2 दिसंबर 2024: किसके हाथों में खेले चंद्रचूड़, दिल्ली में आप अकेली चुनाव में, शिंदे का भाजपा मुख्यमंत्री को समर्थन, मोहन भागवत और बच्चे पैदा करने के पक्ष में, ट्रम्प की ब्रिक्स देशों को धमकी
हिंदी भाषियों का क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज्यादा
चंद्रचूड़ किसी के हाथों में खेल रहे थे?
करण थापर के साथ इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील दुष्यंत दवे का वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें 33 मिनट पर वे रोने लगते हैं, ‘मैं रातों को सो नहीं पाता. मैं सोचकर परेशान होता हूँ कि अल्पसंख्यकों पर क्या गुजर रही होगी. मेरी पत्नी कहती है क्यों तुम अपना चैन खो रहे हो इसके लिए.’ पर दवे के भावुक हो जाने से ज्यादा महत्वपूर्ण इंटरव्यू में वह बयान (5 मिनट से लेकर 10 मिनट तक) है जिसमें वे पूर्व सीजेआई डी जे चंद्रचूड़ पर अपना फैसला बदलने के कारणों का जिक्र करते हैं. सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या का फैसला चंद्रचूड़ ने लिखा था, जिसमें राम मंदिर फैसला देते हुए कहा गया था यह एक अपवाद है, पर बाकी ऐसे किसी भी मंदिर मस्जिद विवाद पर यह बात लागू नहीं होगी, जो 1947 के पहले के हैं. पर खुद चंद्रचूड़ अपने ही दिये फैसले से उलट कर उन्होंने बनारस के ज्ञानवापी मस्जिद मे सर्वे करवाने को हरी झंडी दे दी, जिसके कारण देश भर में कई जगहों से इस तरह के विवाद खड़े हो रहे हैं और फजीते किये जा रहे हैं. दवे ने कहा, ‘चंद्रचूड़ ने संविधान को बहुत नुकसान पहुंचाया है. वह बौद्धिक रूप से बेईमान हैं’. अयोध्या का फैसला देते हुए वह प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट की तारीफ करते हैं और दो साल पहले ज्ञानवापी मस्जिद पर सुनवाई के दौरान यह कहते हैं कि सर्वे से इस एक्ट का उल्लंघन नहीं होता. लोगों को यह जानने का हक है कि वह स्थल मूल रूप से क्या था. यह कहकर उन्होंने देश और संविधान का बहुत नुकसान किया. दवे का कहना है चंद्रचूड़ उनके हाथों में खेल रहे थे, जिन्हें इस तरह के विवादों से राजनीतिक फायदे उठाने हैं. जो देश में अस्थिरता पैदा करना चाहते हैं और तोड़ना चाहते हैं. करण थापर के प्रॉम्प्ट करने पर भी वह मोदी और भारतीय जनता पार्टी का नाम नहीं लेते. वे चंद्रचूड़ को बौद्धिक बेइमान करार देते हैं. कहते हैं कि ऐसा हो नहीं सकता कि चंद्रचूड़ को ये न पता हो कि उनके फैसलों के नतीज़े क्या होंगे. करण के पूछने पर कि क्या सत्ता के लोग ऐसा चाहते हैं, भाजपा ऐसा चाहती है? दवे ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आरती कर उन्होंने यह साबित कर दिया है. अयोध्या फैसले पर भी उन्होंने कहा कि भगवान ने राह दिखाई. हिंदी में इस पर अजीत अंजुम ने भी अपने यूट्यूब चैनल पर लम्बा कार्यक्रम किया है.
उधर, उत्तराखंड में हाईकोर्ट को आश्वस्त करने के बावजूद रविवार को उत्तरकाशी में महापंचायत हुई जिसमें लव जिहाद, लैंड जिहाद और आबादी जिहाद जैसे मुद्दों को उछाला गया. हालांकि बुधवार को उत्तराखंड सरकार ने हाई कोर्ट से कहा था कि महापंचायत करने की इजाजत नहीं दी गई है. पर उसके बाद फैसला बदल दिया गया. उत्तरकाशी के जिस पुलिस अधीक्षक ने इजाजत न देने की बात की थी, उसका उसी दिन तबादला कर दिया गया था. बहरहाल, महापंचायत में तेलंगाना से भाजपा के विधायक टी राजा सिंह भी शामिल हुए और उन्होंने लैंड जिहाद से लेकर बुलडोजर आदि की तमाम बातें कीं. हाइकोर्ट में अगली सुनवाई 5 दिसंबर को है.
अजमेर दरगाह विवाद में पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर विचारधारा के आधार पर हो रहे "हमलों" को रोकने की अपील की है. उन्होंने "अवैध और हानिकारक गतिविधियों" पर रोक लगाने की मांग करते हुए मोदी को याद दिलाया है कि वह खुद दरगाह पर चादर चढ़ा चुके हैं. इस विवाद के केंद्र में धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दे हैं, जो भारत की बहुलता और विविधता पर सवाल उठाते हैं. पत्र में सरकार से संवेदनशीलता और एकता बनाए रखने की अपील की गई है. पत्र लिखने वालों में दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, यूनाइटेड किंगडम में भारत के पूर्व उच्चायुक्त शिव मुखर्जी, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, सेना के पूर्व उप-प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल शामिल हैं.
आज की दूसरी सुर्खियां: अरविंद केजरीवाल ने रविवार को साफ कर दिया कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी. यह ऐलान एक तरह से औपचारिक ही था क्योंकि कांग्रेस इस बीच आप सरकार के कुशासन के खिलाफ पदयात्रा निकाल रही है और आम आदमी पार्टी कई कांग्रेसी नेताओं को तोड़कर अपने खेमे में शामिल कर रही है. इससे यह तो तय हो गया दीखता है कि दिल्ली का चुनाव तितरफा होगा और इसका फायदा किसको मिलेगा, अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है. हाल में हरियाणा और महाराष्ट्र में बुरी तरह मात खाई कांग्रेस के लिए यह मुश्किल समय रहा है और भ्रष्टाचार के खिलाफ राजनीति में उतरी आम आदमी पार्टी खुद अपने कई नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में ही कई बड़े नेताओं की गिरफ्तारियां देख चुकी है, जिसमें केजरीवाल भी शामिल हैं. केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के हाल के फैसलों से लगता है कि इंडिया ब्लाक की जो बिसात लोकसभा चुनावों के पहले बिछाई गई थी, अब बिगड़ चुकी है.
एकनाथ शिंदे ने रविवार को साफ किया कि वह कोपभवन में नहीं गये थे और महायुति के फैसले को उनका पूरा समर्थन है. तय हुआ है कि भारतीय जनता पार्टी मुख्यमंत्री पद अपने पास रखेगी. अभी भारतीय जनता पार्टी विधायक दल की बैठक नहीं हुई है और न ही यह घोषित हुआ है कि देवेंद्र फडनवीस ही मुख्यमंत्री बनेंगे. शिंदे के बारे में कहा जा रहा था कि वह महायुति के फैसले से नाखुश होकर शुक्रवार को सतारा में अपने पैतृक गांव चले गये थे. पर रविवार को साफ किया गया कि वहां जाते ही उन्हें तेज बुखार ने जकड़ लिया था और अब उनकी तबियत ठीक हो गई है तो वह मुंबई लौट रहे हैं. महाराष्ट्र में नई सरकार 5 दिसंबर को शपथ लेगी.
दैनिक भास्कर के लिए प्रवीण मालवीय ने एक पड़ताल की है. एमपी में हर दिन 30 बच्चे गायब हो रहे हैं. बच्चों पर तस्करों की नजर है. जो बच्चा 48 घंटे में नहीं मिल पाता, वो कैसे हमेशा के लिए गायब हो जाता है, रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है.
पुलिस बिना वारंट पंहुची ‘गिरफ्तार करने’ : दिल्ली पुलिस ने एसोसियेशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) के राष्ट्रीय सचिव नदीम खान के खिलाफ एफआईआर दर्ज की और बिना वारंट लिए गिरफ्तार करने के लिए बेंगलुरू भी पंहुच गई. एफआईआर का आधार वे सोशल मीडिया पोस्ट बताए जाते हैं, जो नदीम के खिलाफ हिंदुत्व हैंडल्स की तरफ से आये हैं. एपीसीआर प्रदर्शनी हाल में हैदराबाद में आयोजित की गई थी. इसमें 10 साल के मानवाधिकार हनन के मामलों को रेखांकित किया गया है, खास तौर पर लिंचिंग और डिमोलिशन के. एसीपीआर ऐसे मामलों में मुस्लिमों के लिए कानूनी मदद दिलवाने का काम करता है. 29 नवंबर को पुलिस ने एपीसीआर के दिल्ली दफ्तर में छापा डाला था. एसीपीआर पर किसी मिस्टर सिन्हा का आरोप था कि अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार हनन को डाक्यूमेंट कर प्रदर्शनी आयोजित की गई जिसमें प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और सीनियर सरकारी अफसरों के नाम लिये गये, और इससे हिंसा और द्वेष भड़क सकता है. इस बारे में प्रोफेसर अपूर्वानंद का बयान आया है, जिसमें उन्होंने इसे झूठा और बनावटी मामला बताया, ‘ नदीम खान औऱ एसीपीआर को परेशान करने, डराने और चुप कराने की कोशिश की जा रही है और साथ ही उनकी तरह के दूसरे कार्यकर्ताओं को भी संकेत दिये जा रहे हैं.’ पीयूसीएल ने दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई की निंदा की.
डिजिटल अरेस्ट में महिला को नंगा होने के लिए मजबूर किया : मुंबई में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है. पुलिस के अनुसार फार्मा कंपनी में काम करने वाली 26 साल की एक महिला को वीडियो कॉल पर नंगा होने के लिए मजबूर किया गया. आरोपियों ने उसे एक झूठे मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाया और कहा कि आगे की जांच के लिए उसे एक होटल में रूम भी बुक करवाना होगा.
इंडिगो का जहाज फेंगल के बीच फंसा, बचा : चक्रवात फेंगल के टकराने से पहले तेज हवाओं और भारी बारिश के बीच शनिवार को इंडिगो की एक उड़ान को चेन्नई हवाई अड्डे पर उतरने का जोखिम भरा प्रयास करते देखा गया. सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में विमान भारी उथल-पुथल के बीच उतरने की कोशिश करता नजर आ रहा है. जैसे-जैसे मौसम की स्थिति और खराब होती है, विमान प्रयास में विफल होकर उड़ता हुआ दिखाई देता है. एक बयान में, एयरलाइंस ने घटना की पुष्टि की और बताया कि प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण मुंबई-चेन्नई उड़ान को "गो-अराउंड" करना पड़ा. बारिश और तेज़ हवाओं के कारण बाद में चेन्नई हवाई अड्डे को बंद करना पड़ा.
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में वन्य जीवों की निगरानी के लिए लगे कैमरे के दुरुपयोग का मामला सामने आया है. जानवरों की निगरानी के लिए लगे कैमरों और ड्रोन का इस्तेमाल सरकारी अधिकारी औरतों की निगरानी के लिए कर रहे हैं.
ट्रम्प ने ब्रिक्स देशों को धमकाया डोनाल्ड ट्रम्प ने ब्रिक्स (BRICS) देशों को चेतावनी दी है कि अगर वे अमेरिकी डॉलर की जगह कोई नई मुद्रा बनाने या किसी अन्य मुद्रा को बढ़ावा देने की कोशिश करेंगे, तो उन्हें 100% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा. ट्रम्प ने कहा कि इन देशों से यह वचन लिया जाएगा कि वे न तो ब्रिक्स की कोई नई मुद्रा बनाएंगे और न ही अमेरिकी डॉलर की जगह कोई अन्य मुद्रा को समर्थन देंगे. उनका यह बयान वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में डॉलर की स्थिति को बनाए रखने के रूप में देखा जा रहा है. इसे एक किस्म की खुली धमकी मानिए कि व्यापार तो हमारी छतरी के नीचे ही होगा.
दिल्ली में सीवर साफ करते 75 मौतों के मामले, सिर्फ एक में जुर्म साबित
पिछले 15 वर्षों में दिल्ली में सीवर की सफाई के दौरान कुल 94 लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन 75 मौतों के मामले दर्ज हुए. और एक ही मामले में जुर्म साबित हुआ. सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत प्राप्त आंकड़ों की तफ्तीश इंडियन एक्सप्रेस ने की. धीरज मिश्रा की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के मुजफ्फरपुर के राजेश महतो को निजी फर्म ने पटपड़गंज में दिल्ली राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम (डीएसआईआईडीसी) सुविधा में सीवर साफ करने के लिए बुलाया था, लेकिन सीवर में जहरीली गैस के कारण महतो की मौत हो गई. पुलिस ने बाद में एक "अनट्रेस्ड रिपोर्ट" दर्ज की, जिसमें दावा किया गया कि वे आरोपी को नहीं ढूंढ सके. ऐसे ही 19 अक्टूबर, 2010 को यूपी के बागपत के एक प्रवासी श्रमिक महेश चंद को कुतुब मीनार के पास तत्कालीन एलएसआर इंस्टीट्यूट ऑफ ट्यूबरकुलोसिस एंड रेस्पिरेटरी डिजीज में एक अवरुद्ध सीवर को खोलने के लिए बुलाया गया था, लेकिन वह नाले में डूब गया. 2018 में, दिल्ली की एक अदालत ने लापरवाही साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत की कमी का हवाला देते हुए पर्यवेक्षक को बरी कर दिया. संस्थान की जांच में कहा गया है कि "यह पूरी तरह से एक दुर्घटना है".
भारत को ख़तरे से बचाना है? तो बच्चे पैदा करो..
भारत दुनिया का सबसे आबाद देश है. सबसे भूखे और गरीब देशों में भी हमारी गिनती होती है. पर इस वक्त कई नेताओं को यह बात परेशान कर रही है कि भारतवासी समुचित संख्या में बच्चे पैदा नहीं कर पा रहे.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि दो नहीं बल्कि कम से कम तीन बच्चे होने चाहिए. उन्होंने जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट पर चिंता जताई है. सरसंघचालक ने कहा कि प्रजनन दर 2.1 से नीचे चली जाती है, तो समाज खुद ब खुद दुनिया से नष्ट हो जाता है. नागपुर में आयोजित कटाले कुल सम्मेलन में संघ प्रमुख ने कहा कि हमारे देश की जनसंख्या नीति का मसौदा वर्ष 1998 या 2002 में तैयार किया गया था, जो कहता है कि जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे नहीं गिरनी चाहिए. भागवत ने कहा कि ‘आधुनिक लोकसंख्या शास्त्र’ कहता है कि जनसंख्या का गिरना समाज के लिए हानिकारक है. यह 2.1 से नीचे नहीं आना चाहिए, बल्कि यह 3 होना चाहिए. अन्यथा दूसरों की जरूरत नहीं है, यह खुद ही तबाह हो जाएगा. इसी वजह से कई भाषाएं और समाज खत्म हो गए. लिहाजा हमारी जनसंख्या 2.1 से नीचे नहीं होना चाहिए. “0.1 प्रजनन दर पर किसी का जन्म ही नहीं हो सकता, इसलिए यह तीन (बच्चे) होना चाहिए,” भागवत ने कहा. उन्होंने लोगों से जाति और सांप्रदायिक विभाजन से ऊपर उठने की अपील करते हुए कहा, "हम दूसरी संस्कृतियों की तरह नहीं हैं, जहां व्यक्तिवाद को प्राथमिकता दी जाती है. भारतीय संस्कृति तो इसमें विश्वास करती है कि हम सब आपस में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं.
इधर, आंध्रप्रदेश के बाद तेलंगाना भी अब “दो बच्चों की नीति” से दूरी बनाने जा रहा है. दरअसल, तेलंगाना बुजुर्ग आबादी में बढ़ोतरी की तरफ बढ़ रहा है. इस बात का पुख्ता सबूत है कि एक वक्त ऐसा आएगा, जब राज्य की आबादी बूढ़ी हो जाएगी. परिवार नियोजन के लिए पूर्व में लागू किए गए कुछ फैसलों को अब पलटने की जरूरत है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वर्ष 2047 तक तेलंगाना को नौजवानों और बच्चों की ज्यादा आवश्यकता होगी. राज्य में बुजुर्गों की बढ़ती आबादी से निपटने के बारे में सरकार सोच रही है और इसीलिए बहुत जल्दी आंध्रप्रदेश की तरह तेलंगाना में भी पंचायत राज अधिनियम 2014 में संशोधन के लिए केबिनेट में दो बच्चों की नीति को खत्म करने संबंधी फाइल पेश की जाएगी. बता दें कि आंध्रप्रदेश में दो से अधिक बच्चों वालों को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने की पात्रता दे दी गई है. यानी दो बच्चों की बंदिश खत्म कर दी गई है. मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने हाल ही में यह भी कहा था कि उनकी सरकार ज्यादा बच्चे वालों को इंसेंटिव देगी. कई यूरोपीय देशों ने भी इसी नीति को स्वीकार किया है. नायडू के पहले तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन भी लोगों से कह चुके हैं कि ज्यादा बच्चे पैदा करिए.
गौरतलब है कि दक्षिण के राज्यों में परिसीमन एक बड़ा मुद्दा है. उनको लगता है कि यदि निकट भविष्य में परिसीमन किया जाता है तो राजनीतिक रूप से उनको नुकसान होगा और उनका दबदबा कम हो जाएगा. तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश के बाद तेलंगाना में ज्यादा बच्चों की जरूरत की बात परिसीमन के संदर्भ में भी देखी जा रही है.
'मोडानी' की साख दांव पर लगी है ?
पंरजॉय गुहा ठाकुरता ने फ्रंटलाइन में एक लेख लिखा है, जिसमें उन्होंने बताया है कि मौजूदा रिश्वतखोरी के अमेरिकी अभियोग ने न केवल अडानी की छवि को पंचर किया है, बल्कि उस मिथ को भी खत्म कर दिया है कि वो अजेय हैं. वो 'मोडानी' की जोड़ी का जिक्र करते हुए कहते हैं कि अब उनके लिए परिस्थितियां पहले जैसी नहीं रहीं और इसका झटका भारत को मुल्कों के साथ बिगड़े व्यापारिक रिश्तों के तौर पर झेलना है. वो कहते हैं कि यह तर्क देना कि संयुक्त राज्य अमेरिका में गौतम अडानी, उनके भतीजे और उनके सहयोगियों पर अभियोग ने भारत और दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक की महत्वाकांक्षाओं को झटका दिया है, कम ही होगा. अडानी जिनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निकटता किंवदंतियों का विषय है, पहले कभी इस तरह शायद ही आहत हुए हों. उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है और इसके साथ ही, उनकी व्यावसायिक योजनाएँ भी.
ठाकुरता लिखते हैं कि अपने ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी वारंट के बावजूद, अडानी अपने जनसंपर्क तंत्र की मदद से एक बहादुरी भरा मोर्चा खोलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन शायद उन्हें और उनके संरक्षक मोदी को भी एहसास है कि नागरिक और आपराधिक आरोपों के इस दौर के बाद, चीजें फिर कभी पहले जैसी नहीं हो सकती. ऐसा केवल इसलिए है, क्योंकि भारत में कोई भी पूंजीपति देश की सरकार के मुखिया के इतना करीब नहीं रहा है. प्रधानमंत्री ने अडानी के व्यापारिक हितों को ताकत लगाकर बढ़ावा दिया है, जो कि अन्य सभी भारतीय व्यापारियों के हितों से कहीं अधिक है. इससे कभी-कभी देश के हितों को नुकसान पहुंचा है. बांग्लादेश, श्रीलंका और केन्या सहित अन्य देशों में रिश्ते बिगड़े हैं. मोदी अडानी के खिलाफ साजिश और धोखाधड़ी के आरोपों से खुद को पूरी तरह से बचाने की उम्मीद नहीं कर सकते.
रूसियों का मक्खन संकट यूक्रेन में शांति ला सकता है?
एक रूसी सुपरमार्केट में, एक दाढ़ी वाला आदमी चारों ओर चोरी से देखता है. उसकी भौंह तनाव से सिकुड़ गई है. फिर, एक झटके के साथ, वह अलमारियों में पहुंचता है, कई सामान उठाता है, उन्हें अपने रकसैक में डालता है और बाहर निकलने के लिए दौड़ता है. चोरी का माल? मक्खन. सीसीटीवी में कैद, यह रूस में मक्खन की एक और चोरी थी, जो यूक्रेन में व्लादिमीर पुतिन के युद्ध से जुड़ी बढ़ती कीमतों के कारण थी. सुपरमार्केट के मालिक अब मक्खन को चोरी-रोधी उपकरणों में रखते हैं या कैशियर के काउंटर के पीछे स्लैब में रखते हैं. सुरक्षा सूत्रों ने कहा कि अक्टूबर 2024 से एक सप्ताह में 50 मक्खन चोरी की सूचना मिली है. 'द टेलिग्राफ' के लिए जेम्स किलनर ने मजाकिया लहजे में लिखा है कि पुतिन की मक्खन समस्या यूक्रेन में शांति लाने में मदद कर सकती है.
चलते चलते: जब इंसान बन जाए देवता
बीबीसी' के लिए सुधा जी तिलक ने एक स्टोरी की है, जिसमें उन्होंने प्राचीन भारतीय अनुष्ठान के अंदर जहां मनुष्य देवता बन जाते हैं, उस तहखाने की कहानी पेश की है. थेय्यम की कहानी, जो उत्तर केरल का एक प्रमुख अनुष्ठान है. सुधा ने लिखा है लगभग 300 वर्षों से भारत के दक्षिणी राज्य केरल में एक परिवार का पैतृक घर एक प्राचीन लोक अनुष्ठान थेय्यम का मंच रहा है. केरल और पड़ोसी कर्नाटक के कुछ हिस्सों में मुख्य रूप से पुरुष कलाकार पारंपरिक वेशभूषा, चेहरे के रंग और ट्रान्स-जैसे नृत्य, माइम और संगीत के माध्यम से देवताओं को अवतरित करते हैं. हर साल केरल भर में पारिवारिक संपत्तियों और मंदिरों के पास के स्थानों में लगभग एक हजार थेय्यम प्रदर्शन होते हैं, जो पारंपरिक रूप से हाशिए की जातियों और आदिवासी समुदायों के पुरुषों द्वारा किया जाता है. अब इसी थेय्यम पर इतिहासकार केके गोपालकृष्णन ने थेय्यम की मेजबानी में अपने परिवार की विरासत और अनुष्ठान की जीवंत परंपराओं का जश्न एक नई किताब, 'थेय्यम: एन इनसाइडर्स विजन' में मनाया है. केरल में थेय्यम का मौसम आम तौर पर अक्टूबर से अप्रैल तक चलता है, जो मानसून के बाद और सर्दियों के महीनों के साथ मेल खाता है.
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.