21/06/2025: इधर यूरोप से बातचीत, उधर इजरायल के साथ बमबारी जारी | इसलिए ठुकराया मोदी ने ट्रम्प का न्यौता | गोयल ने फिर मुंह खोला | सरकार को जल्लादी से रोका | कैप्टन गिल की पहले ही दिन सेंचुरी
‘हरकारा’ यानी हिंदी भाषियों के लिए क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज़्यादा.
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां :
ईरान से यूरोपीय नेताओं की बातचीत जारी रहेगी
लालू के तंज़, तेजस्वी के सवाल, निशाने पर मोदी
सुप्रीम कोर्ट ने कार्यपालिका को जज, जूरी और जल्लाद बनने से रोका : सीजेआई गवई
पीयूष गोयल ने फिर मुंह खोला, इस बार आसियन देशों को चीन की बी टीम और उनसे समझौतों को ‘बेवकूफी भरा’ बताया
ट्रम्प का न्यौता ठुकराया, जगन्नाथ की भूमि में आया: मोदी
चुनाव के दौरान 84% चंदा भाजपा को मिला
सिर्फ प्रधानमंत्री की सलाह पर काम नहीं कर सकते राष्ट्रपति : धनखड़
क्या है अमेरिका की 'बंकर बस्टर' बम?
ईरान के अंदर ही नेटवर्क बनाकर कैसे मोसाद ने उसे पहुंचाया नुक़सान
पहलगाम हमला; एफआरएस के जरिए पहचाना गया एक बढ़ई पकड़ा
16 अरब यूजरनेम और पासवर्ड लीक: डिवाइस में 'पासकी' मजबूत कर लीजिए
थप्पड़ डीएसपी ने महिला कांस्टेबल को मारा, गिरफ्तार हुआ पत्रकार
रेप के दोषी की सजा कम करते हुए हाईकोर्ट ने कहा, कृत्य तो क्रूर, लेकिन उसने क्रूरता नहीं की
टाटा इंजीनियर्स के खिलाफ 800 करोड़ के घोटाले में मामला दर्ज
मणिपुर में कुकी महिला की हत्या के विरोध में हो रहा है प्रदर्शन
कैप्टन गिल ने जड़ी सेंचुरी, यशस्वी ने भी
क्यों खाली दिखते हैं दुनिया के कई हवाई रास्ते और एयरलाइंस को कैसे होता है करोड़ों का नुकसान?
ईरान से यूरोपीय नेताओं की बातचीत जारी रहेगी
यूरोपीय विदेश मंत्रियों ने शुक्रवार को ईरान के साथ तीन घंटे लंबी बातचीत के बाद कहा कि वे आगे भी बातचीत जारी रखने के लिए तैयार हैं. फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी और यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों ने संक्षिप्त बयान दिए, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि किसी ठोस प्रगति पर सहमति बनी है या नहीं. फ्रांस के विदेश मंत्री जॉन-नोएल बैरो ने कहा कि फ्रांस को ईरान से उम्मीद है कि वह अमेरिका सहित सभी पक्षों के साथ बातचीत के लिए तैयार रहेगा ताकि ईरान-इज़रायल संकट का एक सौहार्दपूर्ण समाधान निकाला जा सके.बैरो ने यह भी कहा कि ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराक़ची ने संकेत दिया है कि ईरान परमाणु समझौते और अन्य मुद्दों पर बातचीत जारी रखने को तैयार है. वहीं, जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वेडेफुल ने कहा कि अमेरिका की भागीदारी इन वार्ताओं में बेहद जरूरी है और इसी से इस संघर्ष का कोई समाधान निकल सकता है. ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने भी इसी तरह की बात कही और कहा कि ब्रिटेन ईरान से आग्रह करता है कि वह अमेरिका के साथ बातचीत जारी रखे.

संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन की राजदूत ने शुक्रवार को इज़राइल-ईरान संघर्ष के सभी पक्षों से नागरिकों की रक्षा करने का आग्रह किया और कहा कि तनाव को और बढ़ने से रोकने के लिए संयम महत्वपूर्ण है. राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया, "यह पूरे क्षेत्र के लिए एक खतरनाक क्षण है, और तनाव को और बढ़ाना किसी के हित में नहीं है. नागरिकों को कभी भी निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए, और हम नागरिकों की मौत पर खेद जताते हैं."
बर्लिन में जर्मनी के रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि जर्मनी की वायु सेना ने 64 लोगों को इज़राइल से बाहर निकाला है. मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "इस समय, लूफ़्टवाफे़ (जर्मन वायु सेना) के दो A400M सैन्य ट्रांसपोर्टर विमान इज़राइल से जर्मनी वापस आ रहे हैं."
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि इज़राइल-ईरान संघर्ष का विस्तार एक ऐसी आग भड़का सकता है जिसे कोई नियंत्रित नहीं कर सकता. उन्होंने संघर्ष के पक्षों और संभावित पक्षों से "शांति को एक मौका देने" का आह्वान किया. गुटेरेस ने यह टिप्पणी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उस समय की जब यूरोपीय विदेश मंत्री अपने ईरानी समकक्ष से मिल रहे थे, इस उम्मीद में कि वे एक नए परमाणु समझौते पर बातचीत के लिए तेहरान की तैयारी का आकलन कर सकें, भले ही इज़राइल के अपने हमलों को जल्द रोकने की कोई खास संभावना नहीं है.
संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी एजेंसी के प्रमुख ने शुक्रवार को परमाणु सुविधाओं पर हमलों के खिलाफ चेतावनी दी और ईरान पर इज़राइल के हमलों के बीच अधिकतम संयम बरतने का आह्वान किया. अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के निदेशक राफेल ग्रॉसी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया, "परमाणु सुविधाओं पर सशस्त्र हमला कभी नहीं होना चाहिए और इसके परिणामस्वरूप रेडियोधर्मी रिसाव हो सकता है, जिसके उस देश की सीमाओं के भीतर और बाहर गंभीर परिणाम हो सकते हैं जिस पर हमला किया गया है. इसलिए, मैं एक बार फिर अधिकतम संयम का आह्वान करता हूं."
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को कहा कि रूस खून-खराबे को खत्म करने के लिए इज़राइल और ईरान के साथ कुछ अघोषित विचार साझा कर रहा है और उन्होंने विश्वास जताया कि इस संकट का एक राजनयिक समाधान है. पुतिन ने कहा कि रूस "हमारे इज़राइली और ईरानी मित्रों" के संपर्क में है और मॉस्को के प्रस्तावों पर वर्तमान में चर्चा की जा रही है.
इज़राइल के रक्षा मंत्री, इज़राइल काट्ज़ ने शुक्रवार को लेबनानी मिलिशिया हिज़्बुल्लाह को चेतावनी दी कि वह इज़राइल और ईरान के बीच लड़ाई में शामिल न हो, इस आशंका के बीच कि लगातार बढ़ता संघर्ष अन्य क्षेत्रीय शक्तियों को भी खींच सकता है. काट्ज़ ने शुक्रवार सुबह X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, "मैं लेबनानी प्रॉक्सी को सावधान रहने और यह समझने का सुझाव देता हूं कि इज़राइल ने उसे धमकी देने वाले आतंकवादियों के प्रति अपना धैर्य खो दिया है. अगर और आतंक हुआ, तो कोई हिज़्बुल्लाह नहीं होगा."
ब्रिटेन ने शुक्रवार को कहा कि वह ईरान में मौजूदा सुरक्षा स्थिति के कारण अपने दूतावास से अस्थायी रूप से यूके के कर्मचारियों को वापस बुला रहा है. ब्रिटेन ने ईरान के लिए अपनी ट्रेवल एडवाइजरी वेबसाइट पेज पर कहा, "हमने एहतियाती उपाय के तौर पर यूके के कर्मचारियों को ईरान से अस्थायी रूप से वापस बुला लिया है. हमारा दूतावास दूर से काम करना जारी रखेगा."
अमेरिकी ट्रेजरी विभाग की वेबसाइट पर शुक्रवार को पोस्ट की गई एक सूचना के अनुसार, ट्रम्प प्रशासन ने ईरान से संबंधित नए प्रतिबंध जारी किए हैं, जिसमें हांगकांग स्थित दो संस्थाएं और आतंकवाद-विरोधी प्रतिबंध शामिल हैं. ट्रेजरी के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय के अनुसार, इन प्रतिबंधों में कम से कम 20 संस्थाओं, पांच व्यक्तियों और तीन जहाजों को निशाना बनाया गया है.
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने कहा है कि ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ता युद्ध तेज़ी से "ऐसे मोड़ पर पहुँच रहा है, जहाँ से वापसी संभव नहीं है", जबकि वाशिंगटन युद्ध में प्रवेश करने की संभावना पर विचार कर रहा था. AFP के अनुसार, उन्होंने कहा, "दुर्भाग्य से, गाजा में नरसंहार और ईरान के साथ संघर्ष तेज़ी से ऐसे मोड़ पर पहुँच रहे हैं, जहाँ से वापसी संभव नहीं है. इस पागलपन को जल्द से जल्द खत्म होना चाहिए."
रॉयटर्स ने एक उद्योग सूत्र और क्षेत्र के एक राजनयिक के हवाले से बताया कि कतर ने इस सप्ताह ऊर्जा कंपनियों के साथ संकट वार्ता की. यह वार्ता ईरान के विशाल गैस क्षेत्र पर इज़राइली हमलों के बाद हुई, जिसे वह कतर के साथ साझा करता है. साउथ पार्स/नॉर्थ डोम मेगा-फील्ड दुनिया का सबसे बड़ा ज्ञात गैस भंडार है. ईरान, जो कतर के साथ इस क्षेत्र को साझा करता है, 1990 के दशक के अंत से अपने हिस्से का विकास कर रहा है.
अल जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, जर्मन सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ और तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने ईरान और इज़राइल के बीच संघर्ष पर चर्चा की है. आउटलेट ने कहा कि दोनों ने आगे के तनाव को रोकने के लिए राजनयिक प्रयासों पर फोन पर बात की, और दोनों भविष्य में निकट समन्वय के लिए सहमत हुए.
कतर स्थित अमेरिकी दूतावास की चेतावनी: कतर में अमेरिकी दूतावास ने गुरुवार को एक अलर्ट जारी किया, जिसमें अपने कर्मचारियों को अस्थायी रूप से अल उदीद एयर बेस तक जाने से रोका गया है. यह बेस दोहा के पास रेगिस्तान में स्थित है और मध्य पूर्व में अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य ठिकाना है.
संयुक्त राष्ट्र में ईरान का बयान : ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने शुक्रवार को जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र में कहा- “इजरायल द्वारा ईरान की परमाणु स्थलों पर हमला गंभीर युद्ध अपराध है और यह कूटनीति से धोखा है.” इस बयान का वीडियो अब सामने आया है, जिसमें अराकची इजरायल पर अंतरराष्ट्रीय नियमों की अनदेखी का आरोप लगाते नजर आते हैं.
ईरान ने भारतीयों को दिया रास्ता : बढ़ते युद्ध और इज़रायली वायु हमलों के बीच, ईरानी सरकार ने शुक्रवार को कहा कि उसने अपने सामान्यतः बंद हवाई क्षेत्र को अस्थायी रूप से खोलने पर सहमति जताई है, ताकि चार्टर्ड फ्लाइट्स के ज़रिए लगभग 1,000 भारतीय नागरिकों को भारत वापस भेजा जा सके.
ईरान की मिसाइलों की बौछार से इज़राइल के हाइफ़ा में 19 लोग घायल : ईरान से दागी गई मिसाइलों ने इज़रायल के उत्तरी बंदरगाह शहर हाइफ़ा में कम से कम 23 लोगों को घायल कर दिया है, एक स्थानीय अस्पताल ने जानकारी दी. कम से कम एक प्रक्षेप्य इज़रायली वायु रक्षा प्रणाली को चकमा देने में कामयाब रहा और हाइफ़ा के डॉक इलाके में आकर टकराया. इससे एक इमारत को नुकसान पहुंचा, खिड़कियों के शीशे चकनाचूर हो गए और आसपास की ज़मीन पर मलबा बिखर गया. एएफपी द्वारा जारी तस्वीरों में यह मंजर साफ़ देखा गया.
गाज़ा में जल आपूर्ति प्रणाली के ढहने से सूखा और भुखमरी का खतरा: यूनिसेफ़
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ़) ने चेतावनी दी है कि गाज़ा में जल आपूर्ति प्रणालियों के ढह जाने से इलाका भयंकर सूखे और भुखमरी के खतरे की ओर बढ़ रहा है. इस चेतावनी के बीच ऐसी खबरें भी आई हैं कि सहायता पाने की कोशिश कर रहे फ़िलिस्तीनियों पर इज़रायली गोलीबारी में शुक्रवार को कम से कम 35 लोगों की मौत हो गई. यह घटना मध्य गाज़ा के नेतजारिम के दक्षिण में घटी.
गाजा की नागरिक सुरक्षा एजेंसी के अनुसार, शुक्रवार को इज़राइली हमलों से गाजा में मरने वालों की संख्या अब कम से कम 60 हो गई है. एजेंस फ्रांस-प्रेस (AFP) की रिपोर्ट है कि अधिकारियों ने कहा कि कम से कम आधे लोग सहायता के लिए कतार में खड़े होने के दौरान मारे गए.
बिहार
लालू के तंज़, तेजस्वी के सवाल, निशाने पर मोदी
जैसे-जैसे बिहार विधानसभा के चुनाव नजदीक आ रहे हैं, सियासत भी उसी रफ्तार से आगे बढ़ रही है. इसका अंदाज़ा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरों से ही लगाया जा सकता है कि इस वर्ष अब तक वह बिहार में चार रैलियां कर चुके हैं. शुक्रवार को उनका चौथा दौरा था, जिसमें उन्होंने महागठबंधन की दोनों प्रमुख पार्टियों राजद और कांग्रेस को हमेशा की तरह एक बार फिर निशाने पर लिया. हालांकि अपनी चुटीली और मारक शैली में लालू प्रसाद यादव ने भी पलटवार करने में देरी नहीं की. इस मामले में उनके पुत्र और राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी पीएम मोदी को एक दर्जन सवालों के जवाब देने की चुनौती पेश की. पिता-पुत्र की जोड़ी ने 2015 के चुनावों की याद दिला दी, जब लालू और नीतीश कुमार प्रधानमंत्री मोदी को जवाब देने में जरा भी विलंब नहीं करते थे. चूंकि, राजनीतिक परिदृश्य बदल गया है, लिहाजा अब नीतीश की जगह तेजस्वी ने मोर्चा संभाल लिया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने सीवान में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने कांग्रेस-राजद गठबंधन द्वारा बनाए गए "जंगल राज" को समाप्त कर दिया है. दावा किया कि हाल के वर्षों में बिहार में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे का विकास हुआ है. एनडीए के तहत 55,000 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया गया, 1.5 करोड़ से अधिक घरों में बिजली पहुंचाई गई, और 26 करोड़ लोगों तक पाइपलाइन के जरिए पानी पहुंचाया गया. प्रधानमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि राजद और कांग्रेस, बिहार में निवेश और विकास के खिलाफ हैं.
इसके जवाब में लालू प्रसाद यादव ने बिहार के लिए "मौसम की चेतावनी" जारी की, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल के वर्षों में राज्य में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के विकास के दावे के कुछ ही घंटों बाद राजनीतिक रूपक का उपयोग करते हुए कहा, "बिहार हित में मौसम की चेतावनी - आज बिहार में झूठ, जुमलों और भ्रम की भारी बारिश हो रही है, गरज के साथ झूठे लुभावने वादों के ओले भी पड़ रहे हैं, संभल कर रहें." उनकी पोस्ट के साथ एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा जनरेट किया गया वीडियो था, जिसमें एक गाना चल रहा था जो मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार पर "झूठ और झूठे वादों की भारी बारिश" को दर्शा रहा था.
इससे पहले, राजद नेता तेजस्वी यादव ने 12 सवालों की सूची जारी कर प्रधानमंत्री को अपने भाषण में उनके जवाब देने की चुनौती दी. तेजस्वी ने मोदी से कहा, "आपने पिछले चुनावों में 200 से अधिक रैलियों को संबोधित कर बिहार की जनता को गुमराह करने के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए, जो झूठ से भरी थीं. हम आपसे विनम्र अनुरोध करते हैं कि बिहार आने से पहले अपने पिछले भाषणों और वादों की समीक्षा और विश्लेषण करें. मुझे पूरा विश्वास है कि आप खुद अपनी ही बातों को सुनकर शर्मिंदा हो जाएंगे और खुद से बात भी नहीं कर पाएंगे.”
‘बुलडोज़र जस्टिस’
सुप्रीम कोर्ट ने कार्यपालिका को जज, जूरी और जल्लाद बनने से रोका : सीजेआई गवई
पिछले 75 वर्षों में गरीबों और हाशिए पर खड़े लोगों को राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक न्याय दिलाने में सुप्रीम कोर्ट के योगदान को रेखांकित करते हुए, भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने गुरुवार को इटली के शीर्ष न्यायाधीशों की सभा को बताया कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने “बुलडोजर न्याय” पर प्रतिबंध लगाया है और कार्यपालिका को जज, जूरी और जल्लाद (फांसी देने वाला) बनने से रोका है.
“टाइम्स ऑफ इंडिया” की रिपोर्ट के अनुसार गवई ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला दिया, जिसमें पिछले साल कार्यपालिका को अपराध के आरोपियों के घरों को बिना कानूनी प्रक्रिया के मनमाने ढंग से गिराने से रोक दिया गया था, जो नागरिकों के अनुच्छेद 21 के तहत आश्रय के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है.
मिलान कोर्ट ऑफ अपील में ‘किसी देश में सामाजिक-आर्थिक न्याय प्रदान करने में संविधान की भूमिका: भारतीय संविधान के 75 वर्षों से विचार' विषय पर बोलते हुए सीजेआई गवई ने कहा, “कार्यपालिका एक साथ जज, जूरी और जल्लाद नहीं बन सकती.” उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा, “घर का निर्माण सामाजिक-आर्थिक अधिकारों का एक पहलू है.”
जस्टिस गवई ने आगे कहा, “एक आम नागरिक के लिए घर का निर्माण अक्सर वर्षों की कड़ी मेहनत, सपनों और आकांक्षाओं की परिणति होता है. घर सिर्फ संपत्ति नहीं, बल्कि किसी परिवार या व्यक्ति की स्थिरता, सुरक्षा और भविष्य के लिए सामूहिक उम्मीदों का प्रतीक है.”
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे हम इन 75 वर्षों को देखते हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारतीय संविधान ने आम लोगों के जीवन में बदलाव के लिए प्रयास किया है. सामाजिक-आर्थिक न्याय प्रदान करने में संविधान की यात्रा महान महत्वाकांक्षा और महत्वपूर्ण सफलताओं की कहानी है. शिक्षा में सकारात्मक कार्रवाई नीतियां, जो ऐतिहासिक अन्यायों को सुधारने और अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का प्रयास करती हैं, संविधान की सार्थक समानता और सामाजिक-आर्थिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता की ठोस अभिव्यक्ति रही हैं. उन्होंने अपना उदाहरण दिया और कहा कि वह उन संवैधानिक आदर्शों का उत्पाद थे, जो अवसरों को लोकतांत्रिक बनाने और जाति और बहिष्कार की बाधाओं को दूर करने का प्रयास करते हैं.
पीयूष गोयल ने फिर मुंह खोला, इस बार आसियन देशों को चीन की बी टीम और उनसे समझौतों को ‘बेवकूफी भरा’ बताया
एनडीटीवी की रिपोर्ट है कि केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को भारत के पूर्ववर्ती व्यापार समझौतों की कड़ी आलोचना की और उन्हें "बेवकूफी भरा" बताया. इंडिया ग्लोबल फोरम में बोलते हुए गोयल ने कहा कि 15 साल पहले भारत ने ऐसे देशों के साथ व्यापार समझौते किए जो हमारे प्रतिस्पर्धी थे, न कि पूरक साझेदार. गोयल ने कहा, “अगर मैं इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड जैसे देशों के साथ ASEAN समझौता करता हूं और वे सभी चीन की बी-टीम की तरह हैं, तो मैं कैसे उम्मीद कर सकता हूं कि भारतीय उद्योग को लाभ होगा?” उन्होंने आरोप लगाया कि इन देशों से मुक्त व्यापार समझौते (FTA) करने का फ़ायदा भारत की बजाय इन देशों को ज़्यादा हुआ, जिससे भारत का व्यापार घाटा बढ़ा. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे समझौतों ने घरेलू उद्योग को नुकसान पहुंचाया.
इस पर पलटवार करते हुए पूर्व वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने पीयूष गोयल की ASEAN दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों का संगठन व्यापार समझौतों पर टिप्पणी को 'गैर-जिम्मेदाराना व अपमानजनक' बताया है. 'द ट्रिब्यून' की रिपोर्ट है कि पूर्व केंद्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने एक बयान जारी कर मंत्री गोयल की टिप्पणी को "अवांछनीय, अदूरदर्शितापूर्ण और दुर्भाग्यपूर्ण" बताया है. आनंद शर्मा ने कहा- "भारत और ASEAN के बीच पिछले तीन दशकों से बहुआयामी संबंध रहे हैं, जो परस्पर लाभकारी और बेहद महत्वपूर्ण हैं." उन्होंने ASEAN के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह क्षेत्र आर्थिक रूप से उभरता हुआ है और इसके साथ मजबूत संबंध भारत की 'लुक ईस्ट नीति' का अहम हिस्सा हैं.
पहले के गोयल उवाच
भारतीय स्टार्टअप्स पर टिप्पणी (2025): गोयल ने स्टार्टअप्स, विशेष रूप से डिलीवरी और सट्टेबाजी ऐप्स, पर टिप्पणी करते हुए कहा, "क्या हम डिलीवरी ब्वॉय और गर्ल्स बनकर खुश रहेंगे? यह स्टार्टअप नहीं, उद्यमिता है." इस बयान पर जेप्टो के सीईओ आदित पालीचा ने जवाब दिया, जिसे बीजेपी सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने गलत और अतार्किक बताया. खंडेलवाल ने कहा कि गोयल ने स्टार्टअप्स के फोकस क्षेत्रों पर वास्तविक चिंता जताई थी, लेकिन जेप्टो के सीईओ ने इसे गलत समझा.
राहुल गांधी के बयान पर प्रतिक्रिया (2023): पीयूष गोयल ने राहुल गांधी के लंदन में दिए बयान पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने विदेशी धरती पर भारतीय लोकतंत्र और संसद का अपमान किया. गोयल ने मांग की कि राहुल गांधी संसद में आकर माफी मांगें. इस मुद्दे पर संसद में जमकर हंगामा हुआ.
देशभक्ति पर टिप्पणी (2025): गोयल ने पहलगाम आतंकी हमले के संदर्भ में कहा कि जब तक 140 करोड़ देशवासियों में देशभक्ति नहीं आएगी, तब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी. इस बयान की विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस और अन्य नेताओं ने कड़ी आलोचना की. उन्होंने इसे जनता को दोष देने और इंटेलिजेंस विफलता से ध्यान हटाने की कोशिश बताया.
बिहार पर टिप्पणी (2022): पीयूष गोयल ने राज्यसभा में विपक्षी सांसद मनोज झा के भाषण के जवाब में कहा, "इनका बस चले तो पूरे देश को बिहार बना दें." इस बयान से बिहार और इसके लोगों का अपमान होने का आरोप लगा, जिसके बाद पटना से लेकर संसद तक हंगामा हुआ. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने इसकी कड़ी आलोचना की. विवाद बढ़ने पर गोयल ने बयान वापस लिया और कहा कि उनका इरादा बिहार या इसके लोगों का अपमान करना नहीं था. उन्होंने खेद जताते हुए कहा, "अगर मेरे बयान से किसी को ठेस पहुंची है, तो मैं इसे तत्काल वापस लेता हूं."
ट्रम्प का न्यौता ठुकराया, जगन्नाथ की भूमि में आया: मोदी
'डेक्कन हेरल्ड' की रिपोर्ट है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ओडिशा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का निमंत्रण यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि ओडिशा, भगवान जगन्नाथ की धरती पर आना उनके लिए ज्यादा अहम है. मोदी ने कहा- "मैंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का अमेरिका आने का निमंत्रण विनम्रतापूर्वक ठुकरा दिया, ताकि भगवान जगन्नाथ की भूमि पर आ सकूं." उन्होंने ओडिशा में भाजपा सरकार के पहले वर्ष की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि "पुरी के जगन्नाथ मंदिर के चारों द्वार और 'रत्न भंडार' (खजाना) जनता के लिए खोल दिए गए हैं."
चुनाव के दौरान 84% चंदा भाजपा को मिला
स्क्रोल की रिपोर्ट है कि एक गैर-सरकारी संगठन के अनुसार, पिछले साल मार्च से जून के बीच चुनावी अवधि के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा किए गए कुल खर्च में से लगभग 45% भाजपा ने किया और इस दौरान प्राप्त कुल फंड्स का 84% से अधिक हिस्सा भी भाजपा को ही मिला. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के अनुसार, हिंदुत्ववादी पार्टी भाजपा ने इस दौरान 1,493.91 करोड़ रुपये खर्च किए और 6,268 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त किया.
सिर्फ प्रधानमंत्री की सलाह पर काम नहीं कर सकते राष्ट्रपति : धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आपातकाल के दौरान सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए उस समय के राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद पर भी सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि अहमद ने पूरी मंत्रिपरिषद की सलाह के बजाय तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के ‘संकेत’ पर आपातकाल की घोषणा पर हस्ताक्षर किए. धनखड़ ने कहा कि संविधान स्पष्ट रूप से कहता है कि राष्ट्रपति केवल प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत सलाह पर काम नहीं कर सकते.
एक्सप्लेनर
क्या है अमेरिका का 'बंकर बस्टर' बम ?
ईरान ने अपनी सबसे महत्वपूर्ण परमाणु संवर्धन सुविधा 'फोर्दो' को पहाड़ों के भीतर इतनी गहराई में बनाया है कि यह किसी भी संभावित हमले से सुरक्षित रह सके, लेकिन अमेरिका के पास ऐसा बम है जो इस गहराई तक पहुंच सकता है. जीबीयू-57/बी जिसे 'मैसिव ऑर्डनेंस पेनिट्रेटर' या 'बंकर बस्टर' कहा जाता है. इजरायल इसे पाले के लिए ताकत लगाए बैठा है. यह बम 25 फीट तक मजबूत कंक्रीट और लगभग 130-200 फीट तक चट्टानों में घुसने में सक्षम है. इसे केवल अमेरिकी B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर द्वारा ही ले जाया जा सकता है. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के अनुसार, यह सुविधा कम से कम 260 फीट की गहराई पर है, कुछ आकलन इसे 360 फीट या उससे अधिक भी बताते हैं. IAEA प्रमुख राफेल ग्रोसी के मुताबिक, यह सुविधा जमीन से "आधा मील नीचे" है, लेकिन संभवतः उन्होंने सामान्य भाषा में बात की थी. अमेरिकी सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि एक GBU-57 बम फोर्दो को नष्ट करने के लिए पर्याप्त नहीं है. कई बमों की श्रृंखला में गिरावट ही इस स्तर तक पहुंच सकती है. बम GPS द्वारा मार्गदर्शित होते हैं, जिससे कई बम एक ही लक्ष्य बिंदु को बार-बार भेद सकते हैं. यह ईरान का मुख्य यूरेनियम संवर्धन केंद्र बन चुका है. यहां सबसे उन्नत सेंट्रीफ्यूज लगे हुए हैं जो परमाणु हथियार स्तर तक यूरेनियम को समृद्ध कर सकते हैं. मार्च 2023 में IAEA ने पाया था कि यहां 83.7% शुद्धता तक यूरेनियम संवर्धित किया गया था, जो 90% हथियार-स्तर के बहुत करीब है.
फोर्दो ज़मीन के नीचे है और गैसें जैसे यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, जो जहरीली होती हैं, ज्यादातर वहीं पर सीमित रह सकती हैं. इस कारण से विकिरण का रिसाव सीमित हो सकता है. इजरायल के पास GBU-57 जैसा बम या B-2 बमवर्षक नहीं है, लेकिन वह छोटे 'बंकर बस्टर' बमों से लंबी अवधि के हमले कर सकता है. इसके अलावा, वह वेंटिलेशन शाफ्ट, बिजली आपूर्ति और निकासी सुरंगों को नष्ट कर साइट को अस्थायी रूप से निष्क्रिय कर सकता है. इजरायल अतीत में ईरान की परमाणु साइटों पर सबोटाज (गुप्त तोड़फोड़) भी कर चुका है. सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि परमाणु कार्यक्रम को सिर्फ सैन्य बल से पूरी तरह नष्ट नहीं किया जा सकता. इसके लिए संधि, निगरानी और पारदर्शिता की आवश्यकता होगी.
अमेरिका ने युद्धक विमानों और जहाजों की तैनाती बढ़ाई : 'रॉयटर्स' की रिपोर्ट है कि ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए अमेरिका ने पश्चिम एशिया में अपनी सैन्य मौजूदगी को और मजबूत करना शुरू कर दिया है. पूर्वी भूमध्य सागर और अरब सागर में अमेरिकी जहाजों की संख्या बढ़ रही है क्षेत्रीय एयरबेस और कार्गो विमानों की तैनाती भी बढ़ रही है. 'रॉयटर्स' को दो अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि संभावित ईरानी हमले के मद्देनज़र अमेरिका ने कुछ विमान और जहाजों को उन ठिकानों से हटा दिया है जो असुरक्षित माने जा रहे थे. अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, F-16, F-22 और F-35 जैसे लड़ाकू विमानों को क्षेत्र में भेजा जा रहा है, साथ ही अन्य विमानों की तैनाती की अवधि भी बढ़ाई जा रही है. इसका उद्देश्य किसी भी आपात स्थिति या ईरानी कार्रवाई का मुकाबला करने के लिए तैयारी को मजबूत करना है.
ईरान के अंदर ही नेटवर्क बनाकर कैसे मोसाद ने उसे पहुंचाया नुक़सान
'बीबीसी' की रिपोर्ट है कि इसराइल के ईरान पर हमले की शुरुआत के बाद सामने आई कई रिपोर्ट्स से संकेत मिलता है कि युद्ध का मोर्चा आसमान में नहीं, बल्कि ज़मीन में भी पहले से ही खुल चुका था. काफ़ी समय से ईरान में गहरी ख़ुफ़िया और ऑपरेशनल घुसपैठ के ज़रिए इसराइल ये तैयारी कर रहा था. हालांकि, ईरानी अधिकारी पहले भी ये आशंका जता चुके हैं कि इसराइल ईरानी सुरक्षा बलों में घुसपैठ कर सकता है लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में इसराइल की ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद की भूमिका का आकलन करना आसान नहीं है. ऐसा माना जाता है कि मोसाद ने ईरानी ज़मीन पर लक्ष्यों की पहचान और ऑपरेशनों को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई है. कई रिपोर्ट्स और कुछ इसराइली अधिकारियों की टिप्पणियों से साफ़ होता है कि ईरान के भीतर एंटी-सबमरीन सिस्टम, मिसाइल गोदाम, कमांड सेंटर्स और चुनिंदा लोगों को निशाना बनाकर एक साथ और बेहद सटीक हमले किए गए.
सैन्य मामलों पर नज़र रखने वाले पोर्टल 'द वॉर ज़ोन' और दूसरे सोर्सेज़ की रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इसराइल ने तस्करी के तरीकों के ज़रिए, जैसे इराक से गुजरने वाले ट्रकों के सामान, व्यावसायिक कंटेनरों और यात्रियों के सूटकेसों में अलग-अलग हिस्सों में छिपाकर, संवेदनशील ड्रोन और मिसाइल उपकरणों को धीरे-धीरे ईरान के भीतर पहुंचाया. इन उपकरणों में इलेक्ट्रॉनिक फ्यूज़, एडवांस इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल कैमरे, लिथियम बैटरियां, हल्के इंजन, जीपीएस-आधारित गाइडेंस सिस्टम और सुरक्षित कम्युनिकेशन डिवाइस शामिल थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक़, इन पुर्जों को बाद में उन गुप्त ठिकानों में असेंबल किया गया, जिन्हें मोसाद ने बीते सालों में ईरान के अलग-अलग इलाकों में तैयार किया था और वहीं इन्हें आक्रामक हथियारों में बदल दिया गया. ईरानी समाचार एजेंसियों ने यह भी रिपोर्ट किया है कि तेहरान के पास एक तीन मंज़िला इमारत का पता चला है, जिसे अधिकारियों ने आत्मघाती ड्रोन के निर्माण और उसे रखने का अड्डा बताया है. ईरान के सरकारी टेलीविज़न की रिपोर्ट में दिखाया गया है कि उस इमारत के अंदर कम से कम एक ड्रोन, उसके पंख, कई पुर्जे और कंट्रोल करने वाले उपकरण मौजूद थे, जो कमरे की मेज़ों और शेल्फ़ पर रखे हुए थे. वहां एक थ्री-डी प्रिंटर भी नज़र आया, जिसे 'द वॉर ज़ोन' वेबसाइट के मुताबिक़ यूक्रेन में ड्रोन के पुर्जे बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है.
इसी मामले में, सोमवार 16 जून को ईरानी पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि तेहरान के एक इलाक़े में दो अलग-अलग कार्रवाइयों में मोसाद से जुड़े दो "एजेंटों" को गिरफ्तार किया गया है. उनके पास से 200 किलो से ज़्यादा विस्फोटक, 23 ड्रोन के पुर्जे, लॉन्चर, कंट्रोल सिस्टम और एक निसान गाड़ी बरामद की गई. इस्फ़हान में, जहां ईरान के कुछ बेहद संवेदनशील परमाणु केंद्र हैं, वहां पुलिस के डिप्टी कमांडर ने एक वर्कशॉप पर छापा मारा, जहां बड़ी संख्या में ड्रोन और माइक्रो-ड्रोन बनाने वाले उपकरण और पुर्जे रखे गए थे. इस मामले में चार लोगों को हिरासत में लिया गया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक़, ड्रोन को थ्री-डी प्रिंटर और स्थानीय सामानों के ज़रिए असेंबल किया जा रहा था, ताकि ज़्यादा मात्रा में पुर्जों की तस्करी की ज़रूरत न पड़े और सुरक्षा एजेंसियों के लिए सप्लाई चेन को पकड़ पाना मुश्किल हो जाए. अमेरिकी थिंक टैंक 'हडसन इंस्टीट्यूट' की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इसराइल की ये पूरी रणनीति कई साल की तैयारी का नतीजा है जिसमें लगातार जानकारी जुटाना, रियल टाइम निगरानी करना और तय लक्ष्यों पर अंदर तक पहुंचना शामिल था.
पहलगाम हमला; एफआरएस के जरिए पहचाना गया एक बढ़ई पकड़ा
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अनंतनाग जिले में हाल ही में लगाए गए फेसियल रिकग्निशन सिस्टम (चेहरे की पहचान प्रणाली) के जरिए पहचाने गए एक ओवर-ग्राउंड वर्कर को हिरासत में लिया है. घाटी में फेशियल रिकग्निशन सिस्टम का उपयोग करके किसी को हिरासत में लेने का यह पहला मामला है. जहांगीर अली की रिपोर्ट के मुताबिक हिरासत में लिया गया व्यक्ति बढ़ई है, जिसे पुलिस रिकॉर्ड में आतंकवादियों के ओवरग्राउंड वर्कर के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. उसे पहलगाम के पास चिन्हित किए जाने के बाद पकड़ा गया, जहां इस साल अप्रैल में आतंकी हमले में 26 नागरिकों, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे, की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. यह पहली बार है जब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आधिकारिक रूप से पुष्टि की है कि वह इस विवादास्पद तकनीक का उपयोग कर रही है, जिसके बारे में लंबे समय से अफवाह थी कि सुरक्षा एजेंसियां कश्मीरी आतंकवादियों और उनके संदिग्ध समर्थकों की प्रोफाइलिंग के लिए इसका इस्तेमाल करती हैं.
16 अरब यूजरनेम और पासवर्ड लीक: डिवाइस में 'पासकी' मजबूत कर लीजिए
इंटरनेट के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी डेटा चोरी में 16 अरब से अधिक ऑनलाइन अकाउंट क्रेडेंशियल्स (यूज़रनेम, पासवर्ड आदि) लीक हो चुके हैं. यह डेटा डार्कनेट और अन्य अवैध ऑनलाइन बाज़ारों में बेचा जा रहा है. फोर्ब्स द्वारा प्रकाशित 'कीपर सिक्योरिटी' की रिपोर्ट के मुताबिक, लीक हुए क्रेडेंशियल्स में प्रमुख ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स मसलन एप्पल, फेसबुक, गूगल, टेलिग्राम, GitHub और भारत सहित विभिन्न देशों की सरकारी ऑनलाइन सेवाओं के यूज़र्स की जानकारियां शामिल हैं. सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि पुराने पासवर्ड सिस्टम को छोड़कर 'Passkeys' अपनाना चाहिए.
इस लीक का फायदा साइबर अपराधी फिशिंग और सोशल इंजीनियरिंग के जरिए आम लोगों को ठगने में कर सकते हैं. वे खुद को इनकम टैक्स ऑफिसर, बैंक कर्मचारी या किसी सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर लोगों से गोपनीय बैंकिंग डिटेल मांग सकते हैं. चूंकि उनके पास पहले से नाम और नंबर होता है, वो मासूम लोगों को आसानी से फंसा सकते हैं.
क्या-क्या लीक हुआ है?
करीब 30 बड़े डाटाबेस सेट मिले हैं, जिनमें से हर एक में दसियों लाख से लेकर 3.5 अरब तक यूजर क्रेडेंशियल्स मौजूद हैं.
इनमें यूज़रनेम, पासवर्ड, फोन नंबर, VPN ऐप यूज़र्स और कॉर्पोरेट कर्मचारियों की जानकारियां शामिल हैं.
थप्पड़ डीएसपी ने महिला कांस्टेबल को मारा, गिरफ्तार हुआ पत्रकार
‘ऑल्ट न्यूज’ के मुताबिक चूरू में एक डीएसपी द्वारा महिला कांस्टेबल को थप्पड़ मारने का वीडियो बनाने वाले पत्रकार अख्तर मुगल के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज कर ली गई है. मुगल ने 9 जून को एक रैली के दौरान यह घटना फेसबुक पर लाइव दिखाई थी. वीडियो वायरल होने के बाद डीएसपी की काफी आलोचना हुई थी. अब महिला कांस्टेबल की शिकायत पर ही पत्रकार मुगल पर एफआईईआर दर्ज की गई है. शिकायत में कहा गया है कि मुगल ने वीडियो को एडिट कर पुलिस को बदनाम करने के लिए वायरल किया. हालांकि, ऑल्ट न्यूज़ ने स्पष्ट किया है कि फेसबुक लाइव वीडियो को एडिट नहीं किया जा सकता. मुगल का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें थाने बुलाकर उनका फोन जब्त कर लिया, कोरे कागजों पर दस्तखत करवाए और धमकी दी. स्थानीय पत्रकारों ने इसे पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए पुलिस की कार्रवाई की निंदा की है. वहीं, चूरू के एसपी ने इस मामले पर बात करने से इनकार कर दिया है.
रेप के दोषी की सजा कम करते हुए हाईकोर्ट ने कहा, कृत्य तो क्रूर, लेकिन उसने क्रूरता नहीं की
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक ट्रायल कोर्ट द्वारा एक व्यक्ति को चार साल की नाबालिग बच्ची के साथ बलात्कार के दोष में दी गई मौत की सजा को कम कर दिया है. एक डिवीजन बेंच, जिसमें जस्टिस विवेक अग्रवाल और देवनारायण मिश्रा शामिल थे, ने 19 जून के अपने आदेश में कहा, इसमें कोई संदेह नहीं है कि अपीलकर्ता का कृत्य क्रूर था क्योंकि उसने चार साल और तीन महीने की उम्र की पीड़िता के साथ बलात्कार किया और बलात्कार करने के बाद उसका गला भी दबाया, उसे मृत मान लिया और पीड़िता को ऐसी जगह फेंक दिया, जहां उसे खोजा नहीं जा सके और वह वहां से चला गया, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि उसने अत्यधिक क्रूरता नहीं की.” “द इंडियन एक्सप्रेस” के अनुसार हाईकोर्ट ने अपने आदेश में इस बात को भी ध्यान में रखा कि दोषी की उम्र 20 वर्ष है, वह अशिक्षित है और आदिवासी समुदाय से संबंधित है. उसके माता-पिता ने कभी उसे शिक्षा देने का प्रयास नहीं किया और उसकी उचित देखभाल नहीं की.
टाटा इंजीनियर्स के खिलाफ 800 करोड़ के घोटाले में मामला दर्ज
टाटा ग्रुप का शायद समय ठीक नहीं चल रहा है. एयर इंडिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद अब सीबीआई ने टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स और अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया है. यह कार्रवाई मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट से जुड़े लगभग 800 करोड़ रुपये के कथित भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के आरोपों को लेकर की गई है. वैश्विक समुद्री इंजीनियरिंग कंपनी एम/एस बोस्कालिस स्मिट को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया है.
“द वायर” की खबर के अनुसार, सीबीआई का आरोप है कि टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स ने मुंबई पोर्ट के अधिकारियों के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची और पोर्ट पर ड्रेजिंग कार्य के दौरान निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया. टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स इस ड्रेजिंग प्रोजेक्ट की मैनेजमेंट कंसल्टेंट थी.
ड्रेजिंग का काम दो चरणों में हुआ — कैपिटल ड्रेजिंग प्रोजेक्ट फेज-1 और फेज-2. पहला चरण 2010 से 2014 और दूसरा चरण 2012 से 2019 के बीच योजना बनाकर क्रियान्वित किया गया.
मणिपुर में कुकी महिला की हत्या के विरोध में हो रहा है प्रदर्शन
'डेक्कन हेरल्ड' की खबर है कि मणिपुर के चुराचांदपुर ज़िले में शुक्रवार को सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया जब एक आदिवासी संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने ज़िले में अनिश्चितकालीन बंद की घोषणा कर दी. यह विरोध होइखोल्हिंग हाओकिप नामक एक बुजुर्ग कुकी महिला की मौत के बाद शुरू हुआ, जो गुरुवार शाम को सुरक्षा बलों और अज्ञात हथियारबंद हमलावरों के बीच मुठभेड़ में मारी गईं. आईटीएलएफ के कार्यकर्ताओं ने, जिनमें कई महिलाएं भी शामिल थीं, हाथों में लाठियां लेकर सड़कों को जाम किया और प्रदर्शन किया. बाजार और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे और वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बाधित रही. सरकारी दफ्तरों में उपस्थिति बेहद कम रही और शैक्षणिक संस्थान भी बंद रहे. आईटीएलएफ ने केंद्र सरकार से आदिवासियों की सुरक्षा और उनकी ज़मीन की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की गई है. साथ ही बफर ज़ोन (सुरक्षित क्षेत्र) के बार-बार उल्लंघन की स्वतंत्र जांच की मांग की है. कांगपोकपी ज़िले में भी शुक्रवार दोपहर 1 बजे से 24 घंटे के बंद की घोषणा की गई है. यह बंद कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी और चुराचांदपुर की संयुक्त सिविल सोसाइटी संगठनों (CSOs) द्वारा समर्थन प्राप्त है.
भारत इंग्लैंड टेस्ट सीरीज

कैप्टन गिल ने जड़ी सेंचुरी, यशस्वी ने भी
भारत की नई पीढ़ी के टेस्ट बल्लेबाजों के दो चेहरों ने हेडिंग्ले में पहले दिन इंग्लैंड पर दबदबा बनाते हुए शानदार शतक जमाए. यशस्वी जायसवाल और शुभमन गिल ने क्रमशः ओपनर और नंबर 4 के रूप में सैंकड़े पूरे किए और उन दो आधुनिक दिग्गजों की गैरमौजूदगी की कोई कमी महसूस नहीं होने दी, जिनकी रिटायरमेंट के बाद ये स्थान खाली हुए थे. न रोहित, न विराट, कोई गल नहीं. शुक्रवार को तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी के पहले टेस्ट में भारत ने मजबूत शुरुआत की और पहले दिन 3 विकेट पर 359 रन बनाए. कप्तान शुभमन गिल 127 और ऋषभ पंत 65 रन पर नाबाद लौटे. यशस्वी जायसवाल (101 रन) और केएल राहुल (42 रन) ने 91 रन की साझेदारी करके भारत को अच्छी शुरुआत दिलाई. नंबर चार पर बल्लेबाजी करने उतरे भारतीय कप्तान ने जायसवाल के साथ 129 और ऋषभ पंत के साथ नाबाद 138 रन की पार्टनरशिप की. गिल कप्तान बनने के बाद पहले टेस्ट में ही शतक लगाकर ऐसा करने वाले 5वें भारतीय बल्लेबाज बन गए.
चलते-चलते
क्यों खाली दिखते हैं दुनिया के कई हवाई रास्ते और एयरलाइंस को कैसे होता है करोड़ों का नुकसान?
अगर आप दुनिया का एयर ट्रैफिक मैप देखें, तो आसमान में उड़ते हज़ारों विमानों के बीच कुछ विशाल खाली जगहें नज़र आएँगी. ये 'ब्लैक होल' या 'नो-फ्लाई ज़ोन' वो इलाके हैं, जहाँ ज़मीनी खतरों की वजह से विमानों की सुरक्षा को खतरा होता है. मध्य पूर्व में बढ़ता तनाव इसका सबसे ताज़ा उदाहरण है, जिसने हवाई यातायात में बड़ी बाधा डाली है. सीएनएन ने इस पर लंबी रिपोर्ट लिखी है.
एविएशन एक्सपर्ट्स के अनुसार, इन संघर्षों के कारण एयरलाइंस को उड़ानें रद्द करनी पड़ती हैं या लंबे रास्तों से जाना पड़ता है, जिससे समय और पैसा दोनों बर्बाद होता है. यह एक याद दिलाता है कि 40,000 फीट की ऊंचाई पर भी, यात्री ज़मीन पर हो रही घटनाओं से अछूते नहीं रहते.
संघर्ष बना 'नई सामान्य स्थिति': एविएशन कंसल्टेंट ब्रेंडन सोबी के मुताबिक, यूक्रेन युद्ध से लेकर मध्य पूर्व के तनाव तक, एयरलाइंस के लिए हवाई क्षेत्र का बंद होना अब एक "नई सामान्य स्थिति" बन गया है. एयरलाइंस ने इन चुनौतियों से निपटना सीख लिया है. FlightRadar24 जैसे लाइव एयर ट्रैफिक मैप दिखाते हैं कि यूक्रेन, इराक और ईरान जैसे देशों के ऊपर आसमान लगभग खाली है और ज़्यादातर उड़ानें पड़ोसी देशों के संकरे हवाई गलियारों से गुज़र रही हैं.
लागत और चुनौतियाँ: रूट बदलने का सीधा असर एयरलाइंस की जेब पर पड़ता है. उदाहरण के लिए, लंदन से हांगकांग की उड़ान में अब दो अतिरिक्त घंटे लगते हैं. एक बोइंग 777 विमान एक घंटे में लगभग 7,000 डॉलर (करीब 5.8 लाख रुपये) का ईंधन जलाता है. इसके अलावा, क्रू का अतिरिक्त समय, नए हवाई क्षेत्र का शुल्क और टिकट कैंसिलेशन का नुकसान भी होता है.
युद्ध से भी बड़ा खतरा : हालांकि युद्ध एक बड़ी चुनौती है, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि ज्वालामुखी विस्फोट जैसी प्राकृतिक आपदाएँ एयरलाइंस के लिए कहीं ज़्यादा तकलीफदेह हो सकती हैं. ज्वालामुखी की राख में मौजूद सिलिका विमान के जेट इंजन को जाम कर सकता है. 2010 में आइसलैंड में हुए ज्वालामुखी विस्फोट ने 10 मिलियन यात्रियों को प्रभावित किया था और एयरलाइंस को 1.7 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था. यह दिखाता है कि आसमान का सफर ज़मीन की राजनीति और प्रकृति दोनों पर कितना निर्भर है.
अब हर सोमवर से शनिवार पाएं अपनी डेली न्यूजलिस्ट हरकारा के यूट्यूब चैनल पर और रहें दुनियादारी की बातों से अपडेट.
हमें सब्सक्राइब करें, क्योंकि हम चुनते हैं, दुनियाभर के सबसे भरोसेमंद स्त्रोतों से मिली खबरें और खबरों के पार दुनिया को समझने वाले विश्लेषण.
हरकारा : शोर कम, रोशनी ज्यादा
पाठकों से अपील :
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, फेसबुक पर, यूट्यूब पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.