20/06/2025: यूरोप में आज ईरान से बातचीत | पाकिस्तान किसका बेवफा निकलेगा? | चीन के भरोसे है भारत का ईवी सपना | पहाड़ों पर गिरते हेलीकॉप्टर | अनिल का डसॉल्ट से, मुकेश का ट्रम्प से सौदा
‘हरकारा’ यानी हिंदी भाषियों के लिए क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज़्यादा.
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां :
जिनेवा में यूरोपीय देशों से आज ईरान की बातचीत, ट्रम्प ने भागीदारी को लेकर दो हफ्ते का टाइम लिया
नकदी के बारे में जवाब नहीं दे पाए जस्टिस वर्मा, जांच पैनल ने हटाने की सिफारिश की
91% बजट कटौती, 30% एयर ट्रैफिक कंट्रोलर की कमी, जब हवाई सफर में कई गुना बढ़ोतरी
एयर इंडिया हादसा: ब्लैक बॉक्स भारत में नहीं हो पाएगा डिकोड, भेजा जा रहा अमेरिका
आखिर इतने हेलीकॉप्टर क्यों गिर रहे हैं पहाड़ों में
अमरनाथ यात्रा: सुरक्षा कारणों से हेलीकॉप्टर सेवा निलंबित
तेलंगाना के शीर्ष माओवादी गजेरला रवि की मुठभेड़ में मौत
अनिल अंबानी की कंपनी के साथ डसॉल्ट का गठजोड़: नागपुर में बनेंगे फाल्कन 2000 जेट
ट्रम्प के नए बिजनेस पार्टनर बने मुकेश अंबानी
भोपाल: गौ तस्करी के शक में एक और की हत्या
बीजेपी नेता के ‘लव जिहाद’ के दावे से उलट-पुलट गई विवाहित जोड़े की ज़िंदगी
मध्यप्रदेश में ऑनर किलिंग के दो मामले
"जल्द ही अंग्रेज़ी बोलने वालों को शर्म महसूस होगी": अमित शाह
"अश्लीलता फैलाने" के आरोप में सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर की हत्या, सिख समुदाय में बंटवारा
3 साल में 51 मौतें, सैकड़ों शिकायतें, फिर भी जारी है कॉलेजों में रैगिंग का कहर
बंगाल में मनरेगा एक अगस्त से चालू करने के आदेश
केरल में ‘भारत माता’ विवाद: मंत्री का विरोध, राज्यपाल की तीखी प्रतिक्रिया
मणिपुर में हिंसा ; गोली से कुकी महिला की हत्या, मैतेई किसान घायल
पाकिस्तान किसका बेवफ़ा निकलेगा.. न अमेरिका को छोड़ते बने न ईरान को..
चीन के भरोसे है भारत का ईवी सपना ?
तो भारत का सुपर पॉवर बनना मुश्किल
लॉरेंस बिश्नोई गिरोह को कनाडा में आतंकवादी संगठन घोषित करने की मांग
चीन भी ब्रह्मपुत्र का पानी रोक सकता है
आमिर खान की फिल्म ‘सितारे ज़मीन पर’ में पीएम मोदी का उद्धरण जोड़ने के सीबीएफसी के निर्देश
इजराइल - ईरान संघर्ष
जिनेवा में यूरोपीय देशों से आज ईरान की बातचीत, ट्रम्प ने भागीदारी को लेकर दो हफ्ते का टाइम लिया
पिछले सप्ताह से ईरान और इजराइल के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है. इजराइल द्वारा ईरान की परमाणु सुविधाओं पर हमले के बाद ईरान ने जवाबी कार्रवाई में इजराइल पर मिसाइल बैराज किया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इस संघर्ष में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप पर विचार कर रहे हैं, जबकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय स्थिति को शांत करने के लिए कूटनीतिक प्रयास कर रहा है. पिछले 24 घंटों की सुर्खियां
• डोनाल्ड ट्रम्प अगले दो सप्ताह में तय करेंगे कि अमेरिका ईरान-इजराइल संघर्ष में प्रत्यक्ष रूप से शामिल होगा या नहीं, व्हाइट हाउस प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने बताया कि ट्रम्प का मानना है कि "निकट भविष्य में ईरान के साथ बातचीत की पर्याप्त संभावना" है. (व्हाइट हाउस, बीबीसी)
• ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची ने पुष्टि की कि वे शुक्रवार को जिनेवा में ब्रिटिश, फ्रांसीसी और जर्मन समकक्षों तथा यूरोपीय संघ के शीर्ष राजनयिक से मिलेंगे. (ईरानी राज्य मीडिया)
• अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची ने पिछले सप्ताह से कई बार फोन पर बात की है, संकट के कूटनीतिक समाधान की तलाश में. (रॉयटर्स)
• ईरान के उप विदेश मंत्री ने बीबीसी को बताया कि यदि अमेरिका इस संघर्ष में शामिल होता है तो यह क्षेत्र में "नरक" मचा देगा, और कहा "यह अमेरिका का युद्ध नहीं है". (बीबीसी)
• चीन-रूस का आग्रह: चीनी नेता शी जिनपिंग ने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के साथ फोन कॉल में "प्रमुख शक्तियों" से ईरान संघर्ष को कम करने में मदद करने का आग्रह किया, बिना अमेरिका का नाम लिए ट्रम्प को संदेश दिया. क्रेमलिन ने कहा कि दोनों नेताओं का मानना है कि संघर्ष या ईरान के परमाणु कार्यक्रम का कोई सैन्य समाधान नहीं है, इन्हें विशेष रूप से राजनीतिक और कूटनीतिक माध्यमों से हल किया जाना चाहिए. (चीनी विदेश मंत्रालय, क्रेमलिन)
• सुरक्षा संवाददाता फ्रैंक गार्डनर के अनुसार एक सप्ताह संघर्ष के बाद ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गंभीर नुकसान हुआ है, लेकिन पूरी तरह नष्ट नहीं हुआ है. (बीबीसी)
• इजराइल में हताहत: ईरान द्वारा गुरुवार को मिसाइल हमले के बाद इजराइल में 270 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जबकि ईरानी अधिकारियों ने आज तक हताहतों की संख्या नहीं बताई है. (इजराइल स्वास्थ्य मंत्रालय)
• सोरोका अस्पताल पर हमला: बीयर शेबा शहर के सोरोका मेडिकल सेंटर पर ईरानी मिसाइल का सीधा हमला हुआ, जो पिछले शुक्रवार से शुरू हुए युद्ध में किसी इजराइली अस्पताल पर पहला सीधा हमला है. (इजराइली सेना) इजराइल के रक्षा मंत्री ने कहा कि सोरोका अस्पताल पर हमले के बाद ईरान के सर्वोच्च नेता को "अब अस्तित्व में रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती". ईरान ने अस्पताल को निशाना बनाने से इनकार करते हुए कहा कि हमला अस्पताल के पास स्थित सैन्य ठिकाने पर था. (एएफपी, स्थानीय मीडिया, बीबीसी वेरीफाई)
• इजराइल ने ट्रम्प पर दबाव डाला है कि वे ईरान की भूमिगत परमाणु साइटों पर हमले के लिए शक्तिशाली अमेरिकी हथियारों का उपयोग करें, अमेरिकी भागीदारी की संभावना ने मध्य पूर्व में व्यापक संघर्ष के भय को बढ़ाया है. (न्यूयॉर्क टाइम्स)
• ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने चेतावनी दी है कि यदि अमेरिका इजराइली अभियान में शामिल होता है तो उसे "अपूरणीय" नुकसान होगा. (न्यूयॉर्क टाइम्स)
• ईरान में नुकसान: इजराइली सेना ने कहा कि उसने ईरान में कई लक्ष्यों पर हमला किया है, जिसमें अराक में एक निष्क्रिय रिएक्टर और नतंज़ क्षेत्र में परमाणु उत्पादन सुविधा शामिल है. ईरानी राज्य मीडिया ने बताया कि कोई गंभीर नुकसान नहीं हुआ. (इजराइली सेना, ईरानी राज्य मीडिया)
• मिसाइल रक्षा चुनौती: इजराइल की विश्व स्तरीय मिसाइल रोधी प्रणाली के बावजूद, युद्ध के लंबे खिंचने से इंटरसेप्टर मिसाइलों की कमी हो सकती है, क्योंकि वे उत्पादन से तेज़ी से खर्च हो रही हैं. (सुरक्षा अधिकारी)
• ट्रम्प का इनकार: ट्रम्प ने वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट से इनकार किया है जिसमें कहा गया था कि उन्होंने ईरान पर हमले की अमेरिकी योजनाओं को मंजूरी दी है, ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर लिखा "वॉल स्ट्रीट जर्नल को ईरान के बारे में मेरे विचारों का कोई अंदाजा नहीं है". (द गार्डियन)
• फोर्डो साइट पर निर्भरता: ट्रम्प का निर्णय इस बात पर निर्भर है कि क्या मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) फोर्डो यूरेनियम संवर्धन साइट को नष्ट कर सकता है, जो तेहरान के दक्षिण में पहाड़ में बनी है. (एक्सिओस)
• तेल अवीव में हमला: रामत गान में जबोटिंस्की स्ट्रीट पर एक गगनचुंबी इमारत के आधार पर मिसाइल गिरी, जिससे एक पिज़्ज़ा की दुकान और आसपास के अपार्टमेंट ब्लॉक्स को नुकसान हुआ. (स्थानीय रिपोर्ट)
• मल्टी-वारहेड मिसाइल: इजराइली सेना ने कहा कि ईरान ने अपने हमले में मल्टी-वारहेड मिसाइल का उपयोग किया, जो आयरन डोम जैसी वायु रक्षा प्रणालियों के लिए नई चुनौती है. (एपी)
• जर्मनी का आग्रह: जर्मन चांसलर फ्रेड्रिक मर्ज़ ने नेतन्याहू के साथ फोन कॉल में ईरान के खिलाफ इजराइल के अभियान में संयम बरतने का आग्रह किया, जबकि सिद्धांत रूप में ईरान के परमाणु बुनियादी ढांचे पर हमलों का समर्थन किया. (रॉयटर्स)
• होर्मुज़ जलडमरूमध्य की चेतावनी: ईरान के एक वरिष्ठ सांसद ने कहा कि ईरान अपने दुश्मनों को पीछे धकेलने के लिए होर्मुज़ जलडमरूमध्य को बंद कर सकता है, हालांकि दूसरे सांसद ने कहा कि ऐसा केवल तभी होगा जब तेहरान के महत्वपूर्ण हित खतरे में हों. (रॉयटर्स)
• हिजबुल्लाह को चेतावनी: अमेरिकी विशेष दूत टॉम बैरक ने लेबनानी समूह हिजबुल्लाह को चेतावनी दी कि वे ईरान और इजराइल के बीच युद्ध में शामिल न हों. (एएफपी)
• आईएईए पर आरोप: ईरान ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी एजेंसी पर इजराइल के "आक्रामकता युद्ध" में "भागीदार" होने का आरोप लगाया. (रॉयटर्स)
• इराकी धर्मगुरु की चेतावनी: इराक के शीर्ष शिया धर्मगुरु ग्रैंड अयातुल्लाह अली सिस्तानी ने ईरान के नेतृत्व को निशाना बनाने के खिलाफ चेतावनी दी और कहा कि यह पूरे क्षेत्र को अराजकता में धकेल सकता है. (एएफपी)
• नेतन्याहू का आह्वान: नेतन्याहू ने सोरोका अस्पताल में ईरानी लोगों से अपनी सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया, यह कहते हुए कि इजराइल अपने बमबारी अभियान से शासन परिवर्तन की स्थितियां बना सकता है. (सीएनएन)
'द वॉशिंगटन पोस्ट' ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा दी गई सैन्य हमले की धमकी के बाद एक विशेष जनमत सर्वेक्षण कराया. इस सर्वे में 1,000 से अधिक अमेरिकियों से यह पूछा गया कि क्या वे ईरान पर अमेरिका द्वारा किए जाने वाले हवाई हमलों का समर्थन करते हैं? 45% लोगों ने हवाई हमलों का विरोध किया. 25% ने हमलों का समर्थन किया जबकि 30% लोग अनिश्चित थे. डेमोक्रेटिक पार्टी के 67% समर्थकों ने हमलों का विरोध किया, सिर्फ 9% समर्थन में थे. रिपब्लिकन पार्टी के 47% समर्थकों ने समर्थन किया, 24% ने विरोध और 29% अनिश्चित रहे जबकि स्वतंत्र मतदाता (इंडिपेंडेंट) 2:1 के अनुपात में हमलों के खिलाफ रहे, जबकि एक-तिहाई अनिश्चित थे.
• सीएनएन विश्लेषक बराक रविद के अनुसार पिछले कुछ दिनों में इजराइली सरकार के युद्ध लक्ष्यों में स्पष्ट बदलाव आया है - परमाणु क्षमताओं को समाप्त करने से लेकर पूरे शासन को अस्थिर करने तक. (सीएनएन)
नकदी के बारे में जवाब नहीं दे पाए जस्टिस वर्मा, जांच पैनल ने हटाने की सिफारिश की
तीन न्यायाधीशों की एक पैनल ने दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की सिफारिश की है, क्योंकि मार्च में उनके आवास पर जली हुई नकदी के ढेर मिले थे और वह इसके बारे में संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए हैं. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त इस पैनल ने 55 गवाहों से पूछताछ की, वर्मा का बयान दर्ज किया और 64 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है.
पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि न्यायाधीश वर्मा के आवास पर बड़ी मात्रा में जली और अधजली 500 रुपए के नोट पाए गए, और इस घटना की सूचना न तो पुलिस को दी गई और न ही न्यायिक अधिकारियों को. पैनल ने पाया कि न्यायाधीश वर्मा या उनके परिवार के अलावा किसी अन्य को उस कमरे तक पहुंच नहीं थी, जहां नकदी मिली थी. पैनल ने यह भी कहा कि इस मामले में न्यायाधीश वर्मा का व्यवहार 'अस्वाभाविक' था और उनके खिलाफ आरोपों में पर्याप्त दम है, इसलिए उनको हटाने की कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए.
रिपोर्ट में दो मुख्य टिप्पणियां की गई हैं. एक- पैसा/नकद 30 तुगलक क्रेसेंट परिसर में स्थित स्टोररूम में पाया गया, जिसका आधिकारिक रूप से जस्टिस वर्मा ने इस्तेमाल किया था. दो- स्टोररूम तक पहुंच केवल न्यायमूर्ति वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों के पास थी और बिना अनुमति के कोई बाहरी व्यक्ति वहां नहीं जा सकता था. अपनी जांच के आधार पर, पैनल ने कहा कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद हैं. उधर “द लीफलेट” में मनीष छिब्बर की रिपोर्ट है कि जस्टिस वर्मा नकदी का कोई संतोषजनक हिसाब नहीं दे सके. सिवाय पूरी तरह से इनकार करने के कोई ठोस तर्क नहीं दिए. साजिश के बारे में भी साधारण तर्क रखा.
91% बजट कटौती, 30% एयर ट्रैफिक कंट्रोलर की कमी, जब हवाई सफर में कई गुना बढ़ोतरी
भारत का नागरिक उड्डयन क्षेत्र यात्रियों की संख्या के लिहाज़ से तो तेज़ी से बढ़ा है, लेकिन सुरक्षा और प्रशासनिक क्षमता के स्तर पर यह गंभीर संकट से गुजर रहा है. आंकड़े बताते हैं कि यह संकट अब महज़ एक नीतिगत चुनौती नहीं, बल्कि एक खतरनाक सुरक्षा चूक में बदलता जा रहा है. 'द वायर' के लिए कुणाल पुरोहित की रिपोर्ट है कि 2024 में भारत के विमानन क्षेत्र ने 161 मिलियन (16.1 करोड़) यात्रियों को सेवा दी, जो कि 2014 के 66 मिलियन (6.6 करोड़) यात्रियों के मुकाबले दोगुने से भी अधिक है, लेकिन इसके बावजूद यह क्षेत्र गंभीर वित्तीय संकट और मानव संसाधनों की भारी कमी से जूझ रहा है. पिछले दो वर्षों में नागरिक उड्डयन मंत्रालय का आवंटन घटा है और उसका पूंजीगत व्यय 91% तक कम कर दिया गया है. यह इतनी बड़ी गिरावट है कि संसदीय समिति ने भी इस पर चिंता जताई है. संसद की एक स्थायी समिति ने इस पर गंभीर चिंता जताई है और पूछा है कि जब हवाई यात्री संख्या दोगुनी हो गई है, तो बजट में यह कटौती क्यों?
उड्डयन क्षेत्र की निगरानी करने वाली संस्था डीजीसीए (नागर विमानन महानिदेशालय) भी बजटीय कटौती और स्टाफ की कमी से जूझ रही है. एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि इससे सरप्राइज जांच जैसे कार्य प्रभावित हो रहे हैं, जो सुरक्षा की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं. इस बीच, डीजीसीए को और अधिक उड़ानों और एयरलाइनों की निगरानी करनी पड़ रही है, क्योंकि विमानन क्षेत्र में तेजी से विस्तार हुआ है, लेकिन स्टाफ की घटती संख्या और सीमित संसाधन इस काम में बाधा बन रहे हैं. एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी जैसे महत्वपूर्ण विभागों में भी कर्मचारियों की भारी कमी देखी जा रही है. इसका असर नई पायलट पीढ़ी की ट्रेनिंग और हवाई यातायात की सुरक्षा दोनों पर पड़ रहा है.
एयर इंडिया हादसा: ब्लैक बॉक्स भारत में नहीं हो पाएगा डिकोड, भेजा जा रहा अमेरिका
'द इकोनॉमिक टाइम्स' की रिपोर्ट है एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 की हालिया दुर्घटना को लेकर टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने एक साक्षात्कार में कहा कि विमान के ब्लैक बॉक्स की जांच के बाद ही यह साफ़ हो पाएगा कि दुर्घटना किस वजह से हुई. उन्होंने कहा, “हमें बस इंतज़ार करना होगा.” सामने आया है कि भारत में एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इंवेस्टिगेशन ब्यूरो द्वारा पिछले साल दिल्ली में खोली गई प्रयोगशाला भी ब्लैक बॉक्स के गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त डेटा को रिट्रीव करने में सक्षम नहीं है. इसी कारण, ब्लैक बॉक्स को अब अमेरिका भेजा जा रहा है, जहां नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड इसकी जांच करेगा. एक अधिकारी के मुताबिक, ब्लैक बॉक्स डेटा निकालने में दो दिन से लेकर एक महीने तक का समय लग सकता है, क्योंकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि डिवाइस कितना क्षतिग्रस्त हुआ है.
अभी तक की चुप्पी और बढ़ती अफवाहें : ब्लैक बॉक्स जांच रिपोर्ट के इंतज़ार में कई सिद्धांत और अफवाहें भी सामने आ चुकी हैं. ‘ब्लूमबर्ग’ की एक रिपोर्ट ने भारत सरकार की सूचना पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं. दुर्घटना के तीन दिन बाद नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने सिर्फ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया को सवाल पूछने की अनुमति नहीं दी गई. उसके बाद मंगलवार को मंत्रालय के दिल्ली स्थित दफ्तर में पत्रकारों के प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई. यह रवैया अमेरिका और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के तेज़ और पारदर्शी प्रतिक्रिया से बिलकुल अलग है, जहां एक दिन में एक से ज़्यादा प्रेस कॉन्फ्रेंस की गईं और लगातार मीडिया को जानकारी उपलब्ध कराई गई.
आखिर इतने हेलीकॉप्टर क्यों गिर रहे हैं पहाड़ों में
केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर यात्रा खतरनाक रूप से असुरक्षित हो गई है, जिसका मुख्य कारण निजी ऑपरेटरों द्वारा मुनाफे को सुरक्षा से ऊपर रखना और आवश्यक बुनियादी ढांचे की गंभीर कमी है. हाल ही में आर्यन एविएशन का एक हेलीकॉप्टर खराब मौसम के बावजूद उड़ान भरने के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें सात लोगों की जान चली गई. यह घटना कुछ ही हफ्तों में हुई कई दुर्घटनाओं में से एक है. विशेषज्ञों का कहना है कि चार धाम यात्रा सीजन के दौरान, जब यात्रियों की भारी भीड़ होती है, तो ऑपरेटरों का ध्यान उड़ान सुरक्षा की संस्कृति बनाने के बजाय "राजस्व की संस्कृति" पर केंद्रित हो जाता है. उनका लक्ष्य ज़्यादा से ज़्यादा उड़ानें भरकर अधिक से अधिक पैसा कमाना होता है, भले ही इससे हवाई क्षेत्र में भीड़ बढ़े और जोखिम पैदा हो. स्क्रोल के लिए वैष्णवी राठौर ने रिपोर्ताज लिखा है.
इस खतरनाक स्थिति के पीछे दो प्रमुख कारण हैं. पहला, केदारनाथ में मौसम की लाइव जानकारी देने के लिए कोई स्थानीय मौसम स्टेशन नहीं है. पायलटों को या तो अपने जमीनी कर्मचारियों से मिली जानकारी पर या 250 किलोमीटर दूर देहरादून के मौसम के आंकड़ों पर निर्भर रहना पड़ता है, जो घाटी के अप्रत्याशित मौसम के लिए अपर्याप्त है. दूसरा, वहां कोई एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) केंद्र नहीं है जो उड़ानों को नियंत्रित कर सके. पायलट आपस में रेडियो पर समन्वय करते हैं, जिससे भ्रम और दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है. 2022 की एक दुर्घटना की जांच रिपोर्ट में भी इन समस्याओं को उजागर किया गया था. एक और बड़ी समस्या जवाबदेही की कमी है. उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (UCADA) हेलीपैड तो प्रदान करता है, लेकिन संचालन की जिम्मेदारी निजी ऑपरेटरों पर डाल देता है, जिससे कोई भी समग्र सुरक्षा का प्रभारी नहीं होता. इन घटनाओं के बाद, सरकार ने उड़ानों की संख्या आधी कर दी है और एक कॉमन कमांड सेंटर स्थापित करने का वादा किया है, जिसमें सभी एजेंसियां शामिल होंगी. हालांकि, जब तक इन मूलभूत समस्याओं का समाधान नहीं होता, यात्रियों की जान जोखिम में बनी रहेगी. विशेषज्ञों का सुझाव है कि सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऑपरेटरों को अपनी फीस बढ़ानी चाहिए, न कि उड़ानों की संख्या.
अमरनाथ यात्रा: सुरक्षा कारणों से हेलीकॉप्टर सेवा निलंबित
श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) ने घोषणा की है कि इस साल की अमरनाथ यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों के लिए हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध नहीं होगी. यह फैसला पहलगाम और बालटाल दोनों प्रमुख मार्गों पर लागू होगा. यह निर्णय जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा जारी एक आदेश के बाद लिया गया है, जिसमें यात्रा के सभी मार्गों को 'नो-फ्लाइंग ज़ोन' घोषित कर दिया गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय की सलाह पर, सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है. इस प्रतिबंध के तहत, यात्रा की अवधि (1 जुलाई से 10 अगस्त तक) के दौरान हेलीकॉप्टर, ड्रोन, गुब्बारे और अन्य किसी भी हवाई वाहन की उड़ान पर पूरी तरह से रोक रहेगी. श्राइन बोर्ड ने तीर्थयात्रियों को सूचित किया है कि वे पवित्र गुफा तक पहुँचने के लिए पारंपरिक तरीकों का उपयोग करें, जैसे कि पैदल यात्रा, घोड़े या पालकी (पालकी). यह फैसला अप्रैल में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद बढ़ी हुई सुरक्षा व्यवस्था का हिस्सा है. हर साल देश भर से लाखों श्रद्धालु इस यात्रा पर आते हैं, और सरकार उनकी सुरक्षा, आवास और अन्य सुविधाओं के लिए व्यापक इंतजाम करती है.
तेलंगाना के शीर्ष माओवादी गजेरला रवि की मुठभेड़ में मौत
'द हिंदू' की रिपोर्ट है कि तेलंगाना से ताल्लुक रखने वाले एक और शीर्ष माओवादी नेता गजेरला रवि की मौत हो गई है. रवि, जिन्हें 'उदय' के नाम से भी जाना जाता था, की कल सुबह आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले के जंगलों में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मौत हो गई. यह क्षेत्र घना वनाच्छादित और मुख्य रूप से आदिवासी आबादी वाला है. गजेरला रवि वही व्यक्ति हैं जो 2004 में आंध्र प्रदेश सरकार के साथ माओवादी संगठन की ओर से शांति वार्ता में शामिल हुए थे, लेकिन ये वार्ता विफल रही और उसके बाद आंदोलन और अधिक हिंसक होता गया. पत्रकार पी. श्रीधर की रिपोर्ट के अनुसार, रवि के दो भाई भी माओवादी आंदोलन का हिस्सा रहे हैं. एक भाई की 2008 में तेलंगाना में मुठभेड़ में मौत हो गई थी, जबकि दूसरे भाई ने 2015 में आत्मसमर्पण कर दिया था.
अनिल अंबानी की कंपनी के साथ डसॉल्ट का गठजोड़: नागपुर में बनेंगे फाल्कन 2000 जेट
'टाइम्स ऑफ इंडिया' के पेज 15 पर छपी एक छोटी-सी खबर के अनुसार, फ्रांस की विमान निर्माता कंपनी डसॉल्ट एविएशन भारत में अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ साझेदारी कर फाल्कन 2000 बिज़नेस जेट का निर्माण करेगी. यह परियोजना नागपुर में स्थापित की जाएगी और इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय बाजार को ध्यान में रखकर जेट विमानों की फाइनल असेंबलिंग करना है. डसॉल्ट वही कंपनी है जिसने भारत को राफेल फाइटर जेट्स की आपूर्ति की थी और इस डील को लेकर पहले भी विवादों में रही है. इस साझेदारी पर अब फंडिंग को लेकर सवाल उठ रहे हैं. एक सोशल मीडिया यूज़र ने लिखा- “ग़ायब हेडलाइन यह है कि भारतीय सरकारी बैंक इस परियोजना को फाइनेंस करने के लिए हजारों करोड़ देने को तैयार हैं!” एक अन्य राजनीतिक विश्लेषक ने पूछा, “यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सा सरकारी बैंक अनिल अंबानी की फर्म को फाइनेंस करने को तैयार होता है, जो पिछले कुछ वर्षों में आर्थिक संकट और कर्ज विवादों में रही है.” गौरतलब है कि अनिल अंबानी की कई कंपनियों ने बीते वर्षों में बड़े कर्ज़ डिफॉल्ट किए हैं. रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की क्रेडिट रेटिंग और विश्वसनीयता को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं. पूर्व में राफेल सौदे के समय भी अनिल अंबानी की कंपनी को लेकर राजनीतिक विवाद खड़े हो चुके हैं. अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के शेयरों में आज जबरदस्त तेजी देखने को मिली. कंपनी का शेयर 5% की ऊपरी सीमा को छू गया, जब खबर आई कि इसकी एक सहायक कंपनी ने फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन के साथ साझेदारी की है.
ट्रम्प के नए बिजनेस पार्टनर बने मुकेश अंबानी
मुकेश अंबानी की रिलायंस 4IR रियल्टी डेवलपमेंट ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के स्वामित्व वाली रियल एस्टेट फर्म ‘ट्रम्प ऑर्गनाइजेशन’ को मुंबई में ट्रम्प ब्रांड का लाइसेंस लेने के लिए 1 करोड़ डॉलर (लगभग 86.5 करोड़ रुपये) के "डेवलपमेंट शुल्क" का भुगतान किया है. फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि रिलायंस ने ट्रम्प ऑर्गनाइजेशन को मुंबई के किस विशेष प्रोजेक्ट के लिए यह डेवलपमेंट शुल्क दिया है. “वॉल स्ट्रीट जर्नल” की रिपोर्ट के मुताबिक, इस भुगतान के साथ, अंबानी, जो भारत के सबसे अमीर व्यक्ति और प्रधानमंत्री मोदी के करीबी माने जाते हैं, उन विदेशी डेवलपर्स की कतार में शामिल हो गए हैं, जिन्होंने ट्रम्प की रियल एस्टेट फर्म में पैसा लगाया है. उल्लेखनीय है कि अंबानी ने इस साल जनवरी में अमेरिका में ट्रम्प के शपथ ग्रहण समारोह में भी भाग लिया था और पिछले महीने कतर के अमीर द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति के सम्मान में दोहा में आयोजित राज्य भोज में भी वे अतिथि थे.
हेट क्राइम
भोपाल: गौ तस्करी के शक में एक और की हत्या
'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट है कि मध्यप्रदेश के रायसेन ज़िले में गोवंश ले जा रहे 35 वर्षीय मुस्लिम युवक जुनैद कुरैशी की संदिग्ध हालात में मौत हो गई. परिवार का आरोप है कि जुनैद को 'गौ रक्षकों' की भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला. वहीं पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया है और तीन गिरफ्तारियां हुई हैं, हालांकि अधिकारियों ने ज्यादा जानकारी साझा नहीं की. जुनैद भोपाल के जिन्सी इलाके में डेयरी चलाते थे. सोमवार देर रात वे अपने साथी अरमान के साथ सात गायों और एक सांड को पिकअप वाहन में ले जा रहे थे, तभी सांची और रायसेन के बीच मेहरगांव के पास 20–25 लोगों की भीड़ ने उनका वाहन रोक लिया. परिवार के मुताबिक, दोनों को पूरी रात बेरहमी से पीटा गया. जुनैद को हमीदिया अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया, जबकि अरमान की हालत गंभीर है. परिवार का आरोप है कि जुनैद और अरमान गायों को डेयरी उद्देश्य से ले जा रहे थे. हमलावरों ने करीब 2 लाख रुपये भी लूट लिए. यह "सोची-समझी गौ रक्षा के नाम पर हिंसा" थी. जुनैद के खिलाफ भी पशु क्रूरता अधिनियम और मध्य प्रदेश गोवंश वध निषेध अधिनियम के तहत अलग एफआईआर दर्ज की गई है. एक स्थानीय बाइक मैकेनिक की शिकायत के आधार पर दावा किया गया कि जुनैद की गाड़ी में मवेशी "क्रूरता से ठूंसे गए थे" और उन्हें भोपाल के किसी कसाईखाने ले जाया जा रहा था. आरोप है कि पूछताछ पर जुनैद और अरमान "गाड़ी से कूदकर भागने लगे" और उसी दौरान चोटिल हो गए. पशुओं को अब विदिशा की विट्ठल भाई गौशाला में शिफ्ट कर दिया गया है.
बीजेपी नेता के ‘लव जिहाद’ के दावे से उलट-पुलट गई विवाहित जोड़े की ज़िंदगी
भाजपा नेता के ‘लव जिहाद’ के दावे के कारण गाजियाबाद में एक विवाहित जोड़े की ज़िंदगी कैसे उलट-पुलट हो गई, द स्क्रोल में अनंत गुप्ता ने अपनी रिपोर्ट में विस्तार से बताया है. रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले महीने के आखिर में गाजियाबाद में सोनिका चौहान और अकबर खान नामक दंपती की दुकानों में एक भीड़ ने तोड़फोड़ की. घटनास्थल पर स्थानीय बीजेपी नेता मीना भंडारी भी मौजूद थीं, जिन्हें सीसीटीवी फुटेज में भीड़ को उकसाते हुए देखा गया. इससे एक दिन पहले, पुलिस ने खान और उनके कुछ परिवारजनों को गिरफ्तार किया था और कथित तौर पर चौहान को उनके माता-पिता के साथ जाने के लिए मजबूर किया गया. चौहान का कहना है कि उनके माता-पिता को भंडारी ने उनके विवाह के कारण सामाजिक बहिष्कार की धमकी दी थी. बीजेपी नेता मीना भंडारी ने आरोप लगाया है कि यह विवाह 'लव जिहाद' का मामला है और खान वित्तीय धोखाधड़ी के दोषी हैं. वहीं, चौहान का कहना है कि उन्हें उनके परिवार ने कैद कर रखा है और खान को अपनी ही पत्नी के अपहरण के आरोप में दो हफ्ते जेल में रहना पड़ा.
मध्यप्रदेश में ऑनर किलिंग के दो मामले
मध्यप्रदेश के मुरैना और बैतूल जिलों से ‘ऑनर किलिंग’ के दो मामले सामने आए हैं. मुरैना जिले में, कक्षा 11 की एक छात्रा को कथित रूप से इसलिए बेहद करीब से गोली मार दी गई क्योंकि वह दूसरी जाति के युवक के साथ रिश्ते में थी. एक अन्य घटना में, बैतूल जिले में एक व्यक्ति, जो एक विवाहित महिला के साथ भाग गया था, की महिला के रिश्तेदारों, जिनमें उसका पति भी शामिल था, ने पीट-पीटकर हत्या कर दी. दोनों मामलों में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
"जल्द ही अंग्रेज़ी बोलने वालों को शर्म महसूस होगी": अमित शाह
'द हिंदू' की रिपोर्ट है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत में जल्द ही अंग्रेज़ी बोलने वालों को शर्म महसूस होने लगेगी और ऐसी सोच रखने वाला समाज अब दूर नहीं है. यह टिप्पणी उन्होंने आईएएस अधिकारी आशुतोष अग्निहोत्री की पुस्तक के विमोचन के दौरान की. समाचार एजेंसी एएनआई ने उनका भाषण अपने एक्स हैंडल (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया था, लेकिन कुछ देर बाद उसे हटा दिया. अमित शाह ने कहा- “इस देश में अंग्रेज़ी बोलने वालों को जल्द ही शर्म महसूस होगी. ऐसा समाज बनने में ज़्यादा समय नहीं है.” शाह ने आगे कहा कि भारत की भाषाएं हमारी संस्कृति के रत्न हैं और बिना अपनी भाषाओं के हम सच्चे भारतीय नहीं रह सकते. उन्होंने कहा, “हमारी संस्कृति, हमारा इतिहास और हमारा धर्म किसी विदेशी भाषा में समझा नहीं जा सकता. आत्म-सम्मान के साथ, हम अपनी भाषाओं में देश चलाएंगे और दुनिया का नेतृत्व भी करेंगे.”
"अश्लीलता फैलाने" के आरोप में सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर की हत्या, सिख समुदाय में बंटवारा
'द वायर' की रिपोर्ट है कि सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर कमल कौर की हत्या ने पंजाब में समाज और सिख धार्मिक नेतृत्व के बीच तीखी बहस छेड़ दी है. आरोप है कि कुछ स्वयंभू सिख नैतिकता के ठेकेदारों ने उन्हें “अश्लीलता फैलाने” के कारण मौत के घाट उतारा. कमल कौर, जिनका असली नाम कंचन तिवारी था, सोशल मीडिया पर "कमल कौर भाभी" के नाम से मशहूर थीं और कथित तौर पर वयस्क सामग्री पोस्ट करती थीं. 10 जून को उनकी गला घोंटकर हत्या कर दी गई. उनके अंतिम संस्कार में केवल परिवार के सदस्य ही शामिल हुए. कोई बाहरी नहीं. इस मामले में बठिंडा कैंटोनमेंट पुलिस ने जसप्रीत सिंह और निमरतजीत सिंह के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता 2023 की हत्या और आपराधिक साजिश से संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की है. मुख्य साजिशकर्ता अमृतपाल सिंह मेहरोन हत्या के बाद दुबई भाग गया. वह स्वयं को "निहंग" बताता है और 'कौम दे रखे' नामक समूह का नेतृत्व करता था. इधर, अकाल तख्त के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी मलकीत सिंह और कार्यकारी जत्थेदार कुलदीप सिंह गर्गज ने हत्या को उचित ठहराया है. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने भी उनका समर्थन किया है. हालांकि, कई सामाजिक और सिख कार्यकर्ताओं ने हत्या की निंदा की है. पुलिस जांच कर रही है कि क्यों मेहरोन ने पीड़िता से फोन पासवर्ड मांगे. उसके दुबई, लाओस, सिंगापुर और मलेशिया यात्राओं को भी खंगाला जा रहा है. एसएसपी अमनीत कोंडल ने पुष्टि की है कि मेहरोन पहले मुस्लिम था और 2018 में सिख धर्म अपनाया था. हत्या के बाद मेहरोन ने कई अन्य महिला सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को भी धमकी दी है. दीपिका लूथरा ने डर के मारे अपने अकाउंट डिलीट कर दिए हैं जबकि प्रीत जट्टी अभी भी ऑनलाइन हैं. बूढ़ा दल के बाबा बलबीर सिंह 96 क्रोरी ने हत्या की तीखी आलोचना की और कहा, "हमारे गुरु महिलाओं की रक्षा करते थे, हमला नहीं. यह कृत्य सिख धर्म के खिलाफ है."
विश्लेषण
3 साल में 51 मौतें, सैकड़ों शिकायतें, फिर भी जारी है कॉलेजों में रैगिंग का कहर
“हमें निर्वस्त्र किया गया, कंडोम फुलाने को कहा गया और दीवारों से ‘सेक्स एक्ट’ करने को मजबूर किया गया. मैंने शिकायत की कोशिश की, लेकिन हेल्पलाइन और कॉलेज प्रशासन ने मुझसे कहा कि सबूत नहीं है, इसलिए शिकायत नहीं मानी जाएगी.” राजस्थान के एक मेडिकल कॉलेज के छात्र ने बताया. 'आर्टिकल 14' के लिए राशिद अंद्राबी और ऋषभ गौर की रिपोर्ट है कि यूजीसी की सख्त गाइडलाइंस और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद भारत के कॉलेज और यूनिवर्सिटी कैंपसों में रैगिंग की घटनाएं थमी नहीं हैं. कभी कॉलेज की चुप्पी से, कभी न्याय प्रणाली की ढील से और स्वप्नदीप और अनिल जैसे पीड़ितों के माता-पिता हर महीने बस एक अदालती तारीख का इंतज़ार करते रहते हैं, न्याय की उम्मीद में. 2022 से 2024 के बीच रैगिंग से जुड़ी घटनाओं में 51 छात्रों की मौत हुई. कई आत्महत्या, कई हत्या का शिकार हुए. इनमें 2023 में जादवपुर यूनिवर्सिटी के स्वप्नदीप कुंडू और 2024 में गुजरात के मेडिकल छात्र अनिल मेथानिया की मौतें बेहद चर्चित रही हैं.
9 अगस्त 2023 की शाम, जादवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता के छात्रावास के बाहर 18 वर्षीय स्वप्नदीप कुंडू नग्न अवस्था में खून से लथपथ पाए गए थे. कुछ ही घंटों बाद उनकी अस्पताल में मौत हो गई. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बताया गया कि उनकी खोपड़ी, पेल्विस और पसलियों में फ्रैक्चर थे. पुलिस के अनुसार, स्वप्नदीप को सीनियर छात्रों ने रैगिंग के दौरान निर्वस्त्र किया, मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया और समलैंगिक होने के आरोप में अपमानित किया. उनके पिता, रामप्रसाद कुंडू ने कहा, “ये हत्या थी. मेरा बेटा समाज के लिए कुछ करना चाहता था. हम सबकुछ खो चुके हैं.”
डॉक्टर बनने का सपना अधूरा रह गया
नवंबर 2024 में गुजरात के पाटन जिले के मेडिकल कॉलेज में अनिल मेथानिया की मौत हो गई. एफआईआर के अनुसार, उन्हें सीनियर्स ने 3 घंटे तक खड़ा रखा, अपमानित किया, जिसके कारण उन्हें हार्ट अटैक हुआ. वह अपनी बहन की शादी की तैयारी में घर लौटने वाले थे, लेकिन उनकी मौत से पूरा परिवार टूट गया. फोरेंसिक रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि शारीरिक और मानसिक तनाव ने कार्डियक अरेस्ट को जन्म दिया. 15 छात्रों के खिलाफ बीएनएस की कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया. इनमें से 14 जमानत पर हैं.
आंकड़े क्या कहते हैं?
2022-2024: 51 छात्रों की मौत (2022 में 14, 2023 में 17, 2024 में 20
साल 2024 में 1,086 रैगिंग शिकायतें यूजीसी की हेल्पलाइन पर दर्ज हुई
2015–2024: कुल 8,184 शिकायतें
COVID वर्ष 2020: शिकायतों में भारी गिरावट (226)
2021 के बाद फिर वृद्धि: 546 (2021) से 1,103 (2022) और फिर 964 (2023)
कानून क्या कहते हैं और उनका पालन क्यों नहीं हो रहा?
2009 में UGC ने रैगिंग रोकने के लिए कड़े नियम लागू किए. देश के 12 राज्यों ने अपने कानून बनाए, जैसे उत्तर प्रदेश, केरल, जम्मू-कश्मीर, त्रिपुरा आदि. फिर भी आरटीआई के अनुसार, केवल 4.49% छात्रों ने सालाना आवश्यक शपथ-पत्र भरे. 9 जून 2025 को यूजीसी ने 89 विश्वविद्यालयों को कारण बताओ नोटिस जारी किया, क्योंकि वे 2009 के नियमों का पालन नहीं कर रहे थे.
बंगाल में मनरेगा एक अगस्त से चालू करने के आदेश
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र सरकार को 1 अगस्त से पश्चिम बंगाल में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को फिर से लागू करने का निर्देश दिया है. यह योजना मार्च 2022 से राज्य में निलंबित थी. मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि केंद्र ने कथित भ्रष्टाचार के कारण धन रोका था, लेकिन अधिनियम "योजना को अनिश्चित काल के लिए ठंडे बस्ते में डालने की अनुमति नहीं देता है." अदालत ने जोर देकर कहा कि पिछली अनियमितताओं और भविष्य के कार्यान्वयन के बीच एक स्पष्ट रेखा खींची जानी चाहिए. इस योजना के निलंबन से राज्य के दो करोड़ से अधिक ग्रामीण मजदूर प्रभावित हुए थे, जिससे बड़े पैमाने पर संकटपूर्ण पलायन हुआ. यह याचिका राज्य सरकार ने नहीं, बल्कि खेतिहर मजदूरों के संगठन 'पश्चिम बंग खेत मजदूर समिति' (PBKMS) ने दायर की थी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फैसले का स्वागत किया है, जबकि तृणमूल कांग्रेस ने इसे अपने नेतृत्व की जीत बताया है. याचिकाकर्ता संगठन ने इसे मजदूरों की आजीविका के अधिकार की बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है. अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि अनियमितताओं से वसूली गई राशि भारत की संचित निधि में वापस जमा की जाए.
केरल में ‘भारत माता’ विवाद: मंत्री का विरोध, राज्यपाल की तीखी प्रतिक्रिया
'द हिंदू' की रिपोर्ट है कि केरल के सामान्य शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने गुरुवार को राज्यपाल भवन में आयोजित एक आधिकारिक कार्यक्रम के दौरान ‘भारत माता’ की तस्वीर प्रदर्शित किए जाने पर विरोधस्वरूप कार्यक्रम से वाकआउट कर दिया. यह तस्वीर भगवा ध्वज के साथ प्रदर्शित की गई थी और इसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जोड़ा जा रहा है. राजभवन ने इस कदम को “प्रोटोकॉल का घोर उल्लंघन और राज्यपाल के पद का अपमान” बताया. राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा, “भारत माता को हटाने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता.” राज्यपाल भवन में भारत माता की भगवा ध्वज वाली तस्वीर लगाने को लेकर शिक्षा मंत्री ने आपत्ति जताई. यह चित्र केरल राज्य भारत स्काउट्स और गाइड्स राज्य पुरस्कार समारोह के दौरान प्रदर्शित किया गया था. मंत्री का मानना है कि यह छवि राजनीतिक और वैचारिक एजेंडे से प्रेरित थी. राजभवन ने मंत्री के बहिष्कार को 'अनुशासनहीनता' बताया. एक आधिकारिक बयान में कहा गया, "मंत्री का यह कृत्य न केवल प्रोटोकॉल के विरुद्ध है, बल्कि राज्यपाल के संवैधानिक पद का भी अपमान है."
मणिपुर में हिंसा; गोली से कुकी महिला की हत्या, मैतेई किसान घायल
मणिपुर में हिंसा की ताज़ा घटनाओं में एक कुकी महिला की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जबकि एक मैतेई किसान गोली लगने से घायल हो गया. कथित रूप से मैतेई उग्रवादियों की गोली का शिकार हुई कुकी महिला का नाम होइखोलहिंग हाओकिप है, जो लांगचिंगमांबी गांव के प्रमुख खैखोगिन हाओकिप की पत्नी थीं. कुकी महिला मानवाधिकार संगठन ने एक बयान में कहा, “मैतेई और कुकी समुदायों के बीच झड़पों को रोकने के लिए सरकार द्वारा घोषित बफर ज़ोन की उपस्थिति के बावजूद, मैतेई उग्रवादी बार-बार बफर लाइन पार कर रहे हैं, जिससे तनाव भड़क रहा है और निर्दोष नागरिकों की जान खतरे में पड़ रही है." उधर, कुकी उग्रवादियों पर एक किसान को गोली मारने का आरोप है. घायल किसान निंगथौजम बीरेन दो अन्य किसानों के साथ खेत में काम कर रहे थे, तभी उन्हें गोली लगी. घटना के बाद, गुस्साए स्थानीय लोगों ने चुराचांदपुर जिले की ओर जाने वाले राजमार्ग को जाम कर दिया.
विश्लेषण
पाकिस्तान किसका बेवफ़ा निकलेगा.. न अमेरिका को छोड़ते बने न ईरान को..
वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में पाकिस्तान की स्थिति एक दिलचस्प और जटिल पहेली प्रस्तुत करती है. एक तरफ पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रम्प के साथ भोजन कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ देश की नागरिक सरकार ईरान-इज़रायल संघर्ष में खुलकर ईरान का समर्थन कर रही है. यह दोहरी रणनीति पाकिस्तान की भू-राजनीतिक मजबूरियों और आंतरिक चुनौतियों का प्रतिबिंब है.
पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर की अमेरिकी यात्रा एक ऐतिहासिक घटना है. यह पहली बार है जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के ऐसे सैन्य प्रमुख की व्हाइट हाउस में मेजबानी की है जो देश का राष्ट्राध्यक्ष नहीं है. यह घटना न केवल पारंपरिक कूटनीतिक प्रोटोकॉल को तोड़ती है, बल्कि पाकिस्तान की वास्तविक शक्ति संरचना की अमेरिकी स्वीकृति को भी दर्शाती है. ट्रम्प ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि पाकिस्तान में असली शक्ति सेना के पास है, न कि नागरिक सरकार के पास.अल जजीरा के लिए आबिद हुसैन ने यह विश्लेषण लिखा है.
इस बैठक का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि यह उस देश के संदर्भ में हुई है जिसे ट्रम्प ने सात साल पहले "झूठ और धोखे के सिवा कुछ नहीं" देने का आरोप लगाया था. जो बाइडेन ने पाकिस्तान को "सबसे खतरनाक देशों में से एक" कहा था. लेकिन अब ट्रम्प मुनीर को भारत-पाकिस्तान के बीच मई 2025 के संघर्ष को शांत करने के लिए धन्यवाद दे रहे हैं. इस घटना ने दोनों परमाणु शक्तियों को युद्ध के कगार से वापस खींच लिया था.
दूसरी तरफ, पाकिस्तान की नागरिक सरकार ईरान-इज़रायल संघर्ष में एक बिल्कुल अलग रुख अपना रही है. जब इज़रायल ने जून 2025 में ईरानी शहरों पर हमले किए, तो पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने तुरंत इसकी निंदा करते हुए इसे "खुला उकसावा" और "क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन" करार दिया. शहबाज शरीफ की सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इज़रायल को "जवाबदेह ठहराने" की मांग की है. यह रुख अमेरिका की इज़रायल समर्थक नीति के बिल्कुल विपरीत है.
इस द्विपक्षीय रणनीति के पीछे पाकिस्तान की कई गहरी चिंताएं हैं. सबसे पहले, पाकिस्तान और ईरान के बीच 905 किलोमीटर की लंबी सीमा है. पाकिस्तान नहीं चाहता कि इज़रायल का सैन्य प्रभाव उसकी पश्चिमी सीमा तक पहुंचे. इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का यह दावा कि उनकी वायु सेना का तेहरान के आसमान पर नियंत्रण है, इस्लामाबाद के लिए खतरे की घंटी है.
बलूचिस्तान प्रांत पाकिस्तान की सबसे बड़ी चिंता है. यह तेल, गैस, सोने और तांबे से भरपूर प्रांत दशकों से अलगाववादी आंदोलनों का केंद्र रहा है. बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) और बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (BLF) जैसे सशस्त्र समूह यहां सक्रिय हैं. पाकिस्तान को डर है कि यदि ईरान-इज़रायल संघर्ष बढ़ता है, तो ये समूह ईरानी सीमा से पाकिस्तान में घुसपैठ की कोशिश कर सकते हैं. इसी आशंका के चलते पाकिस्तान ने 15 जून से अपने पांच सीमा क्रॉसिंग बंद कर दिए हैं.
शरणार्थी संकट की आशंका भी पाकिस्तान की चिंता का विषय है. 1979 के सोवियत आक्रमण के बाद से लाखों अफगान शरणार्थियों ने पाकिस्तान में शरण ली है. पाकिस्तान हाल ही में इन शरणार्थियों को वापस भेज चुका है और वह ईरान के साथ अपनी लंबी सीमा पर वैसी ही स्थिति नहीं चाहता.
आंतरिक राजनीति भी पाकिस्तान की नीति को प्रभावित कर रही है. पाकिस्तान में 15% से अधिक शिया आबादी है. ईरान के खिलाफ खुला रुख अपनाने से देश के भीतर सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है. सुरक्षा विश्लेषक इहसानुल्लाह टीपू महसूद के अनुसार, "शिया-बहुल ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का खुला समर्थन करने से देश के भीतर गंभीर प्रतिक्रिया हो सकती है."
विशेषज्ञों का मानना है कि यह नई शुरुआत काफी हद तक ट्रम्प के व्यक्तिगत रुख का परिणाम है, न कि संस्थागत अमेरिकी नीति का. मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ फेलो मार्विन वेनबाम का कहना है कि "यह ऐसा प्रशासन है जो घंटे-घंटे में अपना रुख बदलता है." इसका मतलब यह है कि यह संबंध अस्थायी हो सकता है और ट्रम्प के शासनकाल के बाद या उनके रुख बदलने पर खत्म हो सकता है.
पाकिस्तान की यह द्विपक्षीय रणनीति उसकी ऐतिहासिक विदेश नीति के अनुरूप है. पाकिस्तान हमेशा से "लेन-देन" पर आधारित संबंध बनाता रहा है. जब अमेरिका को जरूरत होती है, तो वह पाकिस्तान के करीब आता है, और जब काम निकल जाता है, तो दूरी बना लेता है. इस बार भी पाकिस्तान अपने सभी विकल्प खुले रख रहा है.
निष्कर्ष के तौर पर, पाकिस्तान की वर्तमान स्थिति एक जटिल भू-राजनीतिक शतरंज का खेल है. एक तरफ वह अमेरिका के साथ अपने सैन्य और रणनीतिक संबंधों को मजबूत बना रहा है, वहीं दूसरी तरफ ईरान के साथ अपने पारंपरिक और सामरिक हितों की रक्षा कर रहा है. यह रणनीति तब तक काम कर सकती है जब तक अमेरिका और ईरान के बीच सीधा संघर्ष न हो. लेकिन यदि स्थिति और बिगड़ी, तो पाकिस्तान को अपनी इस द्विपक्षीय रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है.
चीन के भरोसे है भारत का ईवी सपना ?
जहां अमेरिका एक ओर चीनी इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) कंपनियों पर व्यापारिक प्रतिबंध लगा रहा है, वहीं भारत ने अपने ईवी बाजार को गति देने के लिए एक बिल्कुल अलग और सधा हुआ रास्ता चुना है. 2030 तक 30% वाहनों को इलेक्ट्रिक करने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पाने के लिए भारत चीनी तकनीक और सप्लाई चेन पर दांव लगा रहा है, भले ही दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव बना हुआ है. रेस्ट ऑफ वर्ल्ड के लिए इस बारे में अनन्या भट्टाचार्य ने विस्तार से रिपोर्ट लिखी है.
विशेषज्ञों का मानना है कि चीनी तकनीक के बिना भारत को सप्लाई की कमी, योजनाओं में देरी और उत्पादों की विविधता में कमी का सामना करना पड़ सकता है. टाटा मोटर्स, महिंद्रा और ओला इलेक्ट्रिक जैसी बड़ी भारतीय कंपनियां भी बैटरी सेल और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे महत्वपूर्ण पुर्जों के लिए चीनी आपूर्तिकर्ताओं पर बहुत अधिक निर्भर हैं. यह निर्भरता तब तक एक 'पुल' का काम कर रही है, जब तक कि घरेलू उद्योग पूरी तरह से आत्मनिर्भर नहीं हो जाता.
यह रणनीति विरोधाभासों से भरी है. 2020 में सीमा पर हिंसक झड़पों के बाद भारत ने टिकटॉक जैसे चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया और बीवाईडी जैसी कार कंपनियों को भारत में फैक्ट्री लगाने से रोका था. लेकिन दूसरी ओर, हाल ही में सरकार ने 35 से अधिक ईवी पुर्जों पर आयात शुल्क घटा दिया, जिनमें से अधिकांश चीन से ही आते हैं.
इस सहयोग का असर बाजार में साफ दिख रहा है. भारतीय समूह जेएसडब्ल्यू और चीन की सरकारी कंपनी एसएआईसी के संयुक्त उद्यम एमजी मोटर ने केवल एक साल में अपनी बाजार हिस्सेदारी दोगुनी कर ली है और टाटा मोटर्स जैसे दिग्गजों को कड़ी टक्कर दे रहा है.
हालांकि, इस निर्भरता के जोखिम भी हैं. इससे चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़ रहा है और यह 'आत्मनिर्भर भारत' के लक्ष्य को कमजोर कर सकता है. विशेषज्ञ इसे 'सॉफ्ट प्रोटेक्शनिज्म' यानी नरम संरक्षणवाद की नीति बता रहे हैं. इसका उद्देश्य अमेरिका की तरह चीन से पूरी तरह अलग-थलग होना नहीं, बल्कि घरेलू विकल्प तैयार होने तक चीनी सप्लाई चेन का लाभ उठाना है.
भारत अपने ईवी सपने को साकार करने के लिए एक बहुत ही नाजुक संतुलन साध रहा है. यह एक ऐसी रणनीति है जिसमें एक प्रतिद्वंद्वी की ताकत का इस्तेमाल अपनी नींव मजबूत करने के लिए किया जा रहा है. यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत इस संतुलन को कब तक और कितनी सफलतापूर्वक बनाए रख पाता है.
तो भारत का सुपर पॉवर बनना मुश्किल
फॉरेन अफेयर्स वेबसाइट पर प्रकाशित एक लम्बे निबंध में, एशले टेलिस लिखते हैं कि कैसे नई दिल्ली की भव्य रणनीति ही उसकी भव्य महत्वाकांक्षाओं को विफल कर रही है. वे लिखते हैं,
"भारत का मानना है कि बहुध्रुवीयता (multipolarity) वैश्विक शांति और स्वयं के उदय, दोनों की कुंजी है. यह पूरी शिद्दत से अपनी रणनीतिक स्वायत्तता (strategic autonomy) की रक्षा करता है, औपचारिक गठबंधनों से परहेज़ करता है और ईरान व रूस जैसे पश्चिमी प्रतिद्वंद्वियों के साथ संबंध बनाए रखता है, जबकि दूसरी ओर यह संयुक्त राज्य अमेरिका के करीब भी आया है. इस व्यवहार का उद्देश्य एक बहुध्रुवीय अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद करना है. लेकिन यह शायद प्रभावी या यथार्थवादी भी न हो. हालांकि पिछले दो दशकों में भारत की आर्थिक ताकत बढ़ी है, फिर भी यह इतनी तेजी से नहीं बढ़ रहा है कि लंबी अवधि में भी चीन को संतुलित कर सके, संयुक्त राज्य अमेरिका की तो बात ही छोड़ दें. सदी के मध्य तक, सापेक्ष जीडीपी के मामले में, यह एक बड़ी शक्ति तो बन जाएगा, लेकिन सुपर पॉवर नहीं.
सैन्य दृष्टि से, यह दक्षिण एशिया की सबसे महत्वपूर्ण पारंपरिक शक्ति है, लेकिन यहां भी, अपने स्थानीय प्रतिद्वंद्वी पर इसकी बढ़त बहुत ज़्यादा नहीं है: मई में हुई लड़ाई में, पाकिस्तान ने भारतीय विमानों को मार गिराने के लिए चीन द्वारा आपूर्ति की गई रक्षा प्रणालियों का इस्तेमाल किया था. एक तरफ चीन और दूसरी तरफ एक विरोधी पाकिस्तान के साथ, भारत को हमेशा दो-मोर्चों वाले एक मुश्किल युद्ध की आशंका का सामना करना पड़ता है.
इस बीच, देश के भीतर, देश हिंदू राष्ट्रवाद को अपनाकर अपनी ताकत के मुख्य स्रोतों में से एक - अपने उदार लोकतंत्र - को कमजोर कर रहा है. यह बदलाव सांप्रदायिक तनावों को तीव्र करके और पड़ोसियों के साथ समस्याओं को बढ़ाकर भारत के उदय को कमजोर कर सकता है, जिससे उसे अपने सुरक्षा संसाधनों को देश के भीतर लगाना पड़ेगा और बाहरी शक्ति प्रदर्शन की क्षमता पर इसका बुरा असर पड़ेगा. देश का यह अनुदारवादी झुकाव उस नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को और कमजोर करता है, जिसने अब तक इसका बहुत भला किया है."
लॉरेंस बिश्नोई गिरोह को कनाडा में आतंकवादी संगठन घोषित करने की मांग
'द ग्लोबल एंड मेल' की रिपोर्ट है कि ब्रिटिश कोलंबिया (B.C.) के मुख्यमंत्री डेविड ईबी ने भारत के कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के गिरोह को कनाडा में आतंकवादी संगठन घोषित करने की मांग की है. यह कदम कनाडा में साउथ एशियाई व्यवसायियों से की जा रही वसूली की घटनाओं के बढ़ते मामलों के चलते उठाया गया है. ईबी ने मंगलवार को विक्टोरिया में पत्रकारों से कहा, “ऐसे आरोप हैं कि भारत में सक्रिय कुछ गैंग हमारे प्रांत और अन्य प्रांतों में भी व्यवसायियों को डराने और वसूली के लिए काम कर रहे हैं. मैं प्रधानमंत्री को पत्र लिखूंगा और मांग करूंगा कि लॉरेंस बिश्नोई गिरोह को कनाडा में आतंकवादी संगठन घोषित किया जाए.” यह बयान खासतौर पर ब्रिटिश कोलंबिया के सरे शहर में बसे सिख समुदाय की चिंताओं के जवाब में आया है. पिछले छह महीनों में सरे पुलिस सेवा को 10 से अधिक वसूली की रिपोर्टें मिली हैं, जिसके बाद एक विशेष टीम का गठन किया गया है. पुलिस का कहना है कि साउथ एशियाई समुदाय के कई व्यवसायियों को चिट्ठियों, फोन कॉल्स और सोशल मीडिया के माध्यम से धमकाया गया है और उनसे हिंसा की धमकी देकर पैसे मांगे गए हैं.
कनाडा की कम से कम छह शहरों की पुलिस साउथ एशियाई समुदाय को निशाना बना रही वसूली रैकेट की जांच कर रही है. दिसंबर 2023 में ऐबॉट्सफोर्ड पुलिस ने अमीर साउथ एशियाई लोगों से की जा रही वसूली की जांच शुरू की थी और इन घटनाओं में बिश्नोई गिरोह से जुड़े होने की आशंका जताई थी. भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पहले ही कहा है कि लॉरेंस बिश्नोई एक अंतरराष्ट्रीय अपराध सिंडिकेट चला रहा है और वो भी भारत की जेल से. आरसीएमपी (कनाडा की रॉयल माउंटेड पुलिस) ने भी यह स्वीकारा है कि बिश्नोई गिरोह कनाडा में हिंसक अपराधों में शामिल रहा है और यही गिरोह भारत-कनाडा कूटनीतिक तनाव का एक बड़ा कारण बना है.
चीन भी ब्रह्मपुत्र का पानी रोक सकता है!
10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच घोषित युद्धविराम के बावजूद, नई दिल्ली द्वारा अप्रैल के अंत में द्विपक्षीय जल-बंटवारा संधि को एकतरफा रद्द करने का फैसला इस्लामाबाद के लिए लगातार तनाव पैदा कर रहा है. निक्की एशिया के लिए नीता लाल ने इस पर रिपोर्ट लिखी है. इस मामले में एक नए मोड़ के तौर पर, एक चीनी विद्वान की तीखी टिप्पणी ने भारत के राजनयिक हलकों में हलचल मचा दी है.बीजिंग स्थित 'सेंटर फॉर चाइना एंड ग्लोबलाइजेशन' के उपाध्यक्ष विक्टर झिकाई गाओ ने इस महीने की शुरुआत में एक भारतीय टीवी चैनल से कहा, "जैसे भारत से नदियाँ पाकिस्तान में बहती हैं, वैसे ही चीन से भी नदियाँ भारत में आती हैं. ...अगर भारत दूसरों के खिलाफ कार्रवाई करता है, तो उसे बदले में वैसी ही प्रतिक्रियाओं के लिए तैयार रहना चाहिए." उन्होंने चेतावनी दी, "दूसरों के साथ वह न करें जो आप अपने साथ नहीं चाहते." गाओ ने संकेत दिया कि अगर नई दिल्ली सिंधु नदी के पानी के बहाव को रोकती है या उसका रुख मोड़ती है और इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को खतरा होता है, तो पाकिस्तान का सहयोगी होने के नाते चीन भी ब्रह्मपुत्र नदी के साथ ऐसा ही कर सकता है, जो चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र से भारत के उत्तर-पूर्व में बहती है. भारत ने 23 अप्रैल को, कश्मीर के भारत-प्रशासित हिस्से में एक घातक हमले में 26 नागरिकों के मारे जाने के एक दिन बाद, सिंधु जल संधि को रद्द करने की घोषणा की थी.
चलते-चलते
आमिर खान की फिल्म ‘सितारे ज़मीन पर’ में पीएम मोदी का उद्धरण जोड़ने के सीबीएफसी के निर्देश
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सीबीएफसी की रिवाइज़िंग कमेटी ने फिल्म में पांच बदलावों के निर्देश दिए हैं. इनमें एक निर्देश यह भी है कि फिल्म की शुरुआत में संशोधित डिस्क्लेमर के ठीक बाद प्रधानमंत्री मोदी का 2047 से जुड़ा एक कथन जोड़ा जाए. हालांकि, इस कथन की स्पष्ट सामग्री सार्वजनिक नहीं की गई है. इस कदम को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. कई लोगों ने इस निर्देश को राजनीतिक हस्तक्षेप और विचारधारा थोपने की कोशिश करार दिया है.
एक यूज़र ने लिखा, “सीबीएफसी को यह भी कह देना चाहिए कि आमिर खान फिल्म के अंत में ‘थैंक यू, मोदीजी’ भी जोड़ें. वह क्यों नहीं हो रहा?”
एक और ने कहा, “बिना किसी संदर्भ के मोदी का उद्धरण जोड़ने का आदेश क्यों दिया गया? यह बात हज़म नहीं हो रही. इस कहानी में कुछ और भी है जो सामने नहीं आ रहा.”
फिल्म को U/A सर्टिफिकेट दिया गया है और यह 20 जून को सिनेमाघरों में रिलीज़ हो रही है. सितारे ज़मीन पर का निर्देशन आरएस प्रसन्ना ने किया है और इसमें आमिर खान और जेनेलिया डिसूज़ा मुख्य भूमिकाओं में हैं. यह फिल्म 2018 की स्पैनिश फिल्म चैंपियंस का आधिकारिक रीमेक है, जिसमें एक उग्र मिज़ाज वाला बास्केटबॉल कोच मानसिक रूप से दिव्यांग खिलाड़ियों की टीम को प्रशिक्षित करता है.
CBFC द्वारा सुझाए गए अन्य बदलावों में “बिजनेस वुमन” को “बिजनेस पर्सन” से बदलना, डिस्क्लेमर की अवधि 30 सेकंड से घटाकर 26 सेकंड की करना और उसमें वॉयसओवर जोड़ना, "कमल" शब्द को विजुअल्स और सबटाइटल्स से हटाना, "Michael Jackson" को सबटाइटल्स में “Lovebirds” से बदलना शामिल है. 17 जून को जारी सीबीएफसी प्रमाणपत्र के अनुसार, आमिर खान फिल्म्स एलएलपी ने सभी संशोधनों का पालन कर लिया है.
सोशल मीडिया पर एक व्यक्ति ने तीखा तंज कसते हुए लिखा, “सीबीएफसी अब फिल्में सेंसर नहीं करता, बल्कि सरकारी प्रचार विभाग के लिए ऑडिशन दे रहा है.” एक अन्य यूज़र ने कहा, “भारत में दुनिया का सबसे खराब फिल्म सर्टिफिकेशन बोर्ड है.”
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