19/02/2025 : महाकुंभ के पानी में मल रोगाणु, रुस अमेरिका बातचीत से यूक्रेन नाखुश, यूरोप सांसत में, मणिपुर में मंत्रीपद के लिए जय शाह के नाम से फोन, नेपाली छात्रा की उड़ीसा में मौत के बाद कूटनीतिक संकट
हरकारा यानी हिंदी भाषियों के लिए क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज़्यादा !
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
तकनीकी समस्या के चलते ‘हरकारा’ को आप 13 फरवरी से अपने मूल स्त्रोत, यानी कि मेल बॉक्स में नहीं ढूंढ़ पा रहे थे. इस रुकावट के लिए खेद है. हम आपको अलग से इस बारे में एक ख़त लिख रहे हैं.
आज की सुर्खियां | 19 फरवरी 2025
महाकुंभ का प्रदूषित पानी नहाने लायक नहीं : केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को 3 फरवरी को एक रिपोर्ट सौंपी. इसके अनुसार, उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान जिस नदी में श्रद्धालु करोड़ों की संख्या में पवित्र स्नान कर रहे हैं, उसमें फेकल कोलीफॉर्म (मानव और पशु मल से निकलने वाले रोगाणुओं) की मात्रा उच्च स्तर पर है. 17 फरवरी को एनजीटी ने सीपीसीबी की रिपोर्ट के हवाले से अपने आदेश में कहा, “सभी स्थानों पर विभिन्न अवसरों पर की गई निगरानी में नदी के पानी की गुणवत्ता स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता के अनुरूप नहीं थी. एनजीटी ने यह भी कहा, “प्रयागराज में महाकुंभ मेले के दौरान नदी में बड़ी संख्या में लोगों के स्नान करने से (जिसमें स्नान के शुभ दिन भी शामिल हैं) ‘मल सांद्रता’ में वृद्धि हुई.” ट्रिब्यूनल के आदेश में कहा गया है, “केंद्रीय प्रयोगशाला, यूपीपीसीबी (उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) प्रभारी के 28 जनवरी, 2025 को भेजे दस्तावेजों से पता चलता है कि विभिन्न स्थानों पर मल और कुल कोलीफॉर्म का उच्च स्तर पाया गया है.” एनजीटी की मुख्य पीठ ने प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों की गुणवत्ता के बारे में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान उक्त आदेश दिया. ट्रिब्यूनल ने अदालत के निर्देशानुसार यूपीपीसीबी को व्यापक रिपोर्ट दाखिल नहीं करने पर फटकार भी लगाई. और 19 फरवरी को सुनवाई की अगली तारीख पर वर्चुअल रूप से पेश होने का निर्देश दिया.
सूचना प्रसारण मंत्रालय ने ब्लॉक कारवाई थी “विकटन” की वेबसाइट : “द हिंदू” में अरुण दीप की खबर है कि “विकटन” पत्रिका की वेबसाइट केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के निर्देश पर ब्लॉक की गई थी. दूरसंचार विभाग के जरिए इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया था. गौरतलब है कि विकटन की वेबसाइट ने अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीयों के संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी को जंजीरों में बंधा दर्शाते हुए एक व्यंग्यात्मक कार्टून प्रकाशित किया था. जबकि विकटन को मंत्रालय ने अपने कार्टून को हटाने के लिए विचार-विमर्श की जानकारी दी थी, लेकिन वेबसाइट को ब्लॉक करने के इरादे के बारे में नहीं बताया था.
मणिपुर के विधायकों को 4 करोड़ में मंत्री बनाने के फोन : मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद कई विधायकों को एक व्यक्ति ने फोन किया, जिसने कथित तौर पर खुद को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बेटा जय शाह बताया और उन्हें 4 करोड़ रुपये में मंत्री पद की पेशकश की. कॉल रिसीव करने वालों में मणिपुर विधानसभा के अध्यक्ष थोकचोम सत्यब्रत सिंह भी शामिल हैं. सिंह ने “द हिंदू” को बताया कि उन्हें व्हाट्सएप पर एक अज्ञात नंबर से कॉल आया था. "पिछले 3-4 दिनों से (15 फरवरी से पहले), मुझे व्हाट्सएप पर एक अज्ञात नंबर से बार-बार कॉल आ रहे थे. कोई डिस्प्ले पिक्चर नहीं थी. जब मैंने वापस उस नंबर पर कॉल किया, तो उस व्यक्ति ने कहा कि वह जय शाह है और मंत्री बनाने के लिए 4 करोड़ रुपये की मांग की. मैंने मामले की सूचना पुलिस को दे दी है,” उन्होंने कहा. इस बीच धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है.
ओडिशा विश्वविद्यालय में नेपाली छात्रा की मौत के बाद तनाव : 'द हिंदू' की खबर है कि भुवनेश्वर के एक निजी विश्वविद्यालय के कैंपस से 500 से ज्यादा नेपाली छात्रों को 17 फरवरी को ओडिशा में नेपाल की एक छात्रा की कथित आत्महत्या के बाद बढ़े तनाव के कारण कैंपस से बाहर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. इस घटना ने कूटनीतिक संकट भी उत्पन्न कर दिया है. कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT), जो एक 'डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी' है, ने तुरंत सभी नेपाली छात्रों के लिए विश्वविद्यालय को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया. इसके परिणामस्वरूप कई बसों में नेपाली छात्र-छात्राएं कटक रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिए गए, जो संस्थान से 30 किमी दूर स्थित है. कई छात्र, जिनमें छात्राएं भी शामिल हैं, स्टेशन पर अजनबी हालत में फंसे हुए थे, और कई के पास घर लौटने के लिए ट्रेन की टिकट भी नहीं थी. पुलिस के अनुसार तीसरे वर्ष की बी.टेक छात्रा ने अपने हॉस्टल कमरे में आत्महत्या की, जो एक पुरुष छात्र के साथ संदिग्ध संबंधों में तनाव के कारण हो सकती है. इस घटना के बाद नेपाली प्रधानमंत्री ओली ने कहा- "नई दिल्ली में हमारे दूतावास ने ओडिशा में प्रभावित नेपाली छात्रों की काउंसलिंग के लिए दो अधिकारियों को भेजा है." देर शाम कॉलेज के छात्रों ने दिवंगत छात्रा की याद में भुवनेश्वर में कैंडल मार्च भी निकाला. इस मामले में बवाल मचने के बाद ओडिशा सरकार ने मंगलवार देर शाम को भुवनेश्वर स्थित कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी को निर्देश दिया कि वे अधिकारियों को तैनात करें, ताकि उन छात्रों का पता लगाया जा सके, जो मानसिक आघात से पीड़ित हैं. उन्हें काउंसलिंग प्रदान की जा सके और उनकी वापसी की सुविधा दी जा सके.
‘आप’ नेता ने प्रेमिका संग मिलकर करवाई पत्नी की हत्या : 'द हिंदू' की खबर है कि पंजाब पुलिस ने आम आदमी पार्टी के नेता और उसकी महिला मित्र को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया है. आप नेता अनोक मित्तल पर अपनी पत्नी की हत्या भाड़े के लोगों से करवाई. साजिश में अनोक की 24 साल की महिला मित्र भी शामिल थी. इस मित्र के अलावा चार कथित भाड़े के हत्यारे भी गिरफ्तार किये गये हैं. शुरु में अनोक ने पुलिस से कहा था कि लुटेरों ने शनिवार को उनका पीछा किया, दंपत्ति पर धारदार हथियारों से हमला किया और उनकी कार लूट कर फरार हो गए. हालांकि, तफ्तीश के बाद पुलिस को पता चला कि पति ने ही अपनी पत्नी की हत्या करवाई है. पुलिस ने मामले में अनोक मित्तल और उनकी 24 साल की प्रेमिका को गिरफ्तार किया है. पुलिस के मुताबिक अनोक की पत्नी को अपने पति के विवाहेतर संबंधों की भनक लग गई थी और इसके बाद उसने अपनी पत्नी को मारने की योजना बनाई, जिसमें उसकी प्रेमिका ने भी मदद की. अनोक ने इस हत्या के लिए 2.5 लाख रुपये देने का वादा किया था और 50,000 रुपये इसके लिए अग्रिम भुगतान किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट की रणवीर अल्लाहबादिया को फटकार, लेकिन गिरफ़्तारी पर रोक : यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं. हाल ही में 'इंडियाज़ गॉट लेटेंट' शो में अपने भद्दे और अश्लील बयानों को लेकर सुर्खियों में आए रणवीर को कोर्ट ने सुरक्षा दी है और उन्हें अलग-अलग जगहों पर दर्ज हुई एफआईआर की जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने फिलहाल उनकी गिरफ्तारी पर स्थगन आदेश दिया है, हालांकि उन्हें फिलहाल कोई नया शो होस्ट करने की अनुमति नहीं दी गई है. रणवीर को एक प्रतियोगी से 'माता-पिता के साथ सेक्स' पर की गई टिप्पणी के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है. इसके बाद रणवीर, अपूर्वा मखीजा और समय रैना के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गईं. हालांकि, रणवीर ने माफी मांगी, लेकिन उन्हें मौत की धमकियां मिल रही थीं. अब ताजा अपडेट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने रणवीर को अंतरिम राहत देते हुए गिरफ़्तारी पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने रणवीर की भाषा पर भी टिप्पणी की और फटकार लगाते हुए कहा कि इस क्लिप में इतनी विकृत भाषा का उपयोग किया गया कि रणवीर की बहनें इसे देखकर शर्मिंदा होंगी और उन्होंने अपने माता-पिता को भी लज्जित किया है. कोर्ट ने रणवीर को पासपोर्ट सरेंडर करने को भी कहा है.
बीसीसीआई ने चैंपियंस ट्रॉफी से पहले बदली नीति, परिवार ले जा सकेंगे साथ : चैंपियंस ट्रॉफी 2025 से पहले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने मैचों में भारतीय क्रिकेटरों की पत्नियों या परिवारों की मौजूदगी की नीति में एक बार फिर बदलाव किया है. अब खिलाड़ी चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान एक मैच में अपने परिवार को ला सकते हैं. बीसीसीआई ने पहले कहा था कि खिलाड़ी इस टूर्नामेंट में अपने परिवार के किसी व्यक्ति को साथ नहीं रख सकते. बीसीसीआई ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया से भारत की 1-3 से हार के बाद 10-सूत्रीय निर्देश जारी किए थे. इसके अनुसार, 45 दिन से अधिक के विदेशी दौरे में खिलाड़ी अधिकतम 14 दिनों तक अपने परिवार को साथ रख सकते हैं. छोटे दौरे में यह सीमा सात दिन की है.
केंद्र ने अमित शाह की जीवनी पढ़ाने का अनुरोध पत्र एनसीईआरटी को भेजा : केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने पिछले सप्ताह गोरखपुर स्थित ‘अमित शाह यूथ ब्रिगेड’ के अध्यक्ष एसके शुक्ला की ओर से प्राप्त एक याचिका को एनसीईआरटी को ‘विचार’ के लिए भेजा है. इस अल्पज्ञात फैन क्लब ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के जीवन और राजनीतिक सफर पर किताबें प्रकाशित करने और उन्हें शैक्षणिक संस्थानों के साथ साझा करने पर विचार करने का अनुरोध किया गया है. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद स्कूली पाठ्यपुस्तकों की तैयारी के लिए देश की सर्वोच्च संस्था है.
अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाला : ट्रॉयल में देरी के कारण जमानत : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई द्वारा दर्ज अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाले के आरोपी क्रिश्चियन मिशेल जेम्स को जांच एजेंसियों की ओर से ट्रायल में हो रही देर के कारण जमानत दे दी. जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने जमानत देते हुए जांच एजेंसियों पर टिप्पणी की, “आपका आचरण जैसा रहा है, उसे देखते हुए अगले 25 साल में भी ट्रॉयल पूरा नहीं हो पाएगा. बेंच ने सीबीआई की सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाने का अनुरोध यह कहते हुए ठुकरा दिया कि आपने तो अब तक (छह साल) मुकदमा ही नहीं शुरू किया. पीठ ने आदेश दिया कि सीबीआई उसे जमानत पर रिहा करने से पहले शर्तें लगाने के लिए ट्रायल कोर्ट से उचित अनुरोध कर सकती है.
गुजरात में ने 27 रेस्तरां के लाइसेंस निरस्त, कारण नहीं बताया: गुजरात राज्य परिवहन निगम (जीएसआरटीसी) ने 27 रेस्तरां के लाइसेंस रद्द करने की घोषणा की है, लेकिन इसका कारण स्पष्ट नहीं है. राज्य के परिवहन मंत्री ने कहा कि यह कदम स्वच्छता उल्लंघनों के कारण उठाया गया था, लेकिन जीएसआरटीसी के नोटिस में 'नागरिकों' की शिकायतों का हवाला दिया गया, जिसमें यह भी कहा गया कि कुछ रेस्तरां "हिंदू नामों का उपयोग कर रहे थे, जबकि उनके मालिक मुस्लिम थे". इन रेस्तराओं के मालिकों में से कम से कम तीन ने कहा कि उनके जीएसआरटीसी लाइसेंस पहले ही रद्द किए जा चुके थे; एक मालिक ने साबाह गुरमत से कहा: "अगर इन होटलों की सूची प्रकाशित करनी थी, तो यह क्यों नहीं जीएसआरटीसीद्वारा की गई, जो पहले ही एक साल से अधिक समय पहले लाइसेंस रद्द कर चुका था, बजाय इसके कि यह सूची सोशल मीडिया पर दक्षिणपंथियों द्वारा प्रकाशित की गई?"
दिल्ली रेलवे स्टेशन पर तैनात की गई पैरामिलिट्री फोर्स: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महा कुम्भ के लिए जाते समय दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए भगदड़ में 18 लोगों की जान जाने के दो दिन बाद, भीड़ को नियंत्रित करने के लिए दर्जनों अर्धसैन्य कर्मियों को तैनात किया गया है. कई पुलिस अधिकारियों को भी रेलवे स्टेशन पर सभी प्लेटफार्मों को जोड़ने वाले फुट ओवरब्रिज की सुरक्षा करने के लिए तैनात किया गया है. रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 'द हिंदू' को बताया कि अब यात्रियों को ओवरब्रिज पर रुकने और इंतजार करने की सख्त मनाही है.
राजनीति
क्या कांग्रेस और उसके सहयोगियों के बीच साझा नजरिया मुमकिन है?
'इंडियन एक्सप्रेस' के लिए अपने एक लेख में नीरजा चौधरी ने कांग्रेस और उसके क्षेत्रीय सहयोगियों के बीच संभावित मतभेदों और उनके भविष्य पर चर्चा की है. नीरजा लिखती कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हाल ही में मुझसे हुई बातचीत में कहा कि इंडिया गठबंधन को मजबूत करना चाहिए, कमजोर नहीं और इसे बिल्कुल भी खत्म नहीं होना चाहिए. उन्होंने यह बताया कि कांग्रेस और उसके क्षेत्रीय सहयोगी केवल एक-दूसरे की कीमत पर ही लाभ या हानि नहीं उठा सकते; यह केवल आधा सच है और यह इस बात को दर्शाता है कि वे भाजपा के आधार को पूरी तरह से नहीं समझ पाए हैं. अखिलेश ने हाल के दिनों में सुनी गई उन आवाजों से बिल्कुल अलग रुख अपनाया, जो यह कह रही थीं कि इस गठबंधन का व्यावहारिक रूप से अंत हो चुका है. दिल्ली चुनावों के बाद, आम आदमी पार्टी के भविष्य से ज्यादा विपक्षी दलों के इस गठबंधन के जारी रहने पर अधिक चर्चा हो रही है. पहली गोली जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दागी, जिन्होंने दिल्ली चुनाव के परिणामों के बाद कांग्रेस और आप पर निशाना साधते हुए कहा, "और लड़ो आपस में.”
डीएमके को छोड़कर, इंडिया गठबंधन के सभी प्रमुख क्षेत्रीय दलों ने दिल्ली में आप का समर्थन किया, जहां एकजुट गठबंधन शायद जीत सकता था. अब ऐसा प्रतीत होता है कि अखिलेश इस गठबंधन को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "उत्तर प्रदेश में करेंगे… हम कांग्रेस के साथ 2027 में यूपी में गठबंधन करेंगे." यूपी में 403 विधानसभा सीटें हैं और "हम कांग्रेस के साथ सीटों का बंटवारा कर सकते हैं और दूसरों के लिए भी कुछ सीटें छोड़ सकते हैं," सपा अध्यक्ष ने कहा. साथ ही यह भी जोड़ा कि "एकमात्र मानदंड जीतने की क्षमता होना चाहिए और यह तय करना चाहिए कि भाजपा को हराने के लिए कौन सबसे सक्षम है."
कांग्रेस के साथ क्षेत्रीय दलों के बढ़ते असंतोष के बीच, कांग्रेस में कईयों का मानना है कि पार्टी ने काफी बलिदान किया है या उसे लंबे समय से अपने क्षेत्रीय सहयोगियों द्वारा हल्के में लिया गया है- यह विचारधारा इस बात का समर्थन करती है कि कांग्रेस को पहले खुद को पुनर्जीवित करना चाहिए, फिर ऐसे गठबंधनों में शामिल होना चाहिए जो उसके अनुसार लंबे समय में पार्टी को कमजोर कर चुके हैं. कांग्रेस के "पहले पुनर्जीवित होने" की इच्छा को लेकर अखिलेश यादव ने कहा, “पहले जीतें तो सही, जीतेंगे तो पार्टी भी बन ही जाएगी (अगर वे जीतते हैं, तो समय के साथ पार्टी फिर से बन जाएगी).”
नीरजा लिखती हैं कि सिद्धांत रूप में कहा जाए तो कांग्रेस को ऐसे प्लेटफॉर्म की आवश्यकता नहीं है जैसे इंडिया गठबंधन, और वह राज्यों में द्विपक्षीय गठबंधन बना सकती है. मसलन बिहार में आरजेडी के साथ, झारखंड में जेएमएम के साथ, तमिलनाडु में डीएमके के साथ (जहां चुनाव 2026 में होंगे), और यूपी में सपा के साथ. कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के साथ वास्तविक समस्या है, जहां चुनाव अगले साल होंगे. तृणमूल कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों में कांग्रेस से गठबंधन नहीं किया और अब ममता बनर्जी ने अपनी एंटी-कांग्रेस रणनीति जारी रखते हुए पिछले सप्ताह अपने विधायकों से कहा कि पार्टी 2026 में अपने खर्च पर गठबंधन बनाने के बजाय अकेले चुनाव लड़ेगी. इससे पहले ममता ने गठबंधन के नेतृत्व की बात की थी, जबकि अधिकांश क्षेत्रीय नेताओं ने इस विचार का समर्थन किया, कांग्रेस ने इसका जवाब नहीं दिया. कांग्रेस, किसी भी तरह से, टीएमसी को कोई भी जमीन देने के लिए तैयार नहीं है. कांग्रेस का लेफ्ट के साथ भी जटिल संबंध है, जिनका वह केरल में विरोध करती है, लेकिन पश्चिम बंगाल में गठबंधन करती है. केरल में भी अगले साल चुनाव होंगे, जो पश्चिम बंगाल के साथ एक ही समय में होने से इंडिया गठबंधन के समीकरणों को जटिल बनाता है.
कांग्रेस का आप के साथ संबंध और भी पेचीदा है. पार्टी के भीतर की टिप्पणियों के अनुसार, कांग्रेस की अरविंद केजरीवाल को हराने में अधिक दिलचस्पी थी, बजाय बीजेपी को हराने के. जब आप दिल्ली में हार गई, कांग्रेस ने पंजाब पर नजरें गड़ा लीं और उसके राज्य नेताओं का कहना है कि केजरीवाल की पार्टी के 32 विधायक उसके संपर्क में हैं. आम आदमी पार्टी से कांग्रेस की समस्याएं उस समय से शुरू होती हैं जब अन्ना हज़ारे के नेतृत्व में "इंडिया अगेंस्ट करप्शन" आंदोलन यूपीए की हार और नरेंद्र मोदी के उभार का कारण बना. दिल्ली कांग्रेस के नेता हमेशा आप के कारण राष्ट्रीय राजधानी में अपना आधार खोने से नाराज रहे हैं. हालांकि, दिल्ली में जो हुआ, उसमें दोनों को नुकसान हुआ.
एक क्लासिक दुविधा जिसका सामना अब अधिकांश क्षेत्रीय दल कर रहे हैं, यह है कि वे मजबूत कांग्रेस से ज्यादा कमजोर कांग्रेस के साथ काम करना ज्यादा सुविधाजनक समझते हैं. यह धारणा केवल आधा सच है कि कांग्रेस और क्षेत्रीय दल केवल एक-दूसरे की कीमत पर ही लाभ या हानि उठा सकते हैं, और यह इस बात को दर्शाता है कि वे बीजेपी के आधार को पूरी तरह से नहीं समझ पाए हैं.
नीरजा के मुताबिक कांग्रेस की यह कुल असमर्थता कि वह हिंदी पट्टी में बीजेपी को हराए, जहां वह सीधे बीजेपी से मुकाबला कर रही है, यह भी इस बात को रेखांकित करता है कि उसे अपना संगठनात्मक आधार फिर से बनाना होगा, चाहे गठबंधन हो या न हो. विपक्ष को एक ऐसा दृष्टिकोण तैयार करने की जरूरत है जो भारत के लिए एक विजन प्रस्तुत करे, जिसमें सभी को आकर्षित करने की अपील हो, जिसमें हिंदू समुदाय का बड़ा हिस्सा भी शामिल हो. अखिलेश यादव शायद सही हैं जब वे कहते हैं कि विपक्ष तब अधिक सफल हो सकता है जब वह आने वाली चुनौतियों का सामना एकजुट होकर करेगा, न कि व्यक्तिगत रूप से. यदि कांग्रेस का मुख्य लक्ष्य, और वास्तव में क्षेत्रीय दलों का भी लक्ष्य, बीजेपी को हराना है, तो इसके लिए दोनों पक्षों को कम से कम देने और लेने की इच्छा दिखानी होगी.
दुनिया
अमेरिका - रूस वार्ता से यूक्रेन नाखुश, यूरोप सांसत में
ज़ेलेंस्की का आरोप - 'अमेरिका रूस को खुश करने की कोशिश कर रहा है'
यूक्रेन के भविष्य को लेकर रूस और अमरीका ने तो बात कर ली और दुनियाभर के अखबारों ने इसे शांति की ओर बढ़ा कदम भी बता दिया, लेकिन खुदयूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को समाप्त करने के लिए "न्यायपूर्ण" शांति वार्ता की मांग की है. उन्होंने कहा कि इसमें यूरोपीय संघ, तुर्की और ब्रिटेन को शामिल किया जाना चाहिए. उन्होंने 18 फरवरी को हुई यूएस-रूस वार्ता की आलोचना करते हुए कहा कि इसमें यूक्रेनी प्रतिनिधि शामिल नहीं थे. "वार्ता रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिनिधियों के बीच हो रही हैं. यूक्रेन के बारे में, फिर से यूक्रेन के बारे में और बिना यूक्रेन के," उन्होंने कहा.
'द गार्डियन' की खबर है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलेंस्की ने एक इंटरव्यू में कहा है कि अमेरिका रूस-यूक्रेन युद्ध में जल्दी से एक "सीज़फायर" प्राप्त करने के लिए "व्लादिमीर पुतिन को खुश करने" की कोशिश कर रहा है. ज़ेलेंस्की ने कहा, "अमेरिका अब पुतिन के लिए बहुत सकारात्मक बातें कह रहा है... क्योंकि वे उन्हें खुश करना चाहते हैं. वे जल्दी से मिलना चाहते हैं और जल्दी जीत हासिल करना चाहते हैं. लेकिन वे जो चाहते हैं - सिर्फ एक सीज़फायर - यह कोई जीत नहीं है."
यूक्रेन के राष्ट्रपति ने चेतावनी दी कि यूरोप कमजोर स्थिति में है, यदि उन्हें अमेरिकी सुरक्षा नहीं मिलती है तब. ज़ेलेंस्की ने कहा, "हमने पिछले तीन सालों में बहुत अधिक सहनशीलता दिखाई है और पुतिन हमें जिस तरह से कब्जा करना चाहता था, वैसा नहीं कर पाएंगे. फिर भी, उन्होंने कहा कि "यूक्रेन की जीत बिना अमेरिकी समर्थन के संभव नहीं है." कीव "सऊदी अरब में इस सप्ताह की वार्ता के बारे में कुछ भी नहीं जानता है" और "हमारे बिना हमारे बारे में कोई भी समझौते या बातें मान्यता नहीं देंगे." ज़ेलेंस्की ने यह भी कहा कि उन्होंने डोनाल्ड ट्रम्प से भविष्य के सीज़फायर की निगरानी के लिए विदेशी सैनिकों को तैनात करने पर बात की थी. "मैंने उन्हें बताया कि अमेरिकी इसमें शामिल होने चाहिए, क्योंकि अन्यथा हम अपनी एकता खो सकते हैं."
हालांकि, ब्रसेल्स में यूक्रेन के समर्थन में आयोजित एक बैठक के दौरान, यूएस रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने स्पष्ट रूप से यूक्रेन में अमेरिकी सैनिकों की तैनाती की संभावना को खारिज कर दिया था. पेरिस में यूरोपीय नेताओं के आपातकालीन वार्ता के बाद, डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने भी अमेरिका से तेज़ सीज़फायर की कोशिशों के खिलाफ चेतावनी दी. उनका कहना था कि इससे रूस को "फिर से सैन्य सक्रियता करने और यूक्रेन या यूरोप के किसी अन्य देश पर हमला करने का मौका मिलेगा."
स्टार्मर ने सम्मेलन के बाद कहा, "यूरोप को अपनी भूमिका निभानी चाहिए, और मैं ब्रिटिश सैनिकों को अन्य देशों के साथ जमीन पर तैनात करने पर विचार करने के लिए तैयार हूं, यदि एक स्थायी शांति समझौता होता है, लेकिन इसके लिए अमेरिकी समर्थन की आवश्यकता होगी, क्योंकि अमेरिकी सुरक्षा गारंटी ही एकमात्र तरीका है जो रूस को यूक्रेन पर फिर से हमला करने से प्रभावी रूप से रोक सकता है."
स्वीडन और नीदरलैंड के प्रधानमंत्रियों ने भी कहा कि अगर शांति सैनिकों की एक मजबूत और स्पष्ट सरंचना होगी, तो वे इस पर विचार करेंगे. वहीं, पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड तुस्क ने कहा कि पोलैंड इस योजना में शामिल नहीं होगा. जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़ ने कहा, "हम जर्मनी में यूक्रेन के लिए सुरक्षा गारंटी देने के लिए सैनिकों को तैनात करने के लिए तैयार हैं, यदि आवश्यक हो." हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि "यह पूरी तरह से जल्दबाजी में और बिल्कुल गलत समय पर हो रहा है... मुझे यह कहने देना चाहिए कि लोग यूक्रेन के ऊपर बात कर रहे हैं, ऐसे शांति वार्ता के परिणाम के बारे में जो अभी तक नहीं हुई है और जिसे यूक्रेन ने हां नहीं कहा है."
यूक्रेन के महत्वपूर्ण खनिजों पर अमेरिका की नजर क्यों
यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलेंस्की ने रूस के साथ चल रहे युद्ध के लिए सैन्य और आर्थिक सहायता के बदले अपने देश के महत्वपूर्ण खनिजों को कब्जे में लेने के लिए अमेरिका के पहले प्रयास को ठुकरा दिया है. अमेरिका ने यूक्रेन के महत्वपूर्ण खनिजों का 50% हिस्सा अपने कब्जे में लेने का प्रस्ताव दिया था. ज़ेलेंस्की ने इस प्रस्ताव को तुरंत नकारा नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि इसमें अभी भी वह सुरक्षा प्रावधान नहीं हैं जो कीव को चाहिए.
महत्वपूर्ण खनिज क्या हैं यूक्रेन के पास?
महत्वपूर्ण खनिज एक वैज्ञानिक शब्द से ज्यादा राजनीतिक शब्द हैं, और विभिन्न देशों के पास अपने घरेलू और भूराजनैतिक उद्देश्यों के आधार पर महत्वपूर्ण खनिजों की विभिन्न सूचियाँ होती हैं. 2022 में, यूएस जियोलॉजिकल सर्वे ने 50 खनिजों की एक सूची प्रकाशित की थी, जिन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, नवीनीकरण ऊर्जा विकास और बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले खनिज माना गया था. इसमें आर्सेनिक, बेरिलियम, कोबाल्ट, लिथियम, ग्रेफाइट, इंडियम और टेल्यूरियम जैसे खनिज शामिल थे.
यूक्रेन के पास दुनिया के 34 महत्वपूर्ण खनिजों में से 22 खनिजों के भंडार हैं, जिनमें दुर्लभ पृथ्वी तत्व जैसे लैंथेनम, सेरियम, न्यूडियम, एर्बियम और यट्रियम शामिल हैं. यूक्रेन की खनिज संसाधनों में 5% हिस्सेदारी होने का दावा किया जाता है, जबकि उसका भौगोलिक क्षेत्र केवल 0.4% है.
यूक्रेन 2019 में वैश्विक स्तर पर टाइटेनियम का लगभग 7% उत्पादन करता था और उसके पास 500,000 टन लीथियम और दुनिया के एक-चौथाई ग्रेफाइट के भंडार थे. हालांकि, युद्ध के बाद रूस द्वारा यूक्रेन के लगभग एक-पांचवे हिस्से पर कब्जा कर लेने से इन संसाधनों का बड़ा हिस्सा खो गया है.
ट्रम्प क्यों चाहते हैं यूक्रेन के महत्वपूर्ण खनिज?
डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन के महत्वपूर्ण खनिजों पर अपना हाथ डालने के लिए उत्सुक हैं और इसके पीछे एक बड़ा कारण है - चीन. चीन का दुनिया के कारख़ाने के रूप में स्थापित होना और जहां भी दुनिया भर में महत्वपूर्ण खनिज निकाले जाते हैं, वह आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण बिंदु बन जाता है. चीन के पास खनिजों के प्रसंस्करण की क्षमता है, जो विश्व के अन्य हिस्सों से कहीं अधिक है. आईईए के अनुसार, चीन का निकेल प्रसंस्करण में लगभग 35%, लिथियम और कोबाल्ट में 50-70% और दुर्लभ पृथ्वी तत्वों में 90% हिस्सा है.
यदि अमेरिका को इन खनिजों तक पहुंच नहीं मिलती है, तो चीन की बढ़ती ताकत और प्रतिस्पर्धा को देखते हुए, अमेरिका के लिए ये खनिज अपनी अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो सकते हैं.
_________________________________________________
चलते-चलते | प्रकृति और पर्यावरण
...और अंत में राजनीतिक शोर से दूर धरती की सेहत दुरुस्त रखने वालों की कहानी. 'डायचे वेले' के 'ईको इंडिया' के नए एपिसोड में देखिए किस तरह चेन्नई में हरियाली बढ़ाने की कोशिश हो रही है और स्थानीय लोग पेड़-पौधों को अपने रहन-सहन का हिस्सा बनाने के अनूठे तरीके खोज रहे हैं. इसके अलावा देखिए केरल के कासरगोड जिले की कहानी, जहां ग्रामीण महिलाएं एक नदी की सेहत दुरुस्त करने में जुटी हैं. यहां महिलाएं घुसपैठिया वनस्पतियों को हटाकर देसी पेड़-पौधों को नया जीवन दे रही हैं.
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, फेसबुक पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.