18/06/2025: ट्रम्प की तेहरान को सीधी धमकी | बीच बैठक में जी7 जी6 मे बदला | मोदी-ट्रम्प नहीं मिले | अकेले पड़ते खामेनेई | एयर इंडिया की 7 उड़ाने रद्द | बिहार का कास्ट कैलकुलस | शुभमन पर दारोमदार
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां :
खामेनेई, ईरान को अब ट्रम्प की सीधी धमकियां!
ट्रम्प का नाटकीय प्रस्थान
चीन शांति बहाली में भूमिका निभाने को तैयार
इज़राइल ने ईरान के नए युद्ध प्रमुख को मार गिराया
मोसाद के ठिकाने पर पहुंची ईरान की मिसाइलें, घुसपैठ किए गए फ़िलिस्तीनी इलाक़ों में कहर
अकेले पड़ते जा रहे हैं खामेनेई
कनाडा की इंटेलिजेंस रिपोर्ट ने भारत को विदेशी हस्तक्षेप का खतरा बताया
राज्यपाल केंद्र की कठपुतली, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद नहीं बदले : स्टालिन
एयर इंडिया की 7 अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द
डीजीसीए ने 13 बोइंग 787 उड़ानों के रद्द होने के बाद एयर इंडिया को तलब किया
रखरखाव पर डीजीसीए को चिंता पर 787 बेड़े को लेकर कोई सुरक्षा चिंता नहीं
एक दलित को दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की रणनीति, पासवान-मांझी आमने-सामने
मिट्टी के लिए कब्र से कंकालों को निकाल फेंका! खनन माफिया की बर्बरता से दलित समुदाय आहत
पेरिस एयर शो: विदेशी बिक्री के प्रयास में पांचवीं पीढ़ी के चीनी J-35A फाइटर की झलक
कीव पर रूसी मिसाइल और ड्रोन हमला: अब तक 15 की मौत, 156 घायल
'प्रिंस' से कप्तान बने शुभमन गिल: क्या वह सचिन और कोहली की परंपरा के योग्य उत्तराधिकारी हैं?
खामेनेई, ईरान को अब ट्रम्प की सीधी धमकियां !
कनाडा के कनानस्किस में 15-17 जून 2025 को आयोजित G7 शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने G7 को विस्तारित करने का विवादास्पद प्रस्ताव रखा. ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ के अनुसार, ट्रम्प ने रूस और चीन को शामिल करने की बात की, यह सुझाते हुए कि यह G8 या G9 बन सकता है. हालांकि, इन बयानों में भारत का कोई उल्लेख नहीं था, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आउटरीच सत्र में भाग ले रहे थे.
ट्रम्प ने 2014 में रूस को G8 से हटाने की आलोचना करते हुए कहा कि इसका समावेश 2022 के यूक्रेन आक्रमण को रोक सकता था. उन्होंने पूर्व कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और बराक ओबामा को रूस को बाहर निकालने के लिए दोषी ठहराया. चीन के बारे में उन्होंने कहा, "यह कोई बुरा विचार नहीं है. अगर कोई चीन को शामिल करना चाहता है, तो मुझे आपत्ति नहीं है." ‘रॉयटर्स’ के अनुसार, ट्रम्प ने ईरान-इजराइल संघर्ष के कारण 17 जून को एक दिन पहले सम्मेलन छोड़ दिया.
ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को लेकर आक्रामक बयान दिये. उन्होंने लिखा, "हमें पता है कि तथाकथित 'सुप्रीम लीडर' कहां छिपा है. वह आसान निशाना है, लेकिन वहां सुरक्षित है – हम उसे (मारने) नहीं जा रहे, कम से कम अभी नहीं." उन्होंने "बिना शर्त आत्मसमर्पण" और "ईरानी आकाश पर पूर्ण नियंत्रण" का दावा भी किया. ‘द गार्डियन’ की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रम्प की यह भाषा विश्लेषकों द्वारा बेहद आक्रामक और धमकीपूर्ण मानी जा रही है. उनके अनुसार, ट्रम्प ईरान के सामने दो टूक विकल्प रख रहे हैं - या तो बातचीत की मेज पर लौटे या अमेरिका के समर्थन से इजरायल उसकी सुरक्षा व्यवस्था को बर्बाद कर दे.
इससे पहले यह अपेक्षा की जा रही थी कि वे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की और मैक्सिको की राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे, लेकिन मोदी के साथ कोई बैठक निर्धारित नहीं थी. मोदी 16 जून को कनाडा पहुंचे, जो उनका दशक बाद का पहला दौरा था. ‘द हिंदू’ के अनुसार, यह उनकी छठी लगातार G7 शिखर सम्मेलन की भागीदारी थी. उन्होंने जर्मनी, कनाडा, यूक्रेन और इटली के नेताओं के साथ चार महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठकें कीं, जिनमें ऊर्जा सुरक्षा, AI-ऊर्जा संबंध और क्वांटम प्रौद्योगिकी पर चर्चा हुई. मोदी ने वैश्विक दक्षिण की प्राथमिकताओं पर जोर दिया.
ट्रम्प का नाटकीय प्रस्थान
बहुपक्षीय सहयोग का प्रतीक माने जाने वाले G7 को अपमानित करते हुए ट्रम्प ने कनाडा में हो रहे G7 सम्मेलन को एक दिन पहले ही छोड़ दिया. उन्होंने पहले भी G7 बैठकें जल्दी छोड़ी हैं, पर इतना नाटकीय अंदाज़ पहले कभी नहीं देखा गया. जब एक वरिष्ठ राजनयिक से पूछा गया कि ट्रम्प शांति स्थापित करने वॉशिंगटन जा रहे हैं या ईरान पर युद्ध के लिए, तो उन्होंने कहा- "हमें भी नहीं पता!"
जब ट्रम्प का विमान एयर फोर्स वन रवाना हुआ, तब फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने माहौल को संभालने की कोशिश करते हुए कहा कि "युद्धविराम निकट है." लेकिन ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया पर उन्हें "पब्लिसिटी के भूखे" नेता कह कर मज़ाक उड़ाया और लिखा, “चाहे जानबूझकर हो या नहीं, इमैनुएल हमेशा ग़लत होते हैं.” उन्होंने कहा कि वह "सिर्फ युद्धविराम से कहीं बड़ी चीज़" के पीछे हैं.
G7 के संयुक्त बयान में ईरान-इज़राइल संकट पर युद्धविराम की कोई बात शामिल नहीं की गई, जो कि संयुक्त बयान का मूल उद्देश्य था. अमेरिकी राजनयिकों ने उसमें ऐसा कोई शब्द शामिल करने से मना कर दिया. यूरोपीय नेता आखिरकार पीछे हटे और सिर्फ 8 वाक्यों वाला एक कमजोर बयान जारी हुआ, जिसमें इज़रायल की कार्रवाइयों को अप्रत्यक्ष समर्थन मिला. बयान में कहा गया - "हम मानते हैं कि इज़रायल को आत्मरक्षा का अधिकार है. हम इज़रायल की सुरक्षा का समर्थन दोहराते हैं."
अब यूरोपीय नेता- फ्रांस, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन, जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशीबा और अन्य आमंत्रित वैश्विक नेताओं के साथ रॉकी पर्वतों की ऊंचाइयों पर अकेले छूट गए हैं. अमेरिकी उपस्थिति के बिना सम्मेलन का दूसरा दिन उन्हें खुद ही संभालना होगा. यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की और मैक्सिकन राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबौम के साथ ट्रम्प की निर्धारित बैठकें भी टल गई हैं.
एक बार फिर लग रहा है कि यूरोप इतिहास के दर्शक के रूप में खड़ा है, सहमति आधारित घोषणाओं का मसौदा तैयार करने में कुशल, जबकि निर्णायक शक्ति एकतरफा ताकत का इस्तेमाल कर रही है. रूस ने भी तंज कसते हुए कहा कि उसने हमेशा से G7 को “बेकार का क्लब” माना है, जिससे उसे क्रीमिया पर आक्रमण के बाद बाहर किया गया था.
यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन ने रूस पर प्रतिबंधों को कड़ा करने का प्रस्ताव रखा, जिसमें रूसी तेल की अधिकतम खरीद मूल्य सीमा को $60 से घटाकर $45 प्रति बैरल करना शामिल है. उन्होंने कहा कि संयुक्त G7 और EU प्रतिबंधों के कारण रूस की तेल और गैस आमदनी में 80% की गिरावट आई है.
व्यापार मुद्दों पर ट्रम्प और कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के बीच कोई विशेष प्रगति नहीं हुई. ट्रम्प ने टैरिफ नीति पर जोर देते हुए कहा, "मैं टैरिफ का समर्थक हूं – यह आसान, तेज और स्पष्ट है."
G7 के संयुक्त बयान में ईरान-इजराइल संकट पर युद्धविराम की कोई बात शामिल नहीं की गई. अमेरिकी राजनयिकों ने ऐसे शब्दों को शामिल करने से मना कर दिया, जिससे केवल 8 वाक्यों का एक कमजोर बयान जारी हुआ.
यूरोपीय नेताओं ने ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराकची से बात की, जिसमें ईरान से बिना शर्त युद्धविराम, परमाणु अप्रसार संधि से बाहर न निकलने और अमेरिकी ठिकानों पर हमला न करने का प्रस्ताव था. हालांकि, अराकची ने कहा कि जब तक इजरायल हमले बंद नहीं करता, ईरान भी हथियार नहीं डाल सकता.
ट्रम्प के नाटकीय प्रस्थान के बाद यूरोपीय नेता अकेले छूट गए हैं. फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों ने "युद्धविराम निकट है" कहा, लेकिन ट्रम्प ने उन्हें "पब्लिसिटी के भूखे" नेता कहकर मजाक उड़ाया. एक बार फिर यूरोप इतिहास के दर्शक के रूप में खड़ा दिख रहा है, जबकि निर्णायक शक्ति एकतरफा ताकत का इस्तेमाल कर रही है.
चीन शांति बहाली में भूमिका निभाने को तैयार
'ब्लूमबर्ग' की रिपोर्ट है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि उन्हें इज़रायल की ईरान पर सैन्य कार्रवाई से उत्पन्न हुए मध्य पूर्व संकट की स्थिति पर "गंभीर चिंता" है. उन्होंने सभी संबंधित पक्षों से जल्द से जल्द तनाव कम करने की अपील की है. मंगलवार को उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव के साथ बैठक के दौरान शी जिनपिंग ने कहा - "चीन उन सभी कार्रवाइयों का विरोध करता है जो किसी अन्य देश की संप्रभुता, सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती हैं. सैन्य संघर्ष कोई समाधान नहीं है." चीनी सरकार द्वारा जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, शी जिनपिंग ने यह भी कहा कि बीजिंग मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए एक रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार है.
ईरान इजरायल संघर्ष
इज़राइल ने ईरान के नए युद्ध प्रमुख को मार गिराया
ईरान ओर इजरायल दोनों के बीच हमलों का सिलसिला जारी है. इस बीच ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई के सबसे करीबी सलाहकार माने जाने वाले मेजर जनरल अली शादमानी की मौत हो गई है. यह हमला महज कुछ दिनों बाद हुआ जब उनके पूर्ववर्ती मेजर जनरल ग़ुलाम अली राशिद को इज़राइल ने अपने पहले हमले में मार दिया था. इज़रायली रक्षा मंत्री इज़रायल काट्ज़ ने तेहरान में ‘गंभीर हमलों’ की चेतावनी दी है.
इज़रायल का यह सैन्य अभियान शुक्रवार को शुरू हुआ था, जिसे उसने ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों से उत्पन्न "तत्काल अस्तित्वगत खतरे" के जवाब में बताया. यह संघर्ष अब अपने पांचवें दिन में प्रवेश कर चुका है. मंगलवार तड़के तेहरान और नतांज़ में जोरदार धमाके और वायु रक्षा प्रणाली की सक्रियता की खबरें आईं. नतांज़ वही स्थान है जहां ईरान का प्रमुख यूरेनियम संवर्धन संयंत्र स्थित है, जो इज़राइल के शुरुआती हमलों में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ था. उपग्रह तस्वीरों में एक मिसाइल अड्डे को व्यापक नुकसान होता भी दिखा. मेजर जनरल अली शादमानी, जो ईरान के "खातम-उल अंबिया सेंट्रल हेडक्वार्टर्स" (सेना के आपात कमान केंद्र) के प्रमुख थे, ने महज़ चार दिन पहले मेजर जनरल राशिद की जगह ली थी. आईडीएफ ने कहा कि शादमानी ही ईरान के वास्तविक सैन्य प्रमुख थे और ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के सबसे करीबी सैन्य सलाहकारों में से एक थे. उनके नेतृत्व में इस सैन्य मुख्यालय ने लड़ाकू अभियानों की निगरानी और हमले की योजनाओं को मंजूरी देने का कार्य किया.
मंगलवार दोपहर इज़राइल के रक्षा मंत्री इज़राइल काट्ज़ ने बताया कि इज़राइली वायु सेना जल्द ही तेहरान में “बहुत गंभीर, रणनीतिक और शासन से जुड़े बुनियादी ढांचे” को निशाना बनाएगी. उन्होंने कहा कि इन हमलों से पहले पास के इलाकों में रहने वालों को निकासी की चेतावनी जारी की जाएगी. तेहरान में इसके बाद अफरातफरी देखी गई, शरहर से बाहर निकलने के लिए सड़कों पर गाड़ियों का काफिला देखा गया. लोग सुरक्षित ठिकानों की ओर लगातार जा रहे हैं. इज़राइल-ईरान युद्ध के नक्शों, वीडियो और सैटेलाइट तस्वीरों की यह दृश्य मार्गदर्शिका आपको अब तक के संघर्ष के दौरान प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति स्पष्ट रूप से समझाने में मदद करती है.
मोसाद के ठिकाने पर पहुंची ईरान की मिसाइलें, घुसपैठ किए गए फ़िलिस्तीनी इलाक़ों में कहर
'तेहरान टाइम्स' की रिपोर्ट है कि ईरान द्वारा दागी गई मिसाइलों ने इज़रायल के कब्जे वाले फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों में कई अहम स्थानों पर हमला किया है. प्राप्त फुटेज में दिखाया गया है कि गिललोट (Glilot) स्थित इज़रायली सैन्य खुफिया परिसर का हिस्सा अमान लॉजिस्टिक्स सेंटर हमले के बाद अब भी जल रहा है. हालाँकि, इज़रायली सेना ने इस हमले को कमतर आंकने की कोशिश करते हुए इसे पास के बस डिपो को हुआ नुकसान बताया, लेकिन स्वतंत्र रिपोर्टों और सामने आए सबूतों के अनुसार, ये मिसाइलें रणनीतिक ठिकानों को निशाना बनाकर दागी गई थीं, जिनमें अमान लॉजिस्टिक्स सुविधा और हरज़लिया में स्थित मोसाद मुख्यालय भी शामिल हैं. गिललोट स्थित अमान मुख्यालय पर हमला हुआ, जिसे इज़रायली सैन्य खुफिया तंत्र का संवेदनशील हिस्सा माना जाता है. हिब्रू मीडिया में कुछ समय के लिए प्रकाशित हुईं तस्वीरों को बाद में जल्द ही हटा लिया गया. इससे यह पुष्टि हुई कि यह हमला इज़रायली सैन्य खुफिया प्रतिष्ठान पर सीधे हुआ था.
अकेले पड़ते जा रहे हैं खामेनेई
ईरान के 86 वर्षीय सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई अब पहले से कहीं अधिक अकेले नजर आ रहे हैं. खामेनेई ने अपने मुख्य सैन्य और सुरक्षा सलाहकारों को इजरायली हवाई हमलों में खो दिया है, जिससे उनके करीबी सर्कल में बड़ी कमी आ गई है और रणनीतिक गलतियों का खतरा बढ़ गया है. ऐसा उनके निर्णय लेने की प्रक्रिया से परिचित पांच लोगों ने बताया है. खामेनेई के साथ नियमित रूप से बैठकों में भाग लेने वाले एक सूत्र ने रक्षा और आंतरिक स्थिरता के मुद्दों पर ईरान के लिए गलत आकलन के जोखिम को "अत्यंत खतरनाक" बताया.
‘रायटर्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले शुक्रवार से अब तक कई वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की मौत हो चुकी है, जिनमें खामेनेई के मुख्य सलाहकार भी शामिल हैं, जो ईरान की विशेष सैन्य इकाई रिवोल्यूशनरी गार्ड्स (आईआरजीसी) से थे. इनमें गार्ड्स के प्रमुख कमांडर हुसैन सलामी, ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के प्रमुख और एयरोस्पेस चीफ अमीर अली हाजीज़ादेह और खुफिया प्रमुख मोहम्मद काज़ेमी शामिल हैं.
ये सभी लोग सर्वोच्च नेता के करीबी 15-20 सलाहकारों के आंतरिक समूह का हिस्सा थे, जिसमें गार्ड्स के कमांडर, धार्मिक नेता और राजनेता शामिल हैं. सूत्रों के अनुसार, इनमें वे लोग भी हैं जो प्रमुख मुद्दों पर नेता के साथ बैठक में भाग लेते हैं या ले चुके हैं और दो ऐसे लोग हैं जो नियमित रूप से अधिकारियों के करीब रहते हैं.
इस समूह की सबसे बड़ी खासियत खामेनेई और इस्लामी गणराज्य की विचारधारा के प्रति उनकी पूरी वफादारी है. राजनीतिक और कूटनीतिक सलाहकार अभी भी खामेनेई के साथ हैं, लेकिन सैन्य नेतृत्व के नुकसान ने ईरान की क्षेत्रीय सैन्य रणनीति और आंतरिक सुरक्षा में बड़ा खालीपन पैदा कर दिया है.
ईरान के बाहर भी खामेनेई को झटके लगे हैं. हिज़्बुल्ला के नेता हसन नसरल्लाह, जो उनके करीबी माने जाते थे, सितंबर में एक इज़रायली हमले में मारे गए और दिसंबर में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद को विद्रोहियों ने सत्ता से हटा दिया. इस प्रकार इज़रायल के हमलों ने खामेनेई के आंतरिक दायरे को लगभग खाली कर दिया है, जिससे वे पहले से कहीं अधिक अलग-थलग और असुरक्षित स्थिति में आ गए हैं. इसी बीच, खामेनेई के बेटे मोजतबा खामेनेई की भूमिका पिछले दो दशकों में काफी बढ़ गई है और उन्हें संभावित उत्तराधिकारी के रूप में भी देखा जा रहा है.
कनाडा की इंटेलिजेंस रिपोर्ट ने भारत को विदेशी हस्तक्षेप का खतरा बताया
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को कैलगरी पहुंचे ताकि वे अल्बर्टा के कनानस्किस में हो रही जी7 नेताओं की बैठक में शामिल हो सकें. जेफ मैकिन्टोश/द कैनेडियन प्रेस.
जिस समय भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी7 शिखर सम्मेलन के अंतिम दिन में भाग ले रहे हैं, उसी समय कनाडा की जासूसी एजेंसी ने चेतावनी दी है कि नई दिल्ली इस देश के लिए लगातार विदेशी हस्तक्षेप का एक बड़ा खतरा बनी हुई है. द ग्लोब एंड मेल में रॉबर्ट फिफे के मुताबिक संसद को दी गई अपनी वार्षिक रिपोर्ट में, कैनेडियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस सर्विस (सीएसआईएस) ने चीन, रूस, ईरान और पाकिस्तान को भी विदेशी हस्तक्षेप के मुख्य कर्ताधर्ताओं के रूप में पहचाना है. यह रिपोर्ट शुक्रवार को संसद में पेश की गई थी, लेकिन सीएसआईएस ने कहा कि इसे जी7 के समापन के अगले दिन, बुधवार तक अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं किया जाएगा.
प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने सिख संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की आपत्तियों के बावजूद अपने भारतीय समकक्ष को जी7 में आमंत्रित किया, जिन्होंने पीएम मोदी की उपस्थिति पर अल्बर्टा में प्रदर्शन किए हैं. पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और आरसीएमपी (रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस) ने कहा था कि मोदी सरकार के एजेंटों को 2023 में सरे, बी.सी. में सिख अलगाववादी कार्यकर्ता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जोड़ने के सबूत थे. अपनी रिपोर्ट में, सीएसआईएस ने कहा कि गैंगलैंड-शैली की इस हत्या की जांच जारी है और उसने इस बात का उल्लेख किया कि "भारत सरकार और निज्जर हत्या के बीच के संबंध खालिस्तान आंदोलन के खिलाफ भारत के दमनकारी प्रयासों में एक महत्वपूर्ण वृद्धि और उत्तरी अमेरिका में व्यक्तियों को लक्षित करने के एक स्पष्ट इरादे का संकेत देते हैं".
सीएसआईएस ने कहा कि मोदी के हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे में कनाडा-स्थित प्रॉक्सी एजेंटों का उपयोग करना शामिल है जो दक्षिण एशियाई समुदाय और राजनेताओं को प्रभावित करना चाहते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की दबाव की रणनीति और लक्ष्यीकरण कनाडा में नई दिल्ली की गतिविधियों में एक केंद्रीय भूमिका निभाते हैं. सीएसआईएस ने कहा, "कनाडा को भारत सरकार द्वारा किए जा रहे निरंतर विदेशी हस्तक्षेप के बारे में सतर्क रहना चाहिए, न केवल जातीय, धार्मिक और सांस्कृतिक समुदायों के भीतर, बल्कि कनाडा की राजनीतिक व्यवस्था में भी".
रिपोर्ट में भारत के अलावा पाकिस्तान, रूस, चीन और ईरान का खास तौर पर विस्तार से जिक्र किया गया है.
राज्यपाल केंद्र की कठपुतली, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद नहीं बदले : स्टालिन
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन का आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले में राज्यपालों के लिए राज्य के विधेयकों पर निर्णय लेने की समयसीमा तय करने के बावजूद, राज्यपाल आर. एन. रवि में कोई बदलाव नहीं आया है. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के राज्यपाल ने कलाईनार विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए लाए गए विधेयक को 40 दिनों से ज्यादा समय से अपने पास लंबित रखा है.
एक सरकारी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जब राज्य सरकार दिन-रात जनता के लिए काम करती है, तो विपक्ष के नेता के लिए ईर्ष्या करना स्वाभाविक है. "अगर वह एक तरफ हैं, तो राज्यपाल, जो केंद्र सरकार की कठपुतली की तरह काम करते हैं, दूसरी तरफ हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा, “कलाईनार विश्वविद्यालय विधेयक 2 मई को राज्यपाल के पास भेजा गया था. 40 दिन से अधिक हो गए हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक अपनी स्वीकृति नहीं दी है. हमें लगा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वह बदल जाएंगे. लेकिन, वह नहीं बदले. हमने कलाईनार विश्वविद्यालय विधेयक को लेकर उन्हें कई बार याद दिलाया. अगर उन्होंने जैसे ही हमने भेजा था, वैसे ही अपनी मंजूरी दे दी होती, तो मैं इसी कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की आधारशिला रख देता.”
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने उच्च शिक्षा मंत्री गोवी चेझियन को इस संबंध में राज्यपाल से मिलने के लिए कहा था. हालांकि, राज्यपाल ने अभी तक मंत्री को मिलने का समय नहीं दिया है. स्टालिन ने आरोप लगाया कि रवि मंत्री से मिलने से इसलिए बच रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि अगर मिलने का समय दिया गया तो सवाल उठ सकते हैं.
उन्होंने कहा कि राज्यपाल के पास इससे अधिक महत्वपूर्ण काम और क्या हो सकता है? यही सवाल तमिलनाडु की जनता पूछ रही है. एक तरफ राज्यपाल हैं, दूसरी तरफ केंद्र सरकार है, जो फंड आवंटित न करके परेशान कर रही है. अपने 50 साल लंबे राजनीतिक करियर का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा कोई अवरोध नहीं है, जिसे उन्होंने न देखा हो और उन्होंने कुख्यात मीसा कानून का भी सामना किया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने ऐसी सभी परिस्थितियों, विरोधियों और उनकी साजिशों का सामना किया है और ऐसी तमाम बाधाओं को पार करने के बाद ही वे अपने वर्तमान पद तक पहुंचे हैं. “आइए, इंतजार करें. जब स्थिति "अब बहुत हो गया" तक पहुंच जाएगी, तब राज्य सरकार राज्यपाल को अंततः सहमत होने के लिए मजबूर कर देगी और रवि को बिल को मंजूरी देने के लिए विवश होना पड़ेगा,” उन्होंने कहा.
विमान हादसे के बाद
एयर इंडिया की 7 अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द
'द हिंदू' की रिपोर्ट है कि एयर इंडिया, जो टाटा समूह द्वारा तीन साल पहले खरीदी गई थी, इन दिनों अपने सबसे बड़े संकट का सामना कर रही है. एक बार फिर से 17 जून को एयरलाइन ने सात अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द कर दीं. इनमें से कई रद्दीकरण का कारण विमान बेड़े में तकनीकी जांच और विमान की अनुपलब्धता बताया गया, वहीं सैन फ्रांसिस्को से मुंबई जाने वाली एक उड़ान को तकनीकी खराबी के कारण कोलकाता में रोकना पड़ा.
रद्द की गई उड़ानों में दिल्ली-पेरिस, बेंगलुरु-लंदन, लंदन-अमृतसर, दिल्ली-वियना, दिल्ली-दुबई, मुंबई-सैन फ्रांसिस्को और अहमदाबाद-लंदन गैटविक (विमान अनुपलब्धता के कारण)शामिल हैं. दिल्ली से पेरिस जाने वाली फ्लाइट AI143 को पूर्व-उड़ान जांच में समस्या सामने आने पर रद्द कर दिया गया. अहमदाबाद से लंदन गैटविक जाने वाली फ्लाइट AI159, जो हाल ही में 12 जून को हुए विमान हादसे के बाद नए कोड के साथ शुरू हुई थी, आज विमान की अनुपलब्धता के कारण रद्द कर दी गई. एयर इंडिया ने तकनीकी खराबी से इनकार किया है. यह घटनाएं ऐसे समय में सामने आ रही हैं जब 12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की उड़ान AI171 दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिसमें 270 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. यह हादसा टाटा समूह और एयर इंडिया की साख पर एक बड़ा धक्का माना जा रहा है.
एयर इंडिया से यात्रियों को क्या मिला:
एयर इंडिया ने यात्रियों को होटल में ठहराने की व्यवस्था की है.
यात्रियों को पूरा रिफंड या बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के दुबारा बुकिंग का विकल्प दिया जा रहा है.
टाटा समूह ने अब तक इस घटनाक्रम पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं जारी किया है.
रखरखाव पर डीजीसीए को चिंता पर 787 बेड़े को लेकर कोई सुरक्षा चिंता नहीं
भारतीय नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने एयर इंडिया में हाल की रखरखाव संबंधी लापरवाहियों पर चिंता जताई है और एयरलाइन को अपने आंतरिक विभागों के बीच समन्वय मजबूत करने का निर्देश दिया है. मंगलवार को DGCA ने एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की. यह बैठक अहमदाबाद में हुए विमान दुर्घटना के बाद की गई जिसमें 241 लोगों की मौत हुई थी.
नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने एयरलाइन की रखरखाव संबंधी देरी पर जोर दिया और इसे इंजीनियरिंग, संचालन और ग्राउंड हैंडलिंग इकाइयों के बीच आंतरिक समन्वय मजबूत करने की सलाह दी. नियामक ने एक अधिक व्यवस्थित और रीयल-टाइम दोष रिपोर्टिंग तंत्र के कार्यान्वयन की सिफारिश की ताकि परिचालन और सुरक्षा-महत्वपूर्ण विभागों को समय पर अपडेट मिल सकें.
हालांकि, DGCA ने स्पष्ट किया कि एयर इंडिया के बोइंग 787 बेड़े पर हाल ही में की गई निगरानी में कोई बड़ी सुरक्षा चिंता सामने नहीं आई. नियामक ने कहा कि विमान और संबंधित रखरखाव प्रणालियां मौजूदा सुरक्षा मानकों के अनुपालन में पाई गईं. बेड़े की बढ़ी हुई सुरक्षा निरीक्षण की स्थिति के बारे में बताते हुए, इसने कहा कि 33 विमानों के बेड़े में से मंगलवार दोपहर 3 बजे तक 24 विमानों का निरीक्षण पूरा हो गया था.
DGCA के अनुसार, एयर इंडिया ने मंगलवार को 55 उड़ानें संचालित कीं, जिनमें से 30 बोइंग 787 विमान का उपयोग करके संचालित की गईं. हालांकि, एयरलाइन ने कुल 16 उड़ानों को रद्द किया जिसमें 13 B-787 शामिल थीं. एयरलाइन को यात्रियों और चालक दल के साथ समय पर संवाद सुनिश्चित करने और व्यवधानों को कम करने के लिए वैकल्पिक मार्ग रणनीतियों को अपनाने के लिए कहा गया.
बिहार
एक दलित को दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की रणनीति, पासवान-मांझी आमने-सामने
बिहार में भाजपा और उसकी सहयोगी जद (यू) द्वारा राजनीतिक लाभ के लिए एक दलित जाति को दूसरी के खिलाफ खड़ा करने की रणनीति अपनाई जा रही है, लेकिन इसका कई राज्यों, खासकर बिहार, में बेहद नकारात्मक और हिंसक असर दिखने लगा है. अजीब बात है कि चुनावी राज्य बिहार में दलित समाज से आने वाले दो केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और जीतन राम मांझी एक-दूसरे को राजनीतिक रूप से खत्म करने की जंग में आमने-सामने हैं.
पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश में भी भाजपा द्वारा गैर-जाटव वोटों को साधने की कोशिश ने अनुसूचित जाति समुदाय, जिसकी राज्य में 21.3% आबादी है, के भीतर गहरी दरार पैदा कर दी है. चूंकि जाटव, जो सबसे बड़ी अनुसूचित जाति है, अब भी मायावती की बहुजन समाज पार्टी की ओर झुके हुए हैं, इसलिए भाजपा ने अन्य छोटी दलित जातियों को आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
“द वायर” में सुरूर अहमद की रिपोर्ट है कि बिहार में दो दलित पार्टियों के बीच ताज़ा तीखी लड़ाई की शुरुआत 8 जून को हुई, जब पासवान ने आरा में एक रैली की. उनकी पार्टी ने उन्हें व्यावहारिक रूप से बिहार के भावी मुख्यमंत्री के रूप में पेश किया.
यह नीतीश कुमार की जद (यू) के लिए चिंता का कारण बनना तय था, क्योंकि 2020 विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी ने चिराग पासवान पर कई सीटों पर उसकी चुनावी संभावनाओं को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था. पासवान की लोजपा ने यह चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ा था और उसके कई उम्मीदवार भाजपा के बागी थे, जिन्हें पार्टी से टिकट नहीं मिला था. इनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी राजेंद्र सिंह और पूर्व विधायक रामेश्वर चौरसिया तथा उषा विद्यार्थी जैसे नाम शामिल थे. चूंकि खुद पासवान पश्चिमी बिहार के शाहाबाद क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ने में रुचि रखते हैं, जिसमें आरा भी स्थित है, इसलिए जद (यू) का असहज होना स्वाभाविक है. इसी क्षेत्र के बिक्रमगंज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 मई को एक सार्वजनिक सभा को संबोधित किया था.
असल में, जैसे-जैसे जद (यू) नीतीश कुमार की बीमारी के चलते नए नेता की तलाश में जूझ रही है, वैसे-वैसे पासवान खुद को बिहार में एनडीए के भीतर संभावित उत्तराधिकारी के रूप में धीरे-धीरे प्रोजेक्ट कर रहे हैं. और, भाजपा के पास अपना कोई जननेता नहीं है. यहीं इस मामले की असली जड़ छुपी है. पूर्व मुख्यमंत्री मांझी ने पासवान की ताकत दिखाने की कोशिश पर तुरंत प्रतिक्रिया दी. कहा कि उन्होंने भी राज्य में कई बड़े जनसभाएं की हैं और जिनका (मतलब पासवान) जनाधार सीमित है, वही लोग जोर-जोर से बोलने की जरूरत महसूस करते हैं. इतना ही नहीं, “हम” (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा) सुप्रीमो ने पासवान पर अपनी रैलियों की भीड़ को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने का आरोप भी लगाया. उन्होंने यह भी कहा कि यह लोजपा द्वारा एनडीए में सीट-बंटवारे की बातचीत से पहले दबाव बनाने की एक रणनीति है.
वैकल्पिक मीडिया
मिट्टी के लिए कब्र से कंकालों को निकाल फेंका! खनन माफिया की बर्बरता से दलित समुदाय आहत
गुजरात के सुरेन्द्रनगर जिले के लिंबडी तालुका के परनाला गांव में खनन माफिया ने मानवता को शर्मसार करने वाला कृत्य किया है. 'द मूकनायक' की रिपोर्ट है कि इस गांव में अनुसूचित जाति समुदाय के श्मशान घाट को निशाना बनाकर अवैध मिट्टी खनन किया गया और वहां दफनाए गए मानव कंकालों को बाहर निकालकर फेंक दिया गया. इस कार्य ने न केवल समुदाय की धार्मिक और भावनात्मक भावनाओं को ठेस पहुंचाई, बल्कि क्षेत्र में भय और सांप्रदायिक तनाव का माहौल भी पैदा कर दिया. ग्रामीणों ने इस मामले में स्थानीय प्रशासन और पुलिस की निष्क्रियता पर गहरा रोष जताया है और मुख्यमंत्री, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, सुरेन्द्रनगर कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत सौंपकर त्वरित कार्रवाई की मांग की है.
रिज़र्वेशन "रिप्रेजेंटेशन" खेल सहित सभी क्षेत्रों में क्यों ज़रूरी है?
'द मूकनायक' की संपादक मीना कोटवाल ने इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश की है. उन्होनें लिखा टेंबा बावुमा के नेतृत्व में दक्षिण अफ़्रीका ने बताया कि प्रतिनिधित्व ही असली मेरिट है और भारत को भी आरक्षण पर नकारात्मकता छोड़ समावेशी लोकतंत्र की ओर बढ़ना होगा. भारत में ‘रिज़र्वेशन’ नामक शब्द को दशकों से बदनाम करने की साज़िश चल रही है. भारत की मुख्यधारा मीडिया ने भी रिज़र्वेशन/आरक्षण/कोटा जैसे शब्दों को नकारात्मक रूप में पेश किया है. खैर अब वक़्त आ चला है कि सबसे पहले हर जगह रिज़र्वेशन को रिप्रेजेंटेशन से रिपप्लेस किया जाए. रिप्रेजेंटेशन लिखते-बोलते ही सारा मामला क्लियर हो जाता है.
अब आते हैं कि खेल सहित सभी क्षेत्रों में रिप्रेजेंटेशन क्यों ज़रूरी है. आज साउथ अफ्रीका ने टेंबा बावुमा की अगुआई में ऑस्ट्रेलिया को वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में हराकर इतिहास रच दिया है. ग़ौरतलब है कि टेंबा बावुमा दक्षिण अफ्रीकी टीम में रिज़र्वेशन (रिप्रेजेंटेशन) के तहत आए हैं और आरक्षण के ज़रिए ही राष्ट्र निर्माण का कार्य कर रहे हैं. साउथ अफ़्रीका में ब्लैक्स को हर क्षेत्र में रिज़र्वेशन प्राप्त है ताकि समावेशी लोकतंत्र बन सके और हाशिए पर खड़े समुदायों को भी महसूस हो कि देश/समाज हमारा है.
भारत में प्राइवेट सेक्टर देख लीजिए, खेल या बॉलीवुड को ही ले लीजिए, सभी जगह दलित-आदिवासियों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर है. टॉप पॉज़िशन पर अमूमन सवर्णों का ही क़ब्ज़ा है. भारत के कुल संसाधन में वंचित जातियों का प्रतिनिधित्व दो अंकों में भी नहीं है. दलित-आदिवासी समुदाय जिनकी आबादी तक़रीबन 25 फ़ीसदी है, वे सिस्टमेटिकली हर जगह से ग़ायब कर दिए गए हैं. यहां पढ़िए पूरा लेख.
पेरिस एयर शो: विदेशी बिक्री के प्रयास में पांचवीं पीढ़ी के चीनी J-35A फाइटर की झलक
'साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट' की रिपोर्ट है कि चीन ने पहली बार अपनी नवीनतम पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट का स्केल मॉडल विदेशी धरती पर प्रदर्शित किया है. यह प्रदर्शन यूरोप में इस सप्ताह आयोजित एक प्रमुख एयर शो के दौरान किया गया, जहां चीन ने अपने उन्नत सैन्य विमानों की शृंखला पेश की. चाइना नेशनल एयरो-टेक्नोलॉजी इम्पोर्ट एंड एक्सपोर्ट कॉर्पोरेशन (CATIC) ने पेरिस एयर शो के 55वें संस्करण में J-35A का लघु मॉडल प्रदर्शित किया. यह J-35 का भूमि आधारित संस्करण है, जो चीन का नवीनतम पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट है. यह शो विश्व का सबसे बड़ा और सबसे पुराना एयरोस्पेस इवेंट माना जाता है. शेनीयांग एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (SAC) द्वारा एक दशक से अधिक समय तक चले विकास कार्य के बाद, चीन ने नवंबर में झुहाई एयर शो में पहली बार J-35A को प्रदर्शित किया था. यह J-20 के बाद चीन का दूसरा पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है. J-35A का यह अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन चीन की सैन्य और एयरोस्पेस क्षमताओं को वैश्विक मंच पर दिखाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
36 लड़ाकू विमान वाला युद्धक पोत चीन लाएगा साल के आखिर तक : चीन अपनी नौसैनिक शक्ति को बढ़ाने की दिशा में तेजी से कदम उठा रहा है. इसका सबसे उन्नत विमान वाहक, फुजियान, जल्द ही चीनी नौसेना में शामिल होने के लिए तैयार है. साऊथ चाइना मॉरनिंग पोस्ट के मुताबिक राज्य प्रसारक सीसीटीवी के अनुसार, फुजियान को इस साल के अंत तक कमीशन किए जाने की उम्मीद है. मंगलवार को, जहाज के प्रक्षेपण की तीसरी वर्षगांठ पर एक विशेष प्रसारण में, सीसीटीवी के सैन्य विश्लेषक वेई डोंग्शू ने कहा, "फुजियान के समुद्री परीक्षणों में बहुत अच्छी प्रगति हुई है और इसे इस वर्ष सेवा में शामिल किए जाने की उम्मीद है." यह बयान इस बात का संकेत देता है कि फुजियान अपने अंतिम चरण में है और जल्द ही चीनी नौसेना का हिस्सा बन सकता है. सोशल मीडिया पर हाल ही में प्रसारित उपग्रह चित्रों से पता चला है कि फुजियान के फ्लाइट डेक पर युद्धक विमानों के लिए 36 नए चित्रित स्थान हैं. यह क्षमता चीन के मौजूदा दो विमान वाहकों, लियाओनिंग और शेडोंग, से अधिक है.
यह बढ़ी हुई क्षमता फुजियान को चीनी नौसेना का सबसे शक्तिशाली विमान वाहक बनाती है. इसके अलावा, फुजियान में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट सिस्टम (EMALS) जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग किया गया है, जो इसे अमेरिकी नौसेना के नवीनतम विमान वाहकों के समकक्ष बनाता है.
कीव पर रूसी मिसाइल और ड्रोन हमला: अब तक 15 की मौत, 156 घायल
(कीव, यूक्रेन में रूसी मिसाइल हमले के बाद एक आवासीय इमारत का दृश्य. फोटो साभार: एफ़्रेम लुकात्स्की / एपी)
'द गार्डियन' की रिपोर्ट है कि रूस ने मंगलवार तड़के यूक्रेन की राजधानी कीव पर एक बड़ा मिसाइल और ड्रोन हमला किया, जिसमें कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई और 156 घायल हो गए. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने इसे "कीव पर युद्ध शुरू होने के बाद से सबसे भयावह हमलों में से एक" बताया है. यह हमला 2025 में अब तक कीव पर हुआ सबसे घातक हमला है और अधिकारियों को आशंका है कि मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है. पश्चिमी कीव में स्थित एक सोवियत-कालीन नौ मंज़िला अपार्टमेंट इमारत पर मिसाइल के सीधे प्रहार से इमारत का एक हिस्सा पूरी तरह ढह गया. कीव के मेयर विटाली क्लिच्को ने कहा कि “कम से कम 30 फ्लैट नष्ट हो गए हैं और मलबे के नीचे और लोग फंसे हो सकते हैं.” 'कीव पोस्ट' ने इस हमले पर रिपोर्ट करते हुए लिखा- "यह बिल्कुल नर्क जैसा था" — कीव पर रूसी हमलों में कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई और यूक्रेन के कई शहरों को निशाना बनाया गया. रातभर चले इस भीषण हमले में मिसाइलों और ड्रोन का इस्तेमाल किया गया.'
सैकड़ों दमकलकर्मी और बचाव दल घटनास्थल पर मलबा हटाकर फंसे लोगों को बाहर निकालने में जुटे रहे. दो ब्लॉक तक के क्षेत्र में इमारतों और दुकानों की खिड़कियां चकनाचूर हो गईं. यूक्रेनी गृह मंत्री इहोर क्लीमेंको ने कहा, “एक बैलिस्टिक मिसाइल ने सीधे नौ मंज़िला इमारत को निशाना बनाया, जिससे वह तहखाने तक पूरी तरह ढह गई.”
रातभर शहर में कई ड्रोन हमले हुए, एयर राइड सायरन घंटों तक बजता रहा और हजारों नागरिक भूमिगत मेट्रो स्टेशनों में शरण लिए रहे. सुबह होते ही कीव के आसमान में धुएं का गुबार और जलने की तीव्र गंध फैली हुई थी. वहीं, मास्को में भी दो यूक्रेनी ड्रोन के आने की खबरों के बाद कुछ समय के लिए सभी हवाई अड्डे बंद कर दिए गए.
'प्रिंस' से कप्तान बने शुभमन गिल: क्या वह सचिन और कोहली की परंपरा के योग्य उत्तराधिकारी हैं?
भारतीय क्रिकेट के 'प्रिंस' शुभमन गिल अब टीम इंडिया के टेस्ट कप्तान बन चुके हैं. इस गर्मी इंग्लैंड के दौरे के लिए उन्होंने रोहित शर्मा से कप्तानी की कमान संभाल ली है. आत्मविश्वास से भरे गिल ने अपने टेस्ट बैट पर 'Prince' खुदवाया है – एक ऐसा कदम जिसने कुछ प्रशंसकों को नाराज़ भी किया, लेकिन उनके आत्मविश्वास को उजागर किया. क्या गिल सचिन और कोहली जैसे दिग्गजों की कतार में खड़े हो सकते हैं? इसी सवाल का जवाब ‘बीबीसी ‘ने अपनी रिपोर्ट में तलाशने की कोशिश की है.
गिल के वनडे आँकड़े बेहद प्रभावशाली हैं – 59 की औसत के साथ वह वनडे क्रिकेट के इतिहास में दूसरे नंबर पर हैं, जहां पहले हैं नीदरलैंड्स के रयान टेन डोएशेट (67), और तीसरे नंबर पर विराट कोहली (58). लेकिन टेस्ट क्रिकेट में गिल अभी पीछे हैं. उनकी मौजूदा टेस्ट औसत 35 है, जो सचिन, द्रविड़, गांगुली, कोहली और रोहित जैसे खिलाड़ियों के 32वें टेस्ट तक के आँकड़ों से काफी नीचे है. द्रविड़ और तेंदुलकर इस मुकाम पर 50+ औसत तक पहुँच चुके थे.
हालांकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि गिल ने 2020 में मेलबर्न में 21 साल की उम्र में डेब्यू किया था, जो कोहली और द्रविड़ से भी कम उम्र थी. शुरुआती ऑस्ट्रेलियाई दौरे में उन्होंने 52 की औसत से रन बनाए और भारत को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जिताने में अहम भूमिका निभाई.
हालिया सुधार और बैटिंग अप्रोच : गिल ने 2022 में बांग्लादेश में अपना पहला टेस्ट शतक जमाया, फिर 2023 में अहमदाबाद में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 128 रन बनाए. 2024 में इंग्लैंड के खिलाफ दो शतक भी लगाए.
गिल का कहना है- "मैं 40-50 रन बनाकर रुक रहा था, क्योंकि मैं ज़्यादा डिफेंसिव हो गया था. लेकिन वो मेरा खेल नहीं है. जब मैं सेट होता हूँ, तो मैं लय में आ जाता हूँ. अगर आउट होना है, तो अपने शॉट्स खेलते हुए आउट हो जाऊं – न कि अपने स्वाभाविक खेल को छोड़ कर."
क्या गिल इंग्लैंड में चमक सकते हैं? अभी तक गिल ने इंग्लैंड में तीन टेस्ट मैच खेले हैं – तीन अलग-अलग विरोधियों के खिलाफ. छह पारियों में उनका टॉप स्कोर सिर्फ 28 है.
उनकी चार बार विकेटकीपर या स्लिप में कैच होकर आउट होना इंग्लैंड को संकेत देता है कि वह नई गेंद के खिलाफ संघर्ष करते हैं. स्पिन के खिलाफ उनका औसत 42 है, जबकि तेज़ गेंदबाज़ों के खिलाफ केवल 31. 87 मील प्रति घंटे से तेज़ गेंदबाज़ों के खिलाफ वह औसत 40 रखते हैं, जबकि धीमे सीमरों के खिलाफ यह गिरकर 22 रह जाती है.
उनकी पसंदीदा शॉट्स में पुल और ड्राइव प्रमुख हैं. पुल शॉट पर उन्होंने 190 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं, सिर्फ एक बार आउट हुए. लेकिन ड्राइव ने उन्हें पांच बार आउट भी किया है.
जेम्स एंडरसन ने उन्हें टेस्ट में सबसे ज़्यादा बार आउट किया है, और ऑस्ट्रेलिया के स्कॉट बोलैंड भी उनके लिए मुश्किल साबित हुए हैं. ऐसे में इंग्लैंड के लिए क्रिस वोक्स एक कारगर विकल्प हो सकते हैं.
कप्तानी का अंदाज़: कोहली की राह पर? गिल ने भारत के लिए पाँच T20 मैचों में कप्तानी की है और IPL में गुजरात टाइटंस के कप्तान रहे हैं. 2024 में आठवें स्थान पर रही टीम को 2025 में तीसरे स्थान तक पहुँचाना उनकी नेतृत्व क्षमता का संकेत है.
गिल का कहना है- "मैं खिलाड़ियों के साथ संवाद में विश्वास करता हूँ. जब खिलाड़ी सुरक्षित महसूस करते हैं, तब ही वे अपना 100% दे पाते हैं." उन्होंने कहा कि वह कप्तानी में सकारात्मकता और आत्मविश्वास को महत्व देते हैं – बिल्कुल ब्रेंडन मैकुलम की ‘बाज़बॉल’ शैली की तरह, जिनके साथ गिल ने IPL में काम किया है. गिल मैदान पर आक्रामक अंदाज़ में दिखते हैं – उन्होंने एक टेस्ट में जेम्स एंडरसन और जॉनी बेयरस्टो से स्लेजिंग भी की थी.
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