20/03/2025 : किसान फिर गिरफ्तार, तेलंगाना में अजा का उपवर्गीकरण, औरंगजेब विवाद बढ़ा, बहुत खराब है ईडी का स्ट्राइक रेट, फ्री स्पीच रेटिंग में लुढ़कता भारत, पुतिन की बिसात, ग्रोक की काट ढूँढ़ती सरकार
‘हरकारा’ यानी हिंदी भाषियों के लिए क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज़्यादा !
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां :
किसी भी राज्य पर कोई भाषा थोपी नहीं जाएगी
कपिल मिश्रा पर केस जारी रहेगा
मणिपुर में फिर हुई हिंसा में एक की मौत
केंद्र के पास महाकुंभ भगदड़ में हुई मौतों और घायलों का कोई डेटा नहीं
जज साहब की 'बलात्कार की परिभाषा' और पत्नी के 'पोर्न देखने का सुख' पर अदालत की टिप्पणी
उत्तराखंड में अब हिंदू कैलेंडर कम्पलसरी
जादू-टोने के विवाद में तीन की हत्या
अंतरिक्ष में रिकॉर्ड बनाकर धरती पर लौट आईं सुनीता
शेखर कपूर का दुख और ‘बैंडिट क्वीन’ का बेतुका कट
ज़ेलेंस्की से बात करने के बाद ट्रम्प ने कहा- 'हम सही रास्ते पर हैं'
100,000 फिलिस्तीनियों पर टूट पड़ी आफत
दिल्ली में किसानों से ‘सौहार्द’, पंजाब में डंडे और हथकड़ी
भू-खनौरी बॉर्डर से किसानों को हटाया, डल्लेवाल-पंधेर समेत 200 हिरासत में
पंजाब पुलिस ने हरियाणा-पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों को हटाकर दोनों बॉर्डर खाली करा दिए हैं. एमएसपी गारंटी सहित अन्य मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों और केंद्र सरकार के बीच बुधवार को बातचीत बेनतीजा रही. किसान नेता वार्ता के बाद आंदोलन स्थल की तरफ लौट रहे थे, तभी उनके खिलाफ कार्रवाई की गई. हालांकि केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया, “सौहार्दपूर्ण वातावरण में सकारात्मक चर्चा हुई. वार्ता जारी रहेगी. अगली बैठक 4 मई को होगी.”
200 किसानों को हिरासत में ले लिया गया, जिनमें लंबे समय से आमरण अनशन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के जगजीत डल्लेवाल और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के संयोजक सरवण पंधेर भी शामिल हैं. किसानों के बनाए शेड भी तोड़ दिए गए.
पंजाब पुलिस की कार्रवाई के बाद गुरुवार को हरियाणा पुलिस भी दोनों बॉर्डर पर पहुंचेगी, जिसके बाद सीमेंट की बैरिकेडिंग हटाई जाएगी. इसके बाद शंभू बॉर्डर से जीटी रोड को वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दिया जाएगा. कोई एक साल से ज्यादा समय से बॉर्डर बंद थे. पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा, “किसानों को हटाने की कार्रवाई न्यायसंगत है, क्योंकि दोनों हाईवे पंजाब की जीवनरेखा हैं. लंबे समय से दोनों के बंद रहने से उद्योग और कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है. पंजाब की ‘आप’ सरकार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए प्रतिबद्ध है.”
औरंगजेब की कब्र के ऊपर नो-ड्रोन ज़ोन घोषित
मुगल सम्राट औरंगजेब की कब्र, जो महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर (पुराना औरंगाबाद) जिले के खुल्दाबाद में स्थित है, को सुरक्षा कारणों से नो-ड्रोन ज़ोन घोषित किया गया है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, जिनके पास गृह विभाग का दायित्व भी है, ने बुधवार को “कब्र” शब्द का इस्तेमाल कर अजीबोगरीब बयान दिया. सोमवार की रात नागपुर में हुई हिंसा को एक पूर्व-नियोजित साजिश बताते हुए उन्होंने यह आश्वासन दिया कि दोषियों को उनकी “कब्रों” से निकालकर सजा देंगे, छोड़ेंगे नहीं. हालांकि उनके बयान से यह स्पष्ट नहीं होता कि दोषी कौन हैं और किनको कब्रों से निकाला जाएगा. इस बीच, बुधवार को नागपुर में आमतौर पर हालात शांतिपूर्ण रहे. पुलिस ने स्थानीय पार्टी के नेता और कार्यकर्ता फहीम खान को गिरफ्तार किया है, जिसे इन दंगों का मास्टरमाइंड माना जा रहा है.
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल के आठ कार्यकर्ताओं ने कोतवाली पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया. इन सभी के खिलाफ औरंगज़ेब की कब्र को हटाने की मांग के दौरान हुए विरोध प्रदर्शन में धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है. जानकारी के अनुसार पुलिस ने हिंसा को लेकर पांच एफआईआर दर्ज की हैं और अब तक 51 लोगों को गिरफ्तार किया है. इस बीच “द इंडियन एक्सप्रेस” को दिए एक इंटरव्यू में शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने मुख्यमंत्री फडणवीस पर निशाना साधते हुए नागपुर हिंसा को उनकी सरकार की "बड़ी विफलता" करार दिया. फडणवीस से सवाल किया कि यदि हिंसा पूर्व नियोजित थी, तो उन्हें सीएम के नाते इसकी जानकारी क्यों नहीं थी? उन्होंने कहा, “आरएसएस और उसकी सहयोगी संस्थाएं इस तरह के मुद्दों पर लोगों को भड़काने और आग लगाने में निपुण हैं. नागपुर का 300 साल से अधिक का इतिहास है, लेकिन उसने कभी सांप्रदायिक अशांति नहीं देखी. नागपुर फडणवीस का अपना शहर है और यह हिंसा उनकी सरकार और गृह मंत्रालय (जिसके प्रमुख वे हैं) की बड़ी विफलता है. राउत ने यह भी कहा कि यह मामला फिल्म “छावा” की रिलीज के बाद भड़का, जो छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित है, जिन्हें औरंगजेब ने मार दिया था. दिलचस्प है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि किसी भी प्रकार की हिंसा समाज के लिए हानिकारक है. एक सवाल के जवाब में आंबेकर ने कहा कि औरंगज़ेब और उसकी कब्र को हटाया जाना आज प्रासंगिक नहीं है.
तेलंगाना में अनुसूचित जाति का उपवर्गीकरण बिल पास
तेलंगाना विधानसभा ने मंगलवार को "तेलंगाना अनुसूचित जाति (आरक्षण का युक्तिसंगतकरण) विधेयक, 2025" पारित किया. यह कदम सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के सात महीने बाद आया, जिसने अगस्त 2024 में राज्यों को अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण की इजाजत दी थी. तेलंगाना, भाजपा शासित हरियाणा के बाद यह रास्ता अपनाने वाला दूसरा राज्य बन गया. इस कानून की नींव में मदिगा समुदाय का संघर्ष था. 1990 के दशक में मंडा कृष्णा के नेतृत्व में शुरू हुए "मदिगा दंडोरा आंदोलन" ने आज अपनी पहली जीत देखी. 2007 में कृष्णा ने आमरण अनशन शुरू किया था. हैदराबाद के घने पारसीगुट्टा इलाके में उन्होंने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया, जबकि उनके समर्थकों ने पुलिस को रोकने के लिए खुद को आग लगाने की धमकी दी. पुलिस को दरवाज़ा तोड़कर उन्हें बचाना पड़ा. एक और घटना में, कांग्रेस के गांधी भवन को घेरते हुए चार सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी.
नए कानून के तहत, राष्ट्रपति की सूची में शामिल 59 उप-जातियों को तीन वर्गों में बांटा गया:
1. समूह-1 : 15 सबसे पिछड़ी जातियाँ (3.28% जनसंख्या), जिन्हें 1% आरक्षण.
2. समूह-2 : मदिगा और उनकी उप-जातियाँ (62.74% जनसंख्या), जिन्हें 9% आरक्षण.
3. समूह-3 : माला और उनकी उप-जातियाँ (33.96% जनसंख्या), जिन्हें 5% आरक्षण.
पड़ोसी आंध्र प्रदेश भी इसी राह पर चल पड़ा है. मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने एक समिति बनाई, जिसने उप-वर्गीकरण की सिफारिश की. कैबिनेट ने रिपोर्ट स्वीकार की, पर जिला या राज्य स्तर पर लागू करने का फैसला टाल दिया. तेलंगाना ने पिछड़े वर्गों (बीसी) के लिए आरक्षण 42% करने का भी विधेयक पारित किया. अब राज्य में कुल आरक्षण 67% (बीसी-42%, एससी-15%, एसटी-10%) होगा. मुख्यमंत्री रेड्डी ने कहा, "2024 जनगणना के बाद एससी आरक्षण 15% से बढ़ाकर 18% किया जाएगा." 50% सीमा पार करने के कारण, कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से मिलने की तैयारी है. रेड्डी ने मोदी को पत्र लिखकर समय माँगा है.
किसी भी राज्य पर कोई भाषा थोपी नहीं जाएगी
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने बुधवार को राज्यसभा में बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत स्कूली छात्रों द्वारा सीखी जाने वाली तीन भाषाओं का चयन राज्य, क्षेत्र और बच्चे करेंगे तथा किसी भी राज्य पर कोई भाषा थोपी नहीं जाएगी. बता दें, त्रि-भाषा फॉर्मूला इन दिनों विवाद का कारण बना हुआ है. खासकर, तमिलनाडु ने केंद्र द्वारा हिंदी थोपने का आरोप लगाते हुए इसे लागू करने से इनकार कर दिया है. राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में मजूमदार ने कहा कि बच्चों द्वारा सीखी जाने वाली तीन भाषाएं राज्यों, क्षेत्रों और निश्चित रूप से छात्रों की पसंद से तय होंगी, बशर्ते तीन भाषाओं में से कम से कम दो भारत की मूल भाषाएं हों.
193 नेताओं पर ईडी के मामले, 2 पर दोष सिद्ध
'द टेलीग्राफ' की रिपोर्ट है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच किए जा रहे 193 राजनीतिज्ञों में से केवल दो ही दोषी करार दिए गए हैं, जिनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे. यह जानकारी केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने मंगलवार को राज्यसभा में एक सांसद द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में लिखित रूप से दी. "राज्यवार, पार्टीवार, सांसदों, विधायकों और स्थानीय प्रशासकों के खिलाफ ईडी द्वारा दर्ज मामलों का डेटा नहीं रखा जाता है," चौधरी ने अपने जवाब में लिखा, जिसमें 1 अप्रैल 2015 से 28 फरवरी 2025 के बीच राजनीतिज्ञों के खिलाफ ईडी द्वारा दायर मामलों का वर्षवार विवरण दिया गया. सबसे अधिक 32 मामले 2022-23 के वित्तीय वर्ष में दर्ज किए गए, इसके बाद 2020-21 और 2023-24 में 27-27 मामले दर्ज हुए, जबकि 2019-20 और 2021-22 में 26-26 मामले दर्ज हुए. केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों की जांच से पता चलता है कि नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में, विशेष रूप से 2024 के लोकसभा चुनाव नजदीक आने के दौरान, ईडी की गतिविधियों में वृद्धि हुई. 2022 और 2024 के बीच 59 मामले दर्ज किए गए.
पिछले कुछ वर्षों में, पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी सहयोगी ज्योतिप्रिय मल्लिक और अनुब्रत मंडल जैसे कई प्रमुख तृणमूल कांग्रेस नेताओं और कई अन्य विधायकों को इस एजेंसी ने गिरफ्तार किया. चटर्जी को छोड़कर, अधिकांश अन्य लोग जमानत पर बाहर हैं. तृणमूल महासचिव अभिषेक बनर्जी से कथित कोयला घोटाले के सिलसिले में कई बार पूछताछ की गई. अभिषेक बनर्जी का नाम शिक्षकों की भर्ती घोटाले में सीबीआई द्वारा दायर आरोप पत्र में भी शामिल है, जिसमें चटर्जी मुकदमे का सामना कर रहे हैं.
सीपीएम सांसद ए.ए. रहीम ने अपने तारांकित प्रश्न संख्या 2007 में पिछले 10 वर्षों में सांसदों, विधायकों और स्थानीय प्रशासन के खिलाफ दर्ज मामलों की राज्यवार और पार्टीवार संख्या, दोषसिद्धियों और बरी होने की संख्या के बारे में वित्त मंत्रालय से पूछा था. उन्होंने यह भी पूछा कि क्या पिछले 10 वर्षों में विपक्षी नेताओं के खिलाफ ईडी द्वारा दायर मामलों की संख्या में कोई वृद्धि हुई है. मंत्री ने कहा कि एजेंसी के पास इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि विपक्षी नेताओं के खिलाफ मामलों की संख्या में कोई वृद्धि हुई है या नहीं.
राष्ट्रीय विपक्षी पार्टियां अक्सर ईडी और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों को भाजपा की "धोबीघाट मशीनें" कहकर संबोधित करती हैं. 'द इंडियन एक्सप्रेस' की एक पिछली रिपोर्ट के अनुसार, 25 विपक्षी नेताओं के खिलाफ दर्ज मामले भाजपा में शामिल होने के बाद वापस ले लिए गए. इन नामों में पश्चिम बंगाल के विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा शामिल हैं. वहीं, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के अन्य नेताओं को कथित शराब घोटाले के सिलसिले में जेल भेज दिया गया था.
कपिल मिश्रा पर केस जारी रहेगा
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को भाजपा नेता और दिल्ली के कानून मंत्री कपिल मिश्रा के उस अनुरोध को ठुकरा दिया, जिसमें उन्होंने साम्प्रदायिक दुश्मनी फैलाने के 2020 के एक मामले में उनके खिलाफ चल रही सुनवाई को रोकने की मांग की थी. मिश्रा सत्र न्यायालय द्वारा इस मामले में उनकी पुनरीक्षण याचिका खारिज किए जाने के खिलाफ चुनौती दे रहे हैं. मिश्रा की पुनरीक्षण याचिका में, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 (चुनाव के संदर्भ में वर्गों के बीच दुश्मनी फैलाना) के तहत दर्ज 2020 के मामले में उन्हें जारी किए गए समन को चुनौती दी गई थी. मिश्रा पर 2020 में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में "दिल्ली में छोटे-छोटे पाकिस्तान बने हैं" और "शाहीन बाग में पाकिस्तान की एंट्री हो गई है" जैसे आपत्तिजनक बयान देने का आरोप लगाया गया है. यह मामला मिश्रा के एक ट्वीट से भी जुड़ा है, जिसमें उन्होंने 8 फरवरी, 2020 (दिल्ली विधानसभा चुनाव के दिन) को "दिल्ली की सड़कों पर भारत बनाम पाकिस्तान" की लड़ाई होने की बात कही थी.
35 हज़ार से अधिक एमएसएमई बंद : केंद्रीय एमएसएमई राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने सोमवार को संसद में बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में 35,567 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) ने अपने शटर गिरा दिए. यह आंकड़ा केंद्र सरकार के उद्यम पंजीकरण पोर्टल के अनुसार है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2020-21 से अब तक कुल 75,082 एमएसएमई इकाइयाँ बंद हो चुकी हैं.
फ्री स्पीच सूचकांक में भारत 33 देशों में 24वें स्थान पर
वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी स्थित थिंक टैंक ‘द फ्यूचर ऑफ फ्री स्पीच’ की रिपोर्ट के अनुसार, अभिव्यक्ति की स्वतंतत्रता को मापने वाले वैश्विक सूचकांक में भारत 33 देशों में काफी नीचे 24वें स्थान पर पहुंच गया है. औसत 62.63 अंक पाकर भारत- नॉर्वे, डेनमार्क और स्वीडन जैसे स्कैंडिनेवियाई देशों से बहुत पीछे है. यहां तक कि लोकतांत्रिक रूप से पिछड़े देश हंगरी और वेनेजुएला भी खुले संवाद के मामले में भारत से काफी आगे हैं. अक्टूबर 2024 के YouGov सर्वेक्षण से पता चलता है कि 2021 के बाद से भारत में मुक्त भाषण परिदृश्य में गंभीर गिरावट आई है.
रिपोर्ट के आधार में निजी भाषण, मीडिया और इंटरनेट से संबंधित सेंसरशिप, सरकार की आलोचना, धर्म के लिए अपमानजनक, अल्पसंख्यक समूहों के लिए अपमानजनक, समलैंगिक संबंधों का समर्थन करने वाले या राष्ट्रीय ध्वज का अपमान, राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के मुकाबले मुक्त भाषण को प्राथमिकता देने को बनाया गया था.
मणिपुर में फिर हुई हिंसा में एक की मौत : मणिपुर में शीर्ष निकायों के बीच शांति समझौते के कुछ ही घंटों बाद चुराचांदपुर जिले में हमार और ज़ोमी समुदायों के बीच ताजा झड़प में 53 साल के एक व्यक्ति लालरोपुई पखुमाते की मौत हो गई. अधिकारियों ने कहा कि हिंसा तब भड़की, जब 18 मार्च की शाम को हमार लोगों ने ज़ोमी समूह द्वारा अपने समुदाय का झंडा फहराने का विरोध किया. एक दिन पहले ही हमार इनपुई और ज़ोमी परिषद ने शांति के लिए मिलकर काम करने पर सहमति जताई थी. इसके बाद बुधवार तक ज़ोमी छात्र संघ ने स्कूल, कॉलेज और दुकानें बंद कर दी. इस क्षेत्र में मई 2023 से कुकी-ज़ो और मैतेई समूहों के बीच हुए जातीय संघर्ष के बाद से 250 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं और अब तक 60,000 लोग बेघर घूम रहे हैं. सीएम बीरेन सिंह के जाने के बाद पिछले महीने लगाये गये राष्ट्रपति शासन के बावजूद कोई समाधान निकलता नहीं दिख रहा है.
मणिपुर में राहत शिविरों का दौरा करेंगे सुप्रीम कोर्ट के जज : ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ की रिपोर्ट है कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष, न्यायमूर्ति भूषण आर गवई के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीशों की छह सदस्यीय एक टीम 22 मार्च को मणिपुर के राहत शिविरों का दौरा करेगी. इस दौरे का उद्देश्य आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (IDPs) की स्थितियों का मूल्यांकन करना और कानूनी एवं मानवीय सहायता प्रयासों को मजबूत करना है. इस प्रतिनिधिमंडल में न्यायमूर्ति सूर्यकांत, विक्रम नाथ, एमएम सुंदरेश, केवी विश्वनाथन और एन कोटिस्वर सिंह शामिल होंगे, जो मिलकर विस्थापित समुदायों के साथ संवाद करेंगे और कानूनी सहायता तथा चिकित्सा सहायता के विस्तार के लिए पहलों की निगरानी करेंगे. मंगलवार को प्राधिकरण द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, यह दौरा मणिपुर उच्च न्यायालय की द्वादश वार्षिक (12 साल) वर्षगांठ के उपलक्ष्य में किया जा रहा है. 3 मई, 2023 को मणिपुर में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के लगभग दो साल बाद भी हजारों लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं. इस हिंसा में 250 से अधिक लोगों की जान गई थी और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए थे. पुनर्वास के प्रयासों के बावजूद, इस संकट ने कई लोगों को सामान्य जीवन में लौटने के लिए जूझते हुए छोड़ दिया है और कानूनी, चिकित्सा और आर्थिक चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं.
बांग्लादेशी मेडिकल टूरिस्ट भारत की बजाय अब चीन की तरफ
रिश्ते खराब होने के कारण भारत अब कम बांग्लादेशियों को मेडिकल वीजा दे रहा है. नतीजतन अब वे चीन की तरफ जाने लगे हैं. ‘रॉयटर्स’ के मुताबिक अगस्त से, भारत ने हर कार्यदिवस में 1,000 से भी कम मेडिकल वीजा जारी किए हैं, जो पहले के 5,000 से 7,000 के आंकड़े से कम है. शेख हसीना को बदलने के बाद संबंध में गर्मजोशी न रहने के कारण संख्याएँ गिरी हैं. चीन, ढाका में एक मैत्री अस्पताल खोलने पर भी विचार कर रहा है. बांग्लादेश सरकार ने कहा है, चीन में इलाज करवा रहे बांग्लादेशियों के लिए पहुंच आसान कर दी है. चीनी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि चीन बांग्लादेश के साथ मिलकर लगातार पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग को और घ्रनिष्ठ करने को तैयार है.
केंद्र के पास महाकुंभ भगदड़ में हुई मौतों और घायलों का कोई डेटा नहीं
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल और किरसन नामदेव ने संसद में मंगलवार को जनवरी महीने में कुंभ मेले में हुई भगदड़ में मरने वालों और घायलों की संख्या के बारे में पूछा था. इसके जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि मंत्रालय के पास इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों में धार्मिक सभाएं और भीड़ प्रबंधन ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ बनाए रखने से संबंधित है, जो राज्य का विषय है. इतना ही नहीं, जांच और पीड़ितों को आर्थिक सहायता मुहैय्या कराये जाने के संदर्भ में पूछे सवाल पर उन्होंने कहा कि भगदड़ समेत किसी भी तरह की आपदा की जांच और मृतक श्रद्धालुओं और घायलों के परिवारों को आर्थिक सहायता देना भी संबंधित राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है. इस तरह का कोई भी डेटा केंद्रीकृत रूप से नहीं रखा जाता है. ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए उठाए गए कदम के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो दोनों ने भीड़ प्रबंधन पर दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इनका उपयोग राज्य सरकारों को अपने स्वयं के तंत्र विकसित करने के लिए करना चाहिए.
जज साहब की 'बलात्कार की परिभाषा' और पत्नी के 'पोर्न देखने का सुख' पर अदालत की टिप्पणी
'द हिंदू' की खबर है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस हफ्ते कहा कि किसी लड़की के स्तनों को पकड़ना, उसकी पाजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश करना, किसी आरोपी पर बलात्कार या बलात्कार के प्रयास का आरोप लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है. अदालत ने "तैयारी के चरण" और "वास्तविक प्रयास" के बीच अंतर को स्पष्ट किया. अदालत ने निचली अदालत द्वारा दो आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों में संशोधन का आदेश दिया. न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा ने अपने आदेश में कहा - "बलात्कार के प्रयास का आरोप लगाने के लिए, अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होगा कि यह तैयारी के चरण से आगे बढ़ चुका था. अपराध करने के वास्तविक प्रयास और उसकी तैयारी के बीच का अंतर मुख्य रूप से दृढ़ संकल्प की उच्च डिग्री में होता है."
'द हिंदू' की ही एक अन्य खबर है कि मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने एक व्यक्ति की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उसे तलाक देने से इनकार करने के पारिवारिक अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी. अदालत ने कहा कि पत्नी का निजी रूप से पोर्न देखना और आत्मसंतोष में लिप्त होना, पति के प्रति क्रूरता नहीं मानी जा सकती. न्यायमूर्ति जी.आर. स्वामीनाथन और आर. पूर्णिमा की खंडपीठ ने देखा कि यह विवाह दोनों पक्षों के लिए उनकी दूसरी पारी की शुरुआत थी. उनके पहले विवाह अदालत के माध्यम से समाप्त हो चुके थे. अपीलकर्ता इस दूसरे विवाह को भी समाप्त करना चाहता था. उसने अपने मामले को इस आधार पर रखा कि उसकी पत्नी संक्रामक रूप में गुप्त रोग से पीड़ित थी और उसका आचरण पति के प्रति क्रूरता था. अदालत ने कहा कि यह आरोप लगाना कि जीवनसाथी गुप्त रोग से पीड़ित है, एक गंभीर कलंक लगाता है. न्यायाधीशों ने कहा कि अपीलकर्ता यह साबित करने में विफल रहा कि उसकी पत्नी गुप्त रोग से पीड़ित थी. उसका दूसरा आधार यह था कि उसकी पत्नी ने उसके साथ क्रूरता की थी. उसने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी पोर्न देखने की आदी थी और अक्सर आत्मसंतोष में लिप्त रहती थी. अदालत ने कहा कि निजी रूप से पोर्न देखना (जब तक वह कानूनी रूप से प्रतिबंधित श्रेणी का न हो) अपराध नहीं माना जा सकता.
सरकार के लिए सरदर्द बनी एआई ग्रोक की बेबाकी
इलोन मस्क की ट्विटर पर एआई पेशकश 'ग्रोक' ने नरेंद्र मोदी और उनके इकोसिस्टम को इतना हिला दिया है कि आईटी सेल इससे निपटने की रणनीति बनाने में जुट गया है. मोदी सरकार के अर्थव्यवस्था पर बड़े-बड़े दावों और चुनावी बॉन्ड जैसे तथाकथित सुधारों को ग्रोक ने बेरहमी से उजागर किया है. प्रधानमंत्री की ग्रेजुएशन डिग्री और सरकार द्वारा उसे छिपाने के प्रयासों से जुड़ी शर्मनाक जानकारियां भी ग्रोक के जरिए सामने आ रही हैं. 'द इंडिया केबल' ने अपने न्यूजलेटर में सूत्रों के हवाले से लिखा है कि सत्ता पक्ष अब इस बात की पड़ताल कर रहा है कि इलोन मस्क को कैसे राजी किया जाए कि वह सच का थोड़ा "संशोधित" संस्करण पेश करें. इससे पहले मोदी सरकार गूगल के एआई टूल जेमिनी पर तब सख्त हो गई थी जब उसने मोदी की नीतियों को फासीवादी बताने वाले जवाब दिए थे. मगर मस्क अलग मिजाज के हैं और उन्हें धमकियों से झुकाना आसान नहीं होगा, इसलिए कोई और योजना बनाई जा रही है. मस्क स्वतंत्र अभिव्यक्ति के पैरोकार हैं, मगर तब ही जब यह उनके हित में हो. एक नीति विशेषज्ञ का कहना है कि संभवतः मस्क ग्रोक का इस्तेमाल मोदी सरकार पर अपने व्यावसायिक हित साधने के लिए दबाव बनाने के रूप में कर सकते हैं और बाद में किसी चरण पर ग्रोक की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की भूमिका को हल्का कर सकते हैं. हालांकि, मस्क को यह ध्यान रखना होगा कि मोदी के इकोसिस्टम द्वारा बढ़ाए जा रहे वैकल्पिक नैरेटिव पर ग्रोक कितनी सच्चाई रोके रख सकता है. ग्रोक की व्यावसायिक सफलता इसकी पूरी सच्चाई बताने की क्षमता पर आधारित है. यह मस्क के लिए एक व्यवसायिक और ब्रांड प्रस्ताव भी है, इसलिए उन्हें चीजों को संतुलित करने के अपने प्रयास में सतर्क रहना होगा.
उत्तराखंड में अब हिंदू कैलेंडर कम्पलसरी : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी विभागों को निर्देश दिया है कि सरकारी अधिसूचनाओं और उद्घाटन-शिलान्यास पट्टिकाओं में हिंदू कैलेंडर के अनुसार तिथि और माह का उल्लेख किया जाए. धामी ने कहा कि विक्रम संवत भारतीय संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा है. उदाहरण के लिए, 19 मार्च 2025 को हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल पंचमी, विक्रम संवत 2082, शक संवत 1946 के रूप में उल्लेख किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने मुख्यसचिव को इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग को तुरंत आवश्यक आदेश जारी करने के निर्देश दिए हैं, ताकि भविष्य में सभी सरकारी और राजपत्रित अधिसूचनाओं, शिलान्यास पट्टिकाओं और उद्घाटन पट्टिकाओं में विक्रम संवत और फाल्गुन, कृष्ण पक्ष/शुक्ल पक्ष जैसे हिंदू महीनों के साथ तारीख और वर्ष को शामिल किया जा सके.
जादू-टोने के विवाद में तीन की हत्या : ओडिशा के गंजम जिले में मंगलवार (18 मार्च, 2025) को जादू-टोने के संदेह को लेकर दो समूहों के बीच हुई झड़प में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई और तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए. पुलिस ने यह जानकारी दी. यह घटना खारीपल्ली गाँव में हुई. पुलिस के अनुसार, गाँव में जादू-टोने के संदेह के कारण यह संघर्ष भड़का. मृतकों की पहचान खडाल बेहरा (70), उनके बेटे रत्नाकर बेहरा (35) और रमेश बेहरा (40) के रूप में की गई है.
शिक्षा और रोजगार के बीच बढ़ता असंतुलन
'द हिंदू बिजनेसलाइन' की खबर है कि कार्यबल में निम्न शिक्षा स्तर और कौशल की कमी के कारण रोजगार और आय में असमानताएं बढ़ रही हैं. भारत का श्रम बाजार एक गंभीर असंतुलन से जूझ रहा है. प्रतिस्पर्धात्मकता संस्थान के आंकड़ों पर गहराई से नजर डालें तो एक चिंताजनक स्थिति सामने आती है. हर साल हजारों स्नातक और स्नातकोत्तर में प्रवेश करते हैं, लेकिन उनमें से एक बड़ा हिस्सा अर्ध-कुशल या यहां तक कि प्राथमिक स्तर की नौकरियों में फंसा रहता है. स्नातक डिग्री धारक विशेष भूमिकाओं में भारी संख्या में कार्यरत हैं (38.23%), लेकिन उनमें से 50.3% अर्ध-कुशल नौकरियों में और 3.22% प्राथमिक कार्यों में लगे हुए हैं. यह एक चिंताजनक प्रवृत्ति को दर्शाता है, जहां उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्तियों को उनकी योग्यताओं के अनुरूप रोजगार नहीं मिल रहा है. स्नातकोत्तरों के लिए स्थिति और भी गंभीर है. 63.26% विशेष भूमिकाओं में हैं, लेकिन 28.12% अर्ध-कुशल नौकरियों में और 7.67% उच्च दक्षता वाली नौकरियों में हैं, जो इस बात का संकेत है कि उनके ज्ञान और विशेषज्ञता का पूरा उपयोग नहीं हो रहा है.
पीएलएफएस 2023-24 के आंकड़े बताते हैं कि 90.2% कार्यबल की शिक्षा स्तर माध्यमिक या उससे कम है. नतीजतन, कार्यबल का 88.2% हिस्सा निम्न दक्षता वाली नौकरियों में लगा हुआ है, मुख्य रूप से प्राथमिक और अर्ध-कुशल भूमिकाओं में. आंकड़े यह भी दर्शाते हैं कि शैक्षणिक उपलब्धि, व्यावसायिक भूमिकाओं और आय स्तर के बीच एक मजबूत संबंध है. जहां केवल 4.2% कार्यबल, जिनके पास उन्नत शिक्षा और विशेषीकृत कौशल हैं, सालाना ₹4 लाख से ₹8 लाख के बीच कमाते हैं, वहीं लगभग 46% ₹1 लाख से कम कमाते हैं, जिनमें मुख्य रूप से कृषि श्रमिक, लिपिक कर्मचारी, कारखाने के श्रमिक और छोटे पैमाने के सेवा प्रदाता शामिल हैं. पीएलएफएस 2023-24 के अनुसार, 65.3% कार्यबल ने कोई व्यावसायिक प्रशिक्षण नहीं प्राप्त किया है, जिससे कौशल विकास और उद्योग तत्परता में एक महत्वपूर्ण अंतर उजागर होता है.
अंतरिक्ष में रिकॉर्ड बनाकर धरती पर लौट आईं सुनीता
‘बीबीसी’ की खबर है कि नासा के अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर आखिरकार नौ महीने अंतरिक्ष में बिताने के बाद आखिरकार धरती पर लौट आए. उनका स्पेसएक्स कैप्सूल तेज़ और गर्म वायुमंडलीय प्रवेश के बाद फ्लोरिडा के तट पर चार पैराशूट की मदद से धीरे से पानी में उतरा. बचाव पोत ने कैप्सूल को पानी से निकाला और दोनों अंतरिक्ष यात्री मुस्कुराते हुए हाथ हिलाते नजर आए. भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता ने अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा समय स्पेसवॉक करने का महिलाओं का रिकॉर्ड तोड़ा है. इस दौरान उन्होंने कई प्रयोग किए. क्रिसमस पर टीम ने सांता हैट्स और रेनडियर एंटलर्स पहनकर पृथ्वीवासियों को शुभकामनाएं भेजीं थी. सुनीता ने कहा, "मैं अपने परिवार, अपने कुत्तों से मिलने और समुद्र में कूदने के लिए उत्साहित हूं. धरती पर लौटकर धरती को महसूस करना बहुत अच्छा होगा."
यह मिशन केवल आठ दिनों के लिए होना था, लेकिन उनके स्टारलाइनर कैप्सूल में तकनीकी खराबी के कारण यह नौ महीने लंबा हो गया. स्टारलाइनर को सितंबर में खाली लौटा दिया गया, जिससे नासा ने उन्हें वापसी के लिए स्पेसएक्स कैप्सूल में भेजने का फैसला किया. लंबे अंतरिक्ष प्रवास से हड्डियों की घनत्व में कमी, मांसपेशियों में कमजोरी और रक्त परिसंचरण पर असर पड़ता है. उनकी वापसी के बाद, ह्यूस्टन के जॉनसन स्पेस सेंटर में उनका मेडिकल परीक्षण होगा और वे शरीर को फिर से गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल करने के लिए कड़ी व्यायाम दिनचर्या अपनाएंगी.
शेखर कपूर का दुख और ‘बैंडिट क्वीन’ का बेतुका कट : फिल्म निर्माता शेखर कपूर अमेज़न प्राइम से नाराज़ हैं, क्योंकि उनकी फिल्म 'बैंडिट क्वीन' को उनकी अनुमति के बिना इस कदर संपादित कर दिया गया है कि वह अब पहचान में नहीं आती. उन्होंने एक्स पर लिखा, "अमेज़न प्राइम पर 'बैंडिट क्वीन' मेरी फिल्म से बिल्कुल अलग लगती है. किसी ने इसे इतनी बुरी तरह काट-छांट दिया है कि पहचानना मुश्किल है. फिर भी इसे मेरे नाम से निर्देशक के तौर पर दिखाया जा रहा है और मुझसे कोई पूछने की ज़रूरत तक नहीं समझी! क्या हम पश्चिमी निर्देशकों से कमतर हैं? क्या उनमें इतनी हिम्मत है कि क्रिस्टोफर नोलन की फिल्म को उसकी अनुमति के बिना काट सकें?"
ज़ेलेंस्की से बात करने के बाद ट्रम्प ने कहा- 'हम सही रास्ते पर हैं'
'रायटर्स' की खबर है कि रूस और यूक्रेन ने बुधवार को एक-दूसरे पर ऊर्जा ठिकानों पर हमले न करने के नए समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाया. यह समझौता अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूस के व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई बातचीत के कुछ घंटों बाद हुआ था. हालांकि, एक कैदी विनिमय, जिसे विश्वास बहाली के कदम के रूप में देखा जा रहा था, आगे बढ़ा और ट्रम्प ने मंगलवार को पुतिन के साथ फोन कॉल के बाद बुधवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से बात की. इसके बाद ट्रम्प ने कहा कि "हम सही रास्ते पर हैं." ट्रम्प ने कहा कि ज़ेलेंस्की के साथ उनकी "बहुत अच्छी टेलीफोन कॉल" एक घंटे तक चली, जो फरवरी 28 को ओवल ऑफिस बैठक के दौरान हुई बहस के बाद उनकी पहली बातचीत थी. मंगलवार को पुतिन के साथ ट्रंप की बातचीत के बाद यह चर्चा हुई, जिसका उद्देश्य "रूस और यूक्रेन दोनों के अनुरोधों और ज़रूरतों को संरेखित करना" था, जिसे ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया. मंगलवार को पुतिन ने 30 दिनों के पूर्ण संघर्ष विराम के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था, जिसकी मांग ट्रम्प ने की थी और जिसे पहले यूक्रेन ने स्वीकार कर लिया था, लेकिन पुतिन ने ऊर्जा ढांचे पर हमले रोकने पर सहमति जताई, जिसे ज़ेलेंस्की ने स्वीकार किया. हालांकि, बुधवार को यह संकीर्ण रूप से परिभाषित विराम संदेह के घेरे में आ गया, क्योंकि मास्को ने कहा कि यूक्रेन ने दक्षिणी रूस में एक तेल डिपो पर हमला किया, जबकि कीव ने कहा कि रूस ने अस्पतालों और घरों पर हमला किया, और उसकी कुछ रेलवे लाइनों की बिजली काट दी.
फिर भी दोनों पक्षों ने घोषणा की कि उन्होंने कैदियों का आदान-प्रदान किया, प्रत्येक ने 175 सैनिकों को रिहा किया, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात की भूमिका रही. मास्को ने कहा कि उसने सद्भावना के तौर पर 22 अतिरिक्त घायल यूक्रेनियों को भी रिहा किया. ज़ेलेंस्की ने बुधवार को कहा कि निरंतर हमलों से पता चलता है कि मास्को के शब्द उसके कार्यों से मेल नहीं खाते हैं और रूस शांति के लिए तैयार नहीं है.
ऊर्जा ठिकानों पर हमले : ऊर्जा बुनियादी ढांचे पर हमले युद्ध के प्रभाव का एक प्रमुख हिस्सा रहे हैं, जो युद्ध के मोर्चे से दूर भी महसूस किए जाते हैं. पिछले तीन वर्षों के अधिकांश समय में, रूस ने यूक्रेन के बिजली ग्रिड पर लगातार हमले किए हैं, यह तर्क देते हुए कि नागरिक बुनियादी ढांचा एक वैध लक्ष्य है, क्योंकि यह कीव की युद्ध क्षमता को सुविधाजनक बनाता है. यूक्रेन का कहना है कि ऐसे हमले हाल के महीनों में कम हुए हैं और 2024 के अंत से कीव की सड़कों पर बैकअप पावर जनरेटर कम दिखाई देने लगे हैं.
पुतिन की बिसात पर एक तीर, कई शिकार?
'रायटर्स' के लिए मार्क ट्रेवेलियन की रिपोर्ट है कि डोनाल्ड ट्रम्प के शांति प्रयासों में केवल मामूली योगदान देते हुए व्लादिमीर पुतिन, अमेरिका के साथ रूस के संबंधों को सुधारने और अमेरिका और यूरोप के बीच दरार पैदा करने के अपने लक्ष्य के करीब पहुंच गए हैं. मंगलवार को दोनों राष्ट्रपतियों के बीच हुई लंबी फोन बातचीत से पहले, अमेरिकी पक्ष ने कहा था कि वह युद्ध में 30 दिनों के युद्धविराम के लिए रूस की सहमति मांगेगा. यह एक ऐसा प्रस्ताव था जिसे यूक्रेन ने सिद्धांत रूप में स्वीकार कर लिया था, ताकि पूर्ण शांति समझौते की ओर पहला कदम उठाया जा सके. इसके बजाय, पुतिन ने केवल एक संकीर्ण युद्धविराम पर सहमति जताई, जिसमें रूस और यूक्रेन एक महीने के लिए एक-दूसरे की ऊर्जा सुविधाओं पर हमले रोक देंगे. उन्होंने यह सुनिश्चित करने में सावधानी बरती कि ट्रम्प खाली हाथ न लौटें. तीन से अधिक वर्षों के युद्ध में यह पहली बार था जब दोनों पक्षों को, भले ही थोड़े समय के लिए, संघर्ष को कम करने के लिए राजी किया गया.
ऊर्जा सुविधाओं और समुद्री हमलों को रोकना यूक्रेन पर महत्वपूर्ण प्रतिबंध होंगे, जिसने युद्ध की शुरुआत के बाद से रूस के तेल ढांचे, जो युद्ध के लिए उसकी फंडिंग का एक प्रमुख स्रोत है, पर बड़े प्रहार किए हैं और उसकी काफी बड़ी नौसेना पर दबाव डाला है. लेकिन अभी के लिए, रूस को ज़मीन पर अपने सैन्य अभियान को आगे बढ़ाने की छूट है. विशेष रूप से अपने पश्चिमी कुर्स्क क्षेत्र में, जहां वह पिछले अगस्त में एक आश्चर्यजनक हमले में रूसी क्षेत्र के एक हिस्से पर कब्जा करने वाली यूक्रेनी सेना को खदेड़ने के करीब है. पुतिन ने व्यापक युद्धविराम के लिए रूस की शर्तें दोहराईं कि इसका उपयोग कीव द्वारा हथियारों के भंडारण और अधिक सैनिकों की भर्ती के लिए नहीं किया जाना चाहिए. यूक्रेन इन शर्तों को खारिज करता है.
'ना' को 'हां' जैसा दिखाना : लंदन में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के रूस विशेषज्ञ निगेल गोल्ड-डेविस ने कहा कि पुतिन ने प्रभावी रूप से व्यापक संघर्षविराम को खारिज कर दिया और जब तक ट्रम्प रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ाने की अपनी धमकियों को सच में नहीं बदलते, तब तक पुतिन इसके बारे में गंभीरता से विचार नहीं करेंगे. उन्होंने कहा, "उन्होंने कहा है कि वह (युद्धविराम में) रुचि रखते हैं, लेकिन इसके लिए स्पष्ट रूप से अस्वीकार्य शर्तों का एक सेट रखा है. यह किसी और नाम से 'ना' है." हालांकि, ट्रम्प के सहयोगियों ने फोन कॉल को एक सफलता और युद्धविराम की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया.
ड्रोन हमले जारी : यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने कहा कि कीव ऊर्जा हमलों पर रोक लगाने के लिए तैयार है, लेकिन कुछ घंटों के भीतर, दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर नए हमले करने का आरोप लगाया. अगर एक सीमित ऊर्जा संघर्षविराम लागू हो जाता है, तो विश्लेषकों का कहना है कि यह पुतिन द्वारा कोई बड़ी रियायत नहीं होगी. यूक्रेन के ऊर्जा ग्रिड पर हमले रोकने के बदले में, उन्हें अपने देश के कुछ सबसे बड़े तेल रिफाइनरियों पर बार-बार होने वाले ड्रोन हमलों से राहत मिलेगी, जिन्होंने इस साल की शुरुआत से रूस की कुल रिफाइनिंग क्षमता का 4% या 3.3 मिलियन टन खत्म कर दिया है.
अमेरिका से अकेले बातचीत की चाहत : क्रेमलिन के कॉल के सारांश में कहा गया कि राष्ट्रपतियों ने "द्विपक्षीय प्रारूप" में युद्ध समाप्त करने के प्रयास जारी रखने पर सहमति जताई. यूक्रेन और उसके यूरोपीय सहयोगियों को रूस औरा अमेरिका की नजदीकी ने सतर्क कर दिया है, क्योंकि उन्हें डर है कि ट्रम्प—पुतिन के साथ ऐसा सौदा कर सकते हैं जो उन्हें अलग-थलग कर देगा और भविष्य में उन्हें असुरक्षित छोड़ देगा. राजनीतिक विश्लेषक तातियाना स्टानोवाया ने कहा, "यह निश्चित रूप से पुतिन के लिए एक बड़ी सफलता है, जो अमेरिका के साथ संबंधों को सीधे यूक्रेनी संघर्ष पर निर्भरता से मुक्त करने में कामयाब हो रहे हैं." गोल्ड-डेविस ने कहा कि यह स्पष्ट था कि पुतिन, जिन्होंने अमेरिकी कंपनियों के साथ लाभदायक व्यापार सौदों की संभावना भी जताई है, "अमेरिका के साथ अकेले बातचीत करना चाहते हैं" ताकि वाशिंगटन को उसके नाटो सहयोगियों से अलग किया जा सके. उन्होंने कहा, "यह यूरोप को बहुत जल्दी अपनी रक्षा के लिए संसाधन जुटाने के लिए मजबूर कर देता है और आशा करता है कि वह किसी तरह से हो रहे इस अलगाव को सीमित कर सकता है."
100,000 फिलिस्तीनियों पर टूट पड़ी आफत
(फिलिस्तीनी बच्चा गाजा सिटी के साबरा इलाके में हमले के बाद हुई तबाही के बीच.)
इजरायल ने गाजा में अपने फिर से शुरू किए गए हमले के दूसरे दिन भी हवाई हमले किए हैं. इससे पहले ही तबाह हो चुके फिलीस्तीनी क्षेत्र में फिर से अफरा-तफरी मच गई है. पिछले 24 घंटों में जारी किए गए निकासी आदेशों से करीब 100,000 फिलीस्तीनियों के प्रभावित होने का अनुमान है. इजरायल डिफेंस फोर्सेज आईडीएफ जमीनी अभियान की योजना बना रहा है. मंगलवार सुबह हुए हमलों में 400 से अधिक लोग मारे गए थे. गाजा की नागरिक सुरक्षा एजेंसी के प्रवक्ता महमूद बास्सल ने मरने वालों की संख्या ज्यादा बताई, उन्होंने कहा कि आधी रात के बाद से 13 लोग मारे गए हैं, जिनमें से कई गाजा के दक्षिणी शहर खान यूनिस में मारे गए. इसके अलावा, ऐसी भी खबरें हैं कि गाजा सिटी के तट से कुछ मछली पकड़ने वाली नौकाओं पर इजरायली ड्रोन ने हमला किया. इजरायली डिफेंस फोर्सेज (IDF) ने कहा कि नए हमले "आतंकवादी" ठिकानों पर किए गए थे, जिनमें "उत्तरी गाजा में एक हमास सैन्य ठिकाना शामिल था, जहां प्रक्षेपास्त्र दागने की तैयारियां की जा रही थीं" और "गाजा पट्टी के तटीय क्षेत्र में कई नौकाएं ... जिन्हें हमास और इस्लामिक जिहाद (सशस्त्र समूह) द्वारा आतंकवादी अभियानों में इस्तेमाल के लिए तैयार किया जा रहा था." इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार देर रात कहा कि हमले "सिर्फ शुरुआत" हैं और भविष्य में हमास के साथ कोई भी बातचीत "सिर्फ गोलीबारी के बीच होगी." "हमास ने पिछले 24 घंटों में पहले ही हमारी ताकत का अहसास कर लिया है और मैं आपको और उन्हें वादा करना चाहता हूं, यह तो बस शुरुआत है," नेतन्याहू ने एक वीडियो बयान में कहा है.
पाठकों से अपील
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, फेसबुक पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.