22/01/2025 : 18 हज़ार भारतीयों की घरवापसी की तैयारी, 14 नक्सली ढेर, सैफ को छुट्टी, हिसाब नहीं देता पीएम केयर्स फंड, हुसैन की पेंटिंग, मागा दंगाइयों को ट्रम्प की माफ़ी, उत्तराखंड में यूसीसी को मंजूरी
हरकारा हिंदी भाषियों के लिए क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण.
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां | 22 जनवरी 2025
नक्सल नेता चलपति समेत 14 मारे गये : छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में बाघ अभ्यारण्य के भीतर सोमवार को शुरू हुई मुठभेड़ में 14 'संदिग्ध' माओवादियों को सुरक्षाबलों ने मारा है. इनमें से एक जयराम रेड्डी उर्फ चलपति पर 1 करोड़ रुपये का इनाम था. यह इलाका ओडिशा की सीमा पर स्थित है. चलपति माओवादी केंद्रीय समिति का सदस्य बताया जाता है. मुठभेड़ सोमवार तड़के छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा के जंगल में हुई. हाल ही में सोनाबेड़ा-धरमबंधा समिति की दो महिला माओवादी कार्यकर्ताओं को भी गरियाबंद जिला पुलिस, सीआरपीएफ, कोबरा और ओडिशा के विशेष अभियान समूह ने संयुक्त अभियान के बाद मार डाला था. इस मुठभेड़ में कोबरा के एक जवान को मामूली चोट भी आई थी. गृह मंत्री अमित शाह ने इसे नक्सलवाद के खिलाफ "एक और बड़ा प्रहार" बताया. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इसे 2026 तक राज्य को नक्सल मुक्त बनाने की योजना की दिशा में एक बड़ी सफलता बताया.
सैफ को अस्पताल से मिली छुट्टी : पांच दिनों तक लीलावती अस्पताल में भर्ती रहने के बाद सैफ अली खान को मंगलवार को लीलावती अस्पताल से छुट्टी मिल गई. 16 जनवरी को मुंबई के बांद्रा स्थित उनके घर पर चाकू से हमला किया गया था.
अरविंद सुब्रमण्यम के मुताबिक अर्थव्यवस्था के लिए मोदी के पास कोई नीति नहीं : भारत की अर्थव्यवस्था, जिसे दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक माना जाता है, अब धीमी गति से बढ़ रही है. यह स्थिति ऐसे समय पर आई है, जब उम्मीद की जा रही थी कि अर्थव्यवस्था तेजी से रफ्तार पकड़ेगी. मोदी सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने न्यूयॉर्क टाइम्स के हवाले से कहा है कि सरकार विचारों की कमी से जूझ रही है और उसकी नीतियां "स्थिर और निष्क्रिय" हो गई हैं. "दीर्घकालिक विकास और रोजगार बढ़ाने के लिए विचारों की कमी है और यही सबसे बड़ी समस्या है". प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के पूर्व सदस्य रथिन रॉय ने भी देश में मांग की कमी को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने कहा था- "देश में मांग की पर्याप्त उपलब्धता नहीं है. यह सोचना कि आपूर्ति अपनी मांग खुद बना लेगी, लेकिन इसकी भी कुछ हदें होती हैं." दोनों विशेषज्ञों के बयान मौजूदा आर्थिक नीतियों और देश में बढ़ती बेरोजगारी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की लगातार नाकामयाबी की ओर ही इशारा कर रहे हैं.
आरजी कर हत्या मामला : राज्य ने फांसी की मांग की : पश्चिम बंगाल सरकार ने मंगलवार को कलकत्ता हाईकोर्ट में अपील कर आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या मामले में दोषी संजय रॉय के लिए मौत की सज़ा की मांग की है. रॉय को सोमवार को एक अदालत ने आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी. रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने फैसला सुनाते वक़्त पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के नेतृत्व में अस्पताल के अधिकारियों की भी आलोचना की थी, जिन्होंने हत्या को छिपाने और इसे आत्महत्या के रूप में चित्रित करने का प्रयास किया था.
हिरासत में मौत, परिवार ने कहा, ' नहीं लेने दी गईं दवाइयां' : सम्भल के फल विक्रेता मोहम्मद इरफ़ान के परिवार ने आरोप लगाया है कि इस महीने की शुरुआत में उनकी मौत इसलिए हो गई, उन्हें उठाकर पूछताछ के लिए ले गई पुलिस ने आवश्यक दवा नहीं लेने दिया. इरफान हृदय रोगी थे और वह सर्जरी से उबर रहे थे. परिवार वालों ने पुलिस पर यह भी आरोप लगाया है कि उसने इरफ़ान के साथ मारपीट की और घर में मौजूद अन्य लोगों के साथ मौखिक दुर्व्यवहार किया. पुलिस ने हालांकि आरोपों से इनकार किया है. उसने कहा कि इरफ़ान को दवा दी गई थी. पुलिस ने यह भी कहा कि इरफ़ान की मौत संभवतः अस्पताल ले जाते समय हुई, जहाँ पुलिस ने खुद उसे उसके बेटे के साथ भेजा था. इस बीच, पुलिस ने सम्भल के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क को चेताया है कि अगर उन्होंने एक एक्स पोस्ट नहीं हटाया, जिसमें मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाये गए हैं तो वह उनके खिलाफ़ कानूनी कार्रवाई करेगी.
मेघालय : विवादित जमीन पर कब्जे को लेकर ग्रामीणों की पुलिस से झड़प, कर्फ्यू : पुलिस ने मंगलवार को जानकारी दी कि मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले के मावकिनरू गांव में स्थानीय लोगों और पुलिस के बीच झड़प के बाद कर्फ्यू लगा दिया गया. इसमें 13 लोगों के घायल होने की खबर है. ग्रामीणों के अनुसार, यह झड़प तब हुई जब स्थानीय स्पोर्ट्स क्लब की जमीन पर रामकृष्ण मिशन संचालित एक स्कूल का निर्माण किया जा रहा था. गांव के एक बुजुर्ग ने पीटीआई को बताया कि मावकिनरू और मावलीन के ग्रामीणों का इरादा स्पोर्ट्स क्लब की जमीन वापस लेना भर था, जिसे धोखे से आरकेएम को सौंप दिया गया है. जिले के एसपी विवेक सिम ने बताया कि निर्माण स्थल पर ग्रामीणों के हमले में 2 महिलाओं सहित पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए, जबकि ग्रामीणों को इस झड़प में मामूली चोटें आई है.
उत्तराखंड में यूसीसी को मंजूरी : उत्तराखंड सरकार ने सोमवार 20 जनवरी को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के नियमों को मंजूरी दे दी. धामी ने कहा कि सरकार जनवरी के अंत तक कानून के लिए गजट अधिसूचना जारी कर देगी. पिछले साल फरवरी में राज्य विधानसभा ने यूसीसी पारित किया था. इससे आदिवासियों को बाहर रखा है. इस कानून में हलाला, इद्दत और तलाक (मुस्लिम पर्सनल लॉ में विवाह और तलाक से संबंधित रीति-रिवाज) जैसी प्रथाओं पर पूर्ण प्रतिबंध का प्रावधान किया गया है. यूसीसी यह भी सुनिश्चित करता है कि महिलाओं को संपत्ति और विरासत के अधिकार से संबंधित मामलों में समान अधिकार दिए जाएं.
पूर्व आईएएस प्रदीप शर्मा को मामले में 5 साल की जेल : अहमदाबाद के एक सत्र न्यायालय ने सोमवार को पूर्व आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा को भ्रष्टाचार के मामले में पांच साल की जेल की सजा सुनाई और उन पर 75,000 रुपये का जुर्माना लगाया. यह मामला 2004 का है, जब वे गुजरात के कच्छ जिले के कलेक्टर थे. यह मामला वेलस्पन समूह को एक भूखंड के अवैध आवंटन का है. इसकी कीमत 1.2 करोड़ रुपये थी. इसके बदले में, वेलस्पन समूह ने शर्मा की पत्नी को अपनी सहायक कंपनियों में से एक वैल्यू पैकेजिंग में 30 प्रतिशत का भागीदार बनाया और साथ में 29.5 लाख रुपये का लाभ दिया था. शर्मा वर्तमान में कच्छ के जेल में एक अन्य मामले में बंद हैं.
हरिवंश के विरोध में तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष का वॉकआउट : तमिलनाडु विधानसभा के अध्यक्ष एम. अप्पावु ने कल पटना में आयोजित 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन से वॉकआउट कर दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य के विवादित राज्यपाल आर.एन. रवि ने राज्य, इसके लोगों और राज्य विधानमंडल का अपमान किया है. राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण ने अप्पावु की टिप्पणियों पर आपत्ति जताई, यह कहते हुए कि इन्हें कार्यवाही के विवरण में दर्ज नहीं किया जाएगा. गुस्से में अप्पावु ने सवाल किया, "अगर मैं इस सम्मेलन में इस बारे में नहीं बोल सकता, तो मैं और कहाँ बोल सकता हूँ?" इसके बाद उन्होंने वॉकआउट कर दिया.
भाजपा विधायक के मुताबिक गांधी की हत्या के लिए नेहरु जिम्मेदार : कर्नाटक में भाजपा विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने सोमवार को यह कहा कि गोड़से ने गांधीजी की हत्या नहीं की थी. इसकी योजना जवाहरलाल नेहरू ने गांधी ने बनाई थी. क्योंकि गांधीजी को तीन गोलियां लगी थी. गोड़से ने एक गोली चलाई थी तो बाकी दो गोलियां कहां से आई? उन्होंने दावा किया कि आज के कांग्रेसियों का गांधी से कोई संबंध नहीं है और 21 जनवरी (मंगलवार) को बेलगावी में होने वाला सम्मेलन 'नकली गांधीवादियों' का सम्मेलन है. उन्होंने कांग्रेस पर डॉ. बीआर अंबेडकर के अपमान का भी आरोप लगाया. यतनाल का यह बयान कर्नाटक के बेलगावी में कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता करने वाले महात्मा गांधी की शताब्दी के उपलक्ष्य में आयोजित कांग्रेस के महाधिवेशन से एक दिन पहले आया है.
भाजपा सांसदों के खिलाफ आपराधिक घुसपैठ के आरोप खारिज : मंगलवार 21 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा सांसदों निशिकांत दुबे, मनोज तिवारी और अन्य के खिलाफ दर्ज आपराधिक घुसपैठ के मामले को रद्द करने की पुष्टि की. मामला तीन साल पहले का है, जब उनकी चार्टर्ड उड़ान में देरी हुई तो वह झारखंड के देवघर हवाई अड्डे पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) कक्ष में घुस गए थे. सीआईडी ने मामले की जांच के बाद आरोप लगाया था कि सांसद और उनके साथी अपने पायलट के साथ प्रतिबंधित क्षेत्र एटीसी में घुस गए और कर्मियों पर अपने निजी विमान को उड़ान भरने की अनुमति देने के लिए ‘दबाव’ डाला, इसके बावजूद की हवाई अड्डा रात के संचालन के लिए तैयार नहीं था.
इस बीच राजेन्द्र धोड़पकर का कार्टून
अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे 18,000 भारतीयों की घर वापसी का इंतेज़ाम शुरू
ब्लूमबर्ग ने रिपोर्ट किया है भारत सरकार डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन के साथ मिलकर अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे अपने सभी नागरिकों की पहचान करने और उन्हें वापस लेने के लिए तैयार है. नई दिल्ली से यह एक शुरुआती संकेत है कि वह आने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति का अनुपालन करने और व्यापार युद्ध से बचने के लिए इच्छुक है.
मामले से परिचित लोगों के अनुसार, दोनों देशों ने मिलकर अमेरिका में लगभग 18,000 अवैध भारतीय प्रवासियों की पहचान की है, जिन्हें वापस भेजा जाना है. लोगों ने बताया कि यह आंकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता है, क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि कितने अवैध भारतीय प्रवासी अमेरिका में रहते हैं. उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर जानकारी दी, क्योंकि बातचीत सार्वजनिक नहीं हैं.
अन्य देशों की तरह, भारत भी ट्रम्प प्रशासन की आक्रामकता कम करने और उसके व्यापार संबंधी खतरों से बचने के लिए पर्दे के पीछे काम कर रहा है. अवैध प्रवास पर कार्रवाई ट्रम्प के लिए एक प्रमुख चुनावी वादा रहा है. सोमवार को अपने उद्घाटन के कुछ ही घंटों के भीतर, नए राष्ट्रपति ने जन्मसिद्ध नागरिकता को समाप्त करने और अमेरिकी-मैक्सिकन सीमा पर सैनिकों को तैनात करने के लिए आगे बढ़कर उस वादे को पूरा किया.
अपने सहयोग के बदले में, भारत उम्मीद करता है कि ट्रम्प प्रशासन उन कानूनी आव्रजन चैनलों की रक्षा करेगा जिनका उपयोग उसके नागरिक अमेरिका में प्रवेश करने के लिए करते हैं, विशेष रूप से छात्र वीजा और कुशल श्रमिकों के लिए एच-1बी कार्यक्रम. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2023 में दिए गए 386,000 एच-1बी वीजा में से लगभग तीन-चौथाई भारतीय नागरिकों के थे.
मामले से परिचित लोगों ने कहा कि अवैध अमेरिकी प्रवासियों को वापस लेने में किसी भी तरह की ढिलाई अन्य देशों के साथ भारत के श्रम और गतिशीलता समझौतों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है. देश में नौकरी की कमी के साथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने हाल के वर्षों में ताइवान, सऊदी अरब, जापान, इज़राइल और अन्य सहित कई देशों के साथ प्रवासन समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं.
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "प्रवासन और गतिशीलता पर भारत-अमेरिका सहयोग के हिस्से के रूप में, दोनों पक्ष अवैध प्रवासन को रोकने की प्रक्रिया में लगे हुए हैं. यह भारत से अमेरिका में कानूनी प्रवासन के लिए अधिक रास्ते बनाने के लिए किया जा रहा है." उन्होंने अक्टूबर में प्रत्यावर्तन कार्रवाई का जिक्र करते हुए कहा, "एक चार्टर्ड उड़ान द्वारा अमेरिका से भारतीय नागरिकों का नवीनतम निर्वासन इस सहयोग का परिणाम है."
भारत अमेरिका में अवैध प्रवासियों का अपेक्षाकृत मामूली योगदानकर्ता है, क्योंकि अमेरिकी सीमा गश्ती अधिकारियों द्वारा वित्तीय वर्ष 2024 में सामने आए सभी अवैध क्रॉसिंग में से लगभग 3% इसके नागरिक हैं. मैक्सिको, वेनेजुएला और ग्वाटेमाला जैसे लैटिन अमेरिकी देशों की हिस्सेदारी कहीं अधिक है. हालांकि, हाल के वर्षों में भारतीय अवैध प्रवासियों की संख्या और हिस्सेदारी में मामूली वृद्धि हुई है.
देश को हिसाब क्यों नहीं देता पीएम केयर्स फंड?
जब कोविड-19 महामारी ने भारत में तबाही मचाई, तो भारत सरकार ने नागरिकों में विश्वास जगाने के लिए एक कोष की घोषणा की: पीएम केयर्स फंड (प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और आपात राहत कोष). पहले ही महीने में 3,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाने वाला यह फंड संकट के बीच आशा की किरण माना जा रहा था. लेकिन इसकी शुरुआत के लगभग पांच साल बाद भी, सरकार द्वारा जारी फंड की वित्तीय रिपोर्टों में स्पष्टता कम ही देखने को मिलती है. बार-बार, भारत सरकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत फंड के बारे में जानकारी प्राप्त करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. उनका दावा है कि यह एक सरकारी निकाय नहीं है, बल्कि एक धर्मार्थ ट्रस्ट है जिसे प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और अन्य "ट्रस्टियों" द्वारा स्थापित और नियंत्रित किया जाता है.
सार्वजनिक हुई जानकारियाँ
27 मार्च, 2020 को बनाया गया पीएम केयर्स फंड अपनी स्थापना के बाद से चार वित्तीय वर्षों के लिए प्राप्ति और भुगतान खातों की रिपोर्ट सार्वजनिक कर चुका है. हालांकि, ये रिपोर्ट केवल रसीदें (स्वैच्छिक योगदान, विदेशी योगदान, इन राशियों पर ब्याज आदि), भुगतान (ऑक्सीजन संयंत्रों और अन्य कोविड-19 संबंधित खर्चों के लिए), और शेष राशि का विवरण हैं. इनमें विस्तृत वित्तीय विवरण नहीं हैं जो हमें बताते हों कि किसने फंड में कितना दान दिया, किसे भुगतान जारी किए गए, और किस तारीख को; ऑडिटरों की टिप्पणियां भी गायब हैं.
पीएम केयर्स की स्थापना के दो महीने बाद, इंडियास्पेंड ने बताया कि इसने सरकारी प्रेस विज्ञप्तियों और निजी कंपनियों और व्यक्तियों द्वारा दान और/या फंड में पैसे देने के वादों पर मीडिया रिपोर्टों के विश्लेषण के आधार पर कम से कम 9,677.9 करोड़ रुपये एकत्र किए थे. सरकारी एजेंसियों और कर्मचारियों द्वारा 4,308.3 करोड़ रुपये का दान दिया गया था, और उसमें से कम से कम 438.8 करोड़ रुपये सरकारी कर्मचारियों के एक दिन के वेतन के रूप में काटे गए थे. इनमें से कुछ कर्मचारी इस तरह की कटौती से खुश नहीं थे.
पिछले वित्तीय वर्ष 2023-2024 के लिए पीएम केयर्स फंड की प्राप्तियों और भुगतानों को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, भले ही फंड और इसके कामकाज के बारे में जानकारी के लिए सूचना का अधिकार अनुरोधों को कई बार अस्वीकार कर दिया गया है. वित्तीय वर्ष 2019-20 से 2022-23 तक के लिए भी जो जानकारी उपलब्ध है वह प्राप्तियों और भुगतानों का विवरण है, और पूरी ऑडिट रिपोर्ट उपलब्ध नहीं हैं. न्यूज़ मिनट ने पीएमकेयर्स की (अ) पारदर्शिता पर एक लम्बा रिपोर्ताज किया है.
हलाल सर्टिफिकेट की कीमत शाकाहारी लोग क्यों चुकाएं, यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पूछा
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गैर-मांसाहारी उत्पादों के हलाल प्रमाणन का मुद्दा उठाया. उन्होंने पूछा कि क्यों गैर-विश्वासियों को हलाल प्रमाणित उत्पादों के लिए अधिक कीमत चुकानी चाहिए.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, न्यायमूर्ति बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष मेहता ने कहा, "जहां तक हलाल मांस का संबंध है, किसी को कोई आपत्ति नहीं हो सकती है. लेकिन आपके भगवान स्तब्ध होंगे, जैसे मैं स्तब्ध था, कि सीमेंट और लोहे की छड़ें भी हलाल प्रमाणित होनी चाहिए."
मेहता ने आगे कहा, "यहाँ तक कि ‘आटा’ (गेहूं का आटा) और ‘बेसन’ (चने का आटा) को भी हलाल-प्रमाणित होना पड़ता है. 'बेसन' हलाल या गैर-हलाल कैसे हो सकता है?"
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह दलील सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दी. यह दलील तब दी गई जब अदालत ने उत्तर प्रदेश के भीतर हलाल प्रमाणन वाले खाद्य उत्पादों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाने वाली अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की, सिवाय निर्यात के लिए उत्पादित वस्तुओं को छोड़कर.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मेहता ने कहा कि हलाल-प्रमाणित करने वाली एजेंसियां शुल्क वसूल रही हैं, और इस प्रक्रिया में एकत्र की गई कुल राशि कुछ लाख करोड़ हो सकती है.
इस बीच, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने कहा कि केंद्र सरकार की नीति कहती है कि यह जीवनशैली का मामला है. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, "यह सब स्वैच्छिक है. कोई किसी को मजबूर नहीं कर रहा है."
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तब "उन यकीन न करने वालों" का उल्लेख किया, जो हलाल-प्रमाणित उत्पादों का सेवन नहीं करते हैं और पूछा कि क्यों उन्हें सिर्फ इसलिए अधिक कीमत चुकानी चाहिए क्योंकि कुछ लोग हलाल-प्रमाणित उत्पाद चाहते हैं.
नज़्म की वजह से प्रतापगढ़ी पर कार्रवाई से रोका
कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी जामनगर गुजरात में पिछले दिनों एक शादी समारोह में शामिल हुए थे. इसके बाद, उन्होंने इंस्टाग्राम पर इस नज़्म के साथ एक वीडियो क्लिप अपलोड की थी. नज़्म कुछ इस तरह से थी
ऐ ख़ून के प्यासों बात सुनो / गर हक़ की लड़ाई ज़ुल्म सही / हम ज़ुल्म से इश्क़ निभा देंगे
गर शम्मआ ए गिरिया आतिश है / हर राह वो शम्मआ जला देंगे
गर लाश हमारे अपनों की / ख़तरा है तुम्हारी मसनद का
उस रब की कसम हंसते-हंसते / इतनी लाशें दफना देंगे
ऐ खून के प्यासों बात सुनो / जो सब्र में मिलती है क़ु’अत / वो जब्र में किसने पायी है
ये सू’ले चमन से अजाबे खिजां / पल दो पल की अंगड़ाई है
दो चार बरस खिल जाओ / हां कब्र में वो तनहाई है
हर बाग़ तेरा सूना होगा / सैयादों की रुसवाई है
एक वकील के क्लर्क ने इस नज़्म पर शिक़ायत दर्ज करवाई थी कि यह पोस्ट आपत्तिजनक है. इस पर कार्रवाई करते हुए गुजरात पुलिस ने 3 जनवरी को प्रतापगढ़ी पर धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और सद्भाव बिगाड़ने के लिए जानबूझकर दुर्भावनापूर्ण कार्य करने, राष्ट्रीय एकता के लिए नुकसानदेह आरोप, धार्मिक विश्वासों का अपमान और लोगों को अपराध के लिए उकसाने के आरोप में मामला दर्ज किया. इस पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि प्रतापगढ़ी के खिलाफ इंस्टाग्राम पोस्ट मामले में कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी. इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने कहा था, ‘कविता के स्वर को देखते हुए, यह निश्चित रूप से सिंहासन के बारे में कुछ संकेत देता है’. गुजरात हाईकोर्ट के इसी फैसले को प्रतापगढ़ी ने सुप्रीम कोर्ट में 17 जनवरी को चुनौती दी थी.
न्यायमूर्ति एएस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा, “हमने कविता भी सुनी... नोटिस 10 फरवरी को वापस लेने योग्य है... इस बीच, एफआईआर पर किसी भी तरह का कोई और कदम नहीं उठाया जाएगा.”
तुर्की के स्की रिसॉर्ट में आग लगने से 66 लोगों की मौत, 51 घायल
‘द वाशिंगटन पोस्ट’ की खबर है कि तुर्की के बोलू पहाड़ों में स्थित एक लोकप्रिय स्की रिसॉर्ट होटल में आग लगने से 66 लोगों की मौत हो गई और 51 अन्य घायल हो गए. आग लगने के बाद होटल के मेहमानों ने खिड़कियों से कूदकर या चादरों का सहारा लेकर इमारत से भागने की कोशिश की. यह हादसा मंगलवार सुबह करीब 3:30 बजे कार्तालकाया रिसॉर्ट के ग्रैंड कार्ताल होटल के 12 मंजिला रेस्तरां में हुआ.
डोनाल्ड ट्रम्प ने कैपिटल हमले के 1,500 मागा दंगाइयों को माफ़ी दी
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 6 जनवरी के यूएस कैपिटल दंगे में शामिल सभी 1,500 से अधिक लोगों को माफी दे दी या उनकी सजा कम कर दी गई है. इन आरोपियों में पुलिस पर हमला करने वालों और साजिश रचने वालों सहित वे लोग भी शामिल हैं, जो शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण को रोकने के प्रयास में दोषी पाए गए थे. ट्रम्प ने लौटते ही अपने उद्दंड मागा समर्थकों को यह तोहफा दिया है. अमेरिकन इसे संस्थाओं के पतन के तौर पर देख रहे हैं. ट्रम्प ने अपने कार्यकाल के पहले दिन ही माफी देकर, अमेरिकी न्याय विभाग की इस ऐतिहासिक जांच और अभियोग को पलट दिया है. यह कार्रवाई दंगों के इतिहास को बदलने के उनके प्रयासों का हिस्सा है. दक्षिणपंथी चरमपंथी समूहों के नेताओं को भी माफी मिली, जिनमें ओथ कीपर्स के संस्थापक स्टीवर्ट रोड्स (18 साल की सजा) और प्राउड बॉयज के पूर्व अध्यक्ष एनरिके तारियो (22 साल की सजा) शामिल हैं. ट्रम्प ने इन लोगों को "देशभक्त" और "बंधक" कहकर संबोधित किया. पूर्व हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने इसे "हमारे न्याय प्रणाली और संविधान का अपमान" कहा. सीनेट डेमोक्रेटिक नेता चक शूमर ने इसे "कानून तोड़ने वालों का स्वर्ण युग" कहा. कैपिटल पर हमले में घायल पुलिस अधिकारी माइकल फैनोन ने माफ़ी पर गहरा दुख व्यक्त किया है. उन्होंने कहा, "यह डर और चिंता को और बढ़ा देता है." ट्रम्प ने इसे "राष्ट्रीय अन्याय का अंत" और "राष्ट्रीय सुलह की प्रक्रिया की शुरुआत" करार दिया है. उनका दावा है कि न्याय विभाग ने इन लोगों के साथ राजनीतिक रूप से प्रेरित होकर अनुचित व्यवहार किया. अमेरिका में कई लोगों का मानना है कि यह कदम दंगाइयों को प्रोत्साहित करेगा. न्याय विभाग को करीब 450 लंबित मामलों को खारिज करने का निर्देश दिया गया है. गौरतलब है कि कैपिटल दंगों में 100 से अधिक पुलिस अधिकारी घायल हुए थे. इस दिन को अमेरिकी लोकतंत्र के लिए सबसे अंधकारमय दिनों में से एक माना गया है.
चलते चलते : हुसैन के बाद अब उनकी पेंटिंग्स पर बवाल
महान चित्रकार एम.एफ. हुसैन की पेंटिंग्स पर एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है. उन्होंने हिंदू और दूसरे धर्मों के देवी-देवताओं की हजारों पेंटिंग बनाई हैं. उनके जीते जी उन पर इस बात को लेकर बहुत से मामले दायर हुए जिसमें हिंदू देवी-देवताओं को निर्वस्त्र या अश्लील प्रदर्शन के आरोप थे. हुसैन के निधन 2011 में हुआ पर उनके चित्रों को लेकर हल्ला अब भी है.
दिल्ली के एक आर्ट गैलरी में प्रदर्शित हिंदू देवताओं पर बनाई उनकी दो पेंटिंग्स को लेकर विवाद हुआ है, जिसके बाद अदालत ने उन्हें जब्त करने का आदेश दिया है. पटियाला हाउस कोर्ट के न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी साहिल मोंगा ने सोमवार को यह आदेश दिया. यह आदेश दिल्ली हाई कोर्ट की वकील अमिता सचदेवा ने आरोप लगाया है कि दिल्ली आर्ट गैलरी में हुसैन की कुछ पेंटिंग्स प्रदर्शित की गई थीं, जिनमें हिंदू देवी-देवताओं का आपत्तिजनक चित्रण किया गया था. उन्होंने 4 दिसंबर 2024 को इन पेंटिंग्स की तस्वीरें खींची और 9 दिसंबर को संसद मार्ग थाने में शिकायत दर्ज कराई.
अपनी शिकायत में, सचदेवा ने कहा कि जब वह जांच अधिकारी के साथ 10 दिसंबर को गैलरी गईं, तो वहां से पेंटिंग्स हटा दी गईं और यह दावा किया गया कि उन्हें कभी प्रदर्शित ही नहीं किया गया था. सचदेवा ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर हनुमान और गणेश की उन पेंटिंग्स को भी पोस्ट किया है, जिन्हें लेकर विवाद है. अदालत ने जांच अधिकारी को पेंटिंग्स जब्त करने और 22 जनवरी 2025 को रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही, अदालत ने दिल्ली आर्ट गैलरी से 4 से 10 दिसंबर तक की सीसीटीवी फुटेज भी सुरक्षित रखने का आदेश दिया है, ताकि यह पता चल सके कि क्या वाकई में उन पेंटिंग्स को प्रदर्शित किया गया था या नहीं. अदालत ने यह भी कहा कि जांच रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि दिल्ली आर्ट गैलरी ने पेंटिंग्स की सूची उपलब्ध कराई थी, जिसमें विवादित पेंटिंग्स भी शामिल हैं. गैलरी ने कहा है कि प्रदर्शनी एक निजी स्थान पर आयोजित की गई थी और पेंटिंग्स केवल कलाकारों की मूल कृतियों को प्रदर्शित करने के लिए थीं. दिल्ली आर्ट गैलरी 1993 में स्थापित की गई थी और यह 18वीं से 20वीं सदी तक की भारतीय कला का सबसे बड़ा संग्रह माना जाता है.
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