लिए तैयार हैं". इस पर गांधी ने कहा: "क्या आप कह रहे हैं कि विपक्ष का नेता दौरा नहीं कर सकता क्योंकि पंजाब पुलिस सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकती?"
वारिंग ने सोशल मीडिया पर पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार की आलोचना करते हुए दावा किया कि उसने कांग्रेस नेताओं के समूह को रोकने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया था. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से "सुरक्षा कारणों से" गांधी को रोकने का आग्रह किया था. वहीं, भारतीय जनता पार्टी के प्रचार प्रमुख अमित मालवीय ने गांधी पर "नौटंकी" करने का आरोप लगाया और कहा कि एक ज़िम्मेदार नेता को पीड़ितों को सांत्वना देनी चाहिए और बचाव प्रयासों का समर्थन करना चाहिए.
गुजरात
सड़क नहीं थी, कपड़े की झोली में ढोकर ले जाते गर्भवती आदिवासी की अस्पताल के रास्ते मौत
गुजरात के छोटा उदयपुर में एक 35 वर्षीय गर्भवती महिला की मौत हो गई, क्योंकि उसके गांव में सड़क न होने के कारण उसे 5 किलोमीटर तक कपड़े की झोली में उठाकर ले जाना पड़ा. पिछले साल इसी तरह की एक त्रासदी के बाद हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद, कई आदिवासी बस्तियां आज भी मुख्य मार्गों से कटी हुई हैं.
छोटा उदयपुर के आदिवासी बेल्ट ने एक बार फिर दिल दहला देने वाली त्रासदी देखी है, जिसने गुजरात में विकास की खाई की कड़वी सच्चाई को सामने ला दिया है. तुर्खेडा गांव के खैदी फलिया की रहने वाली गर्भवती महिला की सोमवार को मौत हो गई, क्योंकि सड़क न होने के कारण कोई भी वाहन उनके गांव तक नहीं पहुंच सका और परिवार को उसे पांच किलोमीटर तक कपड़े की झोली में ढोने के लिए मजबूर होना पड़ा. शाम करीब 4 बजे महिला को गंभीर प्रसव पीड़ा शुरू हुई. चूंकि खैदी फलिया को पास के सावदा फलिया से जोड़ने वाली कोई मोटर योग्य सड़क नहीं है, इसलिए उसके परिवार के पास उसे अपने कंधों पर उठाकर उबड़-खाबड़ रास्तों से ले जाने के अलावा कोई चारा नहीं था. एक दर्दनाक सफ़र के बाद, वे एक ऐसी जगह पहुंचे जहां से 108 एम्बुलेंस उसे ले जा सकती थी. उसे पहले क्वांट, फिर छोटा उदयपुर ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया. बच्ची बच गई, लेकिन मां अपने पीछे चार छोटी बेटियों को छोड़ गई. यह उसकी पांचवीं डिलीवरी थी.
गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के तिराहे पर स्थित होने के कारण अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए "छोटा उदयपुर का ऊटी" कहा जाने वाला तुर्खेडा गांव, आज़ादी के 78 साल बाद भी आंतरिक सड़कों के बिना है. जब कोई बीमार पड़ता है, तो ग्रामीणों के पास मरीज़ों को कई किलोमीटर तक अस्थायी झोलियों में ले जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता.
भारत-पाकिस्तान क्रिकेट की त्रासदी और तमाशा
सुशांत सिंह : जंग भी जारी है, क्रिकेट भी
मई 2025 में, पाकिस्तान के साथ 88 घंटे के गहन सैन्य आदान-प्रदान को समाप्त करने वाले युद्धविराम के कुछ ही दिनों बाद, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि भारत ने अपने सैन्य अभियान पर केवल “विराम” लगाया है. गृह मंत्री अमित शाह की साथ में दी गई धमकी कि “पाकिस्तान को उस पानी से वंचित कर दिया जाएगा जिसे वह अनुचित तरीक़े से प्राप्त कर रहा है” ने बिना किसी समझौते वाली शत्रुता की तस्वीर को पूरा कर दिया. फिर भी ऑपरेशन सिंदूर - वह चार दिवसीय सैन्य टकराव जिसने दो परमाणु शक्तियों को कगार पर ला खड़ा किया था - के बमुश्किल चार महीने बाद, वही सरकार अपनी क्रिकेट टीम को दुबई में अपने कथित कट्टर-दुश्मन का सामना करने की अनुमति देती है.
यह विरोधाभास शाह के क्रिकेट संबंधों पर विचार करते समय विशेष रूप से गहरा हो जाता है. शाह, जिन्हें मोदी का “विश्वासपात्र, सलाहकार और प्रवर्तक” बताया गया है, गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष थे, जबकि मोदी पहले उसी पद पर थे, और उनके बेटे जय शाह जीसीए के संयुक्त सचिव से सबसे कम उम्र के आईसीसी चेयरमैन बनने तक पहुँचे. यह क्रिकेट राजवंश इस बात का प्रतीक है कि यह खेल कैसे मोदी की हिंदुत्व राजनीति के साथ जुड़ गया है, जिससे पाकिस्तान के साथ खेलने का फ़ैसला और भी ज़्यादा राजनीतिक रूप से आवेशित हो जाता है.
भारत में विपक्षी नेताओं ने इस पाखंड को बड़े चाव से पकड़ा है. एक प्रमुख विपक्षी पार्टी के सांसद ने कहा, “पहलगाम में, 26 महिलाओं की मांग से सिंदूर पोंछ दिया गया. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने छाती पीटने वाला नाटक किया”. “अब क्यों नहीं. क्योंकि इसमें जय शाह का हित है”. यह उपहास ठीक इसलिए चुभता है क्योंकि यह मोदी की पूरी पाकिस्तान नीति के दिखावटी स्वरूप को उजागर करता है.
मोदी और शाह की उग्र बयानबाज़ी को छोड़ दें तो, भारत पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंध बनाए रखता है, इस्लामाबाद के साथ शंघाई सहयोग संगठन में भाग लेता है, और अपने 1988 के गैर-आक्रमण समझौते के तहत हर जनवरी में परमाणु स्थल का डेटा साझा करना जारी रखता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत ने हाल ही में अप्रैल में सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बावजूद “मानवीय आधार पर” पाकिस्तान को बाढ़ का डेटा प्रदान किया. अगर पाकिस्तान वास्तव में वह अस्तित्व संबंधी ख़तरा है जैसा कि भाजपा की बयानबाज़ी से लगता है, तो ये राजनयिक चैनल असंभव होते. अगर पाकिस्तान से संबंध तोड़ने की धमकी असली होती, अगर दुश्मनी वास्तविक होती, अगर सिद्धांत सच्चे होते, तो कोई क्रिकेट मैच संभव नहीं होता. इसका आगे बढ़ना राजनीतिक बयानबाज़ी और वास्तविक रणनीति के बीच की खाई के बारे में सब कुछ बताता है.
पाकिस्तान के साथ भारत सरकार का चयनात्मक क्रिकेट संबंध सैद्धांतिक विरोध के बजाय एक राजनीतिक गणना को प्रकट करता है. मानक BCCI बचाव - कि बहुपक्षीय टूर्नामेंट द्विपक्षीय श्रृंखलाओं से अलग होते हैं - जांच करने पर ढह जाता है. BCCI को फ़ैसला नहीं करना था. सरकार BCCI से एशिया कप से हटने के लिए कह सकती थी - बहुपक्षीय क्रिकेट टूर्नामेंट के लिए मिसालें मौजूद हैं - और एशियाई क्रिकेट परिषद इसे स्वीकार कर लेती. यह कि उसने ऐसा नहीं करना चुना, इस फ़ैसले के पीछे की कुटिल गणना को उजागर करता है.
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट किसी भी सार्थक अर्थ में खेल नहीं रह गया है. वाघा बॉर्डर सीमा पर रोज़ाना झंडा उतारने के समारोह की तरह, यह सुनियोजित अति-राष्ट्रवादी रंगमंच बन गया है जिसे ज़हरीली श्रेष्ठता का प्रदर्शन करने और राष्ट्रवादी भावना को भड़काने के लिए डिज़ाइन किया गया है. मोदी शासन पूरी तरह से आश्वस्त है कि पाकिस्तानी क्रिकेट, जो वर्तमान में बार-बार कप्तानी में बदलाव और प्रशासनिक उथल-पुथल के साथ संस्थागत उथल-पुथल में है, आसान जीत दिलाएगा.
यह आत्मविश्वास निराधार नहीं है. पाकिस्तानी क्रिकेट ने तीन साल में चार पीसीबी अध्यक्ष, आठ अलग-अलग कोच, चार कप्तान और छब्बीस चयनकर्ता देखे हैं, यह एक घूमता दरवाज़ा है जो प्रणालीगत निष्क्रियता को दर्शाता है. हाल की शर्मिंदगी में बांग्लादेश द्वारा घर पर व्हाइटवॉश और संयुक्त राज्य अमेरिका, आयरलैंड और अफ़ग़ानिस्तान से हार शामिल है, ये सभी ऐसी टीमें हैं जिन पर पाकिस्तान से हावी होने की उम्मीद की जाती है. मोदी के रणनीतिकारों के लिए, यह राष्ट्रवादी केक रखने और उसे खाने का भी एक अवसर प्रस्तुत करता है. क्रिकेट के मैदान पर पाकिस्तान के ख़िलाफ़ एक आसान जीत एक गहरी राष्ट्रवादी उत्साह पैदा करती है जिसकी बराबरी कोई आर्थिक आँकड़ा नहीं कर सकता. यह अपने सबसे अपरिष्कृत रूप में राजनीतिक पूँजी प्रदान करती है, जिससे हिंदुत्व विचारधारा के पैरोकारों को क्रिकेट की सफलता को मोदी के नेतृत्व में हिंदू वर्चस्व की पुष्टि के रूप में प्रस्तुत करने की अनुमति मिलती है, जबकि उनका मुस्लिम-बहुल पड़ोसी संघर्ष करता है.
यह लेख क्रिकेटेटल.कॉम से लिया गया है. सुशांत सिंह येल यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं और रक्षा, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञ होने के अलावा पत्रकार हैं.
यूपी के एक ही घर में 4,271 मतदाता; सूची में बड़ी गड़बड़ी का आरोप
‘आप’ के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने मंगलवार (16 सितंबर 2025) को उत्तरप्रदेश की निर्वाचन मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए दावा किया कि महोबा जिले में एक ही घर में 4,271 मतदाता नामांकित पाए गए हैं. ‘पीटीआई’ के मुताबिक एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिंह ने कहा, "कल मैंने आपको महोबा के दो घरों के बारे में बताया था, जहां क्रमशः 243 और 185 मतदाता पाए गए थे, जो चौंकाने वाला था. आज मुझे एक और मामला मिला है, जहां एक ही घर में 4,271 मतदाता दर्ज हैं. अगर एक ही घर में 4,271 वोट हैं, तो उस परिवार के लगभग 12,000 सदस्य होने चाहिए. किसी को ऐसे बड़े परिवार वाली खोज करनी होगी." सिंह ने दावा किया कि जहां यह घर स्थित है, उस गांव में कुल लगभग 16,000 मतदाता हैं, जिससे यह कथित गड़बड़ी और गंभीर हो जाती है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उत्तरप्रदेश में “वोट चोरी” भाजपा और चुनाव आयोग की मिलीभगत से शुरू हुई है.
छत्तीसगढ़ शराब 'घोटाला': ईडी का दावा, चैतन्य बघेल ने 1,000 करोड़ रुपये संभाले
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को कथित 2,161 करोड़ रुपये के छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के सिलसिले में अपनी पूरक अभियोजन शिकायत प्रस्तुत की. इसमें एजेंसी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल पर घोटाले की आय से 1,000 करोड़ रुपये व्यक्तिगत रूप से संभालने का आरोप लगाया है.
ईडी की अभियोजन शिकायत में कहा गया है, "यह स्थापित हो गया है कि चैतन्य बघेल ने व्यक्तिगत रूप से शराब घोटाले से उत्पन्न लगभग 1,000 करोड़ रुपये को संभाला. उन्होंने सिंडिकेट के अन्य सदस्यों के साथ साज़िश में काम करते हुए अपराध की आय को छिपाने, रखने, अधिग्रहण करने और उपयोग करने में जानबूझकर सहायता की." एजेंसी के आरोप लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल के एक बयान पर आधारित हैं, जिन्होंने ईडी को बताया था कि उन्होंने चैतन्य के साथ मिलकर कथित घोटाले से उत्पन्न 1,000 करोड़ रुपये संभाले थे.
चैतन्य को ईडी ने 18 जुलाई को उनके भिलाई स्थित आवास से गिरफ़्तार किया था और वह फ़िलहाल जेल में हैं. आरोप है कि यह शराब घोटाला 2019 और 2022 के बीच भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान हुआ था. एजेंसी के अनुसार, राज्य के वरिष्ठ नौकरशाहों, राजनेताओं और आबकारी विभाग के अधिकारियों के एक सिंडिकेट ने एक "समानांतर" आबकारी विभाग चलाया, जिसमें जनता को शराब बेची जाती थी लेकिन कोई पैसा राज्य के खजाने में नहीं आता था, जिससे सरकार को 2,161 करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ.
ईडी ने आरोप लगाया कि चैतन्य "सिंडिकेट के शीर्ष पर" थे और उनकी भूमिका "सिर्फ़ प्रतीकात्मक नहीं बल्कि निर्णायक" थी. ईडी ने कहा, "वह (चैतन्य) सिंडिकेट द्वारा एकत्र किए गए सभी अवैध धन का 'हिसाब' रखने के लिए ज़िम्मेदार थे." चैतन्य के वकील फैसल रिज़वी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ईडी बंसल के बयान पर भरोसा कर रही है, जिसके ख़िलाफ़ आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने मई में एक स्थायी वारंट जारी किया था. रिज़वी ने कहा, "ऐसा व्यक्ति (बंसल) खुद को बचाने के लिए कुछ भी कह सकता है."
भूपेश बघेल ने दावा किया है कि उनके बेटे की गिरफ़्तारी "राजनीति से प्रेरित" है क्योंकि उन्होंने रायगढ़ में अडानी कोयला खनन परियोजना का विरोध किया था. उन्होंने कहा, "यह इसलिए हो रहा है क्योंकि मैंने और मेरी पार्टी ने पेड़ों के काटे जाने का मुद्दा उठाया था."
पीएमओ के नाम पर आला अफसर की बीवी से 1.3 करोड़ रुपये की ठगी?
एक ठग महिला, जिसे पिछले साल प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में "राष्ट्रीय सलाहकार" बताकर धोखाधड़ी करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था, से जुड़े मामले की जांच में कथित तौर पर एक नया खुलासा हुआ है. पता चला है कि "उसके द्वारा संचालित" एक बैंक खाते में पुणे स्थित एक फर्म से 1.3 करोड़ रुपये आए थे. द इंडियन एक्सप्रेस को पता चला है कि यह फर्म महाराष्ट्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी की पत्नी द्वारा चलाई जाती है.
मामले की फाइलों से पता चलता है कि अनुप्रिता सोलंकी के स्वामित्व वाली फर्म 'श्री लक्ष्मी ट्रेडर्स' ने 7 अक्टूबर, 2020 को "इंडियन सप्लाइज़" के एसबीआई खाते में चेक के माध्यम से 1.3 करोड़ रुपये ट्रांसफ़र किए थे. अनुप्रिता राज्य के समाज कल्याण विभाग के क्षेत्रीय उपायुक्त बालासाहेब सोलंकी की पत्नी हैं. संपर्क करने पर, अनुप्रिता ने कहा, "मुझे मेरे पैसे वापस नहीं मिले. मुझे आश्वासन दिया गया था कि पैसे लौटा दिए जाएंगे. मैंने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है. सतारा मेरा ससुराल है, इसलिए मैं कश्मीरा को एक पारिवारिक मित्र के रूप में जानती थी. मेरे साथ किसी ने धोखा नहीं किया." अनुप्रिता ने पुलिस को बयान दिया है कि उन्हें इस मामले में कश्मीरा या किसी अन्य के ख़िलाफ़ कोई शिकायत नहीं है.
एक सूत्र के अनुसार, कश्मीरा ने कथित तौर पर अनुप्रिता के पति बालासाहेब और अन्य लोगों के साथ पुणे में समाज कल्याण विभाग के आधिकारिक परिसर में बैठकें की थीं. सतारा कोर्ट में कश्मीरा के ख़िलाफ़ दायर चार्जशीट में, पुलिस ने कुछ व्हाट्सएप चैट संलग्न किए हैं जिसमें उसने कथित तौर पर कुछ बार "सोलंकी साहब" का ज़िक्र किया है. बालासाहेब सोलंकी, जो वर्तमान में मुंबई में तैनात हैं, ने कहा, "मेरा इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है."
जांच अधिकारी अरुण देवकर ने बताया कि जांच की निगरानी बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा की जा रही थी और धोखाधड़ी की कुल रक़म लगभग 50 करोड़ रुपये है.इस मामले में पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) पुणे की एक महिला सुषमा खामकर ने 21 अक्टूबर, 2024 को सतारा शहर पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई थी. उसी दिन पुलिस ने कश्मीरा, उसके सहयोगी गणेश और चार अन्य को धोखाधड़ी और जालसाज़ी के आरोप में गिरफ़्तार किया. एफआईआर के अनुसार, पीएमओ में सलाहकार के रूप में पेश आते हुए, कश्मीरा ने खामकर को महाराष्ट्र में स्कूल यूनिफ़ॉर्म की आपूर्ति के लिए एक टेंडर दिलाने का वादा किया. इसके लिए उसने खामकर से "इंडियन सप्लाइज़" के नाम से एक बैंक खाता खुलवाया और बाद में खाते को "मज़बूत" बनाने के बहाने उसका पासबुक और चेकबुक ले लिया. पुलिस ने कहा कि जनवरी 2020 और फरवरी 2022 के बीच इस खाते से 14.73 करोड़ रुपये के कई लेनदेन हुए. पुलिस ने कश्मीरा के पास से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर वाले जाली पत्र भी बरामद किए हैं, जिसमें उसे पीएमओ में सलाहकार के रूप में "नियुक्ति" का ज़िक्र है.
नारकोटिक्स रिपोर्ट:
भारत-पाक सीमा पर ड्रोन से ड्रग्स तस्करी में भारी उछाल, 2021 के 3 मामले बढ़कर 24 में 179 हुए
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) की मंगलवार (16 सितंबर, 2025) को जारी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा पर ड्रोन से ड्रग्स गिराने की घटनाओं में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है. 2021 में ऐसे केवल तीन मामले थे, जो 2024 में बढ़कर 179 हो गए. रिपोर्ट में कहा गया है, "सीमा पार से नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए ड्रोन का उपयोग भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा बन गया है, खासकर पंजाब में भारत-पाक सीमा पर. अमृतसर, तरनतारन, फिरोजपुर और गुरदासपुर जैसे सीमावर्ती जिलों में ड्रोन देखे जाने और नशीले पदार्थों की बरामदगी में तेज वृद्धि हुई है. बरामद खेप में अक्सर हेरोइन, अफीम आदि शामिल होते हैं."
हिंदू में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल ड्रग कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने पूरे भारत में 96,930 मामले दर्ज किए और 1.22 लाख से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें 36 से अधिक देशों के 660 विदेशी नागरिक शामिल थे. गिरफ्तार किए गए लोगों में 203 नेपाल से और 106 नाइजीरिया से थे. एजेंसियों ने लगभग 13,306 क्विंटल नशीले पदार्थ जब्त किए. कुल बरामदगी में लगभग 41% हिस्सा भांग (5,40,810 किलोग्राम) का था और लगभग 39% हेरोइन सहित अफीम का था.
पिछले साल, NCB ने 417 मामले दर्ज किए और 588 आरोपियों को गिरफ्तार किया, जबकि 2023 में 375 मामले और 574 गिरफ्तारियां हुई थीं. एजेंसी ने विभिन्न नशीले पदार्थ जब्त किए, जिनमें 17,420 किलोग्राम गांजा, 3,391 किलोग्राम हशीश, 170 किलोग्राम हेरोइन, और 88 किलोग्राम कोकीन शामिल हैं. वर्तमान रुझानों के बारे में, रिपोर्ट ने डार्कनेट बाजारों और क्रिप्टोकरेंसी-आधारित लेनदेन के उद्भव पर ध्यान दिया. NCB ने 2020 से 2024 के बीच डार्कनेट और क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े 96 मामले दर्ज किए हैं.
रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि तटीय मार्गों (मुंबई, गुजरात, केरल और तमिलनाडु) का सिंथेटिक दवाओं और प्रीकर्सर की तस्करी के लिए तेजी से उपयोग किया जा रहा है. 'डेथ क्रीसेंट (अफगानिस्तान, पाकिस्तान, ईरान)' हेरोइन, एटीएस (एम्फैटेमिन-टाइप स्टिमुलेंट्स) और हशीश का प्राथमिक स्रोत बना हुआ है, जो पश्चिमी तट के माध्यम से देश में प्रवेश करता है, जबकि 'डेथ ट्रायंगल (म्यांमार, थाईलैंड, लाओस)' सिंथेटिक दवाओं, विशेष रूप से मेथामफेटामाइन का मुख्य आपूर्तिकर्ता है. 2024 में, समुद्री बरामदगी 10,564 किलोग्राम तक पहुंच गई, जो 2019 की तुलना में लगभग 500 गुना वृद्धि है. 2024 में विभिन्न एजेंसियों द्वारा 1,483 किलोग्राम कोकीन जब्त की गई, जो 2020 में जब्त की गई मात्रा से लगभग 78 गुना और 2023 की तुलना में लगभग पांच गुना अधिक है.
अडानी पर रिपोर्टिंग
चुप करवाने की कोशिश : 138 यूट्यूब वीडियो, 83 इंस्टाग्राम पोस्ट हटाने का दिया निर्देश
सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने रवीश कुमार, ध्रुव राठी, न्यूज़लॉन्ड्री, द वायर, एचडब्ल्यू न्यूज़ और आकाश बनर्जी के द देशभक्त सहित कई पत्रकारों, मीडिया घरानों और क्रिएटर्स को व्यापक टेकडाउन नोटिस जारी किए हैं. इस निर्देश में अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) द्वारा दायर मानहानि के एक मामले में दिल्ली की अदालत के गैग ऑर्डर का हवाला दिया गया है.
नोटिस में 138 यूट्यूब लिंक और 83 इंस्टाग्राम पोस्ट सूचीबद्ध हैं. न्यूज़लॉन्ड्री को अपने यूट्यूब चैनल से 42 वीडियो हटाने के लिए कहा गया है. हटाई जाने वाली सामग्री केवल खोजी कहानियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें व्यंग्य और प्रासंगिक उल्लेख भी शामिल हैं. उदाहरण के लिए, एक NL सब्सक्रिप्शन अपील वीडियो को केवल इसलिए फ़्लैग किया गया क्योंकि उसमें अडानी की एक कहानी का स्क्रीनशॉट था. कॉमेडियन कुणाल कामरा के साथ एक साक्षात्कार - जिसमें उन्होंने सेंसरशिप के बारे में मज़ाक किया था - भी सूची में शामिल हो गया.
इस सूची में टीवी न्यूसेंस के एपिसोड, साथ ही इस पर एक एक्सप्लेनर भी शामिल है कि कैसे चैनल के अडानी द्वारा अधिग्रहण के बाद एनडीटीवी के पूर्व मालिकों प्रणय और राधिका रॉय के खिलाफ मामले बंद कर दिए गए. धारावी परियोजना पर रिपोर्ट और न्यूज़लॉन्ड्री के साप्ताहिक पॉडकास्ट एनएल हफ्ता, एनएल चर्चा और एनएल टिप्पणी के एपिसोड भी सूची में शामिल हैं.
MIB का 16 सितंबर, 2025 का पत्र कहता है कि प्रकाशक निर्धारित समय के भीतर कार्रवाई करने में विफल रहे. "तदनुसार, आपको उपरोक्त आदेश के अनुपालन के लिए उचित कार्रवाई करने और इस संचार के जारी होने के 36 घंटों के भीतर मंत्रालय को की गई कार्रवाई प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है," यह कहा गया.
मंत्रालय का यह निर्देश रोहिणी कोर्ट के सीनियर सिविल जज अनुज कुमार सिंह द्वारा 6 सितंबर, 2025 को पारित एक पक्षीय अंतरिम निषेधाज्ञा से उपजा है. अदालत ने "अपने संबंधित लेखों/सोशल मीडिया पोस्ट/ट्वीट्स से मानहानिकारक सामग्री को हटाने और यदि यह संभव नहीं है, तो इसे 5 दिनों के भीतर हटाने" का आदेश दिया था.
वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा, "यह एक सिविल मुकदमा है जिसमें अदालत ने मध्यस्थों को निर्देश जारी किए. मध्यस्थों को अदालत के टेकडाउन नोटिस पर कार्रवाई करनी होती है, सरकार इसमें क्यों शामिल हो रही है? इस बीच, प्रतिवादियों ने आदेश के खिलाफ अपील दायर की है जो उनका अधिकार है. अदालत जानती है कि अपने आदेशों को कैसे लागू करना है, उन्हें इसके लिए मंत्रालय की आवश्यकता नहीं है. मंत्रालय न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहा है."
अपनी याचिका में, अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) ने आरोप लगाया था कि परंजॉय गुहा ठाकुरता ने अपनी वेबसाइट paranjoy.in के माध्यम से, adaniwatch.org और adanifiles.com.au जैसे पोर्टलों के साथ, समूह की परियोजनाओं और इसके संस्थापक गौतम अडानी की आलोचनात्मक रिपोर्ट बार-बार प्रकाशित कीं. परंजॉय ने यह कहते हुए जवाब दिया कि वह आदेश को चुनौती देंगे. उन्होंने कहा, "मैं अपनी रिपोर्टिंग पर कायम हूं जो सत्यापित, तथ्यात्मक, निष्पक्ष और बिना किसी डर या पक्षपात के की गई है."
अडानी का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता जगदीप शर्मा ने तर्क दिया था कि "निराधार और दुर्भावनापूर्ण" रिपोर्टों के बार-बार प्रकाशन ने इसकी ब्रांड इक्विटी को नुकसान पहुंचाया है, परियोजनाओं में देरी की है, और निवेशकों के विश्वास को प्रभावित किया है.
कूनो में मादा चीता मृत पाई गई, शक़ तेंदुए पर
मध्यप्रदेश के श्योपुर ज़िले स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में सोमवार को 20 माह की एक मादा चीता मृत पाई गई. वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अफ्रीकी चीता ‘ज्वाला’ से जन्मी इस मादा चीता का शव शाम लगभग 6:30 बजे मिला और संदेह है कि वह तेंदुए के हमले में मारी गई. इसे 21 फरवरी को उसकी मां और तीन भाई-बहनों के साथ जंगली क्षेत्र में छोड़ा गया था. ‘पीटीआई’ की खबर है कि वह करीब एक महीने पहले मां से अलग हो गई थी और कुछ दिन पहले अपने भाई-बहनों से भी अलग हो गई थी. प्रारंभिक कारण तेंदुए से संघर्ष नज़र आता है, हालांकि सटीक वजह का पता पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ही चलेगा. इसके साथ ही अब कूनो उद्यान में कुल 25 चीते बचे हैं, जिनमें नौ वयस्क (छह मादाएं और तीन नर) और 16 भारत में जन्मे चीते शामिल हैं. नामीबिया से आठ चीते (पांच मादाएं और तीन नर) 17 सितंबर 2022, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्म दिन, को पहली बार अंतर-महाद्वीपीय स्थानांतरण के तहत कूनो लाए गए थे. इसके बाद फरवरी 2023 में 12 और चीते, जिन्हें भूमि पर सबसे तेज़ दौड़ने वाला जानवर माना जाता है, दक्षिण अफ्रीका से कूनो लाए गए.
ट्रम्प ने “द न्यूयॉर्क टाइम्स” के खिलाफ 15 अरब डॉलर का मानहानि मुकदमा किया
अदालती दस्तावेजों के अनुसार, सोमवार (15 सितंबर 2025) को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने “द न्यूयॉर्क टाइम्स” और उसके चार पत्रकारों के खिलाफ 15 अरब डॉलर का मानहानि मुकदमा दायर किया. यह मामला फ्लोरिडा की अमेरिकी जिला अदालत में दायर किया गया है. शिकायत में अखबार के दो पत्रकारों द्वारा लिखे गए कई लेखों और एक पुस्तक का उल्लेख है, जो 2024 के चुनाव से पहले प्रकाशित हुए थे. ट्रम्प का कहना है कि ये सामग्री "द न्यूयॉर्क टाइम्स” द्वारा उनके खिलाफ जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण मानहानि के दशकों पुराने पैटर्न का हिस्सा है.
एसीएस अधिकारी नूपुर बोरा के घर से 92 लाख रुपये और सोना बरामद; हिमंत ने कहा- हिंदुओं की जमीन मुसलमानों को बेचकर लाभ कमाया
मुख्यमंत्री की स्पेशल विजिलेंस सेल द्वारा यह दावा किए जाने के बाद कि उसने 2019 बैच की असम सिविल सेवा (एसीएस) अधिकारी के घर से 92 लाख रुपये नकद और सोना-चांदी के गहने जब्त किए हैं, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि वह हिंदुओं की जमीन का मुसलमानों को हस्तांतरण कराने के लिए कथित रूप से रुपये वसूलने के आरोप में निगरानी में थीं, जबकि सरकार ने इस पर रोक लगा रखी है.
सोमवार को विजिलेंस सेल ने एसीएस अधिकारी नुपुर बोरा से कथित रूप से जुड़े चार स्थानों पर एक साथ छापेमारी की, जिनमें गुवाहाटी स्थित उनका आवास और बारपेटा में लिया गया किराये का मकान शामिल है. विजिलेंस सेल की पुलिस अधीक्षक रोसी कालिता के अनुसार, गुवाहाटी के आवास और बारपेटा के घर से कुल 92 लाख 50 हजार 400 रुपये नकद तथा सोने के गहने बरामद किए गए. उन्होंने बताया कि अधिकारी को हिरासत में ले लिया गया है.
छापों पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि बोरा सरकार की निगरानी में थीं, क्योंकि बरपेटा जिले (जहां मुस्लिम आबादी बहुल है) में सर्किल अफसर के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने भूमि हस्तांतरण किए थे. इसी कारण हम अब उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रहे हैं.
सुकृता बरुआ की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया, “असम के अल्पसंख्यक-प्रधान राजस्व सर्किलों में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है. पिछले छह महीनों से हम इस अधिकारी की दिनचर्या पर नजर रख रहे थे. पता चल रहा था कि ये संदिग्ध लोगों को जमीन स्थानांतरित कर रही हैं.”
महाराष्ट्र में 42.84 लाख एकड़ तैयार फसलें बर्बाद
महाराष्ट्र में हुई भीषण वर्षा के कारण लगभग 42.84 लाख एकड़ तैयार फसलों को गंभीर नुकसान पहुंचा है. कृषि मंत्री दत्तात्रेय भरणे के अनुसार, 17,85,714 हेक्टेयर (42.84 लाख एकड़) खड़ी और कटाई के लिए तैयार फसलें बर्बाद हो गईं. नांदेड़ जिला सबसे अधिक प्रभावित रहा, जहां 7.28 लाख हेक्टेयर फसलें खराब हुईं, इसके बाद वाशिम जिले में 2.03 लाख हेक्टेयर फसलें प्रभावित हुईं.
सुधीर सूर्यवंशी की रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक नुकसान सोयाबीन, मक्का, कपास, उड़द, तुअर और मूंग की फसलों को हुआ, जबकि कई अन्य स्थानों पर सब्ज़ियां, फलफसलें, बाजरा, गन्ना, प्याज, ज्वार और हल्दी की खेती भी प्रभावित हुई है. कृषि मंत्री भरणे ने बताया, महाराष्ट्र के कुल 30 जिलों के 195 तालुका प्रभावित हुए हैं. 654 राजस्व मंडलों में खरीफ फसलों को बड़ा नुकसान हुआ है.
इस बीच, वरिष्ठ नेता शरद पवार ने नासिक में किसानों की हुंकार रैली में राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उसने किसानों की अनदेखी की है. उनका कहना था कि पिछले दो महीनों में दो हजार से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर ली, लेकिन इस पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया.
देहरादून और आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ और भूस्खलन से तबाही, कम से कम 13 लोगों की मौत, 16 लापता
उत्तराखंड में लौटते मानसून ने एक बार फिर तबाही मचाई है. राजधानी देहरादून में कई बादल फटने की घटनाओं और लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से अब तक कम से कम 13 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 16 लोग लापता बताए जा रहे हैं.
“द न्यू इंडियन एक्सप्रेस” के अनुसार, सोमवार रात से शुरू हुई इस भीषण बारिश ने सड़कों, पुलों और घरों को बहा दिया है, नदियां उफान पर हैं और उनका तेज बहाव तबाही मचा रहा है. अधिकारियों को आशंका है कि मौत का आंकड़ा और बढ़ सकता है. शुरुआती अनुमान लगभग 25 मौतों की ओर इशारा कर रहे हैं. एक जिला अधिकारी के अनुसार, “प्रशासन ने 13 मौतों की पुष्टि की है, जबकि 16 लोग अभी भी लापता हैं.”
सहस्रधारा और मालदेवता क्षेत्र इस आपदा से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं. रिस्पना और बिंदाल जैसी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे कई कॉलोनियां जलमग्न हो गई हैं और घरों में मलबा भर गया है. दुकानें और होटल भी तेज बहाव में बह गए हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मालदेवता और केसरवाला जैसे प्रभावित इलाकों का निरीक्षण किया और अधिकारियों को राहत और बचाव कार्य तेजी से करने के निर्देश दिए.
वक्फ़ क़ानून:
फैज़ान मुस्तफा: सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश कई समस्याग्रस्त प्रावधानों से राहत नहीं देता
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ़ अधिनियम, 2025 के कुछ प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगा दी है, लेकिन यह आदेश क़ानून की कई विवादास्पद धाराओं से कोई राहत नहीं देता है. आमतौर पर संसदीय प्रावधानों पर "दुर्लभ से दुर्लभतम" मामलों में ही रोक लगाई जाती है, क्योंकि यह माना जाता है कि क़ानून संवैधानिकता की कसौटी पर खरे उतरते हैं. सीजेआई बी. आर. गवई और जस्टिस ए. जी. मसीह की बेंच ने अंतरिम आदेश में ठीक यही किया और अधिनियम के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी. कानूनविद फैज़ान मुस्तफा ने इंडियन एक्स्प्रेस में अपनी प्रतिक्रिया दी है.
मुस्तफा साहब का कहना है कि अदालत ने अधिनियम की धारा 3(r) पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है, जो यह निर्धारित करती है कि कौन पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा है. अंतरिम आदेश का यह हिस्सा समस्याग्रस्त है क्योंकि यह कार्यकारी अधिकारियों को नागरिकों की धार्मिकता का न्याय करने की शक्ति देता है. क्या हम ईरान की तर्ज़ पर नैतिक पुलिसिंग करने जा रहे हैं? किसी व्यक्ति का दावा उसकी धार्मिक पहचान निर्धारित करने के लिए पर्याप्त होना चाहिए.
अदालत का यह कहना कि याचिकाकर्ताओं ने खुद तर्क दिया है कि वक्फ़ इस्लाम के लिए अद्वितीय है, इस बहिष्करण को सही ठहराने का एक ठोस कारण नहीं है. किसी संपत्ति के मालिक का अधिकार किसी भी धार्मिक क़ानून से संबंधित नहीं है, बल्कि यह सामान्य न्यायशास्त्र का हिस्सा है. अधिनियम एक गैर-मुस्लिम संपत्ति के मालिक को वक्फ़ बनाने के अधिकार से वंचित करके उसके स्वामित्व अधिकारों का उल्लंघन करता है. याचिकाकर्ताओं को निराशा हुई होगी कि अदालत ने इस प्रावधान को समस्याग्रस्त नहीं पाया.
उनके मुताबिक याचिकाकर्ताओं के लिए सबसे बड़ा झटका "उपयोग द्वारा वक्फ़" (waqf by user) पर था. अदालत ने इस तरह के वक्फ़ को समाप्त करना पूरी तरह से उचित पाया, इस आधार पर कि बहुत सारी सरकारी ज़मीनों पर अतिक्रमण किया गया है. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि वक्फ़ बोर्ड निजी भूमि माफ़िया नहीं हैं, बल्कि अनुच्छेद 12 के तहत एक वैधानिक प्राधिकरण हैं. यह राज्य सरकार है जो लोक सेवकों द्वारा सर्वेक्षण और वक्फ़ बोर्डों की सिफ़ारिशों के बाद वक्फ़ संपत्तियों को राजपत्र में अधिसूचित करती है. इसके अलावा, उपयोग द्वारा वक्फ़ को बाबरी मस्जिद के फ़ैसले सहित शीर्ष अदालत की बड़ी बेंचों द्वारा लगातार बरकरार रखा गया है.
हालांकि, याचिकाकर्ताओं को इस बात से बड़ी राहत मिली होगी कि अदालत ने कार्यकारी अधिकारियों द्वारा मालिकाना हक़ का निर्धारण शक्तियों के पृथक्करण (separation of powers) का उल्लंघन पाया है और धारा 3(c) में इस प्रावधान पर रोक लगा दी है. अब यह देखना बाक़ी है कि क्या सरकार सभी धार्मिक endowments के लिए एक समान क़ानून लाती है.
उसेन बोल्ट
फर्राटा दौड़ का सबसे बड़ा सितारा अब सीढ़ियां चढ़ते वक़्त हांफने लगता है
आठ बार के ओलंपिक चैंपियन उसेन बोल्ट भी हम सब की तरह इंसान हैं. उन्होंने स्वीकार किया कि रिटायरमेंट के बाद अब सीढ़ियां चढ़ने पर उनकी सांस फूल जाती है. दुनिया के सबसे महान धावक माने जाने वाले 39 वर्षीय बोल्ट, जिनके नाम अभी भी 100 मीटर, 200 मीटर और 4x100 मीटर रिले का विश्व रिकॉर्ड है, ने विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में संवाददाताओं से कहा कि एड़ी की चोट के कारण अब वह दौड़ते नहीं हैं.
उन्होंने टोक्यो में मीडिया से कहा, "नहीं, मैं ज़्यादातर जिम में वर्कआउट करता हूं. मुझे दौड़ना पसंद नहीं है, लेकिन मुझे लगता है कि अब जब मैं काफी समय से बाहर हूं, तो मुझे वास्तव में दौड़ना शुरू करना होगा क्योंकि, जब मैं सीढ़ियां चढ़ता हूं, तो मेरी सांस फूल जाती है." उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि जब मैं इस पर पूरी तरह से काम करना शुरू करूंगा, तो मुझे अपनी सांस को सही करने के लिए शायद कुछ चक्कर लगाने पड़ेंगे."
जमैका के इस धावक ने 2017 में एलीट स्प्रिंटिंग से संन्यास की घोषणा की थी. जब उनसे उनकी आजकल की दिनचर्या के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि अब वह अपना अधिकांश समय अपने बच्चों के साथ बिताते हैं. उन्होंने बताया, "मैं आमतौर पर बच्चों को स्कूल भेजने के ठीक समय पर उठता हूं. अगर मेरे पास करने के लिए कुछ नहीं है, तो मैं बस आराम करता हूं. कभी-कभी अगर मेरा मूड अच्छा होता है तो मैं वर्कआउट कर सकता हूं. मैं बस कुछ सीरीज़ देखता हूं और बच्चों के घर आने तक आराम करता हूं. मैं उनके साथ कुछ समय बिताता हूं, घूमता हूं, जब तक कि वे मुझे परेशान करना शुरू नहीं कर देते, तब मैं चला जाता हूं. और उसके बाद, मैं बस घर पर रहता हूं और फिल्में देखता हूं या अब मैं लेगो में व्यस्त हूं, इसलिए मैं लेगो बनाता हूं."
जब उनसे पूछा गया कि स्पाइक्स जैसी तकनीकी प्रगति के बावजूद धावकों की वर्तमान पीढ़ी उनकी पीढ़ी की बराबरी क्यों नहीं कर पाई है, तो उन्होंने जवाब दिया: "आप असली जवाब चाहते हैं? हम बस ज़्यादा टैलेंटेड थे. बस यही मैं कह रहा हूं. बेशक, यह पुरुषों के मामले में दिखता है. आप देख सकते हैं कि महिलाएं अलग हैं. वे तेज़ और तेज़ समय में दौड़ रही हैं. तो यह दिखाता है - यह टैलेंट ही होना चाहिए."
पाठकों से अपील :
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