21/02/2025 : कुंभ में मौतों को लेकर योगी की नेहरू से तुलना, ट्रम्प ने भारत में चुनावी दखल को हवा दी, नफरती भाजपा विधायक पर मेटा का बैन, माइक्रोसॉफ्ट की नई चिप, छत्तीसगढ़ में यूट्यूबर्स का गाँव
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां | 21 फरवरी 2025
भारत में चुनावी दखल के आरोपों को ट्रम्प की हवा : अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएआईडी) द्वारा भारत में 'मतदाता भागीदारी' के लिए दिए गए 21 मिलियन डॉलर के अनुदान के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है, "वे किसी और को चुना हुआ देखना चाहते थे". ट्रम्प ने आगे कहा: "हमें भारत सरकार को बताना होगा. क्योंकि जब हमने सुना कि रूस ने हमारे देश में लगभग दो हज़ार डॉलर खर्च किए, तो यह एक बड़ा मुद्दा बन गया. उन्होंने दो हज़ार डॉलर में कुछ इंटरनेट विज्ञापन लिए थे. यह तो पूरी तरह से हदें पार करना है." ट्रम्प के ये बयान भाजपा के उन दावों को बल दे सकते हैं, जिनमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यभार संभालने से पहले यूपीए सरकार ने भारत में 'विदेशी प्रभाव' को अनुमति दी थी. हालाँकि, फैक्ट-चेकर्स ने दिखाया है कि यूएसएआईडी मोदी सरकार के कार्यकाल में भी गहराई से जुड़ी रही. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने नई दिल्ली (केंद्र सरकार) से माँग की है कि वह एक श्वेत पत्र जारी करे, जो दशकों से भारत में सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों को यूएसएआईडी के समर्थन का विवरण दे.
कुंभ मेले में मौतें : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ मेले में हुई मौतों की संख्या पर आलोचना का जवाब देते हुए कहा कि 'संगम नोज' क्षेत्र में 30 लोगों की मौत हुई थी, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि मेले के दूसरे क्षेत्र में इसी तरह की घटना में सात अन्य लोग मारे गए; जिससे कुल मौतों की संख्या 37 हो गई. आदित्यनाथ ने 1954 के कुंभ मेले में हुई भगदड़ का भी उल्लेख किया और दावा किया कि नेहरू और राजेंद्र प्रसाद उस समय मौजूद थे. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने कुछ शवों को बिना पोस्टमार्टम कराए उनके परिवारों की "सहमति" से घर भेजा.
मेटा ने भाजपा विधायक टी. राजा सिंह से जुड़े अकाउंट्स हटाए : मेटा ने भाजपा विधायक टी. राजा सिंह से जुड़े दो फेसबुक पेज और तीन इंस्टाग्राम अकाउंट्स हटा दिए हैं. यह कार्रवाई इंडिया हेट लैब (आईएचएल) की उस रिपोर्ट के एक सप्ताह बाद आई है, जिसमें दिखाया गया कि मेटा की "खतरनाक व्यक्ति और संगठन" नीति के तहत प्रतिबंधित होने के बावजूद सिंह और उनके समर्थक सोशल मीडिया पर मुस्लिम विरोधी नफरत फैला रहे थे. मेटा के प्रवक्ता ने कहा, "हमने हिंसा और घृणा फैलाने वालों को प्लेटफॉर्म से हटाने की नीति के तहत राजा सिंह के अकाउंट्स हटाए हैं."
इंस्टाग्राम ने कैरवन पत्रिका की जम्मू-कश्मीर हत्याओं पर रिपोर्ट सेंसर की : इंस्टाग्राम ने कैरवन की उस जांच रिपोर्ट को हटा दिया है, जिसमें जम्मू-कश्मीर में नागरिक हत्याओं में भारतीय सेना की भूमिका को उजागर किया गया था. पत्रिका के एग्जीक्यूटिव एडिटर हरतोष सिंह बाल ने बताया कि प्लेटफॉर्म ने "उल्लंघन" का हवाला देकर रिपोर्ट हटाई, लेकिन कोई विशेष कारण नहीं बताया. यह कार्रवाई मोदी सरकार द्वारा पहले की गई सेंसरशिप के बाद आई है. बाल ने कहा, "मोदी के भारत में अपराध राज्य की हिंसा नहीं, बल्कि उसे रिपोर्ट करना है." रिपोर्ट पर आधारित डॉक्यूमेंट्री यहाँ देख सकते हैं.
पनामा में भारतीय नागरिक : पनामा सिटी स्थित भारतीय दूतावास ने पुष्टि की है कि अमेरिका द्वारा पनामा भेजे गए 299 निर्वासितों में भारतीय नागरिक भी शामिल थे. दूतावास की एक टीम ने वहां मौजूद भारतीयों के एक समूह से मुलाकात की और पाया कि वे एक होटल में "सुरक्षित" हैं. सूत्रों के अनुसार, भारतीय नागरिकों की सटीक संख्या अभी तक उजागर नहीं की गई है क्योंकि उनकी पहचान अभी भी सत्यापित की जा रही है. स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, 299 निर्वासितों में से 40% से अधिक अपने मूल देशों में स्वैच्छिक रूप से लौटने से इनकार कर चुके हैं.
पत्रकार की रिहाई : जम्मू और कश्मीर में, स्वतंत्र पत्रकार माजिद हैदरी को जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत सत्रह महीने की जेल के बाद रिहा कर दिया गया. पुलिस और श्रीनगर जिला प्रशासन ने आरोप लगाया था कि हैदरी पत्रकारिता के भेष में झूठी सूचना फैला रहे थे और अलगाववाद को बढ़ावा दे रहे थे. हालांकि, न्यायमूर्ति विनोद चटर्जी कौल ने कहा कि हैदरी की नजरबंदी के आधार अस्पष्ट थे और उनमें गतिविधियों की तारीख, महीना और वर्ष का उल्लेख नहीं था.
प्रेस परिषद का गठन : मुंबई प्रेस क्लब ने भारतीय प्रेस परिषद (प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया) की नई परिषद के गठन में देरी को "चौंकाने" और "विचलित करने वाला" बताया है. क्लब ने कहा कि एक स्वायत्त निकाय होने के बावजूद, परिषद को एक गैर-कार्यात्मक इकाई में बदल दिया गया है. क्लब ने यह भी कहा कि संकट के मूल में दो महत्वपूर्ण पत्रकार निकायों, मुंबई प्रेस क्लब और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया को प्रेस परिषद में प्रतिनिधित्व से बाहर करने का प्रयास है.
केसीआर के खिलाफ शिकायत करने वाले एक्टिविस्ट की हत्या : तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के खिलाफ शिकायत दर्ज करने वाले एक्टिविस्ट नागावेली राजलिंगमूर्ति की हत्या कर दी गई है. 'डेक्कन हेरल्ड' की खबर है कि इस मामले में पुलिस का कहना है कि यह संपत्ति विवाद का मसला है, लेकिन परिजन का आरोप है कि यह राजनीति से प्रेरित हत्या है. राजलिंगमूर्ति ने केसीआर, उनके भतीजे और पूर्व मंत्री हरीश राव के खिलाफ कलेश्वरम सिंचाई परियोजना में भ्रष्टाचार के आरोप में मुकदमा दर्ज करने के लिए कोर्ट में एक निजी शिकायत दी थी. लेकिन 19 फरवरी 2025 को जयशंकर भूपलपल्ली जिले में राजलिंगमूर्ति की हत्या कर दी गई.
भारत की जीडीपी पर मूडीज़ : घटेगी रफ्तार
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने वित्त वर्ष 2025 के लिए भारत की जीडीपी रफ्तार को घटा दिया है. मूडीज ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2025 में धीमी होकर 6.4 प्रतिशत रहेगी. मूडीज़ एनालिटिक्स ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत की वृद्धि दर 2025 में सुस्त पड़कर 6.4 प्रतिशत रह जाएगी, जो 2024 में 6.6 प्रतिशत थी. एजेंसी ने कहा कि नए अमेरिकी शुल्क और वैश्विक मांग में नरमी से निर्यात पर असर पड़ रहा है. मूडीज एनालिटिक्स ने अपनी रिपोर्ट “एशिया-प्रशांत परिदृश्य : आगे अव्यवस्था” में कहा कि 2025 में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्था की वृद्धि धीमी हो जाएगी, क्योंकि व्यापारिक तनाव, नीतिगत बदलाव और असमान वसूली जैसे कारक इस क्षेत्र की किस्मत को प्रभावित करेंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि नए शुल्क और वैश्विक मांग में नरमी के कारण निर्यात पर असर पड़ने से पूरे क्षेत्र में वृद्धि धीमी हो जाएगी. मूडीज़ का अनुमान है कि चीन की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 2024 के 5 प्रतिशत से घटकर 2025 में 4.2 प्रतिशत और 2026 में 3.9 प्रतिशत रह जाएगी. भारत की वृद्धि दर 2024 के 6.6 प्रतिशत से घटकर आने वाले वर्षों में 6 प्रतिशत के निचले स्तर पर आ जाएगी.
विदेशी न्यायाधिकरण अपने आदेशों की समीक्षा नहीं कर सकता : सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि अवैध अप्रवासियों का निर्धारण करने के लिए स्थापित विदेशी न्यायाधिकरण अपने आदेशों की समीक्षा नहीं कर सकते, क्योंकि वे अपीलीय प्राधिकरण नहीं हैं. इस निर्णय से यह सुनिश्चित होगा कि किसी व्यक्ति को उचित प्रक्रिया से भारतीय नागरिक घोषित कर दिये जाने के बाद राज्य या केंद्र वैध आधारों की अनुपस्थिति में उनके खिलाफ बार-बार नए मुकदमे नहीं चला सकते.
लोकपाल के आदेश पर रोक : सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर गुरुवार को 27 जनवरी के लोकपाल के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाले लोकपाल ने कहा गया था कि उसके पास हाईकोर्ट के वर्तमान जजों के खिलाफ शिकायतों पर विचार करने का अधिकार है. शीर्ष अदालत ने इस आदेश को ‘बहुत ही परेशान करने वाली बात’ कहा.जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एएस ओका भी शामिल थे. शीर्ष अदालत ने मामले में केंद्र, लोकपाल और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने रजिस्ट्रार न्यायिक को निर्देश दिया कि ‘शिकायतकर्ता की पहचान छिपाई जाए और उसे हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार न्यायिक के माध्यम से शिकायत भेजी जाए, जहां वह रहता है’. इसके अलावा, इसने शिकायतकर्ता को उस जज (जिसकी शिकायत की है) का नाम सार्वजनिक करने और केस के बारे में भी खुलासा करने से भी मना किया. न्यायालय इस मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को करेगा.
महाराष्ट्र के कृषि मंत्री को धोखाधड़ी मामले में 2 साल की सजा : महाराष्ट्र के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे को नासिक जिला अदालत ने 30 साल पुराने धोखाधड़ी और दस्तावेजों से छेड़छाड़ के मामले में शामिल होने के लिए दो साल जेल की सजा सुनाई है. यह सजा मुख्यमंत्री के विवेकाधीन कोटे के तहत दो फ्लैटों के अवैध अधिग्रहण से संबंधित है. अदालत ने एनसीपी (अजीत पवार) नेता पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है. उनके भाई सुनील कोकाटे को भी दोषी ठहराया गया है. आरोपों के अनुसार, कोकाटे ने दावा किया था कि वे निम्न आय वर्ग (एलआईजी) से आते हैं और उनके पास कोई अन्य संपत्ति नहीं है, जिससे उन्हें मुख्यमंत्री के 10 प्रतिशत विवेकाधीन कोटे के तहत फ्लैट हासिल करने की अनुमति मिल गई. जांच में पता चला कि इन लाभों को प्राप्त करने के लिए उन्होंने गलत दस्तावेज प्रस्तुत किए थे. अदालत में मौजूद माणिकराव कोकाटे ने कहा कि वह इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे और उन्हें जमानत मिल गई है. ये वही कोकाटे हैं, जिन्होंने 15 फरवरी को अमरावती में एक बैठक में किसानों की तुलना भिखारी से की थी. कहा था, “भिखारी भीख में एक रुपया स्वीकार नहीं करते, जबकि सरकार किसानों को एक रुपये पर फसल बीमा दे रही है और इसका भी दुरुपयोग किया जा रहा है.”
मालीवाल के खिलाफ एफआईआर रद्द करने से किया इनकार : दिल्ली हाईकोर्ट ने 14 साल की यौन उत्पीड़िता की पहचान जाहिर करने के लिए आप (आम आदमी पार्टी) सांसद स्वाति मालीवाल के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया. पीड़िता ने चोटों के कारण दम तोड़ दिया था. जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि मालीवाल का दावा है कि उनके कार्य सद्भावनापूर्ण थे और अभियोजन से उन्हें संरक्षण प्राप्त है. कार्यवाही बंद करने का यह कोई आधार नहीं है. इसे उन्हें उचित चरण में साबित करना होगा. दिल्ली पुलिस ने मालीवाल पर 2016 में तब एफआईआर दर्ज की थी, जब वह दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष थीं. पुलिस ने मालीवाल पर पीड़िता का नाम जानबूझकर उजागर कर उसे मीडिया में प्रसारित करने का आरोप लगाया था.
महाकुंभ में नहा रही औरतों की तस्वीरों पर ऑनलाइन लग रही बोली : महाकुंभ के दौरान महिलाओं के नहाने और कपड़े बदलने की तस्वीरें ऑनलाइन बिक्री के लिए सामने आने के बाद पुलिस हरकत में आ गई है. 'डेक्कन हेरल्ड' की खबर है कि टेलिग्राम पर कुछ समूहों के नाम 'गंगा नदी ओपन बाथिंग ग्रुप' और 'हिडन बाथ वीडियोस ग्रुप' रखे गए हैं. रिपोर्ट के अनुसार इन समूहों में महिलाओं के नहाने और कपड़े बदलने की तस्वीरें और वीडियो साझा किए जा रहे हैं. सोशल मीडिया पर जब कुछ यूजर्स ने इस ओर ध्यान खींचा तो पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई शुरू कर दी है. लोगों ने महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन में इस तरह की तस्वीरों के सामने आने से नाराजगी और चिंता व्यक्त की थी.
कॉर्पोरेट मुनाफे में वृद्धि, तो कामगारों की मजदूरी क्यों है कम? भारत के कॉर्पोरेट क्षेत्र में मुनाफे में वृद्धि हो रही है, लेकिन कामगारों को इस मुनाफे से बहुत कुछ हासिल नहीं हो पा रहा है. रिकॉर्ड कमाई, बढ़ते मुनाफे का जीडीपी अनुपात और बोर्डरूम में उत्सव के बीच कामगारों के हाथ नगण्य ही माल आ रहा है. 'इंडियन एक्सप्रेस' की खबर है कि 2024–25 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, कॉर्पोरेट के मुनाफे 15 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं. हालांकि, इस वृद्धि का असर कर्मचारियों की मजदूरी में समान रूप से नहीं हुआ है, जिससे आय असमानता और भारत की आर्थिक वृद्धि की दीर्घकालिक स्थिरता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं. यह अंतर केवल चक्रीय नहीं है, बल्कि यह अर्थव्यवस्था में हो रहे गहरे संरचनात्मक परिवर्तनों का संकेत है. इस बदलाव का मुख्य कारण भारत का बढ़ता हुआ पूंजी-गहन उद्योगों पर निर्भर होना, जैसे बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं, बीमा, तकनीकी क्षेत्र और फार्मास्युटिकल्स है, जो आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रहे हैं. हालांकि, बढ़ती ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण इन क्षेत्रों में मशीनों और रोबोट्स का इस्तेमाल बढ़ रहा है, जिससे कर्मचारियों की जरूरत कम हो रही है. इसका मतलब है कि जितना व्यापार बढ़ रहा है और मुनाफा बढ़ रहा है, उतनी ही कम कर्मचारियों की आवश्यकता हो रही है, और इस कारण मजदूरी में वृद्धि नहीं हो रही है. यदि यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो यह आय असमानता और सामाजिक अस्थिरता का कारण बन सकती है.
बार काउंसिल को भी सरकार कंट्रोल करेगी, विरोध : भारत सरकार द्वारा हाल ही में प्रस्तावित "एडवोकेट (संशोधन) विधेयक, 2025" के खिलाफ बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने गंभीर आपत्तियां जताई हैं. 'इंडियन एक्सप्रेस' की खबर है कि बीसीआई के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को पत्र लिखकर कहा कि इस विधेयक में जो बदलाव किए गए हैं, वे बार काउंसिल की स्वतंत्रता को कमजोर करेंगे.
दिव्यांगों के अनुकूल बनाने से पहले 80% इमारतों का ऑडिट नहीं : 'द इंडियन एक्सप्रेस' के लिए दामिनी नाथ की रिपोर्ट है कि केंद्र सरकार के भवनों को दिव्यांगों के अनुकूल बनाने से पहले सीपीडब्ल्यूडी ने 80% इमारतों का ऑडिट ही नहीं किया था. यह जानकारी नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (सीएजी) की एक रिपोर्ट से मिली है, जिसमें कहा गया है कि 2015 में शुरू सुगम्य भारत अभियान के तहत 2022 तक दिल्ली और सभी राज्यों की राजधानी में 50% सरकारी भवनों को फिर से बनाने का लक्ष्य था.
योगी राज में 220 एनकाउंटर किलिंग :'डेक्कन हेरल्ड' की खबर है कि योगी आदित्यनाथ सरकार के 2017 में सत्ता में आने के बाद उत्तर प्रदेश में 220 से अधिक अपराधी एनकाउंटर में मार दिए गए, जबकि 8,022 अन्य घायल हुए. वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने गुरुवार को राज्य विधानसभा में बताया कि महिलाओं और नाबालिगों के खिलाफ अपराधों के कुल 27,425 मामले दर्ज किए गए. पोक्सो के तहत भी 11,254 मामले दर्ज किए गए.
कश्मीर में 668 किताबें जब्त : कश्मीर में पुलिस ने किताब की दुकानों पर छापेमारी कर एक प्रमुख इस्लामिक संगठन से जुड़ी सैकड़ों किताबें ज़ब्त की हैं. छापेमारी शुक्रवार को श्रीनगर क्षेत्र के मुख्य शहर में शुरू हुई. पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा कि उन्होंने “एक प्रतिबंधित संगठन के सिद्धांत को बढ़ावा देने वाले साहित्य की गुप्त बिक्री और वितरण के संबंध में विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर कार्रवाई की” और 668 किताबें ज़ब्त की हैं. 'एसोसिएट प्रेस' की खबर है कि पुस्तक विक्रेताओं के अनुसार, ज़ब्त की गई किताबें मुख्य रूप से दिल्ली स्थित मरकज़ी मक्तबा इस्लामी पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित थीं, जो भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे बड़े इस्लामिक और राजनीतिक संगठनों में से एक है और जमात-ए-इस्लामी हिंद से संबंधित है. अधिकारियों ने फरवरी 2019 में कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी को “गैरकानूनी एसोसिएशन” के रूप में प्रतिबंधित कर दिया था, इससे कुछ महीने पहले ही नई दिल्ली ने क्षेत्र की आंशिक स्वायत्तता को अगस्त 2019 में समाप्त कर दिया था. ज़ब्त की गई अधिकांश किताबें अबुल आला मौदूदी द्वारा लिखी गई थीं, जो बीसवीं सदी के एक प्रमुख इस्लामिक विद्वान और जमात-ए-इस्लामी के संस्थापक थे. श्रीनगर के पुस्तक विक्रेताओं ने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने उनकी दुकानों के पास से गुजरते हुए उन्हें मौदूदी की कोई भी किताब देने के लिए कहा और भविष्य में इन्हें बेचने से रोकने के आदेश दिए. एक दुकान के मालिक ने कहा कि उन्होंने पुलिस को बताया कि ये किताबें भारत भर में और ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों पर उपलब्ध हैं, लेकिन पुलिस ने किसी भी तर्क को नकारते हुए किताबें ज़ब्त कर लीं.
इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के वरिष्ठ विश्लेषक प्रवीण डोंठी ने कहा कि इस कार्रवाई से “नासमझी” की गंध आ रही है और यह संभवतः इस तरह के साहित्य को नई दिलचस्पी दे सकती है, जिससे कश्मीर के हताश युवाओं में इसके बारे में जिज्ञासा बढ़ सकती है. “यह बहुत मुश्किल नहीं है कि इन्हीं किताबों की सॉफ्ट कॉपी ढूंढी जा सके,” उन्होंने कहा. कश्मीर के नेता मीरवाइज़ उमर फारूक ने पुलिस अभियान को “निंदा योग्य” और “बेतुका” बताया है.
आविष्कार
माइक्रोसॉफ्ट ने नये पदार्थ से बनाई क्वांटम कंप्यूटर की नई चिप
पदार्थ की तीन प्रमुख अवस्थाएं होती हैं और वो हैं ठोस, द्रव्य और गैस. हालांकि, अब माइक्रोसॉफ्ट का कहना है कि उसने एक नई भौतिक अवस्था बनाई है. एक शक्तिशाली मशीन, जिसे क्वांटम कंप्यूटर कहा जाता है. यह बैटरियों से लेकर दवाइयों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता तक के विकास को तेज़ कर सकता है. 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' की खबर है कि माइक्रोसॉफ्ट के वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने इस नई भौतिक अवस्था पर आधारित एक "टोपोलॉजिकल क्विबिट" बनाई है, जिसका उपयोग गणितीय, वैज्ञानिक और तकनीकी समस्याओं को हल करने के लिए किया जा सकता है. इस डेवलपमेंट के साथ माइक्रोसॉफ्ट अगले बड़े तकनीकी मुकाबले में दांव बढ़ा रहा है, जो आज की कृत्रिम बुद्धिमत्ता की दौड़ से परे होगा. वैज्ञानिकों ने 1980 के दशक से क्वांटम कंप्यूटर के सपने का पीछा किया है. माइक्रोसॉफ्ट ने मेजोराना 1 (Majorana 1) की घोषणा की है, जो एक नई क्वांटम चिप है. ये अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में अधिक विश्वसनीय और स्केलेबल क्विबिट्स उत्पन्न करती है. क्विबिट्स क्वांटम कंप्यूटरों के निर्माण ब्लॉक्स होते हैं.
अपने शोध के हिस्से के रूप में कंपनी ने एक नए प्रकार के कंप्यूटर चिप पर कई टोपोलॉजिकल क्विबिट बनाए हैं, जो क्लासिकल कंप्यूटरों को शक्ति देने वाले सेमीकंडक्टर्स और क्वांटम कंप्यूटर बनाने के लिए आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले सुपरकंडक्टर्स की ताकतों को जोड़ते हैं. जब इस प्रकार के चिप को अत्यधिक ठंडे तापमान पर ठंडा किया जाता है, तो यह असामान्य और शक्तिशाली तरीके से व्यवहार करता है. माइक्रोसॉफ्ट का मानना है कि यह तकनीकी, गणितीय और वैज्ञानिक समस्याओं को हल करने की क्षमता प्रदान करेगा, जिन्हें क्लासिकल मशीनें कभी हल नहीं कर सकतीं. कंपनी ने कहा कि इसकी तकनीक अन्य क्वांटम तकनीकों की तुलना में कम अस्थिर है, जिससे इसकी शक्ति का उपयोग करना आसान हो सकता है.
माइक्रोसॉफ्ट की इस तकनीक का जिक्र विज्ञान पत्रिका नेचर में भी हुआ है. क्वांटम कंप्यूटर के विकास में कोई भी प्रगति तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों में तेजी ला सकती है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा को संरक्षित करने वाले एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली हो सकता है. ऐसे में किसी भी प्रकार के विकास के वैश्विक राजनीतिक प्रभाव भी हो सकते हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका क्वांटम कंप्यूटिंग पर माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों और नए स्टार्ट-अप्स के माध्यम से काम कर रहा है, वहीं चीन सरकार ने इस तकनीकी क्षेत्र में $15.2 बिलियन का निवेश करने की घोषणा की है. यूरोपीय संघ ने भी $7.2 बिलियन का निवेश करने का मन इस तकनीक के विकास के लिए करने का बनाया है.
क्वांटम कंप्यूटिंग, जो क्वांटम यांत्रिकी नामक एक प्रकार की भौतिकी पर आधारित है, अभी भी एक प्रयोगात्मक तकनीक है. हालांकि अब माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और अन्य कंपनियों द्वारा हाल ही में किए गए प्रयासों के बाद, वैज्ञानिकों का विश्वास है कि यह तकनीक आखिरकार अपनी पूरी क्षमता तक पहुँच सकती है.
कंपनी ने इस असामान्य प्रोजेक्ट पर 2000 के दशक की शुरुआत में काम करना शुरू किया, जब कई शोधकर्ताओं ने सोचा था कि ऐसी तकनीक संभव नहीं हो सकती. यह माइक्रोसॉफ्ट की सबसे लंबी चलने वाली शोध परियोजना है. कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने एक इंटरव्यू में कहा भी कि "यह वह चीज़ है जिस पर इस कंपनी के तीन सीईओ ने दांव लगाये हैं."
अकेला माइक्रोसॉफ्ट ही नहीं है बल्कि दिसंबर में गूगल ने एक प्रयोगात्मक क्वांटम कंप्यूटर का अनावरण भी किया था, जिसे किसी ऐसी गणना को पूरा करने में केवल पांच मिनट लगे, जिसे अधिकांश सुपरकंप्यूटर 10 सप्तिलियन सालों में भी पूरा नहीं कर सकते, जो ज्ञात ब्रह्मांड की आयु से भी अधिक है. हलांकि अब कहा जा रहा है कि माइक्रोसॉफ्ट की क्वांटम तकनीक गूगल द्वारा विकसित किए जा रहे तरीकों को पीछे छोड़ सकती है.
हार्वर्ड के भौतिकी प्रोफेसर फिलिप किम का भी कहना है कि माइक्रोसॉफ्ट का नया निर्माण महत्वपूर्ण है, क्योंकि टोपोलॉजिकल क्विबिट क्वांटम कंप्यूटरों के विकास में तेजी ला सकते हैं. उन्होंने कहा "अगर सब कुछ ठीक हो जाता है, तो माइक्रोसॉफ्ट का शोध क्रांतिकारी हो सकता है." हालांकि, कईयों को अब भी शक है कि कंपनी ने वास्तव में ऐसा कुछ बनाया भी है या नहीं!
हमास ने 4 शव वापस सौंपे : 'द गार्डियन' की खबर है कि हमास ने अक्टूबर 2023 के हमले के दौरान बंधक बनाए गए एक महिला, उसके दो बच्चों और एक 83 वर्षीय इजरायली व्यक्ति के शवों को वापस सौंप दिया है. ये शव गुरुवार को दक्षिण गाजा के खान यूनिस में आईसीआरसी (इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेड क्रॉस) को सौंपे गए. इस दौरान मंच पर एक बड़ा पोस्टर लगाया गया था, जिसमें इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को खून से सने चेहरे और पंजों के साथ दर्शाया गया. हमास ने एक बयान में कहा, “हमने कब्जे के कैदियों की जान बचाए रखी, उन्हें जो कुछ भी मिल सकता था, दिया और उनका मानवतापूर्वक इलाज किया, लेकिन उनकी [इजरायल की] सेना ने ही उन्हें मार डाला.” इस बीच इजरायली सुरक्षा बलों ने फरआ शरणार्थी शिविर पर हमला किया है, जिसमें कम से कम तीन फिलिस्तीनियों के मारे जाने की खबर है. 'अलजजीरा' ने वफा समाचार एजेंसी के हवाले से रिपोर्ट किया है कि ये हत्याएं बुधवार रात को की गई.
मच्छर पकड़ने पर नकद पुरस्कार : फिलीपींस में अधिकारी डेंगू के प्रकोप से निपटने के लिए स्थानीय निवासियों को मच्छर पकड़ने पर नकद पुरस्कार दे रहे हैं. 'द गार्डियन' की खबर है कि मेट्रो मनीला के ऐडिशन हिल्स गाँव के निवासी प्लास्टिक कप और बैग लेकर अपनी पकड़ को प्रदर्शित करने के लिए कतार में लगे थे, क्योंकि वे अपनी पुरस्कार राशि का इंतजार कर रहे थे. पांच मच्छरों के लिए एक फिलीपीन पेसो (1.7 अमेरिकी सेंट). एक निवासी ने 45 लार्वा देने के बदले में नौ पेसो (लगभग 15 अमेरिकी सेंट) कमाए. फिलीपींस में डेंगू के मामलों में वृद्धि हो रही है. जनवरी में 28,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. पिछले वर्ष की तुलना में 40% अधिक.
एक्सप्लेनर
किस तरह से समझे ट्रम्प के टैरिफ वॉर को?
'द कंवर्सेशन ' के लिए फेलिसिटी डीन, प्रोफेसर, क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टैक्नोलॉजी ने डोनाल्ड ट्रम्प के नए टैरिफ के बहाने विश्व व्यापार व्यवस्था पर पड़ने वाले इसके प्रभाव का आंकलन करने की कोशिश की है. यह लेख वैसे तो ऑस्ट्रेलिया के लोगों के लिए लिखा गया है, पर यह भारत समेत उन सारे मुल्कों पर लागू होता है, जिनपर ट्रम्प बदले की कार्रवाई की तरह टैरिफ लादने की जिद पकड़े हुए हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने नए आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने का प्रस्ताव रखा है, जिससे वैश्विक व्यापार और कर प्रणाली पर गंभीर असर पड़ सकता है. ये टैरिफ उन देशों पर लगाए जाएँगे जो अमेरिकी सामानों पर जीएसटी (मूल्य वर्धित कर) जैसे कर लगाते हैं. ट्रम्प का कहना है कि यह कदम "अनुचित करों" का जवाब है.
जीएसटी और टैरिफ में अंतर
जीएसटी : यह एक उपभोग कर है, जो भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में सभी सामान और सेवाओं पर लगता है, चाहे वे देश में बने हों या विदेश से आयातित. ऑस्ट्रेलिया में यह दर 10% है. भारत में अलग अलग स्लैब हैं.
टैरिफ : यह सिर्फ आयातित सामानों पर लगता है, ताकि घरेलू उत्पादों को फायदा मिले.
ट्रम्प का प्रस्ताव है कि अमेरिका भी दूसरे देशों पर उनके जीएसटी के बराबर टैरिफ लगाए. मगर समस्या यह है कि अमेरिका में राष्ट्रीय बिक्री कर नहीं है (हालाँकि कुछ राज्यों में अलग कर हैं). इसलिए, यह टैरिफ सीधे अमेरिकी उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, खासकर गरीबों पर, क्योंकि यह प्रतिगामी कर होगा (गरीबों को ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा).
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया पर असर
अमेरिका : टैरिफ से घरेलू उत्पादन बढ़ाने की कोशिश है, लेकिन अमेरिकी मजदूरी महँगी है. सभी चीज़ें घर में बनाना संभव नहीं, खासकर अमेरिका जैसे उपभोक्ता देश के लिए.
ऑस्ट्रेलिया : ऑस्ट्रेलियाई निर्यात (जैसे मांस) पर असर कम हो सकता है, क्योंकि वह जीएसटी-मुक्त है. मगर अन्य उत्पादों की कीमत बढ़ने से अमेरिकी बाजार में माँग घट सकती है.
वैश्विक व्यापार को ख़तरा
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, देशों ने यह सिद्धांत अपनाया कि "हर देश वही बनाए जिसमें वह माहिर है". इससे लागत कम होती है और उपभोक्ताओं को फायदा मिलता है. ट्रम्प का यह कदम इस सिद्धांत को खत्म कर देगा.
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
ऑस्ट्रेलिया : प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ ने संयमित प्रतिक्रिया दी है. वे शायद कूटनीतिक बातचीत से समझौता चाहते हैं.
कनाडा : इसके उलट, कनाडा ने टैरिफ के खिलाफ तुरंत जवाबी कदमों की धमकी दी.
ट्रम्प का यह कदम अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों को नज़रअंदाज़ करता है. इससे न सिर्फ महँगाई बढ़ेगी, बल्कि देशों के बीच तनाव भी बढ़ेगा. अमेरिका और चीन जैसे व्यापारिक रिश्ते टूट सकते हैं, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था अस्थिर हो जाएगी. टैरिफ का खेल सभी को नुकसान पहुँचाता है. असली समाधान सहयोग और निष्पक्ष व्यापार नियमों में है.
चलते चलते
जिस छत्तीसगढ़ी गाँव में यूट्यूब ले आया आर्थिक, सामाजिक क्रांति
'बीबीसी' ने छत्तीसगढ़ के तुलसी गाँव की कहानी पेश की है, जहां यूट्यूब ने सामाजिक और आर्थिक क्रांति की शुरुआत की है. इस गांव के लोग अब यूट्यूब के माध्यम से न केवल अपनी पहचान बना रहे हैं, बल्कि इससे होने वाली कमाई से अपनी जिंदगी को बेहतर बना रहे हैं. गांव में रहने वाले 32 वर्षीय यूट्यूबर जय वर्मा ने ये कारनामा किया है. तुलसी गाँव, जो एक सामान्य भारतीय गाँव जैसा दिखता है, अब भारत के "यूट्यूब गाँव" के नाम से जाना जाता है. यहाँ लगभग 4,000 लोग रहते हैं, जिनमें से 1,000 से अधिक लोग यूट्यूब से जुड़े हुए हैं. यूट्यूब ने इस गांव की स्थानीय अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बदल दिया है और साथ ही यह महिलाओं और अन्य वंचित समुदायों के लिए समानता और सामाजिक बदलाव का एक प्रभावी उपकरण भी बन गया है.
गांव के लोग, जिनमें महिलाएँ भी शामिल हैं, अपना यूट्यूब चैनल शुरू कर चुके हैं. इससे उन्हें आर्थिक फायदे मिल रहे हैं. साथ ही यूट्यूब तकनीकी और इंटरनेट के प्रति उनकी सोच में भी बदलाव लाया है. यह यूट्यूब क्रांति 2018 में शुरू हुई थी, जब जय वर्मा और उनके मित्र ज्ञानेंद्र शुक्ला ने "बीइंग छत्तीसगढ़िया" नामक एक यूट्यूब चैनल शुरू किया था. उनका तीसरा वीडियो, जो एक सामाजिक टिप्पणी और हास्य का मिश्रण था, वायरल हुआ. इस वीडियो को देखकर उन्हें लाखों फॉलोअर्स मिले और उनका चैनल 125,000 सब्सक्राइबर्स तक पहुंच गया. गांव में यूट्यूब के प्रभाव को देखकर राज्य सरकार ने 2023 में वहां एक अत्याधुनिक स्टूडियो स्थापित किया. इसके बाद तुलसी के कई लोगों ने यूट्यूब के माध्यम से अपनी पहचान बनाई और वे अब क्षेत्रीय फिल्म उद्योग में भी काम कर रहे हैं. तुलसी की एक और प्रमुख सफलता है पिंकी साहू, जो अभिनय और डांसिंग स्टार बन चुकी हैं. पहले उनके परिवार और गांव के लोग अभिनय को एक टैबू मानते थे, लेकिन अब वे यूट्यूब के जरिए अपनी पहचान बना चुकी हैं और क्षेत्रीय फिल्मों में काम कर रही हैं. गांव की पूर्व सरपंच द्रौपदी वैश्नु ने भी यूट्यूब के जरिए महिलाओं के सम्मान और समानता के विषय में वीडियो बनाए हैं, जिससे गाँव में सामाजिक बदलाव को बढ़ावा मिला है. अब, तुलसी न केवल वीडियो कंटेंट के लिए जाना जाता है, बल्कि यहाँ के लोग संगीत प्रतिभाओं के जरिए भी अपनी पहचान बना रहे हैं.
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