18 नवम्बर 2024: मणिपुर के साथ सरकार भी संकट में, मोदी और ट्रम्प अवतार पुरूष, ट्विटर छोड़े लाखों लोग, भारतीय पहचान का संकट, भुगतान की राह देखते मनरेगा मजदूर, योगी के दावे का फैक्ट चैक
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
सुर्खियाँ: मणिपुर की भारतीय जनता पार्टी सरकार से सात विधायकों वाले नेशनल पीपल्स पार्टी ने समर्थन वापस ले लिया है. यह पार्टी मेघालय के मुख्यमंत्री कोनरेड संगमा की है. संगमा ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखा है कि बीरेन सिंह की अगुवाई में मणिपुर राज्य सरकार संकट को निपटाने में पूरी तरह असफल रही है. पार्टी के एक विधायक के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट की है, ‘ सरकार वैसे भी भाजपा के ही सात कुकी विधायकों के साथ टकराव में हैं. अब सात एनपीपी विधायकों के साथ बीरेन को असेंबली में अपना बहुमत साबित करने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा.’ इस बीच मणिपुर में हिंसक प्रदर्शन चल रहे हैं. एनडीटीवी के मुताबिक पुलिस ने 3 महिलाओं और 3 बच्चों सहित 6 शव बरामद किए हैं. इन सभी को जिरिबाम जिले में बंधक बनाया गया था. बढ़ती हिंसा के मद्देनजर मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी ने एन बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. राज्य की अस्थिर और विस्फोटक स्थिति को देखते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को महाराष्ट्र में होने वाली चुनावी रैलियों को रद्द कर दिया और दिल्ली पँहुच कर बैठकें की. इस बीच विपक्षी दल कांग्रेस ने राज्य के हालात पर चिंता जताते हुए भाजपा पर हिंसा बढ़ाने का आरोप लगाया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विक्रम मैसी अभिनीत फिल्म “द साबरमती रिपोर्ट” की तारीफ में एक “एक्स” यूजर की पोस्ट को सही ठहराया है. कहा है, फेक नैरेटिव सीमित वक्त तक ही चल सकता है, अंततः सच हमेशा सामने आएगा ही. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस समय नाइजीरिया, ब्राजील और गुयाना की यात्रा पर निकले हैं. रविवार को उन्हें नाइजीरियाई सरकार ने ग्रांड कमांडर ऑफ दि ऑर्डर ऑफ द नाइजर (जीकॉन) सम्मान से नवाजा, जो 1969 में ब्रिटेन की रानी एलिजाबेथ के बाद पहली बार किसी विदेशी अतिथि को दिया गया है.
दिल्ली के परिवहन मंत्री ने इतवार को अपनी लेन बदल ली. रविवार को परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और अरविंद केजरीवाल को एक पत्र लिखकर पार्टी भी छोड़ दी. आम आदमी पार्टी के नेता कैलाश गहलोत ने आज पार्टी से इस्तीफा दे दिया. उन पर ईडी और सीबीआई की जाँच चल रही थी और अब उन्हें लगा कि उनकी पार्टी को अब “आम आदमी होने में विश्वास” नहीं है और पार्टी कई ‘असहज’ और ‘शर्मिंदा करने वाले’ विवादों में फंस चुकी है. उधर दो बार विधायक रह चुके भाजपा के पूर्वांचली नेता अनिल झा ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया.
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा शुक्रवार से पर्थ में शुरू होने वाले बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का पहला टेस्ट मैच नहीं खेल पाएंगे. उन्होंने कहा है, दूसरी संतान के जन्म के बाद वह अपनी पत्नी के साथ कुछ और समय बिताना चाहते हैं. कप्तानी अब बुमराह करेंगे.
चुनाव आयोग के अधिकारियों ने रविवार को बारामती हेलीपेड पर एनसीपी (एसपी) नेता शरद पवार के बैग्स की तलाशी ली. पवार सोलापुर में चुनावी रैली संबोधित करने जा रहे थे. बता दें, इसके पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी और शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे के बैग्स की तलाशी भी ली जा चुकी है.
शिमला में एक मंदिर को लेकर हिंदुओं के दो समूहों के विवाद में 7 लोग घायल हो गए. पुलिस ने हिमालयन ब्रह्मो समाज और रामकृष्ण मिशन आश्रम के बीच हुए इस विवाद में एफआईआर दर्ज कर ली है.
झांसी के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हुए आग हादसे में रविवार सुबह एक और नवजात की मौत हो गई. 10 नवजात हादसे वाली रात शुक्रवार को मारे गए थे.
छत्तीसगढ़ के आदिवासी मंत्री रामविचार नेताम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अवतार और भगवान जैसा बताया है. उधर अमेरिका में बीबीसी ने एक लम्बी रिपोर्ट में बताया है कि बहुत से अमेरिकी ईसाइयों को लगता है कि डोनाल्ड ट्रम्प को भी सीधे ईश्वर ने भेजा है.
अपने ही कायदे को दरकिनार कर केंद्र सरकार ने 2022 से पश्चिम बंगाल की मनरेगा स्कीम को फंडिंग देना रोका हुआ है. केंद्र का राज्य सरकार पर आरोप है कि इसके अमल में भ्रष्टाचार हुआ है. आर्टीकल 14 ने इस पर लंबी रिपोर्ट की है. जबकि स्कीम को चलाने वाले कर्मियों को तो भुगतान हो रहे हैं, कानून के तहत उन हजारों लोगों को, जिन्हें मांगने पर सालाना सौ दिन का रोजगार दिया जाना था, उन्हें नहीं हुए. 2021 में जिन पांच लाख परिवारों ने इस स्कीम के तहत काम किया था, अब काम के लिए पलायन कर रहे हैं या फिर गरीबी में जीवनयापन.
गुरु घासीदास नेशनल पार्क में जहां बाघ का शव मिला था, अब उसी इलाके में एक तेंदुए का शव मिला है.
करीब दस लाख यूजर्स ने अमेरिकी चुनावों के बाद एक्स (पूर्व के ट्विटर) को छोड़कर एक नये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ब्लू स्काई में अपने एकाउंट खोल लिये हैं. ज्यादातर लोग इलोन मस्क के स्वामित्व वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को हेट स्पीच विरोधी प्रचार समूहों और यूरोपियन यूनियन की उन चेतावनियों को गंभीरता से ले रहे हैं, जो इस प्लेटफार्म पर भ्रामक जानकारियों और अतिवाद को लेकर जी जा रही हैं. ब्लू स्काई पहले ट्विटर का ही प्रोजेक्ट था, जब कमान जैक डोर्सी के पास थी. 2021 में ब्लू स्काई एक स्वतंत्र कंपनी बनी और अब उसके चीफ एक्जीक्यूटिव जे ग्रैबर हैं. ब्लू स्काई के बारे में पूरी जानकारी यहाँ गार्डियन में.
रूस ने यूक्रेन के ऊर्जा ग्रिड पर 200 से अधिक मिसाइलें और ड्रोन दागे, जिसमें सात लोग मारे गए. इसके बाद यूक्रेन को सोमवार से देशव्यापी बिजली राशनिंग की घोषणा करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. यूक्रेन के राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रव्यापी हमले में यूक्रेन में लगभग 120 मिसाइलें और 90 ड्रोन दागे गए.
दिल्ली में जहरीली हवा के चलते बच्चे घर बैठ गए हैं. रविवार शाम को दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 450 के पार दर्ज किया गया. दिल्ली सीएम आतिशी ने रविवार रात ऐलान किया है कि सोमवार से दिल्ली के सभी स्कूलों में 10वीं और 12वीं को छोड़कर बाकी सभी क्लासेस ऑनलाइन होंगीं. अब तक 5वीं तक क्लासेस ऑनलाइन मोड में लग रही थीं.
‘द आइडेंटिटी प्रोजेक्ट’ : जहरीली होती हवा की पड़ताल
पत्रकार राहुल भाटिया ने धर्म, व्यापार और टेक्नोलॉजी पर काफी गहराई से काम किया है. एडवर्टाइजिंग के क्षेत्र से पत्रकारिता में आए भाटिया खेल पत्रकारिता भी कर चुके हैं. हाल ही में इनकी एक किताब आई है ‘द आइडेंटिटी प्रोजेक्ट’. इसमें उन्होंने 2014 के बाद आए बदलावों पर विहंगम दृष्टि डालने की कोशिश की है. देश में नफ़रत फैल रही थी. मॉब लिंचिंग जोरों पर थी. अल्पसंख्यकों के खिलाफ नैरेटिव सेट किए जा रहे थे, लेकिन यह सब कुछ मीडिया से बाहर था या मीडिया भी उन नैरेटिव्स को आगे बढ़ा रहा था. तो ऐसे में बतौर पत्रकार अपराधबोध को कम करने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी और इन बदलावों को पुस्तक में दर्ज करने का इरादा किया. इसके लिए उन्होंने दो चीजों को आधार बनाया.
हर व्यक्ति के लिए जरूरी कर दिए गए आइडेंटिटी कार्ड आधार और राष्ट्रवाद. इन दो आधार बिंदु को लेकर उन्होंने अपनी किताब के लिए रिसर्च करना शुरू किया. इन दो चीजों के अलावा उनके पास कोई प्लान नहीं था. कोई आउटलाइन नहीं थी और उन्होंने एक ऐसी किताब लिखी, जिसे इस दौर को रेखांकित करने के लिए सबसे प्रमाणित पुस्तकों में एक कहा जा सकता है. हालांकि उन्हें इस पुस्तक को लिखने में सात साल लग गए. ‘कड़वी कॉफी’ कार्यक्रम में प्रोफेसर अपूर्वानंद और निधीश त्यागी ने राहुल भाटिया से इस पुस्तक पर बात की. ‘कड़वी कॉफी’ एक ऐसा शो है, जिसमें साझा समझ, संस्कृति और सरोकार के ऐसे मुद्दे पर बात करने की कोशिश रहती है, जिस पर हिंदी मीडिया में बहुत बातें नहीं हुई हों.
योगी के बयान 'झारखंड के किसान आत्महत्या कर रहे', का थोड़ा फैक्ट चैक!
'द मूकनायक' ने योगी के 'झारखंड के किसान आत्महत्या कर रहे' बयान पर पड़ताल की है और यह बताया है कि किसानों की हालत भाजपा शासित राज्यों, खासकर यूपी में भी कोई बहुत अच्छी नहीं है. 2020 के एनसीआरबी के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार उस साल यूपी में कुल 87 किसानों ने आत्महत्या की थी. राज्य सभा में कृषि मंत्री के लिखित जवाब के अनुसार यूपी में 2017 से लेकर 2021 तक कुल 398 किसानों ने आत्महत्या की है, जबकि झारखंड को लेकर कोई साफ डेटा उपलब्ध नहीं है.
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक़ 2022 में किसान आत्महत्या की सबसे अधिक घटना वाले राज्य महाराष्ट्र (4,248), कर्नाटक (2,392), आंध्र प्रदेश (917), तमिलनाडु (728) और मध्य प्रदेश (641) हैं, जिनमें किसानों ने सबसे ज्यादा आत्महत्या की है, जबकि पिछले दस सालों में लगभग एक लाख बारह हजार किसानों ने आत्महत्या की है. इस डाटा में ये तथ्य दिलचस्प है कि बिहार में किसान आत्महत्या रिपोर्ट ही नहीं की गई है. 2022 में भारत में कृषि क्षेत्र से जुड़े 11,290 लोगों ने आत्महत्या की. इनमें से 53% (6,083) कृषि मजदूर थे, और शेष 5,207 किसान या खेती करने वाले थे.
कंटेंट के लिए गूगल, फेसबुक मीडिया प्लेटफॉर्म को आमदनी में से हिस्सा दे, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा के बाद भारत में भी उठी बात
सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को पारंपरिक मीडिया को डिजिटल प्लेटफार्मों द्वारा उनके कंटेंट के इस्तेमाल के लिए उचित मुआवजे देने की बात पर जोर दिया.उन्होंने कहा कि बड़ी टेक कंपनिलां मसलन गूगल और फेसबुक पारंपरिक मीडिया के कंटेंट का लाभ उठा रहे हैं, लेकिन इसका मीडिया कंपनियों को उचित मुआवजा नहीं मिल रहा.
कई देशों में मसलन ऑस्ट्रेलिया और कनाडा डिजिटल प्लेटफार्मों से पारंपरिक मीडिया को भुगतान मिलने के स्पष्ट नियम हैं. भारत में इस मुद्दे पर कोई विशेष कानूनी प्रावधान नहीं हैं, लेकिन सरकार इस दिशा में कदम उठाने पर विचार कर रही है, ताकि पारंपरिक मीडिया को न्याय मिल सके.
डिजिटल मीडिया का बढ़ता प्रभाव और दुनिया के कानून
भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 2023 में लगभग 80 करोड़ के पास पहुंच गई है, और डिजिटल समाचार प्लेटफार्मों ने पारंपरिक मीडिया की तुलना में तेजी से वृद्धि की है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में भारत में डिजिटल विज्ञापन का बाजार लगभग ₹22,000 करोड़ था, जबकि पारंपरिक मीडिया विज्ञापन का बाजार ₹35,000 करोड़ था. इस अंतर में हर साल बढ़ोतरी हो रही है, जिससे पारंपरिक मीडिया के लिए चुनौती बढ़ रही है.
2021 में ऑस्ट्रेलिया ने एक कानून पास किया, जिसमें गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों को स्थानीय समाचार आउटलेट्स को उनके कंटेंट के उपयोग के लिए भुगतान करना अनिवार्य किया गया.
इसके बाद, फेसबुक ने ऑस्ट्रेलिया में अपने समाचार पेज को अस्थायी रूप से बंद कर दिया, लेकिन बाद में मुआवजे की व्यवस्था के तहत समझौता हुआ.
2021 में इस कानून के तहत गूगल ने ऑस्ट्रेलिया के मीडिया कंपनियों को करीब ₹2,300 करोड़ का भुगतान किया।
कनाडा ने 2023 में "C-18" बिल पारित किया, जिसमें बड़ी डिजिटल कंपनियों को स्थानीय समाचारों के लिए भुगतान करने की आवश्यकता है. इस बिल के तहत, कनाडा सरकार ने फेसबुक और गूगल से बातचीत शुरू की है, ताकि मीडिया कंपनियों को उनके कंटेंट के उपयोग के लिए मुआवजा मिल सके.
भारत में, अधिकांश डिजिटल प्लेटफार्मों के लिए कोई कानूनी बाध्यता नहीं है कि वे मीडिया कंपनियों को भुगतान करें. इसके बावजूद गूगल और फेसबुक जैसे प्लेटफार्मों से भारत के मीडिया उद्योग को केवल 5-10% विज्ञापन राजस्व मिलता है.
2022 में एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में फेसबुक और गूगल ने मीडिया आउटलेट्स से जुड़े विज्ञापन राजस्व का करीब ₹3,500 करोड़ तक कब्जा किया, जबकि भारत के पारंपरिक मीडिया को इससे कम ही लाभ हो पाया.
स्मार्ट सिटी तो हैं, पर पैदल चलने वालों के लिए नहीं
मुंबई की 50% आबादी पैदल चलती है, फिर भी नीतियों में उन्हें नजरअंदाज किया जाता है. 2022 में 10,000 से अधिक पैदल यात्री राष्ट्रीय राजमार्गों पर मारे गए. शोध दिखाते हैं कि अच्छे फुटपाथ न केवल दुर्घटनाओं को कम करते हैं, बल्कि पर्यावरण और अर्थव्यवस्था में भी सुधार लाते हैं. बीबीसी के लिए 'भारत के शहरों में पैदल चलना मुश्किल क्यों है!' लेख में शिरलेन मोलन का मानना है कि भारत में पैदल लोगों के लिए इंतजाम को गंभीरता से नहीं लिया जाता, जबकि उनकी संख्या इतनी ज्यादा है. भारत के फुटपाथ या तो संकरे हैं या अव्यवस्थित या पूरी तरह से गायब. मोलन ने पाया कि भारत में नीतियां और बुनियादी ढांचे मुख्य रूप से गाड़ियों के लिए तैयार होते हैं.
भारत में फुटपाथों की हालत पर लोगों का ध्यान खींचने के लिए, बेंगलुरु के अरुण पाई ने एक मजेदार चुनौती शुरू की. इसमें लोगों को 11 किलोमीटर लंबे फुटपाथ पर चलकर वहां के अवरोधों जैसे ठेले, कचरा, या टूटे स्लैब गिनने और फुटपाथ को 1 से 5 के पैमाने पर रेट करने को कहा गया. इसका इरादा डेटा जमा कर खराब रास्तों के सुधार की मांग करना है. अरुण पाई का मानना है कि फुटपाथ सुधारने के लिए आपके पास ठोस आँकड़े हों तो अफसरों से बात करना ज्यादा प्रभावकारी होता है. उनके संगठन 'बेंगलुरु वॉक्स' का उद्देश्य सड़कों को पैदल चलने वालों के लिए बेहतर बनाना है. इसी तरह, दिल्ली में 'दिल्ली बाय साइकिल' जैसे समूह साइकिल और पैदल यातायात के लिए जागरूकता बढ़ा रहे हैं. ये समूह वॉकिंग ऐप्स बना रहे हैं, जागरूकता अभियानों का आयोजन कर रहे हैं, और नेताओं के साथ मिलकर सड़कों को अधिक अनुकूल बनाने के लिए प्रयासरत हैं.'
मोलन ने मुंबई के नागरिक समूह ‘वॉकिंग प्रोजेक्ट’ का जिक्र कर उनके महाराष्ट्र चुनावों से पहले जारी किए गए "पैदल यात्री घोषणापत्र" के बारे में बताया है, जिसमें फुटपाथ सुधार, पैदल यात्री-अनुकूल गलियारे, और दिव्यांगों के लिए अधिक सहूलियत की मांग की गई है.
स्त्रीविरोधी, धर्म का इस्तेमाल करने वाले, क्रूर.. ट्रम्प अकेले नहीं
इतिहास के शिक्षक और स्तंभकार मुकुल केसवन ने रविवार के टेलीग्राफ में अमेरिका में डोनल्ड ट्रम्प के चुने जाने पर किये जा रहे सवालों पर सवाल किये हैं. उनका कहना है ट्रम्प को उन्हीं समूहों के वोट मिले हैं, जो बाराक ओबामा को वोट दे रहे थे. केसवन का कहना है कि कमला हैरिस के तरफदार और दुनिया भर में जब आश्चर्य जताया जा रहा है कि आखिर अमेरिका कैसे स्त्रियों को हिकारत से देखने वाले, धर्म का सहारा लेने वाले, क्रूर व्यक्ति को दूसरी बार राष्ट्रपति पद के लिए चुन सकता है, वे भूल जाते हैं कि इसी तरह के लोग अमेरिका ने पहले भी कई बार चुने हैं. केसवन इस लेख में जॉन एफ कैनेडी, दोनो बुश, रोनाल्ड रीगन, बिल क्लिंटन का नाम लेते हैं. उनका कहना है अमेरिका उन सारे लोगों के कर्म भूल जाता है, जो अमेरिका को शीतयुद्ध से बाहर लाये और जिन्होंने अमेरिका की सर्वश्रेष्ठता की साख स्थापित की. इस लेख पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपतियों के चाल, चरित्र, युद्ध थोपने जैसे फैसलों को लेकर समीक्षा की गई है. केसवन का कहना है कि ट्रम्प बाकी राष्ट्रपतियों की तरह चीज़ों को सम्माननीय और शिष्ट तरीके से नहीं करता, नहीं तो बाकियों के कर्म भी माफ करने लायक नहीं.
थोड़ी गहरी है टीस दिबाकर बनर्जी की
फिल्म निर्माता दिबाकर बनर्जी ने हाल ही में अपने भारतीय होने की पहचान के बारे में कहा कि 'एक भारतीय सब कुछ हो सकता है-हिंदू, मुस्लिम, बंगाली और कश्मीरी.' दिबाकर बनर्जी ने कहा कि भारतीय समाज में मौजूदा समय में क्रोध, असंतोष और सत्ता की राजनीति ने गहरी जड़ें बना ली हैं. उन्होंने इसे '2024 का सत्य' बताया, जहां नफरत और गुस्से का उपयोग एक साधन के रूप में हो रहा है. हाल ही में संपन्न हुए 13वें धर्मशाला अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में दिबाकर बनर्जी की फिल्म 'टीस' प्रदर्शित की गई थी. इस फिल्म का इंतजार लंबे वक्त से दिवाकर के दर्शक कर रहे हैं. असल में इसे पहले नेटफ्लिक्स ने कमीशन किया था, लेकिन फिल्म बनने के बाद इसे रोक लिया. धर्मशाला में दर्शकों ने इसे देखने के बाद खचाखच भरे हॉल में लगातार खड़े होकर तालियां बजाईं. फेस्टिवल में कुछ फिल्मकारों की फिल्मों को प्रदर्शित करने की अनुमति भारत सरकार ने नहीं दी और इसमें सबसे चर्चित दो फ़िलिस्तीनी फ़िल्में, नो अदर लैंड और फ्रॉम ग्राउंड ज़ीरो फिल्म फेस्टिवल के लाइनअप से हटा दिया गया था.
भंगी, नीच, भिखारी और मंगनी जैसे शब्द अपमानजनक नहीं : कोर्ट
राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में भंगी, नीच, भिखारी और मंगनी जैसे शब्दों को अपमानजनक नहीं माना है. कोर्ट ने कहा अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों (SC/ST) के खिलाफ अपमानजनक माने जाने वाले ये शब्द, हमेशा एससी/ एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत अपराध नहीं होते. इस फैसले में अदालत ने चार आरोपियों पर लगाए गए आरोपों को निरस्त कर दिया, जो इस अधिनियम के तहत दोषी ठहराए गए थे. अदालत ने माना कि ये शब्द जातिसूचक शब्द नहीं थे, न ही ऐसा कोई आरोप था कि याचिकाकर्ता (राजपूत समुदाय से) उन लोक सेवकों की जाति जानते थे जो अतिक्रमण हटाने गए थे.
कौन ले गया मरे हुए फंटूश की आंख
उधर बिहार की राजधानी पटना के एक सरकारी अस्पताल में एक लाश की आंख गायब हो गई! डॉक्टरों ने चूहों पर इसे कुतरने का आरोप लगाया, लेकिन मृतक के परिवार के सदस्यों ने गड़बड़ी का संदेह जताया है. फंटूश कुमार, जिन्हें 15 नवंबर को अज्ञात हमलावरों द्वारा गोली मारी गई थी. पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एनएमसीएच) में फंटूश ने शुक्रवार की रात दम तोड़ दिया था.
बर्तन भांडों के साथ सुबोध गुप्ता की घर वापसी
'द हिंदू' के लिए जॉर्जिना मेडॉक्स ने रिपोर्ट की है कि सुबोध गुप्ता पहली बार अपने गृहराज्य बिहार में अपने इंस्टालेशन्स के साथ शो कर रहे हैं, जो ज्यादातर घरेलू बर्तनों और धातु के दूसरे कामों को लेकर होते हैं.
सुबोध को 'गाय के गोबर का राजा' और 'भूखा देवता' भी कहा जाता है. वो अपनी कला में भारतीय मध्यम वर्ग के प्रतीक जैसे बर्तन (धातु के बर्तन) का उपयोग करने के लिए प्रसिद्ध हैं. उनका नया शो 'द वे होम' बिहार म्यूजियम में शुरू हुआ है. गुप्ता, जो हाल ही में दक्षिण कोरिया में इनर गार्डन प्रदर्शनी में व्यस्त थे, 2018 में यौन उत्पीड़न के आरोपों और 2020 में मानहानि केस जीतने के बाद अब फिर सक्रिय हो गए हैं. इस बीच वो बेहद कम ही सार्वजनिक जीवन में नजर आए.
चलते-चलते : घटते हुए लंगूरों का खयाल रखता किसान
हूलॉक गिब्बन एक तरह के लंगूर हैं और उत्तर पूर्व के बारेकुरी के गांवों में लोग उनके साथ सौ से ज्यादा सालों से रह रहे हैं. बढ़ते उद्योग, घटते जंगल और बदलती रिहाइशों के कारण इन लंगूरों की आबादी तेजी से घट रही है. एक सदी से भी अधिक समय से भारत के उत्तर पूर्व में जैव विविधता के हॉटस्पॉट बरेकुरी के ग्रामीण, देश की एकमात्र वानर प्रजाति हूलॉक गिब्बन के साथ सह-अस्तित्व में रह रहे हैं. अब लेकिन बदलती परिस्थितियों के साथ यह सामंजस्य नाजुक पारिस्थितिक संतुलन में खड़ा है. 'द गार्डियन' ने अब इसी पर फिल्मकार रागिनी नाथ और चिन्मॉय सोनोवाल की डाक्यूमेंट्री जारी की है. इसमें दिखाया है कि 55 वर्षीय किसान मोहित अपने परिवार का पालन-पोषण करते हुए एक लंगूर परिवार की देखभाल कर रहे हैं. जब शोधकर्ता इशिका रामकृष्ण मानव लंगूर के संबंधों का अध्ययन करने के लिए आती हैं, तो वह निवास स्थान के नुकसान, वनों की कटाई और औद्योगिक तबाही से खतरे में पड़ी हूलॉक गिब्बन की आबादी में तत्काल गिरावट से निपटने के लिए मोहित और ग्रामीणों के साथ शामिल हो जाती हैं.
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