20 दिसंबर 2024 : शाह के बयान पर बवाल जारी, संसद में धक्कामुक्की, राहुल पर मामला, धर्मसंसद पर रोक नहीं, रुपये में रिकॉर्ड गिरावट, नक्सली बता बच्चों पर गोलियां, मोदी के भी नहीं रहे अच्छे दिन इस साल
हिंदी भाषियों का क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज्यादा
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां : गृह मंत्री अमित शाह की डॉ. भीम राव अंबेडकर के खिलाफ कथित टिप्पणी के कारण भाजपा और विपक्ष के बीच विवाद वृहस्पतिवार को और बढ़ गया. शुरूआत तब हुई जब भाजपा के आधिकारिक हैंडल से ‘एक्स’ पर इंडिया ब्लॉक के सदस्यों की एक फोटो पोस्ट की गई. मंगलवार की इस फोटो में विपक्ष के सांसद अंबेडकर की फोटो के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन भाजपा ने आज जो फोटो पोस्ट की, उसमें अंबेडकर की फोटो जॉर्ज सोरोस की फोटो से बदल दी गई थी. और इसमें कैप्शन था, ‘हैलो कांग्रेस और इंडिया गठबंधन. हमने आपके लिए छवि को तय कर दिया है. आपका स्वागत है.’ इतना ही नहीं इस फोटो का पृष्ठ भाग (बैक ड्रॉप) भी बदल दिया गया, जिस पर लिखा था, “वी लव सोरोस”. भाजपा की इस पोस्ट का स्क्रीन शॉट शेयर करते हुए कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि क्या अंबेडकर के अपमान के खिलाफ खड़ा होना भाजपा के लिए मजाक का विषय है?
इंडिया ब्लॉक के सदस्य आज नीले रंग के वस्त्रों में थे. संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन के बाद जब वे भवन के भीतर जाने लगे, तभी मकर द्वार पर टकराव के हालात बने. धक्कामुक्की हुई, जिसमें दोनों पक्षों के बीच परस्पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चला. भाजपा ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी के धक्का देने से उसके दो सांसद प्रताप चंद्र सारंगी और मुकेश राजपूत घायल हो गए. दोनों को राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती किया गया है. पीएम मोदी ने दोनों से बात कर उनका हालचाल पूछा. हालांकि सारंगी ने मीडिया से कहा कि राहुल ने उन्हें नहीं, बल्कि उनके जिस साथी को धक्का दिया, वह उन पर गिर पड़े. जबकि कांग्रेस और विपक्षी दलों का कहना था कि भाजपा सदस्यों ने राहुल गांधी को संसद में जाने से रोका और धक्का दिया.

भाजपा ने अडानी और अमित शाह की टिप्पणी से ध्यान हटाने के लिए किया : स्वयं राहुल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी के दोस्त गौतम अडानी के खिलाफ अमेरिका में की जा रही वैधानिक कार्रवाई और अंबेडकर पर अमित शाह की टिप्पणी से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए भाजपा ने यह सब रचा है. अडानी को मोदी भारत बेच रहे हैं. यही असली मुद्दा है. भाजपा यह सब छुपाना चाहती है और इस पर चर्चा करना नहीं चाहती. हम तो शांतिपूर्वक संसद में जा रहे थे, लेकिन भाजपा सांसद सीढ़ियों पर हमारा रास्ता रोककर खड़े थे. प्रियंका गांधी ने कहा, ‘अमित शाह को बचाने के लिए भाजपा साजिश के तहत कह रही है कि भैया ने धक्का दिया, जबकि मेरी आंखों के सामने उन लोगों ने खड़गे जी को धक्का दिया और वह जमीन पर गिर पड़े.’ इसके बाद सीपीआई (एम) के एक सांसद को धक्का दिया तो वह खड़गे जी पर गिर गए. मुझे तो लगा कि उनके पैर की हड्डी टूट गई. फिर खड़गे के लिए एक कुर्सी मंगाई गई. दोपहर बाद मामला पुलिस तक पहुंच गया और दोनों ही पक्षों ने संसद मार्ग पुलिस थाने को शिकायत दे दी. लेकिन रात को राहुल गांधी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की छह धाराओं 117 (स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाना), 115 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 125 (दूसरों के जीवन या सुरक्षा को खतरे में डालना), 131(आपराधिक बल का उपयोग), 351 (धमकी), और 3 (5) (सामान्य आशय) के तहत प्राथमिकी दर्ज कर ली गई.
अमित शाह की इस टिप्पणी पर हुआ बवाल : मंगलवार को राज्यसभा में संविधान पर विशेष चर्चा के दौरान गृह मंत्री शाह ने कहा था, ‘मान्यवर, अभी एक फैशन हो गया है कि अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर. इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता.’ बहरहाल, शाह की टिप्पणी के कारण हुए बवाल ने वृहस्पतिवार को भी संसद की कार्यवाही नहीं चलने दी. संसद के बाहर भी प्रतिक्रिया देखने को मिली. आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भाजपा मुख्यालय के सामने प्रदर्शन किया. राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा कि अमित शाह पागल हो गए हैं, उन्हें इस्तीफा देकर राजनीति छोड़ देना चाहिए. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने दावा किया कि भाजपा सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “एक्स” से अमित शाह के राज्यसभा में दिए गए भाषण को हटाने के लिए कहा है.
धनखड़ के खिलाफ अविश्वास का नोटिस खारिज : इधर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष द्वारा दिए गए अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को खारिज कर दिया गया है. उप सभापति हरिवंश ने अपने निर्णय में कहा कि विपक्ष का यह अनुचित और दोषपूर्ण प्रयास धनखड़ की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए था.
सुप्रीम कोर्ट का ‘धर्म संसद’ रोकने से इंकार : गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश प्रशासन और पुलिस के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. यह याचिका गाजियाबाद में आयोजित ‘धर्म संसद’ को रोकने में कथित विफलता के लिए दायर की गई थी. इस कार्यक्रम का आयोजन विवादास्पद व्यक्ति यति नरसिंहानंद कर रहा है, जो पूर्व में भी अपनी साम्प्रदायिक टिप्पणियों के लिए सुर्खियां बटोर चुका है. कार्यक्रम 17 दिसंबर से 21 दिसंबर तक आयोजित होने वाला है. भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार की पीठ ने उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा, केवल तथ्य यह है कि हम इस याचिका पर विचार नहीं कर रहे हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि उल्लंघन होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हम याचिका सुनने के इच्छुक नहीं हैं, लेकिन हम दोहराते हैं कि जिला अधिकारी सभी एहतियाती कदम उठाएं और सुनिश्चित करें कि अदालत के पूर्व आदेशों का पालन हो.’ अदालत ने स्पष्ट किया कि यह सुनिश्चित करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि कार्यक्रम में घृणा फैलाने वाले भाषण न दिए जाएं. इस पर नज़र रखें कि क्या हो रहा है, घटना की रिकॉर्डिंग होनी चाहिए.
किसान अपनी मांग लेकर सीधे हमारे पास आ सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट
आंदोलनकारी किसानों से बातचीत के लिए शीर्ष अदालत ने उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया था. समिति ने 17 दिसंबर को बातचीत के लिए किसान संगठनों को बुलाया था. मगर उन्होंने इनकार कर दिया था. इसके बाद बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समस्या के समाधान तक पहुंचने के लिए अदालत के दरवाजे हमेशा खुले हैं. न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, ‘किसानों को अपनी मांग सीधे न्यायालय में पेश करने की इजाजत दी जा सकती है. इसके साथ ही बेंच ने पंजाब सरकार को आमरण अनशन पर बैठे किसान डल्लेवाल को तत्काल चिकित्सा सहायता मुहैया कराने को कहा.
भारत के चार करोड़ ऐसे घर हैं जहां पाइप से पानी अभी भी नहीं पंहुचता है.
सम्भल में एक और मंदिर का ताला खोला गया : उत्तर प्रदेश के सम्भल में अधिकारियों ने मंगलवार को शाही जामा मस्जिद से लगभग दो किलोमीटर दूर सरायतरीन में 32 साल पुराना एक दूसरे मंदिर का ताला खोला है. ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह मंदिर भी मुस्लिम इलाकों में स्थित हैं. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मंदिर के अंदर कृष्ण, राधा और हनुमान की मूर्तियां मिली हैं.
हाईकोर्ट ने जुबैर को ही आड़े हाथों लिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर से पूछा कि आपने पुलिस में शिकायत या मुकदमा दर्ज करने की बजाय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर हिंदुत्ववादी यति नरसिंहानंद की अभद्र भाषा वाली पोस्ट क्यों की.
जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ जुबैर की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इसमें नरसिंहानंद के बारे में एक पोस्ट के लिए उनके खिलाफ दर्ज मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा की मांग की गई थी. अदालत ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि सोशल मीडिया पोस्ट से पता चलता है कि वह अशांति पैदा करने की कोशिश कर रहे थे.
मणिपुर, मिज़ोरम और नगालैंड में विदेशी नागरिकों को परमिट लेकर जाना पड़ेगा. ये व्यवस्था 14 साल पहले थी, औऱ फिर पर्यटन बढ़ाने के लिए हटा ली गई थी.
भारत में सोने के आयात की बेतहाशा और यकायक बढ़ोतरी का आंकड़ा हिसाब लगाने की गलती से हुआ है. नवंबर में कहा गया था कि भारत ने 14.8 बिलियन डॉलर (1,25,996.84 करोड़ रुपये) का सोना आयात किया, जबकि एक साल पहले का इसी महीने का आंकड़ा 3.44 बिलियन डॉलर (29,285.39 करोड़ रुपये) था. ब्लूमबर्ग के मुताबिक ऐसा इसलिए हुआ कि सरकारी एजेंसियों नें उस सोने को भी इसमें शामिल कर लिया जो फ्री ट्रेड ज़ोन गोदामों में रखे जाते हैं, जिसे आयातित सोने के बतौर गिना नहीं जाता. आँकड़े में इसी तरह की गफलत से कई सारे आर्थिक आंकलन ऊपर नीचे हो जाते हैं.
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने एक रिपोर्ट में भारतीय वायुसेना के पायलटों के प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण कमियों को उजागर किया है. रिपोर्ट में पुराने उपकरणों और बुनियादी प्रशिक्षक विमान में इंजन से तेल रिसने जैसी महत्वपूर्ण समस्याओं पर चिंता जताई गई है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि प्रशिक्षक विमानों में 2013 और 2021 के बीच इंजन से तेल रिसने की 38 घटनाएं दर्ज की गईं.
नौसेना की स्पीडबोट से फेरी की टक्कर, 13 मरे : मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया से एलिफेंटा के लिए चली एक पैसेंजर फेरी और नौसेना की नाव के बीच टक्कर के चलते 13 लोगों की मौत हो गई, जबकि 99 लोगों को डूबने से बचा लिया गया. घटना 19 दिसंबर की शाम करीब 4 बजे करंजा के पास हुई है. नेवी का जहाज इंजन ट्रायल पर था, जो नियंत्रण से बाहर चला गया. फेरी में कुल 80 यात्रियों की क्षमता थी और हादसे के समय यह पूरी तरह भरी हुई थी. टक्कर के बाद फेरी पलट गई, जिससे लोग पानी में डूबने लगे. चश्मदीद अरिफ बमाने ने कहा, 'मेरे 18 साल के अनुभव में यह अब तक का सबसे बड़ा बचाव अभियान है.'
रुपये में रिकॉर्ड गिरावट : अमेरिकी फेडरल रिजर्व की भविष्यवाणी से भारत के शेयर बाजार को झटका लगा है. सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में गिरावट देखी गई. इसके बाद रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. रुपया 0.42% कमजोर होकर 84.90 प्रति डॉलर पर बंद हुआ जो कि अब तक का सबसे निचला स्तर है.
कश्मीर पाठ्य पुस्तक से सूफी संत को हटाया : 'डेक्कन हेरल्ड' की खबर है कि जम्मू-कश्मीर बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (BOSE) ने कक्षा 9 की पाठ्यपुस्तक से सूफी संत शेख नूर-उद-दीन नूरानी (शेख-उल-आलम) को विदाई दे दी, जिसके बाद अध्याय हटाने के फैसले की आलोचना हो रही है. सीपीआई (एम) और पीपुल्स कांफ्रेंस ने इस कदम की कड़ी निंदा की है, जबकि नेशनल कांफ्रेंस ने आश्वासन दिया है कि अध्याय पाठ्यक्रम से नहीं हटाया जाएगा.
अश्लीलता के कारण सरकार ने ब्लॉक किए 18 ओटीटी प्लेटफॉर्म्स : सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री एल. मुरुगन ने बुधवार को लोकसभा में बताया कि सरकार ने इस साल अश्लील सामग्री प्रकाशित करने के कारण 18 ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक कर दिया है.
विश्लेषण: लोकतंत्र की परीक्षा है एक राष्ट्र, एक चुनाव
चुनाव आयुक्त के पद से यकायक और रहस्यमय वजहों से इस्तीफा देने वाले अशोक लवासा ने ट्रिब्यून में एक राष्ट्र, एक चुनाव पर मतदाता और चुने हुए प्रतिनिधियों के बीच के संबंध पर चर्चा की है. लवासा का कहना है कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (ONOE) जनता की मांग नहीं थी, बल्कि सत्तारूढ़ पार्टी का अपना अरमान है. इस प्रस्ताव का उद्देश्य प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाना है, लेकिन इससे लोकतंत्र के चरित्र में कमी आने की आशंका है. लेखक का मानना है कि चुनाव आयोग को वर्तमान संवैधानिक ढांचे के भीतर काम करने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए. लवासा के मुताबिक सरकार को एक साथ चुनाव करवाने के बजाय चुनाव में धन, अपराध और जातिवाद जैसे मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए. साथ ही, मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट का पालन करना और तत्काल समस्याओं जैसे प्रदूषण, जल संकट और शिक्षा पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए. मतदाताओं की आकांक्षाओं को पूरा करने पर जोर देना ज्यादा जरूरी है बजाय केवल चुनावों को अधिक कुशल बनाने पर. लवासा कहते हैं -
“चुनावों का कुशल संचालन निश्चित रूप से संतोष का स्रोत है, लेकिन एक लोकतंत्र को और भी बहुत कुछ चाहिए. जैसे-जैसे सांसद भविष्य में चुनावों के संचालन को अधिक कुशल बनाने में अपना कीमती समय व्यतीत करते हैं, उन्हें यहां और अभी लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए. राजधानी में खतरनाक वायु गुणवत्ता, खासकर संसद के बाहर, भूजल का क्षरण, हमारी नदियों का प्रदूषण, हमारे शैक्षणिक संस्थानों और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की दयनीय स्थिति और देश के सामने पर्यावरणीय क्षरण अधिक तात्कालिक और दबाव वाले शासन के मुद्दे हैं और उन्हें एक साथ चुनाव के मामले के रूप में उनके ध्यान के लायक हैं.
भारत के नागरिक बार-बार अपने मताधिकार का प्रयोग करने से थक नहीं सकते हैं, लेकिन वे एक सभ्य जीवन की अपनी आकांक्षाओं के पूरा होने की प्रतीक्षा करते-करते थक सकते हैं.”
नक्सली बताकर अबूझमाड़ में चार बच्चों पर गोली चलाई
न्यूज लाँड्री ने बस्तर के अबूझमाड़ इलाके में हुए एनकाउंटर की रिपोर्ट की है. 11 दिसंबर की सुबह 14 वर्षीय चैतराम ओयम अपने माता-पिता के साथ छत्तीसगढ़ के नारायणपुर के दक्षिणी अबूझमाड़ में जंगल से लगे खेत में काम कर रहा था. वह पानी लाने नदी पर गया था, तभी अचानक सुरक्षा बलों के समूह ने गोलियां चलानी शुरू कर दीं. वह डरकर जंगल में भागा, लेकिन गोली उसे लग चुकी थी. साथ में उसके चाचा और चचेरे भाई भी भागे. इसी हाल में वह जंगल में छिपा रहा, बिना इलाज के. दो दिन बाद जब वह बाहर आया तो उसे पता चला कि उसके पिता मसल ओयम की गोली मारकर हत्या कर दी गई है.
आठ साल के सोनू ओयम ने बताया, वह अपने माता-पिता के साथ खेती कर रहा था. अचानक गोलीबारी शुरू हो गई. मेरे सिर पर कुछ लगा. जब मैं उठा तो ज़मीन पर पड़ा था. सोनू की मां पेंडो ने बताया कि उस सुबह एक गोली उसके बेटे के सिर को छूती निकल गई थी. मैं पति और बेटा खेती करने खेत गए थे. जब गोलीबारी शुरू हुई तो मैं और पति भागे, पर बेटा नहीं भाग सका. उसे गोली लग गई.
सुकली ओयम ने बताया, ‘11 दिसंबर को पति के साथ खेत में धान काट रही थी. मैंने ग्रामीणों की चीखें सुनीं जो भाग रहे थे. गोलियों की आवाज सुन हम भी भागने लगे. बड़ी संख्या में पुलिस लगातार गोलीबारी कर रही थी. मैं किसी तरह बच निकली, लेकिन मेरे पति गुडसा ओयम मारे गए. मेरा 14 साल का बेटा नेवार ओयम जो जान बचाने के लिए अपने पिता के साथ भागा था, वह लापता है. गाँव वाले कह रहे हैं कि वह भी अपने पिता के साथ मारा गया’.
17 साल के राजू बांदा ने बताया कि वह 11 दिसंबर को अपनी बहन के खेत उनके परिवार की मदद करने गया था. तभी सुरक्षा बलों ने गोलीबारी शुरू कर दी. गोली राजू के पैर में लगी और उसे भैरमगढ़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया.
15 साल की रामली पोयम ने बताया कि वह अपने माता-पिता के साथ खेत में फसल काट रही थी, तभी पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दी. इससे पहले कि मैं कुछ कर पाती, पीछे से किसी चीज से मेरी गर्दन पर वार हुआ और मैं गिर गई. मुझे नहीं पता कि उसके बाद क्या हुआ’. इनका इलाज दंतेवाड़ा और रायपुर के अस्पतालों में चल रहा है.
राज्य सरकार की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, ‘सुरक्षा बलों को दक्षिणी अबूझमाड़ में संदिग्ध माओवादियों के होने की ‘खुफिया जानकारी’ मिली थी. इसलिए सुरक्षा बलों ने नारायणपुर, दंतेवाड़ा और कोंडागांव में जिला रिजर्व गार्ड के सदस्यों और सीआरपीएफ और पुलिस विशेष कार्य बल के साथ 10 से 12 दिसंबर तक एक ‘ऑपरेशन’ चलाया. इसमें सात ‘नक्सली’ मारे गए. वहीं ग्रामीणों ने न्यूजलॉन्ड्री को बताया कि पुलिस की ओर से मारे गए सात में से सिर्फ दो नक्सली थे, बाकी पांच ग्रामीण हैं. वहीं बस्तर रेंज के महानिरीक्षक पी सुंदरराज ने न्यूजलॉण्ड्री को बताया, ‘वे आम ग्रामीण नहीं थे. वे माओवादी पार्टी के सदस्य थे. वे आस-पास के इलाकों के निवासी हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे नक्सली गतिविधियों में शामिल नहीं थे’.
बच्चों को गोली मारे जाने पर सुंदरराज ने कहा, ‘हमारी प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि घायल हुए बच्चों का इस्तेमाल संभवतः कुली या मानव ढाल के रूप में किया जा रहा था. इसी वजह से वे गोलीबारी में घायल हो गए होंगे.
इस साल जनवरी से जून के बीच बस्तर संभाग में हुए मुठभेड़ों में ‘104 ग्रामीण’ मारे गए हैं. इन सभी मामलों में सुरक्षा बलों का कहना है कि वे ‘नक्सली’ थे.
भारतीय खिलौना उद्योग की ऊंची छलांग : ‘इकॉनमिक टाइम्स’ की रिपोर्ट है कि भारत का खिलौना उद्योग ग्लोबल बाजार में धूम मचा रहा है. बीते कुछ वर्षों में भारत ने वैश्विक खिलौना निर्माताओं का ध्यान आकर्षित किया है. 2014-15 से 2022-23 के बीच भारत के खिलौना निर्यात में 239% की वृद्धि दर्ज की गई है.
टिफिन में मांसाहारी खाना लाने पर बच्चों को कोर्ट से राहत इलाहाबाद हाईकोर्ट से उन तीन नाबालिग बच्चों को राहत मिल गई है, जिन्हें मांसाहारी भोजन लाने के कारण स्कूल से निकाल दिया गया था. अदालत ने अमरोहा के जिला मजिस्ट्रेट से कहा कि दो सप्ताह के भीतर उन बच्चों को दूसरे स्कूल में दाखिला सुनिश्चित करें. अमरोहा के सबरा और तीन अन्य की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति एससी शर्मा की पीठ ने यह निर्देश दिया.
पिछड़ा वर्ग के शोध छात्रों को नहीं मिल रहा स्टाइपेंड : 'द हिंदू' में छपी ख़बर के मुताबिक राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग फेलोशिप (NFOBC) के तहत आने वाले शोधकर्ताओं को फेलोशिप फंड नहीं मिल पा रहा है. कुछ स्कॉलर्स ने बताया कि उन्हें जून 2024 से फंड ही नहीं मिला है. कई अन्य का कहना है कि जनवरी 2024 से शुरू हुए पूरे अकादमिक वर्ष के लिए उन्हें फंड नहीं मिला. वर्तमान में, इस योजना के तहत 2,499 छात्र लाभार्थी हैं. ऑल इंडिया रिसर्च स्कॉलर एसोसिएशन (AIRSA) ने 6 दिसंबर, 2024 को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सचिव अमित यादव को इस समस्या को हल करने के लिए पत्र भी लिखा है. स्टाइपेंड के भुगतान में लंबी देरी ने स्कॉलर्स की आर्थिक स्थिरता, मानसिक स्वास्थ्य और अकादमिक प्रगति पर गंभीर प्रभाव डाला है.
विरोध प्रदर्शन के दौरान दो कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मौत : बुधवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी की ओर से किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों के दौरान ‘अत्यधिक पुलिस बल’ के कारण उत्तर प्रदेश और असम में अलग-अलग घटनाओं में दो कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मौत हो गई. इनके नाम मृदुल इस्लाम और प्रभात पांडेय हैं. इस सदर्भ में राहुल गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट भी लिखकर मृतकों के प्रति संवेदना जताई है.
डाक विभाग ने पत्रिकाएं भेजने की रियायत हटाई : हिंदी के प्रकाशक गौरीनाथ ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा- लगभग 15 साल पहले एक महीने से ज़्यादा की समयावधि पर निकलने वाली (त्रैमासिक, अर्धवार्षिक, वार्षिक, अनियमित अवधि वाली) पत्रिकाओं के लिए रियायत हटाकर डाक विभाग ने अपनी सेवाओं में व्यापक परिवर्तन किया था. यूँ तब भी कई लोग मुद्रित पुस्तक की श्रेणी में पत्रिकाएँ भेजकर जैसे-तैसे काम चला लेते थे. विरोध उस तरह कहीं दिखा ही नहीं. जबकि तभी यह साफ़ हो गया था कि सरकार लघु पत्रिकाओं पर अंकुश लगाना चाहती है. हिंदी के वरिष्ठ संपादक नवीन जोशी ने भी इसी तरह का पोस्ट किया है.
अडानी का बांग्लादेश सौदा खटाई में
रॉयटर्स द्वारा देखे गए दस्तावेज़ों के अनुसार बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने ऊर्जा आपूर्तिकर्ता अडानी पावर पर नई दिल्ली से प्राप्त सौदे के केंद्रीय बिजली संयंत्र के कर लाभों को रोककर बहु-अरब डॉलर के समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. अरबपति गौतम अडानी ने पूर्वी भारत में अपने कोयला आधारित संयंत्र से बिजली बेचने के लिए बांग्लादेश के साथ शेख हसीना की सरकार में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. कोई टेंडर भी इसके लिए नहीं निकला था. नए निजाम को ये डील खटक रही है. ढाका ने कहा है कि उसे इस डील पर फिर से बातचीत करने की उम्मीद है. रिपोर्ट के अनुसार, अडानी पावर ने भारत सरकार द्वारा दिए गए टैक्स छूट के लाभ को बांग्लादेश तक नहीं पहुंचाया. समझौते के तहत अडानी पावर को टैक्स स्थिति में किसी भी बदलाव की जानकारी बांग्लादेश सरकार को देनी थी और टैक्स छूट का लाभ हस्तांतरित करना था.
बांग्लादेश ने जुलाई 2023 से अडानी पावर का भुगतान अटकाया हुआ है. अडानी पावर का दावा है कि उसे करीब 7,470 करोड़ रुपये का भुगतान होना बाकी है, जबकि बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (बीपीडीबी) का कहना है कि बकाया तो केवल 5,400 करोड़ रुपये ही है. बांग्लादेश के डॉलर संकट के कारण बीपीडीबी फिलहाल कंगाल है. पेमेंट रुकी तो अडानी पावर ने भी 31 अक्टूबर को बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति आधी कर दी. इससे और तनातनी हुई. अक्टूबर में ही बांग्लादेश ने अडानी पावर को करीब 800 करोड़ रुपये का सबसे बड़ा बिजली भुगतान चुकाया था. विवाद का मुख्य कारण बिजली टैरिफ हैं. बांग्लादेश को अन्य बिजली स्रोतों से मिल रही बिजली के मुकाबले अडानी के रेट औसत से 55% अधिक हैं. बांग्लादेश में अब अडानी डील समेत कई ऊर्जा सौदों की समीक्षा के लिए विशेषज्ञ पैनल गठित किया गया है.
2024 का साल मोदी के अच्छे दिन नहीं लाया
समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग ने साल खत्म होने पर मोदी की स्थिति की समीक्षा की है. डैन स्ट्रम्फ और सुधिरंजन सेन लिखते हैं कि 2024 की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मजबूत स्थिति में थे, लेकिन साल के अंत तक वे कई चुनौतियों से घिर चुके हैं. चुनावों में उम्मीद से कम सीटें मिलीं, जिससे उनकी पार्टी को गठबंधन सरकार बनानी पड़ी. अर्थव्यवस्था धीमी हो रही है, वैश्विक निवेशक पीछे हट रहे हैं और रुपये का मूल्य गिर रहा है. पड़ोसी देशों में राजनीतिक घटनाक्रम भी भारत के खिलाफ जा रहे हैं. घरेलू स्तर पर जम्मू-कश्मीर में हिंसा बढ़ रही है. उनकी छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नुकसान पहुंचा है, उनके सहयोगी भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं. आगामी चुनावों में, उनकी पार्टी को एक नए अध्यक्ष का चुनाव करना होगा, जहां आंतरिक मतभेद उभर सकते हैं. राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्ष भी मजबूत हुआ है. इसके बावजूद, भारत अभी भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. आने वाले समय में, मोदी को अपनी छवि और समर्थन को फिर से हासिल करने के लिए नए रास्ते खोजने होंगे. 2024 की शुरुआत में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतरराष्ट्रीय प्रशंसा की लहर पर सवार थे और एक ऐसे चुनाव अभियान की उम्मीद कर रहे थे जो इतना औपचारिक लग रहा था कि उन्होंने एक हजार साल की विरासत की बात की. अब, वह मतपेटी में, अर्थव्यवस्था में, विदेशी भागीदारों के साथ संबंधों में और भारत के अपने आँगन में असफलताओं का एक वर्ष देख रहे हैं.

2025 में मोदी कमजोर स्थिति में हैं. तीसरा कार्यकाल हासिल करने के बाद, वे ऐसे भारत के शीर्ष पर हैं, जिसकी अर्थव्यवस्था धीमी हो रही है, उनके आसपास के लोगों पर आपराधिक आरोप हैं, और राजनीतिक तौर पर वह कमज़ोर पड़ रहे हैं. वह 74 साल के हो गये हैं. रुपया डॉलर के सामने लुढ़क कर रिकॉर्ड गिरावट पर है. वैश्विक निधियों ने सितंबर के अंत से स्थानीय शेयरों से लगभग 10 अरब डॉलर निकाले हैं, जो 2022 के मध्य के बाद किसी भी तिमाही में से सबसे बड़ा पुल आउट है. बॉन्ड आउटफ्लो भी तेज हो गया है.
भारत के पड़ोसियों के बीच तत्काल चुनौतियां सामने आई हैं, जहां राजनीतिक घटनाक्रम नई दिल्ली के खिलाफ चले गए. बांग्लादेश - तर्कसंगत रूप से भारत का सबसे करीबी क्षेत्रीय सहयोगी - मोदी की सहयोगी शेख हसीना को सड़क प्रदर्शनकारियों द्वारा उखाड़ फेंकने के बाद एक महत्वपूर्ण नई चिंता बन गया है. मालदीव में, एक चीन समर्थक उम्मीदवार और उनकी पार्टी का दबदबा है. श्रीलंका में, जहां भारत भी चीन के साथ प्रभाव के लिए प्रतिस्पर्धा करता है, मतदाताओं ने दोनों शक्तियों के प्रति संशयवादी एक बाहरी व्यक्ति का पक्ष लिया. घर पर, जम्मू और कश्मीर में हिंसा बढ़ रही है, यह अशांत क्षेत्र जिसे मोदी ने अपनी सरकार के प्रत्यक्ष नियंत्रण में लाया, इसकी स्वायत्तता को खत्म कर दिया. बारह महीने में मोदी जहाँ पहले थे, अब कहीं ज्यादा चुनौतियों से घिरे हैं. और पहले से कहीं ज्यादा कमजोर.
अब अख़बार के संपादक भी रूस के सैन्य निशाने पर
रूस की सुरक्षा परिषद के उपप्रमुख दिमित्री मेदवेदेव ने ब्रिटिश अखबार 'द टाइम्स' के संपादकों को 'वैध सैन्य लक्ष्य' करार दिया है. यह बयान उस संपादकीय के बाद आया है, जिसमें अखबार ने रूस के लेफ्टिनेंट जनरल इगोर किरीलोव की हत्या को यूक्रेन द्वारा किया गया 'आत्मरक्षा का वैध कृत्य' बताया था. रूसी सेना के रासायनिक, जैविक और रेडियोधर्मी हथियार इकाई के प्रमुख इगोर किरीलोव की हत्या मंगलवार को मॉस्को के दक्षिण-पूर्वी इलाके में हुई. अब मेदवेदेव ने अखबार के संपादकीय पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 'जो लोग इस तरह के हमलों को सही ठहराते हैं, वे खुद वैध सैन्य लक्ष्य हैं.'
बलात्कार मामले की सुनवाई, जिससे पूरा यूरोप दहल गया
फ्रांस की गिसेल पेलिकॉट नाम की महिला को उसके क्रूर और विक्षिप्त पति डोमिनिक पेलिकॉट ने क्रूरता से धोखा दिया. नौ साल तक डोमिनिक ने अपनी पत्नी को नशीली दवाएं देकर अचेत किया और दर्जनों पुरुषों को अपने घर बुलाकर उनका यौन शोषण करवाया. दक्षिण फ्रांस के एक छोटे शहर माज़ामेट में यह अपराध 2009 से 2018 के बीच हुआ और अब इस चर्चित केस में सभी 51 पुरुषों को दोषी पाया गया है. डोमिनिक पेलिकॉट को 20 साल की कैद की सज़ा सुनाई गई है.
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