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कहानी को चश्मे की एक ही नज़र से क्यों देखा जाय, सीधे सीधे मोदी विरोधी गतिविधियां ही रिपोर्ट/कहानी की शक्ल में आखिर क्यों, रिपोर्ट के लिए रिपोर्ट लग रहा है यह तो सभी लिख रहे हैं ,जो तथ्यों की गहराई में नहीं है ,अंतिम रिपोर्ट बढ़िया है ,अंतिम सवाल/बात (राहुल प्रधान मंत्री होते तो क्या यही परिदृश्य होता आतंकवाद के संदर्भ में )

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